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गणेश चतुर्थी पर निबंध (Ganesh Chaturthi Essay in Hindi)

गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। यह हिन्दू धर्म का एक बहुत प्रिय पर्व है। ये उत्सव पूरे भारत में बेहद भक्ति भाव और खुशी से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्योहार आने के कई दिन पहले से ही बाजारों में इसकी रौनक दिखने लगती है। यह पर्व हिन्दू धर्म का अत्यधिक मुख्य तथा बहुत प्रसिद्ध पर्व है। इसे हर साल अगस्त या सितंबर के महीने में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह भगवान गणेश के जन्म दिवस के रुप में मनाया जाता है जो माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र है। ये बुद्धि और समृद्धि के भगवान है इसलिये इन दोनों को पाने के लिये लोग इनकी पूजा करते है।

गणेश चतुर्थी उत्सव पर निबंध (Long and Short Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi, Ganesh Chaturthi par Nibandh Hindi mein)

गणेश चतुर्थी महत्वपूर्ण त्योहार है – निबंध 1 (300 शब्द).

भारत में गणेश चतुर्थी बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार कार्यालय हो या स्कूल-कालेज हर जगह इसको मनाया जाता है। इस दिन सभी कार्यालयों और शिक्षा संस्थानों को बंद करके भगवान गणेशा की पूजा की जाती है। लोग इस पर्व का उत्साहपूर्वक इंतजार करते है। यह देश के विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है हालाँकि महाराष्ट्र में यह खासतौर से मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे भक्तों द्वारा हर वर्ष बड़े ही तैयारी और उत्साह से मनाते है। हिन्दू मान्यता के अनुसार गणेश चतुर्थी हर साल भगवान गणेश के जन्मदिवस पर मनाया जाता है। गणेश उत्सव भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के नाम से भी बुलाया जाता है अर्थात भक्तों के सभी बाधाओं को मिटाने वाला तथा विघ्नहर्ता का अर्थ है राक्षसों के लिये मुश्किल पैदा करने वाला।

मूर्ति की स्थापना

गणेश चतुर्थी एक 11 दिनों का लंबा हिन्दू उत्सव है जो चतुर्थी के दिन घर या मंदिर में मूर्ति स्थापना से शुरु होता है तथा गणेश विसर्जन के साथ अनन्त चतुर्दशी पर खत्म होता है। भक्त भगवान गणेश से प्रार्थना करते है, खासतौर से मोदक चढ़ाते है, भक्ति गीत गाते है, मंत्रोंच्चारण करते है, आरती करने के साथ ही उनसे बुद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते है। इसे समुदाय या मंदिर या पंडालों में लोगों के समूह द्वारा, परिवार या अकेले मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी के दौरान सुबह और शाम गणेश जी की आरती की जाती है और लड्डू और मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाता है। सबसे ज्यादा यह उत्सव महाराष्ट्र में मनाया जाता है और वहाँ की गणेश चतुर्थी देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।

गणेश चतुर्थी एक हिन्दू उत्सव है – निबंध 2 (400 शब्द)

हमारे देश में  सारे त्योहार बहुत धूम-धाम से मनाये जाते है, जिसमें एक गणेश चतुर्थी भी है। गणेश चतुर्थी एक हिन्दू उत्सव है जो हर साल अगस्त और सितंबर के महीने में आता है। इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। तब से हिन्दू धर्म के लोग गणेश के जन्मदिन को हर साल गणेश चतुर्थी पर्व के रुप में मनाते है। भगवान गणेश सभी को प्रिय है खासतौर से बच्चों को। ये ज्ञान और संपत्ति के भगवान है और बच्चों में ये दोस्त गणेशा के नाम से प्रसिद्ध है। ये भगवान शिव और माता पार्वती के प्यारे पुत्र है।

भगवान गणेश और शिव की कहानी

एक बार भगवान गणेश का सर भगवान शिव के द्वारा काट दिया गया था लेकिन फिर एक हाथी का सर उनके धड़ से जोड़ दिया गया। इस तरह इन्होंने अपना जीवन दुबारा पाया और जिसे गणेश चतुर्थी के उत्सव के रुप में मनाया जाता है।

भगवान गणेश और चन्द्रमा की कहानी

शुक्ल पक्ष चतुर्थी में भाद्रपद के हिन्दी महीने में इस उत्सव को देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि, पहली बार चन्द्रमा के द्वारा गणेश का व्रत रखा गया था क्योंकि अपने दुर्व्यवहार के लिये गणेश द्वारा वो शापित थे।

गणेश की पूजा के बाद, चंद्रमा को ज्ञान तथा सुंदरता का आशीर्वाद मिला। भगवान गणेश हिन्दुओं के सबसे बड़े भगवान है जो अपने भक्तों को बुद्धि, समृद्धि तथा संपत्ति का आशीर्वाद देते है। मूर्ति विसर्जन के बाद अनन्त चतुर्दशी पर गणेश चतुर्थी उत्सव समाप्त होता है। भगवान विनायक सभी अच्छी चीजों के रक्षक और सभी बाधाओं को हटाने वाले है।

गणेश जी की चतुर्थी से पहले बाजारों में चारों ओर हमें गणेश जी की मूर्ति के दर्शन होते हैं, बाजार में मेला सा लग जाता है लोग गांव से सामान खरीदने के लिए  शहर आते हैं। इन दिनों सब कुछ वाकई में देखने लायक होता है गणेश चतुर्थी का यह त्यौहार 11 दिन का होता है।

Ganesh Chaturthi Essay

गणेश चतुर्थी: सुख, समृद्धि, और बुद्धि का त्योहार – निबंध 3 (500 शब्द)

भारत में गणेश चतुर्थी सबसे प्रसिद्ध त्योहार है। इसे हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा हर साल बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। खासतौर से बच्चे भगवान गणेश को बहुत पसंद करते है और उनकी पूजा कर बुद्धि तथा सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करते है। लोग इस पर्व की तैयारी एक महीने पहले, हफ्ते या उसी दिन से शुरु कर देते है। इस उत्सवी माहौल में बाजार अपनी पूरी लय में रहता है। हर जगह दुकानें गणेश की मूर्तियों से भरी रहती है और लोगों के लिये प्रतिमा की बिक्री को बढ़ाने के लिये बिजली की रोशनी की जाती है।

सुख , समृद्धि , और बुद्धि का त्योहार (गणेश चतुर्थी)

भक्त गण भगवान गणेश को अपने घर ले आते है तथा पूरी आस्था से मूर्ति की स्थापना करते है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि जब गणेश जी घर पर आते है तो ढेर सारी सुख, समृद्धि, बुद्धि और खुशी ले आते है हालाँकि जब वो हमारे घर से प्रस्थान करते है तो हमारी सारी बाधाएँ तथा परेशानियों को साथ ले जाते है। भगवान गणेश को बच्चे बहुत प्रिय है और उनके द्वारा उन्हें मित्र गणेश बुलाते है। लोगों का समूह गणेश जी की पूजा करने के पंडाल तैयार करता है। वो लोग पंडाल को फूलों और प्रकाश के द्वारा आकर्षक रुप से सजाते है। आसपास के बहुत सारे लोग प्रतिदिन उस पंडाल में प्रार्थना और अपनी इच्छाओं के लिये आते है। भक्त गण भगवान गणेश को बहुत सारी चीजें चढ़ाते है जिसमें मोदक उनका सबसे पसंदीदा है।

ये उत्सव 10 दिनों के लिये अगस्त और सितंबर में मनाया जाता है गणेश चतुर्थी पूजा दो प्रक्रियाओं को शामिल करती है; पहला मूर्ति स्थापना और दूसरा मूर्ति विसर्जन (इसे गणेश विसर्जन भी कहा जाता है)। हिन्दू धर्म में एक रीति प्राण प्रतिष्ठा पूजा की जाती है (मूर्ति में उनके पवित्र आगमन के लिये) तथा शोधसोपचरा (भगवान को 16 तरीकों से सम्मान देना) की जाती है। 10 दिनों की पूजा के दौरान कपूर, लाल चन्दन, लाल फूल, नारियल, गुड़, मोदक और दुराव घास चढ़ाने की प्रथा है। पूजा की समाप्ति के समय गणेश विसर्जन में लोगों की भारी भीड़ विघ्नहर्ता को खुशी-खुशी विदा करती है।

इस उत्सव में लोग गणेश की मूर्ति को घर ले आते है अगले 10 दिनों तक पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करते है। अनन्त चतुर्दशी अर्थात् 11वें दिन गणेश विसर्जन करते है और अगले वर्ष दुबारा आने की कामना करते है। लोग उनकी पूजा बुद्धि तथा समृद्धि की प्राप्ति के लिये करते है। इस उत्सव को विनायक चतुर्थी या विनायक छवि (संस्कृत में) भी कहते है।

गणेश चतुर्थी मनाने का कारण – निबंध 4 (600 शब्द)

गणेश चतुर्थी मनाने के दौरान लोग भगवान गणेश (विघ्नेश्वर) की पूजा करते है। गणेश हिन्दू धर्म में सबसे प्रसिद्ध देवता है जो परिवार के सभी सदस्यों द्वारा पूजे जाते है। किसी भी क्षेत्र में कोई भी नया कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी लोगों द्वारा हमेशा पूजे जाते है। ये उत्सव खासतौर से महाराष्ट्र में मनाया जाता है हालाँकि अब ये भारत के लगभग सभी राज्यों में मनाया जाता है। ये हिन्दुओं का महत्वपूर्ण पर्व है। लोग गणेश चतुर्थी पर पूरी भक्ति और श्रद्धा से ज्ञान और समृद्धि के भगवान की पूजा करते है।

गणेश चतुर्थी मनाने का कारण

लोग ऐसा भरोसा करते है कि गणेश जी हर साल ढेर सारी खुशी और समृद्धि के साथ आते है और जाते वक्त सभी दुखों को हर जाते हैं। इस उत्सव पर गणेश जी को खुश करने लिये भक्त विभिन्न प्रकार की तैयारियाँ करते है। उनके सम्मान और स्वागत के लिये गणेश जी के जन्मदिवस के रुप में इसे मनाया जाता है। ये उत्सव भाद्रपद (अगस्त और सितंबर) के महीने में शुक्ल पक्ष में चतुर्थी पर शुरु होता है और 11वें दिन अनन्त चतुर्दशी पर खत्म होता है। हिन्दू धर्म में गणेश की पूजा बहुत मायने रखती है। ऐसा माना जाता है कि जो कोई पूरी भक्ति और विश्वास के साथ उनकी पूजा करेगा उसे वो खुशी, ज्ञान तथा लंबी आयु प्रदान करेंगे।

गणेश चतुर्थी के दिन लोग सुबह जल्दी ही स्नान कर लेते है, साफ कपड़े पहन कर भगवान की पूजा करते है। वो मंत्रोच्चारण, आरती गाकर, हिन्दू धर्म के दूसरे रिती-रिवाज निभाकर, भक्ति गीत गाकर भगवान को बहुत कुछ चढ़ाते है और प्रार्थना करते है। इसके पहले ये उत्सव केवल कुछ परिवारों में ही मनाया जाता था। बाद में ये बड़े उत्सव के रुप में मनाया जाने लगा हालाँकि बाद में इसको बड़ा बनाने के लिये इसमें मूर्ति स्थापना और विसर्जन शामिल किया गया साथ ही इससे दुखों से मुक्ति मिलने लगी। 1983 में लोकमान्य तिलक (सामाजिक कार्यकर्ता, भारतीय राष्ट्र वादी तथा स्वतंत्रता सेनानी) के द्वारा इस उत्सव की शुरुआत हुई। उस समय अंग्रेजी शासन से भारतीयों को बचाने के लिये एक गणेश पूजा की प्रथा बनायी।

अब के दिनों में गैर ब्राह्मण और ब्राह्मण के बीच की असमानता को हटाने के लिये एक राष्ट्रीय उत्सव के रुप में गणेश चतुर्थी मनाया जाता है। भगवान  गणेश को कई नामों से जाना जाता है इसमें से कुछ है- एकदन्ता, असीम, शक्तियों के भगवान, हेरांबा (विघ्नहर्ता), लंबोदर, विनायक, भगवानों के भगवान, बुद्धि, समृद्धि तथा संपत्ति के भगवान आदि। गणेश विसर्जन की पूर्ण हिन्दू प्रथा के साथ 11वें दिन (अनन्त चतुर्दशी) पर लोग गणेश को विदा करते है। वो भगवान से प्रार्थना करते है कि वो अगले वर्ष फिर से पधारें और अपना आशीर्वाद दें।

भगवान गणेश के 12 नाम और उनके अर्थ

भगवान गणेश को अलग-अलग राज्यों में 12 अलग-अलग नामों से जाना जाता है । नारद पुराण में भगवान गणेश जी के 12 नामों का उल्लेख किया गया है जो कि इस प्रकार है।

सुमुख – सुंदर मुख वाले

एकदंत – एक दंत वाले

कपिल – कपिल वर्ण वाले

गज कर्ण – हाथी के कान वाले

लंबोदर- लंबे पेट वाले

विकट – विपत्ति का नाश करने वाले

विनायक – न्याय करने वाले

धूम्रकेतू- धुंए के रंग वाले पताका वाले

गणाध्यक्ष- गुणों और देवताओं के अध्यक्ष

भाल चंद्र – सर पर चंद्रमा धारण करने वाले

गजानन – हाथी के मुख वाले

विघ्ननाशक- विघ्न को खत्म करने वाले

इस दिन सभी भक्त अपने घरों, दफ्तरों या शैक्षिक संस्थानों में गणेश जी की मूर्ति को सजाते हैं। उस दिन वहां गणेश आरती और मन्त्रों के उच्चारण के साथ उनकी पूजा की जाती है। लोग भगवान गणेश से सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं और साथ ही ज्ञान माँगते हैं। पूजा के बाद सभी लोगों को प्रसाद दिया जाता है।

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गणेश चतुर्थी

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Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi : विद्यार्थियों के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में गणेश चतुर्थी पर लिखित निबंध

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  • Updated on  
  • दिसम्बर 8, 2023

Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi

भारतीय सनातन संस्कृति के अनुयायियों द्वारा मनाया जाने वाला पर्व गणेश चतुर्थी, विनायक चतुर्थी और गणेशोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम देव का स्थान प्राप्त है, गणेश चतुर्थी का पवित्र उत्सव हर वर्ष भारत के विभिन्न राज्यों में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ganesh chaturthi in hindi के शुभावसर पर आपको इस पोस्ट में 100, 200 और 500 शब्दों में गणेश चतुर्थी पर निबंध (Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi) पढ़ने को मिलेगा, जो विद्यार्थियों के लिए परीक्षा-असाइनमेंट की दृष्टि से तो महत्वपूर्ण होगा ही, साथ ही अपनी सनातन जड़ों से जुड़ने का भी एक बेहतर अवसर होगा।

Ganesh Chaturthi in Hindi क्यों मनाया जाता है?

गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में लिखने से पहले आपको गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है इसके बारे में जान लेना चाहिए। पौराणिक कथा के मुताबिक भादो माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश का जन्म ​हुआ था, इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश के जन्मोत्सव के दिन लोग उन्हें अपने घरों में लेकर आते हैं और विधि-विधान से 11 दिनों तक उनका पूजन करते हैं। इस पर्व को मनाने का उद्देश्य घर में सुख, शांति और समृद्धि के उद्देश्य से मनाया जाता है।

Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi (100 शब्दों में) 

गणेश चतुर्थी, हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार भगवान गणेश के जन्म की खुशी में मनाया जाता है और भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्सव आयोजित होते हैं। इस दिन लोग गणेश जी की मूर्ति स्थापित करके पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को समुद्र में विसर्जन किया जाता है, जिससे उनका विश्वास होता है कि वे फिर से आएंगे। ganesh chaturthi in hindi को हिन्दू संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और सामाजिक एकता को बढ़ावा देता है।

Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi (200 शब्दों में)

गणेश चतुर्थी पर निबंध 200 शब्दों में कुछ इस प्रकार है –

गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं और उन्हें विधि-विधान से पूजते हैं। गणेश चतुर्थी का त्योहार 11 दिनों तक चलता है और अंतिम दिन, यानी अनंत चतुर्दशी के दिन, भगवान गणेश को विसर्जित कर दिया जाता है।

गणेश चतुर्थी का त्योहार भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में इसे सबसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और मिठाइयां खाते हैं। गणेश चतुर्थी को एक खुशी का त्योहार माना जाता है और इस दिन लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं।

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, यानी वे सभी बाधाओं को दूर करते हैं। इसलिए, इस दिन लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं ताकि उन्हें नई शुरुआत में सफलता मिले। गणेश चतुर्थी का त्योहार एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है। इस दिन लोग एक साथ मिलकर त्योहार मनाते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं।

गणेश चतुर्थी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें खुशी और समृद्धि का आशीर्वाद देता है।

Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi

Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi (500 शब्दों में)

500 शब्दों में गणेश चतुर्थी पर निबंध कुछ इस प्रकार है –

गणेश चतुर्थी क्या है?

गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान गणेश के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। यह त्योहार भारत और विशेषकर महाराष्ट्र, गुजरात, कर्णाटक, और तमिलनाडु जैसे राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसे आसानी से समझा जा सकता है कि इसके पीछे कितना महत्व है, क्योंकि यह समाज के लिए एकता, सामराज्य, और धर्मिक भावनाओं का प्रतीक है।

गणेश चतुर्थी का आयोजन 

गणेश चतुर्थी का आयोजन भगवान गणेश के मूर्ति स्थापना के साथ होता है। इसके लिए लोग आमतौर पर बाजार से सुंदर और आकर्षक मूर्तियों की खोज करते हैं और उन्हें घरों में स्थापित करते हैं। मूर्तियों की साज-सजाक, रंग-बिरंगी वस्त्र और फूलों की देकोरेशन से घरों में खास महौल बनता है। इसके बाद, प्रात: काल या सन्ध्या के समय, लोग मूर्ति के सामने जाकर विशेष पूजा करते हैं। इस पूजा में गणपति आरती गाई जाती है और प्रसाद चढ़ाया जाता है।

गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों में और समुद्र किनारे पर महाराष्ट्र में गणपति प्रतिमा की विसर्जन का आयोजन करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान, लाखों लोग उन्हें समुद्र में ले जाते हैं, जिससे उनका मानना होता है कि भगवान गणेश अपने लोक आगमन के लिए विसर्जित हो जाते हैं। यह दृश्य अद्भुत होता है और लोग इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।

गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं। वे विभिन्न प्रकार के खाने-पीने का आयोजन करते हैं और अपने प्यारे भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

गणेश चतुर्थी का महत्व 

इस त्योहार का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक ही नहीं होता, बल्कि यह एकता और समाजिक सौहार्द को बढ़ावा देता है। लोग समुद्र किनारे पर गणेश विसर्जन के दौरान एक साथ मिलकर नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं और साथ ही अपने समुदाय के सदस्यों के साथ समय बिताते हैं। इसके अलावा, गणेश चतुर्थी के दौरान लोग चारित्रिक पर्व समारोह का आयोजन करते हैं, जिसमें नृत्य, संगीत, और नाटक की प्रस्तुतियाँ होती हैं, जो अक्सर हिन्दू धर्म की महत्वपूर्ण कथाओं पर आधारित होती हैं।

गणेश चतुर्थी का महत्व यह भी है कि यह पर्यावरण के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देता है। गणपति प्रतिमा के विसर्जन के समय, लोग जल, प्रदूषण और पर्यावरण की सुरक्षा के मामले में जागरूकता बढ़ाते हैं और समुद्र को साफ रखने के लिए उनके निर्णयों का साथ देते हैं।

गणेश चतुर्थी हिन्दू संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह समाज में एकता, सामराज्य, और धार्मिक भावनाओं का प्रतीक है। यह त्योहार हमें धर्मिकता, परंपरा, और प्रेम की महत्वपूर्ण शिक्षाएं देता है और समाज को एक साथ आने के लिए प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा, यह हमें पर्यावरण संरक्षण के महत्व की भी सिख देता है और हमें अपने क्रियाकलापों को प्राकृतिक संसाधनों के साथ सावधानी से जोड़ने का संदेश देता है।

निष्कर्ष 

समुप्ति के रूप में, गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक रंगीन और आदर्श त्योहार है, जो हमारे समाज की सांस्कृतिक धरोहर को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देता है। इसे एक साथ आकर मनाने से हमारे समुदाय में एकता और सौहार्द बढ़ता है और हमें पर्यावरण के प्रति भी जागरूक बनाता है।

गणेश चतुर्थी भगवान गणेश की पूजा के लिए मनाया जाने वाला हिन्दू त्योहार है, जो भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भाग्य, सौभाग्य, विद्या, और समृद्धि की देवी सरस्वती के आगमन की यात्रा के रूप में भी माना जाता है।

गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो साल के विभिन्न महीनों में हो सकती है, लेकिन आमतौर पर सितंबर और अक्टूबर के बीच मनाई जाती है।

गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश की मूर्ति को घरों में या पंडालों में स्थापित किया जाता है। उनकी पूजा धूप, दीप, फल, मिठाई, मोदक, और अन्य प्रसाद के साथ की जाती है। भजन-कीर्तन और आरती भी आयोजित की जाती हैं।

गणेश चतुर्थी के उत्सव के बाद, भगवान गणेश की मूर्ति को विसर्जित किया जाता है। यह विसर्जन प्रक्रिया अनेक दिनों तक चलती है और अक्सर नदी, समुंदर या झील में गणपति बाप्पा की मूर्ति को डूबाया जाता है।

गणेश चतुर्थी का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अधिक है। भगवान गणेश को विधि, बुद्धि, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, और उनकी पूजा से भक्तों को सफलता और खुशियाँ प्राप्त होती हैं।

यह था गणेश चतुर्थी पर निबंध, Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi पर हमारा ब्लॉग। इसी तरह के अन्य निबंध से सम्बंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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विशाखा सिंह

A voracious reader with degrees in literature and journalism. Always learning something new and adopting the personalities of the protagonist of the recently watched movies.

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 गणेश चतुर्थी पर निबंध 10 lines (Ganesh Chaturthi Essay in Hindi) 100, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

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Ganesh Chaturthi Essay in Hindi – गणेश चतुर्थी एक त्यौहार है जो भगवान गणेश के जन्म का जश्न मनाता है। यह भाद्रपद माह (अगस्त या सितंबर) में चंद्रमा के बढ़ने के चौथे दिन पड़ता है। यह एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है. यदि कोई गणेश चतुर्थी के दौरान महाराष्ट्र या गोवा में मौजूद है तो वह शानदार उत्सव और चारों ओर रोशनी, रंग, ध्वनि और खुशी से मंत्रमुग्ध हो जाएगा।

गणेश चतुर्थी पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Ganesh Chaturthi Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) गणेश चतुर्थी भारत में सबसे प्रतीक्षित त्योहारों में से एक है।
  • 2) हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गणेश चतुर्थी भादों महीने में आती है।
  • 3) ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था।
  • 4) इस दिन लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति लाते हैं।
  • 5) यह उत्सव लगातार ग्यारह दिनों तक चलता है।
  • 6) लोग भगवान गणेश के लिए ‘मोदक’ सहित कई खाद्य पदार्थ तैयार करते हैं।
  • 7) कई लोग योगदान देते हैं और गणेश प्रतिमा के लिए पंडाल बनाते हैं।
  • 8) महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात आदि राज्य इस त्योहार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
  • 9) गणेश चतुर्थी के दौरान, आप चारों ओर भक्ति गीत सुन सकते हैं।
  • 10) अंतिम दिन, मूर्ति को विसर्जन के लिए जलाशयों में ले जाया जाता है।

 गणेश चतुर्थी पर निबंध 100 शब्द (Essay on Ganesh Chaturthi 100 words in Hindi)

गणेश चतुर्थी एक हिंदू त्योहार है जो भगवान गणेश के जन्मदिन पर मनाया जाता है जो भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं। इस त्योहार के दौरान, लोग बड़ी भक्ति और प्रशंसा के साथ भगवान गणेश से प्रार्थना करते हैं। यह त्यौहार ग्यारह दिनों तक चलता है जिसके दौरान विभिन्न उत्सव होते हैं। विशेष अवसर की खुशी में एक विशेष प्रकार की मिठाई बनाई जाती है जिसे मोदक कहा जाता है। यह त्यौहार सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में मनाया जाता है। ग्यारह दिनों के अंत में, भक्त अपनी मूर्तियों को समुद्र में ले जाते हैं जहां भगवान गणेश को अलविदा कहने के लिए प्रतिष्ठित विसर्जन होता है।

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 गणेश चतुर्थी पर निबंध 200 शब्द  (Essay on Ganesh Chaturthi 200 words in Hindi)

गणेश चतुर्थी भारत में सबसे अधिक मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। इस त्योहार का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। वैसे तो यह देश के विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में यह विशेष रूप से मनाया जाता है। यह हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे श्रद्धालु हर साल बड़ी तैयारी और उत्साह के साथ मनाते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी हर साल भगवान गणेश के जन्मदिन पर मनाई जाती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है जिसका अर्थ है भक्तों के लिए सभी बाधाओं को दूर करने वाला और विघ्नकर्ता का अर्थ है शैतान के लिए समस्याओं का निर्माता।

गणेश चतुर्थी 11 दिनों तक चलने वाला हिंदू त्योहार है जो चतुर्थी को घर या मंदिर में मूर्ति स्थापना के साथ शुरू होता है और अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के साथ समाप्त होता है। भगवान गणेश के भक्त प्रार्थना करते हैं, प्रसाद (विशेष रूप से मोदक) चढ़ाते हैं, भक्ति गीत गाते हैं, मंत्र पढ़ते हैं, आरती करते हैं और उनसे ज्ञान और समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं। इसे पंडालों या मंदिरों या समुदाय में परिवारों या लोगों के समूह द्वारा अलग-अलग मनाया जाता है।

गणेश विसर्जन (मतलब मूर्ति को पानी में विसर्जित करना) पूजा का एक विशेष और सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह गणेश विसर्जन के मुहूर्त के अनुसार किया जाता है। घरों के बच्चे इस पूजा में बढ़-चढ़कर शामिल होते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

 गणेश चतुर्थी पर निबंध 250 शब्द (Essay on Ganesh Chaturthi 250 words in Hindi)

गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जो हिंदुओं के जीवन में बहुत अधिक महत्व रखता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि गणेश चतुर्थी माता पार्वती के पुत्र भगवान श्री गणेश के जन्म की खुशी में मनाई जाती है।

गणेश चतुर्थी उत्सव

भगवान श्री गणेश को कई नाम दिए गए हैं, कुछ लोग उन्हें गणपति बप्पा कहते हैं, कुछ लोग उन्हें गजानन कहते हैं और कुछ लोग उन्हें विघ्नहर्ता कहते हैं। लोगों का मानना ​​है कि भगवान श्री गणेश हमारे सभी कष्टों को हर लेते हैं और हमें खुशियाँ देते हैं इसलिए वे उन्हें विघ्नहर्ता कहते हैं जिसका अर्थ है सभी दुखों और कष्टों को दूर करने वाले।

गणेश चतुर्थी एक दिन का उत्सव नहीं है बल्कि इसका उत्सव लगातार ग्यारह दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत पहले दिन अर्थात चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश की सुंदर रूप से सजाई गई मूर्ति लाकर या उसका स्वागत करके की जाती है और यह ग्यारहवें दिन यानी अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होती है।

लोग लगातार ग्यारह दिनों तक भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करते हैं। वे पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों में भी जाते हैं और घर पर भी पूजा-अर्चना करते हैं। वे कई तरह के पकवान बनाकर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा पर चढ़ाते हैं। शहर में भी कई पंडाल या गणेश मंडप बने हुए हैं। लोग अपने परिवार के साथ पंडालों में जाते हैं और खूब उत्साह रखते हैं। ग्यारह दिनों तक लगातार कई मेले भी लगते हैं। बच्चों को मेले में जाना बहुत अच्छा लगता है। लोग इस त्योहार का खूब आनंद लेते हैं.

गणेश चतुर्थी हिंदुओं का पवित्र त्योहार है। यह मुख्य रूप से भारत में मनाया जाता है। लोग इसे बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं।

गणेश चतुर्थी पर निबंध 300 शब्द  (Essay on Ganesh Chaturthi 300 words in Hindi)

गणेश चतुर्थी भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहार है। इसे हर साल हिंदू धर्म के लोगों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। बच्चे भगवान गणेश से बहुत प्यार करते हैं और बुद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा करते हैं। लोग त्योहार की सटीक तारीख से एक महीने या सप्ताह पहले पूजा की तैयारी शुरू कर देते हैं। इस त्योहारी सीजन में बाजार पूरी तरह से गुलजार हो गया है। जनता के बीच मूर्ति की बिक्री बढ़ाने के लिए हर जगह दुकानों को गणेश की आकर्षक मूर्तियों और बिजली की रोशनी से सजाया गया है।

भक्त भगवान गणेश को अपने घर लाते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ मूर्ति स्थापना करते हैं। हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि जब गणेश जी घर पर आते हैं तो घर में ढेर सारी बुद्धि, समृद्धि और खुशियां लाते हैं, लेकिन जब 10 दिनों के बाद वापस जाते हैं तो सभी समस्याएं और बाधाएं अपने साथ ले जाते हैं। भगवान गणेश को बच्चे बहुत प्रिय हैं और वे उन्हें मित्र गणेश कहकर बुलाते हैं। लोगों का समूह गणेश जी की पूजा के लिए पंडाल तैयार करता है। वे पंडाल को आकर्षक बनाने के लिए फूलों और लाइटिंग से सजाते हैं। आसपास के क्षेत्रों से कई लोग प्रतिदिन भगवान की पूजा और प्रसाद चढ़ाने के लिए पंडाल में आते हैं। वे बहुत सी चीजें और विशेष रूप से मोदक पेश करते हैं क्योंकि उन्हें मोदक बहुत पसंद है।

यह अगस्त या सितंबर माह में 10 दिनों तक मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पूजा में दो महत्वपूर्ण प्रक्रियाएँ शामिल हैं; एक है मूर्ति स्थापना और दूसरा है मूर्ति विसर्जन (जिसे गणेश विसर्जन भी कहा जाता है)। हिंदू धर्म में प्राणप्रतिष्ठा पूजा (मूर्ति में भगवान की पवित्र उपस्थिति के लिए आह्वान करना) और षोडशोपचार (भगवान का सम्मान करने के लिए सोलह तरीकों का उपयोग करके पूजा करना) करने का एक अनुष्ठान है। दस दिनों तक पूजा करते समय दूर्वा घास और मोदक, गुड़, नारियल, लाल फूल, लाल चंदन और कपूर चढ़ाने का विधान है। पूजा के अंत में गणेश विसर्जन में लोगों की भारी भीड़ खुशी-खुशी शामिल होती है।

गणेश चतुर्थी पर निबंध 500 शब्द  (Essay on Ganesh Chaturthi 500 words in Hindi)

गणेश चतुर्थी भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। भारत के लोग इस त्योहार का पूरे साल बेसब्री से इंतजार करते हैं। वैसे तो यह पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र राज्य में इसे सबसे ज्यादा उत्साह के साथ मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी एक हिंदू त्योहार है जो धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। यह त्यौहार हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मनाया जाता है जिसमें कहा गया है कि गणेश चतुर्थी भगवान गणेश का जन्मदिन है। हिंदू भगवान गणेश को सभी बाधाओं का निवारण करने वाला मानते हैं। लोगों का मानना ​​है कि भगवान गणेश हर साल समृद्धि और सफलता लेकर आते हैं।

इसके अलावा, वे इस त्योहार के साथ अपने घरों में भगवान गणेश का स्वागत इस विश्वास के साथ करते हैं कि वह उनके सभी कष्टों को दूर कर देंगे। गणेश चतुर्थी पूरे देश में खुशी का माहौल बनाती है और लोगों को उत्सव से भर देती है।

गणेश चतुर्थी की विशेषता

गणेश चतुर्थी पूरे 11 दिनों तक मनाई जाती है। इसकी शुरुआत चतुर्थी से होती है जब लोग अपने घरों और मंदिरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं। यह त्यौहार अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के साथ समाप्त होता है। भगवान गणेश के भक्त भगवान से प्रार्थना करते हैं। वे उनके लिए भक्ति गीत गाते हैं और उनकी प्रशंसा में विभिन्न मंत्रों का पाठ करते हैं। वे भगवान की आरती करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे भगवान गणेश को मिठाइयाँ चढ़ाते हैं। गणेश चतुर्थी पर विशेष रूप से मोदक की आवश्यकता होती है। भक्त भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाते हैं, जो भगवान की पसंदीदा मिठाई है। मोदक मीठे पकौड़े हैं जिन्हें लोग नारियल और गुड़ से भरकर बनाते हैं। वे या तो उन्हें भूनते हैं या भाप में पकाते हैं। घरों और मिठाई की दुकानों पर लोग इस मीठे व्यंजन को बनाते हैं। वे ज्यादातर गणेश चतुर्थी के आसपास देखे जाते हैं और बच्चों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।

गणेश चतुर्थी का उत्सव

11 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार की शुरुआत लोगों के सुबह उठकर स्नान करने से होती है। वे इस त्योहार के लिए नए कपड़े खरीदते हैं और सुबह स्नान करने के बाद इन साफ ​​कपड़ों को पहनते हैं। वे मंत्रोच्चार और गीतों के पारंपरिक अनुष्ठानों का पालन करते हैं।

प्रारंभ में, गणेश चतुर्थी कुछ परिवारों में मनाई जाती थी। बाद में, यह हर जगह फैल गया और इस तरह मूर्तियों की स्थापना और पानी में विसर्जन शुरू हो गया। इसने गणेश चतुर्थी को जीवन से भी बड़ा उत्सव बनाने की शुरुआत की। दूसरे शब्दों में, मूर्ति विसर्जन बुराई और कष्टों से मुक्ति को दर्शाता है। लोग पंडाल लगाकर भगवान गणेश की शानदार मूर्तियां बनाते हैं। त्योहार के अंत में जब विसर्जन होने वाला होता है, तो लोग एक पूर्ण जुलूस निकालते हैं। लोग सैकड़ों और हजारों की संख्या में बाहर आते हैं और नृत्य करते हुए नदियों और महासागरों की ओर जाते हैं।

जब गणेश चतुर्थी समाप्त होती है, तो वे हर साल भगवान गणेश की वापसी के लिए प्रार्थना करते हैं। वे हर साल इस त्योहार का इंतजार करते हैं। नदी या समुद्र में भगवान गणेश की मूर्ति का अंतिम विसर्जन गणेश चतुर्थी के अंत का प्रतीक है।

संक्षेप में, गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के सम्मान में एक मौज-मस्ती से भरा त्योहार है। पूरे भारत में लोग इसका भरपूर आनंद लेते हैं। भगवान गणेश के सभी भक्त जाति और रंग के मतभेदों के बावजूद एक साथ आते हैं। गणेश चतुर्थी खुशियाँ फैलाती है और सभी लोगों को एकजुट करती है।

गणेश चतुर्थी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 गणेश चतुर्थी का त्यौहार कितने दिनों तक मनाया जाता है.

