भारतीय किसान पर निबंध 10 lines (Indian Farmer Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

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 भारतीय किसान पर निबंध (Indian Farmer Essay in Hindi) – एक किसान हमें जीवित रहने के लिए आवश्यक भोजन प्रदान करने के लिए अथक परिश्रम करता है। कड़ी मेहनत के बावजूद, कई किसानों को खराब मिट्टी की गुणवत्ता, आधुनिक तकनीक तक पहुंच की कमी और अपर्याप्त सरकारी सहायता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों ने किसानों के बीच व्यापक गरीबी और संकट को जन्म दिया है। हालांकि, सरकार की पहल और तकनीक की मदद से स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। किसान अब बेहतर बीज, सिंचाई और वित्तीय सहायता प्राप्त करने में सक्षम हैं। इससे फसल की पैदावार में वृद्धि हुई है और कई लोगों की आजीविका में सुधार हुआ है।

भारतीय किसान पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines on Indian Farmer in Hindi)

  • 1) भारत को गाँवों की भूमि कहा जाता है और गाँवों में रहने वाले लोग ज्यादातर खेती में शामिल हैं।
  • 2) भारत के किसानों को “अन्नदाता” या राष्ट्र का अन्नदाता कहा जाता है।
  • 3) किसान पूरे देश का पेट भरते हैं क्योंकि वे जो उगाते हैं उसे पूरी आबादी खाती है।
  • 4) किसान अपने खेतों में खाने के साथ-साथ अपनी आजीविका के लिए खाद्यान्न उगाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं।
  • 5) किसान खेतों में अनाज उगाते हैं और पकने के बाद उन अनाजों को पास की “मंडियों” में बेचते हैं।
  • 6) 1970 के दशक के दौरान, भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था और अमेरिका से खाद्यान्न आयात करता था।
  • 7) पूर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने सैनिकों और किसानों को महत्व देते हुए “जय जवान जय किसान” का नारा दिया।
  • 8) विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ कृषि में भारी बदलाव आया, जिसके परिणामस्वरूप भारत में ‘हरित क्रांति’ हुई।
  • 9) गाँवों में ऐसे कई परिवार हैं जहाँ हर सदस्य खेती से जुड़ा हुआ है और अपने परिवार के लिए आजीविका कमाता है।
  • 10) गाँवों में खेती ही मुख्य व्यवसाय है जो कई पीढ़ियों से चला आ रहा है।

भारतीय किसान पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

भारतीय किसान देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और कृषि भारतीय आबादी के बहुमत के लिए आजीविका का प्राथमिक स्रोत है। भारतीय किसान मेहनती और लचीले व्यक्ति हैं जो हमारे देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हालाँकि, भारत में किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें ऋण तक पहुँच की कमी, आधुनिक तकनीक तक पहुँच की कमी और सिंचाई और जल प्रबंधन से संबंधित चुनौतियाँ शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण भी भारत में किसानों को प्रभावित कर रहे हैं। भारत सरकार और समाज को इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए कदम उठाने चाहिए और देश के लिए एक स्थायी और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए भारतीय किसान का समर्थन करना चाहिए।

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भारतीय किसान पर 150 शब्दों का निबंध (150 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

भारत में खेती एक महत्वपूर्ण कार्य है जो हमारे देश की अर्थव्यवस्था को ठीक से काम करता रहता है। यह न केवल देश के नागरिक को भोजन प्रदान करता है बल्कि रोजगार भी प्रदान करता है। देश के लगभग 40% नियोजित लोग कृषि क्षेत्र और उसके सहायक क्षेत्र के नियोक्ता हैं। खेती में बहुत श्रम की आवश्यकता होती है।

काम श्रमसाध्य है और इसके लिए अनुशासन और धैर्य की आवश्यकता होती है। किसानों के पास यह समझने का काम है कि मानसून भारतीय उपमहाद्वीप में कब और कैसे दस्तक देगा। मानसून के अनियमित होने से फसल की उपज और फसल की वृद्धि में भारी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। इस क्षति को अधिक होने से रोकने के लिए, कृषि में शामिल ग्रामीण लोगों को वैज्ञानिक रूप से खेती सिखाई जा रही है।

कई गैर-सरकारी संगठन देश की कृषि भूमि का दौरा करते हैं और उन्हें सिखाते हैं कि सही तरीके से बीज कैसे बोएं और खेती के लाभों को कैसे प्राप्त करें। वे किसानों को यह भी सिखाते हैं कि वितरकों को बेचने से पहले फसल की सही कीमत कैसे लगाई जाए।

भारतीय किसान पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

भारतीय किसान देश की अर्थव्यवस्था और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, जैसे कि खराब बुनियादी ढांचा, ऋण और बाजारों तक पहुंच की कमी, और अप्रत्याशित मौसम, वे देश को खिलाने के लिए अथक रूप से काम कर रहे हैं। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण भारत की कृषि की रीढ़ है, जो अधिकांश आबादी के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत है। भारतीय किसान लचीलापन और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, और देश में उनके योगदान को पहचाना और मनाया जाना चाहिए।

अर्थव्यवस्था में भारतीय किसानों की भूमिका

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और भारतीय किसान देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कृषि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 17% है और देश के कर्मचारियों की संख्या का लगभग 50% कार्यरत है। भारतीय किसान न केवल फसलें उगाते हैं बल्कि पशुधन भी पालते हैं, जो कई परिवारों के लिए भोजन और आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

देश के निर्यात में कृषि का प्रमुख योगदान है, चावल, गेहूं और कपास जैसी फसलें कुछ प्रमुख निर्यात वस्तुएँ हैं। इसके अलावा, भारतीय किसान देश की खाद्य सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक है, और देश में किसान चावल, गेहूं, मक्का, गन्ना और फलों और सब्जियों सहित कई प्रकार की फसलों का उत्पादन करते हैं।

भारतीय किसान पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

वर्तमान समय और युग में, सरकार किसानों का बहुत ध्यान रख रही है। ऐसी कई लाभकारी योजनाएँ हैं जो न केवल किसानों को आसान ऋण प्रदान करती हैं बल्कि उन्हें कच्चा माल भी देती हैं जिससे वे खेती की प्रक्रिया को नया रूप दे सकते हैं। भारत के बाहर कई देशों में, कृषि तकनीक उन्नत और अत्यधिक वैज्ञानिक हो गई है।

देश में कई हिस्से ऐसे थे जहां कृषि योग्य भूमि को बढ़ाने के लिए वनों को काटकर जलाना अब भी जारी है। इसी विवेकपूर्ण सोच के तहत हमें कृषि गतिविधियों को विनियमित करना होगा। भारत में रहने वाले अधिकांश किसान गरीब हैं। उन्हें नियमित राशन का लाभ नहीं मिल पाता है। किसान निराशाजनक परिस्थितियों में रहते हैं और अक्सर भूख से मर जाते हैं। हाल के युग में किसानों के बीच आत्महत्या अधिक आम हो गई है।

सरकार ने कृषि गतिविधियों में शामिल लोगों के जीवन पर लगातार नजर रखी है। जीवन शैली में सुधार के लिए सरकार नई योजनाएं लेकर आई है। किसानों को सस्ते दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इन ऋणों पर वापसी की अवधि भी लंबी होती है।

कई कृषि गतिविधियाँ अभी भी आदिम तरीकों से की जाती हैं। हाल के वर्षों में सिंचाई को लोकप्रिय बनाया गया है। कई कॉलेजों में दशकों से कृषि विज्ञान पढ़ाया जा रहा है। यह केवल अब है कि ऐसे पाठ्यक्रमों में नामांकन बढ़ रहा है। अंग्रेजों के शासन में किसानों को भी कष्ट उठाना पड़ा।

अंग्रेजों ने कई उद्योगों को भी नष्ट कर दिया जिनका कच्चा माल कृषि गतिविधियों द्वारा प्रदान किया जाता था। हालांकि किसानों को जबरदस्त नुकसान हुआ, लेकिन हम यह नहीं भूल सकते कि देश को बनाए रखने में उनकी नौकरियां कितनी महत्वपूर्ण हैं।

भारतीय किसान पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

मुझे लगता है कि किसान हमारे देश के लिए वही भूमिका निभाता है जो मानव शरीर के लिए रीढ़ निभाता है। समस्या यह है कि यह रीढ़ (हमारा किसान) कई समस्याओं से जूझ रहा है। कभी-कभी, उनमें से कई एक दिन में दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पाते हैं। तमाम कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, वे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। उनमें से कुछ की चर्चा नीचे की गई है।

भारतीय किसान का महत्व

  • वे देश के खाद्य उत्पादक हैं

1970 के दशक के अंत से पहले भारत अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त खाद्यान्न का उत्पादन करने में सक्षम नहीं था। दूसरे शब्दों में, भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं था। हम विदेशों से (मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका से) बड़ी मात्रा में खाद्यान्न आयात करते थे। कुछ समय तक तो ठीक चला लेकिन बाद में अमेरिका ने हमें व्यापार पर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।

उन्होंने खाद्यान्न की आपूर्ति पूरी तरह से बंद करने की धमकी भी दी। तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने चुनौती स्वीकार की और “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया और कुछ कठोर उपाय किए, जिसके परिणामस्वरूप हरित क्रांति हुई और उसके कारण हम खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बने और यहां तक ​​कि शुरुआत भी की। अधिशेष उत्पादन का निर्यात करना।

उसके बाद से भारत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हमारे किसानों ने कई समस्याओं का सामना करने के बावजूद हमें कभी निराश नहीं होने दिया। वे बढ़ती आबादी की मांग को पूरा करने में सक्षम हैं।

  • भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक

किसान भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग 17% योगदान करते हैं। इसके बाद भी वे गरीबी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसके कई कारण हैं। यदि हम विभिन्न बाधाओं को दूर करने में सक्षम हैं, तो इस प्रतिशत में सुधार होने की अच्छी संभावना है।

  • सभी किसान स्वरोजगार हैं

किसान रोजगार के लिए किसी अन्य स्रोत पर निर्भर नहीं हैं। वे स्वयं नियोजित हैं और दूसरों के लिए रोजगार भी पैदा करते हैं।

आजादी के बाद से हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। मुझे यकीन है कि अगर हम ईमानदारी से काम करेंगे तो हम आज जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उन पर काबू पा सकेंगे और ईश्वर की कृपा से हमारे गांव उतने ही सुंदर और समृद्ध बनेंगे, जितने कि बॉलीवुड फिल्मों में दिखाए जाते हैं।

भारतीय किसान पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on Indian Farmer in Hindi)

भारतीय किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। अधिकांश भारतीय आबादी के लिए कृषि आजीविका का प्राथमिक स्रोत है, और किसान देश के कार्यबल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस तथ्य के बावजूद कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का महत्वपूर्ण हिस्सा है, भारत में किसान हाल के वर्षों में कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

भारतीय किसानों के सामने चुनौतियां

देश की अर्थव्यवस्था में भारतीय किसान द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, भारत में किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भारतीय किसानों के सामने प्रमुख चुनौतियों में से एक ऋण तक पहुंच की कमी है। भारत में कई किसान छोटे और सीमांत किसान हैं जिनके पास आधुनिक कृषि तकनीकों में निवेश करने के लिए वित्तीय संसाधन नहीं हैं। नतीजतन, वे अक्सर उन साहूकारों पर भरोसा करने के लिए मजबूर हो जाते हैं जो अत्यधिक ब्याज दर वसूलते हैं, जिससे उनके लिए अपने ऋण चुकाना मुश्किल हो जाता है।

भारतीय किसानों के सामने एक और बड़ी चुनौती आधुनिक तकनीक तक पहुंच की कमी है। भारत में कई किसान अभी भी पारंपरिक खेती के तरीकों पर भरोसा करते हैं, जो श्रम-गहन हैं और अक्सर कम पैदावार का कारण बनते हैं। इसके अलावा, भारत में किसानों को सिंचाई और जल प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। देश के कई हिस्सों में, किसान अपनी फसलों के लिए मानसून की बारिश पर निर्भर हैं, जो अप्रत्याशित हो सकती है और फसल की विफलता का कारण बन सकती है।

शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) की कहानी

सुभाष पालेकर भारत के महाराष्ट्र राज्य के एक किसान हैं। उन्होंने कम उम्र में ही खेती करना शुरू कर दिया था, लेकिन भारत के कई किसानों की तरह उन्हें भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें कम उपज और वित्तीय कठिनाइयाँ शामिल थीं। हालाँकि, सुभाष ने हार मानने के बजाय मामलों को अपने हाथों में लेने का फैसला किया और खेती की विभिन्न तकनीकों के साथ प्रयोग करना शुरू किया।

उनके द्वारा विकसित तकनीकों में से एक शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) थी। खेती की यह विधि मिट्टी की उर्वरता में सुधार के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों, जैसे गाय के गोबर और गोमूत्र का उपयोग करने और कीटों को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक शिकारियों पर निर्भर रहने के सिद्धांतों पर आधारित है। सुभाष की पद्धति न केवल अधिक टिकाऊ थी, बल्कि इससे फसल की पैदावार भी बढ़ी और किसानों की लागत भी कम हुई।

सुभाष की ZBNF पद्धति ने क्षेत्र के अन्य किसानों का ध्यान आकर्षित किया, और जल्द ही, वे देश भर में यात्रा कर रहे थे, अन्य किसानों को अपनी तकनीकों के बारे में सिखा रहे थे। उनके काम ने हजारों किसानों को उनकी उपज में सुधार करने और उनकी आय बढ़ाने में मदद की है।

सुभाष की कहानी भारत में कई किसानों के लिए एक प्रेरणा है, और उनके काम को भारत सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा मान्यता दी गई है। 2018 में, उन्हें कृषि में उनके योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

उनकी कहानी से पता चलता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी एक व्यक्ति बदलाव ला सकता है और कई लोगों के जीवन को बदल सकता है। शून्य बजट खेती का उनका तरीका अब भारत के कई राज्यों में लोकप्रिय है और किसान इसका लाभ उठा रहे हैं। सुभाष पालेकर की कहानी भारतीय किसान के लचीलेपन और दृढ़ संकल्प का एक वसीयतनामा है, और कई अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का काम करती है जो समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

भारतीय किसान पर अनुच्छेद पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

किसान क्या करते हैं, और उनका प्राथमिक काम क्या है.

फ्रैमर भारतीय आर्थिक संरचना का एक अभिन्न अंग हैं। वे हमें फसलें प्रदान करते हैं जिससे हम अपना भोजन बनाते हैं। वे फसल की उपज को अधिकतम करने के तरीके खोजते हैं। फसल की पैदावार को किसानों द्वारा अनुकूलित करने की आवश्यकता है क्योंकि हमारे देश की जनसंख्या बहुत अधिक है। वर्षों तक बिना असफल हुए इतने लोगों का मुंह खिलाना एक कठिन काम है।

क्या किसान आत्महत्या भारत में एक महत्वपूर्ण समस्या है?

हां, भारत में किसान आत्महत्या एक महत्वपूर्ण समस्या है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया है। रिपोर्ट किए गए किसान आत्महत्याओं की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है।

सरकार ने किसानों की मदद के लिए कौन सी योजनाएँ बनाई हैं?

भारत सरकार ने किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इन योजनाओं में किसान विकास पत्र और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शामिल हैं।

किस मौसम का भारतीय खेती पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है?

