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Hindi Essay on “Ek Aadarsh Vidyarthi ke Gun”, “एक आदर्श विद्यार्थी के गुण ” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.

एक आदर्श विद्यार्थी के गुण 

Ek Aadarsh Vidyarthi ke Gun

निबंध नंबर :- 01

विद्यार्थी जीवन मानव जीवन का सबसे सुनहरी काल है। एक विद्यार्थी सब प्रकार की शक्तियों को विकसित करने के सक्षम होता है। इसलिए विद्वानों ने मी जीवन को जीवन का आधार माना है। यदि नींव मज़बत होगी  तो उस पर भावी जीवन का महल भी सुदृढ़ एवं मजबूत बन सकेगा, नहीं तो आन्धियां और तफान किसी भी क्षण उस महल को धाराशायी कर सकते हैं। इसी प्रकार यदि बा ने अपना विद्यार्थी जीवन परिश्रम तथा अनुशासन एवं गुरुओं की सेवा और माता-पिता की सेवा करके व्यतीत किया है तो निश्चय ही उसका भावी जीवन सुन्दर एवं सुखमय होगा।

एक आर्दश विद्यार्थी के गुण

(i) नम्रता और अनुशासन – विद्यार्थी को अपने गुरुओं से शिक्षा प्राप्त करने के लिए विनम्रता और अनुशासन का पाबन्द होना परमावश्यक है। यदि विद्यार्थी उदण्ड एवं उपद्रवी तथा कटुवाणी होगा तो वह अपने गुरुओं का कृपापात्र नहीं हो सकता। विद्या वही है जो विनय देती है। विनय केवल विद्यार्थी का ही नहीं समस्त मानव समाज का आभूषण है। नम्रता के साथ-साथ उसमें अनुशासन-प्रियता का गुण भी होना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में अनुशासन का विशेष महत्त्व है। परन्तु आज के विद्यार्थी में अनुशासनहीनता घर करती जा रही है जो कि हम सबके लिए एक चिन्ता का विषय है। अनुशासनहीन होने में आज का विद्यार्थी गौरव अनुभव करता है।

(ii) श्रद्धा और जिज्ञासा – गीता में कहा गया हैश्रद्धावानं लभते ज्ञानम्’ अर्थात् श्रद्धावान व्यक्ति ही ज्ञान प्राप्त कर सकता है। बिना श्रद्धा के विद्यार्थी अपने गुरु से कुछ भी ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता। अच्छे विद्यार्थी में श्रद्धा के साथ-साथ जिज्ञासा का होना भी अति आवश्यक है। जिज्ञासा का अर्थ है-जानने की इच्छा। याद किसी छात्र में जानने की इच्छा ही नहीं है तो वह ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिए विद्यार्थी में जानने की इच्छा पैदा करने के लिए अच्छे गुरुओं का होना भी अति आवश्यक है।

(iii) संयम और नियम – विद्यार्थी जीवन संयमित एवं नियमित होना चाहि जो विद्यार्थी जीवन में संयमित एवं नियमित रहते हैं वे जीवन में कभी असफल नहीं होते। संस्कृत साहित्य में विद्यार्थी के पाँच निम्नलिखित लक्ष्ण बताए गए हैं :

काक चेष्टा बकोध्यान श्वान निद्रा तथैव च। अल्पहारी गृहत्यागी विद्यार्थिन : पंच लक्षणं ।।

अर्थात् कौए की चेष्टा वाला, बंगुले जैसे ध्यान वाला, कुत्ते की निद्रा वाला, थोड़ा खाने वाला और घर से मोह रखने वाला विद्यार्थी ही अच्छे ढंग से विद्याध्ययन कर सकता है। जो विद्यार्थी अपने जीवन में संयम और नियम नहीं बरतते, उनका पढ़ने में मन नहीं लगता। वे सदैव नींद और दुर्कषनों से घिरे रहते हैं।

(iv) श्रम और स्वास्थ्य – विद्यार्थी को परिश्रमशील होना चाहिए। अपने सब सुखों का त्याग करना चाहिए। तभी विद्यार्थी विद्याध्ययन कर सकता है क्योंकि विद्या चाहने वालों को सुख नहीं मिलता और सुख चाहने वालों को विद्या प्राप्त नहीं होती। इसलिए जो विद्यार्थी विद्या चाहते हैं वे सुख छोड़ दें और जो केवल सुख चाहते हैं तो वे विद्या छोड़ दें। विद्यार्थी को चाहिए कि कक्षा में पढ़ाए गए नियमों का भली-भांति मनन् करे, कक्षा में ही नहीं बल्कि घर जाकर भी परिश्रम द्वारा उस पाठ को बार-बार पढ़ना चाहिए। पाठ्यक्रम की पुस्तकों के अतिरिक्त उसे अन्य अच्छी-अच्छी पुस्तकों का भी अध्ययन करना चाहिए। साथ ही उसे अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है।

(v) समय का सदुपयोग – एक आदर्श विद्यार्थी के लिए यह आवश्यक है कि वह बिना समय नष्य किए अपनी पढ़ाई करे क्योंकि जीवन के प्रत्येक पल में एक छोटा सा जीवन छिपा हुआ है। जो विद्यार्थी अपना समय बर्बाद करता है समय आने पर समय उसको बर्बाद कर देता है।

(vi) शिक्षा के साथ – साथ खेल – पढ़ते-पढ़ते विद्यार्थी का मन थक जाता है तो उसे आराम देने के लिए तथा दिमागी थकावट दूर करने के लिए थोड़े समय के लिए कोई न कोई खेल अवश्य खेल लेना चाहिए। थोड़ी पढ़ाई, थोड़ा खेल इससे स्वास्थ्य ठीक रहता है। यदि आज का विद्यार्थी देश का एक अच्छा नागरिक बनना चाहता है, वे गुण अपनाने होंगे जिससे उसका तथा उसके देश का कल्याण हो सके। उसे अपना माता-पिता तथा गरुओं के प्रति वही सम्बन्ध स्थापित करने होंगे जो आज से दो सौ वर्ष पूर्व रहे थे। कबीर जी कहते हैं गुरु कैसा होना चाहिए और शिष्य कैसा होना चाहिए-

शिष्य तो ऐसा चाहिए गुरु को सब कुछ देय। गुरु तो ऐसा चाहिए , शिष्य से कुछ न लेय।

यदि ऐसा हो जाए तभी भारतवर्ष का विद्यार्थी आदर्श विद्यार्थी कहलाने का योग्य अधिकारी हो सकता है।

निबंध नंबर :- 02

आदर्श विद्यार्थी

An Ideal Student

एक आदर्श विद्यार्थी, आज्ञाकारी और अनुशासित होता है। वह पढ़ाई, खेल-कूद और सहपाठ्य क्रिया-कलापों में अव्वल रहता है। उसका चरित्र और व्यक्तित्व अन्ना होता है। वह ज्ञान का पिपासु होता है।

वह पढ़ाई में यथार्थवादी और ईमानादार होता है। वह नियमित और समय का पालन करने वाला होता है। वह अपने अध्यापकों और बड़ों का कहना मानता है। वह दूसरे विद्यार्थियों से आगे रहता है। वह व्यक्तित्व के चौमुखी विकास में विश्वास करता है। वह हमेशा साफ सुथरा रहता है। वह अपने अध्यापकों और बड़ों के अच्छे गुणों का अनुसारण करने का प्रयास करता है।

वह पढ़ने के समय पढ़ता है। वह खेलने के समय खेलता है। वह वाद-विवादों और सभ्यचारक कार्यक्रमों में हिस्सा लेता है। वह विद्यालय के समय उसके नियम का पालन करता है। वह अनुशासिक विद्यार्थी होता है। वह लगभग हर क्षेत्र में चाहे वे पढ़ाई, खेल या दूसरी गतिविधि यों हों, सदा छात्रवृत्ति जीतता है।

विद्यालय में वह पुस्तकायल में अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए जाता है। वह पुस्तकें और पत्रिकाएँ पढ़ता है। वह कमजोर विद्यार्थियों की सहायता करता है। वह अच्छे स्वभाव का होता है। वह घमण्डी नहीं होता।

वह जब मैदान में खेल रहा होता है तो खेल के नियमों का पालन करता है। उसमें खेल के प्रति उच्च भावना होती है, वह खेल केवल खेलने की भावना से ही खेलता है। वह सहयोग और टीम के प्रति लगाव में विश्वास करता है, खेल कूद उसके रोज़ाना जीवन का एक अंग होता है।

सभी अध्यापक उसे पसन्द करते हैं और उसकी सहायता करते हैं। वह भी अपने सहपाठियों के मुश्किल सवाल हल करने में सहायता करता है। इस गुण के कारण विद्यार्थी उसे अत्यन्त पसन्द करते हैं। वह अपने विद्यालय पर गर्व करता है। विद्यालय भी उस पर गर्व करता है। उसमें आदर्श विद्यार्थी के सभी गुण होते हैं। वह दूसरे विद्यार्थियों के लिए उदाहरण बनता है। वह वास्तव में आदर्श विद्यार्थी होता है। वह देश और समाज का कीमती खज़ाना होता है।

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Hindi Yatra

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi : आज हमने आदर्श विद्यार्थी पर निबंध लिखा है इस निबंध की सहायता से विद्यार्थियों को पढ़कर उन्हें अच्छी शिक्षा मिलेगी और उन्हें एक आदर्श विद्यार्थी बनने की प्रेरणा भी मिलेगी जिससे उनके जीवन में बदलाव आएगा और वे अच्छी प्रकार से पढ़ लिख पाएंगे और सफलता को प्राप्त कर पाएंगे.

आदर्श विद्यार्थी पर यह निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों की सहायता के लिए लिखा गया है.

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi

Get Some Essay on Adarsh Vidyarthi in Hindi under 150, 250, 350 or 1400 words.

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi for Class 1,2,3,4

एक आदर्श विद्यार्थी का लक्ष्य होता है कि वह एकाग्रता पूर्वक पढ़ाई करके एक सफल व्यक्ति बने. आदर्श विद्यार्थी देश की तरक्की में चार चांद लगा देता है वह हमेशा अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए ही सोचता रहता है.

एक आदर्श विद्यार्थी वह होता है जो विद्यालय में प्रतिदिन जाता हूं और शिक्षकों द्वारा पढ़ाए जाने पर एकाग्रता पूर्वक पढ़ता हूं.

वह बेकार की बातों में अपना समय व्यर्थ नहीं करता है. वह नियमित रूप से स्कूल से मिले हुए होमवर्क को करता है और साथ ही पढ़ाए गए पाठ को दोहराता है.

यह भी पढ़ें –  मेरा परिचय निबंध – Myself Essay in Hindi

आदर्श विद्यार्थी हमेशा अनुशासन में रहता है वह साफ सुथरे कपड़े पहनता है और उसकी आंखों में एक अलग ही तेज होता है वह निडर और साहसी होता है. स्कूल के सभी बच्चे उसकी तरह बनना चाहते हैं आदर्श विद्यार्थी अन्य विद्यार्थियों का प्रेरणा स्रोत होता है.

वह हमेशा अपने से बड़ों का सम्मान करता है और सभी के साथ प्रेम भाव से रहता है.

Best Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 250 words

एक आदर्श विद्यार्थी अपने स्कूल के साथ-साथ अपने माता-पिता और देश का नाम भी रोशन करता है ऐसे विद्यार्थी बचपन से ही बहुत होशियार होते हैं और इनके मुंह पर एक अलग सा ही तेज होता है. ऐसे विद्यार्थी हमेशा दूसरों के प्रति सेवा भावना रखते हैं.

ऐसे विद्यार्थियों को जो भी कार्य दिया जाता है वह पूरी एकाग्रता से करता है और कार्य पूरा होने तक अपना कर्तव्य निभाता है. आदर्श विद्यार्थी कर्मठ और ईमानदार होते है. ऐसे विद्यार्थी हमेशा कुछ ना कुछ सीखने की कोशिश करते रहते हैं अपने समय का सदुपयोग करते है.

आदर्श विद्यार्थी हमेशा सत्य का साथ देते है इन्हें झूठ से बहुत नफरत होती है. ऐसे ही झूठ बोलने वाले लोगों को सत्य बोलने के लिए प्रेरित करते है. विद्यार्थी हमेशा सभी की सहायता के लिए तत्पर रहते है. आदर्श विद्यार्थी हमेशा अपने जीवन में कुछ ना कुछ नियम बना कर चलता है और उनका पालन करता है.

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ऐसे विद्यार्थी अपना जीवन अनुशासन में रहकर व्यतीत करते हैं वह कभी भी विद्यालय में उत्पात मचाते है. हमेशा अपने गुरुजनों की आज्ञा का पालन करते है और अपने माता-पिता, अपने से बड़े लोगों का हमेशा सम्मान करते है.

इन विद्यार्थियों को विलासिता की चीजों की लालसा नहीं होती है इन्हें तो सिर्फ अच्छी किताबें पढ़ने का शौख होता है. ऐसे विद्यार्थी महान लोगों की किताब पढ़कर उससे कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं और साथ ही अपने जीवन में भी इन बातों को उतारते है. जिससे भविष्य में ये सफलता के शिखर को छूते है.

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi for Class 5,6,7,8 Student

एक विद्यार्थी ही किसी देश के आने वाले भविष्य का निर्माण करता है क्योंकि विद्यार्थियों को ही आगे जाकर युवा शक्ति के रूप में उभरना है एक विद्यार्थी यह जो किसी देश को अच्छा बना सकता है तो किसी देश को पूरा भी बना सकता है इसीलिए एक विद्यार्थी का आदर्श विद्यार्थी होना बहुत आवश्यक होता है.

आदर्श विद्यार्थी वह नहीं होता है जो सिर्फ कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करता है आदर्श विद्यार्थी वह होता है जो कक्षा में अच्छे अंक लाने के साथ साथ सामाजिक जीवन की भी समझ रखता हो और बड़ों का सम्मान करता हो.

एक अच्छे विद्यार्थी की निशानी गई होती है कि वह हमेशा आशावादी बना रहे क्योंकि अगर वह आशावादी नहीं होगा तो कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाएगा और बुरी संगत में पड़ सकता है.

यह भी पढ़ें –   माँ पर निबंध – Essay on Mother in Hindi

एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा अपने सहपाठियों की मदद करता है कोई भी मुसीबत आने पर उनका डटकर सामना करता है वह ईमानदारी और कर्मठता पूर्वक अपने कर्तव्यों को पूरा करता है. वह हमेशा सभी लोगों से अच्छा व्यवहार करता है उसका आचरण हमेशा हंसमुख और दिल जीतने वाला होता है.

एक अच्छा विद्यार्थी वही होता है जो सदैव सहायता करने के लिए तत्पर रहता हो और पढ़ाई के साथ साथ खेलकूद वाद विवाद प्रतियोगिता और पुरस्कार जीतने के साथ ही दिल जीतने की भी क्षमता रखता हो, वह हमेशा नियमित रूप से सुबह जल्दी उठता है और स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सजग रहता है इसलिए वह सुबह योगा भी करता है और मन को शांत रखने के लिए ध्यान भी लगाता है.

एक आदर्श विद्यार्थी हर काम समय पर करता है क्योंकि उसे समय के मूल्य की अच्छे से पहचान होती है उसकी सोच अपने तक सीमित नहीं रहती है वह अन्य लोगों के बारे में भी उतना ही सोचता है वह हर धर्म और देश के नागरिकों का सम्मान करता है.

वह हमेशा नियमों की पालना करता है और जो नियमों का पालन नहीं करता उन्हें उसके बारे में समझाता है ऐसे विद्यार्थी ही आगे जाकर अपने मां बाप का नाम और देश का नाम रोशन करते है. आदर्श विद्यार्थी हमेशा अपनों को साथ लेकर चलता है.

जिससे वह स्वयं तो सफल होता ही है साथ में अपने साथियों को भी सही राह पर ले जाकर सफलता का रास्ता दिखाता है.

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 1400 Words

एक आदर्श विद्यार्थी जन्म से आदर्श विद्यार्थी नहीं होता है वह अच्छे लोगों के साथ रहकर अच्छी शिक्षा प्राप्त करके और अच्छे गुणों को अपना कर ही एक आदर्श विद्यार्थी बनता है.

जब भी कोई व्यक्ति एक कार्य को बार बार करता है तो है उसमें कर्मठ हो जाता है और उसको वह कार्य पसंद आने लगता है और आसानी से हो जाए उसे बार-बार कर पाता है और वह सफल हो जाता है.

उसी प्रकार विद्यार्थी भी अगर बचपन से ही अच्छे को को अपनाएं तो वह भी जिंदगी के हर मोड़ पर कठिनाइयों से लड़ता हुआ सफलता को प्राप्त कर सकता है.

आदर्श विद्यार्थी की विशेषताएं –

(1) कर्मठ – आदर्श विद्यार्थी जब भी कोई कार्य करता है तो वह उस कार्य को पूरा मन लगाकर करता है जिसके कारण वह हमेशा सफलता को प्राप्त करता है इसी कारण वह पढ़ाई में खेल में एवं अन्य क्षेत्रों में सफल हो जाता है क्योंकि वह निरंतर उसके लिए कर्मठता पूर्वक प्रयत्न करता रहता है.

(2) ऊर्जावान – अच्छा विद्यार्थी हर दिन नई ऊर्जा के साथ उठता है वह कभी भी किसी प्रकार का अलग से नहीं करता है वह अच्छा भोजन खाता है साथ ही योगा और व्यायाम भी करता है जिससे उसका शरीर पूरे दिन ऊर्जा से भरा हुआ रहता है और उसका पढ़ाई में अत्यधिक मन लगता है.

(3) जिज्ञासु – एक सफल विद्यार्थी का पहला रहस्य यही है कि वह जिज्ञासु होता है क्योंकि जिज्ञासु विद्यार्थी अपने शिक्षक से हर प्रकार के सवाल करता है और उनका जवाब हासिल करता है लेकिन जो विद्यार्थी शिक्षक से बात ही नहीं करता किसी भी प्रकार की सीखने की जिज्ञासा नहीं रखता तो वह कभी भी सफल नहीं हो सकता है

(4) सकारात्मक – विद्यार्थी का सकारात्मक होना बहुत जरूरी है क्योंकि जब तक विद्यार्थी सकारात्मक नहीं होगा तब तक वह किसी भी क्षेत्र में अपना शत-प्रतिशत नहीं दे पाएगा और वह लक्ष्य से भटक जाएगा. विद्यार्थी को मुसीबत में होने पर भी सकारात्मक सोचना चाहिए तभी जाकर उस मुसीबत का हल निकाला जा सकता है.

(5) धैर्यवान और विवेकशील – आदर्श विद्यार्थी हमेशा धैर्यवान और विवेकशील होते हैं यह कभी भी किसी कार्य को करने के लिए जल्दबाजी नहीं करते हैं और कठिनाई आने पर अपने विवेक से काम लेते है इसी कारण वे एक आदर्श विद्यार्थी बन पाते है.

(6) सच्चा और आज्ञाकारी – एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा सच बोलता है और जो विद्यार्थी हमेशा सच बोलता है वही आगे बढ़ता है क्योंकि जो झूठ बोलता है वह एक झूठ को छुपाने के लिए उसे और अधिक झूठ बोलने पड़ते है जिसके कारण वह कभी भी सफल नहीं हो पाता है.

अच्छे विद्यार्थी हमेशा अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन करते है जिसके कारण वे सभी के प्रिय होते है और अपने कार्य में भी सफल होते है.

(7) नेतृत्व करने वाला – अच्छा विद्यार्थी नेतृत्व करने वाला होता है वह हमेशा अपने साथियों को साथ लेकर चलता है वह अपने ज्ञान का कभी भी अभिमान नहीं करता है इसी कारण उसमें धीरे-धीरे नेतृत्व करने की क्षमता विकसित होती है वह आगे जाकर देश के लिए अच्छा कार्य करता है.

(8) ज्ञानवान – आदर्श विद्यार्थी हमेशा ज्ञानवर्धक बातें करता है वह कभी भी फालतू की चर्चा नहीं करता है हमेशा अपने काम से काम रखता है और कक्षा में भी हमेशा प्रथम आता है क्योंकि वह हमेशा ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ता रहता है जिसे उसके ज्ञान में बढ़ोतरी होती रहती है.

(9) अनुशासन प्रिय – अच्छा विद्यार्थी हमेशा अनुशासन में रहता है वह समय पर उठता है समय पर भोजन करता है समय पर स्कूल जाता है, समय पर खेलता है और समय पर अपना कार्य करता है. वह स्कूल समाज और देश के नियमों का भी पालन करता है इसी कारण अनुशासन में रहने वाले विद्यार्थी हमेशा अन्य विद्यार्थियों से आगे रहते है.

(10) समय का सदुपयोग – आदर्श विद्यार्थी हमेशा समय का सदुपयोग करता है क्योंकि एक बार समय अगर बीत जाता है तो वह दोबारा लौटकर नहीं आता है इसलिए वह अच्छे से जानता है कि समय की बर्बादी उसके जीवन के बर्बादी है इसलिए वह हमेशा समय का सदुपयोग करके अपना सफल भविष्य बनाता है.

आदर्श विद्यार्थी कैसे बने –

(1) आज्ञाकारी बने – आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए आपको अपने माता पिता, गुरुजनों और अन्य बड़े लोगों की आज्ञा का पालन करना होगा क्योंकि वे जो भी कार्य आपको करने के लिए कहते हैं वह आप के भले के लिए ही होता है जैसे ही आप बड़ों की आज्ञा का पालन करने लगेंगे आपको आपके जीवन में बदलाव दिखाई देने लग जाएंगे.

(2) दूसरों के प्रति सद्भावना रखें – एक आदर्श विद्यार्थी को हमेशा दूसरों के प्रति सद्भावना रखनी चाहिए उन्हें कभी भी किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए क्योंकि आप दूसरे लोगों का ख्याल रखेंगे तो वह भी आपका ख्याल रखेंगे और आपको भी उतना ही प्यार करेंगे.

(3) अच्छी पुस्तकें पढ़ें – जीवन भी अच्छी पुस्तकें पढ़ना बहुत जरूरी होता है और एक विद्यार्थी के लिए तो यह और भी आवश्यक हो जाता है क्योंकि यह जीवन का पहला बड़ा होता है ऐसे ही इसी वक्त विद्यार्थी को अच्छी शिक्षा मिल जाती है तो वह जीवन भर अच्छा काम करता है, अच्छे लोगों के साथ रहता है और जीवन में सभी सफलताओं को प्राप्त करता है.

(4) आदर और सम्मान करें – एक विद्यार्थी को सभी व्यक्तियों का सम्मान करना चाहिए और उनका आदर भी करना चाहिए क्योंकि आदर और सम्मान एक ऐसी चीज है जिसे आप जितना दोगे उतना ही आपको मिलेगा इसलिए अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं आपको दूसरे लोगों को आदर और सम्मान देना पड़ेगा.

