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भारत के राज्यों के प्रसिद्ध खाने की लिस्ट – 29 States Famous food name List In Hindi

   Indian States food List In Hindi : भारत 29 राज्यों में बटा हुआ देश है जिसके हर राज्य की अपनी अपनी संस्कृति, परम्परा और विविधताएँ है, ये विविधताएँ केवल संस्कृति और रीतिरिवाजों में ही नही बल्कि खान पान में भी देखने को मिलती है। भारत के प्रत्येक राज्य के खाने की अपनी अपनी विशिष्टताएं और विशेषताएं है जिन्होंने यहाँ आने वाले पर्यटकों को उंगलिया चाटने पर मजबूर कर दिया है। जब भी आप भारत के राज्यों के प्रमुख खाने की सूचि पर नजर डालेंगें तो साफ़ साफ़ पायंगे की हर राज्य के अपने अपने खाने का अलग अलग टेस्ट और लोकप्रियता है।

चलिए आइये तो इस लेख में हम आपको भारत के हर राज्य के स्पेशल खाने से रूबरू कराते है आप जब भी इन राज्यों की यात्रा पर जाये तो यहाँ की इस फेमस डिस को जरूर टेस्ट करें –

Table of Contents

भारत के प्रत्येक राज्य का मशहूर व्यंजन – Famous dishes state s of India i n Hindi

वैसे तो भारत के प्रत्येक राज्य में आपको खाने में कई वैरायटी या कई डिशेस देखने को मिलेगी लेकिन उन सबके बारे में बात ना करते हुए हम आपको यहाँ भारत के प्रत्येक राज्य की सबसे फेमस डिश के बारे में बताने वाले है –

मिसल पाव फेमस फ़ूड ऑफ़ महाराष्ट्र – Missal Pav Famous Food of Maharashtra in Hindi

मिसल पाव फेमस फ़ूड ऑफ़ महाराष्ट्र – Missal Pav Famous Food of Maharashtra in Hindi

29 States Famous food name In Hindi : मिसल पाव महाराष्ट्र का सबसे लोकप्रिय और पसंदीदा स्ट्रीट फूड है जो आपको इस राज्य की हर नास्ते की दूकान और होटल में देखने को मिलेगा। इस बेहतरीन नाश्ते की रेसिपी में स्प्राउट्स से बनी एक करी शामिल है, जिसमें बारीक कटा हुआ प्याज, टमाटर और चूने का रस के साथ पाव में मिलाया जाता है, और मक्खन की एक लोई के साथ तवे पर गर्म किया जाता है।

पंजाब का सबसे प्रसिद्ध व्यंजन मक्के दी रोटी और सरसों दा साग – Makke di roti aur Sarso da saag punjaab in Hindi

पंजाब का सबसे प्रसिद्ध व्यंजन मक्के दी रोटी और सरसों दा साग – Makke di roti aur Sarso da saag punjaab in Hindi

मक्के दी रोटी और सरसों दा साग पंजाब का सबसे पसंदीदा और पारंपरिक खाना है जिसे पंजाबी तड़के के साथ पकाया जाता है। मक्के दी रोटी और सरसों दा साग पंजाब का ऐसा खाना है जो हर ढाबे और होटलों में परोसा जाता है। इसके बिना होटल का मेन्यु कभी पूरा हो ही नही सकता क्योंकि यहाँ आने वाला पर्यटक सबसे मक्के दी रोटी और सरसों दा साग को ही आर्डर करता है। आप जब भी पंजाब की यात्रा पर आयें तो सरसों की साग के साथ घी से लगी मक्के की रोटी और एक लस्सी के गिलास को जरूर टेस्ट करें यकीन माने इनको खाने के बाद आप अपनी उंगलियाँ चाटने पर मजबूर हो जायेंगे।

कोशा मंगशो पश्चिम बंगाल की फेमस डिश – Kosha Mangsho West Bengal in Hindi

कोशा मंगशो पश्चिम बंगाल की फेमस डिश – Kosha Mangsho West Bengal in Hindi

29 States Famous food name In Hindi : यह मसालेदार बंगाली मटन करी उर्फ ​​कोशा मंगशो वेस्ट बंगाल की एक परफेक्ट लंच रेसिपी है जो नॉन वेजिटेरियन लोगो को खूब रास आती है। कोशा मंगशो एक क्लासिक बंगाली डिश है जिसे पश्चिम बंगाल के हर घर में पकाया जाता है और मांस के रसदार टुकडो को मख़मली ग्रेवी, मैदा लुची के साथ परोसी जाती है। यदि आप चिकिन के दीवाने है तो आपको वेस्ट बंगाल की फेमस कोशा मंगशो को एक बार जरूर टेस्ट करना चाहिए।

ढोकला गुजरात का मोस्ट फेमस फ़ूड – Dhokla Gujarat in Hindi

ढोकला गुजरात का मोस्ट फेमस फ़ूड – Dhokla Gujarat in Hindi

  Indian States food List In Hindi : भारत के राज्यों के प्रसिद्ध व्यंजनों की सूचि में ढोकला वैसे तो आपको भारत के किसी भी हिस्से में चखने को मिल जायेगा, लेकिन गुजरात के ढोकले जैसा टेस्ट आपको कही और नही मिल सकता। ढोकला एक प्रसिद्ध गुजराती भोजन है जो अपने विशिष्ट स्वाद के लिए जाना जाता है जिसे कि चावल और विभाजित छोले के किण्वित बैटर से बनाया जाता है। इसे टैंगी चटनी के साथ परोसा जाता है और नाश्ते के लिए खाया जा सकता है।

और पढ़े : भारत 10 ऐसे अजीब भोजन जिनके बारे में जानकर हैरान रह जायेंगे आप

रोगन जोश जम्मू कश्मीर का प्रसिद्ध खाना – Rogan Josh Jammu Kashmir in Hindi

रोगन जोश जम्मू कश्मीर का प्रसिद्ध खाना – Rogan Josh Jammu Kashmir in Hindi

जम्मू कश्मीर के खान पान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा रोगन जोश एक सुगंधित मेमने की डिश है जसे ब्राउन प्याज, विभिन्न मसाले और दही से तैयार किया जाता हैं। यह आमतौर पर उबले हुए चावल के साथ परोसा जाता है और इसमें लहसुन, अदरक और सुगंधित मसाले की ग्रेवी के साथ लैंब या मटन के टुकड़े होते हैं। जम्मू कश्मीर मुस्लिम प्रभावित एरिया है इसीलिए यहाँ वेजिटेरियन खाना जाड्या पसंद किया जाता है।

तमिलनाडु का पारम्परिक खाना पोंगल – Pongal Tamilnaadu in Hindi

29 States Famous food name In Hindi : पोंगल दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु का सबसे लोकप्रिय और पारंपरिक व्यंजन है जिसे विशेषकर पोंगल उत्सव के दौरान तैयार किया जाता है। पोंगल एक शाकाहारी खाना है जो दाल चावल से मिलकर बनता है। यदि आप तमिलनाडु की इस फेमस डिश को चखना चाहते है तो तमिलनाडु में मनाये जाने वाले सबसे प्रमुख त्यौहार पोंगल के दौरान यहाँ आना चाहिए। क्योंकि पोंगल इस त्यौहार का अभिन्न हिस्सा है जिसे त्यौहार की ख़ुशी में परोसा जाता है।

खार असम का सबसे लजीज व्यंजन – Papaya Khar Assam in Hindi

खार पारंपरिक असमिया मसालों के साथ लाल चावल, पीटा दाल और कच्चे पपीते के असामान्य संयोजन से तैयार व्यंजन है जो स्थानीय लोगो के साथ साथ यहाँ आने वाले पर्यटकों को उंगलिया चाटने पर मजबूर कर देता है। यदि आप असम की यात्रा पर है तो आप इसे टेस्ट करना बिलकुल भी मिस ना करें क्योंकि अगर आप इसे टेस्ट किये बिना वापिस आ जाते है यक़ीनन आपकी यात्रा अधूरी रह जायेगी।

लिट्टी चोखा विहार का सबसे पसंदीदा खाना – Litti Chowkha Bihar in Hindi

लिट्टी चोखा विहार का सबसे पसंदीदा खाना – Litti Chowkha Bihar in Hindi

जब भी आप विहार के फेमस खाने को सर्च करते है तो शतप्रतिशत लिट्टी चोखा को ही टॉप पर पाएंगे क्योंकि लिट्टी चोखा पारंपरिक खाना है जो बिहार के हर घर में पसंद किया जाता है और दूर दूर से आने वाले पर्यटक भी इसे चखे बिना बिना रह पाते है। बता दे लिट्टी चोखा को गेहूं के आटे से पकाया जाता है, जो भुने हुए बेसन, मसालों और नींबू के रस के मिश्रण से भरा होता है, और इसे चोखा (बेक्ड और पल्प वाली सब्जियों) के साथ परोसा जाता है।

धाम हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्ध व्यंजन – Dham Himachal Pradesh in Hindi

भले ही आपको इस डिश का नाम कम सुना सुना लग रहा हो लेकिन धाम हिमाचल प्रदेश की सबसे पॉपुलर डिस में से एक है जिसे लाल किशमिश (राजमा), हरी दाल (मूंग दाल) और चावल को दही में पकाकर तैयार किया जाता है और मैश दाल, बोअर की कारी और इमली और गुड़ (गुड़) से बनी मीठी और खट्टी चटनी के साथ परोसा जाता है। इसे खाने के बाद कोई भी अपनी उंगलिया चाटे बिना नही रह पाता तो सोचिये यह डिस कितनी य्म्मी और टेस्टी होगी।

  पूठरेकुल्लू आंध्रप्रदेश की फेमस स्वीट – Pootharekulu Andhra Pradesh in Hindi

29 States Famous food name In Hindi : पूठरेकुल्लू दक्षिण-पूर्वी भारत के आंध्र प्रदेश राज्य की एक लोकप्रिय भारतीय मिठाई है। इसे चीनी, सूखे मेवे और काजू किसमिस को चावल के आटे, शुद्ध घी से बनी पतली पतली रेपर में भरा जाता है और बाद में उन्हें सैक लिया जाता है। यह फेमस स्वीट तेलुगु राज्यों में त्योहारों, धार्मिक अवसरों और शादियों के लिए लोकप्रिय है जिसके बिना कोई भी प्रोग्राम पूरा नही होता है।

केरल का लोकप्रिय व्यंजन अप्पम – Appam Kerla in Hindi

केरल का लोकप्रिय व्यंजन अप्पम – Appam Kerla in Hindi

केरल के लोकप्रिय खाद्य पदार्थों में से एक अप्पम किण्वित चावल के आटे, नारियल के दूध, नारियल के पानी और चीनी से मिलकर बनता है। अप्पम अनिवार्य रूप से खस्ता किनारों के साथ एक पतली पैनकेक है। यह मूल रूप से एक शाकाहारी व्यंजन है, लेकिन इसे चिकन या मेमने के साथ भी खा सकते हैं। अप्पम स्थानीय लोगो के साथ पर्यटकों के लिए पसंदीदा डिस बनी हुई है और केरल आने वाले हर पर्यटक इसे चखे बिना रह नही पाता है। यदि आप भी केरल घूमने जाने वाले है तो अप्पम का चखना बिलकुल ना भूलें ।

और पढ़े : केरल का प्रसिद्ध खाना और व्यंजन 

तेलंगाना की फेमस डिश हैदराबाद बिरयानी – Hyderabadi Biryani, Telangana in Hindi

तेलंगाना की फेमस डिश हैदराबाद बिरयानी – Hyderabadi Biryani, Telangana in Hindiतेलंगाना की फेमस डिश हैदराबाद बिरयानी – Hyderabadi Biryani, Telangana in Hindi

  Indian States food List In Hindi : बिरयानी तेलंगाना की सबसे फेमस डिश है जिसे डम बिरयानी के रूप में भी जाना जाता है, हैदराबाद बिरयानी बासमती चावल और बकरे के मांस के साथ बनाया जाता है और डम पुख्त विधि से पकाया जाता है। हैदराबाद के निज़ाम की रसोई में उत्पन्न, यह हैदराबादी और मुगलई व्यंजनों के तत्वों को जोड़ता है। यदि आप बिरयानी के दीवाने है तो एक बार तेलंगाना की बिरयानी को जरूर टेस्ट करें।

गोवा का मशहूर भोजन क्रैब – Crab Goa In Hindi

गोवा का मशहूर भोजन क्रैब – Crab Goa In Hindi

क्रैब गोवा के एक प्रचलित व्यंजन है जिसकों केकड़े के मांस से बनाया जाता है। आपको बता दें कि इस व्यंजन का सूप थोडा गाढ़ा होता है जिसको बनने में नारियल और कई तरह के तेज मसाले डाले जाते हैं। इस पकवान को चावल और चपाती के साथ खाया जाता है। अगर आप तेज मसाले वाले भोजन को ज्यादा पसंद करते हैं तो आपको यह डिश बहुत पसंद आएगी।

और पढ़े : यह हैं गोवा के 10 प्रसिद्ध जायके जिनका आपको स्वाद एक बार जरुर लेना चाहिए

दाल बाटी चूरमा राजस्थान का प्रसिद्ध खाना – Dal Bati Churma Rajasthaan In Hindi

दाल बाटी चूरमा राजस्थान का प्रसिद्ध खाना – Dal Bati Churma Rajasthaan In Hindi

29 States Famous food name In Hindi : दाल बाटी चूरमा राजस्थान का सबसे पसंदीदा खाना है जिसे किसी इंट्रोडक्शन की आवश्यकता नही है। राजस्थान का प्रतिष्ठित पारंपरिक भोजन दाल बाटी चूरमा न केवल देशी लोगों के बीच, बल्कि फॉरेनर टूरिस्ट के बीच भी बहुत पसंदीदा है। बता से दाल बाटी चूरमा में आटे से बनी बाटी को पकाने के बाद उसे घी में डुबोया जाता है, जो इसे घी के तडके का काम करता है। इसके अलावा इस बाटी के साथ खाने के लिए चना तुअर, मूंग, उड़द से मिलकर दाल होती है जिसे पंचमेल दाल कहा जाता है।

यदि आप राजस्थान घूमने जाने वाले है तो राजस्थान के फेमस डिश में से एक दाल बाटी चूरमा को चखना बिलकुल मिस ना करें।

और पढ़े : राजस्थान का प्रसिद्ध खाना

जादो मेघालय का प्रसिद्ध व्यंजन – Jadoh Meghalaya in Hindi

मेघालय का सबसे प्रसिद्ध व्यंजन जादो लाल पहाड़ी चावल है जिसे सूअर के मांस के टुकड़ों के साथ पकाया जाता है। यह एक बिरयानी है जिसे चावल और मांस से मिलकर तैयार किया जाता है।

पोहा जलेवी मध्य प्रदेश का लोकप्रिय स्ट्रीट फ़ूड – Poha Jalevi Madhya Pradesh in Hindi

पोहा जलेवी मध्य प्रदेश का लोकप्रिय स्ट्रीट फ़ूड – Poha Jalevi Madhya Pradesh in Hindi

पोहा जलेबी भारत के राज्य मध्य प्रदेश का सबसे पसंदीदा स्ट्रीट फ़ूड है जो हर घर में नाश्ते के रूप में भी खाया जाता है। पोहा जलेबी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और शहर इंदौर में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड है। पोहा जलेबी में पोहा चपटा चावल का मिश्रण होता है जिसे कई तरह के मसालों के साथ तैयार किया जाता है और जलेबी को बनाने के लिए शक्कर और मैदा का इस्तेमाल किया जाता है।

आमत छत्तीसगढ़ का लोकप्रिय व्यंजन   – Aamat Chhattisgarh in Hindi

29 States Famous food name In Hindi : आमत छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध खाना है जिसे बस्तर क्षेत्र का सांभर माना जाता है। मिश्रित सब्जियों, अदरक और लहसुन के पेस्ट के साथ तैयार किया गया आमत छत्तीसगढ़ की फेमस डिस है। जबकि परंपरागत रूप से इस पकवान को बांस की शूटिंग में तैयार किया जाता है जिससे डिश में अद्वितीय सुगंध जुड़ जाती है। आमेट को पकाने की यह प्रक्रिया अभी भी बस्तर के सुदूर इलाकों में प्रचलित है। यह एक आदिवासी भोजन है जो आधुनिक रसोई में भी विरासत में मिला है। यह भोजन अक्सर मेहमानों के आने पर बनाया जाता था, लेकिन अब सामान्य घरों और होटलों में इसे एक विशेष खाद्य पदार्थ के रूप में तैयार किया जाता है, जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को खूब लुभाता है।

और पढ़े : छत्तीसगढ़ का प्रमुख खाना और व्यंजन

कंडाली का साग फेमस डिश ऑफ़ उत्तराखंड – Kandali ka saag Uttrakhand in Hindi

जब भी उत्तराखंड के प्रसिद्ध खाने की बात होती है तो कंडाली के साग का नाम सबसे पहले सामने आते है। बता दे यह एक स्वादिष्ट सब्जी है, जिसे कंडाली को उबाल कर बनाया जाता है। उत्तराखंड के लोग इसे चावल और रोटी के साथ खाना खूब पसंद करते हैं। अगर आप उत्तराखंड घूमने के लिए जा रहे हैं तो इस टेस्टी डिश को एक बार ज़रूर ट्राई करें।

चखवी त्रिपुरा का प्रसिद्ध खाना – Chakhwi Tripura in Hindi

  Indian States food List In Hindi : चखवी त्रिपुरा का बहुत ही फेमस मांसाहारी खाना है जो सूअर का मांस, और हरे पपीता से मिलकर बनता है। चखवी त्रिपुरा बहुत पारंपरिक, स्वादिष्ट और हेलथी खाना है जिसके बारे में सुनकर ही नॉन वेजिटेरियन पसंद करने वाले लोगो के मुह में पानी आ जाता है।

बाजरे की खिचड़ी , हरियाणा की पसंदीदा डिश – Bajre Ki Khichdi Haryana in Hindi

शायद आपको सुनना में थोडा अजीब लगे लेकिन बाजरे की खिचड़ी हरियाणा में सबसे जाड्या पसंद किया जाना वाला व्यंजन है। बाजरे की खिचड़ी एक दलिया (खिचड़ी) है जिसे मोटे तौर पर कुचले हुए मोती बाजरा से बनाया जाता है और इसे शुद्ध घी या तिल के तेल के साथ खाया जाता है। बाजरे की खिचड़ी सुनने में जितना सादा लगता है वेसा है नही क्योंकि बाजरे की खिचड़ी को हरियाणा बहुत ही स्पेशल तरीके से बनाया जाता है जो किसी को भी उँगलियाँ चटाने पर मजबूर कर देती है।

थुक्पा सूप अरुणाचल प्रदेश – Thukpa Soup Arunachal Pradesh in Hindi

थुक्पा सूप अरुणाचल प्रदेश - Thukpa Soup Arunachal Pradesh in Hindi

थुक्पा सूप अरुणाचल प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध और स्वादिष्ट व्यंजनों में से एक है। वैसे तो थुक्पा सूप एक तिब्बती डिश है लेकिन इसका स्वाद अरुणाचल प्रदेश के सर्द सर्दियों से निपटने के लिया जाता है। अगर आप मांसाहारी हैं तो आप इसका मांसाहारी वैरिएंट भी ले सकते हैं, जो शाकाहारी की तुलना में दो गुना स्वादिष्ट होता है।

