बाजार पर निबंध / Essay on Market in Hindi

bazaar essay in hindi language

बाजार पर निबंध / Essay on Market in Hindi!

बाजार हमारा निकटवर्ती सार्वजनिक स्थान है । यह हमारे पड़ोस में स्थित व्यापार का एक प्रमुख केन्द्र होता है । यहाँ व्यापारियों और ग्राहकों का जमावड़ा होता है । यहाँ से लोग अपने दैनिक जीवन की उपयोगी वस्तुएँ खरीदते हैं । बाजार लोगों की आवश्यकता की पूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

बाजार शहरों, कस्बों और गाँवों में भी होते हैं । शहरों में स्थायी बाजार होते हैं । यहाँ साप्ताहिक बाजार भी लगते हैं । कस्बों और गाँवों के बाजार प्राय: अस्थायी होते

हैं । यहाँ के बाजार सप्ताह में एक या दो दिन लगा करते हैं । यहाँ अपराह्‌न लगने वाले बाजार सायंकाल तक समाप्त हो जाते हैं । शहरों के स्थायी बाजार सुबह से शाम तक सप्ताह के छह दिनों तक खुले होते हैं । ये बाजार सजे- धजे तथा सभी प्रकार की आवश्यक वस्तुओं से सज्जित होते हैं । यदि महानगरों के बाजार देखें तो यहाँ और भी रौनक रहती है । इनकी सजावट देखते ही बनती है ।

बाजार में सब कुछ बिकता है । सब्जियाँ, कपड़े, अनाज, फल, रसोई की अन्य चीजें, घरेलू आवश्यकता की वस्तुएँ, स्टेशनरी की चीजें, गहने आदि यहाँ उपलब्ध होते हैं । यहाँ घड़ियाँ, टेलीविजन सेट, रेडियो, फर्नीचर, कृषि यंत्र, सजावटी वस्तुएँ, खिलौने, मोबाइल फोन, बिजली के सामान, मिठाइयाँ, नमकीन तथा खाने-पीने की सभी चीजें मौजूद होती हैं । बड़े बाजारों में साइकिल, स्कूटर, मोटर साइकिल, कार आदि वाहन भी बिकते हैं । जिसे जो चाहिए, खरीद ले । एक पसंद न हो तो दूसरी खरीद ले । कपड़ों, जूतों की दस दुकानें हैं, मिठाइयों की भी अनेक दुकानें हैं । कतारों में फलों और सब्जियों की दुकानें हैं ।

ADVERTISEMENTS:

पर गाँवों, कस्बों तथा शहरों के साप्ताहिक अस्थायी बाजारों में सब कुछ नहीं मिलेगा । यहाँ सब्जियाँ, फल, कपड़े, घरेलू उपकरण तथा खाने-पीने की चीजें ही मिलेंगीं । यहाँ वे चीजें ही मिलेंगीं जिनकी आवश्यकता गृहणियों को हर रोज होती है । व्यापारी यहाँ आए, दुकानें सजाईं और आवाजें लगाकर अपनी वस्तुएँ बेचने लगे । ग्राहक आए, बाजार का चक्कर लगाया और दैनिक आवश्यकता की वस्तुएँ खरीदने लगे । मोल-तोल भी यहाँ खूब होता है । लोग जानते हैं कि दुकानदार बढा-चढ़ाकर कीमतें लगा रहे हैं । टमाटर 12 रु. किलो है तो 10 रु. किलो मिल सकता है । गोभी 20 रु. किलो है तो मोल-तोल के पश्चात् 16 रु. किलो मिल सकता है । अत: गृहणियों अच्छी तरह जाँच-परखकर ही खरीदारी करती हैं ।

अब चलें शहर के बाजार में जहाँ हर चीज उपलब्ध है । कुछ दुकानदार थोक में वस्तुएँ बेचते हैं । थोक बाजार में एक ही प्रकार की वस्तु अधिक मात्रा में लेने पर सस्ती पड़ती है । छोटे व्यापारी तथा खुदरा व्यापारी थोक में वस्तुएँ खरीद लेते हैं और मुनाफा सहित खुदरा बेच देते हैं । आपस में इनका सामंजस्य होता है । वस्तुओं की कीमतें घटती-बढ़ती रहती हैं । यहाँ माँग और पूर्ति का नियम काम करता है । माँग में वृद्धि हुई तो कीमतें बढ़ गईं और माँग में कमी आई तो कीमतें घट गईं । सजग व्यापारी कीमतों में उतार-चढ़ाव पर प्रतिदिन नजर रखते हैं ।

महानगरों में बड़े-बड़े बाजार होते हैं । यहाँ की चमक-दमक देखते ही बनती हैं । इन बड़े और भव्य बाजारों को सुपर बाजार कहा जाता है । यहाँ आवश्यकता की सभी

चीजें एक ही स्थान पर अर्थात् एक ही परिसर में मिल जाती हैं । अब तो मॉल बन गए हैं । बड़े-बड़े मॉल्स शहरों की पहचान बनते जा रहे हैं । इक्कीसवीं सदी में शॉपिंग माँल्स बाजारवाद को बढ़ावा देने में बहुत मदद कर रहे हैं । बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भी अब सब्जियाँ, फल तथा परचून की वस्तुएँ बेच रही हैं ।

बाजार का महत्त्व सब जानते हैं । बाजार देश की अर्थव्यवस्था के आधार होते हैं । यहाँ क्रेताओं और विक्रेताओं का सम्मिलन होता है । यहाँ लाखों, करोड़ों के वारे-न्यारे होते हैं । यहाँ समाज के हर श्रेणी के लोग आते हैं । हर कोई अपनी जेब देखकर खरीदारी करता है । बाजारों के अलग- अलग नाम और कोटियाँ हैं । बाजारों की अपनी पहचान है । बाजार हमारी आवश्यकता की पूर्ति में बहुत मददगार होते हैं ।

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Essay on Market in Hindi – बाजार पर निबंध

December 15, 2017 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में बाजार पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph and Short Essay on Market in Hindi Language for students of all Classes in 400 to 500 words.

Essay on Market in Hindi – बाजार पर निबंध

Essay on Market in Hindi

Essay on Market in Hindi – बाजार पर निबंध : हमारे घर के पास एक छोटा बाजार है, यह हमारा स्थानीय बाजार है हालांकि यह बहुत बड़ा नहीं है, कोई भी वहां लगभग सब कुछ खरीद सकता है।

पहली दुकान जिसे हम मिलते हैं वह एक सामान्य व्यापारी की है| दुकान के सामने कई ग्राहक खड़े हैं। कुछ गेहूं और मसूर खरीद रहे हैं, दूसरों को सूखे फल के लिए पूछ रहे हैं व्यापारी एक मोटा आदमी है, जो एक पारंपरिक भारतीय पोशाक में कपड़े पहने है, अर्थात् एक श्वेत लंबी शर्ट और एक ढीला सफेद पजामा। व्यापारी के सामने वे तराजू हैं जिनके साथ वे ग्राहकों के लिए विभिन्न लेखों का पालन करते हैं।

सामान्य व्यापारी की दुकान के ठीक सामने बेकरी है यह शुरू में ब्रिटिश की सेवा के लिए था हालांकि आजादी के बाद, कई भारतीयों ने इसे से ब्रेड और केक खरीदना शुरू कर दिया है। यह एक लंबी दुकान है जिसकी पीठ पर ओवन है। दुकान के सामने एक काउंटर है

