Hindi Nibands for ICSE Students: Top 20 Hindi Essays

hindi essay topics for class 10 icse 2022

List of popular Nibands for ICSE Students in Hindi Language!

स्वामी विवेकानंद पर निबन्ध | Essay on Swami Vivekananda in Hindi

महाराणा प्रताप पर निबन्ध | Essay on Maharana Pratap in Hindi

गुरु नानक देव पर निबन्ध | Essay on Guru Nanak Dev in Hindi

कंप्यूटर : आज की आवश्यकता पर निबन्ध | Essay on Computer : Todays Necessity in Hindi

विज्ञान: एक अभिशाप पर निबन्ध | Essay on Science : A Curse in Hindi

दैनिक जीवन में विज्ञान का प्रभाव पर निबन्ध | Essay on Impact of Science in Daily Life in Hindi

पंडित जवाहर लाल नेहरू पर निबन्ध | Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

विज्ञान : एक वरदान पर निबन्ध | Essay on Science : A Blessing in Hindi

ADVERTISEMENTS:

टेलीविजन (दूरदर्शन) पर निबन्ध | Essay on Television in Hindi

छत्रपति शिवाजी पर निबन्ध | Essay on Chatrapati Sivaji in Hindi

हमारा प्यारा देश पर निबन्ध | Essay on Our Beloved Country in Hindi

भारत के गाँव पर निबन्ध | Essay on Indian Village in Hindi

मेरा गाँव पर निबन्ध | Essay on My Village in Hindi

समाचार-पत्र पर निबन्ध | Essay on News Paper in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबन्ध | Essay on Environmental Pollution in Hindi

चलचित्र (सिनेमा) पर निबन्ध | Essay on Cinema in Hindi

गाँव भला कि शहर पर निबन्ध | Essay on Village Life Versus City Life in Hindi

हमारा शहर पर निबन्ध | Essay on Our Town in Hindi

इंटरनेट और सूचना प्रौद्योगिकी पर निबन्ध | Essay on Internet and Information Technology in Hindi

बिजली के चमत्कार पर निबन्ध | Essay on The Miracle of Electricity in Hindi

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 1

स्वामी विवेकानंद भारत के एक महापुरुष थे । उन्होंने भारत के लोगों को उनके प्राचीन गौरव का स्मरण कराया । वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारत के लोगों को स्वधर्म के प्रति जागरूक किया । वे सच्चे लोकसेवक एवं महान संत थे ।

विवेकानंद जी के बचपन का नाम नरेंद्र दल था । वे 12 जनवरी, सन् 1863 ई. में कोलकाता के एक क्षत्रिय परिवार में जन्मे थे । उनके 184 पिता विश्वनाथ दल कोलकाता उच्च न्यायालय के प्रसिद्ध वकील थे । विवेकानंद की आरंभिक शिक्षा कोलकाता में ही हुई ।

मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर वे कोलकाता के ‘जनरल असेंबली’ कॉलेज में दाखिल हुए । यहाँ उन्होंने साहित्य इतिहास दर्शन आदि विषयों का अध्ययन किया । अपने छात्र जीवन में वे ईश्वर और धर्म को शंका की दृष्टि से देखते थे । अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए वे ब्रह्म समाज के सदस्यों के निकट गए ।

सत्रह वर्ष की आयु में उनकी भेंट रामकृष्ण परमहंस से हुई । उन्होंने नरेंद्र के विचारों पर बहुत प्रभाव डाला । नरेंद्र ने रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु माना इनसे दीक्षा ली । इसी बीच नरेंद्र के पिता की मृत्यु हो गई । परिवार का दायित्व उनके कंधों पर आ गया ।

वे गुरु की शरण में गए । गुरु परमहंस ने कहा, ”माँ काली से जो माँगना है, माँग ले । वे अवश्य ही तेरे दु:खों को दूर करेंगी ।” नरेंद्र काली माँ के मंदिर में गए । परंतु वे धन-संपत्ति माँगने की जगह उनसे श्रद्धा भक्ति और बुद्धि माँग बैठे ।

रामकृष्ण ने एक दिन अपनी आत्मिक शक्ति से नरेंद्र को तेज और आध्यात्म बल प्रदान किया । उन्हें नरेंद्र से विवेकानंद बना दिया । रामकृष्ण परमहंस के निधन के बाद स्वामी विवेकानंद कोलकाता छोड़कर बराद नगर के आश्रम में जाकर रहने लगे । यहाँ उन्होंने धर्म-शास्त्रों का अध्ययन किया ।

इसके बाद वे भारत भ्रमण पर निकल पड़े । उन्होंने लोगों के मन में धर्म के प्रति आस्था उत्पन्न की । भारतवासियों को उनके आत्मगौरव का ज्ञान कराया । सन् 1893 ई. में वे विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका के नगर शिकागो गए ।

उन्हें सम्मेलन में सबसे अत में बोलने की अनुमति मिली । परतु उनका प्रथम भाषण ही इतना प्रभावशाली था कि अमेरिका में खलबली मच गई । उन्हें सुनने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी । विवेकानंद जी ने लोगों को धर्म का असली स्वरूप बताकर उनकी जिज्ञासा शांत की ।

शिकागो सम्मेलन के बाद विवेकानंद ने अमेरिका में अन्य स्थानों की यात्राएँ कीं । उन्होंने यूरोपीय देशों का भी भ्रमण किया । उनके भाषणों, लेखों आदि का वहाँ के लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ा । पश्चिमी देशों के कुछ लोग उनके शिष्य हो गए । चार वर्षों तक विदेशों में भ्रमण के बाद विवेकानंद भारत लौट आए ।

भारत लौटने पर उनका विभिन्न स्थानों पर भव्य स्वागत हुआ । उन्होंने भारत के लोगों को वीरता बलिदान और त्याग की शिक्षा दी । भारत के गरीबों, दलितों, पीड़ितों की सेवा को उन्होंने ईश्वर की पूजा बताया । वे भारत की गरीबी परतंत्रता एवं दीन-हीन दशा देखकर बहुत दुखी थे ।

स्वामी जी ने मानवता की भलाई के लिए ‘रामकृष्ण मिशन’ नामक संस्था की स्थापना की । इस मिशन की सफलता के लिए उन्होंने बहुत परिश्रम किया । इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ा । 4 जुलाई, 1902 ई. के दिन मात्र 39 वर्ष की आयु में इस महान पुरुष ने अपना नश्वर शरीर त्याग दिया । परंतु उनका यह संदेश सदैव हमें प्रेरणा देता रहेगा कि उठो, जागो और अपने लक्ष्य की प्राप्ति तक चैन से मत बैठो ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 2

महाराणा प्रताप की गिनती भारत के गिने-चुने सपूतों में की जाती है । वे बड़े ही स्वतंत्रता प्रेमी व्यक्ति थे । वे जीवन भर अपनी जन्मभूमि की रक्षा के लिए जूझते रहे । ऐसे समय जबकि भारत पर मुगल साम्राज्य का बोलबाला था महाराणा प्रताप ने अपनी मातृभूमि चित्तौड़ की रक्षा का प्रण लिया था ।

महाराणा प्रताप का जन्म 31 मई 1539 ई. के दिन हुआ था । इनके पिता का नाम उदय सिंह था । प्रताप बचपन से ही वीर और साहसी थे । जिस समय इन्हें मेवाड़ का महाराणा बनाया गया उस समय तक राज्य के अनेक भागों पर अकबर का शासन था ।

महाराणा को अकबर जैसे शक्तिशाली मुगल सम्राट से जूझना पड़ा । परंतु महाराणा प्रताप ने हिम्मत नहीं हारी । इन्होंने अकबर की सेना का दृढ़ता से मुकाबला किया । कई प्रयत्नों के बाद भी अकबर मेवाड़ को जीतने में सफल नहीं हुआ ।

तब अकबर ने सेनापति मान सिंह के नेतृत्व में एक विशाल सेना को मेवाड़ पर आक्रमण के लिए भेजा । हल्दीघाटी में मान सिंह और महाराणा प्रताप के बीच महासंग्राम हुआ । प्रताप के पास सैनिकों की संख्या काफी कम थी ।

फिर भी घमासान युद्ध हुआ । राणा के सैनिक सिंह के समान गर्जना करते हुए शत्रु सेना पर टूट पड़े । मान सिंह के अधीन मुगल सेना ने भी पलटकर वार किया । प्रताप की सेना हार गई परंतु वे स्वयं मुगलों की पकड़ में नहीं आए ।

युद्ध स्थल से लौटते समय उनके प्रसिद्ध चेतक घोड़े ने दम तोड़ दिया । वे दूसरे घोड़े पर सवार होकर किसी सुरक्षित स्थान में चले गए । बाद में प्रताप ने अनेक कष्ट सहे इन्हें सपरिवार जंगल में शरण लेनी पड़ी । इन्होंने घास की रोटियाँ खाना स्वीकार किया परंतु मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की ।

इस दौरान इन्होंने मुगलों से छापामार युद्ध किया । वे फिर से सैनिकों को संगठित करने में जुट गए । इस कार्य में मेवाड़ के गौरव भामाशाह ने बहुत मदद की । इन्होंने अपनी सारी धन-संपत्ति राणा प्रताप को भेंट कर दी ।

इन्होंने शत्रुओं के कब्जे वाले कई दुर्ग फिर से जीत लिए । वे जीवन भर मेवाड़ की रक्षा के प्रति समर्पित रहे । 15 जनवरी, 1597 ई. के दिन इनका स्वर्गवास हो गया । महाराणा प्रताप देश के स्वाभिमान के लिए अपना सभी सुख त्याग देने वाले एक महान शासक थे ।

युद्ध के मैदान में वे सैकड़ों शत्रुओं को पराजित करने की क्षमता रखते थे । इनके रक्त में राजपूताना पराक्रम था । इनकी रण-कुशलता का लोहा इनके विरोधी भी मानते थे । इस अमर सेनानी पर भारतवासियों को गर्व है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 3

भारत महापुरुषों एवं संतों की भूमि है । भारत संपूर्ण जगत को धर्म और आध्यात्म की शिक्षा देता आया है । हमारे महापुरुषों ने मनुष्य समुदाय को ईश्वर प्राप्ति का सच्चा मार्ग बताया है ।

गुरु नानक देव जी का नाम भी इसी श्रेणी के महान व्यक्तियों में बड़े आदर के साथ लिया जाता है । गुरु नानक का जन्म 20 अक्तूबर, 1469 ई. में कार्तिक पूर्णिमा के दिन तलवंडी नामक गाँव में हुआ था । तलवंडी अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है जिसे ननकाना साहब के नाम से जाना जाता है ।

इनके पिता का नाम कालूचंद था जो पटवारी का कार्य करते थे । इनकी माता श्रीमती तृप्ता देवी एक धर्मपरायण महिला थीं । नानक जी बचपन से ही ईश्वर भक्त थे । इनका अधिकांश समय ईश्वर भजन एवं स्मरण में बीतता ऊा । खेतों में गाय-भैंसों को चराते तथा ईश्वर-भजन भी करते थे ।

इन्होंने संस्कृत और अरबी-फारसी भाषा का भी अध्ययन किया । कुछ बड़े हुए तो पिता नेऊ व्यापार करने को कहा । कुछ रुपए देकर सच्चा सौदा करने के लिए कहा । नानक बाजार की ओर चल पड़े । रास्ते में कुछ भूखे साधु-सत मिले । पिता से मिले रुपए इन साधु-संतों को खिलाने-पिलाने में खर्च कर दिए ।

वापस लौट कर पिता से कहा ”साधु-संतों की सेवा से बढ्‌कर सच्चा सौदा और क्या हो सकता है ।” सोलह वर्ष की उम्र में नानक ने एक अनाज की दुकान में नौकरी कर ली । जो भी धन मिलता उसे भूखे लोगों एवं साधुओं पर खर्च कर देते थे ।

अठारह वर्ष की आयु में इनका विवाह सुलक्षणा देवी से हुआ । इन्हें दो पुत्र भी हुए । परंतु इनेका मन गृहस्थी में न रमा । ये घर-बार छोड़कर धर्म के प्रचार के लिए निकल पड़े । अपनी यात्रा के दौरान वे जहाँ भी ठहरते लोगों को उपदेश देते उन्हें सच्चे धर्म की शिक्षा देते ।

