Deshbhakti Sanskrit Essay(देशभक्ति संस्कृत निबंध)
यस्मिन् देशे वयं जन्मधारणं कुर्मः स हि अस्माकं देशः जन्मभूमिः वा भवति । जननी इव जन्मभूमिः पूज्या आदरणीया च भवति । अस्याः यशः सर्वेषां देशवसिनां यशः भवति । अस्याः गौरवेण एव देशवसिनां गौरवम् भवति । ये जनाः स्वाभ्युदयार्थ देशस्याहितं कुर्वन्ति ते अधमाः सन्ति । देशभक्तिः सर्वासु भक्तिषु श्रेष्ठा कथ्यते । अनया एव देशस्य स्वतंत्रतायाः रक्षा भवति । अनया एव प्रेरिताः बहवः देशभक्ताः भगत सिंघः, चन्द्रशेखर आजाद प्रभृतयः आत्मोत्सर्गम् अकुर्वन् । झाँसीश्वरी लक्ष्मीबाई, राणाप्रताप मेवाड़केसरि, शिववीरः च प्रमुखाः देशभक्ताः अस्माकं देश जाता । देशभक्तिः व्यक्ति-समाज -देशकल्याणार्थ परमम् औषधम् अस्ति । यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः । चित्ते वाचि क्रियायांच साधुनामेक्रूपता ॥ --> हिन्दी अनुवाद : जिस देश में हमलोग जन्म लेते हैं वही देश हमारा जन्मभूमि होता है । माता और मातृभूमि पूजनीय और आदरणीय होता है । इसके यश से ही पुरे देशवाशियों का यश होता है । इसके गौरव से ही सभी देशवासियों का गौरव होता है । जो लोग अपने उदय के लिए देश का हित करते हैं, वो अधम है । देशभक्ति सभी भक्तियों में श्रेष्ठ कहा जाता है । इस से देश की स्वतंत्रता की रक्षा होती है । देशभक्ति से प्रेरित लोग जैसे भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद आदि अपना वलिदान दे दिए । हमारे देश में झाँसी की लक्ष्मीबाई मेवाड़ के राणाप्रताप आदि देशभक्त हुए । देशभक्ति व्यक्ति, समाज और देश के कल्याण के लिए औषध(दवा) के समान है । अर्थ- अच्छे लोगों के मन में जो बात होती है, वे वही वो बोलते हैं और ऐसे लोग जो बोलते हैं, वही करते हैं. सज्जन पुरुषों के मन, वचन और कर्म में एकरूपता होती है । -->
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देशभक्ति संस्कृत श्लोक और हिंदी शब्दार्थ
देशभक्ति संस्कृत श्लोक और हिंदी शब्दार्थ – “देशभक्ति” संस्कृते देशस्य प्रति आदरः, प्रेम्णः, आदरः च निर्दिश्यते । स्वदेशस्य सम्बन्धे यत् सामाजिकं स्थानं स्वाभाविकं च भावः भवति । संस्कृते “देशः” इति शब्दः “स्थानम्” अथवा “स्थानिका” इत्यनेन परिभाषितः । कस्मिंश्चित् स्थानं निर्दिशति, यस्मिन् तस्य स्थानस्य जनाः निवसन्ति, यत् स्वसमुदाय-संस्कृतेः, संस्कृति-आदिभिः परिचितः अस्ति ।
सामाजिक-राजनैतिक-आर्थिक-सांस्कृतिक-समस्याः आधुनिकसंस्कृत-काव्येषु अवगम्यन्ते । एतानि काव्यानि प्रसिद्धकविभिः लिखितानि सन्ति, काले काले स्वसमयस्य सामयिकसमस्यानां च निवारणं भवति । आधुनिकसंस्कृतकाव्यानि सामाजिकन्यायं, स्वातन्त्र्यं, अधिकारं, प्रगतिम् च आनयन्ति ।
आधुनिक संस्कृत कविता में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक समस्याओं को समजाया जाता है। ये कविताएं प्रसिद्ध कविों द्वारा लिखी गई हैं और समय-समय पर अपने समय के सामयिक समस्याओं से संबंधित होती हैं। आधुनिक संस्कृत कविताओं में सामाजिक न्याय, स्वतंत्रता, अधिकार और प्रगति को लेकर आते हैं।
Quick Links
देश भक्ति कविताएँ संस्कृत में (देशभक्ति काव्यानि संस्कृते )
- “वन्दे मातरम्” – संस्कृतकविः सविनाथसिंहस्य लिखिता एतत् काव्यं भारतदेशस्य प्रति आदरं प्रकटयति ।
- “भारतभाग्यविधाता” – संस्कृतकविरामदाससिंहेन लिखिता एषा काव्य भारतस्य भविष्यं सम्बोधयति।
- “जय भारत” – संस्कृतकविविवेकानन्देन लिखितं एतत् काव्यं भारतदेशस्य प्रति आदरं प्रकटयति।
- संस्कृतसाहित्ये अन्येऽपि काव्यानि सन्ति येषु देशभक्तिविषये कथ्यते।
हिंदी शब्दार्थ
- “Vande Mataram” – संस्कृत कवि सवीनाथ सिंह द्वारा लिखी गई यह कविता भारत देश के सम्मान को व्यक्त करती है।
- “Bharat Bhagya Vidhata” – संस्कृत कवि रामदास सिंह द्वारा लिखी गई यह कविता भारत देश के भविष्य को सम्बोधित करती है।
- “Jaya Bharat” – संस्कृत कवि विवेकानंद द्वारा लिखी गई यह कविता भारत देश के सम्मान को व्यक्त करती है।
संस्कृत साहित्य में अन्य कविताएँ भी हैं जो देश भक्ति को बताते हैं।
हिंदी शब्दार्थ के साथ, देशभक्ति का अर्थ होता है “देश के प्रति प्रेम और सम्मान” । यह अपने देश के प्रति अपने संस्कृत के साथ सम्मान करना और इसके सम्बन्ध में सेवा करना संबोधित करता है।
समुत्कर्षनिःश्रेयस्यैकमुग्रं परं साधनं नाम वीरव्रतम् । तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम्॥ विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर् विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्। परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥
- सम्मानपूर्वक सम्मानपूर्ण देशो नमस्तस्ये!