दुकान के काउंटर के पीछे कांच के मामले हैं इन मामलों में ताजा बेक्ड ब्रेड, केक, पेस्ट्री, रोल और बिस्कुट रखा जाता है। विशेष रूप से सुबह और शाम के समय ग्राहकों की भीड़ है। यह समय है जब लोग नाश्ता और शाम चाय के लिए रोटी और अन्य सामान खरीदने के लिए आते हैं।

बेकरी के पास कपड़ा व्यापारी की दुकान है। वह एक लकड़ी के प्लेटफार्म पर दुकान के सामने बैठता है। दुकान की पीठ पर कपड़े के गांठण रखा जाता है। बेकर के विपरीत, जो पतला और ट्रिम आदमी है, कपड़ा व्यापारी एक तेज और छोटा आदमी है। उसके पास एक गहरे रंग का रंग है और आम तौर पर घर में घूमते-फिरते खादी होते हैं। आमतौर पर उनकी दुकान में प्रति दिन दो से पांच ग्राहक होते हैं। त्योहार के मौसम में यह संख्या काफी बढ़ जाती है।

इन तीन स्थायी मुख्य दुकानों के अलावा अन्य अस्थायी दुकानों की संख्या है जो बर्तन, पैर-बर्तन, दूध उत्पादों और मिठाइयां बेचती हैं। फिर कई हॉकर्स हैं, जो कैलेंडर्स, मोमबत्तियों, गुब्बारे, प्लास्टिक के खिलौने आदि जैसी वस्तुओं की बिक्री के बारे में आगे बढ़ते हैं।

इन व्यवसायियों और ग्राहकों के लिए धन्यवाद करने के लिए धन्यवाद, बाजार हमेशा एक उत्सव का रूप पहनता है वहां रंगीन झंडे और बैनर हैं जो हवा में फहराता है और पुराने गीतों की आवाज़ एक रसीले पुरानी ग्रामोफोन से हवा में झुकती है जो हर सप्ताह प्रत्येक बाजार के दिन विशेष रूप से सक्रिय होती है।

ऐसे साप्ताहिक बाज़ार वास्तव में उन लोगों के लिए वरदान हैं जो बहुत दूर क्षेत्र में रहते हैं। इन दिनों वे उचित मूल्य पर अपने सभी आवश्यक वस्तुओं को खरीद सकते हैं। इन बाजारों में कोई भेदभाव नहीं है और जीवन के सभी क्षेत्रों से लोग हर हफ्ते यात्रा करते हैं वास्तव में ऐसे बाजार समाज के एक महान प्रवासी हैं।

हम उम्मीद करेंगे कि आपको यह निबंध ( Essay on Market in Hindi – बाजार पर निबंध ) पसंद आएगा।

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Essay on market in Hindi | बाजार पर हिंदी निबंध [सब्जी मंडी]।

नमस्कार दोस्तों आज मे आपकेलिए सब्जी मंडी पर हिन्दी निबंध लेकर आया हु, इस निबंध मे मेने गाव के बाजार मे बिताए हुए एक घंटे का वर्णन किया हुआ हे। तो चलिए निबंध शुरू करते हे।

Image of vegetable in market

बाजार पर हिन्दी निबंध।

शनिवार की शाम का वक्त था और मेरी माँ ने कल हमारे गाव के सब्जी मंडी से सब्जिया लाने का नियोजन किया था। सभी के माँ की तरह बाजार से सब्जी खरीदना मेरी माँ केलिए कोई नई बात नहीं थी। कल बाजार मे जाने का निर्णय करने के बाद माँ ने कल क्या-क्या समान और कॉनसी सब्जी लानी है उसकी एक सूची तैयार की। मे वही पास मे बैठकर टीव्ही देख रहा था, तभी अचानक मेरी माँ ने मुझसे कल उनके साथ बाजार आने को कहा, ताकि मुझे भी सब्जिय कैसे लेनी है उसकी जानकारी हो सके। कल रविवार होने के कारण मेरे पाठशाला को छुट्टी थी और मुझे भी कोई काम नहीं था, तो मे भी कल माँ के साथ सब्जी मंडी मे जाने केलिए मान गया।

माँ ने सुबह जल्दीसे घर के सारे काम कर लिए, और मुझे अपने साथ सब्जी मंडी ले आई। में अभी सही से बाजार में पहुंचा भी नही था और वाह इतनी भीड़ थी, और काफी शोर था। में सब्जी बेचने वाले दुकानदारों की आवाज बाहर से ही सुन पा रहा था। सब्जी मंडी के अंदर दाखिल होने केलिए एक बड़ा प्रवेश द्वार था जहा गाड़ियों का जाना माना था, लोग केवल चल कर ही अंदर सब्जियां खरीदने केलिए जा सकते थे।

जैसे ही में मेरी माँ के साथ प्रवेश द्वार के अंदर पहुंचा मां ने बताया कि यह मंडी दो हिस्सो मे बट्टी हुई है, एक शाकाहारी और दूसरा मांसाहारी। बाजार का मुख्य हिस्सा शाकाहारी सब्जियां तथा फूल और फलों से भरा पड़ा था। शाकाहारी खरीदने वाले लोग काफी मात्रा में होने के कारण यहां काफी भीड़ हुआ करती है, और हमारे गांव के लोग रोजाना यही अपनी सब्जियां खरीदने आते है।

मां ने अपनी सूची देखी और और सूची के अनुसार सब्जियां ढूंढने लगी। सब्जियों की दुकानों पर किसी भी तरह के विज्ञान नहीं थे, जिसे जो सब्जी चाहिए वो बस दुकान देखकर सब्जी खारदीने के लिए जाता था। मुझे रोजाना इस्तमाल किए जाने वाली सब्जियों की जानकारी थी, लेकिन मुझे सारी पत्तीदार सब्जियां एक समान लगती थी। पर ऐसा नहीं था, मां ने मुझे जो पत्तेदार सब्जी हमारी सूची में थी उसकी जानकारी देते हुए उसे कैसे पहचाना है उसकी जानकारी दी।

बाजार का दृश्य काफी रोमांचक भरा था। सब्जी विक्रेता अपनी सब्जियां बेचने केलिए काफी जोर-जोर से अपनी सब्जियो के बारे में बोल रहे थे। और ये बोल कर वे लोगो को विश्वास दिला रहे थे की उनकी सब्जियां औरों से ताज़ा और सबसे अच्छी है। सभी लोग बाजार में सब्जियां बेचने केलिए काफी मेहनत और मशागत कर रहे थे। दुकानदारोने अपनी सारी सब्जियों को काफी अच्छे से जागा का इस्तमाल करते हुए एक के ऊपर एक सजा कर रक्खा हुआ था। सब्जियां बोरियों में भरकर बाजार में ट्रक द्वारा लाई जाती थी, ट्रक बाजार के बाहर लगे हुए थे, जहासे दुकानदार सब्जियों से भरी बोरी उठाकर अपनी दुकानों पर ले आते थे, क्योंकि बाजार के अंदर गाड़ियों के प्रवेश पे पाबंदी थी।