सिक्किम की सबसे पसंदीदा डिश मोमोज – Momos, Sikkim in Hindi

सिक्किम की सबसे पसंदीदा डिश मोमोज – Momos, Sikkim in Hindi

29 States Famous food name In Hindi : मोमोज एक तिब्बती डिश है, जिसे पूरे सिक्किम बेहद पसंद किया जाता है। जब भी आप सिक्किम की यात्रा करने के लिए जाते हैं तो आपको यहाँ ऐसी कोई सड़क नहीं मिलेगी जहाँ पर मोमोज का स्टॉल न हो। आपको मोमोज की हर दूकान पर करीब 3 या 4 प्रकार के मोमोज मिल जायेगे, जिनमे से सबसे ज्यादा लोकप्रिय स्टीम और फ्राइड मोमोज हैं।

  कर्नाटक राज्य का प्रसिद्ध खाना अक्की रोटी – Akki Rotti In Hindi

कर्नाटक राज्य का प्रसिद्ध खाना अक्की रोटी – Akki Rotti In Hindi

अक्की रोटी भारत के राज्य कर्नाटक का पसंदिदा भोजन है जो यहां के स्थानीय लोगों द्वारा नाश्ते ने लिया जाता है। बता दें की अक्की रोटी को राइस ब्रेड के नाम से भी जाना जाता है। कर्नाटक राज्य में अक्की रोटी कई कार्यालयों और कालेजों के बाहर बहुत बिकता है। इस स्वादिष्ट फ़ूड को लोग को नारियल की चटनी और गर्म चाय के साथ शाम के समय भी खाना पसंद करते हैं।

बाम्बू शॉट्स नागालेंड का प्रसिद्ध खाना –  Bamoo Shoot Fry, Nagaland in Hindi

  Indian States food List In Hindi : बाम्बू शॉट्स बाँस की गोली भारत के लगभग पूरे उत्तर पूर्वी हिस्से विशेषकर नागालेंड का फेमस खाना है। इसे यह मुख्य रूप से सूअर का मांस तैयार करने में उपयोग किया जाता है। बाँस की गोली का उपयोग सूखे और किण्वित रूप में किया जाता है। यह व्यंजन को थोड़ा खट्टा स्वाद देता है।

मीसा माच पोरा फेमस फ़ूड ऑफ़ मिजोरम – Misa Mach Poora, Mizoram in Hindi

मीसा माच पोरा फेमस फ़ूड ऑफ़ मिजोरम - Misa Mach Poora, Mizoram in Hindi

अगर आप सी फूड लवर हैं तो आपको एक मिजोरम की फेमस डिश बार मीसा माच पोरा को टेस्ट जरूर करना चाहिए। लोकप्रिय रूप से मीसा माच पोरा डिश को ग्रील्ड चिंराट डिश के रूप में भी जाना जाता है। इसे कुछ धनिया और पेपरकॉर्न के साथ पकाया जाता है और इसे केले के पत्तों में लपेटा जाता है और इसे चारकोल के ऊपर ग्रील्ड किया जाता है। यह इसे एक स्मोकी स्वाद देता है। पकवान को या तो स्टार्टर के रूप में या चावल के साथ साइड डिश के रूप में परोसा जा सकता है।

छेना पोडा ओडिशा की फेमस स्वीट्स –  Chenna Poda Odisha in Hindi

छेना पोडा ओडिशा की फेमस स्वीट्स –  Chenna Poda Odisha in Hindi

छेना पोडा भारतीय राज्य ओडिशा की एक पनीर मिठाई है। यह अच्छी तरह से तैयार घर का बना ताजा पनीर छेना, चीनी और सूजी से बना है, और कई घंटों तक बेक किया जाता है जब तक कि भूरे रंग के न हों। यदि आप ओडिशा की यात्रा पर जाने वाले है तो रसीले छेना पोडा को चखना बिलकुल मिस ना करे।

 टुंडे कबाब बेस्ट स्ट्रीट फ़ूड इन उत्तर प्रदेश – Tunde Kabab Food in Hindi

टुंडे कबाब बेस्ट स्ट्रीट फ़ूड इन उत्तर प्रदेश – Tunde Kabab Food in Hindi

टुंडे कबाब भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का सबसे स्वादिष्ट व्यंजन है जिसका स्वाद लोगों के मुंह में पानी लाने पर मजबूर कर देता है। टुंडे कबाब लखनऊ का सबसे प्रसिद्ध और पसंदिदा व्यंजन है जिसे यहां स्ट्रीट फ़ूड के रुप में खाया जाता है। अगर आप भारत के उत्तरप्रदेश राज्य की यात्रा करने जा रहें हैं तो आपको एक बार टुंडे कबाब का स्वाद जरुर लेना चाहिए।

इरोमबा मणिपुर का सबसे लोकप्रिय व्यंजन – Iromba, Manipur in Hindi

  Indian States food List In Hindi : मणिपुर भारत के छोटा राज्य है जो अपनी संस्कृति और वेशभूषा के साथ साथ खाने के लिए जाना जाता है जिसमें इरोमबा का नाम सबसे उपर आता है। इरोमबा एक ऐसा व्यंजन है जो सूखे और किण्वित मछली और स्थानीय रूप से उपलब्ध सब्जियों से तैयार होता है। इरोमबा मणिपुरी घरों के लिए एक नियमित व्यंजन है, सिवाय उन लोगों के जो शाकाहारी हैं।

झारखंड का प्रसिद्ध भोजन धुस्का – Dhuska, Jharkhand in Hindi

धुस्का, झारखंड का एक पारंपरिक और लोकप्रिय व्यंजन है जिसे विशेष त्योहारों के दौरान तैयार किया जाता है। झारखंड की यह सिग्नेचर डीप-फ्राइड रेसिपी पारंपरिक रूप से मसालेदार छोले की सब्जी के साथ परोसी जाती है।

और पढ़े : भारत के 15 सबसे फेमस स्ट्रीट फ़ूड जिनका स्वाद आपके मुंह में पानी ला देगा

इस लेख में आपने भारत के राज्यों के प्रसिद्ध व्यंजन (Indian states food List In Hindi) के बारे में जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।

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Essay on Indian Food Policy | Hindi

essay on indian food in hindi

Here is an essay on the Indian food policy especially written for school and college students in Hindi language.

भारतीय व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग भारतीय खाद्य पदार्थ व्यवस्था जो कि पूर्णत: अव्यवस्थित है आज यदि दाल पचास रूपये प्रति किलो है तो हो सकता है कल साठ रूपये प्रति किलो मिले ।

आटा यदि आज बीस रूपये प्रति किलो है तो हो सकता है कल आपको चौबीस या पच्चीस रूपये प्रति किलो मिले क्योंकि यही तो भारतीय खाद्य पदार्थ नीति है जो प्रतिदिन बदलती रहती है । व्यक्ति अपना बजट एक माह का बनाता है । लेकिन उसको अपने बजट में रोजाना संशोधन करना पड़ता है ।

भारतीय खाद्य पदार्थ नीति पूर्णत: सब्जी मण्डी की सब्जी के भाव की तरह है जो रोजाना किसी सब्जी के अधिक मात्रा में आने पर सस्ती और  कम मात्रा में आने पर मँहगी हो जाती है इस प्रकार भारतीय खाद्य पदार्थ नीति में होने वाला परिवर्तन भारतीय व्यवस्था की पोल खोलता है जो सिद्ध करता है कि भारतीय खाद्य पदार्थ नीति भी सशख्त परिवर्तन की आवश्यकता महसूस कर रही है तभी तो किसी भी खाद्य पदार्थ पर सरकार का मूल्य नियंत्रण नहीं है ।

कोई भी वस्तु जो खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग में लायी जा रही है । उस पर मूल्य तो अंकित है लेकिन बिक्री उससे कहीं ऊँचे दामों पर की जाती है और सरकार भी मूक दर्शक बनी रहती है । उदाहरण के रूप में सॉफ्ट ड्रिंक्स ही लें तो एक दुकानदार तो दस रूपये में बेच रहा है तो दूसरा उसी को पन्द्रह रूपये में बेच रहा है जबकि उत्पाद भी एक ही है एक ही कम्पनी द्वारा निर्मित है । लेकिन अन्तर बस इतना मात्र है कि एक तो सड़क किनारे खोखा पटरी पर बेच रहा है और दूसरा उसी को रेस्टोरेन्ट या होटल में बेच रहा है ।

एक ढाबे पर गेंहू की रोटी तीन रूपये की है तो दूसरे रेरटोरेन्ट में उसी गेंहू की वही रोटी पांच रूपये की है तो दूसरे होटल में वही दाल पचास रूपये प्लेट और उतनी ही मात्रा में वैसा ही स्वाद लेकिन दरों में अन्तर भारी है यही तो भारतीय खाद्य पदार्थ नीति है जिसमें किसी पर कोई नियंत्रण नहीं है । जबकि सम्पूर्ण भारतवर्ष में सम्पूर्ण खाद्य पदार्थों पर एक समान मूल्य प्रणाली लागू होनी चाहिए थी ।

माना कोई व्यक्ति मुम्बई में चाय पांच रूपये में पीता है तो दिल्ली में भी पांच रूपये और कोलकाता में भी पांच रूपये तथा चैन्नई में भी पांच रूपये ही होनी चाहिए । इसी प्रकार दाल की प्लेट की कीमत मुम्बई में ढाबे पर बीस रूपये है तो दिल्ली में अशोका होटल में भी दाल की प्लेट की कीमत बीस रूपये होनी चाहिए और गेंहू की रोटी यदि कोलकाता में तीन रूपये की मिलती है तो चैन्नई में भी तीन रूपये की ही मिलनी चाहिए ।

ताकि अन्तर्राज्यीय भ्रमण के दौरान भी किसी भारतीय को बजट संशोधन की आवश्यकता महसूस न हो और सम्पूर्ण भारतवर्ष में एक समान मूल्य खाद्य पदार्थ नीति बन सके । कम से कम खाद्य पदार्थों के सम्बन्ध में तो ऐसा ही होना चाहिए ताकि गरीब भारतीय भी दाल-रोटी तो कम से कम खा ही सके । उसे चिकन आदि बेशक ना मिले परन्तु भरपेट दाल रोटी तो मिलनी ही चाहिए ।

क्या किसी गरीब को मटर पनीर, चिकन आदि खाते देखा होगा तो उक्त प्रश्न का उत्तर आपको ना में ही मिलेगा क्योंकि कुछ गरीब तो आज भी या तो भूखे सोते हैं या फिर एक वक्त का ही भोजन कर अपनी जिन्दगी की गाड़ी को खींच रहे हैं । फल खाना, दूध पीना तो गरीब बच्चों को स्वप्न देखना जैसा है जिसका मूल कारण है भारतीय खाद्य पदार्थ नीति का उचित रूप में पालन न होना ।

ADVERTISEMENTS:

भारतीय व्यवस्था की महत्वपूर्ण कमियों में भारतीय खाद्य पदार्थ नीति का सम्मिलित किया जाना भारतीय जनमानुष के हित का प्रश्न हो सकता है । भारतीय खाद्य नीति की कमी का ही परिणाम है जो गरीब आदमी दो वक्त की रोटी को तरस रहा है या भूख से जान दे रहा है या भरपेट खाना नहीं खा रहा ।

इसका सम्पूर्ण उत्तरदायी भारतीय खाद्य पदार्थ नीति को ही कहा जा सका है जो आम आदमी भरपेट दो वक्त की रोटी नहीं पा रहा और भारतीय नीतिकार आराम से चैन की नींद ले रहे हैं । गरीब आदमी को यदि दो वक्त की भरपेट दाल-रोटी नसीब हो रही है तो वह दो वक्त का खाद्य ही उसके लिए फल, सब्जी खाने के सामान है । क्योंकि वर्तमान भारतीय खाद्य पदार्थ नीति गरीबों को केवल दाल-रोटी ही उपलब्ध कराना अपनी उपलब्धियों का हिस्सा है अन्यथा भारतीय खाद्य नीति पूर्णत: असफल और मृत प्राय है ।

भारतीय खाद्य नीति में कोई स्पष्ट भंडारण नीति व वितरण नीति नहीं है । जिसका परिणाम है कि आज एक ओर देश के गोदामों में अनाज सड़ रहा है और दूसरी ओर गरीब भूख से मौत को गले लगा रहा है । तो क्या हम कह सकते हैं कि देश में खाद्य पदार्थो के सम्बन्ध में हितकारी नीति है कदापि नहीं ।

जब बरसात के मौसम में अनाज गोदामों में खुले आसमान के नीचे रखा हो तो क्या वह अनाज सुरक्षित रहेगा । इससे तो बेहतर होता कि ऐसे अनाज को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से गरीबों को निःशुल्क बांट दिया जाता । कम से कम देश के गरीबों के तो काम आता ।

लेकिन धन्य है भारतीय खाद्य नीति जो अनाज को गरीबों मे बांटने के स्थान पर गोदामों में खुले आसमान के नीचे रखकर सड़ाना पसंद कर रहे हैं यह कोई एक गोदाम की हालत नहीं है बल्कि देश के अनेकों गोदामों में यही स्थिति है ।

जिसको नियंत्रण करना नीतिकारों के लिए शायद ही उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का प्रकरण हो अन्यथा देश के किसानों की मेहनत से उगाये गये अनाज का हश्र यह नहीं होता कि वह खुले आसमान के नीचे बरसात के मौसम में सड़ रहा है तभी तो देश का गरीब भूख से मर रहा है और अनाज गोदामों में सड़ रहा है ।

जिसके लिए उत्तरदायी है देश के नीतिकार और उससे भी अधिक उत्तरदायी है देश की खाद्य नीति जो गरीब को दो वक्त की रोटी उपलब्ध कराने में अक्षम है जिसका परिणाम यह है कि गरीब रोटी पाने के लिए अपराध का रास्ता अपनाता है तो इसके लिए हम किसको उत्तरदायी ठहरायेंगे ।

भारतीय व्यवस्था का अंग भारतीय खाद्य पदार्थ नीति में भंडारण नीति का महत्वपूर्ण स्थान है यदि खाद्य नीति में भंडारण नीति का उचित रूप में पालन हो तो निश्चित ही इस देश का गरीब भूख से मौत को गले नहीं लगायेगा ।

क्योंकि भारतवर्ष में न तो अनाज की पैदावार ही कम हुई है और न ही देश की जमीन ने अनाज उत्पादन बंद किया है । अगर कुछ हुआ है तो वह है इस देश की खाद्य नीति में लचीलापन और जिसका लाभ लेने में पारंगत है देश के कुछ चंद लोग जो व्यवस्था की कमियों का फायदा उठाकर अपना हित सुरक्षित कर रहे हैं ।

यही कारण है कि देश की खाद्य नीति कारगर साबित नहीं हो रही । जब देश के पास पर्याप्त अनाज भंडार मौजूद होने के बाद भी देश के गरीब भूख से मर रहे हैं और अनाज गोदामो में सड़ रहा है तो दोषी कौन है ? भारतीय खाद्य नीति या भारतीय व्यवस्था । बल्कि देश की खाद्य नीति को पलीता लगाने का कार्य कर रहे हैं ।

देश के खाद्य निरीक्षक जो ठोस खाद्य नीति होने के बाद भी उसका अनुपालन कराने में असमर्थ है या उसका अनुपालन कराना नहीं चाहते तभी तो देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मिलावटी खाद्य पदार्थों का सेवन करने को मजबूर है आज देश की खाद्य नीति पूर्णत: विफल हो चुकी है ।

जिसके परिणाम स्वरूप देश का प्रत्येक नागरिक मिलावटी खाद्य पदार्थों से अपना स्वास्थ्य लाभ ले रहा है या यूँ कहिए कि आज शायद ही कोई ऐसी खाद्य वस्तु हो जो मिलावट से बची हो देशी घी हो या दूध, दाल हो या आटा सभी मिलावट खोरों के चगुल में फस चुके हैं जो इस देश के नागरिकों के स्वास्थ्य से तो खिलवाड कर ही रहे हैं साथ ही आने वाली पीढी को भी इतना कमजोर कर रहे है कि वे देश तो क्या स्वयं अपना बोझ उठाने के काबिल भी नहीं बन रहे जिसके लिए दोषी है भारतीय खाद्य नीति ।

एक खाद्य निरीक्षक का क्या कर्त्तव्य होता है ये तो खाद्य निरीक्षक को मालूम नहीं लेकिन अपनी सरपस्ती में सभी खाद्य सामग्री विक्रेताओं से चौथ वसूली करना अपना कर्त्तव्य समझता है तभी तो सरेआम नकली देशी घी, सिंथेटिक दूध, सिंथेटिक पनीर और न जाने कितने मिलावटी खाद्य पदार्थो की बिक्री खाद्य निरीक्षक की मिली भगत से की जाती है ।

देश को नकली खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला व्यक्ति खाद्य निरीक्षक ही होता है जो प्रत्येक खाद्य वस्तु पर नियंत्रण करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन वह अपना कर्त्तव्य निभाने में लापरवाही पूर्ण कार्य करता है जिसका परिणाम होता है देश के नागरिकों को मिलावटो खाद्य सामग्री का वितरण ।

आज शायद ही कोई ऐसी वस्तु है जिसमें मिलावट न हो लेकिन यह सब जानकर भी हम उसका सेवन कर रहे हैं । केला जैसा फल भी मिलावट से अछूता नहीं है जिसको जहरीले रसायनों के घोल में डुबोकर कुछ ही सेकण्डों में पकाया जाता है ।

यही स्थिति कुछ आम की भी है जिसे रसायन के घोल में डुबोकर पकाया जाता है । यहाँ तक कि छुआरे जैसे ट्राई फ्रूट को भी मिलावट खोरों ने नही बख्शा । छुआरे को बंद कमरे में गंधक जलाकर उसमें वजन बढ़ाया जाता है तो क्या हम अपेक्षा कर सकते हैं कि कोई वस्तु शुद्ध शेष बची है ।

देश में मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है जिसे रोक पाने में भारतीय व्यवस्था नीति पूर्णत: असफल सिद्ध हो रही है । विशेषत: दूध व दूध से बनी खाद्य सामग्री जैसे- घी, मावा, पनीर ऊँचे स्तर पर संगठित रूप में मिलावट खोरों द्वारा आपूर्ति किया जा रहा है । लेकिन भारतीय खाद्य पदार्थ नीति व पुलिस प्रशासन मिलावट खोरों पर शिकंजा कसने में विफल रहा है ।

शायद ही कोई ऐसा शहर हो जहां मिलावटी खाद्य सामग्री तैयार न की जा रही हो और आपूर्ति न की जा रही हो । जहाँ तक अनुमान है और सूत्रों से प्राप्त सूचना के अनुसार दूध व दूध से निर्मित वस्तुओं का कारोबार करने वाले लोग व्यवस्था का हिस्सा होने के कारण कार्यवाही से बचे हुए हैं और ऊँचे स्तर पर संगठित रूप में व्यवसाय चला रहे हैं ।

कितनी ही नकली देशी घी, दूध बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई हैं लेकिन इसके बावजूद भी नकली खाद्य पदार्थों का व्यवसाय बदस्तूर जारी है और आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी बदस्तूर जारी है वह अपनी मेहनत की कमाई के बदले में नकली सिंथेटिक दूध, घी आदि के रूप में लाइलाज बीमारी खरीद रहा है जिसके लिए उतारदायी है भारतीय खाद्य पदार्थ नीति जो मिलावट खोरों को पकड़ने के बाद भी उनको उनके अंजाम तक पहुंचाने में विफल है ।

