पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी मित्र हैं पर निबंध 10 lines (Books Are Our Best Friend Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों मे

an essay book in hindi

Books Are Our Best Friend Essay in Hindi – किताबों में हमारी सबसे अच्छी दोस्त बनने की क्षमता है। एक अच्छे दोस्त की तरह, अच्छी किताबें हमारे दिमाग को सकारात्मक विचारों (positive thoughts) और सूचनाओं से भर देती हैं। किताबों का साथ हमें अकेलापन महसूस होने से रोकता है। एक दिलचस्प किताब पढ़ने के दौरान, हमें बहुत सी बहुमूल्य जानकारी मिल सकती है। यहाँ किताबों पर कुछ नमूना निबंध हैं जो हमारे सबसे अच्छे दोस्त हैं।

किताबों पर 10 पंक्तियाँ बच्चों के लिए हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं (10 Lines on Books are our Best Friends for Kids in Hindi)

  • किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त होती हैं जो हमसे कभी दूर नहीं होतीं।
  • किताबें अच्छे विचारों और ज्ञान से हमारे दिमाग को बेहतर बनाती हैं।
  • किताबें पढ़ने से हमें जीवन में अच्छे काम करने की प्रेरणा मिलेगी।
  • किताबें हमें समाज की भलाई के लिए अच्छा करने में मदद करती हैं।
  • वर्ष 1453 में, जोहान्स गुटेनबर्ग ने पहली बार प्रेस की गई पुस्तक, गुटेनबर्ग बाइबिल को छापा।
  • किताब पढ़कर हम कई जगहों, संस्कृतियों और परंपराओं के बारे में जान सकते हैं।
  • कागज से बनी दुनिया की सबसे बड़ी किताब दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में स्थित है।
  • किताबें पढ़कर हम कई प्रसिद्ध हस्तियों, उनके जीवन और गतिविधियों के बारे में जान सकते हैं।
  • किताबें हमें हर बार एक अलग दुनिया में खोलती हैं।
  • किताबें कभी भी अपना महत्व नहीं खोएंगी और सकारात्मक रूप से बढ़ने में हमारी मदद करेंगी।

पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी मित्र हैं पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Books Are Our Best Friend in Hindi)

सभी ज्ञान और जानकारी जो हमें जानकारी एकत्र करने और इसे पूरी तरह से समझने में सक्षम बनाती हैं, किताबों में पाई जा सकती हैं। किताबें हमारी सबसे सच्ची दोस्त हैं क्योंकि वे हमेशा हमारे साथ रहेंगी। हम तरह-तरह की किताबें पढ़कर अपनी भाषा, रचनात्मकता और कल्पनाशीलता में सुधार कर सकते हैं। मनुष्य की सोचने की प्रक्रिया उत्तेजित होती है, और उनकी जीवन शैली भी बदल जाती है। कई विधाओं में किताबें पढ़ने से आलोचनात्मक सोच और विश्लेषण को बढ़ावा मिलता है। यह दुनिया की बहुत सारी जानकारी प्रदान करता है, और हम दुनिया को वैसे ही देखते हैं जैसे लेखक ने इसका वर्णन किया है। कई आत्मकथाएँ और आत्मकथाएँ लोगों को महान जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। किताबें हमें सामान्य रूप से मानव संस्कृति और जीवन शैली के बारे में बहुत कुछ सिखाती हैं साथ ही बेहतर ग्रेड कैसे प्राप्त करें।

किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Books Are Our Best Friend in Hindi)

Books Are Our Best Friend Essay in Hindi – किसी व्यक्ति के सबसे अच्छे दोस्त किताबें हो सकते हैं क्योंकि वे उन्हें कभी नहीं छोड़ते, चाहे वे जीवन के किसी भी चरण में हों। ज्ञान और सूचना का सबसे बड़ा स्रोत किताबें हैं। हम विविध विधाओं की पुस्तकें पढ़कर विभिन्न प्रकार से सोच और विश्लेषण कर सकते हैं। किताबें उस समय के लिए सबसे अच्छा उपाय हो सकती हैं जब हम परेशान या पदावनत होते हैं। अपने विचारों को उत्तेजित करने के लिए जब हम अकेले होते हैं तो कोई भी किताब पढ़ने के लिए चुनी जा सकती है। आत्मकथाएँ और आत्मकथाएँ प्रेरणादायक प्रकाशन हैं जो जीवन को बदलने वाले अनुभवों को साझा कर सकते हैं।

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किताबें कैसे हमारी मदद करती हैं

हम तरह-तरह की किताबें पढ़कर अपनी शब्दावली और कल्पनाशक्ति को बढ़ा सकते हैं। चूंकि कोई दृश्य नहीं हैं, पाठक अपनी कल्पना का उपयोग करने की क्षमता में सुधार करते हैं। बार-बार किताब पढ़ने से दुनिया के प्रति हमारा नजरिया बदल सकता है और हमें सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने में मदद मिल सकती है।

किताबें लोगों को दुनिया के बारे में नया और दिलचस्प ज्ञान देकर उन्हें मानसिक रूप से विकसित करने में मदद कर सकती हैं। पाठकों को दुनिया के बारे में नए और दिलचस्प तरीकों से शिक्षित करके, किताबें मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकती हैं। कई अलग-अलग प्रकार की किताबें उपलब्ध हैं, जिनमें उपन्यास, कहानी की किताबें, कविता, रंगमंच, संस्मरण और अन्य प्रकार के लेखन शामिल हैं। ऐसे कई प्रेरक और उत्साहवर्धक उपन्यास उपलब्ध हैं जो व्यक्तियों को प्रेरित कर सकते हैं और उनके जीवन को बदल सकते हैं। क्या पढ़ना है, यह अंततः हर व्यक्ति की पसंद है।

पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी मित्र हैं पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Books Are Our Best Friend in Hindi)

Books Are Our Best Friend Essay in Hindi – पुस्तकें न केवल इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे मनोरंजन, सूचना और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान कर सकती हैं, बल्कि इसलिए भी कि वे हमारी सबसे अच्छी मित्र हैं। उनके पास हमें विभिन्न स्थानों और समय अवधि में ले जाने की क्षमता है, और वे हमें नई चीजें सीखने में मदद कर सकते हैं। किताबें सदियों से मौजूद हैं, और समाज पर उनका प्रभाव इस तरह से स्पष्ट है कि उन्होंने उस दुनिया को आकार दिया है जिसमें हम आज रहते हैं।

उन्होंने हमारी संस्कृति और हमारे जीवन के तरीके को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और उनके महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है। किताबों को अक्सर हानिरहित वस्तु माना जाता है, लेकिन यह सच्चाई से परे नहीं हो सकता। किताबों का इस्तेमाल नफरत और कट्टरता फैलाने के लिए किया जा सकता है, इसलिए यह जरूरी है कि हम उनका ध्यान रखें। हमें हमेशा उन शब्दों के प्रति सचेत रहना चाहिए जिन्हें हम प्रिंट करने के लिए चुनते हैं, क्योंकि यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो वे न केवल हमारे लिए बल्कि अन्य लोगों के लिए भी हानिकारक परिणाम हो सकते हैं।

किताबें हमारे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक हैं। वे ज्ञान, मनोरंजन और आराम का स्रोत हैं। वे सदियों से आसपास रहे हैं और आने वाले कई सालों तक हमारे जीवन का हिस्सा बने रहेंगे। पुस्तकें महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमें विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के बारे में सिखा सकती हैं। वे हमें ऐसी जानकारी भी प्रदान कर सकते हैं जो शायद हमें कहीं और न मिले। वे हमें नए कौशल विकसित करने और नई चीजें सीखने में भी मदद कर सकते हैं। किताबें भी सुकून का जरिया हैं। हम उन्हें तब पढ़ सकते हैं जब हम उदास या अकेला महसूस कर रहे हों। वे हमें खुश और उत्साहित भी महसूस करा सकते हैं।

पुस्तकें महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमारी सबसे अच्छी मित्र हैं। वे हमें अलग-अलग दुनिया में ले जा सकते हैं और हमें उन चीजों का अनुभव करने की अनुमति देते हैं जो हम अन्यथा कभी नहीं कर पाएंगे। वे हमें विभिन्न संस्कृतियों और जीवन के अन्य पहलुओं के बारे में भी सिखा सकते हैं जिन्हें हम अन्यथा नहीं देख पाते। अंत में, किताबें हमारे लिए दूसरों से जुड़ने का एक तरीका हैं। हम उनके साथ कहानियाँ साझा कर सकते हैं, उनसे सीख सकते हैं और उनके साथ हँस सकते हैं। किताबें वास्तव में हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं।

पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी मित्र हैं पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Books Are Our Best Friend in Hindi)

“ज्ञान का बड़ा महासागर” एक मुहावरा है जो किताबों से संबंधित है। किताबें दुनिया भर की जानकारी का एक विशाल स्रोत हैं। शुरुआती सालों से किताबें हमारे जीवन का हिस्सा रही हैं। हमेशा ऐसी पुस्तक का चयन करें जो आपकी पसंद और रूचि के अनुसार हो। जो लोग पढ़ना पसंद करते हैं वे किताबें जमा करते हैं और अपने घरों में एक छोटी सी लाइब्रेरी स्थापित करते हैं।

पुस्तकों का महत्व

शाब्दिक अर्थ में, पुस्तकों को छात्रों का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता है, और यह भी दावा किया जाता है कि वे उनके सबसे अच्छे साथी के रूप में काम करते हैं। विद्यार्थी के जीवन में इनका बहुत महत्व होता है। छात्रों को किताबें पढ़ने में बहुत आनंद आता है और उनसे बहुत कुछ ज्ञान प्राप्त होता है। वे पाठकों को एक मूल कल्पनाशील ब्रह्मांड से परिचित कराते हुए उनके जीवन स्तर में सुधार करते हैं।

किताबें छात्रों को आशावाद और बहादुरी बनाए रखते हुए कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। वे बच्चों के शैक्षिक अवसरों और बौद्धिक जागरूकता में सुधार करते हैं। किताबें पढ़ने से छात्रों के लिए ज्ञान में वृद्धि, बेहतर याददाश्त और बढ़ी हुई शब्दावली सहित कई फायदे हैं।

किताबें पढ़ने के फायदे

छात्रों के लिए किताबें पढ़ने के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:

छात्रों को बुद्धिमान बनाता है | किताबें छात्रों के ज्ञान को बढ़ाती हैं और उनकी बुद्धि को तेज करती हैं। वे वैश्विक संस्कृति के कई रंगों को उजागर करते हैं और विभिन्न भ्रांतियों का खंडन करते हैं। छात्र साहित्य पढ़ने के माध्यम से दुनिया भर में विविध समुदायों और सभ्यताओं के बारे में सीखते हैं। छात्र अतीत, वर्तमान और भविष्य की जांच कर सकते हैं और साथ ही साहित्य पढ़ने के माध्यम से विभिन्न मुद्दों का समाधान खोज सकते हैं। पुस्तकें छात्र के दिमाग में बुद्धि और मौलिकता का मूल्यांकन करती हैं।

तनाव दूर करें | छात्र किताबें पढ़कर तनाव को प्रभावी ढंग से कम कर सकते हैं। छात्र कम तनाव महसूस करते हैं और जब वे पढ़ते हैं तो उन्हें एक कल्पनाशील दुनिया में ले जाया जाता है। किताबें पढ़ने वाले छात्रों में सकारात्मक ऊर्जा भरी होती है, जो उन्हें अपने जीवन में बदलाव लाने के लिए प्रेरित और प्रेरित करती है।

बेहतर शब्दावली | छात्रों के लिए अपनी शब्दावली बढ़ाने के लिए किताबें पढ़ना सबसे अच्छा तरीका है। जब बच्चे विविध विषयों पर विभिन्न प्रकार की पुस्तकें पढ़ते हैं, तो वे अधिक नए शब्द चुनने में सक्षम होते हैं, जो न केवल उन्हें अपनी शब्दावली का विस्तार करने में मदद करता है बल्कि उन्हें कई विषयों के बारे में अधिक जानकार बनने में भी मदद करता है।

बढ़ा हुआ फोकस | जब छात्र आराम करने के लिए किताबें पढ़ते हैं, तो यह स्वाभाविक रूप से उनकी दैनिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, छात्र कम समय में अधिक अध्ययन करने में सक्षम होंगे और उनकी शैक्षणिक उपलब्धि में वृद्धि होगी। जब छात्रों को तनाव नहीं होता है, तो वे बिना किसी रुकावट के अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं और उच्च अंक प्राप्त करने की संभावना अधिक होती है।

विश्लेषणात्मक कौशल विकसित करें | किताबें पढ़ने से छात्रों को अधिक विश्लेषणात्मक बनने और कठिनाइयों को हल करने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित होने में मदद मिल सकती है। उपन्यास पढ़ने से बच्चों की समझ और कई स्थितियों के प्रति जागरूकता बढ़ सकती है। पढ़ना छात्रों के आत्मविश्वास में सुधार करता है और उन्हें विनम्र और सहानुभूतिपूर्ण होना सिखाता है। उपन्यास पढ़ने से छात्रों को अधिक कल्पनाशील और रचनात्मक होने के साथ-साथ अधिक आशावादी बनने में मदद मिल सकती है।

किताबें ज्ञान और सूचनाओं का दुनिया का सबसे बड़ा संग्रह हैं। पुस्तकें और उनकी जानकारी किसी व्यक्ति को उसके जीवन के किसी भी मोड़ पर कभी नहीं छोड़ती है, जिससे वे लोगों के लिए एक आदर्श साथी बन जाते हैं। किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं क्योंकि वे हमें कभी पीछे नहीं छोड़ती हैं और उनके पास सभी सवालों के जवाब होते हैं।

पुस्तकों हमारे सबसे अच्छे मित्र हैं पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. पुस्तकें क्यों महत्वपूर्ण हैं .

उत्तर: पुस्तकें विभिन्न प्रकार से महत्वपूर्ण हैं; यह पाठकों को बिना कहीं जाए यात्रा करने की अनुमति देता है। यह बच्चों की कल्पना को पंख प्रदान करता है। यह खुशी, खुशी, ज्ञान, ज्ञान और जीवन को बदलने की क्षमता देता है। किताबें संज्ञानात्मक विकास में सुधार करती हैं, संज्ञानात्मक गिरावट को रोकती हैं और आत्मविश्वास में सुधार करती हैं।

प्रश्न 2. पुस्तकें कितने प्रकार की होती हैं?

उत्तर: पुस्तकों को फिक्शन या नॉनफिक्शन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इन दो प्रकार की पुस्तकों में विभिन्न विधाएं हैं। कुछ कक्षाएँ कविताएँ, नाटक, उपन्यास, इतिहास, लघु कथाएँ, व्यंग्य, आत्मकथा आदि हैं।

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पुस्तक पर निबंध | Essay on Book in Hindi

हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में पुस्तक पर निबंध हिंदी में ( Book essay in Hindi) पड़ेंगे जो कि आपको Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। पुस्तक पर निबंध (Essay writing on Book ) के अंतर्गत हम पुस्तक से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।

Essay on Books in Hindi 500 Words

जीवन में पुस्तकों का होना बहुत ही जरूरी है।। अगर आपके पास एक अच्छी पुस्तक होगी तो आप उसके ज्ञान से दुनियाभर के ज्ञान को अपने अंदर समेट सकते हैं। पुस्तक मनुष्य के जीवन का आधार मानी जाती है। 

पुस्तके कई विषयों में उपलब्ध होती है जैसे कि अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, भूगोल, इतिहास, सामाजिक शास्त्र ,राजनीतिक शास्त्र, इत्यादि। दुनिया में भाषाओं में पुस्तकें उपलब्ध जैसे कि धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक इत्यादि ऐसे किताबें बाजार में मौजूद है जो जिंदगी के कई समस्याओं को हम किताब से पढ़कर आसानी से उसे सुलझा सकते हैं।

पुस्तक का इतिहास (History of Books in Hindi)

अगर हम लोग पुस्तकों के इतिहास की बात करें तो पुस्तकों का इतिहास काफी प्राचीन है। पुस्तकों की कहानी पन्नों की छपाई के साथ शुरू की गई थी और यह आज वर्तमान में पुस्तकों के भंडार के साथ दुनिया के किसी भी पुस्तक को पढ़ने और उसे समझने से पहले उसकी इतिहास को जाना हमारे लिए बहुत ही जरूरी है। पुस्तकों की पहली छपाई 1440 में फ्रांस के प्रिंटिंग प्रेस में शुरू की गई थी। उसके बाद पुस्तकों के प्रचार प्रसार में विश्व धर्म मैं इसे फैलाया गया। पुस्तकों का इतिहास मध्यकालीन से जुड़ा हुआ है। पुस्तकों को पहली बार फ्रांस में पड़ा और लिखा गया था और उसके बाद यह धरती के हर कोने कोने में इसे पहुंचाया गया। इसके 15 साल बाद पहली बार 1455 में सबसे पहली छपाई बाइबल की गई थी।