में एक तरफ बाजार का अवलोकन कर रहा था तो दूसरी तरफ हमारी सूची के अनुसार सब्जियां खरीद रहा था। हमारी थैलियां भर गई और सूची भी पूरी हो गई, मां ने मुझे मोल तोल कर सब्जियां कैसे लेनी है वह सिखाया। मेने लगभग बाजार में एक घंटा बीता दिया था, इस एक घंटे में मुझे काफी अच्छा अनुभव मिला, और मुझे पता चला लोग जीने केलिए कितनी मेहनत करते है।

फिर हम हमारी सब्जियों की थैलियां लेकर घर पहुंचे, सब्जी मंडी में घूमकर में काफी थक गया था पर मां ने तो आते ही अपने घर के काम शुरू कर दिए, और फिर हमने खाने में ताजी सब्जियां खाई वे आज इतनी मेहनत के बाद काफी स्वादिष्ट लग रही थी।

समाप्त।

दोस्ती क्या आप कभी सब्जी मंडी में सब्जियां खरीदने केलिए गए है? और आपका बाजार में कैसा अनुभव था? हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताना।

बाजार पर यह निबंध class १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९ और १०वी के छात्र अपनी पढ़ाई केलिए इस्तमाल कर सकते है। यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तमाल कर सकते है।

  • सब्जी मंडी में एक घंटा।
  • बाजार का दृश्य।
  • गांव की सब्जी मंडी।

तो दोस्तो क्या आपको यह निबंध पसंद आया? और अगर आपको कोई और विषय पर हिंदी निबंध चाहिए तो हमे नीचे कमेंट करके जरूर बताइए।

धन्यवाद।

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बाजार का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं या आवश्यक तत्व

बाजार का अर्थ (bazar kya hai).

Bazar ka arth paribhasha visheshtaye; सामान्य अर्थ मे "बाजार" शब्द से तात्पर्य एक ऐसे स्थान या केन्द्र से होता है, जहां पर वस्तु के क्रेता और विक्रेता भौतिक रूप से उपस्थित होकर क्रय-विक्रय का कार्य करते है। 

उदाहरण के लिए शहरों मे स्थापित व्यापारिक केन्द्र जैसे कपड़ा बाजार या गाँव मे लगने वाले हाट। 

अर्थशास्त्र मे बाजार शब्द का अर्थ सामान्य अर्थ से भिन्न होता है। अर्थशास्त्र मे बाजार शब्द का तात्पर्य उस संपूर्ण क्षेत्र से होता है, जहां कि वस्तु के क्रेता एवं विक्रिता आपस मे और परस्पर प्रतिस्पर्धा के द्वारा उस वस्तु का एक ही मूल्य बने रहने मे योग देते है।

बाजार की परिभाषा (bazar ki paribhasha)

प्रो. जेवन्स के अनुसार ," मूल रूप से बाजार किसी ऐसे सार्वजनिक स्थान को कहते थे जहाँ पर आवश्यक व अन्य प्रकार की वस्तुएं विक्रय हेतु रखी जाती थी परन्तु अब इसका तात्पर्य व्यक्तियों के किसी ऐसे समुदाय से है जिसमे घनिष्ठ व्यापारिक संबंध हो और जो किसी वस्तु मे विस्तृत सौदे करते हो।" 

प्रो. ऐली के अनुसार ," बाज़ार से तात्पर्य उस सामान्य क्षेत्र से होता है, जहां पर किसी वस्तु विशेष के मूल्य को निर्धारित करने वाली शक्तियाँ क्रियाशील होती है।" 

स्टोनियर के अनुसार," बाजार शब्द का आशय ऐसे संगठन से माना जाता है जिसमे किसी वस्तु के क्रेता और विक्रेता परस्पर संपर्क मे रहते है।" 

कूर्नों के अनुसार ," अर्थशास्त्र मे बाजार का आशय किसी ऐसे स्थान से नही लगाता जहाँ वस्तुओं का क्रय विक्रय किया जाता है बल्कि उस समस्त क्षेत्र से होता है जिसमे वस्तु के समस्त क्रेताओं और विक्रेताओं के मध्य इस प्रकार स्वतन्त्र संपर्क होता है कि वह वस्तु की मूल्य प्रवृत्ति शीघ्रता व सुगमता से समान होने की पाई जाती है।

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); बाजार की विशेषताएं या आवश्यक तत्व (bazar ki visheshta)

बाजार की विशेषताएं इस प्रकार से है-- 

1. एक स्थान या क्षेत्र  

बाजार के लिये वस्तु का एक स्थान पर खरीदा या बेचा जाना आवश्यक नही है। यदि कोई वस्तु भारत से इंग्लैंड तक बेची जा रही है तो बाजार का यह समस्त क्षेत्र बाज़ार की परिधि मे होगा। इस प्रकार इसका क्षेत्र स्थान विशेष तक सीमित न होकर विस्तृत होता है। इसका क्षेत्र अन्तर्राष्ट्रीय भी हो सकता है। 

2. क्रेता तथा विक्रेता  

मांग और पूर्ति के बिना किसी वस्तु के बाजार की कल्पना ही नही जा सकती है। वस्तु के क्रेता तथा विक्रेता दोनों की उपस्थिति ही बाजार बनाती है। 

3. पूर्ण स्पर्धा  

बाजार की पूर्णता के लिए क्रेता तथा विक्रेताओं के बीच आपस मे संपर्क तथा घनिष्ठ संबंध व सौदे होने आवश्यक है, तभी वस्तु के मूल्य निर्धारण मे सहायता मिलती है। 

4. एक वस्तु  

अर्थशास्त्री बाजार के लिये एक ही वस्तु को एक बाजार मानते है। उस पूरे क्षेत्र मे जहाँ वह वस्तु पूर्ति के रूप मे उपस्थित की जाती है या उसकी मांग होती है, बाजार माना जाता है।

5. एक मूल 

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7 टिप्‍पणियां:

bazaar essay in hindi language

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Dil se thank you

bazaar essay in hindi language

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बाजार पर निबंध | 10 Lines On Essay on Market in Hindi

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नमस्कार  दोस्तों आज हम बाजार इस विषय पर हिंदी निबंध जानेंगे। हमारे गाँव में हर शुक्रवार को बाजार लगता है। यह बाजार सुबह से शाम तक रहता है। इस बाजार में आसपास के गाँवों से बहुत-से लोग खरीदारी के लिए आते हैं।

हमारे गाँव का यह बाजार बहुत मशहूर है। इसमें अनाज, साग-भाजी, मसाले तथा खिलौने तो बिकते ही हैं, कपड़ों और बरतनों की भी दुकानें लगती हैं। 

भेलपूरी और पानीपूरी के खोमचे भी लगते हैं। आजकल तो इस बाजार में फोटो स्टुडियो और चलता-फिरता सिनेमाघर भी होता है। .

बाजार में मिठाइयों की कई दुकानें लगती हैं। शाम तक बाजार में बड़ी चहल-पहल रहती है। सूरज डूबते ही बाजार उठ जाता है और लोग अपने-अपने घर लौट जाते हैं। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।

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Alok khobragade

प्रस्तुतकर्ता Alok khobragade

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बाजार पर निबंध Essay on Market in Hindi

नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है आज का निबंध बाजार पर निबंध Essay on Market in Hindi पर दिया गया हैं. यहाँ हम स्टूडेंट्स के लिए मार्केट पर आसान निबंध दिया गया हैं.