(5) दिनचर्या की तालिका बनाएं – कई विद्यार्थियों को पढ़ने लिखने में बहुत दिक्कत आती है क्योंकि वह अपने समय का सही से उपयोग नहीं करते हैं जिसके कारण वह पढ़ लिख नहीं पाते है और परीक्षा में सफल नहीं हो पाते है.

इसलिए विद्यार्थियों को अपनी दिनचर्या की तालिका बनानी चाहिए जिससे उन्हें आसानी होगी कि कौन सा कार्य होने कब करना है और कौन सा विषय कब पढ़ना है इससे उनकी पढ़ने में भी रुचि बढ़ेगी और समय का सदुपयोग भी होगा.

(6) स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें – जो व्यक्ति स्वस्थ नहीं रहता है वह पढ़ाई लिखाई तो क्या वह कुछ भी नहीं कर पाता है इसलिए हमेशा विद्यार्थी को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए क्योंकि बिना स्वस्थ शरीर के आप कुछ भी नहीं कर सकते है.

(7) नम्र और उदार बने – कई विद्यार्थी काफी लड़ाई झगड़ा करते हैं और एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं उन्हें ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए उन्हें अपने साथियों और अन्य लोगों के साथ नम्र व्यवहार करना चाहिए जब कभी भी किसी को उनकी आवश्यकता हो तो उदारता पूर्वक उनकी सहायता करनी चाहिए.

(8) सेवा भावना रखें – विद्यार्थियों को हमेशा सेवा भावना रखनी चाहिए उन्हें बड़े बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए क्योंकि उन्हीं से उन्हें पूरे जीवन की जानकारी मिलती है और नई शिक्षाप्रद कहानियां भी सुनने को मिलती है.

(9) आशावादी रहे – जो विद्यार्थी थोड़ी सी असफलता मिलने पर निराश हो जाते हैं उन्हें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि निराशावादी लोग कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकते जैसे कि उगते हुए सूरज को सभी देखना पसंद करते है लेकिन डूबते हुए सूरज को कोई भी देखना पसंद नहीं करता है इसलिए हमेशा आशावादी रहकर सफलता प्राप्त करें

(10) लक्ष्य का निर्धारण करें – अगर आपको किसी कार्य में सफलता प्राप्त करनी है तो आपको हमेशा उसका लक्ष्य निर्धारण करना आवश्यक होता है लक्ष्य कि आप समंदर में खोई हुई नाव की तरह होते हो जो की लहरों के थपेड़े खाते-खाते नष्ट हो जाती है इसलिए हमेशा लक्ष्य का निर्धारण करके आगे पढ़े आपको सफलता अवश्य मिलेगी.

(11) सदैव विद्यालय जाए – कुछ विद्यार्थी विद्यालय में जाने से कतराते है और कुछ विद्यार्थी कोई ना कोई बहाना बनाकर विद्यालय से छुट्टी ले लेते है और वह अनमोल शिक्षा से वंचित रह जाते है इसलिए हमेशा विद्यालय जाना आवश्यक होता है.

(12) बुरी संगति से दूर रहे – कुछ विद्यार्थी बुरे लोगों के साथ रहकर बुरी संगति में पड़ जाते है जिसके कारण उनका पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता है और उनका पूरा जीवन खराब हो जाता है इसलिए हमेशा अच्छे लोगों के साथ रहे जैसे आप भी एक आदर्श विद्यार्थी बन सकें.

निष्कर्ष –

एक आदर्श विद्यार्थी ही जीवन में सफल हो सकता है क्योंकि आदर्श विद्यार्थी में बचपन से ऐसे गुण होते हैं जिससे वह जीवन में आने वाली हर मुश्किलों का धैर्य पूर्वक सामना कर सकता है वह अन्य लोगों की तुलना भी बहुत समझदार होता है इसीलिए वह बचपन से ही अपना लक्ष्य निर्धारण कर लेता है और बड़ी सफलता प्राप्त करता है.

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi  आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

23 thoughts on “आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi”

Sir this essay is osm i appreciate it thank u so much sir it helped me a lot keep it up sir

Welcome Rupali gupta

Sorry to say but there are so many mistakes in it but it is nice . Keep it up . And thanks for this . ☺☺☺👌👍👍

Thank you Prachi

op essay nice nice

Thank you Iron man for appreciation.

Thanks for this beautiful essay 😀😀😀

Welcome, Prabhnoor Kaur ji

thanks for this beautiful essay

Thank you utkarsh for appreciation keep visiting Hindi yatra.

Thank you very much

Welcome Gurveer, keep visiting Hindi yatra.

Admin ji bahut badhiya soch paye hai aapne aise hi nibandh likhte rehna aur hame aur jagrut aur hoshiyaar banana Meri teacher ko yah bahut acha laga unhone aapki kafi tarif ki hai….

Aayush Divase sarhana ke liye aap ka bahut bahut dhanyawad, or aap ki teacher ko hindi yatra ki tarf se dhanyawad bol na.

Hmm mujhe ye San essay padh me acha laga aur jab ye essay Mene MERI teacher ko dikhaya to MERI class m Impression ban gyi

Priyanshu achi baat hai aap ko nibandh pasand aaya, aise hi nibandh padhne ke liye hindi yatra par aate rahe.

Exam me mujhe is me 25 mey 20 mile DHANYAVAAD

Karttavy Mehdiratta, bhut acche mazrks mile hai aap ko aise hi mehnat karte rahe, dhanyavad.

Yah paragraph Kaisa hoga ma ak Jan Ka nam bata ti hu diya

Tnks for such a wonder essay of 250 words only really tnks to producer coz it have great meaning

Welcome Saad and keep visiting our website.

Aur aaisa hi bhejiye

Dhanyawad Saurav kumar, hum aise hi essay likhte rhe ge aap website par aate rahe.

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Hindi Essay on Gun, "बंदूक पर निबंध", "Bandook par Nibandh" for Students. बंदूक बेहद शक्तिशाली हथियार हैं। बंदूक किसी की जान भी ले सकती हैं। इस प्रकार

बंदूक पर निबंध - Essay on Gun in Hindi

बंदूक पर हिंदी निबंध : बंदूक बेहद शक्तिशाली हथियार हैं। बंदूक किसी की जान भी ले सकती हैं। इस प्रकार बंदूक का इस्तेमाल बचाव, सुरक्षा या धमकी देने और मारने के लिए भी किया जा सकता है। दुनिया में कई प्रकार की बंदूकें हैं जिनकी अपनी विशिष्ट विशेषताएं हैं। इनमें रोस्को, हैंडगन, राइफल, बोल्ट पिस्टल और कई अन्य शामिल हैं। बंदूकों में निरंतर संशोधन ने देश को आतंकवादी हमलों से बचाने के साथ-साथ कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सेना के साथ-साथ पुलिस की ताकत को मजबूत किया है।

बंदूक पर निबंध - Essay on Gun in Hindi

बहरहाल, अब लगभग हर समाज में बंदूक और पिस्तौल का चलन है। सांस्कृतिक नीति और भौगोलिक स्थितियों के आधार पर, विभिन्न देशों में बंदूक स्वामित्व नियंत्रण के लिए अलग-अलग नियम और नीतियां हैं। कुछ देशों में, नागरिक आसानी से बंदूक रख सकते हैं जबकि कुछ देश इसके बारे में बेहद सख्त कानून हैं। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में एक अमेरिकी अमेरिकी बंदूक निर्माताओं से बंदूकें और पिस्तौल ऑनलाइन खरीद सकता है। इसके अलावा स्विट्ज़रलैंड और नॉर्वे जैसे देशों में बड़ी संख्या में नागरिकों के पास बंदूकें हैं; जबकि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों में बंदूकों पर कड़ा नियमन है जिसमें नागरिकों को बंदूक लाइसेंस हासिल करने के लिए परीक्षण से गुजरना पड़ता है। यहां तक ​​कि चीन, यूनाइटेड किंगडम और दक्षिण कोरिया जैसे कुछ देशों में भी बंदूक के मालिकाना हक के लिए सख्त कानून हैं।

इसके विपरीत, भारत में बंदूक कानून बहुत सख्त है, यहां कोई आसानी से बंदूक नहीं रख सकता है।आजकल भारत की आम जनता में जो लाइसेंसी बन्दूकें मिलती हैं उनमें प्राय: बारह बोर के ही कारतूस प्रयोग में लाये जाते हैँ।इंडियन आर्म्स एक्ट, 1959 तथा आर्म्स एक्ट रूल्स, 1962 के तहत सरकार ने हथियार का लाइसेंस तभी देना शुरू किया जब उसने समझ लिया कि आवेदक को जान-माल का खतरा है। पर वर्तमान में तो कोई चाहे सांसद हो या उद्योगपति, बिल्डर हो या ठेकेदार, सभी के लिए गैरजरूरी हथियार समाज में अपना रुतबा दिखाने तथा हैसियत जताने का जरिया बन रहे हैं। 

भारत के बच्चे भी अब इन हथियारों का शौक पालने लगे हैं। अपनी निजी सुरक्षा और जान-माल की रक्षा के लिए खरीदे गए ये हथियार अब स्वयं जिंदगी में बढ़ती हताशा और जीवन में संघर्ष की ताकत कम होने के चलते रक्षक सिद्ध होने के बजाय अपनी जान के दुश्मन ज्यादा बन रहे हैं। ऐसे में हम अगर ये पूछें कि क्या हो अगर बंदूकें ख़त्म हो जाएं? क्या हो अगर सारे छोटे हथियार दुनिया से ग़ायब हो जाएं? अगर बंदूकें और दूसरे छोटे हथियार ख़त्म हो जाएंगे तो इसका सबसे बड़ा फ़ायदा तो ये होगा कि बंदूकों से होने वाली मौतें पूरी तरह से ख़त्म हो जाएंगी। क्योंकि बहुत बड़ी तादाद में लोग ख़ुदकुशी के लिए बंदूक का इस्तेमाल करते हैं।

पूरी दुनिया में हर साल क़रीब पांच लाख लोग बंदूक की गोली से मरते हैं। अब अगर बंदूकें घर में नहीं होंगी तो अपराध और हिंसा में भी कमी आएगी। अगर बंदूकों पर पाबंदी लगेगी तो इंसान लाठी, भाले, चाक़ू और तलवार जैसे हथियारों का दोबारा इस्तेमाल करने लगेगा। अगर बंदूकों और राइफ़लों पर रोक लग गई तो जानवरों का शिकार रुकेगा. बेवजह मारे जाने वाले जानवरों की ज़िंदगी बच जाएगी।

लेकिन इसका दूसरा पहलू ये भी है कि कई देशों में ज़ुल्मी और निरंकुश तानाशाही से मुक़ाबले के लिए बहुत से लोग बाग़ी हो जाते हैं और बंदूकें उठा लेते हैं। उनके लिए तानाशाही हुकूमतों के सामने खड़े होना मुश्किल हो जाएगा. कई बार जानवरों का शिकार ज़रूरी भी होता है क्योंकि जंगली जानवर खेती को बहुत नुक़सान पहुंचाते हैं उनके शिकार में बंदूकें और राइफ़लें काफ़ी मददगार होती हैं. इस प्रकार अगर बन्दूक नहीं होगी तो किसान अपनी फसल कैसे बचायेगा। 

इस प्रकार बस यही कहा जा सकता है कि बंदूक के अगर फायदे हैं तो नुकसान भी है। बंदूक होने या न होने से कुछ भी बदलने वाला नहीं। क्योंकि अहम् सवाल ये है की क्या हममें विवेक है ? यदि है तो बंदूक एक उपयोगी हथियार है। परन्तु विवेकहीन के हाथ में ये विनाशकारी है। 

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ईमानदारी पर निबंध

essay in hindi gun

By विकास सिंह

honesty ईमानदारी

विषय-सूचि

ईमानदारी पर निबंध, honesty essay in hindi (100 शब्द)

ईमानदारी का अर्थ है जीवन के सभी पहलुओं में एक व्यक्ति को सच्चा होना। इसमें किसी को झूठ नहीं बताना, बुरी आदतों, गतिविधियों या व्यवहार के माध्यम से किसी को चोट पहुंचाना शामिल है। ईमानदार व्यक्ति उन गतिविधियों में शामिल नहीं होता है जो नैतिक रूप से गलत हैं।

ईमानदारी किसी नियम और विनियमन को नहीं तोड़ना है, अनुशासन में रहना है, अच्छा व्यवहार करना है, सत्य बोलना है, समय का पाबंद होना है और दूसरों की ईमानदारी से मदद करना है। ईमानदार होने से व्यक्ति को आस-पास के सभी पर विश्वास करने, बहुत सारी खुशी, सर्वोच्च शक्ति से आशीर्वाद और कई और चीजों में मदद मिलती है।

ईमानदार होना वास्तव में वास्तविक जीवन में बहुत फायदेमंद है। यह वह चीज नहीं है जिसे कोई खरीद या बेच सकता है; यह एक अच्छी आदत है जिसे केवल अभ्यास के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

ईमानदारी पर निबंध, honesty essay in hindi (150 शब्द)

ईमानदारी नैतिक चरित्र का घटक है जो सच्चाई, दया, अनुशासन, अखंडता आदि सहित अच्छे गुणों को विकसित करता है। इसमें झूठ की अनुपस्थिति, दूसरों को धोखा देना, चोरी करना और अन्य बुरी आदतों की कमी शामिल है जो लोगों को चोट पहुंचाती है। ईमानदारी वास्तव में भरोसेमंद, निष्ठावान और जीवन भर ईमानदार रहने की है।

ईमानदारी बहुत मूल्यवान है और बहुत महत्व की अच्छी आदत है। बेंजामिन फ्रैंकलिन द्वारा एक अच्छी तरह से कहावत है कि “ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है”। थॉमस जेफरसन का एक और उद्धरण है कि “ईमानदारी ज्ञान की पुस्तक में पहला अध्याय है”। दोनों को वास्तव में महान लोगों द्वारा अतीत में कहा गया है, लेकिन भविष्य में हमेशा के लिए सच्चाई होगी।

ईमानदारी एक व्यक्ति को एक शुभ मार्ग की ओर ले जाती है जो वास्तविक खुशी और आनंद देता है। एक व्यक्ति केवल तभी ईमानदार हो सकता है जब वह विभिन्न पहलुओं में ईमानदारी का पालन करता है जैसे कि बोलने में ईमानदारी, कार्यस्थल में ईमानदारी, न्याय में ईमानदारी, व्यवहार में ईमानदारी, और हमारे दैनिक जीवन में हम सभी गतिविधियां करते हैं। ईमानदारी व्यक्ति को सभी परेशानियों से मुक्त और निडर बनाती है।

ईमानदारी का फल पर निबंध, essay on honesty in hindi (200 शब्द)

ईमानदारी को जीवन की सबसे अच्छी नीति माना जाता है, लेकिन इसे विकसित करना या विकसित करना इतना आसान नहीं है। एक अभ्यास के माध्यम से इसे विकसित कर सकते हैं लेकिन अधिक धैर्य और समय की आवश्यकता है। निम्नलिखित बिंदु साबित होते हैं कि ईमानदारी क्यों महत्वपूर्ण है:

ईमानदारी के बिना कोई भी किसी भी स्थिति में परिवार, दोस्तों, शिक्षकों, आदि के साथ भरोसेमंद संबंध नहीं बना सकता है। ईमानदारी रिश्ते में विश्वास पैदा करती है। कोई भी किसी के दिमाग को नहीं पढ़ सकता है लेकिन वह महसूस कर सकता है कि कोई व्यक्ति कितना ईमानदार है।

ईमानदारी एक अच्छी आदत है जो हर किसी को खुश और शांत मन देती है। बेईमानी ने कभी किसी रिश्ते को बढ़ने नहीं दिया और बहुत सारी समस्याएं पैदा कीं। झूठ बोलने से प्रियजनों को दुख होता है जो रिश्ते में विश्वासघात की स्थिति पैदा करता है। ईमानदार होना एक प्रसन्न चेहरा और निडर मन देता है।

केवल कुछ डर के कारण सच्चाई बताना किसी व्यक्ति को वास्तव में ईमानदार नहीं बनाता है। यह एक अच्छी गुणवत्ता है जो लोगों के व्यवहार को हमेशा के लिए आत्मसात कर लेती है। सत्य हमेशा दर्दनाक हो जाता है लेकिन अच्छे और सुखद परिणाम देता है।

ईमानदारी भ्रष्टाचार को दूर करने और समाज से कई सामाजिक मुद्दों को हल करने की क्षमता रखने वाली शक्ति है। ईमानदारी का अभ्यास करना जटिल हो सकता है और शुरू में भ्रमित करना हालांकि किसी को बाद में बेहतर और आराम महसूस कराता है। यह किसी भी भार को सहज और मुक्त महसूस कराता है।

यह एक गुणवत्ता है जिसे माता-पिता, दादा-दादी, शिक्षक और पड़ोसियों की मदद से प्रारंभिक बचपन से अभ्यास करने के लिए किसी भी समय विकसित किया जा सकता है। सभी पहलुओं में ईमानदार होना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूरे जीवन में सकारात्मक योगदान देता है।

ईमानदारी का फल पर निबंध, essay on honesty in hindi (250 शब्द)

प्रस्तावना:.

ईमानदारी जीवन भर ईमानदार, सच्चा और ईमानदार होने का गुण है। एक व्यक्ति के लिए खुद के साथ-साथ दूसरों के लिए भी ईमानदार होना आवश्यक है। ईमानदारी अपने आप में बहुत सारे अच्छे गुणों को लाती है और जीवन में किसी भी बुरी स्थिति से पूरी हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ निपटने में सक्षम बनाती है कि क्यों इसे “ईमानदारी सबसे अच्छी नीति” कहा जाता है।

कैसे ईमानदारी से एक व्यक्ति को फायदा होता है:

निम्नलिखित बिंदु इस तथ्य को साबित कर रहे हैं कि ईमानदारी किसी व्यक्ति को कैसे लाभ पहुंचाती है। ईमानदारी एक अच्छी आदत है जिसे व्यक्ति को जीवन में कई लाभ प्राप्त करने के लिए प्राप्त करना चाहिए जैसे:

ईमानदारी अच्छे स्वास्थ्य और खुशी का व्यक्ति बनाती है। ईमानदार होना मन को चिंता, तनाव और बेईमानी के कार्य के लिए पकड़े जाने के तनाव से मुक्त बनाता है। इस तरह, यह तनावपूर्ण जीवन और कई बीमारियों (जैसे उच्च रक्तचाप, थकान, कमजोरी, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, मधुमेह, आदि) से दूर रखता है।

यह मन की शांति बनाए रखने में मदद करता है। ईमानदारी एक व्यक्ति को बिना किसी डर और सभी समस्याओं से मुक्त रहने के लिए प्रेरित करती है। हालांकि, बेईमानी से व्यक्ति को मानसिक शांति और आंतरिक संतुष्टि की कमी होती है। ईमानदारी बेहतर निर्णय लेने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करती है।

ईमानदार लोगों को समाज और परिवार में वास्तव में प्यार, भरोसा, सम्मान और देखभाल की जाती है। उनके व्यक्तिगत, कामकाजी और कॉर्पोरेट रिश्ते मजबूत और भरोसेमंद बनते हैं। ईमानदार होना शरीर और मन में सद्भाव और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है।

ईमानदारी लोगों के दिल, परिवार, समाज और राष्ट्र में बेहतर जगह बनाने में मदद करती है। यह सकारात्मक लोगों के साथ मजबूत पारस्परिक संबंध बनाने में मदद करता है। यह मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करके मन से सभी नकारात्मकताओं को दूर करता है।

ईमानदार लोग आसानी से अपनी ओर आकर्षित होते हैं और दूसरों को प्रभावित करते हैं। यह जीवन में पारदर्शिता लाता है, व्यक्ति की वास्तविक शक्तियों और प्रतिभा को जागृत करता है। एक ईमानदार व्यक्ति अपने जीवन के दिव्य उद्देश्य को आसानी से महसूस करता है और मोक्ष को प्राप्त करता है। यह धार्मिक जिम्मेदारियों के करीब रहता है।

निष्कर्ष:

बेईमानी करना अच्छा नहीं है, इससे व्यक्ति को शुरुआत में लाभ मिल सकता है, लेकिन अच्छा परिणाम नहीं होता है। बेईमान लोग समाज और राष्ट्र के लिए अभिशाप हैं क्योंकि वे समाज की पूरी व्यवस्था को बर्बाद कर देते हैं। जीवन में ईमानदारी का अभ्यास हमेशा सभी धर्मों द्वारा समर्थित है। बेईमान लोग कभी धार्मिक नहीं हो सकते क्योंकि वे अपने धर्म के प्रति वफादार नहीं हैं। ईमानदार लोग हमेशा अपने जीवन के सभी पहलुओं में विश्वासयोग्य और विश्वसनीय बन जाते हैं।

ईमानदारी पर निबंध, honesty essay in hindi (400 शब्द)

ईमानदारी एक ऐसा शब्द है जिसके बारे में हम सभी बहुत परिचित हैं लेकिन इसका उपयोग नहीं किया गया है। कोई भी ठोस तरीका नहीं है जिसके माध्यम से ईमानदारी का परीक्षण किया जा सके लेकिन इसे काफी हद तक महसूस किया जा सकता है। ईमानदारी एक ऐसा गुण है जो लोगों के मन को अच्छाई की ओर दर्शाता है। यह जीवन में स्थिरता और बहुत सारी खुशियाँ लाता है क्योंकि यह आसानी से समाज के लोगों का विश्वास जीत लेता है।

ईमानदारी क्या है? (honesty meaning in hindi)

ईमानदारी का मतलब सभी पहलुओं में किसी के प्रति ईमानदार और सच्चा होना है। यह किसी के बल के बिना किसी भी स्थिति में सार्वभौमिक अच्छा होने पर विचार करके अच्छा करने का कार्य है। ईमानदारी वह तरीका है जो हम अच्छे और निस्वार्थ शिष्टाचार में दूसरों के लिए करते हैं।

कुछ लोग केवल ईमानदारी दिखाते हैं लेकिन वास्तविक जीवन में वे कभी ईमानदार नहीं होते हैं और यह निर्दोष लोगों को धोखा देने का गलत तरीका है। ईमानदारी वास्तव में एक गुण है जो व्यक्ति के अच्छे गुणों को प्रकट करता है।

जीवन में ईमानदारी की भूमिका:

ईमानदारी जीवन भर विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जिसे खुली आंखों से बहुत स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। कहा जाता है कि समाज में लोगों द्वारा एक ईमानदार व्यक्ति उस व्यक्ति के लिए सबसे अच्छा पूरक है। यह वास्तविक संपत्ति है जो व्यक्ति जीवन में कमाता है जो कभी खत्म नहीं होता है।

समाज में ईमानदारी की कमी अब लोगों के बीच सबसे बड़ा अंतराल है। यह माता-पिता-बच्चों और छात्रों-शिक्षकों के बीच उचित पारस्परिक संबंध की कमी के कारण है। ईमानदारी कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे खरीदा या बेचा जा सके। यह धीरे-धीरे विकसित किया जा सकता है इस प्रकार घर और स्कूल अच्छी आदतों को विकसित करने के लिए एक बच्चे के लिए सबसे अच्छी जगह है।