एन्हेदुअन्ना
दूसरी और पांचवीं शताब्दी ई. के बीच।
The Diamond Sutra
ऋग्वेद संहिता
द फर्स्ट मुस्लिम: द स्टोरी ऑफ मुहम्मद

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पुस्तक का महत्व

यदि मनुष्य और पशु में भेद किया जाए तो केवल बुद्धि द्वारा ही किया जा सकता है। बुद्धि तथा ज्ञान के बिना मनुष्य निश्चय ही संसार का एक दयनीय प्राणी होता। अनादिकाल से मनुष्य अपने ज्ञान का ही परिष्कार करता आ रहा है।

ज्ञान उसे या तो गुरु से मिलता है या पुस्तकों से। गुरु तो सीमित समय तक ही ज्ञान दे सकता है, या यों कहना चाहिए कि गुरु तो केवल ज्ञान-प्राप्ति का पथ-प्रदर्शन ही करता है। वास्तव में पुस्तके गुरुओं की भी गुरु होती हैं। अच्छी पुस्तकों को हम अपनी हितैषी* मान सकते हैं। ज्ञान-प्राप्ति और बुद्धि के विकास के लिए विभिन्न प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन आवश्यक है। कार्लाइल का कथन है कि ‘मानव-जाति ने जो कुछ किया, सोचा और पाया है, वह पुस्तकों के जादू भरे पृष्ठों में सुरक्षित है।’

बालक में जीवन-शक्ति और इच्छा शक्ति दोनों होती हैं। जीवन में कुछ बनने की और कुछ प्राप्त करने की हर बच्चे के मन में अभिलाषा होती है। अच्छी पुस्तकों के अध्ययन से बालक का सही मार्गदर्शन होता है। जीवन में सफलता के उच्चतम सोपान पर पहुँचने के लिए महापुरुषों, वैज्ञानिकों, साहित्यकारों एवं अन्य उच्च पद पर आसीन होने वाले व्यक्तियों की जीवनियों और आत्मकथाओं का अध्ययन करना श्रेयस्कर होता है। इनके अध्ययन से हमारे व्यक्तित्व का विकास होता है।

पुस्तकें पढ़ने से हमें पता चलता है कि हमें प्रकृति से भी प्रेम करना चाहिए और अपने आसपास के पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों के जीवन की गतिविधियों पर ध्यान रखना चाहिए। बचपन से ही प्रकृति-प्रेमी जगदीशचन्द्र बसु लहराते पौधों को, मुस्कराती पत्तियों को मुग्धभाव से टकटकी लगाकर देखते और सोचते तथा प्रश्न करते कि आख़िर इन निर्जीव पदार्थों में गति कैसे आ गई? निरन्तर अध्ययन से एक दिन उनकी जिज्ञासा शांत हो ही गई और कल्पना साकार हो गई। उन्होंने प्रमाणित कर दिया कि पेड़-पौधे निर्जीव नहीं हैं बल्कि उनमें भी जीवन है, स्पन्दन है, गति है और संवेदना है।

अत: उन्नति के लिए आवश्यक है स्वयं को पहचानना और स्वयं को पहचानने के लिए पुस्तकों जैसा अच्छा मित्र और मार्गदर्शक कोई दूसरा हो ही नहीं सकता। एक अंग्रेज़ विद्वान की उक्ति है-‘सच्चे मित्रों के चुनाव के पश्चात् सर्वप्रथम एवं प्रधान आवश्यकता है, उत्कृष्ट पुस्तकों का चुनाव। जो पुस्तकें हमें अधिक विचारने को बाध्य करती हैं, वे ही हमारी सबसे बड़ी सहायक हैं।’

पुस्तकें जहाँ एक ओर मनुष्य के व्यक्तित्व में एक नवीन निखार उत्पन्न करती हैं, वहीं दूसरी ओर बुढ़ापे की लाठी भी हैं। ये मनुष्य को सच्चा सुख और शान्ति प्रदान करती हैं। थामस ए. कम्पिस ने एक बार कहा था, “मैंने प्रत्येक स्थान पर विश्राम खोजा, किन्तु वह एकान्त कोने में बैठकर पुस्तकें पढ़ने के अतिरिक्त कहीं प्राप्त न हो सका।” पुस्तकें किसी देश की अमर निधि होती हैं। किसी जाति के उत्कर्ष (उत्थान) तथा अपकर्ष (पतन) का पता उसके साहित्य से चलता है।

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विचारों के युग में पुस्तकें ही अस्त्र हैं। पुस्तकों में निहित विचार सम्पूर्ण समाज की काया पलट देते हैं। आज का संसार विचारों का संसार है। समाज में जब भी कोई परिवर्तन आता है अथवा क्रान्ति उपस्थित होती है उसके मूल में कोई विचारधारा ही होती है। श्रेष्ठ पुस्तकें समाज में नवचेतना का संचार करती हैं तथा समाज में जागृति लाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। हिन्दी साहित्य के अमर कथाकार मुंशी प्रेमचन्द जी ने अपनी कहानियों तथा उपन्यासों के माध्यम से भारतीय किसान की दीन-हीन स्थिति का चित्रण कर भारतीयों के हृदय में उनके प्रति सहानुभूति की भावना जागृत करने में बड़ा योगदान दिया।

पुस्तकें पढ़ना समय का श्रेष्ठ उपयोग तथा उत्तम कोटि का मनोरंजन है। विद्यार्थियों के लिए परीक्षा देने के बाद आगामी पढ़ाई तक समय बिताने का सर्वश्रेष्ठ साधन है-पुस्तकें।

अन्त में, निराशा के क्षणों को दूर करने के लिए हम पुस्तकों के घने काले अक्षरों में अपने मार्ग को तलाशते हैं। पुस्तकें हमारी डगमगाती नौका की सशक्त पतवार हैं क्योंकि ये ज्ञान की वृद्धि और मनोरंजन का साधन ही नहीं बल्कि मनुष्य की सच्ची मित्र हैं, सद्गुरु और जीवन-पथ की संरक्षिका हैं।

Frequently Asked Questions

उत्तर: जोहान्स गुटेनबर्ग

उत्तर: कैक्सटन हिमसेल्फ

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा लेख पुस्तक पर निबंध (Essay writing on Book) पढ़ कर अच्छा लगा होगा और आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होगें। यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो इससे आपको कुछ सीखने को मिला हो तो आप अपनी प्रसन्नता और उत्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook , Google+, Twitter इत्यादि पर Share कीजिए।

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पुस्तक पर निबंध

Essay on Book in Hindi : पुस्तक वो चीज हैं जिससे हमे ज्ञान मिलता हैं। पुस्तक हमारे जीवन का आधार हैं। जीवन में सीख हमे पुस्तकों से ही मिलती हैं। पुस्तक वो चीज़ हैं जो हम पहले स्कूल में पढ़ते है, फिर कॉलेज में पढ़ते हैं उसके बाद कुछ नया सीखने के लिए पढ़ते हैं।

हम यहां पर अलग-अलग शब्द सीमा में पुस्तक पर निबंध (Essay on book in Hindi) शेयर कर रहे हैं। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होंगे।

पुस्तक पर निबंध | Essay on book in Hindi

पुस्तक पर निबंध ( 250 शब्द ) .

पुस्तक एक ऐसी वस्तु जिसमे ज्ञान का काफी मात्रा में बोद्ध होता हैं। जीवन में ज्ञान की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पुस्तकों का होना जरुरी हैं। ज्ञान की भूख को शांत करने के लिए पुस्तकों का काफी अहम रोल होता हैं। पुस्तकों के भंडार में हमे कई ऐसे स्त्रोत मिल जाते हैं जिनके जरिये हम  अपने ज्ञान को बाधा सकते हैं। पुस्तक को पुस्तक की संज्ञा भी दी जाती हैं। 

पुस्तकों का इतिहास आज से नही बल्कि काफी प्राचीन समय से हैं। पुस्तकों को प्राचीन काल से हमारे महापुरुष लिखते आ रहे हैं। पुस्तकों से हमे काफी कुछ सीखने को मिलता हैं। कई ऐसी पुस्तके हैं जो हमे भविष्य को मजबूत बनाने के लिए ज्ञान देती हैं। हमारे देश के कई महापुरुष ऐसे भी हुए हैं जिन्होंने पुस्तके लिखी हैं और उन पुस्तकों के ज्ञान अपने जीवन में उतारते हैं। 