इस लेख में हम जानेगे कि बाजार क्या है इसका अर्थ महत्व और जीवन में बाजार की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी गई हैं.

बाजार पर निबंध Essay on Market in Hindi

एक एकला व्यक्ति अपनी समस्त आवश्यकताएं पूरी नही कर सकता है. उसे बाजार (अंग्रेजी में Market/ bazar)  का सहारा लेना पड़ता है. सभ्यता के आरम्भ से ही मनुष्य एक दूसरे पर निर्भर रहा है.

हालांकि समय के बदलाव के साथ बाजार के स्वरूप का विस्तार होता रहा है. प्रारम्भ में मनुष्य की आवश्यकताएं बहुत कम थी, इस कारण बाजार भी छोटे हुआ करते थे. तथा वह अपने आस-पास से ही अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर लेता था.

प्राचीन समय में व्यक्ति बाजार में उनकी आवश्यकताओं की वस्तुएं देता था तथा अपनी आवश्यकता की वस्तुएं प्राप्त करता था. जैसे किसान अपने खेत में पैदा अनाज के बदले अपनी आवश्यकता का सामान प्राप्त करता था.

वह अनाज के बदले में जुलाहें से कपड़ा, लुहार से औजार तथा कुम्हार से बर्तन प्राप्त करता ठस. इस प्रकार वस्तु के बदले वस्तु देकर एक दूसरे की आवश्यकताएं पूरी की जाती थी.

बाजार की यह प्रणाली वस्तु विनिमय कहलाती थी. एक ही स्थान पर रहने वाले लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति इसी प्रकार से करते थे.

समय गुजरने के साथ साथ मनुष्य की आवश्यकताएँ बढ़ने लगी और उन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नयी नई वस्तुओं का निर्माण होने लगा.

वस्तुओं के निर्माण की नई नई विधियाँ खोजी गई, और जनसंख्या वृद्धि के साथ साथ बड़ी मात्रा में वस्तुओं का उत्पादन किया जाने लगा.

कृषि एवं परम्परागत वस्तुओं के उत्पादन के साथ साथ लघु व कुटीर उद्योगों में आवश्यकता की अनेक वस्तुओं का उत्पादन होने लगा.

अब वस्तु के बदले वस्तु देने की प्रणाली के द्वारा लोगों को आवश्यकता पूर्ती में कठिनाई होने लगी. धीरे धीरे लेन देन की नई बाजार प्रणाली (Market system) का जन्म हुआ.

मुद्रा के विकास के साथ ही मुद्रा के बदले वस्तुओं के लेने देने की सुविधापूर्ण प्रणाली विकसित हुई. जब मूल्य के रूप में वस्तु न दी जाकर मुद्रा दी जाती है तो इसे मुद्रा विनिमय कहते है.

बाजार का आधुनिक स्वरूप (what is marketing concept)

आधुनिक युग मशीनों का युग है. बड़े बड़े कारखानों में लगे मजदूर हमारी आवश्यकता की हजार तरह की वस्तुए तैयार रखते है. आज व्यक्ति केवल अपने, गाँव, शहर या देश की ही नही बल्कि विदेशों में बनी वस्तुओं का उपयोग भी करने लगा है.

यह वस्तु विनिमय प्रणाली में संभव नही था, परन्तु मुद्रा विनिमय प्रणाली ने इसे संभव बना दिया है. हम बाजार जाते है और बाजार से अपनी आवश्यकता की बहुत सी चीजों को खरीदते है.

जैसे सब्जियां, साबुन, दंत मंजन, मसाले, ब्रेड, बिस्किट, चावल, दाल, कपड़े, किताबों, कोपियाँ आदि. हम जो कुछ खरीदते है, इन सभी वस्तुओं की सूची बनाई जाए तो वह बहुत लम्बी है. बाजार भी कई प्रकार के होते है. जहाँ हम अपनी आवश्यकता की वस्तुओं को खरीदने के लिए जाते है.

जैसे हमारे पडोस की गुमटी मोहल्ले की दूकान, साप्ताहिक हाट बाजार, बड़े बड़े शोपिंग काम्प्लेक्स और शॉपिंग मॉल आदि. आइये अब बाजार के इन विभिन्न स्वरूपों के बारे में जानते है.

बाजार के विभिन्न प्रकार व उनके कार्य (different types & classification of market in hindi) 

मोहल्ले की दुकान (Neighborhood store)-  बहुत सी दुकाने हमारे मोहल्ले में होती है, जो हमे कई तरह की सेवाएं और सामान उपलब्ध करवाती है.

हम पास की डेयरी से दूध, किराना व्यापारी से तेल मसाले व अन्य खाद्य पदार्थ तथा स्टेंनरी के व्यापारी से कागज पैन या फिर दवाइयों की दूकान से दवाई खरीदते है.

नाई की दूकान पर अपने बाल कटवाते है और ड्राई क्लीनर से वस्त्र धुलवाते व इस्त्री करवाते है. नाई व ड्राई क्लीनर हमे अपनी सेवाएं प्रदान करते है. इस तरह की दुकाने सामान्यतः पक्की व स्थायी होती है.

जबकि सड़क किनारे फुटपाथ पर सब्जियों के कुछ छोटे दुकानदार, फल विक्रेता और कुछ गाड़ी मैकेनिक आदि भी दिखाई देते है.

ये मोहल्ले की दुकाने कई अर्थों में उपयोगी होती है. वे हमारे घरों के करीब होती है. अतः हम सप्ताह के किसी दिन और किसी भी समय इन दुकानों पर जा सकते है.

साप्ताहिक बाजार (weekly shop) – साप्ताहिक बाजार का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि बाजार सप्ताह के लिए निश्चित दिन लगता है. इस तरह के बाजार में रोज खुलने वाली पक्की दुकाने नही होती है.

किसी निश्चित स्थान पर बहुत से व्यापारी एक निश्चित दिन खुले में ही दुकाने लगाते है और शाम को उन्हें समेट लेते है. अगले दिन वे अपनी दुकानों को किसी अन्य स्थान पर लगाते है.

ऐसे बाजारों को हाट बाजार भी कहा जाता है. साप्ताहिक बाजारों में रोजमर्रा की जरूरतों की बहुत सी चीजे सस्ते दामों में मिल जाती है.

ऐसा इसलिए कि इन बाजारों में एक ही तरह के सामानों की कई दुकाने होती है, जिससे उनमें आपस में प्रतियोगिता होती है, अतः खरीददारों को अवसर होता है. कि वे मोल तोल करके भाव कम करवा सके.

साथ ही उन्हें अपनी दुकानों का किराया, बिजली का बिल, सरकारी शुल्क, कर्मचारी की तनख्वाह आदि का भी खर्च नही करना पड़ता है. लोग अक्सर इन बाजारों में जाना पसंद करते है.

शॉपिंग कॉम्प्लेक्स व मॉल (Shopping Complex and Mall)-  बड़े शहरों में कुछ इस प्रकार के बाजार भी होते है. जहाँ एक ही छत के नीचे अनेक वस्तुओं की दुकाने होती है. इन्हें लोग शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के नाम से जानते है.

कुछ शहरी इलाकों में आपकों बहुमंजिला वातानुकूलित दुकानें भी देखने को मिलेगी, जिनकी अलग अलग मंजिलों पर अलग अलग तरह की वस्तुएं मिलती है. इन्हें शॉपिंग मॉल भी कहा जाता है.