घर और स्कूल एक ऐसी जगह है जहाँ बच्चा नैतिक नैतिकता सीखता है। इस प्रकार, एक बच्चे को नैतिकता के करीब रखने के लिए शिक्षा प्रणाली में कुछ आवश्यक रणनीति होनी चाहिए। माता-पिता और शिक्षकों की मदद से बच्चों को घर और स्कूल में ईमानदारी का अभ्यास करने के लिए बचपन से ही सही तरीके से निर्देश दिया जाना चाहिए।

किसी भी देश के युवा उस देश के भविष्य हैं, इसलिए उन्हें नैतिक चरित्र विकसित करने के बेहतर अवसर दिए जाने चाहिए, ताकि वे अपने देश का बेहतर तरीके से नेतृत्व कर सकें। ईमानदारी सभी मानवीय समस्याओं का सही समाधान है। आजकल, हर जगह, भ्रष्टाचार और समाज में विभिन्न समस्याओं के कारण ईमानदार लोगों की संख्या कम हो रही है। ऐसे तेज और प्रतिस्पर्धी माहौल में लोग नैतिक नैतिकता को भूल गए हैं।

यह पुनर्विचार करना आवश्यक है कि कैसे समाज में ईमानदारी को वापस लाने के लिए सब कुछ प्राकृतिक तरीके से किया जाए।

लोगों को सामाजिक और आर्थिक संतुलन के प्रबंधन के लिए ईमानदारी के मूल्य का एहसास होना चाहिए। लोगों के द्वारा ईमानदारी का पालन किया जाना बहुत आवश्यक है क्योंकि यह आधुनिक समय में एक आवश्यक आवश्यकता है। यह एक अच्छी आदत है जो किसी व्यक्ति को किसी भी कठिन परिस्थिति को हल करने और उसे संभालने में सक्षम बनाती है।

इस लेख के बारे में अपने सवाल और सुझाव आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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अच्छे विद्यार्थी के 10 गुण

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  • Updated on  
  • जून 12, 2021

अच्छे विद्यार्थी के गुण

हमारे देश का कल का भविष्य आज के युवा पीढ़ी पर आधारित है। आज का विद्यार्थी ही कल का युवा बनेगा, जो देश को ऊंचाई तक पहुंचाने की काबिलियत रखता है। विद्यार्थी जीवन सबका अलग अलग होता है। कई प्रकार के विद्यार्थी होते हैं जो भविष्य में आगे बढ़ने के लिए पढ़ाई करते हैं, माता-पिता का नाम रोशन करने के लिए और उनके सपने पूरे करने के लिए मेहनत करते हैं और साथ ही साथ कुछ इस प्रकार के विद्यार्थी भी होता है जो केवल स्कूल में मौज़ मस्ती करने के लिए और दोस्तों के साथ खेलने के लिए जाते हैं । केवल अच्छे गुण या क्लास में पहला नंबर आने से वह विद्यार्थी आदर्श नहीं हो जाता बल्कि जो विद्यार्थी केवल पास होता है वह भी आदर्श हो सकता है । आओ खोजते हैं आदर्श विद्यार्थी के गुण, अच्छे विद्यार्थी के गुण I

This Blog Includes:

अच्छे विद्यार्थी को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए , अच्छे विद्यार्थी में जिज्ञासा और श्रद्धा-आवश्यक गुण, अच्छे विद्यार्थी के अंदर सहायता का गुण होना चाहिए, अच्छे विद्यार्थी के जीवन में समय बहुत ही मूल्यवान है , अच्छे विद्यार्थी के जीवन में खेल कूद का महत्व, अच्छे विद्यार्थी अपने जीवन में एक ही मूल मंत्र का पालन करते हैं जो है: संघर्ष का नाम ही जीवन, अच्छे विद्यार्थी जिंदगी को जिंदादिली के साथ जीते हैं, अच्छे विद्यार्थी के जीवन में संयम ही सदाचार है, अच्छे विद्यार्थी का परम गुण आत्मनिर्भरता है, अच्छे विद्यार्थी “काल्ह करै सो आज कर” की नीति पर विश्वास करते हैं, आदर्श विद्यार्थी के गुण : faqs.

अनुशासन

अच्छे विद्यार्थी को हमेशा माता पिता , शिक्षकों , बड़ों की आज्ञाओं को हमेशा पालन करना चाहिए। जीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए विद्या और अनुशासन दोनों आवश्यक हैं। विद्या का अंतिम लक्ष्य है-इस जीवन को मधुर तथा सुविधापूर्ण बनाना। अनुशासन का भी यही लक्ष्य है। अनुशासन भी एक प्रकार की विद्या अपनी दिनचर्या, भजन चाल, रहन-सहन, सोच-विचार और अपने समस्त व्यवहार को व्यवस्थित करना ही अनुशासन है। विद्यार्थी के लिए अनुशासित होना परम आवश्यक है।अनुशासन का गुण बचपन में ही ग्रहण किया जाना चाहिए।विद्यालय की सारी व्यवस्था में अनुशासन और नियमों को लागू करने के पीछे यही बात है। यही कारण है कि अच्छे अनुशासित विद्यालयों के छात्र जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त करते हैं। अतः अनुशासन जीवन के लिए परमावश्यक है तथा उसकी प्रथम पाठशाला है।

विद्यार्थी के गुण

विद्यार्थी का अर्थ है-विद्या पाने वाला। अच्छा विद्यार्थी वही है जो सीखने की इच्छा से ओतप्रोत हो, जिसमें ज्ञान पाने की गहरी ललक हो। विद्यार्थी का सबसे पहला गुण है-जिज्ञासा। वह नए-नए विषयों के बारे में जानने का इच्छुक होता है। वह केवल पुस्तकों और अध्यापकों के भरोसे ही नहीं रहता, अपितु स्वयं मेहनत करके ज्ञान प्राप्त करता है। सच्चा छात्र श्रद्धावान होता है। सच्चा छात्र कठोर जीवन जीकर तपस्या का आनंद प्राप्त करता है। अच्छा छात्र अपनी निश्चित दिनचर्या बनाता है और उसका कठोरता से पालन करता है। वह अपनी पढ़ाई, खेल-कूद, व्यायाम, मनोरंजन तथा अन्य गतिविधियों में तालमेल बैठाता है। अच्छा छात्र फैशन और ग्लैमर की दुनिया से दूर रहता है। वह सादा जीवन जीता है और उच्च विचार मन में धारण करता है। वह केवल पाठ्यक्रम तक ही सीमित नहीं रहता । वह विद्यालय में होने वाली अन्य गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है। गाना, अभिनय, एन.सी.सी., स्काउट, खेलकूद, भाषण आदि में से किसी-न-किसी में वह अवश्य भाग लेता है।

विद्यार्थी के गुण

हर एक विद्यार्थी के अंदर सहायता का गुण होना आवश्यक है। उसके लिए उन्हें कोई मौका या जगह का होना जरूरी नहीं है, वह कई प्रकार से मदद कर सकते हैं । अच्छे विद्यार्थी में स्वार्थ का गुण नहीं होना चाहिए उसे खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचना चाहिए। एक अच्छा विद्यार्थी हमेशा सकारात्मक सोच के साथ जीता है। अच्छे विद्यार्थी का कर्तव्य है कि  निस्वार्थ भाव से सभी की सहायता करना चाहे वह कक्षा का सहपाठी ही क्यों ना हो। जैसे कि रास्ता क्रॉस करने के समय किसी बूढ़े व्यक्ति की मदद करना, अपनी पुरानी किताबों को गरीब बच्चों को देना, आदि ।

आदर्श विद्यार्थी के गुण

इसका भी ध्यान आदर्श विद्यार्थी को रखना चाहिए । समय समय पर अपना काम खुद ही करना चाहिए जैसे कि समय पर विद्यालय जाना, अपनी पढ़ाई खुद ही करना, खेलने के समय खेलना  और मनोरंजन के समय मनोरंजन करना । हमेशा मन में कुछ ना कुछ नहीं चीजों को सीखने की जिज्ञासा होनी चाहिए। अनुशासन से समय और धन की बचत होती है। जिस छात्र ने अपनी दिनचर्या निश्चित कर ली है, उसका समय व्यर्थ नहीं जाता। वह समय पर मनोरंजन भी कर लेता है तथा अध्ययन भी पूरा कर पाता है। इसके विपरीत अनुशासनहीन छात्र आज का काम कल पर और कल का काम परसों पर टालकर अपने लिए मुसीबत इकट्ठी कर लेता है। इसलिए इसका संबंध छात्र से है। 

विद्यार्थी के गुण

स्वामी विवेकानंद ने अपने देश के नवयुवकों को कहा था- “मेरे नवयुवक मित्रो! बलवान बनो। तुमको मेरी यह सलाह है।” गीता के अभ्यास की अपेक्षा फुटबाल खेलने के द्वारा तुम स्वर्ग के अधिक निकट पहुँच जाओगे।” इस कथन से स्पष्ट है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास संभव है और शरीर को स्वस्थ तथा मजबूत बनाने के लिए खेल अनिवार्य हैं। मनोवैज्ञानिकों का मत है कि अच्छे विद्यार्थी की खेलों में रुचि स्वाभाविक है। इसी कारण अच्छे विद्यार्थी खेलों में अधिक रुचि लेते हैं।पी. साइरन ने कहा है-‘अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं।’ इन दोनों की प्राप्ति के लिए जीवन में खिलाड़ी की भावना से खेल खेलना आवश्यक है। एक अच्छे विद्यार्थी को हमेशा यह याद रहता है कि खेल खेलने से शरीर को बल, माँस-पेशियों को उभार, भूख को तीव्रता,आलस्यहीनता तथा मलादि को शुद्धता प्राप्त होती है। खेल खेलने से मनुष्य को संघर्ष करने की आदत लगती है। एक अच्छे विद्यार्थी में जीवन की जय-पराजय को आनंदपूर्ण ढंग से लेने की महत्त्वपूर्ण आदत खेल खेलने से ही आती है। खेल अच्छे विद्यार्थी का भरपूर मनोरंजन करते है। खिलाड़ी हो अथवा खेल-प्रेमी, दोनों को खेल के मैदान में एक अपूर्व आनंद मिलता है।

संघर्ष का अर्थ है-टकराहट। अच्छे विद्यार्थी जीवन में संघर्ष का अर्थ आने वाली बाधा को पार करना है। अच्छे विद्यार्थी हमेशा इसी सकारात्मक सोच के साथ जीते हैं की जीवन में संघर्ष ही संघर्ष हैं। अच्छे विद्यार्थी के अनुसार जन्म लेते ही संघर्ष शुरू हो जाते हैं। शिशु को भोजन और सुरक्षा का संघर्ष सहना पड़ता है। वह रो चीखकर बताता है कि उसे दूध और सुरक्षा चाहिए। बड़ा होने पर संकटों के रूप बदल जाते हैं लेकिन चुनौतियाँ बनी रहती हैं। वास्तव में संघर्षों को झेलने और पार करने पर ही अच्छे विद्यार्थी के व्यक्तित्व का निर्माण होता है। यदि गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में अपमान की घटनाएँ न झेली होतीं तो वे महान नेता नहीं बन पाते। यदि सुभाष या सावरकर संघर्षों की चक्की में न पिसे होते तो इतने महान न पाते। सुभाष ने देश से बाहर जाकर भी अंग्रेजों को बाहर खदेड़ने का दुस्साहस किया। सावरकर ने काले पानी की सज़ा पाकर भी गोरे शासन को चुनौती दी। वास्तव में अपने जीवन में आने वाले हर संघर्ष और चुनौती का सामना करना हमारा कर्तव्य है। इसी से जीवन में रस भी आता है और जीवन सार्थक बनता है।

किसी शायर ने लिखा है: “जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं।”

जिन विद्यार्थियों के मन में  हमेशा उत्साह, जोश और उमंग का वास होता है, वही विद्यार्थी सही अर्थों में अच्छे विद्यार्थी हैं। इसके विपरीत जो लोग हमेशा निराशा, उदासी और दुख के बादलों से घिरे रहते हैं, उनका जीवन निरर्थक होता है। उत्साह के लिए हिम्मत का होना भी आवश्यक होता है। हिम्मत और उत्साह का चोली-दामन का संबंध है। जो डरपोक होता है, वह कभी कोई अच्छा कार्य करने का जोखिम नहीं उठा सकता। अच्छे विद्यार्थी हमेशा इसी सोच के साथ जीते हैं कि वास्तव में जीवन का असली आनंद भी वही उठाता है जो खतरे झेल सकता है। अच्छे विद्यार्थी हमेशा यही कहते हैं-डर के आगे जीत है। डर को दूर भगाने के लिए भी टक्कर मारने की ताकत और दुख सहने की शक्ति चाहिए। इस राह पर चाहे कुछ कष्ट और बाधाएँ हों, किंतु आत्मसंतोष बहुत गहरा होता है।

आदर्श विद्यार्थी के गुण

एक अच्छे विद्यार्थी के जीवन में ‘संयम’ का अर्थ है-उचित नियंत्रण। ‘सम्’ का अर्थ है-उचित। ‘यम’ का अर्थ है-नियंत्रण। अच्छा विद्यार्थी तब सदाचारी कहलाता है जब अच्छा आचरण करता है। सदाचारी विद्यार्थी का मन भी चंचल होता है।  विद्यार्थी का चंचल मन उसे भटकाता है, बहलाता-फुसलाता है। परंतु सदाचारी अच्छा विद्यार्थी संयम की शक्ति से चंचलता पर रोक लगाता है। अच्छा विद्यार्थी उचित इच्छा को आदर देता और अनुचित ‘कामना’ को इनकार कर देता है। सही अर्थों में यही सद्नीति है, यही नैतिकता है। नैतिकता का एकमात्र अर्थ  है-उचित माने जाने वाले आचरण को अपनाना और अनुचित पर रोक लगाना। अच्छा विद्यार्थी प्रायः अहिंसा, प्रेम, शांति, सहयोग, मित्रता आदि गुणों सदाचार के अंतर्गत अपनाता है। इनके विपरीत हिंसा, क्रोध, द्वेष, वासना आदि दुर्गुण सदाचार के विरोधी माने जाते हैं। यदि सदाचारी बनना है तो केवल शुभ मार्ग पर चलना ही एक काम नहीं है, अशुभ कार्यों से बचना भी एक काम है।

आत्मनिर्भरता का अर्थ है-स्वयं पर भरोसा रखना। अपनी शक्तियों के बल पर जीने वाले अच्छे विद्यार्थी सदा स्वतंत्र तथा सुखी जीवन जीते है। ईश्वर भी उसी की सहायता करता है, जो अच्छे विद्यार्थी अपनी सहायता अर्थात् अपना कार्य स्वयं करते हैं। इसके विपरीत जिन विद्यार्थी को दूसरों का आश्रय लेने की आदत पड़ जाती है, वे उन लोगों और आदतों के गुलाम बन जाते हैं। उनके भीतर सोई हुई शक्तियाँ मर जाती हैं। उनका आत्मविश्वास घटने लगता है। संकट के क्षण में ऐसे पराधीन विद्यार्थी झट से घुटने टेकने को विवश हो जाते हैं। जिन्हें छड़ी से चलने का अभ्यास हो जाता है, उनकी टाँगों की शक्ति कम होने लगती है। इसलिए अन्य लोगों की बैसाखियों को छोड़कर अपने ही पुट्ठे मजबूत करने चाहिए, क्योंकि संकट के क्षण में बैसाखियाँ नहीं काम आतीं।वहाँ अपनी शक्तियाँ,अपना रुधिर काम आता है।आत्मनिर्भर अच्छे विद्यार्थी ही  नए-नए कार्य संपन्न करने की हिम्मत कर सकता है।अच्छे विद्यार्थी विश्वासपूर्वक अपना तथा समाज का भला कर सकते है।

‘काल्ह करै सो आज कर’ का शाब्दिक अर्थ है-जो तू कल करेगा, उसे आज ही कर दे। अच्छे विद्यार्थी को अच्छे कार्य करने में देर नहीं करनी चाहिए। यदि विद्यार्थी को जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो उसे समय का सम्मान करना सीखना होगा। जिसे अपने उद्देश्य में सफल होना हो, उसे समय रहते पूरे कार्य की योजना बना लेनी चाहिए। फिर उस योजना के अनुसार काम आरंभ कर देना चाहिए। अच्छे विद्यार्थी को सोचने में ही समय को गँवाना नहीं चाहिए। जो विद्यार्थी आज का काम कल पर और कल का काम परसों पर टालते चले जाते हैं, वे एक दिन अपना सब कुछ नष्ट कर बैठते हैं। यह टालू प्रवृत्ति बहुत घातक है। अधिकतर अच्छे विद्यार्थी समय-सारिणी बनाते हैं। किंतु इसके विपरीत कुछ विद्यार्थी समय सारणी बनाते हैं,एक-दो दिन उस पर चलने के बाद काम को कल पर टालना शुरू कर देते हैं।परिणामस्वरूप ढेरों काम इकट्ठा हो जाता है। एक दिन वह काम उसके वश से बाहर हो जाता है। ऐसा छात्र हिम्मत हार बैठता है। पहले दिन जो छात्र कक्षा में प्रथम आने की बात सोचता था, अब उसे उत्तीर्ण होने के लिए भी एड़ियाँ रगड़नी पड़ती हैं। इसलिए अच्छे विद्यार्थी यह सूक्ति “काल्ह करै सो आज कर” को नियमित रूप से अपने मस्तिष्क में रखते हैं।

अनुशासन में रहना जिज्ञासा और श्रद्धा का गुण सहायता का गुण  संयम ही सदाचार आत्मनिर्भरता

अच्छे विद्यार्थी को हमेशा माता पिता , शिक्षकों , बड़ों की आज्ञाओं को हमेशा पालन करना चाहिए। जीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए विद्या और अनुशासन दोनों आवश्यक हैं। विद्या का अंतिम लक्ष्य है-इस जीवन को मधुर तथा सुविधापूर्ण बनाना। अनुशासन का भी यही लक्ष्य है। अनुशासन भी एक प्रकार की विद्या अपनी दिनचर्या, भजन चाल, रहन-सहन, सोच-विचार और अपने समस्त व्यवहार को व्यवस्थित करना ही अनुशासन है। विद्यार्थी के लिए अनुशासित होना परम आवश्यक है।

कुछ शब्द दोनों वचनों में समान होते है। इसलिए विद्यार्थी का एकवचन और बहुवचन दोनों सामना ही होंगे।

विद्यार्थी का समास विग्रह विद्या का अर्थी ( इच्छुक ) है इसलिए इसमें सम्बन्ध तत्पुरुष समास है।

हर एक विद्यार्थी के अंदर सहायता का गुण होना आवश्यक है। उसके लिए उन्हें कोई मौका या जगह का होना जरूरी नहीं है, वह कई प्रकार से मदद कर सकते हैं । अच्छे विद्यार्थी में स्वार्थ का गुण नहीं होना चाहिए उसे खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचना चाहिए। एक अच्छा विद्यार्थी हमेशा सकारात्मक सोच के साथ जीता है। अच्छे विद्यार्थी का कर्तव्य है कि  निस्वार्थ भाव से सभी की सहायता करना चाहे वह कक्षा का सहपाठी ही क्यों ना हो। जैसे कि रास्ता क्रॉस करने के समय किसी बूढ़े व्यक्ति की मदद करना, अपनी पुरानी किताबों को गरीब बच्चों को देना, आदि ।

अच्छे विद्यार्थी के जीवन में समय बहुत ही मूल्यवान है।इसका भी ध्यान आदर्श विद्यार्थी को रखना चाहिए । समय समय पर अपना काम खुद ही करना चाहिए जैसे कि समय पर विद्यालय जाना, अपनी पढ़ाई खुद ही करना, खेलने के समय खेलना  और मनोरंजन के समय मनोरंजन करना ।

उम्मीद है आपको आदर्श विद्यार्थी के गुण पर आधारित ब्लॉग पसंद आया होगा । “जब तक किसी काम को नहीं किया जाता तब तक वह असंभव है।” “सपने सच करने के लिए पहले तुम्हें सपने देखने होंगे।” Leverage Edu हमेशा विद्यार्थियों की सहायता करते हैं, जीवन में आगे बढ़ने के लिए संपूर्ण ज्ञान देते हैं। 

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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12 comments

bahut hi accha laga ish page ko padkar hame sahi margdrasan dene ke liye bahut bahut sukriya.