उत्तर. गणेश चतुर्थी का त्योहार दस दिनों तक मनाया जाता है।

Q.2 गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को कौन सी विशेष मिठाई का भोग लगाया जाता है?

उत्तर. मोदक गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को चढ़ाई जाने वाली विशेष मिठाई है।

Q.3 गणेश चतुर्थी मनाने की शुरुआत किसने की?

उत्तर. बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी मनाने की शुरुआत की।

Q.4 भारत में गणेश चतुर्थी मुख्य रूप से कहाँ मनाई जाती है?

उत्तर. गणेश चतुर्थी मुख्य रूप से भारत के महाराष्ट्र राज्य में मनाई जाती है।

Q.5 भारत में भगवान गणेश की सबसे ऊंची प्रतिमा कहाँ स्थित है?

उत्तर. खैरताबाद गणेश भगवान गणेश की सबसे ऊंची प्रतिमा भारत के तेलंगाना राज्य के नगरकुर्नूल शहर में स्थित है।

गणेश चतुर्थी पर निबंध Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi

गणेश चतुर्थी पर निबंध Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi

इस लेख में गणेश चतुर्थी पर निबंध (Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi)  बेहद आकर्षक रूप से लिखा गया है। इस लेख में गणेश चतुर्थी क्या है तथा यह कब तथा क्यों मनाई जाती हैं साथ ही गणेश चतुर्थी का महत्व, पौराणिक कहानियां, पूजा व्रत की पद्धतियां तथा गणेश चतुर्थी पर 10 लाइन इस निबंध मैं बेहतरीन ढंग से लिखा गया हैं।

Table of Contents

प्रस्तावना (गणेश चतुर्थी पर निबंध Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi) 

सनातन संस्कृति में धार्मिक तथा सांस्कृतिक त्योहारों का बड़ा महत्व है। इस संस्कृति के अंतर्गत आने वाले पर्वों में आध्यात्मिक तथा वैज्ञानिक रहस्य छुपे होते हैं। गणेश चतुर्थी भी उन्हीं पर वह में से एक हैं जिसके प्रत्यक्ष और परोक्ष फायदे जनसमूह को मिलते हैं।

अपने अथाह प्रयासों और षड्यंत्रों के बावजूद जब अंग्रेजी हुकूमत सनातन संस्कृति की नींव को हिलाने में असफल रही तो उन्होंने सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में अफवाह फैला कर तथा अनुचित नियम कानून लाकर उन्हें बंद करा दिया।

परिणामस्वरूप तमाम गुरुकुल, आयुर्वेद शाला तथा पर्व आयोजन प्रक्रियाए बंद होती चली गई। इसके कारण हिंदू एकता बिखरती चली गई। लेकिन कुछ महापुरुषों ने अपनी दूरदर्शिता से इसके दूरगामी परिणाम देखें तथा उसके उपाय का ताना-बाना बुनने लगे।

उन्होंने पौराणिक कथाओं को पर्व के रूप में फिर से मनाने की प्रक्रिया शुरू की। आज हम जितने भी त्यौहार मनाते हैं, उनमें से अधिकतर में प्राण प्रतिष्ठा उन महापुरुषों द्वारा ही की गई है।

छत्रपति शिवाजी महाराज ने गणेश चतुर्थी को पूरे महाराष्ट्र में मनाने की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन अंग्रेजों ने अपने काले कानूनों से इसे बंद करवा दिया था।लेकिन साल 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे फिर से प्राण प्रतिष्ठित किया।

गणेश चतुर्थी क्या है What is Ganesh Chaturthi in Hindi

गणेश चतुर्थी एक हिंदू त्यौहार है जिस दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश का जन्म हुआ था। हर वर्ष शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी कब है? When is Ganesh Chaturthi?

इस वर्ष गणेश चतुर्थी हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार गणेश चतुर्थी 10 सितंबर दिन शुक्रवार को पड़ रहा है। मुहूर्त की दृष्टि से यह तिथि बेहद सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है? Why is Ganesh Chaturthi Celebrated in Hindi

सनातन संस्कृति में हर त्यौहार के पीछे गूढ़ रहस्य छिपे होते हैं। सामान्य बुद्धि का इंसान इन रहस्यों को नास्तिकता की दृष्टि से दिखता है तथा इसके ज्ञान और फल से वंचित रह जाता है।

भारत देश सदियों तक विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण से संघर्ष करता रहा। विदेशी लुटेरों ने सनातन संस्कृति को नष्ट करने का भरपूर प्रयास किया। कई हद तक वे अपनी कोशिशों में कामयाब भी रहे।जिसके कारण हिंदू धर्म के लोग संकीर्ण मानसिकता तथा नास्तिकता व छद्म सेकुलरवादी विचारधारा से घिर गए।

हिंदू समाज के लोगों को पाश्चात्य मानसिकता से बचाने के लिए हिंदू पर्व के पुनरुत्थान की प्रक्रिया शुरू की गई जिसमें हिंदू महापुरुषों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तथा उन्होंने नास्तिकता व झूठे सेकुलरवादी विचारधारा से हिंदू युवाओं तथा जनसमूह को निकाला।

गणेश चतुर्थी मनाए जाने के पीछे आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक तीन कारण हैं। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इस दिन को एक विशेष दिन माना जाता है जिसमें किसी भी पूजा अनुष्ठान अथवा प्रार्थना का ज्यादा असर होता है।

इस पर्व के सांस्कृतिक कारणों में सनातन धर्म के उन रहस्यों से अवगत कराना है जो सामान्य मानवी के समझ से बाहर होता है। सनातन संस्कृति को विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति मानी जाती है। दुनिया के सभी धर्मों संप्रदायों की उत्पत्ति सनातन के द्वारा ही हुई है।

ऐसे में अपनी संस्कृति के वास्तविक रूप के प्रति गौरव तथा उत्साह को बनाए रखना एक बड़ा मुद्दा था। उदाहरण स्वरूप भगवान शंकर के द्वारा विषपान का हवाला देकर आज कई लोग नशे के उन्माद में खोए रहते हैं तथा खुद के हानि के साथ अपनी संस्कृति की भी हानि करते हैं।

गणेश चतुर्थी के माध्यम से लोगों को यह सोचने पर मजबूर किया जाता है वास्तव में भगवान शंकर कौन है? तथा यह पौराणिक कथाएं किस ओर इशारा कर रही हैं? ईश्वर का वास्तविक रूप क्या है?

इस त्योहार के मनाए जाने के पीछे के सामाजिक कारण सर्वविदित हैं। समय के साथ जब हिंदू धर्म के लोग सिर्फ अपने परिवार तक सीमित होते चले गए तो उन्हें एक बहुत बड़ा समय संघर्ष के रूप में गुजारना पड़ा।

  • महापुरुष श्री बाल गंगाधर तिलक ने हिंदू समाज को उनकी संकीर्ण मानसिकता से दूर रखने के लिए गणेश चतुर्थी को एक महापर्व के रूप में मनाने का फैसला किया।

परिणाम स्वरूप गणेश चतुर्थी के दिन पूरे भारत के करोड़ों लोग एकत्रित होने लगे तथा एक मन से भगवान गणेश की उपासना के माध्यम से संगठित होने लगे जिससे हिंदुत्व मजबूत हुआ।

गणेश चतुर्थी का महत्व Importance of Ganesh Chaturthi in Hindi

गणेश चतुर्थी के महत्व को तीन भागों में बांटा जा सकता है। धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा होती है। सनातन संस्कृति में सबसे ज्यादा दिन चलने वाले त्योहारों में गणेश चतुर्थी का नाम प्रथम स्थान पर आता है।

यह 10 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है। सबसे पहले अपनी श्रद्धा व व्यवस्था के अनुसार लोग भगवान श्री गणेश की मूर्तियों कोई स्थापित करते हैं। जिसके कारण स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं।

गणेश चतुर्थी अधिकतर जनसमूह के परस्पर सहयोग से मनाया जाने वाला त्यौहार है। इसमें लोग अपने अनुसार धन राशि दान कर मनाते हैं। इसके माध्यम से लोगों को यह सीख मिलती है कि किसी भी समाज का उत्थान लोगों के पारस्परिक सहयोग से ही मुमकिन हो पाता है।

इसलिए गणेश चतुर्थी के माध्यम से हिंदू समाज में एकता बढ़ती है। बहुत से धर्म मूर्ति पूजा का विरोध करते हैं लेकिन कहीं ना कहीं वह भी किन्हीं चिन्हों का ही प्रयोग करते हैं।

गणेश चतुर्थी के दिन पूजा पद्धतियों में उपयोग होने वाले मंत्रों व कथाओं का मानव जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कहीं ना कहीं यह कथा तथा मंत्र मानवों को उत्थान की ओर धकेलने का काम करते हैं। 

इस त्योहार के माध्यम से लोगों में श्रद्धा विश्वास व खुशी की लहर दौड़ उठती है। जिससे सामाजिक नीरसता का नाश होता है।

गणेश चतुर्थी के दिन हर राज्यों में उनके सांस्कृतिक लोक नृत्य तथा लोक गान का आयोजन होता है जिसके माध्यम से यह सांस्कृतिक विरासत जीवित रहते हैं तथा आने वाली पीढ़ियों को जरूरी ज्ञान देते रहते हैं।

इस त्योहार का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इससे अंग्रेजी हुकूमत घबराने लगी थी तथा असेम्बली में इसका जिक्र करती थी कि गणेश चतुर्थी के दिन युवा सड़कों पर टोली बनाकर ब्रिटिश का विरोध करते हैं तथा बच्चे तथा औरतें पर्चे बांटते हैं। ब्रिटिश शासन काल में ऐसे पर्वों का बेहद खौफ रहा।

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गणेश चतुर्थी की 3 मुख्य कहानियाँ Ganesh Chaturthi Stories in Hindi

गणेश चतुर्थी कहानी 1.

ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने भगवान श्री गणेश के रूप में एक माटी की मूर्ति बनाई थी तथा अपने तेज व शक्ति के उपयोग से उसमें प्राण प्रतिष्ठित किया था। एक बार क्रोध बस भगवान शंकर ने अपने त्रिशूल से भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था।

माता पार्वती के वियोग तथा आवाहन पर उन्होंने उनके सर के स्थान पर एक हाथी का सर लगा दिया तथा उनकी मातृभक्ति से खुश होकर उन्हें सबसे पहले पूजे जाने का आशीर्वाद भी दिया। इसी कारण भगवान श्री गणेश की पूजा सभी देवताओं में सबसे पहले की जाती है।

गणेश चतुर्थी कहानी 2

एक बार देवता किसी संकट में घिरे हुए थे और वे कैलाश आकर भगवान शिव से मदद की गुहार लगा रहे थे। भगवान शंकर के बगल में भगवान श्री गणेश तथा कार्तिकेय बैठे हुए थे। प्रभु शिव ने दोनों से पूछा की कौन देवताओं के समस्या का निवारण जल्दी कर सकता है।

भगवान शिव का प्रश्न सुनकर दोनों ने खुद को सर्वश्रेष्ठ बताया। भगवान शंकर ने दोनों की परीक्षा लेने के लिए एक स्पर्धा का आयोजन किया तथा पृथ्वी की परिक्रमा लगाकर सबसे पहले लौटने वाले को विजई घोषित कर देवताओं की समस्या का निवारण करने की शर्त रखी।

उनके शर्त सुनकर भगवान कार्तिकेय अपनी सवारी मोर पर बैठ कर पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करने के लिए निकल पड़े लेकिन भगवान श्री गणेश की सवारी मूषक उनका वजन न सहकर धीमी गति से आगे बढ़ने लगा तभी श्रीगणेश को एक उपाय सूझा और उन्होंने भगवान शंकर और माता पार्वती को एक चौकी पर बैठा कर उनकी सात परिक्रमा पूरी की।

भगवान श्री गणेश ने कहा कि माता-पिता धरती से भी बड़े होते हैं इसलिए आप दोनों की परिक्रमा कर मैंने पूरी पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर ली। उनकी बुद्धि तथा भक्ति को देखकर भगवान बेहद प्रसन्न हुए तथा देवताओं की रक्षा का कार्यभार उन्हें सौंपा। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विवाह तय हो चुका था तब सभी को न्योता दिया गया लेकिन भगवान गणेश को न्योता नहीं दिया। इससे क्रुद्ध होकर भगवान गणेश नें उनके विवाह में नही जाने का फैसला किया।

जब भगवान् विष्णु को यह बात पता चली तो उन्होंने कहा की न्योता उनकी जगह पर भगवन शंकर को न्योता दिया गया है वे चाहें तो आ सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा की भगवान् गणेश अपनी सवारी चूहे पर न आएँ क्योंकि उनके धीरे चलने से बारात को रुकना पड़ेगा।

उनके तथा बारातियों द्वारा भगवान् गणेश का मजाक उड़ाया गया और कहा गया की भगवान गणेश को द्वारपाल बना दिया जाएगा। इससे दुखी होकर भगवान गणेश ने अपनी व्यथा नारद मुनि को बताई तो नारद मुनि ने उन्हें एक उपाय बताया।

उन्होंने कहा की अपनी मूषक सेना को भेज कर आप बारात के रास्तों को खोदवा सकते हैं जिससे उन्हें आपको बाइज्जत बुलाना ही पड़ेगा। भगवान गणेश ने भी ठीक ऐसा ही किया और अपनी मूषक सेना को भेज कर रास्ते में गड्ढा करवा दिया।

इसके बाद भगवान विष्णु तथा लक्ष्मी जी ने भगवान गणेश का आवाहन किया और उनसे क्षमा मांगी तथा विवाह संपन्न हुआ।

गणेश चतुर्थी पर पूजा और व्रत Worship on Ganesh Chaturthi in Hindi

गणेश चतुर्थी के दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है| लोग प्रातः जल्दी उठकर लाल वस्त्र धारण कर गणेश मंदिर जाते हैं| एक दन्त तथा लम्बोदर के नाम से जाने जाने वाले भगवान की श्रद्धा पूर्वक उपासना करते हैं| पूजा के दौरान श्री गणेश जी का मुख उत्तर या पूर्व दिशा में रखा जाता है। 

पंचामृत में सबसे पहले दूध से गणेश जी का अभिषेक किया जाता है। उसके बाद दही से फिर घी से शहद से ओर अंत मे गंगाजल से अभिषेक किया जाता है। गणेश जी पर रोली ओर कलावा चढ़ाया जाता है। सिंदूर गणेश जो को बहुत अधिक प्रिय  है। इसलिय उनको सिंदूर चढ़ाया जाता है।

रिद्धि – सिद्धि के रूप में दो सुपारी ओर पान चढ़ाया जाते है। इसके बाद फल पिला कनेर ओर दुब फूल चढ़ाया जाता है। उसके बाद गणेश जी की सबसे मनपसंद मिठाई मोदक ओर लड्डू चढ़ाया जाता है। 

भोग चढ़ाने के बाद सभी परिवारजनों द्वारा मिलकर गणेश जी की आरती गाई जाती है।श्री गणेश जी के 12 नामों का ओर उनके मन्त्रो का उच्चारण किया जाता है।

गणेश चतुर्थी पर कविता व मंत्र Poem and Mantra on Ganesh Chaturthi in Hindi

  • ‘ॐ गं गणपतये नमः’।
  • ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा। 
  • ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्व जनं मे वशमानय स्वाहा।
  • ऊँ नमो हेरम्ब मदमोहित मम संकटान निवारय स्वाहा
  • ऊँ गणेश ऋणं छिन्धि वरणयं हुं नमः फट।

हे गौरी के लाल, देवों के तुम सरताज! सुन ले गणेश मेरी पुकार, प्रभु कर दे मेरी नैया पार! रिद्धि-सिद्धि के तुम हो दाता, दीन दुखियों के भाग्य विधाता! तुझमें ज्ञान-सागर अपार, प्रभु कर दे मेरी नैया पार! सब देवों में प्रथम देव तुम, मूषक तुम्हारे पास विराजे! करते पूजन आरती उतार –  कविता सोलंकी

गणेश चतुर्थी पर 10 लाइन 10 lines on Ganesh Chaturthi in Hindi

  • छत्रपति शिवाजी महाराज ने गणेश चतुर्थी को पूरे महाराष्ट्र में मनाने की प्रक्रिया शुरू की थी
  • भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश का जन्म हुआ था।
  • गणेश चतुर्थी मनाए जाने के पीछे आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक तीन कारण हैं।
  • गणेश चतुर्थी 10 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है।
  •  गणेश चतुर्थी अधिकतर जनसमूह के परस्पर सहयोग से मनाया जाने वाला त्यौहार है।
  • गणेश चतुर्थी के माध्यम से हिंदू समाज में एकता बढ़ती है।
  • गणेश चतुर्थी के दिन हर राज्यों में उनके सांस्कृतिक लोक नृत्य कथा लोक गान का आयोजन होता है
  • णेश चतुर्थी हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है|
  • महाराष्ट्र में लाल बाग़ का राजा नामके भगवान श्री गणेश की प्रतिमा भारत की सबसे ऊँची मूर्ति होती है|

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने गणेश चतुर्थी पर निबंध (Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi) पढ़ा आशा है यह लेख आपको सरल तथा जानकारियों से भरपूर लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें|

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गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में | Ganesh Chaturthi Essay In Hindi

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भारत एक ऐसा देश है जहाँ के लोगों का त्यौहारों से एक विशेष जुड़ाव है। यहाँ आये दिन हम कोई न कोई त्यौहार मानते हैं इसीलिए हम भारत देश को त्यौहारों का देश भी कहते हैं।विभिन्न संस्कृतियों का एक साथ संगम आपको विश्व के किसी भी देश में देखने को नहीं मिलेगा, ऐसा संगम सिर्फ और सिर्फ हमारे देश में ही मिलेगा जिसके कारण आये दिन यहाँ कोई न कोई त्यौहार होता है। लेकिन इन में से हमारे कुछ त्यौहार जैसे होली, रक्षाबंधन, दिवाली, ईद, क्रिसमस आदि ऐसे हैं जिन्हे हम सब देशवासी एक साथ मिल कर मनाते हैं। ऐसे ही त्यौहारों में से एक है गणेश चतुर्थी का त्यौहार जिसे हम बहुत हर्षोल्लास के साथ बड़ी ही धूम-धाम से मनाते हैं।

भगवान श्री गणेश के जन्मोत्सव को हम लोग प्रतिवर्ष Ganesh Chaturthi के त्यौहार रूप में मानते हैं। यह गणेश चतुर्थी का त्यौहार करीब 11 दिनों तक चलता है। वैसे तो गणेश चतुर्थी पूरे देश में मनायी जाती है लेकिन पश्चिमी भारत उसमे भी खासकर मुंबई में में इसकी रौनक देखने ही वाली होती है। मुंबई में गणेश चतुर्थी का उत्सव देखते ही बनता है जहाँ इस दौरान देश भर के लोगो का ही नहीं अपितु विदेश तक के लोगो का ताता लगा रहता है।

इस साल Ganesh Chaturthi 2022 का आयोजन 31 अगस्त 2022 को किया जा रहा है। लोग गणेश चतुर्थी के समारोह के दौरान भाषण देते हैं और इसके विषय में बताते हैं। इस पेज के माध्यम से आप गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में पढ़ सकते हैं। इस निबंध से आप गणेश चतुर्थी कब, कैसे और क्यों मनाई जाती है और गणेश चतुर्थी का महत्व आदि के बारे में जान सकते हैं।

गणेश चतुर्थी पर निबंध 400 शब्द में

गणेश चतुर्थी, हिंदू धर्म में मनाया जानें वाला खास त्यौहार है। Ganesh Chaturthi का त्यौहार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर साल अगस्त या सितंबर के महीनें में (हिंदी कैलेंडर के अनुसार भाद्र माह की चतुर्थी) मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्यौहार पूरे 11 दिन का होता है। यह त्यौहार 11 दिनों तक चलने वाला सबसे लंबा त्यौहार है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों में गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति लेकर आते हैं और 10 दिन तक उनकी पूजा करने के बाद 11वें दिन धूम-धाम से गणेश विसर्जन कर देते हैं।

गणेश चतुर्थी का त्यौहार देश के विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है लेकिन मुख्य रूप से महाराष्ट्र में मनाया जानें वाला सबसे बड़ा त्यौहार है। यह त्यौहार चतुर्थी के दिन घर और मंदिर में गणेश मूर्ति स्थापना से शुरू होता है। लोग अपने घरों में गणेश जी मूर्ति बड़ी धूमधाम से ढोल-नगाड़े बजाकर लेकर आते हैं। गणेश चतुर्थी से कुछ दिनों पहले ही बाजारों में रोनक शुरू हो जाती और मिट्टी से बनीं गणेश जी की अलग अलग तरह की प्रतिमाएँ मिलती है। सभी लोग गणेश चतुर्थी से लेकर अगले 10 दिन तक अपने घरों और मंदिरों में गणेश भगवान की पूजा और अराधना करते हैं, गीत गाते हैं, नाच गाना करते हैं, मंत्रोच्चारण करते हैं, आरती करते और गणेश जी को मोदक का प्रसाद चढ़ाते हैं। इन दिनों में मंदिरों में खूब साज-सजावट की जाती। कोई भी नया काम शुरू करने से पहले गणेश भगवान को सबसे पहले याद किया जाता है। गणेश भगवान सभी बच्चों के सबसे प्रिय भगवान हैं। बच्चे उन्हें प्यार से गणेशा बुलाते हैं।

गणेश भगवान के जन्मदिन के रूप में गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। एक बार भगवान शिव ने गुस्से में अपने पुत्र गणेश का सर काट दिया था। लेकिन फिर एक हाथी के बच्चे का सर उनके धड़ से जोड़ दिया गया था। इस तरह से गणेश भगवान ने अपना जीवन दोबारा पाया। इस दिन को ही गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। अन्नत चतुर्दशी के दिन यानि 11वें दिन गणेश विसर्जन के साथ गणेश भगवान को विदा कर दिया जाता है और अगले बरस जल्दी आने की कामना की जाती है।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश जी अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर उतरते हैं और जो कोई भी इस दौरान उनकी पूजा करता है वह जो भी प्रयास करता है उसमें सफलता मिलना निश्चित है। गणेश चतुर्थी को किस तरह से पहली बार मनाया गया था, जिस तरह से यह त्योहार के दौरान चंद्रमा को घूरने के मिथकों से जुड़ा है।

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गणेश चतुर्थी पर शार्ट निबंध 200 शब्द में

गणेश चतुर्थी भारत के सभी बड़े त्यौहारों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी का त्यौहार मुख्य रूप से हिंदूओं का त्यौहार है लेकिन अब सभी धर्म के लोग इस त्यौहार को बड़ी ही धूमधान से मनाते हैं। गणेश चतुर्थी की तैयारियां कुछ दिन पहले ही शुरू कर दी जाती हैं। गणेश चतुर्थी के दिन लोग गणेश जी मूर्ति को सजाकर व नाचते-गाते हुए अपने घरों और मंदिरों में लेकर आते हैं और स्थापित करते हैं। लोग अपने घरों और मंदिरों की साफ-सफाई करते हैं और सजाते है। गणेश चतुर्थी से लेकर अगले 10 दिनों तक भगवान गणेश की पूजा की जाती, भक्ति गीत गाए जाते हैं, मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाता है, अलग अलग तरह के पकवान बनते हैं, मंदिरों में भंडारे का आयोजन भी किया जाता है।

गणेश चतुर्थी के दिन बाजारों में बहुत चहल-पहल रहती है। इस दिन बाजारों में श्री गणेश जी की सुंदर मूर्तियाँ और उनके चित्र बिकते हैं। मिट्टी से बनाई गईं श्री गणेश जी की मूर्तियाँ बहुत ही भव्य लगती हैं। सभी लोग गणेश भगवान जी की मूर्ति को अपने-अपने घरों में उचित स्थान पर स्थापित करते हैं।

गणेश चतुर्थी का त्यौहार अगस्त और सितंबर के महीनें में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस त्यौहार का आयोजन भाद्र के महीनें में किया जाता है। गणेश उत्सव के 10 दिन पूरे होने के बाद 11वें दिन गणेश विसर्जन की तैयारी भी बड़ी ही धूमधाम से की जाती है। गणेश विर्सजन के लिए एक सुंदर रथ बनाया जाता है और रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। जिसके बाद गणेश भगवान की आरती की जाती है और उनकी मूर्ति को रथ में बिठाया जाता है। फिर पूरे शहर में शोभायात्रा निकाली जाती है। गणेश शोभायात्रा में लोग गुलाल उड़ाते हैं, पटाखे जलाते हैं, गणपत्ति बप्पा मोरिया, मंगल मूर्ति मोरिया के नारे लगाये जाते हैं। आज कल लोग डीजे भी बजाने लगे हैं। अाखिरी में शहर के किसी तालाब, नदी या समुंदर में गणेश भगवान की प्रतिमा को विसर्जित कर दिया जाता है।

गणेश चतुर्थी पर 10 लाइनें

  • गणेश चतुर्थी मुख्य रूप से हिंदूओं का त्यौहार है।
  • गणेश उत्सव भाद्र माह (अगस्त और सितंबर) में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।
  • यह त्यौहार श्री गणेश जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • गणेश चतुर्थी 11 दिन का एक विशाल महोत्सव होता है।
  • गणेश चतुर्थी का उत्सव सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है।
  • गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों और मंदिरों में गणेश भगवान की प्रतिमा को स्थापित करते हैं।
  • भगवान गणेश की पूजा में लाल चंदन, कपूर, नारियल, गुड़ और उनका प्रिय मोदक होता है।
  • लोग रोजाना मंत्रों का उच्चारण करते हैं और गीत और आरती गाकर गणेश जी की पूजा करते हैं।
  • पूरे 10 दिनों की पूजा के बाद 11वें दिन गणेश महाराज की प्रतिमाम को विसर्जित कर दिया जाता है।
  • बड़े-बड़े बॉलीवुड स्टार भी गणेश उत्सव में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।

गणेश भगवान के 12 नाम

  • विघ्नविनाशक

गणेश चतुर्थी लेखन हिंदी में

  • गणेश चतुर्थी पर निबंध
  • गणेश चतुर्थी पर शुभकामनाएँ, बधाई

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Nibandh aise 10 line ke nahi hote atleast 500 words to likh lete

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गणेश चतुर्थी पर निबंध – Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi

Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi आज हम गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में लिखने वाले हैं. यह निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है.

Ganesh Chaturthi निबंध को हमने अलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है जिससे अनुच्छेद और निबंध लिखने वाले विद्यार्थियों को कोई भी परेशानी नहीं हो और वह Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi के बारे में अपनी परीक्षा में लिख सकेंगे.

Short Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi

हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों द्वारा प्रत्येक वर्ष अगस्त और सितंबर माह के बीच चतुर्थी के दिन गणेश चतुर्थी त्योहार मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी गणेश जी के जन्मदिन का दिन होता है. हिंदू धर्म में आने वाले बड़े त्योहारों में से एक गणेश चतुर्थी भी है जिसका आयोजन प्रत्येक वर्ष 11 दिनों तक किया जाता है.

essay on ganesh chaturthi in hindi

Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi for all school student

हिंदू धर्म के लोग गणेश जी को अपना इष्ट देवता मानते है जब भी कोई शुभ कार्य करते हैं तब सबसे पहले इन्हीं की पूजा की जाती है. गणेश जी की पूजा सबसे पहले इसलिए की जाती है क्योंकि यह सब के विघ्न हर लेते है इसीलिए गणेश जी का दूसरा नाम विघ्नहर्ता भी है.

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भगवान गणेश को बुद्धि और समृद्धि का देवता भी कहा जाता है इसलिए ये सभी को पसंद है. चतुर्थी के दिन सभी लोगों द्वारा अपने घर पर मिट्टी की गणेश प्रतिमा विराजमान की जाती है और 10 दिनों तक उनकी पूजा की जाती है और अनन्त चतुर्दशी के दिन अथार्त 11वें दिन समुंदर या किसी बड़ी नदी में गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है. गणेश चतुर्थी का यह उत्सव बड़ी धूमधाम से पूरे देश भर में मनाया जाता है.

Ganesh Chaturthi Essay in Hindi 350 Words

गणेश चतुर्थी हिंदू त्योहारों में यह सबसे लंबे चलने वाले त्योहारों में से एक है. यह त्यौहार चतुर्थी के दिन प्रारंभ होता है और अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है यह 11 दिनों तक लंबा चलने वाला त्यौहार है. पूरे देश में सभी जगहों पर यह त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है.