वे मुसलमानों के पवित्र तीर्थस्थल मक्का-मदीना भी गए । वहाँ के लोग भी नानक से बहुत प्रभावित हुए । वे लोगों को निर्गुण एवं निराकार ईश्वर की भक्ति करने का उपदेश देते थे । उन्होंने छुआछूत मूर्तिपूजा कर्मकांड आदि का विरोध किया । उन्होंने लोगों को अपना संदेश बहुत ही सरल भाषा में दिया ।

सच्चे मन से प्रभु का भजन परिश्रम संयम आदि को उन्होंने उन्नति का मार्ग बताया । सत्य बोलो दूसरों की निंदा मत करो मधुर वाणी बोलो क्रोध मत करो आदि उनके प्रमुख उपदेश थे । गुरु नानक देव की वाणी ‘गुरु ग्रंथ साहब’ में संकलित है । अपने जीवन के अंतिम दिनों में वे करतारपुर में रहने लगे ।

वहाँ सत्संग और लंगर का कार्यक्रम चलता रहता था । नानक ने ‘लक्षणा’ को अपना परम शिष्य बनाकर उसका नाम अंगद रखा । गुरु अंगददेव ने नानक के बाद उनका स्थान ग्रहण किया । 2 सितंबर सन् 1539 ई. के दिन उनका देहावसान हो गया । गुरु नानक के शिष्यों ने सिक्स धर्म का प्रचार किया । गुरु नानक सिक्सों के पहले गुरु माने जाते हैं ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 4

वर्तमान समय में कप्यूटर घर-घर की उपयोगी वस्तु बन गया है । हमारे दैनिक जीवन में इसका उपयोग दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है । इसके बढ़ते प्रयोग के कारण आज कंप्यूटर शिक्षा का महत्त्व बढ़ गया है ।

कंप्यूटर का प्रयोग सभी छोटे-बड़े कार्यालयों, सरकारी तथा निजी संस्थानों तथा आम लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर किया जा रहा है । इंटरनेट इसी का एक विकसित रूप है जिसे सूचना और जानकारी का खजाना कहा जाता है । कंप्यूटर के बिना बैंकों कार्यालयों उद्योगों एवं व्यापार से जुड़े स्थानों का काम-काज नहीं चलाया जा सकता ।

यह भारी से भारी गणना शीघ्र कर देता है । व्यापारी इसमें खातों का हिसाब-किताब रखते हैं । कंप्यूटर के प्रयोग ने टिकट खिड़की पर लोगों की भीड़ कम कर दी है । इसने पुस्तकों के शीघ्र प्रकाशन में मदद की है । इसने भाषाओं के विकास में मदद की है । इसने आधुनिक ज्ञान-विज्ञान को आम लोगों तक पहुँचाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है ।

कंप्यूटर आज की एक आवश्यकता बन गया है । यही कारण है कि विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर शिक्षा अनिवार्य हो गई है । स्कूलों तथा शिक्षा संस्थाओं में कप्यूटर की शिक्षा एक विषय के रूप में दी जाती है । पढ़े-लिखे युवा कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त कर सरलता से नौकरी प्राप्त कर सकते हैं ।

कप्यूटर ज्ञान उन्हें अपना कोई निजी व्यवसाय खोलने में भी मदद कारता है । आजकल विभिन्न सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थाओं में कंप्यूटर प्रशिक्षित व्यक्तियों की माँग अधिक है । कंप्यूटर का ज्ञान लोगों को सूचनाओं के बड़े जगत से जोड़ देता है । यह खेल और मनोरंजन के रूप में भी उपयोगी है ।

हमारे देश में उच्च शिक्षा प्राप्त कंप्यूटर विशेषज्ञों की एक बड़ी संख्या है । बहुत से लोग साफ्टवेयर निर्माण में लगे हुए हैं । अनेक व्यक्तियों को कंप्यूटर निर्माण उद्योग तथा इसके रखरखाव में रोजगार मिला हुआ है । कंप्यूटर की शिक्षा देने वाले संस्थानों की भी एक बड़ी संख्या है ।

इनमें कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है । हमारे देश के कंप्यूटर इंजीनियरों ने पूरे विश्व में अपनी प्रतिभा सिद्ध कर दी है । सूचना प्रौद्योगिकी के विकास में भारतीय कंप्यूटर प्रशिक्षित व्यक्तियों ने बड़ी भूमिका निभाई है । हमारे देश के कंप्यूटर विशेषज्ञ दुनिया भर में फैले हुए हैं क्योंकि विभिन्न विकसित एवं विकासशील देशों में इनकी बड़ी माँग है ।

कंप्यूटर शिक्षा विद्यार्थियों के लिए बहुत आवश्यक है । इससे उनके ज्ञान के क्षितिज का विस्तार होता है । यह एक रोजगार परक शिक्षा है अत: सभी विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा को अनिवार्य बनाया जाना वर्तमान युग की आवश्यकताओं के अनुरूप ही है ।

जैसे-जैसे वैज्ञानिक विकास हुआ, मानव का जीवन बदलता चला गया । आज हम कंप्यूटर और इंटरनेट युग में जी रहे हैं । इसे ‘साइबर युग’ कहा जाता है । इस युग में कंप्यूटर का कोई विकल्प नहीं है । बड़ी-बड़ी कंपनियों का कारोबार कंप्यूटर की सहायता से ही होता है । हमने सुपर कंप्यूटर बना लिए हैं क्योंकि हमें भी अन्य राष्ट्रों की तरह विकास की नई मंजिलें तय करनी हैं ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 5

आधुनिक मानव सभ्यता का आधार विज्ञान है । वेज्ञानिक आविष्कारों ने हमारे लिए सुख-सुविधा के ढेरों साधन जुटाए हैं । चिकित्सा कृषि अंतरिक्ष दूरसंचार उद्योग यातायात आदि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान की पहुँच है ।

विज्ञान के बल पर हमने सभी क्षेत्रों में उन्नति की है परतु यही विज्ञान आज कई कारणों से हमारे लिए अभिशाप बनता जा रहा है । विज्ञान के कुप्रभाव सभी क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं । आज हम श्रम का महत्व भूल गए हैं और दिनों-दिन मशीनों पर निर्भर होते चले जा रहे हैं ।

उद्‌योग-धंधों के विकास का परिणाम यह हुआ है कि पृथ्वी पर ऊर्जा के परपरागत साधनों का अभाव होता जा रहा है । छोटे-बड़े उद्योगों तथा पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों के कारण पृथ्वी का पर्यावरण दिनों-दिन दूषित होता जा रहा है ।

महानगरों में वायु-प्रदूषण इतना अधिक हो गया है कि यहाँ के वातावरण में साँस लेना भी कठिन हो गया है । औद्योगिक कचरे तथा घरेलू उपयोग में लाए गए गंदे जल नदियों झीलों एवं जल के अन्य भंडारों को प्रदूषित कर रहे हैं । ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाने में भी विज्ञान का बहुत बड़ा योगदान है ।

वैज्ञानिक आविष्कारों के कारण पर्यटन को तो बढ़ावा मिला है परंतु इसके कारण सुंदर पर्यटन स्थलों पर कूड़ा-कचरा तथा गंदगी भी बड़ी है । हमने कृषि विज्ञान को अपनाकर उत्पादन में तो बढ़ोतरी कर ली है परंतु कृत्रिम उर्वरकों तथा कीटनाशक पदार्थों के छिड़काव के कारण कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति दिनों-दिन घट रही है ।

अनाजों फलों सब्जियों तथा अन्य खाद्य पदार्थों में कीटनाशक तत्व घुल-मिल गए हैं जिससे लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है । कागज दियासलाई फर्नीचर आदि उद्योगों का कच्चा माल वनों की लकड़ी होती है । इन उद्योगों के विकास के कारण वनों का नाश हो रहा है ।

वनों के नाश के कारण बाद और सूखे की स्थितियाँ आम हो गई हैं । खतरनाक गैसों के वायुमंडल में छोड़े जाने के फलस्वरूप विश्व के तापमान में वृद्धि होती जा रही है । विज्ञान ने मनुष्यों के हाथ में कई खतरनाक हथियार सौंप दिए हैं ।

आणविक हथियारों के प्रसार के कारण पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है । रासायनिक जैविक तथा अन्य हथियारों से लैस दुनिया किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं रह गई है । विज्ञान ने मनुष्यों को स्वार्थी एवं सुविधाभोगी बना दिया है ।

उसने एड्‌स जैसी भयानक बीमारियों के प्रसार में मदद की है । पृथ्वी का प्राकृतिक सौंदर्य प्रभावित हो रहा है । इस प्रकार विज्ञान आज हमारे लिए किसी अभिशाप से कम नहीं । हमें वैज्ञानिक आविष्कारों के दुरुपयोग से बचना चाहिए । इसके लिए मिल-जुल कर प्रयास करने की आवश्यकता है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 6

विज्ञान हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है । यह हमारे दैनिक जीवन को बहुत हद तक प्रभावित कर रहा है । यह सूर्य की रश्मियों के समान हमारे जीवन पर पूरी तरह छा गया है ।

बिजली विज्ञान की एक ऐसी देन है जिसका प्रयोग किए बिना हमारा काम नहीं चल सकता । यह घर-घर की शोभा है । यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का साधन है । टेलीविजन, पंखे, कूलर, वाशिंग मशीन, फ्रिज, वातानुकूलित यंत्र आदि बिजली के बिना बेकार की वस्तु हैं ।

विज्ञान ने हमें अपने कार्य निबटाने के लिए तरह-तरह की मशीनें दी हैं । कंप्यूटर, टेलीफोन, सिलाई मशीन, प्रेशर कुकर, घड़ी, रेडियो आदि वैज्ञानिक उपकरणों के बिना आधुनिक जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।

यातायात के नवीन साधनों का प्रयोग यदि बंद हो जाए तो हमारे जीवन की गति थम जाएगी । साइकिल, स्कूटर, ऑटो रिकशा, मोटरसाइकिल, कार, बस, ट्रक, रेल, वायुयान, जलयान आदि यातायात के साधन पूर्णतया विज्ञान की देन हैं । इनके प्रयोग के बिना हमारा दैनिक काम-काज नहीं चल सकता है ।

वैज्ञानिक आविष्कारों ने हमारे दैनिक जीवन यें क्रांति ला दी है । हम कुछ घंटों में ही पृथ्वी के एक कोने में दूसरे कोने तक पहुँच सकते हैं । हम मिनटों में ही दुनिया के किसी भी हिस्से में बैठे व्यक्ति से संपर्क स्थापित कर सकते हैं ।

विज्ञान ने आधुनिक उद्योग-धंधों के विस्तार में काफी मदद की है । इसके कारण रोजगार के अनेक द्वार खुल गए हैं । हम लोग विज्ञान के कारण आज अधिक सुखी-संपन्न हैं । हमने दैनिक जीवन की कई समस्याओं से छुटकारा पा लिया है । हमने बहुत-सी बीमारियों पर विजय प्राप्त कर ली है ।

हमने दुनिया से गरीबी और भुखमरी काफी हद तक मिटा दी है । विज्ञान की मदद से हमने अधिकांश लोगों को शिक्षित बना दिया है । वैज्ञानिक आविष्कारों एवं साधनों ने लोगों को प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने की शक्ति प्रदान की है ।

आज हम बाढ़, सूखा, भूकंप, चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय पीड़ित लोगों की अधिक मदद कर सकते हैं । हम किसानों को मौसम की जानकारी देकर उन्हें कई मुसीबतों से बचा सकते हैं । वैज्ञानिक कृषि प्रणाली अपनाकर हमारे किसान आज पहले से कहीं अधिक सुखी हैं ।

गाँवों तक पक्की सड़कों का फैलाव होने से लोगों के दैनिक जीवन की कई समस्याएँ दूर हो गई है । हमारा दैनिक जीवन विज्ञान पर दिनों-दिन अधिक निर्भर होता चला जा रहा है । यह हमारे लिए प्रकाश स्तंभ का कार्य कर रहा है । विज्ञान का प्रभाव सर्वव्यापी है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 7

पंडित जवाहरलाल नेहरू महात्मा गाँधी के परम शिष्य तथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता थे । नेहरू जी भारत के लोगों से बेहद प्यार करते थे । वे सीधे, सच्चे एवं ईमानदार व्यक्ति थे ।

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 ई. में इलाहाबाद में हुआ था । इनके पिता मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील थे । जवाहरलाल की आरंभिक शिक्षा घर पर हुई । एक अँगरेज शिक्षक इन्हें घर पर पड़ाने आते थे । बाद में 15 वर्ष की आयु में पढ़ाई के लिए इन्हें पिता ने इंग्लैंड भेज दिया ।

