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मातृभाषा का महत्त्व (Why is it important to learn mother tongue)
मातृभाषा क्या है.
जन्म से हम जिस भाषा का प्रयोग करते हैं वही हमारी मातृभाषा होती है। सभी संस्कार एवं व्यवहार हम इसी के द्वारा पाते हैं। इसी भाषा से हम अपनी संस्कति के साथ जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते हैं।
मातृभाषा में शिक्षण की आवश्यकता
आज बच्चे अपनी मातृभाषा में गिनती करना भूल चुके हैं। हमें उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे अपनी मातृभाषा सीखें, प्रयोग करें और इस धरोहर को संभाल कर रखें।
आप जितनी अधिक भाषाएँ जानेगें, सीखेंगे वह आपके लिए ही उत्तम होगा। आप जिस किसी भी प्रांत, राज्य से हैं कम से कम आपको वहाँ की बोली तो अवश्य आनी चाहिए। आपको वहाँ की बोली सीखने का कोई भी मौका नहीं गवाना चाहिए; कम से कम वहाँ की गिनती, बाल कविताएं और लोकगीत। पूरी दुनिया को ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार (Twinkle Twinkle Little Star) या बा – बा ब्लैक शीप ( Ba-Ba Black Sheep) गुनगुनाने की कतई आवश्यकता नहीं है। अपनी लोकभाषा में कितने अच्छे और गूढ़ अर्थ के लोकगीत, बाल कविताएं, दोहे, छंद चौपाइयां हैं जिन्हें हम प्रायः भूलते जा रहे हैं।
भारत के हर प्रांत में बेहद सुन्दर दोहावली उपलब्ध है और यही बात विश्व भर के लिए भी सत्य है। उदाहरण के लिए एक जर्मन बच्चा अपनी मातृभाषा, जर्मन में ही गणित सीखता है न कि अंग्रेजी में क्योंकि जर्मन उसकी मातृभाषा है। इसी प्रकार एक इटली में रहने वाला बच्चा भी गिनती इटैलियन भाषा में और स्पेन का बालक स्पैनिश भाषा में सीखता है।
मातृभाषा शिक्षण का महत्व (Matrabhasha ka Mahatva)
भारतीय बच्चे अपनी लोकभाषा जिसमें उन्हें कम से कम गिनती तो आनी ही चाहिए, उसे भूलते जा रहे हैं। इससे उनके मस्तिष्क पर भी गलत असर पड़ता है और उनकी लोकभाषा में गणित करने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
जब हम छोटे बच्चे थे तब पहली से चौथी कक्षा का गणित लोकभाषा में पढ़ाया जाता था। अब धीरे धीरे यह प्रथा लुप्त होती जा रही है। मातृभाषा में बच्चों का बात ना करना अब एक फैशन हो गया है। इससे गाँव और शहर के बच्चों में दूरियाँ बढ़ती हैं। गाँव, देहात के बच्चे जो सब कुछ अपनी लोकभाषा में सीखते हैं स्वयं को हीन और शहर के बच्चे जो सब कुछ अंग्रेजी में सीखते हैं स्वयं को श्रेष्ठ, बेहतर समझने लगते हैं। इस दृष्टिकोण में बदलाव आना चाहिए। हमारे बच्चों को अपनी मातृभाषा और उसी में ही दार्शनिक भावों से ओतप्रोत लोकगीत का आदर करते हुए सीखना चाहिए। नहीं तो हम अवश्य ही कुछ महत्वपूर्ण खो देंगे।
बांग्ला भाषा में बेहद सुन्दर लोकगीत हैं जो वहाँ के लोकगायक बाउल ( baul – इकतारे के समान दिखने वाला) नामक वाद्ययंत्र पर गाते, बजाते हैं। उनके गायन को सुनकर अद्धभुत अनुभव होता है। श्री रबीन्द्रनाथ टैगोर जी ने इन्हीं से ही प्रेरणा ली थी। इसी प्रकार आंध्रप्रदेश के ‘जनपद साहित्य‘ और लोकगीत, छत्तीसगढ़ के लोकनृत्य, केरल के सुन्दर संगीत, भोजन, संस्कृति सब कुछ अद्भुत है।
अपनी सभ्यता और संस्कृति
1970 में, कॉलेज के दौरान मैं केरल गया था। तब वहाँ पर सिर्फ केरल का ही भोजन ‘लाल रंग के चावल’ खाने को मिलते थे। उन्हें सफेद चावल, पुलाव इत्यादि के बारे में कुछ नहीं पता था। वे लोग वही परम्परागत उबले हुए लाल चावल ही खाते थे जो बहुत सेहतमंद होते हैं। लेकिन आज अगर आप वहाँ जाएंगे तो बर्गर, पिज्जा, सैंडविच इत्यादि सब कुछ पाएंगे। इसी प्रकार धीरे धीरे वहाँ का पंचकर्म और आयुर्वेद लुप्त होने लगा था। लेकिन कुछ प्रबुद्ध, विद्वान् लोगों ने उस प्रथा को जीवित रखा और उसे धीरे धीरे वापिस ले आए हैं।
अतः हर प्रांत की कुछ न कुछ अपनी अनूठी विशेषता होती है – वहाँ का भोजन, संस्कृति, बोली, संगीत, नृत्य इत्यादि जिसका मान करना चाहिए और उस धरोहर को संभाल के रखना चाहिए। यही तो असल में विविधता है जिसका हमें आदर और प्रोत्साहन करना चाहिए। तभी तो हम वास्तव में ‘विविधता में एकता’ की कसौटी पर खरे उतरेंगे जिसका सम्पूर्ण जगत में उदाहरण दिया जा सकेगा।
यही बात मैं विश्व की आदिवासी संस्कृति के बारे में भी कहूंगा। कनाडा की अपनी एक विशिष्ट आदिवासी प्रजाति है। उनकी अपनी संस्कृति है और इस प्रजाति को वहाँ की सर्वप्रथम नागरिकता का सम्मान प्राप्त है। इसी प्रकार से अमरीका में भी, मूल अमरीका के निवासी या अमेरिकन इन्डियन्स प्रजाति के लोग, जो अब अपनी भाषा तो भूल चुके हैं, किन्तु अब भी उन्होनें अपनी संस्कृति, सभ्यता को जीवित रखा है। इसी प्रकार से दक्षिण अमरीकी महाद्वीप में भी ऐसा ही है।
मेरे विचार से यह (भारतीय भाषाएँ एवं संस्कृति) विश्व की एक अनुपम धरोहर है। हमें अपनी सभ्यता के बारे में सचेत रहना चाहिए और उसे प्रोत्साहित करना चाहिए। – गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर
मातृभाषा पर सामान्य प्रश्न
- Mother Tongue
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Know the importance of mother tongue | मातृभाषेचे महत्व
- by Marathi Bana
- October 24, 2023 November 23, 2023
Know the importance of mother tongue | मातृभाषा शिकणे, मुलास व्यापक साक्षरता कौशल्ये आणि सांस्कृतिक मूल्यांची जपणूक करण्यास मदत करते, कसे ते जाणून घ्या.
ज्या समाजात शिक्षणाचे माध्यम इंग्रजी आहे त्या समाजाकडे जसजसे आपण वाटचाल करतो तसतसे आपण आपल्या मातृभाषेपासून दूर जातो असा एक सामान्य समज आहे. मूल त्याच्या जन्मापासून जे शिकते, ती पहिली भाषा जन्मभाषा किंवा मातृभाषा म्हणून ओळखली जाते. मातृभाषा आपल्या जीवनात Know the importance of mother tongue अनेक कारणांसाठी महत्त्वपूर्ण भूमिका बजावते.
Table of Contents
1) मातृभाषा शिकण्याचे महत्व (Know the importance of mother tongue)
i) मातृभाषा भावना आणि विचारांना आकार देते
मातृभाषा ही अशी भाषा आहे जी मूल जन्माला आल्यानंतर ऐकू लागते आणि त्यामुळे ती आपल्या भावना आणि विचारांना निश्चित आकार देण्यासही मदत करते. गंभीर विचार, दुसरी भाषा शिकण्याची कौशल्ये आणि साक्षरता कौशल्ये यासारखी इतर कौशल्ये वाढवण्यासाठी तुमच्या मातृभाषेत शिकणे महत्त्वाचे आहे.
“जर तुम्ही एखाद्या माणसाशी त्याला समजत नसलेल्या भाषेत बोललात तर ते त्याच्या डोक्यात जाते, परंतू, जर तुम्ही त्याच्याशी त्याच्या भाषेत बोललात तर ते त्याच्या हृदयात जाते.” यावरुन भाषा समजणे किती महत्वाचे आहे हे लक्षात येते.