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Nibandh

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - आदर्श विद्यार्थी का अर्थ - विद्या प्राप्ति लक्ष्य - जिज्ञासा बिना ज्ञान नहीं - आदर्श विद्यार्थी बनाने के पीछे किसकी भूमिका - आदर्श विद्यार्थी कैसे बने - आदर्श विद्यार्थी के दस गुण - उपसंहार।

एक आदर्श विद्यार्थी वह है जो पूरी लगन से अध्ययन करता है, स्कूल, घर और समाज में ईमानदारी से व्यवहार करता है, सभी लोगों के साथ अच्छे से रहता है तथा उनकी मदत करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेता है। हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा एक आदर्श विद्यार्थी बने जो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सके। आदर्श छात्रों का हर जगह (जैसे- स्कूलों, महाविद्यालय, कोचिंग सेंटरों, खेल संस्थाओं और शिक्षा से सम्बंधित सेमिनारों में) स्वागत किया जाता है।

आदर्श छात्र अपनी लगन और मेहनत के साथ उन्हें सौंपे गए सभी कार्यों को पूरा करते है और जब तक दिया हुआ कार्य पूर्ण न वे चैन से नहीं बैठते। वे शीर्ष पर रहना पसंद करते हैं और उस स्थान को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। एक आदर्श छात्र वह है जिसे परिवार, समाज एवं देश के हर व्यक्ति सम्मान भाव से देखता है। कक्षा में, खेल के मैदान में या सामाजिक सेवाओं में अपने सभी कार्यों को पूरा करने के लिए उनकी सराहना की जाती है। आदर्श विद्यार्थी बनना सभी विद्यार्थी के लिए महत्वपूर्ण हैं।

जो विद्यार्थी पूरी लगन से अध्ययन (पढाई) करता है, स्कूल, घर और समाज में ईमानदारी से व्यवहार करता है, सभी लोगों के साथ अच्छे से रहता है तथा उनकी मदत करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लेता है वही आदर्श विद्यार्थी कहलाता हैं। आदर्श विद्यार्थी, विद्यार्थी का वो रूप है जिसे घर, परिवार, समाज और देश का हर व्यक्ति सम्मान देता है और उसे सरहाना करता है। जीवन में एक सफल व्यक्ति बनने के लिए विद्यार्थी का आदर्श विद्यार्थी बनना अनिवार्य है। आदर्श विद्यार्थी सफलता की कुंजी है।

जीवन का प्रथम भाग (प्राय: पच्चीस वर्ष की वय तक) विधोपार्जन का काल है। विद्याध्ययन करने का स्वर्ण काल है। भविष्य का श्रेष्ठ नागरिक बनने की क्षमता और सामर्थ्य उत्पन करने का समय है। अत: विद्यार्थी को विद्या की क्षुधा शान्त करने तथा जीवन निर्वाहि योग्य बनाने के लिए आदर्श विद्यार्थी बनना होगा। आदर्श विद्यार्थी उत्तम विचारों का संचय करेगा, क्षुद्र स्वार्थों और दुराग्रहों से मुक्त रहेगा। मन वचन कर्म में एकता स्थापित कर जीवन के सत्य रूप को स्वीकार करेगा।

विद्यार्थी का लक्ष्य है विद्या प्राप्ति करना। विद्या प्राप्ति के माध्यम हैं गुरुजन या शिक्षक । आज की भाषा में कहे तो, अध्यापक या प्राध्यापक। शिक्षक से विद्या-प्राप्ति के तीन उपाय हैं नप्रता, जिज्ञासा और सेवा। गाँधी जी प्राय: कहा करते थे- जिनमें नम्रता नहीं आती, वे विद्या का पूरा सदुपयोग नहीं कर सकते। तुलसीदास ने इसी बात का समर्थन करते हुए कहा हैं, 'यथा नवहिं बुध विद्या पाये। अध्यापक के प्रति नम्रता दिखाइए और समझ न आने वाले प्रश्न को बार-बार पूछ लीजिए, उन्हें क्रोध नहीं आएगा । वैसे भी नम्रता समस्त सद्गुणों की जननी है। बड़ों के प्रति नम्रता दिखाना विद्यार्थी का कर्तव्य है, बराबर वालों के प्रति नम्रता विनयसूचक है तथा छोटों के प्रति नम्रता कुलीनता का द्योतक है।

जिज्ञसा के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं होता। यह तीव्र बुद्धि का स्थायी और निश्चित गुण है। पाठ्य-पुस्तकों तथा पाद्यक्रम के प्रति जिज्ञासा-भाव विद्यार्थी की बुद्धि विकसित करेगा और विषय को हृदयंगम करने में सहायक होगा । जिज्ञासा एकाग्रता की सखी है। अध्ययन के समय एकाग्रचित्तता पाठ को समझने और हृदयंगम करने के लिए अनिवार्य गुण है। पुस्तक हाथ में हो और चित्त (ध्यान) हो दूरदर्शन के 'चित्रहार (अर्थात फिल्मों के कहानी)' में, तो पाठ कैसे स्मरण होगा ? इसीलिए आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए किसी भी कार्य करते वक़्त तथा पढाई करते वक़्त मन में उसे पूरा करने के लिए जिज्ञासा होनी चाहिए।

आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए सबसे अधिक और अहम भूमिका होती है उनके माता-पिता की। हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अपनी कक्षा में हर काम में प्रथम रहें, दूसरों के लिए एक आदर्श उदाहरण बने। कई छात्र अपने माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं लेकिन एक आदर्श छात्र बनने के लिए उनमें दृढ़ संकल्प और कई अन्य कारकों की कमी होती है। कुछ लोग प्रयास करते हैं और असफल होते हैं पर कुछ लोग प्रयास करने में ही असफ़ल हो जाते हैं लेकिन क्या अकेले छात्रों को इस विफलता के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए? नहीं! माता-पिता को यह समझना चाहिए कि वे अपने बच्चे के समग्र व्यक्तित्व को बदलने और जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। यह उनका कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को स्कूल में अच्छा करने के महत्व को समझने में उनकी सहायता करें। इसीलिए किसी भी विद्यार्थी का आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए उनकी माता-पिता का सहयोग देना अनिवार्य है।

जो विद्यार्थी पूरी लगन से अध्ययन (पढाई) करता है, स्कूल, घर और समाज में ईमानदारी से व्यवहार करता है, सभी लोगों के साथ अच्छे से रहता है तथा उनकी मदत करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लेता है, उन्हें आदर्श विद्यार्थी कहते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए सबसे पहले-

  • आत्मनिर्भरता रहे अर्थात एक विद्यार्थी को हमेशा आत्मनिर्भरता रहना चाहिए आत्मनिर्भरता का अर्थ है- स्वयं पर भरोसा रखना, स्वंय पर निर्भर रहना। एक विद्यार्थी को हमेशा आत्मनिर्भरता रहना चाहिए अर्थात स्वंय पर निर्भर रहना चाहिए।

एक आदर्श विद्यार्थी को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए। विद्यार्थी को हमेशा माता-पिता, शिक्षकों, बड़ों की आज्ञाओं को हमेशा पालन करना चाहिए। जीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए विद्या और अनुशासन दोनों आवश्यक हैं। अतः अनुशासन जीवन के लिए परमावश्यक है तथा उसकी प्रथम शिक्षा है।

यदि आप एक आदर्श विद्यार्थी बनना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको यह करना होगा कि आप संगठित हो। सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए अपने कमरे, अलमारी, अध्ययन की मेज और आसपास की व्यवस्था को संयोजित कर के रखना होगा।

  • विद्वानों का कहना है कि, दैनिक कार्यों की सूची तैयार करना अच्छी आदत है। प्रतिदिन कोई भी कार्य करने से पहले आप एक सूची तैयार करें जैसे कि, आपको कितने बजे उठना है, कितने बजे यह कार्य शुरु करना है, कितने बजे उसे समाप्त करना है आदि।

जैसे की आप जानते है घर हो या स्कूल हो या समाज का कोई कार्य, हर विद्यार्थी को उसे पूर्ण करने के लिए दिया जाता है। तो उसे आप सबसे पहले सही ढंग से पूर्ण करने के लिए कोशिश करें तथा पहले करने में आप बिलकुल भी संकोच न करें। इससे आपको प्रेरणा मिलेगी और कोई भी कार्य करने में आपको उत्साह होगा।

  • हर एक विद्यार्थी के अंदर सहायता का गुण होना आवश्यक है। अच्छे विद्यार्थी में स्वार्थ का गुण नहीं होना चाहिए उसे खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचना चाहिए। एक आदर्श और अच्छा विद्यार्थी हमेशा सकारात्मक सोच के साथ जीता है।

एक आदर्श विद्यार्थी को हमेशा कुछ नया सिखने का जज्बा होना चाहिए। अपने दिनचार्य में किये गए कार्यों से कुछ नया सिखने की कोशिश करनी चाहिए उसे विभिन्न दृष्टिकोणों से समझने का प्रयत्न करें। यह अपने संपूर्ण ज्ञान और क्षमता को बढ़ाने का एक अच्छा तरीका है।

ऐसा कहा जाता है आप जिन के साथ सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं आप में उन्हीं के गुण आ जाते हैं इसलिए यदि आप एक आदर्श विद्यार्थी बनना चाहते हैं तो उन लोगों के साथ दोस्ती बनाएं जो सभी लोगों से अच्छा व्यवहार रखता है, जो समय पर पढाई करता है, जिसे जीवन में लक्ष्य हासिल करना है और जो विद्यार्थी अपनों से बड़े सभी लोगों का आदर सम्मान करता हैं।

एक आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। स्वस्थ रहने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करके उचित आहार लेना जरूरी है। प्रत्येक दिन 8 घंटे नींद पूरा करना आवश्यक है। शारीरिक व्यायाम करने के लिए आधे घंटे से एक घंटे की कसरत करना अनिवार्य है। इससे विद्यार्थी हमेशा स्वस्थ और फुर्तीला रहेगा।

विद्यार्थी को आदर्श जीवन जीने के लिए उन्हें हमेशा जिंदादिली के साथ रहना चाहिए। जिन विद्यार्थियों के मन में हमेशा उत्साह, जोश और उमंग का वास होता है, वही विद्यार्थी सही अर्थों में आदर्श विद्यार्थी हैं।

जो विद्यार्थी पूरी लगन से अध्ययन (पढाई) करता है, स्कूल, घर और समाज में ईमानदारी से व्यवहार करता है, सभी लोगों के साथ अच्छे से रहता है तथा उनकी मदत करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लेता है, उन्हें आदर्श विद्यार्थी कहते हैं। यहां आदर्श विद्यार्थी के दस गुण के बारे में बताया गया है जो कि इस प्रकार है-

  • अनुशासन में रहे अर्थात आदर्श विद्यार्थी को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए
  • संगठित बने अर्थात संयोजित बने
  • सहायता का गुण रखे अर्थात अपने अंदर हमेशा दूसरों की सहयता करने का सोच रखनी चाहिए

हर एक विद्यार्थी के अंदर सहायता का गुण होना आवश्यक है। अच्छे विद्यार्थी में स्वार्थ का गुण नहीं होना चाहिए उसे खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचना चाहिए। एक आदर्श और अच्छा विद्यार्थी हमेशा सकारात्मक सोच के साथ जीता है। अच्छे विद्यार्थी का कर्तव्य है कि निस्वार्थ भाव से सभी की सहायता करना चाहिए जैसे- कक्षा का सहपाठी की मदत करना, रास्ता क्रॉस करने के समय किसी बूढ़े व्यक्ति की मदद करना, अपनी पुरानी किताबों को जरूरतमंद को देना आदि ।

  • सूची बनाए अर्थात कोई भी कार्य करने से पहले उसके बारे में सूची तैयार करें

विद्वानों का कहना है कि, दैनिक कार्यों की सूची तैयार करना अच्छी आदत है। प्रतिदिन कोई भी कार्य करने से पहले आप एक सूची तैयार करें जैसे कि, आपको कितने बजे उठना है, कितने बजे यह कार्य शुरु करना है, कितने बजे उसे समाप्त करना है आदि। इससे आप अपने समय को अधिकतम इस्तेमाल करने में सक्षम होंगे।

  • पहल करें अर्थात किसी का दिया गया कोई भी कार्य सबसे पहले आप पूरी करने की कोशिश करें
  • जिंदादिली के साथ रहे अर्थात जीवन का हर पल जिंदादिली के साथ जीना चाहिए
  • कुछ नया सीखें अर्थात जीवन में हमेशा कुछ नया सिखने का प्रयत्न करें
  • अच्छे दोस्त बनाएं अर्थात जीवन में हमेशा दोस्त बनाने से पहले उसके बारे में अच्छे तरीके से जान लें
  • स्वस्थ जीवन रखे अर्थात एक आदर्श विद्यार्थी को स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना चाहिए
  • आत्मनिर्भरता रहे अर्थात एक विद्यार्थी को हमेशा आत्मनिर्भरता रहना चाहिए

आत्मनिर्भरता का अर्थ है- स्वयं पर भरोसा रखना, स्वंय पर निर्भर रहना। एक विद्यार्थी को हमेशा आत्मनिर्भरता रहना चाहिए अर्थात स्वंय पर निर्भर रहना चाहिए।

कोई भी विद्यार्थी परिपूर्ण या आदर्श रूप में जन्म नहीं लिया है। आदर्श विद्यार्थी जीवन पाने के लिए मेहनत और लगन करनी पड़ती है तब जा के वह सफल रूप से पूर्ण होता है। एक आदर्श विद्यार्थी का जीवन सुनने में मुश्किल जरूर लग सकता है परन्तु वास्तव में आम लोगों की तुलना में बहुत अधिक सुलझा हुआ होता है। आदर्श विद्यार्थियों को महत्वकांशी माना जाता है। वे अपने जीवन में उच्च लक्ष्य रखते हैं और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए दृढ़ संकल्प लेना पड़ता है।

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Ideal Student Essay In Hindi | आदर्श विद्यार्थी

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ईमानदारी पर निबंध – Essay on Honesty in Hindi

Essay on Honesty in Hindi

ईमानदार व्यक्ति हमेशा अपने जीवन में तरक्की पाते हैं, और दूसरों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ईमानदारी से न सिर्फ किसी का भरोसा जीता जा सकता है बल्कि किसी भी रिश्ते को मजबूत किया जा सकता है और आत्मनिर्भर बना जा सकता है।

ईमानदारी, के साथ जी गई जिंदगी सही मायने में जिंदगी होती है। इसलिए, ईमानदारी का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व है।

वहीं बच्चों के अंदर ईमानदारी के गुण को विकसित करने एवं इसके महत्व को समझाने के लिए और उनका लेखन कौशल विकसित करने के लिए कई बार स्कूलों अथवा निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में ईमानदारी के विषय पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको अपने इस पोस्ट पर ईमानदारी पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि इस प्रकार है –

Essay on Honesty in Hindi

ईमानदारी, हर किसी के जीवन में बेहद अहम रोल अदा करती है। ईमानदार व्यक्ति को समाज में सम्मान मिलता है और उसकी छवि नैतिक मूल्यों को मानने वाले एक आदर्श व्यक्ति के रुप में समाज में बनी होती है।

ईमानदारी क्या है एवं इसका अर्थ – Meaning of Honesty

ईमानदारी, व्यक्ति का एक विशेष गुण एवं सर्वश्रेष्ठ आदत है, जो कि व्यक्ति को आदर्श मनाती है और उसे सच्चाई के मार्ग पर जीवन जीने की कला सिखाती है। इसके साथ ही ईमानदारी लोगों के मन की अच्छाई और खूबियों समेत उसकी नैतिकता को प्रदर्शित करती है एवं उनके जीवन को खुशियों से भर देती है। ईमानदारी, मनुष्य को भरोसेमंद बनाती है।

वहीं ईमानदार व्यक्ति के जीवन में किसी भी गलत अथवा अनैतिक काम और धोखेबाजी करने की गुंजाइश नहीं होती है।

ईमानदारी का महत्व – Importance Of Honesty

ईमानदारी, किसी भी व्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ गुण एवं उसकी सबसे अच्छी आदत है। जिसका हर किसी के जीवन में सार्वधिक महत्व होता है। ईमानदारी व्यक्ति को हमेशा परिवार और समाज में सार्वधिक सम्मान मिलता है और उसकी एक अलग प्रतिष्ठा होती है।

ईमानदारी ही एक ऐसा गुण होता है, जिससे सामने वाला का भरोसा आसानी से जीता जा सकता है। ईमानदारी की मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति हमेशा अपने जीवन में आगे बढ़ते और तरक्की पाते हैं, उन्हें कभी किसी चीज का भय नहीं रहता है, जबकि बेईमान और धोखेबाज व्यक्ति को हमेशा उसके किए का डर सताता रहता है।

ईमानदार लोग निडर और निस्वार्थ होकर खुशीपूर्वक अपना जीवनयापन करते हैं।

ईमानदारी, किसी व्यक्ति के उसके परिवार एवं वातावरण पर भी निर्भर करती है ईमानदारी से ही व्यक्ति के नैतिक चरित्र की पहचान की जाती है।

ईमानदारी किसी भी रिश्ते में मजबूती और आत्मविश्वास लाने का काम करती है। इसके बिना किसी भी रिश्ते में मजबूती नहीं आ सकती और न ही विश्वास कायम हो सकता है। ईमानदार व्यक्ति सदैव अनैतिक कामों से दूर रहते हैं और सच्चाई के मार्ग पर चलकर अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।

ये हो सकता है कि ईमानदार व्यक्ति को अपनी मंजिल तक पहुंचने में काफी संघर्ष करना पड़े लेकिन ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति को सफलता जरूर मिलती है। वहीं दूसरी तरफ बेईमान व्यक्ति की सफलता स्थाई नहीं होती, क्योंकि जब उसकी घपलावाजी और घोटालों का भांडा फूटता है तो समाज में उसकी प्रतिष्ठा धूमिल होती है और क्षण भर में उसका सब कुछ नष्ट हो जाता है।

ईमानदारी, कई मानवीय समस्याओं का समाधान है इसलिए इसके महत्व को हर किसी को समझना चाहिए और ईमानदारी के साथ अपने जीवन का निर्वहन करना चाहिए एवं अपने कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ना चाहिए।

बुरी परिस्थिति में भी ईमानदारी न छोड़े:

ईमानदारी सबसे अच्छी अच्छी नीति है।इसलिए व्यक्ति को गंभीर से गंभीर एवं विकट परिस्थिति में भी ईमानदारी नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि जो व्यक्ति विकट और गंभीर परिस्थिति से बच निकलने के लिए सच्चाई के मार्ग से विचलित हो जाते हैं अथवा झूठ का सहारा लेते हैं ऐसे व्यक्तियों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।

वहीं एक बार झूठ बोलकर बचा नहीं जा सकता है, एक झूठ बोलने से कई बार तमाम ऐसी परिस्थियां बन जाती है, जिसमें व्यक्ति फंसता चला जाता है और एक अपने लिए एक नई मुसीबत खड़ी कर देता है।

जो व्यक्ति सदैव ईमानदारी का मार्ग अपनाते हैं, और सच्चाई का साथ देते हैं, वे मानसिक रुप से भी खुश रहते हैं और हर तरीके की परेशानियों से दूर रहते हैं एवं निडर होकर अपना जीवन जीते हैं। इसलिए हम सभी को ईमानदारी के सर्वश्रेष्ठ गुण को अपने अंदर समाहित करना चाहिए।

ईमानदारी पर निबंध – Imandari Essay in Hindi

प्रस्तावना –

ईमानदारी, व्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ गुण होता है, जो व्यक्ति को न सिर्फ सफलता के पथ पर आगे बढ़ाता है, बल्कि उसके मन और मस्तिष्क को भी शांत रखता है। ईमानदारी से अपने कामों को करने वाले व्यक्ति हमेशा खुश रहते हैं और यह हर व्यक्ति के जीवन में बेहद महत्वपूर्ण है।

सफल, सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन के लिए ईमानदारी की भूमिका:

ईमानदारी व्यक्ति को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है, साथ ही व्यक्ति को उसके आदर्शों एवं नैतिक मूल्यों को बनाए रखने में उसकी मद्द करती है।

ईमानदार व्यक्ति एक सरल, शांति स्वभाव का होता है, जिसकी अच्छाई से न सिर्फ उसका बल्कि उससे जुड़े लोगों का भी भला होता है और अन्य लोगों को भी ईमानदारी की राह पर चलने की प्रेरणा मिलती है।

ईमानदारी किसी भी व्यक्ति के अच्छाईयों को एवं नैतिक चरित्र को प्रदर्शित करती है और समाज में उसे सम्मान और प्रतिष्ठा अर्जित करवाती है। ईमानदार व्यक्ति के मन में सदैव अच्छे विचार जन्म लेते हैं और अनैतिक और भ्रष्टाचारों से वह हमेशा दूर रहता है, जिससे उसके जीवन में खुशहाली बनी रहती है और वह शारीरिक अथवा मानसिक रुप से स्वस्थ रहता है।

ईमानदार व्यक्ति को किसी तरह का डर और लोभ, लालच नहीं होता है। वे अपने कर्तव्य पर भरोसा कर कामयाबी हासिल करते हैं और अपने जीवन में सदैव सुखी रहते हैं क्योंकि उनके आसपास किसी भी तरह की मुसीबत नहीं भटकती है।

वहीं जो व्यक्ति झूठ का सहारा लेते हैं उन्हें हमेशा डर सताता रहता है और समाज में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

ईमानदारी के बिना कोई भी व्यक्ति सफल जीवन का निर्वहन नहीं कर सकता है,क्योंकि ईमानदारी मनुष्य को एक खुशी देने के साथ ही मनुष्य के मस्तिष्क मन और आत्मा के बीच अच्छा संतुलन बनाए रखने का काम करती है और आंतरिक एवं बाहरी शांति प्रदान करती है।

ईमानदारी से लाभ – Benefits Of Honesty

  • ईमानदारी से किसी का भरोसा आसानी से जीता जा सकता है।
  • ईमानदारी की राह पर चलकर ही व्यक्ति अपने जीवन में सफल हो सकता है।
  • ईमानदारी, व्यक्ति को भ्रष्टाचार एवं अनैतिक कार्यों से दूर रखने में उसकी मद्द करती है।
  • ईमानदारी व्यक्ति की अच्छाईयों एवं नैतिक चरित्र को दर्शाती है।
  • ईमानदार व्यक्ति, समाज में अपूर्व सम्मान एवं प्रतिष्ठा हासिल करता है।
  • ईमानदारी, व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास की भावना को जागृत करती है।
  • ईमानदार व्यक्ति के मन में सदैव अच्छे विचार आते हैं और उसका मन शांत रहता है।
  • ईमानदारी, मनुष्य को मानसिक रुप से भी खुशी प्रदान करती है।

ईमानदारी किसी भी व्यक्ति को सफल जीवन जीने में मद्द करती है और समाज में उसकी अच्छी प्रतिष्ठा बनाती हैं एवं रिश्तों को मजबूती प्रदान करती है। ईमानदारी व्यक्ति की अच्छाईयों को प्रदर्शित करती है।

इसलिए हर किसी को अपने अंदर ईमानदारी के महत्व को समझना चाहिए और इस गुण को न सिर्फ अपने अंदर विकसित करना चाहिए बल्कि अपने बच्चों एवं परिवार वालों को भी ईमानदारी के गुण को अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए और इसमें अपना सहयोग देना चाहिए।

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परोपकार पर निबंध-Essay On Paropkar In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000+ Words)

परोपकार पर निबंध-essay on paropkar in hindi, परोपकार पर निबंध 1 (100 शब्द).