वहाँ इन्होंने पहले हैरो स्कूल में तथा बाद में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की । 1912 ई. में बैरिस्टर परीक्षा पास कर वे भारत लौट आए । सन् 1915 ई. में इनका विवाह कमला जी के साथ हुआ । नेहरू जी ने भारत आकर वकालत शुरू की परंतु इस कार्य में मन नहीं लगा । वे महात्मा गाँधी के नेतृत्व में चल रहे स्वतंत्रता आदोलन में कूद पड़े ।

इन्होंने रौलेट एक्ट का विरोध किया तथा असहयोग आदोलन में भाग लिया । महँगा विदेशी कपड़ा उतारकर खादी का मोटा कपड़ा पहनना आरंभ किया । अनेक बार जेल गए । अपने जेल जीवन के दौरान इन्होंने अपार कष्ट सहे । माता-पिता और पत्नी की मृत्यु के दु:खों को झेला परंतु देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों से मुँह न मोड़ा ।

नेहरू जी 1929 ई. के लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए । इस दौरान इन्होंने देश के लिए पूर्ण स्वराज्य का लक्ष्य रखा । सन् 1942 के ‘भारत छोड़ो आदोलन’ में भाग लेकर इन्होंने तीन वर्ष के कारावास की सजा पाई । गाँधी जी नेहरू जी तथा अन्य महान स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयत्नों से भारत 15 अगस्त 1947 ई. में आजाद हुआ ।

पं. जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने । सन् 1952 के चुनाव के बाद वै पुन: देश के प्रधानमंत्री बने । इसके बाद वे आजीवन भारत के प्रधानमंत्री बने रहे । नेहरू जी ने भारत के विकास की नींव रखी । इन्होंने भारत में कई बड़े उद्योगों की स्थापना की ।

इन्होंने कृषि तथा औद्योगिक विकास पर बल दिया । इन्होंने भारत में लोकतंत्र की मजबूत परपरा कायम की । विश्व शांति के लिए भी वे हमेशा प्रयत्नशील रहे । पंचशील के सिद्धांतों की स्थापना की । इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर पड़ोसी देश चीन से मित्रता का संबंध बना ।

परंतु: 1962 ई. में चीन ने भारत पर आक्रमण कर भारत के साथ विश्वासघात किया । नेहरू जी इस आक्रमण से बड़े दु:खी हुए । 27 मई 1964 ई. के दिन भारत के इस महान नेता का निधन हो गया । नेहरू जी को बच्चों से अछूत प्यार था । इनके जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है । नई दिल्ली के ‘शांति वन’ में नेहरू जी की समाधि बनी हुई है । राष्ट्र अपने इस ‘लाल’ को सदैव याद रखेगा ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 8

आधुनिक युग विज्ञान का युग है । वैज्ञानिक आविष्कारों ने हमारे जीवन को सुगम बना दिया है । यह विज्ञान का ही प्रभाव है कि मनुष्य ने ब्रह्मांड के अनेक रहस्यों का पता लगा लिया है । विज्ञान के विकास ने हमारे जीवन के हर क्षेत्र में प्रभाव डाला है । विज्ञान हमारे लिए सचमुच एक वरदान है ।

विज्ञान का प्रवेश हमारे दैनिक जीवन में है । बड़े पैमाने पर बिजली तथा ऊर्जा के अन्य साधनों का प्रयोग विज्ञान की ही देन है । सड़कों पर दौड़ते विभिन्न प्रकार के वाहन, पटरियों पर हुत गति से चलती रेलें, वायु मार्ग से उड़ते हवाई जहाज, जल मार्ग पर चलते पानी के आधुनिक जहाज आदि विज्ञान के चमत्कार हैं ।

बड़े-बड़े उद्योग-धंधे, बड़े-बड़े बाँध, छोटी-बड़ी मशीनें, सड़कें, फ्लाईओवर, पुलें, रेल की पटरियाँ, वाहनों के टायर आदि विज्ञान की प्रगति के प्रतीक हैं । आधुनिक छपाई कला, कागज का बड़े पैमाने पर उत्पादन, घड़ी, घरेलू उपकरण, कंप्यूटर, विद्युत के उपकरण ये सभी वैज्ञानिक आविष्कारों के उदाहरण हैं ।

यातायात और संचार के नवीनतम साधनों ने आने-जाने तथा दुत गति से संदेश पहुँचाने के कार्य में हमारी बहुत मदद की है । आज दुनिया बहुत छोटी हो गई है । टेलीविजन रेडियो सिनेमा आदि मनोरंजन के साधनों का विकास विज्ञान की ही देन है ।

टेलीफोन मोबाइल फोन आदि संचार के साधनों ने दूरियाँ घटा दी हैं । चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में भी अनेक आविष्कार हुए हैं । इन आविष्कारों के कारण लाखों लोगों को असमय में मरने से बचाया जा सका है । अनेक लाइलाज बीमारियों का इलाज संभव हो सका है । लोगों को स्वस्थ रखने में विज्ञान की भूमिका दिनों-दिन बढ़ती जा रही है ।

वैज्ञानिक आविष्कारों ने कृषि के विकास में बहुत मदद की है । वैज्ञानिक ख्या से की जाने वाली कृषि के कारण उत्पादन में कई गुणा वृद्धि हुई है । लोग पहले की तरह अब अकाल के कारण नहीं मर रहे । आधुनिक बीजों, उर्वरकों तथा कृषि कार्य में उपयोगी मशीनों ने किसानों की मुश्किलें सरल कर दी हैं ।

विज्ञान के विकास ने बड़े पैमाने पर शिक्षा को सुलभ कर दिया है । इसने लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं । इसने नगरीय सभ्यता के विकास में मदद की है । अणु शक्ति का विकास कर मानव ने ऊर्जा उत्पादन में सफलता पाई है ।

हमने कृत्रिम उपग्रह बनाकर अंतरिक्ष में छोड़े हैं जो हमें मौसम की जानकारी देते हैं । ये पृथ्वी की विभिन्न हलचलों की जानकारी देते हैं । सचार के क्षेत्र में भी इनका उपयोग है । मानव ने विज्ञान की मदद से चंद्रमा की यात्रा की है । हमने अंतरिक्ष के कई रहस्यों का पता लगाया है ।

विज्ञान न होता तो हम अंधकार युग में जी रहे होते । विज्ञान के न होने से हमारा जीवन पहले की तरह कष्टमय एवं सुख-सुविधाओं से रहित होता । विज्ञान के वरदानों के हम आभारी हैं ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 9

टेलीविजन या दूरदर्शन हमारे दैनिक जीवन का एक आवश्यक अंग बन गया है । यह शहरी क्षेत्रों में प्राय: सभी घरों में विराजमान है । ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगभग एक-चौथाई परिवारों तक टेलीविजन अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है ।

यह मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय साधन बन गया है । यह शिक्षा और जानकारी का भी उत्तम साधन है । टेलीविजन पर मनोरंजन और शिक्षा के विविध कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं । टेलीविजन के चैनलों की संख्या भी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है ।

पहले हमारे देश में दूरदर्शन ही एक मात्र टी.वी. चैनल था; अब हमारे देश में सौ से अधिक चैनल हैं । इन पर फिल्में तथा फिल्मों से संबंधित अनेक कायम दिखाए जाते हैं । मनोरंजन के चैनलों पर धारावाहिकों तथा कहानियों को भी दिखाया जाता है ।

स्पोर्ट्स चैनल पर हर समय खेल-कूद के कार्यक्रमों को एवं विभिन्न खेलों का सीधा प्रसारण दिखाया जाता है । समाचार चैनलों पर दुनिया भर के समाचार दिखाए जाते हैं । कई चैनल रहस्य-रोमांच से भरपूर दुनिया से हमें अवगत कराते हैं । कई चैनल शिक्षा संबंधी कार्यक्रमों को मनोरंजक ढंग से प्रसारित करते हैं ।

जे.एल. बेयर्ड द्वारा आविष्कृत टेलीविजन हमारे दैनिक जीवन को बहुत प्रभावित करता है । यह लोगों के खाली समय का सबसे अच्छा साथी बन गया है । टेलीविजन करोड़ों लोगों को उनकी पसंद का कार्यक्रम दिखाकर घर बैठे ही उनका मनोरंजन कर रहा है ।

इसके कारण थियेटर में जाकर सिनेमा देखने वालों की संख्या घटी है । टेलीविजन का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह है कि बच्चे अपनी पढ़ाई पर कम ध्यान दे रहे हैं । अधिक टी.वी. देखने से उनकी आँखें कमजोर हो जाती हैं तथा उनके कोमल मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।

बच्चे टेलीविजन से इस तरह चिपक जाते हैं कि उनके खेलने-कूदने के कार्यक्रम भी स्थगित होने लगे हैं । टेलीविजन पर दिखाई जाने वाली हिंसा बच्चों को भी हिंसक बना रही है । टेलीविजन के प्रचार-प्रसार में संचार उपग्रहों का बहुत बड़ा योगदान है ।

केबल टी.वी. और डी.टी.एच. प्रणाली पूरी तरह संचार उपग्रहों पर निर्भर है । डी.टी.एच. अर्थात् डायरेक्ट टू होम सेवा प्राप्त करने के लिए एक विशेष उपकरण की आवश्यकता होती है । यह प्रणाली बिना केबल के ही कार्य करती है । संचार उपग्रहों में कई ट्रांसपोंडर लगे होते हैं जो ध्वनि एवं चित्रों को प्रसारित करते हैं ।

टेलीविजन ने हमारी दुनिया को बहुत छोटा बना दिया है । इसके प्रसार के कारण लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है । हजारों कलाकारों की कला को टेलीविजन ने लोगों तक पहुँचाया है । गीतकार, गजल, गायक विभिन्न वाद्य यंत्रों को बजाने वाले शास्त्रीय नृत्य एव संगीत के कलाकार आदि टेलीविजन के माध्यम से अपनी कला आम लोगों तक पहुँचा सकते हैं । इस पर प्रसारित विज्ञापनों ने उद्योग और व्यापार को काफी बढ़ावा दिया है । टेलीविजन आधुनिक विज्ञान का चमत्कार है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 10

छत्रपती शिवाजी भारत के एक महान एवं तेजस्वी पुरुष थे । उन्होंने भारत के राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा का कार्य किया । वे अपने समय के एक कुशल प्रशासक, वीर सेनानी एव प्रजा के हित की चिंता करने वाले व्यक्ति थे ।

शिवाजी का जन्म 10 अप्रैल सन् 1627 ई. के दिन महाराष्ट्र के शिवनेरी के दुर्ग में हुआ था । उनके पिता का नाम शाहजी तथा माता का नाम जीजाबाई था । शिवाजी के जन्म के बाद शाहजी ने दूसरा विवाह कर लिया । इसके बाद जीजाबाई अपने पुत्र के साथ पूना आ गईं ।

जीजाबाई ने पुत्र शिवाजी के मन में अच्छे संस्कार डाले । उनके अंदर देशभक्ति को भावना जागृत हुई । माता जीजाबाई उन्हें बचपन में रामायण और महाभारत की कहानियों सुनाती थीं । संतों की संगति में उन्हें धर्म की शिक्षा प्राप्त हुई ।

शिवाजी ने दादाजी कोंडदेव से युद्ध-कला एवं शासन-प्रबंध सीखा । शिवाजी ने पूना की जागीर सँभाली । उन्होंने मराठों को एकत्रित कर एक अच्छी सेना भी तैयार की । शिवाजी ने बीजापुर के एक दुर्ग को जीतकर अपनी विजय यात्रा आरंभ की ।

इसके बाद उन्होंने रायगढ़ पुरंदर तथा राजगढ़ के किलों को जीतकर अपनी शक्ति बढ़ाई । इन विजयों से उन्हें काफी धन-संपत्ति प्राप्त हुई । इसका उपयोग उन्होंने अपनी शक्ति बढ़ाने में किया । जब बीजापुर के शासक ने अफजल खाँ को एक बड़ी सेना के साथ शिवाजी को मारने भेजा तो उसे मुँह की खानी पड़ी । अफजल खाँ की फौज भाग खड़ी हुई ।

इधर-मुगल शासक औरंगजेब बढ़ती हुई मराठा शक्ति से चिंतित था । औरंगजेब ने शाइस्ता खाँ को दक्षिण भारत भेजा । शाइस्ता खाँ ने पूना सहित कई किलों पर अधिकार कर लिया । शिवाजी ने एक बरात के रूप में चार सौ सैनिकों के साथ पूना में प्रवेश किया और मुगलों पर अचानक आक्रमण कर दिया ।