- मम देशस्य प्रियतमस्ति कथयन्ति मया सन्ति मया।
- सम्मानपूर्ण देशः सम्मानपूर्णः सम्मानपूर्णः सम्मानपूर्णः।
- सम्मानपूर्ण देशस्य सम्मानपूर्णस्य सम्मानपूर्णस्य सम्मानपूर्णस्य।
- देशेऽस्मिन् सम्मानमस्ति सम्मानमस्ति सम्मानमस्ति।
ये श्लोक देश के सम्मान को व्यक्त करते हैं और देश प्रेम को बताते हैं।
- सम्मानपूर्वक, सम्माननीय देशों, नमस्कार!
- वे कहते हैं कि मेरे देश में मेरी पसंदीदा चीजें हैं
- सम्माननीय देश: आदरणीय आदरणीय आदरणीय।
- माननीय देश माननीय माननीय माननीय माननीय।
- इस देश में सम्मान है, सम्मान है, सम्मान है।
ये छंद देश के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं और देशभक्ति के बारे में बताते हैं।
संस्कृत हास्य कविता
- वसन्तकाले सुखं न द्विधा भवति, प्रकृतिस्य श्रेयसाम् कथयति। (वाकविता)
- सुखं सम्पत्तिं सम्पत्तिं सुखम्, सम्पत्तिं सुखं सम्पत्तिम्। (सुखकविता)
- बालकश्च कश्चन विश्वसिद्धः कथयति, कुरुते विश्वसिद्धस्य कुरुते। (बालकविता)
- समुद्रस्य समुद्रेषु कथयति समुद्रः, कथयति समुद्रस्य समुद्रेषु कथयति। (समुद्रकविता)
- कृष्णकथनं कृष्णकथनं कृष्णकथनम्, कृष्णकथनं कृष्णकथनं कृष्णकथनम्। (कृष्णकविता)
- वसंत ऋतु का आनंद अस्पष्ट नहीं होता, यह प्रकृति की श्रेष्ठता को बयां करता है। (कविता)
- सुख ही धन है, धन ही सुख है, धन ही सुख है, धन ही सुख है। (खुश कविता)
- और लड़का वह है जो विश्व प्रसिद्ध है और कहता है, करता है और करता है जो विश्व प्रसिद्ध है। (बच्चों की कविता)
- सागरों का सागर बोलता है, सागरों का सागर बोलता है। (समुद्र कविता)
- काली बात, काली बात, काली बात, काली बात, काली बात। (कृष्णकविता)
भारत पर संस्कृत श्लोक सुभाषितानि
भारतं प्राचीनसंस्कृत्या इतिहासेन च आनन्ददायकः अद्भुतः देशः अस्ति । भारतस्य सुन्दरपर्वतशृङ्खलाभिः सह सुन्दरैः समुद्रतटैः अपि अयं मनोहरः अस्ति । मृद्धेः वास्तुकलायां संस्कृतिः आवश्यकी इति भारतस्य संस्कृतिः उपदिशति । भारतं वेश्यादेशः अस्ति, यत्र सर्वजातीयजनाः अवगच्छन्ति यत् सम्बन्धेन सह समानता एव समृद्धेः सर्वोत्तमः उपायः अस्ति।
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- देशभक्ति कविता
मातृभूमि भारत राष्ट्र पर संस्कृत श्लोक सुभाषितानि | Sanskrit Shloka about India Bharat Nation with Hindi Meaning
राष्ट्र मातृभूमि भारत पर संस्कृत श्लोक सुभाषितानि .
नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट में मैं भारत माता पर संस्कृत श्लोक ( Sanskrit Shloka about India ) का संकलन प्रस्तुत कर रहा हूँ। अपने राष्ट्र, मातृभूमि के गौरव/ महत्त्व के बारे में सुनकर किसके रोंगटे नहीं खड़े हो जाते हैं।
आइये राष्ट्र के महत्व को बताते हुए संस्कृत के विविध श्लोकों से अपनी ज्ञान यात्रा को और सुगम करें;
ॐ भद्रमिच्छंत ऋषयः स्वर्विदस्त्पो दीक्षामुपनिषेदुराग्रे । ततो राष्ट्रं बलमोजश्च जातं तदस्मै देवा उपसन्नमंतु ॥
प्रकाशमय ज्ञान वाले ऋषियों ने सृष्टी के आरम्भ में लोक कल्याण की इच्छा करते हुए दीक्षापूर्वक तप किया उससे राष्ट्र, बल और ओज की उत्पत्ति हुई इस (राष्ट्र) के लिए देवगण उस (तप और दीक्षा) को अवतीर्ण कर (राष्ट्रिकों अर्थात देशवाशियों में) संस्थित अथवा, समस्त प्रबुद्ध जन इस राष्ट्रदेवता की उपासना करें ।
हिमालयं समारभ्य यावत् इंदु सरेावरम् । तं देवनिर्मितं देशं हिंदुस्थानं प्रचक्षते ॥
हिमालय पर्वत से शुरू होकर हिन्द महासागर तक फैला हुआ यह ईश्वर निर्मित देश है जिसे “हिंदुस्थान” कहते हैं ।
यस्मिन् देशे न सन्मानो न प्रीति र्न च बान्धवाः । न च विद्यागमः कश्चित् न तत्र दिवसं वसेत् ॥
जिस देश में सम्मान नहीं, प्रीति नहीं, संबंधी नहीं और जहाँ विद्या मिलना संभव न हो वहाँ एक दिन भी नहीं ठहरना चाहिए ।
Sanskrit Slokas on Patriotism
कलहान्तानि हर्म्याणि कुवाक्यान्तं च सौहृदं । कुराजान्तानि राष्ट्राणि कुकर्मान्तं यशो नृणां ॥
झगड़ों से परिवार टूट जाते हैं। गलत शब्द के प्रयोग करने से दोस्ती टूट जाती है। बुरे शासकों के कारण राष्ट्र का नाश होता है । बुरे काम करने से यश दूर भागता है।
अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥
हे लक्ष्मण! यह स्वर्णमयी लंका मुझे अब भी अच्छी नहीं लगती। जन्मदात्री माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होते हैं।
वन्दे नितरां भारतवसुधाम्। दिव्यहिमालय-गंगा-यमुना-सरयू-कृष्णशोभितसरसाम् ॥
देवभूमि हिमालय, गंगा, यमुना, सरयू कृष्णा और कई नदियों के साथ चमकने वाली भारत की भूमि को नमन।
त्यजेदेकं कुलस्यार्थे ग्रामस्यार्थे कुलं त्यजेत् । ग्रामं जनपदस्यार्थे आत्मार्थे पृथिवीं त्यजेत् ॥
कुल के हितार्थ एक का त्याग करना, गाँव के हितार्थ कुल का, देश के हितार्थ गाँव का और आत्म कल्याण के लिए पृथ्वी का त्याग करना चाहिए ।
गायन्ति देवाः किल गीतकानि धान्यास्तु ये भारतभूमिभागे । स्वर्गापवर्गास्पदहेतुभूते भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात ॥
देवता गीत गाते हैं कि स्वर्ग और अपवर्ग की मार्गभूत भारत भूमि के भाग में जन्मे लोग देवताओं की अपेक्षा भी अधिक धन्य हैं। (अर्थात् मोक्ष-कैवल्य के मार्ग स्वरूप भारत-भूमि को धन्य-धन्य कहते हुए देवगण इसका शौर्य-गान गाते हैं। यहां पर मानव जन्म पाना देवत्व पद प्राप्त करने से भी बढकर है।
वीरकदम्बैरतिकमनीयां सुधिजनैश्च परमोपास्याम् । वेद्पुराणैः नित्यसुगीतां राष्ट्रभक्तैरीड्याम् भव्याम् ॥
वह (भारत माता) सुंदर दिखने के लिए योद्धाओं की एक माला पहनती है, जो श्रेष्ठ विद्वानों द्वारा पूजी जाती है। वेद और पुराणों के माध्यम से प्रतिदिन गाई जाती है, देशभक्तों के साथ जो भव्य दिखती है, ऐसे (मां भारती) को नमन।
उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् । वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र संततिः ॥
जो समुद्र के उत्तर में है और हिमालय के दक्षिण में है , उस देश का नाम भारत है और उसमे रहने वाले लोग भारतीय हैं।
एत देश प्रसूतस्य सकाशादग्र जन्मनः । स्वं स्वं चरित्र शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्व मानवाः ॥
प्राचीन काल में, इस देश (भारत) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा (साथ रहकर) पृथ्वी के सब लोगों ने अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ली।
Sanskrit Shloka about India Bharat Mata Nation with Hindi Meaning
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम्। महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥
हे वात्सल्यमयी मातृभूमि, तुम्हें सदा प्रणाम! इस मातृभूमि ने हमें अपने बच्चों की तरह स्नेह और ममता दी है। इस हिन्दू भूमि पर सुखपूर्वक मैं बड़ा हुआ हूँ। यह भूमि महा मंगलमय और पुण्यभूमि है। इस भूमि की रक्षा के लिए मैं यह नश्वर शरीर मातृभूमि को अर्पण करते हुए इस भूमि को बार-बार प्रणाम करता हूँ।
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता इमे सादरं त्वां नमामो वयम् । त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयम् शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ॥ अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत् । श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्॥
हे सर्व शक्तिमान परमेश्वर, इस हिन्दू राष्ट्र के घटक के रूप में मैं तुमको सादर प्रणाम करता हूँ। आपके ही कार्य के लिए हम कटिबद्ध हुए है। हमें इस कार्य को पूरा करने किये आशीर्वाद दे। हमें ऐसी अजेय शक्ति दीजिये कि सारे विश्व मे हमे कोई न जीत सकें और ऐसी नम्रता दें कि पूरा विश्व हमारी विनयशीलता के सामने नतमस्तक हो। यह रास्ता काटों से भरा है, इस कार्य को हमने स्वयं स्वीकार किया है और इसे सुगम कर काँटों रहित करेंगे।
समुत्कर्षनिःश्रेयस्यैकमुग्रं परं साधनं नाम वीरव्रतम् । तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम्॥ विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर् विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्। परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥
ऐसा उच्च आध्यात्मिक सुख और ऐसी महान ऐहिक समृद्धि को प्राप्त करने का एकमात्र श्रेष्ट साधन उग्र वीरव्रत की भावना हमारे अन्दर सदेव जलती रहे। तीव्र और अखंड ध्येय निष्ठा की भावना हमारे अंतःकरण में जलती रहे। आपकी असीम कृपा से हमारी यह विजयशालिनी संघठित कार्यशक्ति हमारे धर्म का सरंक्षण कर इस राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने में समर्थ हो।
Sanskrit Slokas on Desh Bhakti
अत्र ते वर्णयिष्यामि वर्षम् भारत भारतम्। प्रियं इन्द्रस्य देवस्य मनो: वैवस्वतस्य च। पृथोश्च राजन् वैन्यस्य तथेक्ष्वाको: महात्मन:। ययाते: अम्बरीषस्य मान्धातु: नहुषस्य च। तथैव मुचुकुन्दस्य शिबे: औशीनरस्य च। ऋषभस्य तथैलस्य नृगस्य नृपतेस्तथा। अन्येषां च महाराज क्षत्रियाणां बलीयसाम्। सर्वेषामेव राजेन्द्र प्रियं भारत भारतम्॥
(हे महाराज धृतराष्ट्र,) अब मैं आपको बताऊंगा कि यह भारत देश सभी राजाओं को बहुत ही प्रिय रहा है। इन्द्र इस देश के दीवाने थे तो विवस्वान् के पुत्र मनु इस देश से बहुत प्यार करते थे। ययाति हों या अम्बरीष, मन्धाता रहे हो या नहुष, मुचुकुन्द, शिबि, ऋषभ या महाराज नृग रहे हों, इन सभी राजाओं को तथा इनके अलावा जितने भी महान और बलवान राजा इस देश में हुए, उन सबको भारत देश बहुत प्रिय रहा है।
आ ब्रह्यन् ब्राह्मणो बह्मवर्चसी जायताम् आ राष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्यः अतिव्याधी महारथो जायताम् दोग्ध्री धेनुर्वोढानड्वानाशुः सप्तिःपुरंध्रिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः सभेयो युवाअस्य यजमानस्य वीरो जायतां निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो न ओषधयः पच्यन्ताम् योगक्षेमो नः कल्पताम्।
हमारे देश में ब्राह्मण समस्त वेद आदि ग्रंथों से दैदिव्य्मान उत्पन्न हों। क्षत्रिय, पराक्रमी, शस्त्र और शास्त्रार्थ में निपुण और शत्रुओं को अत्यंत पीड़ित करने वाले उत्पन्न हों। गौ, दुग्ध देने वाली और बैल भार ढोने वाला हो। घोड़ा शीघ्र चलने वाला और स्त्री बुद्धिमती उत्पन्न हो। प्रत्येक मनुष्य विजय प्राप्ति वाले स्वाभाव वाला, रथगामी और सभा प्रवीण हो। इस यज्ञकर्ता के घर विद्या, यौवन सम्पन्न और शत्रुओं को परे फेंकने वाला पुत्र उत्पन्न हो। हमारे देश के मेघ इच्छा-इच्छा पर बरसें और सभी औषधियां (अन्न) फल वाले होकर पकें। हमारे राष्ट्र के प्रत्येक मनुष्य का योग और क्षेम उसके उपभोग हेतु पर्याप्त हो।
I am a defense geek
3 thoughts on “ मातृभूमि भारत राष्ट्र पर संस्कृत श्लोक सुभाषितानि | Sanskrit Shloka about India Bharat Nation with Hindi Meaning ”
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अब वेबसाइट का यह YouTube चैनल आ गया है जहाँ आप को बहुत सुन्दर संस्कृत संग्रह और अन्य जानकारियां भी मिलेंगी https://www.youtube.com/c/InfotainerWorld/