जिस समाज में दूसरों की सहायता करने की भावना जितनी अधिक होगी वह समाज उतना ही सुखी और समृद्ध होगा। परोपकार की भावना मनुष्य का एक स्वाभाविक गुण होता है।परोपकार अर्थात् दूसरों के काम आना इस सृष्टि के लिए अनिवार्य है।

वृक्ष अपने लिए नहीं, औरों के लियेफल धारण करते हैं। नदियाँ भी पाना जल स्वयं नहीं पीतीं। परोपकारी मनुष्य संपति का संचय भी औरों के कल्याण के लिए करते हैं। साडी प्रकुर्ती निस्वार्थ समपर्ण का संदेश देती है। सूरज आता है, रोशनी देकर चला जाता है। चंद्रमा भी हमसे कुछ नहीं लेता, केवल देता ही देता है।

परोपकार पर निबंध 2 (200 शब्द)

मानवता का असली मतलब परोपकार है। जीवन विकास के सभी गुणों में यह सबसे अच्छा गुण है। पर + उपकार =परोपकार। यह दो शब्दों का मिलन है। इसका का अर्थ होता है दूसरों का भला करना करना और दूसरों की सहयता करना। किसी की व्यक्ति या जानवर की मुसीबत में मदद करना ही परोपकार कहा जाता है। हमारे मानव जीवन का यही उद्देश है हम किसी भी प्रकार से दूसरों की मदद करे।

ईश्वर ने प्रकृति की रचना दवारा हमें परोपकार का मूल्य बखूबी समझाया है। पेड़- पौधे कभी अपना फल नहीं खाते। सूर्य खुद जलकर दूसरों को प्रकाश देता है। परोपकार से हमारे हृदय को शांति तथा सुख का अनुभव होता है। समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं है। सभी धर्म परोपकार के आगे तुच्छ है।

परोपकार व्यक्ति को निस्वार्थ रूप से दूसरे लोगों की सेवा अथवा सहायता करना सिखाता है। परोपकार समाज में प्रेम सन्देश और भाईचारा फैलाता है। एक समृद्ध समाज के लिए हमें परोपकार का महत्व समझना होगा। परोपकारी व्यक्ति को लोगों द्वारा आदर सत्कार मिलता है। दया, प्रेम, अनुराग और करुणा के मूल में परोपकार की भावना है।

जीवन में परोपकार का बहुत महत्व है। समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं होता । ईश्वर ने प्रकृति की रचना इस तरह से की है कि आज तक परोपकार उसके मूल में ही काम कर रही है।

परोपकार पर निबंध 3 (300 शब्द)

भूमिका :  परोपकार एक ऐसी भावना होती है जो हर किसी को अपने अन्दर रखना चहिये। इसे हर व्यक्ति को अपनी आदत के रूप में विकसित भी करनी चाहिए। यह एक ऐसी भावना है जिसके तहत एक व्यक्ति यह भूल जाता है की क्या उसका हित है और क्या अहित, वह अपनी चिंता किये बगैर निःस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करता है और बदले में उसे भले कुछ मिले या न मिले कभी इसकी चर्चा भी नहीं करता।

परोपकार की महत्वता: जीवन में परोपकार का बहुत महत्व है। समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं होता । ईश्वर ने प्रकृति की रचना इस तरह से की है कि आज तक परोपकार उसके मूल में ही काम कर रही है।

परोपकार प्रकृति के कण-कण में समाया हुआ है। जिस तरह से वृक्ष कभी भी अपना फल नहीं खाता है, नदी अपना पानी नहीं पीती है, सूर्य हमें रोशनी देकर चला जाता है। परोपकार एक उत्तम आदर्श का प्रतीक है। पर पीड़ा के समान कुछ भी का अधम एवं निष्कृष्ट नहीं है।

उपसंहार :  तुलसीदास जी की युक्ति “परहित सरिस धर्म नहीं भाई” से यह निष्कर्ष निकलता है परोपकार ही वह मूल मंत्र है। जो व्यक्ति को उन्नति के शिखर पर पहुंचा सकता है तथा राष्ट्र समाज का उत्थान कर सकता है। परोपकार से बढ़ के कुछ नहीं है और हमे दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए की वे बढ़-चढ़ कर दूसरों की मदद करें। आप चाहें तो अनाथ आश्रम जा के वहां के बच्चों को शिक्षा दे सकते हैं या अपनी तनख्वा का कुछ हिस्सा गरीबों में बाँट सकते हैं।

परोपकार पर निबंध 4 (400 शब्द)

भूमिका :  मानव जीवन में परोपकार का बहुत महत्व होता है। समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं होता है। ईश्वर ने प्रकृति की रचना इस तरह से की है कि आज तक परोपकार उसके मूल में ही काम कर रहा है। परोपकार प्रकृति के कण-कण में समाया हुआ है।

जिस तरह से वृक्ष कभी भी अपना फल नहीं खाता है, नदी अपना पानी नहीं पीती है, सूर्य हमें रोशनी देकर चला जाता है। इसी तरह से प्रकृति अपना सर्वस्व हमको दे देती है। वह हमें इतना कुछ देती है लेकिन बदले में हमसे कुछ भी नहीं लेती है। किसी भी व्यक्ति की पहचान परोपकार से की जाती है।

परोपकार का वास्तविक स्वरूप :  आज के समय में मानव अपने भौतिक सुखों की ओर अग्रसर होता जा रहा है। इन भौतिक सुखों के आकर्षण ने मनुष्य को बुराई-भलाई की समझ से बहुत दूर कर दिया है। अब मनुष्य अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए काम करता है। आज के समय का मनुष्य कम खर्च करने और अधिक मिलने की इच्छा रखता है।

आज के समय में मनुष्य जीवन के हर क्षेत्र को व्यवसाय की नजर से देखता है। जिससे खुद का भला हो वो काम किया जाता है उससे चाहे दूसरों को कितना भी नुकसान क्यों न हो। पहले लोग धोखे और बेईमानी से पैसा कमाते हैं और यश कमाने के लिए उसमें से थोडा सा धन तीरथ स्थलों पर जाकर दान दे देते हैं। यह परोपकार नहीं होता है।

मानवता का उद्देश्य :  मानवता का उद्देश्य यह होना चाहिए कि वह अपने साथ-साथ दूसरों के कल्याण के बारे में भी सोचे। मनुष्य का कर्तव्य होना चाहिए कि खुद संभल जाये और दूसरों को भी संभाले। जो व्यक्ति दूसरों के दुखों को देखकर दुखी नहीं होता है वह मनुष्य नहीं होता है वह एक पशु के समान होता है।

जो गरीबों और असहाय के दुखों को और उनकी आँखों से आंसुओं को बहता देखकर जो खुद न रो दिया हो वह मनुष्य नहीं होता है। अगर तुम्हारे पास धन है तो उसे गरीबों का कल्याण करो।

उपसंहार : परोपकारी मानव किसी बदले की भावना अथवा प्राप्ति की आकांक्षा से किसी के हित में रत नहीं होता। वह इंसानियत के नाते दूसरों की भलाई करता है। “सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया “ के पीछे भी परोपकार की भावना ही प्रतिफल है।

परोपकार सहानुभूति का पर्याय है। यह सज्जनों की विभूति होती है, परोपकार मानव समाज का आधार होता है। परोपकार के बिना सामाजिक जीवन गति नहीं कर सकता। हर व्यक्ति का धर्म होना चाहिए कि वह एक परोपकारी बने। दूसरों के प्रति अपने कर्तव्य को निभाएं और कभी-भी दूसरों के प्रति हीन भावना ना रखे।

परोपकार पर निबंध 5 (500 शब्द)

भूमिका :  समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं होता, यह ऐसा काम है जिसके द्वारा शत्रु भी मित्र बन जाता है। यदि शत्रु पर विपत्ति के समय उपकार किया जाए ,तो वह सच्चा मित्र बन जाता है। विज्ञान ने आज इतनी उन्नति कर ली है कि मरने के बाद भी हमारी नेत्र ज्योति और अन्य कई अंग किसी अन्य व्यक्ति के जीवन को बचाने का काम कर सकते है।

इनका जीवन रहते ही दान कर देना महान उपकार है। परोपकार के द्वारा ईश्वर की समीपता प्राप्त होती है। मानव जीवन में इसका बहुत महत्व होता है। ईश्वर ने प्रकृति की रचना इस तरह से की है कि आज तक परोपकार उसके मूल में ही काम कर रहा है। परोपकार प्रकृति के कण-कण में समाया हुआ है।

परोपकार में जीवन का महत्व : परोपकारी व्यक्ति संसार के लिए पूज्य बन जाता है समाज तथा देश की उन्नति के लिए परोपकारी सबसे बड़ा साधन है आज के वैज्ञानिक युग मैं विश्वकर्मा परोपकार की भावना कम होती जा रही है। भारतीय संस्कृति में परोपकार को सर्वोपरि माना गया है परहित को एक मानव कर्तव्य मंगाया भारतीय संस्कृति में तो कहा गया है।

परोपकार के विभिन्न प्रकार : परोपकार की भावना अनेक रूपों में प्रकट होती हैं. धर्मशालाएं, धर्मार्थ, औषधालय, जलाशयों, पाठशालाओं आदि का निर्माण तथा भोजन, वस्त्र आदि का दान देना –परोपकार के ही विभिन्न रूप हैं. इनके पीछे सर्वजन हित एवं प्राणिमात्र के प्रति प्रेम की भावना निहित हैं।

परोपकारी का जीवन आदर्श माना जाता है. उनका यह सदैव बना रहता है। मानव स्वभाव से यश की कामना करता है। परोपकार द्वारा उसे समाज में सम्मान तथा यश मिलता है। महर्षि दधीचि, महाराज शिवि, राजा रंतिदेव जैसे पौराणिक चरित्र आज भी याद किए जाते हैं।

परोपकार से लाभ : रोपकार से मानव का व्यक्तित्व विकास होता है. वह परोपकार की भावना के कारण स्व के स्थान पर अन्य (पर) के लिए सोचता है. इसमें आत्मा का विस्तार होता है. भाईचारे की भावना बढ़ती है. विश्व बंधुत्व की भावना का विकास होता है. परोपकार से अलौकिक आनंद मिलता है. किसी को संकट से निकाले, भूखे को भोजन दें तो इसमें सर्वाधिक सुख जी अनुभूति होती हैं. परोपकार को बड़ा पुण्य और परपीडन को पाप माना गया हैं।

परोपकार पर निबंध 6 (700 शब्द)

परिभाषा : परोपकार शब्द ‘पर+उपकार’ इन दो शब्दों के योग से बना है, जिसका अर्थ है नि:स्वार्थ भाव से दूसरों की सहायता करना. अपनी शरण में आए मित्र, शत्रु, कीट-पतंग, देशी-परदेशी, बालक-वृद्ध सभी के दु:खों का निवारण निष्काम भाव से करना परोपकार कहलाता है

प्रकृति और परोपकार :  ईश्वर हमें प्रकृति द्वारा जीवन विकास के कई गुण सीखना चाहते है इसलिए उन्होंने प्रकृति के कण कण में परोपकार का महत्व समझाया है। प्रकृति के सभी घटक का उनके द्वारा किया गया कर्म सदैव दूसरों के लिए होता है। जैसे कि वृक्ष के ऊपर फल तो होते है लेकिन वो हमेशा दूसरों के लिए ही है । नदियां मनुष्य, पशु पक्षी, और पेड़ पौधों को जीवन देने के लिए निरंतर बहती रहती है। सूर्य हमारे जीवन का एकमात्र स्त्रोत है लेकिन वो हमेशा दूसरों को ऊर्जा देने के लिए खुद जलता है। रात में चन्द्रमा शीतलता प्रदान करने के लिए ही उदित होता है।

परोपकार क्यों करना चाहिए :   अगर आपके पास कोई चीज है तो आपको स्वयं को भाग्यशाली समझना चाहिए कि आपके पास वह चीज है। जिसकी आवश्यकता किसी और को भी है और उसे आपसे वह चीज मांगनी पड़ रही है। जिंदगी यदि परोपकार के लिए जाएगी तो आपको कोई भी कमी नहीं रहेगी।

आपकी जो-जो इच्छाएँ हैं, वे सभी पूरी होगी और सिर्फ खुद के लिए जिये तो एक भी इच्छा पूरी नहीं होगी। क्योंकि वह रीति आपको नींद ही नहीं आने देगी।

परोपकार से मन की शांति और आनंद : परोपकार करने से मन और आत्मा को बहुत शांति मिलती है। परोपकार से भाईचारे की भावना और विश्व-बंधुत्व की भावना भी बढती है। मनुष्य को जो सुख का अनुभव गरबों की मदद करने में होता है, वह किसी और काम को करने से नहीं होता है।

जो व्यक्ति दूसरों के सुख के लिए जीते हैं, उनका जीवन प्रसन्नता और सुख से भर जाता है। समाज में परोपकार करने वाले व्यक्ति की ही पहचान होती है। निश्वार्थ भाव से दूसरों के हित के लिए तत्पर रहने वालों का यश दूर-दूर तक फैलता है। पीडि़त को संकट से उबारना नेक कार्य है।

परोपकार के उदाहरण : इतिहास तथा पुराणों के अनुसार महान व्यक्तियों ने परोपकार के लिए अपने शरीर का त्याग कर दिया। वृत्तासुर वध के लिए महर्षि दधीचि ने इंद्र को प्राणायाम द्वारा अपना शरीर अर्पित कर दिया था। इसी प्रकार महाराज शिवि ने एक कबूतर के लिए अपने शरीर का मांस भी दे दिया था।

ऐसे महापुरुष धन्य हैं जिन्होंने परोपकार के लिए अपने प्राण त्याग दिए. संसार में अनेकानेक महान कार्य परोपकार की भावना से ही हुए है। आजादी प्राप्त करने के लिए भारत माता के अनेक सपूतों ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया।

महान संतो ने लोक कल्याण के लियें अपना जीवन अर्पित कर दिया था। उनके ह्रदय में लोक कल्याण की भावना थी। इसी प्रकार वैज्ञानिको ने भी अपने आविष्कारों से जन-जन का कल्याण किया।

उपसंहार : मनुष्य जीवन ईश्वर का आशीर्वाद है। इसलिए हमें अपनी शक्ति और सामर्थ्य का उपयोग लोगों की सेवा और उनके दुःख दर्द को मिटाने के लिए करना चाहिए। हमें हमारे मित्रों, परिचितों और अपरिचितों के लिए हमेशा परोपकारी की भावना दिखानी चाहिए। अपने सुनहरे और समृद्ध भविष्य के लिए अपने बच्चों को बचपन से ही परोपकार के पाठ सिखाने चाहिए। परोपकार के लिए किये गए कार्य के आनंद की तुलना किसी भी भौतिक सुख से नही की जाती।

जीवन की सार्थकता उसी में है की हम अपना जीवन लोगों की भलाई के लिए अर्पण करें। परोपकार हमें महापुरुषों की श्रेणी में लाकर खड़ा करता है।

परोपकार पर निबंध 7 (1000+ शब्द)

भूमिका : मानव जीवन में परोपकार का बहुत महत्व होता है। समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं होता है। ईश्वर ने प्रकृति की रचना इस तरह से की है कि आज तक परोपकार उसके मूल में ही काम कर रहा है। परोपकार प्रकृति के कण-कण में समाया हुआ है। जिस तरह से वृक्ष कभी भी अपना फल नहीं खाता है, नदी अपना पानी नहीं पीती है, सूर्य हमें रोशनी देकर चला जाता है।

इसी तरह से प्रकृति अपना सर्वस्व हमको दे देती है। वह हमें इतना कुछ देती है लेकिन बदले में हमसे कुछ भी नहीं लेती है। किसी भी व्यक्ति की पहचान परोपकार से की जाती है। जो व्यक्ति परोपकार के लिए अपना सब कुछ त्याग देता है वह अच्छा व्यक्ति होता है। जिस समाज में दूसरों की सहायता करने की भावना जितनी अधिक होगी वह समाज उतना ही सुखी और समृद्ध होगा। परोपकार की भावना मनुष्य का एक स्वाभाविक गुण होता है।

परोपकार का अर्थ : परोपकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है : पर+उपकार। परोपकार का अर्थ होता है दूसरों का अच्छा करना या दूसरों की सहयता करना। जब मनुष्य खुद की या ‘स्व’ की संकुचित सीमा से निकलकर दूसरों की या ‘पर’ के लिए अपने सर्वस्व का बलिदान दे देता है उसे ही परोपकार कहा जाता है। परोपकार की भावना ही मनुष्यों को पशुओं से अलग करती है नहीं तो भोजन और नींद तो पशुओं में भी मनुष्य की तरह पाए जाते हैं।

दूसरों का हित्त चाहते हुए तो ऋषि दधिची ने अपनी अस्थियाँ भी दान में दे दी थीं। एक कबूतर के लिए महाराज शिवी ने अपने हाथ तक का बलिदान दे दिया था। गुरु गोबिंद सिंह जी धर्म की रक्षा करने के लिए खुद और बच्चों के साथ बलिदान हो गये थे। ऐसे अनेक महान पुरुष हैं जिन्होंने लोक-कल्याण के लिए अपने जीवन का बलिदान दे दिया था।

मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ धर्म : मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ धर्म परोपकार होता है। मनुष्य के पास विकसित दिमाग के साथ-साथ संवेदनशील ह्रदय भी होता है। मनुष्य दूसरों के दुःख को देखकर दुखी हो जाता है और उसके प्रति सहानुभूति पैदा हो जाती है। वह दूसरों के दुखों को दूर करने की कोशिश करता है तब वह परोपकारी कहलाता है।

परोपकार का संबंध सीधा दया, करुणा और संवेदना से होता है। हर परोपकारी व्यक्ति करुणा से पिघलने की वजह से हर दुखी व्यक्ति की मदद करता है। परोपकार के जैसा न ही तो कोई धर्म है और न ही कोई पुण्य। जो व्यक्ति दूसरों को सुख देकर खुद दुखों को सहता है वास्तव में वही मनुष्य होता है। परोपकार को समाज में अधिक महत्व इसलिए दिया जाता है क्योंकि इससे मनुष्य की पहचान होती है।

मानव का कर्मक्षेत्र : परोपकार और दूसरों के लिए सहानुभूति से ही समाज की स्थापना हुई है। परोपकार और दूसरों के लिए सहानुभूति से समाज के नैतिक आदर्शों की प्रतिष्ठा होती है। जहाँ पर दूसरों के लिए किये गये काम से अपना स्वार्थ पूर्ण होता है वहीं पर समाज में भी प्रधानता मिलती है।

मरने वाले मनुष्य के लिए यही समाज उसका कर्मक्षेत्र होता है। इसी समाज में रहकर मनुष्य अपने कर्म से आने वाले अगले जीवन की पृष्ठ भूमि को तैयार करता है। संसार में 84 लाख योनियाँ होती है। मनुष्य अपने कर्म के अनुसार ही इनमे से किसी एक योनी को अपने अगले जन्म के लिए इसी समाज में स्थापित करता है। भारतीय धर्म साधना में जो अमरत्व का सिद्धांत होता है उसे अपने कर्मों से प्रमाणित करता है।

लाखों-करोड़ों लोगों के मरणोपरांत सिर्फ वही मनुष्य समाज में अपने नाम को स्थायी बना पाता है जो इस जीवन काल को दूसरों के लिए अर्पित कर चुका होता है। इससे अपना भी भला होता है। जो व्यक्ति दूसरों की सहायता करते हैं वक्त आने पर वे लोग उनका साथ देते हैं। जब आप दूसरों के लिए कोई कार्य करते हैं तो आपका चरित्र महान बन जाता है।

परोपकार से अलौकिक आनंद और सुख का आधार : परोपकार में स्वार्थ की भावना के लिए कोई स्थान नहीं होता है। परोपकार करने से मन और आत्मा को बहुत शांति मिलती है। परोपकार से भाईचारे की भावना और विश्व-बंधुत्व की भावना भी बढती है।

मनुष्य को जो सुख का अनुभव नंगों को कपड़ा देने में, भूखे को रोटी देने में, किसी व्यक्ति के दुःख को दूर करने में और बेसहारा को सहारा देने में होता है वह किसी और काम को करने से नहीं होता है। परोपकार से किसी भी प्राणी को आलौकिक आनंद मिलता है। जो सेवा बिना स्वार्थ के की जाती है वह लोकप्रियता प्रदान करती है। जो व्यक्ति दूसरों के सुख के लिए जीते हैं उनका जीवन प्रसन्नता और सुख से भर जाता है।

परोपकार का वास्तविक स्वरूप : आज के समय में मानव अपने भौतिक सुखों की ओर अग्रसर होता जा रहा है। इन भौतिक सुखों के आकर्षण ने मनुष्य को बुराई-भलाई की समझ से बहुत दूर कर दिया है। अब मनुष्य अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए काम करता है। आज के समय का मनुष्य कम खर्च करने और अधिक मिलने की इच्छा रखता है।

ईसा मसीह जी ने कहा था कि जो दान दाएँ हाथ से किया जाये उसका पता बाएँ हाथ को नहीं चलना चाहिए वह परोपकार होता है। प्राचीनकाल में लोग गुप्त रूप से दान दिया करते थे। वे अपने खून-पसीने से कमाई हुई दौलत में से दान किया करते थे उसे ही वास्विक परोपकार कहते हैं।

पूरे राष्ट्र और देश के स्वार्थी बन जाने की वजह से जंग का खतरा बना रहता है। आज के समय में चारों तरफ स्वार्थ का साम्राज्य स्थापित हो चुका है। प्रकृति हमे निस्वार्थ रहने का संदेश देती है लेकिन मनुष्य ने प्रकृति से भी कुछ नहीं सीखा है। हजारों-लाखों लोगों में से सिर्फ कुछ लोग ही ऐसे होते हैं जो दूसरों के बारे में सोचते हैं।

परोपकार जीवन का आदर्श : जो व्यक्ति परोपकारी होता है उसका जीवन आदर्श माना जाता है। उसे कभी भी आत्मग्लानी नहीं होती है उसका मन हमेशा शांत रहता है। उसे समाज में हमेशा यश और सम्मान मिलता है। हमारे बहुत से ऐसे महान पुरुष थे जिन्हें परोपकार की वजह से समज से यश और सम्मान प्राप्त हुआ था।

ये सब लोक-कल्याण की वजह से पूजा करने योग्य बन गये हैं। दूसरों का हित चाहने के लिए गाँधी जी ने गोली खायी थी, सुकृत ने जहर पिया था और ईसा मसीह सूली पर चढ़े थे। किसी भी देश या राष्ट्र की उन्नति के लिए परोपकार सबसे बड़ा साधन माना जाता है। जो दूसरों के लिए आत्म बलिदान देता है तो वह समाज में अमर हो जाता है। जो व्यक्ति अपने इस जीवन में दूसरे लोगों के जीवन को जीने योग्य बनाता है उसकी उम्र लंबी होती है।

वैसे तो पक्षी भी जी लेते हैं और किसी-न-किसी तरह से अपना पेट भर लेते हैं। लोग उसे ही चाहते हैं जिसके दिल के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले रहते हैं। समाज में किसी भी परोपकारी का किसी अमीर व्यक्ति से ज्यादा समान किया जाता है। दूसरों के दुखों को सहना एक तप होता है जिसमें तप कर कोई व्यक्ति सोने की तरह खरा हो जाता है। प्रेम और परोपकार व्यक्ति के लिए एक सिक्के के दो पहलु होते हैं।

मानवता का उद्देश्य : मानवता का उद्देश्य यह होना चाहिए कि वह अपने साथ-साथ दूसरों के कल्याण के बारे में भी सोचे। मनुष्य का कर्तव्य होना चाहिए कि खुद संभल जाये और दूसरों को भी संभाले। जो व्यक्ति दूसरों के दुखों को देखकर दुखी नहीं होता है वह मनुष्य नहीं होता है वह एक पशु के समान होता है।

जो गरीबों और असहाय के दुखों को और उनकी आँखों से आंसुओं को बहता देखकर जो खुद न रो दिया हो वह मनुष्य नहीं होता है। जो भूखों को अपने पेट पर हाथ फेरता देखकर अपना भोजन उनको न दे दे वह मनुष्य नहीं होता है। अगर तुम्हारे पास धन है तो उसे गरीबों का कल्याण करो।

अगर तुम्हारे पास शक्ति है तो उससे कमजोरो का अवलंबन दो। अगर तुम्हारे पास शिक्षा है तो उसे अशिक्षितों में बांटो। ऐसा करने से ही तुम एक मनुष्य कहलाने का अधिकार पा सकते हो। तुम्हारा कर्तव्य सिर्फ यही नहीं होता है कि खाओ पियो और आराम करो। हमारे जीवन में त्याग और भावना बलिदान करने की भी भावना होनी चाहिए।

मानव जीवन की उपयोगिता : मानव जीवन में लोक सेवा, सहानुभूति, दयालुता प्राय: रोग, महामारी सभी में संभव हो सकती है। दयालुता से छोटे-छोटे कार्यों, मृदुता का व्यवहार, दूसरों की भावनाओं को ठेस न पहुँचाना, दूसरों की दुर्बलता के लिए आदर होना, नीच जाति के लोगों से नफरत न करना ये सभी सहानुभूति के चिन्ह होते हैं।

मानव की केवल कल्याण भावना ही भारतीय संस्कृति की पृष्ठभूमि में निहित होती है। यहाँ पर जो भी कार्य किये जाते थे वे बहुजनहिताय और सुखाय की नजरों के अंतर्गत किये जाते थे। इसी संस्कृति को भारत वर्ष की आदर्श संस्कृति माना जाता है।

इस संस्कृति की भावना ‘वसुधैव कटुम्बकम्’ के पवित्र उद्देश्य पर आधारित थी। मनुष्य अपने आप को दूसरों की परिस्थिति के अनुकूल ढाल लेता है। जहाँ पर एक साधारण व्यक्ति अपना पूरा जीवन अपना पेट भरने में लगा देता है वहीं पर एक परोपकारी व्यक्ति दूसरों की दुखों से रक्षा करने में अपना जीवन बिता देता है।

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essay in hindi gun

Hindi Ka Mahatva Par Nibandh Hindi Essay

हिंदी का महत्व (importance of hindi ) par nibandh hindi mein.