मुलाची मातृभाषा ही पहिली भाषा असते, जी ते शिकते आणि ती त्याला सहज बोलता येते. मातृभाषेचा अर्थ फक्त आईने बोलली जाणारी भाषा असा नाही, तर ती भाषा जी मुलाच्या कुटुंबात आणि कधीकधी समाजाकडूनही बोलली जाते.
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ii) मातृभाषेमुळे शिकणे सोपे होते (Know the importance of mother tongue)
भाषेविषयी एक महत्वाची गोष्ट म्हणजे जेंव्हा शाळा मुलाच्या मातृभाषेत साक्षरतेचे प्रारंभिक शिक्षण देतात, तेव्हा शिकणे सर्वात सोपे होते. मातृभाषेतील सूचना मुलांमध्ये इतर भाषा शिकण्याचे सामर्थ्य निर्माण करण्याशी सुसंगत आतात. शिकण्याची कार्यक्षमता वाढवण्यासाठी अपरिचित शब्द परिचित शबदांशी जोडण्यात मदत होते.
मातृ भाषेत विकसित केलेली साक्षरता कौशल्ये नंतर दुसऱ्या भाषेत वाचणे आणि लिहिणे शिकण्यासाठी लागू केली जातात. ज्याचा परिणाम असा होतो की जे विद्यार्थी साक्षर झाले आहेत ते दोन किंवा कदाचित त्यापेक्षा अधिक भाषांमध्ये प्राविण्य मिळवू शकतात.
भारतीयांच्या संदर्भात, मातृभाषा शिकणे अधिक उपयुक्त ठरते, कारण हिंदीसह बहुतेक भारतीय प्रादेशिक भाषा ध्वन्यात्मकदृष्ट्या पारदर्शक आहेत. याचा अर्थ असा की शब्दांचा उच्चार ज्या पद्धतीने लिहिला जातो त्याच पद्धतीने केला जातो. ही इंग्रजीपेक्षा वेगळी आहे, जी तुलनेने अपारदर्शक भाषा आहे.
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मातृभाषेतील मजबूत आधार मुलाला ध्वन्यात्मक कौशल्याने सुसज्ज करतो, ज्यामुळे त्याला इतर भाषांमधील ध्वन्यात्मक डीकोडिंग आणि एन्कोडिंगद्वारे वाचन आणि लेखनात प्रभुत्व मिळते.
हे कशामुळे शक्य होते तर, मूल बोलली जाणारी भाषा नैसर्गिकपणे आत्मसात करतात आणि लिखित वर्णमालांसह बोलल्या जाणा-या भाषेच्या आवाजांशी सहजपणे संबंध ठेवू शकतात.
जेव्हा मुलं त्यांच्या मातृभाषेतून एखादी संकल्पना शिकतात, तेव्हा त्यांना ज्या भाषेत संकल्पना शिकवली जाते त्या भाषेत प्रथम प्राविण्य मिळविण्यासाठी त्यांना वेळ किंवा विचार करण्याची गरज नसते.
ते त्यांच्या आकलनशक्तीचा उपयोग गंभीर विचार आणि उच्च-क्रमाच्या शिक्षणासाठी करु शकतात. ही कौशल्ये त्यांना औपचारिक शिक्षणात विशेषत: उपयोगी पडतात, जिथे त्यांना त्यांच्या शिक्षणाचा दुसऱ्या भाषेत अर्थ लावणे सोपे जाते.
वाचा: Success is Around Yourself | यश तुमच्या सभोवतालीच आहे
iii) मातृभाषा सामाजिक एकात्मता निर्माण करते
समाजाची भाषा शिकणे हे केवळ सामाजिक एकात्मतेसाठी अत्यावश्यक आहे असे नाही तर आपलेपणाची तीव्र भावना विकसित करण्यास आणि आत्मविश्वास निर्माण करण्यास मदत करते.
आफ्रिका आणि पूर्व आशियातील अनेक विकसनशील आणि बहुभाषिक देशांनी शैक्षणिक कामगिरीवर यशस्वी प्रभाव टाकून त्यांच्या शाळांमध्ये शिकवण्याचे द्विभाषिक मॉडेल स्वीकारले आहे.
तथापि, भारतात अद्यापही पहिली भाषा मातृभाषा आणि दुसरी भाषा हिंदी किंवा इंग्रजी. या दोन्ही भाषांच्या साक्षरतेला प्रोत्साहन देताना सुरेख संतुलन साधता आलेले नाही.
मुलांना इंग्रजी वाचण्यात आणि लिहिण्यात अडचणी येतात कारण त्यांच्या मातृभाषेत प्राविण्य निर्माण करून त्यांची मूलभूत ध्वन्यात्मक जाणीव वाढवली जात नाही.
वाचा: Importance of Grammar in English | व्याकरणाचे महत्व
iv) बौद्धिक विकास हाेताे (Know the importance of mother tongue)
अभ्यासातून असे दिसून आले आहे की जे लोक त्यांच्या मातृभाषेत अस्खलित आहेत त्यांचा संज्ञानात्मक विकास आणि बौद्धिक विकास तुलनेने वेगवान आहे.
हे देखील लक्षात आले आहे की जर एखाद्या विद्यार्थ्याला त्याच्या मातृभाषेत शिक्षण दिले, तर त्याच्या शैक्षणिक यशाचा दर त्यांच्या मातृभाषेव्यतिरिक्त वेगळ्या माध्यमात शिकलेल्या व्यक्तीपेक्षा जास्त असतो.
वाचा: The Importance of Reading in life | वाचनाचे जीवनातील महत्व
v) व्यावसायिक लाभ (Know the importance of mother tongue)
व्यवसाय स्थानिक मार्गाने जात असल्याने मातृभाषेचे महत्त्व झपाट्याने वाढले आहे. अशा परिस्थितीत, जर तुम्हाला उद्योजक बनण्यास स्वारस्य असेल तर तुम्हाला लिहिणे आणि वाचणे माहित असलेल्या तुमच्या मातृभाषेची पक्की समज असणे खूप उपयुक्त आहे. आजच्या बाजारपेठेच्या परिस्थितीत मातृभाषेच्या मदतीने कमाई करण्याच्या संधी मोठ्या आहेत.
वाचा: All Round Development of Kids | मुलांचा सर्वांगीण विकास
vi) दुसरी भाषा शिकण्यास मदत होते
जर एखाद्याला त्यांच्या मातृभाषेची पक्की पकड असेल तर त्याला किंवा तिच्यासाठी नवीन भाषेवर प्रभुत्व मिळवणे सोपे जाते. जेव्हा एखादे मूल लहानपणापासून त्यांच्या मातृभाषेत वाचते, तेव्हा त्याच्याकडे इतर भाषांमधील साक्षरता कौशल्ये अधिक मजबूत असतात.
वाचा: The Best Activities for Kids | मुलांसाठी सर्वोत्तम उपक्रम
vii) अभिमानाची भावना निर्माण करते
आपली मातृभाषा चांगली जाणणे ही अभिमानाची बाब आहे. हे एखाद्याचा आत्मविश्वास वाढवते आणि व्यक्तीच्या मनात जागरुकता निर्माण करते आणि त्यांना त्यांच्या सांस्कृतिक ओळखीशी अधिक चांगल्या प्रकारे जोडण्यात मदत करते.
एखाद्या व्यक्तीच्या व्यक्तिमत्त्वाची व्याख्या करण्यात मातृभाषेचा मोठा सकारात्मक प्रभाव असतो, तथापि, शिक्षणाचे माध्यम जे सहसा इंग्रजी असते ते पालकांना त्यांच्या मुलांशी त्यांच्या दुसऱ्या भाषेत बोलण्यास प्रोत्साहित करते. त्यामुळे मुलांच्या मनात संभ्रम निर्माण होतो आणि त्यामुळे त्यांना पहिली आणि दुसरी भाषा शिकण्यात अडचणी येतात.
पालक म्हणून तुम्हाला तुमच्या मूळ भाषेचा अभिमान वाटणे देखील महत्त्वाचे आहे. तुमच्या मातृभाषेबद्दल तुमचे प्रेम आणि आदर मुले नेहमीच जाणतील आणि आत्मसात करतील आणि ते ज्ञान त्यांच्या प्रौढ जीवनात पुढे नेतील.
म्हणून, पालकांनी आपल्या मुलांना त्यांच्या मातृभाषेत बोलण्यास, वाचण्यास आणि लिहिण्यास प्रोत्साहित करणे महत्वाचे आहे कारण ते न्यूरोलॉजिकल मार्ग तयार करण्यास मदत करते जे नंतरच्या वर्षांत भाषिक ज्ञान वाढीस मदत करते.