यह आवश्यक नहीं है कि इन मिलावटी खाद्य पदार्थों से देश का गरीब या आम आदमी ही प्रभावित है इन मिलावटी खाद्य पदार्थों विशेषकर दूध व दूध निर्मित वस्तुओं से प्रभावित होने वालों में उच्च अधिकारी, राजनीतिज्ञ, न्यायधीश, पुलिस अधिकारी सभी हैं जिनके पास भैंस या गाय पालने का समय तो है नहीं वे बाजार के ही दूध का सेवन करते हैं और यह भी कटु सत्य है कि बाजार में बिकने वाला दूध अधिकतर नकली है जिसको पकड़ पाने में भारतीय खाद्य नीति नाकाम है ।

सम्भव है देश में फैलने वाली अधिकतर लाइलाज बीमारियों का कारण नकली व मिलावटी खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें किसी न किसी रूप में प्रत्येक आम व खास भारतीय नागरिक सेवन कर रहा है और जिसके लिए पूर्णत उत्तरदायी है भारतीय खाद्य पदार्थ नीति जो इस देश के नागरिकों को शुद्ध खाद्य पदार्थो से वंचित किये हुए है दोष व्यवस्था का है जो ऐसे अवैधानिक व्यवसायों पर नियंत्रण करना मुश्किल ही नहीं नामुंकिन सा प्रतीत हो रहा है ।

सम्पूर्ण देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से राशन वितरित होता है जिसमें भी कुछ श्रेणी होती है गरीबी रेखा से नीचे और गरीबी रेखा से ऊपर जिन्हें बी॰पी॰एल॰ और ए॰पी॰एल॰ कहते हैं लेकिन सार्वजनिक वितरण प्रणाली की स्थिति कुछ अच्छी नहीं है जो गरीबों को मदद कर सके अगर कुछ अच्छा है तो वह है राशन डीलर जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत आम जनता को मिलने वाली रियायतों का लाभ जनता तक नहीं पहुंचने देते हैं । सार्वजनिक वितरण प्रणाली ऐसी प्रणाली है ।

जिसके माध्यम से सरकार की नीति सीधे गरीब जनता तक पहुंचती है यदि सरकार कोई लोकलुभावन नीति लागू कर गरीब जनता को सीधे लाभ पहुंचाना चाहती है तो यह भी निश्चित है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली एक बेहतर विकल्प हो सकता है ।

जिसके माध्यम से गरीब जनता को कम समय में सरकार की नीति से जोड़ा जा सकता है चाहे वह नीति सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से सस्ते से सस्ती दर पर अनाज, दाल व साबुन उपलब्ध कराना या अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं ।

जो गरीब आदमी के लिए वस्तु के वास्तविक मूल्य पर खरीद पाना असम्भव है । इसलिए सरकार ऐसे कदम उठा भी रही है लेकिन दुर्भाग्य इस देश की गरीब जनता का जो उस लाभ को उठा पाने में नाकाम  है । अपने भाग्य के भरोसे जीवन यापन कर रहे हैं ।

यहाँ हम भारतीय व्यवस्था की कमी नहीं कह सकते कि भारतीय व्यवस्था की कमियों के कारण देश का गरीब राशन से भी वंचित है क्योंकि भारतीय व्यवस्था का दायित्व तो तभी पूरा हो जाता है जब वह कोई नीति लागू करता है ।

लेकिन नीति को सही रूप में क्रियान्वित कराना भारतीय नागरिकों का भी कर्त्तव्य है जो लागू हुई किसी नीति को क्रियान्वित करा सके अन्यथा तो भारतीय व्यवस्था में दीमक की तरह घर कर चुके इस भ्रष्टाचार रूपी कीड़े की भेंट चढ़ना स्वाभाविक है ।

क्योंकि भारतवर्ष में शायद ही कोई ऐसी योजना होगी या ऐसी नीति होगी जो भ्रष्टाचार से ग्रसित न हो यहाँ प्रत्येक योजना और प्रत्येक नीति में हिस्सेदारी हो जाती है वह चाहे सार्वजनिक वितरण प्रणाली ही क्यों न हो ।

क्योंकि भारतीय व्यवस्था का ही अंग भारतीय खाद्य पदार्थ नीति जिसके बल पर देश के करोड़ों लोग अपनी भूख मिटा सकते हैं । लेकिन दुर्भाग्य इस देश की जनता का जो केवल नीतियों के बल पर ही अपना अधिकार पाने से वंचित है अन्यथा इस देश का कोई भी नागरिक बेशक वह अमीर हो या गरीब ।

दो वक्त का खाना खाने से वंचित नहीं रह पाता । चाहे सार्वजनिक वितरण प्रणाली कितनी ही भ्रष्ट क्यों न हो जाये यदि देश का आम आदमी ईमानदार हो जाये तो निश्चित ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली सफल प्रणाली होगी ।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली की असफल नीति के परिणाम स्वरूप जो कानून खाद्य पदार्थ नीति के द्वारा लागू है वे नाकाफी हैं देश के शहरों में कस्बों में कहीं पर भी खाद्य पदार्थ बेचते हुए मिल जायेंगे जिन पर देश का कोई कानून लागू नहीं होता, पीने के पानी की बिक्री हो या रेहड़ी पर गंदगी भरे स्थान पर खड़े होकर पराठें व छोले भटूरे बेचते हुए लोग व खाते हुए लोग मिल ही जायेंगे जो गंदगी भरे स्थान पर खड़े होकर दोपहर में खाना खाते नजर आ ही जायेंगे जो स्वयं बिमारियों की खरीददारी करते हैं ।

जिनके लिए देश की खाद्य पदार्थ नीति में कोई कानून नहीं है । ऐसे खोमचे वाले किसी भी शहर में चौराहों पर, बस अड्‌डों पर, सड़क किनारे एक रिक्शा व दो बेंच लिए हुए लोगों को खाना खिलाते रहते है और लोगों की मजबूरी भी देखिये वे ऐसे गंदे स्थानों पर खाना खाते रहते हैं ।

इनके अलावा मौसमी का जूस बेचने वाला, आम का जूस बेचने वाला, गन्ने का जूस बेचने वाला आपको शहरों, कस्बों में मिल ही जायेंगे जो खुले आम बिना किसी की अनुमति के, बिना किसी स्वास्थ्य विभाग लाईसेंस के धड़ल्ले से जूस में बर्फ, सैक्रीन आदि मिलाकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं ।

देश-प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी ऐसा होता देखते रहते हैं । बल्कि ऐसा होने में सहयोग भी करते हैं । तभी तो आम भारतीय नागरिको को स्वास्थ्य के तथ खेलने की आदत सी हो गई है । जब प्रत्येक कार्य के लिए सम्बन्धित विभाग से अनुमति आवश्यक होती है तो स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील विभाग में स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवा करने के लिए या यूँ कहिए कि लोगों को कुछ भी खाद्य पदार्थ बेचने हेतू जैसे- खाना, पानी, जूस आदि के लिए स्वास्थ्य विभाग से कोई लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती बल्कि आप बिना किसी लाइसेंस के ये सब कार्य कर सकते हैं ।

लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं । बल्कि कमा रहे हैं और भारतीय जनता ऐसे मुनाफाखोरों के बल पर अपने स्वास्थ्य के साथ समझौता भी कर रही है । तभी तो खुले में बिकने वाला जूस जो धूल मक्खी आदि से नहीं बच पाता और न ही धूल मक्खी से बचाने हेतू भारतीय खाद्य नीति में कोई विशेष प्रावधान मौजूद है । प्रावधान हो भी तो इससे कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन की आशा करना बेइमानी होगा । क्योंकि सवा सौ करोड़ की आबादी के इस देश में गुणवत्तापरक और संतुलित भोजन की आशा नहीं की जा सकती ।

आशा की जा सकती तो केवल एक वर्ग विशेष के लिए जहाँ जनता से अधिक संतुलित खाना उनके पालतू कुत्ते तक खा जाते हैं । भारतीय खाद्य नीति की कमियों का लाभ उठाने के लिए ऐसे लोग मौजूद हैं जो देश की आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर अपना रोजगार चला रहे हैं । देश की खाद्य नीति उन्हें रोक पाने में असफल है ।

भारतीय व्यवस्था का दोष कहा जाये या भारतीय जनता का या फिर भारतीय खाद्य नीति के नीति निर्धारकों का जो देश का आम नागरिक इस प्रकार सड़क किनारे, चौराहों, बस स्टैंडों पर गुणवत्ता विहीन भोजन करने को मजबूर हैं ।

यहाँ तक कि जब हम रेलगाड़ी आदि से यात्रा कर रहे होते हैं तब जो खाना हम खाते हैं उसकी गुणवत्ता का पता तो केवल खाने वाले को ही होता है और वह भी अधिक विस्तार से उक्त खाने के विषय में अनुभव करता है । जिसे खाकर ऐसे लगता है कि भारतवर्ष में अनाज ओर दालें पैदा होनी बंद हो गई हैं और भारतीय नागरिकों की खाना खाने की क्षमता भी कम हो गई है ।

बामुश्किल एक रोटी का आकार दो टुकड़ों के बराबर होता है और दाल में दाल कम पानी अधिक दिखायी पड़ता है । ऐसी व्यवस्था तो भारतीय रेलगाड़ियों के खाने की है और यदि रेलवे रटेशन पर मिलने वाले खाने की बात करें तो वह भी कुछ अलग नहीं होता है ।

उसकी स्थिति तो रेलगाड़ियों में मिलने वाले खाने से भी बदतर होती है न कोई साफ-सफाई न कोई गुणवत्ता लेकिन फिर भी देश की जनता ऐसा खाना खाने को मजबूर है । देश की खाद्य नीति का ऐसे खाद्य निर्माता और वितरकों पर कोई नियंत्रण नहीं है तभी तो देश की आम जनता गुणवत्ता विहीन खाना खाने को मजबूर है ।

भारतीय खाद्य नीति में ऐसा कहीं कोई नियंत्रण का प्रावधान नहीं किया गया जो यह उदघोषित कर सके कि देश की खाद्य नीति जो यात्रा के समय देश के नागरिकों को लागू होगी और उनको अच्छी गुणवत्ता का खाना उपलब्ध कराया जायेगा बल्कि आमतौर पर देखा गया है कि जब हम यात्रा करते हैं तो हमें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है । जैसे-रास्ते में शुद्ध पीने के पानी की समस्या और शुद्ध खाने की समस्या मुख्यतया दो ही समस्या होती हैं । इनके अलावा सोने और फ्रेश होने की समस्या ।

लेकिन यदि स्थिति का आंकलन किया जाये तो खाना और पानी पीना मुख्यतया होती है यदि हमारी थोड़ी सी भी लापरवाही होती है तो हम अपनी यात्रा के बीच में ही बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं । रेलगाड़ियों में यात्रा करने वाले लोगों में अधिकतर बीमारियाँ यात्रा करने से समय ही प्राप्त होती हैं ।

यदि सामान्य डिब्बे की बात करें तो उसकी स्थिति तो किसी पशुओं से भरे ट्रक जैसी होती है । जिसमें लोग एक दूसरे के अत्यधिक नजदीक होते हैं और किसी की बीमारी से उस डिबे में उपस्थित अधिकतर यात्री गिरफ्त में आ जाते हैं ।

लेकिन न तो ऐसे बीमार यात्रियों की यात्रा पर प्रतिबन्ध है और न ही कोई ऐसा कानून है जो इस प्रकार फैलने वाली बीमारियों पर प्रतिबन्ध लगा सके और आम जनता को गुणवत्ता परक भोजन उपलब्ध करा सके ।

आमतौर पर देखा गया है कि देश की खाद्य नीति के लचीला होने के कारण ही देश का आम नागरिक बीमारियों की चपेट में है अन्यथा जो पैसा नागरिकों की बीमारियों का इलाज कराने में खर्च हो रहा है उसका उपयोग शिक्षा आदि पर किया जा सकता है ।

इसलिए किसी भी देश की उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है उस देश के नागरिकों का स्वास्थ्य अच्छा हो तभी तो वह देश उन्नति कर सकेगा अन्यथा वह देश अपने नागरिकों की बीमारियों का इलाज ही कराता      रहेगा । किसी भी देश की जनता का यदि स्वस्थ्य अच्छा है तो वह देश अधिक तेजी से उन्नति कर सकेगा और यदि देश की जनता बीमार है तो वह देश पिछड़ता ही रहेगा । स्वास्थ्य का सम्बन्ध बीमार रहना और स्वच्छता से विशेषकर है जो किसी न किसी रूप में उस देश के नागरिकों को प्रभावित करती है ।

वह प्रभावित करती है कि उस देश की अर्थव्यवस्था को भी । खाने की शुद्धता का सम्बन्ध भी विशेष महत्व रखता है यदि खाना अशुद्ध है तो बीमारी का आना निश्चित है साथ ही एक कहावत है कि – ”जैसा खाये अन्न, वैसा होवे मन” अर्थात व्यक्ति जैसा अन्न का सेवन करता है वैसा ही उसका मन होता है ।

मन का सम्बन्ध भी स्वस्थ्य से है अर्थात अशुद्ध भोजन व्यक्ति को अशुद्ध अर्थात बीमार करता है । बीमारियों का जन्मदाता अशुद्ध वातावरण अशुद्ध जल और अशुद्ध खाना ही कहा जाता है जैसे-जैसे शुद्धता बढ़ती है वैसे-वैसे ही बीमारियाँ कम होती जाती हैं ।

लेकिन भारतीय खाद्य नीति कहीं ऐसा प्रावधान नहीं करती कि स्वच्छता इतना अत्यधिक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर अमल किया जाना भी अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि ”स्वच्छता हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त आवश्यक है” । यदि हम स्वस्थ रहना चाहते हैं तो स्वच्छता को अपना मिशन बनाना होगा अन्यथा अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा चिकित्सा लाभ के लिए खर्च करना होगा और इसके लिए उत्तरदायी होंगे हम और आप ।

जो स्वच्छता जैसे संवेदनशील विषय को नजर अंदाज कर रहें है और अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं । जबकि उक्त कार्यों को करने के लिए उन पर नियंत्रण के लिए देश की खाद्य नीति में संशोधन कर उसको सशक्त करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है । ताकि देश के नागरिकों का उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो सके ।

भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां सबकुछ जनता पर निर्भर है यहां तक कि संवैधानिक शक्ति का आधार ही जनता है और अगर जनता ही त्राहि-त्राहि करने लगे तो क्या हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र सुरक्षित है चाहे वह त्राहि-त्राहि न्याय के लिए हो या सुरक्षा के लिए और या हो दाल-रोटी के लिए ।

पहले एक कहावत प्रचलित थी कि ”दाल-रोटी खाओ और प्रभु के गुन गाओ” लेकिन आज आम आदमी की थाली से दाल-रोटी ही गायब हो गयी है जिसका कारण है मंहगाई वो भी बेइंताह, असहनीय । एक गरीब मजदूर जो 100 रूपये मजदूरी पाता है जिसके परिवार दें पति-पत्नी और 4 बच्चे हैं जिनके लिए औसतन रोजाना 3 किलो आटा और आधा किलो दाल दो वक्त में चाहिए ।

जिनकी कीमत दाल जो आज 70 रूपये प्रति किलो व आटा 20 रूपये प्रति किलो बाजार में बिक रहा है तो कीमत 35 रूपये की दाल व 60 रूपये का आटा । कुल मिलाकर 95 रूपये अब ईंधन व मसाले आदि का खर्च अलग से तो क्या वह मजदूर पेट भर दाल-रोटी का भोजन कर पायेगा अर्थात कदापि नहीं । इस स्थिति के लिए कौन उत्तरदायी है ? भारतीय नीतिकार जो बाज़ार की क्रत्रिम मंहगाई को रोक पाने में नाकाम हैं ।

देश में दलहन व अनाज की पैदावार कम नहीं हुई । जो खाद्य पदार्थ इतने मंहगे हो गये कि आम आदमी दाल-रोटी को मोहताज हो रहा है । गरीब मजदूरों के नवजात बच्चे दूध के लिए तड़प रहे हैं, बिना ईलाज के मर रहे हैं, जब जच्चा को ही दूध पीने को नहीं है तो बच्चा कहा से दूध पियेगा ।

नवजात बच्चों को माँ का दूध भी नसीब नही हो रहा है । ऐसा नहीं है कि इस देश में गाय-भैसों ने दूध देना बन्द कर दिया है लेकिन ऐसा है कि सरकार का नियंत्रण नहीं है, ठोस रणनीति नहीं है, ठोस बाजार नीति नहीं है ।

देश के खाद्य पदार्थों के वितरण व मूल निर्धारण पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं हैं । देश के उन जमा खोरों पर जो अपनी तिजोरियाँ भरने का कार्य कर रहे हैं । जो सब कुछ असामान्य रूप से क्रत्रिम मंहगाई को आसमान पर पहुंचा चुके हैं लेकिन सरकार असहाय नजर आ रही है । जो कुछ कर सकने की स्थिति में नहीं है ।

भारत में चीनी 45 रूपये प्रति किलो तक बिक गई । जबकि देश के कृषि मंत्री स्वयं चीनी मिलों के मालिक बताये जाते हैं । वे तो स्वयं कीमत कम करने का रास्ता खोज सकते थे लेकिन ऐसा नहीं किया गया । जनता ने चीनी कम चाय पीनी शुरू कर दी लेकिन कीमत फिर भी कम नहीं हुई । आखिर क्या कारण हुआ जो भारतीय बाजार में खाद्य पदार्थों की कीमत यकायक आसमान छू गई ।

ये कोई एक दिन की रणनीति का परिणाम तो हो ही नहीं सकता बल्कि एक लम्बे होमवर्क का ही परिणाम था जो भारतीय बाजार में खाद्य पदार्थों की कीमत रातों-रात आसमान तक पहुंच गई और सरकार जिसको नियंत्रण करने में विफल रही ।

आम जनता मंहगे दामों पर खाद्य पदार्थ खरीदने पर मजबूर हैं जबकि कुछ ऐसा कदम उठाया जाना चाहिए था जिसके अन्तर्गत राष्ट्रीय मूल्य निर्धारण आयोग का गठन कर शख्त से शख्त कदम उठाना चाहिए था जिससे जमा खोरों व क्रत्रिम मंहगाई करने वाले व्यापारियों पर शिकंजा कसा जा सकता था ।

भविष्य में गरीबों को कम से कम दाल-रोटी तो नसीब हो सकती थी । लेकिन ऐसा कदम उठाया जाना या तो सरकार के नियंत्रण की बात नहीं है या उसके क्षेत्राधिकार से बाहर का मामला बनता है । या फिर सरकार ऐसा करने की इच्छा शक्ति नहीं जुटा पाई । तभी तो देश की जनता को दाल-रोटी के लिए तड़पने को छोड़ दिया ।

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भोजन | Essay on Food in Hindi

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भारत में खाद्य सुरक्षा पर निबंध ​essay On Food Security In India In Hindi

भारत में खाद्य सुरक्षा पर निबंध ​Essay On Food Security In India In Hindi : शासन के प्रमुख कर्तव्यों में एक अपनी आबादी के लिए आवश्यक खाद्यान्न की पूर्ति करना भी हैं.

घरेलू खाद्यान्न की मांग को ध्यान में रखते हुए उसका भंडारण और प्रत्येक नागरिक तक समुचित कीमत तक अन्न पहुचाना, खाद्य सुरक्षा कहलाती हैं.

खाद्य सुरक्षा पर निबंध ​essay On Food Security In India In Hindi

भारत में खाद्य सुरक्षा पर निबंध ​essay On Food Security In India In Hindi

एक तरफ हमारे देश के जाने माने अर्थशास्त्री ये दावा कर रहे है कि भारत बेहद जल्द विश्व महाशक्ति के रूप में उभर रहा है. दूसरी तरफ हमारी सरकार द्वारा ही जारी कृषि एवं विकास के वर्तमान आंकड़ो पर नजर डाली जाए तो यह बात पूरी तरह से बेमानी लगती है.