‘विविधता मे एकता ‘पर कोई श्लोक होगा तो देखे
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Sanskrit Essay On Bharatvarsh(भारतवर्षः संस्कृत निबंध)
अस्माकं देशः भारतवर्षम् अस्ति । अयं हि हिमालयात् रामेश्वरम् पर्यन्तम् पुरीतः द्धारका पर्यन्तं प्रसृतः अस्ति । अत्र गंगा, यमुना, गोदावरी, ब्रह्यपुत्र प्रभृतयः नद्य: अमृतोपम् तोयं वहन्ति । अत्र काशी, प्रयाग, मथुरा, प्रभृतयः तीर्थनगराणि सन्ति । अत्र कलकत्ता, बम्बई, मद्रास, कानपुर, दुर्गापुर, राउरकेला प्रभृतयः उधोगप्रधानाः नगर्य: सन्ति । अत्रैव राम-कृष्ण-गौतमः जाताः । गाँधी-नेहरू-पटेल प्रमुखा: महापुरुषा: अत्रैव उत्पन्ना: । अयं देशः ग्रामप्रधानः कृषिप्रधानश्च कथ्यते । अस्य देशस्य राष्ट्रभाषा हिन्दी अस्ति या संस्कृतभाषायाः आत्मजा अस्ति ।
हिन्दी अनुवाद : हमलोगों का देश भारतवर्ष है । यह हिमालय के रामेश्वर से लेकर द्धारका तक फैला हुआ है । यहाँ गंगा, यमुना, गोदावरी, ब्रह्यपुत्र आदि नदियों में अमृत के समान पानी बहती है । यहाँ कशी प्रयाग, मथुरा, आदि तीर्थ नगरे है । यहाँ कोलकाता, बम्बई, मद्रास, कानपुर, दुर्गापुर, राऊरकेला आदि उद्योग प्रधान नगर है । यही राम, कृष्ण, और गौतम जन्म लिए थे । गाँधी नेहरू-पटेल प्रमुख महापुरुष यही उत्पन्न हुऐ थे । यह देश ग्रामप्रधान और कृषिप्रधान है । इस देश की राष्ट्रभाषा हिन्दी है । यह संस्कृत भाषा की आत्मजा है ।
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Essay on bharat desh in sanskrit
संस्कृते यः प्रधानः देशः अस्ति, स भारतदेशः नाम्ना प्रसिद्धः। एषः देशः आसमुखः, विविधस्य धर्माणि, भाषाः, संस्कृतिः, तात्त्विकताः च समाहिताः। भारतदेशे अनेकानि नगराणि विद्यन्ति, ज्येष्ठतमो नगरः नयी दिल्ली अस्ति। अस्य देशस्य संगणकम् संस्कृतम् यदि विचिकीर्षितुं कुर्यामः, स प्राचीनप्रसिद्धश्च संस्कृतभाषयाः पुरुषः नितरां सर्वविद्याः पठिष्यति चेत्। भारतदेशः अनेकानि धर्माणि आचर्ति, प्रमुखं धर्मं हिन्दूधर्मं नाम्ना यः अस्ति। सर्वेषाम् धर्माणाम् सार्वजनिकसम्प्रेषणं भारतीयः सम्पद्यते। भारतदेशे प्रसिद्धम् चित्रं अन्नपूर्णादेवी, विष्णुः, शिवः, लक्ष्मी, सरस्वती च पूज्यन्ते। भारतदेशे विविधयो भाषाः प्राचीनयाः भाषाः, संस्कृतं सम्मान्ति।
भारतदेशे संस्कृतसाहित्यम् अतीव प्रमुखम् आसीत्, महर्षिणां वाल्मीकिना रामायणं, व्यासेन महाभारतं, शङ्कराचार्येण वेदान्तः, कालिदासेन शाकुन्तलं च कृतं अस्ति। अतः भारतदेशः संस्कृतकलाशालाभिः औपचारिकतया प्रसिद्धः अस्ति।
भारतदेशः बहुतुलयवनभूमिः अस्ति, पर्वताः, नद्यः, समुद्राः, वन्यजनाः, वनस्पतयः, औपचारिकानि धर्माणि च अतीव सुन्दरम् भारतदेशम् निरूपयन्ति।
संस्कृतिः, भाषाः, औपचारिकताः, औपचारिकवस्त्रपृष्ठम्, भोजनसञ्चयः, विद्या, शिक्षणं च अतीव विविधस्याः अस्त्यन्येषां देशानां तुल्याः नासन्ति। यहाँ भारतदेशस्य कुशलाः संस्कृतशिक्षकाः भगवान् बुद्धः, महात्मा गान्धी, भगवान् शङ्कराचार्य, चाणक्यः, आदि प्रसिद्धाः आसन्ति।
भारतदेशे विविधयो त्योहाराः आचर्यन्ते, जैसे दीपावली, होली, दशहरा, दुर्गापूजा, गणेशचतुर्थी, चैत्रनवरात्रि च।
भारतदेशे सर्वविद्याप्रधाने दिक्षु योजनायाः अभियानानि सञ्चाल्यन्ते याः भारतसर्वस्वस्य समृद्धिं दर्शयन्ति। डिजिटल भारत अभियानः, मेक इन इंडिया, नरेन्द्रमोदी योजना च अत्र उल्लेखनीयाः योजनाः आसन्ति।
सांस्कृतिक धरोहर अत्यधिक महत्त्वपूर्णं आस्ते। भारतदेशे विविधा शैलीः लक्षणानि, कलास्थलानि च आपन्नानि सन्ति, जैसे काजुराहो, अजंता, खजुराहो, ताजमहलः, खजुराहो, चिड़ियाघर, गाड़ीशंकर, कांची, आदि।
भारतदेशे बहुतुलय विविधानि व्यापाराणि, उद्योगाः, उद्यानानि च आपन्नानि सन्ति। भारतदेशस्य व्यापारं, खगोलशास्त्रं, सौरमण्डलशास्त्रं च आपणन्ति।
भारतदेशः खाद्यानि औषधानि च उत्पादयति, जिह्वाग्रासी रसायनशास्त्रः अस्ति। भारतीयभोजनानि स्वादुः, आरोग्यकराणि च सन्ति। धान्यानि, दालानि, मिल्क्स, आदिः अत्यन्तं प्रसिद्धानि भारते विद्यन्ते।
भारतदेशे विविधयो खेलः खेल्यन्ते, जैसे क्रीडानि, चतुरङ्गशतरंगं, हॉकी, बैडमिन्टन, खोक्की, वोलीबॉल, आदिः।
भारतदेशे विविधयो च आद्योतनविद्याः अपन्यन्तं प्रसिद्धाः आसन्ति, जैसे आर्यभट्टः, चाणक्यः, कालिदासः, आदिः।