विशेष बाजार (Special market) – शहर में कई स्थानों पर एक वस्तु विशेष के लिए विशेष बाजार होते है, जैसे कपड़ा बाजार, लोहा बाजार, अनाज बाजार आदि. इन बाजारों में एक ही प्रकार की वस्तु की कई दुकाने होती है.

थोक व्यापारी व फुटकर व्यापारी (Wholesaler and retailer in hindi)

वस्तुओं अथवा सामान का उत्पादन खेतों, घरेलु उद्योगों और कारखानों में होता है. लेकिन हम ये सामान इन उत्पादकों से सामान्यत सीधे सीधे नही खरीदते है.

वे लोग जो वस्तु के उत्पादक और वस्तु के उपभोक्ता के बिच में होते है, उन्हें व्यापारी (merchant) कहा जाता है. व्यापारी दो प्रकार होते है.

  • वे व्यापारी जो उत्पादक से बड़ी मात्रा या संख्या में सामान खरीद लेते है, और इन्हें फिर छोटे छोटे व्यापारियों को बेच देते है, ये थोक व्यापारी कहलाते है. जैसे सब्जियों का ठोक व्यापारी 10-15 किलों सब्जी नही खरीदता है, बल्कि बड़ी मात्रा में 300-400 किलों तक सब्जी खरीद लेता है. वह उन्हें गली मोहल्ले के छोटे छोटे सब्जी विक्रेताओं को बेच देता है. यहाँ खरीदने वाले तथा बेचने वाले दोनों व्यापारी ही होते है.
  • वह व्यापारी जो अंतः वस्तुएं हम उपभोक्ताओं को बेचता है, वह खुदरा या फुटकर व्यापारी कहलाता है. यह वही दुकानदार होता है. जो आपकों पड़ोस की दुकानों, साप्ताहिक बाजार या फिर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में सामान बेचता है.

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Bazar Darshan Class 12 Summary : बाजार दर्शन सारांश

Meena Bisht

  • May 5, 2021
  • aaroh bhag 2 , Class 12 Hindi

Bazar Darshan Class 12 Summary ,

Bazar Darshan Class 12 Summary Hindi Aaroh 2 Chapter 12 , बाजार दर्शन का सारांश कक्षा 12 हिन्दी आरोह भाग 2 

Bazar Darshan Class 12 Summary

बाजार दर्शन का सारांश

  • “ बाजार दर्शन ” पाठ के MCQS सारांश पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
  • “ बाजार दर्शन” के प्रश्न उत्तर पढ़ने के लिए Link में Click करें – NextPage 
  • “ बाजार दर्शन ” के सारांश  को हमारे YouTube channel  में देखने के लिए इस Link में Click करें। YouTube channel link –  ( Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)

“बाजार दर्शन” जैनेंद्र कुमार जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध निबंध है। जिसमें उन्होंने उपभोक्तावाद व बाजारवाद के बारे में खुलकर अपने दिल की बात रखी हैं। लेखक कहते हैं कि बाजार का आकर्षण ही ऐसा हैं कि व्यक्ति अपना संयम खो देता है और गैर जरूरी चीजें को भी खरीद लेता है। भले ही बाद में उसे इस बात का अहसास होता है कि उसने बाजार की चकाचौंध से आकर्षित होकर गैर जरूरी चीजें खरीद ली है। 

लेखक कहते हैं कि उपभोक्तावाद व बाजारवाद की संस्कृति जिस तरह हर रोज फल फूल रही है और उसने जिस तरह से लोगों के बीच अपनी जबरदस्त पकड़ बनाई है। वह समाज व व्यक्ति दोनों के लिए अच्छा नहीं है।  

लेखक कहते हैं कि बाजार की सार्थकता इसी में है कि वह लोगों को उनकी जरूरत का सामान उपलब्ध कराएं और लोग भी अपनी आवश्यकता के अनुसार ही बाजार से सामान खरीदें। अपनी इस बात को वो अपने दो मित्रों और एक पड़ोसी का उदाहरण देकर समझाते हैं।  

निबंध की शुरुवात करते हुए लेखक कहते हैं कि उनके एक मित्र जो अपनी पत्नी के साथ कुछ जरूरत का सामान लेने बाजार गये लेकिन बाजार पहुंच कर उन्होंने इतना गैर जरूरी सामान खरीद लिया कि उनके पास घर वापस आने के लिए रेल का टिकट खरीदने तक के लिए भी पैसे नही बचे थे। इस धटना पर वो अपने विचार रखते हुए कहते हैं कि पैसा ही पावर है क्योंकि आज पैसे से सही सब कुछ खरीदा जा सकता हैं।

लेखक कहते हैं कि पैसे में पर्चेजिंग पावर (Purchasing Power) है और कुछ लोग पर्चेजिंग पावर के हिसाब से ही सामान खरीदते हैं यानि जेब में जितना अधिक पैसा , उतना ही अधिक सामान की खरीदारी। फिर चाहे वो सामान उनकी जरूरत का हो या न हो। ये लोग इसी पावर का इस्तेमाल करने में खुशी महसूस करते हैं।

लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो पैसे के महत्व को समझते हुए अपने मन पर नियंत्रण रखते हैं और अपनी बुद्धि और संयम से जोड़े हुए पैसों को खर्च करने के बजाय सहेज कर रखने में ज्यादा गर्व महसूस करते है।

लेखक ने जब अपने मित्र से पूछा कि इतना सामान क्यों खरीदा तो उन्होंने जबाब दिया कि यह बाजार तो शैतान का जाल है। जहाँ सामान को कुछ इस तरह रखा जाता हैं कि आदमी आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता हैं। 

लेखक कहते हैं कि बाजार सबको मूक आमंत्रित करता हैं। उसका तो काम है ग्राहकों को आकर्षित करना। बाजार में खड़ा व्यक्ति आकर्षित तरीके से रखे हुए सामान को देखता है तो फिर उसके मन में उस सामान को लेने की तीब्र इच्छा हो जाती है। और अगर उसके पास पर्चेजिंग पावर है तो वह बाजार की गिरफ्त में आ ही जाएगा। 

एक और मित्र का उदाहरण देते हुए लेखक कहते हैं कि उनके एक और मित्र जो दिल्ली के चांदनी चौक में चक्कर लगाकर बिना कोई सामान खरीदे वापस लौट आये। 

जब उन्होंने अपने मित्र से बाजार से खाली हाथ लौट आने का कारण पूछा।तो उन्होंने लेखक को जबाब दिया कि बाजार में मुझे सभी वस्तुओं को लेने का मन कर रहा था। लेकिन अगर मैं थोड़ा लेता तो बाकी छूट जाता और मैं तो कुछ भी नहीं छोड़ना चाहता था। इसलिए मैंने कुछ भी नहीं खरीदा।

लेखक कहते हैं कि जब पता ही न हो कि तुम्हें क्या लेना हैं ? तो सभी वस्तुएं तुम्हें आकर्षित करेंगी। जिसका परिणाम बुरा ही होगा।