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2) मातृभाषेतील साक्षरतेसाठी पालक खालील प्रकारे प्रयत्न करु शकतात
i) मातृभाषेत बोला (Know the importance of mother tongue)
मातृभाषा ही मुलांची पहिली भाषा असल्याने, त्यांना त्यांच्या शिक्षणाची सुरुवात करण्याचा सर्वात सोपा मार्ग म्हणजे घरात मुलांभोवती मातृभाषेत मोकळेपणाने बोलणे. सुरुवातीला मुलांच्या कानावर ज्या भाषेतील शब्द पडतात ती भाषा ऐकून ते त्या भाषेत बोलायला लागतात.
वाचा: Tips for Good Parenting | चांगल्या पालकत्वासाठी टिप्स
ii) सांस्कृतिक वारसा (Know the importance of mother tongue)
आपल्या मातृभाषेत सांस्कृतिक लोककथा आणि पौराणिक कथा कथन केल्याने आपल्या मुलाची मौखिक आणि शब्दसंग्रह कौशल्ये तर विकसित होतातच शिवाय मुलांमध्ये सांस्कृतिक मूल्येही विकसित होतात.
परंपरेने, ही मूल्ये आजि आजोबा मुलांमध्ये रुजवण्याचे काम करत असत, परंतू आता विभक्त घरांच्या वाढत्या संख्येमुळे, पालकांनी त्यांच्या मुलाच्या जीवनातील ही पोकळी त्यांना कथा सांगून भरून काढण्यासाठी प्रयत्न करणे आवश्यक आहे.
आपली संस्कृती जिवंत ठेवण्याचा सर्वात महत्त्वाचा मार्ग म्हणजे भाषा. ब-याचदा एका भाषेचे दुस-या भाषेत थेट भाषांतर स्त्रोत समान असू शकत नाही. अशा प्रकारे, संस्कृतीबद्दल पूर्णपणे जाणून घेण्याचा सर्वोत्तम मार्ग म्हणजे भाषा जाणून घेणे. मातृभाषा आपल्याला आपल्या संस्कृतीशी आणि आपल्या मुळांशी जोडलेले राहण्यास मदत करते.
वाचा: Importance of Study Groups | अभ्यास गटांचे महत्व
iii) वाचन साहित्य (Know the importance of mother tongue)
मुलांना त्यांच्या मातृभाषेत वाचन साहित्य उपलब्ध करुन देणे हे त्यांचे वाचन आणि लेखन कौशल्य विकसित करण्यासाठी देखील आवश्यक आहे. तुमच्या मुलाला सक्रियपणे वाचन आणि लेखन शिकवले जात नसताना देखील या सामग्रीमध्ये प्रवेश असणे महत्वाचे आहे.
मुद्रित भाषेच्या केवळ दृश्य प्रदर्शनामुळे त्याला बोलल्या जाणा-या आणि लिखित भाषेमध्ये अंतर्ज्ञानी संबंध निर्माण करण्यास मदत होते. या उद्देशासाठी विविध मुलांची मासिके, कॉमिक्स आणि कथापुस्तकांचा वापर केला जाऊ शकतो.
वाचा: The Greatest Activities for Kids | मुलांसाठी उत्कृष्ट उपक्रम
iv) ऑडिओ-व्हिज्युअल सामग्री
आपल्या मातृभाषेतील टीव्ही मालिका किंवा व्यंगचित्रे पाहणे आणि आपल्या मुलाला आपल्या मातृभाषेतील संगीतासमोर आणणे हे केवळ त्यांचा शब्दसंग्रहच तयार करत नाही तर ते एका भाषेचा वापर करून विविध संदेश कोणत्या मार्गांनी पोहोचवता येतात याची कल्पना देखील देते.
जसे की आवाजातील चढ-उतार, टोन आणि उच्चार, त्यामुळे दृकश्राव्य सामग्री सोपी असावी आणि भाषेच्या शब्दसंग्रह वाढवणारी असावी. वाचा: Good Foods for Students | विद्यार्थ्यांसाठी आहार
v) सर्जनशील अभिव्यक्ती
इंग्रजी शिकण्याच्या आग्रहामुळे, मुलं त्यांचे विचार आणि कल्पना त्यांच्या मातृभाषेत व्यक्त करण्यापासून परावृत्त होतात. त्यांच्या सर्जनशील आउटपुटची अशी सुरुवातीची गळचेपी नंतर त्यांच्या शैक्षणिक जीवनात एक मानसिक अवरोध म्हणून प्रकट होते.
आपल्या मुलास त्यांच्या मूळ भाषेत बोलल्या जाणा-या किंवा लिखित सर्जनशील अभिव्यक्तीसाठी प्रोत्साहित करणे अत्यंत महत्वाचे आहे. यामुळे मुलांचे वाचन आणि लेखन कौशल्येच विकसित होत नाहीत तर त्यांची गंभीर विचार कौशल्ये सुधारण्यासही मदत होते.
लहान मुलांना कविता किंवा कथा सांगायला किंवा लिहायला लावणे किंवा त्यांना त्यांच्या मातृभाषेतील नाट्यमय क्रियांमध्ये सहभागी होण्यासाठी प्रोत्साहित करणे हे सर्व भिन्न मार्ग आहेत ज्याद्वारे प्रभावी शिक्षण मिळू शकते.
वाचा: Improve the Quality of Education | शिक्षणाचा दर्जा सुधारा
3) सारांष (Know the importance of mother tongue)
मातृभाषा ही अशी भाषा आहे जी मूल जन्माला आल्यानंतर ऐकू लागते आणि त्यामुळे ती आपल्या भावना आणि विचारांना निश्चित आकार देण्यासही मदत करते.
गंभीर विचार, दुसरी भाषा शिकण्याची कौशल्ये आणि साक्षरता कौशल्ये यासारखी इतर कौशल्ये वाढवण्यासाठी तुमच्या मातृभाषेत शिकणे देखील महत्त्वाचे आहे. अशा प्रकारे, आपण असे म्हणू शकतो की मातृभाषेचा उपयोग शिक्षणाचे प्रभावी साधन म्हणून केला जाऊ शकतो.
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मातृभाषा मराठी चे महत्त्व
– सौ. प्रांजली जोशी
लाभले आम्हास भाग्य बोलतो मराठी
जाहलो खरेच धन्य ऐकतो मराठी
धर्म , पंथ , जात एक जाणतो मराठी
एवढ्या जगात माय मानतो मराठी
श्रेष्ठ कवी सुरेश भट यांनी आपल्या काव्यात मराठी या भाषेची महानता व्यक्त केली ती सार्थ आहे. आम्हा महाराष्ट्रीयांची ‘मातृभाषा’ ही मराठी आहे. ही भाषा आमची ‘आई’. माता बोलते म्हणून नाही तर ती आमची संस्कृती आहे. ही ‘मराठी’ मातृभाषा आमच्या मनामनात, रोमारोमात भिनलेली आहे. या भाषेची स्पंदने उराउरात भरलेली आहेत.
का नसावा आम्हाला आमच्या मातृभाषेचा अभिमान! आमची भाषा अमृताशी पैजा जिंकणारी आहे. तिला एक इतिहास आहे. त्या इतिहासाचे पुरावे आहेत. आमची मातृभाषा नदीसारखी प्रवाही आहे. काळाच्या ओघात स्वतःला बदलवणारी आहे. नीरक्षीर विवेकबुद्धीने इतरांना सोबत घेऊन चालणारी आहे.