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किसान इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं पर निबंध (Why are Farmers Important Essay in Hindi)

हम सभी को अपनी भूख मिटाने और अपने जीवन के अस्तित्व को बचाने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। जब भी हम अपने खाने और उसे पैदा करने वाले के बारे में सोचते हैं तो मन में केवल एक ही तस्वीर आती है और वो है किसान की। किसान ही हमारे अन्नदाता हैं जो हमारे लिए अन्न पैदा करते है। शहरों में रहने वाले लोग किसानों के जीवन और उनके महत्त्व से थोड़े अनभिज्ञ हैं। वो इन किसानों को उतना महत्त्व नहीं देते।

किसान हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों हैं पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Why are Farmers Important in Hindi, Kisan hamare liye Mahatvapurna kyon hai par Nibandh Hindi mein)

हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है और मैंने इस निबंध में उनके महत्त्व के हर पहलू पर चर्चा करने की कोशिश की हैं। यह छात्रों के लिए अवश्य ही बहुत लाभकारी होगा।

किसान इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं पर निबंध – 1 (250-300 शब्द)

किसान भारत की अर्थव्यवस्था के रीढ़ की हड्डी है। भारत की 50% अर्थव्यवस्था किसानो पर निर्भर करती है। फिर भी वर्तमान में किसानों की स्थिति दयनीय है। किसानो को उनकी मेहनत का उचित लाभ नहीं मिल पाता है। हमारे राष्ट्र की आधी अर्थव्यवस्था को चलाने वाले तंत्र को मजबूत बनाना हम सभी का कर्तव्य है। किसान की शक्ति और आत्मविश्वास ही इस नीव को मजबूत बनाये रख सकता है।

आर्थिक महत्व

किसान की मेहनत से हमें फल, फूल , अनाज , सब्जियां , दूध इत्यादि मिलते है जिनसे हमें आर्थिक लाभ होता है। किसानों की ही देन है कि आज हम इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन कर पा रहे है। किसानो की ही देन है की आज हमारा देश गेहूँ, चावल, दाल, दूध आदि के उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। हमारी अर्थव्यवस्था के तीन भाग है – प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक। किसान जो भी उत्पादित करते है, वह द्वितीयक भाग में तैयार होता है और उसे लोगो तक पहुंचाया जाता है। इस तरह किसान हमारे अर्थव्यवस्था की नींव है।

पर्यावरणीय महत्व

किसान मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी नियमित करते है और हमारा वातावरण संतुलित रहता है। किसानों के द्वारा कृषि क्षेत्र में दिए गए योगदान से ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरणीय परिवर्तन, अल्पवृष्टि आदि पर नियंत्रण होता है। किसान हमारी प्रकृति के सबसे आज्ञाकारी संतान है। किसानों का होना प्रकृति के संरक्षण के लिए जरुरी है।

हम सभी को किसानों के महत्व को गंभीरता से समझने की जरुरत है। अगर देश का किसान समर्थ होगा तभी हमारा देश विकास कर सकता है।सरकार को कुछ नियम लाने की आवश्यकता है जो किसानो को उनका हक़ दिला सके। हम सभी को अर्थव्यवस्था में किसानों के महत्त्व को देखते हुए उन्हें प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, ताकि राष्ट्र का विकास हो सके।

किसान इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं पर दीर्घ निबंध (1500 शब्द)

हमारा भारत एक ऐसा देश है, जहां कृषि को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाती है। इसमें कोई संदेह नहीं की हमारे किसानों के माध्यम से ही हमारा देश और दुनिया के अन्य राष्ट्र भी फल फूल रहे है। लगभग 60% की आबादी हमारे देश में कृषि के रूप में हैं, जो अपने मेहनत से फसलों को पैदा करते है और पूरे राष्ट्र के भोजन की आवश्यकता को पूरा करते हैं।

हमारे देश में कृषि को एक महान पेशे के रूप में जाना जाता है, ऐसे पेशे में शामिल लोगों को अपनी आजीविका चलाने के लिए खेतों में काम करना पड़ता है, और ऐसे लोगों को ही किसान कहा जाता है। इन्हीं किसानों को देश का अन्नदाता कहा जाता है। किसान ही वह इंसान है, जो सूरज की तेज गर्मी, बारिश या तेज ठण्ड की परवाह किये बिना ही वह अपने खेतों पर फसलों को अपनी मेहनत से उगाने का काम करते हैं।

अपने परिश्रम से वह कई किस्म के अन्न, फल, सब्जियों इत्यादि को खेतों में उगाता हैं, और एक उचित मूल्य पर इसे बाजारों में बेचते हैं। किसानों की कड़ी मेहनत द्वारा उगाये इन खाद्य सामग्रियों और सब्जियों का उपयोग देश का हर व्यक्ति अपने खाने के रूप में करता है।

किसानो ं की जीवनशैली

किसानों का जीवन बहुत ही कठिनाइयों और मेहनत से भरा होता है। तरह-तरह की फसलों की अच्छी पैदावार के लिए किसान अपने खेतों में कड़ी मेहनत करता हैं। ताकि फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सके और फसलों की अच्छी पैदावार हो सके। किसान दिन-रात एक चौकीदार की तरह अपने खेतों की फसलों की देखभाल में लगा रहता हैं।

हर दिन वह सुबह उठकर कड़ी मेहनत से खेतों में काम करता हैं, और देर रात तक अपने खेतों की रखवाली करते हुए सोता हैं। थोड़े आराम और खाना खाने के वक्त ही किसान अपने काम को थोड़ा आराम देते हैं। हमारी तरह वो चैन की नींद भी नहीं ले पाते है, और न ही अपने भाग्य पर निर्भर रहते हैं। किसान अपने कड़े परिश्रम पर भरोसा करता हैं, और किसी अन्य पर नहीं। वह मौसम के किसी भी परिस्थिति की परवाह किये बिना खेतों में कड़ी मेहनत से अपना काम करता हैं।

किसान सारे राष्ट्र को कई किस्मों के भोजन देने के बावजूद भी वह बहुत ही सरल भोजन करते हैं, और एक सादगी भरा जीवन जीते हैं। वो खेतों में उगाये अपनी फसलों को बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं। अपनी अच्छी फसलों को बेचने के बावजूद भी उन्हें उनकी अच्छी कीमत नहीं मिलती है। यही छोटी सी कीमत ही उनके सालभर की मेहनत और उनकी कमाई के रूप में होती है।

किसान अपना पूरा जीवन फसलों को उगाने में लगा देते हैं और उनके मेहनत और परिश्रम का उचित फल भी नहीं मिल पाता। अपनी फसलों की अच्छी पैदावार के लिए वह साल भर उनकी देखभाल और मेहनत करने में लगा देते हैं, और धैर्यपूर्वक उस फसल के होने का इंतजार करते हैं। इस चक्र को वह बार-बार दोहराते हैं, पर उन्हें अपने मेहनत का सच्चा फल कभी भी नहीं मिल पाता।

भारत में किसानों की वास्तविक स्थिति

कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत को दुनिया में अन्नदाता के रूप में जाना जाता है। पूरी दुनिया में भारत की सराहना का श्रेय केवल हमारे किसानों को ही जाता है। किसान देश के ऐसे व्यक्ति के रूप में है जिनके कारण ही भारत को विश्व भर में कृषि प्रधान राष्ट्र के पहचान दिलाते हैं, पर वास्तविक रूप में किसान बहुत ही गरीब और पीड़ित अवस्था में रहने के लिए मजबूर हैं।

मुझे यह बताते हुए बड़ा दुःख हो रहा है कि भारत का किसान आर्थिक रूप से बहुत ही कमजोर हैं। सारा दिन खेतों में मेहनत कर फसल उगाने वाला यही किसान बड़ी मुश्किल से अपने परिवार को दो वक्त की रोटी दे पाता हैं। हम सभी ने पैसे की कमी और कर्ज से दबे होने के कारण कई किसानों की आत्महत्या की खबरों के बारे में अवश्य ही सुना होगा। जो हमारे देश का अन्नदाता है, उसे अपने बच्चों की पढाई, उनकी शादी, खेती के बीज व घर में खाने के लिए साहूकारों और बैकों से सूत पर पैसे लेने पड़ते है।

उनका पूरा जीवन उन्हीं कर्ज को खत्म करने में ही बीत जाता है। हमारे समाज में सम्मानजनक किसानों की ऐसी स्थिति वास्तव में काफी चिंताजनक और दर्दनाक है। हमारी सरकार को उनके लिए यह अवश्य सुनिश्चित करने की आवश्यकता है जिस सम्मान के वास्तविक रूप से वो हकदार हैं।

किसान हमारे लिए जरूरी क्यों हैं ?

देश के हर व्यक्ति के जीवन में किसान बहुत ही महत्त्व रखता हैं। कोई भी किसान के महत्त्व को नकार नहीं सकता। किसान हमारे जीवन में कितना महत्त्व रखते है मैंने निचे उसे सूचीबद्ध किया है।

  • राष्ट्र के खाद्य प्रदाता

किसान हमारे लिए विभिन्न प्रकार की फसलों को उगाते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों की आवश्यकता के अनुसार मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, इत्यादि करते हैं। इसके अलावा वो इन सभी चीजों को बाजारों में बेचने के लिए खुद ही जाते हैं। इस तरह किसान देश के हर व्यक्ति को भोजन प्रदान करते हैं। भोजन हर व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकता है।

हमें विभिन्न प्रकार के कार्य करने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है जिससे की हमें ऊर्जा मिलती है। जब भी हमें भूख लगती है हमें भोजन की आवश्यकता होती है, और यह भोजन हमें केवल किसान ही उपलब्ध कराते हैं। लेकिन किसानों द्वारा उपलब्ध कराये गए भोजन के इस महान कार्य को हम कभी सराहना नहीं करते हैं।

  • राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में योगदान

विभिन्न प्रकार के अन्न, फल, फूल, सब्जी, मांस, इत्यादि अनेक प्रकार के भोजन किसानों द्वारा पैदा किये और बाजारों में बेचे जाते हैं। ये सभी चीजें राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान करते है। इन्हीं किसानों द्वारा उगाये फसलों व अन्य भोजनों के कारण ही भारत दुनिया भर में एक कृषि अर्थव्यवस्था के रूप में जानी जाती है।

देश के कृषि उत्पादन मुख्य रूप से हमारे राष्ट्र के अर्थव्यवस्था में अपना मूल योगदान देती है। इसके अलावा कृषि उत्पादों का विदेशों में निर्यात भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। इस तरह से यह कहना गलत नहीं है कि किसान भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।

  • लोगों के लिए एक प्रेरणा श्रोत

किसान स्वभाव से बहुत ही मेहनती, अनुशासित, समर्पित और सरल का होता हैं। किसान के जीवन में उसके हर क्षण का महत्त्व होता हैं, इसलिए वह अपने खेती का हर काम समय और सही ढंग से कर पाते हैं। यदि वो अपने जीवन में समय के पाबंद न रहे तो उन्हें खेती में उपज में कमी या फसलों की क्षति का सामना भी करना पड़ सकता हैं। वो हर बार अपने खेतों में कड़ी मेहनत करके फसल बोते हैं, और कई महीनों तक का लम्बा इंतजार करते हैं, जब तक की फसल पूरी तरह से पक न जाये। कृषि उत्पाद उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम है। एक किसान के ये सभी गुण हमें प्रेरणा देते हैं।

किसान देश के सभी लोगों के लिए अन्न का उत्पादन करता हैं। वे वही खाते हैं जो उनके पास बचा रह जाता है, इसलिए वो बहुत ही आत्मनिर्भर होते हैं। वो किसी और पर निर्भर हुए बिना जो उनके पास होता है उसी से अपने जीवन पालन करते है। वो किसी से मंगाते नहीं है इसलिए वो खुद में बहुत ही आत्मनिर्भर व्यक्ति होते हैं।

क्या किसानों की स्थिति वाकई दयनीय है ?

हम सभी के लिए किसान कितना महत्वपूर्ण है इसके बारे में सभी जानते है। भारत में किसानों की हालात खराब है। यह सुनना वास्तव में बहुत निराशाजनक है। भारत एक कृषि उत्पादक वाला देश है, जो हमारी अर्थव्यवस्था के जी.डी.पी. में 15% का योगदान देता है। इसको देखते हुए किसानों का देश की उन्नति में एक बहुत बड़ा योगदान हैं, और यदि किसानों के हालात खराब है तो यह बहुत दुख और उल्लेखनीय विषय हैं। भारत में किसानों द्वारा आज भी पुरानी कृषि तकनीक अपनाई जाती है।

सरकार को किसानों को खेती के आधुनिक तरीकों के बारे में बताने और उन्हें अपनाने को किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता हैं। जिससे उनकी उपज अधिक हो और उनकी मेहनत भी कम लगे। इससे किसानों के सामने आने वाली वित्तीय संकट से निपटने में उन्हें मदद मिलेगी। सरकार को उनके हित के लिए कई नए कार्यक्रमों और नीतियों का गठन करने की आवश्यकता हैं। जो देश भर के किसानों को लाभान्वित कर सकें। इससे हर किसानों की वर्तमान स्थिति में काफी सुधार आ सकता हैं।

किसानों के कार्य, खेती के गुण, उनके समर्पण की भावना उन्हें समाज का एक सम्माननीय व्यक्ति बनाते हैं। खेतों से जो भी उन्हें प्राप्त होता है उसे ही बेचकर वो साल भर अपना और अपने परिवार का गुजरा करते है और उसी में वो खुश और संतुष्ट रहते हैं। हमारे देश में कई ऐसे महान नेता हुए जिन्होंने किसानों के उत्थान के लिए सराहनीय कदम उठाये है, इस क्रम में हमारे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और लाल बहादुर शास्त्री के योगदान को कभी भुलाये नहीं जा सकते हैं। ये किसान परिवार से ही ताल्लुक रखते थे। इसलिए इन्होंने किसानों के वास्तविक मूल्य को समझा और उनके हित में कई सराहनीय कदम भी उठाये जो आज तक उन्हें लाभान्वित करती हैं।

Essay on Why are Farmers Important

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Essay On Farmers :किसान पर हिन्दी निबन्ध

Meena Bisht

  • April 1, 2020
  • Hindi Essay

Essay On Farmers : किसान पर हिन्दी निबन्ध

निबंध हिंदी में हो या अंग्रेजी में , निबंध लिखने का एक खास तरीका होता है। हर निबंध को कुछ बिंदुओं (Points ) पर आधारित कर लिखा जाता है। जिससे परीक्षा में और अच्छे मार्क्स आने की संभावना बढ़ जाती है।

हम भी यहां पर किसान पर निबंध को कुछ बिंदुओं पर आधारित कर लिख रहे हैं। आप भी अपनी परीक्षाओं में निबंध कुछ इस तरह से लिख सकते हैं। जिससे आपके परीक्षा में अच्छे मार्क्स आयें।

Essay On Farmers 

किसान पर हिन्दी निबन्ध.

किसी ने ठीक ही कहा है “भूखे पेट भजन , न होय गोपाला” यानी अगर इंसान का पेट ही खाली हो तो उसका मन भगवान के भजन करने में या मोक्ष प्राप्त करने में भी नहीं लगता हैं ।पेट भरा होने पर ही दुनिया की हर वस्तु का आनंद लिया जा सकता हैं। और यही एकमात्र सत्य भी हैं। 

हमारे देश में किसानों को अन्नदाता का सम्मान दिया जाता है। क्योंकि किसान वाकई में अन्नदाता होता है। बिना अनाज के क्या हम जीवन जीने की कल्पना कर सकते हैं। हम कई दिनों तक बिना वाहन , मोबाइल , टेलिविजन या किसी भी आधुनिक उपकरण के बिना रह सकते हैं।

लेकिन बिना अन्न के कितने दिन रह सकते हैं।इसीलिए पाषाण युग के बाद मानव ने सबसे पहले खेती करने की ही शुरूवात की और वह उसके जीने का मुख्य साधन बन गया। 

किसान कौन है

इस धरती पर रहने वाले सभी मानवों की पहली और मूलभूत आवश्यकता भोजन ही है। और  जमीन पर बीज रूप कर अपने खून पसीने से सींच कर अनाज (अनाज , फल , फूल सब्जी आदि ) को उगाने वाले को किसान कहा जाता है। सच्चाई यह है कि किसान ही लोगों का पेट भरते हैं। 

कुछ किसान अनाज , फल , सब्जियों उगाते हैं तो , कुछ फूलों की खेती करते हैं। तो कुछ किसान तिलहनी फसलों , सूखे मेवों आदि की खेती से जुड़े रहते हैं।और इसी तरह कुछ कृषि के अन्य क्षेत्रों से। इसी के साथ किसान पशुओं से भी जुड़े रहते हैं। और पशु आधारित उत्पादों का उत्पादन भी करते हैं। 

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भारतीय किसान की आर्थिक स्थिति (Essay On Farmers)

किसान की आजीविका का मुख्य साधन भी कृषि ही रहता है। किसान की आर्थिक स्थिति बहुत हद तक उसके खेत में उगने वाली फसल पर ही निर्भर करती हैं।अगर किसान की खेती अच्छी हो गई तो उसकी आय भी अच्छी होगी।जो उसके सामाजिक और आर्थिक सम्मान में वृद्धि कर देती है।अगर फसल अच्छी ना हुई तो , यही अन्नदाता अन्न के एक एक दाने के लिए मोहताज हो जाता है। 

भारत की लगभग 66% जनसंख्या कृषि और कृषि से संबन्धित अन्य कार्यों पर ही निर्भर रहती हैं। अधिकतर भारतीय किसानों का रहन-सहन बहुत सीधा सादा होता हैं।।लेकिन कुछ किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी भी हैं। वैसे भी भारतीय किसान जीवट व कर्मठ होते हैं