जहां अंग्रेजी अधिकांश देशों में व्यापक रूप से बोली जाती है और इसे दुनिया की शीर्ष दस सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक माना जाता है, वहीं दूसरी ओर हिंदी इस सूची में तीसरे स्थान पर है।

देश के कई राज्यों में हिंदी अभी भी कई लोगों के लिए मातृभाषा है और ज्ञान प्रदान करने के माध्यम के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली अंग्रेजी एक बड़ी बाधा बनी हुई है। यह भी कहा गया है कि संख्यात्मकता और साक्षरता में मजबूत आधार कौशल सुनिश्चित करने के लिए, पाठ्यक्रम उस भाषा में प्रदान किया जाना चाहिए जिसे बच्चा समझता है।

हिंदी के महत्व के निबंध में हम आज हिंदी का महत्व, हिंदी के विकास के प्रभाव और भारत की आजादी के बाद संविधान सभा में हिंदी को लेकर हुए बवाल, समाधान और प्रमुख अनुच्छेदों की बात करेंगे, जो हिंदी की जरूरत और महत्व का वर्णन करते हैं।

हिंदी और भारतीय संविधान

भारतीय संविधान के प्रमुख भाषा संबंधी अनुच्छेद, अन्य प्रमुख अनुच्छेद, हिंदी भाषा पर ही क्यों हो रही है बहस, हिंदी का महत्व.

जैसे अंग्रेजी दुनिया को एक सूत्र में बांधती है, वैसे ही हमारे देश में हिंदी एक पुल है जो लोगों को जोड़ती है। मतलब जब दुनिया की सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हिंदी भाषा के महत्व और शक्ति को समझ सकती हैं, तो हम भारतीय इसकी सुंदरता और प्रासंगिकता को क्यों नहीं समझ सकते?

हमें यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि भारत में केवल 10% लोग ही अंग्रेजी बोलते हैं। हालाँकि, 2011 की भाषाई जनगणना के अनुसार, हिंदी कुल जनसंख्या के लगभग 44% की मातृभाषा है। इतने स्पष्ट आँकड़ों के बावजूद, भारत भर के स्कूल इंग्लिश मीडियम होने की होड़ में लगे हुए हैं।

नई शिक्षा नीति छात्रों को उनकी क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने का भी समर्थन करती है। नीति के अंशों में उल्लेख किया गया है कि छोटे बच्चे अपनी घरेलू भाषा/मातृभाषा में अवधारणाओं को अधिक तेज़ी से सीखते और समझते हैं। नीति में आगे कहा गया है कि जहां भी संभव हो, कम से कम ग्रेड 5 तक, लेकिन अधिमानतः ग्रेड 8 और उससे आगे तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा ही होगी।

बी.एन. राव ने कहा कि “भारत के नए संविधान के निर्माण में सबसे कठिन समस्याओं में से एक, भाषाई प्रांतों की मांग और समान प्रकृति की अन्य मांगों को पूरा करना होगा”। इस मुद्दे ने संविधान सभा को उसके तीन साल के जीवनकाल तक परेशान और परेशान किया।

संविधान सभा ने ऐसा नहीं किया, लेकिन इस मुद्दे को हल करने के लिए कड़ी मेहनत की क्योंकि भाषाई-सह-सांस्कृतिक आधार पर प्रांतों के पुनर्गठन के लिए मजबूत दबाव और मांग थी, जिससे संविधान की सामग्री प्रभावित हो रही थी।

जनवरी 1950 में संविधान के उद्घाटन के साथ, विधानसभा को इस मुद्दे से राहत मिली क्योंकि उन्होंने संविधान निर्माण के दौरान भाषाई प्रांतों के गठन को शामिल करने से इनकार कर दिया था।

भारत का संविधान राष्ट्रभाषा के मुद्दे पर मौन है। इस प्रकार, हिंदी भारत की क्षेत्रीय भाषाओं में से एक है, न कि हमारी राष्ट्रीय भाषा।

संविधान को 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया था और इसमें कहा गया था कि अनुच्छेद 343 के अनुसार देवनागरी लिपि में हिंदी और अंग्रेजी को पंद्रह साल की अवधि के लिए संघ की आधिकारिक भाषाओं के रूप में नामित किया गया था। नतीजतन, दक्षिणी राज्यों से इसका कड़ा विरोध हुआ, जहां द्रविड़ भाषा बोली जाती थी।

कानून में अंग्रेजी का उपयोग जारी रखने को प्राथमिकता दी गई, जो अधिक स्वीकार्य थी। हिन्दी के विपरीत इसका संबंध किसी विशेष समूह से नहीं था। इसके अलावा, राष्ट्रभाषा के मुद्दे पर संविधान मौन है। यह संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत उल्लिखित किसी भी धार्मिक भाषा को चुनने की स्वतंत्रता प्रदान करता है, जिसमें हिंदी सहित 22 क्षेत्रीय भाषाएं शामिल हैं। बंगाली, गुजराती, मराठी, उड़िया या कन्नड़ की तरह, हिंदी भी देश के विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित है।

अनुच्छेद 343 को पढ़ते समय भ्रम और झूठ की गुंजाइश पैदा होने लगती है और यह स्पष्ट कथन न होने के कारण भी कि भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है।

भ्रम को और बढ़ाते हुए, अनुच्छेद 351, जो हिंदी भाषा के विकास के लिए एक निर्देशात्मक आदेश है, कहता है कि सरकार को भारत की समग्र संस्कृति को व्यक्त करने के माध्यम के रूप में काम करने के लिए हिंदी के प्रसार को बढ़ावा देना होगा।

संविधान राज्यों को एक या अधिक भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश राज्य ने उत्तर प्रदेश राजभाषा (अनुपूरक प्रावधान) अधिनियम, 1969 के तहत हिंदी को अपनी आधिकारिक भाषा के रूप में नामित किया है।

अनुच्छेद 120 (संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा): अनुच्छेद 120 के अनुसार, संसद में कामकाज हिंदी या अंग्रेजी में किया जाएगा। हालाँकि, यदि कोई सदस्य किसी भी आधिकारिक भाषा में पर्याप्त रूप से पारंगत नहीं है तो वह अपनी मातृभाषा में खुद को अभिव्यक्त कर सकता है।

अनुच्छेद 344 (राजभाषा आयोग एवं संसद समिति): अनुच्छेद 344 में एक समिति की स्थापना का प्रावधान है और समिति का कर्तव्य होगा कि वह आयोगों की सिफारिशों की जांच करे और हिंदी भाषा के प्रगतिशील उपयोग पर राष्ट्रपति को रिपोर्ट करे। इसलिए, संविधान के प्रावधान हिंदी भाषा के उपयोग की दिशा में प्रगति पर प्रकाश डालते हैं।

अनुच्छेद 345 (किसी राज्य की आधिकारिक भाषा या भाषाएँ): अनुच्छेद 345 किसी राज्य की विधायिका को संबंधित राज्य में किसी एक या अधिक भाषाओं को अपनाने या सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए हिंदी का उपयोग करने का प्रावधान करता है, जब तक कि राज्य की विधायिका आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी भाषा का उपयोग करने का प्रावधान नहीं करती।

अनुच्छेद 346 (एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या एक राज्य और संघ के बीच संचार के लिए आधिकारिक भाषा): अनुच्छेद 346 संघ में एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या एक राज्य और संघ के बीच आधिकारिक प्रयोजन या संचार के लिए उपयोग की जाने वाली आधिकारिक भाषा प्रदान करता है। इसके अलावा, यदि दो या दो से अधिक राज्य इस बात पर सहमत हैं कि आधिकारिक उद्देश्यों या संचार के लिए हिंदी भाषा आधिकारिक भाषा होनी चाहिए।

अनुच्छेद 347 (किसी राज्य की जनसंख्या के एक वर्ग द्वारा बोली जाने वाली भाषा से संबंधित विशेष प्रावधान): अनुच्छेद 347 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हैं कि राज्य की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा उनके द्वारा बोली जाने वाली भाषा को राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त भाषा के रूप में चाहता है, तो वह ऐसी भाषा को राज्य में मान्यता प्राप्त भाषा बनाने का निर्देश दे सकते हैं।

अनुच्छेद 348 (सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयुक्त भाषा): अनुच्छेद 348 में कहा गया है कि जब तक संसद द्वारा अन्यथा प्रदान नहीं किया जाता है, सर्वोच्च न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाही, आधिकारिक पाठ, संसद में पेश किए गए बिल, संसद द्वारा पारित अधिनियम या सभी आदेश, नियम और विनियम अंग्रेजी में होने चाहिए।

भारत एक विविधतापूर्ण देश है जिसमें अलग-अलग पृष्ठभूमि, धर्म, समुदाय, समूह, खान-पान, संस्कृति आदि के लोग शामिल हैं।

एक लोकप्रिय नारा है जिसमें कहा गया है कि भारत में हर कुछ किलोमीटर पर पानी की तरह भाषा बदल जाती है।

जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में हिंदी 44 प्रतिशत से भी कम भारतीयों की भाषा है और लगभग 25 प्रतिशत लोगों की मातृभाषा है। इसलिए, भारत के लिए एक राष्ट्रीय भाषा का चुनाव कठिन है और अक्सर हिंसा और गरमागरम बहस देखी जाती है।

भारत जैसे बहुभाषी देश में सत्तासीन सरकार ने अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कई बार घोषणा की है कि ‘हिंदी’ भारत की राष्ट्रीय भाषा है।

उदाहरण के लिए, 2017 में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने एक सार्वजनिक संबोधन में कहा था कि हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा है। उसी वर्ष, सत्तासीन सरकार ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की भाषा के रूप में हिंदी में संशोधन करने का प्रयास किया।

ताजा बहस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय शैक्षिक नीति, 2020 से सामने आई है। नीति में सरकार ने गैर-हिंदी भाषी राज्यों में अंग्रेजी और संबंधित क्षेत्रीय भाषा के साथ हिंदी पढ़ाना अनिवार्य करने की सिफारिश की थी। हालाँकि, बाद में सरकार ने नीति को संशोधित किया और इसे गैर-अनिवार्य घोषित कर दिया।

हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है

14 सितंबर 1949 को हिंदी भारतीय संघ की पहली मान्यता प्राप्त आधिकारिक भाषा थी। इसके बाद 1950 में, भारत के संविधान ने देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित किया। हिंदी के अलावा अंग्रेजी को भी भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई।

हिंदी भाषा का निम्न महत्व है;

हिंदी उर्दू के शब्दों में समानता है

हिंदी का उर्दू, एक अन्य इंडो-आर्यन भाषा से गहरा संबंध है। इसलिए, यदि आप हिंदी भाषा सीख रहे हैं तो इसे उर्दू सीखने में भी आसानी से लागू किया जा सकता है।

दोनों भाषाओं की उत्पत्ति एक समान है और ये परस्पर सुगम हैं। हालाँकि, हिंदी का अपना व्याकरण और वाक्यविन्यास है, लेकिन हिंदी वर्णमाला सीखने से अंततः आपको उर्दू शब्दों का उच्चारण करने में मदद मिलेगी क्योंकि दोनों की शब्दावली समान है।

व्यवसाय में उपयोगी

भारत की आधिकारिक भाषा होने के अलावा, हिंदी का उपयोग भारत के बाहर रहने वाले लोगों द्वारा दूसरी भाषा के रूप में भी किया जाता है। यह इसे अंतर्राष्ट्रीय संचार के लिए एक बहुत उपयोगी भाषा बनाता है। हिंदी बोलने वालों की इतनी बड़ी आबादी होने के कारण, यह भाषा दुनिया भर के स्कूलों में भी आमतौर पर पढ़ाई जाती है।

जो कोई भी विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करना चाहता है उसे भारत में अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए कुछ प्रयास करने की आवश्यकता होगी। भारत वर्तमान में अमेरिका, चीन और जापान के बाद (जीडीपी के हिसाब से) दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अनुमान है कि 2025 तक भारत जापान से आगे निकल जाएगा। भारत की विकास और नवाचार की विशाल क्षमता ने हिंदी को वैश्विक भाषा के रूप में महत्व दिया है।

पर्यटन के अलावा, भारत विज्ञान, वाणिज्य, व्यवसाय और अन्य सूचना प्रणाली/डिजिटल मीडिया जैसे हर पहलू में बढ़ रहा है।

हालाँकि देश के अंदर अभी भी कुछ सामाजिक समस्याएँ हैं। भारत की वृद्धि अजेय प्रतीत होती है और धीमी होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। दक्षिण एशिया क्षेत्र में परिचालन और बिक्री विस्तार पर नजर रखने वाली कंपनियां ज्यादातर ऐसे लोगों को भर्ती कर रही हैं जो भारतीय संस्कृति से परिचित हैं और जो स्पष्ट और धाराप्रवाह हिंदी बोल और लिख सकते हैं।

जो लोग धाराप्रवाह हिंदी बोल और लिख सकते हैं, उन्हें दक्षिण एशिया की कंपनियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों में भी सक्रिय रूप से भर्ती किया जाता है। यदि आप हिंदी बोलने और लिखने में सक्षम होंगे तो यह वास्तव में आपके लिए फायदेमंद होगा।

चाहे आप भारत में प्रवास करने की योजना बनाएं या नहीं, अंत में, आप निश्चित रूप से हिंदी भाषा के महत्व को सीखने के अपने निर्णय को बहुत फायदेमंद पाएंगे।

भारतीय संस्कृति की समझ को व्यापक बनाता है

दुनिया भर में हिंदी बोलने वालों की संख्या 1 अरब से अधिक है। इसे “भारत की मातृभाषा” कहा गया है क्योंकि अंग्रेजी के व्यापक प्रसार से पहले यह बहुसंख्यक भारतीयों की पहली भाषा थी। हिंदी उत्तर प्रदेश राज्य की भी प्राथमिक भाषा है, जहां भारत की लगभग आधी आबादी रहती है। हिंदी बोलना सीखना आपको देश के लोगों और उनकी संस्कृति को बेहतर ढंग से जोड़ने और समझने में मदद कर सकता है।

हिंदी सीखने से अन्य भाषाएँ सीखने में मदद मिलती है

किसी भाषा को सीखने का सबसे अच्छा लाभ यह है कि यह आपको अन्य भाषाएँ सीखने में मदद करती है। यदि आप हिंदी भाषा सीखने का प्रयास कर रहे हैं, तो स्पेनिश, फ्रेंच या जर्मन जैसी अन्य भाषाएँ अपनी मूल भाषा या उन भाषाओं से आसानी से सीखी जा सकती हैं जो आपने पहले सीखी हैं।

दूसरी भाषा सीखने से न केवल आपको अंग्रेजी में अधिक पारंगत होने में मदद मिलेगी। लेकिन अन्य विदेशी भाषाएँ सीखने पर भी आपको लाभ मिलता है।

उदाहरण के लिए, यदि आप स्पैनिश सीखने से पहले हिंदी सीखते हैं, तो आपके लिए स्पैनिश में शब्द और वाक्यांश सीखना आसान हो जाएगा क्योंकि वे परिचित लगेंगे। इसी तरह, कुछ बुनियादी अरबी शब्द सीखने से फ़ारसी सीखना बहुत आसान हो सकता है और इसके विपरीत भी।

हिन्दी भाषा भारतीय संस्कृति एवं अस्मिता का एक अनिवार्य अंग है। हिंदी भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, और यह भारतीय जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे सरकार, व्यवसाय, शिक्षा और मनोरंजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

दूसरी भाषा के रूप में हिंदी सीखना उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो भारत में काम करने की योजना बना रहे हैं।

हालाँकि, हिंदी भाषा को बढ़ावा देने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे क्षेत्रीय विविधता और अंग्रेजी का बढ़ता प्रभाव। इन चुनौतियों के बावजूद, हिंदी भाषा के महत्व को कम नहीं किया जा सकता है, और भाषा को बढ़ावा देने और इसके सांस्कृतिक महत्व को संरक्षित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

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शिक्षा पर निबंध (Education Essay in Hindi)

शिक्षा

किसी भी व्यक्ति की प्रथम पाठशाला उसका परिवार होता है, और मां को पहली गुरु कहा गया है। शिक्षा वो अस्त्र है, जिसकी सहायता से बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना कर सकते है। वह शिक्षा ही होती है जिससे हमें सही-गलत का भेद पता चलता है। शिक्षा पर अनेकों निबंध लिखे गयें हैं, आगे भी लिखे जायेंगे। इसकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, एक वक़्त की रोटी ना मिले, चलेगा। किंतु शिक्षा जरुर मिलनी चाहिए। शिक्षा पाना प्रत्येक प्राणी का अधिकार है।

शिक्षा पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Education in Hindi, Shiksha par Nibandh Hindi mein)

शिक्षा पर निबंध – निबंध 1 (250 – 300 शब्द).

शिक्षा शब्द संस्कृत के ‘शिक्ष’ धातु से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, सिखना या सिखाना। शिक्षा एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो हर किसी के जीवन में बहुत उपयोगी है। प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना हर व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है।

शिक्षा की परिभाषाएं

गीता से अनुसार, “सा विद्या विमुक्ते”। अर्थात शिक्षा या विद्या वही है जो हमें बंधनों से मुक्त करे और हमारा हर पहलु पर विस्तार करे।

महात्मा गांधी के अनुसार, “सच्ची शिक्षा वह है जो बच्चों के आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक पहलुओं को उभारती है और प्रेरित करती है। इस तरीके से हम सार के रूप में कह सकते हैं कि उनके मुताबिक़ शिक्षा का अर्थ सर्वांगीण विकास था।”

स्वामी विवेकानन्द के अनुसार, “शिक्षा व्यक्ति में अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।”

शिक्षा का उद्देश्य

शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार प्राप्त करना नहीं है अपितु मानव का सर्वांगीण विकास है। शिक्षा एकमात्र ऐसा धन है जिसे एकबार अर्जित करने पर वह कभी खर्च नहीं होती बल्कि बढ़ती ही रहती है। शिक्षा हमें आदम से मनुष्य बनाती है, यह हमें अन्य जीवों से श्रेष्ठ बनाती है।

शिक्षा मनुष्यों को सशक्त बनाती है और उन्हें जीवन की चुनौतियों का कुशलता से सामना करने के लिए तैयार करती है। शिक्षा को सुलभ बनाने के लिए देश में शैक्षिक जागरूकता फैलाने की जरूरत है। सरकार को नई शिक्षा नीति को जल्द से जल्द  सभी शिक्षण संस्थानों में लागू करने की आवश्यकता है।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Education in Hindi

शिक्षा का अधिकार – निबंध 2 (400 शब्द)

शिक्षा के माध्यम से ही हम अपने सपने पूरे कर सकते हैं। जीवन को नयी दशा और दिशा दे सकते हैं। बिना शिक्षा के हम कुछ भी मुकाम हासिल नहीं कर सकते। आजकल जीविकोपार्जन करना हर किसी की जरुरत है, जिसके लिए आपका शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है। आज की पीढ़ी का बिना पढ़े-लिखे भला नहीं हो सकता।

शिक्षा से ही रोजगार के अवसरों का सृजन होता है। आज वही देश सबसे ताकतवरों की श्रेणी में आता है, जिसके पास ज्ञान की शक्ति है। अब वो दिन गये, जब तलवार और बंदूकों से लड़ाईयां लड़ी जाती थी, अब तो केवल दिमाग से खून-खराबा किए बिना ही बड़ी-बड़ी लड़ाईयां जीत ली जाती हैं।

शिक्षा का अधिकार

वैसे शिक्षा पाना हर किसी का अधिकार है। लेकिन अब इस पर कानून बन गया है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि अब हर किसी को अपने बच्चों को पढ़ाना अनिवार्य है। ‘निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम’ के नाम से यह कानून 2009 में लाया गया। शिक्षा का अधिकार’ हमारे देश के संविधान में वर्णित मूल अधिकारों में से एक है।

46वें संविधान संशोधन, 2002 में मौलिक अधिकार के रुप में चौदह साल तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का नियम है। शिक्षा का अधिकार (आरटीआई एक्ट) संविधान के 21अ में जोड़ा गया है। यह 1 अप्रैल, 2010 से प्रभावी है। आरटीआई एक्ट में निम्न बातें बतायी गयीं हैं।

  • इस विधान के अनुसार अब किसी भी सरकारी विद्यालयों में बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है।
  • शिक्षा का अधिकार कानून विद्यार्थी-शिक्षक-अनुपात (प्रति शिक्षक बच्चों की संख्या), कक्षाओं, लड़कियों और लड़कों के लिए अलग शौचालय, पीने के पानी की सुविधा, स्कूल-कार्य दिवसों की संख्या, शिक्षकों के काम के घंटे से संबंधित मानदंड और मानक देता है।
  • भारत में प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय (प्राथमिक विद्यालय + मध्य विद्यालय) को शिक्षा के अधिकार अधिनियम द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानक बनाए रखने के लिए इन मानदंडों का पालन करना है।
  • जो बच्चे किसी कारणवश उचित समय पर विद्यालय नहीं जा पाते, उन्हें भी उचित कक्षा में प्रवेश देने का नियम है।
  • साथ ही यह प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति भी करता है।

यह संविधान में उल्लेख किए गये मूल्‍यों के हिसाब से पाठ्यक्रम के विकास के लिए प्रावधान करता है। और बच्‍चे के समग्र विकास, बच्‍चे के ज्ञान, सम्भावना और प्रतिभा निखारने तथा बच्‍चे की मित्रवत प्रणाली एवं बच्‍चा केन्द्रित ज्ञान प्रणाली के द्वारा बच्‍चे को डर, चोट और चिंता से मुक्‍त करने को संकल्पबध्द है।

शिक्षा पर आधुनिकीकरण  का प्रभाव – निबंध 3 (500 शब्द)