शाइस्ता खाँ किसी तरह जान बचाकर भागा । इसके बाद औरंगजेब ने राजा जय सिंह को शिवाजी पर आक्रमण करने भेजा । शिवाजी ने राजा जय सिंह से संधि कर ली । जय सिंह ने शिवाजी को औरंगजेब के दरबार में चलने के लिए मना लिया ।

आगरे वे दरबार में शिवाजी को अपमानित कर उन्हें औरंगजेब ने कैदखाने में डाल दिया । परंतु शिवाजी चतुराई से यहाँ से निकल भागे । इसके बाद शिवाजी ने कई किले तथा दुर्ग जीते । उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली । उन्होंने कर के रूप में चौथ प्रणाली शुरू की । 1674 ई. में शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ ।

इन्होंने ‘हिंदू पद पादशाही’ की स्थापना की । अपने शासनकाल में उन्होंने लगातार कई विजय प्राप्त की । उनके राज्य का विस्तार कर्नाटक तक हो गया । 5 अप्रैल 1690 ई. के दिन इस महान योद्धा की मृत्यु हो गई । शिवाजी एक स्वाभिमानी तथा आदर्श पुरुष थे । भारत को इन पर गर्व है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 11

प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश से प्यार होता है । वह अपनी मातृभूमि से इतना लगाव रखता है कि कभी-कभी वह इसके हित के लिए अपनी जान की बाजी लगा देता है ।

अपने देश की फिाई वहाँ की आवोहवा उसे सदैव आकर्षित करती है । हमारा देश भारतवर्ष दुनिया के सभी देशों से बहुत न्यारा है । यह संत-महात्माओं एवं महापुरुषों की जन्मभूमि है । राम कृष्ण महावीर बुद्ध नानक जैसे महानायकों ने इस धरती पर जन्म लिया है ।

अशोक चाणक्य वाल्मीकि कबीर शिवाजी महात्मा गाँधी जैसे महापुरुषों की कर्मभूमि भारत दुनिया को सच्चाई ईमानदारी और वीरता का पाठ पढ़ाता आया है । भारत की सभ्यता एवं संस्कृति उच्च आदर्शों से युक्त रही है । यह तपोभूमि और कर्मभूमि है । कवि जयशंकर प्रसाद लिखते हैं:

”अरुण यह मधुमय देश हमारा, जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा । ”

भारत को प्रकृति ने बड़े ही सुंदर ढग से सजाया-सँवारा है । यहाँ विश्वविख्यात पर्वत शृंखला हिमालय है जिसकी ऊंची-ऊंची धवल चोटियाँ सदियों से भारत की पहरेदारी करती आई हैं । हिमालय क्षेत्र का प्राकृतिक वातावरण योगियों एवं ध्यानियों को आकर्षित करता रहा है ।

हिमालय क्षेत्र से निकली गंगा, यमुना आदि नदियाँ उत्तर भारत के मैदानों को सिंचित करती रहती हैं । स्वर्ग से उतरी गंगा नदी भारत के लोगों की धार्मिक आस्था का प्रतीक है । यह पापनाशिनी नदी कहलाती है । भारत के सुरम्य पर्वतीय स्थल नदियाँ जलप्रपात, झरने, झील, सरोवर आदि बड़े मनमोहक हैं ।

यहाँ के मैदान, पठार, एवं, समुद्र तट बेहद आकर्षक हैं । यहाँ के वृक्ष पौधे फल-फूल वन एवं वन्य जीवन हमें लुभाते हैं । भारत की धरती प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है । भारत का जनजीवन विविधताओं से भरा हुआ है । यहाँ विभिन्न धर्मों जातियों एवं संप्रदायों के लोग निवास करते हैं । यहाँ के लोगों में धार्मिक सहिष्णुता एवं भाईचारे की भावना कूट-छूट कर भरी हुई है ।

हमारा देश दुनिया को सत्य और अहिंसा का संदेश देता आया है । यहाँ के लोगों की धार्मिक आस्था देखते ही बनती है । व्रत, उपवास, पर्व-त्योहार, पूजा-अर्चना आदि का पर्याप्त महत्व है । ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ अर्थात् पूरा विश्व ही एक परिवार है, यह हमारा आदर्श है ।

भारत की इन्हीं महानताओं के आधार पर कवि इकबाल ने कहा था:

‘सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा ।’

एक ओर जहाँ हमारा देश धर्म के क्षेत्र में विश्व का सिरमौर रहा है वहीं हम आधुनिक ज्ञान-विज्ञान को अपनाने में भी किसी से पीछे नहीं हैं । आजादी के बाद हमारे देश का तेजी से विकास हुआ है । कृषि, उद्योग, व्यापार आदि क्षेत्रों में हम नई-नई तकनीकी का प्रयोग कर रहे हैं ।

हम परमाणु-शक्ति से संपन्न हैं । हम शीघ्र ही विश्व के विकसित देशों की पंक्ति में खड़े होने में अवश्य सफल होंगे । हमारे किसान, मजदूर, वैज्ञानिक, इंजीनियर एवं आम नागरिक बहुत परिश्रमी हैं । भारत विश्व का एक महान देश है । हमारी विशाल आबादी हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि शक्ति है । हमारी आस्था, हमारे धर्म, हमारे विचार तथा हमारी मान्यताएँ उच्च हैं । हमें अपने देश से असीम लगाव है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 12

भारत गाँवों का देश कहलाता है । हमारी संस्कृति ग्रामीण मान्यताओं पर आधारित है । हालाँकि आजादी के बाद शहरों की संख्या में तथा यहाँ की आबादी में बहुत वृद्धि हुई है परतु आज भी भारत के लगभग दो-तिहाई लोग गाँवों में निवास करते हैं ।

हमारे गाँवों की दशा आज पहले जैसी नहीं है । पहले भारत के गाँवों में अधिकांश कच्चे मकान हुआ करते थे । बहुत से लोग मिट्टी एवं घास-फूस का घर बनाकर उसमें रहते हैं । आज हमारे गाँवों के अधिकांश घर पक्के हैं । अधिकतर गाँवों तक पक्की सड़क जाती है । गाँवों की गलियाँ पक्की बनाई जा रही हैं । प्राय: सभी गाँवों में बिजली पहुँचा दी गई है ।

गाँवों तक टेलीफोन की तारें भी गई हैं । गाँवों के लोग आधुनिक संचार व्यवस्था से जुड़ गए हैं । यहाँ के का मोबाइल फोन का प्रयोग करने लगे हैं । प्राय: सभी गाँवों में एक प्राथमिक विद्यालय है । कुछ गाँवों में सरकारी डिस्पेंसरी भी खोली गई है । भारत के बहुत से गाँवों में शहरों जैसी आधुनिक सुविधाएँ मौजूद हैं ।

गाँवों के बहुत से व्यक्ति अब पढ़े-लिखे हैं । परंतु भारत के बहुत से गाँव ऐसे भी हैं जहाँ इक्कीसवीं सदी में भी विकास की एक किरण तक नहीं पहुँची है । यहाँ स्वास्थ्य सुविधाओं का पूर्णतया अभाव है । इस गाँवों तक पहुँचना बरसात के दिनों में कठिन हो जाता है ।

यहाँ अंधविश्वासों एवं गलत सामाजिक प्रथाओं का बोलबाला है । अनेक भारतीय गाँवों में जातिगत भेदभाव अब भी चरम सीमा पर है । लोग परस्पर लड़ते-झगड़ते रहते हैं । अब भारतीय गाँवों में पहले जैसी नैतिकता एवं धार्मिकता नहीं रह गई है । ग्रामीण युवा नशे के गुलाम होते जा रहे हैं ।

अधिकांश ग्रामीण युवक-युवतियों को शहरों में जाकर छोटी-मोटी नौकरी करनी पड़ रही है । ग्रामीण मजदूरों का शहरों की ओर पलायन जारी है । अनपढ़ ग्रामीण शहरों में जाकर या तो मजदूरी करते हैं अथवा रिकशा चलाते हैं । उन्हें महानगरों की झुग्गी-झोपड़ियों में शरण लेनी पड़ती है ।

पिछले पच्चीस-तीस वर्षो में गाँवों की आर्थिक दशा में काफी सुधार हुआ है । खेती-बारी के आधुनिक तौर-तरीकों के प्रयोग से ग्रामीण भारत के किसानों ने देशवासियों के लिए अन्न एवं खाद्य सामग्रियों का उत्पादन तीन गुणा बढ़ा दिया है । आज गाँवों में कृषि कार्य के लिए हैक्टरों का प्रयोग किया जा रहा है ।

बाँध आदि बनने से बहुत से गाँवों में सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं । ट्‌यूबवैल से भी सिंचाई हो रही है । कृषि कार्य में मशीनों का प्रयोग बढ़ रहो है । इन उपायों से किसानों की दशा में काफी सुधार हुआ है । कृषि के साथ-साथ पशुपालन मुरगीपालन मधुमक्खीपालन मछलीपालन जैसे कार्य ग्रामीणों द्वारा किए जा रहे हैं । गाँवों में अनाज पीसने चावल तैयार करने जैसे कार्य मिलों के द्वारा होने लगे हैं ।

यद्यपि गाँवों की सुधरी है परतु अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है । गाँवों में रोजगार के साधनों की वृद्धि करनी होगी ताकि ग्रामीणों का शहरों की ओर पलायन न हो । ग्रामीणों को शिक्षा एवं स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध करने की भी आवश्यकता है ।

गाँवों में बायो गैस ऊर्जा सौर ऊर्जा जैसे ऊर्जा स्रोतों के प्रयोग को बढ़ावा देना होगा । गाँवों की नष्ट हो चुकी हरित पट्टी को फिर से स्थापित करनी होगी । वहाँ वृक्षारोपण एवं बागवानी के विकास की योजनाएँ चलानी होंगी । इन उपायों से ग्रामीण भारत को सुखी-संपन्न एव खुशहाल बनाया जा सकता है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 13

मेरे गाँव का नाम सिकंदरा है । यह उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ जिले में स्थित है । मेरे गाँव की आबादी लगभग एक हजार है । मेरे गाँव के अधिकतर लोगों का व्यवसाय कृषि है । कुछ लोग सरकारी तथा गैर सरकारी सेवाओं में भी कार्यरत हैं ।

मेरा गाँव उत्तर भारत के अन्य गाँवों जैसा ही है । यहाँ का वातावरण शांत एवंग प्राकृतिक छटा से भरपूर है । मेरे गाँव में कई सरोवर एव बाग-बगीचे हैं । मेरे गाँव की भूमि उपजाऊ है परंतु कृषि कार्य के लिए सिंचाई की आधुनिक सुविधाओं का अभाव है । किसान कुओं तथा तालाबों से फसलों की सिंचाई करते हैं ।

कृषि कार्य के लिए ट्रैक्टरों पंपसेटों तथा अन्य मशीनों का प्रयोग किया जाता है । पेय जल के लिए कुओं तथा हाथपंपों का प्रयोग किया जाता है । मेरे गाँव में खरीफ तथा रबी दोनों प्रकार की फसलें लगाई जाती हैं । धान गेहूँ चना मक्का अरहर मटर तथा सरसों मेरे गाँव की मुख्य उपजें हैं ।

मेरा गाँव पक्की सड़क के द्वारा निकटवर्ती शहर से जुड़ा हुआ है । मेरे गाँव में एक प्राथमिक विद्यालय एवं पंचायत भवन है । पंचायत भवन में पंचायत की बैठकें होती हैं । मेरे गाँव में एक शिवालय है जहाँ ग्रामीण लोग आकर पूजा-अर्चना करते हैं । मंदिर परिसर में शिवरात्रि के अवसर पर मेला लगता है ।

इस मेले में आस-पड़ोस के गाँवों के लोग भी आते हैं । मेले में भारतीय ग्रामीण संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है । मेरे गाँव में राष्ट्रीय एवं धार्मिक त्योहार बहुत ही उल्लासपूर्ण ढंग से मनाए जाते हैं । कई अवसरों पर भजन-कीर्तन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है ।

इनमें हमारे गाँव के युवकों की भागीदारी बहुत महत्त्वपूर्ण होती है । मेरे गाँव में सप्ताह में दो दिन ग्रामीण हाट भी लगता है । इसमें निकटवर्ती गाँवों के लोग भी आम उपभोक्ता वस्तुएँ खरीदने या बेचने आते हैं । इस बहाने ग्रामीणों का आपसी संपर्क भी हो जाता है ।