किसान का जीवन सुबह से शाम तक खाद , मिट्टी , पानी , बीज आदि के बारे में ही सोचते निकल जाता है।चाहे पूस-माघ के महीने की कड़कड़ाती ठंड हो या जेठ-वैशाख की चिलचिलाती धूप या रिमझिम बारिश , कोई भी उन्हें अपने कर्तव्य से नहीं डगमगाती सकता है। किसान हर परिस्थिति में हर दिन अपने खेतों में लहलहाती फसल को देखते हुए ही आनंद महसूस करता है। 

ग्रामीण क्षेत्र में हालांकि शिक्षित किसानों की संख्या बहुत कम है। और वो आज भी खेती के पुराने तरीके ही अपनाकर खेती करते हैं।उन जगहों पर कुछ किसानों की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। कठिन मेहनत करने के बाद भी अपना और अपने परिवार का भरण पोषण में मुश्किल से हो पाता है। 

किसान और शिक्षा (Essay On Farmers)

भारत की आजादी से पहले हमारे देश के किसानों की दशा बहुत खराब थी।तब किसान किसान न होकर मजदूरों की तरह रहते थे। लेकिन आजादी मिलने के बाद धीरे-धीरे किसानों की दशा में सुधार आया। आजादी के बाद हमारे देश में शिक्षा का भी काफी प्रचार-प्रसार हुआ। किसानों ने भी शिक्षा ग्रहण की।आज के अधिकतर किसान शिक्षित हैं। और उन्हें अपनी शिक्षा का भरपूर फायदा खेती करने में मिला है।

कई किसानों ने विषैले रसायनों तथा कीटनाशकों का प्रयोग बंद कर उसकी जगह जैविक खेती करना शुरू कर दिया है। और यह वाकई में कृषि जगत में एक नई पहल है। जिससे हमारा पर्यावरण भी स्वस्थ रहता है।और हवा , पानी , मिट्टी , पर्यावरण दूषित भी नहीं होते हैं । दूसरी ओर किसान की मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी खत्म नहीं होती , बल्कि वह दिनों दिन बढ़ती जाती है , जिसका फायदा किसानों को ही मिलता है। 

कृषि के क्षेत्र में भी नए-नए औजारों , उपकरण का आविष्कार हुआ। जिनसे किसानों को फायदा पहुंचा। आज का किसान आधुनिक जानकारियों व वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल कर खेती करने लगा है। 

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 मौसम पर निर्भर भारतीय किसान 

भारत में अधिकतर खेती वर्षा के ऊपर ही निर्भर करती हैं। खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में। अच्छी वर्षा होने पर फसल अच्छी होती है। अन्यथा किसान को भारी नुकसान उठाना पड़ जाता है। हालांकि मैदानी क्षेत्रों में नहरों तथा ट्यूबलों के द्वारा सिंचाई की जाती है। लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में इस तरह की कोई सुविधाएं नहीं होती हैं। वहां पर किसान सिंचाई के लिए मौसम व वर्षा पर ही निर्भर हैं। 

पर्यावरणीय असंतुलन से मौसम चक्र में अनेक बदलाव आ गए हैं।कभी बीज बुवाई के वक्त बारिश नहीं होती , तो कभी इतनी अधिक हो जाती है कि खेतों में खड़ी , कटने को तैयार फसल ही खराब हो जाती हैं।

इसी तरह ओलावृष्टि और असमय बर्फबारी पहाड़ों की फसलों को और नुकसान पहुंचाती है। ऊपर से जंगली जानवरों भी आए दिन किसानों की फसलों को अत्यधिक नुकसान पहुंचाते हैं। इस सबका असर किसान की आय पर भी पड़ता है। 

कभी कभी आर्थिक नुकसान की वजह से उनके पास अगली फसल के लिए अच्छे बीज , खाद , औजार खरीदने के लिए पैसे भी नहीं होते हैं।अगली फसल को बोने के लिए उन्हें मजबूरन किसी साहूकार या बैंक से कर्ज लेना पड़ता है। जिसको चुका पाना कई बार उनके लिए आसान नहीं होता। ऐसे में कर्ज के बोझ से दबे होने के कारण कई बार छोटे किसान आत्महत्या जैसा घातक कदम भी उठा लेते हैं। 

किसान व सरकारी योजनाएं (Essay On Farmers)

हालाँकि सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। केंद्र सरकार का लक्ष्य 2022 तक भारतीय किसान की आय को दुगना करने का है। इसीलिए खाद , बीज तथा कृषि संबंधी उपकरणों के लिए सरकार की तरफ से ऋण दिया जाता है। इसके साथ ही कृषि संबंधी कुछ सामानों पर सरकार की तरफ से अच्छी खासी सब्सिडी भी दी जा रही है। 

आज सरकार ने किसान की जमीन की मिट्टी की जांच , उस में उगने वाली फसल तथा उत्तम नस्ल के बीजों के बारे में जानकारी देने के लिए कई कार्यक्रम चलाये हैं। आज किसान इन सब के बारे में जानकारी हासिल कर वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल कर खेती करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। ताकि अच्छी फसल उग सके। 

किसान वाकई में हमारे देश की रीड की हड्डी है। उन्हीं की मेहनत से देश आज अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बना है। सचमुच किसान ही देश का भाग्य विधाता होता है। देश की प्रगति किसान की प्रगति पर ही निर्भर करती है। जिस देश में किसान सुखी होता है , वह देश अपने आप ही सुखी व संपन्न होकर होकर विकास के रास्ते में चल पड़ता है।

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भारतीय किसान पर निबंध – Essay on Indian farmer in Hindi

भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian farmer in Hindi): भारत में 58 प्रतिशत लोग किसान हैं. किसान देश की रीढ़ हैं. किसान दिन-रात मेहनत करते हैं. उनके बिना, हमारा देश पूरी तरह से अधूरा है ; इसलिए तो किसान को देश की रीढ़ कहा जाता है.

यह बात सब जानते है की भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां की 75 से 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है. इसलिए कृषि को पैदा करने वाला किसान भारतीय प्रगति की रीढ़ की हड्ड़ी है. किसान सबके लिए अनाज पैदा करता है. अन्न के बिना मानव जीवन की अस्तित्व ही खतरे में है. अतः किसान सबका अन्न दाता, जीवन दाता है. भारत की समग्र अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में कृषि पर निर्भर है. इसलिए भारत के समग्र विकास के लिए कृषक का पूर्ण विकास आवश्यक है. लेकिन दुःख की बात है कि आज भी भारतीय किसान की दशा अत्यंत दयनीय है.

भारतीय किसान का जीवन

भारतीय किसान का जीवन अत्यंत कठोर है. उसके लिए सुख-दुःख, लाभ-हानि, सर्दी-गर्मी, वर्षा सब एक समान हैं. खेत ही उसके जीवन का अभिन्न अंग है. वह सच्चा कर्मयोगी है, जिसको फल प्राप्ति के लिए ईश्वर पर पूर्ण निर्भर रहना पड़ता है. क्योंकि खेतों में कठोर परिश्रम कर देना ही उसका परम कर्त्तव्य है लेकिन फल पूर्ण रूप से ऊपर वाले के हाथ में है. लेकिन वह अपने कर्तव्य का पालन सदैव करता रहता है. अर्थात भारतीय कृषि वर्षा पर ही निर्भर करती है. यदि वर्षा सही समय पर सही रूप में हो जाये तो कृषि सही होगी अन्यथा अतिवृष्टि व अनावृष्टि से किसान की मेहनत पर पानी फिर जाता है. इसलिए किसान के भाग्य का फैसला ऊपर वाले के हाथ में है. वह भीषण गर्मी में, ठिठुरती सर्दी में, मूसलाधार वर्षा में अपने ही खेतों में लगा रहता है. खेत ही उसका जीवन हैं. हल, बैल, हंसिया, कुदाल उसके संगी साथी हैं. भारतीय किसान कच्चे मिट्टी के मकानों में निवास करते हैं. पशु ही उनका परम धन है जो उनके टूटे-फूटे घरों में उनके साथ रहते हैं.     

bhartiya kisan par nibandh

अभावग्रस्त जीवन

भारत में किसानों की स्थिति अच्छी नहीं है. भारतीय किसान छल, प्रपंच से दुर बिल्कुल सीधा-साधा जीवन यापन करता है. वह शिक्षित नहीं होता है. उसके गांव में जो शिक्षित हो जाता है वह गांव छोड़कर शहर में चला जाता है, फिर गांव में रह जाता है वही पुराना, अभाव ग्रस्त, रूढ़ि ग्रस्त किसान जो अपनी प्राचीन परम्परागत पद्धति से ही कृषि करता है. उसके कठिन परिश्रम का फल अन्न, धनियों, पूंजीपतियों व सरकारी दलालों को मालो-माल बना देता है लेकिन भारतीय किसान वहीं दरिद्र नारायण बना रहता है. उसके पपास वही फटी धोती, फूटी कठोती, फटी पगड़ी ही रह जाती है. भूखा प्यासा किसान अपने कठोर परिश्रम में संलग्न हो जाता है. वह जन्म, मृत्यु, शादी और उत्सवों में इतना खर्च कर देता है कि जीवन भर धनियों का बंधक बन जाता है. कुरीतियां, रूढ़ियां, अंधविश्वास उसके दिल में घर कर जाते हैं जो उसे पीछे धकेलते रहते हैं.     

जय जवान जय किसान

हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने किसानों का जीवन सुधारने के लिए और उनको प्रोस्ताहित करने के लिए देश का ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था. अब जब तक भारतीय किसानों की दशा नहीं सुधारी जाती तब तक भारतीय प्रगति भी अपूर्ण है. किसानों की स्थिति न सुधरने के कारण ही आजादी के इतने वर्षों के वाद भी देश प्रगति नहीं कर पाया है.

हमारे देश की सरकार किसानों की बेहतरी पर बहुत पैसा खर्च कर रही है. उन्हें अच्छे बीज, अच्छे उर्वरक और कम ब्याज वाले कृषि ऋण उपलब्ध कराया गया है. उनके शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और नैतिक विकास के लिए प्रयास जारी है. आशा है कि भारतीय किसान इसका लाभ उठाएंगे.

आपके लिए :-

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ये था भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian farmer in Hindi). उम्मीद है भारतीय किसानों के बारे में ये निबंध आपको पसंद आया होगा. अंत में बस इतना कहूंगा की, आज भारत सरकार को भारत के विकास के लिए भारत के किसान की ओर ध्यान देना होगा. किसान को विशुद्ध आधुनिक किसान बनाकर उसको दरिद्रता से मुक्ति दिलानी होगी. अगर आपके मन में हमारे किसान भाइयों बहनों को लेकर कुछ सवाल है, तो आप हमें कमेंट में पूछ सकते हैं. मिलते है अगले निबंध में. धन्यवाद.

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  • निबंध ( Hindi Essay)

farmers life in hindi essay

Essay on Farmer in Hindi

हमारा देश भारत आज विश्व में केवल अपने पर्यावरण और प्राकृतिक क्षेत्रों के वजह से प्रसिद्ध हुआ है। हमारे देश में कार्य करने वालों की संख्या इतनी ज्यादा है कि बेरोजगारी की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। ऐसे में हर कोई केवल एक ही कार्य को करने में सक्षम हो पाता है जोकि है खेती-बाड़ी का। खेती-बाड़ी (Essay on Farmer in Hindi) का एक ऐसा कार्य है जो हर कोई आसानी से कर सकता है। आसानी से करने के साथ-साथ अपने नाम का पंजीकरण भी करवा सकता है। सरकार द्वारा भी हमारे देश के किसानों को कई सारी सुविधाएं दी गई है। हमारे देश के 33% लोग केवल खेतीबाड़ी से अपना जीवन यापन कर रहे हैं। परंतु अब जैसे-जैसे समय बदल रहा है वैसे वैसे लोग खेती किसानी से दूर जा रहे हैं। कुछ इन परिस्थितियों में हमारे देश के किसानों को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अनेक परेशानियां झेलने के बाद भी उन्हें किसी प्रकार का लाभ नहीं होता और कार्य ना होने की वजह से ही यह कार्य छोड़ भी नहीं सकते।

Table of Contents

भारत के किसान :-

भारत एक बहुत ही बड़ा और सुंदर देश है जहां की जनसंख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यहां पर हर किसी को भोजन केवल उनके अन्न दाताओं द्वारा ही मिल सकता है। भारत देश के अन्नदाता के नाम में किसानों ने अपना नाम शामिल करवाया है। हमारे देश भारत में किसानों की बहुत बड़ी महत्वता है उनके बिना ना तो हमें भोजन प्राप्त हो सकता है और ना ही जीवन जीने का कोई भी साधन। यह तो हम सब जानते हैं कि मानव सही के लिए अन्य का बहुत बड़ा महत्व है परंतु लोग आजकल उन्हीं किसानों (Essay on Farmer in Hindi) के लिए अपने मन में एक अलग सी भावना बना लिए हैं। क्योंकि हमारे देश के 33% लोग खेती किसानी से अपना जीवन जी रहे हैं वही उन्हें अपना जीवन जीने के लिए कई सारी परेशानियां देखनी पड़ती है। वैसे तो किसानों के लिए सरकार बहुत सारी सुविधाएं दे रही है परंतु उन तक नहीं पहुंच पाती और उन्हें बहुत सारी समस्याएं होती है।

किसान या अन्नदाता :-

हमारे देश में अन्नदाता का मतलब होता है हमें भोजन देने वाला देवता। जो कि वर्तमान में किसानों के नाम पर बोला जाता है। हमारे देश के किसान यदि ना होते तो हमें अन्न का एक दाना भी प्राप्त नहीं हो पाता। हमारे देश के किसान खेती के लिए अपना पूरा जीवन दे देते हैं और पूरी मेहनत से अन्न उगाने का कार्य करते हैं। उनके लिए ये अनाज ही केवल सोना और चांदी होता है। लहलहाते धान के खेत इनके मन को अलग ही सुख प्राप्त कराते है। वही कई सारी ऐसी और खेतिया (Essay on Farmer in Hindi) भी है जिनसे यह अपनी उज्जवल भविष्य का सपना देखते हैं। पुरातत्व समय से ही किसानों को एक अलग दर्जा दिया जाता है। हमारे देश में आज भी किसान को लेकर कई सारी मान्यताएं रखी गई है। हमारे देश में किसान को देवता का स्वरूप बताया गया है क्योंकि वह हमें खाने के लिए भोजन प्राप्त कराते है और भोजन ही मात्र ऐसा साधन है जिससे कोई भी व्यक्ति जीवित रह सकता है।

भारत में किसान का महत्व:-

हमारे देश भारत में किसान का बहुत बड़ा महत्व है यहां पर हर कोई एक दूसरे पर निर्भर रहता है परंतु पूरी दुनिया केवल किसानों पर ही निर्भर है। किसान तो कई सारे देशों में भी है परंतु भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां पर किसानों की तादाद सबसे ज्यादा है और सबसे ज्यादा अन्न भी उगाए जाते हैं। भारत की पूरी जनसंख्या मिलाकर भी अनाज का उपयोग नहीं कर सकती जितना हमारे किसान कड़ी मेहनत से उगाते हैं इसलिए उनके द्वारा अनाजों को दूसरे देशों में भी बेचा जाता है। हमारे देश की कई सारी ऐसी प्रजातियां (Essay on Farmer in Hindi) हैं जो केवल खेती किसानी में ही अपना पूरा जीवन निर्भर रखती है और उसी कार्य को करने में सक्षम भी हो पाती है। केवल हमारे ही नहीं परंतु हर किसी के लिए किसानों का बहुत बड़ा महत्व है क्योंकि किसानों द्वारा अनाज हमारे लिए पोषक तत्व का कार्य करता है और हमें जीवित रखने में सहायता करता है। कुछ यही कारण है कि भारत देश में हर किसी को खेती किसानी की अनुमति प्राप्त है और कोई भी इस कार्य को आसानी से कर सकता है।

किसानों को समस्या:-

यह तो हम सब जानते हैं कि हर किसी के जीवन में अलग सी समस्याएं हैं परंतु किसानों के लिए हमारे देश में कई सारी ऐसी समस्याएं प्रकट होती है जो उनके लिए बहुत ज्यादा परेशानी का विषय होता है। हमारे देश के किसानों को भरपूर अनाज उगाने के बाद भी किसी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं होता। यदि कोई व्यक्ति चाहे कि वह अपना अनाज स्वयं के पास रख कर उसे अलग से बेचे तो यह भी संभव नहीं है। यदि किसी वर्षा या फिर कभी धूप हो जाए तो उनके पूरे फसल को नष्ट होने में रत्ती भर का समय भी नहीं लगता। उनके द्वारा दिन रात मेहनत करने के बाद भी परिवार में किसी प्रकार का सुविधा नहीं हो पाती है। सरकार द्वारा दिए गए ऐसे कई सारे सुविधाएं हैं जो उन तक नहीं पहुंच पाती। खेती-बाड़ी करने के लिए उठाए गए करजो को ना चुका न पाने के कारण उनके पास केवल आत्महत्या जैसी चीजें बच जाती है।

वैसे तो हम सब अपने देश के किसानों की महत्वता को बहुत भली-भांति समझते हैं। परंतु जैसे-जैसे हमारे देश में आधुनिकता बढ़ती जा रही है वैसे वैसे हम इन महत्वपूर्ण कार्यों को करना छोड़ रहे हैं। खेती बारी यदि कोई ना करें तो एक वक्त का भी भोजन में प्राप्त ना हो ऐसे में हमारे देश के इतने मेहनती किसान कार्य करते हैं और हमें भोजन प्राप्त करवाते हैं। इसके बावजूद भी उन्हें किसी प्रकार का लाभ या फिर सुविधा प्राप्त नहीं होती है और वे हर चीज से परेशान होकर आत्महत्या कर लेते हैं जो कि हमारे देश के लिए बहुत गंभीर समस्या है और इस समस्या का समाधान हम सबको मिलजुल कर करना चाहिए और अपने देश के किसानों के लिए उनके उज्जवल भविष्य का चयन करना चाहिए।

1. किसान को अन्न दाता क्यों कहा गया है ?