हमारे जीवन में पुस्तकों का काफी महत्त्व हैं। प्राचीन पुस्तकों को हाथ से लिखा जाता हैं हालाँकि आज इन पुस्तकों के मुद्रण के लिए काफी प्रिंटिंग प्रेस बाज़ार में उपलब्ध हैं। पुस्तकों की छपाई में आज की तारीख में काफी वृदि हुई हैं। पुस्तकों में काफी ज्ञान उपलब्ध होता हैं ओर उस ज्ञान को आप अपने जीवन में उतार सकते हैं। पुस्तकों में वो ताक़त होती हैं जो हमारे अंधकाररुपी जीवन में उजाला भर सकती हैं। पुस्तकों से हमे काफी कुछ सीखने को मिलता हैं। पुस्तकों का जीवन में होना अपने आप में एक अच्छी बात होती हैं।

पुस्तक पर निबंध ( 800 शब्द ) 

जीवन में पुस्तकों का होना काफी आवश्यक होता हैं। अगर आपके पास एक अच्छी पुस्तक हैं तो आप उसके ज्ञान से दुनिया की कोई भी जंग जीत सकते हैं। पुस्तक को पढने हमे काफी अच्छा लगता हैं। पुस्तके भी कई प्रकार की होती हैं जिसमे कई अलग – अलग भाग होते हैं। पुस्तकों में इतिहास की पुस्तक, ज्ञानवर्धक पुस्तक और रोज़ की खबरों के बारे में बताने वाली पुस्तक को भी इस अव्वल दर्जे की श्रेणी में रखा जाता हैं। 

पुस्तक का महत्त्व

पुस्तकों को हम सबसे पहले स्कूल में पढ़ते हैं जहा हमे पुस्तकों के बारे में पहली बार बताया जाता हैं। पुस्तके भी कई अलग – अलग प्रकार की होती हैं। पुस्तक हमारे साथ एक सच्चे दोस्त की तरह रहती हैं। पुस्तकों में ज्ञान भा भंडार होता हैं जिन्हें हम देख सकते हैं और उनको अधिग्रहण कर सकते हैं। किसी भी प्रकार के ज्ञान या किसी भी चीज़ के बारे में सीखने के लिए हमे सबसे पहले पुस्तकों की ही आवश्यकता होती हैं। पुस्तके हर आयु के लडको के लिए उपयोगी होती हैं फिर चाहे वो छोटे हो या बड़े या बुजुर्ग, हर आयु के व्यक्तियों के लिए पुस्तक काफी महत्वपूर्ण होती हैं। 

पुस्तकों से मिलता ज्ञान

पुस्तकों के कई और भी अलग अलग प्रकार होते हैं। इन प्रकार की पुस्तकों में से आप किस प्रकार की पुस्तक पढना पसंद करते हैं यह इस बात पर निर्भर करता हैं की आप को कौनसी पुस्तक पसंद हैं। पुस्तकों में व्यवसाय इ जुडी पुस्तके या हास्य और मनोरंजन से जुडी पुस्तके भी शामिल हैं। अगर आपको हास्य और कविताओ से जुडी पुस्तके पसंद हैं तो इसका सीधा मतलब यह हैं की आप काफी शांत किस्म वाले व्यक्तित्व के धनि हैं। 

अगर आप हॉरर और डरावनी कहानियो की पुस्तके पढना पसंद करते हैं तो आपको इस बात से सीधा आशय यह हैं की आप हमेशा कुछ नया जानने को उत्सुक रहते हैं। अगर हम किसी प्रतियोगी परीक्षा की तेयारी करते हैं तो भी हमे कई अलग – अलग प्रकार  की पुस्तके पढने को मिलती हैं जैसे भूगोल की किताब, इतिहास की किताब और राजनीती की किताब इतियादी। इन सभी किताबो को पहने से भी की काफी ज्ञान की प्राप्ति होती हैं।

पुस्तकों का इतिहास

पुस्तको के इतिहास की बात करे तो पुस्तकों का इतिहास काफी पुराना हैं। पुस्तकों की कहानी पन्नो की छपाई के साथ शुरू हुई थी और यह आज वर्तमान में पुस्तकों के भंडार के साथ चल रही है। किसी भी पुस्तक को पढने और उसे समझने से पहले उसके इतिहास को  समझना जरुरी होता हैं। पुस्तको की पहली बार छपाई 1440 में फ़्रांस की प्रिंटिंग प्रेस से शुरू हुई थी। उसके बाद पुस्तकों का प्रचार – प्रसार पुरे विश्व में फ़ैल गया। पुस्तकों का इतिहास मध्यकाल से जुड़ा हैं। पुस्तकों को पहली बार फ़्रांस में पढ़ा और लिखा गया था और उसके बाद यह धरती के हर कौने में पहुच गई। इसके 15 साल बाद पहली बार 1455 में पहली बार बाईबिल की छपाई की गई। 

पुस्तकों के प्रकार 

पुस्तकों के कई प्रकार हैं जिनके बारे में आप शयद ही जानते होंगे। हमारे स्कूल और कॉलेज तक हम कई पुस्तके पढ़ते हैं। इन सब के अलावा भी हम और भी कई पुस्तके पढ़ते हैं। किताबो के कई प्रकार हैं जिनके बारे में हमे जानना और समझना चाहिए – 

  • ज्ञानवर्धक पुस्तके – ज्ञानवर्धक किताबो की श्रेणी में वे पुस्तके शामिल हैं जिनसे हमे हमारे जीवन से जुडी ज्ञान की बाते जानने और सीखने को मिलती हैं। ज्ञानवर्धक किताबो की सूची में कई पुस्तके आती हैं जो किसी महान पुरुष दुवारा लिखी गई हो। ज्ञानवर्धक किताबो से ज्यादा हमे ज्ञान की आवश्यकता होती हैं। 
  • मनोरंजन से जुडी पुस्तके – ज्ञानवर्धक किताबो के अलावा मनोरंजन से जुडी पुस्तके भी अगर हम पढ़ते हैं तो वो भी हमारे लिए काफी अच्छी रहती है। जीवन में खुश और हँसी हर किसी को नसीब नही होती हैं। इसके लिए आप अपने आप को सरल बनाये और सोभर बनाये, उसके लिए मनोरंजन से जुडी पुस्तके पढ़े। 
  • तकनीकी पुस्तके – तकनीक किताबे पढना भी आज के समय में काफी अच्छा रहता हैं। तकनीक आज से समय की मांग हैं उसके लिए हमे तकनिकी किताबो का पढना भी जरुरी होता हैं। 

किताबो का महत्त्व वो ही जानता हैं जिसने किताबो के लिए संघर्ष किया हो। आज किताबो के बिना पढाई करना काफी मुश्किल होता हैं। जीवन में अच्छे ज्ञान की प्राप्ति के लिए भी हमे अच्छे पुस्तकों को पढना जरुरी होता हैं। 

अंतिम शब्द 

हमने यहां पर “पुस्तक पर निबंध (Essay on book in Hindi)” शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Rahul Singh Tanwar

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दा इंडियन वायर

किताब पर निबंध

an essay book in hindi

By विकास सिंह

Essay on book in hindi

पुस्तकों को एक व्यक्ति का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता है। वे ज्ञान और जानकारी की एक संगृह हैं। यह ठीक ही कहा गया है, “एक पुस्तक से वफादार कोई दोस्त नहीं है”। किताब हमें बहुत कुछ देती हैं लेकिन बदले में यह कुछ नहीं मांगती हैं। । एक अच्छी किताब हमारे मूड को तुरंत उभार सकती है और हम पर गहरा असर छोड़ सकती है। इस प्रकार समझदार बनने के लिए विभिन्न प्रकार की पुस्तकों को पढ़ने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है।

किताब पर निबंध, short essay on book in hindi (200 शब्द)

सदियों से लाखों किताबें लिखी और प्रकाशित की गई हैं। मनुष्य ने प्राचीन काल से लिखना शुरू किया और यह एक प्रथा है जो उसने आज के आधुनिक युग में भी नहीं छोड़ी है।

कई अनुभवी और अनुभवी लेखकों ने विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकों को लिखा है। काल्पनिक और गैर-काल्पनिक दोनों तरह की किताबें विज्ञान, ज्योतिष, फैशन, सौंदर्य, जीवन शैली, इतिहास, संस्कृति, दर्शन और प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न शैलियों पर लिखी गई हैं। इन पुस्तकों में विभिन्न विषयों के बारे में ज्ञान है और यह पाठकों को मंत्रमुग्ध कर रही हैं। किताब पढ़ने की आदत उन सबसे अच्छी आदतों में से एक है, जिसे कोई व्यक्ति अपना सकता है।

एक व्यक्ति जो किताबें पढ़ना पसंद करता है, वह कभी अकेला या ऊब महसूस नहीं कर सकता क्योंकि किताबें हमेशा उसके भले के लिए होती हैं। इन्हें आसानी से चलते-फिरते ले जाया जा सकता है और बस कहीं भी पढ़ा जा सकता है। किताबें न केवल बोरियत को मारने और अकेलेपन की भावना से बचने में मदद करती हैं बल्कि ज्ञान भी प्रदान करती हैं।

एक व्यक्ति जो विभिन्न प्रकार की पुस्तकों को पढ़ता है और नियमित रूप से पढ़ने के लिए प्रेरित करता है, वह अच्छी तरह से सीखता है। वह सांसारिक बुद्धिमान होता है। वह विभिन्न स्थितियों को उन लोगों की तुलना में बेहतर ढंग से संभाल सकता है जो पढ़ने में आनाकानी करते हैं।

किताबें पढ़ना आत्मविश्वास बनाता है और यह उसके व्यक्तित्व में प्रतिबिंबित होता है। लोग ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जो अच्छी तरह से पढ़ा हुआ है।

किताब पर निबंध, 300 शब्द :

प्रस्तावना:.