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अगस्त या सितंबर में हिंदू कैलेंडर के चतुर्थी के दिन प्रत्येक घर गली मोहल्लों में गणेश जी की प्रतिमा को विराजमान किया जाता है. प्रतिमा को विराजमान करने से पहले सभी लोग बड़ी धूम-धाम से नाचते बजाते गाते है. श्री गणेश जी की आरती के साथ गणेश जी की प्रतिमा को विराजमान किया जाता है.

फिर 10 दिनों तक सुबह-शाम गणेश जी की प्रतिमा की पूजा की जाती है सभी लोग इस पूजा में भाग लेते है. इस दिन शहर के बड़े-बड़े चौराहों पर रंग बिरंगी लाइट लगाकर हर तरफ रोशनी कर दी जाती है.

गणेश जी का बाल रूप बच्चों द्वारा बहुत पसंद किया जाता है इसलिए बच्चों द्वारा इन्हें बाल गणेशा कह के भी पुकारा जाता है. यह त्योहार प्रमुख रूप से महाराष्ट्र राज्य में मनाया जाता है हालांकि वर्तमान में भारत के सभी राज्यों में गणेश उत्सव मनाया जाता है.

इस त्यौहार का आयोजन हर वर्ष किया जाता है और गणेश जी की मूर्ति घर पर लाई जाती है ऐसा माना जाता है कि जब गणेश जी की मूर्ति घर पर लेकर आते हैं तब सुख और समृद्धि घर में आती है और जब 10 दिनों बाद गणेश जी की मूर्ति को विसर्जन के लिए लेकर जाया जाता है तब ऐसा माना जाता है कि गणेश जी घर से सभी दुख दुविधाए अपने साथ ले जाते है.

गणेश उत्सव का समापन 11 दिन होता है इस दिन श्रद्धालुओं के लिए भंडारा आयोजित किया जाता है जिसमें सभी लोग भोजन ग्रहण करते हैं उसके पश्चात गणेश जी की अंतिम आरती की जाती है. फिर गणेश जी की मूर्ति को नदीय समुंदर तक ले जाने के लिए एक सुंदर रथ में सजाई जाती है और पूरे शहर भर में झांकी और शोभायात्रा निकाली जाती है.

सभी लोग खूब हर्षोल्लास से इस शोभायात्रा में भाग लेते हैं और गणेश जी के आगे बैंड बाजों की धुन पर मस्त मगन होकर नाचते है और अंत में बाबा मोरिया के जयकारे लगाते हुए नदी या तालाब में गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है.

Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi

प्रस्तावना –

गणेश चतुर्थी जी भारत के विभिन्न बड़े त्योहारों में से एक है मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म दिन हुआ था. यह त्योहार मुख्यत है हिंदू समाज के लोगों द्वारा मनाया जाता है लेकिन वर्तमान में सभी धर्मों के लोग गणेश उत्सव को खूब धूमधाम से मनाते है.

Ganesh Chaturthi भारत के लोकप्रिय त्योहारों में से एक है यह त्योहार 10 दिन तक लंबा चलने वाला उत्सव है. इसकी तैयारियां लोगों द्वारा महीनों पहले ही करनी चालू कर दी जाती है. गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है और को धूमधाम से उनकी 10 दिनों तक सुबह शाम पूजा-अर्चना की जाती है.

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सभी हिंदू देवताओं में सबसे पहले भगवान गणेश को पूजा जाता है. 10 दिनों तक पूजा करने के बाद 11वे दिन “अगले वर्ष जल्दी आना की मंगल कामना के साथ” भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है.

गणेश उत्सव कब मनाया जाता है –

गणेश चतुर्थी पूरे भारतवर्ष में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है. इस त्योहार का आयोजन प्रत्येक वर्ष अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त और सितंबर माह के बीच शुभ मुहूर्त के अनुसार किया जाता है जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार इस त्यौहार का आयोजन भाद्र माह में किया जाता है.

इस वर्ष 2018 में इस त्यौहार का आयोजन 13 सितंबर से लेकर 23 सितंबर तक किया गया. यह त्योहार 10 दिनों तक एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. यह त्यौहार चतुर्थी के दिन प्रारंभ होता है और अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है . लेकिन आजकल कुछ जगह इस त्योहार की समाप्ति 7 दिनों के अंदर ही कर दी जाती है.

भगवान गणेश का जन्म कैसे हुआ –

भगवान गणेश के जन्म के पीछे भी बहुत ही आश्चर्यजनक घटना है. पौराणिक ग्रंथों और कहानियों के एक दिन अनुसार मां पार्वती ने स्नान करते समय अपने शरीर के मैल से एक बालक की आकृति की मूर्ति बनाई फिर उन्होंने अपनी दिव्य शक्ति से उस मूर्ति में प्राण फूंक दिए.

जिसके पश्चात उस मूर्ति ने भगवान गणेश का रूप ले लिया लेकिन भगवान गणेश को सभी देवताओं के लोगों द्वारा तब जाना गया जब मां पार्वती ने अपने पुत्र गणेश को कहा कि वे महल के द्वार पर जाकर खड़े हो जाएं क्योंकि वह स्नान कर रही है और आदेश दिया कि किसी को भी महल के अंदर आने न दिया जाए.

पुत्र गणेश जी मां की आज्ञा का पालन करते हुए द्वार पर जाकर खड़े हो गए तभी संयोगवश वर्षों की तपस्या के बाद भगवान शिव जोकि बालक गणेश की पिता है वे आए और महल के अंदर प्रवेश करने लगे तभी बालक गणेश ने उन्हें रोक दिया. भगवान शिव ने बाल गणेश को बहुत समझाया लेकिन बालक गणेश नहीं माने और मां पार्वती के दिए आदेश पर अटल रहे.

भगवान शिव को इस बात पर क्रोध आ गया और उन्होंने बालक गणेश के सिर को धड़ से अलग कर दिया. इस समय भगवान शिव का पता नही था की यह बालक उनका पुत्र है. बालक गणेश की चीख सुनकर मां पार्वती बाहर दौड़ी चली आयी और अपने पुत्र को मृत देख कर बहुत दुखी हुई और साथ ही क्रोधित भी हुई.

जब मां पार्वती ने भगवान शिव को बताया कि यह उनके पुत्र है तो भगवान शिव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने नंदी को आदेश दिया कि सूर्योदय से पहले अपनी मां के साथ सोए हुए किसी भी जानवर का सर काट कर ले कर आओ.

नंदी कुछ समय पश्चात हाथी के बच्चे का सर काट कर ले कर आए और भगवान शिव ने अपने दिव्य शक्ति से उसे अपने पुत्र गणेश के धड़ से जोड़ दिया और बालक गणेश फिर से जीवित हो गए. इस समय सभी देवताओं ने बाल गणेश को अपनी विभिन्न शक्तियां दी.

गणेश उत्सव की तैयारी –

भारत के प्रत्येक राज्य, शहर, गली-मोहल्लों में गणेश उत्सव को बड़ी ही धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है. यह त्योहार मुख्यतः हिंदू लोगों द्वारा मनाया जाता है लेकिन वर्तमान में सभी धर्मों के लोग को बढ़-चढ़कर इस उत्सव में भाग लेते है.

गणेश चतुर्थी की तैयारियां लोगों द्वारा महीनों पहले ही करनी चालू हो जाती है. यह अन्य त्योहारों की तरह एक दिन में समाप्त नहीं होता है इस त्यौहार को उत्सव के रूप में 10 दिनों तक मनाया जाता है. इस त्यौहार की तैयारियों को लेकर मूर्तिकार मिट्टी और प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां महीनों पहले ही बनाना चालू कर देते है.

बाजारों में इस त्यौहार के कुछ दिन पहले ही मूर्तियां सजनी चालू हो जाती है. बाजारों और गली मोहल्लों को रंग बिरंगी लाइटो द्वारा सजाया जाता है जो कि देखने में बहुत ही सुंदर लगता है. इस त्योहार के आने से पहले बाजार में एक अनोखी रौनक आ जाती है लोगों के चेहरों पर खुशी देखते ही बनती है.

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भगवान गणेश की मूर्ति को रंग बिरंगी रंगों से सजाया जाता है. फिर गणेश उत्सव के दिन लोगों द्वारा बाजार से मूर्तियां खरीदकर लाई जाती है और घरों में स्थापित की जाती है. घरों में लोग छोटी मूर्तियां स्थापित करते हैं और नगर के गली मोहल्लों में बड़ी मूर्तियां स्थापित करते है.

जब भी भगवान गणेश की प्रतिमा को गडरिया गली मोहल्लों में स्थापित करने के लिए लाया जाता है तब खूब ढोल नगाड़े बजाए जाते है लोग तरह-तरह के निर्णय कर कर भगवान गणेश का स्वागत करते हैं महिलाओं द्वारा मंगल गान गाए जाते है.

जहां पर मूर्ति स्थापित की जानी होती है वहां पर बहुत बड़ा पांडाल लगाया जाता है साथ ही रोशनी की व्यवस्था के लिए रंग-बिरंगी लाइटे लगाई जाती हैं जिससे पूरा पांडाल जगमग हो जाता है. फिर पंडितो द्वारा भगवान गणेश की आरती की जाती है आरती में नगर के सभी लोग शामिल होते है और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान गणेश जी आरती के पश्चात आशीर्वाद लेते है.

भगवान गणेश की आरती के बाद लोगों को भगवान गणेश के आशीर्वाद के रूप में प्रसाद दिया जाता है ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश को खाने में मोदक (लड्डू) और केले बहुत पसंद है इसलिए प्रसाद भी मोदक और केले का ही होता है.

यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है जिसके कारण शहर के सभी हिस्सों में चहल-पहल बनी रहती है और जैसे-जैसे दिन बीते हैं वैसे-वैसे लोगों द्वारा भजन संध्या का आयोजन और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है और खूब आनंद से इन कार्यक्रमों को देखते है.

गणेश चतुर्थी का महत्व –

हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए गणेश चतुर्थी का महत्व एवं उनके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है. गणेश उत्सव भारत के महाराष्ट्र में सबसे लोकप्रिय है यहां के लोग भगवान गणेश में बहुत आस्था रखते है. माना जाता है कि जो भी भगवान गणेश की प्रतिमा को अपने घर में लेकर आता है तब भगवान गणेश सुख और समृद्धि साथ में लाते है.

और जब भगवान गणेश की प्रतिमा को विसर्जन के लिए लेके जाया जाता है तब माना जाता है कि भगवान गणेश अपने साथ घर के सभी दुखों को अपने साथ ले जाते है.

वर्तमान में लोग एक दूसरे को जानते नहीं है इसलिए गणेश उत्सव के माध्यम से लोग एक साथ इकट्ठा होते है जिससे लोग एक दूसरे को जानने लगते हैं और इससे लोगों के बीच में प्रेम भावना उत्पन्न होती है. यह खुशियों का त्यौहार है जिसके कारण लोग अपने मतभेद भुलाकर एक दूसरे से प्रेम पूर्वक बातें करते है. इस त्यौहार के कारण आपसी रिश्ते मजबूत होते है जो कि हमारे देश को एक जुट करता है.

गणेश चतुर्थी का एक अन्य महत्व भी है जिसने हमारे देश को आजादी दिलाने में भी सहयोग किया क्योंकि जब अंग्रेजों द्वारा भारतीय लोगों के एक साथ इकट्ठे और बैठने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.

जिसके कारण लोग एक दूसरे से विचार विमर्श नहीं कर पा रहे थे क्योंकि धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने पर रोक नहीं लगाई गई थी इसलिए बड़ी ही चतुरता से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी के इस त्यौहार को एक बड़े उत्सव का रूप दे दिया जिसके बाद सभी संगठन इस उत्सव पर मिलने लगे और हमें इस से आजादी में बहुत मदद मिली.

गणेश विसर्जन –

गणेश उत्सव का आखरी दिन गणेश विसर्जन के रूप में जाना जाता है. यह गणेश उत्सव का 11 दिन होता है इस दिन भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है. इस दिन को सभी लोग बहुत शुभ मानते है क्योंकि भगवान गणेश सभी दुखों को हरने वाले माने जाते हैं इसलिए जब भी घर से उनकी विदाई की जाती है तब वे अपने साथ सभी दुखों को हर ले जाते है.

गणेश विसर्जन की तैयारियां खूब धूमधाम से की जाती है इस दिन लोगों द्वारा पांडाल में रंगोलियां बनाई जाती है. और बहुत बड़े भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें सभी लोग पेट भर के प्रसाद ग्रहण करते है. लोगों द्वारा कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जाते है.

सभी लोग अपने घरों में तरह-तरह की मिठाईयां बनाते है और खूब चाव से पूरे मोहल्ले में बांटते है और साथ ही गणपति बप्पा मोरिया के जयकारे लगाते है.

गणेश विसर्जन के लिए एक सुंदर रथ बनाया जाता है जिसे रंग-बिरंगे फूलों द्वारा सजाया जाता है. भगवान गणेश की आरती करने के पश्चात उनकी प्रतिमा को रथ में बिठाया जाता है फिर पूरे शहर में शोभायात्रा निकाली जाती है इसके साथ ही कई रंग बिरंगी झांकियां भी शामिल की जाती है.

इस दिन सभी लोग अपना कामकाज छोड़कर इस उत्सव में भाग लेते हैं और रथ से बड़े-बड़े र से बंधे होते हैं जिनकी सहायता से भगवान गणेश की रथ को खींचा जाता है. इस दिन भगवान गणेश की शोभायात्रा निकालते समय खूब ढोल नगाड़े और पटाखे बजाए जाते है. आजकल लोगों द्वारा डीजे भी बजाया जाने लगा है.

इस उत्सव में सभी लोग एक दूसरे के ऊपर रंग-बिरंगे रंग उड़ाते है सभी लोग ढोल- नगाड़ो की ताल पर तरह-तरह की नृत्य करते है. इस उत्सव में लोग आनंद और हर्षोल्लास से भाग लेते है. आजकल भगवान गणेश विसर्जन के समय हेलीकॉप्टर द्वारा फूलों की वर्षा भी की जाती है जो कि एक मनोरम दृश्य है.

सभी लोगों द्वारा भगवान गणेश की शोभायात्रा निकालते समय खूब जोर जोर से गणपति बप्पा मोरिया के जयकारे लगाए जाते है. इस उत्सव को लोग इतने साल से मनाते हैं कि इस दिन विसर्जन के लिए हर तरफ हर गली मोहल्ले में गणेश जी की ही प्रतिमा दिखाई देती है.

अंत में शहर के तालाब, समुंदर या नदी में भगवान गणेश की प्रतिमा का “ अगले वर्ष जल्दी आना” के नारों के साथ भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है इसके साथ ही यह उत्सव पूर्ण हो जाता है.

उपसंहार –

गणेश चतुर्थी का त्यौहार सुख और समृद्धि लाने वाला त्यौहार है इस त्यौहार के आने से सभी लोग खुश हो जाते है. यह त्योहार भारत के प्रत्येक हिस्से में मनाया जाता है जो कि इस त्यौहार की लोकप्रियता को दर्शाता है. त्योहारों के कारण ही आज हमारी संस्कृति को विदेशों में भी सराहा जाता है.

इन त्योहारों के कारण ही लोगों के एक दूसरे के प्रति मनमुटाव समाप्त हो जाते है. भगवान गणेश सभी के आराध्य देव है किसी भी शुभ कार्य के पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. इस उत्सव का आयोजन सांस्कृतिक सामाजिक और राष्ट्रीय एकता के लिए प्रमुख है.

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गणेश चतुर्थी पर निबंध – Ganesh Chaturthi essay in hindi

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भगवान गणपति का आगमन

भगवान गणपति को आदिदेव भी कहा जाता है । यह मान्यता है कि हर शुभ कार्य की शुरुआत गणेश के आहवान से ही होनी चाहिए ।

भगवान शिव और माता पार्वती के सुपुत्र गणेश सर्वाधिक पूजित और प्रिय देवता माने जाते हैं । गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी को उनके जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है । हिन्दुओं का यह एक बड़ा त्योहार है जिससे पूरे उत्साह और उल्लास के साथ पूरे देश में खास तौर पर महाराष्ट्र में मनाया जाता है ।

यह दिवस भाद्रपद (अगस्त-सितम्बर) माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को पड़ता है । हिन्दू पंचांग का भाद्रपद का छठा माह होता है । यह दस दिवसीय त्योहार चतुर्थी को प्रारंभ होकर शुक्ल पक्ष की अनन्त चतुर्दशी को खत्म होता है । यह माना जाता है कि इन दस दिनों में भगवान गणेश पृथ्वी पर आकर मनुष्यों को अपने वरदानों से कृतार्थ करते हैं ।

Ganesh chaturthi festival

गणेश चतुर्थी का इतिहास

गणेश चतुर्थी का सम्बन्ध गणेश के जन्म से जोड़ा जाता है ।

भगवान शिव और देवी पार्वती कैलाश पर्वत पर निवास करते थे । भगवान शिव के कई सेवक थे जिन्हें गण कहा जाता था जिनमें प्रमुख था नंदी जो शिव का प्रिय बैल था । ये सारे ही गण भगवान शिव के परम आज्ञाकारी थे । शिव ने उन्हें कैलाश पर्वत पर कहीं भी जाने की अनुमति दे रखी थी ।

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देवी पार्वती इस व्यवस्था से संतुष्ट नहीं थीं । हर समय गण उन्हें घेरे रहते थे, परन्तु वे सदैव शिवजी के आदेश को ही सर्वोपरि समझते थे । पार्वती चाहती थीं कि कोई ऐसा सेवक भी हो जो उनके आदेश को सर्वोपरि समझे ।

एक दिन पार्वती जी अकेली ही थीं । उन्होंने नंदी को आदेश दिया कि किसी को अन्दर न आने दे, क्योंकि वे स्नान करने जा रही हैं । नंदी दरवाजे पर ही बैठकर पहरा देने लगा ।

कुछ समय बाद वहां स्वयं भगवान शंकर ही आ गए । नंदी की समझ में नहीं आया कि कैसे अपने स्वामी को रोके । इधर नंदी संशय में ही था कि भगवान शिव अंदर चले गए । पार्वजी जी ने जब शंकर जी को अन्दर आते देखा तो वे नंदी से बहुत नाराज हुईं ।

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उसी दिन पार्वती जी ने निश्चय किया कि वे एक ऐसा सेवक तैयार करेंगी, जो सिर्फ उनका आदेश माने । दूसरे दिन जब वे स्नान से पूर्व अपने शरीर पर हल्दी वाला उबटन मल रहीं थीं जब उनके शरीर से मला हुआ उबटन उतरा तो उसे उन्होंने एक तरफ रख दिया । उस ढेर को पार्वती जी ने एक बालक का आकार दे दिया ।

बाद में कुछ पवित्र मंत्रें से उस बालक की छवि में प्राण-प्रतिष्ठा कर दी और वह गोल-मटोल बालक एक जीवित बालक बन गया ।

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उसने हाथ जोड़कर कहा-“हे माता! मैं आपके आदेशों का पालन करने के लिए ही जन्मा हूं । मैं आपके सभी आदेशों का पालन करूंगा ।”

पार्वती जी अपनी इस संतान को देखकर हर्ष से विह्वल हो गईं । उन्होंने कहा-“हे पुत्र! तुम्हें देखकर मुझे बहुत हर्ष हुआ है । अब तुम सदा मेरे साथ ही रहना ।”

पार्वती जी ने उस बालक को आदेश दिया कि जब वह स्नान करे तो किसी को भी अन्दर न आने दे । बालक ने ऐसा करने का प्रण लिया और द्वार पर पहरा देने लगा ।

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कुछ देर बाद भगवान शंकर वहां पहुंचे । जब उन्होंने अन्दर जाने की चेष्टा की तो उस बालक ने उन्हें रोका । भगवान शंकर को रोष आ गया । वे बोले-“अरे मूर्ख बालक! तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे इस तरह रोकने की? क्या तू जानता नहीं कि मैं कौन हूं?”

बालक ने विनम्रता से उत्तर दिया-“मैं नहीं जानता कि आप कौन है, पर मैं आपको भीतर नहीं जाने दे सकता । यह मेरी माता का आदेश है ।”

भगवान शिव को गुस्सा आ गया । उन्होंने अपने गणों को आदेश दिया कि तुरन्त इस ढीठ बालक को दरवाजे से हटाओ, पर गणों के समवेत प्रयास भी बालक को टस-से-मस न कर सके ।

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तब स्वयं भगवान शंकर उस युद्ध में कूद पड़े और अपने त्रिशूल से उस धृष्ट बालक का सिर काटकर दूर फेंक दिया ।

इस कोलाहल को सुनकर देवी पार्वती स्वयं बाहर आयीं । अपने सिर-विहीन बालक को देखकर वे चीत्कार करने लगीं । उन्होंने रोते हुए शंकर जी से कहा-“प्रभु! यह आपने क्या कर दिया? आपने हमारे पुत्र का ही सिर काट दिया ।”

“हमारा पुत्र!” भगवान ने विचलित होकर कहा-“क्या कह रही हो पार्वती?” देवी पार्वती ने उन्हें पूरी घटना सुनाई । शिवजी को जानकर बड़ा पछतावा हुआ और पार्वती से क्षमा मांगी, परन्तु पार्वती क्रोधित हो रही थीं ।

उन्होंने ऐसी तपस्विनियां पैदा कीं जो समस्त संसार की शांति भंग करने लगीं, तब देवताओं ने भगवान शंकर से कहा कि पार्वती जी को किसी प्रकार मनाएं ।

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पार्वती जी को मनाने के लिए भगवान ने अनेक गणों से कहा कि बालक का कटा हुआ सिर ढूंढकर लाएं । यदि वह न मिले तो उसी आयु के किसी जीव का सिर लेकर आएं ।

गण एक बाल-हाथी का सिर लेकर आए जिसे भगवान शंकर ने उस बालक के धड़ के साथ जोड़ दिया और उस अस्तित्व में प्राण फूंक दिए । गज का सिर धारण करने वाले, गोल-मटोल शरीर वाले सुन्दर गणेश जी जीवित बालक बन गए ।

पार्वती जी अपने बालक को जीवित देखकर बड़ी प्रसन्न हुईं । प्यार से वे उसे गजानन कहने लगीं । शिवजी ने उन्हें अपने गणों का स्वामी बना दिया और गणेश नाम दिया ।

इस प्रकार सर्वप्रिय विघ्न-विनाशक गणेश जी का जन्म हुआ ।

गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती है?

भारत में गणेश चतुर्थी त्योहार बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है । महाराष्ट्र में यह विशिष्ट उत्साह और उल्लास से मनाया जाता है । कहते हैं गणेश पूजन की शुरुआत छत्रपति महाराज शिवाजी ने चतुर्थी को करवा कर एक नई परम्परा का श्री गणेश आगाज़ किया था । कुछ लोगों का मानना है कि यह पहले भी होता था परन्तु शिवाजी ने एकजुटता का भाव महाराष्ट्र में पैदा करने के लिए इसको पुनर्जीवित किया था जिसे स्वाधीनता संग्राम के प्रसिद्ध सेनानी, लोकमान्य तिलक ने राष्ट्रभक्ति की भावना से 20वीं शताब्दी में ओत-प्रोत कर दिया था ।

महाराष्ट्र में दस दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को गणेश उत्सव कहा जाता है । हर घर में गणपति स्थापित किए जाते हैं और अंतिम दिन इन मूर्तियों को एक जुलूस द्वारा समुद्र तक विसर्जन के लिए ले जाया जाता है ।

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वस्तुतः त्योहार की तैयारियां 2 महीने पहले से ही होने लगती हैं । गणेश की सुन्दर और चित्ताकर्षक मूर्तियां बनाने और पंडालों को सजाने की कलाकारों में होड़ मच जाती है । इन मूर्तियों के आकार अंगूठे से लेकर विशाल पर्वत सदृश हुआ करते हैं ।

गणेश उत्सव के दौरान जीवन बेहद जीवन्त और रंगीन हो जाता है । घर-सड़क और दुकानों को मोहक ढंग से सजाया जाता है । खूब सफाई की जाती है तथा बंदनवार लटकाए जाते हैं ।

प्रथम दिन गणेश मूर्तियों की घरों में स्थापना की जाती है या अस्थायी पूजा-केन्द्रों तथा पण्डालों में गणपति बैठाए जाते हैं । मंदिरों में यह काम पूरे विधि-विधान से किया जाता है । पुजारी गण बाकायदा उनकी प्राण-प्रतिष्ठा करते हैं । उसके पश्चात् षोडशोपचार (16 तरीकों से अभ्यर्थना करने का) संस्कार होता है तथा गणेश जी के सामने प्रिय पदार्थ – नारियल व गुड़ के बने मोदक, दूब, घास और गेंदे की मालाएं अर्पित की जाती हैं तथा मूर्ति के माथे पर चंदन व कुमकुम का टीका लगाया जाता है ।

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ऋग्वेद से ऋचाएं तथा गणपति उपनिषद एवं गणेश स्तोत्र से श्लोकों आदि का जाप होता है । ये सारे कृत्य गणेश जी के अभिवादन में संपन्न होते हैं क्योंकि आज के दिन ही गणेश का आगमन होता है । कुछ लोग इस दिन व्रत रखते हैं और गणेश जी का स्वागत पूरी पवित्रता के साथ करते हैं ।

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दस दिनों तक – भादप्रद चतुर्थी से अनन्त चतुर्दशी तक इसी प्रकार गणपति की पूजा-अर्चना होती रहती है । सुबह-शाम धूपबत्ती और अगरबत्ती जलाकर प्रतिमा के निकट का वातावरण शुद्ध रखा जाता है तथा दोनों वक्त आरती की जाती है । गणेश जी का प्रिय खाद्य मोदक (नारियल, गुड़, चावल के आटे, मेवा आदि से भरा लड्डू) भोग के रूप में अर्पित किया जाता है ।

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ग्यारहवें दिन इन प्रतिमाओं का जल में विसर्जन किया जाता है । बाजे-गाजे, ढोल-नगाड़ों के साथ बड़े-बड़े जुलूसों के साथ इन प्रतिमाओं को जल में समर्पित किया जाता है । माना जाता है कि इस त्योहार के पश्चात गणेश जी कैलाश पर्वत पर जाकर विश्राम करते हैं । गणेश जी को विदा करने की इस घड़ी को गणेश विसर्जन भी कहा जाता है ।

नगाड़ों और वाद्यों के मध्य प्रतिमाओं के पीछे चलने वाले जन जोर-जोर से नारे लगाते हैं-“गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” तथा “मोरया रे—- बप्पा मोरया रे” की धुनों पर लोग नाचते-गाते अपने प्रिय देव को विदा करते हैं और अगले वर्ष उनके जल्दी आने की कामना भी करते हैं ।

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यह हर्ष-उल्लास से परिपूर्ण त्योहार बच्चों के लिए विशेष रूप से प्रेरणादायक होता है । उनके लिए खास प्रतियोगिताएं होती हैं तथा मेले लगाएं जाते हैं । अपने घरों में गणपति स्थापना उनको बड़ा कौतुक पूर्ण एक हर्षदायक कृत्य लगता है ।

हर वर्ष गणेश जी का आगमन हमारे घरों को सुख-शांति एवं समृद्धि देता है तथा लोगों में आपसी सद्भाव एवं भाईचारे की भावना का संचार करता है । हमें यह त्योहार पूरी शुचिता, निष्ठा भक्ति एवं हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए ।

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दा इंडियन वायर

गणेश चतुर्थी पर निबंध

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By विकास सिंह

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विषय-सूचि

गणेश चतुर्थी पर निबंध, essay on ganesh chaturthi in hindi (100 शब्द)

गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक बहुत ही पसंदीदा और सबसे लोकप्रिय त्योहार है। यह प्रतिवर्ष अगस्त या सितंबर के महीने में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह भगवान गणेश की जयंती के रूप में मनाया जाता है। गणेश माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं।

भगवान गणेश विशेष रूप से बच्चों के सभी के सबसे पसंदीदा भगवान हैं। वह ज्ञान और समृद्धि के देवता हैं इसलिए हिंदू धर्म में लोग उन्हें पाने के लिए उनकी पूजा करते हैं। लोग गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति लाते हैं और चतुर्थी पर घर में रखते हैं और 10 दिनों तक पूजा करते हैं और 11 वें दिन गणेश विसर्जन करते हैं।

गणेश चतुर्थी पर निबंध, essay on ganesh chaturthi in hindi (150 शब्द)

गणेश चतुर्थी एक हिंदू त्योहार है जो भगवान गणेश के जन्मदिन (जयंती) पर उनके स्वागत के लिए मनाया जाता है। वह भगवान शिव और माता पार्वती के प्यारे पुत्र हैं। पूरे भारत में हिंदू धर्म के लोगों का मानना है कि हर साल गणेश पृथ्वी पर आते हैं और लोगों को बहुत से इच्छित आशीर्वाद देते हैं। भगवान गणेश हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय भगवान हैं जो भक्तों को ज्ञान और समृद्धि के साथ आशीर्वाद देते हैं।

वह बाधाओं और सभी समस्याओं के निवारण के साथ-साथ लोगों के जीवन में खुशी के निर्माता भी हैं। भारत में लोग किसी भी नए काम को शुरू करने से पहले हमेशा गणेश की पूजा करते हैं। वह सभी बच्चों के लिए प्यारा भगवान है। बच्चे उसे दोस्त गणेश कहते हैं क्योंकि वह बच्चों की देखभाल करता है और उनसे प्यार करता है। लोग हर साल अगस्त या सितंबर के महीने में 10 दिनों के लिए गणेश चतुर्थी मनाते हैं। पूजा चतुर्थी से शुरू होती है और अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होती है।

गणेश चतुर्थी पर निबंध, essay on ganesh chaturthi in hindi (200 शब्द)

गणेश चतुर्थी भारत में सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। लोग इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह देश के विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है, हालांकि महाराष्ट्र में, यह विशेष रूप से मनाया जाता है। यह हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसे भक्त हर साल बड़ी तैयारी और उत्साह के साथ मनाते हैं।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मदिन पर प्रतिवर्ष मनाया जाता है। भगवान गणेश को विघ्न हर्ता के रूप में जाना जाता है जिसका अर्थ है भक्तों के लिए सभी बाधाओं का निवारण और विघ्न कर्ता का अर्थ है शैतान के लिए समस्याओं का निर्माता।

गणेश चतुर्थी एक 11 दिनों का लंबा हिंदू त्योहार है, जो घर या मंदिर में मूर्ति स्थापना के साथ चतुर्थी पर शुरू होता है और गणेश विसर्जन के साथ अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है। भगवान गणेश के भक्त प्रार्थना, प्रसाद (विशेष रूप से मोदक) चढ़ाते हैं, भक्ति गीत गाते हैं, मंत्र पढ़ते हैं, आरती करते हैं और उनसे ज्ञान और समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं। यह पंडालों या मंदिरों या समुदाय में लोगों के परिवारों या समूह द्वारा अलग से मनाया जाता है। गणेश विसर्जन (पानी में मूर्ति विसर्जन) पूजा का एक विशेष और सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह गणेश विसर्जन के मुहूर्त के अनुसार किया जाता है। घरों के बच्चे इस पूजा में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

गणेश चतुर्थी पर निबंध, essay on ganesh chaturthi in hindi (250 शब्द)

गणेश चतुर्थी एक हिंदू त्योहार है जो हर साल अगस्त या सितंबर के महीने में पड़ता है। गणेश चतुर्थी एक ऐसा दिन है जब भगवान गणेश का जन्म हुआ था। तब से, हिंदू धर्म के लोगों ने गणेश के जन्मदिन को गणेश चतुर्थी उत्सव के रूप में मनाया। भगवान गणेश सभी के विशेष रूप से बच्चों के सबसे पसंदीदा भगवान हैं।