हालाकि बड़े स्तर की खरीदारी के लिए लोग निकट के शहर में जाते हैं । हमारा गाँव टेलीफोन सुविधा से जुड़ा हुआ है । कुछ लोग मोबाइल फोन का भी प्रयोग करने लगे हैं । परंतु हमारे गाँव में रोजगार के साधनों का अभाव है । कृषि कार्य में आवश्यकता से अधिक लोग लगे हुए हैं ।

सिंचाई की पर्याप्त सुविधा न होने से कभी-कभी मेरे गाँव के लोगों को सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ता है । गाँव के बहुत से युवक रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर गए हैं । गाँव के कुछ साधन-संपन्न व्यक्ति निकटवर्ती शहरों में रहने लगे हैं ।

मेरे गाँव के लोग परस्पर मेल-मिलाप से रहते हैं । ग्रामीणों में पर्याप्त भाई-चारा है परंतु कभी-कभी आपसी झगड़े भी होते हैं । ग्रामीण झगड़ों को निबटाने में गाँव के बुजुर्ग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । मुझे अपने गाँव से बहुत लगाव है । मैं अपने गाँव को एक आदर्श गाँव बनाना चाहता हूँ । इसके लिए गाँव के लोगों को सामूहिक प्रयास करना होगा ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 14

समाचार-पत्र जनसंचार का एक पुराना एव लोकप्रिय माध्यम है । इसका जुड़ाव आम लोगों से है । यह समाज के विभिन्न वर्गो के लोगों के लिए समान रूप से उपयोगी है । यह लोगों तक केवल सूचनाओं को ही उपलब्ध नहीं करता बल्कि यह समाज में जागृति लाने का कार्य भी करता है ।

आज जबकि दुनिया में इंटरनेट टेलीविजन और रेडियो के रूप में जनसंचार के आधुनिक साधन उपलब्ध हैं समाचार-पत्रों की उपयोगिता में कोई कमी नहीं आई है । पढ़े-लिखे लोग आज भी इसे बड़े चाव से पढ़ते हैं । समाचार-पत्र पूरी दुनिया में अलग-अलग भाषाओं में छपते हैं ।

हमारे देश में भी दैनिक समाचार-पत्र हिंदी, अँगरेजी, मराठी, तेलुगू, बंगाली, मलयालम, उर्दू आदि विभिन्न भाषाओं में छपते हैं । हिंदुस्तान टाइम्स द टाइम्स ऑफ इंडिया द हिंदू आदि हमारे देश के प्रमुख अँगरेजी समाचार-पत्र हैं । हिंदुस्तान नवभारत, टाइम्स, पंजाब, केसरी, अमर उजाला, दैनिक जागरण आज आदि हिंदी के प्रमुख समाचार-पत्र हैं ।

इसी तरह अलग- अलग प्रांतीय भाषाओं के समाचार-पत्रों का प्रकाशन बड़ी संख्या में होता है । समाचार-पत्र को लोकतंत्र का सजग प्रहरी कहा जाता है । समाचार-पत्रों में भ्रष्टाचार धोखाधड़ी तथा षड्‌यंत्र की खबरें छपती हैं जो आम लोगों को जागरूक बनाती हैं ।

सरकार पर भी इसका प्रभाव पड़ता है । वह बदनामी के डर से सजग हो जाती है । दोषी मंत्रियों को अपना पद छोड़ना पड़ता है । भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होती है । समाचार-पत्रों में अनेक प्रकार के विज्ञापन छपते हैं । रोजगार संबंधी विज्ञापन युवाओं के लिए बड़े उपयोगी होते हैं ।

सरकारी विज्ञापनों से आम लोगों को सरकार की योजनाओं एव उपलब्धियों की जानकारी मिलती है । समाचार-पत्रों में विभिन्न परीक्षाओं के परीक्षाफल भी प्रकाशित होते हैं जो परीक्षार्थियों के हित में होते हैं । समाचार-पत्रों पर मौसम संबंधी जानकारी छपती है जिसका लाभ आम लोगों को होता है । इन पर विभिन्न खबरों का विस्तार से उल्लेख होता है । लोग देश-दुनिया के समाचारों से अवगत होते हैं ।

समाचार-पत्रों पर विभिन्न लेख एव सम-सामयिक गतिविधियों पर संपादकीय भी छपे होते हैं जिसका लाभ विद्यार्थियों तथा आम जनता को प्राप्त होता है । राजनीति खेल कृषि रोजगार साहित्य संस्कृति अर्थ जगत व्यापार आदि से संबंधित खबरें समाज के विभिन्न वर्गों के व्यक्तियों को प्रभावित करती हैं ।

कृषि बागवानी आदि से संबंधित नई-नई जानकारियों का लाभ उठाकर किसान अपनी पैदावार बढ़ा सकते हैं । व्यापीरियो को बाजार के रुझान की जानकारी मिलती है । समाचार-पत्र हमारा मनोरंजन भी करते हैं । इन पर कहानियाँ कार्टून चुटकुले तथा फिल्मी दुनिया के चटपटे समाचार छपते हैं ।

इनके रंगीन पृष्ठों पर आकर्षक तस्वीरें छपी होती हैं । त्योहारों उत्सवों एव सांस्कृतिक कार्यक्रमों से संबंधित आलेख हमारा स्वस्थ मनोरंजन करते हैं । समाचार-पत्र अपने पाठकों की प्रतिक्रिया भी छापते हैं । इस प्रकार समाचार-पत्र हमारे जीवन के हर पहलू से जुड़े होते हैं । यह हमारे लिए सुबह के चाय-नाश्ते का सबसे अच्छा साथी है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 15

पर्यावरण प्रदूषण आधुनिक युग की एक बड़ी समस्या है । यह केवल भारत की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की समस्या है । यह समस्या मनुष्यों द्वारा प्रकृति के साथ की गई छेड़छाड़ और अनियंत्रित ढंग से किए गए विकास का परिणाम है ।

हमारे चारों ओर की परिस्थितियों में पिछले सौ वर्षों की वैज्ञानिक उपलब्धियों के कारण अनेक परिवर्तन आ गए हैं । औद्योगिक विकास के लिए कोयला, पैट्रोल, डीजल आदि ऊर्जा के साधन बड़ी मात्रा में काम में लाए गए हैं ।

इनके उपयोग से हमारी वायु में कार्बन डायऑक्साइड कार्बन मोनोऑक्साइड आदि गैसों की मात्रा बढ़ गई है । इन गैसों की वायु में बढ़ोतरी आधुनिक यंत्रचालित वाहनों के कारण भी हुई है । वायु में इन खतरनाक गैसों की उपस्थिति वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है ।

वायु के अतिरिक्त पृथ्वी पर मौजूद जल भी प्रदूषित हो गया है । नदियों तालाबों तथा झीलों में शहरों के नालों का जल छोड़ दिया जाता है । इसके कारण हमारे देश की सभी बड़ी नदियों का जल इतना गंदा हो गया है कि यह पीने लायक नहीं रह गया है ।

दुनिया की आबादी पिछले पचास वर्षो में बड़ी तेजी से बड़ी है । जैसे-जैसे आबादी बढ़ती है वैसे-वैसे प्राकृतिक संसाधनों की माँग भी बढ़ती है । वनों का कटाव इसी का परिणाम है । पृथ्वी का पर्यावरण असंतुलित हो गया है ।

वन्य जीवों की संख्या में कमी, भूमि का कटाव, भूस्खलन, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, वायु प्रदूषण आदि वन विनाश के परिणाम कहे जा सकते हैं । पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव को कवि केदारनाथ सिंह ने इन शब्दों में व्यक्त किया है –

”भयानक सूखा है मवेशी खड़े हैं एक दूसरे का मुँह ताकते हुए कहते हैं पिता ऐसा अकाल कभी नहीं देखा ऐसा अकाल कि बस्ती में दूब तक झुलस जाए । ”

वायु में हानिकारक गैसों की वृद्धि पृथ्वी के तापमान में हो रही वृद्धि के लिए जिम्मेदार है । इस घटना को ‘ग्लोबल वार्मिग’ का नाम दिया गया है । पृथ्वी के तापमान में वृद्‌धि के कारण पहाड़ों एव ध्रुवीय क्षेत्रों की बरफ पिघल रही है ।

बरफू के पिघलने से कई छोटे-छोटे द्वीपों के समुद्र में डूबने का खतरा उत्पन्न हो गया है । यह वायु प्रदूषण का ही परिणाम है कि वायुमंडल में ओजोन गैस की परत में छेद हो गया है । ओजोन गैस की परत हमें सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी किरणों से बचाती है ।

पर्यावरण प्रदूषण के कई रूप हैं । भूमि का प्रदूषण भी पर्यावरण प्रदूषण की श्रेणी में आता है । भूमि पर औद्योगिक तथा घरेलू कचरों का फैलाव होता जा रहा है । भूमि में कई खतरनाक रसायन घुल-मिल गए हैं । खेतों में कीटनाशकों के छिड़काव के कारण कई ऐसे कीड़े भी मर जाते हैं जो भूमि को उपजाऊ बनाते हैं । भूमि के द्वारा कीटनाशक पदार्थ खाने-पीने के पदार्थो में भी चले आते हैं । ये हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हैं ।

हमें पृथ्वी के पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए । इसके लिए हमें अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी । हमें इस ढग से विकास करना चाहिए जिससे पर्यावरण को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुँचे । हमें जनसख्या को नियंत्रण में रखना चाहिए । पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लोगों में जागरूकता लाने की भी आवश्यकता है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 16

चलचित्र आधुनिक युग में मनोरंजन का एक सर्वप्रिय साधन है । इसका इतिहास लगभग सौ वर्ष पुराना है । जब चलचित्र या सिनेमा का प्रचलन आरभ हुआ तो मनोरंजन के पुराने साधनों का प्रयोग धीरे-धीरे कम होने लगा । नाटक नौटंकी तथा लोक कलाओं का स्थान चलचित्र ने ले लिया ।

सबसे पहले मूक फिल्में बननी आरंभ हुईं । इसमें ध्वनि या आवाज नहीं होती थी केवल चित्र दिखाई देते थे । बाद में सवाक् फिल्में बनीं जिसमें कलाकार बोलते भी थे । इस तरह फिल्मों में गीत और संगीत भी आ गया । परंतु ये फिल्में श्वेत-श्याम थीं अर्थात् सफेद और काले चित्र ही दिखाई देते थे ।

जब रंगीन फिल्में बननी आरंभ हुईं तो सिनेमा का आकर्षण और भी बढ़ गया । हमारे देश में सत्य हरिश्चंद्र के नाम से पहली मूक फिल्म बनी । तब से लेकर आज तक भारतीय सिनेमा ने एक लंबा सफर तय किया है । भारत में विभिन्न भाषाओं में लगभग एक हजार फिल्में प्रत्येक वर्ष बनती हैं ।

इन फिल्मों के माध्यम से समाज की विभिन्न समस्याओं, रीति-रिवाजों, लोगों के रहन-सहन, सामाजिक मान्यताओं आदि को दर्शाया जाता है । बहुत-सी फिल्मों में हिंसा अश्लीलता जैसे कई ऐसे दृश्य दिखाए जाते हैं जिनसे दर्शकों पर गलत प्रभाव पड़ता है ।

परंतु कई फिल्में अच्छी भी बनती हैं जिनसे लोगों का स्वस्थ मनोरंजन होता है । अच्छी फिल्मों से हमें सामाजिक कुरीतियों से लड़ने की प्रेरणा मिलती है । इनसे हमें परोपकार, दया, सामाजिक सहिष्णुता जैसे मानवीय गुणों के विकास में भी मदद मिलती है ।

फिल्म निर्माता दहेज प्रथा, ऊँच-नीच, जाति-पाँति, भ्रष्टाचार, धार्मिक झगड़े जैसी समस्याओं को अपनी फिल्मों के माध्यम से उठाते हैं । इनसे हमें सामाजिक बुराइयों से दूर रहने तथा अच्छे रिवाजों को अपनाने की शिक्षा मिलती है ।

सिनेमा को समाज का आइना कहा जा सकता है । जो कुछ समाज में घटित होता है उसे सिनेमा के रूप में दिखाया जाता है । परंतु सिनेमा मूल रूप से एक मनोरंजन का ही साधन है । सिनेमा का प्रभाव युवा वर्ग पर विशेष रूप से पड़ता है ।