तथा विविधता सर्वदा प्रशंसनीयाः आसन्ति। भारतदेशस्य विभिन्न प्राचीन धर्माः, दर्शनानि, औपचारिकताः, संस्कृतभाषा, औपचारिकवस्त्रपृष्ठम्, औपचारिकसंग्रहालयाः, विद्यालयाः, आदिः विशेषरूपेण सर्वदा प्रमोत्तरं सम्प्रेरणीयम् आपन्नमन्ति।
भारतदेशे आधुनिकतायाः तथा प्रौद्योगिकयाः प्रगल्भितया विकसने अत्यन्तं समर्थः आस्ति, तस्य एकः उदाहरणं “मेक इन इंडिया” अभियानः अस्ति, योऽस्मिन योजनायाः अधिकारिनः उद्योगानि स्वतः निर्मायन्ति।
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संस्कृत अनुवाद कैसे करें – संस्कृत अनुवाद की सरलतम विधि – sanskrit anuvad ke niyam -1
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देशभक्ति पर हिंदी नारे (स्लोगन)
जय हिन्द दोस्तों, आज हम इस पोस्ट में बेहतरीन देशभक्ति पर स्लोगन और नारे (Desh Bhakti Slogans In Hindi) शेयर कर रहे हैं। आप इन स्लोगन्स को देशभक्ति कार्यक्रम आदि जैसे कार्यक्रमों में प्रयोग कर सकते हैं। ये जोश भरे देशभक्ति नारे (Desh Bhakti Nare) आपमें एक देशभक्ति की नई ऊर्जा का संचार करेंगे।
आपके देशभक्ति के प्रेम को और भी गहरा कर देंगे। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर किये गये यह देशभक्ति पर जोशीले नारे (Deshbhakti Ke Nare) आपको पसंद आएंगे।
देशभक्ति नारे और स्लोगन | Desh Bhakti Slogans In Hindi
Slogans on Desh Bhakti In Hindi
अंग्रेजो भारत छोड़ो (महात्मा गांधी Mahatma Gandhi)
स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है (बाल गंगाधर तिलक Bal Gangadhar Tilak)
जन-गण-मन अधिनायक जय हे (रविंद्रनाथ टैगोर Rabindranath tagore)
यह एक ऐसा चेक था, जो बैंक से पहले ही नष्ट हो जाने वाला था (महात्मा गांधी Mahatma Gandhi)
Indian Patriotic Slogans in Hindi
पूर्ण स्वराज (जवाहर लाल नेहरू Jawahar Lal Nehru)
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा (श्यामलाल गुप्ता Shyamlal Gupta)
भारत माता की जय (महात्मा गांधी Mahatma Gandhi)
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा (सुभाष चंद्र बोस Subhash Chandra Bose)
हु लिव्स इफ इंडिया डाइज (जवाहर लाल नेहरू Jawahar Lal Nehru)
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Desh Bhakti Slogan in Hindi Font
आराम हराम है (जवाहर लाल नेहरू Jawahar Lal Nehru)
करो या मरो (महात्मा गांधी Mahatma Gandhi)
Slogans on India in Hindi
वेदों की और लौटो (दयानंद सरस्वती Dayanand Saraswati)
इनक़लाब जिंदाबाद (भगत सिंह)
slogan on desh bhakti in hindi
जय हिंद (सुभाष चंद्र बोस Subhash Chandra Bose)
समूचा भारत एक विशाल बंदीगृह है (सी. आर. दास C.R. Daas)
Best Patriotic Slogans in Hindi
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा (मो. इकबाल Mo. Iqbal)
मेरे शरीर पर एक-एक पड़ी लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के कफ़न में कील सिद्ध होगी (लाला लाजपत राय Lala Lajpat Rai)
दिल्ली चलो (सुभाष चंद्र बोस Subhash Chandra Bose)
Read Also: बाल श्रम पर हिंदी नारे (स्लोगन)
Bharat Desh slogans in Hindi
भारतवर्ष को तलवार के बल पर जीता गया था और तलवार के बल पर ही उसने ब्रिटानी कब्जे में रखा जाएगा (लार्ड एल्गिन Lord Elgin)
जय जवान जय किसान (लाल बहादुर शास्त्री Lal Bahadur Shastri)
हिंदी हिन्दू हिंदुस्तान (भारतेंदु हरिश्चंद्र Bharatendu Harishchandra)
Desh Bhakti Par Slogan in Hindi
दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे (चंद्र शेखर आजाद Chandra Shekhar Azad)
वंदे मातरम (बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय Bankim Chandra Chattopadhyay)
देशभक्ति स्लोगन (desh bhakti nara)
सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाजु-ए-कातिल में है (राम प्रसाद बिस्मिल Ram Prasad Bismil)
अभी भी जिसका खून न खौला, वो खून नहीं पानी है, जो देश के काम न आये, वो बेकार जवानी है। (चंद्रशेखर आज़ाद Chandrasekhar Azad)
Best Slogan on Deshbhakti in Hindi
दासता का नया चार्टर (जवाहरलाल नेहरू Jawahar Lal Nehru)
जो स्वदेशी राज्य होता है वह सर्वोपरि एवं उत्तम होता है। (स्वामी दयानंद सरस्वती Swami Dayanand Saraswati)