वह ज्ञान और धन के देवता हैं और बच्चों को मित्र गण कहते हैं। वह पिता शिव और माता पार्वती के प्यारे पुत्र हैं। एक बार भगवान गणेश का सिर भगवान शिव ने काट दिया और फिर से हाथी के सिर का उपयोग कर जोड़ा गया। इस तरह उन्हें अपना जीवन वापस मिल गया जिसे गणेश चतुर्थी के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

लोग बहुत प्रसन्नतापूर्वक घर में गणेश की एक मूर्ति लाते हैं और दस दिनों तक पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करते हैं। वे 11 वें दिन अनंत चतुर्दशी पर पूजा के अंत में विसर्जन करते हैं और इस वर्ष गणेश को देखते हैं और अगले वर्ष फिर से आते हैं। लोग ज्ञान और धन का आशीर्वाद पाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। इस त्योहार को विनायक चतुर्थी या विनायक चविथि (संस्कृत में) के रूप में भी जाना जाता है।

यह त्यौहार भाद्रपद के हिंदी महीने में शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि, पहली बार गणेश का व्रत चंद्रमा द्वारा रखा गया था क्योंकि उनके दुर्व्यवहार के लिए गणेश ने उन्हें श्राप दिया था। गणेश की पूजा के बाद, चंद्रमा को ज्ञान और सुंदरता का आशीर्वाद मिला। भगवान गणेश हिंदुओं के सर्वोच्च देवता हैं जो अपने भक्तों को ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं। गणेश चतुर्थी त्योहार मूर्ति विसर्जन के बाद अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है। भगवान विनायक सभी अच्छी चीजों के संरक्षक हैं और सभी अवरोधों का निवारण करते हैं।

गणेश चतुर्थी पर निबंध, essay on ganesh chaturthi in hindi (300 शब्द)

गणेश चतुर्थी भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहार है। यह हर साल हिंदू धर्म के लोगों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। बच्चे भगवान गणेश से बहुत प्यार करते हैं और ज्ञान और समृद्धि का आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा करते हैं। लोग त्योहार की सटीक तारीख से एक महीने पहले या हफ्ते पहले पूजा की तैयारी शुरू कर देते हैं।

इस त्योहारी सीजन के दौरान, बाजार पूरी तरह से गर्म हो जाता है। हर जगह दुकानें गणेश की आकर्षक मूर्तियों और इलेक्ट्रिक लाइटिंग से सजाई जाती हैं ताकि मूर्ति की बिक्री सार्वजनिक हो सके। भक्त भगवान गणेश को अपने घर ले आते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ मूर्ति स्थापना करते हैं।

हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि जब गणेश घर आते हैं तो घर में बहुत ज्ञान, समृद्धि और खुशियां लाते हैं, लेकिन जब 10 दिन बाद वापस जाते हैं तो अपने साथ आने वाली सभी समस्याओं और बाधाओं को दूर कर लेते हैं। भगवान गणेश बच्चों को बहुत प्यार करते हैं और उनके द्वारा मित्र गणेश कहलाते हैं।

लोगों का समूह गणेश की पूजा करने के लिए पंडाल तैयार करता है। वे आकर्षक बनाने के लिए पंडाल को फूलों और रोशनियों से सजाते हैं। भगवान को प्रार्थना और प्रसाद चढ़ाने के लिए आस-पास के क्षेत्रों के कई लोग प्रतिदिन पंडाल में आते हैं। वे कई चीजों की पेशकश करते हैं और विशेष रूप से मोदक के रूप में वह इसे बहुत प्यार करता है।

यह 10 दिनों के लिए अगस्त या सितंबर के महीने में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पूजा में दो महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं शामिल हैं; एक है मूर्ति स्थापना और दूसरा है मूर्ति विसर्जन (जिसे गणेश विसर्जन भी कहा जाता है)। प्राणप्रतिष्ठा पूजा (भगवान को मूर्ति में उनकी पवित्र उपस्थिति के लिए बुलाना) और षोडशोपचार (भगवान का सम्मान करने के लिए सोलह तरीकों से पूजा करना) करने के लिए हिंदू धर्म में एक अनुष्ठान है।

दस दिनों तक पूजा करते समय दुर्वा घास और मोदक, गुड़, नारियल, लाल फूल, लाल चंदन और कपूर चढ़ाने की रस्म होती है। पूजा की समाप्ति पर गणेश विसर्जन में लोगों की भारी भीड़ शामिल होती है।

गणेश चतुर्थी पर्व पर निबंध, ganesh chaturthi essay in hindi (400 शब्द)

लोग गणेश चतुर्थी मनाते हुए भगवान गणेश (विग्नेश्वरा) की पूजा करते हैं। गणेश हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय देवता हैं जिनकी पूजा परिवार के प्रत्येक सदस्य द्वारा की जाती है। वह किसी भी क्षेत्र में कोई भी नया काम शुरू करने से पहले हमेशा लोगों द्वारा पूजा जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से महाराष्ट्र राज्य में मनाया जाता है लेकिन अब लगभग सभी राज्यों में एक दिन का जश्न शुरू हो गया है। यह हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। लोग पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ गणेश चतुर्थी पर ज्ञान और समृद्धि के देवता की पूजा करते हैं।

लोगों का मानना ​​है कि गणेश हर साल बहुत सारी खुशियों और समृद्धि के साथ आते हैं और सभी कष्टों को दूर करते हैं। गणेश को प्रसन्न करने के लिए भक्त इस त्योहार पर तरह-तरह की तैयारियाँ करते हैं। यह उनके स्वागत और सम्मान के लिए गणेश की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

यह त्योहार भाद्रपद (अगस्त या सितंबर) के महीने में शुक्ल पक्ष में चतुर्थी से शुरू होता है और 11 वें दिन अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है। हिंदू धर्म में गणेश की पूजा का बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ उनकी पूजा करता है, उसे सुख, ज्ञान, धन और लंबी आयु प्राप्त होती है।

लोग गणेश चतुर्थी के दिन सुबह स्नान करते हैं, साफ कपड़े पहनते हैं और भगवान की पूजा करते हैं। वे कई चीजों की पेशकश करते हैं और मंत्र, आरती, और भक्ति गीत गाकर भगवान से प्रार्थना करते हैं और हिंदू धर्म के अन्य अनुष्ठान करते हैं। पहले यह त्योहार केवल कुछ परिवारों में मनाया जाता था।

बाद में इसे मूर्ति स्थापना और मूर्ति विसर्जन के अनुष्ठान के साथ एक उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा ताकि एक बड़े अवसर के साथ-साथ कष्टों से मुक्त हो सकें। यह 1893 में लोकमान्य तिलक (एक समाज सुधारक, भारतीय राष्ट्रवादी और स्वतंत्रता सेनानी) द्वारा एक उत्सव के रूप में शुरू किया गया था। उस समय उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों की रक्षा के लिए गणेश की पूजा करने का अनुष्ठान किया था।

अब ब्राह्मणों और गैर-ब्राह्मणों के बीच असमानता को दूर करने के लिए गणेश चतुर्थी को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश को कई नामों से जाना जाता है, कुछ ऐसे हैं जैसे एकदंत, असीम शक्तियों के देवता, हेरम्बा (बाधा निवारण), लम्बोदर, विनायक, देवों के देव, ज्ञान के देवता, धन और समृद्धि के देवता और कई और। गणेश विसर्जन के पूरे हिंदू अनुष्ठान के साथ लोग 11 वें दिन (अनंत चतुर्दशी) को गणेश को देखते हैं। वे भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वे अगले वर्ष फिर से बहुत सारे आशीर्वादों के साथ वापस आएं।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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हमारा देश रंग रंगीला है। भले ही अलग धर्म और पंथ के लोग यहां रहते हो, लेकिन यहां पर सब मिलजुलकर रहते हैं। इस देश में अनेक प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं। दीवाली, होली, ईद, क्रिसमस आदि अनगिनत त्यौहार भारत में मनाए जाते हैं। यह सभी त्यौहार हमारी एकता को दर्शाते हैं। सभी त्यौहार के अपने महत्व और खूबी होती है। सभी त्यौहारों को मनाने में एक अलग ही प्रकार का आनंद आता है। होली में जीवन रंगों से सरोबार हो जाता है। और दीवाली जीवन को प्रकाशमय बना देती है।

अलग-अलग त्यौहार के अलग प्रकार के रंग होते हैं। सारे त्यौहार हमें कुछ ना कुछ सीख देते हैं। भारत के लोगों की यह खूबी होती है कि वह सभी इतना प्रेम से रहते हैं कि वह सभी हर त्यौहारों में प्रफुल्लित मन से शरीक हो जाते हैं। हर प्रकार के त्यौहार हमें यह संदेश देते हैं कि हमें अपने जीवन में बिना डरे हुए हिम्मत के साथ काम करते रहना चाहिए।

हमारे देश में जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी जैसे त्यौहार भी मनाए जाते हैं। यह त्यौहार धार्मिक त्यौहार होते हैं। इन त्यौहारों से कई धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी होती है। त्यौहार हमें ज्यादा धार्मिक बनने का मौका प्रदान करती है। सभी त्यौहार हमें अपनी संस्कृति से जोड़े रखने में सहायक होते हैं। तो आज का हमारा विषय गणेश चतुर्थी पर आधारित है। आइए हम गणेश चतुर्थी पर निबंध पढ़ना शुरू करते हैं।

हमारे देश में अनेकों त्यौहार मनाए जाते हैं। हर त्यौहार की अपनी अलग रौनक होती है। इनमें धार्मिक त्यौहारों की बात ही कुछ अलग होती है। सभी को इन धार्मिक त्यौहारों को मनाना बहुत अच्छा लगता है। अलग-अलग त्यौहार की अलग परंपराएं। इन त्यौहारों से हमें अच्छा संदेश मिलता मिलता है। इन त्योहारों को मनाने का कुछ अलग ही आनंद आता है। इन सभी त्योहारों में से एक होता है गणेश चतुर्थी का उत्सव। यह बहुत ही खूबसूरत त्योहार है।

यह त्योहार गणेशजी को समर्पित होता है। इस दिन भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। गणेशजी को मोदक का भोग लगाया जाता है। लोग गणेशजी को अपने घर पर लाकर विराजमान करते हैं। लोग दस दिन तक लगातार गणेशजी की पूजा करते हैं। बाद में दसवें दिन वह गणपति बप्पा का विसर्जन करने के लिए जाते हैं। जिस दिन वह बप्पा को विसर्जन के लिए लेकर जाते हैं उस दिन वह बड़े ही धूमधाम के साथ बैंड बजाते हुए बप्पा को लेकर जाते हैं।

भगवान गणेश कौन है?

हमारे धर्म में अनेकों देवी देवता मौजूद है। कोई धर्म के देवता होते हैं तो कोई प्रेम के देवता। बह्मा, विष्णु और महेश को हमारे धर्म में सबसे ऊंचा स्थान दिया जाता है। महेश अर्थात भोले भंडारी है। भोले भंडारी भगवान शिव ही है। भगवान शिव की पत्नी माता पार्वती है। माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र है गणेशजी। गणेशजी जीवन के सारे बिगड़े काम बनाते हैं। भगवान गणेश के भाई कार्तिकेय है।

भगवान गणेश की पत्नी को रिद्धि – सिद्धि नाम से जाना जाता है। वह संपूर्ण जगत के पालनहारे भी माना जाते हैं। वह परमपूज्य है। जो गण के प्रमुख के रूप में काम करते हैं उन्हें ही भगवान गणेश कहा जाता है। मूषक उनकी सवारी होती है। गणेशजी को मोदक बहुत प्रिय होता है।

भगवान गणेश हमारे जीवन में क्यों महत्वपूर्ण है?

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है। वह सबके दुखों को दूर करते हैं। भगवान गणेश सबके जीवन में खुशहाली लेकर आते हैं। आज हम जो कोई भी काम शुरू करते हैं उसको करने से पहले हम भगवान गणेश का नाम पहले लेते हैं। जब हम भगवान गणेश का नाम लेकर कोई काम शुरू करते हैं तो हमारे सारे काम बिना कोई परेशानी के पूरे हो जाते हैं।

यह भी माना जाता है कि भगवान गणेश धन और संपन्नता भी देते हैं। वह हमें हिम्मत प्रदान करते हैं। कहते हैं कि गणपति बप्पा बुद्धि भी प्रदान करते हैं। गणेश भगवान की कृपा के बिना हम कोई भी काम नहीं कर सकते हैं। गणेशजी के नाम लेने से ही हमारे शरीर में शक्ति का संचार होता है। विद्यार्थी भी गणेशजी को पूजते हैं।

गणेश चतुर्थी क्या है?

गणेश चतुर्थी अर्थात भगवान गणेश का त्यौहार। इस त्यौहार को पूरे भारत के लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इस त्यौहार में लोग भगवान गणेशजी को पूजते हैं। सभी लोग या तो मिट्टी के गणेशजी अपने घर में स्थापित करते हैं। या फिर पीओपी से बनी गणेशजी की मूर्ति अपने घर में लाते हैं। सभी लोगों के घर में गणेशजी की मूर्ति स्थापित हो जाती है। फिर सभी लोग 10 दिन तक गणेशजी की पूजा अर्चना करते हैं।

गणेशजी को मोदक का भोग लगाया जाता है। जब दस दिन तक पूजा अर्चना हो जाती है तो फिर 11वें दिन गणपति को विदा करने का समय आ जाता है। लोग ढोल नगाड़े लेकर गणेश जी की मूर्ति विसर्जन के लिए लेकर जाते हैं। कोई मूर्ति को नदी में विसर्जित करता है तो कोई समुद्र में। बहुत से लोग गणेशजी को विसर्जित करते वक्त भावुक हो जाते हैं। महाराष्ट्र के लोग इस उत्सव को बड़े ही जोश के साथ मनाते हैं। विसर्जन वाले दिन लोग व्रत भी रखते हैं।

भगवान गणेश की कथा

भगवान गणेश की कथा बहुत दिलचस्प है। एक बार की बात है जब भगवान शंकर किसी काम से बाहर गए थे। माता पार्वती तब नहाने चली गई। जब माता पार्वती नहाने जा रही थी तो नहाने से पहले माता पार्वती ने उबटन लगाया। उबटन लगाने के बाद माता पार्वती ने मैल उतारा। मैल से माता पार्वती ने एक पुतला तैयार किया और पुतले में जान फूंक दी। पुतले से एक सुंदर बालक तैयार हो उठा।

माता पार्वती ने उस बालक को माता पार्वती की पहरेदारी करने के लिए कहा। और फिर माता पार्वती नहाने चली गई। बालक बाहर खड़ा हो गया। जब वह बालक बाहर खड़ा था तो उसी समय भगवान शंकर कैलाश पधारे। जैसे ही भगवान शंकर ने पार्वती माता के कक्ष में जाने का सोचा तो उस बालक ने रोक लिया। बालक के ऐसे रोकने पर भगवान शंकर को गुस्सा आ गया। उन्होंने उसी समय बालक का सिर अपने त्रिशूल से काट दिया।

जैसे ही माता पार्वती को इस बात का पता चला तो माता पार्वती जोर जोर से विलाप करने लगी। माता पार्वती ने भगवान शंकर से आग्रह किया कि वह बालक को दुबारा जीवित कर दे। भगवान शंकर ने माता पार्वती का आग्रह मानते हुए बालक को जीवनदान दे दिया। उस बालक को हाथी के बच्चे का सिर लगाया गया। और बालक को नाम दिया गया गणेश।

गणेश चतुर्थी मनाने का इतिहास

गणेश चतुर्थी का उत्सव बड़े ही धूमधाम तरीके से मनाया जाता है। पूरे भारतवासियों के मन में इस त्यौहार को लेकर उत्साह बना रहता है। गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाता है। लेकिन क्या कभी सोचा है कि इस त्यौहार को मनाने के पीछे इतिहास क्या रहा है? इस त्यौहार का इतिहास पुराना है। इस त्यौहार को छत्रपति शिवाजी से जोड़कर देखा जा सकता है। कहते हैं कि छत्रपति शिवाजी ने ही इस त्यौहार को मनाने की परंपरा शुरू की थी।

उन्होंने यह त्यौहार इसलिए शुरू किया ताकि महाराष्ट्र के सभी लोग आपस में मिलजुलकर रह सके। शिवाजी नहीं चाहते थे कि अंग्रेज भारतीय संस्कृति को नष्ट कर दे। इसलिए शिवाजी ने गणेश चतुर्थी का त्यौहार प्रसिद्ध कर दिया। बाल गंगाधर तिलक को भी इस त्यौहार को मनाने का श्रेय जाता है। अंग्रेजों ने भारत के नागरिकों की संस्कृति को बर्बाद करने की कोशिश की। लेकिन बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी के उत्सव को जारी बनाए रखा।

गणेश चतुर्थी पर निबंध 200 शब्दों में

गणेश चतुर्थी का उत्सव बहुत ही खूबसूरत त्यौहार है। यह त्यौहार सभी लोग बड़ी ही धूमधाम तरीके से मनाते हैं। यह भगवान गणेश का त्यौहार है। यह त्यौहार गणपति बप्पा को समर्पित होता है। गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है। गणेश भगवान सभी के दुखों को दूर करते हैं। गणेशजी को विद्यार्थी भी पूजते हैं। हमारे शास्त्रों में गणेशजी को सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है।

गणेशजी को हर नया काम करने से पहले याद किया जाता है। गणेश चतुर्थी के त्यौहार में गणपति बप्पा को याद किया जाता है। भाद्रपक्ष मास के शुक्लपक्ष में गणेश चतुर्थी का त्यौहार आता है। गणेश चतुर्थी का उत्सव लगातार 10 दिन तक चलता है। सबसे पहले दिन गणेश जी की घर में स्थापना की जाती है। पूरे दस दिन तक गणेशजी की पूजा अर्चना की जाती है। फिर 11वें दिन को गणेशजी को विसर्जित करने के लिए लेकर जाते हैं। यह उत्सव बहुत पहले से मनाया जाता आ रहा है।

गणेश चतुर्थी पर 10 लाइनें

  • गणेश चतुर्थी का त्यौहार भगवान गणपति को समर्पित होता है।
  • गणेश चतुर्थी का त्यौहार भगवान गणेश को समर्पित होता है।
  • यह त्यौहार 10 दिन तक मनाया जाता है।
  • भगवान गणेश को हर बाधा को टालने का देवता मान जाता है।
  • मूषक को गणपति बप्पा की सवारी माना जाता है।
  • माता पार्वती और भगवान शंकर गणेश भगवान के माता पिता है।
  • गणपति बप्पा के भाई का नाम कार्तिकेय है।
  • महाराष्ट्र के लोग इस त्यौहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं।
  • गणेश चतुर्थी को शुरू करने का श्रेय छत्रपति शिवाजी को जाता है।
  • गणपति बप्पा को मोदक के लड्डूओं का भोग लगाया जाता है।

गणेश भगवान का उत्सव बहुत ही खूबसूरत त्यौहार है। यह त्यौहार हमें धार्मिक संदेश भी देता है। गणेश भगवान का त्यौहार हमें सीख देता है कि हमें कभी भी किसी से भयभीत नहीं होना चाहिए। हमें अपने जीवन में निडरता के साथ काम करते रहना चाहिए। यह त्यौहार हमें सकारात्मक तरीके से जीना भी सिखाता है।

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  • भगवान श्री राम पर निबंध

गणेश चतुर्थी पर FAQs

प्रश्न 1 – गणेश चतुर्थी का त्यौहार किस देवता को समर्पित होता है?

उत्तर :- गणेश चतुर्थी का त्यौहार भगवान गणेश को समर्पित होता है।

प्रश्न 2 – गणेश भगवान के माता पिता का नाम क्या है?

उत्तर :- गणेश भगवान की माता का नाम माता पार्वती है। और पिता का नाम भगवान शंकर है।

प्रश्न 3 – भगवान गणेश को गणेश चतुर्थी में कौनसी मिठाई का भोग लगाया जाता है?

उत्तर :- भगवान गणेश को गणेश चतुर्थी में मोदक का भोग लगाया जाता है।

प्रश्न 4 – गणेश चतुर्थी कब मनाया जाता है?

उत्तर :- गणेश चतुर्थी भाद्रपद के महीने में शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है।

प्रश्न 5 – गणेश चतुर्थी का त्यौहार किसने शुरू किया?

उत्तर- गणेश चतुर्थी के त्यौहार को शुरू करने का श्रेय छत्रपति शिवाजी को जाता है।

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गणेश चतुर्थी पर निबंध: Ganesh Chaturthi Essay In Hindi

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Reported by Dhruv Gotra

Published on 1 July 2024

भारत देश त्योहारों का देश है यहाँ हर धर्म के लोग बड़ी धूम-धाम से त्यौहार मानते हैं। अनेकता में एकता का यह मिश्रण भारत जैसे देश में ही देखने को मिलता है। प्रत्येक साल हर धर्म से जुड़े लोगों द्वारा कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है, त्योहारों में सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक त्यौहार आते हैं, धार्मिक त्यौहार की बात करें यह विशेष धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है किन्तु सभी धर्म के लोग भी इस त्यौहार का आनंद लेते हैं। गणेश चतुर्थी भी उन्हीं धार्मिक त्योहारों में से एक है यह मुख्य रूप से महाराष्ट्र राज्य में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। हिन्दुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक त्यौहार यह भी है। आज के इस लेख में हम आपको गणेश चतुर्थी पर निबंध बड़ी ही सरल भाषा में उपलब्ध करने जा रहे हैं, स्कूल या कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों के लिए यह लेख विशेष रूप से सहायक होगा। गणेश चतुर्थी पर निबंध (Ganesh Chaturthi Essay in Hindi) के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में | Ganesh Chaturthi Essay In Hindi

Ganesh Chaturthi Essay in Hindi (100 word)

प्रस्तावना- हिन्दुओं में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक धार्मिक त्यौहार है गणेश चतुर्थी जो की विशेष रूप से महाराष्ट्र धूम-धाम से मनाया जाता है। हिन्दुओं के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक पर्व गणेश चतुर्थी है पुरे भारत में विशेष रूप से उत्तरी भारत में इस पर्व को बड़े ही आनंदमयी रूप से मनाया जाता है।

गणेश जी की मूर्ति स्थापना – भगवान गणेश जी की पूजा से आरम्भ यह पर्व 11 दिनों तक चलता है, सभी अपने घरों या मंदिरों में भगवान गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करते हैं, भक्तों द्वारा भगवान गणेश जी से प्रार्थना की जाती है, 11 दिन के इस पर्व में गणेश जी की मूर्ति को चतुर्थी के दिन स्थापित किया जाता है तथा अनन्त चतुर्दशी पर भगवान गणेश जी की मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है भक्त गण श्री गणेश जी से अपने परिवार और अपने लिए प्रार्थना करते है, मोदक चढ़ाते हैं और बाप्पा मोरिया गेट हुए मन्त्रों का उच्चारण करते हैं तथा भगवान गणेश से अगले साल फिर से जल्द आने के लिए प्रार्थना करते हैं। इसे घर में या समुदाय या लोगों द्वारा समूह बनाकर, परिवार के साथ धूम-धाम से मनाया जाता है।

निष्कर्ष – गणेश चतुर्थी के पर्व में भक्तों द्वारा सुबह और संध्या के समय गणेश जी की आरती की जाती है और मोदक, लड्डू का प्रसाद चढ़ाया जाता है। महाराष्ट्र में इस उत्सव को बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है।

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गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में (200 शब्दों में )

प्रस्तावना – गणेश चतुर्थी मुख्य रूप से हिंदूओं का प्रमुख त्योहारों में से एक है, भारत के सभी राज्यों में बड़े ही उमंग के साथ गणेश जी की मूर्ति स्थापना के साथ इसे मनाया जाता है। किंतु महाराष्ट्र में बहुत ही धूमधाम से इस त्योहार को मनाया भगवान गणेश का यह पर्व जिसमें सर्वप्रथम पूजनीय गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है, पूरा भारत भक्ति भाव से उमंग के साथ बाप्पा मोरिया उद्घोष करते हुए गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं।

गणेश जी की कहानी – गणेश चतुर्थी के उत्सव मनाने के पीछे एक कथा है जिसके अनुसार एक बार भगवान गणेश जी का सर उनके पिता भगवान शिव ने क्रोधित होने से काट दिया गया था। भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना और माँ पार्वती के कहने पर फिर से भगवान गणेश जी के धड़ को हाथी के सर से जोड़ दिया गया था। इस प्रकार से भगवान गणेश जी को हाथी का सर का लगाया गया उन्हें इस प्रकार नया जीवन दिया गया था। गणेश जी के इस नए जीवन के रूप में ही गणेश चतुर्थी को मनाया जाता है। इसी ख़ुशी में यह पर्व मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी हर साल अगस्त – सितंबर के महीने में आता है। बच्चों बूढ़ों तथा युवाओं द्वारा इस पर्व में बड़ी ही ऊर्जा के साथ गणेश जी की आरती की जाती है और नित्य किया जाता है। सभी अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करते हैं और 11 वे दिन मूर्ति को विसर्जित किया जाता है।

विघ्नहर्ता श्री गणेश – हिन्दू धर्म की मान्यता अनुसार गणेश जी घर पर आने से वे अपने साथ सुख, समृद्धि, बुद्धि को भी लाते हैं सभी विघ्नों को दूर करते हैं जैसे ही उनके विसर्जन का समय आता है तो वो हमारी बाधाओं और परेशानियों को भी अपने साथ ले जाते हैं, पंडालों में गणेश जी की पूजा आरती के लिए सजावट की जाती है, भगवान गणेश जी को उनके प्रिय मिष्ठान मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

निष्कर्ष – गणेश चतुर्थी से की तैयारी के लिए बाजार सजाये जाते हैं मंदिरों की तथा घरों की साफ़ सफाई की जाती है और घर मंदिर को सुंदर फूलों से सजाया जाता है, हर तरफ गणेश जी की सुंदर-सुंदर आकर्षक मूर्तियां देखने को मिलती है यह पर्व 11 दिनों तक चलता है। विघ्नहर्ता श्री गणेश जी भक्तों के सारे विघ्न दूर करें ऐसी प्रार्थना गणेश जी से की जाती है।

Ganesh Chaturthi – गणेश चतुर्थी पर निबंध पर निबंध (300 शब्दों में)

प्रस्तवना – गणेश चतुर्थी हर साल मनाया जाता है, विघ्नहर्ता, लम्बोदर, गजानन आदि नामों से जानें, जाने वाले भगवान शिव और माँ पार्वती के पुत्र गणेश जी की पूजा और आरती को इस दिन किया जाता है भक्तों द्वारा मंदिरों और घरों को सजाया जाता है विशेष रूप से महाराष्ट्र में बड़े ही धूमधाम से गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस उत्सव को विनायक छवि या विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है।

विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder of Science Essay in Hindi) - 100, 200, 500, 1000 शब्द के निबंध, प्रस्तावना

विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder of Science Essay in Hindi) - 100 - 200 शब्द के निबंध, प्रस्तावना

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है – पुराणों के अनुसार यह माना जाता है की चतुर्थी वाले दिन प्रथम पूजनीय श्री गणेश जी का जन्म हुआ था। लोगों द्वारा इस दिन भगवान गणेश जी की बड़ी या छोटी मूर्तियों को अपने घर या मंदिरों में स्थापित किया जाता है और इनकी इस प्रतिमा की उपासना कही 7 या 9 दिनों तक की जाती है पुरे 10 दिन तक गणेश जी को घर में स्थापित किया जाता है और बड़े धूमधाम से गणेश जी की आरती पुरे परिवार के साथ की जाती है। माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र तथा रिद्धि-सिद्धि के पति भगवान गणेश जी बुद्धि और समृद्धि के भगवान है, लोग बुद्धि और समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। महाराष्ट्र राज्य में गणेश चतुर्थी को सबसे पहले छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा मनाया गया था उन्होंने ही इसकी शुरुआत की थी। भक्तों द्वारा इस दिन सुख-समृद्धि और शांति की कामना भगवान गणेश जी से की जाती है।

गणेश चतुर्थी की शुरुआत- गणेश चतुर्थी वाले दिन हिन्दू समुदाय के लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करके तथा नए कपडे पहनने के बाद अपने घरों के पूजा स्थान पर भगवान गणेश जी पूजा करते हैं मन्त्रों का उच्चारण, आरती करके माथे पर तिलक लगाकर भगवान को प्रसाद चढ़ाते हैं तथा सभी रीतियों को अपनाकर पूजा संपन्न करते हैं। सन्न 1983 में लोकमान्य गंगाधर तिलक जो की एक सामाजिक कार्यकर्ता, भारतीय राष्ट्रवादी नेता और एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने जाते थे उन्होंने इस उत्सव की शुरुआत की थी। हिन्दू धर्म को अंग्रेजी शासन में पश्चिमी सभ्यता के शाये से बचाने के लिए उस समय गणेश पूजा की प्रथा को चलाया गया था ।

गणेश चतुर्थी का महत्व – भारत में वैसे तो हर राज्य में हिन्दुओं द्वारा इस पर्व को धूम-धाम से मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में गणेश पूजा का अधिक महत्व है, यहाँ गणेश चतुर्थी को बड़े पर्व के रूप में बड़े ही उत्साहपूर्ण तरीके से मनाया जाता है। और लोगों द्वारा बढ़-चढ़ कर इसमें भाग लिया जाता है। गणेश चतुर्थी को लगभग 10 दिनों के लिये अगस्त और सितंबर माह में मनाया जाता है, इसमें गणेश चतुर्थी के दौरान गणेश जी की मूर्ति स्थापना से लेकर गणेश मूर्ति के विसर्जन (गणेश विसर्जन) होता है, गणेश चतुर्थी से लेकर 10 दिनों के इस समय में भगवान गणेश जी की पूजा के कर उन्हें कपूर, लाल चन्दन, नारियल, गुड़, दुराव घास, लाल फूल, मोदक, को चढ़ाया जाता है, गणेश विसर्जन के समय लोगों द्वारा भगवन गणेश जी की मूर्ति को विदा किया जाता है और उनका विसर्जन नदी में किया जाता है और अगले साल फिर से बाप्पा मोरिया गणेश जी से जल्द से जल्द आने के लिए प्रार्थना की जाती है।

उपसंहार -गणेश चतुर्थी के दिन शिव पुत्र भगवान गणेश जी की मूर्ति को लोगों द्वारा अपने घर में स्थापित किया जाता है घर में आने वाली बाधाओं और परेशानियों को भगवान गणेश जी द्वारा हर लिया जाता है महाराष्ट्र राज्य के लोगों द्वारा विशेष रूप से इस त्यौहार को बड़े ही आनंदमयी रूप से हर साल मनाया जाता है तथा उनका यह पसंदीदा और प्रमुख त्यौहार है, बड़े से बड़े और छोटे से छोटे सभी आयु वर्ग के लोगों द्वारा यह मनाया जाता है।

Ganesh Chaturthi Essay in Hindi FAQ

गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है ? गणेश चतुर्थी हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (अगस्त- सितंबर) को मनाया जाता है।

गणेश जी को अन्य किस नाम से जाना जाता है ? गणेश जी के अन्य नाम -सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्ण, लंबोदर, विकट, विघ्नविनाशक आदि नाम से भी जाना जाता है।

गणेश जी की मूर्ति को कब विसर्जित किया जाता है ? गणेश जी की 10 दिनों की पूजा के उपरान्त 11वें दिन विसर्जित कर दिया जाता है।

गणेश जी को प्रसाद में क्या चढ़ाया जाता है ? प्रसाद के रूप में गणेश जी को मोदक, लड्डू चढ़ाये जाते हैं।

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Essay on Ganesh Chaturthi

Essay on Ganesh Chaturthi: The Festival of Lord Ganesha

Table of Contents

Ganesh Chaturthi: The Festival of Lord Ganesha’s Arrival

Introduction:.