सिनेमा के अभिनेता एवं अभिनेत्रियाँ युवा वर्ग के लोगों के आदर्श बनकर सामने आ रहे हैं । यह वर्ग कलाकारों के चाल-चलन कपड़ों आदि की नकल करने में सबसे आगे है । कई युवा सिनेमा की नकल कर चोरी डकैती अपहरण बलात्कार जैसे अपराधों की तरफ अग्रसर हो रहे हैं ।

सिनेमा के गीत-संगीत आधुनिक समय में बड़े ही लोकप्रिय हैं । गणतंत्र दिवस स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर चलचित्र के देशभक्तिपूर्ण गीत बजाए जाते हैं । विभिन्न धार्मिक उत्सवों समारोहों तथा शादी-ब्याह जैसे अवसरों पर फिल्मी गानों पर थिरकते लोगों को देखा जा सकता है । सिनेमा आज समाज के हर वर्ग के लोगों की पसँद है ।

सिनेमा आज एक उद्योग का रूप ले चुका है । आज सिनेमा बनाने में करोड़ों रुपए व्यय किए जाने लगे हैं । परंतु बहुत सी फिल्में दर्शकों द्वारा नकार दी जाती हैं । ऐसे में चलचित्र बनाने वाले को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है । वास्तव में यह एक जुआ ही है जिसमें कभी लाभ तो कभी क्षति उठानी पड़ती है ।

चलचित्र का आनंद घर बैठे टेलीविजन पर भी उठाया जा सकता है । टेलीविजन के बहुत से चैनल प्रतिदिन फिल्मों को दिखाकर दर्शकों का मनोरंजन करते हैं । ऐसे में देखने योग्य फिल्मों का चुनाव करना कठिन हो जाता है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 17

हमारे देश में ग्रामीण जीवन को शहरी जीवन की अपेक्षा अधिक श्रेष्ठ माना जाता है । गाँव भारतीय समाज की एक इकाई हैं । यहाँ के हरे-भरे खेत कुंज लताएँ बाग-बगीचे देवालय तथा शांत वातावरण हमें अपार सुख देते हैं ।

ग्रामीण समाज की आवश्यकताएँ भी नियंत्रित होती हैं । अधिकतर आवश्यकताओं की पूर्ति खेत-खलिहानों एवं पालतू मवेशियों के द्वारा हो जाती है । शुद्ध वायु और जल के लिए यहाँ के लोगों को नगरों के निवासियों की तरह परेशान नहीं होना पड़ता ।

दूध दही घी आदि यहाँ शुद्ध रूप में प्राप्त हो जाता है । ताजी-हरी सब्जियाँ आसानी से प्राप्त हो जाती हैं । ग्रामीण जलवायु स्वास्थ्य की दृष्टि से अनुकूल होती है । दूसरी ओर शहरी जीवन के भी कई सुख हैं । शहर बच्चों की शिक्षा की दृष्टि से उपयुक्त होते हैं ।

यहाँ आवागमन के आधुनिक साधन होते हैं । यहाँ सभी प्रकार की उपभोक्ता वस्तुएँ उपलब्ध होती हैं । यहाँ के लोगों को बिजली तथा आधुनिक संचार व्यवस्था की उपलब्धता के कारण जीवन-यापन में आसानी होती है । शहरों के निवासियों को अपने निवास-स्थान के निकट ही रोजगार मिल जाया करता है ।

यहाँ के निवासियों को कार्यालय कारखानों आदि में नियत समय पा जाना होता है अत: उनकी दिनचर्या नियमित होती है । शहरों में घूमने-फिरने तथा मनोरंजन के विविध साधन मौजूद होते हैं । यहाँ सड़कें एव गलियाँ पक्की होती हैं अत: बरसात में गाँवों की तरह कीचड़ एवं गंदगी नहीं होती है ।

शहर व्यापार एवं उद्योग के केंद्र होते हैं । यहाँ लोगों को अपनी उन्नति के अनेक साधन होते हैं । यही कारण है कि पिछले सौ वर्षों में भारत का तेजी से शहरीकरण हो रहा है । फिर भी शांतिप्रिय लोगों के लिए ग्रामीण जीवन ही अधिक अच्छा है ।

शहरों के दमघोंटू वातावरण में जीना एक तरह से प्रकृति की अवहेलना ही है । शहरों का तनाव यहाँ की भाग-दौड़ यहाँ की उपभोक्तावादी संस्कृति व्यक्ति को स्वार्थी आत्मकेंद्रित तथा भोगवादी बना देती है । यहाँ के निवासी हर समय धन की ही चिंता करते देखे जाते हैं । लोगों को पड़ोसियों से भी मिलने-जुलने का अवसर प्राप्त नहीं होता है ।

जीवन को आनंददायी बनाने के लिए सामाजिक मेल-मिलाप एवं आपसी भागीदारी का बहुत महत्त्व है जिसका कि शहरों में अभाव होता है । ग्रामीण जीवन सादगी से पूर्ण होता है । लोग तनावमुक्त रहकर प्राकृतिक जीवन का आनंद उठाते हैं । ग्रामीण त्योहारों एवं उत्सवों का भरपूर लुल्क उठाते हैं । गाँव में जाकर कवि प्रसन्न होकर यह कविता रचता है:

”बहूत दिनों के बाद अब की मैंने जी भर भोगे गंध-रूप-रस-शब्द-स्पर्श सब साथ-साथ इस भू पर बहूत दिनों के बाद । ”

फिर भी कुछ लोगों की दृष्टि में ग्रामीण जीवन कोई आदर्श जीवन नहीं है । यहाँ चिकित्सा एवं शिक्षा सुविधाओं का अभाव है । यहाँ के लोग परस्पर विद्वेष रखते हैं । ग्रामीण आपसी झगड़ों एवं मुकदमेबाजी में उलझे रहते हैं । यहाँ जाति प्रथा का बोलबाला है ।

यहाँ बेकारी और निर्धनता है । गाँवों के बेरोजगार लोग व्यर्थ के वार्तालाप नशेबाजी जुआ तथा लड़ाई-झगड़े में अपना समय नष्ट करते हैं । यहाँ अंधविश्वास चरम सीमा पर है । उपर्युक्त कारणों से गाँवों का जीवन शहरों की तुलना में श्रेष्ठ नहीं कहा जा सकता ।

निष्कर्षत : कहा जा सकता है कि गाँव एवं शहर दोनों का ही अपना-अपना महत्त्व है । सुयोग्य व्यक्ति जहाँ भी रहता है वह वहाँ के जीवन का आनंद उठाता है । अच्छा नागरिक अपने निवास-स्थान को सुंदर एवं आदर्श बनाने का प्रयास करता है । गाँव हो या शहर उसके मस्तिष्क में हर समय अपनी जन्मभूमि एव देश के हित की भावना होती है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 18

मैं भारत की राजधानी नई दिल्ली में रहता हूँ । यह एक प्राचीन शहर है । वर्तमान समय में यह हमारे देश की राजधानी है । केंद्रीय सरकार के सभी प्रमुख कार्यालय यहीं पर स्थित हैं । यहाँ कई दर्शनीय स्थल एवं ऐतिहासिक महत्त्व के स्थान हैं ।

दिल्ली के पुराने स्वरूप को पुरानी दिल्ली के नाम से जाना जाता है । वर्तमान में पुरानी दिल्ली एक तंग एवं घनी आबादी वाला स्थान है । जामा मस्जिद और लाल किला यहीं स्थित है । हर वर्ष देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस के दिन ध्वजारोहण करते हैं ।

शाहजहाँ द्वारा बनाया गया लाल किला आज भारत के गौरव का प्रतीक बन गया है । इसकी भव्यता आज भी बरकरार है । यह पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है । दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा प्राप्त है । यहाँ भारत के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री अन्य मंत्रियों तथा देश के प्रमुख नेताओं का निवास स्थान है ।

राष्ट्रपति प्रसिद्ध राष्ट्रपति भवन में निवास करते हैं । राष्ट्रपति भवन एक सुंदर एवं आकर्षक इमारत है जिसे अँगरेजों ने बनवाया था । राष्ट्रपति भवन का मुगल गार्डन बसंत ऋतु में दर्शकों के लिए खोल दिया जाता है । यहाँ विभिन्न फूलों को देखा जा सकता है र खासकर गुलाब के फूलों की अलग-अलग किस्में अत्यंत शोभायमान होती हैं ।

राष्ट्रपति भवन के ठीक सामने कुछ दूरी पर इंडिया गेट है । यहाँ अमर जवान ज्योति जलती रहती है । इस क्षेत्र की सभी इमारतें दर्शनीय हैं । दिल्ली स्थित संसद भवन एक गोलाकार इमारत है । यह भारतीय लोकतंत्र का प्रतीक है । दिल्ली के अन्य दर्शनीय स्थलों में लोटस टेंपल पुराना किला बिड़ला मंदिर छतरपुर मंदिर राष्ट्रीय संग्रहालय अभूघर प्रगति मैदान चिड़ियाघर आदि प्रमुख हैं । कनाट प्लेस यहाँ का प्रमुख बाजार है । यहाँ कई कंपनियों के कार्यालय भी हैं ।

हमारे महानगर दिल्ली की आबादी लगभग सवा करोड़ है । यहाँ देश के सभी क्षेत्रों के लोग निवास करते हैं । दिल्ली को भारत की मिली-जुली संस्कृति का आदर्श नमूना कहा जा सकता है । इस नगर का विस्तार बड़ी तेजी से हो रहा है । लोगों के आवागमन के लिए सड़क मार्ग और मेट्रो रेल मार्ग बने हुए हैं ।

चौड़ी सड़कों पर विभिन्न प्रकार के वाहनों का ताँता लगा रहता है । सड़क यातायात पर दवाब को कम करने के लिए पूरी दिल्ली में मेट्रो रेल सेवा का विस्तार किया गया है । दिल्ली की मेट्रो रेल सेवा संसार की आधुनिकतम नगरीय यातायात व्यवस्था है ।

दिल्ली की आबादी तेजी से बढ़ रही है । यहाँ भारत के दूरदराज क्षेत्रों के लोग रोजगार की तलाश में आते हैं । यही कारण है कि यहाँ जगह घनी आबादी है । आबादी बढ़ने के साथ-साथ गंदगी भी बढ़ है । बिजली और पानी जैसी मूल सुविधाओं का अभाव होता जा रहा ।

छोटे-बड़े उद्योग-धंधों एवं वाहनों के कारण वातावरण प्रदूषण भी बढ़ रहा है । ध्वनि प्रदूषण की समस्या भी यहाँ जटिल होती जा रही । दिल्ली की सरकार इन समस्याओं को दूर करने का हर संभव प्रयास रही है । दिल्ली को सुंदर एव हरा-भरा बनाने में आम लोगों की भागीदारी भी बहुत महत्त्वपूर्ण है ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 19

इंटरनेट को मनुष्य के इतिहास में संचार के क्षेत्र की सबसे बड़ी खोज कहा जा सकता है । इक्कीसवीं सदी में इंटरनेट जीवन के हर पहलू से जुड़ी हुई है । यह व्यवसाय, अर्थ जगत, शिक्षा, मनोरंजन और जानकारी जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों से गहराई से जुड़ता जा रहा है ।

इंटरनेट से केवल सूचनाओं का ही आदान-प्रदान नहीं होता इस पर धन का लेन-देन, घरेलू खरीदारी, रेल एवं हवाई यात्रा का आरक्षण आदि सब कुछ संभव है । यह बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का एक उपयोगी माध्यम है ।

यह विभिन्न भाषाओं के विकास का भी एक अच्छा उपकरण है । इंटरनेट किसी भी स्थानीय भाषा को बहुत कम समय में ही दुनिया भर में प्रचलित कर सकता है । भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी तथा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को दुनिया भर में फैलाने के लिए इंटरनेट का उपयोग किया जा रहा है ।

कंप्यूटर के क्षेत्र में आज चारों ओर इंटरनेट का बोलबाला है । यह सूचना प्रौद्योगिकी का एक विकसित रूप है । शिक्षा मनोरंजन प्रशासन दूरसंचार आदि जीवन के हर क्षेत्र में इंटरनेट की भागीदारी बढ़ती जा रही है । सूचना चाहे किसी भी क्षेत्र से जुड़ी हो वह इंटरनेट पर मौजूद है ।