उत्तर:- हमारे देश के किसान हमें अन्न प्राप्त कराते हैं जिसकी बदौलत ही हम अपने जीवन को जी पाते हैं इसीलिए किसान को अन्नदाता अर्थात अन्न का देवता कहा गया है।

2. हमारे देश मे किसानों का क्या महत्व है?

उत्तर:- हमारे देश भारत में किसान का बहुत बड़ा महत्व है यहां पर हर कोई एक दूसरे पर निर्भर रहता है परंतु पूरी दुनिया केवल किसानों पर ही निर्भर है।

3.भारत देश की कितनी प्रतिशत नागरिक किसान है?

उत्तर:- भारत देश की 33% जनता केवल किसानी का कार्य करती है।

4. किसानों को कैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

उत्तर:- हमारे देश के किसानों को भरपूर अनाज उगाने के बाद भी किसी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं होता। यदि कोई व्यक्ति चाहे कि वह अपना अनाज स्वयं के पास रख कर उसे अलग से बेचे वैसे तो यह भी संभव नहीं है आदि जैसे समस्याएं।

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भारतीय किसान पर निबंध Essay On Indian Farmer In Hindi And English

नमस्कार दोस्तों आज हम भारतीय किसान पर निबंध Essay On Indian Farmer In Hindi And English पढ़ेगे. भारत के किसान के जीवन, उनकी समस्याएं महत्व आदि पर आधारित सरल भाषा में हिंदी और अंग्रेजी में इंडियन फार्मर पर शोर्ट निबंध यहाँ दिया गया हैं.

Essay On Indian Farmer In Hindi & English-भारतीय किसान पर निबंध

भारतीय किसान पर निबंध Essay On Indian Farmer In Hindi And English

Indian farmer essay In English & Hindi Language:-  our country’s economy is agriculture-based. so for the development, India must be a focus on Indian farmers and help them by the government.

Essay On Indian Farmer In Hindi describe short information about our farmer condition in modern India.

whats Indian farmer’s problems? why they suicide in large number every year, in some states.  

Essay On Indian Farmer In Hindi And English helps to students they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9. children and kids improve their knowledge about Indian farmers in Hindi by reading this various length essay 100, 150, 200, 250, 300, 400 and 500 words essay.

Essay On Indian Farmer In English

a farmer is a very useful person in our life. he meets our basic needs of life. he grows corn to eat and cotton for clothes to wear.

he groves many things on his farms and send them to us. he does a valuable service silently. he is the backbone of society.

he is a very simple man. he is simple in the dress. he is good at heart. he wears hand-woven clothes and handmade shoes. he lives in kachchahuts. he is true to the picture of Indian culture.

his life is very hard. he works from morning till evening. he knows no rest. whether it is scorching heat or biting cold, he works in the field.

he plows the fields, sows the seeds and waters in the fields. he removes the weeds. he looks after the crops. he is happy to see his ripe crops.

he reaps the crops and thrashes them. then he sells the corn in the market and thus earns his livelihood. but his labor is dependent upon nature. nature is sometimes cruel to him.

he is illiterate. he is easily duped by money lenders. his condition is miserable. the government is doing a lot to improve the condition of the farmers. the future of India depends upon farmers. so the government must do a lot of them.

Essay On Indian Farmer In Hindi

किसान हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, भारतीय किसान देश के सवा सौ करोड़ लोगों की मुलभुत आवश्यकताओं को पूरा करता है.

यह हमारे लिए पहनने का कपड़ा बनाने के लिए कपास, खाने के लिए चावल, बाजरा, मक्का, गेहू जैसे फसलें उगाता है. तथा इसे हम तक पहुचाता है.

राष्ट्र के विकास के लिहाज से किसान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. किसान ही हमारे देश व समाज की रीढ़ की हड्डी है, जिनकें बल पर हमारी अर्थव्यवस्था खड़ी है.

भारतीय किसान बेहद साधारण व सरल इंसान के रूप में जीवन जीता है, उनका दिल सभी के लिए अच्छा होता है. यह हस्त निर्मित जूते एवं कपड़े उपयोग में लेता है. किसान का घर कच्चा होता है. भारतीय संस्कृति का असली स्वरूप गाँवों के किसान के जीवन में आज भी जिन्दा है.

इसका जीवन बेहद मुश्किलों से भरा होता है, किसान सुबह से शाम तक अपने खेत में निरंतर काम करता है. सर्दी, गर्मी हो या खराब मौसम सभी हालातों में किसान अपनी लग्न व मेहनत से खेत में लगा रहता है.

बारिश के होते ही, वह अपने खेत को बोता है तथा फसल की देखरेख करने के लिए खरपतवार हटाता है. इनकों सबसें अधिक खुशी लहलहाती फसलों को देखकर ही होती है.

फसल के पकने के साथ ही किसान इसकी कटाई करता है. तत्पश्चात इसकी थ्रेसिंग कर बाजार में बेच देता है. तब जाकर उसे अपनी आजीविका चलाने का कुछ सहारा मिलता है.

भारतीय किसान एवं कृषि मानसून पर आधारित है. कई बार अकाल या प्राकृतिक प्रकोप के कारण उनके मेहनत बेकार भी चली जाती है, तथा सारी फसल सूख जाती है.

भले ही किसान अधिक पढ़ा लिखा न हो, मगर वह अपना हिसाब किताब अच्छी तरह से रखता है. आज के समय में किसानों की स्थति बेहद खराब है. सरकारे इनके हालत में सुधार के लिए प्रयत्न भी कर रही है.

भारत का भविष्य हमारे किसान पर निर्भर करता है, इसलिए हमारी सरकार को किसानों के लिए और कुछ करने की आवश्यकता है. ताकि किसान की स्थति में कुछ सुधार आ सके.

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भारतीय कृषक पर निबंध | Indian Farmer Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on Bhartiya Kisan in Hindi

By: savita mittal

भारतीय कृषक पर निबंध | Indian Farmer Essay in Hindi

भारतीय कृषकों की स्थिति | indian farmer essay in hindi, कृषक कल्याण हेतु किए गए प्रयास, indian farmer essay in hindi/essay on farmer in hindi/kisan par nibandh hindi mein/farmer essay video.

गांधी कहते थे–“ भारत का हृदय गांवों में बसता है , गाँवों की उन्नति से ही भारत की उन्नति सम्भव है। गाँवों सेवा और परिश्रम के अवतार ‘कृषक’ रहते हैं।” वास्तविकता भी यही है कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की घरी है। की कुल श्रमशक्ति का लगभग 61% भाग कृषि एवं इससे सम्बन्धित उद्योग-धन्धों से अपनी आजीविका चलाता ब्रिटिशकाल में भारतीय कृषक अंग्रेजों एवं जमींदारों के अत्याचारों से परेशान एवं बेहाल थे।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद स्थिति में अधिक सुधार हुआ, किन्तु जिस प्रकार कृषकों के शहरों की ओर पलायन एवं उनकी आत्महत्या की सुनने को मिलती है, उससे यह स्पष्ट होता है कि उनकी स्थिति में आज भी अपेक्षित सुधार नहीं हो सका है। स्थिति विकट हो चुकी है कि कृषक अपने बच्चों को आज कृषक नहीं बनाना चाहते।

कवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा लिखी गई ये पंक्तियाँ आज भी प्रासंगिक है। “” सी में पचासी जन यहाँ निर्वाह कृषि पर कर रहे, पाकर करोड़ों अर्द्ध भोजन सर्द आहे भर रहे। जब पेट की ही पड़ रही, फिर और की क्या बात है, ‘होती नहीं है भक्ति भूखे’ उक्ति यह विख्यात है।”

विश्व के महान् विचारक सिसरो ने भी कहा है-“किसान मेहनत करके पेड़ लगाते हैं पर स्वयं उन्हें ही उनके फल लब नहीं हो पाते।” निःसन्देह खून-पसीना एक कर दिन-रात खेतों में मेहनत करने वाले कृषकों का जीवन अत्यन्त उठोर व संघर्षपूर्ण है। अधिकतर भारतीय कृषक निरन्तर घटते भू-क्षेत्र के कारण गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे 1 दिन-रात खेतों में परिश्रम करने के बाद भी उन्हें तन ढकने के लिए समुचित कपड़ा नसीब नहीं होता।

सर्दी हो या गर्मी, हर हो या बरसात उन्हें दिन-रात बस खेतों में ही परिश्रम करना पड़ता है। इसके बावजूद उन्हें फसलों से उचित आय नहीं हत हो पाती। बड़े-बड़े व्यापारी कृषकों से सस्ते मूल्य पर खरीदे गए खाद्यान्न, सब्जी एवं फलों को बाजारों में ऊँची दरी हरेच देते हैं। इस प्रकार, कृषकों का श्रम लाभ किसी और को मिल जाता है और वे अपनी किस्मत को कोसते हैं।

किसानों की ऐसी दयनीय स्थिति का एक कारण यह भी है कि भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर है और मानसून की निश्चितता के कारण प्राय: कृषकों को अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। समय पर सिंचाई नही होने के कारण भी उन्हें आशानुरूप फसल की प्राप्ति नहीं हो पाती। इसके अतिरिक्त आवश्यक उपयोगी वस्तुओं की कंमतों में वृद्धि के कारण कृषकों की स्थिति और भी दयनीय हो गई है तथा उनके सामने दो वक्त की रोटी की समस्या जुड़ी हो गई है। कृषि में श्रमिकों की आवश्यकता सालभर नहीं होती, इसलिए वर्ष के लगभग तीन-चार महीने कृषकों को बाली बैठना पड़ता है। इस कारण भी कृषकों के गाँवों से शहरों की ओर पलायन में वृद्धि हुई है।

Indian Farmer Essay in Hindi

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देश के विकास में कृषकों के योगदान को देखते हुए कृषकों और कृषि क्षेत्र के लिए कार्य योजना का सुझाव देने हेतु वर्ष 2004 में डॉ. एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कृषक आयोग’ का गठन किया गया। वर्ष 2006 में आयोग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कृषकों के लिए एक विस्तृत नीति के निर्धारण की संस्तुति की गई। इसमें कहा गया किसरकार को सभी कृषिगत उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए तथा यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कृषकों को विशेषत: वर्षा आधारित कृषि वाले क्षेत्रों में न्यूनतम समर्थन मूल्य उचित समय पर प्राप्त हो सके।

राष्ट्रीय कृषक आयोग की संस्तुति पर भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषक नीति, 2007 की घोषणा की । इसमें कृषकों के कल्याण एवं कृषि के विकास के लिए अनेक बातों पर बल दिया गया है। इसमें कही गई बातें इस प्रकार है-सभी कृषिन्न उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित किया जाए। मूल्यों में उतार-चढ़ाव से कृषकों की सुरक्षा हेतु मार्केट रिस्क स्टेबलाइजेशन फण्ड की स्थापना की जाए।

सुखे एवं वर्षा सम्बन्धी विपत्तियों से बचाव हेतु ‘एग्रीकल्चर रिस्क पण्टु स्थापित किया जाए। सभी राज्यों में राज्यस्तरीय किसान आयोग का गठन किया जाए। कृषकों के लिए बीमा योजना का विस्तार किया जाए। कृषि सम्बन्धी मामलों में स्थानीय पंचायतों के अधिकारों में वृद्धि की जाए। राज्य सरकारों द्वारा कृषि हेतु अधिक संसाधनों का आवण्टन किया जाए।

प्राय: यह देखा जाता था कि कृषकों को फसलों, खेती के तरीकों एवं आधुनिक कृषि उपकरणों के सम्बन्ध में उचित जानकारी उपलब्ध नहीं होने के कारण खेती से उन्हें उचित लाभ नहीं मिल पाता था। इसलिए कृषको को कृषि सम्बन्धी • बातों की जानकारी उपलब्ध कराने हेतु वर्ष 2004 में किसान कॉल सेण्टर की शुरुआत की गई। इसके अतिरिक्त कृषि सम्बन्धी कार्यक्रमों का प्रसारण करने वाले ‘कृषि चैनल’ की भी शुरुआत की गई है।

केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण विकास बैंक के माध्यम से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में ‘रूरल नॉलेज सेण्टर्स’ की भी स्थापना की है। इन केन्द्रों में आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी व दूरसंचार तकनीक का उपयोग किसानों को बांछित जानकारियाँ उपलब्ध कराने के लिए फेंक जाता है।

कृषकों को वर्ष के कई महीने खाली बैठना पड़ता है, क्योंकि वर्षभर उनके पास काम नहीं होता। इसलिए ग्रामीण लोगों को गाँव में ही रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी अधिनियम के अन्तर्गत, 2006 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना का शुभारम्भ किया गया। 2 अक्टूबर, 2009 से राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (MANREGA) का नाम बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (MANREGA) कर दिया गया है।

यह अधिनियम ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक परिवार के एक वयस्क सदस्य को वर्ष में कम-से-कम 100 दिन के रोजगार की गारण्टी देता है। इस अधिनियम में इस बात को भी सुनिश्चित किया गया है कि इसके अन्तर्गत 33% लाभ महिलाओं को मिले।

इस योजना से पहले भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार प्रदान करने के लिए अनेक योजनाएँ प्रारम्भ की गई थी, किन्तु उनमें भ्रष्टाचार के मामले अत्यधिक उजागर हुए। अतः इससे बचने के लिए रोजगार के इच्छुक व्यक्ति का रोजगार-कार्ड बनाने का प्रावधान किया गया है। ग्राम पंचायत जो रोजगार कार्ड जारी करती है, उस पर उसकी पूरी जानकारी के साथ-साथ उसका फोटो भी लगा होता है। पंजीकरण कराने के 15 दिनों के भीतर रोजगार न मिलने पर निर्धारित दर से सरकार द्वारा बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाता है।

रोज़गार के इच्छुक व्यक्ति को पाँच किलोमीटर के दायरे के भीतर रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। यदि कार्यस्थल पाँच किलोमीटर के दायरे से बाहर हो, तो उसके स्थान पर अतिरिक्त भत्ता देने का भी प्रावधान है। कानून द्वारा रोजगार की गारण्टी मिलने के बाद न केवल ग्रामीण विकास को गति मिली है, बल्कि ग्रामीणों का शहर की ओर पलायन भी कम हुआ है। आज कोबिड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है, लेकिन मनरेगा इस सकट से उबारने के लिए प्रभावशाली भूमिका अदा कर रही है।

कृषकों को समय-समय पर धन की आवश्यकता पड़ती है। साहूकार से लिए गए ऋण पर उन्हें अत्यधिक ब्याज देना पड़ता है। कृषकों की इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, उन्हें साहूकारों के शोषण से बचाने के लिए वर्ष 1998 में ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ योजना की भी शुरुआत की गई। इस योजना के फलस्वरूप कृषकों के लिए वाणिज्यिक बैंको क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों से त्राण प्राप्त करना सरल हो गया है। वर्ष 2016 में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने को राहत पहुँचाने की दिशा में यह एक निर्णायक एवंसक प्रधानक चहल है। इसी प्रकार कृषकों के हितों को ध्यान में रखते हुए क 2019 में प्रधानमन्त्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की गई है।

अर्थव्यवस्था को सही अर्थों में प्रगति की राह पर अग्रसर कर सकेंगे और तभी डॉ. रामकुमार वर्मा की ये पंक्तियाँ सार्थक सिद्ध होगी कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इसलिए अर्थव्यवस्था में सुधार एवं देश की प्रगति के लिए किसानों की प्रगति है। इस सन्दर्भ में प्रो. मूलर की कही बात महत्त्वपूर्ण है- “भारत की दीर्घकालीन आर्थिक विकास की लड़ाई कृषकद्वारा जीती या हारी जाएगी।”

केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई विभिन्न प्रकार की योजनाओं एवं नई कृषि नीति के फलस्वरूप कृषको की स्थिति में सुधार हुआ है, किन्तु अभी तक इसमें सन्तोषजनक सफलता प्राप्त नहीं हो सकी है। आशा है विभिन्न प्रकार के सरकारी प्रयासों एवं योजनाओं के कारण आने वाले वर्षों में कृषक समृद्ध होकर भारतीय “सोने चाँदी से नहीं किन्तु तुमने मिट्टी से किया प्यार, हे ग्राम देवता नमस्कार”।

reference Indian Farmer Essay in Hindi

farmers life in hindi essay

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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Essay on indian farmer in hindi भारतीय किसान पर निबंध.