आज भारत के कई गाँवों के हालात ऐसे है जहाँ लोगों को भरपेट खाना नही मिल पाता है. शहरों के हालात भी ज्यादा कुछ अच्छे भी नही है. इसी समस्या से निपटने तथा कम आय के तबके को भोजन मुहैया करवाने के उद्देश्य से  राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम पारित किया गया.

खाद्य सुरक्षा का अर्थ भारत के हर नागरिक की प्राथमिक आवश्यकता भोजन को उन तक पहुचाना, भारतवर्ष जैसे विकासशील देश में इस अधिनियम की महती आवश्यकता इसलिए भी है क्युकि यहाँ निम्नवर्गीय परिवारों की संख्या सबसे अधिक है.

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू करने से पूर्व सरकार द्वारा उन सभी तथ्यों को ध्यान में रखा गया, जैसे जनसंख्या वृद्धि की दर, उत्पादन और उपभोग के बिच आवश्यक संतुलन.

हमारे देश में गरीबी तथा भुखमरी के हालातों को समझने के लिए कुछ साल पहले जारी हंगर इंडेक्स रिपोर्ट को ध्यान में लाना जारी है. 2010 में विश्व के 84 देशों में किये गये सर्वेक्षण में भारत के हालात बेहद नाजुक है.

इन देशों की सूची में भारत को 67 वाँ स्थान दिया गया था. इससे अहम बात यह थी कि भारत के पडौसी देश पाकिस्तान, नेपाल तथा श्रीलंका इस सूची में बहुत उपर है, जहाँ कुपोषण, शिशु मृत्यु दर भारत से भी कम दर्शायी गई है.

23 जुलाई 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में भूख एक गंभीर समस्या है और 119 देशों के वैश्विक भूख सूचकांक में भारत 100वें पायदान पर है। भारत उत्तर कोरिया और बांग्लादेश जैसे देशों से पीछे है.

सरकार के आंकड़ो के मुताबिक़ हमारे देश की कुल जनसंख्या के बहुत बड़ा हिस्सा तक़रीबन 38 प्रतिशत लोग अभी भी BPL यानि गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे है.

एक समय था जब भारत खाद्यानो के उत्पादन में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो गया था तथा विदेशों को अनाज भी निर्यात करता था.

मगर 20 वीं सदी के अंतिम दशकों में तेजी से बढ़ी जनसंख्या ने फिर से भुखमरी के हालात पैदा कर दिए है. इस दिशा में भारत सरकार द्वारा  राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू करना एक अच्छा कदम है.

भारतीय खाद्य निगम

भारतीय खाद्य निगम भारत का एक निगम है। भारत में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु यह खाद्यान्नों का क्रय करके उन्हें गोदामों में भण्डारित करता है। जिसकी स्थापना 1965 में राजधानी दिल्ली में की गई थी.

यह निगम किसानों से खरीदी गई उपज को 1997 में शुरू की गई सहकारिता वितरण प्रणाली के द्वारा जरुरत मंद लोगों के लिए उचित मूल्य की दुकानों के द्वारा उपलब्ध करवाता है.

इस योजना के तहत पहले 3-4 रूपये की सस्ती कीमत पर गेहू और चावल वितरित किया जाता था. बाद के कई वर्षो में इस योजना का विस्तार करते हुए इसे अन्त्योदय अन्न योजना के साथ जोड़ते हुए 1 लाख BPL कार्ड धारकों को इसका लाभार्थी बनाया गया तथा उन्हें सस्ती कीमत पर अनाज उपलब्ध कारवाने की व्यवस्था उचित मूल्य की दुकाने के द्वारा की गई.

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा  भारत की चुनोतियों में से एक है. यदि भारत को आगे बढ़ाना है तो धरातल पर सबका साथ सबका विकास के जरिये निम्न तबके के लोगों के हालत शीघ्र सुधारने होंगे.

तथा सरकार द्वारा खाद्य वितरण प्रणाली पर भी विशेष ध्यान देना होगा. नए सिरे से भारत की कृषि निति तथा उसमे उत्पादन, उपभोग तथा उद्योग इन तीनों में संतुलन स्थापित करना होगा, सच्चे अर्थो में तभी  राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकेगा.

राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम,2013 (food security act 2013 in hindi)

भारतीय संसद द्वारा फूड सिक्योरिटी को कानूनी रूप देने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को 10 सितम्बर 2013 को अधिसूचित किया गया. एक्ट का उद्देश्य सभी देशवासियों को वहनीय मूल्य पर गुणवत्ता पूर्ण अन्न की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए.

अधिनियम के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी और 50 शहरी जनसंख्या को कवर करने का लक्ष्य रखा गया. इस कानून द्वारा पात्र व्यक्ति को 2 से 5 रु प्रति किलो की दर सड़े अनाज का हक दिया गया.

गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों को प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न उपलब्ध करवाया जाता हैं. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट में 81 करोड़ नागरिकों को लाभ देने का लक्ष्य रखा गया था, वर्तमान में 80 करोड़ से अधिक पात्र नागरिक इसका इसका लाभ ले रहे हैं.

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भारत में खाद्य सुरक्षा पर निबंध | Essay In Hindi on Food Security in India

भारत में खाद्य सुरक्षा पर निबंध

भारत में खाद्य सुरक्षा पर निबंध

( Essay in Hindi on Food Security in India )

खाद्य सुरक्षा का अर्थ घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त खाद्यान्न की उपलब्धता के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर उपलब्धता के साथ-साथ सस्ती कीमतों पर पर्याप्त मात्रा में भोजन की उपलब्धता है।

हाल के वर्षों में तीव्र आर्थिक विकास के बावजूद, गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों द्वारा भोजन की कम पहुंच भारत में एक संकट बनी हुई है।

भोजन का अधिकार लोगो का मौलिक अधिकार है। फिर भी हमारे देश में खाद्य सुरक्षा एक दूर की कौड़ी बनी हुई है।

खाद्य सुरक्षा एक ऐसा कारक है जो जनता को उनकी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त, स्वच्छता और पौष्टिक भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करता है और उनके लिए स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीने के लिए खाद्य वरीयता देता है।

खाद्य सुरक्षा के तीन प्रमुख और घनिष्ठ रूप से संबंधित कार्य हैं, जो हैं- भोजन की उपलब्धता, भोजन तक पहुंच और भोजन का अवशोषण।

पिछले कुछ वर्षों में भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ, गरीबी रेखा से नीचे की आबादी के बीच खाद्य सुरक्षा अभी भी बनी हुई है।

इससे उबरना हमारे देश में एक दूर का सपना है। एक अनुमान के अनुसार लगभग 50% बच्चे और शिशु कुपोषित हैं और लगभग आधी गर्भवती महिलाओं की आबादी एनीमिक है।

2016 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत को 118 देशों में 97वां स्थान मिला है।  देश के इतिहास में देश मे कई अकालों को देखा है, जिसमे 1943 में बंगाल का अकाल सबसे भयानक था।

आज भी भोजन की उपलब्धता काफी हद तक मानसून के मौसम पर निर्भर करती है। बाढ़, सूखा, मिट्टी की उर्वरता में कमी, कटाव और जलभराव जैसी पर्यावरणीय स्थितियों ने कृषि गतिविधियों के सामान्य संचालन में बाधाएँ पैदा की हैं।

बढ़ती जनसंख्या के साथ, कृषि क्षेत्रों में आवास क्षेत्रों, सड़कों, कारखानों और अन्य गतिविधियों के लिए कब्जा हो रहा है। जिससे भोजन पर संकट हो सकता है।

अतीत में, खाद्यान्न उत्पादन को व्यापक रूप से बढ़ाकर खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए कई प्रयास किए गए। इंदिरा गांधी के शासन के दौरान हरित क्रांति खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने की दिशा में एक कदम था।

अंततः भारत में 1960 और 1970 के दशक के दौरान हरित क्रांति के साथ भोजन में क्रांतिकारी आत्मनिर्भरता हासिल की गई थी।

फिर, श्वेत क्रांति और कृषि-उद्योग में संरचनात्मक परिवर्तन ने खाद्य सुरक्षा को काफी हद तक सुनिश्चित करने में मदद की है।

1960 के दशक के दौरान, भारत सरकार ने समाज के सभी क्षेत्रों, मुख्यतः गरीबों के लिए भोजन की भौतिक और आर्थिक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) शुरू की।

1995 में, “ मिड डे मील योजना ” शुरू की गई थी। यह वंचित स्कूली बच्चों को खिलाने की एक योजना थी।

सबसे आर्थिक रूप से पृष्ठभूमि वाले लोगों के लिए “अंत्योदय अन्न योजना” योजना 2000 में शुरू की गई थी।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 आदि देश के हर वर्ग को खाद्य और पोषण सुरक्षा की आपूर्ति करने के लिए लागू किया गया।

लेकिन आज की दुनिया में विज्ञान और नवाचार की प्रगति की शक्ति के साथ भारत कृषि के साथ-साथ मत्स्य पालन सहित पशुधन क्षेत्र में खाद्य उत्पादन की दर में वृद्धि की उम्मीद करता है।

कीट और कीट प्रबंधन के लिए विभिन्न पर्यावरण के अनुकूल उपकरणों को नियोजित करके मिट्टी के उत्पादन में सुधार के लिए कृषि में उपयोग की जाने वाली उन्नत जैव प्रौद्योगिकी है।

ये उपाय राष्ट्रीय और घरेलू पोषण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, गरीबी को तेजी से कम करने और कृषि क्षेत्र में त्वरित विकास हासिल करने के लिए पर्याप्त नही है।

किसानों और उपभोक्ताओं के बीच आपूर्ति श्रृंखला को छोटा किया जाना चाहिए। किसान -अनुकूल विपणन प्रक्रियाओं को शुरू किया जाना चाहिए। इस तरह के प्रयास भारत में रहने वाले सभी लोगों के लिए सकारात्मक विकास और समृद्धि लाएंगे।

तेजी से बढ़ती आबादी वाले भारत जैसे बड़े देश में, इसका एक बड़ा हिस्सा कुपोषित और कम वजन का है। इस प्रकार, खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना आवश्यक है। इसलिए इस देश में खाद्य सुरक्षा में स्थिरता लाने के लिए दूसरी क्रांति अत्यंत आवश्यक है।

खाद्य सुरक्षा एक ऐसा कारक है जो लोगों को विशेष रूप से बुनियादी पोषण से वंचित लोगों को पर्याप्त खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करता है।

भारत में खाद्य सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय है। विडंबना यह है कि मुख्य रूप से कृषि प्रधान देश में भी खाद्य सुरक्षा की दृष्टि वास्तविकता से कोसों दूर है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत में लगभग 19.5 करोड़ कुपोषित लोग हैं, जो दुनिया के एक चौथाई जनसंख्या के बराबर है। साथ ही, इस देश में लगभग 43% बच्चे लंबे समय से कुपोषित हैं।

खाद्य सुरक्षा सूचकांक में भारत 113 प्रमुख देशों में 74वें स्थान पर है। यद्यपि उपलब्ध पोषण मानक आवश्यकता का 100% है, भारत 20% पर गुणवत्ता वाले प्रोटीन सेवन के मामले में बहुत पीछे है।

जिसे सस्ती कीमतों पर प्रोटीन युक्त खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराकर निपटने की आवश्यकता है। भारत को 100% खाद्य सुरक्षित बनाने के लिए अतिरिक्त भूमि और पानी की आवश्यकता के बिना नवीनतम पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकी का उपयोग करके प्रोटीन युक्त खाद्य उत्पादों की पहुंच और सामर्थ्य में सुधार के तरीकों पर काम करने की आवश्यकता है।

लेखिका :  अर्चना  यादव

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Hindi Essay and Paragraph Writing – Indian Culture (भारतीय संस्कृति) for classes 1 to 12

भारतीय संस्कृति पर निबंध – इस लेख में हम भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं और प्रमुख आधार के बारे में जानेंगे। भारत अपनी विविध आदतों और मान्यताओं के कारण एक विशाल सांस्कृतिक संगम स्थल है। भारत की संस्कृति जीवंत है, जिसने हमें आकार दिया है। भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण तत्व अच्छे शिष्टाचार, तहज़ीब, सभ्य संवाद, धार्मिक संस्कार, मान्यताएँ और मूल्य आदि हैं। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में भारतीय संस्कृति पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में भारतीय संस्कृति पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में अनुच्छेद दिए गए हैं।

  • भारतीय संस्कृति पर 10 लाइन  10 lines
  • भारतीय संस्कृति पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
  • भारतीय संस्कृति पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
  • भारतीय संस्कृति पर अनुच्छेद 6, 7 और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में
  • भारतीय संस्कृति पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

भारतीय संस्कृति पर 10 लाइन 10 lines on Indian Culture in Hindi

  • भारतीय संस्कृति समृद्ध और विविधतापूर्ण है, जिसका इतिहास हजारों वर्षों तक फैला हुआ है।
  • भारतीय संस्कृति परंपराओं, भाषाओं, धर्मों और कला रूपों का एक अनूठा मिश्रण है। 
  • भारतीय संस्कृति में कई अलग-अलग धर्म, जाति, समुदाय, पंथ आदि के लोगों के रहने के बाद भी इसमें विविधता में एकता है। 
  • अनेकता में एकता, निरंतरता, सहनशीलता, वसुधैव कुटुंबकम की भावना, आध्यात्मिकता और ग्रहणशीलता भारतीय संस्कृति की मुख्य विशेषताएं है।
  • भारतीय संस्कृति का मूल आधार आध्यात्मिकता है, जो कि मूल रूप से धर्म, कर्म एवं ईश्वरीय विश्वास से जुड़ी हुई है।
  • भारतीय संस्कृति में लोगों के अंदर राष्ट्रीय एकता की भावना निहित है। राष्ट्र पर जब-जब कोई संकट आया है, तब-तब भारतीयों ने एक होकर इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी है।
  • भारतीय संस्कृति नैतिक और मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देती है, जिसमें विचार, शिष्टाचार, आदर्श, राजनीति, धर्म और बहुत कुछ शामिल है।
  • भारतीय संस्कृति में रह रहे अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों को अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को बनाए रखने की स्वतंत्रता है।
  • भारतीय संस्कृति संसार की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। भारतीय संस्कृति कर्म प्रधान संस्कृति है।
  • अपनी प्राचीन परंपराओं से लेकर आधुनिक प्रगति तक, भारतीय संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों और परंपराओं को बनाए हुए है।

Short Essay on Indian Culture in Hindi भारतीय संस्कृति पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में

भारतीय संस्कृति पर निबंध – पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर दी जाने वाली भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन और महान संस्कृति है। यह संस्कृति सर्वाधिक संपन्न एवं समृद्ध भी है, जिसका मूल तत्व अनेकता में एकता है। इस देश में, विभिन्न जातियों, धर्मों, समुदायों, लिंगों और पंथों के लोग मिलजुल कर रहते हैं और प्रत्येक को अपनी अनूठी परंपराओं और रीति-रिवाजों को बनाए रखने की स्वतंत्रता है।

भारतीय संस्कृति पर निबंध /अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन एवं महान संस्कृति है जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है। भारतीय संस्कृति सर्वाधिक संपन्न और समृद्ध है, जो सदियों से फलती-फूलती आ रही है। होली और दिवाली जैसे ऊर्जावान त्योहारों से लेकर कथक और भरतनाट्यम जैसे पारंपरिक नृत्य रूपों तक, भारतीय संस्कृति रंगों, स्वादों और रीति-रिवाजों का मिश्रण है। भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां सभी धर्म, जाति, समुदाय आदि के लोग मिलजुल कर रहते हैं और वो अपनी-अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करने के लिए भी स्वतंत्र हैं। इसलिए, भारतीय संस्कृति विविधता, परंपरा और एकता का प्रतीक है, जो इसे वास्तव में सबसे अलग बनाती है।

भारतीय संस्कृति पर निबंध /अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

भारतीय संस्कृति प्राचीन परंपराओं से युक्त अपनी विविधता और समृद्धि के लिए जानी जाती है। इसमें विभिन्न रंगों, स्वादों और प्रथाओं का मिश्रण शामिल है। यह दिवाली और होली जैसे जीवंत त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है, जो क्रमशः बुराई पर अच्छाई की जीत और वसंत के आगमन का प्रतीक हैं। भारतीय संस्कृति के सबसे आकर्षक पहलुओं में से एक देश भर में बोली जाने वाली भाषाओं की व्यापक विविधता है, जिसमें हिंदी प्रमुख भाषा के रूप में प्रचलित है। इसके अतिरिक्त, भारतीय संस्कृति में लोगों के अंदर एक-दूसरे के प्रति प्रेम, भाईचारा, सम्मान, आदर, परोपकार, सद्भाव एवं भलाई की भावना निहित है, जो इसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। व्यंजन भी भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बिरयानी, समोसा और साग-मक्की की रोटी जैसे व्यंजन सभी उम्र के लोगों को पसंद आते हैं। इसके अलावा, साड़ी, शेरवानी और धोती जैसे पारंपरिक परिधान भी भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व रखते हैं। अत: भारतीय संस्कृति विविधता, परंपरा और एकता का समावेश है।

भारतीय संस्कृति पर निबंध /अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

भारत विविधताओं का देश है, जहां अलग-अलग धर्म, जाति, लिंग के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति की मूल पहचान है। भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति होने के बावजूद आज भी अपने नैतिक मूल्यों और परंपराओं को बनाए हुए है। भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत सहिष्णुता और सहनशीलता है। भारतीयों के साथ अंग्रेजी शासकों और आक्रमणकारियों द्वारा काफी क्रूर व्यवहार किया गया और उन पर असहनीय जुल्म ढाह गए, लेकिन भारतीयों ने देश में शांति बनाए रखने के लिए कई हमलावरों के अत्याचारों को सहन किया। वहीं सहनशीलता का गुण भारतीयों को उसकी संस्कृति से विरासत में मिला है। वहीं कई महापुरुषों ने भी सहिष्णुता की शिक्षा दी है। भारतीय संस्कृति, का मूल आधार आध्यात्मिकता है, जो कि मूल रूप से धर्म, कर्म एवं ईश्वरीय विश्वास से जुड़ी हुई है। भारतीय संस्कृति में रह रहे अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों को अपने परमेश्वर पर अटूट आस्था एवं विश्वास है। भारतीय मूल के व्यक्ति की शिष्टता एवं अच्छे संस्कार जैसे बड़ों का आदर करना, अनुशासन में रहना, परोपकार एवं भलाई करना, जीवों के प्रति दया का भाव रखना एवं अच्छे कर्म करना ही भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत है। अत: मनुष्य के अंदर जो भी गुण समाहित होते हैं, वो उन्हे उनकी संस्कृति से विरासत में मिलते हैं और उसे एक सामाजिक एवं आदर्श प्राणी बनाने में मदद करते हैं।

भारतीय संस्कृति पर निबंध /अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीनतम संस्कृति है। यूनान, मिश्र और रोम की संस्कृतियों से भी यह अति उन्नत और पुरानी है। ये सभ्यताएं काल के करालगाल में समा गई है, किन्तु भारतीय संस्कृति अनेक संकटों को झेलते आज भी अपने प्राचीन रूप में जीवित-जागृत है। हम भारतीयों को अपनी इस श्रेष्ठ संस्कृति पर गर्व है।