लेखक आगे कहते हैं कि बाजार के जादू से कैसे बचा जाए ? बाजार में एक जादू हैं जो आँखों के रास्ते काम करता हैं। अगर मन खाली हो तो बाजार जाना नहीं चाहिए। क्योंकि आंखों बंद भी कर लेते हैं तो तब भी मन यहां वहां घूमता रहता है। मगर हमें अपने मन पर खुद ही नियंत्रण रखना होगा। क्योंकि कि अगर व्यक्ति की जेब भरी है और मन भी भरा है तो बाजार का जादू उस पर असर नहीं करेगा।

लेकिन अगर जेब भरी है और मन खाली है तो बाजार उसे जरूर आकर्षित करेगा। और फिर व्यक्ति बिना सोचे विचारे सामान खरीदने लगेगा।  बाजार के जादू से बचने के लिए व्यक्ति के भीतर आत्मिक संतोष व आत्म नियंत्रण होना आवश्यक हैं जिससे वह किसी लालच में न पड़ें ।

लेखक अपने एक पड़ोसी का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि भगत नाम के एक व्यक्ति जो पिछले कई वर्षों से चूरन बेच रहे हैं। दस वर्षों से लेखक भी उन्हें चूरन बेचते हुए देख रहे हैं। लेखक कहते है कि भगत रोज चूरन बेचने जाते हैं। वह उतना ही चूरन बेचते हैं जितने में उनकी छः आने की आमदनी होती है। छः आने की कमाई होने के बाद वो बिना किसी लालच के बचा हुआ चूरन बच्चों में बांट देते हैं। वो चाहते तो और भी पैसे कमा सकता थे। लेकिन वह ऐसा नहीं करते हैं। 

लेखक आगे बताते हैं कि जब भगत बाजार जाते हैं तो उस सीधे पन्सारी की दुकान पर ही जाते हैं जहां उनकी जरूरत का सारा सामान मिल जाता है। वो वहां से अपना सामान लेकर सीधे घर आ जाते हैं। यही उनकी दिनचर्या है। इसके आलावा वो न तो बहुत पैसा कमाने का लालच रखते हैं न गैर जरूरी सामान खरीदने का।

लेखक कहते हैं कि हम उनसे सबक लेकर बाजार के जादू से बच सकते हैं।क्योंकि गैर जरूरी सामान खरीद कर व्यक्ति ना तो खुद फायदा उठा रहा है और ना ही बाजार को सही सार्थकता दे रहा है।

बाजार की सार्थकता भी तभी है जब व्यक्ति केवल अपनी जरूरत का सामान खरीदें। बाजार हमेशा ग्राहकों को मौन निमंत्रण देता है। अपनी चकाचौंध से आकर्षित करता है। व्यक्ति का अपने मन पर नियंत्रण होना चाहिए। 

लेकिन जो लोग अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण नहीं रखते हैं। वो अपनी पर्चेजिंग पावर के गर्व में अपने पैसे से केवल एक विनाशक शक्ति – शैतानी शक्ति और व्यंग्य की शक्ति ही बाजार को देते हैं। ऐसे व्यक्ति न तो खुद बाज़ार से कुछ लाभ उठा सकते हैं और न ही बाजार को लाभ दे सकते हैं।ये लोग सिर्फ बाजार का बाजारूपन बढ़ाते हैं। जिससे बाजार में छल कपट बढ़ता हैं। सद्भावना का नाश होता हैं। 

फिर ग्राहक और विक्रेता के बीच संबंध सद्भावना का न होकर , केवल लाभ हानि तक ही सीमित रहता हैं। सद्भाव से हीन बाजार मानवता के लिए विडंबना है और ऐसे बाज़ार का अर्थशास्त्र अनीति का शास्त्र है।

“ बाजार दर्शन ” के सारांश  को हमारे YouTube channel  में देखने के लिए इस Link में Click करें। YouTube channel link –  (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)

Note – Class 8th , 9th , 10th , 11th , 12th के हिन्दी विषय के सभी Chapters से संबंधित videos हमारे YouTube channel  (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)   पर भी उपलब्ध हैं। कृपया एक बार अवश्य हमारे YouTube channel पर visit करें । सहयोग के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यबाद।

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बाजार दर्शन || निबन्ध || जैनेन्द्र कुमार || Hindi sahitya

दोस्तो आज की पोस्ट में आप जैनेन्द्र द्वारा चर्चित व्यंग्यात्मक निबंध  बाजार दर्शन का सार पढेंगे ,जो किसी भी एग्जाम के लिए उपयोगी साबित होगा       

बाजार दर्शन (जैनेन्द्र कुमार)

Table of Contents

अनावश्यक क्रय-

पैसे की पाॅवर –, बाजार का जादू –, जादू से रक्षा –, खाली और बन्द मन –, चूरनवाले भगत जी –, पैसे की व्यंग्य शक्ति –, बाजार की सार्थकता –.

net/jrf हिंदी नए सिलेबस के अनुसार मूल पीडीऍफ़ व् महत्वपूर्ण नोट्स 

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10 Lines on “Bazar ka Drishya” “बाज़ार का दृश्य” Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 8, 9, 10, 12 Classes.

बाज़ार का दृश्य- 10 पंक्तियाँ.

1. हर जगह बाज़ार एक व्यस्त जगह हेती है। लोग बाज़ार में अपनी ज़रुरत का सामान खरीदने जाते हैं। 2. आमतौर पर महीने का पहला हफ्ता हर बाज़ार में भीड़ से भरा होता है। 3. हर दूसरे दिन लोगों की भीड़ सामान खरीद रही होती है। त्योहारों के दिन दुकाने खरीदारों से भरी होती हैं। 4. हमें फेरीवाले और पटड़ीवाले भी अपना सामान ऊँची-ऊँची आवाज़ में बेच रहे नज़र आते हैं। 5. बड़ी दुकानें आकर्षक लगती हैं। फल और सब्ज़ी बेचने वाली जगह अलग होती हैं। 6. इन स्थानों पर प्रायः शाम को अत्यधिक भीड़ होती है। 7. यहाँ पर ज़ेवरों की दुकाने होती हैं जहाँ कुछ लोग गहने खरीदते नज़र आते हैं। 8. त्योहार के दिनों में कपड़े की दुकाने और सिले हुए कपड़ों की दुकानें अच्छा कारोबार कर लेती हैं। 9. अधिकतर लोग होटलों और रेस्टोरेन्टों में बैठे नज़र आते हैं। मार्किट में गाड़ी चलानी मुश्किल हो जाती है। 10. हमारे बाज़ार पश्चिमी आधुनिक देशों के बाज़ारों से एकदम अलग होते हैं। मार्किट में खासकरके शाम को मज़ा आता है।

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  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
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  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
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  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
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  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
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  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
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  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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A Visit to an Indian Bazaar

Essay on A Visit to an Indian Bazaar

admin August 30, 2018 Essays in English 13,788 Views

Chandni Chowk is the main bazaar of old Delhi . It is one of the busiest markets of the city. It is lined with beautifully decorated shops on both-sides. These shops deal in all shorts of goods. Near the fountain is Gurudwara Sis Ganj, the holy shrine of the Sikhs. The bazaar has a few bank buildings and cinema halls. The town hall, the police station and Fatehpuri Mosque are the other places of importance.

There is a great hustle and bustle everywhere. The multicolored electric lights add to the beauty of the bazaar. Crowds of customers, men, women and children are seen standing in front of soaps, buying articles. The verandas are full of visitors and vendors and it is difficult to get an easy passage.