Essay on Indian Farmer in Hindi for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. भारतीय किसान पर निबंध। In this article, we are going to post information about Indian farmer in Hindi, Indian farmer life and problems faced by farmer in Hindi.

hindiinhindi Indian Farmer Essay in Hindi

Essay on Indian Farmer in Hindi 200 Words

विचार – बिंदु – • भारतीय किसान का महत्त्व • सादगी-पसंद • परिश्रमी जीवन • हृष्ट-पुष्ट • गरीबी • दुर्दशा के कारण • सुधार के उपाय।

भारत की संस्कृति कृषक-संस्कृति है। भारतीय किसान सीधा-सादा जीवन-यापन करता है। सादगी का यह गुण उसके तन से ही नहीं, मन से भी झलकता है। सच्ची बात को सीधे-सादे शब्दों में कहना उसका स्वभाव है। भारतीय किसान बड़ा कठोर जीवन जीता है। वह शरीर से हृष्ट-पुष्ट रहता है। माँ धरती और प्रकृति की गोद में खेलने के कारण न उसे बीमारियाँ घेरती हैं, न मानसिक परेशानियाँ। भारत के अधिकतर किसान ग़रीबी में जीते हैं। उनके पास थोड़ी जमीन है। छोटे किसान दिन-भर मेहनत करके भी भरपेट खाना नहीं जुटा पाते। अधिकतर किसान निरक्षर है। अज्ञान के कारण वे अंधविश्वासों में आस्था रखते हैं। इस कारण वे परिवार को सीमित रखने का महत्त्व नहीं समझते।

परिणामसवरुप उनका परिवार बढ़ता जाता है और ज़मीन कम होती जाती है। फिर उनके जीवन में खुशहाली कैसे आए? अज्ञानता के कारण ही व्यापारी लोग उन्हें आसानी से लूट लेते हैं। आवश्यकता है कि किसानों को उन्नत बीज, खाद, कीटनाशक सस्ते दामों पर उपलब्ध कराए जाएँ। उनके बच्चों को सस्ती शिक्षा दी जाए। उनके उत्पादन को ऊँचे दामों पर बेचने का प्रबंध किया जाए।

Indian Farmer in Hindi Essay 600 Words

भारतीय किसान की त्रासद स्थिति

मानव ने अपने पशुतुल्य जीवन को छोड़कर जिस समय एक स्थायी जीवन को ग्रहण किया था उसी समय उसने कृषि को अपने जीवन का अपरिहार्य अंग स्वीकार कर लिया था। कृषि ने ही मानव को पशु-जगत से भिन्न एक मानव-जगत् में स्थापित किया। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि संसार में मानव का आविर्भाव कृषि-व्यवस्था के परिणामस्वरूप ही अविर्भाव हुआ।

भारतीय संस्कृति, सभ्यता और साहित्य का एक बड़ा हिस्सा किसान-जीवन की नाना स्थिति-परिस्थितियों के विविध आयामी चित्रणों से भरा पड़ा है। आदिकाव्य रामायण में भी मानव के इस आदिम-पेशे का यथोचित वर्णन मिलता है। कालिदास ने तो ‘मेघदूत’ नामक अपने श्रृंगार और प्रेमपरक काव्य में, किसान जीवन की विराट मार्मिकता को पूरी तरह से उभार कर ही रख दिया। किन्तु किसान का जीवन मात्र प्राकृतिक-जीवन की मधुरता, स्वच्छंदता, सहजता और सौन्दर्य से भरा हुआ ही नहीं होता अपितु गरीबी, शोषण और विकराल अभावग्रस्तता का भी जीवन होता है। भक्ति-काल के सर्वश्रेष्ठ कवि महात्मा तुलसीदास ने कृषक जीवन की इस विडम्बनापूर्ण स्थिति को पूरी वास्तविकता और सच्चाई के साथ अनुभूत किया था। एक स्थान पर कृषक जीवन की त्रासद-स्थिति का वर्णन करते हुए महात्मा तुलसीदास ने लिखा है:

‘खेती न किसान को, भिखारी को न भीख बलि,

बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।

जीविका विहीन लोग सीधामान सोच बस,

कहैं एक एकन सों कहा जाई का करी?

जो किसान अपने अथक परिश्रम के द्वारा अन्न उत्पन्न करते हैं और उससे सकल संसार का पेट भरते हैं वही किसान स्वयं अपने पेट के लिए दो जून की रोटी को तरसते हैं। उन्हें भरपेट भोजन भी प्राप्त नहीं होता। उनके बीबी: बच्चे भूख से बिलखते रहते हैं। वस्तुत: इस स्थिति को देखकर तो हृदय यह पुकार उठता है कि कृषक जीवन वस्तुत: गरीबी, भुखमरी और दरिद्रता का जीवन रहा है। कितने आश्चर्य की बात है कि जो दूसरों की भूख शान्त करता है, वह स्वयं सदैव भुखमरी के भवंरजाल में फंसा रहता है। लाख प्रयत्न करने पर भी वह इस भंवरजाल से कभी निकल नहीं पाता। उपन्यास सम्राट प्रेमचंद ने भी अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘गोदान’ में कृषक-जनों की दारूण एवं मार्मिक स्थिति का चित्रण करते हुए लिखा है:

“तीन लडके बचपन में ही मर गए। उसका मन भी कहता था, अगर उनकी दवा-दारू होती तो वे बच जाते, पर वह एक धेले की दवा भी न मंगवा सकी थी। उसकी उम्र भी अभी क्या थी। छत्तीसवां साल तो था, पर सारे बाल पक गये थे, चेहरे पर झुर्रियां पड़ी थीं। सारी देह ढल गयी थी, वह सन्दर गेहँआ रंग साँवला गया था और आँखों से भी कम सूझने लगा था। पेट की चिन्ता ही के कारण कभी तो जीवन का सुख न मिला।’

यह एक महान कथाकार का बेहद सजगता से किया गया समाज-अध्ययन है। यह उस समय के किसान की दारूण स्थिति का लेखा-जोखा है, जब भारत में ब्रिटिश अपने उपनिवेश अपने चरम पर था। ब्रिटिश नीतियां तो निश्चित रूप से भारत की अर्थ-व्यवस्था को पूर्णतः बर्बाद करने वाली और आर्थिक शोषण के द्वारा अपने देश को समृद्ध करने वाली थीं। किन्तु ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आज भारतीय कृषक की स्थिति बहुत अच्छी है। महात्मा गांधी ने धनिक वर्ग को चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि भारतीय समाज को शान्तिपूर्ण मार्ग पर सच्ची प्रगति करनी है, तो धनिक वर्ग को निश्चित रूप से स्वीकार कर लेना होगा कि किसान के साथ भी वैसी ही आत्मा है जैसी उनके पास है और अपनी दौलत के कारण वे गरीब से श्रेष्ठ नहीं हैं।”

आज भी कृषक समाज बेतहाशा गरीबी और दरिद्रता का त्रासद जीवन जी रहा है। वह निरन्तर आत्म-हत्या और आत्महंता प्रवृत्तियों से ग्रस्त होता जा रहा है। आज आवश्यकता यह है कि सरकार अपनी संवेदनशीलता का परिचय दे और कृषक जीवन को बेहतर बनाने के लिए सच्चे अर्थों में प्रयास करें।

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भारतीय किसान पर निबंध

आज के इस लेख में हम भारतीय किसान निबंध इन हिंदी (Essay on Indian Farmer in Hindi) आप तक पहुंचाने वाले हैं। इस निबंध में भारतीय किसान के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

भारत में किसान को भगवान का दर्जा दिया जाता है। वर्तमान समय में भारत में लगभग 60% लोग खेती पर निर्भर है और इन लोगों द्वारा की गई खेती से भारत के हर व्यक्ति को खाना मिलता है।

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भारत में किसान का महत्व काफी अधिक है। किसान के बिना देश भूख से मर जाएगा और भविष्य में भी भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि आज के समय में आज की युवा जनरेसन खेती करने से दूर जा रही है।

आज के समय में जो व्यक्ति किसान की भूमिका निभा रहे हैं, वे देश के लिए सबसे सम्मानजनक व्यक्ति है। हमारा देश भारत जिसे कृषि प्रधान देश भी कहा जाता है। यहां की अधिकतर जनसंख्या खेती-बाड़ी पर निर्भर है और खेती-बाड़ी करके ही यहां के लोग अपना गुजारा चलाते हैं।

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भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian Farmer in Hindi)

आज भले ही विज्ञान कितनी तेजी से विकास क्यों ना कर रहा हो लेकिन भारत के किसान आज भी सादगी पूर्ण जीवन जीते हैं। भारत के किसान के कड़े मेहनत और संघर्ष से हर एक भारतीय युवाओं एवं बच्चों को परिचित होने की जरूरत है।

इसलिए आज के इस लेख में हम 100, 150, 200, 250, 300, 500 और 1000 शब्दों में भारतीय किसान पर निबंध हिंदी में (Bhartiya Kisan Par Nibandh) लेकर आए हैं।

भारतीय किसान पर निबंध 100 शब्दों में

भारत और भारत के किसानों का संबंध काफी गहरा है। क्योंकि भारत की ज्यादातर जनसंख्या किसान ही है, खेतों से उनका संबंध वर्षों से हैं। भारतीय किसान किसान का जीवन सादगी से भरा हुआ है।

वह सादा खाना खाता है, सादे कपड़े पहनता है और सादा जीवन व्यतीत करता है। समय की कमी के कारण उसकी आवश्यकता भी काफी सीमित है। एक किसान को वर्षा के अतिरिक्त कुछ भी नहीं चाहिए होता है।

वह हर साल अच्छे वर्षा की उम्मीद रखता है ताकि उसकी अच्छी फसल हो सके। लेकिन प्रकृति भी कभी कबार उसके साथ खेल खेलती हैं। कभी वर्षा ही नहीं होती तो कभी अत्यधिक वर्षा होती है।

कम वर्षा के कारण कभी उसकी फसल ही नहीं उग पाती वहीं अत्यधिक वर्षा के कारण फसल ही बर्बाद हो जाती है। यूं कहे कि किसान का जीवन उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है।

लेकिन, भारतीय किसान इतने कमजोर नहीं कि वे प्रकृति के सामने घुटने टेक देंगे, हार मान जाएंगे। किसान के संघर्ष के सामने प्रकृति भी झुक जाती हैं। क्योंकि किसान हर एक परिस्थितियों का सामना करना जानता है।

हर दिन खेतों में काम करके उसका शरीर जितना मजबूत हो चुका है, उतना ही मजबूत उसका दिल भी हो चुका है। इसलिए भारत के किसान सभी तरह के संघर्ष को झेलने के लिए तैयार रहते हैं।

भारतीय किसान पर निबंध 150 शब्दों में

धरती के समूचे प्राणियों के जीवन के लिए अन्न उपजाने वाला भारतीय किसान बहुत परोपकारी एवं मेहनती होता है। किसान साल भर अपने खेतों में मेहनत करता है।

लेकिन जब उसके खेत में हरे हरे फसल लहलहा ने लगते हैं तब उसकी सारी मेहनत और थकान गायब हो जाती है। एक किसान के लिए हरे भरे लहराते फसल को देखना ही सबसे बड़ा सुख है।

वह गर्मी के कड़कती धूप में भी काम करता है और सावन के बरसते बारिश में भी काम करता है। यू कंहे किसान जीवन भर मेहनत करता है। किसानों का जीवन संघर्ष से भरा हुआ है, जो किसान पूरे देश को अन्न देता है। किसी दिन उसी किसान के घर भोजन नहीं बन पाता।

एक किसान देशभर को फल, साग, सब्जी आदि चीजें देता है लेकिन उसकी मेहनत के सामने उसका पारिश्रमिक कुछ भी नहीं है। जिस कारण किसानों को कई बार कर्ज में डूब जाना पड़ता है और यही कारण है कि हर साल कितने ही किसान फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेते हैं, जो देश के लिए बहुत ही शर्म की बात है।

जिस किसान के कारण पूरे देश के लोग पेट भर कर खाना खा पाते हैं, जिन्हें भोजन प्राप्त हो पाता है वही किसान जब दुख में हो, वे अपना जीवन गरीबी में व्यतीत करें, संघर्षपूर्ण जीवन जिए तो उससे बड़ी दुख की बात एक देश के लिए क्या हो सकता है।

हालांकि अब भारत सरकार भी किसानों के उन्नति एवं खेती के अतिरिक्त अन्य आय के स्त्रोत के लिए कई प्रकार की योजना चला रही है, जिसमें से एक पीएम किसान योजना किसानों के लिए आशीर्वाद के समान ही हैं।

भारतीय किसान पर निबंध 200 शब्दों में

देश की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तम्भ भारत के किसान है। देश के विकास में भारत के किसान के योगदान के सामने पूरा देश नमन करता है। भारत के किसान तो करुणा के सागर हैं। जो किसान देश के लोगों के लिए अन्न उपजाता है, उसी किसान को कितने बार भोजन नहीं नसीब हो पाता।

भारत के किसानों की खेती पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर रहती है। प्रकृति ने साथ दिया तो अच्छी फसल होगी यदि प्रकृति ने धोखा दिया तो उनका फसल बर्बाद हो सकता है। एक किसान का जब फसल बर्बाद हो जाता है या जिस वर्ष वह खेती नहीं कर पाता, उस पूरे साल का हर एक दिन उस किसान के लिए संघर्ष से भरा रहता है।

क्योंकि बहुत से किसान खेती करने के लिए कर्ज लिए रहते हैं और उन्हें यही उम्मीद रहती है कि फसल अच्छी होगी तो वह समय पर कर्ज चुका देंगे। लेकिन प्रकृति जब उनके साथ खेल खेलती हैं तो वे अपने ईमानदारी से चुक जाते हैं। कर्ज न चुका पाने के कारण वे मौत को गले लगा लेते हैं।

भारत में प्राचीन काल से ही भारत के किसानों के साथ काफी शोषण होता रहा है। लेकिन अब किसानों का जीवन भी धीरे-धीरे सुधर रहा है। भारतीय किसानों के जीवन को सुधारने में भारत सरकार भी मदद कर रही हैं।

उनके लिए कई योजनाओं को लागू करके भारतीय किसानों के जीवन को सरल बना रही है। यहां तक कि आधुनिक कृषि तकनीकों के कारण भारतीय किसानों के लिए कृषि सरल हो रहा है।

हालांकि विज्ञान कितना भी विकास कर ले लेकिन भारत के किसानों का जीवन हमेशा सादगी से ही भरा रहेगा, उन्हें सादगी पूर्ण जीवन जीना ही पसंद है।

शहरों में लोग ऐसी में सोते हैं, फ्रिज का ठंडा पानी पीते हैं लेकिन भारत के किसानों के लिए पेड़ की छांव ही उनके लिए ऐसी है और कुएं का ठंडा पानी ही फ्रीज के पानी के समान है।

Essay on Indian Farmer in Hindi

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भारतीय किसान पर निबंध 250 शब्दों में (Bhartiya Kisan Nibandh)