भारतीय संस्कृति की विशेषताएं ये हैं-

धार्मिक भावना – भारतीय संस्कृति धर्म प्रधान है। धर्म भाव ही मनुष्यों को पशुओं से भिन्न करता है। जिन नियमों से समाज का धारण होता है और जिनसे इहलौकिक तथा पारलौकिक सुख की प्राप्ति होती है, उसे ही धर्म कहते है।

सदाचार भावना – सदाचार भी मनुष्यों को पशुओं से अलग करता है। ‘आचार: परमो धर्म: कहकर हमारे यहाँ सदाचार को अत्यधिक महत्व दिया गया है। ब्रह्मचर्य धारण करना, इन्द्रियों और मन का संयम इसके अन्तर्गत आते है। पराई स्त्री को माँ के समान मानना, पराए धन को मिट्टी के ढेले के समान समझना और सभी प्राणियों को अपने ही समान मानना यह भी सदाचार का ही अंग है और यह भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता है। इन भावनाओं से मन का समस्त क्लेश दूर होता है और मानव में देवत्व के गुण आते हैं।

आध्यात्मिक भावना – भारतीय संस्कृति में भौतिक पक्ष की अपेक्षा आध्यात्मिक पक्ष को अत्यधिक महत्व दिया गया है। हमारी यह संस्कृति आत्मा को अजर-अमर मानती है । शारीरिक सुखों की अपेक्षा इसमें आत्मिक सुख को दिया गया है। उपनिषदों में कथाओं के माध्यम से आत्मा के रहस्य को समझाया गया है और कहा गया है कि आत्मा को ही सुनना चाहिए, आत्मा को ही जानना चाहिए और आत्मा का ही ध्यान करना चाहिए। आत्मज्ञान ही सब ज्ञानों में  श्रेष्ठ है। इसी को ब्रह्म विद्या भी कहा गया है। अत्यधिक भौतिक सुखों से अशान्त और त्रस्त मानवता को भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिक भावना ही सुख देने में समर्थ है, अन्य कोई भावना नहीं। आत्मा में रमण करने वाले को जो सुख है, वह सुख धन और तृष्णाओं के पीछे भागने में नहीं है।

ईश्वर की भावना भी हमारी संस्कृति की विशेषता है। ईश्वर संसार के कण-कण में समाया है – जीव ईश्वर का ही अंश है, वह ईश्वर एक है, ज्ञानी उसको अनेक नामों से पुकारते हैं, यह भावना आदि दिव्य है। इसी के कारण मानव मानव में प्रेम, सहयोग और परोपकार की भावनाएँ पनपती हैं तथा सहिष्णुता को जन्म मिला है।

‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात् समस्त संसार एक परिवार है। इस भावना ने मानव को मानव प्रेम करना सिखाया है। इसी प्रकार–

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःख भाग भवेत् ॥

यह प्रार्थना हमारी दिव्य संस्कृति का प्राण है। इसी के आधार पर यह आज तक टिकी है। हमें गर्व है कि हम इस श्रेष्ठ संस्कृति के पुजारी हैं।

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Importance of Food – Essay

भोजन एक मूलभूत आवश्यकता है। इसका मतलब है कि आप बिना खाना खाए ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। जैविक शब्दों में, भोजन को पोषण मूल्य वाले किसी भी पदार्थ के रूप में संदर्भित किया जाता है जिसे मनुष्य, जानवरों और पौधों द्वारा खाया या पिया जाता है। भोजन हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण घटक है और भोजन के विभिन्न लाभ हैं;

हम सभी को जीवित रहने और जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। बिना कुछ खाए-पिए कोई ज्यादा देर तक नहीं रह सकता। भोजन एक ऐसी वस्तु है जिसे मूलभूत आवश्यकता के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

एक अन्य बुनियादी जरूरतों जैसे आश्रय और कपड़ों के बिना जीवित रहने में सक्षम है लेकिन कोई भोजन के बिना नहीं रह सकता। यही कारण है कि कई देश खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय करते हैं।

स्वस्थ रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। भोजन की कमी से स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ हो सकती हैं, जिनमें से कुछ में कुपोषण की बीमारियाँ शामिल हैं। यदि कोई लंबे समय तक बिना खाना खाए रहता है, तो उसका स्वास्थ्य स्तर गिर जाता है और वह बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है।

भोजन मनुष्य, पौधों और जानवरों के लिए पोषण का स्रोत है। पोषण मूल्य जो हम भोजन से प्राप्त करते हैं, वह हमें और अधिक स्वस्थ बनने और बीमारियों से बचने और लड़ने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण है।

हमारे शरीर में भोजन का सेवन गर्मी के स्रोत के रूप में कार्य करता है। शरीर में भोजन को तोड़ने की प्रक्रिया गर्मी उत्पन्न करती है जो हमें ठंड के मौसम में जीवित रहने में मदद करती है।

हमारे शरीर की रक्षा करें

कुछ प्रकार के भोजन जिनका हम उपभोग करते हैं, वे सुरक्षात्मक तत्व प्रदान करते हैं जो हमारे शरीर को रोगों से बचाते हैं। इनमें फल और सब्जियां जैसे खाद्य पदार्थ शामिल हैं। वे सफेद रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करते हैं जो कीटाणुओं और बीमारियों से लड़ते हैं।

ऊर्जा का स्रोत

अन्य प्रकार के भोजन भी हमें ऊर्जा उत्पन्न करने में मदद करते हैं जिसका उपयोग हम अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों को करने के लिए करते हैं। इस प्रकार के खाद्य पदार्थों को कार्बोहाइड्रेट के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और वे हमारे शरीर के लिए ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत हैं।

शरीर निर्माण

भोजन के ऐसे वर्ग हैं जो हमारे शरीर का निर्माण करते हैं और शरीर में खराब हो चुके ऊतकों की मरम्मत में मदद करते हैं। शरीर निर्माण कार्यों की सेवा करने वाले खाद्य पदार्थों में प्रोटीन खाद्य पदार्थ जैसे मांस, अंडे, बीन्स आदि शामिल हैं।

तरक्की और विकास

भोजन हमारे लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे शरीर को बढ़ने और विकसित होने में मदद करता है। खाना खाए बिना हमारे शरीर का विकास नहीं होगा और हमारे अंगों का विकास नहीं होगा। भोजन से पोषक तत्व निकलते हैं जो हमारे शरीर को आकार और वजन में बढ़ने में मदद करते हैं।

बचे हुए भोजन को डिब्बे और खेतों में फेंक दिया जाता है जो अन्य पौधों के लिए खाद का स्रोत हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि खाना तेजी से सड़ता है और सड़े हुए भोजन से बनी खाद हमारे खेतों के लिए बहुत अच्छी होती है।

स्वस्थ त्वचा

यदि आप एक मुलायम और चिकनी त्वचा विकसित करना चाहते हैं, तो आपको कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो इसमें बहुत मदद करते हैं। इस प्रकार के भोजन के बिना त्वचा रूखी, बेजान और अस्वस्थ हो जाती है।

आय का स्रोत

भोजन कई परिवारों और व्यक्तियों के लिए आय का एक स्रोत है। इन लोगों में किसान, खेतों में काम करने वाले और होटल वाले और होटलों में काम करने वाले लोग शामिल हैं।

कुछ प्रकार के भोजन फाइबर के स्रोत होते हैं जो हमें पाचन प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद करते हैं और यह हमें कब्ज की जटिलताओं से बचने में मदद करता है।

कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों का उपयोग विभिन्न उत्पादों के लिए कच्चे माल के रूप में किया जाता है जिनमें से कुछ में मेवे भी शामिल हैं। इस प्रकार के खाद्य पदार्थों का उपयोग तेल और अन्य खाद्य उत्पादों जैसे उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है।

औषधीय मूल्य

कई प्रकार के खाद्य पदार्थ दवा के स्रोत के रूप में भी काम करते हैं। इस प्रकार के भोजन में विभिन्न प्रकार के पौधे शामिल हैं। इस प्रकार के खाद्य पदार्थों का उपयोग दवा बनाने में किया जाता है जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र को काफी मदद मिलती है।

सांस्कृतिक एकीकरण

इस दुनिया में खाद्य पदार्थों के प्रकार अब लोगों के बीच सांस्कृतिक संपर्क के साधन के रूप में उपयोग किए जा रहे हैं। लोग अपने भोजन पकाने के अनुभवों को संस्कृतियों से बातचीत और साझा करने के तरीके के रूप में साझा कर रहे हैं।

भोजन एक बुनियादी जरूरत है जिसकी हर इंसान को जरूरत होती है और यह हवा और पानी के अलावा जरूरी जीवित रहने का मुख्य साधन है।

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Essay on Healthy Food in Hindi – संतुलित आहार पर निबंध

July 6, 2018 by essaykiduniya

Get information about Healthy Food in Hindi Language. Here you will get Paragraph and Short Essay on Healthy Food in Hindi Language for students of all Classes in 200, 300 and 500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में संतुलित आहार पर निबंध मिलेगा।

Essay on Healthy Food in Hindi – संतुलित आहार पर निबंध

Essay on Healthy Food in Hindi

Few points on Healthy Food in Hindi Language – संतुलित आहार पर निबंध

1. संतुलित आहार अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक है और इसे स्वस्थ भोजन भी कहा जाता है।

3. संतुलित आहार के अंतर्गत हरी सब्जियां, फल, मांस, मछली और दूध आते हैं।

4. संतुलित आहार के अभाव में व्यक्ति मोटापा और हृदय रोग से ग्रस्त हो जाता है।

5. संतुलित आहार केवल स्वास्थय को ही अच्छा नहीं रखता अपितु दिमाग को भी तेज करता है।

6. संतुलित भोजन शरीर से रोगों को बाहर करता है और मधुमेह और उच्च रक्तचाप से निजात दिलाता है।

7. संतुलित आहार लेने से व्यक्ति में ऊर्जा की कमी नहीं होती है और वह हमेशा स्वस्थ रहता है।

8. बच्चों को संतुलित आहार खिलाने के लिए रंग बिरंगे पकवान बनाने चाहिए और नए नए तरीके निकालने चाहिए।

9. लोगों को धीरे धीरे जंक फूड का त्याग कर संतुलित भोजन की तरफ आकर्षित होना चाहिए।

10. संतुलित आहार स्वस्थ स्वास्थ्य की चाबी है जिसके महत्व को प्रत्येक व्यक्ति को समझना चाहिए।

11. लोगों को चाहिए कि वह वसा का कम से कम सेवन करे और संतुलित आहार लेने की आदत को अपनाए।

Short Essay on Healthy Food in Hindi Language – संतुलित आहार पर निबंध ( 300 words )

हर व्यक्ति को जीवित रहने के लिए भोजन की जरूरत होती है। भोजन हमें शक्ति प्रदान करता है लेकिन शक्ति भी तभी मिलती है जब खाया जाने वाला आहार संतुलित हो। संतुलित आहार का अर्थ है वह भोजन जिसमें प्रोटीन, विटामिन, फैट और कार्बोहाईड्रेट्स जैसे पौष्टिक तत्व संतुलित मात्रा में हो। संतुलित आहार के अंतर्गत मनुष्य अनाज, हरी सब्जियाँ दुध दही और फल आदि खा सकता है जो कि बहुत ही पौष्टिक होते हैं। आधुनिक युग में लोग पौष्टिक आहार से दुर जाते जा रहे है और जंक फूड का सेवन ज्यादा कर रहें हैं।

संतुलित आहार न लेने के कारण बच्चों में मोटापा मधुमेह और हृदय रोग जैसी गंभीर बिमारियाँ उत्पन्न होती जा रही है। संतुलित आहार स्वस्थ जीवन के लिए बहुत ही जरूरी है। आपको अपने खाने की दिनचर्या इस तरह से बनानी चाहिए कि तीनों समय कोई न कोई पौष्टिक भोजन जरूर रहें। हमें स्वाद से ज्यादा खाने की पौष्टिकता पर ध्यान देना चाहिए। सब जानते है कि बच्चों को साधारण भोजन पसंद नहीं आता और वह जल्दी ही उससे बोर भी हो जाते हैं। बच्चों को संतुलित आहार खिलाने के लिए नए नए तरीके निकालने चाहिए। बच्चों को रंग बिरंगा भोजन बहुत पसंद होता है इसलिए उन्हें गाजर मूली आदि का स्लाद खिलाए जिसका अलग अलग रंग उनको आकर्षित करेगा।

पौष्टिकता से भरपूर शिमवा मिर्च, पालक ,मलाई आदि का पिज्जा बनाकर खिलाए जिनसे उन्हें पौष्टिक तत्व भी मिलेंगे और स्वाद भी। संतुलित आहार सिर्फ बच्चों को ही नहीं बड़ो को भी लेना चाहिए क्योंकि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में ऊर्जा और हिम्मत की बहुत ही जरूरत होती है। जब इंसान के अंदर पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक तत्व होंगे और वह मजबूत होगा तभी तो अच्छे से काम कर पाएगा। हम सबको अपनी दिनचर्या में संतुलित आहार को सम्मलित करना होगा।

Essay on Healthy Food in Hindi Language – संतुलित आहार पर निबंध ( 500 words )

स्वस्थ भोजन हमें अच्छा स्वास्थ्य देता है। यह हमें ऊर्जा देता है जहां जंक फूड बस एक अस्वास्थ्यकर भोजन है, गरीब पोषण मूल्य के साथ भोजन; जंक फूड में बहुत अधिक वसा और चीनी होती है। लेकिन स्वस्थ भोजन पौष्टिक मूल्य से समृद्ध है। इसके अलावा जंक फूड में संरक्षक, रसायन, कृत्रिम रंग और स्वाद होते हैं। लेकिन स्वस्थ भोजन में इन पदार्थों को शामिल नहीं किया जाता है। हालांकि, जंक फूड और स्वस्थ भोजन दोनों स्वादिष्ट हैं लेकिन जंक फूड स्वस्थ भोजन की तुलना में अधिक स्वादिष्ट है। हालांकि, जंक फूड ने शरीर के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है और मोटापे, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कभी-कभी जहर जैसी खतरनाक बीमारियों का कारण बनता है। दूसरी तरफ, स्वस्थ भोजन शरीर को बीमारियों से बचाता है और बचाता है।

भोजन हर इंसान के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। स्वस्थ खाद्य पदार्थ जिनमें पोषक तत्वों की सही मात्रा होती है उन्हें दैनिक आधार पर सभी द्वारा खाया जाना चाहिए। स्वस्थ तरीके से बढ़ने के लिए एक संतुलित आहार बहुत महत्वपूर्ण है। फल और सब्जियों में बहुत सारे आवश्यक पोषक तत्व होते हैं। हमें सभी प्रकार के फल और सब्जियां खाना चाहिए। एक स्वस्थ जीवन हमें एक खुशहाल जीवन देता है।

आज की दुनिया में, लोग अधिक तेलवान खाद्य पदार्थ और जंक फूड खाते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि इस प्रकार के खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए सभी अच्छे नहीं हैं और समय-समय पर अनावश्यक बीमारियों को उकसाकर हमारे दिनचर्या को खराब कर देते हैं। भोजन हमारी ऊर्जा का स्रोत है। तो सही प्रकार के खाद्य पदार्थों का चयन करना जिनमें सही मात्रा में विटामिन और खनिज शामिल हैं, बहुत महत्वपूर्ण है। हमें नियमित रूप से अपने बच्चों को अत्यधिक पौष्टिक भोजन देना चाहिए।

स्वस्थ भोजन खाने के रूप में अधिक पानी पीना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। स्वस्थ भोजन मस्तिष्क और शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाता है। फलों, सब्जियों का स्वस्थ भोजन आपको मजबूत और सक्रिय बनाता है। यह एक अच्छा शरीर के वजन को बनाए रखने और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। संरक्षित या डिब्बाबंद खाद्य और ऐसे अन्य खाद्य पदार्थ शरीर के लिए पूरी तरह से अस्वास्थ्यकर हैं। कुछ समय से, इससे गंभीर बीमारी और गंभीर बीमारियां होती हैं। जंक फूड खाने वाले बच्चों में अक्सर एकाग्रता की कमी होती है। स्वास्थ्य हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।

हमें रोज़ाना खेलना चाहिए। दैनिक 3 से 4 किमी तेज चलने से हम फिट और स्वस्थ रह सकते हैं। हमें हर दो घंटे पढ़ने के बाद मुफ्त हाथ व्यायाम करना होगा। यह हमारे दिमाग को ताजा रखता है। धन की कमी ठीक हो सकती है लेकिन स्वास्थ्य नहीं। यह धन से बेहतर है और हर किसी के लिए कुछ और है। हमें स्वस्थ रखने के लिए हम मानक स्वस्थ भोजन का पालन करते हैं। हमें अपने स्वास्थ्य की ओर सावधान रहना चाहिए। हमें अपने माता-पिता को दिखाने के लिए झूठे अध्ययन के लिए लटका नहीं रहना चाहिए।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Healthy Food in Hindi – संतुलित आहार पर निबंध ) को पसंद करेंगे।

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Millets are Superfood Essay in Hindi

Millets are Superfood Essay in Hindi: मिलेटस (मोटा अनाज) पर निबंध

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Millets are Superfood Essay in Hindi

यहां हम आपको “Millets are Superfood Essay in Hindi” उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध/ स्पीच को अपने स्कूल या कॉलेज के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी प्रतियोगिता के लिए भी Essay on Millets in Hindi तैयार करना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए. 

Millets are Superfood Essay in Hindi (100 Words)

भारत में उपलब्ध मिलेट्स की फसलों में बाजरा रागी (फिंगर मिलेट), ज्वार (सोरघम), समा (छोटा बाजरा), बाजरा (मोती बाजरा) और वरिगा (प्रोसो मिलेट) शामिल हैं। मिलेट्स सभी तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, एवं शरीर को रोगों से मुक्त रखने में सक्षम होते हैं। भारत में मोटे अनाजों के पौधों का प्रमाण सर्वप्रथम सिंधु घाटी सभ्यता से मिला था. मिलेट्स मुख्य रूप दो प्रकार के होते हैं, जिसमें मोटे अनाज और गौण मोटे अनाज (Major and Minor Millets) शामिल हैं।  दुनियां के 131 देशों में मिलेट्स की खेती की जाती है। जिसमें से भारत बाजरे का मुख्य उत्पादक है। इस प्रकार के अनाज शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और उनमें होने वाली कई प्रकार की बीमारियो से दूर रखता है। हमारे प्रधानमंत्री जी द्वारा भी इस तरह के भोजन को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि भारत के लोग स्वस्थ रह सकें।

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Essay on Millets for Food and Nutrition 200 Words 

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा कई बार अपने भाषण के माध्यम से लोगों को मिलेट्स आहार के बारे में बताया गया है। मिलेट्स का उपयोग अधिक से अधिक लोगों को अपने भोजन में करना चाहिए, ताकि वह एक स्वस्थ जीवन जी सके। समय के साथ जैसे-जैसे पर्यावरण दूषित होता जा रहा है, और तरह-तरह की बीमारियां फैलती जा रही है। ऐसे में एक व्यक्ति के लिए सबसे बड़ी चुनौती खुद को सुरक्षित और स्वस्थ रखना होता है। आजकल हर 6 महीने में एक नई बीमारी फैल रही है, और वर्तमान में व्यक्तियों द्वारा खाने में अनहाइजीनिक और पैक्ड फूड खाया जा रहा है, जिसके कारण उनके शरीर के इम्यूनिटी काफी कम होती है, और वह इन बीमारियों को शिकार होकर अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं।

मिलेट्स एक ऐसा अनाज है, जो कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें शरीर को स्वस्थ रखने वाले सभी विटामिन कैल्शियम पाएं जाते हैं। इन मिलेट्स अनाज में मोटे अनाज जैसे की ज्वार, बाजरा शामिल है। ज्वार बाजरे का सेवन प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों द्वारा किया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे इन्हें खाने का चलन बदल गया, जिसके बाद इंसानों का स्वास्थ्य भी कमजोर होने लगा। इसलिए हमें वापस से मिलेट्स को अपनी थाली में जगह देनी चाहिए, और इसे अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।

Essay on Millets in Hindi 300 Words 

हर व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। एक व्यक्ति को खुद को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम के साथ स्वस्थ और सुरक्षित आहार भी लेना चाहिए। भारत की आबादी में ऐसे कई लोग शामिल है, जो कुपोषण के शिकार है। कुपोषण के शिकार होने का मुख्य कारण है, खाने में पोषक तत्वों की कमी। व्यक्तियों द्वारा अपने भोजन में पोषक तत्व से भरपूर अनाजों का उपयोग कम कर दिया गया है। वह भूख मिटाने के लिए पैक और अनहाइजीनिक फूड खा रहे हैं, जिससे उनके शरीर पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

मिलेट्स क्या है?