यात्रा, प्रौद्योगिकी, पौराणिक कथाओं, खगोल विज्ञान, फैशन, विज्ञान, साहित्य, इतिहास सहित विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें लिखी गई हैं। विभिन्न क्षेत्रों के प्रत्येक और हर पहलू को अलग-अलग पुस्तकों द्वारा छुआ गया है। इन्हें इस प्रकार ज्ञान के खजाने के रूप में जाना जाता है। जितनी गहराई में आप किताबों में ढूंढते हैं, उतना ही अधिक खजाना आपको मिल जाएगा – एक ऐसा खजाना जो हमेशा के लिए आपके पास रहेगा।

पुस्तकें ज्ञान की प्रचुरता प्रदान करती हैं:

कई लेखकों ने विभिन्न विषयों पर कई किताबें लिखी हैं। इन पुस्तकों के माध्यम से एक ही विषय के विभिन्न पहलुओं को छुआ गया है। इस प्रकार किताबें पढ़ना एक व्यक्ति को ज्ञान की प्रचुरता प्रदान कर सकता है और उसे प्रबुद्ध कर सकता है।

बहुत से लोग एक विषय या दो का चयन करते हैं और उनके बारे में गहराई से जानने के लिए उन पर कई किताबें पढ़ते हैं। दूसरों ने सामान्य रूप से अपने ज्ञान को व्यापक बनाने के लिए विभिन्न विषयों पर किताबें पढ़ीं। पुस्तकें ज्ञान की प्रचुरता प्रदान करती हैं। जो लोग किताबें पढ़ने की आदत को बढ़ाते हैं, वे आमतौर पर नियमित पढ़ने के लिए पुस्तकालय की सदस्यता लेते हैं।

पुस्तकें रूचि तलाशने में मदद करती हैं:

किताबें भी हमारी रुचि का पता लगाने में हमारी मदद करती हैं। हर व्यक्ति हर विषय में दिलचस्पी नहीं रखता है। लोगों के अपने निजी हित और पसंद हैं। हालाँकि, जब तक हम किसी विशेष विषय के बारे में नहीं सीखते, तब तक हम यह नहीं जान पाएंगे कि यह हमारी रुचि का है या नहीं।

पुस्तकें यह जानने का सबसे अच्छा तरीका है कि हमारी रुचि किन विषयों के बारे में पढ़ने से है। पुस्तकें हमारी रुचि का पता लगाने में हमारी मदद करती हैं। हम जितना अधिक विषयों को पढ़ेंगे, हम समझेंगे कि वास्तव में हमारी रुचि क्या है। इस प्रकार छात्रों के लिए विभिन्न प्रकार की पुस्तकों को पढ़ना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे उन्हें यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि उनकी रुचि कहाँ है। इससे उनके करियर का रास्ता चुनने में काफी मदद मिलती है।

निष्कर्ष:

इस प्रकार, पुस्तकें हमारे ज्ञान का विस्तार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक हैं। वे निश्चित रूप से ज्ञान के प्यासे व्यक्ति को संतुष्ट कर सकती हैं।

पुस्तक पर निबंध, Essay on book in hindi (400 शब्द)

प्रस्तावना :.

किताबें मानव जाति के लिए एक आशीर्वाद हैं। हम भाग्यशाली हैं कि बड़ी संख्या में विद्वानों ने पुस्तकों के माध्यम से अपने ज्ञान और जानकारी को साझा किया है। दुनिया भर में लाखों किताबें प्रकाशित हुई हैं। पुस्तकें हमारे जीवन में बहुत महत्व रखती हैं। एक अच्छी किताब हमारे जीवन को बेहतर बना सकती है।

हमारे जीवन में पुस्तकों का महत्व:

यहाँ बताया गया है कि विभिन्न प्रकार की पुस्तकें हमें जीवन में कैसे मदद करती हैं:

यात्रा पुस्तकें : यात्रा की पुस्तकों में विभिन्न यात्रियों के अनुभव शामिल हैं। वे हमें कथाकार की नजर से दुनिया भर के विभिन्न स्थानों से परिचित कराते हैं। इन पुस्तकों से अक्सर यात्रियों को यह जानने में मदद मिलती है कि किसी विशेष स्थान पर जाने पर सभी को क्या देखना है। जो लोग यात्रा करना पसंद करते हैं, लेकिन किसी कारण से ऐसा करने में असमर्थ होते हैं, वे इन पुस्तकों के माध्यम से विभिन्न स्थानों पर जाने का आभासी अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

इतिहास की पुस्तकें : इतिहास की किताबें हमें अपनी जड़ों के करीब ले जाती हैं। विभिन्न देशों के इतिहास अलग-अलग युगों के लेखकों द्वारा विभिन्न पुस्तकों में अंतर्निहित हैं। उसी के बारे में जानने के इच्छुक लोग इन पुस्तकों को पढ़ सकते हैं।

प्रौद्योगिकी पुस्तकें :  प्रौद्योगिकी आज के समय में बात है। प्रौद्योगिकी पर पुस्तकें हमें हमारे आसपास के नए तकनीकी विकासों के बारे में जानने में मदद करती हैं। प्रौद्योगिकी अपने आप में एक विशाल विषय है। प्रौद्योगिकी पर पुस्तकों में विभिन्न प्रौद्योगिकी संचालित उपकरणों के विभिन्न तकनीकी पहलुओं के बारे में जानकारी है।

फैशन और जीवन शैली की किताबें :  फैशन और जीवन शैली की किताबें हमें फैशन और जीवन शैली की दुनिया का पता लगाने में मदद करती हैं। जबकि इनमें से कुछ किताबें नवीनतम फैशन और जीवन शैली के रुझानों के बारे में जानने में मदद करती हैं, जबकि अन्य हमें अलग-अलग युगों और विभिन्न स्थानों में प्रचलित फैशन रुझानों से परिचित कराते हैं।

स्वयं सहायता पुस्तक :  कई सीखा लेखकों ने मानव मनोविज्ञान का गहराई से अध्ययन किया है और लोगों को उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए स्व सहायता पुस्तकें लिखी हैं। एक संचार कौशल में सुधार, मित्रों को जीतने, पैसा बनाने, व्यक्तित्व को बढ़ाने और कई अन्य विषयों पर पुस्तकें बाजार में उपलब्ध हैं। इन्हें पढ़ने से वास्तव में किसी व्यक्ति में सकारात्मक बदलाव आ सकता है।

प्रेरक / प्रेरणादायक पुस्तकें : कई प्रेरक और प्रेरणादायक किताबें लोगों को प्रेरित करने और उनमें सर्वश्रेष्ठ लाने के लिए प्रेरित करने और जीवन में अच्छा करने में मदद करने के लिए लिखी गई हैं।

फिक्शन की किताबें :  विभिन्न विषयों पर गैर-फ़िक्शन पुस्तकों के अलावा, विभिन्न शैलियों पर असंख्य फ़िक्शन पुस्तकें उपलब्ध हैं। ये पुस्तकें मनोरंजन का एक बड़ा स्रोत हैं। इनमें से कई किताबें प्रेरणादायक भी हैं।

इस प्रकार, पुस्तकें व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। एक व्यक्ति जो नियमित रूप से किताबें पढ़ता है, उसके पास एक अच्छा व्यक्तित्व होता है और यह उन लोगों की तुलना में अधिक आश्वस्त होता है जो इसे नहीं करते हैं।

किताब पर निबंध, 500 शब्द :

एक सबसे अच्छा दोस्त वह होता है जो हममें सर्वश्रेष्ठता लाता है और हमेशा हमारी तरफ होता है। पुस्तकों को एक व्यक्ति का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता है क्योंकि वे इन दोनों गुणों के अधिकारी होती हैं और बहुत कुछ प्रदान करती हैं। पुस्तकें हमारे ज्ञान को बढ़ाती हैं, हमारी दृष्टि का विस्तार करती हैं, और विभिन्न दृष्टिकोणों से चीजों को देखने की क्षमता प्रदान करती हैं, हमारी रचनात्मक शक्ति को बढ़ाती हैं और बहुत कुछ करती हैं।