Ganesh Chaturthi, also known as Vinayaka Chaturthi, is one of the most celebrated and widely cherished festivals in India. This 10-day festival marks the birthday of Lord Ganesha, the elephant-headed deity of wisdom, prosperity, and good fortune. It falls on the fourth day of the Hindu lunar month of Bhadrapada, typically in August or September. Ganesh Chaturthi holds a special place in the hearts of millions of Indians, transcending regional, linguistic, and cultural boundaries. This essay explores the history, significance, rituals, and environmental aspects of Ganesh Chaturthi in a comprehensive manner.

Ganesh Chaturthi

Historical Background:

The origins of Ganesh Chaturthi can be traced back to the Maratha Empire, particularly during the reign of Chhatrapati Shivaji Maharaj (1674-1680). However, the festival became a prominent and public celebration in the 19th century thanks to the efforts of Lokmanya Bal Gangadhar Tilak, a prominent freedom fighter and social reformer. Tilak recognized the potential of Ganesh Chaturthi as a means to foster unity among Indians during the British colonial rule.

In 1893, Tilak organized a large-scale, public Ganesh Chaturthi celebration in Pune, encouraging people to participate actively. His vision was to use this festival as a platform to rally against British oppression and promote social reform. This marked the transformation of the private family celebration of Lord Ganesha’s birthday into a grand public event. Since then, the festival has continued to grow in popularity, evolving into the vibrant and inclusive celebration we see today.

Significance of Ganesh Chaturthi:

  • Devotion to Lord Ganesha: Ganesh Chaturthi is primarily a religious festival dedicated to Lord Ganesha, the god of wisdom and remover of obstacles. Devotees believe that worshipping Lord Ganesha during this festival brings blessings, success, and prosperity into their lives.
  • Unity and Social Cohesion: Ganesh Chaturthi has historically played a crucial role in fostering unity and social cohesion among people from diverse backgrounds. It brings together individuals from various castes, communities, and social strata, transcending differences.
  • Cultural Expression: The festival provides a platform for the expression of art and culture. Elaborate decorations, traditional music, dance performances, and processions are essential parts of the celebrations, showcasing India’s rich cultural heritage.
  • Economic Impact: Ganesh Chaturthi also has a significant economic impact. The festival generates employment opportunities for artisans, idol makers, and vendors, contributing to the local economy.
  • Environmental Concerns: In recent years, there has been a growing awareness of the environmental impact of Ganesh Chaturthi due to the immersion of plaster-of-Paris idols into water bodies. Many communities have started adopting eco-friendly practices by using clay idols and natural colors.

Rituals and Traditions:

The celebration of Ganesh Chaturthi involves a series of rituals and traditions that vary from region to region but generally follow a similar pattern:

  • Idol Installation: The festival begins with the installation of Lord Ganesha’s idol in homes, public pandals (temporary structures), or temples. The idol is often made of clay, plaster-of-Paris, or other materials, though there is a growing trend towards eco-friendly clay idols.
  • Prayers and Offerings: Devotees offer prayers, flowers, fruits, sweets, and other offerings to Lord Ganesha. Traditional bhajans (devotional songs) and aarti (rituals with lamps) are performed daily.
  • Public Processions: In many places, especially in Maharashtra, large processions are organized to immerse the idols in water bodies like rivers, lakes, or the sea. These processions are accompanied by music, dance, and enthusiastic participation.
  • Modak Preparation: Modak, a sweet dumpling, is Lord Ganesha’s favorite food. Families prepare modaks during the festival as an offering to the deity.
  • Visiting Pandals: People visit elaborately decorated pandals to seek Lord Ganesha’s blessings. These pandals often depict various themes and artistic representations of the deity.
  • Visarjan (Immersion): On the final day of the festival, the idol of Lord Ganesha is immersed in water. This symbolizes his return to his celestial abode, and devotees bid a tearful farewell with the hope that he will return the following year.

Environmental Concerns and Solutions:

While Ganesh Chaturthi is a time of joy and devotion, it has also raised environmental concerns due to the pollution caused by the immersion of plaster-of-Paris idols and the use of chemical-based paints. Here are some eco-friendly solutions that have been adopted to address these concerns:

  • Clay Idols: Many communities have switched to making idols from natural clay, which easily dissolves in water and does not harm the environment.
  • Natural Colors: Eco-friendly, natural colors made from turmeric, vegetable dyes, and other non-toxic materials are used for painting the idols.
  • Artificial Ponds: Some regions have created artificial ponds with eco-friendly filters to collect the idols after immersion, preventing pollution of natural water bodies.
  • Awareness Campaigns: NGOs, local authorities, and environmental activists conduct awareness campaigns to educate people about the importance of eco-friendly celebrations.
  • Community Involvement: Communities and individuals play a crucial role in promoting eco-friendly practices by encouraging the use of clay idols and natural colors.

The Future of Ganesh Chaturthi:

Ganesh Chaturthi has evolved significantly over the years, from a private household celebration to a grand public spectacle. Its future will likely continue to adapt to changing times and concerns. Here are some potential directions for the festival’s future:

  • Emphasis on Tradition: Despite the modernization of the festival, there may be a renewed emphasis on traditional practices and rituals to preserve the cultural heritage associated with Ganesh Chaturthi.
  • Sustainability: The adoption of eco-friendly practices is likely to increase, with more people opting for clay idols, natural colors, and responsible immersion processes.
  • Global Awareness: Ganesh Chaturthi is not limited to India; it has gained popularity among Indian diaspora communities worldwide. This trend may continue to grow, promoting Indian culture globally.
  • Interfaith Understanding: The festival may serve as a platform for interfaith understanding and cooperation, fostering harmony among diverse religious communities.
  • Technological Integration: Technology may play a more significant role in celebrating Ganesh Chaturthi, with virtual darshans (online viewing of idols), live-streamed ceremonies, and digital outreach to a global audience.

Conclusion:

Ganesh Chaturthi is a vibrant and culturally significant festival that celebrates the birth of Lord Ganesha, the remover of obstacles and the bestower of wisdom and prosperity. It has evolved over time, from a private family affair to a grand public celebration that unites people across India and beyond. The festival’s rich traditions, devotion, and cultural expressions make it a cherished event in the hearts of millions.

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Short Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi | गणेश चतुर्थी पर 10 लाइन

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हम्मने इस पोस्ट में आपके लिए  गणेश चतुर्थी पर 10 लाइन हिंदी मै / Short Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi  लिखे है। अगर आप कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, और 12 छात्रों हो तो ये आपके लिए बहती अच्छा होगा और ये आप अगर आपके परीक्षा में इस्तिमाल करते है तो जरूर आप बहत अछि नंबर इसमे लाओगे।

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गणेश चतुर्थी  10 दिनों तक चलने वाला हिंदू त्योहार है। जो हर साल विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में मनाया जाता है।  गणेश चतुर्थी  को भगवान शिव और देवी पार्वती पुत्र की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

आपके 1893 में स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक द्वारा पुनर्जीवित  गणेश चतुर्थी । यह हर साल अगस्त-सितंबर के महीने में मनाया जाता है। त्योहार के दौरान लोग अपने घरों में लाते हैं और पूरी भक्ति के साथ पूजा करते हैं।

उन्हें विनायक और लम्बोदरा भी कहा जाता है। बच्चे उसे मेरा दोस्त गणेश कहते हैं।  गणेश चतुर्थी  ने खुशी, खुशी और लोगों को एकजुट किया।

Table of Contents

10 Lines on Ganesh Chaturthi in Hindi

Pattern 1  –  10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for classes 1, 2, 3, 4, and 5 Students.

  • गणेश चतुर्थी एक हिंदू त्योहार है।
  • यह हर साल मनाया जाता है।
  • गणेश चतुर्थी भगवान गणेश का जन्मदिन है।
  • भगवान गणेश अपनी बुद्धि और ज्ञान के लिए जाने जाते हैं।
  • उन्हें सभी देवताओं से ऊपर पूजा जाता है।
  • वह हमारे जीवन में सभी भाग्य और आशीर्वाद लाते हैं।
  • इसे विनायक और लम्बोदरा भी कहा जाता है।
  • बच्चे उन्हें मेरा मित्र गणेश कहते हैं।
  • यह त्यौहार हर साल अगस्त या सितंबर में आता है।
  • यह त्योहार सबसे लंबे समय तक चलने वाला त्योहार है।

Pattern 2  –  10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for classes 6, 7, 8, and 9 Students.

  • गणेश चतुर्थी एक हिंदू त्योहार है जो हर साल मनाया जाता है।
  • गणेश चतुर्थी को शिव के पुत्र गणेश की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
  • भगवान गणेश भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं।
  • गणेश चतुर्थी को 1893 में स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक द्वारा पुनर्जीवित किया गया।
  • गणेश चतुर्थी हर साल अगस्त-सितंबर के महीने में मनाई जाती है।
  • यह 10 दिनों का त्योहार है। यह चतुर्थी से शुरू होता है। लोग भगवान गणेश की स्थापना करते हैं।
  • त्योहार के दौरान लोग अपने घरों में गणपति की मूर्ति लाते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं।
  • भक्त भगवान गणेश को मोदक, लड्डू और पूरन पोल चढ़ाते हैं।
  • बच्चों को भगवान गणेश बहुत प्रिय होते हैं और वे उन्हें मित्र गणेश कहते हैं।
  • गणेश चतुर्थी खुशी, खुशी फैलाती है और लोगों को एकजुट करती है।

गणेश चतुर्थी पर सर्वश्रेष्ठ 10 पंक्तियों का निबंध – कक्षा 7 से कक्षा 10 के छात्रों के लिए

Pattern 3 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • गणेश चतुर्थी 10 दिनों तक चलने वाला हिंदू त्योहार है जो हर साल विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में मनाया जाता है।
  • गणेश चतुर्थी को भगवान शिव के पुत्र गणेश की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
  • हिंदू पौराणिक कथाओं में, भगवान गणेश को प्रथम पूज्य यानी सबसे पहले पूजा जाता है।
  • भगवान गणेश को विघ्न हरता यानी सभी बाधाओं को दूर करने वाला भी माना जाता है।
  • कभी भी बड़े महत्वपूर्ण और धार्मिक कार्य को शुरू करने के लिए लोग सबसे पहले भगवान गणेश को याद करते हैं।
  • सभी परेशानियों और बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं और उनका स्मरण करते हैं।
  • विभिन्न राज्यो और समाजों ने शहर में भगवान गणेश की पूजा के लिए बड़े पंडाल भी स्थापित करते है।
  • भारतीय प्रसिद्ध फिल्मी सितारे भी गणेश चतुर्थी मनाते हैं और गणपति की मूर्तियों को अपने घर लाते हैं।
  • गणेश चतुर्थी को धीरे धीरे भारत के सभी लोग आपन एक त्योहार बनादिया है।
  • गणेश उत्सव के 10 दिन सभी के लिए खुशियां लेकर आते हैं क्योंकि हम अपने दोस्तों और परिवार से मिलते हैं और अच्छे कपड़े पहनते हैं और स्वादिष्ट भोजन करते हैं।

गणेश चतुर्थी पर सर्वश्रेष्ठ 10 पंक्तियाँ – कक्षा 10 से कक्षा 12 के छात्रों के लिए

10 Lines on Ganesh Chaturthi in English

Pattern 4 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • Ganesh Chaturthi is a Hindu festival celebrated every year.
  • Ganesh Chaturthi is celebrated as the birth anniversary of Ganesha, the son of Shiva.
  • Lord Ganesha is the son of Lord Shiva and Goddess Parvati.
  • Ganesh Chaturthi was revived in 1893 by freedom fighter Bal Gangadhar Tilak.
  • Ganesh Chaturthi is celebrated every year in the month of August-September.
  • It is a festival of 10 days. It starts from Chaturthi. People worship Lord Ganesha.
  • During the festival people bring the idol of Ganapati to their homes and worship them with full devotion.
  • Devotees offer Modak, Laddu and Puran Pol to Lord Ganesha.
  • Children are very dear to Lord Ganesha and they call him Mitra Ganesha.
  • Ganesh Chaturthi spreads happiness, joy and unites people.

10 Lines on Ganesh Chaturthi in Odia

Pattern 5 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • ଗଣେଶ ଚତୁର୍ଥୀ ହେଉଛି ଏକ ହିନ୍ଦୁ ପର୍ବ ଯାହା ପ୍ରତିବର୍ଷ ପାଳନ କରାଯାଏ ।
  • ଗଣେଶ ଚତୁର୍ଥୀ ଶିବଙ୍କ ପୁତ୍ର ଗଣେଶଙ୍କ ଜନ୍ମ ବାର୍ଷିକୀ ଭାବରେ ପାଳନ କରାଯାଏ।
  • ଭଗବାନ ଗଣେଶ ଭଗବାନ ଶିବ ଏବଂ ଦେବୀ ପାର୍ବତୀଙ୍କ ପୁତ୍ର।
  • ଗଣେଶ ଚତୁର୍ଥୀ 1893 ମସିହାରେ ସ୍ୱାଧୀନତା ସଂଗ୍ରାମୀ ବାଲ ଗଙ୍ଗାଧର ତିଲକ ଦ୍ୱାରା ପୁନର୍ଜୀବିତ ହୋଇଥିଲେ।
  • ଗଣେଶ ଚତୁର୍ଥୀ ପ୍ରତିବର୍ଷ ଅଗଷ୍ଟ-ସେପ୍ଟେମ୍ବର ମାସରେ ପାଳନ କରାଯାଏ।
  • ଏହା 10 ଦିନର ପର୍ବ। ଏହା ଚତୁର୍ଥୀ ଆରମ୍ଭ। ଲୋକମାନେ ଭଗବାନ ଗଣେଶଙ୍କୁ ପୂଜା କରନ୍ତି।
  • ପର୍ବ ସମୟରେ ଲୋକମାନେ ଗଣପତିଙ୍କ ପ୍ରତିମାକୁ ନିଜ ଘରକୁ ଆଣି ପୂର୍ଣ୍ଣ ଭକ୍ତିରେ ପୂଜା କରନ୍ତି।
  • ଭକ୍ତମାନେ ଭଗବାନ ଗଣେଶଙ୍କୁ ମୋଡାକ୍, ଲଡୁ ଏବଂ ପୁରାଣ ପୋଲ୍ ପ୍ରଦାନ କରନ୍ତି।
  • ଭଗବାନ ଭଗବାନ ଗଣେଶଙ୍କ ପାଇଁ ପିଲାମାନେ ଅତ୍ୟନ୍ତ ପ୍ରିୟ ଏବଂ ସେମାନେ ତାଙ୍କୁ ମିତ୍ର ଗଣେଶ ବୋଲି ଡାକନ୍ତି।
  • ଗଣେଶ ଚତୁର୍ଥୀ ସୁଖ, ଆନନ୍ଦ ବିସ୍ତାର କରନ୍ତି ଏବଂ ଲୋକଙ୍କୁ ଏକତ୍ର କରନ୍ତି।

गणेश चतुर्थी पर 10 लाइन ओड़िया मैं कक्षा 1 से 12 छात्रों के लिए

10 Lines on Ganesh Chaturthi in Gujarati

Pattern 6 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • ગણેશ ચતુર્થી દર વર્ષે ઉજવાતો હિન્દુ તહેવાર છે.
  • ગણેશ ચતુર્થી શિવના પુત્ર ગણેશના જન્મદિવસ તરીકે ઉજવવામાં આવે છે.
  • ભગવાન ગણેશ ભગવાન શિવ અને દેવી પાર્વતીના પુત્ર છે.
  • સ્વતંત્રતા સેનાની બાલ ગંગાધર તિલક દ્વારા 1893 માં ગણેશ ચતુર્થીનું પુનરુત્થાન કરવામાં આવ્યું હતું.
  • ગણેશ ચતુર્થી દર વર્ષે ઓગસ્ટ-સપ્ટેમ્બર મહિનામાં ઉજવવામાં આવે છે.
  • તે 10 દિવસનો તહેવાર છે. તેની શરૂઆત ચતુર્થીથી થાય છે. લોકો ભગવાન ગણેશની પૂજા કરે છે.
  • તહેવાર દરમિયાન લોકો તેમના ઘરે ગણપતિની મૂર્તિ લાવે છે અને પૂરા ભક્તિથી તેમની પૂજા કરે છે.
  • ભક્તો ભગવાન ગણેશને મોદક, લાડુ અને પુરણ પોળ અર્પણ કરે છે.
  • બાળકો ભગવાન ગણેશને ખૂબ પ્રિય છે અને તેઓ તેમને મિત્ર ગણેશ કહે છે.
  • ગણેશ ચતુર્થી સુખ, આનંદ ફેલાવે છે અને લોકોને એક કરે છે.

10 Lines on Ganesh Chaturthi in Punjabi

Pattern 7 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • ਗਣੇਸ਼ ਚਤੁਰਥੀ ਹਰ ਸਾਲ ਮਨਾਇਆ ਜਾਣ ਵਾਲਾ ਹਿੰਦੂ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ।
  • ਗਣੇਸ਼ ਚਤੁਰਥੀ ਨੂੰ ਸ਼ਿਵ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਗਣੇਸ਼ ਦੇ ਜਨਮ ਦਿਵਸ ਵਜੋਂ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ.
  • ਭਗਵਾਨ ਗਣੇਸ਼ ਭਗਵਾਨ ਸ਼ਿਵ ਅਤੇ ਦੇਵੀ ਪਾਰਵਤੀ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਹਨ.
  • ਗਣੇਸ਼ ਚਤੁਰਥੀ ਨੂੰ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਸੈਨਾਨੀ ਬਾਲ ਗੰਗਾਧਰ ਤਿਲਕ ਦੁਆਰਾ 1893 ਵਿੱਚ ਸੁਰਜੀਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ.
  • ਗਣੇਸ਼ ਚਤੁਰਥੀ ਹਰ ਸਾਲ ਅਗਸਤ-ਸਤੰਬਰ ਮਹੀਨੇ ਵਿੱਚ ਮਨਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ।
  • ਇਹ 10 ਦਿਨਾਂ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ। ਇਹ ਚਤੁਰਥੀ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. ਲੋਕ ਭਗਵਾਨ ਗਣੇਸ਼ ਦੀ ਪੂਜਾ ਕਰਦੇ ਹਨ.
  • ਤਿਉਹਾਰ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਘਰ ਵਿੱਚ ਗਣਪਤੀ ਦੀ ਮੂਰਤੀ ਲਿਆਉਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਪੂਰੀ ਸ਼ਰਧਾ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪੂਜਾ ਕਰਦੇ ਹਨ.
  • ਭਗਤਾਂ ਨੇ ਭਗਵਾਨ ਗਣੇਸ਼ ਨੂੰ ਮੋਦਕ, ਲੱਡੂ ਅਤੇ ਪੂਰਨ ਪੋਲ ਭੇਟ ਕੀਤੇ।
  • ਬੱਚੇ ਭਗਵਾਨ ਗਣੇਸ਼ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਹ ਉਸਨੂੰ ਮਿੱਤਰ ਗਣੇਸ਼ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ.
  • ਗਣੇਸ਼ ਚਤੁਰਥੀ ਖੁਸ਼ੀ, ਅਨੰਦ ਅਤੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਜੋੜਦਾ ਹੈ.

10 Lines on Ganesh Chaturthi in Nepali

Pattern 8 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • गणेश चतुर्थी एक हिन्दू चाड हरेक बर्ष मनाईन्छ।
  • गणेश चतुर्थी शिव को पुत्र गणेश को जन्मदिन को रूप मा मनाईन्छ।
  • भगवान गणेश भगवान शिव र देवी पार्वती को छोरा हुनुहुन्छ।
  • मा स्वतन्त्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक द्वारा पुनर्जीवित भएको थियो।
  • गणेश चतुर्थी हरेक बर्ष अगस्ट-सेप्टेम्बर महिनामा मनाईन्छ।
  • यो १० दिन को एक चाड हो। यो चतुर्थी बाट सुरु हुन्छ। मानिसहरु भगवान गणेशको पूजा गर्छन्।
  • तिहार को समयमा मानिसहरु गणपति को मूर्ति लाई आफ्नो घर मा ल्याउन र उनीहरुलाई पूर्ण भक्ति संग पूजा।
  • भक्तहरु भगवान गणेश लाई मोदक, लड्डू र पुराण पोल प्रदान गर्दछन्।
  • बच्चाहरु भगवान गणेश को लागी धेरै प्रिय छन् र उनीहरु उसलाई मित्र गणेश भन्छन्।
  • गणेश चतुर्थी खुशी, आनन्द फैलाउँछ र मानिसहरुलाई एकताबद्ध गर्दछ।

10 Lines on Ganesh Chaturthi in Bengali

Pattern 9 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams Students.

  • গণেশ চতুর্থী একটি হিন্দু উৎসব যা প্রতি বছর পালিত হয়।
  • শিবের পুত্র গণেশের জন্মদিন হিসেবে গণেশ চতুর্থী পালন করা হয়।
  • ভগবান গণেশ ভগবান শিব এবং দেবী পার্বতীর পুত্র।
  • গণেশ চতুর্থী 1893 সালে মুক্তিযোদ্ধা বাল গঙ্গাধর তিলক পুনরুজ্জীবিত করেছিলেন।
  • প্রতি বছর আগস্ট-সেপ্টেম্বর মাসে গণেশ চতুর্থী পালিত হয়।
  • এটি 10 ​​দিনের একটি উৎসব। শুরু হয় চতুর্থী থেকে। মানুষ ভগবান গণেশের পূজা করে।
  • উৎসবের সময় লোকেরা তাদের বাড়িতে গণপতির মূর্তি নিয়ে আসে এবং পূর্ণ ভক্তির সাথে তাদের পূজা করে।
  • ভক্তরা ভগবান গণেশকে মোদক, লাড্ডু এবং পুরান পোল প্রদান করেন।
  • শিশুরা ভগবান গণেশের খুব প্রিয় এবং তারা তাকে মিত্র গণেশ বলে।
  • গণেশ চতুর্থী সুখ, আনন্দ ছড়িয়ে দেয় এবং মানুষকে এক করে।

Last Words on Ganesh Chaturthi

हम Student के पढ़ाई के लिए ही Article बनाते है। कैसे एक Student आसानी से अपने Homework के साथ साथ अपने General Knowledge को कैसे बढ़ा सकता है? सिर्फ उसीके बारे मै ही हमरे सारे Article है। एक Student के लिए जीतने भी जरूरती Essay है जो मदत कर सकता है उनके पढ़ाई मै वो सारे Essay को हमने पोस्ट किए है। इसके साथ साथ किस तरह से आप आसानी से Essay लिख सकते है या Essay लिखने का आसान तरीका को भी आप जान पाओगे और ये एस्से आपको 7 भासा में मिल जाएगा, आप आपके बहस के अनुसार एशे पढ़ सकते है। इसके बाद Student के general Knowledge के लिए जीतने भी General Quiz है जो आसान करेगा Student के पढ़ाई या उनके जीतने भी Quiz Competition है उन सभी मै अपना बेहतर देने के लिए मदत करेगा।

अन्य पोस्ट देखें –  Short Essay  /  10 Lines Essay .

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References Links:

  • https://www.britannica.com/topic/Ganesh-Chaturthi
  • https://religion.fandom.com/wiki/Ganesh_Chaturthi
  • https://en.wikipedia.org/wiki/Ganesh_Chaturthi

One Comment

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essay in hindi ganesh chaturthi

Hindi Essay and Paragraph Writing – Ganesh Chaturthi (गणेश चतुर्थी  ) for all classes from Class 1 to Class 12

गणेश चतुर्थी पर निबंध –  इस लेख में हम गणेश चतुर्थी का क्या महत्व है, गणेश चतुर्थी की शुरुआत क्यों हुई, गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती है के बारे में जानेंगे|  |  गणेश चतुर्थी हिन्दुओ के प्रसिद्ध त्योहारों में  से एक है, जो भगवान गणेश को समर्पित है। इस पर्व को विनायक चतुर्थी या गणेशोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस त्योहार की विशेषता यह है कि इस दिन लोग अपने घरों और ऑफिस में गणेश जी की मूर्तियों की स्थापना करते हैं।अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में गणेश चतुर्थी  पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में गणेश चतुर्थी  पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 और 350 शब्दों में संक्षिप्त निबंध/अनुच्छेद दिए गए हैं।

गणेश चतुर्थी पर 10 लाइन  10 lines on Ganesh chaturthi in Hindi

  • गणेश चतुर्थी पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
  • गणेश चतुर्थी पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
  • गणेश चतुर्थी पर अनुच्छेद 6, 7 और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में
  • गणेश चतुर्थी पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

   

  • गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक वार्षिक त्योहार है। 
  • गणेश चतुर्थी भगवान गणेश जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी व गणेश उत्सव भी कहा जाता है।
  • गणेश उत्सव भाद्रपद के महीने में शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि को शुरू होता है और 11वें दिन अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है। 
  • भगवान गणेश को सौभाग्य, समृद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है।
  • गणेश जी माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं।
  • गणेश चतुर्थी पर लोग पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ भगवान गणेश की प्रतिमा को अपने घर स्थापित करते है।
  • इस अवसर पर भगवान गणेश को उनकी प्रिय मिठाई मोदक व लड्डू का भोग लगाया जाता है।
  • गणेश उत्सव महाराष्ट्र का एक मुख्य त्योहार है। लेकिन भारत के दूसरे राज्यों में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
  • महाराष्ट्र में भगवान गणेश की मूर्ति विसर्जन में भारी संख्या में लोग शामिल होते हैं।

Short Essay on Ganesh chaturthi in Hindi गणेश चतुर्थी  पर अनुच्छेद कक्षा 1 to 12 के छात्रों के लिए 100, 150, 200, 250 से 300 शब्दों में

गणेश चतुर्थी पर निबंध – गणेश चतुर्थी  हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक त्योहार है। जो भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गणेश जी की प्रतिमा को देश के हर घर गली मोहल्ले व राज्य में पंडाल बनाकर स्थापित किया जाता है। गणेश चतुर्थी पर भक्त व्रत रखते है और जीवन में सफलता, खुशहाली व सुख-शांति की कामना करते हैं।

गणेश चतुर्थी पर अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये उत्सव पुरे भारत में मनाया जाता है। लेकिन खासतौर से महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस उत्सव को माता पार्वती और भगवान शिव के प्यारे पुत्र गणेश जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। ये उत्सव गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना के बाद से शुरू होता है और लगातार दस दिनों तक चलता है। इस पूजा के दौरान भक्त गणेश जी को उनकी प्रिय मिठाई मोदक और लड्डू से भोग लगाते है और पूरी विधि-विधान से पूजा पाठ करते है। और 11वें दिन गणेश जी के मूर्ति को पानी में विसर्जित कर देते है।

गणेश चतुर्थी पर अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। ये त्यौहार भाद्रपद मास की चतुर्थी के दिन शुरू होता है। इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। तब से हिन्दू धर्म के लोग गणेश के जन्मदिन को हर साल गणेश चतुर्थी पर्व के रूप में मनाते है। भगवान गणेश सभी को प्रिय है खासतौर से बच्चों को। ये ज्ञान और समृद्धि के देवता है और बच्चों में ये दोस्त गणेशा के नाम से प्रसिद्ध है।

यह त्योहार देश के विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है। लेकिन महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला यह सबसे बड़ा त्यौहार है।

गणेश चतुर्थी के दिन लोग गणेश जी की मूर्ति को ढोल-बाजों के साथ घर लेकर आते है। ऐसा कहा जाता है कि बप्पा जब घर आते है तो सुख-समृद्धि साथ लेकर आते है। इसलिए लोग गणेश जी की पूजा पूरी श्रद्धा भक्ति से करते है साथ ही बप्पा को मोदक, लड्डू, दूर्वा, फल, फूल आदि चढाते है, आरती करते है। और बप्पा से सुख-समृद्धि की कामना करते है। ये उत्सव करीब 10 दिनों तक चलता है और 11वें दिन गणेश जी की मूर्ति को पानी में विसर्जित किया जाता है।

गणेश चतुर्थी पर अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

गणेश चतुर्थी भारत के सभी बड़े त्योहारों में से एक है जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (अगस्त या सितंबर) को मनाया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी व गणेश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार गणेश प्रथम पूज्य देवता हैं और किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा करने की परंपरा है। भगवान गणेश को समृद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है।

गणेश चतुर्थी को महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन इस उत्सव का सबसे अधिक महत्व मुंबई में है। बप्पा के आगमन से लेकर उनके विसर्जन तक मुंबई के कोने-कोने में ‘गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया’ गूंजता है। हर मोहल्ले में ढोल-ताशा की ध्वनि गूंजती है। यहां की गणेश चतुर्थी का त्योहार विश्व विख्यात है। गणेश चतुर्थी का उत्सव देखने के लिए खासतौर पर लोग मुंबई आते हैं। सिद्धि विनायक मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। शहर के कुछ प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस प्रतिमा को नौ दिनों तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में आस पास के लोग दर्शन करने पहुंचते है। नौ दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन ढोल और बाजों के साथ गणेश प्रतिमा को किसी नदी, तालाब, इत्यादि जल में विसर्जित कर दिया जाता है।

गणेश चतुर्थी पर अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

गणेश उत्सव महाराष्ट्र का एक मुख्य त्योहार है। लेकिन यह भारत के अन्य राज्यों में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान गणेश का जन्म ​भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसलिए यह उत्सव चतुर्थी तिथि से आरंभ होता है। इसी दिन रिद्धि-सिद्धि के दाता गणपति बप्पा को घर लाया जाता है और 10 दिनों तक विधि विधान से उनकी पूजा करने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन उनका विसर्जन कर दिया जाता है।

भगवान गणेश को सौभाग्य, समृद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है। ऐसे में गणेश पूजन से घर में सुख समृद्धि का वास होता है। मान्यता ये भी है कि गणेश उत्सव के 10 दिनों तक भगवान गणेश पृथ्वी पर ही रहते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं। ऐसे में भक्त भी बप्पा को प्रसन्न करने के लिए हर जतन करते हैं। 

महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी की एक अलग ही धूम होती है। खासकर मुंबई में तो यह नजारा देखने लायक होता है। यहां पर गणेश उत्सव के दौरान संपूर्ण देश के लोग ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां गणेश उत्सव देखने आते है। हर जगह अलग-अलग थीम के भव्य पंडाल तैयार करके बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है। फिर गणेश भगवान की प्रतिमा की स्थापना की जाती है। पंडालों में भगवान गणेश की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती हैं, मोदक व लड्डू का भोग लगाया जाता है, नियमित आरती की जाती है। बड़ी संख्या में लोग भगवान गणेश के दर्शन के लिए आते हैं और आर्शीवाद प्राप्त करते है । गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि दर्शन करने वालों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। गणेश जी की बैठक तक पंडालों और आस पास के गली मोहल्ले में रौनक बनी रहती है।

अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन की तैयारी की जाती है। भगवान की मूर्तियों की विधि विधान के साथ पूजा पाठ किया जाता है और फूलों से सजे रथों में बिठाकर गानों-बाजों के साथ धूमधाम से शोभायात्रा निकाली जाती है। इस दौरान पूरे शहर में भक्तों की भीड़ सड़कों पर उमड़ आती है। लोग ‘गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया’ के जयकारा लगाते है। आखिर में गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आना कह कर गणेश जी को जल में विसर्जन किया जाता है। 

Hindi Essay and Paragraph Writing – Ganesh Chaturthi (गणेश चतुर्थी)

गणेश चतुर्थी पर निबंध –   इस लेख में हम गणेश चतुर्थी का क्या महत्व है, गणेश चतुर्थी की शुरुआत क्यों हुई, गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती है के बारे में जानेंगे| गणेश चतुर्थी हिन्दुओ के प्रसिद्ध त्योहारों में  से एक है,

जो भगवान गणेश को समर्पित है। इस पर्व को विनायक चतुर्थी या गणेशोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस त्योहार की विशेषता यह है कि इस दिन लोग अपने घरों और ऑफिस में गणेश जी की मूर्तियों की स्थापना करते हैं। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में गणेश चतुर्थी  पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में गणेश चतुर्थी  पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250, 350, और 1500 शब्दों में अनुच्छेद और निबंध दिए गए हैं।

Long Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi गणेश चतुर्थी  पर निबंध (1500 शब्दों में)

गणेश चतुर्थी भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है।  भारत विशेषकर महाराष्ट्र के लोग इस त्योहार का पूरे साल बेसब्री से इंतजार करते हैं। वैसे तो यह पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र राज्य में इसे सबसे ज्यादा उत्साह के साथ मनाया जाता है, इसलिए आज हम गणेश चतुर्थी पर निबंध में गणेश चतुर्थी का परिचय, इतिहास, गणेश चतुर्थी की में क्या क्या तैयारी होती है, भारत और विदेशों में गणेश चतुर्थी मनाने का तरीका तथा गणेश चतुर्थी के दौरान भगवान को क्या क्या भोजन अर्प किया जाता है के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। 

भारत में गणेश चतुर्थी मनाने का इतिहास

  • गणेश चतुर्थी उत्सव की तैयारी

गणेश चतुर्थी मनाने का भारतीय तरीका

भारत के बाहर गणेश चतुर्थी उत्सव मनाने का तरीका, गणेश चतुर्थी में भगवान के लिए भोजन.