मिलेट्स उन अनाजों को कहा जाता है, जिनमें शरीर के लिए आवश्यक सभी तरह के पोषक तत्व और चिकित्सक गुण मौजूद होते हैं। मिलेट्स अनाज में ऐसे गुण मौजूद होते हैं, जो लोगों को रोगों से बचाते हैं, तथा उन्हें रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं। ऐसे अनाजों को मिलेट्स कहा जाता है। मिलेट्स अनाज में मुख्य रूप से मोटे अनाज जैसे कि ज्वार, बाजरा, रागी शामिल है। मिलेट्स अनाज पूरी तरह ग्लूटेन फ्री होते हैं, और यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माने जाते हैं।

मिलेट्स स्वास्थ्यवर्धक अनाज है। आज हमें ऐसे अनाजों को अपने आहार में शामिल करना बहुत आवश्यक है। मिलेट्स पोषक तत्वों और कई विटामिन से भरपूर हैं। ज्वार, बाजरा, रागी ये सब अनाज ऐसे हैं, जो पुराने समय से खाए जा रहे हैं। इन्हें मौसम के अनुसार खाया जाता था। क्योंकि हर अनाज की अपनी तासीर होती है, और उसे खास मौसम के अनुसार ही खाया जाना चाहिए। अब समय आ गया है, की हम एक बार फिर ज्वार, बाजरा जैसे अनाजों को खाने में शामिल करना चाहिए। 

Millet a Superfood or a Diet Fad Essay in Hindi 500 Words

भारत का पारंपरिक फूड मिलेट्स आज राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय हो रहा है। पीएम मोदी जी इसी साल ग्लोबल मिलेट्स कान्फ्रेस का उद्घाटन किया गया है। मोदी जी के मिलेट्स को ‘श्री अन्न’ बताया है, जिसका अर्थ पवित्र अन्न होता है। मिलेट्स एक ऐसा अनाज है, जो शरीर के कई पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता हैं। भारत की मिलेट्स फसलों में बाजरा, ज्वार, सांवा, वरीगा आदि शामिल है। ये अनाज मानव शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं। मिलेट्स ग्लूटेन फ्री होता है और इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, विटामिन, फाइबर, फॉस्फोरस, विटामिन-सी, विटामिन-डी और बी-कॉम्प्लेक्स होता है।

मिलेट्स के प्रकार (Types of Millets in Hindi)

मिलेट्स में आने वाले अनाज दो तरह के होते हैं, इन्हें इनके आकार के हिसाब से दो भागों में बांटा गया है पहला बड़े दाने वाले मिलेट्स और दूसरा छोटे दाने वाले मिलेट्स। बड़े दानों वाले मिलेट्स में ज्वार और बाजरा शामिल है। वहीं दूसरी ओर छोटे दानों वाले मिलेट्स में रागी, कोदो, सांवा, कुटकी शामिल है। लेकिन इन अनाजों को आज गेहूं और चावल ने पीछे छोड़ दिया है। हमारे पूर्वजों द्वारा अधिकतर इन्हीं अनाजों का सेवन किया जाता था, जिसके कारण वह हमेशा स्वस्थ रहते थे। इन अनाजों की महत्वता देखते हुए इन्हें दोबारा से भारतीय थाली में लाने की कोशिश की जा रही है। भारत सरकार द्वारा भी लोगों से इन अनाजों को उपयोग करने के लिए कहा जा रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष (International Year of Millets 2023)

भारत सरकार द्वारा मिलेट्स अनाज के उत्पादन और उपयोग पर काफी जोर दिया जा रहा है भारत सरकार के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने भी वर्ष 2023 को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर घोषित किया है। मिलेट्स अनाज न केवल खाने वालों के लिए बल्कि उगाने वालों के लिए फायदेमंद होते हैं। इन अनाजों को किसानों का मित्र कहा जाता है, क्योंकि यह अनाज कम परिश्रम और कम लागत में उगाए जा सकते हैं। इसके अलावा यह अनाज बाकी अनाजों की तरह जलवायु परिवर्तन से प्रभावित नहीं होते। यह अनाज बिना किसी उर्वरक के और किसी भी तरह की मिट्टी में उग जाते हैं।

क्यों हुआ मिलेट का उपयोग कम (मिलेट्स को इतना महत्त्व क्यों दिया जा रहा है?)

पहले हमारे पूर्वजों द्वारा खाने के लिए मुख्य रूप से ज्वार, बाजरे का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन धीरे-धीरे जैसे समय बदलता गया लोगों द्वारा ज्वार बाजरे के बदले गेहूं और चावल का इस्तेमाल खाने के लिए किया जाने लगा। गेहूं और चावल भी एक पौष्टिक अनाज है, लेकिन ज्वार, बाजरा के मुकाबले इन अनाजों की कोई कीमत नहीं है। 60 की दशक के बाद से मिले का उत्पादन और उपयोग काफी कम हुआ है। मिलेट्स के उत्पादन की कमी होने का कारण हरित क्रांति को भी माना जाता है, क्योंकि 1960 में हरित क्रांति के बाद से भारत के परंपरागत भोजन को हटाकर गेहूं चावल और मैदे को बढ़ावा दिया जाने लगा था।

कोरोना जैसी महामारी के बाद से लोगों में स्वास्थ्य के प्रति काफी जागरूकता बढ़ गई है। अब इंसानों द्वारा अपने परंपरागत भोजन को अपनाया जा रहा है। वे उस भोजन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो प्राचीन काल से इस्तेमाल किया जा रहा है। मोटे अनाज को अब व्यक्ति इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, और इसे सुपर फूड के नाम से भी जाना जाता है। मिलेट्स एकमात्र ऐसा अनाज होता है, जो आपको एक ही तरह के खाने में कई तरह के विटामिन जैसे कि कैल्शियम, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फाइबर, विटामिन-बी, कैरोटीन प्रदान करता है।

Millets are Superfood Essay in Hindi 1000 Words  

आज International Year of Millets के चलते हर कहीं मिलेट्स की बात हो रही हैं। जिसमें मिलेट्स खाने के फायदे और उनके प्रकारों पर गौर किया जा रहा है। लेकिन हमारे भारत में मिलेट्स खाने की परंपरा काफी पुरानी है। जिसका उल्लेख कई जगहों पर अलग-अलग कार्यों के लिए किया गया है। साल 2018 में सबसे पहले FAQ द्वारा अनुमोदित किया गया जिसमें बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2023 में International Year of Millets- IYM) के रूप में घोषित कर दिया। इसका नेतृत्व भारत द्वारा किया गया है, जिसमें 70 से अधिक देशों द्वारा इसका समर्थन किया गया है। मिलेट्स पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जिनकी खेती शुष्क क्षेत्रों, उष्णकटिबंधीय एवम उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। भारत में मुख्य रूप से मिलेट्स की रागी, सोरघम, समा, वरिगा, बाजरा की प्रजाति उपलब्ध है।

Millets का इतिहास (प्राचीन समय में योगदान)

पुराने समय में मिलेट्स यानी श्री अन्न का बहुत बड़े स्तर पर प्रयोग किया जाता था। यह भोज्य पदार्थ बनाने के साथ अनुष्ठानों में भी उपयोग किए जाते थे। कालिदास ने अभियान शकुंतलम में कंगनी नामक मिलेट का उल्लेख किया है। जिसमें ऋषि कण्व को राजा दुष्यंत के महल में शंकुतला को विदा करते हुए कंगनी डालते हुए बताया गया है। यह शुभ शगुन की तरह होता है। सुश्रुत ऋषि ने भी अपनी संहिता में श्री अन्न के बारे में बताया है। कौटिल्य द्वारा अर्थशास्त्र में मिलेट्स खाने के कई फायदे बताए गए हैं। इसमें कौटिल्य द्वारा मोटे अनाज को पकाने और उसके उपयोग करने की सही विधि बताई है। 

मिलेट्स का भारत में उत्पादन व स्थान

भारत मिलेट्स का सबसे बड़ा उत्पादक है, एवम दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के सात राज्य 85 प्रतिशत मिलेट्स का उत्पादन करते है। राजस्थान में सबसे ज्यादा श्री अन्न उगाया जाता है। क्योंकि मिलेट्स की खेती करने के लिए अन्य फैसलों के मुकाबले कम पानी लगता है। कर्नाटक में मिलेट्स का उत्पादन हरियाणा 14.02 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 13.09 प्रतिशत, उत्तरप्रदेश में 12.7, हरियाणा 7.06 प्रतिशत, गुजरात 6.0 और मध्यप्रदेश में 5.07 प्रतिशत किया जाता है। 

मिलेट्स के फायदे (Benefits of मिली)

मिलेट्स यानी मोटे अनाज खाने के कई सारे फायदे होते हैं। 

  • यह ब्लड शुगर को काम करता है, इसके अलावा ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है।
  • डायरिया, कब्ज, अपच पेट के रोग, अल्सर जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। साथ ही साथ इसमें कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों से लड़ने वाले पोषक तत्व पाए जाते हैं। 
  • मिलेट्स अनाज को अपनी डाइट में शामिल करने से आपके शरीर को कम मात्रा में अधिक पोषण मिल जाते हैं। 
  • मिलेट्स अनाजों में फाइबर, पोटैशियम, मैग्नीशियम, आयरन कैल्शियम जैसे अनेकों तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर को मजबूत और हमारे शरीर के आंतरिक अंगों को स्वस्थ रखते हैं। 
  • इन मोटे अनाजों के उपयोग से शरीर का वजन संतुलित रहता है। इसके अलावा इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर के अंदर से विषैला पदार्थ को बाहर निकलते हैं। 

मिलेट्स का महत्व

मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से देखे तो मिलेट्स अत्यंत उपयोगी साबित होते हैं, क्योंकि इन अनाजों में तरह के पोषक तत्व जैसे की कैल्शियम, फाइबर, फास्फोरस, जिंक, कॉपर, आयरन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन आदि अधिक मात्रा में मौजूद होते हैं। हम भोजन के रूप में जो भी खाते हैं, वह हमारे पेट में जाने के बाद ग्लूकोस के रूप में परिवर्तित होकर खून में मिल जाता है, जो शुगर का एक रूप होता है। आजकल के दौर में गेहूं चावल का उपयोग खाने के लिए अधिक मात्रा में किया जाता है, लेकिन इन अनाजों के मुकाबले मिलेट्स शरीर के लिए काफी फायदेमंद और गुणकारी साबित होता है। मिलेट्स शरीर में बढ़ने वाले अधिक ग्लूकोस को कम करता है। ग्लूटेन फ्री होने के कारण यह हमें अनेक तरह के रोगों से बचाता है। 

पर्यावरण का मित्र मिलेट्स अनाज

चावल और गेहूं जैसी अन्य फसलों के मुकाबले मोटे अनाज की फसल को उगाने में काफी कम मेहनत लगती है। मोटे अनाज की फसल उगाने का सबसे बड़ा फायदा यह है, कि इस फसल को पानी की जरूरत नहीं होती। यह पानी की कमी के कारण न ही खराब होते हैं, और ना ही वर्ष के कारण इसे नुकसान होता है। यदि किसी कारण मोटा अनाज खराब होता है, तो यह चारे के रूप में पशुओं के काम आ जाता है। ज्वार और बाजार जैसी फैसले बेहद कम समय लागत और मेहनत में तैयार हो जाती है। इसके अलावा इन फसलों को उगाने के लिए किसी भी तरह के रासायनिक उर्वरक या कीटनाशक की आवश्यकता नहीं होती, जिससे इन अनाजों में मौजूद पोषक तत्व बरकरार रहते हैं। 

मिलेट्स के प्रति जागरूकता

मिलेट्स अनाजों में मुख्य रूप से ज्वार और बाजरा शामिल है। ज्वार बाजरे का इस्तेमाल आजकल गरीब घरों में अधिकतर किया जाता है। इसी कारण से इसे गरीबों का खाना भी कहा जाता है। कई लोगों द्वारा ऐसी धारणा बना ली गई है, कि यह गरीबों का खाना है और इससे दूसरे लोगों को नहीं खाना चाहिए। जिसके बाद से इंसानों ने इसका इस्तेमाल कम कर दिया, लेकिन अब व्यक्ति इन अनाजों के महत्व को देखकर उनकी कीमत समझ रहे हैं। सभी लोगों के बीच मिलेट्स के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। यह अनाज ना सिर्फ खाने में बल्कि उगाने में भी फायदेमंद होता है, बाकी अन्य फसलों के मुकाबले इस अनाज को किसी भी जलवायु में और किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है।

Theme of 2023 International Year of Millets

‘समृद्ध परंपरा‚ संपूर्ण पोषण (Rich in Heritage, full of Potential)’ इस साल International Year of Millets की थीम लोगों को देसी अनाज का सेवन करना और उसकी दुनियाभर में खेती करने पर जोर देना है। इसका उद्देश्य मोटे अनाज के योगदान के बारे में जागरूक करना है। मोटे अनाज का प्रमाण सबसे पहले सिंधु सभ्यता में पाए गए, जो की भोजन के लिए उगाए जाने वाली सबसे पहली फसल में से एक है। इस अनाज का उपभोग एशिया और अफ्रीका के करीब 60 करोड़ लोगों द्वारा किया जाता है। मोटे अनाज की खेती न केवल मनुष्यों के उपभोग के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसकी खेती करना पर्यावरण के लिए भी हितकारी है। क्योंकि मोटे अनाज की फसल से निकलने वाली खली एवं चारे को जलाया नहीं जाता बल्कि यह पशुओं को खिला दिया जाता है। वहीं मिलेट्स को उगाने के लिए अन्य अनाजों से कम से कम 3 गुना कम पानी की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में यह अनाज कम पानी वाली जगह उगाया जा सकता है। 

वर्तमान परिप्रेक्ष्य

6 दिसंबर‚ 2022 को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा रोम‚ इटली में मोटे अनाज के अंतरराष्ट्रीय वर्ष 2023 के उद्‌घाटन समारोह का आयोजन किया गया। 18 मार्च‚ 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूसा‚ नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के ‘भारतीय कृषि विज्ञान परिसर’ (एन.ए.एस.सी) के सुब्रह्मण्यम हॉल में दो दिवसीय वैश्विक  मोटे अनाज/मिलेट (श्री अन्न) सम्मेलन का उद्‌घाटन किया। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने मोटे अनाज (श्री अन्न) पर स्मारक डाक टिकट व स्मारक सिक्के का विमोचन किया। साथ ही भारतीय मोटे अनाज (श्री अन्न) स्टार्ट-अप्स का संग्रह (Compeudium of Indian Millet Startups) एवं बुक ऑफ मिलेट स्टैण्डर्ड (Book of Millet Standard) का भी विमोचन किया।

इसके अतिरिक्त एक प्रदर्शनी सह-क्रेता-विक्रेता समागम मण्डप (Exhibition Cum Buyer Seller meet Paveilion) का भी शुभारंभ किया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के ‘भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान’ (आईआईएमआर) को ‘वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र’ घोषित किया। इस सम्मेलन में गुएना ने घोषणा किया है  कि वह भारत के प्रौद्योगिकी और तकनीकी मार्गदर्शन में 200 एकड़ भूमि पर विशेष रूप से मोटे अनाज का उत्पादन करेगा। भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Millet Research) इसकी स्थापना वर्ष 1958 में हुई तथा यह हैदराबाद, तेलंगाना में स्थित है। मोटे अनाज पर अनुसंधान हेतु भारत सरकार की नोडल एजेंसी है।

आज के समय में हर दूसरा व्यक्ति शारीरिक समस्याओं से जूझ रहा है, जिसका मुख्य कारण पोषक तत्व की कमी है इसलिए स्वस्थ शरीर के लिए मिलेट्स अनाजों का इस्तेमाल करना जरूरी है। प्राचीन काल में लोगों द्वारा ऐसा आहार लिया जाता था, जो संपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर हो। मिलेट्स खाने के बहुत सारे फायदे हैं। इस अनाज को उगाना पर्यावरण के लिए फायदेमंद भी होता है, क्योंकि इसे किसी भी प्रकार के उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती जिससे की भूमि उपजाऊ रहती है। इसके अलावा इसे अनाजों के बचे हुए अपशिष्ट पदार्थों को अन्य फसलों की तरह जलाना नहीं पड़ता। इन अपशिष्ट पदार्थों को पशुओं के चारे के लिए इस्तेमाल कर लिया जाता है, जिसके कारण यह अनाज पर्यावरण के लिए भी लाभदायक साबित होते हैं।

Essay on Millets in English

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Millets are Superfood Essay in Hindi” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Essay on Millets in Hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Millets are Superfood Essay in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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भारत पर निबंध (India Essay in Hindi)

भारत

पूरे विश्व भर में भारत एक प्रसिद्ध देश है। भौगोलिक रुप से, हमारा देश एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है। भारत एक अत्यधिक जनसंख्या वाला देश है साथ ही प्राकृतिक रुप से सभी दिशाओं से सुरक्षित है। पूरे विश्व भर में अपनी महान संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों के लिये ये एक प्रसिद्ध देश है। इसके पास हिमालय नाम का एक पर्वत है जो विश्व में सबसे ऊँचा है। ये तीन तरफ से तीन महासागरों से घिरा हुआ है जैसे दक्षिण में भारतीय महासागर, पूरब में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरेबिक सागर से। भारत एक लोकतांत्रिक देश है जो जनसंख्या के लिहाज से दूसरे स्थान पर है। भारत में मुख्य रूप से हिंदी भाषा बोली जाती है परंतु यहां लगभग 22 भाषाओं को राष्ट्रीय रुप से मान्यता दी गयी है।

भारत पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Essay on India in Hindi, Bharat par Nibandh Hindi mein)

इंडिया पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

भारत देश शिव, पार्वती, कृष्ण, हनुमान, बुद्ध, महात्मा गाँधी, स्वामी विवेकानंद और कबीर आदि जैसे महापुरुषों की धरती है। भारत एक समृद्ध देश है जहाँ साहित्य, कला और विज्ञान के क्षेत्र में महान लोगों ने जन्म लिया जैसे रविन्द्रनाथ टैगोर, सारा चन्द्रा, प्रेमचन्द, सी.वी.रमन, जगदीश चन्द्र बोस, ए.पी.जे अब्दुल कलाम, कबीर दास आदि।

भारत : विविधता में एकता

भारत“विविधता में एकता”काप्रतिकहैक्योंकि भारत मेंविभिन्न जाति, धर्म, संस्कृति और परंपरा के लोग एकता के साथ रहते हैं। भारत में हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्मों के लोग आपस में भाईचारे से रहते है। भारत में 22 प्रकार की आधिकारिक भाषाएँ बोली जाती है। यहाँ हर धर्म, पंथ और समुदाय की अपनी अलग भाषा, पहनावा और रीती रिवाज है। इतनी विभिन्नता में भी भारतीयता की डोर ने सभी को आपस में बांध रखा है।