There is a rush of traffic. All sorts of vehicles are seen playing about on the road. The shrill sound of horns and hooters jars upon the car. At some places traffic is held up and it is difficult to cross the road. The restaurants have a busy time.

Shops begin closing by 7 p.m. Sunday is close day. Chandni Chowk is the biggest centre of trade in Old Delhi . A visit to it in the evening is very enjoyable.

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An indian bazaar.

India may become more and more modern with time. It will however not loose its traditional bazaars. In an Indian Bazaar, one gets almost everything from gold ornaments to terracotta utensils, cloth, and other items of daily use. A typical Indian market is usually around a square and on either side of a street. From here there may or may not be other small streets branching out. Unlike yesteryears, when each market used to specialize in a single commodity like ornaments or clothes or utensils or bed linen, today the market has become a mishmash of various commodities which are sold in one place. At any given time the market is full of people buying and selling goods. The shopkeepers sit on the outside of the shops generally on the floor, waiting for customers to come. Some even call out for customers. Besides these shops, there are also petty vendors who sell, fruits, vegetables, and plastic goods, from a cart. They often move from one place in the market to another, till they find an appropriate place to sell wares. Various shopkeepers hang large banners and stick posters,  which announce the sale or arrival of some new products. One can hear song announcements on the public address system of the markets all day long. Another important feature of Indian markets is the free-roaming They can be found almost everywhere in the market. They are generally a nuisance.

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भारतीय विरासत और संस्कृति

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भारत में पर्यटन क्षेत्र का भविष्य

  • 29 Sep 2022
  • 12 min read
  • सामान्य अध्ययन-I
  • भारतीय वास्तुकला
  • मंदिर वास्तुकला
  • गुफा वास्तुकला
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यह एडिटोरियल 27/09/2022 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Pitching India as a signature destination” लेख पर आधारित है। इसमें हाल में जारी ‘धर्मशाला घोषणा-पत्र’ और भारत में पर्यटन क्षेत्र के भविष्य के बारे में चर्चा की गई है।

पर्यटन का आर्थिक विकास के एक प्रमुख चालक के रूप में उभार हुआ है। यह सबसे तेज़ी से आगे बढ़ते आर्थिक क्षेत्रों में से एक है और इसका व्यापार, रोज़गार सृजन, निवेश, अवसंरचना विकास एवं सामाजिक समावेशन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

  • पर्यटन कोविड-19 महामारी से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र रहा है। संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UN World Tourism Organisation- UNWTO) के अनुसार वर्ष 1950 में रिकॉर्ड रखे जाने के आरंभ बाद से यह अब तक का सबसे गंभीर संकट रहा है जिसका सामना अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को करना पड़ा है।
  • कोविड-19 से गुज़रने के बाद भारत में पर्यटन क्षेत्र के लिये सुरक्षा और स्वच्छता बनाए रखते हुए पहले की तरह की गतिविधियों को बहाल करना एक बड़ी चुनौती है। यह संकट ऐसे संकटों के दीर्घकालिक प्रभावों पर विचार करने और पर्यटन भविष्य की पुनर्कल्पना करने के साथ ही सरकार के सभी स्तरों और निजी क्षेत्र में समन्वित कार्रवाई करने का एक अवसर प्रदान कर रहा है।

भारत में पर्यटन क्षेत्र की स्थिति

  • विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद (World Travel and Tourism Council) की वर्ष 2021 की रिपोर्ट में विश्व सकल घरेलू उत्पाद में योगदान के मामले में भारत के पर्यटन को 10वें स्थान पर रखा गया है।
  • वर्ष 2021 तक की स्थिति के अनुसार, यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भारत के 40 स्थल (32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित) सूचीबद्ध हैं।
  • धोलावीरा और रामप्पा मंदिर इस सूची में शामिल नवीनतम स्थल/स्मारक हैं।
  • वित्त वर्ष 2020 में पर्यटन क्षेत्र में कुल 39 मिलियन रोज़गार अवसर सृजित हुए जो देश के 8% रोज़गार का प्रतिनिधित्व करते हैं। वर्ष 2029 तक यह 53 मिलियन नौकरियों के लिये उत्तरदायी होगा।

भारत में पर्यटन से संबंधित हाल की प्रमुख पहलें

  • स्वदेश दर्शन योजना
  • राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2022 का मसौदा
  • देखो अपना देश पहल
  • राष्ट्रीय हरित पर्यटन मिशन

भारत में पर्यटन क्षेत्र से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ

  • बहुभाषी प्रशिक्षित गाइडों की सीमित संख्या और स्थानीय लोगों में पर्यटन से जुड़े लाभों एवं ज़िम्मेदारियों की अपर्याप्त समझ के कारण इस क्षेत्र का विकास बाधित रहा है।
  • उदाहरण के लिये पूर्वोत्तर भारत की आकर्षक प्राकृतिक सुंदरता के बावजूद देश के बाकी हिस्सों के साथ कनेक्टिविटी की कमी के साथ ही बुनियादी ढाँचे और आवश्यक सुविधाओं की कमी के कारण यह देश में घरेलू या अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के यात्रा कार्यक्रमों में जगह पाने से प्रायः वंचित रह जाता है।
  • असंवहनीय पर्यटन स्थानीय भूमि उपयोग को भी प्रभावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप मृदा के कटाव, प्रदूषण में वृद्धि और लुप्तप्राय प्रजातियों के प्राकृतिक पर्यावासों की क्षति जैसी स्थिति उत्पन्न होती है।
  • विदेशी पर्यटकों, विशेषकर महिला पर्यटकों पर हमलों जैसी घटनाओं से सुरक्षा संबंधी चिंता बढ़ी है। उल्लेखनीय है कि विश्व आर्थिक मंच सूचकांक (WEF Index 2017) में सुरक्षा के मामले में भारत को 114वें स्थान पर रखा गया। 
  • भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए व्यंजन पर्यटन (Cuisine Tourism) की एक बेजोड़ विविधता भारत के ‘सॉफ्ट पावर’ को बढ़ाने और विदेशी राजस्व को आकर्षित करने का एक माध्यम बन सकती है।
  • हाल में जारी धर्मशाला घोषणा-पत्र (Dharamshala Declaration) सही दिशा में बढ़ाया गया कदम है, जिसका उद्देश्य वैश्विक पर्यटन को समर्थन देने और घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने में भारत की क्षमता को साकार करना है।
  • उत्तरदायी, समावेशी, हरित और आतिथेय पर्यटन (Responsible, Inclusive, Green and Hospitable Tourism- RIGHT): बेहतर जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये पर्यटन प्रबंधन से संलग्न सभी हितधारकों के लिये विनियमनों का एक समग्र और साझा ढाँचा होना चाहिये।
  • दूरदराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों सहित समाज के हाशिए पर स्थित वर्गों के लिये अवसर पैदा कर पर्यटन के समावेशी विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • इसके साथ ही, गौतम से लेकर गांधी तक, हमारी भारतीय संस्कृति ने हमेशा प्रकृति के साथ और अपने साधनों के दायरे में सामंजस्य बिठाने के महत्त्व पर बल दिया है।
  • प्राकृतिक पारितंत्र में न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ हरित पर्यटन (Green Tourism) को बढ़ावा देना और संवहनीय अवसंरचना को बनाए रखना महत्त्वपूर्ण है ताकि आत्मीय आतिथ्य को संपोषण मिल सके।
  • इसके बाद फिर इन स्थानों का मानचित्रण करने और सोशल मीडिया के माध्यम से उनका प्रचार करने के लिये एक डिजिटल एकीकृत प्रणाली का विकास किया जा सकता है जो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के मूल तत्व का संवर्द्धन करेगा।
  • इसके साथ ही, वर्तमान और भविष्य के आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभावों को ध्यान में रखते हुए आगंतुकों, उद्योग, पर्यावरण और मेजबान समुदायों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये पर्यटन नियमों को समय-समय पर संशोधित किया जाना चाहिये।
  • एक राज्य एक पर्यटन शुभंकर (One State One Tourism Mascot): राज्य के पशुओं को, विशेष रूप से बच्चों के बीच पर्यटन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये, एक अभिनव उपकरण के रूप में विभिन्न राज्यों के पर्यटन विभागों हेतु एक विज्ञापन शुभंकर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • भारत के पास विभिन्न देशों के प्रतिनिधिमंडलों का स्वागत करते हुए ‘अतिथि देवो भव’ के अपने सदियों पुराने आदर्श को प्रकटतः प्रदर्शित कर सकने का अवसर मौजूद होगा।