आमची ही मातृभाषा मराठी कोणत्या काळापासून आहे हे बघण्याचा प्रयत्न केल्यास त्याचे मूळ स्वरूप 11व्या शतकात बघायला मिळते. मराठीत शके 1110 मध्ये ‘मुकुंदराज’ यांनी लिहिलेला ‘विवेकसिंधु’ हा ग्रंथ त्याची साक्ष देतो. म्हणजे ही भाषा फक्त बोलली जात नव्हती तर तिच्यातून लिहिलेले ग्रंथ आहेत. म्हणजे त्या काळात त्यांची ‘लिपी’ तयार होती. अर्थात त्या काळातच निरनिराळ्या आवाजांच्या किंवा ध्वनीच्या सांकेतिक खुणा ठरविल्या होत्या ज्या खुणांना मराठीत ‘अक्षर’ म्हणतात. मातृभाषेतील आपले बोलणे नष्ट न होऊ देता दीर्घकाळ टिकून राहावे म्हणून ‘अक्षर’ राहण्यासाठी लिपीत लिहून ठेवण्याची सोय होती. क्षर म्हणजे नश्वर, नष्ट होणारे. अ क्षर म्हणजे नष्ट न होणारे. याचे दाखले आज आपल्याला 21व्या शतकातही उपलब्ध आहेत इ.स. 1283 मधे लिहिलेले महानुभव पंथाचे ग्रंथ लीळाचरित्र, 1288 मधे श्री. संत ज्ञानेश्वरांनी लिहिलेली ज्ञानेश्वरी, 13व्या शतकातील, 16व्या शतकातील संत वाङमय आणि बरेच ग्रंथ, पुराणादि आपल्याला मराठी भाषेच्या अस्तित्वाची, तिच्या सुख-समृद्धीची जाणीव करून देते. शिलालेख, ताम्रपट, आज्ञापत्रे, बखर, तहनामे राजीनामे, फर्माने अशी अनेक साधने आपल्या मराठीच्या इतिहासाची साक्ष देणारे साक्षीदार आहेत. मराठीला खरे वैभव प्राप्त झाले छत्रपती शिवाजी महाराजांच्या काळात. आणि आज ती जिवंत आहे ती ही शिवाजी महाराजांमुळेच असे म्हणणे वावगं होणार नाही. म्हणून आपण असेही म्हणू शकतो की –
आमुच्या कुलाकुलात नांदते मराठी
आमुच्या पिलापिलात जन्मते मराठी
पिलापिलात आईकडून जन्माबरोबर भाषा ही मिळते. आईची भाषा ती तिच्या पिल्लांची भाषा. म्हणजेच मातृभाषा असेच नाही तर त्या भाषेबरोबरच आपल्याला आईची संस्कृती, ती ज्या समाजात राहते तो समाज, तिचा आहार-विहार, तिची ओळख ती तिच्या पिल्लांची ओळख बनते. इतके महत्त्व आपल्या मातृभाषेला आहे. महाराष्ट्राबद्दल बोलायचे तर मराठीला आहे. आमची मातृभाषा आमची ओळख आहे.
आपल्या/ मानवाच्या आयुष्यात भाषेला अनन्यसाधारण महत्त्व आहे. म्हणूनच ती 11व्या शतकापासून 21व्या शतकापर्यंत जिवंत आहे आणि ती अशीच ‘यावत् चंद्रदिवाकर’ राहणार आहे. भाषा नदीसारखी प्रवाही आहे असे म्हणतो त्याचे कारण तसेच नदी ज्याप्रमाणे कोणतीही अडचण येवो, अडथळे येवो, त्याठिकाणी न थांबता पुढे पुढे वाहात जाते, आजूबाजूचा परिसर समृद्ध करीत जाते असेच भाषेचे आहे.
महाराष्ट्राची मराठी भाषा ही तशीच आहे. ती महाराष्ट्राची संस्कृती आणि संस्कार एका पिढीकडून दुसऱ्या पिढीकडे, दुसऱ्या पिढीकडून तिसऱ्या पिढीकडे अशी अव्याहत वाहत नेत आहे. तिच्या भोवतालचा परिसर समृद्ध करीत आहे.
या संस्कारक्षम मातृभाषेचे महत्त्व कालातीत आहे. व्यक्ती आपल्या मनातल्या भावना, आपले विचार, आपली मते आपल्या मातृभाषेतूनच प्रभावीपणे मांडू शकते. त्या भाषेची भाषिक कौशल्ये आत्मसात केली असतील तर उत्तम प्रकारे मांडेल नाही तर आपल्या यथाबुद्धी, मोडक्या तोडक्या किंवा बोली भाषेत प्रगट करू शकेल ते ही मातृभाषेतच.
त्याची विचारशक्ती, कल्पनाशक्ती, सृजनात्मकशक्ती भाषेच्या नव्हे मातृभाषेच्या अभ्यासाने पूर्ण विकसित होऊ शकते. पण त्याचा पाठपुरावा, त्याचे संस्कार, बालवयापासून, मी तर म्हणीन की आईच्या गर्भात असल्यापासून झाले पाहिजेत. मग ती भाषा बोलीभाषा असली तरी चालेल.
महाराष्ट्रात अनेक बोलीभाषा बोलल्या जातात. उदा. द्यायचे तर वर् हाडी, अहिराणी, वारली, कोरकू, माडिया, खानदेशी, चंदगडी, झाडी, पोवारी, मालवणी, कोहळी अशा एकूण 58 ते 60 च्या वर बोलीभाषा आहेत. या बोलीभाषा त्या त्या जाती जमातींची संस्कृती, रुढी रीतीरिवाज, त्यांची कला, त्यातील जिवंतपणा, सौंदर्य, रसरशीत जीवन जगण्याची कला या पिढीकडून पुढच्या पिढीकडे संक्रमित करीत असतात आणि अशा या रसाळ बोलीभाषा प्रमाण भाषेला समृद्ध आणि संपन्न करीत असतात. बारा कोसावर बदलणाऱ्या भाषेचे स्वरूप कसेही असो त्यातील गोडवा अवीट आहे हे नक्कीच.
जन्मापासून आपल्याला जी भाषा, संस्कार मिळतात ते जन्मभर पुरणारे असतात. या भाषेमुळे आपण दैनंदिन व्यवहार सुकरतने करू शकतो. समाजात वावरू शकतो तसेच संस्कृतीशी जोडलेले राहू शकतो. आपली नाळ त्या मातृभाषेशी, त्या जन्मदात्रीशी आणि त्या मातृभूमीशी सतत जोडलेली असली पाहिजे. म्हणून स्वामी विवेकानंद म्हणतात “ज्या देशातील लोक स्वतःच्या आईच्या, स्वतःच्या मातृभूमीच्या आणि स्वतःच्या भाषेचा गौरव करणारे असतात तो देश संपन्न आणि समृद्ध राहून गौरवशाली होऊ शकतो”.
प्रत्येक राज्याची आपली एक मातृभाषा असते. ज्यांची संस्कृती संगीत, कला, अन्नधान्य, आहार-विहार, लोककला, राहाणीमान यांचे प्रतिबिंब त्यांच्या मातृभाषेतून इतरांना कळणार नाही पण ज्यांना कळतात त्या गोष्टी त्यांनी त्याचा सन्मान केला तर इतरही तो आपसूकच करतात.
मराठीची ग्रंथसंपदा समृद्ध आहे. 11व्या शतकापासून ही ग्रंथपरंपरेची दिंडी अव्याहतपणे सरस्वतीच्या मंदिरापर्यंत वारी करीत असते. जीवन जगताना मार्गदर्शन करणारा ज्ञानेश्वरी सारखा ग्रंथ, संत तुकाराम, नामदेव, चोखामेळा, मुक्ताबाई, जनाबाई सारख्यांचे अभंग समाजप्रबोधन 13/16 व्या शतकापासून अव्याहतपणे करीत आहेत. कारण ते अभंग अ भंग आहेत. पु. ल. देशपांडे, कुसुमाग्रज, व. पु. काळे, वि. स. खांडेकर, ना. सी. फडके यासारखे असंख्य लेखक, बा. भ. बोरकर, कवी यशवंत, माधव ज्युलियन, सुरेश भट यासारखे नामवंत प्रसिद्ध कवी, नाटककार, समीक्षक, शास्त्रज्ञ जयंत नारळीकर, डॉ. अनिल काकोडकर यांसारखे मराठी मातीतले विज्ञान कथा लिहिणारे, चि. वि. जोशींसारखे विनोदी वाङमय लिहिणारे, विजय तेंडुलकर, रमेश मंत्री, नारायण सुर्वे डॉ. आंबेडकरांसारखे रत्नप्रभावाळीतले दैदिप्यमान हिरे मातृभाषेचे पूजक बनले. भक्त बनले. त्यांनी आपल्या लेखनाद्वारे आपल्या मातृभाषेची पूजा केली.
भाषा लक्ष्य शिकाव्यात परि लक्ष मातृभाषेकडे असावे .