भारत : एक महान और पुरातन राष्ट्र

भारत एक पुरातन देश है, जहाँ की सभ्यता प्राचीन काल में ही शीर्ष पर थी। यह प्राचीन समय से ही ज्ञान और विज्ञानं का केंद्र रहा है। भारत ने हमेशा ही वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया जिसका अर्थ है यह सम्पूर्ण संसार ही मेरा घर है।

भारत : विश्व गुरु

भारत शिक्षा, शास्त्र और शस्त्र में अग्रणी देश रहा है। भारत में अलबरूनी , मेगस्थनीज आदि जैसे अनेक विदेशी विद्वान शिक्षा प्राप्त करने आते थे।भारत में तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय रहे , जिनमे देश विदेश के विद्यार्थी अध्ययन करने आते थे। भारत ने आर्यभट्ट , वराहमिहिर, रामानुज , चरक , सुश्रुत आदि जैसेविद्वान हुए , जिन्होंने पुरे संसार में भारत का परचम लहराया।

भारत को  वेद, पुराण, संस्कृति, भाषा, विज्ञानं, धर्म  आदि से धनवान बनाने में महापुरुषों का अतुलनीय योगदान रहा है। भारत देवभूमि है, जो ऋषियों की भूमि रही है। हम सभी को भारत देश पर गर्व है।

इसे यूट्यूब पर देखें : इंडिया पर निबंध

निबंध 2 (200 शब्द)

भारत एक खूबसूरत देश है जो अपनी अलग संस्कृति और परंपरा के लिये जाना जाता है। ये अपने ऐतिहासिक धरोहरों और स्मारकों के लिये प्रसिद्ध है। यहाँ के नागरिक बेहद विनम्र और प्रकृति से घुले-मिले होते हैं। ब्रिटिश शासन के तहत 1947 से पहले ये एक गुलाम देश था। हालाँकि, हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और समर्पण की वजह से 1947 में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली। जब भारत को आजादी मिली तो पंडित जवाहर लाल नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और भारतीय झंडे को फहराया और कहा कि “जब दुनिया सोती है, भारत जीवन और आजादी के लिये जागेगा”।

भारत मेरी मातृभूमि है और मैं इसे बहुत प्यार करता हूँ। भारत के लोग स्वभाव से बहुत ही ईमानदार और भरोसेमंद होते हैं। विभिन्न संस्कृति और परंपरा के लोग बिना किसी परेशानी के एक साथ रहते हैं। मेरे देश की मातृ-भाषा हिन्दी है हांलाकि बिना किसी बंधन के अलग-अलग धर्मों के लोगों के द्वारा यहाँ कई भाषाएँ बोली जाती हैं। भारत एक प्राकृतिक सुंदरता का देश है जहाँ समय-समय पर महान लोग पैदा हुए हैं और महान कार्य किये। भारतीयों का स्वाभाव दिल को छू लेने वाला होता है और दूसरे देशों से आये मेहमानों का वो दिल से स्वागत करते हैं।

भारत में जीवन के भारतीय दर्शन का अनुसरण किया जाता है जो सनातन धर्म कहलाता है और यहाँ विविधता में एकता को बनाए रखने के लिये मुख्य कारण बनता है। भारत एक गणतांत्रिक देश है जहाँ देश की जनता को देश के बारे में फैसले लेने का अधिकार है। यहाँ देखने के लिये प्राचीन समय के बहुत सारे अति सुंदर प्राकृतिक दृश्य, स्थल, स्मारक, ऐतिहासिक धरोहर आदि है जो विश्व के हर कोने के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। भारत अपने आध्यात्मिक कार्यों, योगा, मार्शल आर्ट आदि के लिये बहुत प्रसिद्ध है। भारत में दूसरे देशों से भक्तों और तीर्थयात्रियों की एक बड़ी भीड़ यहाँ के प्रसिद्ध मंदिरों, स्थलों और ऐतिहासिक धरोहरों की सुंदरता को देखने आती हैं।

निबंध 3 (350 शब्द)

भारत मेरी मातृ-भूमि है जहाँ मैंने जन्म लिया है। मैं भारत से प्यार करता हूँ और इस पर मुझे गर्व है। भारत एक बड़ा लोकतांत्रिक देश है जो जनसंख्या में चीन के बाद दूसरे स्थान पर काबिज़ है। इसका समृद्ध और शानदार इतिहास रहा है। इसे विश्व की पुरानी सभ्यता के देश के रुप में देखा जाता है। ये सीखने की धरती है जहाँ विश्व के हर कोने से विद्यार्थी यहाँ के विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिये आते हैं। कई धर्मों के लोगों के अपने विभिन्न अनोखे और विविध संस्कृति और परंपरा के लिये ये देश प्रसिद्ध है।

प्रकृति में आकर्षित होने की वजह से विदेशों में रहने वाले लोग भी यहाँ की संस्कृति और परंपरा का अनुसरण करते हैं। कई आक्रमणकारी यहाँ आये और यहाँ की शोभा और बहुमूल्य चीजों को चुरा कर ले गये। कुछ ने इसको अपना गुलाम बना लिया जबकि देश के बहुत से महान नेताओं की संघर्ष और बलिदान की वजह से 1947 में हमारी मातृ-भूमि अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुयी।

जिस दिन हमारी मातृभूमि आजाद हुयी उसी दिन से हर वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जा रहा है। पंडित नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। प्राकृतिक संसाधनों से भरा देश होने के बावजूद भी यहाँ के रहवासी गरीब हैं। रविन्द्रनाथ टैगोर, सर जगदीश चन्द्र बोस, सर सी.वी.रमन, श्री एच.एन भाभा आदि जैसे उत्कृष्ट लोगों की वजह से तकनीक, विज्ञान, और साहित्य के क्षेत्र में ये लगातार बढ़ रहा है।

ये एक शांतिप्रिय देश है जहाँ बिना किसी हस्तक्षेप के अपने त्योहारों को मनाने के साथ ही विभिन्न धर्मों के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा का अनुसरण करते हैं। यहाँ पर कई शानदार ऐतिहासिक इमारतें, विरासत, स्मारक और खूबसूरत दृश्य हैं जो हर वर्ष अलग देशों के लोगों के मन को अपनी ओर खिंचता है। भारत में ताजमहल एक महान स्मारक और प्यार का प्रतीक है तथा कश्मीर धरती के स्वर्ग के रुप में है। ये प्रसिद्ध मंदिरों, मस्ज़िदों, चर्चों, गुरुद्वारों, नदियों, घाटियों, कृषि योग्य मैदान, सबसे उँचा पर्वत आदि का देश है।

निबंध 4 (400 शब्द)

भारत मेरा देश है और मुझे भारतीय होने पर गर्व है। ये विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा और विश्व में दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। इसे भारत, हिन्दुस्तान और आर्यव्रत के नाम से भी जाना जाता है। ये एक प्रायद्वीप है जो पूरब में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरेबियन सागर और दक्षिण में भारतीय महासागर जैसे तीन महासगरों से घिरा हुआ है। भारत का राष्ट्रीय पशु चीता, राष्ट्रीय पक्षी मोर, राष्ट्रीय फूल कमल, और राष्ट्रीय फल आम है। भारतीय झंडे में तीन रंग है, केसरिया का मतलब शुद्धता (सबसे ऊपर), सफेद अर्थात् शांति (बीच का जिसमें अशोक चक्र है) और हरा रंग का अर्थ उर्वरता से है (सबसे नीचे)। अशोक चक्र में बराबर भागों में 24 तीलियाँ हैं। भारत का राष्ट्र गान “जन गण मन”, राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” और राष्ट्रीय खेल हॉकी है।

भारत एक ऐसा देश है जहाँ लोग अलग-अलग भाषा बोलते हैं और विभिन्न जाति, धर्म, संप्रदाय और संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं। इसी वजह से भारत में “विविधता में एकता” का ये आम कथन प्रसिद्ध है। इसे आध्यात्मिकता, दर्शन, विज्ञान और प्रौद्योगिकीय की भूमि भी कहा जाता है। प्राचीन समय से ही यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग जैसे हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, जैन और यहूदी एक साथ रहते हैं। ये देश अपने कृषि और खेती के लिये प्रसिद्ध है जो प्राचीन समय से ही इसका आधार रही है। ये अपने पैदा किये हुए अनाज और फल इस्तेमाल करता है। ये एक प्रसिद्ध पर्यटन का स्वर्ग है क्योंकि पूरे विश्व के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। ये स्मारकों, मकबरो, चर्चों, ऐतिहासिक इमारतों, मंदिर, संग्रहालयों, रमणीय दृश्य, वन्य जीव अभ्यारण्य, वास्तुशिल्प की जगह आदि इसके राजस्व का जरिया हैं।

ये वो जगह है जहाँ ताजमहल, फतेहपुर सीकरी, स्वर्ण मंदिर, कुतुब मीनार, लाल किला, ऊटी, नीलगिरी, कश्मीर, खजुराहों, अजन्ता और एलोरा की गुफाएँ आदि आश्चर्य मौजूद हैं। ये एक महान नदियों, पहाड़ों, घाटियों, झील और महासागरों का देश है। भारत में मुख्य रूप से हिंदी भाषा बोली जाती है। ये एक ऐसा देश है जहाँ 29 राज्य और 7 केन्द्र शासित प्रदेश है। ये मुख्य रुप से कृषि प्रधान देश है जो गन्ना, कपास, जूट, चावल, गेंहूँ, दाल आदि फसलों के उत्पादन के लिये प्रसिद्ध है। ये एक ऐसा देश है जहाँ महान नेता (शिवाजी, गाँधीजी, नेहरु, डॉ अंबेडकर आदि), महान वैज्ञानिकों (डॉ जगदीश चन्द्र बोस, डॉ होमी भाभा, डॉ सी.वी.रमन, डॉ नारालिकर आदि) और महान समाज सुधारकों (टी.एन.सेशन, पदुरंगाशास्त्री अलवले आदि) ने जन्म लिया। ये एक ऐसा देश है जहाँ शांति और एकता के साथ विविधता मौजूद है।

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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

  • निबंध ( Hindi Essay)

essay on indian food in hindi

Essay on Food Wastages in India in Hindi

व्यक्ति के लिए जीवन चर्या को पूरा करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज अन्न होता है । हमने हमारे जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है हम सब जानते हैं। अन्न के बिना हमारा जीवन समाप्त हो जाएगा। हम सब जानते है हमारा देश कितना बड़ा है, यहां की जनसंख्या बहुत ज्यदा है। पूरे 130 करोड़ से ज्यादा जनसंख्या के अन्न की व्यवस्था की जिम्मेदारी किसानों की होती है। किसान दिन रात मेहनत करके सभी व्यक्ति के लिए अन्न उगाते हैं ।  उस अन्य का सही उपयोग करना हमारे ऊपर है। परंतु कई लोग ऐसे होते है जो अपने खुराक से ज्यादा खाना बाना लेते है और इस्तेमाल ना होने पे फेक देते है। ये गलत है।

Table of Contents

अन्न की बर्बादी क्या है:-

भारत में बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें एक वक्त की रोटी प्राप्त नहीं होती व उन्हें भूखे पेट ही सोना पड़ता है। परंतु बहुत जगहों पर लोग इसकी बर्बादी करते है। उन्हें ये सोचना चाहिए कि हर किसी को अन्न नहीं मिलता और जिन्हे मिलता है वह बहुत भागयशाली होते है। लोग अपने खुराक से ज्यादा खाना बना करके उसे फेंक देते हैं । यह सब ही अन्य की बर्बादी है।ज्यादातर लोग होटल रेस्टोरेंट में जाते हैं और बहुत सारा खाना ऑर्डर कर देते हैं परंतु इतना खाना ना खाने की वजह से उन सब चीजों को फेंक देते हैं जबकि घर में लोग उतना ही बनाते हैं जितना वह खा पाते हैं। होटल में बर्बाद किया गया या खाना कूड़ेदान में डाल दिया जाता है जिस कारण यह पूरा खाना बर्बाद हो जाता है और बाद में किसी के काम भी नहीं आ पाता।

अक्सर लोग कहीं बाहर जाते हैं और वहां जाकर के ढेर सारा खाना मंगवा लेते हैं परंतु खाना पसंद ना आने की वजह से या फिर किसी और कारण की वजह से वह उस खाने को पूरी तरीके से नहीं खाते इस कारणवश वे सारे खाने को छोड़ देते हैं यह सब ही खाने की बर्बादी है। यदि किसी दिन उन्हें खाने का एक दाना ना मिले तब उन्हें खाने का महत्व समझ में आएगा। अगर माध्यम वर्ग और उच्च वर्ग के लोग नीचे वर्ग में आ जाए तो वह खाने के महत्व को समझ पाएंगे, क्युकी भोजन की कीमत भूख लगने पर ही पता चलती है। परंतु पैसा होने के कारण वह खाने के बर्बादी करने से पहले सोचते भी नहीं ।

अन्न की बर्बादी के कारण:-

लोक अन्न की बर्बादी वैसे तो बहुत तरीके से करते हैं परंतु इसका कोई एक ठोस कारण हो ना बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है।ज्यादातर लोग खाना उसी लिए बर्बाद करते हैं क्योंकि वह पूरे खाने को खा नहीं पाते और फेंक देते हैं। परंतु कुछ ऐसे लोग भी हैं जो खाने को रखे रखे खराब हो जाने से या फिर उस खाने के पसंद ना आने की वजह से भी खाने को फेंक देते हैं। यह सब ही खाने की बर्बादी के कारण है। इन कारणों की वजह से ही खाना प्रतिवर्ष भारत देश में हजारों क्विंटल की मात्रा में फेंके जाते हैं। जिस प्रकार का खाना रोज-रोज बर्बाद किया जाता है उसी प्रकार यदि आप किसी गरीब को दे दिया जाता तो उसका घर भी अच्छे से चल पाता। कई बार तो ऐसा भी होता है कि ज्यादा काम के वजह से लोग इस समय का खाना खा नहीं पाते और अगले समय में एक बार खा  के, बचा हुआ खाना छोड़ देते हैं जिस कारण उनके द्वारा छोड़ा गया खाना बर्बाद हो जाता है।

अन्न बर्बादी से परेशानियां:-

भारत देश में अन्न की बर्बादी करना एक आम बात है परंतु इससे होने वाली परेशानियों का वर्णन करना बहुत ज्यादा गंभीर है। अन्न की बर्बादी के कारण उगाई जाने वाली फसल में भी प्रभाव पड़ता है। लोग जिस प्रकार अन्य को बर्बाद करते हैं यदि उस तरीके से देखा जाए तो ज्यादा समय नहीं है कि लोगों को कोई खाने के लिए एक दाना भी नहीं रहेगा। अधिकतर लोग खाना खाए  बिना बीमारियो से मर जाते हैं और लोग खाना को ऐसे बर्बाद करते हैं जैसे उन्हें इससे कोई मतलब ही नहीं है। वह चाहे या ना चाहे परंतु उनके कारण देश में ऐसी बहुत सारी परेशानियां उत्पन्न हो रही है जिससे देश आगे बढ़ने में बाधक बन रहा है।कुछ ऐसी गरीब कस्बे और झोपड़िया भी है जहां पर खाने को एक दाना नहीं है परंतु लोगों द्वारा अनुवाद किया जाता है और इस जगह पर खाना दिया नहीं जाता।ऐसे लोग बस अपने हिस्से का कमाते हैं और खाते हैं वह कभी आगे नहीं बढ़ पाते यह सब  अन्य की बर्बादी के कारण है।

अन्न की बर्बादी को कैसे रोक?:-

अन्न की बर्बादी वैसे तो भारत देश में बहुत ज्यादा मात्रा में होती है परंतु यदि इसे रोकने का विचार सरकार के दिमाग में आ जाए तो वह इस पर कड़ी कार्रवाई कर सकते हैं। लोगों द्वारा स्वयं भी प्रयत्न करने पर अन्य का एक एक दाना बचाया जा सकता है।यदि लोग चाहे तो बस उतना ही खाना लेना या खाना पसंद करें जितना उनके पेट में जा सके, कूड़ेदान में जाने वाले खाने को वे किसी गरीब को दे दे। इन सब चीजों से ही वह भारत देश को आगे बढ़ने में मदद कर सकेंगे। कई लोग तो ऐसे भी हैं जो केवल एक वक्त खाना खाते हैं और उनके दो वक्त खाना भी फेंक देते हैं परंतु यदि वह ऐसा न करके किसी गरीब को दे दे तो उसके पूरे दिन का खाना हो जाए। ना खाना बर्बाद होगा और ना ही कोई भूखा सोएगा। सरकार द्वारा भी यह नियम लागू किया गया है कि यदि कहीं खाली जगह पर किसी ने खाना फेंका तो उसके ऊपर कार्रवाई की जाएगी।

निष्कर्ष :-

अन्न की महत्वता को हर व्यक्ति समझता है परंतु फिर भी वह इसकी बर्बादी  करता ही है। हमें अन्न को बचाना होगा जिससे आने वाले समय में इसका उपयोग हो। जितने खाने का उपयोग हो उतना ही घर में बनाना चाहिए और अगर बाना हुआ खाना बच जाए तो उसे गरीबों या जानवरो को दे दे ,जिससे खाने का सदुपयोग होगा और हर किसी को खाने के लिए अन्न मिल सकेगा। भारत में मारने वाले लोगो में बहुत लोग भूख से मरते है। और इस समस्या का निवारण की जिम्मेदारी सरकार के साथ हर व्यक्ति के कंधे पर है।अगर हर व्यक्ति चाहे तो रात में कोई भी व्यक्ति भूखे पेट नहीं सोएगा।

FAQ ( विषय से संबंधित प्रश्न):-

1.प्रश्न:- भारत में अन्न कि बर्बादी से सबसे ज्यादा कौन पीड़ित होता है?

उत्तर:- नीचे वर्ग के लोग और गरीब लोग इससे सबसे ज्यादा पीड़ित होते है।

2.प्रश्न:-  पूरी दुनिया में हर साल कितना खाना बर्बाद होता है?

उत्तर:-  आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया में हर साल करीब 67 लाख करोड़ का खाना बर्बाद होता है।

3.प्रश्न:- अन्न की बर्बादी का प्रभाव सबसे ज्यादा किसपे पड़ता है?

उत्तर :-  अन्न की बर्बादी का प्रभाव सबसे ज्यादा गरीब किसानों पर पड़ता है ।वह अपनी पूरी मेहनत करके सभी के लिए अन्न उगते हैं परंतु इसे बर्बाद करने से पहले कोई एक बार सोचता भी नहीं।

4.प्रश्न:- अन्न का सही उपयोग हम किस प्रकार कर सकते हैं?