हमारे लिए पुस्तकें सर्वश्रेष्ठ हैं:

एक सबसे अच्छे दोस्त की तरह, किताबें हम में सर्वश्रेष्ठ को सामने लाती हैं। पुस्तकें ज्ञान की प्रचुरता प्रदान करती हैं। जीवन में अच्छा करने और एक बेहतर इंसान बनने के लिए, हमें अपने ज्ञान को बढ़ाने की आवश्यकता है जो बदले में हमें समझदार बनने में मदद करता है।

एक व्यक्ति जो पढ़ने की आदत विकसित करता है, वह समय के साथ इन दोनों को प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा, किताबें हमें एक कल्पनाशील दुनिया में ले जाती हैं और हमारी रचनात्मकता को बढ़ाती हैं। वे आत्मविश्वास बनाने में मदद करते हैं। हम चीजों के बारे में अधिक जागरूक हो जाते हैं और विभिन्न परिस्थितियों को संभालने में बेहतर बन जाते हैं। आखिर में, किताबें हमारे लिए सबसे अच्छे दोस्त की तरह होती हैं जो हमारे लिए परवाह करती है और हमें पूरे दिल से जीवन में अच्छा करते देखना चाहती है।

किताबें हमेशा हमारी तरफ होती हैं:

एक अच्छे दोस्त की तरह, किताबें हमें कभी नहीं छोड़ती हैं। वे हमेशा हमारी ओर होती हैं चाहे हम कहीं भी हों। ऐसा कहा जाता है कि किताबें पढ़ने की आदत विकसित करने वाला व्यक्ति कभी अकेलापन या ऊब महसूस नहीं कर सकता है। यह सबसे अच्छा दोस्त होने के समान है।

यदि आपके पास करने के लिए कुछ नहीं है, तो आप एक पुस्तक निकाल सकते हैं और पढ़ सकते हैं। यदि आप अकेले यात्रा कर रहे हैं, तो बस आपको कंपनी देने के लिए एक किताब ले लो। यदि आप एक बारिश के दिन अकेले हैं, तो बस एक किताब खोलें और इसे पढ़ें। अब आप अकेलापन महसूस नहीं करेंगे। यदि आप ऊब महसूस कर रहे हैं क्योंकि आपके पास कोई बात करने के लिए नहीं है, तो एक किताब पढ़ें। इसलिए, किताबें हमेशा आपके बचाव के लिए होती हैं, जैसे एक सबसे अच्छे दोस्त से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह की स्थिति में हैं।

पुस्तकें हमें सही दिशा में निर्देशित करती हैं:

किताबें न केवल बोरियत को मारती हैं और हमारे ज्ञान और रचनात्मकता को बढ़ाती हैं वे उत्कृष्ट भी हैं जब यह सलाह लेने की बात आती है। कई स्व सहायता और प्रेरक पुस्तकें हैं जो हमें सही दिशा में सहायता और मार्गदर्शन करती हैं।

जब भी हमें एक कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ता है, तो समझदारी से कार्य करने के तरीके को समझने के लिए ऐसी पुस्तकों को पढ़ना सबसे अच्छा है। यहां, आपको उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों से एक सलाह मिलेगी जिन्होंने जीवन को गहराई से खोजा है।

यह यादृच्छिक रिश्तेदारों और दोस्तों से सलाह लेने से बेहतर है। कई लोगों ने इस तरह की किताबें पढ़कर अपने जीवन को बेहतर बनाया है। एक अच्छे दोस्त की तरह, ऐसी किताबें हमें सही राह पर चलने के लिए मार्गदर्शन करती हैं।

इस प्रकार, किताबें निश्चित रूप से हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं। वे हमारे जीवन को अधिक अर्थ देने में मदद करते हैं। बदले में बिना कुछ मांगे हमेशा किताबें हमारी तरफ से रहती हैं। वे हमारा मनोरंजन करती हैं जब हम ऊब और अकेला महसूस करते हैं और ज़रूरत के घंटे के दौरान हमारा मार्गदर्शन करती हैं। हम उन पर हर समय भरोसा कर सकते हैं जैसे हम अपने सबसे अच्छे दोस्त पर भरोसा कर सकते हैं।

किताब पर निबंध, Essay on book in hindi (600 शब्द)

किताबें पढ़ने से कई फायदे मिलते हैं। यही कारण है कि बच्चों को कम उम्र से पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया जाता है। बाजार में विभिन्न शैलियों की किताबें उपलब्ध हैं। कोई भी व्यक्ति उस विषय को चुन सकता है जो उसे रुचिकर बनाता है और इसके ज्ञान का विस्तार करता है इसके अलावा इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले विभिन्न अन्य लाभों का आनंद लेता है।

किताबें पढ़ने के फायदे:

किताबें पढ़ने के कुछ फायदे इस प्रकार हैं:

ज्ञान को बढ़ाती है :  पुस्तकें ज्ञान का एक भंडार है जो आसानी से कब्रों के लिए तैयार है। विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें उपलब्ध हैं। इन्हें पढ़ना हमारे ज्ञान को बढ़ाने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है।

समझदार बनाती है : विभिन्न चीजों के बारे में ज्ञान होना और समझदार होना दो अलग चीजें हैं। पुस्तकें न केवल विभिन्न विषयों के बारे में ज्ञान प्रदान करती हैं, बल्कि हमें समझदार भी बनाती हैं। किसी विशेष विषय के बारे में पढ़ना हमें इसके बारे में गहन ज्ञान देता है और इससे संबंधित किसी भी चीज़ से निपटने के लिए ज्ञान प्रदान करता है।

बोरियत ख़त्म करती हैं : जिस व्यक्ति को पढ़ने की आदत होती है वह कभी भी ऊब नहीं सकता है या अकेला महसूस नहीं कर सकता है। किताबें हमारी सबसे अच्छी साथी हैं। बदले में बिना कुछ मांगे वे हमेशा निस्वार्थ भाव से हमारी तरफ से हैं। ऊब कभी भी पढ़ने की आदत विकसित करने वाले व्यक्ति को नहीं छू सकती है। उसे कंपनी देने के लिए एक अच्छी किताब की जरूरत है।

ब्याज का पता लगाने में मदद करती है : विभिन्न विषयों पर कई किताबें बाजार में और दुनिया भर के पुस्तकालयों में उपलब्ध हैं। किसी की रुचि का पता लगाने के लिए विभिन्न विषयों के बारे में पढ़ना एक अच्छा विचार है।

जितना अधिक हम पढ़ते हैं, उतना ही हमें यह पता चलता है कि हमें किस क्षेत्र में अधिक रुचि है। यह हमारे करियर विकल्प को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।

रचनात्मकता बढ़ाती है : काल्पनिक पुस्तकें हमें कई पात्रों से परिचित कराती हैं और विभिन्न स्थितियों को सामने रखती हैं। इन पुस्तकों को पढ़ते समय हमें विभिन्न प्रकार की काल्पनिक स्थितियों का सामना करना पड़ता है।

वे हमें अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग तरीकों से निपटने की बुद्धि देते हैं। पढ़ना हमें एक काल्पनिक दुनिया में ले जाता है और हमारी रचनात्मकता को बढ़ाने में मदद करता है।

शब्दावली में सुधार करती है :  यह बिना कहे चला जाता है कि जितनी अधिक पुस्तकें हम सीखते हैं उतने अधिक शब्द पढ़ते हैं और इससे हमारी शब्दावली में सुधार होता है। यह एक अच्छा विचार है कि हम पढ़ते समय नए शब्दों को रेखांकित करें और अपनी शब्दावली को व्यापक बनाने के लिए उनके अर्थ की तलाश करें।

पढ़ना और लेखन कौशल में सुधार : किताबें पढ़ने से हमारे पढ़ने के कौशल में भी सुधार होता है। हम जितना अधिक धाराप्रवाह पढ़ते हैं और तेजी से हम उस पर पहुंचते हैं। इसके अलावा, जो व्यक्ति अच्छी तरह से पढ़ा-लिखा है, वह लिखने में भी अच्छा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके पास एक समृद्ध शब्दावली है और उनके पास व्यापक ज्ञान के रूप में बेहतर विचार हैं और रचनात्मकता को बढ़ाते हैं।