भारत में रहने वाले सभी किसान अपने खेतों में काम करते हैं और खेती-बाड़ी करके अपना घर खर्चा चलाते हैं। किसान अनाज और फल सब्जियां उगाते हैं। किसान द्वारा उगाए जाने वाले अनाज और सब्जियों के माध्यम से ही सभी लोगों का पेट भरता है।

किसान जो खेत में रात-दिन मेहनत करता है, फसल कि रखवाली करता है, जिसकी वजह से ही किसान की फसल अच्छी होती है। भारतीय किसानों की स्थिति काफी दयनीय है। कई प्रकार की सरकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों को नए-नए फायदे मिल रहे हैं।

भारत के किसानों को सरकार द्वारा थोड़ी राहत जरूर मिली है। लेकिन दूसरी तरफ फसल पकने पर किसानों को कम दाम में फसल बेचना पड़ता है क्योंकि फसल के भाव गिर जाते हैं।

भारत का किसान जो रोजाना सुबह सूरज उगने से पहले उठकर खेत जाता है। किसान द्वारा जो खेती की जाती है, उसकी मेहनत लगती है। क्योंकि बारिश की वजह से या फिर प्राकृतिक आपदा की वजह से नुकसान होने के चांस ज्यादा होते हैं। ऐसे में किसानों की मेहनत दांव पर लगी रहती है।

हर किसान धरती की पूजा करता है। क्योंकि भारतीय किसान के लिए धरती एक माता समाज है, जो उसे अन्य प्रदान करवाती है और इसी अन्य से देश का पेट भरता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसान अनाज नहीं उगाए तो भारत में भुखमरी का संकट आ जाएगा।

भारत में वर्तमान समय में जो किसान खेती करता है। कई लोग उन्हें गवार समझते हैं और उन्हें नीचा भी समझा जाता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल गलत है क्योंकि देश का सबसे सम्मान को व्यक्ति ही किसान है।

जब किसान को आप गलत समझना शुरू करोगे तो हो सकता है कि भविष्य में आप को भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है। किसान खेती करना छोड़ देगा तो देश में भुखमरी छा जाएगी।

Essay on Indian Farmer in Hindi

भारतीय किसान पर निबंध 300 शब्दों में

भारत के किसान तो भारत की आत्मा है। भारत के किसानों के कारण ही तो देश का विकास है। भारतीय किसान ना होते तो देश भूखे मर जाएगा‌। भारत के किसानों के लिए पूरा जीवन कृषि को समर्पित होता है, उनकी आय का प्रमुख स्त्रोत कृषि ही है।

किसानों के हाथों में इतनी ताकत होती है कि वे एक बंजर सी दिखने वाली जमीन में भी हरियाली ला देते हैं। भारतीय किसानों के लिए कृषि के अतिरिक्त पशुपालन उनकी आय का अतिरिक्त स्त्रोत है।

वे साल भर अपने खेतों में मेहनत करते हैं और देश के लोगों के लिए अन्न उपलब्ध कराते हैं। भारत के किसानों को हर एक परिस्थितियों में रहने की आदत हो चुकी है। उनके लिए गर्मी, वर्षा, ठंड एक समान है।

हर एक मौसम के विषमताओं में अपने आपको मजबूत रखने की क्षमता एक भारतीय किसान में है। यह किसान तो तपस्या, त्याग, इमानदारी, परिश्रम एवं लगन के अद्भुत मिसाल हैं।

भारतीय किसानों का महत्व

निसंदेह भारतीय किसानों के महत्व से नजर नहीं हटा सकते। क्योंकि भारत के किसानों का महत्व सर्वोपरि है। जीवन जीने के लिए भोजन की जरूरत पड़ती है और भोजन के लिए अनाज की आवश्यकता होती है।

यह अनाज भारतीय किसान ही उपजाते हैं। भारतीय किसान कडे धूप में, घनघोर वर्षा में, कड़कड़ाती ठंड में हर एक परिस्थितियों में खेत में काम करते हुए फसल उगाते हैं। तब जाकर हमें भोजन प्राप्त हो पाता है।

भारतीय किसान की स्थिति

भारत के किसानों का जीवन निरंतर गतिशील रहता है। जीवन में उनके लिए आराम शब्द का कोई महत्व नहीं। क्योंकि जीवन पर्यंत उनका संबंध केवल संघर्ष और कडे मेहनत से ही रहता है। वे केवल मेहनत करते हैं। उनका जीवन भी सादगी से ही भरा हुआ है।

सुबह सबसे पहले उठ जाते हैं और पशुओं को चारा देने में व्यस्त हो जाते हैं। उसके बाद अपने हल और कुदाल को लेकर चल जाते हैं, अपने मंजिल की ओर। उनका मंजिल सिर्फ एक ही है “खेत”।

कड़कड़ाती धूप में बिना चप्पल के ही वे काम करते हैं। मेले-फटे कपड़े, कंधे पर गमछा, चेहरे पर थकान और पसीना ही भारतीय किसानों की छवि है। भारतीय किसानों की स्थिति काफी दयनीय है।

कभी वे कर्ज के बोझ तले दबे रहते हैं तो कभी अकाल, सूखे तो कभी बाढ़ के चपेट में आ जाते हैं। लेकिन अब खुशी होती है कि भारतीय किसान भी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करना सीख रही है।

भारतीय किसानों के लिए लागू नई-नई योजनाओं के कारण उनके जीवन का भी विकास हो रहा है। भारत की युवा जितना काम करती है, उससे कहीं गुना ज्यादा भारतीय किसान काम करते हैं। इसलिए तो कहा जाता है “जय जवान जय किसान”।

निसंदेह सच है कि देश की अर्थव्यवस्था में किसान की महत्वपूर्ण भूमिका है। एक किसान से ही देश की प्रगति है। भारतीय किसान हर एक परिस्थिति और प्रकृति की विषमताओ से जूक्ष कर फसल उपजाते हैं, जिसके कारण देश में सबके घर पर चूल्हा जल पाता है।

हालांकि प्राकृति आपदाओं के कारण इन्हें कई बार परेशान होना पड़ता है, संघर्ष करने पड़ते हैं लेकिन, अब भारतीय किसान आधुनिक वैज्ञानिक साधनों को अपना रहे हैं, जिसकी मदद से फसल उपजाने की क्षमता बढ़ रही है।

भारतीय किसान पर निबंध 500 शब्दों में (Bhartiya Kisan Essay in Hindi)

भारत का किसान एक सम्मानजनक व्यक्ति है, जो कड़ी धूप में मेहनत करके हर भारतीय के लिए अनाज उगाता है और हर भर्तियों को खाने के लिए भोजन उपलब्ध करवाता है।

भारतीय किसान अपने खेतों में काम करके अनाज फल सब्जियां उगाते हैं और उन सभी से देश के सभी लोगों का पेट भरता है। खेती बाड़ी का काम करने वाला व्यक्ति कड़ाके की ठंड और कड़कती धूप में अनाज उगाकर अन्य लोगों के लिए भोजन उपलब्ध करवाते हैं।

आज के समय में जो गांव में लोग निवास करते हैं। उनका मुख्य व्यवसाय कृषि ही है और गांव में रहने वाले लोग मुख्य रूप से खेती पर ही निर्भर है।

किसान की परिभाषा और प्रकार

उन लोगों को किसान कहा जाता है, जो खेती का काम करते हैं। अनाज उत्पादन का काम करते हैं और उसी अनाज से बाकी सभी लोगों को भोजन मिलता है।

किसान तीन प्रकार के होते हैं:

  • सीमांत किसान

भारतीय किसान का महत्व

भारत में रहने वाले सभी किसानों का महत्व अत्यधिक है और अमूल्य भी है। किसानों के द्वारा तेज कड़क धूप और कड़ाके की ठंड में हर परिस्थिति को सहन करते हुए उगाए गए धन से देश के हर बच्चे का पेट भरता है और इसी वजह से भारत के किसान का महत्व और मूल्य है।

देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने में भी भारतीय किसानों की मुख्य भूमिका रही है। देश में रहने वाले किसान अन्य का उत्पादन करते हैं और उनके द्वारा उगाए जाने वाले अनाज से हर देशवासी का जीवन पालन होता है।

भारतीय किसान की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार द्वारा किए जाने वाले प्रयास

सरकार हर संभव प्रयास करके किसानों की वर्तमान स्थिति को सुधारना चाहते हैं। किसान हर किसी को अनाज दिलाता है। लेकिन किसानों की खुद की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ी होती है। क्योंकि किसानों द्वारा उगाए गए अनाज को बिल्कुल कम दाम के साथ किसानों को बेचना पड़ता है।

ऐसे में उनकी गरीबी लगातार बढ़ती जा रही है। लेकिन पिछले कई सालों से सरकार द्वारा कई सरकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों को जोड़ा जा रहा है और किसानों को लाभ प्रदान करवाया जा रहा है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत देश के हर किसान को ₹6000 वार्षिक सहायता दी जा रही है। पहले को ऑपरेटिव बैंक से लोन मिलता था। लेकिन यह लोन राशि कम होती थी, इसलिए आज के समय में किसान क्रेडिट कार्ड हर किसान को दिया जा रहा है, जिसके माध्यम से व्यक्ति लोन ले सकता है।

फसल बीमा योजना सुविधा प्रदान करवा कर फसल खराब होने पर किसानों की बीमा से भरपाई हो सके। इसका प्रयास सरकार द्वारा किया जा रहा है।

आज के समय में दिन-प्रतिदिन लोग खेती बाड़ी करने की बजाय अन्य काम धंधे पर जाना उचित समझते हैं। आज के समय में जो 60 फ़ीसदी लोग खेती कर रहे हैं। उन लोगों की भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका है। साथ ही साथ देश के हर बच्चे तक अनाज पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका है।

भारतीय किसान पर निबंध 1000 शब्दों में (Indian Farmer Essay in Hindi)

भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता है। भारत में किसान हर समय खेतीवाड़ी में व्यस्त रहते है और वह साधारण कपड़े पहनना ज्यादा पसंद करते है। किसान अपना जीवन बहुत ही साधरण तरीके से जीता है और कड़ी धूप, तेज तूफान, वर्षा आदि होते हुये भी कड़ी मेहनत करके खेतों से अनाज उगाते है।

देश भर में चाहे लोग गरीब हो या अमीर हो लेकिन सब लोग किसान पर ही निर्भर होते है। क्योंकि अगर किसान खेती करना छोड़ देगा तो लोगों को अनाज नहीं मिलेगा और वह भूख से मरने लगेंगे।

देश भर के हर शहरो में किसानों द्वारा एक शहर दूसरे शहर तक अनाज भेजा जाता है। क्योंकि किसान कड़ी धूप, तेज ठंड मे भी खेतों पर काम करके देश भर के लोगों के बारे मे सोच कर फसल उगाने मे लगे रहते है कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे सबको भोजन मिले। इसलिए हम सभी को किसानो का आदर, सम्मान करना चाहिए क्योंकि हमारे लिये किसान कितना कुछ करते है।

भारतीय किसान का जीवन

अपने जीवन में बहुत सारी समस्याओं का सामना भारतीय किसान को करना पड़ता है। भारतीय किसान को अगर खेती करनी है तो वह धूप, छाव में कठोर मेहनत करने के लिये हमेशा तैयार रहता है।

किसान सुख-दुःख, नुकसान सब कुछ सहन करके खेती करता है। वह जितनी भी मेहनत करता है, उसके फल की प्राप्ति पाने के लिये वह भगवान के ऊपर सब छोड़ देता है, जो भी फल मिलेगा, किसान उसको ख़ुशी-ख़ुशी अपनाने के लिये तैयार रहता है।

भारतीय किसान के साथी हांसिया, खुरपी, बैल, हल आदि का सहारा लेकर किसान खेती करने में पूर्ण रूप से सफल होता है। किसान अपने खेत की जुताई बैलों के द्वारा करता है, किसानों के खेती करने में बैल भी बहुत सहायता करते है और बदलते समय के साथ आज कल लोग खेती करने के लिये ट्रैक्टर का प्रयोग करने लगे है।

आज के समय इतना विकास हो गया है कि किसान फसल को काटने के लिये हार्वेस्टर मशीन का उपयोग करने लगे है, जिससे फसल जल्दी काट जाती है और फसल साफ-सुथरी रहती है।

किसान का जनता के प्रति सेवा

जनता के प्रति निस्वार्थ भावना से किसान सेवा करता है। किसान अपने बारे मे कभी नहीं सोचता है, वह बिना किसी स्वार्थ के जनता को बहुत कुछ देता है।

किसान गांव में गाय, भैस पालते है और गाय, भैस का दूध निकाल कर स्वयं नहीं पीते है। वह दूध शहर में ले जाकर बेच देते है। किसान को किसी भी प्रकार की सुख सुविधा नहीं मिल पाती है, क्योंकि किसान जनता को सुख सुविधा देने मे इतना व्यस्त हो जाते है की अपने जीवन के लिये सोच नहीं पाते है।

भारतीय किसान दिवस

पूरे देश में किसान दिवस हर वर्ष 23 दिसबर को मनाया जाता है। किसान दिवस हर वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री चौधरी चरण को सम्मानित करने के लिये किसान दिवस के रूप मे मनाया जाता है। 28 जुलाई 1979 से लेकर 14 जनवरी 1980 तक पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री चौधरी चरण को देश की सेवा करने के लिये छोटे पद पर प्रधानमंत्री बनाया गया।

क्योंकि वह किसान परिवार से थे और किसानो के लिये पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री चौधरी चरण ने बहुत सारी योजनाएं शुरू की थी। उन्होंने किसानों के जीवन को लेकर लगन के साथ कड़ी मेहनत की और किसानो के जीवन मे नई उमंगे लाने के लिए बहुत से नियम बनाये।

पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री चौधरी चरण ने किसानों के लिये बहुत कुछ किया, इसलिए उनके जन्मदिन के पर उनके द्वारा बनायीं गई नीतियों को यादगार बनाने के लिये किसान दिवस मनाया जाता है।

भारतीय किसानों का हम सभी के जीवन बहुत महत्व है। भारतीय किसान हम सभी के लिये खेत में अनाज उगाता है और वह साधारण तरीके के कपड़े पहनकर अपना जीवन व्यतीत करता है। इसलिए किसान को बहुत से लोग गवार समझते है, किसान को बहुत नीचा दिखाते है और उनकी गरीबी का मज़ाक उड़ाते है।

हमें नहीं भूलना चाहिए कि देश का हर एक व्यक्ति किसान पर ही निर्भर रहता है। किसानों की वजह से ही जनता को अन्न का दाना नसीब होता है। हम सब का कर्तव्य कि देश के हर एक व्यक्ति को बराबर सम्मान देना चाहिए।

किसान देश की उन्नति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। किसान देश की जनता के लिये अनाज उगाता है, अगर किसान अनाज उगाना बंद कर दें तो लोगों का जीवित रह पाना मुश्किल हो जायेगा।

सरकार द्वारा किसान के लिये कुछ नई योजनाएं बनाई जाती है, जिन पर बिल्कुल रुकवाट ना डाले, जिससे किसानों को भी कुछ लाभ कमाने का अवसर मिले। किसान जनता के लिये कितना कुछ करता है, जनता का भी फ़र्ज़ हैं कि किसानों के लिये कुछ करें।

भारत देश को किसान प्रधान देश माना जाता है। क्योंकि भारत देश की जनसंख्या का ज्यादातर हिस्सा खेती पर निर्भर है। भारत देश में निवास करने वाले ज्यादातर लोग किसान है।

आज का यह आर्टिकल जिसमें हमने भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian Farmer in Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई है। मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से संबंधित कोई सुझाव है तो वह हमें कमेंट के माध्यम से बता सकता है।

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Essay on Indian Farmers in Hindi – भारतीय किसान पर निबंध

September 30, 2017 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में भारतीय किसान पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraphs, Short and Long ( Bhartiya Kisan par Nibandh ) Essay on Indian Farmers  in Hindi Language for students of all classes in 100, 250 and 600 words.