उत्तर:-  जितना एक व्यक्ति खा सकता है उसी हिसाब से खाना बनाए अगर फिर भी खाना बच जाता है तो वो भूखे गरीब या फिर भूखे जानवरो को दे दे जिससे उनका पेट भर सके।

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दा इंडियन वायर

जंक फूड पर निबंध

essay on indian food in hindi

By विकास सिंह

Essay on junk food in hindi

जंक फूड स्वास्थ्य के लिए एक अच्छा भोजन नहीं है जिसे हर बच्चे और बच्चों को पता होना चाहिए क्योंकि वे आम तौर पर जंक फूड खाना पसंद करते हैं। जंक फूड के बारे में जागरूक करने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिता के दौरान स्कूली छात्रों को जंक फूड पर निबंध एक सामान्य विषय है अतः यहाँ से आप ऐसे निबंध लिखने में सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

जंक फूड पर निबंध, 100 शब्द:

अच्छा स्वास्थ्य हम में से हर एक के लिए एक स्वस्थ जीवन जीने की आवश्यकता है जो पूरे जीवन में स्वस्थ आहार और स्वस्थ आदतों को बनाए रखने से ही होता है। हालाँकि, कई लोगों में जंक फूड खाने का रिवाज दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और हमारे भविष्य को और हमारी आने वाली पीढ़ियों को दुखी और रोगग्रस्त बनाता है।

माता-पिता को अपने बच्चों और बच्चों की खाने की आदतों के प्रति बहुत सचेत होना चाहिए क्योंकि बचपन में वे कभी भी अपने अच्छे या बुरे को नहीं जानते और तय करते हैं इसलिए यह माता-पिता हैं जो अपने बच्चों के बीच अच्छे या बुरे खाने की आदतों के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। उन्हें अपने बच्चों को बचपन से खाने की आदतों के बारे में प्रशिक्षित करना चाहिए और उन्हें स्वस्थ और जंक खाद्य पदार्थों के बीच अंतर के बारे में स्पष्ट करना चाहिए।

जंक फूड पर निबंध, 150 शब्द:

आमतौर पर जंक फूड हर आयु वर्ग के लोगों के लिए बहुत आकर्षक और स्वादिष्ट लगते हैं। हालांकि, यह बहुत सच है कि वे अंदर से बहुत मोटे हैं। वे बाहर से जो देखते हैं वह अंदर से कभी नहीं बनते। जंक फूड को कभी भी स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है, वे सभी तरह से अस्वास्थ्यकर साबित हुए हैं।

जंक फूड सेहत के लिए हानिकारक होते हैं और जो लोग जंक फूड खाने की प्रैक्टिस करते हैं, उनके स्वास्थ्य को कई विकार हो जाते हैं। इससे हृदय रोग, कैंसर, जल्दी बुढ़ापा, उच्च रक्तचाप, हड्डियों की समस्या, मधुमेह, मानसिक विकार, यकृत विकार, पाचन तंत्र की समस्याएं, कब्ज, दस्त, दिल का दौरा, प्रोस्टेट और स्तन कैंसर, ऑस्टियोपोरोसिस और इतने सारे स्वास्थ्य विकार हो सकते हैं।

शोध के अनुसार, यह पाया गया है कि यौवन सबसे संवेदनशील उम्र है जिसके दौरान व्यक्ति को स्वस्थ खाने की आदतों का अभ्यास करना चाहिए क्योंकि इस उम्र के दौरान शरीर में वयस्क आयु समूह में प्रवेश करने के लिए एक को तैयार करने के लिए कई परिवर्तन होते हैं।

जंक फूड पर निबंध, 200 शब्द:

जंक फूड शब्द का अर्थ है, कचरे के सामान खाना जोकि शरीर के लिए बिलकुल भी लाभप्रद नहीं है। यह कम पोषण और शरीर प्रणालियों के लिए हानिकारक है। जंक फूड्स के अधिकांश में संतृप्त वसा, चीनी, नमक और खराब कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर होता है जो स्वास्थ्य के लिए विष है। वे आहार फाइबर की कमी हो जाती हैं, जिससे कब्ज और अन्य पाचन विकार पैदा करने में आसानी से शामिल हो जाते हैं।

अच्छे स्वाद और पकाने में आसान होने के कारण जंक फूड्स को इतनी लोकप्रियता मिली है। पॉलीबैग में पैक किए गए बाजार में कई रेडीमेड जंक फूड उपलब्ध हैं। अधिकांश लोग अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण ऐसे रेडीमेड खाद्य पदार्थों पर निर्भर हैं या वे घर पर खाना बनाना नहीं जानते हैं।

दुनिया भर में जंक फूड की खपत दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है जो भविष्य के लिए अच्छा नहीं है। सभी आयु वर्ग के लोग जंक फूड खाना पसंद करते हैं और वे आम तौर पर खाने के लिए चुनते हैं जब भी वे जन्मदिन की पार्टी, शादी की सालगिरह आदि जैसे परिवार के साथ विशेष समय का आनंद लेते हैं, तो वे आसानी से शीतल पेय, वेफर्स, चिप्स, नूडल्स, बर्गर, आदि लेने के आदी हो जाते हैं। पिज्जा, फ्रेंच फ्राइज़, चीनी व्यंजन और बाजार में उपलब्ध फास्ट फूड की अन्य किस्में।

जंक फूड पर निबंध, Essay on junk food in hindi (250 शब्द)

प्रस्तावना:.

जैसा कि हम सभी जंक फूड्स के बारे में सच्चाई जानते हैं और इसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, यह एक सबसे दिलचस्प सवाल है कि हर कोई इसकी सच्चाई जानने के बाद भी जंक फूड खाना क्यों पसंद करता है। आजकल हममें से हर कोई जंक फूड का स्वाद अच्छी तरह से ले रहा है क्योंकि यह स्वादिष्ट, सस्ती और आसानी से उपलब्ध है। जंक फूड्स का कोई पोषण मूल्य और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक आवश्यक सामग्री नहीं है।

अगर नियमित रूप से सेवन किया जाए तो मैं स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हूं। यह शरीर के ऊर्जा स्तर में स्पाइक का कारण बनता है और नींद संबंधी विकार पैदा करता है। यह एकाग्रता के स्तर को कम करता है और पुरानी बीमारियों जैसे मोटापा, हार्मोनल असंतुलन, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि को बुलावा देता है।

जंक फूड बहुत अधिक तैलीय हो जाते हैं और आहार तंतुओं की कमी हो जाती है, इसलिए वे पचाने में कठिन होते हैं और शरीर से इस प्रक्रिया को करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है और व्यक्ति को शरीर में ऑक्सीजन के स्तर की कमी होती है जो अनुचित मस्तिष्क क्रियाओं की ओर ले जाती है। जंक फूड खराब कोलेस्ट्रॉल में उच्च होते हैं और दिल और यकृत को नुकसान पहुंचाते हैं। आहार फाइबर की कमी के कारण वे पेट और अन्य पाचन अंगों में खिंचाव पैदा करते हैं और इसके परिणामस्वरूप कब्ज होता है।

जंक फूड हमेशा स्वास्थ के लिए हानिकारक होते हैं और अगर कोई स्वास्थ्य लाभ प्रदान किए बिना नियमित रूप से लिया जाए तो स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ती है। हमें जीवन भर अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन का आनंद लेने के लिए जंक फूड खाने से बचना चाहिए।

जंक फूड पर निबंध, 300 शब्द:

कम उम्र में अपने शरीर में उच्च शर्करा संग्रह के कारण ऐसे बच्चों को मधुमेह और सुस्त होने का खतरा होता है। जंक फूड्स में सोडियम खनिज की उच्च मात्रा के कारण उन्हें उच्च रक्तचाप मिलता है। बच्चों और बच्चों को बचपन से ही स्वस्थ खान-पान का पालन करने के लिए उनके माता-पिता द्वारा प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

जंक फूड पर निबंध, Essay on junk food in hindi (400 शब्द)

जंक फूड्स का स्वाद अच्छा होता है और इसे ज्यादातर किसी भी आयु वर्ग के बच्चे और स्कूल जाने वाले बच्चे सभी पसंद करते हैं। वे आम तौर पर जंक फूड रोज मांगते हैं क्योंकि उनका रुझान बचपन से ही उनके माता-पिता से है। स्वास्थ्य पर जंक फूड के हानिकारक प्रभावों के बारे में उनके माता-पिता ने कभी चर्चा नहीं की।

वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार, यह पाया गया है कि जंक फूड्स का स्वास्थ्य पर कई तरह से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वे आम तौर पर बाजार में मिलने वाले तला हुआ भोजन पैकेट में हैं। वे कैलोरी में उच्च, कोलेस्ट्रॉल में उच्च, स्वस्थ पोषक तत्वों में कम, सोडियम खनिज में उच्च, चीनी, स्टार्च, अस्वास्थ्यकर वसा, प्रोटीन की कमी और आहार फाइबर की कमी में उच्च हो जाते हैं।

प्रोसेस्ड और जंक फूड्स तेजी से और अस्वास्थ्यकर वजन बढ़ाने के साधन हैं और जीवन भर पूरे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यह एक व्यक्ति को अत्यधिक वजन हासिल करने में सक्षम बनाता है जिसे मोटापा कहा जाता है। जंक फूड्स का स्वाद अच्छा लगता है और अच्छा लगता है लेकिन यह शरीर की स्वस्थ कैलोरी की आवश्यकता को पूरा नहीं करता है।

कुछ खाद्य पदार्थ जैसे फ्रेंच फ्राइज़, तले हुए खाद्य पदार्थ, पिज्जा, बर्गर, कैंडी, शीतल पेय, पके हुए सामान, आइसक्रीम, कुकीज़, आदि उच्च चीनी और उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों के उदाहरण हैं। यह रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार पाया जाता है कि जंक फूड खाने वाले बच्चों और बच्चों को टाइप -2 मधुमेह होने का अधिक खतरा होता है।

टाइप -2 डायबिटीज में हमारा शरीर ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में असमर्थ हो जाता है। इस बीमारी के होने का खतरा बढ़ता जा रहा है क्योंकि व्यक्ति अधिक मोटापा या अधिक वजन का हो गया है। यह गुर्दे की विफलता का खतरा बढ़ाता है। रोजाना जंक फूड खाने से शरीर में पोषण की कमी हो जाती है क्योंकि इसमें आवश्यक पोषक तत्वों, विटामिन, आयरन, खनिज और आहार फाइबर की कमी होती है।

यह हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाता है क्योंकि यह संतृप्त वसा, सोडियम और खराब कोलेस्ट्रॉल से समृद्ध है। उच्च सोडियम और खराब कोलेस्ट्रॉल आहार रक्तचाप बढ़ाता है और हृदय की कार्यप्रणाली को ओवरलोड करता है। जो लोग जंक फूड पसंद करते हैं, वे अतिरिक्त वजन पर डालते हैं और मोटे और अस्वस्थ हो जाते हैं।

जंक फूड्स में उच्च स्तर कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाते हैं और व्यक्ति को अधिक सुस्त, नींद और कम सक्रिय और सतर्क बनाते हैं। इस भोजन को खाने वाले लोगों की सजगता और होश दिन-ब-दिन सुस्त होते जाते हैं और इस प्रकार वे अधिक गतिहीन जीवन जीते हैं। जंक फूड्स पोषण में खराब होने के कारण कब्ज और अन्य बीमारी जैसे मधुमेह, हृदय रोग, भरा हुआ धमनियों, दिल का दौरा, स्ट्रोक आदि का स्रोत हैं।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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भोजन की बर्बादी पर निबंध व् कविता Food wastage Essay, Poem in Hindi

Food wastage essay in hindi.

आज हम आपके लिए लाए हैं भोजन की बर्बादी पर लिखा निबंध. आप इसे पढ़ें और भोजन की बर्बादी को रोकने का प्रयत्न करें तो चलिए पढ़ते हैं इस आर्टिकल को.

Food wastage Essay, Poem in Hindi

हमारा भारत देश एक बहुत बड़ा देश है, भारत देश की जनसंख्या भी अधिक है. हमारे भारत देश में ही नहीं बल्कि इस पूरी दुनिया में आज कई ऐसे लोग हैं जो भोजन की बर्बादी करते हैं, कोई जानबूझकर करता है तो कोई ना समझी में करता है लेकिन वास्तव में भोजन तो बर्बाद ही होता रहता है. आज हम देखें कि देश दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जिनको दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं हो पाता है. कई लोग भोजन की कमी की वजह से मारे जाते हैं और अपने जीवन में कुछ भी नहीं कर पाते हैं. हम सभी को भोजन की बर्बादी को रोकने की जरूरत है और इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि भोजन की बर्बादी हमारे जीवन की बर्बादी है.

भोजन की बर्बादी कैसे होती है- भोजन की बर्बादी लोग कई तरह से करते हैं हमारे भारत देश में कई ऐसे लोग हैं जो अन्न के एक-एक दाने को बड़ा ही कीमती समझते हैं और अन्न को यूं ही बर्बाद नहीं करते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो अन्न की महत्वता को नहीं समझते और अन्न को बर्बाद करते हैं. अन्न की बर्बादी कई शादी समारोह, कार्यक्रमों के अवसर पर भी होती है दरअसल शादी समारोह में लोग अत्याधिक भोजन परोस देते हैं और सामने वाला व्यक्ति अपनी थाली में भोजन छोड़ देते है इस तरह से शादी ब्याह एवं समारोह में भोजन की बर्बादी होती है.

कई बार लोग भोजन पकाने के लिए कई तरह की सब्जी, फल फूल आदि को ज्यादा खरीद लेते हैं लेकिन वो रखे रखे खराब हो जाते हैं और इस तरह से भोजन की बर्बादी होती है. किसी किसी को तो थाली में खाना छोड़ने की ही आदत होती है वह ज्यादा खाना ले लेते हैं और यूं ही थाली में छोड़ देते हैं और भोजन की बर्बादी करते हैं. कई तरह के फल फूल सब्जियों को भी जब मंडियों में बेचने के लिए लाते हैं तो कई वाहनों की उचित सुविधा नहीं होने की वजह से घर लोट जाते हैं या कई दिनों बाद ला पाते हैं जिस वजह से उनके फल फूल एवं सब्जियां खराब हो जाती है और किसान अपने आपको कोसता है.

कई बार लोग अपने घरों के रेफ्रिजरेटर में खाद्य सामग्री रखकर भूल जाते हैं और वह खराब हो जाती है. कई बार लोग जब बाजार में जाते हैं तो कई तरह के फल फूल एवं सब्जियों को अधिक ले लेते हैं जिस वजह से सब्जियां एवं फल फूल बर्बाद हो जाते हैं इस तरह से फल फूल, सब्जियां एवं कई तरह के खाद्य पदार्थों की बर्बादी के कई कारण हैं हम सभी को इन्हें रोकना चाहिए.

भोजन की बर्बादी रोकने के उपाय- हम सभी को चाहिए कि हम भोजन की बर्बादी को रोके. भोजन की बर्बादी रोकने के लिए हमें चाहिए कि हम समझे कि भोजन हम सभी के लिए काफी महत्वपूर्ण है यदि हम इसी तरह से भोजन बर्बाद करेंगे तो आने वाले समय में हमारे साथ भी जरूर ही बुरा होगा. भोजन की बर्बादी रोकने के लिए हमें चाहिए कि हम अधिक फल, सब्जियां ना खरीदें, जिनका हम जितना उपयोग कर सकें उतनी ही सब्जियों को खरीदें.

हमें चाहिए हम अधिक भोजन को गरीबों, भिखारियो में बाटे जिससे भोजन की बर्बादी ना हो और भोजन का सदुपयोग हो सके. हमें चाहिए कि हम शादी विवाह एवं अन्य समारोह में मेहमानों को जरूरत पड़ने पर ही भोजन दें, अधिक मात्रा में भोजन यदि हम उन्हें देते हैं और यदि वह यूं ही अपनी थाली में छोड़ देते हैं तो काफी मात्रा में भोजन की बर्बादी होती है इससे हमको, हमारे देश को काफी नुकसान होता है.

हमें चाहिए कि यदि हमारे गांव से लेकर शहर तक उचित परिवहन व्यवस्था नहीं है तो इसकी और हम सभी जागरूक हो और सरकार को इसके प्रति उचित कदम उठाने की सलाम दें तो जरूर ही हम सभी इन समस्याओं को रोक सकते हैं और भोजन एवं अन्न की बर्बादी को रोककर देश के विकास में भागीदार बन सकते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर सकते हैं.

poem on food wastage in hindi

भोजन की बर्बादी हम क्यों करते हैं

खुद से ही धोखा हम क्यों करते हैं

रोंको इस बर्बादी को खुशी खुशी जीवन जीते हैं

आओ हम सब गरीबों की मदद करते हैं

पड़ा है भोजन यूं ही बर्बाद हो रहा है

देखो अन्न देवता तुमसे रुष्ट हो रहा है

क्यों सोच विचार तुम ना करते हो

भोजन की परवाह क्यों ना तुम करते हो

समारोहों में तुम भोजन इतना क्यों परसते हो

क्यों भोजन तुम बर्बाद यूं ही करते हो

भोजन की बर्बादी अब रोको तुम

गरीब और भूखो पर दया करो तुम

  • संतुलित आहार पर निबंध Essay on balanced diet in hindi
  • विश्व खाद्य दिवस पर निबंध world food day essay in hindi

हमें भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए हर संभव प्रयत्न करना चाहिए क्योंकि भोजन या अन्न है तो हमारा जीवन है. दोस्तों मेरे द्वारा लिखा भोजन की बर्बादी पर यह आर्टिकल Food wastage Essay, Poem in Hindi आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं धन्यवाद.

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kamlesh kushwah

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Dear Sir aap humari help kre sir hum Ye santhan se jurna Chahta hu Sir hum Guwahati Assam se hu Sir Guwahati me bhut hotal and restaurants hai Jo ki bhut Sara food West karte hai agar aapki madad mil Jaye to food garibo me baat Diya jay dhanywad Sir

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जंक फ़ूड पर निबंध Essay on Junk Food in Hindi

फ़ास्ट फ़ूड / जंक फ़ूड पर निबंध Essay on Junk Food in Hindi

हर किसी मनुष्य के लिए एक अच्छा स्वास्थ्य एक अच्छे जीवन को जीने के लिए बहुत ही जरूरी होता है। एक अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन अच्छा पौष्टिक भोजन और अच्छी आदतों का होना बहुत आवश्यक होता है।

Table of Content

जंक फ़ूड क्या होता है? What is Junk food in hindi?

जंक फ़ूड में बहुत ज्यादा कैलोरी की मात्र होती है और विटामिन, प्रोटीन और मिनरल की मात्रा बहुत अधिक होती है। विटामिन और मिनरल जरूरत के अनुसार ही शरीर के लिए सही है। अगर आसान शब्दों में हम जंक फ़ूड का वर्णन करें तो यह मनुष्य के शरीर के लिए लाभदायक कम और हानिकारक ज्यादा है।

जंक फ़ूड खाने के परिणाम Effects of eating junk food in hindi

एक बात तो साफ़ है ज्यादा और लगातार जंक फ़ूड खाने से कई प्रकार के स्वास्थ्य प्रोब्लेम्स होते हैं। चलिए जानते हैं जंक फ़ूड के सेवन से शरीर को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है?

वजन बढना या मोटापा होना Obesity or Weight gain

हाइपरटेंशन hypertension.

पढ़ें : ग्रीन टी पीने के फायदे

टाइफाइड Typhoid

ह्रदय से जुड़े रोग heart diseases.

जंक फ़ूड को बनाने के लिए सबसे ज्यादा तेल का उपयोग किया जाता है। घर के भोजन में जरूरत के अनुसार हम तेल का उपयोग करते हैं। ज्यादा तेल और घी युक्त भोजन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने का खतरा रहता है। इससे कई प्रकार के ह्रदय रोग होने का खतरा रहता है और ह्रदय के रोगियों के लिए जंक फ़ूड का सेवन करना जानलेवा साबित हो सकता है।

कुपोषण Malnutrition

निष्कर्ष conclusion.

आशा करते हैं आपको हमारा यह पोस्ट अच्छा लगा होगा। अगर आपको हमारे इस पोस्ट से थोड़ी भी मदद मिली है तो अपने दोस्तों से सोशल मीडिया के माध्यम से ज़रूर शेयर करें।

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