आत्मविश्वास बढ़ाती है : जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, पढ़ना हमारे ज्ञान को बढ़ाता है। एक व्यक्ति जो अधिक जानकार है वह निश्चित रूप से अधिक आश्वस्त है। जब वह समूह चर्चाओं, वाद-विवाद और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं के साथ-साथ साक्षात्कार के दौरान भाग लेने के लिए बेहतर होता है।

नया परिप्रेक्ष्य देती हैं  : पढ़ना हमें विभिन्न चीजों के बारे में एक नया दृष्टिकोण देता है। हम लेखकों के साथ-साथ पात्रों के दृष्टिकोण से चीजों को देखने में सक्षम हैं। इससे जीवन के बारे में गहरी समझ मिलती है। जब एक समस्या का सामना करना पड़ता है, तो एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति विभिन्न कोणों से चीजों को देख सकेगा और फिर निष्कर्ष पर पहुंचने के बजाय उस पर कार्य कर सकेगा।

व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव : अच्छी किताबें पढ़ने से व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एक व्यक्ति जो अच्छी तरह से पढ़ा है, सांसारिक बुद्धिमान, आत्मविश्वास और रचनात्मक है, निश्चित रूप से एक बेहतर व्यक्तित्व होगा।

इस प्रकार, हम देखते हैं कि किताबें पढ़ने से कई लाभ मिलते हैं। यह हमें आश्वस्त करती है, हमारी शब्दावली में सुधार करती है, हमारे पढ़ने और लेखन कौशल को बढ़ाती है, हमें जीवन के बारे में एक नया दृष्टिकोण देती है, ज्ञान को बढ़ाती है, हमें बुद्धिमान बनाती है और हमारे समग्र व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। एक व्यक्ति जो अच्छी तरह से पढता  है, वह समृद्ध होता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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bahut achha lga padhkar

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पुस्तकों का महत्व पर निबंध- Essay on Importance of Books in Hindi

In this article, we are providing information about Importance of Books in Hindi- Essay on Importance of Books in Hindi Language. पुस्तकों का महत्व पर निबंध- Pustako Ka Mahatva Par Nibandh. Chekout article on Pustak ki Atmakatha

Essay on Importance of Books in Hindi

पुस्तकों का महत्व पर निबंध- Essay on Importance of Books in Hindi

( Essay-1 ) Pustak Ka Mahatva Par 10 Lines | 10 Lines on Importance of books in Hindi Essay

1. पुस्तके हमारी सबसे अच्छी मित्र होती हैं, जो की हमे अनमोल ज्ञान देती हैं।

2. पुस्तके पढने से ही हमे सही और गलत की पहचान होती है।

3. पुस्तक पढ़ने से ही हमारे सोचने की और समझने की शक्ति बढ़ती है।

4. एक अच्छी पुस्तक हमे एक अच्छा इंसान बनाती हैं।

5. पुस्तके पढ़ने से ही, हम दूसरे की गलती से सीखने का मौका भी मिलता है।

6. कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की दोस्ती किताबो से हो जाती है, उसको किसी अन्य दोस्तो की जरूरत नहीं पड़ती हैं।

7. इस दुनियां में, सब कुछ चोरी किया जा सकता है लेकिन ज्ञान को चोरी नही किया जा सकता है।

8. गीता और कुरान जैसी पुस्तकों को पढ़कर हम अपने आप को बहुत बारीकी से जान सकते हैं।

9. किताबो के ज्ञान से ही, कोई भी इंसान धनवान और महान बन सकता है।

10. जैसे खाना जरूरी होता है वैसे ही हमारे दिमाग के लिय किताबो का ज्ञान जरूरी होता है।

जरूर पढ़े-

Essay on Importance of Education in Hindi Parishram Ka Mahatva Nibandh Meri Priya Pustak Par Nibandh 10 Lines on Teacher in Hindi

( Essay-2 ) Pustak Ka Mahatva Par Nibandh ( 250 words )

पुस्तक हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं । पुस्तकों के माध्यम से हमें ज्ञान प्राप्त होता हैं । छात्रों के जीवन में भी पुस्तक बहुत महत्त्वपूर्ण होती हैं । पुस्तकों की मदद से छात्र परीक्षा पास करते हैं और आगे बढ़ते हैं।‌ पुस्तक हमारे सबसे अच्छे मित्र होती हैं । प्रेरणादायक पुस्तकें हमारे जीवन को सफल बनाने में मदद करती हैं । पुस्तक पढ़ने से हमारे खाली समय का सदुपयोग होता हैं । पुस्तक पढ़कर हमारा शब्दकोश बढ़ता हैं ‌। किताबों के वजह से हमें पुरानी घटनाओं का पता चलता हैं ।

आज ऑनलाइन पुस्तक पढ़ने का विकल्प भी उपलब्ध हैं । लोग ई-बुक पढ़ना बहुत पसंद करते हैं । ई-बुक आप बाहर ट्रॅव्हल करते समय या आपके पास कभी पुस्तक नहीं हो तब पढ़ सकते हैं । पुस्तक‌ पढ़ने से हमारी लिखावट में बहोत सुधार आता हैं । जब हमें किसी विषय की जानकारी चाहिए होती हैं तब हमें पुस्तकों की मदद लेनी पड़ती हैं । पुस्तकों से हमें जो ज्ञान प्राप्त होता हैं वह हमें जीवनभर काम आता हैं । रोजाना पुस्तक पढ़ने से दिमाग मानसिक रूप से उत्तेजित रहता हैं ।

पुस्तक पढ़ने से हमारा तनाव कम होने में भी मदद मिलती हैं । पुस्तक पढ़ने से हमारी मेमरी मजबूत होती हैं ‌। पुस्तक पढ़ने से एकाग्रता बढ़ाने में मदद होती हैं। हम जैसे जैसे पुस्तक पढ़ते जाते हैं वैसे वैसे हमारा आत्मविश्वास बढ़ने लगता हैं । पुस्तक पढ़ने से हमें अच्छी नींद आती हैं। पुस्तक मनोरंजन का साधन भी हैं । आप आपके खाली समय में कहानी जैसे पुस्तक पढ़कर मनोरंजन कर सकते हैं ।

( Essay-3 ) Importance of Books Essay in Hindi | पुस्तकों का महत्व पर निबंध ( 300, 400 words )

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जो एक समाज में रहता है जिसमें रहने के लिए उसे बहुत सी बातों का ग्यान होना चाहिए। पुस्तकें हमें ग्यान देती है वह ग्यान का सागर है। किसी भी विषय के बारे में जानने के लिए पहले गुरू या लोग ही प्रमुख साधन होते थे लेकिन अब सभी बातें पुस्तकों में होती है जिन्हें पढ़कर मनुष्य का सामाजिक और मानसिक विकास होता है।

पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती है वह हमें सभ्य बनने में सहायता करती है। पुस्तक हमारा मार्गदर्शन करती है। जब भी हम किसी मुसीबत में होते है तो पुस्तक हमें रास्ता दिखाती है और हमें सलाह देती है। पुराने मंदिर और इतिहास की चीजें नष्ट हो जाती है लेकिन हमारी किताबों में सब कुछ बहुत सुरक्षित है जिससे कि हर व्यक्ति अपने इतिहास के विषय में जान सकते है और उसपर गर्व महसूस कर सकते हैं। गीता, रामायण आदि जैसी पुस्तकों को पढ़कर मन को परम शांति का अनुभव होता है। आज के समय में पुस्तकें बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। हर विषय की अपनी किताब है जिससे कि हम बिना किसी उलझन से अपने पसंदीदा विषय के बारे में ग्यान प्राप्त कर सकते हैं। पुस्तकें हमारे लिए बहुत ही उपयोगी है और इनमें लिखी हर बात जीवन के किसी न किसी पड़ाव में अवश्य काम आती है। पुस्तकों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है वो हमें संस्कार और ग्यान देकर एक अच्छा इंसान बनाती है।

पुस्तकों के बिना मनुष्य बहुत सी बातों से अंजान रह जाता है। हम जब चाहे तभी हर विषय के बारे में पढ़ सकते है और हमें इसके लिए किसी व्यक्ति का इंतजार नहीं करना पड़ता। पुस्तक ग्यान अर्जित करने का सबसे सरल और सस्ता साधन है और इसके लिए हमें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।

पुस्तकें अमर है उनका कभी निधन नहीं होता है। बहुत सी प्राचीन किताबों को लिखने वालों का निधन हो गया लेकिन उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें आज भी जीवित है और हमारा मार्गदर्शन करती है। पुस्तक हर व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारती है और उसके दृष्टिकोण में भी बदलाव लाती है। पुस्तक पढ़ने वाल् व्यक्ति को हर मुसीबत का हल मिल जाता है क्योंकि उसकी स्थिति से मिलती जुलती स्थिति के विषय में उन्होंने कहीं न कहीं पड़ा होता है। यह हमारी सहयोगी होती है। जब हम अकेले होते हैं पुस्तकें हमीरे मनोरंजन का साधन भी बनती है।