गणेश चतुर्थी भगवान श्री गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भारत में विशेषकर हिंदू धर्म में विभिन्न देवताओं के जन्मदिन को विशेष आयोजनों के साथ मनाया जाता है। गणेश भगवान शिव और मां पार्वती जी के प्रथम पुत्र थे। ये देवताओं में सबसे चंचल माने जाते हैं। श्री गणेश एक छोटे से चूहे पर सवारी करते हैं। ये देवताओं में सबसे पहले पूजे जाते हैं और इनको ये आशीर्वाद भोलेनाथ जी से मिला हुआ है। इनकी पत्नी रिद्धि सिद्धि हैं तथा इनके पुत्रों का नाम शुभ और लाभ है।    Top    

भारतीय स्वतंत्रता योद्धा लोकमान्य तिलक ने गणेश चतुर्थी औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार के 1892 के जन-विरोधी विधानसभा नियम के खिलाफ विरोध जताने के एक तरीके के रूप में मनाया, जिसने हिंदू सभाओं को रोका था। गणेश चतुवेर्दी इसका दूसरा नाम है।

राजा शिवाजी (1630-1680, मराठा साम्राज्य के संस्थापक) के शासनकाल के बाद से गणेश चतुर्थी पुणे में खुले तौर पर मनाई जाती रही है, लेकिन यह अज्ञात है कि यह प्रथा वास्तव में कब शुरू हुई। पेशवा, जो गणेश भक्त थे, ने 18वीं शताब्दी में भाद्रपद के महीने के दौरान अपनी राजधानी पुणे में एक सार्वजनिक गणेश उत्सव शुरू किया।  भारतीय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक से पहले, महाराष्ट्र में गणेश उत्सव को ब्रिटिश राज के कारण राज्य का समर्थन नहीं मिला था और इसे एक निजी पारिवारिक समारोह के रूप में मनाया जाता था।

कौर सहित अन्य लोगों के अनुसार, यह उत्सव बाद में भी सार्वजनिक हो गया, 1892 में, जब भाऊसाहेब लक्ष्मण जावले ने पुणे में पहली सार्वजनिक (सार्वजनिक) गणेश मूर्ति स्थापित की। इस सार्वजनिक उत्सव की प्रशंसा भारतीय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक ने 1893 में अपने प्रकाशन केसरी में की थी। 

तब तिलक ने वार्षिक उत्सव को एक बड़ा, अच्छी उपस्थिति वाला सार्वजनिक कार्यक्रम बनाने का संकल्प लिया। रॉबर्ट ब्राउन का दावा है कि तिलक ने गणेश को भगवान के रूप में अपनी पसंद बनाया जो “ब्राह्मणों और गैर-ब्राह्मणों के बीच की खाई को पार करेगा” और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का विरोध करने के लिए जमीनी स्तर के एकीकरण को प्रोत्साहित करेगा। लोकमान्य तिलक ने गणेश भगवान को “सभी के भगवान” के रूप में मान्यता दी। 

अन्य शोधकर्ताओं का दावा है कि ब्रिटिश साम्राज्य ने 1870 के बाद कई अध्यादेश स्थापित किए, जो भारतीय मुस्लिम अल्पसंख्यकों के दबाव के परिणामस्वरूप होने वाली देशद्रोही सभाओं की चिंता के कारण सामाजिक और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए ब्रिटिश भारत में 20 से अधिक व्यक्तियों की सार्वजनिक सभाओं पर रोक लगाते थे।

हालाँकि, शुक्रवार की मस्जिद की नमाज़ को इन अध्यादेशों से छूट दी गई थी। चूँकि तिलक का मानना था कि यदि हिंदुओं को दैनिक प्रार्थनाओं या साप्ताहिक सभाओं की आवश्यकता नहीं है, तो उन्हें सार्वजनिक समारोहों का आयोजन करने से वस्तुतः प्रतिबंधित किया जाता है, उन्होंने बड़े सार्वजनिक समारोहों पर ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रतिबंध से छुटकारा पाने के लिए गणेश चतुर्थी मनाने के लिए इस धार्मिक छूट का उपयोग किया। बॉम्बे प्रेसीडेंसी के मंडपों में और पूरे उत्सव के दौरान अन्य उत्सवों पर, वह गणेश की बड़ी सार्वजनिक छवियां स्थापित करने वाले पहले व्यक्ति थे।

1893 में, तिलक ने गणेश चतुर्थी उत्सव को एक महत्वपूर्ण पड़ोस सभा के साथ-साथ राजनीतिक आंदोलन, अकादमिक बहस, कविता पाठ, नाटक, संगीत कार्यक्रम और लोक नृत्य के लिए एक गुप्त मंच में बदलने में सहायता की।

गोवा में, गणेश चतुर्थी कदंब युग से पहले मनाई जाती थी।  गोवा इंक्विज़िशन ने हिंदू त्योहारों पर रोक लगा दी, और जो व्यक्ति ईसाई धर्म स्वीकार नहीं करते थे उन्हें कड़ी सजा दी गई।  हालाँकि, प्रतिबंधों ने हिंदू गांवों को अपने धर्म का पालन करने से नहीं रोका। कई परिवार गणेश की पूजा पात्री के रूप में करते हैं, जो कागज का कटआउट होता है, या छोटी चांदी की मूर्तियों के रूप में। गोवा में गणेश चतुर्थी काफी असाधारण ढंग से मनाई जाती है। गोवा में कुछ घरों में गणेश मूर्तियों को छुपाया जाता है क्योंकि जेसुइट्स ने न्यायिक जांचों के दौरान मिट्टी की गणेश मूर्तियों को मना किया था।    Top    

गणेश चतुर्थी त्योहार की तैयारी

उत्सवों के महीनों पहले से ही सार्वजनिक तैयारियां शुरू हो जाती हैं।  स्थानीय कंपनियाँ या सामुदायिक संगठन अक्सर स्थानीय जनता के दान से स्थानीय मंडपों या पंडालों को प्रायोजित या वित्तपोषित करते हैं। 

महाराष्ट्र में, “ पद्य पूजा”, या भगवान गणेश के चरणों की पूजा, आमतौर पर मूर्ति के निर्माण से पहले की जाती है। आयोजन से एक दिन पहले मूर्तियों को “पंडालों” में लाया जाता है। पंडालों को भव्य रूप से सजाया और प्रकाशमान किया जाता है। घर पर उत्सव की तैयारियों में एक महीने पहले से कार्यक्रम बनाना और कार्यक्रम से कुछ दिन पहले पूजा की आपूर्ति या सामान खरीदना शामिल है। मूर्ति को गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले या उसी दिन घर पर लाया  जाता है। मूर्ति रखने से पहले परिवार घर के एक छोटे से हिस्से को फूलों और अन्य रंगीन सजावट से सजाते हैं।

आमतौर पर, चतुर्थी तिथि की उपस्थिति त्योहार की तारीख निर्धारित करती है। यदि चतुर्थी तिथि एक दिन पहले रात में शुरू होती है और अगले दिन सुबह तक समाप्त होती है तो अगले दिन को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।  अभिषेक अनुष्ठान के दौरान, एक पुजारी प्राण प्रतिष्ठा करके गणेश को अतिथि के रूप में आमंत्रित करता है।  16-चरणीय षोडशोपचार समारोह का अंतिम भाग मूर्ति को नारियल, गुड़, मोदक, दूर्वा घास और लाल हिबिस्कस फूल चढ़ाना है।  स्थान और समय क्षेत्र के आधार पर ऋग्वेद, गणपति अथर्वशीर्ष और नारद पुराण के गणेश स्तोत्र के भजनों का पाठ भी किया जाता है।

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गणेश विसर्जन की प्रथा, जिसे गणेश निमज्जनम भी कहा जाता है, उत्सव के अंतिम दिन मनाई जाती है।  इस दिन, भगवान गणपति की मूर्ति को नदी, समुद्र या अन्य जलाशय में विसर्जित किया जाता है।  अनुयायी गणेश प्रतिमा को जलाशय तक ले जाते हुए सड़कों पर परेड करते हैं।

गणेश विसर्जन का इतिहास दिलचस्प है। कहा जाता है कि त्योहार के अंतिम दिन, भगवान गणेश कैलाश पर्वत पर अपने माता-पिता, भगवान शिव और देवी पार्वती के साथ मेल-मिलाप करते हैं।  गणेश चतुर्थी जन्म, जीवन और मृत्यु के चक्र के महत्व के रूपक के रूप में भी कार्य करती है।  गणेश को नई शुरुआत के भगवान और बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में पूजा जाता है।  प्रचलित मान्यता के अनुसार, जब गणेश प्रतिमा को विसर्जन के लिए बाहर ले जाया जाता है, तो यह घर में आने वाली कई बाधाओं को भी दूर कर देती है।

भारत में, मध्य और पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और गोवा, साथ ही दक्षिणी राज्य, पश्चिम बंगाल के पूर्वी राज्य और असम के उत्तर-पूर्वी प्रांत, बड़े पैमाने पर घर पर गणेश चतुर्थी मनाते हैं। सार्वजनिक रूप से गणेश चतुर्थी को महाराष्ट्र में गणेशोत्सव के नाम से जाना जाता है।

आयोजन के दौरान, परिवार आराधना के लिए छोटी मिट्टी की मूर्तियाँ बनाते हैं।  हर सुबह और शाम, लोग मूर्ति को फूल, दूर्वा, करंजी और मोदक का भोग चढ़ाते हैं।  गणेश और अन्य देवताओं के सम्मान में आरती गाई जाती है।

गणेश चतुर्थी, जिसे कोंकणी में परब या पर्व भी कहा जाता है, भाद्रपद के चंद्र माह के तीसरे दिन से शुरू होती है।  महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और पार्वती और शिव की पूजा करती हैं। अनुष्ठानों के दौरान विभिन्न प्रकार के वाद्ययंत्र बजाए जाते हैं, जैसे घुमोट, क्रैश झांझ और पखावज।  अगले दिन फसल उत्सव, नव्याची पंचम का उत्सव मनाया जाता है, जिसके दौरान नए काटे गए धान को खेतों से घर ले जाया जाता है और पूजा की जाती है।

कर्नाटक के आसपास के लोग अपने प्रियजनों को गौरी उत्सव पर शुभकामनाएं भेजते हैं, जो गणेश चतुर्थी से पहले आता है।  आमतौर पर आंध्र प्रदेश में, गणेश भगवान की प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों की पूजा मिट्टी और हल्दी की मूर्तियों के साथ घर पर की जाती है।

पाकिस्तान में, कराची में महाराष्ट्रियों का एक समूह, श्री महाराष्ट्र पंचायत, गणेश चतुर्थी कार्यक्रम आयोजित करता है। वहां रहने वाला ब्रिटिश हिंदू समुदाय भी गणेश चतुर्थी मनाता है। 

2005 में, विश्व हिंदू मंदिर ने लंदन में उद्घाटन गणेश चतुर्थी उत्सव की मेजबानी की। साउथहॉल स्थित संगठन हिंदू कल्चर एंड हेरिटेज सोसाइटी ने तब मूर्ति को पुटनी पियर के पास टेम्स में विसर्जित कर दिया था। साउथेंड-ऑन-सी में, एक गुजराती समूह ने एक अलग कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें लगभग 18,000 उत्साही अनुयायी शामिल हुए।

हर साल लिवरपूल में मर्सी नदी पर कार्यक्रम होते हैं।  फिलाडेल्फिया गणेश महोत्सव, जो कनाडा, मॉरीशस, मलेशिया और सिंगापुर में मनाया जाता है, उत्तरी अमेरिका में सबसे प्रसिद्ध गणेश चतुर्थी कार्यक्रमों में से एक है।  महत्वपूर्ण तमिल भाषी हिंदू अल्पसंख्यक होने के कारण, इस आयोजन को मलेशिया और सिंगापुर में विनयगर चतुर्थी के रूप में जाना जाता है।

कार्यक्रम के दौरान पेश किया जाने वाला प्राथमिक मीठा भोजन मोदक है, जिसे कन्नड़ में मोदक या कडुबु , तेलुगु में मोदकम या कुदुमु और मराठी और कोंकणी में मोदक ही कहा जाता है। मोदक एक चावल या गेहूं आधारित पकौड़ी है जिसे कसा हुआ नारियल, सूखे मेवे और अन्य सामग्री से भरने के बाद भाप में पकाया या तला जाता है।  करंजी, जो स्वाद और संरचना में मोदक जैसा दिखता है लेकिन अर्धवृत्ताकार आकार का होता है, एक और प्रसिद्ध मीठा व्यंजन है।  गोवावासी और कोंकणी प्रवासी इस मीठे भोजन को नेवरी कहते हैं और इसे गणेश अवकाश के साथ जोड़ते हैं। गोवा के लिए खास मोदक और इडली भी काफी पसंद किए जाने वाले व्यंजन हैं।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में, गणेश को मोदक, लड्डू, वुंद्रलु, पनाकम, वडप्पप्पु और चालिविडी का प्रसाद मिलता है। मोदक के एक व्यंजन में अक्सर मिठाई के 21 टुकड़े होते हैं, और इन प्रसादों को नैवेद्य कहा जाता है।  

पंचकज्जाय कर्नाटक के कई हिस्सों में इस उत्सव में भगवान गणेश को दिया जाने वाला एक प्रसाद है। सामग्री में चीनी, घी, तिल, सूखा नारियल और भुना हुआ चना पाउडर शामिल हैं। पंचकज्जाय का निर्माण विभिन्न रूपों में होता है।  इसे बनाने में हरे चने, भुने हुए चने की दाल, भुने हुए चने या भुने हुए अवल का उपयोग किया जा सकता है.

गणेश चतुर्थी भारत में एक अत्यधिक धार्मिक और लोकप्रिय त्योहार है।  इसे बड़ी श्रद्धा, खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।  लोग गणेश की मूर्ति को दस दिनों के लिए अपने घरों में रखते हैं और त्योहार के अंत में इसे एक जलाशय में विसर्जित कर देते हैं।  ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश उन भक्तों के जीवन से सभी बाधाओं और समस्याओं को दूर कर देते हैं जो इस त्योहार के दौरान अपने घरों में उनकी मूर्ति स्थापित करते हैं।

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Ganesh Chaturthi Essay for Students and Children

500+ words essay on ganesh chaturthi.

Ganesh Chaturthi is one of the most prominent festivals of India. People of India wait the whole year for this festival eagerly. Although it is celebrated all over the country, in the state of Maharashtra it is celebrated with the most enthusiasm.

Ganesh Chaturthi Essay

Ganesh Chaturthi is a Hindu festival which holds utmost importance in the religion. This festival is celebrated following the Hindu Mythology which says that Ganesh Chaturthi is the birthday of the Lord Ganesha. Hindus refer to Lord Ganesha as the remover of all obstacles. People believe that Lord Ganesha comes every year with prosperity and success.

Furthermore, they welcome Lord Ganesha in their homes with this festival with the belief that he will remove all their sufferings. Ganesh Chaturthi sparks joy all over the country and unties people with celebrations.

The specialty of Ganesha Chaturthi

Ganesh Chaturthi is celebrated for a whole 11 days. It begins on the Chaturthi when people install the statue of Lord Ganesha in their homes and temples. This festival ends on Anant Chaturdashi with Ganesh Visarjan. The devotees of the Lord Ganesha offer their prayers to God. They sing devotional songs for him and recited various mantras in his praise. They perform aartis in favour of the lord and seek his blessings on them.

essay in hindi ganesh chaturthi

Most importantly, they offer Lord Ganesha sweets. Ganesha Chaturthi especially calls for Modak. Devotees offer Lord Ganesha with Modak, which is the lord’s favorite dessert. Modaks are sweet dumplings which people make with a filling of coconut and jaggery. They either fry them or steam them. People at homes and sweet shops make this sweet delicacy. They are seen around Ganesha Chaturthi mostly and are a huge hit amongst children.

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Celebrations of Ganesh Chaturthi

This 11-day long festival begins with people getting up in the morning and bathing. They buy new clothes for this festival and wear these clean clothes in the morning after bathing. They follow the traditional rituals of chanting mantras and songs.

Early on, Ganesh Chaturthi was celebrated in a few families. Later on, it spread all over and thus began the installation of idols and immersion in the water. This marked the beginning of making Ganesh Chaturthi a larger than life festival. In other words, the idol immersion denotes freedom from evil and sufferings. People set up pandals make glorious statues of Lord Ganesha. Towards the end of the festival when the visarjan is about to take place, people carry out a full-fledged procession. People come out in hundreds and thousands and dance their way to the rivers and oceans.

When Ganesh Chaturthi ends, they pray for the return of Lord Ganesha every year. They look forward to this festival every year. The final immersion of Lord Ganesha’s statue in the river or ocean marks the end of Ganesh Chaturthi.

In short, Ganesh Chaturthi is a fun-filled festival in honour of Lord Ganesha. People all over India thoroughly enjoy it. All the devotees of Lord Ganesha come together irrespective of their differences of caste and colour. Ganesh Chaturthi spreads joy and unites people all over.

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essay in hindi ganesh chaturthi

गणेश चतुर्थी निबंध हिंदी में | Ganesh Chaturthi Information in Hindi

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गणेश चतुर्थी पर निबंध में आप गणेश चतुर्थी पूजा विधि, गणेश चतुर्थी का महत्व और गणेश जी की पौराणिक कहानी पढ़ सकते हैं| श्री गणेश भगवान की पूजा के बिना हर पूजा अधूरी मानी जाती है| श्री गणेश कष्टों को हरने वाले और मंगलकारी हैं उनकी कृपा से सब बाधाएं दूर हो जाती हैं|

  • Ganesh Chaturthi Essay in Hindi
  • गणेश चतुर्थी पूजा विधि
  • श्री गणेश जी की पौराणिक कहानी
  • श्री गणेश के 12 नाम

गणेश चतुर्थी पर निबंध – Ganesh Chaturthi Essay in Hindi

भारतदेश में गणेश चतुर्थी का त्यौहार भाद्रपद माह (अगस्त और सितंबर) में शुक्ल पक्ष में चतुर्थी में मनाया जाता है| यह पर्व श्री गणेश जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है| गणेश चतुर्थी 11 दिन का एक विशाल महोत्सव होता है जिसे पूरे भारतवर्ष में हर्सोल्लास से मनाया जाता है| खासकर महाराष्ट्र में यह पर्व सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है| यह वहां का सबसे बड़ा त्यौहार होता है|

गणेश चतुर्थी के दिन बाजारों में बहुत चहल पहल रहती है| श्री गणेश की सुंदर मूर्तियां और उनके चित्र बाजारों में बिकते हैं| मिटटी से बनी श्री गणेश की ये प्रतिमायें बहुत भव्य होती हैं|

लोग गणेश चतुर्थी के दिन गणेश भगवान की प्रतिमा को अपने घरों में उचित स्थान पर स्थापित करते हैं| जिस दिन गणेश महाराज घर में पधारते हैं उस समय से घरों का माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है| लोग प्रतिदिन सुबह नहा धोकर श्री गणेश की पूजा करते हैं| भगवान गणेश की पूजा में लाल चंदन, कपूर, नारियल, गुड, दूरवा घाँस, और उनके प्रिय मोदक का विशेष स्थान होता है|

घरों में पकवान और स्वादिष्ट मिष्ठान बनाये जाते हैं और श्री गणेश महाराज को भोग लगाया जाता है| यह ग्यारह दिन का पर्व होता है| रोजाना लोग मन्त्रों का उच्चारण और गणेश आरती गाकर गणेश जी की पूजा करते हैं तथा समस्त कष्टों को हरने की कामना करते हैं| भगवान गणेश को विघ्नहारी भी कहा जाता है क्यूंकि वह विघ्नों को हरने वाले और मंगल कारी हैं|

विघ्न हरण, मंगल करण, गणनायक गणराज | रिद्धि सिद्धि सहित पधारजो, म्हारा पूरण करजो काज ||

भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश को बुद्धि और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है| रिद्धि और सिद्धि, भगवान गणेश की दो पत्नियां हैं और “शुभ और लाभ” उनके दो पुत्रों के नाम हैं|

गणेश चतुर्थी पर जगह जगह पर लोग गणेश पूजा के लिए पंडाल लगाते हैं| पूरे पंडाल को फूलों द्वारा सजाया जाता है और गणपति महाराज की प्रतिमा को स्थापित किया जाता है| हिन्दू धर्म की रीति अनुसार गणेश जी की रोजाना पूजा की जाती है| क्या अमीर और क्या गरीब…हर व्यक्ति के लिए गणेश चतुर्थी सबसे विशेष उत्सव होता है| भगवान् गणेश की पूजा के बिना हर कार्य अधूरा होता है|

Ganesh Chaturthi Wallpapers Images

Ganesh Chaturthi Wallpapers Images

पूरे 10 दिनों तक यह पूजा कार्यक्रम चलता है| ग्यारहवें दिन श्री गणेश महाराज की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है| यह दिन सबसे भव्य होता है| इस दिन का नजारा देखने लायक होता है| सभी लोग गणेश महाराज को समुद्र या नदी में विसर्जित करते हैं|

गणपति बप्पा मोरया मंगल मूर्ति मोरया

पूरे धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ भगवान् गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है| यह एक विशेष दिन होता है, बड़े बड़े बॉलीवुड के सेलेब्रेटी भी इसमें बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं| इस तरह श्री गणेश चतुर्थी की पूजा संपन्न होती है|

गणेश चतुर्थी पूजा विधि-

सबसे पहले प्रातः स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें क्यूंकि लाल वस्त्र भगवान गणेश को सबसे ज्यादा प्रिय है| पूजा के दौरान गणेश जी का मुख उत्तर यार पूर्व दिशा में ही रखें –

अब उनकी पूजा आराधना इस प्रकार आरम्भ करें –

1. सबसे पहले पंचामृत से गणेश जी का अभिषेक करें 2. पंचामृत में आप सबसे पहले गणेश जी का अभिषेक दूध से करें, फिर दही से करें, फिर घी से करें, फिर शहद से करें और फिर गंगा जल से या शुद्ध जल से करें| इस तरह पंचामृत अभिषेक कीजिये 3. इसके बाद रोली और कलावा गणेश जी पर चढ़ाये 4. सिंदूर गणेश जी को बहुत प्रिय है| उनको सिंदूर चढ़ायें 5. रिद्धि सिद्धि के रूप में दो सुपारी चढ़ायें और पान चढ़ाये 6. फल, फूल चढ़ायें और फूल में गणेश जी को पीला कनेर बहुत प्रिय है, पीला कनेर चढ़ाएं और दूब चढ़ायें 7. इसके बाद उनके सबसे प्रिय मिष्ठान मोदक (लड्डू) से उनको भोग लगायें 8. इसके बाद समस्त परिवारजनों के साथ मिलकर गणेश जी की आरती गायें 9. श्री गणेश के 12 नामों का उच्चारण कीजिये और उनके मन्त्रों का उच्चारण भी कर सकते हैं

श्री गणेश के 12 नाम –

नारद पुराण में भगवान गणेश के 12 नामों का वर्णन मिलता है| उनके 12 नाम इस प्रकार हैं –

सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्ण, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन

भगवान् गणेश के नामों के अर्थ –

1. सुमुख : सुन्दर मुख वाले 2. एकदंत : एक दन्त वाले 3. कपिल : कपिल वर्ण वाले 4. गजकर्ण : हाथी के कान वाले 5. लम्बोदर : लम्बे पेट वाले 6. विकट : विपत्ति का नाश करने वाले 7. विनायक : न्याय करने वाले 8. धूम्रकेतु : धुएं के रंग वाले पताका वाले 9. गणाध्यक्ष : गुणों और देवताओ के अध्यक्ष 10. भालचन्द्र : सर पर चंद्रमा धारण करने वाले 11. गजानंद : हाथी के मुख वाले 12. विध्ननाशक : विध्न को ख़त्म करने वाले

श्री गणेश जी की पौराणिक कहानी –

एकबार माता पार्वती नहाने जा रही थीं| तब उन्होंने अपने शरीर के मैल से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डालकर एक सुन्दर बालक का रूप दिया| माता पार्वती के शरीर का ही अंश होने के कारण वह बालक उनका पुत्र था| अपने पुत्र को द्वार पर खड़ा करके माता पार्वती नहाने चली जाती हैं और बालक को आदेश देती हैं कि जब तक मेरी आज्ञा ना हो तब तक किसी को भी द्वार के भीतर ना आने देना|

वह बालक द्वार पर पहरेदारी करने लगता है| तभी भगवान् शंकर आते हैं और अंदर जाने का प्रयास करते हैं लेकिन वह बालक उनको वहीँ रोक देता है| भगवान शंकर उस बालक से द्वार छोड़ने के लिए कहते हैं लेकिन वह बालक अपनी माँ की आज्ञा का पालन करता है और भगवान शंकर को अंदर प्रवेश नहीं करने देता|

तब भगवान शंकर क्रोधित हो उठते हैं और अपने त्रिशूल से उस बालक की गर्दन धड़ से अलग कर देते हैं| जब माँ पार्वती अंदर से आकर देखती हैं तो अपने पुत्र के कटे सिर को देखकर बहुत दुःखी हो जाती हैं और रोने लगतीं हैं| तब भगवान् शंकर को पता चलता है कि वह बालक उनका ही पुत्र था|

भगवान शंकर फिर अपने सेवकों को आदेश देते हैं कि धरतीलोक पर जिस बच्चे की माँ, बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो, उस बच्चे का सिर काट लाना| सेवक जाते हैं तो उन्हें एक हाथी का बच्चा दिखाई देता है जिसकी माँ उसकी तरफ पीठ करके सो रही थी| सेवक उस हाथी के बच्चे का सिर काट लाते हैं|

तब भगवान् शंकर उस हाथी के सिर को अपने पुत्र के सिर से जोड़कर उन्हें पुनः जीवित कर देते हैं| भगवान् शंकर उस बालक को अपने सभी गणों को स्वामी घोषित करते हैं तभी से उस बालक का नाम गणपति रख दिया जाता है|

गणपति गणेश को भगवान शंकर सबसे अग्रणी देवता होने का वरदान देते हैं अर्थात सबसे पहले पूजे जाने वाले देवता| इसीलिए कोई भी पूजा श्री गणेश भगवान के पूजन के साथ ही आरम्भ की जाती है| उनकी पूजा के बिना कोई भी पूजा संपन्न नहीं होती|

आपको गणेश चतुर्थी पर यह निबंध कैसा लगा ? अगर आपके पास भी गणेश चतुर्थी से सम्बंधित कोई जानकारी है तो नीचे कमेंट करके बताइये हम आपके विचारों को भी इस लेख में शामिल करेंगे| धन्यवाद!!