Essay on Indian Farmers in Hindi – भारतीय किसान पर निबंध

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Essay on Indian Farmers in Hindi – भारतीय किसान पर निबंध (100 Words)

एक भारतीय किसान का जीवन बहुत कठिन है उसे अपने खेतों में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है| उन्हें सूरज और बारिश में काम करना है उसे अपने खेतों को हल करना होगा उन्हें पानी देना होगा फिर उसे अपने खेतों में बीज बोना होगा। वह अपनी फसलों को दिन और रात का पालन करता है कटाई भी कोई आसान काम नहीं है यह बहुत मुश्किल और थकाऊ है इतने श्रम के बाद भी, भारतीय किसान गरीब बना रहता है। उसे हाथ से मुंह तक रहना होगा उनका बहुत दयनीय है लेकिन वह गरीब है, हालांकि, वह खुशी से रहता है वह अपनी आदतों में सरल है वह अपने विचारों में शुद्ध है। वह शहर के जीवन की बुराइयों से दूर रहता है|

Essay on Indian Farmers in Hindi – भारतीय किसान पर निबंध (250 Words)

किसान सबसे उपयोगी लोगों में से एक है किसान हमारे लिए फसल उगता है। वह एक गांव में रहते हैं। वह एक क्षेत्र है उसके पास एक हल और बैल हैं वह सुबह जल्दी उठता है वह मैदान पर बहुत कठिन काम करता है। वह मैदान को हल कर देता है और बीज बोता है। वह फसल की फसल। वह नियमित रूप से खेतों को जलता है उन्हें फसल का ख्याल रखना होगा उन्हें ओलों और ठंढ के विरुद्ध उन्हें बचाने की जरूरत है किसान अपनी फसलों को बेचकर पैसा कमाता है। एक किसान के लिए बारिश बहुत महत्वपूर्ण है अच्छी फसलों के विकास के लिए बारिश आवश्यक है यदि अच्छी वर्षा होती है तो एक किसान खुश हो जाता है वह खुश रहती है अगर फसलें अच्छे हैं लेकिन, यदि फसल विफल हो जाती है, तो उसका जीवन दुखी हो जाता है। किसान ईमानदार और मेहनती व्यक्ति हैं वह समाज के सबसे महत्वपूर्ण सदस्य हैं।

पिछले पचास वर्षों से स्वतंत्र होने के बावजूद हम भारतीय किसानों के लिए इतना सुधार नहीं कर पाए हैं। उनमें से ज्यादातर अभी भी गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं। वे अपनी उपज की पूरी वापसी नहीं करते हैं और वे गरीब और उपेक्षित रहना जारी रखते हैं। भारत का सबसे बड़ा उद्योग पेशे की ओर आकर्षित नहीं होता क्योंकि यह उनसे समृद्ध जीवन जीने की गारंटी नहीं देता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास कृषि को एक निपुण पेशे बनाने में सक्षम नहीं है। यह इस जमीन की सबसे बड़ी समस्या का कारण है, अर्थात बेरोजगारी। यदि बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण यह सभी बेरोजगार युवकों को रोजगार कर सकता है और देश इसके बारे में हम इसके बारे में सपना देखकर अधिक समृद्ध होगा।

Essay on Indian Farmers in Hindi – भारतीय किसान पर निबंध ( 600 words)

भारतीय किसानों की हालत बहुत खराब है। उसे पूरे दिन अपने खेत में काम करना पड़ता है, और फिर भी वह जीवन की केवल नंगे अवस्थाओं का प्रबंधन करने में सक्षम है। वह गरीबी की ज़िंदगी जीता है, और अस्वस्थ वातावरण में बड़ी है। जिस घर में वह रहता है वह एक या एक घर है जिसमें एक छत छत है – जो बरसात के मौसम में लीक हो सकता है। गांव बिना किसी नाली-जल के हो सकता है और मच्छर हो सकता है। वहां महापौर पानी और बिजली नहीं हो सकती। उसके परिवार और मवेशियों के सदस्य एक ही छत के नीचे रहते हैं आमतौर पर, जीवन स्तर कम है। किसान का दिन, शहर के निवासियों के विपरीत, मुर्गा की कटाई से शुरू होता है।

पहली बात वह करती है कि वह अपने पशुओं को खिलाने, अपनी गायों और भैंसों को गीला करने और एक ग्लास चाय लेकर ले जाती है, जिसकी पत्नी उसकी लकड़ी के लिए तैयार करती है। फिर वह अपने बैलों को एक हल के लिए जुटाता है और खेतों में जाता है समय की बचत करने के लिए सूर्योदय से पहले खेती शुरू होती है वह खुशी से गाने गा सकते हैं सूरज उगता है जैसा कि गर्मी है किसान को सूरज, ओलों या तूफान में काम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है वह उसे सुबह के घंटों में व्यस्त रखता है वह पछतावा कर सकता है लेकिन वह परेशान नहीं करता।

वह बढ़ते अनाज, सब्जियां और फलों या कुछ अन्य नकद फसलों में लगी हुई है। दोपहर में उसकी पत्नी उसे खाना बनाती है अपनी रोटी और दाल के साथ शायद छाछ। तो वह एक छायादार पेड़ के नीचे आराम कर सकता है कभी-कभी वह खर्राटों को देखता है। कुछ समय बाद वह फिर से काम करने के लिए सेट करता है। यदि वह खेत में व्यस्त नहीं है, तो उसके पास बहुत सी दूसरी चीज़ें हैं कई बार, वह खेतों को समतल कर रहा है या खाद जोड़ रहा है। दूसरी बार, वह बीज बोने, या खेतों को पानी पिला सकता है। यह वह मुख्य भाग के एक हिस्से को काटने और अपने क्षेत्रों में पानी का प्रवाह देकर करता है। वह मानसून पर भी निर्भर करता है। कटाई के मौसम के दौरान वह मकई के काटने और बांधने वाले काठ के ऊपर झुकता है। इस समय उनकी पत्नी भी सहायता हाथ दे रहे हैं।

शाम में वह होमवर्क बनाते हैं उसके शरीर पर पसीने से सूख जाता है वह दिन की कड़ी मेहनत से थक चुका है। इसलिए वह बाकी के लिए झूठ है वह अपने हुक्का को धुआं और आराम कर सकता है। गांव की महिला सुंदर, सरल, ईमानदार, कर्तव्यवान और बहुत मेहनती हैं- जो उन्हें अच्छे स्वास्थ्य और उत्साह में रखती है। शाम को देर हो, वह साथी किसान से मिलने के लिए चौपाल में जा सकते हैं। कटाई के मौसम के दौरान वह पहले से कहीं ज्यादा व्यस्त है वह अपने बहुत से खुश हैं उसने कड़ी मेहनत की है और फसल अच्छी है।

वह खेतों में ज्यादातर समय में है वह रात-चौकस कौवाओं पर एक घड़ी रखता है, उन्हें भी रखा जाता है। फसल वह अपने मूल्यवान खज़ाना है और उन्हें नुकसान से सुरक्षित रखना चाहिए। दिन के दौरान वह अपने समय का सबसे अधिक खन्ना और उभरने में खर्च करता है। अनाज एकत्र और संग्रहीत किया जाता है। वह खाद्यान्न रखने के लिए परिवार के आराम के लिए जूट के बोरों में डाल दिया जाता है और बैलगाड़ी में विपणन के लिए ढेर हो जाता है। सरकारी एजेंसियां उसे उचित मूल्य देने के लिए उपलब्ध हैं। भारतीय किसानों का कठिन जीवन यही है।

हम आशा करेंगे कि आपको यह निबंध ( Essay on Indian Farmers in Hindi – भारतीय किसान पर निबंध ) पसंद आएगा।

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भारतीय किसान पर निबंध / Essay on Indian Farmer in Hindi

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ADVERTISEMENTS:

भारतीय किसान पर निबंध / Essay on Indian Farmer in Hindi!

किसान माटी के समृत होते हैं। वे मिट्‌टी से सोना उपजाते हैं। वे अपने श्रम से संसार का पेट भरते हैं। वे अधिक पढ़े-लिखे नहीं होते परंतु उन्हें खेती की बारीकियों का ज्ञान होता है । वे मौसम के बदलते मिजाज को पहचान कर तदनुसार नीति निर्धारित करने में दक्ष होते हैं । सचमुच प्रकृति के सहचर होते हैं हमारे किसान ।

किसानों का मुख्य पेशा कृषि है । पशुपालन उनका सहायक पेशा है । पशु कृषि कार्य में उनका सहयोग करते हैं । बैल उनका हल और गाड़ी खींचते हैं । गाय उनके लिए दूध, गोबर और बछडे देती है । वे भैंस, बकरी आदि भी पालते हैं जिनसे उन्हें अतिरिक्त आमदनी होती है । इन पालतू पशुओं को पालने में उन्हें विशेष कठिनाई नहीं होती क्योंकि ये कृषि उत्पादों यथा पुआल, भूसा, खली, अनाज खाकर जीवित रहते हैं । पशुओं के लिए घास खेतों और बागानों से उपलब्ध हो जाता है ।

किसान बहुत परिश्रमी होते हैं । वे खेतों में जी-तोड़ श्रम करते हैं । वे मेहनत करके अनाज, फल और सब्जियाँ उगाते हैं । खेतों में फसल उगाने के लिए अच्छी तरह जुते हुए खेतों में बीज डाला जाता है । बीजों में अंकुर निकल आता है और धीरे- धीरे ये पौधे का रूप ले लेते हैं । पौधों की सिंचाई की जाती है । पौधों के बीच उग आए खर-पतवार निकालकर खेतों में खाद डाला जाता है । आवश्यकता पड़ने पर किसान कीटनाशकों का प्रयोग भी करते हैं ।

लहलहाती फसलों को देखकर किसान प्रसन्न हो उठते हैं । वे फसलों की लगातार निगरानी करते हैं । फसलों को पशुओं और चोरों से सुरक्षित रखने के लिए वे खेतों में मचान बनाकर वहीं सोते हैं । पकी फसलों की कटाई की जाती है, तत्पश्चात् उनसे अनाज के दाने निकाले जाते हैं । अनाज का भूसा मवेशियों के भोजन के लिए सुरक्षित रख लिया जाता है । जरूरत भर का अनाज और सब्जी घर में रखकर शेष मंडियों में बेच देते हैं । इनसे हुई आमदनी से उनका साल भर का गुजारा होता है ।

हमारे देश के किसानों को कृषि कार्य में विभिन्न प्रकार की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है । सबसे बड़ी समस्या है कृषि में आने वाली लागत जो दिनों-दिन बढ़ती चली जा रही है । किसानों को अच्छे बीज खरीदने पड़ते हैं जो बहुत महँगे दामों में मिलते हैं । ट्रैक्टरों या हल-बैल से खेत की जुताई भी आसान नहीं होती । खेतों में सिंचाई के लिए बिजली या पंपसैट की आवश्यकता होती है ।

किसानों को कृषि कार्य में अन्य मजदूरों की सेवाएँ लेनी पड़ती है जिसके बदले उन्हें धन व्यय करना पड़ता है । फसल कटाई से लेकर मंडियों में पहुँचाने तक काफी खर्चा आता है । इतना सब कुछ करने के बाद यदि मंडी में फसल की उचित कीमत न मिले तो वे निराश और हताश हो जाते हैं । उन्हें कर्ज लेकर अगली फसल बोने की तैयारी करनी पड़ती है ।

भारतीय किसानों को प्रकृति से लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है । चूंकि हमारे देश में दो-तिहाई कृषि वर्षा और मानसून पर आधारित है इसलिए किसानों को कभी सूखा

तो कभी बाद की स्थिति झेलनी पड़ती है । सूखा होने पर फसल सूख जाती है तो बाद में फसल बह जाती है । यदि इंद्रदेव कृपालु भी बने रहें तो फसलों को ओला, पाला और तूफान से खतरा । पकी फसलों पर ओले पड़ गए तो सब गुड़-गोबर हो गया । दाने खेतों में ही झड़ गए ।

समय पर धूप न निकली तो फसलों पर कीटाणुओं का प्रकोप हो गया । फिर भी प्रकृति से लड़ते-भिड़ते किसान देश भर की आवश्यकताओं के अनुरूप खाद्‌यान्न उत्पादित कर ही लेते हैं । भारतीय किसान कृषि की उन्नत एवं आधुनिक वैज्ञानिक कृषि का अनुसरण करने लगे हैं जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है । बीज, खाद एवं कृषि उपकरण खरीदने में उन्हें सरकार की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है । सरकार उनके लिए सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराती है और समय-समय पर ऋण माफ भी कर देती है ।

भारतीय किसान का जीवन सीधा-सादा होता है । वह प्रात : काल उठकर पशुओं को खाना देता है और खेतों में चला जाता है । वह खेतों में डटकर काम करता है । वह खेतों में ही रोटी, छाछ, सलाद आदि नाश्ता करता है । खेतों में उपजी फलियाँ उसे बहुत पसंद हैं । दूध-दही से युक्त भोजन उसे प्रिय है । हरी-ताजी सब्जियाँ उसके तन-मन को संतुष्ट करती हैं । वह गन्ने का रस छक कर पीता है । रोटी, दाल, चावल, साग जिस समय जो मिल जाए उन्हें भूख लगने पर बड़े चाव से खाता है । उसका पहनावा भी सरल होता है । धोती-कुर्ता पायजामा, लुंगी, बनियान आदि पहने, पाँवों में चप्पल धारण किए, सिर पर पगड़ी बाँधे और हाथों में डंडा लिए वह हरित क्रांति का अग्रदूत नजर आता है ।

किसानों की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है परंतु अब भी उसे अनेक प्रकार की सहूलियतों की आवश्यकता है । उसके लिए उचित समय पर बिजली, पानी, खाद, बीज एवं कृषि यंत्रों की व्यवस्था की जानी चाहिए । फसल बीमा को अनिवार्य बनाकर उसे प्राकृतिक विपत्तियों से सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए ।

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दा इंडियन वायर

कृषि का महत्व पर निबंध

farmers life in hindi essay

By पंकज सिंह चौहान

importance of agriculture in hindi

भारत में कृषि मुख्य व्यवसाय है। दो-तिहाई आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है।

यह केवल आजीविका का साधन नहीं है बल्कि जीवन का एक तरीका है। यह भोजन, चारा और ईंधन का मुख्य स्रोत है। यह आर्थिक विकास का मूल आधार है।

आजादी के दौरान प्रति हेक्टेयर और प्रति मजदूर उत्पादकता बहुत कम थी।

हालांकि, 1950-51 के बाद से आर्थिक नियोजन की शुरुआत और विशेष रूप से 1962 के बाद कृषि विकास पर विशेष जोर देने के कारण स्थिर कृषि का पिछला रुझान पूरी तरह से बदल गया था।

  • खेती के अंतर्गत क्षेत्र में लगातार वृद्धि देखी जाती है।
  • खाद्य फसलों में पर्याप्त वृद्धि चिह्नित की गयी है।
  • योजना अवधि के दौरान प्रति हेक्टेयर उपज में लगातार वृद्धि हुई थी।

कृषि का महत्व (Importance of agriculture in hindi)

भारत कृषि प्रधान देश है। 71% लोग गाँवों में रहते हैं और इनमें से अधिकांश कृषि पर निर्भर हैं। इसलिए कृषि के विकास से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। कृषि की प्रगति के बिना उद्योग, व्यापार और परिवहन की प्रगति असंभव है। कीमतों की स्थिरता कृषि विकास पर भी निर्भर करती है।

कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। कृषि न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारे सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन पर इसका गहरा प्रभाव है।

जवाहर लाल नेहरू के शब्दों में,

“कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता की आवश्यकता थी क्योंकि अगर कृषि सफल नहीं होगी तो सरकार और राष्ट्र दोनों ही विफल हो जाएंगे ”

यद्यपि उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं, फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में कृषि के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है।

इसे निम्न तथ्यों और आंकड़ों द्वारा मापा और देखा जा सकता है:

1. राष्ट्रीय आय पर कृषि प्रभाव:

सकल घरेलू उत्पाद की ओर पहले दो दशकों के दौरान कृषि का योगदान 48 से 60% के बीच रहा। वर्ष 2001-2002 में, यह योगदान घटकर केवल 26% रह गया।

2. सरकारी बजट में योगदान:

प्रथम पंचवर्षीय योजना से कृषि को केंद्र और राज्य दोनों के बजट के लिए प्रमुख राजस्व संग्रह क्षेत्र माना जाता है। हालाँकि, सरकारें कृषि और इसकी सहयोगी गतिविधियों जैसे मवेशी पालन, पशुपालन, मुर्गी पालन, मछली पालन इत्यादि से भारी राजस्व कमाती हैं। भारतीय रेलवे राज्य परिवहन प्रणाली के साथ-साथ कृषि उत्पादों के लिए माल ढुलाई शुल्क के रूप में एक सुंदर राजस्व भी कमाती है, दोनों अर्ध-समाप्त और समाप्त कर दिया।