इंग्लैंड में विश्वविद्यालयों की कितनी संख्या है, दुनिया में कौन-कौन से प्रमुख पर्यटन स्थल हैं आदि लाखों सूचनाओं को बटन दबाकर घर बैठे ही प्राप्त किया जा सकता है । दुनिया भर के प्रमुख अखबारों को इंटरनेट पर पढ़ा जा सकता है ।

इंटरनेट दुनिया भर के कंप्यूटर नेटवर्कों को जोड़कर बनाया गया सबसे बड़ा कंप्यूटर नेटवर्क है । इस पर लाखों सूचनाओं का आदान-प्रदान पलक झपकते हो जाता है । इंटरनेट ने सूचना प्रौद्योगिकी को आम लोगों तक पहुँचा दिया है ।

इसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति दुनिया के किसी भी शहर से घर बैठे संपर्क स्थापित कर सकता है । परतु इसके लिए एक कंप्यूटर और टेलीफोन की आवश्यकता होती है । यदि किसी व्यक्ति ने अपने कंप्यूटर को इंटरनेट सुविधा से जोड़ लिया है तो उसके लिए किसी भी तरह की जानकारी हासिल करना एक सरल कार्य है ।

इंटरनेट ने व्यापार जगत की कई समस्याएँ हल कर दी हैं । अब कोई व्यक्ति घर बैठे ही दुनिया के किसी भी हिस्से से व्यापारिक संपर्क स्थापित कर सकता है । कोई व्यक्ति यदि अमेरिका में बनी कोई कार खरीदना चाहता है तो उसे अब अमेरिका जाने की जरूरत नहीं ।

वह इंटरनेट पर ही अपना आर्डर दे सकता है । वह बिलों का भुगतान भी इंटरनेट पर कर सकता है । आधुनिक युग प्रतियोगिता का युग है । इस युग में सूचना तकनीक का बहुत महत्त्व है । आधुनिक शिक्षा प्रणाली कंप्यूटरीकृत होती जा रही है ।

हमारी जनसख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है उसी अनुपात में सामूहिक शिक्षा का भी महत्त्व बढ़ गया है । इंटरनेट और कंप्यूटर के माध्यम से विद्यार्थियों के एक बड़े समूह को शिक्षित किया जा सकता है । सूचना प्रौद्योगिकी की आधुनिक विधियों का प्रयोग कर हम रोजगार की संभावनाएँ बढ़ा सकते हैं ।

युवा वर्ग के लोग साइबर कैफे आदि खोलकर आम लोगों को इंटरनेट की सुविधा प्रदान कर रहे हैं । इस प्रकार इंटरनेट ने हमारे जीवन को विभिन्न तरीके से प्रभावित किया है । भारत में इसके विकास की अपार संभावनाएँ हैं ।

Hindi Nibandh for ICSE Students (Essay) # 20

बिजली ऊर्जा के विभिन्न रूपों में से सबसे प्रचलित रूप है । जो स्थान मानव शरीर में रक्त का है वही स्थान आधुनिक जीवन में बिजली का है । यह आधुनिक सभ्यता का आधार है । बिजली के बिना जीवन की गति थम जाती है, जनजीवन लगभग ठप पड़ जाता है ।

यह बिजली का ही चमत्कार है कि महानगरों में रात के समय दिन के समान उजाला रहता है । शहरों कस्बों तथा गाँवों में भी आज बिजली घर-घर की उपयोगी वस्तु बन चुकी है । महानगरीय तथा शहरी जीवन का तो आधार ही बिजली है । यदि बिजली नहीं तो अँधेरा ही अँधेरा । घर के दैनिक कार्य बिजली के बिना नहीं हो सकते । विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए बिजली चाहिए ।

टेलीविजन देखना हो पंखे की हवा खानी हो कूलर की ठंडी हवा का मजा लेना हो अथवा वातानुकूलित संयंत्र चलाकर चैन की नींद सोनी हो तो बिजली चाहिए ही । फ्रिज, वाशिंग मशीन, गीजर, कंप्यूटर, जलपंप आदि कितनी ही मशीनें किसी काम की नहीं यदि बिजली न हो ।

अनेक उद्योग-धंधे बिजली पर निर्भर हैं । इसे बिजली का ही चमत्कार कहा जाएगा कि इसने आधुनिक युग में किसी भी वस्तु के बड़े पैमाने पर उत्पादन को संभव बनाया है । बिजली की जगमगाती रोशनी के बीच ही बड़े-बड़े कारखानों में रात-दिन काम होता है ।

हालांक कल-कारखानों में कोयला, पैट्रोल, डीजल आदि ऊर्जा के अन्य रूपों का भी प्रयोग होता है परंतु बिजली से चालित मशीनों का प्रयोग अधिक सुविधाजनक है । कंप्यूटर इंटरनेट आदि बिजली उपलब्ध होने पर ही कार्य कर पाते हैं ।

बिजली आधुनिक वैज्ञानिक प्रगति का आधार है । इसका जुड़ाव हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से है । उत्सव समारोह त्योहार पार्टियाँ आदि बिजली की चकाचौंध के बीच ही अच्छी लगती हैं । किसानों को फसलों की सिंचाई करने में बिजली की आवश्यकता होती है ।

अनेक रेलगाड़ियाँ बिजली से चलती हैं । यदि बिजली नहीं होती तो यातायात के आधुनिक साधनों का प्रयोग असंभव हो जाता । वायुयानों रेलगाड़ियों तथा सड़कों पर चलनेवाले वाहनों को रात के समय नहीं चलाया जा सकता । बिजली का चमत्कार आज सर्वत्र दिखाई दे रहा है । यही कारण है कि सभी देश बड़े पैमाने पर बिजली का उत्पादन करते हैं । जिन देशों में अधिक बिजली उपलब्ध होती है वहाँ अधिक तेजी से प्रगति होती है ।

हमारे पास बिजली का कोई विकल्प नहीं है । बिजली के उत्पादन के लिए भट्टियों में कोयला जलाया जाता है । जल के तेज बहाव से भी बिजली उत्पादित की जाती है । परमाणु शक्ति का प्रयोग भी बिजली उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है ।

बिजली घर-घर की उपयोगी वस्तु है । इसका अपव्यय नहीं करना चाहिए । इसका उचित उपयोग कर हम इसके चमत्कार को लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं । बिजली की वस्तुओं का प्रयोग सावधानी के साथ किया जाना चाहिए अन्यथा यह हमारे लिए जानलेवा भी हो सकता है ।

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iv. नया रास्ता उपन्यास का उद्देश्य लिखिए ? नीलिमा कौन है ? वह मीनू को किस प्रकार सहायता करती है ?[3] 

Liability Disclaimer -  ICSE Class 10 Hindi Model Paper For Second Semester Exam 2021 - 22  प्रश्न पत्र केवल के परीक्षा के सहयोग के लिए लिखा गया है ,ताकि छात्र अधिक से अधिक अंक प्राप्त कर सके।यह सैंपल पेपर विभिन्न पुस्तकों व अध्ययन सामग्रियों के सहयोग से लिखा गया है ,लेकिन हिन्दीकुंज.कॉम किसी प्रकार के प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।किसी प्रकार क्षति के लिए हिन्दीकुंज.कॉम जिम्मेदार नहीं होगा।अतः इस प्रकार के प्रश्नों का लाभ उठाये लेकिन इस पर पूरी तरह से निर्भर न रहे।आप अन्य अध्ययन सामग्री को भी पढ़े व लाभ उठाये।

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ICSE Sample Papers Class 10 Hindi 2024-25 with Solutions

To excel this year, especially in Hindi, practicing with papers like the Hindi Sample Paper Class 10 2025 ICSE is key. These papers help you get familiar with question patterns, marking schemes, and important topics, giving you confidence and better time management skills during the exam.

Moreover, Oswal too provides ICSE sample papers with accurate solutions. Each of them include questions from reliable sources and detailed answers to help you solve problems effectively.

  •   ▪   How to Download ICSE Hindi Sample Paper for Class 10?
  •   ▪   ICSE Class 10 Hindi Syllabus Coverage in Sample Papers
  •   ▪   Benefits of Using ICSE Sample Paper Class 10 Hindi for Exam 2025
  •   ▪   Importance of ICSE Class 10 Hindi Sample Papers for Board Exam Preparation
  •   ▪   Tips for Solving ICSE Class 10 Hindi Sample Papers Effectively
  •   ▪   Prepare with Oswal Publishers ICSE Sample Papers Class 10 Hindi
  •   ▪   FAQs on ICSE Sample Papers for Class 10 Hindi

How to Download ICSE Hindi Sample Paper for Class 10?

Here’s how you can download the sample for ICSE 2025 Hindi Question Paper :

  • First, visit CISCE’s official website here .
  • After the home page opens, click on the 'Publications' section.
  • Then select 'Examination Question Papers’.
  • Next, click on 'Examination Question Papers' under 'Publications.'
  • Select the year - 2025 and subject Hindi for Class 10 ICSE respectively.
  • Now, click the download link to save the Hindi sample paper as a PDF.

That's it! You have the ICSE Hindi sample paper in your downloads tab.

Access ICSE Sample Papers for Class 10 below:-

ICSE Class 10 Hindi Syllabus Coverage in Sample Papers

The sample papers will cover all the topics in your syllabus. Here’s what it will include :

PAPER 1 - THEORY
1. Composition 40
2. Letter
3. Comprehension
4. Grammar
Sahitya Sagar: A collection of ICSE Short Stories & Poems (Evergreen Publications, New Delhi) (Examination Year 2022 onwards.) 40
Novel: Naya Raasta - Sushma Agarwal
Ekanki Sanchay: A collection of ICSE One Act Plays (Evergreen Publications, New Delhi)

Listening Skills + Creative Writing + Assignments (Literature)
20
100

So, these sample papers include all sections of the Hindi syllabus, from grammar and prose to poetry and composition. They will help you revise effectively and gain confidence for the exam!

Benefits of Using ICSE Sample Paper Class 10 Hindi for Exam 2025

The ICSE Class 10 Hindi Sample Paper for 2025 helps you focus on key areas and improve your preparation. Here’s how :

  • Helps you understand the types of questions that frequently appear in Hindi grammar.
  • Get to know about possible topics for essays, letters, and comprehension.
  • To become aware of the literature questions so you can write concise answers.

Importance of ICSE Class 10 Hindi Sample Papers for Board Exam Preparation

ICSE Class 10 Hindi sample papers are essential for effective exam preparation. Here’s how they help :

  • So, practicing Hindi sample papers allow you to become aware of the type and pattern of questions you can expect in your examination.
  • Solving the composition and comprehension portion beforehand lets you understand the difficulty level of the questions and how you can answer precisely using the answer key.
  • It lets you understand repeated questions thoroughly to avoid mistakes.
  • Working on the entire Hindi paper in advance helps you time yourself and dedicate adequate time to each section.

Tips for Solving ICSE Class 10 Hindi Sample Papers Effectively

  • Read the question paper along with the comprehension passage thoroughly (2 times) during the reading time itself to save time while writing.
  • Start with MCQ Questions for Class 10 ICSE Hindi (Grammar section) to get quick marks and build confidence early in the exam.
  • While answering Section B (prose and poetry) write short and concise answers.
  • Keep track of time and use the first 1 and half hours for part A and rest of the time left for part B thus, utilizing your 3 hours efficiently.
  • Write down the essay portion of your Hindi ICSE class 10 question paper towards the end as it carries a lump s um of 15 marks and requires more time in comparison to the other questions. 

Prepare with Oswal Publishers ICSE Sample Papers Class 10 Hindi

Gurukul by Oswal's 61 Sample Question Papers for ICSE Class 10 Board Exam 2025 offers 57 sample papers (23 solved, 34 unsolved) across 16 subjects, including Hindi. Students can easily practice all sorts of questions with answers written by experts to ace their Hindi examination! Here you can easily highlight repetitive questions along with portions you need to allot lesser time to.

61 Sample Question Papers ICSE Class 10 for Exam 2025

Icse 10 years solved papers and 61 sample question papers bundle for class 10 exam 2025 (set of 2), faqs on icse sample papers for class 10 hindi.

Ans: Practicing with sample papers helps you understand the exam pattern, important topics, and marking schemes. It improves your time management and boosts your confidence for the actual exam.

Ans: These papers are designed to mimic real exam questions, allowing you to get familiar with potential question types. Practicing with them shows you how to structure your answers to maximize marks.

Ans: Yes, the Hindi ICSE Class 10 Question Paper is updated to align with the latest syllabus and exam format, ensuring you’re practicing with relevant material.