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गणेश चतुर्थी निबंध हिंदी में | Ganesh Chaturthi Essay in Hindi

Ganesh Chaturthi Essay in Hindi

Ganesh Chaturthi Essay in Hindi:- हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोगों के लिए गणेश चतुर्थी का त्योहार बहुत ही भव्य माना जाता है। भारत के विभिन्न जगहों पर लोग साल भर से Ganesh Chaturthi का इंतजार करते है और इस त्यौहार को बड़े ही भव्य तरीके से मनाते है। कुछ परीक्षा में Ganesh Chaturthi Nibandh लिखने के लिए भी कहा जाता है . अगर आप “गणेश चतुर्थी निबंध हिंदी में” की तलाश गूगल पर कर रहे हैं तो आज आप बिल्कुल सही जगह पर हैं। आपको बता दें कि इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 31 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। अगर आप गणेश चतुर्थी निबंध के ऊपर जानकारी ढूंढ रहे है तो नीचे दिए गए सभी निर्देश और आवश्यक जानकारियों को ध्यानपूर्वक पढ़ें। 

गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। भारत के विभिन्न त्योहार की तरह गणेश चतुर्थी का त्योहार भी बड़े ही हर्षोल्लास के साथ विभिन्न राज्यों में विभिन्न प्रकार के आयोजनों से संपन्न किया जाता है मुख्य रूप से गणेश चतुर्थी के त्योहार का भव्य आयोजन महाराष्ट्र राज्य में किया जाता है। इसके संबंध में हमने कुछ खास गणेश चतुर्थी निबंध को नीचे सूचीबद्ध किया है उन्हें ध्यानपूर्वक पढ़ें।

Ganesh ji

Ganesh Chaturthi Essay in Hindi

कहां मनाया जाता हैभारत के सभी क्षेत्र में मुख्य रूप से महाराष्ट्र में
कब मानते हैभाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
इस साल कब है31 अगस्त 2022 
क्यों मनाते हैभगवान गणेश के जन्म उत्सव के रूप में मनाते हैं
Ganesh Chaturthi 2022Links
Ganesh Chaturthi Quotes in Hindi
गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है
गणेश चतुर्थी पर कविता
गणेश चतुर्थी स्टेटस हिंदी | Ganesh Chaturthi Status
गणेश चतुर्थी शायरी | Ganesh Chaturthi Shayari in Hindi
गणेश चतुर्थी निबंध हिंदी में
गणेश चतुर्थी कब है पूजा, मुहूर्त, विधि, व्रत कथा

Ganesh Chaturthi Nibandh in Hindi 2022

प्रस्तावना:- हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोगों के लिए गणेश चतुर्थी का त्योहार बहुत बड़े भव्य त्योहार के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्योहार हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार भारत के हर राज्य में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ है भगवान गणेश की पूजा और व्रत से मनाया जाता है। कुछ जगहों पर गणेश चतुर्थी के दिन भव्य मेला का आयोजन किया जाता है। हम आपको यह भी बता दें कि गणेश चतुर्थी के दिन सबसे बड़ा मेला महाराष्ट्र के मुंबई शहर के सिद्धिविनायक मंदिर में आयोजित होता है।

गणेश चतुर्थी के त्योहार की शुरूआत भगवान गणेश के जन्म उत्सव के रूप में की जाती है। भगवान गणेश का जब जन्म हुआ था तो गलती से भगवान शिव अपने क्रोध के आवेग में गणेश का गर्दन काट देते हैं जिसके बाद उन्हें हाथी का गर्दन लगाया जाता है। इस बात से उनकी माता बहुत क्रोधित होती है जिस पर सभी देवताओं के द्वारा उन्हें वरदान दिया जाता है कि पृथ्वी पर सबसे पहले किसी भी कार्य में भगवान गणेश की पूजा की जाएगी। इस तरह भगवान गणेश का जन्म होता है और उनकी पूजा-अर्चना करने के लिए भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चुना जाता है। भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में यह त्यौहार हर साल पूरे भारतवर्ष में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी पर निबंध

आज से कुछ साल पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने के लिए बहुत ही भव्य आयोजन किया जाता था जिसमें कुछ लोगों के द्वारा एक स्थान पर भगवान की मूर्ति की स्थापना की जाती थी वर्तमान समय में इस तरह की स्थापना कम कर दी गई है को रोना और विभिन्न प्रकार की महामारी की वजह से लोगों एकजुट होने की संख्या को कम करने को कहा गया है। यही कारण है वर्तमान समय में भगवान गणेश की पूजा के लिए मेला का आयोजन बहुत कम हो गया है।

मगर इसके बावजूद भारत के अलग-अलग जगहों पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के लिए गणेश चतुर्थी के दिन मेला का आयोजन किया जाता है। वर्तमान समय में भारत का सबसे बड़ा गणेश चतुर्थी मेला मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में आयोजित किया जाता है। इस दिन लोग भगवान की मूर्ति की स्थापना करते हैं मोदक का भोग चढ़ाते हैं और 11 दिन तक भगवान की पूजा अर्चना करते हैं। औरतें गणेश चतुर्थी के दिन गणेश भगवान के निमित्त व्रत करती हैं और घर की सुख शांति के लिए भगवान गणेश की पूजा करती है।

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है क्योंकि उनके आगमन मात्र से भक्तों के सभी विघ्न और परेशानी खत्म हो जाती है। भगवान गणेश को तारक बुद्धि और विवेक का देवता माना जाता है जिनकी सवारी मूषक है उनके त्यौहार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ गणेश चतुर्थी के रूप में हम हर साल भव्य तरीके से भारत के लग भाग सभी घर में मनाते हैं।

गणेश चतुर्थी निबंध हिंदी में

Ganesh Chaturthi Hindi Nibandh:- गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में हर साल भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्योहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र राज्य में मनाया जाता है वर्तमान समय का सबसे बड़ा गणेश चतुर्थी मेला मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में आयोजित होता है। भगवान गणेश को हम लंबोदर विघ्नहर्ता और अन्य नामों से जानते है, उन्हें तर्क बुद्धि और विवेक का देवता माना जाता है। भगवान गणेश की सवारी मूषक है, भगवान गणेश की पूजा करने से सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं और भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है जिस वजह से उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। 

ऐसी मान्यता है कि कई साल पहले जब माता पार्वती को एक ऐसे बच्चे की जिज्ञासा हुई जो उनका हर तरह का आदेश माने तो उन्होंने गणेश को कीचड़ और मिट्टी से बनाया और उसके बाद जीवन दान देकर उन्हें घर के पहरेदारी पर खड़ा कर दिया भगवान शिव इस बात से अनजान थे और उन्होंने इस बच्चे के सिर पर अपने त्रिशूल से वार करके उनका गर्दन धड़ से अलग कर दिया। माता पार्वती इस बात से बहुत क्रोधित हुई तो अपनी गलती पर पछतावा हुए किसी और तरह कशिश नाम मिलने पर हाथी के शीशे को उनके शरीर से जोड़ दिया गया तब से भगवान गणेश को लंबोदर का नाम दिया गया। सभी देवताओं ने उन्हें आशीर्वाद दिया जिनमें सबसे पहले उनकी पूजा होगी यह वरदान भी शामिल था।

Ganpati Image

भगवान गणेश की पूजा हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। भगवान गणेश की पूजा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ हर साल भारत के अलग-अलग क्षेत्र में लोग मनाते हैं। इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाती है और जनता के नाम पर औरतें व्रत रखती हैं उपवास करती हैं इसके अलावा दान दक्षिणा के साथ मुख्य रूप से मोदक या लड्डू का भोग चढ़ाया जाता है। लड्डू गणेश भगवान का प्रिय भोजन है हर कोई इस त्यौहार के दिन भगवान गणेश को लड्डू भेंट करता है। इसके अलावा सुपारी और पान पत्र भगवान के दाहिने और बाएं और रखा जाता है जो उनकी पत्नियों का संकेत है। रिद्धि और सिद्धि को भगवान गणेश की पत्नियां हैं।

भगवान की पूजा बहुत ही भव्य तरीके से इस दिन की जाती है। इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना के बाद एक मेला का आयोजन भी किया जाता है अलग-अलग जगहों पर मेला बहुत ही भव्य तरीके से आयोजित किया जाता है जहां झूला और अलग-अलग प्रकार के व्यंजनों की व्यवस्था होती है। इस साल गणेश चतुर्थी के रूप में हम 31 अगस्त 2022 को इस भव्य आयोजन का आनंद उठाने वाले हैं।

गणेश चतुर्थी निबंध लेखन

गणेश चतुर्थी हर साल भारत के लगभग सभी क्षेत्र में हर्षोल्लास के साथ भगवान गणेश की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस भव्य त्यौहार को हम भगवान गणेश के जन्म उत्सव के रूप में मनाते है। गणेश चतुर्थी के दिन हर कोई भगवान गणेश की पूजा अर्चना करता है और उनके नियमित औरतें व्रत रखती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के नाम से जाना जाता है इस दिन उनके नियमित ध्यान पूर्वक पूजा करने से भक्तों के सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं।

हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल के पावन त्यौहार 31 अगस्त 2022 को मनाया जा रहा है और कुछ सूत्रों के मुताबिक इसके शुभ मुहूर्त को शाम के 3:23 का बताया गया है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रकार की कथाएं प्रचलित हैं मगर सबसे प्रचलित कथा यह है कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था और भगवान शिव के हाथ से उनका शीश कट गया था जिस वजह से उन्हें हाथी का शीश मिला था। इस पौराणिक कथा के बाद भगवान गणेश का नाम सभी देवताओं में सबसे पहले लिया जाने लगा और तब से लेकर आज तक गणेश चतुर्थी के दिन हर कोई भगवान गणेश को याद करता है।

गणेश चतुर्थी के दिन में हर कोई स्नान करके सुबह-सुबह भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करता है कुछ जगहों पर लोग चांदी और तांबे के मूर्ति की स्थापना करते हैं तो कुछ जगहों पर मिट्टी और गोबर की मूर्ति की स्थापना की जाती है। मूर्ति स्थापित करने के बाद कलश स्थापना होता है जिसमें एक मिट्टी के कलश पर भगवान गणेश की आकृति बनाकर उसे के लाल कपड़े से ढककर मूर्ति के समक्ष रखा जाता है। भगवान गणेश के नाम को याद करते हुए भगवान गणेश की आरती की जाती है और उनके नियमित मंत्र उच्चारण किया जाता है। इस तरह पूरे दिन भगवान की पूजा चलती है और औरतें इस दिन उपवास करती हैं रात को अर्ध चंद्रमा पर अर्घ्य देकर अपने उपवास को तोड़ती है। अगले दिन दान दक्षिणा करने और भगवान की आरती करने के बाद पारणा किया जाता है। मुख्य रूप से यह त्यौहार महाराष्ट्र में मनाया जाता है वर्तमान समय में भी गणेश चतुर्थी का सबसे बड़ा मेला महाराष्ट्र के शहर मुंबई में आयोजित किया जाता है जहां विभिन्न प्रकार के झूले और विभिन्न प्रकार के भोजन की व्यवस्था की जाती है।

Load Ganesh

भारत के अलग-अलग क्षेत्र में गणेश चतुर्थी का त्योहार अलग अलग तरीके से मनाया जाता है जिसमें सबसे प्रचलित राज्य महाराष्ट्र है जहां के प्रमुख त्योहार के रूप में हम गणेश चतुर्थी को जानते है। यह गणेश चतुर्थी के त्योहार का इंतजार कई दिनों से किया जाता है और अलग-अलग प्रकार के आयोजन का इंतजाम किया जाता है। इस त्यौहार में हर कोई सज धज कर भगवान गणेश की आरती करता है और कुल 11 दिन तक भगवान की आरती करने के बाद उनका बड़े ही धूमधाम से विसर्जन किया जाता है। भारत के अलग-अलग क्षेत्र में गणेश चतुर्थी को मनाने की अलग-अलग प्रथा, परंपरा और संस्कृति चली आ रही है। हर साल की तरह इस साल भी हम बड़े ही हर्षोल्लास के साथ गणेश चतुर्थी की बधाई अपने मित्र सगे संबंधी और हर किसी तक पहुंचाएंगे और भगवान की पूजा-अर्चना करेंगे।

गणेश चतुर्थी पर निबंध कैसे लिखें

Ganesh Chaturthi Essay in Hindi:- गणेश चतुर्थी भारत की एक प्रचलित त्यौहार है जिसे मुख्य रूप से हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोग मनाते है। अगर आप इस भव्य त्योहार के ऊपर एक खूबसूरत निबंध लिखना चाहते हैं तो नीचे दिए गए निर्देशों का आदेश अनुसार पालन करें – 

  • सबसे पहले आपको इस त्यौहार के बारे में थोड़ी सी जानकारी देनी है जैसे इस साल यह त्यौहार कब मनाया जा रहा है और इस त्यौहार को क्यों मनाया जाता है।
  • उसके बाद आप को भगवान ने गणेश के बारे में जानकारी देनी है साथ ही इस त्यौहार से जुड़ी किसी प्रकार की कथा को भी बताना है।
  • इसके बाद भारत के अलग-अलग क्षेत्र में यह त्यौहार किस प्रकार मनाया जाता है और मुख्य रूप से यह त्यौहार किस चीज का संकेत देता है इसके बारे में जानकारी देनी है।
  • फिर पुराने जमाने में यह त्यौहार किस प्रकार मनाया जाता था और वर्तमान समय में इस त्यौहार को कैसे मनाया जाता है इससे जुड़ी जानकारी मुहैया करवाएं।  
  • इस त्यौहार को मनाने की प्रक्रिया और इससे जुड़े कुछ खास बाते और इस त्यौहार को अलग अलग छेत्र में मनाए जाने के अलग-अलग प्रकार और इससे जुड़ी अन्य प्रकार की जानकारी को देते हुए अपने लेख का समापन करे।

Ganesh Chaturthi Hindi Quotes

FAQ’s Ganesh Chaturthi Essay in Hindi

Q. इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार कब मनाया जा रहा है.

इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 31 अगस्त 2022 को मनाया जा रहा है।

Q. हिंदू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का त्योहार कब मनाया जाता है?

हिंदू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का त्योहार हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

Q. गणेश चतुर्थी मनाने का शुभ मुहूर्त क्या है?

इस साल गणेश चतुर्थी को मनाने के लिए भाद्रपद महीने की शुरुआत 31 अगस्त की शाम 3: 23 को बताया गया है।

Q. गणेश चतुर्थी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

Q. गणेश चतुर्थी का सबसे बड़ा मेला कहां लगता है?

भारत के अलग-अलग क्षेत्र में गणेश चतुर्थी के दिन मेला का आयोजन होता है जिसमें सबसे बड़ा मेला महाराष्ट्र के मुंबई शहर के सिद्धिविनायक मंदिर में आयोजित होता है।

आज इस लेख में हमने आपको Ganesh Chaturthi Essay in Hindi से जुड़े कुछ बेहतरीन निबंध के बारे में बताया है। इस लेख में अपने अलग-अलग प्रकार के निबंध को पढ़ा और गणेश चतुर्थी से जुड़ी विभिन्न प्रकार की जानकारियों को पाया है। इस लेख में हमने गणेश चतुर्थी से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी निबंध के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत की है अगर इससे आपकी समस्या का निराकरण होता है तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें साथी अपने सुझाव विचार या किसी भी प्रकार के प्रश्न को कमेंट में पूछना ना भूलें।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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Ganesh Chaturthi Essay for Students - History, Rituals of Ganesh Chaturthi

One of the most significant festivals observed in India is Ganesh Chaturthi. Lord Ganesha is said to arrive every year with success on this day. Hindus think that Lord Ganesh will help us overcome all of our challenges. Ganesh Chaturthi ignites happiness throughout the nation and brings people together via festivities. Here are a few sample essays on Ganesh Chaturthi.

Ganesh Chaturthi Essay for Students - History, Rituals of Ganesh Chaturthi

100 Word Essay On Ganesh Chaturthi

Ganesh Chaturthi, also known as Vinayaka Chaturthi, is observed on the fourth day of the Bhadrapada month (August - September). Lord Ganesh idols is brought by people to their temples and houses. The unique aspect of this event is that it is observed for 11 days by erecting statues of Lord Ganesha throughout the city. It l begins on Chaturthi and concludes with Ganesh Visarjan on Anant Chaturdasi . People pray during these 11 days by singing devotional songs and performing bhajans.

According to history, Chatrapathi Shivaji Maharaja initiated the festivities to advance culture and nationalism. Ganesh festival was started in 1893 by Lokamanya Bal Gangadhar Tilak as a social and religious event.

200 Word Essay On Ganesh Chaturthi

Every year in August or September, Hindus celebrate Ganesha Chaturthi, a festival honouring Lord Ganesha. On the day of Ganesha Chaturthi, Lord Ganesha was born. Hindus began to observe Ganesh Chaturthi as the day on which they celebrated Ganesha's birthday.

Lord Ganesha is everyone's favourite god , especially among children. In addition to being known by the children as their friend Ganesha, he is a god of wealth, wisdom, knowledge, and prosperity. According to legend, Lord Ganesha is the beautiful son of Shiva and Mata Parvati. Lord Shiva once cut off Lord Ganesha's head and then reattached it to the elephant's head. He regained his life in this manner, which is commemorated by the Ganesh Chaturthi.

People joyfully bring a Ganesha statue home and conduct 10 days of puja with dedication and trust. To bid Ganesha farewell for this year and welcome him back the following, they perform Visarjan at the conclusion of the puja on the 11th day, which is Anant Chaturdashi. People ask God for the blessing of wisdom and money in their prayers. This celebration is also referred to as Vinayaka Chaturthi.

This event is celebrated on the Shukla Paksha Chathurthi in the Hindi month of Bhadrapada (4th day of waxing moon period). It is believed that the Moon observed the Ganesha fast for the first time since Ganesha had cursed him for his misbehaviour.

500 Word Essay On Ganesh Chaturthi

Ganesh Chaturthi is a well-known Hindu festival that is observed all over India, particularly in Maharashtra and the states and union territories of Madhya Pradesh, Goa, Gujarat, Tamil Nadu, Karnataka, and West Bengal. The most anticipated event in Mumbai is the Ganesh Chaturthi celebrations, which are extensively covered in print and electronic media.

In the months of August through September on the Gregorian calendar , Ganesh Chaturthi is observed. Ganesh Chaturthi is observed on Shukla Paksha of Bhadrapada month, which is the sixth month in the Hindu calendar, according to the traditional calendar. August through September on the Gregorian calendar are the months of Bhadrapada.

History of Ganesh Chaturthi

Although it is unknown exactly when Ganesh Chaturthi became a tradition, Chatrapati Shivaji Maharaj, a Maratha warrior who lived in the 17th century, actively promoted it. This information supports the assertion that Ganesh Chaturthi is a more than 500-year-old event.

After waging numerous conflicts with the Mughals, Chatrapati Shivaji Maharaj began vigorously supporting and promoting the Ganesh Chaturthi festival. Until the late 20th century, when a prominent Indian politician and freedom warrior further pushed the celebration, little changed.

Hindu gatherings for religious or other reasons were forbidden under the "Anti Public Assembly Legislation" that the colonial British administration of India introduced in 1892. At that time, revered liberation fighter Bal Gangadhar Tilak, now known as Lokmanya Tilak, urged Hindus all throughout the nation to observe Ganesh Chaturthi in protest of the unjust colonial law and to show their support for one another.

Thus, in the late 1800s, the festival—which had previously only been observed in the Maharashtra region—was spread to other areas of India. Since that time, the festival has only grown in popularity as it has extended to other areas.

Story Of Ganesha

According to Hindu mythology, the Ganesh Chaturthi holiday honours Lord Ganesha's rebirth. There is an intriguing tale regarding the event and Ganesha's rebirth, According to mythology, Lord Ganesha once watched over a palace where his mother, Goddess Parvati, was taking a bath.When Parvati told Ganesha as a youngster to protect the palace while she finished her bath, the little Ganesha, who had always been an obedient child and never disobeyed his mother, instantly took up guard to deter any invaders.

Lord Shiva arrived there in the meantime and began searching for Goddess Parvati. Shiva urged Ganesha to let him pass because Parvati was his wife. However, Ganesha was steadfast and determined to carry out his mother's instructions.

This infuriated Lord Shiva , who then decapitated Ganesha in a fit of rage. Goddess Parvati was so furious with fury upon coming and seeing her son killed that she assumed the form of Maa Kali, endangering the entire survival of the planet.

Given the seriousness of the situation and his own wrongdoing, Lord Shiva commanded his troops to descend to Earth and seize the head of the first infant they encountered, whose mother was facing away from the child. By coincidence, the first child they encountered was an elephant, and they took its head per command. Shiva calmed Parvati's fury and prevented the end of the world by placing the elephant's head over Ganesha's body and bringing it to life. Ganesh Chaturthi is the Indian holiday honouring Ganesha's rebirth as a result.

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गणेश चतुर्थी के बारे में संपूर्ण जानकारी

essay in hindi ganesh chaturthi

हर वर्ष हम भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (Ganesh Chaturthi Essay In Hindi) को भगवान गणेश जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य पर गणेश चतुर्थी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ आयोजित करते है। महाराष्ट्र राज्य में इसे लेकर विशेष उत्साह देखने को मिलता है जहाँ इसे दस दिनों तक मनाया जाता हैं तथा अंतिम दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है (10 Lines On Ganesh Chaturthi In Hindi)। इसे विनायक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है (Short Essay On Ganesh Chaturthi In Hindi)। गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखने की भी परंपरा हैं। आज हम आपको गणेश चतुर्थी के बारे में संपूर्ण परिचय देंगे।

गणेश चतुर्थी के बारे में जानकारी (Ganesh Chaturthi Information In Hindi)

गणेश चतुर्थी का इतिहास (ganesh chaturthi history in hindi).

मान्यता हैं कि इसी दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था। माता पार्वती जब स्नान करने जा रही थी तब द्वार पर पहरा देने के लिए कोई नही था। इसलिये उन्होंने अपने तन के मैल से एक पुत्र का निर्माण किया जिसका नाम गणेश पड़ा। गणेश को द्वार पर पहरा देने का कहकर माता पार्वती स्नान करने के लिए चली गयी।

उसके बाद जब भगवान शिव वहां आये तब उन्होंने माता पार्वती से मिलने की इच्छा प्रकट की। गणेश के मना करने पर भगवान शिव ने क्रोधित होकर उनका मस्तक काट दिया। बाद में माता पार्वती के विलाप करने पर भगवान शिव ने गणेश के धड़ पर एक हाथी का सिर जोड़ दिया था।

साथ ही इस दिन व्रत से भी एक कथा जुड़ी हुई हैं। आइये जानते हैं।

गणेश चतुर्थी की व्रत कथा (Ganesh Chaturthi Katha In Hindi)

एक दिन माता पार्वती व महादेव नर्मदा नदी के तट पर चौपड़ का खेल खेल रहे थे। उसमे हार जीत का निर्धारण माता पार्वती के द्वारा बनाए गए एक बालक को करना था जिसनें गलती से माता पार्वती के जीतने पर भी भगवान शिव को विजयी घोषित कर दिया। इससे क्रोधित होकर माता पार्वती ने उसकी एक टांग टूट जाने और वही कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दिया।

उस बालक के क्षमा मांगने पर माता पार्वती ने एक वर्ष के लिए प्रतीक्षा करने को कहा। एक वर्ष के पश्चात वहां नाग कन्याएं आई तथा गणेश चतुर्थी व्रत करने को कहा। उस व्रत को करने से ना केवल उसका श्राप दूर हुआ बल्कि उसे अपने माता-पिता से भी मिलने को मिला। तब से गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखने की प्रथा शुरू हुई। इसके बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे।

गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखना निषेद्ध (Ganesh And Chandrama Story In Hindi)

एक बार चंद्रमा गणेश भगवान का मुख देखकर हंसने लगे जिससे गणेश जी को अपना उपहास लगा। उन्होंने चंद्रमा को श्राप दिया कि दिन प्रतिदिन उनका प्रभाव कम होने लगेगा तथा जो कोई भी उनके दर्शन करेगा तो उस पर मिथ्या कलंक लगेगा।

चंद्रमा के क्षमा मांगने पर भगवान गणेश ने कहा कि जो कोई भी गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करेगा केवल उसी को श्राप लगेगा। इस श्राप का फल स्वयं भगवान विष्णु के रूप श्रीकृष्ण को भी भोगना पड़ा था। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करे।

गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र में मुख्य रूप से क्यों मनाते हैं? (Ganesh Chaturthi Ka Mahatva In Hindi)

सन 1893 से पहले यह पर्व एक दिन का ही होता था जिसे घर पर निजी रूप से मनाया जाता था। उसके बाद बाल गंगाधर तिलक ने लोगों में स्वाधीनता की ललक जगाने तथा अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए गणेश उत्सव को चुना। उन्होंने इसे एक सार्वजानिक उत्सव में बदल दिया जिसमें लोग 10 दिनों तक घर में गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करते हैं तथा ग्यारहवें दिन उनका नदी या सरोवर में विसर्जन कर दिया जाता है। इसके बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे।

गणेश प्रतिमा का विसर्जन क्यों किया जाता हैं? (Why Is Ganesh Chaturthi Celebrated In Hindi)

इसके पीछे भी एक कथा जुड़ी हुई हैं। हिंदू धर्म के एक प्रमुख काव्य महाभारत की रचना तो महर्षि वेदव्यास जी ने की थी लेकिन उसे लिखा गणेश जी ने था। महर्षि वेदव्यास जी ने गणेश जी को महाभारत की कथा गणेश चतुर्थी के दिन से सुनानी शुरू की थी जिसे वे पंक्तिबद्ध तरीके से लिखते जा रहे थे।

इसमें कुल 10 दिन लगे। अंतिम दिन जब महर्षि वेदव्यास जी ने अपनी आँखें खोली तो उन्होंने पाया कि अत्यधिक परिश्रम करने के कारण गणेश जी के शरीर का तापमान अत्यधिक बढ़ चुका हैं। इसलिये उन्होंने गणेश जी को ले जाकर पास के सरोवर में स्नान करवाया ताकि उनके शरीर का तापमान कम हो सके। इसी कारण दस दिनों तक गणेश जी को अपने घर में रखने के पश्चात भक्तगण उनका समुंद्र में विसर्जन कर देते है। विस्तार से पढ़ें..

गणेश चतुर्थी से जुड़े बधाई संदेश (Ganesh Chaturthi Quotes In Hindi)

#1. माता-पिता के प्रेम में कभी,

छल कपट हो नही सकता,

जिसके सिर पर हो स्वयं भगवान गणेश का हाथ,

उसे कोई दुःख हो नही सकता।

#2. बड़े दिन बाद पधारे हो हमारे घर,

लो देखो आपके लिए मोदक बनाये हैं,

कुछ कमी ना रह जाये स्वाद में,

इसलिये शबरी की भांति थोड़े मूषक को चखाएं हैं।

अन्य संदेश पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे।

इस प्रकार गणेश चतुर्थी का उत्सव पूरे भारत वर्ष में बड़े ही उत्साह से मनाया जाता हैं। कोई इस दिन अपने घर में गणेश की प्रतिमा को स्थापित करता हैं तो कोई व्रत करता हैं तो कोई मंदिर जाकर भगवान के चरणों में शीश नवाता हैं।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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Ganesh Chaturthi Essay In Hindi: गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें पढ़ें जानिए

Ganesh chaturthi essay in hindi 2022 / गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में: गणेश चतुर्थी कब है 2021 में गणेश चतुर्थी 2021 में 10 सितंबर 2021 को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी यानी भगवान गणेश का.

Ganesh Chaturthi Essay In Hindi 2022 गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में: गणेश चतुर्थी कब है 2022 में? हिंदू धर्म में भगवान श्री गणेश का बहुत महत्त्व है। सभी देवताओं ने भगवान गणेश जी को सबसे पहले पूजा जाता है। गंदेश जी के जन्मोत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाते हैं। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 2022 में 31 अगस्त 2022 को है और 9 सितंबर 2022 को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी को विदा किया जाएगा, जिसे गणेश विसर्जन भी कहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी यानी भगवान गणेश का जन्मदिन हर साल भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पूरे विश्व में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का पर्व सभी पर्व में सबसे बड़ा और लंबा होता है। गणेश चतुर्थी का पर्व 11 दिनों तक चलता है, गणेश मूर्ति स्थापना 10 दिनों के लिए की जाती है और 11वें दिन गणेश विसर्जन किया जाता है। गणेश चतुर्थी पर लोग एक दूसरे को गणेश चतुर्थी पर निबंध, गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं संदेश, हैप्पी गणेश चतुर्थी, हैप्पी गणेश चतुर्थी, हैप्पी गणेश चतुर्थी कोट्स, हैप्पी गणेश चतुर्थी फोटो, हैप्पी गणेश चतुर्थी शायरी, हैप्पी गणेश चतुर्थी इमेज, हैप्पी गणेश चतुर्थी वॉलपेपर, हैप्पी गणेश चतुर्थी स्टेटस, हैप्पी गणेश चतुर्थी संदेश, हैप्पी गणेश चतुर्थी वीडियो स्टेटस, हैप्पी गणेश चतुर्थी ड्राइंग और हैप्पी गणेश चतुर्थी पोस्टर भेजते हैं। लेकिन हम आपके लिए लाये हैं गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में, जिसके माध्यम से आप स्कूल में गणेश चतुर्थी पर निबंध कैसे लिखें ? गणेश चतुर्थी पर भाषण कैसे लिखें ? और गणेश चतुर्थी पर लेख कैसे लिखें ? इसकी प्रेक्टिस कर सकते हैं। तो आइये जानते हैं गणेश चतुर्थी पर निबंध कैसे लिखें पढ़ें...

Ganesh Chaturthi Essay In Hindi: गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें पढ़ें जानिए

गणेश चतुर्थी 2022 तिथि | Ganesh Chaturthi Kab Hai 2022 इस वर्ष, गणेश चतुर्थी 31 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी।

गणेश चतुर्थी 2022 तीथि समय | Ganesh Chaturthi 2022 Date Time चतुर्थी तिथि 31 अगस्त को सुबह 12:18 बजे से शुरू होगी और 10 सितंबर को रात 09:57 बजे समाप्त होगी।

गणेश चतुर्थी 2022 पूजा मुहूर्त | Ganesh Chaturthi 2021 Muhurat ड्रिपपंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी पूजा के लिए पूजा मुहूर्त 31 अगस्त 2022 को सुबह 11 बजकर 05 से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक है। गणेश चतुर्थी पूजा आमतौर पर मध्याह्न अर्थात दोपहर के दौरान की जाती है। गणेश चतुर्थी के दिन, भक्तों को सलाह दी जाती है कि वह चंद्रमा को न देखें।

गणेश चतुर्थी विसर्जन 2022 तिथि | Ganesh Visarjan 2022 Date Time महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कई अन्य क्षेत्रों में भगवान गणेश के भक्त दस दिनों के लिए गणेशोत्सव मनाते हैं। चतुर्थी तीथि पर शुरू होने वाले त्योहार का समापन चतुर्दशी तीर्थ पर विसर्जन के साथ होता है। इस साल, गणेश विसर्जन 9 सितंबर 2022 को होगा।

गणेश चतुर्थी की महत्वपूर्ण सूचना: भगवान गणेश माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं। वह ज्ञान, ज्ञान, सीखने और शुभता का प्रतीक है। माना जाता है कि गणेश चतुर्थी वह दिन है जब भगवान गणेश पहली बार अस्तित्व में आए थे। इसलिए, इसे भगवान गणेश की जयंती माना जाता है।

Long Essay On Ganesh Chaturthi In Hindi | Ganesh Chaturthi Essay For Students Class 10 to 12th

Long Essay On Ganesh Chaturthi In Hindi | Ganesh Chaturthi Essay For Students Class 10 to 12th

गणेश चतुर्थी पर निबंध 700 शब्दों में कैसे लिखें ? सबसे पहले आप लिखें... गणपति बप्पा मोरया... गणेश चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित सबसे महत्वपूर्ण वार्षिक त्योहार है, जिसे गणपति, विनायक और कई अन्य सार्थक नामों से भी जाना जाता है। उन्हें विघ्नहर्ता (बाधाओं को दूर करने वाला) के रूप में जाना जाता है, और इसलिए उन्हें एक नए उद्यम, कार्य या विवाह या गृहप्रवेश जैसी शुभ शुरुआत की शुरुआत करने से पहले पूजा जाता है। गणेश चतुर्थी का दस दिवसीय त्योहार अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ समाप्त होता है। गणपति बप्पा मोरया के नारे, पुरश्चि वारि लुकरिया (सभी हर्ष गणेश! कृपया अगले वर्ष आते हैं) भगवान गणेश की बारात के साथ जाते हैं, जबकि उन्हें विसर्जन और विसर्जन के लिए ले जाया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश जी अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर उतरते हैं और जो कोई भी इस दौरान उनकी पूजा करता है वह जो भी प्रयास करता है उसमें सफलता मिलना निश्चित है। गणेश चतुर्थी को किस तरह से पहली बार मनाया गया था, जिस तरह से यह त्योहार के दौरान चंद्रमा को घूरने के मिथकों से जुड़ा है। त्यौहार में रुचि पुनर्जीवित करने के लिए बहुत सारा श्रेय क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक को जाता है। यह 1893 के दौरान था जब तिलक ने जनता से एकजुट होने और त्योहार मनाने के लिए एकजुट होने का आग्रह किया। लोगों को एकजुट करना और उनमें देशभक्ति की भावनाएं उत्पन्न करना मुख्य उद्देश्य था। अफसोस की बात यह है कि जब भारत को आखिरकार आजादी मिल गई, तो लोक मान्या तिलक वहां मौजूद नहीं था।

गणेश की सबसे बड़ी मूर्ति विशाखापट्टनम में स्थित है, जो 70 फीट से अधिक ऊँची है। माना जाता है कि मोदक भगवान गणेश का पसंदीदा है और विशेष रूप से त्योहार के दौरान तैयार किया जाता है। शाब्दिक रूप से, यह किसी ऐसी चीज़ को संदर्भित करता है जो आनंद लाता है। भगवान गणेश को "विघ्न हर्ता" (बाधाओं का निवारण) और "बुद्धप्रदायक" (ज्ञान और बुद्धि के दाता) के रूप में भी जाना जाता है। वास्तव में, भगवान गणेश के लगभग 108 नाम हैं, लेकिन गणेश और गणपति अधिक सामान्य हैं। गणेश चतुर्थी वह दिन भी है जब भगवान शिव ने विष्णु लक्ष्मी, शिव और पार्वती को छोड़कर गणेश को सभी हिंदू देवताओं से ऊपर घोषित किया था।

भगवान गणेश जी को कभी-कभी केवल एक तुस्क के साथ दर्शाया जाता है। भगवान गणेश के इस रूप को एक दंत के रूप में जाना जाता है। गणेश के गायब दांत के बारे में कई मिथक हैं। सबसे आम कहानी है कि दांत खो जाने की कहानी है क्योंकि इसे चंद्रमा पर फेंका गया था जिसने गणेश को नाराज करके उनका मजाक उड़ाया था। गणेश चतुर्थी के दौरान चंद्रमा को देखना अशुभ माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार एक दावत से लौटते समय, गणेश ने अपने चूहे की सवारी की, जिसे एक साँप ने पकड़ लिया था। सांप को देखते ही, भयभीत चूहे ने भगवान गणेश को जमीन पर गिरा दिया।