आपल्या मराठी भाषेत बालसाहित्य, बालनाट्य, बालकविता यांचे भांडार ओतप्रोत भरलेले आहे. पण आपले लक्षच नाही. आपण लक्षातच घेत नाही मातृभाषेचे महत्त्व. मराठीचे महत्व. आईच्या मांडीवर असल्यापासून आपली आपल्या मातृभाषेची ओळख होते. अडगुलं मडगुलं, वरण-भात-भाजी-पोळी कडढीची पाळ फुटली…. फुटली…. म्हणत खुदुखुदु हसणारे बाळ त्यातला नाद, लय ओळखायला लागते. चिऊ-काऊच्या गोष्टी ऐकत 3/4 वर्षाचे होत नाही तर आम्ही त्याला पुढे मराठीत काही शिकवायच्या ऐवजी Ba…ba…black sheep नाहीतर “जॉनी जॉनी यस पप्पा” शिकवितो. जीभेवर चांगले संस्कार करणारे संस्कृत श्लोक, मराठी बडबड गीते सोडून इंग्रजीच्या जाळ्यात अडकवतो जो आज नेटवर्कमधे पुरता गुरफटला आहे. का नाही आम्ही मराठीत त्याला पूर्ण प्राथमिक शिक्षण देऊ शकत. वयाच्या कोवळ्या वयात त्याला ‘काऊ’ म्हणजे ‘कावळा’ सांगणार्या आईपासून, मातृभाषेपासून तोडून ‘काऊ’ म्हणजे ‘गाय’ शिकवणाऱ्या मॅडम जवळ ठेवून/शिकवायला नेऊन गोंधळात टाकतो. इंग्रजीमधुन शिक्षण द्यायला सुरूवात केली की त्याची विचारशक्ती, कल्पनाशक्ती, सृजनक्षमतेला खीळ बसते आणि सारी बुद्धी भाषांतराच्या विळख्यात अडकते. सारी शक्ती पणाला लावून तो इंग्रजीत शिकलेल्या भाषेचा दैनंदिन जीवनात भाषांतर करून करून त्रस्त होतो. वास्तविक पाहता प्रत्येक राज्याची वेगवेगळी मातृभाषा असली तरी ती आपल्या पूर्वजांनी समृद्ध, संपन्न करून ठेवली आहे.
मराठीतही शब्दकोश, विश्वकोश, व्युत्पत्ति कोष आहेत पण लक्षात कोण घेतो? जर्मन मधला एक बालक आपल्या मातृभाषेत गणितात प्रगती करू शकतो ते ही इंग्रजीशिवाय. इटली मधला इटालियन इटलीच्या मातृभाषेत पाढे म्हणतो. स्पेनचा बालक स्पॅनिश भाषेत प्रगती करतो इंग्रजी सोडून. मग आपल्याला मराठीत पाढे पाठ करायची लाज का वाटावी. आपणाकडेही मराठीत वैदिक गणित आहे. पाढे आहेत. अंकगणित, बीजगणित आहे, भूमिती आहे पण आपण मॅथ्स, जॉमेट्री आणि ऑलजिब्रा शिकतांना जीव घाबरा करीत का असतो कळतच नाही.
आपल्या मातृभाषेतून आपण शिकलो तर व्यक्ती व्यक्तींचे परस्पर संबंध स्नेहपूर्ण, मैत्रीपूर्ण, सौहार्दपूर्ण करण्यास मदत होते. एकाने ‘राम राम’ म्हटले तर दुसऱ्याने राम राम केले तर जगाचे कल्याण होते इतकी ताकद या ‘राम राम’ मधे आहे. पण आम्ही ‘हाय… हाय’ करतो. पूर्वी नमस्कार करण्याची आपली संस्कृती आता हस्तांदोलन करून ‘कोरोनाला’ निमंत्रण देते हे एक उदाहरण आहे मातृभाषेपासून, तिच्या संस्कारांपासून दूर जाण्याचे.
आपल्या मातृभाषेचे महत्त्व, मराठीचे महत्त्व लक्षात घेऊन, जाणून बुजून पालकांनी मुलांच्या, शिक्षकांनी विद्यार्थ्यांच्या, मुख्याध्यापकांनी शिक्षकांच्या, शिक्षण संस्था चालकांनी मुख्याध्यापकांच्या, शिक्षण मंत्र्यांची शिक्षण संस्थेच्या भाषा विकासाच्या दृष्टीने ठोस पावले उचलण्याची आज नितांत गरज आहे. इंग्रजाळलेल्या विद्यार्थ्यांची ससेहोलपट होत आहे. इंग्रजी माध्यम, सेमी इंग्रजी माध्यम घेऊन शिकणाऱ्या विद्यार्थ्यांना फक्त रट्टा मारणे, पाठांतर करणे या पल्याड काही करायला स्कोपच उरला नाही. त्यांचा वेळ, त्याचे बालपण, किशोरावस्था इंग्रजी भाषेच्या अध्ययनात इतकी शक्ती खर्च होते की त्यांची स्वतःची कल्पनाशक्ती, सर्जनशीलता, सौंदर्य, वाङमयाची वाचनाची गोडी संपुष्टात आली आहे. त्यांना धड इंग्रजी येत नाही आणि धड मराठी ही नाही. दुकानदाराने त्रेपन्न/चौरेचाळीस, एकोणपन्नास असे आकडे उच्चारले की त्यांची तोंडे 10वे आश्चर्य बघितल्यासारखे होतात आणि तोंडाचा विस्फारलेला ‘आ’ 53/ 44/ 49 असे म्हणत बंद होतो. मातृभाषेचा हा विद्यार्थी फक्त परीक्षार्थी होतो हे एक धोकादायक सत्य आहे.
स्पर्धेच्या युगात गुणपत्रिकेतील गुणांपेक्षा काहीच महत्त्वाचे नाही का? त्यांचा आत्मविश्वास, त्यांचा सभाधीटपणा, वक्तृत्व, कर्तृत्व, संवादकौशल्य, त्यांची देहबोली, त्यांचा व्यक्तिमत्त्व विकास मातृभाषेला डावलून खरंच पुरेसा होणार आहे का?
बालकाचे व्यक्तिमत्त्व घडविताना तो सर्वगुणसंपन्न नागरिक घडावा. त्याने जबाबदारीने समाजाचे नेतृत्व करावे. देशाची धुरा सांभाळावी. अशी काळाची गरज असेल तर मातृभाषा व मातृभाषेतून शिक्षण गरजेचे आहे. आजच्या काळाची ती गरज आहे. महाराष्ट्रात 69 % लोक (अंदाजे) मराठी भाषिक आहेत. भारतात बोलल्या जाणाऱ्या भाषांमध्ये मराठीचा क्रमांक तिसरा आहे (2011च्या जनगणनेनुसार) याचा अर्थ मराठी बोलणाऱ्यांचे, मातृभाषा असणाऱ्यांचे प्रमाण भारतात जास्त आहे. असे असून हवी तशी प्रगती नाही. कारणं शोधली तर खूप आहेत.
पण महाराष्ट्रात मराठीला हवं तसं वैभवशाली, समृद्ध, मातृभाषेला मनामनात जनाजनात स्थान मिळाले हे मात्र स्वप्न अपूर्ण आहे असे म्हणतांना खेद होतो. पण हे स्वप्न पूर्ण झाल्याचे स्वप्न पडू लागले आहे. कारण राष्ट्रीय शैक्षणिक धोरणात मातृभाषेकडे विशेष लक्ष देण्याचे निश्चित झाले आहे.
प्राथमिक शिक्षण मराठीतच द्यायचे हे धोरण 100% पूर्णत्वास आणले पाहिजे. सध्या जे 12वीला ऐच्छिक विषय आहेत त्यात मराठी सोडून इलेक्ट्रॉनिक किंवा कॉम्प्युटर सायन्स किंवा अनेक विषय हे बंद झाले पाहिजे. 3 ते 14 वर्षापर्यंत मराठीचा पाया पक्का झाला की पुढे चांगले शिक्षण घेता येते. सगळ्या विषयातील विचारवंताचे विचार, मते, भावना, शोध हे चांगले समजले की त्यांच्या/विद्यार्थ्यांना विचारांना कल्पनेला सर्जनशीलतेला चालना मिळेल आणि त्यांचे विचार त्यांच्या आचारातून दिसून येतील. ते ही आपल्या कल्पना साकारतील. कृतीत आणतील. वाङमयाची, मराठीची गोडी लागून त्यातील काव्यसौंदर्य, भावसौंदर्य, विचारसौंदर्याचा आनंद घेतील. त्या आनंदातूनच नवीन मराठी लेखक, कवी, समीक्षक, संशोधक जन्म घेतील पण त्यासाठी अशी स्थिती हवी की –
आमुच्या घराघरात वाढते मराठी
येथल्या चराचरात राहते मराठी
एवढ्या जगात माय मानतो मराठी ….
सुरेश भटांच्या या कवितेतील शब्द न् शब्द, ओळ न् ओळ साक्षात अवतरली पाहिजे आणि –
येथल्या दिशादिशात दाटते मराठी
येथल्या नभामधून वर्षते मराठी
आमुच्या मुलामुलीत खेळते मराठी
येथल्या कळीकळीत लाजते मराठी ….
प्रत्येक मराठी माणसाला आपण महाराष्ट्रात जन्माला आलो याचा, मराठी भाषेचा अभिमान वाटला पाहिजे. आपल्या पाल्यांना मराठी माध्यमात शिकायला पाठवितांना अभिमानाने मान उंचावली पाहिजे आणि ओठात शब्द आले पाहिजे
(लेखिका शिक्षणतज्ज्ञ आहेत आणि विद्या भारती पश्चिम दक्षिण नागपूरच्या उपाध्यक्ष आहेत.)