हमारा देश प्राचीनकाल से ही शिक्षा का केंद्र रहा है। भारत में शिक्षा का समृद्ध और दिलचस्प इतिहास रहा है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन दिनों में, शिक्षा को संतों और विद्वानों द्वारा मौखिक रूप से दिया जाता था और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जानकारी को प्रेषित किया जाता था।

पत्रों के विकास के बाद, यह ताड़ के पत्तों और पेड़ों की छाल का उपयोग करके लेखन का रूप ले लिया। इससे लिखित साहित्य के प्रसार में भी मदद मिली। मंदिरों और सामुदायिक केंद्रों ने स्कूलों की भूमिका बनाई। बाद में, शिक्षा की गुरुकुल प्रणाली अस्तित्व में आई।

शिक्षा पर आधुनिकीकरण  का प्रभाव

शिक्षा समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा ही हमारे ज्ञान का सृजन करती है, इसे छात्रों को हस्तांतरित करती है और नवीन ज्ञान को बढ़ावा देती है। आधुनिकीकरण सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन की एक प्रक्रिया है। यह मूल्यों, मानदंडों, संस्थानों और संरचनाओं को शामिल करने वाली परिवर्तन की श्रृंखला है। समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के अनुसार, शिक्षा व्यक्ति की व्यक्तिगत जरूरतों के हिसाब से नहीं होती है, बल्कि यह उस समाज की जरूरतों से उत्पन्न होती है, जिसमें व्यक्ति सदस्य होता है।

एक स्थिर समाज में, शैक्षिक प्रणाली का मुख्य कार्य सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ियों तक पहुंचाना है। लेकिन एक बदलते समाज में, इसका स्वरुप पीढ़ी-दर-पीढ़ी बदलते रहता हैं और ऐसे समाज में शैक्षणिक व्यवस्था को न केवल सांस्कृतिक विरासत के रुप में लेना चाहिए, बल्कि युवा को उनमें बदलाव के समायोजन के लिए तैयार करने में भी मदद करनी चाहिए। और यही भविष्य में होने वाली संभावनाओं की आधारशिला रखता है।

आधुनिक शैक्षणिक संस्थानों में कुशल लोग तैयार होते हैं, जिनके वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान से देश का औद्योगिक विकास होता है। व्यक्तिवाद और सार्वभौमिकतावादी नैतिकता आदि जैसे अन्य मूल्यों को भी शिक्षा के माध्यम से विकसित किया जा सकता है। इस प्रकार शिक्षा आधुनिकीकरण का एक महत्वपूर्ण अस्त्र हो सकता है। शिक्षा के महत्व को इस तथ्य से महसूस किया जा सकता है कि सभी आधुनिक समाज शिक्षा के सार्वभौमिकरण पर जोर देते हैं और प्राचीन दिनों में, शिक्षा एक विशेष समूह के लिए केंद्रित थी। लेकिन शिक्षा के आधुनिकीकरण के साथ, अब हर किसी के पास अपनी जाति, धर्म, संस्कृति और आर्थिक पृष्ठभूमि के बावजूद शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा है।

आधुनिकीकरण का असर विद्यालयों में भी देखा जा सकता है। आधुनिक दिन के विद्यालय पूरी तरह से तकनीकी रूप से ध्वनि उपकरणों से लैस हैं जो बच्चों को अधिक स्पष्ट तरीके से अपनी विशेषज्ञता विकसित करने में मदद करते हैं। प्रभावी सुविधाएं विकलांग व्यक्तियों के लिए बाधा मुक्त साधन प्रदान करती हैं, स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरों से मुक्त होती हैं, छात्रों और शिक्षकों के लिए पर्याप्त स्थान प्रदान करती हैं, और कक्षा और निर्देशात्मक उपयोग के लिए उपयुक्त तकनीक से लैस होती हैं।

वर्तमान शिक्षण प्रणाली को एक कक्षा प्रणाली की तुलना में कक्षा के स्थानों में अधिक लचीलेपन की जरुरत होती है। उदाहरण के लिए, छोटे समूहों में एक साथ काम करने वाले छात्र, जिले के कुछ नए प्राथमिक विद्यालयों में कक्षाओं के बीच साझा स्थानों का उपयोग कर सकते हैं।

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Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi- आदर्श विद्यार्थी पर निबंध

In this article, we are providing Adarsh Vidyarthi/Ideal Student essay in Hindi.  500 words essay on आदर्श विद्यार्थी ।

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi- आदर्श विद्यार्थी पर निबंध

भूमिका – महात्मा गाँधी कहा करते थे, ‘शिक्षा ही जीवन है।” इसके समक्ष सभी धन फीके हैं। विद्या के बिना मनुष्य कंगाल बन जाता है, क्योंकि विद्या का ही प्रकाश जीवन को आलोकित करता है। विद्याध्ययन का समय बाल्यकाल से आरंभ होकर युवावस्था तक रहता है। यों तो मनुष्य जीवन भर कुछ-न-कुछ सीखता रहता है, किंतु नियमित अध्ययन के लिए यही अवस्था उपयुक्त है।

महत्वपूर्ण अवस्था – मनुष्य की उन्नति के लिए विद्यार्थी जीवन एक महत्वपूर्ण अवस्था है। इस काल में वे जो कुछ सीख पाते हैं, वह जीवन-पर्यत उनकी सहायता करता है। इसके अभाव में मनुष्य का विकास नहीं हो सकता। जिस बालक को यह जीवन बिताने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ वह जीवन के वास्तविक सुख से वंचित रह जाता है।

तपस्या का जीवन – यह वह अवस्था हैं जिसमें अच्छे नागरिक का निर्माण होता हैं । यह वह जीवन हैं जिसमें मनुष्य के मस्तिष्क और आत्मा के विकास का सूत्रपात होता है। यह वह अमूल्य समय है जो मानव जीवन में सभ्यता और संस्कृति का बीजारोपण करता है। इस जीवन की समता मानव जीवन का कोई अन्य भाग नहीं कर सकता।

बहृमचर्य अनिवार्य – बहृमचर्य विकास का मूल है। यही विद्यार्थी को उसके लक्ष्य पर केंद्रित करता है। शरीर, आत्मा और मन में संयम रखकर विद्यार्थियों को उनके लक्ष्य की ओर अग्रसर होने में सहायता करता है। शालीनता, निष्ठा, नियमित कत्र्तव्य भावना तथा परिश्रम की ओर रुचि पैदा करता है और दुव्यसन, पतन तथा आत्म-हनन से रक्षा करता है। सदाचार ही जीवन है।

शारीरिक स्वस्थ -स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आत्मा निवास करती है। अतएव आवश्यक है कि विद्यार्थी अपने अंगों का समुचित विकास करे। खेल-कूद, दौड़, व्यायाम आदि के द्वारा शरीर भी बलिष्ठ होता है और मनोरंजन के द्वारा मानसिक श्रम का बोझ भी उतर जाता है। खेल के नियम में स्वभाव और मानसिक प्रवृत्तियाँ भी सध जाती है।

महत्वाकाँक्षा की भावना – महान् बनने के लिए महत्वाकाँक्षा भी आवश्यक है। विद्यार्थी अपने लक्ष्य में तभी सफल हो सकता है जब कि उसके हृदय में महत्वाकाँक्षा की भावना हो। ऊपर दृष्टि रखने पर मनुष्य ऊपर ही उठता जाता है। मनोरथ सिद्ध करने के लिए जो उद्योग किया जाता है, वही आनंद प्राप्ति का कारण बनता है। यही उद्योग वास्तव में जीवन का चिहन है।

उपसंहार – आज भारत के विद्यार्थी का स्तर गिर चुका है। उसके पास न सदाचार है न आत्मबल। इसका कारण विदेशियों द्वारा प्रचारित अनुपयोगी शिक्षा प्रणाली है। अभी तक भी उसी का अंधाधुंध अनुकरण चल रहा है। जब तक इस सड़ी-गली विदेशी शिक्षा पद्धति को उखाड़ नहीं फेंका जाता, तब तक न तो विद्यार्थी का जीवन ही आदर्श बन सकता है और न ही शिक्षा सर्वागपूर्ण हो सकती है। इसलिए देश के भाग्य विधाताओं को इस ओर विशेष ध्यान  देने की आवश्यकता है।

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबन्ध

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Adarsh vidyarthi essay in hindi आदर्श विद्यार्थी पर निबंध.

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Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi

hindiinhindi Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 300 Words

विचार-बिंदु – • विद्यार्थी के गुण • लगन और परिश्रम • सादा जीवन उच्च विचार • श्रद्धावान और विनयी • अनुशासनप्रिय • स्वस्थ और बहुमुखी • उच्च लक्ष्य।

विद्यार्थी का सबसे आवश्यक गुण है – जिज्ञासा। जिज्ञासा – शुन्य छात्र उस औंधे घड़े के समान होता है जो बरसते जेल में भी खाली रहता है। विद्यार्थी का दूसरा गुण है – परिश्रमी होना। जब जिज्ञासा और परिश्रम साथ-साथ चलते हैं तो विद्यार्थी तेजी से ज्ञान अर्जित करता है। विद्यार्थी के लिए आवश्यक है कि वह आधुनिक फैशनपरस्ती, फिल्मी दुनिया या अन्य रंगीन आकर्षणों से बचे। ये मायावी आकर्षण उसे चाहते हुए भी पढ़ने नहीं देते। विद्यार्थी को ऐसे मित्रों के साथ संगति करनी चाहिए, जो उसी के समान शिक्षा का उच्च लक्ष्य लेकर चले हों।

संस्कृत की एक सूक्ति का अर्थ है – श्रद्धावान और विनयी को ही ज्ञान की प्राप्ति होती है। जिस छात्र के चित्त में अपने ज्ञानी होने का घमंड भरा रहता है, वह कभी गुरुओं की बात नहीं सुनता। उसकी यह आदत उसकी सबसे बड़ी बाधा है। छात्र के लिए अनुशासनप्रिय होना आवश्यक है। अनुशासन के बल पर ही छात्र अपने व्यस्त समय का सही सदुपयोग कर सकता है। आदर्श छात्र पढ़ाई के साथ-साथ खेल-व्यायाम और अन्य गतिविधियों में भी बराबर रुचि लेता है। वह मानवसेवा, देश-सेवा और समाज-सेवा के लिए अपना जीवन अर्पित कर देता है।

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Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 700 Words

विद्यार्थी जीवन को मनुष्य के जीवन की आधारशिला कहा जाता है। इस समय वह जिन गुणों व अवगुणों को अपनाता है, वही आगे चलकर चरित्र का निर्माण करते हैं। अत: विद्यार्थी जीवन सभी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। एक आदर्श विद्यार्थी वह है जो परिश्रम और लगन से अध्ययन करता है तथा सद्गुणों को अपनाकर स्वयं का ही नहीं अपितु अपने माता-पिता व विद्यालय का नाम ऊँचा करता है। वह अपने पीछे ऐसे उदाहरण छोड़ जाता है जो अन्य विद्यार्थियों के लिए अनुकरणीय बन जाते हैं।

एक आदर्श विद्यार्थी सदैव पुस्तकों को ही अपना सबसे अच्छा मित्र समझता है। वह पूरी लगन और परिश्रम से उन पुस्तकों का अध्ययन करता है जो जीवन निर्माण के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। इन उपयोगी पुस्तकों में उसके विषय की पुस्तकों के अतिरिक्त वे पुस्तकें भी हो सकती हैं जिनमें सामान्य ज्ञान, आधुनिक जगत की नवीनतम जानकारियां तथा अन्य उपयोगी बातें भी होती हैं। एक आदर्श विद्यार्थी सदैव परिश्रम को ही पूरा महत्त्व देता है। वह परिश्रम को ही सफलता की कुंजी मानता है।

आदर्श विद्यार्थी अपने अध्यापक अथवा गुरुजनों का पूर्ण आदर करता है। वह उनके हर आदेश का पालन करता है। अध्यापक उसे जो भी पढ़ने अथवा याद करने के लिए कहते हैं वह उसे ध्यानपूर्वक सुनता है। वह सदैव यह मानकर चलता है कि वह गुरु से ही सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर सकता है। गुरुजनों के अतिरिक्त वह अपने माता-पिता की इच्छाओं एवं निर्देशों के अनुसार ही कार्य करता है।

किसी भी विद्यार्थी के लिए पुस्तक ज्ञान आवश्यक है परन्तु मात्र पुस्तकों के अध्ययन से ही सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता। अतः एक आदर्श विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद व अन्य कार्यकलापों को भी उतना ही महत्त्व देता है। खेल-कूद व व्यायाम आदि भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इनके बिना शरीर में सुचारू रूप से रक्त संचार संभव नहीं है। इसका सीधा संबंध मस्तिष्क के विकास से है। खेलकूद के अतिरिक्त अन्य सांस्कृतिक कार्यकलापों, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं तथा विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने से उसमें एक नया उत्साह तथा नई विचारधारा विकसित होती है जो उसके चरित्र व व्यक्तित्व के विकास में सहायक होती है।

विद्यार्थी जीवन को किसी भी मनुष्य के जीवनकाल की आधारशिला कह सकते हैं क्योंकि इस समय वह जो भी गुण अथवा अवगुण आत्मसात् करता है उसी के अनुसार उसके चरित्र का निर्माण होता है। कोई भी विद्यार्थी अनुशासन के महत्त्व को समझे बिना सफलता नहीं प्राप्त कर सकता। अनुशासन प्रिय विद्यार्थी नियमित विद्यालय जाता है तथा कक्षा में अध्यापक द्वारा कही गई बातों का अनुसरण करता है। वह अपने सभी कार्यों को उचित समय पर करता है। वह जब किसी कार्य को प्रारम्भ करता है तो उसे समाप्त करने की चेष्टा करता है। अनुशासन में रहने वाले विद्यार्थी हमेशा परिश्रमी होते हैं। उनमें टालमटोल की प्रवृत्ति नहीं होती तथा वे आज का कार्य कल पर नहीं छोड़ते हैं। उनके यही गुण धीरे-धीरे उन्हें सामान्य विद्यार्थी से एक अलग पहचान दिलाते हैं।

अनुशासन केवल विद्यार्थी के लिए ही आवश्यक नहीं है अपितु जीवन के हर क्षेत्र में इसका उपयोग है लेकिन इसका अभ्यास कम उम्र में अधिक सरलता से हो सकता है। अत: कहा जा सकता है कि यदि विद्यार्थी को विद्यार्थी जीवन से ही नियमानुसार चलने की आदत पड़ जाए तो शेष जीवन की राहें सुगम हो जाती हैं। ये विद्यार्थी ही आगे चलकर देश की राहें संभालेंगे, कल इनके कंधों पर ही देश के निर्माण की जिम्मेदारी आएगी। अत: आवश्यक है कि ये कल के सुयोग्य नागरिक बनें और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह धैर्य और साहस के साथ करें।

एक आदर्श विद्यार्थी नैतिकता, सत्य व उच्च आदर्शों पर पूर्ण आस्था रखता है। वह प्रतिस्पर्धा को उचित मानता है परन्तु परस्पर ईर्ष्या व द्वेष भाव से सदैव दूर रहता है। अपने से कमजोर छात्रों की सहायता में वह सदैव आगे रहता है तथा उन्हें भी परिश्रम व लगन से अध्ययन करने हेतु प्रेरित करता है। अपने सहपाठियों के प्रति वह सदैव दोस्ताना संबंध रखता है। इसके अतिरिक्त उसे स्वयं पर पूर्ण विश्वास होता है। वह अपनी योग्यताओं व क्षमताओं को समझता है तथा अपनी कमियों के प्रति हीन भावना रखने के बजाय उन्हें दूर करने का प्रयास करता है।

सारांश में वह विद्यार्थी जो कुसंगति से अपने आपको दूर रखते हुए सद्गुणों को निरन्तर अपनाने की चेष्टा करता है तथा गुरुजनों का पूर्ण आदर करते हुए भविष्य की ओर अग्रसर होता है, वही एक आदर्श विद्यार्थी है। उसके वचन और कर्म, दूसरों के साथ उसका व्यवहार, उसकी वाणी हमेशा यथायोग्य होनी चाहिए ताकि जीवन की छोटी-छोटी उलझनें उसका रास्ता न रोक सकें। क्योंकि किसी भी विद्यार्थी का जब लक्ष्य बड़ा होता है तो उसमें एक नवीन उत्साह की भावना संचार होती रहती है।

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मोबाइल फोन पर निबंध 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे (Essay On Mobile Phone in Hindi)

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Essay On Mobile Phone in Hindi – एक निबंध क्या है? एक निबंध किसी के दृष्टिकोण से एक लेख है या किसी विषय के बारे में एक स्थान पर अपने विचारों को संक्षेप में बताता है। एक निबंध लिखने से उनके लेखन कौशल को विकसित करने और उनके लेखन में रचनात्मकता को विकसित करने में मदद मिलती है। इसी तरह सभी माता-पिता को अपने बच्चों को निबंध लिखना सिखाना चाहिए।

आपकी सुविधा के लिए, हमने निम्नलिखित में ‘मोबाइल फ़ोन’ पर एक नमूना निबंध प्रदान किया है। लेख पर एक नज़र डालें ताकि आपके लिए यह सिखाना आसान हो जाए कि सहजता से निबंध कैसे लिखा जाता है।

मोबाइल फोन (Mobile Phone)

तकनीकी प्रगति के युग में, मोबाइल फोन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तकनीक ने हमारे जीवन को काफी आसान बना दिया है। मोबाइल फोन के बिना जीवन आज के समय में काफी असंभव सा लगता है। ठीक है, हम हाथ में फोन के बिना विकलांग हो जाते हैं।

मोबाइल फोन की बात करें तो इसे ‘सेल्युलर फोन’ या ‘स्मार्टफोन’ भी कहा जाता है। मोटोरोला के मार्टिन कूपर ने 3 अप्रैल 1973 को एक प्रोटोटाइप DynaTAC मॉडल पर पहला हैंडहेल्ड मोबाइल फोन कॉल का उत्पादन किया। 

पहले इसका इस्तेमाल केवल कॉलिंग के लिए किया जाता था। लेकिन आज के समय में मोबाइल फोन से सब कुछ संभव है। एक संदेश भेजने से लेकर वीडियो कॉलिंग, इंटरनेट ब्राउजिंग, फोटोग्राफी से लेकर वीडियो गेम्स, ईमेलिंग और बहुत सी सेवाओं का इस हैंडहेल्ड फोन के माध्यम से लाभ उठाया जा सकता है। 

मोबाइल फोन निबंध 10 लाइन्स (Mobile Phone Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) मोबाइल फोन को सेल्युलर फोन या स्मार्टफोन भी कहा जाता है।
  • 2) आज किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढना असंभव है जिसके पास सेल फोन न हो।
  • 3) मोबाइल फोन का उपयोग गेम खेलने, संगीत चलाने और तस्वीरें लेने के लिए किया जा सकता है।
  • 4) लगभग सभी बैंकिंग गतिविधियां मोबाइल फोन के माध्यम से की जा सकती हैं।
  • 5) मोबाइल फोन का उपयोग शैक्षिक उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है।
  • 6) लोग नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं और काम करने के लिए फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • 7) मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करना हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
  • 8) यह युवा पीढ़ी को आलसी और मोटा बनाता है।
  • 9) इससे हृदय रोग और यहां तक ​​कि अवसाद भी हो सकता है।
  • 10) लोग अब अपने सेल फोन पर अधिक निर्भर हैं
  • My Best Friend Essay
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  • Essay on Diwali
  • Global Warming Essay
  • Women Empowerment Essay

मोबाइल फोन पर लघु निबंध 100 शब्दों में 150 शब्दों में (Short Essay on mobile phone in 100 words 150 words  in Hindi)

मोबाइल फोन और कुछ नहीं बल्कि एक आधुनिक गैजेट है जिसका उपयोग हम एक दूसरे के साथ संवाद करने के लिए करते हैं। यह संचार और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक महान क्रांति है।

हमारे जीवन में मोबाइल फोन की शुरूआत ने मौलिक रूप से हमारे जीने के तरीके को बदल दिया है। आजकल लोग बिना मोबाइल फोन के अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं। 21वीं सदी में विकसित की गई स्मार्टफोन तकनीक ने मोबाइल संचार के विस्तार में योगदान दिया है।

मोबाइल फोन हर उम्र के लोगों की जरूरत बन गया है। तथ्य यह है कि यह एक दूसरे के साथ जुड़ने और संवाद करने की अनुमति देता है, यह अनिवार्य बनाता है। मोबाइल फोन के बारे में कई रोचक तथ्य हैं जैसे इसका इतिहास, यह कैसे हमारे दैनिक जीवन का एक बड़ा हिस्सा बन गया और इसे प्राप्त करने से होने वाले लाभ।

भारत में लगातार बढ़ती दर से सेल फोन की तीव्र वृद्धि सरकार और सेलुलर उद्योग के नेताओं दोनों के लिए चिंता का विषय है।

मोबाइल फोन पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on mobile phone in 200 words in Hindi)

एक मोबाइल फोन एक संचार उपकरण है, जिसे अक्सर “सेल फोन” भी कहा जाता है। यह मुख्य रूप से ध्वनि संचार के लिए उपयोग किया जाने वाला उपकरण है। हालांकि, संचार के क्षेत्र में तकनीकी विकास ने मोबाइल फोन को इतना स्मार्ट बना दिया है कि वह वीडियो कॉल करने, इंटरनेट सर्फ करने, गेम खेलने, उच्च रिज़ॉल्यूशन की तस्वीरें लेने और यहां तक ​​कि अन्य प्रासंगिक गैजेट्स को नियंत्रित करने में सक्षम हो गया है। इसी वजह से आज मोबाइल फोन को “स्मार्ट फोन” भी कहा जाता है।

मोटोरोला के तत्कालीन अध्यक्ष और सीओओ, जॉन फ्रांसिस मिशेल और एक अमेरिकी इंजीनियर, मार्टिन कूपर ने 1973 में दुनिया के पहले मोबाइल फोन का प्रदर्शन किया था। उस मोबाइल फोन का वजन करीब 2 किलोग्राम था।

तब से मोबाइल फोन तकनीक और आकार में विकसित हुए हैं। वे छोटे, पतले और अधिक उपयोगी हो गए हैं। आज मोबाइल फोन विभिन्न आकारों और आकारों में उपलब्ध हैं, विभिन्न तकनीकी विशिष्टताओं के साथ और कई उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं जैसे – ध्वनि संचार, वीडियो चैटिंग, पाठ संदेश, मल्टीमीडिया संदेश, इंटरनेट ब्राउज़िंग, ई मेल, वीडियो गेम और फोटोग्राफी। उनके पास ब्लूटूथ और इन्फ्रारेड जैसे शॉर्ट रेंज वायरलेस संचार भी हैं। उन्नत कार्यों की विस्तृत श्रृंखला और बड़ी कंप्यूटिंग क्षमताओं वाले फ़ोन स्मार्ट फ़ोन कहलाते हैं। उनके पास अन्य पारंपरिक मोबाइल फोनों पर बढ़त है, जिनका उपयोग केवल आवाज संचार के लिए किया जाता है।