अभ्यास प्रश्न: कोविड संकट भारत में पर्यटन के भविष्य की पुनर्कल्पना करने का एक अवसर प्रदान कर रहा है। चर्चा कीजिये।

Q.1 विकास की पहल और पर्यटन के नकारात्मक प्रभाव से पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे बहाल किया जा सकता है?  (वर्ष 2019)

Q.2 जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य पर्यटन के कारण अपनी पारिस्थितिक वहन क्षमता की सीमा तक पहुँच रहे हैं। समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिये।  (वर्ष 2015)

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Is there an English proverb similar to the Hindi "Elephant goes to the bazar; Thousands of dogs bark"?

There is a proverb in Hindi language

हाथी चले बाज़ार कुत्ते भौंकें हज़ार

Literal English translation:

Elephant goes to the bazar; Thousands of dogs bark

It figuratively means when a person progresses with something or succeeds, the people often vilify him and protest. (So let them do what they do. A high-level person doesn't need anything to stop progressing or succeeding)

image of dogs barking at elephant

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Laurel's user avatar

  • What is it you want the proverb to express? You have mentioned two different things in your question: (1) people protest success and (2) keep on doing your thing despite objections. There are now two answers, each addressing only one of these. –  Jason Bassford Commented Oct 7, 2018 at 8:29
  • @JasonBassford, in its "extended" usage, the expression "sour grapes" embodies both. It's a straightforward observation that success is being derided -- and, by imputing mere envy to the derisive people, it implicitly tells the successful person, "Ignore them, their opinions count for nothing." –  JDM-GBG Commented Oct 9, 2018 at 0:18

4 Answers 4

"Haters goin' to hate" fits pretty well. Includes the existence of critics, and the inevitability of critics (for success or otherwise) and that life must go on.

Mike's user avatar

  • 2 I’ve never seen “haters goin’ to hate”. The more common variant is “haters gonna hate” or “haters gon’ hate”. –  Janus Bahs Jacquet Commented Oct 10, 2018 at 0:09

The proverb:

the dogs bark, but the caravan goes on

although of foreign ( probably Turkish ) origin, is listed in Farlex Dictionary of Idioms .

Consider also:

sticks and stones may break my bones, but words will never hurt me A common childhood chant meaning hurtful words cannot cause any physical pain and thus will be ignored or disregarded. I've never been affected by people's criticism—sticks and stones may break my bones, but words will never hurt me.

For origin, see: Sticks and Stones

michael.hor257k's user avatar

  • 1 And both of these can be applied to the anonymous downvoters... –  michael.hor257k Commented Oct 6, 2018 at 17:13
  • michael.hor257k, I agree with you though someone has downvoted your answer –  Mohd Aman Commented Oct 6, 2018 at 17:31
  • michael.hor257k, hahaha you are right –  Mohd Aman Commented Oct 6, 2018 at 17:32
  • 3 I wasn't the downvoter so this is just a guess, but I see two problems: (a) it's not really a commonly used proverb among native English speakers, and (b) it misses the sense given by the OP: "It figuratively means when a person progresses with something or succeeds, the people often vilify him and protest." –  JDM-GBG Commented Oct 6, 2018 at 20:32
  • 1 Don't Australians have the "tall poppy syndrome"? –  Michael Harvey Commented Oct 6, 2018 at 20:50

There's a common English expression, sour grapes, which is fairly close to the meaning you describe.

Strictly speaking, it refers someone who is bitter over something he cannot have:

What's the meaning of the phrase 'Sour grapes'? Acting meanly after a disappointment. What's the origin of the phrase 'Sour grapes'? In the fable The Fox and the Grapes, which is attributed to the ancient Greek writer Aesop, the fox isn't able to reach the grapes and declares them to be sour: A famished Fox saw some clusters of ripe black grapes hanging from a trellised vine. She resorted to all her tricks to get at them, but wearied herself in vain, for she could not reach them. At last she turned away, beguiling herself of her disappointment, and saying: "The Grapes are sour, and not ripe as I thought."

https://www.phrases.org.uk/meanings/sour-grapes.html

However you will often hear this meaning extended to a person who is envious of someone else's success. For example, this snippet appears in an online blog that is discussing the tremendous financial success of Apple:

Apple is the second largest computer maker IN THE WORLD. This year or next, analysts predict they will become the largest computer maker in the world, bar none. So, is the negativity really caused by a "Bad Apple" or is it just "sour grapes" from people who still think it is 1995?

JDM-GBG's user avatar

  • DM-GBG, sour grapes is a cunning fox story which is very common in India –  Mohd Aman Commented Oct 7, 2018 at 3:25

Not very common, but applicable:

It is in the character of very few men to honor without envy a friend who has prospered. -- Aeschylus

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  19. Essay on "An Indian Bazaar" English Essay, Paragraph, Speech for Class

    Essay on "An Indian Bazaar" English Essay, Paragraph, Speech for Class 6, 7, 8, 9, 10, and 12 for College and Competitive Exams.

  20. भारत में पर्यटन क्षेत्र का भविष्य

    भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए व्यंजन पर्यटन (Cuisine Tourism) की एक बेजोड़ विविधता भारत के 'सॉफ्ट पावर' को बढ़ाने और ...

  21. single word requests

    There is a proverb in Hindi language . हाथी चले बाज़ार कुत्ते भौंकें हज़ार . Literal English translation: Elephant goes to the bazar; Thousands of dogs bark . It figuratively means when a person progresses with something or succeeds, the people often vilify him and protest.

  22. Mera bazaar essay in hindi lan in English with examples

    Contextual translation of "mera bazaar essay in hindi language" into English. Human translations with examples: dosa essay in hindi.

  23. Essay in hindi topic is bazaar …

    Essay in hindi topic is bazaar me ek ghanta Report ; Posted by Srushti Kunkolienkar 6 years, 3 months ago. CBSE > Class 09 > हिंदी ए ... Be nice and polite and avoid rude and abusive language. Avoid inappropriate language and attention, vulgar terms and anything sexually suggestive.