पुढे वाचा : अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
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Importance of Mother Tongue – Essay in 10 Lines, 100 to 1500 Words
Essay on Importance of Mother Tongue: Language is not just a means of communication; it is a vital part of our identity and culture. In this essay, we will explore the importance of mother tongue in preserving our heritage and connecting us to our roots. Our mother tongue is the language we learn first, the language that shapes our thoughts and emotions. It is through our mother tongue that we express our deepest feelings and connect with our community. Let’s delve deeper into the significance of preserving and promoting our mother tongue in today’s globalized world.
Table of Contents
Importance of Mother Tongue Essay Writing Tips
1. Introduction: Start your essay by introducing the concept of mother tongue and its importance in shaping an individual’s identity and cultural heritage.
2. Define Mother Tongue: Define what mother tongue means and why it is considered as the first language that a person learns from birth.
3. Cultural Identity: Discuss how mother tongue plays a crucial role in preserving one’s cultural identity and heritage. It is through the mother tongue that individuals connect with their roots and traditions.
4. Communication: Highlight the importance of mother tongue in effective communication. It is easier for individuals to express their thoughts and emotions in their mother tongue as it is the language they are most comfortable with.
5. Cognitive Development: Explain how learning and speaking in one’s mother tongue can aid in cognitive development. Research has shown that children who are proficient in their mother tongue tend to perform better academically.
6. Social Integration: Discuss how mother tongue can facilitate social integration within a community or society. It helps in fostering a sense of belonging and unity among individuals who share the same language.
7. Preserving Linguistic Diversity: Emphasize the importance of preserving linguistic diversity by promoting the use of mother tongues. Each language is unique and contributes to the rich tapestry of human culture.
8. Educational Benefits: Highlight the educational benefits of learning in one’s mother tongue. Studies have shown that children learn better when taught in their mother tongue as it helps in understanding concepts more effectively.
9. Economic Opportunities: Discuss how being proficient in one’s mother tongue can open up economic opportunities. In a globalized world, knowing multiple languages, including one’s mother tongue, can be an asset in the job market.
10. Conclusion: Summarize the key points discussed in the essay and reiterate the importance of mother tongue in shaping an individual’s identity, fostering communication, preserving cultural heritage, and promoting linguistic diversity. Encourage readers to value and cherish their mother tongue as an integral part of who they are.
Essay on Importance of Mother Tongue in 10 Lines – Examples
1. Mother tongue is the first language that a child learns from birth, and it plays a crucial role in shaping their identity and cultural heritage. 2. It helps in fostering a strong bond between family members and creating a sense of belonging within a community. 3. Mother tongue is essential for effective communication with family members, especially grandparents and extended relatives who may not be fluent in other languages. 4. It is also important for preserving and passing down traditional stories, songs, and customs from one generation to the next. 5. Mother tongue helps in developing cognitive skills, as children who are proficient in their native language tend to perform better in academic subjects. 6. It enhances emotional expression and creativity, as individuals are more comfortable expressing their thoughts and feelings in their mother tongue. 7. Knowing one’s mother tongue can also open up opportunities for learning additional languages and understanding different cultures. 8. It is crucial for maintaining cultural diversity and preventing the loss of indigenous languages that are at risk of extinction. 9. Mother tongue is a source of pride and empowerment for individuals, as it reflects their unique heritage and roots. 10. Overall, mother tongue is an integral part of one’s identity and should be valued and preserved for future generations.
Sample Essay on Importance of Mother Tongue in 100-180 Words
Mother tongue is the first language that a person learns from birth. It is the language that is spoken at home and is an integral part of a person’s identity. The importance of mother tongue cannot be overstated as it plays a crucial role in shaping a person’s cultural identity, communication skills, and cognitive development.
Firstly, mother tongue is essential for maintaining cultural heritage and passing down traditions from one generation to another. It is through the mother tongue that individuals learn about their history, customs, and values. Additionally, mother tongue is crucial for effective communication with family members and community members, fostering a sense of belonging and connection.
Furthermore, research has shown that children who are proficient in their mother tongue perform better academically and have higher cognitive abilities. This is because learning in one’s mother tongue helps in better understanding and retention of information.
In conclusion, mother tongue is a vital aspect of a person’s identity and plays a significant role in their personal and intellectual development. It is important to preserve and promote mother tongue languages to ensure cultural diversity and enrich society as a whole.
Short Essay on Importance of Mother Tongue in 200-500 Words
Mother tongue is the language that a person learns from birth, typically from their parents or immediate family members. It is the first language that a child is exposed to and plays a crucial role in shaping their identity, culture, and communication skills. The importance of mother tongue cannot be overstated, as it is the foundation upon which all other languages are built.
One of the key reasons why mother tongue is important is because it is closely tied to a person’s sense of identity and belonging. Language is not just a means of communication, but also a reflection of one’s cultural heritage and roots. When a person speaks their mother tongue, they are able to connect with their family, community, and ancestors in a way that is deeply meaningful and personal. This connection to one’s mother tongue helps to strengthen a person’s sense of self and provides a sense of continuity with their past.
Furthermore, mother tongue plays a crucial role in the development of a person’s cognitive and linguistic abilities. Research has shown that children who are proficient in their mother tongue are better able to learn additional languages and excel academically. This is because a strong foundation in one language provides a framework for understanding the structure and grammar of other languages. Additionally, being able to communicate effectively in one’s mother tongue helps to build confidence and self-esteem, which are essential for success in all areas of life.
In addition, mother tongue is also important for preserving cultural heritage and traditions. Language is a key component of culture, and when a language is lost, a significant part of a community’s identity and history is also lost. By maintaining and passing down their mother tongue to future generations, communities are able to preserve their unique customs, beliefs, and values. This helps to ensure that cultural traditions are not forgotten and continue to be celebrated and honored.
Moreover, mother tongue is essential for effective communication and social interaction. Language is the primary tool that people use to express their thoughts, emotions, and ideas. When a person is able to communicate in their mother tongue, they are better able to convey their thoughts and feelings accurately and confidently. This is especially important in interpersonal relationships, where clear and effective communication is key to building strong connections and understanding between individuals.
In conclusion, mother tongue is a vital aspect of a person’s identity, cognitive development, cultural heritage, and communication skills. It plays a crucial role in shaping who we are and how we interact with the world around us. By valuing and preserving our mother tongue, we are able to honor our past, connect with our present, and build a brighter future for generations to come.
Essay on Importance of Mother Tongue in 1000-1500 Words
Mother tongue, also known as the first language or native language, is the language that a person learns first and speaks most fluently. It is the language that is spoken at home and is often passed down from generation to generation. Mother tongue plays a crucial role in shaping a person’s identity, culture, and sense of belonging. In this essay, we will discuss the importance of mother tongue and why it is essential to preserve and promote it.
First and foremost, mother tongue is an integral part of a person’s identity. It is the language that a person feels most comfortable speaking and expressing themselves in. It is the language that is closely tied to one’s cultural heritage and upbringing. When a person speaks their mother tongue, they feel a sense of connection to their roots and ancestors. It helps them understand their place in the world and gives them a sense of belonging.
Furthermore, mother tongue is essential for communication within the family. It is the language that is used to communicate with parents, siblings, and other family members. It is the language in which family traditions, stories, and values are passed down from one generation to the next. Without mother tongue, these important aspects of family life would be lost. It is through mother tongue that children learn about their family history, customs, and beliefs.
In addition, mother tongue plays a crucial role in education. Research has shown that children learn best when they are taught in their mother tongue. When children are taught in a language that they are familiar with, they are more likely to understand and retain the information being taught. They are also more likely to actively participate in class discussions and engage with the material. This is why many countries have adopted mother tongue-based multilingual education programs to ensure that children have access to quality education in their native language.
Moreover, mother tongue is important for cognitive development. Studies have shown that children who are bilingual or multilingual have better cognitive skills than monolingual children. Learning multiple languages helps improve memory, problem-solving skills, and creativity. It also enhances the ability to switch between different tasks and think critically. By preserving and promoting mother tongue, we are not only preserving a language but also promoting cognitive development in children.
Furthermore, mother tongue is essential for preserving cultural heritage. Language is closely tied to culture, and when a language dies, a part of that culture dies with it. Mother tongue is the vehicle through which cultural traditions, beliefs, and values are transmitted from one generation to the next. It is through language that stories, songs, and folklore are passed down. By preserving mother tongue, we are preserving our cultural heritage and ensuring that future generations have access to their rich cultural traditions.