Ans: Absolutely! Hindi is one of the easiest and most scoring subjects in ICSE. Neglecting it leads you to losing marks. So, practice using sample papers as much as you can to acquire speed and efficiency to solve all questions on time.

Ans: ICSE Class 10 Computer Applications sample papers cover all key topics, including object-oriented programming, Java syntax, arrays, and basic algorithms. By practicing with these papers, you’ll ensure that you review the full syllabus and are well-prepared for the exam.

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Home » Schools / Boards » ICSE » ICSE Hindi Specimen Paper 2025 PDF | CISCE Class 10 Hindi Sample Paper

ICSE Hindi Specimen Paper 2025 PDF | CISCE Class 10 Hindi Sample Paper

ICSE Hindi Specimen Paper 2025 has been published by CISCE . You can download the CISCE Class 10 Hindi Sample Paper PDF from Aglasem. These ICSE Specimen Papers include sample questions from the latest Hindi syllabus, following a pattern similar to the actual Class 10 exams. By practicing with the Hindi Specimen Paper, you can enhance your exam preparation and aim for 100% marks in the Class 10 exams conducted by the Council for the Indian School Certificate Examinations.

ICSE Hindi Specimen Paper 2025

The CISCE Specimen Paper for Class 10 (Class 10) Hindi is as follows.

ICSE Hindi Specimen Paper 2025 Download Link – Click Here to Download Sample Question Paper

ICSE Hindi Specimen Paper 2025 PDF

The complete specimen paper is as follows.

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Are you searching for ICSE Hindi Specimen Paper 2025 with Solutions? You can practice with the Class 10 sample papers from the CISCE textbook for 10th Hindi. If you require additional assistance, consider referring to solved Hindi papers from coaching centers. Feel free to leave a comment below for further assistance.

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The sample question papers for all subjects for CISCE students in 10th standard are as follows.

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CISCE Board Sample Question Papers

Similarly the class wise Specimen question papers for CISCE board are as follows.

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  • ICSE Class 10 Sample Papers
  • ISC Class 11 Sample Papers
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CISCE Board Class 10 Hindi

  • ICSE Class 10 Hindi Syllabus – You should refer CISCE Board Class 10 Syllabus for Hindi as prescribed by the Council for the Indian School Certificate Examinations.
  • ICSE Class 10 Hindi Textbook PDF – Moreover, you need to read the topics from CISCE Board Textbook for Class 10th Hindi.
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  • ICSE Class 10 Hindi Question Papers – After completing Hindi curriculum, solve CISCE board Class 10 previous year question papers to get an idea of what to expect in the exam.

CISCE Class 10 Hindi Sample Paper – An Overview

The highlights of this educational resource are as follows.

AspectsDetails
State / Region / BoardCISCE
BoardCISCE
ClassClass 10
SubjectHindi
Study Material HereCISCE Board Sample Question Paper of Class 10 Hindi
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All Model Question Papers of This Board
Official Websitecisce.org
CISCE Full FormCouncil for the Indian School Certificate Examinations
Date Sheet
Board Exam Results
Syllabus
All Details of This Board

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ICSE Arabic Specimen Paper 2025 PDF | CISCE Class 10 Arabic Sample Paper

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ICSE Specimen Paper 2021-22: Class 10 Hindi Sample Paper, MCQs, Solutions for Term 1 - Download PDF

Pragatti Oberoi

ICSE Specimen Paper 2021-22 for Class 10 Hindi is available here. Students can check the Hindi Sample Paper, MCQs, Solutions and download the PDF files to practice for tomorrow's Term 1 exam.

ICSE Specimen Paper 2022 | Class 10 Hindi Sample Paper, MCQs, Solutions | Download PDF

Key Highlights

  • ICSE Specimen Paper 2021-22 is available here for tomorrow's Hindi Paper.
  • Students can check the Class 10 Hindi Sample Paper, MCQs, Solutions and download PDF's from links given below.

Indian Certificate of Secondary Education, ICSE Specimen Paper 2021-22 is available here in PDF format along with the solutions of MCQs. Class 10 Hindi Paper will be conducted tomorrow – December 3, 2021 by Council for Indian School Certificate Examinations, CISCE. Here is a quick overview of the exam along with Hindi Sample Paper, MCQs, and Solutions for Term 1.  

Latest |  ICSE Specimen Paper: Class 10 Physics Sample Paper Solved, MCQs for Term 1 - Download PDF

ICSE Hindi Paper Term 1: Specimen Paper, MCQs & Solutions 

The Hindi Paper would have questions based on Reading Comprehension and books as well. It would be of 40 marks and will have MCQs, in which there will be 4 options to choose from. The paper is further likely to be divided in two sections.  

If the division is true and followed, the first section would have Reading Comprehension and the next would have questions from all text books. For the latter, students will need to answer questions only from 2 text books. (This inference has been drawn from Hindi Sample Paper available on the official website). Students can download MCQs and Solutions' PDFs below. 

Also Read |  ICSE History, Civics Paper Term 1 2022: Class 10 History & Civics Question Paper tricky, check Answer Key now

Students are informed that the ICSE Hindi Sample Paper Answer Key has been prepared by experts and teachers. It is likely that the actual answers might be different and students must go through the chapters to cross-check the answers. Times Now wishes ICSE Class 10 students the very best! 

Disclaimer: The Answer Key provided has been prepared by experts and independent teachers based on the specimen paper shared. Times Now takes no responsibility for the veracity of the answer key. The same has been provided only for reference.   

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hindi essay topics for class 10 icse 2022

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Hindi Mock Paper-1 for ICSE Class 10 Board Exams

  • Icse Sample Question Papers
  • Mock Paper 1

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An Overview of ICSE Class 10 Hindi

The board examinations are almost near, and it is high time that students begin with their rigorous preparation for examinations. They must pay keen attention to all subjects, including minor ones like Hindi and English. At Vedantu, we provide students with Hindi ICSE Class 10 sample question papers. But, do these sample papers help? Yes. They undoubtedly do. The 10th board examinations play a key role for the students to decide their prospective careers. This makes them anxious about their performance and marks. But, they need not worry. With ample practice, they can easily score well.

Language papers like English and Hindi are extremely scoring papers and often students study the subjects not because they love the syllabus but because they need great scores to increase their average percentage. Because of the extensive books, short stories, and poems, students do not show much interest and prefer to study the language papers just a few days before the exam. All experts suggest that keeping the syllabus in mind, students can score well in the paper simply by studying smarter and not harder. Sounds weird but this is true! Language-based subjects usually test your hold over the concepts of, not just the grammar portion, but also the critical analysis power and the knowledge and comprehension of information in terms of Literature. Students should read the Chapters thoroughly and understand the text since it is a compulsory subject to study- basically, a do-or-die situation that cannot be escaped! Once the Chapters are understood, students can make short notes of the prose or write down the themes of poems or characters in the play as per the syllabus. Vocabulary has great importance here since it helps in faring well in the essay/ letter writing sections of the Hindi Language paper.

The ICSE Class 10 Hindi Paper Includes Two Sections:

1. Section A- Language

Essay (250 words)

Letter writing (120 words)

Unseen Passage

2. Section 2- Literature (Passages)

Sahitya Sagar- Short Stories

Sahitya Sagar- Poems

Naya Raasta (Sushma Agarwal)

Ekaanki Sanchay (One Act Plays)

FAQs on Hindi Mock Paper-1 for ICSE Class 10 Board Exams

1. What is the pattern in ICSE Class 10 Hindi?

The theory paper of Hindi is divided into two sections:

Section A- Language (All Questions Are To Be Attempted)

Essay (Any one)- 15 marks

Letter Writing (Any one)- 7 marks

Unseen Passage- Question and Answers (2 marks each)- 10 marks

Grammar- 8 marks

Section B- Literature (Answer any 4 questions. Attempt at least one question from two books studied and any two other questions)

2. Is there an internal assessment in ICSE Class 10 Hindi?

ICSE Class 10 Hindi is of 100 marks in total. It is further divided into two parts- theory paper (80 marks) and internal assessment (20 marks). For many students, this might feel tedious, but the internal assessments have often saved the grade since it is an integral part of the paper as well as very scoring. The topics for the internal assessment are given by the teacher as per the syllabus or a sound development of intra/inter communicative, oral, or writing skills like debates, drama, music, poetry, etc., may be included as well.  

3. How do we make short notes for the Class 10 Hindi paper?

Because there is a choice of 2 out of 4 books to read and study, students can make short notes accordingly. For plays, answers on characters, themes, critical analysis of dialogues, plot, symbols, the significance of the Acts, etc., can be written. For short stories, the plot, characters, varied situations, etc., can be marked and made short notes /on. For poems, the poet, structure, themes, critical analysis/ paraphrasing, etc., can be looked into. One does not have to make extensive notes for Hindi unless a student is unable to understand the Chapter at all.

4. Where do we find the best resources for ICSE Class 10 Hindi?

Language subjects do not need too many resources except for Grammar or for understanding the pattern of the paper. Solving questions after every Chapter or the previous years’ question papers and mock/sample papers are more than enough to score well in the Board exams which can be downloaded in Vedantu in PDF format for free.. In Hindi, Grammar is all about logic. Once the student is able to understand the why’s, how’s, and what’s in the Grammar section, students need not worry too much about the rest. Vocabulary should be great for writing essays so practicing essay writing is a must.

5. Why is Hindi a scoring paper?

All language subjects like English and Hindi are very scoring, especially the Grammar since it is an objective (short answer type question) part of the paper. Even the Literature section can be scoring, only if the student has read all the texts (plays, prose, and poetry) word by word. Students can take such papers for granted but still, it is mandatory for them to study since it is a compulsory paper. In the subjective portion like the Essay and Letter writing, students have to practice writing as much as possible.

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साहित्य सागर

ICSE  Solutions for  Class 10 Hindi Saahity Saagar

  • Chapter 1 – बात अठन्नी की
  • Chapter 1 – साखी [कविता]
  • Chapter 2 – काकी
  • Chapter 2 – गिरिधर की कुंडलियाँ [कविता]
  • Chapter 3 – महायज्ञ का पुरस्कार
  • Chapter 3 – स्वर्ग बना सकते हं [कविता]
  • Chapter 4 – नेता जी का चश्मा
  • Chapter 4 – वह जन्मभूमि मेरी [कविता]
  • Chapter 5 – अपना – अपना भाग्य
  • Chapter 5 – मेघ आए [कविता]
  • Chapter 6 – सूर के पद [कविता]
  • Chapter 6 – बड़े घर की बेटी
  • Chapter 7 – विनय के पद [कविता]
  • Chapter 7 – संदेह
  • Chapter 8 – भिक्षुक [कविता]
  • Chapter 8 – जामुन का पेड़
  • Chapter 9 – चलना हमारा काम है [कविता]
  • Chapter 9 – भेड़ें और भेड़िए
  • Chapter 10 – मातृ मंदिर की ओर [कविता]
  • Chapter 10 – दो कलाकार

एकांकी-संचय

ICSE  Solutions for  Class 10 Hindi Ekaankee Sanchay

  • Chapter 1 – संस्कार और भावना
  • Chapter 2 – बहू की विदा
  • Chapter 3 – मातृभूमि का मान
  • Chapter 4 – सूखी डाली
  • Chapter 5 – महाभारत की एक साँझ
  • Chapter 6 – दीपदान

ICSE  Solutions for  Class 10 Hindi Naya Raasta

Chapter 1 – नया रास्ता

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  6. ICSE Class 10 Hindi Previous Years Question Papers Solved ...

    These ICSE Class 10 Hindi Previous 10 Years Board Question Papers with Answers are useful to understand the pattern of questions asked in the board exam. Know about the important concepts to be prepared for the ICSE Class 10 Board Exam and Score More marks. Board – Indian Certificate of Secondary Education (ICSE), www.cisce.org. Class – Class 10.

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    These ICSE Specimen Papers include sample questions from the latest Hindi syllabus, following a pattern similar to the actual Class 10 exams. By practicing with the Hindi Specimen Paper, you can enhance your exam preparation and aim for 100% marks in the Class 10 exams conducted by the Council for the Indian School Certificate Examinations.

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    Education. Pragatti Oberoi. Updated Dec 02, 2021 | 14:47 IST. ICSE Specimen Paper 2021-22 for Class 10 Hindi is available here. Students can check the Hindi Sample Paper, MCQs, Solutions and download the PDF files to practice for tomorrow's Term 1 exam.

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    ICSE Solutions for Class 10 Hindi Naya Raasta. Chapter 1 – नया रास्ता. Hindi Grammar.