पतझड़ के प्रभाव के कारण, भगवान गणेश जी का पेट खुल गया और उनके द्वारा भोज में किया गया भोजन बाहर फैल गया। गणेश ने सभी गिरे हुए लड्डू और मोदक इकट्ठे किए और उन्हें अपने पेट में वापस बांधा, जिससे सांप ने अपने पेट को पकड़ लिया। चंद्रा (चंद्रमा) जो सब कुछ देख रहा था, हँसते हुए फट गया। इससे गणेश जी क्रोधित हो गए और उन्होंने अपना दांत तोड़ दिया और चंद्रमा पर फेंका, यह कहते हुए कि वह फिर कभी चमक नहीं सकता। बाद में, चंद्रमा ने माफी मांगी और अभिशाप पूर्ववत था। लेकिन चंद्रमा को बुरी शगुन के रूप में देखने के बारे में मिथक अभी भी कायम है।

हालांकि कई लोग गणेश को कुंवारा मानते हैं, ऐसे कई उदाहरण हैं जहां गणेश का प्रतिनिधित्व दो पत्नियों-निधि और सिद्धि के साथ किया जाता है। इन दोनों को ब्रह्मा ने गणेश को प्रसन्न करने के लिए बनाया था जो कई देवताओं और देवताओं के एक से अधिक होने पर किसी भी पत्नी के नहीं होने पर व्याकुल थे। निधि जहां धन और समृद्धि के लिए खड़ी है, वहीं सीधी बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी भगवान गणेश जी की पूजा करता है, वह अपनी पत्नियों का आशीर्वाद प्राप्त करता है।

Short Essay On Ganesh Chaturthi In Hindi | Ganesh Chaturthi Essay For Students Class 6 to 9th

Short Essay On Ganesh Chaturthi In Hindi | Ganesh Chaturthi Essay For Students Class 6 to 9th

गणेश चतुर्थी पर निबंध 300 शब्दों में गणेश चतुर्थी यानी गणपति जी का जन्मदिन, हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है, गणेश जी को हाथी के सिर वाले देवता माना जाता है और गणेश जी को समृद्धि और ज्ञान का देवता कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार गणेश चतुर्थी भाद्रपद (अगस्त) के महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथिसे शुरू होता है। त्योहार की शुरुआत में, गणेश की मूर्तियों को घरों में स्थापित किया जाता है। गणेश चतुर्थी पूजा की शुरुआत गणेश मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा से होती है, मूर्तियों में प्राण आह्वान करने की रस्म, उसके बाद षोडशोपचार या 16 तरीके से पूजा की जाती है। गणेश उपनिषद जैसे धार्मिक ग्रंथों से वैदिक भजनों के उच्चारण के दौरान, मूर्तियों का लाल चंदन का लेप और पीले और लाल फूलों से अभिषेक किया जाता है। गणेश को नारियल, गुड़ और 21 मोदक (मीठे गुलगुले) भी चढ़ाए जाते हैं, जिन्हें गणेश का पसंदीदा भोजन माना जाता है।

गणेश चतुर्थी के त्यौहार के समापन पर, गणेश जी की मूर्तियों को ढोल, भक्ति गायन और नृत्य के साथ विशाल जुलूसों में स्थानीय नदियों में ले जाया जाता है। वहाँ गणेश विसर्जन किया जाता है, जो कि कैलास पर्वत के लिए गणेश की गृह यात्रा का प्रतीक है, जो उनके माता-पिता, शिव और पार्वती का निवास है। जब गणेश शासक शिवाजी (c. 1630-80) ने अपने विषयों के बीच राष्ट्रवादी भावना को प्रोत्साहित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया, जो मुगलों से लड़ रहे थे, गणेश चतुर्थी ने एक सार्वजनिक उत्सव की प्रकृति को ग्रहण किया। 1893 में, जब ब्रिटिश ने राजनीतिक सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया, तो इस उत्सव को भारतीय राष्ट्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक ने पुनर्जीवित कर दिया। आज यह त्यौहार हिंदू समुदायों में दुनिया भर में मनाया जाता है और महाराष्ट्र और पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों में विशेष रूप से लोकप्रिय है।

10 Line Essay On Ganesh Chaturthi In Hindi | Ganesh Chaturthi Essay 10 Line For Students Class 1st to 5th

10 Line Essay On Ganesh Chaturthi In Hindi | Ganesh Chaturthi Essay 10 Line For Students Class 1st to 5th

गणेश चतुर्थी पर 10 लाइन का निबंध 1: गणेश चतुर्थी भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। भारत के लोग पूरे साल इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं। वैसे तो यह पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र राज्य में इसे सबसे अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है।

2: गणेश चतुर्थी एक हिंदू त्योहार है जो धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। यह त्यौहार हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मनाया जाता है जिसमें कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी भगवान गणेश का जन्मदिन है। हिंदू भगवान गणेश का उल्लेख सभी बाधाओं के निवारण के रूप में करते हैं। लोगों का मानना ​​है कि भगवान गणेश हर साल समृद्धि और सफलता के साथ आते हैं।

3: इसके अलावा, वे इस त्योहार के साथ अपने घरों में भगवान गणेश का स्वागत करते हैं इस विश्वास के साथ कि वह उनके सभी कष्टों को दूर करेंगे। गणेश चतुर्थी पूरे देश में खुशी बिखेरती है और लोगों को समारोहों के लिए एकजुट करती है।

4: गणेश चतुर्थी पूरे 11 दिनों तक मनाई जाती है। यह चतुर्थी पर शुरू होता है जब लोग अपने घरों और मंदिरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं। यह त्योहार गणेश विसर्जन के साथ अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है। भगवान गणेश के भक्त भगवान से अपनी प्रार्थना करते हैं। उन्होंने उनके लिए भक्ति गीत गाए और उनकी प्रशंसा में विभिन्न मंत्रों का पाठ किया। वे स्वामी के पक्ष में आरती करते हैं और उन पर अपना आशीर्वाद मांगते हैं।

5: सबसे महत्वपूर्ण बात, वे भगवान गणेश को मिठाई चढ़ाते हैं। गणेश चतुर्थी विशेष रूप से मोदक का आह्वान करते हैं। भक्त भगवान गणेश को मोदक चढ़ाते हैं, जो भगवान की पसंदीदा मिठाई है। मोदक मीठे पकौड़े हैं, जिन्हें लोग नारियल और गुड़ से भरते हैं। वे या तो उन्हें भूनते हैं या उन्हें भाप देते हैं। घरों और मिठाई की दुकानों पर लोग इस मिठाई को स्वादिष्ट बनाते हैं। वे ज्यादातर गणेश चतुर्थी के आसपास देखे जाते हैं और बच्चों के बीच एक बड़ी हिट हैं।

6: 11 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार की शुरुआत लोगों द्वारा सुबह उठकर स्नान करने से होती है। वे इस त्योहार के लिए नए कपड़े खरीदते हैं और सुबह स्नान के बाद इन साफ ​​कपड़े पहनते हैं। वे मंत्रों और गीतों के पारंपरिक अनुष्ठानों का पालन करते हैं।

7: आरंभ में, गणेश चतुर्थी कुछ परिवारों में मनाई गई थी। बाद में, यह सभी जगह फैल गया और इस तरह मूर्तियों की स्थापना और पानी में विसर्जन शुरू हो गया। इसने गणेश चतुर्थी को जीवन उत्सव से बड़ा बनाने की शुरुआत को चिह्नित किया।

8: दूसरे शब्दों में, मूर्ति विसर्जन से बुराई और कष्टों से मुक्ति मिलती है। पंडाल स्थापित करने वाले लोग भगवान गणेश की शानदार प्रतिमाएं बनाते हैं। त्यौहार के अंत में जब विसर्जन होने वाला होता है, लोग एक पूर्ण जुलूस निकालते हैं। लोग सैकड़ों और हजारों में निकलते हैं और नदियों और महासागरों में जाते हैं।

9: जब गणेश चतुर्थी समाप्त होती है, तो वे हर साल भगवान गणेश की वापसी के लिए प्रार्थना करते हैं। वे हर साल इस त्योहार का इंतजार करते हैं। नदी या समुद्र में भगवान गणेश की प्रतिमा के अंतिम विसर्जन से गणेश चतुर्थी का अंत होता है।

10: संक्षेप में, गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के सम्मान में एक मजेदार त्योहार है। पूरे भारत में लोग पूरी तरह से इसका आनंद लेते हैं। भगवान गणेश के सभी भक्त जाति और रंग के अपने अंतर के बावजूद एक साथ आते हैं। गणेश चतुर्थी आनंद फैलाती है और सभी लोगों को एकजुट करती है।

नारद पुराण के अनुसार श्री गणेश जी के 12 चमत्कारी नाम (Lord Ganesha 12 Name)

  • सुमुख नमः : सुन्दर मुख वाले
  • एकदंत नमः : एक दन्त वाले
  • कपील नमः : कपील वर्ण वाले
  • गजकर्ण नमः : हाथी के कान वाले
  • लम्बोदर नमः : लम्बे पेट वाले
  • विकट नमः : विपत्ति का नाश करने वाले
  • विनायक नमः : न्याय करने वाले
  • धूम्रकेतु नमः : धुएं के रंग वाले पताका वाले
  • गणाध्यक्ष नमः : गुणों और देवताओ के अध्यक्ष
  • भालचन्द्र नमः : सर पर चंद्रमा धारण करने वाले
  • गजानन नमः : हाथी के मुख वाले
  • विध्ननाशक नमः : विध्न को ख़त्म करने वाले

सभी को हैप्पी गणेश चतुर्थी...

Ganesh Chaturthi 2022 Wishes Quotes Shayari: गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं संदेश कोट्स शायरी से सजाएं फोन

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गणेश चतुर्थी पर निबंध | Ganesh Chaturthi Essay in Hindi

Ganesh Chaturthi Essay in Hindi:- गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म के लोगों का एक प्रमुख त्योहार है जो पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है परंतु इसकी भारत के महाराष्ट्र में जो झलक देखने को मिलती है वह शायद ही पूरी दुनिया में कहीं मिलती हो।

हिंदू पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था और गणेश जी सभी देवताओं में पूजनीय है अतः हर शुभ काम से पूर्व उनका पूजन अवश्य किया जाता है क्योंकि भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है।

पता हो उनकी पूजा-अर्चना से जो उन्हें मना लेता है उसके घर में समृद्धि का वास होता है इसी कारण भगवान गणेश के जन्मदिवस को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी पर निबंध | Ganesh Chaturthi Essay in Hindi

Table of Contents

गणेश चतुर्थी पर निबंध 100 शब्दों में

गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में व्हाट्सएप भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मनाया जाता है गणेश चतुर्थी का त्योहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र राज्य में मनाया जाता है।

वर्तमान समय का सबसे बड़ा गणेश चतुर्थी मेला मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में आयोजित किया जाता है और भगवान गणेश को हम लंबोदर, विघ्नहर्ता और भी अन्य नामों से जानते हैं इसके साथ ही उन्हें बुद्धि और विवेक का देवता माना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि जब माता पार्वती को एक ऐसे बच्चे की जिज्ञासा हुई जो उनका हर तरह से आदेश मानें तो उन्होंने गणेश जी को कीचड़ और मिट्टी से बनाया और उसके बाद उन्हें जीवन देकर घर की पहरेदारी के लिए खड़ा कर दिया।

परंतु भगवान से इस बात से अनजान थे और जब गणेश जी ने भगवान शिव को अंदर जाने से रोका तो उन्होंने इस बच्चे के सिर पर अपने त्रिशूल से एक बार करके उनका धड़ से अलग कर के उन्हें मार दिया।

इस बात का पता जब माता पार्वती को हुआ तो वह बहुत क्रोधित हुई और भगवान से भी अपनी गलती पर पछतावा इसके बाद उन्होंने गणेश जी के धड में हाथी के सर को जोड़कर उन्हें एक नया जीवन दिया और उनका नाम लंबोदर रख दिया और उन्हें यह वरदान दिया कि देवताओं में उनकी पूजा सबसे पहले होगी।

गणेश चतुर्थी पर निबंध 250 शब्दों में

भारत देश में बहुत सारे त्योहारों को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है जिनमें से गणेश चतुर्थी भी एक है गणेश चतुर्थी एक हिंदू उत्सव है जो हर साल अगस्त और सितंबर महीने में आता है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था।

हिंदू धर्म के लोग गणेश भगवान के जन्मदिन को हर वर्ष गणेश चतुर्थी के रूप में मनाते हैं और भगवान गणेश सभी के प्रिय हैं खासतौर से बच्चों के यह ज्ञान और संपत्ति के भगवान हैं और बच्चों के दोस्त गणेश के नाम से प्रसिद्ध है।

एक बार भगवान गणेश का सर भगवान शिव के द्वारा काट दिया गया था लेकिन फिर एक हाथी का सर उनके दर से जोड़कर भगवान शिव ने उन्हें एक नया जीवनदान दिया इस तरह उन्होंने अपना जीवन दोबारा पाया जिसे गणेश चतुर्थी के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी का त्यौहार हिंदू महीनों के अनुसार भाग्रपद में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है ऐसा माना जाता है कि पहली बार चंद्रमा के द्वारा गणेश जी के व्रत को रखा गया था क्योंकि वह अपने दुर्व्यवहार के लिए गणेश द्वारा श्रापित थे।

भगवान गणेश हिंदुओं के प्रमुख देवताओं में से एक है जो अपने भक्तों को बुद्धि समृद्धि तथा संपत्ति का आशीर्वाद देते हैं, गणेश चतुर्थी के दिन उनकी प्रतिमा को स्थापित कर के 11 दिन तक यह उत्सव चलता है और 11 दिन उनकी प्रतिमा का विसर्जन करके गणेश चतुर्थी का उत्सव समाप्त कर दिया जाता है।

इस उत्सव के जरिए लोग भगवान गणेश को मनाने का प्रयास करते हैं और ऐसा माना जाता है कि वह खुश होकर हमें ज्ञान एवं समृद्धि का आशीर्वाद देंगे।

इस दिन सभी भक्तो अपने घरों दफ्तरों शैक्षणिक संस्थानों आदि में उनकी प्रतिमा को सजाते हैं उस दिन वहां गणेश आरती और मंत्रों के उच्चारण के साथ उनकी पूजा की जाती है लोग उनसे सुख समृद्धि और शांति की कामना करते हैं साथ ही सभी लोगों को प्रसाद वितरित किया जाता है।

गणेश चतुर्थी पर निबंध 300 शब्दों में

हिंदू धर्म में सर्वप्रथम किसी भी काम को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा करने से कोई भी काम बिना बाधा के संपूर्ण हो जाता है।

हमारे भारत देश में हर वर्ष गणेश उत्सव मनाया जाता है और तकरीबन 10 दिनों तक गणेश जी की स्थापना भव्य पंडालों में की जाती है कई जगहों पर गणेश जी की स्थापना 5 या 7 दिनों के लिए भी की जाती है और निश्चित अवधि पूरी हो जाने के बाद उनका विसर्जन कर दिया जाता है।

भारत में बड़े पैमाने पर महाराष्ट्र राज्य में गणेशोत्सव देखने को मिलता है जहां बड़े-बड़े पंडाल सड़क किनारे या फिर खाली मैदान में सजाए जाते हैं और उनमें भगवान गणेश की पूरी विधि विधान से स्थापना करते हुए यह उत्सव लगभग 10 दिनों तक चलता है।

गणेश उत्सव मनाने का श्रेय बाल गंगाधर तिलक को जाता है जिन्होंने भारत के लोगों को एक साथ इकट्ठा करने के लिए दोस्तों को मनाने की शुरुआत की थी और आज गणेश उत्सव की धूम भारत के अलावा अन्य देशों में भी दिखाई देती है।

मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में गणेश उत्सव की धूम अपने आप में ही निराली होती है यहां पर बहुत सी बड़ी-बड़ी हस्तियां उनके दर्शन के लिए आती हैं और उनकी और पूजा अर्चना करके उनसे अपने लिए सुख समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि अगर हम गणेश उत्सव मनाते हैं तो हमारे सभी कष्टों को गणपति बप्पा हर लेते हैं और हमें समृद्धि तथा उन्नति प्रदान करते हैं साथ ही हमें हर प्रकार की कठिनाइयों से भी बचाते हैं।

हिंदू धर्म में सर्वप्रथम पूजा का अधिकार गणेश भगवान को ही प्राप्त है और वेदों के अनुसार गणेश जी का जन्म महाराष्ट्र राज्य में हुआ था इसलिए गणेशोत्सव को बड़े पैमाने पर महाराष्ट्र राज्य में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी पर निबंध 500 शब्दों में

गणेश चतुर्थी हम हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है जिसमें भगवान श्री गणेश का भव्य स्वागत किया जाता है और यह भारत के विभिन्न प्रांतों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

विशेषकर महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का उत्सव अत्यधिक जोश व उत्साह से मनाया जाता है इस त्योहार पर गणेश जी की प्रतिमा हो कि घर में स्थापना की जाती है और कहीं पर बड़ी प्रतिमाए तो कहीं पर छोटी प्रतिमाओं को स्थापित किया जाता है।

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?

हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले सभी त्योहार किसी ना किसी विशेष उद्देश्य से ही मनाए जाते हैं सभी त्योहारों के पीछे पुरानी कथाओं तथा मान्यताओं का एक विशेष महत जुड़ा होता है।

इसी के साथ पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी के प्रथम दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था जिसके चलते इन दिनों गणेश जी को एक सदस्य के रूप में अपने घर बुलाया जाता है।

कई लोग गणेश जी की स्थापना 9 दिनों के लिए करते हैं तो कई लोग उनकी स्थापना 11 दिनों के लिए भी करते हैं और अंतिम दिन उनकी मूर्ति का विसर्जन बड़ी ही धूमधाम से किया जाता है।

गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है?

गणेश चतुर्थी का त्योहार हरिद्वार से भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है यह पर्व श्री गणेश जी के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है जो कि 11 दिनों का एक विशाल महोत्सव होता है।

इसमें भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते हैं इसके साथ ही भक्तगण रोजाना गणपति जी के शुभ मंत्रों का उच्चारण करते हैं और गीत एवं आरती गाकर उनकी पूजा अर्चना करते हुए 11 दिन उनकी प्रतिमा को बड़ी ही धूमधाम से विसर्जित कर दिया जाता है।

गणेश चतुर्थी से जुड़ी कथा

ऐसा माना जाता है कि एक बार माता पार्वती ने अपने तन एक ईमेल से एक पुतला बनाया और उसे जीवन देते हुए उसका नाम गणेश रख दिया और जब वह स्नान करने के लिए गई तब उन्होंने द्वार पर गणेश को खड़ा कर दिया और कहा कि -‘हे पुत्र तुम द्वार पर जाकर खड़े हो जाओ मैं भीतर स्नान करने जा रही हूं मैं जब तक स्नान कर तब तक तुम किसी भी पुरुष को भीतर मत आने देना।’

गणेश जी अपनी माता की आदेशानुसार वहां की रक्षा में लग गए और जब महादेव वापस आए तब गणेश जी ने उन्हें द्वार पर ही रोक लिया जिससे शिव जी को क्रोध आ गया और उन्होंने उनका सर धड़ से अलग कर दिया और अंदर चले गए।

माता पार्वती ने जब महादेव को अंदर आया देखा तो तुरंत उन्होंने भोजन परोस दिया और एक थाली गणेश के लिए भी लगा दी तो शिवजी ने पूछा यह और थाली और किसकी है तब माता पार्वती बोली यह मेरे पुत्र गणेश के लिए है जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा था।

तब शिवजी ने अपने और गणेश के बीच हुई घटना के बारे में माता पार्वती जी को बताया जिसे सुनकर वह बहुत दुखी हो गई और उनके ब्लॉक को कम करने के लिए शिव जी ने गणेश के धड पर एक हाथी के बच्चे का सिर लगाकर उन्हें पुनः जीवनदान दे दिया।

इस प्रकार माता पार्वती जी अपने पुत्र को दोबारा पाकर बहुत प्रसन्न हो गई और यह घटना भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को हुई थी इसलिए यह तिथि पर्व के रूप में मनाई जाती है।

गणेश चतुर्थी कैसे मनाते हैं?

गणेश चतुर्थी 11 दिनों तक मनाया जाने वाला एक लंबा हिंदू उत्सव है जो पहले दिन उनकी मूर्ति स्थापना से शुरू होते हुए उनके विसर्जन के साथ खत्म होता है।

इन 11 दिनों में भक्त सुबह शाम उनकी आरती करते हैं भजन कीर्तन गाते हैं हवन आदि करते हैं और विभिन्न प्रकार के पकवान आदि बनाकर उनका प्रसाद बनाया जाता है जिनमें से विशेष रूप से भगवान गणेश के लिए मोदक बनाए जाते हैं जो कि उन्हें बहुत प्रिय कहे जाते हैं।

भगवान गणेश भी अपने भक्तों को बुद्धि समृद्धि तथा संपत्ति का आशीर्वाद देते हैं और वह अच्छाई की रक्षा करते हैं और सभी बाधाओं को दूर करने वाले विघ्नहर्ता कहे जाते हैं।

10 दिनों की पूजा के दौरान कपूर ,लाल चंदन, लाल फल फूल, नारियल ,मोदक और दुराव घास चढ़ाने की प्रथा है और 10 दिनों की पूजा समाप्ति के बाद 11 दिन बड़े ही धूमधाम के साथ उनका विसर्जन कर दिया जाता है और ऐसा माना जाता है कि वह अपने साथ हमारे सारे व्यक्ति ले जाएंगे और चारों और खुशियां छोड़ जाएंगे।

गणेश चतुर्थी का पर्व छोटे से लेकर बड़े स्तर तक मनाया जाता है जिसमें सभी स्तर के लोग शामिल होते हैं और भारत के विभिन्न राज्यों में यह अलग-अलग प्रकार से मनाया जाता है।

वर्तमान में यह त्यौहार भारत के अलावा भी कई अन्य देशों में मनाया जाता है और इसमें मुख्य रूप से भगवान गणेश की आराधना होती है और घरों से लेकर मंदिरों तक ऑन गणेश चतुर्थी की धूम होती है।

जैसा कि भगवान गणेश को संपत्ति, समृद्धि, तथा ज्ञान का देवता माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा-अर्चना करने से सभी काम शुभ होते हैं इसलिए इस समय लोग नए-नए कार्यों को शुरू करते हैं और उनसे इस बात की कामना करते हैं कि वह अपने कामों में सफल हो जाएं।

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  • Ganesh Chaturthi Essay

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Ganesh Chaturthi: The Joyous Celebration of Lord Ganesha

Ganesh Chaturthi, an annual Hindu festival, marks the birth of Lord Ganesha , the revered deity known for wisdom, prosperity, and new beginnings. Lasting for 11 days, the festival begins on the fourth day of the waxing moon in the Hindu month of Bhadrapada.

The festivity's flair varies across regions, yet certain customs remain consistent throughout India. At the festival's onset, a clay or metal idol of Lord Ganesha is introduced into homes or temples. Here, the deity receives prayers, offerings, and songs. Over the 11 days, people visit temples and temporary shrines (pandals) to pay homage. Fasting, devotional songs (bhajans), and dancing also characterize the celebration.

The culmination of the festival witnesses the immersion of the Lord Ganesha idol into a river or lake. This act symbolizes bidding adieu to the deity while expressing gratitude for bestowed blessings.

Ganesh Chaturthi fosters jubilation among people of all ages, embracing unity and the blessings of Lord Ganesha. This festive occasion encapsulates values of wisdom, prosperity, and good fortune.

Origins and Importance:

Ganesh Chaturthi's origins trace back to ancient Indian mythology . As the legend goes, Goddess Parvati, the divine consort of Lord Shiva, crafted Ganesha from sandalwood paste, granting him life to protect her privacy during her bath. Upon Lord Shiva's return, an unaware Ganesha blocked his path, resulting in Lord Shiva impulsively severing his head. Seeing Parvati's sorrow, Lord Shiva pledged to resurrect Ganesha.

This tale symbolizes the cycle of life and death, underlining the essence of acceptance and empathy. Moreover, it underscores Ganesha's role as the remover of obstacles and the embodiment of wisdom. Consequently, Ganesh Chaturthi signifies not just the birth of Lord Ganesha but also the values he embodies.

Preparations and Festive Splendor:

Preparations for Ganesh Chaturthi commence weeks beforehand. Skilled artisans craft intricate clay idols of Lord Ganesha in diverse poses and sizes. These idols are adorned with colorful decorations, intricate jewelry, and vibrant garments. Communities eagerly anticipate the arrival of these idols, placed in homes, temporary shrines called pandals, and public spaces.

The atmosphere during Ganesh Chaturthi is electrifying, with bustling markets showcasing traditional sweets and decorative items. Families engage in cleaning their homes, purchasing new attire, and exchanging gifts as they prepare to welcome the deity into their lives.

Rituals and Celebrations:

Ganesh Chaturthi transcends being a mere religious event; it metamorphoses into a cultural extravaganza uniting individuals from diverse backgrounds. The festival extends for ten days, during which devotees partake in various rituals honoring Lord Ganesha. The idol is installed with deep reverence and devotion, accompanied by the 'Pranapratishtha' ceremony, invoking the deity's presence.

Daily offerings of flowers, fruits, and sweets, along with melodious bhajans (devotional songs) and aarti (ritualistic prayers), create an ambiance infused with spirituality. The air is imbued with the aroma of incense, and the resonance of bells fosters a sense of devotion. The final day culminates in the grand immersion ceremony, 'Visarjan,' wherein devotees bid adieu to Ganesha by submerging his idol in water bodies.

Unity in Diversity:

A striking facet of Ganesh Chaturthi is its remarkable ability to unify people, transcending divisions of caste, creed, and societal status. Celebrations unfold with equal fervor in bustling cities and quaint villages across India. Communities collaborate to establish resplendent pandals, providing spaces for people to congregate, pray, and seek blessings.

Ganesh Chaturthi exemplifies unity in diversity as individuals from all walks of life partake in the festivities. This spirit of togetherness nurtures camaraderie, understanding, and harmony among individuals.

Environmental Awareness:

In recent years, an amplified consciousness about the environmental repercussions of Ganesh Chaturthi has emerged. Traditional clay idols, environmentally friendly and easily soluble in water , have been supplanted by plaster of Paris idols detrimental to aquatic life. The use of synthetic colors and non-biodegradable decorations has furthered these concerns.

To address these issues, an eco-friendly approach to Ganesh Chaturthi has gained traction. The emphasis is on using clay idols, natural colors, and sustainable decorations. This transformation underscores the conscientiousness and compassion of festival participants.

In Conclusion: Embracing Fresh Beginnings:

Ganesh Chaturthi signifies not only a festival but a testament to the potential of new beginnings. Ganesha's tale imparts the wisdom that setbacks and barriers are inherent to life, and the key is to confront them with poise and courage. The festival urges us to relinquish the past, welcome change, and embrace the future with enthusiasm.

As melodious bhajans resonate and gorgeously adorned idols warm our hearts, Ganesh Chaturthi imparts the significance of devotion, unity, and mindfulness. This celebration resonates with people of all generations, perpetuating the rich tapestry of Indian culture and spirituality.

Warm Greetings from Vedantu

As we gear up for Ganesh Chaturthi 2023 , let's not just celebrate a festival, but embrace an opportunity to connect with our roots, forge new bonds, and revel in the joy of unity and devotion. So, let the drums beat, the sweets flow and the laughter resound as we welcome the Elephant God into our lives once again. Ganpati Bappa Morya!

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FAQs on Ganesh Chaturthi Essay

1. When is Ganesh Chaturthi in 2023?

Ganesh Chaturthi 2023 will be celebrated from Tuesday, September 19 to Wednesday, October 1, 2023.

2. What is the significance of Ganesh Chaturthi?

Ganesh Chaturthi is a Hindu festival celebrated to mark the birth of Lord Ganesha, the elephant-headed god of wisdom, prosperity, and good fortune. The festival is celebrated over 11 days, beginning on the fourth day of the waxing moon in the Hindu month of Bhadrapada.

3. How is Ganesh Chaturthi celebrated?

The festivities of Ganesh Chaturthi vary from region to region, but there are some common elements that are observed throughout India. On the first day of the festival, a clay or metal idol of Lord Ganesha is brought into the home or temple. The idol is then worshipped with prayers, offerings, and songs. During the 11 days of the festival, people visit temples and pandals (temporary shrines) to offer their prayers to Lord Ganesha. They also fast, sing bhajans (devotional songs), and dance.

On the final day of the festival, the idol of Lord Ganesha is immersed in a river or lake. This is a symbolic gesture of bidding farewell to the god and thanking him for his blessings.

4. What are some of the popular traditions of Ganesh Chaturthi?

Some of the popular traditions of Ganesh Chaturthi include:

Worship of Lord Ganesha: The main focus of the festival is the worship of Lord Ganesha. People offer prayers, flowers, fruits, and sweets to the god. They also sing bhajans and perform aartis (ceremonial worship).

Pandals: Temporary shrines called pandals are set up all over India during Ganesh Chaturthi. These pandals are beautifully decorated with flowers, lights, and other decorations. The idols of Lord Ganesha are also placed in these pandals.

Processions: In some parts of India, there are large processions that are held to mark the beginning of Ganesh Chaturthi. These processions are led by the idol of Lord Ganesha and are accompanied by music, dancing, and singing.

Food: A variety of traditional foods are prepared during Ganesh Chaturthi. Some of the popular dishes include modak (a sweet dumpling made of rice and coconut), laddoo (a sweet ball made of milk and sugar), and puran poli (a sweet flatbread).

Games and competitions: There are also a variety of games and competitions that are held during Ganesh Chaturthi. These games and competitions are a way for people to have fun and celebrate the festival.

Hindustan Hindi News

9 जुलाई को विनायक चतुर्थी पर करें ये सरल उपाय,हर कष्ट से मिलेगी मुक्ति, बनेंगे बिगड़े कार्य

Vinayak chaturthi 2024 : 9 जुलाई 2024 को विनायक चतुर्थी मनाई जा रही है। मान्यता है कि इस दिन गणेशजी की पूजा-आराधना से पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।.

Vinayak Chaturthi 2024 Ashadh Month Date : हिंदू धर्म में गणेशजी प्रथम पूजनीय देवता माने गए हैं। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन गणेशजी की पूजा-आराधना का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन गणेश पूजन से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है और गणपति बप्पा अपने भक्तों के सभी दुख-कष्ट दूर करते हैं। दृक पंचांग के अनुसार, इस साल 9 जुलाई को बेहद शुभ संयोग में गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। इस शुभ दिन पर गणेशजी की पूजा करने से जातकों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी की सही डेट, शुभ मुहूर्त और उपाय...

कब है विनायक चतुर्थी?

दृक पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 9 जुलाई को सुबह 06 : 08 मिनट पर होगा और 10 जुलाई 2024 को सुबह 07: 51 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 9 जुलाई को विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी।

पूजा मुहूर्त : विनायक चतुर्थी के दिन सुबह 11:03 मिनट से लेकर दोपहर 01:50 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।

विनायक चतुर्थी के उपाय :

विनायक चतुर्थी के दिन गणेशजी को दूर्वा अर्पित करें। पूजा के दौरान उन्हें मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन की सभी दिक्कतों से छुटकारा मिलती है।

इस दिन पांच इलायची और पांच लौंग का जोड़ा गणेशजी को अर्पित करें। मान्यता है कि इससे वैवाहिक जीवन में खुशियां आएंगी। रिश्तों में प्यार और मिठास बढ़ता है।

विनायक चतुर्थी के दिन 'श्री गणधिपतये नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें। गणेशजी की विधि-विधान से पूजा करें। मान्यता है कि ऐसा करने से धन, सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।

विनायक चतुर्थी के दिन शमी के पेड़ की पूजा करने बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि गणपति बप्पा को शमी का पत्ता अर्पित करने से सभी दुख और कष्टों से मुक्ति मिलती है। जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।

धन से जुड़ी दिक्कतों से छुटकारा पाने के लिए विनायक चतुर्थी के दिन गणेशजी के समक्ष चौमुखी दिया जलाएं और भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें। कहा जाता है कि ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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