Additionally, mother tongue is important for social cohesion and national unity. Language is a powerful tool for bringing people together and fostering a sense of community. When people speak the same language, they are able to communicate effectively and understand each other better. This helps build trust, empathy, and mutual respect among individuals from different backgrounds. By promoting mother tongue, we are promoting social cohesion and strengthening national unity.
In conclusion, mother tongue is a vital aspect of a person’s identity, culture, and sense of belonging. It plays a crucial role in communication within the family, education, cognitive development, cultural heritage preservation, social cohesion, and national unity. It is essential to preserve and promote mother tongue to ensure that future generations have access to their rich cultural heritage and can fully embrace their identity. By valuing and celebrating mother tongue, we are not only preserving a language but also preserving a way of life.
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Mother tongue activism and language shift in multilingual India: Marathi in Pune, Maharashtra
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मायबोलीचे मनोगत मराठी निबंध Autobiography of Mother Tongue Essay in Marathi
Autobiography of Mother Tongue Essay in Marathi : मी आहे तुमची मायबोली ‘मराठी भाषा.’ माझी परंपरा जुनी आहे, प्राचीन आहे. नवव्या शतकापासून माझ्या अस्तित्वाच्या खुणा शिलालेखांवर उमटलेल्या दिसतात. तेराव्या शतकात माझ्या एका सुपुत्राने-ज्ञानदेवाने-माझ्या मदतीने ‘ज्ञानेश्वरी’ हा महान ग्रंथ निर्माण केला आणि माझे जीवन कृतार्थ केले. त्यानंतरची माझी वाटचाल ही अखंडित आणि उज्ज्वल आहे. ज्ञानेश्वरांना माझ्याबाबत केवढा अभिमान होता. ते सांगतात, माझी ही मायबोली कशी? तर अमृतालाही पैजेवर जिंकणारी! साऱ्या मराठी संतकवींनी मला आपल्या भक्तिभावनेने सजवले. ओवी-अभंगांची लयलूट केली आणि माझा देव्हारा आत्मतेजाने उजळून टाकला.
नक्की वाचा – माझी आई मराठी निबंध
संस्कृत ही प्राचीन गीर्वाण वाणी माझी माता. संस्कृत भाषेनेच मला शब्दभांडार पुरवले व मला समृद्ध केले. संतकवींनंतर आलेल्या पंडितकवींनी संस्कृत भाषेतील कथाकाव्याच्या आधारे माझा आख्यानकाव्याचा खजिना भरून टाकला. पुढे शूर शाहिरांनी पोवाडे, लावण्या रचून वीर आणि शृंगार रसांची उधळण केली. इंग्रजांचे राज्य भारतात आले आणि माझ्या गुणी पुत्रांनी इंग्रजी भाषेतले वाघिणीचे दूध पिऊन पाश्चात्त्य साहित्यांतील उत्तमोत्तम साहित्य माझ्या मदतीने मराठी बांधवांना उपलब्ध करून दिले.
आज मला राजभाषेचा सन्मान दिला गेला आहे; पण माझे वास्तव स्वरूप लाजिरवाणे आहे; डोक्यावर राजमान्यतेचा सोनेरी मुकुट आणि … अंगावरची वस्त्रे मात्र फाटकी! या पन्नास वर्षांत माझे स्वरूप धेडगुजरी झाले आहे. माझ्या सुविदय सुपुत्रांना माझा उपयोग करताना कमीपणा वाटतो. ते पावलोपावली इंग्रजीचा उपयोग करतात, आपला पत्रव्यवहारही इंग्रजीतून करतात. आपल्या कच्च्या बच्च्यांना इंग्रजी माध्यमाच्या शाळांत घालतात. माझ्या लिखित स्वरूपाच्या शुद्धाशुद्धतेकडे तर ते मुळीच लक्ष देत नाहीत.
“काही दिवसांनी अनेक भाषांच्या भेंडोळ्यात ‘माझे’ म्हणजे ‘मराठी भाषेतील शब्द शोधावे लागतील. पण आता दु:ख करून तरी काय उपयोग? अहो जेथे ‘ममी’ च्या आगमनाने ‘आई’ हरवली आहे, तेथे मायबोलीला कोण पुसणार?”
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Marathi Essay
पेटलेली पणती घेऊन, पायाखालची वाट चालत जायची आहे, नवीन वाटांना पायदळी तुडवताना, रचलेल्या शब्दांच्या जोरावर आयुष्याचा वणवा करायचा आहे!!
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Marathi Essay
Importance of learning Marathi:
It is crucial to learn and understand one’s mother tongue first before trying to learn any other regional or international language. So, it is necessary for Maharashtrian students to learn Marathi first in their childhood. While living in Maharashtra it is needed to know Marathi for all people not only for local residents. To pursue higher studies in Marathi on must know this language from the basic level. Students get chances of learning regional language from basic level in their school education platform. So, all students must concentrate in their school education where all subjects are taught in Marathi except English. When the basics of any subjects is clear for students then they will easily feel encouragement to grasp the knowledge of higher level.
Benefits of Marathi essays:
Essay writing skill is beneficial for all languages not for Marathi only where students are bound to write in Marathi only. It is definitely important to improve Marathi language writing skill for all students living in the state. To understand the history and culture of a state one must know the regional language first. From understanding the language one surely start realising the values of its cultural importance. Being the mother tongue of Marathi people when they will write essays in Marathi their expressions will find appropriate words naturally. Though students can check other previous writings for getting an overall knowledge about a single topic. Still it will be for their own good to not follow the sense and essence of someone other’s writing in detail. They should follow their heart and knowledge which will come out naturally on papers through their pens. In early level of schools, students need guidance to write essays by their own or just getting knowledge from an essay. For that purpose they follow some essays on common topics and current topics which are essential from exam perspective. So, it is absolutely okay for children to follow the writing pattern when they will start their essay writing journey at early level of schools. From the early stage of practicing essay writing in Marathi language students will efficient with time if they give focus more on including their own language in writing. We have tried to discuss the importance of writing Marathi essays and providing enough knowledge for students to encourage children on writing. We are hopeful that from the list of Marathi essays we will provide in the links will be helpful for providing knowledge on certain topics.
Being the mother tongue of Marathi people every child must learn Marathi first before pursuing education in any other language. After learning the language from the heart children get interested in learning the culture and its ancestors deeply. When students study in schools they often face the need of reading essays on different topics. For that they are not always ready to write instantly by applying their previous knowledge. Because it is not possible for children to know every single topic which is happening around them continuously. As teachers and guides it is our responsibility to provide them adequate information about a single topics with exact facts and key stories to make them updated at a single time.
List of Marathi essays:
In the curriculum of Maharashtra board, students have to learn writing essays from their primary education stage. After that essay writing standards reach higher with the classes of students in secondary, higher secondary and higher studies after that too. Despite academics essay writing skills will help students of Marathi language to share their views and opinions about any incident. They can easily express their thoughts of encouragement or protest through their writing strategy. With the enhanced writing skills students will get chances to upgrade their career too in future. So, we have found that students require Marathi essays from primary to any level of higher studies. We have provided list of all important essays in Marathi language from easy to advance level which students can choose based upon their classes. They will find all essays in limited word count which is required for their exam pattern. Students of Marathi language can completely rely on the information included in those essays as those essays have been written after researching thoroughly. They can find out the essays on different topics based upon their requirements.