देशभक्ति नारे और स्लोगन
हिंदुस्तान जिंदाबाद था जिंदाबाद है और जिन्दाबाद रहेगा।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महान लोगों के कहे गये जोशीले देशभक्ति नारे
देशभक्ति पर उद्धरण
भारत का विभाजन मेरी लाश पर होगा, जब तक मैं जीवित रहूँगा तब तक भारत का विभाजन नहीं होगा।
महात्मा गाँधी
भारतीय संस्कृति पूरी तरह न हिन्दू है, न इस्लामी है और न ही कुछ अन्य। वह सबका संयोजन है।
desh bhakti ke nare
मैं देश के बालू से ही कांग्रेस से भी बड़ा आंदोलन खड़ा कर दूंगा।
यदि हम साल में एक बार मेढ़क की भांति टर्राते है तो हमें अपने प्रयासों में सफलता नहीं मिलेगी।
बाल गंगाधर तिलक
हमने घुटने टेक कर रोटी मांगी किन्तु उत्तर में पत्थर मिले।
जिस प्रकार सारी धारायें अपने जल को सागर में ले जाकर मिला देती हैं, उसी प्रकार मनुष्य के सारे धर्म ईश्वर की ओर ले जाते है।
स्वामी विवेकानंद
उस समय जबकि जनता का उत्साह उंचा था ऐसे में पीछे हटने का आदेश देना राष्ट्रीय संकट से कम नहीं था।
सुभाषचंद्र बोस
शेर की तरह एक दिन जीना बेहतर है लेकिन भेड़ की तरह लम्बी जिन्दगी जीना अच्छा नहीं है।
टीपू सुल्तान
क्रांति की तलवार में धार वैचारिक पत्थर पर रगड़ने से होती है।
मेरे शरीर पर पड़ी एक – एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत में कील सिद्ध होगी।
लाला लाजपत राय
वह समय आ गया है जब हमारे सम्मान के चिन्ह के साथ ही मौजूद अपमान के कारण हमारे लिए शर्मनाक हो जाते है।
दादाभाई नरौजी
हम दया की भीख नहीं मांगते, हम तो केवल न्याय चाहते है, ब्रिटिश नागरिक के समान अधिकारों का जिक्र नहीं करते, हम स्वशासन चाहते है।
Read Also: शिक्षा पर बेहतरीन नारे (स्लोगन्स)
देशभक्ति पर नारा
विकसित होता राष्ट्र हमारा, रंग लाती हर कुर्बानी है, फक्र से अपना परिचय देते,हम सारे हिन्दोस्तानी है।
जब जब देश के आन बान शान की खातिर देश के लिए न्योछावर होना पड़ेगा सबसे पहला उसमे मेरा ही नाम होंगा।
आपके लिए भारत एक जमीन का टुकड़ा हो सकता है हमारे लिए तो ये माँ से भी बढ़कर है जिसके गोंद में पलकर बढ़े हुए है।
वीर चले है देखो लड़ने, दुश्मन से सरहद पर भिड़ने।
वह खून खून नही वह पानी है जो देश के काम ना आये बेकार वो जवानी है।
Desh Bhakti Nare
देशभक्ति ही तो है साहब, जो इस रेतीले रेगिस्तान में हमे अपने वतन से प्यार की खातिर निडर खड़े रहते है।
किसकी राह देख रहा, तुम खुद सिपाही बन जाना, सरहद पर ना सही, सीखो आंधियारो से लढ पाना।
धरती हरी भरी हो आकाश मुस्कुराए, कुछ कर दिखाओ ऐसा इतिहास जगमगाए।
पहले हम खुद को पहचाने फिर पहचानें अपना देश, एक दमकता सत्य बनेगा, नहीं रहेगा सपना देश।
Desh Bhakti Nare in Hindi
उस देश की सरहद को कोई छू नही सकता है जिस देश की सरहद की निगाहेबान आँखे है।
हर तूफान को मोड़ दे जो हिन्दोस्तान से टकराए, चाहे तेरा सीना हो छलनी तिरंगा उंचा ही लहराए।
कुछ कर गुजरने की गर तमन्ना उठती हो दिल में, भारत मा का नाम सजाओ दुनिया की महफिल में।
अनेकता में एकता ही मेरी शान है, इसीलिए मेरा भारत महान है।
Desh Bhakti Par Nare
दोनों ही करते है कुर्बान, माँ ममता को, जान को जवान इसीलिए तो है मेरा भारत महान।
देशभक्ति सिर्फ हथियारों से नही बल्कि जज्बातों से भी देखी जा सकती है।
बंद करो ये तुम आपस में खेलना अब खून की होली, उस मा को याद करो जिसने खून से चुन्नर भिगोली।
स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है इसे हम लेकर रहेगे।
हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर किये गये यह देशभक्ति नारे और स्लोगन (Desh Bhakti Slogans In Hindi) आपके काम आयेंगे। आपको यह Deshbhakti Nare Hindi कैसे लगे, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इन Desh Bhakti Slogans को आगे शेयर करना ना भूलें। हमारा फेसबुक पेज लाइक जरूर कर दें।
- 15 अगस्त पर निबंध हिंदी में
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Punjabi Essay on "Desh Bhakti", “ਦੇਸ਼ ਭਗਤੀ ਤੇ ਲੇਖ”, “Patriotism”, Punjabi Essay for Class 5, 6, 7, 8, 9 and 10
Essay on Desh Bhakti in Punjabi Language : In this article, we are providing ਦੇਸ਼ ਭਗਤੀ ਤੇ ਲੇਖ for students. Punjabi Essay/Paragraph on P...