मोबाइल फोन पर 250 शब्दों में निबंध (Essay on mobile phone in 250 words in Hindi)

मोबाइल फोन एक बहुत ही उपयोगी चीज है, इसका उपयोग हमें इसके माध्यम से संवाद करने में मदद करने के लिए किया जा सकता है।

यह केवल वॉयस कॉल से विकसित किया गया था, आपके सभी महत्वपूर्ण चित्रों को डिजिटल करने और उन्हें इंटरनेट पर दूसरे मोबाइल फोन या कंप्यूटर पर भेजने के लिए एक कैमरे के लिए।

मोबाइल फोन का उपयोग कॉल करने, टेक्स्ट मैसेजिंग, गेम खेलने और रेडियो के लिए भी किया जाता है।

मोबाइल फोन केवल एक साधारण फीचर फोन से अधिक उन्नत और जटिल स्मार्टफोन में विकसित हुआ है। आजकल इतने सारे अलग-अलग प्रकार के फोन हैं, जिससे यह जानना मुश्किल हो जाता है कि आपको किस तरह का सेल फोन लेना चाहिए।

मोबाइल फोन आज के समय में जीवन की जरूरत बन गया है। बाजार में कई ब्रांड उपलब्ध हैं और लोग खरीदारी से लेकर बैंकिंग से लेकर अन्य संचार गतिविधियों तक विभिन्न उद्देश्यों के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं।

सेवाओं तक पहुँचने के लिए लोग मोबाइल फोन का विकल्प चुनते हैं और वे जुड़े रहने का आनंद लेते हैं। वे अपनी बैंकिंग भी कर सकते हैं, कोई भी टिकट बुक कर सकते हैं, कोई कमरा बुक कर सकते हैं, आदि।

इस सुविधा ने जीवन के पूरे परिदृश्य को बदल दिया क्योंकि इन मोबाइल फोनों ने दुनिया को छोटा कर दिया। इसने हमारे जीवन को बहुत आसान और आरामदायक बना दिया है। जैसे-जैसे तकनीक तेजी से बढ़ रही है, आप पाएंगे कि बहुत सी चीजें हैं जो आप अपने मोबाइल फोन से कर सकते हैं।

मोबाइल फोन पर निबंध 300 शब्दों में (Essay on mobile phone in 300 words in Hindi)

सेल फोन रखना अब एक विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है। वे दिन गए जब सेल फोन को विलासिता के रूप में देखा जाता था। मोबाइल फोन की कीमतें आज बहुत कम हो गई हैं। अधिक कंपनियां मोबाइल फोन बना रही हैं, इसलिए इन दिनों एक खरीदना कोई बड़ी बात नहीं है। अब यह छोटी सी चीज जीवन का एक अहम हिस्सा है।

मोबाइल फोन के फायदे

मोबाइल फोन अब तक की सबसे बेहतरीन चीजों में से एक है क्योंकि इसे कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। हम अपनी उंगलियों को हिलाकर दुनिया के दूसरे छोर पर किसी से भी बात कर सकते हैं। सेल फोन ने कई काम आसान कर दिए हैं। इनका उपयोग बैंकिंग, बुकिंग, खरीदारी, मनोरंजन आदि के लिए किया जा सकता है। ये मनोरंजन का भी एक अच्छा स्रोत हैं।

मोबाइल फोन के नुकसान

जिस तरह से लोग सेल फोन का उपयोग करते हैं उसका उनके स्वास्थ्य, सामाजिक जीवन और शारीरिक कल्याण पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। मुख्य समस्याएं बहुत अधिक उपयोग, बिगड़ती दृष्टि, कम उत्पादकता और उन पर बहुत अधिक निर्भर होना हैं। इससे युवाओं के बीमार होने की संभावना अधिक होती है। जब लोग अपने फोन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें ब्रेन ट्यूमर हो सकता है। मोबाइल फोन एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, इसलिए इसके ऑपरेटिंग सिस्टम पर अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और वायरस प्रोग्रामों द्वारा हमला किया जा सकता है।

आज, हम एक दूसरे से बात करने के लिए सेल फोन पर अधिक से अधिक निर्भर होते जा रहे हैं। सेल फोन तब तक वरदान हैं जब तक उनका उपयोग केवल अच्छी चीजों के लिए किया जाता है। इसलिए लोगों को मोबाइल फोन का इस्तेमाल सोच-समझकर करना चाहिए।

मोबाइल फोन पर 500 शब्दों में निबंध (Essay on mobile phone in 500 words in Hindi)

मोबाइल फोन पर निबंध: मोबाइल फोन को अक्सर “सेलुलर फोन” भी कहा जाता है। यह मुख्य रूप से वॉयस कॉल के लिए उपयोग किया जाने वाला उपकरण है। वर्तमान में तकनीकी प्रगति ने हमारे जीवन को आसान बना दिया है। आज, मोबाइल फोन की मदद से हम केवल अपनी अंगुलियों को हिलाकर दुनिया भर में किसी से भी आसानी से बात या वीडियो चैट कर सकते हैं। आज मोबाइल फोन विभिन्न आकारों और आकारों में उपलब्ध हैं, जिनमें विभिन्न तकनीकी विनिर्देश हैं और कई उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं जैसे – वॉयस कॉलिंग, वीडियो चैटिंग, टेक्स्ट मैसेजिंग या एसएमएस, मल्टीमीडिया मैसेजिंग, इंटरनेट ब्राउजिंग, ईमेल, वीडियो गेम और फोटोग्राफी। इसलिए इसे ‘स्मार्ट फोन’ कहा जाता है। हर डिवाइस की तरह, मोबाइल फोन के भी अपने फायदे और नुकसान हैं, जिनके बारे में हम अभी चर्चा करेंगे।

1) हमें जोड़े रखता है

अब हम कई ऐप के जरिए अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से जब चाहें कनेक्ट हो सकते हैं। अब हम केवल अपने मोबाइल फोन या स्मार्टफोन को संचालित करके जिससे चाहें वीडियो चैट कर सकते हैं। इसके अलावा मोबाइल हमें पूरी दुनिया के बारे में भी अपडेट रखता है।

2) दिन-प्रतिदिन संचार करना

आज मोबाइल फोन ने दैनिक जीवन की गतिविधियों के लिए हमारे जीवन को इतना आसान बना दिया है। आज कोई भी मोबाइल फोन पर लाइव ट्रैफिक स्थिति का आकलन कर सकता है और समय पर पहुंचने के लिए उचित निर्णय ले सकता है। इसके साथ ही मौसम का अपडेट, कैब बुक करना और भी बहुत कुछ।

3) सभी के लिए मनोरंजन

मोबाइल तकनीक में सुधार के साथ अब पूरा मनोरंजन जगत एक ही छत के नीचे आ गया है। जब भी हम नियमित काम से ऊब जाते हैं या ब्रेक के दौरान, हम संगीत सुन सकते हैं, फिल्में देख सकते हैं, अपने पसंदीदा शो देख सकते हैं या अपने पसंदीदा गाने का वीडियो देख सकते हैं।

4) कार्यालय कार्य का प्रबंध करना

इन दिनों मोबाइल का उपयोग कई प्रकार के आधिकारिक कार्यों के लिए किया जाता है, मीटिंग शेड्यूल से लेकर, दस्तावेज़ भेजने और प्राप्त करने, प्रेजेंटेशन देने, अलार्म, नौकरी के आवेदन आदि के लिए। मोबाइल फोन हर कामकाजी लोगों के लिए एक आवश्यक उपकरण बन गया है।

5) मोबाइल बैंकिंग

आजकल मोबाइल का उपयोग भुगतान करने के लिए वॉलेट के रूप में भी किया जाता है। स्मार्टफोन में मोबाइल बेकिंग का उपयोग करके दोस्तों, रिश्तेदारों या अन्य लोगों को लगभग तुरंत पैसा ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके अलावा, कोई भी आसानी से अपने खाते के विवरण तक पहुंच सकता है और पिछले लेनदेन को जान सकता है। तो यह बहुत समय बचाता है और परेशानी मुक्त भी।

1) समय बर्बाद करना

आजकल लोग मोबाइल के आदी हो गए हैं। यहां तक ​​कि जब हमें मोबाइल की जरूरत नहीं होती है तब भी हम नेट पर सर्फिंग करते हैं, ऐसे गेम खेलते हैं जो वास्तव में एक एडिक्ट बन जाते हैं। जैसे-जैसे मोबाइल फोन स्मार्ट होते गए, लोग बेवकूफ होते गए।

2) हमें गैर-संचारी बनाना

मोबाइल के व्यापक उपयोग के परिणामस्वरूप मिलना-जुलना कम हो गया है। अब लोग शारीरिक रूप से नहीं मिलते बल्कि सोशल मीडिया पर चैट या कमेंट करते हैं।

3) गोपनीयता का नुकसान

अधिक मोबाइल उपयोग के कारण किसी की गोपनीयता खोने का अब यह एक प्रमुख चिंता का विषय है। आज कोई भी आसानी से जानकारी प्राप्त कर सकता है जैसे कि आप कहाँ रहते हैं, आपके मित्र और परिवार, आपका व्यवसाय क्या है, आपका घर कहाँ है, आदि; अपने सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से आसानी से ब्राउज़ करके।

4) धन की बर्बादी

जैसे-जैसे मोबाइल की उपयोगिता बढ़ी है वैसे-वैसे उसकी कीमत भी बढ़ी है। आज लोग स्मार्टफोन खरीदने पर काफी पैसा खर्च कर रहे हैं, जिसे शिक्षा जैसी उपयोगी चीजों या हमारे जीवन की अन्य उपयोगी चीजों पर खर्च किया जा सकता है।

एक मोबाइल फोन सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकता है; उपयोगकर्ता इसका उपयोग कैसे करता है इसके आधार पर। चूंकि मोबाइल हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गया है, इसलिए हमें इसे अनुचित तरीके से उपयोग करने और इसे जीवन में वायरस बनाने के बजाय अपने बेहतर परेशानी मुक्त जीवन के लिए उचित तरीके से इसका उपयोग करना चाहिए।

 मोबाइल फोन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 मोबाइल फोन का आविष्कार किसने किया था.

उत्तर. मोबाइल फोन का आविष्कार मार्टिन कूपर ने किया था।

Q.2 सबसे पहले आविष्कार किया गया मोबाइल फोन कौन सा था?

उत्तर. सबसे पहला मोबाइल फोन “Motorola DynaTAC 8000X” का आविष्कार किया गया था।

Q.3 सेलुलर फोन के जनक के रूप में किसे जाना जाता है?

उत्तर. मार्टिन कूपर को सेलुलर फोन के जनक के रूप में जाना जाता है।

Q.4 सबसे महंगा मोबाइल फोन कौन सा है?

उत्तर. 2022 में सबसे महंगा फोन फाल्कन सुपरनोवा आईफोन 6 पिंक डायमंड है

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Hindi Essay on “Ek Achha Padosi”, “एक अच्छा पड़ोसी”, for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

एक अच्छा पड़ोसी

Ek Achha Padosi 

मानव एक सामाजिक प्राणी है। वह हमेशा अच्छी संगत में ही रहना चाहता है। उसे अच्छे पड़ोसियों तथा साथियों को ढूंढने में कभी-कभी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। यह हमारी अच्छी किस्मत का ही परिणाम होता है कि हमें अच्छा पड़ोसी मिलता है। एक अच्छा पड़ोसी मिलना एक प्रकार से भगवान का आशीर्वाद ही होता है। वह हमारी बहुत सहायता करता है। वह हमारी हमेशा बुरे लोगों से बचाने में सहायता करता है तथा हमेशा अच्छे और बुरे का ज्ञान कराता रहता है। वह हमेशा हमारी जरूरतों का ध्यान रखता है तथा हमेशा हमारी सुविधाओं के बारे में भी सोचता है। जब भी कभी हम बीमार पड़ते हैं तो वह हमेशा हमारे स्वास्थ्य के बारे में चिंतित रहता है और सेहत के बारे में पूछताछ करता रहता है। अगर हमें कभी पैसे की आवश्यकता पड़ती है तो हमेशा हमारी मदद करने को तैयार रहता है। यहाँ तक कि हमारा पड़ोसी तो हमारे दोस्तों से भी बढ़कर होता है क्योंकि वह वही रहता है और किसी भी समय हम उसकी सहायता ले सकते हैं। कई बार तो वह हमारा इतना ख्याल करता है जितने कि हमारे सगे संबंधी भी नहीं रखते क्योंकि वह हमारे लिए उनसे भी ज्यादा काम आता है।

वह हमारे सबसे प्रिय मित्र से भी ज्यादा नज़दीक होता है। उसके अन्दर भी अच्छे गुण होते हैं। जब भी हम बाहर जाते हैं तो पीछे से हमारे घर का ख्याल रखता है। वह केवल व्यवहार का ही अच्छा नहीं होता बल्कि बहुत समझदार व सहायक भी होता है। वह ऐसा व्यक्ति होता है जो यह जानता है कि किस तरह से दूसरे व्यक्ति के साथ व्यवहार किया जाता है। वह हमेशा मुसीबत के समय में हमारी सहायता करने को तैयार रहता है तथा जितना भी उससे होता है उतनी मदद वह जरूर करता है। वह कभी भी लड़ाई नहीं करता तथा हमेशा प्यार व नम्रता से व्यवहार करता है तथा बच्चों को भी हमेशा अच्छी आदतें सिखाने में माँ-बाप की सहायता करता है। एक अच्छे पड़ोसी का मिलना हमारे लिए वास्तव में वरदान ही है। क्योंकि वह हमारे हर पल में हमारी सहायता करता है तथा हर क्षण हमारी मदद के लिए तैयार रहता है। परन्तु अगर हमें कोई खराब पड़ोसी मिल जाता है तो वह हमारे लिए अभिशाप बन जाता है। अतः हम कह सकते हैं कि हमारे जीवन में एक अच्छे पड़ोसी का होना बहुत जरूरी है क्योंकि वह हमारे लिए बहुत महत्व रखता है।

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Advantages And Disadvantages Of Science Essay In Hindi

विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – Advantages And Disadvantages Of Science Essay In Hindi

विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (essay on advantages and disadvantages of science in hindi), विज्ञान वरदान या अभिशाप – science boon or curse.

  • प्रस्तावना,
  • विज्ञान की प्रगति,
  • विज्ञान का वरदानी स्वरूप,
  • विज्ञान अभिशाप के रूप में,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – Vigyaan Ke Gun Aur Dosh Par Nibandh

प्रस्तावना– सेवक बनकर वरदायी जो, स्वामी बनकर है अभिशाप।

नर का ही उपयोग ज्ञान को, पुण्य बनाता या फिर पाप।। एक ही वस्तु एक पक्ष से देखने पर वरदान प्रतीत होती है और वही दूसरे पक्ष से देखने पर अभिशाप प्रतीत होती है। औषधि के रूप में जो विष जीवन–रक्षक है, वही विष के रूप में प्राणघातक है।

एक ही लोहे से, बधिक की तलवार और शल्य–चिकित्सक की छुरी बनती है किन्तु इसमें विष या लोहे को दोषी नहीं बताया जा सकता। ज्ञान का उपयोग ही उसके परिणाम को निश्चित करता है। विज्ञान भी विशिष्ट और क्रमबद्ध ज्ञान ही है। हम चाहें तो इसे सत्य, शिव और सुन्दर की अर्चना बना दें और चाहें तो उसे महाविनाश, अमंगल और कुरूपता का उपकरण बना दें।

विज्ञान की प्रगति– यों तो सृष्टि के आदि से मानव ज्ञान–विस्तार में प्रवृत्त है किन्तु उन्नीसवीं और बीसी सदियाँ तो विज्ञान की चरमोन्नति के काल रहे हैं। आज इक्कीसवीं सदी भी विज्ञान के सृष्टि विजयी रथ को और तीव्रता से दौड़ाने में पीछे नहीं है।

जीवन पर विज्ञान के अनन्त उपकार हैं। ऐसा कौन–सा क्षेत्र है जिसे विज्ञान ने अपने उपकारों से कृतज्ञ न बनाया हो ? ऐसा कौन–सा अभागा देश है जो यन्त्रों के घर्घर नाद से न गूंज रहा हो ? सुई से लेकर अन्तरिक्ष यान तक में विज्ञान की महिमा का गान हो रहा है।

विज्ञान का वरदानी स्वरूप–आज विज्ञान मानव–जीवन के लिए हर मनोकामना की पूर्ति करने वाला कल्पवृक्ष बना हुआ है। विज्ञान ने मानव को प्रकृति पर निर्भरता से मुक्त करके उसे अकल्पनीय सुख–सुविधाएँ और सुरक्षा उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण योगदान किया है।

  • कृषि क्षेत्र–रासायनिक खादों, उन्नत बीजों, कृषि–यन्त्रों, बाँधों, नहरों और कृत्रिम वर्षा की सौगात देकर विज्ञान मानव के कृषि–भण्डार को भर रहा है। वहीं नाना प्रकार की गृह–निर्माण सामग्री और शिल्पीय ज्ञान से मानव के विलास–भवनों की रचना कर रहा है। वही मानव तन को मनमोहक कृत्रिम और पम्परागत वस्त्रों से अलंकृत कर रहा है।
  • चिकित्सा क्षेत्र–क्षय, कैंसर, कुष्ठ तथा एड्स जैसे घृणित रोगों पर विजय पाने में यह संघर्षरत है। जीन से लेकर क्लोन बनाने तक की मंजिल तय करके वह जीवन के रहस्य को ढूँढ़ रहा है। प्लास्टिक सर्जरी से कुरूपों को सुरूपता दे रहा है। मस्तिष्क, हृदय और गुर्दो को प्रत्यारोपित कर रहा है। अमरता की मंजिल को प्रशस्त कर रहा है।
  • विद्युत एवं परिवहन क्षेत्र–भीमकाय यन्त्रों को उसी की विद्युत–शक्ति घुमा रही है। वही जल, थल, नभ में नाना प्रकार के वाहनों से दौड़ लगवा रहा है। वही अन्तरिक्ष और ब्रह्माण्ड के कुँआरे पथों को नाप रहा है।
  • संचार का क्षेत्र–रेडियो, मोबाइल फोन, टेलीफोन, टेलीविजन और इण्टरनेट जैसे उपकरणों से उसने सारे विश्व को सिकोड़कर छोटा कर डाला है। रेडियो–दूरबीनों से यह ब्रह्माण्ड की छानबीन कर रहा है, वसुन्धरा के गर्भ में झाँक रहा है, सागरों के अतल तल को माप रहा है।
  • मनोरंजन तथा व्यवसाय का क्षेत्र–मनोरंजन के अनेक साधनों के साथ व्यापार के क्षेत्र में भी उसने ई–मेल, ई–बैंकिंग जैसे साधन उपलब्ध कराये हैं।

विज्ञान अभिशाप के रूप में विज्ञान की उपर्युक्त वरदानी छवि के पीछे उसका अभिशापी चेहरा भी छिपा हुआ है। विज्ञान द्वारा आविष्कृत अस्त्र–शस्त्रों ने ही बस्तियों को श्मशान में बदला है।

हिरोशिमा और नागासाकी जैसे नगरों को विश्व के मानचित्र से मिटाने का श्रेय भी विज्ञान को ही जाता है। विज्ञान ने मनुष्य को घोर भौतिकवादी बनाकर उसके श्रेष्ठ जीवन मूल्यों को पददलित कराया है। विज्ञान की कृपा से ही आज का यह जगमगाता प्रगतिशील विश्व बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है।

उपसंहार– कवि दिनकर ने विज्ञान की विभूति पर इठलाने वाले आज के मानव को सावधान किया है सावधान मनुष्य यदि विज्ञान है तलवार, तो इसे दे फेंक, तजकर मोह, स्मृति के पार। हो चुका है सिद्ध, है तू शिशु अभी नादान, फूल काँटों की तुझे, कुछ भी नहीं पहचान।

वस्तुतः विज्ञान न वरदान है न अभिशाप। मनुष्य की उपयोग–बुद्धि ही उसके स्वरूप की निर्णायक है। अत: मनुष्य जाति का कल्याण इसी में है कि वह विज्ञान को अपना स्वामी न बनाकर उसे सेवक की भूमिका तक ही सीमित रखे।

ESSAY KI DUNIYA

HINDI ESSAYS & TOPICS

Essay in Hindi Language – निबंध

December 12, 2017 by essaykiduniya

Essay in Hindi –   These Hindi essays are for Nursery Class, Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12. We provide various types of essay in Hindi such as education, speech, science and technology, India, festival, national day, environmental issues, social issues, social awareness, ethical values, nature and health etc in 100, 200, 300, 400, 500, 600, 700, 800, 900, 1000, 1100, 1200, 1300, 1400, 1500 and 1600 words.

ये हिंदी निबंध नर्सरी कक्षा से कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के लिए हैं। हम शिक्षा, भाषण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, एनीमा, भारत, त्योहार, राष्ट्रीय दिवस, पर्यावरण मुद्दों, सामाजिक मुद्दे, सामाजिक जागरूकता, नैतिक मूल्यों, प्रकृति और स्वास्थ्य आदि जैसे विभिन्न प्रकार के निबंधों को हिंदी में प्रदान करते हैं।

हर कोई इन निबंध को आसानी से समझ सकता है क्योंकि हमने  इनमें बहुत सरल और आसान शब्दों का इस्तेमाल किया है। । ये किसी छात्र द्वारा आसानी से समझे जा सकते है| ऐसे निबंध छात्रों को भारतीय संस्कृति, विरासत, स्मारकों, प्रसिद्ध स्थानों, शिक्षकों, माताओं, पशुओं, पारंपरिक त्योहारों, घटनाओं, अवसरों, प्रसिद्ध व्यक्तित्वों, किंवदंतियों, सामाजिक मुद्दों और इतने सारे अन्य विषयों के बारे में जानने में मदद और प्रेरित कर सकते हैं। हमने बहुत विशिष्ट और सामान्य विषय निबंध प्रदान किए हैं। 

ESSAY IN HINDI – निबंध

निबंध कैसे लिखें

त्योहारों पर निबंध – Essay on Festivals

 
   
   
   

महान व्यक्तियों पर निबंध – Essay on great personalities 

    
   
   
   
 
   
   

पर्यावरण के मुद्दें और जागरूकता पर निबंध – Essay on Environment 

    
   
   
   

स्वास्थ्य और तंदुस्र्स्ती पर निबंध – Essay on Health

    
   

 रिश्तो पर निबंध – Essay on Relations

   
   
   

खेल पर निबंध – Essay on Sports

   
   
   
   

सामाजिक मुद्दे और सामाजिक जागरूकता पर निबंध – Essay on Social Issues

निबंध – Essay in Hindi

   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   

भारत पर निबंध –  Essay on India

   
   
   
   
   
   
   
   

जानवर पर निबंध – Essay on Animals

हिंदी निबंध – Hindi Essay

   
 
   
   
   
   
   
   
 
 
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   

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