- गणपती बप्पा बोलतात तेव्हा
- मकर संक्रांती
- सांग सांग भोलानाथ
- विजेचा शोध लागला नसता तर (If innovation in electricity was not happens)
- माझे नियुक्ती पत्र (My retiredment letter)
- झेंडूची फुले (Merigold flowers)
- वस्तीगृहातील आठवणी (Hostel memories)
- अतिवृष्टी आणि शेती (Farming in flood)
- महापूर (Flood)
- डोल्यातील अश्रूंचा पाऊस (eyes with tears)
- ऋतू वर्षाचे की दिवसाचे (Climatic seasons changes day by day)
- परीक्षा (Exam)
- जंगतोड (Forest cutting)
- मराठी शाळेचे महत्त्व (Importance of Marathi school)
- शाळेचा वाढदिवस (Birthday of school)
- आईची झालेली बदली (Job transfer of Mother)
- झोप (Sleep)
- सुट्टीनंतर ची शाळा (First day of school after vacation)
- आठवडी बाजार ची गर्दी (Market rush)
- तोडलेल्या झाडाचे महत्त्व (When cutted tree will talk)
- अमृत्मोहोत्सव स्वातंत्र्याचा (Independence day celebration)
- सुंदर अक्षर (Good handwriting)
- ताईचा झालेला पगार (Sisters Payment)
- संवाद मुलांसोबत (Conversation with children’s)
- जर मी मोबाईल झाले तर (When I will become mobile)
- गांधीजींच्या स्वप्नातील भारत (Dream of Gandhiji regarding our India)
- अवकाशातील कचरा (Dirt in universe)
- जर बंद शाळा बोलू लागली तर (When closed school will talk)
- माझा आवडता खेळाडू (My favourite player)
- उन्हाळा (Summer)
- अस्तिगृहमधील आठवणी (Memoriese of Hostels)
- देशसेवा (Duty for India)
- सुविचार (Good thought)
- माणुसकी (Humanity)
- संगणक विज्ञानाची भेट (When science found computer)
- सकांतकळतील मैत्री (Friendship when I am in trouble)
- आरोग्य हीच संपत्ती (Health is wealth)
- निसर्ग (Nature)
- भाषा (Language)
- दिनदर्शिका (Calendar)
- दुषित पाण्याचे मनोगत (When polluted water will talk)
- कारोना नंतरचे जीवन (Life after corona pandemic)
- स्वच्छ सुंदर भारत अभियान (Clean and beautiful India campaign)
- मोबाईल आणि लहान मुले (Use of mobile by kids)
- वृक्षतोड (Tree cutting)
- माझे प्राणी प्रेम (Animal love)
- शाळेतील फळा (Blackboard)
- मधली सुट्टी (Lunch break in school)
- आजी आजोबा (Grandmother grandfather)
- शाळा आणि पाऊस (Memories of school and rain)
- बाबांना मिळालेली बढती (My father’s promotion)
- सार्वजनिक वाहनांचे महत्त्व (Importance of public transport)
- मी केलेला पहिला पदार्थ (First menu cook by me)
- जर यान बोलू लागले तर (If aeroplane will talk)
- गावाकडील घटती लोकसंख्या (Reduces population in the village)
- समुद्रकिनारा (Seaface)
- रेल्वस्थानकावरील एक रात्र (One night spend on railway station)
- वृक्षारोपण (Plantation)
- रासायनिक खते आणि शेती (Agriculture by using fertilizers)
- वाचनाचे महत्त्व (Importance of reading)
- गृहापाठचे महत्त्व (Importance of Homework)
- शाळेत जाताना (While going school)
- अंगण (Home garden)
- अभ्यास महत्त्वाचा की खेळ (Study or games)
- गुलाबाचे फूल (Rose)
- अण्ण हे पूर्णब्रह्म (Food is god)
- मेहनत (Hard work)
- गणवेशाचे महत्त्व (Importance of uniform)
- प्रदूषण आणि आरोग्य (Pollution and health)
- विज्ञानाने माणूस सुखी झाला का ? (Is that human feel satisfied due to science)
- मराठी पुस्तकाचे महत्त्व (Importance of Marathi book)
- आजीने सांगितलेली गोष्टी (The story heard from grandmother)
- आई नसतानाचा एक दिवस (One day without mother)
- माझा वर्ग (My classroom)
- माझे स्वच्छ सुंदर गाव (My clean village)
- स्व कमाईतून घेतलेली पहिली वस्तू (The thing which purchase from first income)
- ऑनलाईन शिक्षण (Online education)
- फराळ तयार करताना (Process of making Diwali sweets)
- शरादोत्सव (Sharadotsva)
- पाटी (Slate)
- काल्या मातीचे रहस्य (Secret of black soil)
- ती खिडकी (This window)
- वातावरणातील बदल (Changes in atmosphere)
- आईचे उदर (Uterus of mother)
- मुक्या प्राण्यांचे जीवन (Animals Life)
- जळणाऱ्या झाडाचे मनोगत (When burned plant will talk)
- शिकारी (Hunter)
- पहिले सुवर्ण पदक (First gold medal)
- बाळाचा जन्म (Birth of new born)
- अन्न साखळी (Food chain)
- जिद्दीचे सांगणे माझे मनोगत (Firm decision)
- ताईच लग्न (Sisters marriage)
- मिळालेली शबासी (Appreciation)
- रस्त्यावरच्या वासराची शिकवण (The lesson which taught by calf)
- गटाराचे मनोगत when drainage will talk
- बंद खोलीतला रेडिओ Radio in a close room
- घडल्याचा काटा (Hand of clock)
- माझा डबा (Tiffin)
- पत्रातील माया (The letter which full of love)
Conclusion:
We have known the fact that, knowing Marathi language from the basic level is required to ace their language learning or essay writing skills. Students will feel encourage after viewing great resources of essays on Marathi language on extensive topics. They do not need to search here and there unknowingly now for finding out the topics of their needs. Students will get Marathi essays on all topics which have been arranged accordingly. They will be really beneficial if they follow the writing pattern that is given in all essays and try to include their own style into it. With the overall effort they will create a unique style in Marathi essay which will give them effective results in writing. We will advise all students to continue their essay wiring journey in Marathi for making the language enriched with more valuable resources.
- Who need to learn Marathi essays?
Answer. Any regional students or specifically students study in Maharashtra state board have to read and write Marathi essay which are part of their curriculum.
- How will students get important essays on Marathi?
Answer. Students will find all important topics on Marathi language in Marathi essays which are provided in the direct links attached with this article.
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मातृभाषा शिक्षण का महत्व. भारतीय बच्चे अपनी लोकभाषा जिसमें उन्हें कम से कम गिनती तो आनी ही चाहिए, उसे भूलते जा रहे हैं। इससे उनके मस्तिष्क पर भी गलत असर पड़ता है और उनकी लोकभाषा में गणित करने की क्षमता कमजोर हो जाती है।.
1) मातृभाषा शिकण्याचे महत्व (Know the importance of mother tongue) Photo by Gustavo Fring on Pexels.com. i) मातृभाषा भावना आणि विचारांना आकार देते. मातृभाषा ही अशी भाषा आहे जी मूल जन्माला आल्यानंतर ऐकू लागते आणि त्यामुळे ती आपल्या भावना आणि विचारांना निश्चित आकार देण्यासही मदत करते.
आमची भाषा अमृताशी पैजा जिंकणारी आहे. तिला एक इतिहास आहे. त्या इतिहासाचे पुरावे आहेत. आमची मातृभाषा नदीसारखी प्रवाही आहे. काळाच्या ओघात स्वतःला बदलवणारी आहे. नीरक्षीर विवेकबुद्धीने इतरांना सोबत घेऊन चालणारी आहे. आमची ही मातृभाषा मराठी कोणत्या काळापासून आहे हे बघण्याचा प्रयत्न केल्यास त्याचे मूळ स्वरूप 11व्या शतकात बघायला मिळते.
मातृभाषेचे महत्व. मातृभाषा आपल्या आयुष्यात अतिशय महत्वाचे काम करते. लहानपणापासून आपण ज्या भाषेत संवाद करायला शिकतो ती भाषा आपल्याला अतिशय सोपी वाटते. मोठे झाल्यावरही मातृभाषेतून इतरांशी संवाद साधणे सगळ्यांनाच आनंददायी असते. मातृभाषेतून शिक्षण खूप प्रभावशाली ठरते. त्यामुळे मुलांची आकलन क्षमता वाढते.
Mother tongue plays a crucial role in shaping a person’s identity, culture, and sense of belonging. In this essay, we will discuss the importance of mother tongue and why it is essential to preserve and promote it. First and foremost, mother tongue is an integral part of a person’s identity.
Our mother tongue or our family language is a naturally inherited priceless keepsake. If our children are secluded from it, it will slacken the family bond and cause them to drift away from...
There is a large body of evidence that showcases that learning in the mother tongue in the early years helps children build a foundation and learn a second language well.
But for those who learn languages in stages, Marathi is supposed to be mastered first as a mother tongue, granting closeness and authenticity to a regional identity tied to a geographic location. Only after this are they supposed to become proficient in Hindi and English.
Autobiography of Mother Tongue Essay in Marathi: मी आहे तुमची मायबोली ‘मराठी भाषा.’. माझी परंपरा जुनी आहे, प्राचीन आहे. नवव्या शतकापासून माझ्या अस्तित्वाच्या खुणा शिलालेखांवर उमटलेल्या दिसतात. तेराव्या शतकात माझ्या एका सुपुत्राने-ज्ञानदेवाने-माझ्या मदतीने ‘ज्ञानेश्वरी’ हा महान ग्रंथ निर्माण केला आणि माझे जीवन कृतार्थ केले.
In this essay, students or Maharashtra board will find out the important sides of learning Marathi essays for their writing skills and complete knowledge improvement. Importance of learning Marathi: It is crucial to learn and understand one’s mother tongue first before trying to learn any other regional or international language.