ਦੇਸ਼ ਪਿਆਰ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ, ਆਪਣੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਕੌਮ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਨੂੰ ਪਿਆਰ ਕਰਨਾ । ਜਿਸ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਧਰਤੀ ਵਿਚ ਜੰਮੇ, ਪਲੇ, ਜਿਸ ਧਰਤੀ ਮਾਂ ਦੀ ਹਿੱਕ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲਿਆ ਪਾਣੀ ਪੀ-ਪੀ ਸਾਡੀ ਜੁਆਨੀ ਨਸ਼ਿਆਈ ਹੋਵੇ, ਉਸ ਧਰਤੀ ਖ਼ਾਤਰ ਆਪਣੇ ਸਰੀਰ ਦਾ ਪੁਰਜਾਪੁਰਜਾ ਕਟਾ ਕੇ ਆਪਣੇ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਲੇਖੇ ਲਾਉਣ ਵਿਚ ਹੀ ਸੱਚਾ ਧਰਮ ਅਤੇ ਸੱਚਾ ਪਿਆਰ ਹੈ ।
ਦੇਸ਼ ਪਿਆਰ ਦਾ ਇਕ ਅਜਿਹਾ ਕੁਦਰਤੀ ਜਜ਼ਬਾ ਹੈ, ਜਿਹੜਾ ਕਿ ਸਹਿਜ ਸੁਭਾ ਹਰ ਕਿਸੇ ਵਿਚ ਪੁੰਗਰਦਾ ਹੈ , ਜਿਸ ਤੋਂ ਸੱਖਣਾ ਤੇ ਵਿਹੁਣਾ ਵਿਅਕਤੀ ਇਕ ਤੁਰਦੀ ਫਿਰਦੀ ਲਾਸ਼ ਦੇ ਸਮਾਨ ਹੈ । ਕਿਹੜਾ ਵਿਅਕਤੀ ਹੈ ਜਿਸ ਦੀ ਹਿੱਕ ਵਿਚ ਦੇਸ਼ ਪਿਆਰ ਦਾ ਕੁਦਰਤੀ ਜਜ਼ਬਾ ਅੰਗੜਾਈਆਂ ਨਹੀਂ ਲੈਂਦਾ। ਮਨੁੱਖ ਜਿਸ ਨੂੰ ਸ਼ਿਸ਼ਟੀ ਦਾ ਸਿਰਤਾਜ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਵਿੱਚ ਤਾਂ ਇਸ ਜਜ਼ਬੇ ਦੀ ਹੋਂਦ ਹੋਣੀ ਹੀ ਸੀ, ਸਗੋਂ ਪਸ਼, ਪੰਛੀ ਵੀ ਇਸ ਪਵਿੱਤਰ ਅੰਸ਼ ਤੋਂ ਖਾਲੀ ਨਹੀਂ ਹਨ । ਪੰਛੀ ਖੁਰਾਕ ਦੀ ਭਾਲ ਵਿਚ ਸੈਂਕੜੇ ਮੀਲ ਦੂਰ ਨਿਕਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਪਰ ਸ਼ਾਮ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਆਲ੍ਹਣਿਆਂ ਨੂੰ ਪਰਤ ਕੇ ਜ਼ਰੂਰ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ।
ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਘੋਖਣ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਪਤਾ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪੁਰਾਣੇ ਸਮਿਆਂ ਵਿਚ ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਵੈਰੀ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਹੱਲਾ ਬੋਲਦੇ ਸਨ ਤਾਂ ਅਣਖੀਲੇ ਗੱਭਰੂ ਅਤੇ ਮੁਟਿਆਰਾਂ ਤਲਵਾਰਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਚੁੰਮ ਕੇ ਵੈਰੀ ਨਾਲ ਲੋਹਾ ਲੈਂਦੇ ਅਤੇ ਰਣ-ਭੂਮੀ ਵਿਚ ਅਜਿਹਾ ਖੰਡਾ ਖੜਕਦਾ ਕਿ ਵੈਰੀ ਨੂੰ ਨਾਨੀ ਚੇਤੇ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਮਹਾਰਾਣਾ ਪ੍ਰਤਾਪ, ਸ਼ਿਵਾਜੀ, ਬੰਦਾ ਬਹਾਦਰ ਦੇ ਮੁਗ਼ਲ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਕੀਤੇ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਭਰੇ ਘੋਲ, ਦੇਸ਼ ਪਿਆਰ ਦੀਆਂ ਜੀਉਂਦੀਆਂ ਜਾਗਦੀਆਂ ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਹਨ ।
ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਖਾਤਰ ਆਪਣਾ ਸਰਬੰਸ ਵਾਰ ਦਿੱਤਾ | ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਸਾਥੀਆਂ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਖ਼ਾਤਰ ਹੱਸਦੇ-ਹੱਸਦੇ ਫਾਂਸੀ ਦੇ ਰੱਸੇ ਨੂੰ ਹੀਰਿਆਂ ਦਾ ਹਾਰ ਸਮਝ ਕੇ ਆਪਣੇ ਗੱਲ ਵਿਚ ਆਪ ਪਾਇਆ ਪਰ ਸੀ ਤਕ ਨਾ ਕੀਤੀ । ਲਾਲਾ ਲਾਜਪਤ ਰਾਏ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਭਾਰਤ ਵਾਸੀਆਂ ਨੂੰ ਖੁਸ਼ੀ ਵਿਚ ਰੁਆ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਜਲ ਡਾਇਰ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣ ਵਾਲੇ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਤੋਂ ਕਿਹੜਾ ਜਾਣੂ ਨਹੀਂ ।
ਪੱਛਮੀ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਦੇਸ਼ ਪਿਆਰ ਸਕੂਲਾਂ ਵਿਚ ਹੀ ਸਿਖਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜਾਪਾਨ ਇਸ ਦੇਸ਼ ਪਿਆਰ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਹਿੱਧ ਹੈ । ਦੂਜੀ ਵੱਡੀ ਜੰਗ ਵੇਲੇ ਜਾਪਾਨੀ ਸਿਪਾਹੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਮੁੰਦਰੀ ਜਹਾਜ਼ ਦੀਆਂ ਚਿਮਨੀਆਂ ਵਿਚ ਛਾਲ ਮਾਰ ਦਿੰਦੇ ਸਨ, ਜਾਨ ਤੋਂ, ਹੱਥ ਧੋ ਬੈਠਦੇ ਸਨ | ਪਰ ਵੈਰੀ ਦੇ ਜਹਾਜਾਂ ਨੂੰ ਡੋਬ ਦਿੰਦੇ ਸਨ | ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਜਰਨੈਲ ਨੈਲਸਨ ਨੇ ਨੈਪੋਲੀਅਨ ਦੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਬੇੜੇ ਨੂੰ ਤਬਾਹ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਅਚਾਨਕ ਉਸ ਨੂੰ ਗੋਲੀ ਲੱਗੀ ਦਾ ਉਸ ਦੇ ਅੰਤਿਮ ਸ਼ਬਦ ਸਨ “ਰੱਬ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਹੈ ਕਿ , ਮੈਂ ਆਪਣਾ ਫ਼ਰਜ਼ ਪੂਰਾ ਕਰ ਲਿਆ ਹੈ ।
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