3. कृषि बढ़ती जनसंख्या के लिए भोजन का प्रावधान करती है:

भारत जैसे जनसंख्या श्रम अधिशेष अर्थव्यवस्थाओं के अत्यधिक दबाव और भोजन की मांग में तेजी से वृद्धि के कारण, खाद्य उत्पादन तेज दर से बढ़ता है। इन देशों में भोजन की खपत का मौजूदा स्तर बहुत कम है और प्रति व्यक्ति आय में थोड़ी वृद्धि के साथ, भोजन की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है (दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि विकासशील देशों में भोजन की मांग की आय लोच बहुत अधिक है)।

इसलिए, जब तक कृषि खाद्यान्नों के अधिशेष के विपणन में लगातार वृद्धि करने में सक्षम नहीं होती, तब तक एक संकट उभरने जैसा है। कई विकासशील देश इस चरण से गुजर रहे हैं और मा के लिए बढ़ती खाद्य आवश्यकताओं के लिए कृषि का विकास किया गया है।

4. पूंजी निर्माण में योगदान:

आवश्यकता पूंजी निर्माण पर सामान्य सहमति है। चूंकि भारत जैसे विकासशील देश में कृषि सबसे बड़ा उद्योग है, इसलिए यह पूंजी निर्माण की दर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यदि यह ऐसा करने में विफल रहता है, तो पूरी प्रक्रिया आर्थिक विकास को झटका देगी।

कृषि से अधिशेष निकालने के लिए निम्नलिखित नीतियाँ ली जाती हैं:

  • खेत गैर-कृषि गतिविधियों से श्रम और पूंजी का हस्तांतरण।
  • कृषि का कराधान इस तरह से होना चाहिए कि कृषि पर बोझ कृषि को प्रदान की गई सरकारी सेवाओं से अधिक हो। इसलिए, कृषि से अधिशेष की पीढ़ी अंततः कृषि उत्पादकता को बढ़ाने पर निर्भर करेगी।

5. कृषि आधारित उद्योगों को कच्चे माल की आपूर्ति:

कृषि विभिन्न कृषि आधारित उद्योगों जैसे चीनी, जूट, सूती वस्त्र और वनस्पती उद्योगों को कच्चे माल की आपूर्ति करती है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग इसी तरह कृषि पर निर्भर हैं। इसलिए इन उद्योगों का विकास पूरी तरह से कृषि पर निर्भर है।

6. औद्योगिक उत्पादों के लिए बाजार:

औद्योगिक विकास के लिए ग्रामीण क्रय शक्ति में वृद्धि बहुत आवश्यक है क्योंकि दो-तिहाई भारतीय आबादी गांवों में रहती है। हरित क्रांति के बाद बड़े किसानों की क्रय शक्ति उनकी बढ़ी हुई आय और नगण्य कर बोझ के कारण बढ़ गई।

7. आंतरिक और बाहरी व्यापार और वाणिज्य पर प्रभाव:

भारतीय कृषि देश के आंतरिक और बाहरी व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। खाद्यान्न और अन्य कृषि उत्पादों में आंतरिक व्यापार सेवा क्षेत्र के विस्तार में मदद करता है।

8. कृषि रोजगार पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है

भारत में कम से कम दो-तिहाई श्रमिक आबादी कृषि कार्यों के माध्यम से अपना जीवन यापन करती है। भारत में अन्य क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ने में विफल रहे हैं।

9. श्रम शक्ति की आवश्यकता:

निर्माण कार्यों और अन्य क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कुशल और अकुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है। इस श्रम की आपूर्ति भारतीय कृषि द्वारा की जाती है।

10. अधिक से अधिक लाभ:

कम कृषि लागत और इनपुट आपूर्ति में आत्मनिर्भरता के कारण भारतीय कृषि को निर्यात क्षेत्र में कई कृषि वस्तुओं में लागत लाभ है।

11. भोजन का मुख्य स्रोत:

कृषि राष्ट्र के लिए भोजन प्रदान करती है। 1947 से पहले हमारे पास भोजन की कमी थी, लेकिन 1969 के बाद कृषि में हरित क्रांति ने हमें खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बना दिया। 2003-04 में चावल का उत्पादन 870 लाख मीट्रिक टन और गेहूं का 721 लाख मीट्रिक टन था।

12. परिवहन:

खेतों से उपभोक्ताओं और कृषि कच्चे माल को बाजारों और कारखानों में ले जाने के लिए परिवहन के साधनों की आवश्यकता होती है। बाजार और कारखानों से रासायनिक खाद, बीज, डीजल और कृषि उपकरण लेने के लिए भी परिवहन की आवश्यकता है।

13. बचत का स्रोत:

हरित क्रांति ने उत्पादन को कई गुना बढ़ा दिया है और किसान समृद्ध हो गए हैं। इन किसानों द्वारा अर्जित अतिरिक्त आय को बचाया जा सकता है और बैंकों में निवेश किया जा सकता है।

14. पूंजी निर्माण:

कृषि पूंजी निर्माण में भी मदद करती है। कृषि उत्पादन से अधिशेष आय को अन्य स्रोतों जैसे बैंक, शेयर आदि में निवेश किया जा सकता है। ट्रैक्टर और हार्वेस्टर का उपयोग पूंजी निर्माण को बढ़ाता है।

15. अंतर्राष्ट्रीय महत्व:

भारत मूंगफली और गन्ने के उत्पादन में शीर्ष स्थान पर है। चावल और स्टेपल कॉटन के उत्पादन में इसका दूसरा स्थान है। तंबाकू के उत्पादन में इसका तीसरा स्थान है। हमारे कृषि विश्वविद्यालय अन्य विकासशील देशों के लिए रोल मॉडल के रूप में काम कर रहे हैं।

कृषि और भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास (Importance of agriculture in Indian economy in hindi)

निम्नलिखित बिंदु भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में कृषि की सात प्रमुख भूमिकाओं को उजागर करते हैं।

1. सकल घरेलू उत्पाद (राष्ट्रीय आय) में योगदान:

1950-51 में कृषि ने लगभग 55 फीसदी भारत की राष्ट्रीय आय (GDP) में योगदान दिया था।

हालाँकि, प्रतिशत धीरे-धीरे घटकर 19.4 पर 2007-08 में आ गया था। अन्य देशों में, राष्ट्रीय आय में कृषि का प्रतिशत योगदान बहुत कम है।

दुनिया के अधिकांश विकसित देशों में- जैसे यूके, और यूएसए, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया- यह 5 फीसदी से नीचे है।

वास्तव में, जीडीपी की क्षेत्रीय संरचना किसी देश के विकास के स्तर को इंगित करती है। सकल घरेलू उत्पाद में कृषि और संबद्ध गतिविधियों का योगदान जितना अधिक होगा, उतना ही आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ देश होना चाहिए। इस प्रकार, भारत के राष्ट्रीय उत्पादन में कृषि का प्रसार पिछड़ेपन का एक लक्षण है।

2. रोजगार सृजन:

भारत में अधिकांश लोग अपनी आजीविका कृषि से प्राप्त करते हैं। कृषि अभी भी सबसे प्रमुख क्षेत्र है क्योंकि कृषि पर निर्भर जनसंख्या का एक उच्च अनुपात अभी भी काम कर रहा है। भारत में कृषि के आधार पर कामकाजी आबादी का प्रतिशत 1961 और 1971 के सेंसर के अनुसार 69.7 था।

तब से प्रतिशत कम या ज्यादा अपरिवर्तित रहा है। 2001 में, यह घटकर 57 फीसदी हो गया। अधिकांश औद्योगिक रूप से उन्नत देशों में प्रतिशत 1 और 7 के बीच भिन्न होता है। इसके विपरीत, यह सबसे विकासशील देशों में 40 और 70 के बीच होता है। चीन में, प्रतिशत शायद सबसे अधिक (72) है, इसके बाद भारत (52.7), इंडोनेशिया (52), म्यांमार (50) और मिस्र (42) हैं।

3. औद्योगिक विकास में योगदान

कृषि एक अन्य कारण से भी महत्वपूर्ण है। यदि यह उचित गति से विकसित होने में विफल रहता है, तो यह औद्योगिक और अन्य क्षेत्रों की वृद्धि पर एक प्रमुख बाधा साबित हो सकता है। इसके अलावा, कृषि औद्योगिक वस्तुओं के लिए एक प्रमुख बाजार बनकर औद्योगिक विस्तार का मकसद प्रदान कर सकता है।

भारत में, कृषि सभी जूट और सूती वस्त्र, चीनी, वनस्पती, और वृक्षारोपण जैसे बुनियादी उद्योगों के लिए कच्चे माल का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है। इसके अतिरिक्त, कुछ उद्योग अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर करते हैं जैसे कि छोटे पैमाने पर और कुटीर उद्योग जैसे हथकरघा बुनाई, तेल पेराई, चावल की भूसी, और इतने पर।

ऐसे कृषि आधारित उद्योग- जो अपने कच्चे माल के लिए कृषि पर निर्भर हैं – भारत के द्वितीयक (विनिर्माण) क्षेत्र में उत्पन्न आय का आधा हिस्सा हैं।

4. विदेश व्यापार में योगदान:

भारत के बाहरी व्यापार में कृषि ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत के पारंपरिक निर्यात की तीन प्रमुख वस्तुएं, चाय, जूट और सूती वस्त्र, कृषि आधारित हैं। अन्य वस्तुओं में चीनी, तिलहन, तम्बाकू, और मसाले शामिल हैं।

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पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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10 lines on Farmer in Hindi Language | किसान पर 10 लाइन निबंध

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10 lines on Farmer in Hindi Language | किसान पर 10 लाइन निबंध

10 Lines on Farmer in Hindi

10 Lines about Farmer in Hindi | किसान पर 10 लाइन निबंध

1. किसान हमारे भारत देश का बहुत ही महत्वपूर्ण आंग है।

2. किसान बड़ी मेहनत से फल और सब्जियां उगाते है।

3. किसान का जीवन बहुत ही कठिनाई और संघर्ष से भरा होता है।

4. किसान बहुत मेहनती होते हैं, वे रोज सुबह उठकर अपने खेतों में पानी लगाने जाते है।

5. किसानों को अपनी खेतों की जमीनों से बहुत प्यार और लगाव होता है।

6. किसान अगर खेती नहीं करगे तो खाने की बहुत ही कमी हों जाएगी।

7. किसान को भारत में अन्नदाता भी कहा जाता है।

8. भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 60 प्रतिशत लोग किसान है।

9. किसानों को सम्मान देने के लिए भारत में प्रतिवर्ष 23 दिसंबर को “किसान दिवस” मनाया जाता है।

10. किसान के बिना हमारा देश ठीक वैसे ही है, जैसे रीड की हड्डी बीना एक शरीर।

जरूर पढ़े-

Bhartiya Kisan Par Nibandh

Essay on Kisan ki Atmakatha in Hindi

10 Lines on Farmer in Hindi Essay | Kisan Par 10 Lines

1. भारत एक कृषि प्रधान देश है क्योंकि भारत के अंदर 50% से अधिक किसान है जो खेती करते हैं ।

2. पूरे विश्व के अंदर खेती के मामले में भारत दूसरे स्थान पर आता है ।

3. किसान धूप में कड़ी मेहनत करके हमें अन्न देते हैं इसलिए किसान को “अन्नदाता” भी कहा जाता है ।

4. “जय जवान जय किसान” यह नारा किसान का महत्व समझाते हुए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था ।

5. भारत देश के अंदर चाय और कॉफी की खेती कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में की जाती है ।

6. किसान गर्मी, बरसात, ठंड खिली धूप और खुशहाल जीवन के बीच अपना जीवन व्यतीत करते हैं.

7. भारत में दुख की बात है कि 30 प्रतिशत से अधिक किसान जमींदारों, पूंजीपतियों, साहूकारों के आर्थिक शोषण का शिकार बनते हैं ।

8. राष्ट्रीय अपराध लेखा कार्यालय के आँकड़ों के अनुसार भारत भर में सन् 2015 से 2019 तक 1,66,304 किसानों ने आत्महत्याएँ की थी।

9. भारत सरकार ने किसानों की मदद करने के लिए 50+ से ज्यादा योजनाएं बनाई है ।

10. भारत के नेशनल ब्यूरो के मुताबिक 2017 में देश की कुल जीडीपी में से 12 फीसदी हिस्सा कृषि का था ।

Essay on Indian Farmer in Hindi

# 5 sentences about Farmer in Hindi

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किसान पर निबंध। Farmer Essay in Hindi

किसान पर निबंध : किसान का जीवन बहुत कठिन है। किसान बहुत गरीब व निर्धन होते हैं तथा अपनी मेहनत के बल पर वे केवल अपना जीवन ही व्यतीत कर पाते हैं। वह कठोर मौसम की परवाह किये बिना कार्य करता है। चाहे सर्दी हो या गर्मी या फिर चाहे बारिश ही हो रही हो, उसका ध्यान अपनी फसल में ही लगा रहता है।

किसान पर निबंध। Farmer Essay in Hindi

This is nice essay but it can be more better.

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एक किसान आत्मकथा

एक किसान की आत्मकथा Autobiography of a Farmer in Hindi

इस लेख में एक किसान की आत्मकथा Autobiography of a Farmer in Hindi 1000 शब्दों में लिखा गया है। एक किसान की आत्मकथा निबंध भी परीक्षाओं में तीन से छः अंकों के लिए पूछे जाते हैं। दिए हुए आत्मकथा को किसी भी परीक्षा में बेझिझक लिखने के लिए सीखा जा सकता है।

Table of Content

एक किसान की आत्मकथा Autobiography of a Farmer in Hindi (निबंध रूप में)

कहते हैं की किसान का दर्ज़ा किसी भी देश में सबसे बड़ा माना जाता है| मैं एक किसान हूँ तथा अपने द्वारा रोपित एक-एक बीज की कीमत जानता हूँ, मेरे पिता जी तथा मेरे दादा जी सभी किसान थे।

मेरा शुरुवाती जीवन Early Life of a Farmer

मेरा नाम श्याम सुन्दर माली है मेरा जन्म उत्तर प्रदेश के बेहद छोटे से गाँव हरिपुर में हुआ था। मेरे पिताजी तथा माताजी जन्म से निरक्षर थे तो उन्होंने मुझे शुरुवाती शिक्षा के लिए जिले एक एक सरकारी प्राथमिक शाला में भेजा जो कक्षा चार तक था प्राथमिक शिक्षा के वजह से सामान्य जोड़ तथा पैसे का लेखाजोखा वही से सीखा लेकिन धन के अभाव में आगे की पढाई न कर सका और पिताजी के काम में हाथ बटाने लगा।

मेरे जीवन की कठिनाइयाँ Obstacles of My Life

एक किसान अपनी पूंजी तथा श्रम , शरीर सभी को अपने खेत में बो देता है और उस उपज को बेहद मामूली रकम पर साहूकारों को बेच देता है। इसे एक किसान का दुर्भाग्य कहें तो कोई अनिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि जिस प्रकार एक माता अपनी संतान को नौ महीने गर्भ में रखकर शिशु को पोषण देती है उसी प्रकार एक किसान भी अपनी जमीन को अपना सर्वस्व समर्पित कर देता है।

कुछ महीने बाद ही माता जी का स्वर्गवास हो गया और आर्थिक और सामजिक रूप से पूरा भार मेरे सिर पर आ गया। हर रोज एक नई तकलीफ रास्ता रोके खड़ी रहती थी कभी बीमार पत्नी-बच्चों के लिए पैसे का न होना तो कभी सिचाई के लिए पानी का न होना और इन्ही तकलीफों के बीच मेरा युवावस्था खप गया।

मेरे जीवन के बदलाव Change in My Farmer Life

मेरे अनुभव के हिसाब से किसानों की जिंदगी सबसे सस्ती होती है क्योंकि आजादी के बाद कई साल तक किसानों के लिए अनेकों योजनाएँ निकली लेकिन हम जैसे किसानों की जिंदगी में कुछ ज्यादा बदलाव नहीं आया लेकिन गत कुछ वर्षो में वर्तमान सरकार के द्वारा कुछ ऐसे काम हुए जिसका लाभ किसानों को सीधा पंहुचा और बड़ी मात्रा में किसानों के जीवन में बदलाव आये।

निष्कर्ष Conclusion

आपने इस लेख में एक किसान की आत्मकथा Autobiography of a Farmer in Hindi पढ़ा जिसमें एक किसान दुख-दर्द और जीवन को आप करीब से जान पाएंगे। अगर यह लेख व निबंध आपको सरल लगा हो और पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें।

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