( Essay-4 ) Pustak Ka Mahatva Essay in Hindi ( 500 words )

प्रस्तावना

पुस्तक मनुष्य की एक अच्छी साथी होती है। पुस्तक एक ऐसे दीये के समान है जो की मनुष्य की अंधकारमय ज़िंदगी को ज्ञान की रोशनी से भर देता है। अब्राहम लिंकन के अनुसार ” किताबें आदमी को ये बताने के काम आती है कि उसके मूल विचार आखिरकार इतने नये भी नहीं है। ”

वर्तमान समय में हमारे जीवन में पुस्तकों का बहुत महत्व है।पुस्तकें मनुष्य को एक अच्छे मार्गदर्शक के रूप में पथ प्रदर्शन करती है। पुस्तकें एक अच्छे दोस्त की तरह जीवन भर मनुष्य का साथ देती है। पुस्तकें छात्रों , व्यस्को , वृद्धो आदि सभी के लिए महत्व रखती है।

पुस्तकों का महत्व ( Pustak Ka Mahatva )

हम सभी जानते है कि पुस्तकें मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व रखती है। ज्ञान के बिना मनुष्य एक पशु के समान है और पुस्तकें मनुष्य को ज्ञान प्रदान करने के एक अतुल्य साधन है। पुस्तकें हमे आस पास कि दुनिया को समझने व् सही गलत का का ज्ञान प्रदान करने में सहायता करती है। पुस्तकें पढ़ने से मनुष्य के व्यवहार में गुणात्मक परिवर्तन आते है जो कि मनुष्य को उसके उसके लक्ष्य प्राप्ति में सहायता करते है। यदि कोई भी व्यक्ति एक बार बार पुस्तक पढ़ना शुरू कर देता है तो वह इसे अपनी आदत बना लेता है। जिससे व्यक्ति का भावात्मक , रचनातमक , सामाजिक विकास होने में मदद मिलती है।

जिस प्रकार एक छात्र के लिए शिक्षक आवश्यक है ठीक उसी प्रकार छात्र के पुस्तक भी आवश्यक है। पुस्तकों के द्वारा छात्रों कि पठन पाठन प्रक्रिया आसान हो जाती है। इसके साथ ही छात्र पुस्तकों की सहायता से ध्यान एकाग्र करके पढ़ भी पाते है। रोजाना किताबें पढ़ने से छात्रों कि शब्दावली और भाषा कौशल का भी विकास होता है।

पुस्तकों के नियमित अध्ययन से मानसिक तनाव को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही साथ नियमित रूप से पुस्तक पढ़ने पर याद करने की क्षमता भी बढ़ी है। हम जैसे जैसे पुस्तकों को नियमित रूप से पढ़ना शुरू कर देते है वैसे वैसे हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आने शुरू हो जाते है। पुस्तकें पढ़ने से हमारे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है इसके अलावा पुस्तकों हमारे लिए मनोरंजन का साधन भी है। जो भी व्यक्ति प्रतिदिन पुस्तक पढ़ते है उन्हें कभी भी नींद न आने की समस्या से जूझना नहीं पड़ता है।

वर्तमान समय में ई- पुस्तकों का बहुत महत्व है। आजकल लोग ई- पुस्तकों को पढ़ना बहुत अधिक पसंद कर रहे है। ई- पुस्तक वर्तमान समय में बहुत सुविधा जनक है इन्हे कही भी और कभी भी आसानी से पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष

पुस्तकें मनुष्य के विकास हेतु बेहद आवश्यक है। पुस्तकों के अध्ययन से मनुष्य को सही व् गलत की पहचान करने का ज्ञान प्राप्त होता है। इसके साथ ही पुस्ते पढ़ना मनुष्य को समय का सदुपयोग करना भी सिखाता है। हमारे आस पास अनेक प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध है जो की अच्छी भी है और बुरी भी है। मनुष्य को अपनी आवश्यकता अनुसार अच्छी पुस्तकों का चुनाव करके ही पढ़ना चाहिए। जिससे की मनुष्य अपना सर्वांगीण विकास कर सके।

FAQs- Pustak Ka Mahatva | पुस्तक का महत्व

Q- हमारे जीवन में पुस्तक का क्या महत्व है? उत्तर- पुस्तक पढ़ने से हमें जीवन के लिए मार्गदर्शन मिलता है।

Q-पुस्तकों से हमें कितनी जानकारी मिल सकती है? उत्तर-यह बात आप पर निर्भर करती हैं, आप जितनी ज्यादा पुस्तक पढ़ेंगे उतनी आपको जानकारी मिलेगी।

Q- विद्यार्थी के जीवन में पुस्तकों का महत्व क्या है? उत्तर-विद्यार्थी को पुस्तक पढ़ने से ज्ञान की बातें मिलती है और यह पुस्तकों से पाया ज्ञान विद्यार्थी को ज़िन्दगी में बहुत काम आता है।

Q-पुस्तक के बिना मनुष्य का जीवन कैसा है? उत्तर- पुस्तक के बिना मनुष्य का जीवन अंधकार है।

Q-हमें कौन-कौन सी पुस्तकें पढ़नी चाहिए? उत्तर-हमें मोटिवेशनल और धार्मिक पुस्तक पढ़नी चाहिए।

Q- हमें कितनी उम्र से पुस्तकें पढ़नी चाहिए? उत्तर-15 साल के बाद आप कोई भी पुस्तक पढ़ सकते हैं, लेकिन अगर आपको पुस्तके बहुत पसंद है तो आप 15 साल से पहले भी पुस्तक पढ़ सकते हैं।

Q-क्या पुस्तके हमारे दिमाग पर बुरा प्रभाव भी डालती हैं? उत्तर- यह बात पढ़ने वाले व्यक्ति पर निर्भर करती है कि वह किस तरह की बुक पड़ता है। अगर हम अच्छी पुस्तक पढ़ेंगे, तो हमें अच्छी सीख मिलेगी। अगर गलत पुस्तक पढ़ेंगे, तो हमारे दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

# Importance of Books Essay in Hindi

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8 thoughts on “पुस्तकों का महत्व पर निबंध- Essay on Importance of Books in Hindi”

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Please make it shorter.

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please make it shoter

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It’s nice. Thank You…..

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Please make it shote

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very good essay thanks friend!!

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Thanks for this contant however I advise that you make this paragraph a little more good in the literature so that this can be used by senior level work also.

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Thanks Sir??

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Thank you it was so easy for my examination properse for SA writing thank you

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10 मोटिवेशनल किताबें जो आपको ज़रूर पढ़नी चाहिएं

एक उत्तम निबंध कैसे लिखें.

Last Updated: May 9, 2017 By Gopal Mishra 11 Comments

निबंध कैसे लिखें?

How to write an essay in hindi.

निबंध लिखने का तरीका समझने से पहले यह जानना आवश्यक है कि “निबंध क्या है?” और उसके तत्त्व कौन से हैं व सफल निबन्ध की कसौटी क्या है? तत्पश्चात ही उच्च गुणवत्ता का निबन्ध लेखन किया जा सकता है।

rummy gold

निबंध क्या है?

हिंदी के प्रमुख साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने निबन्ध को परिभाषित करते हुए कहा है-

निबन्ध लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है।

उपरोक्त परिभाषा से दो तथ्य तो स्पष्ट हो जाते हैं कि निबन्ध लेखक के मन की प्रवृत्ति के अनुरूप  ही होना चाहिए और निबन्ध का लेखन स्वच्छन्द गति पर आधारित हो अर्थात निबन्ध लेखक के व्यक्तित्त्व को, उसके मानसिक चिन्तन को शत-प्रतिशत उजागर करता हो। यानी निबंध ऐसा लिखना चाहिए कि लेखक का चिंतन, वैचारिक स्तर, विषय पर उसकी स्वयं की विचारधारा स्पष्ट हो जानी चाहिए।

यानि हम कह सकते हैं कि-

Rummy Perfect

निबंध, लेखक के व्यक्तित्व को प्रकाशित करने वाली ललित गद्य-रचना है।

इसके अतिरिक्त लेखक को नदी की धारा सम स्वच्छन्दता से बहना चाहिए, किसी अन्य के मत से प्रभावित हुए बिना। लेखक का व्यक्तिगत परिचय या स्वार्थ विषय-वस्तु को प्रभावित न करे- यह अत्यन्त आवश्यक है। ज़रूरी नहीं कि आप जो भी लिखें वो सभी को स्वीकार्य हो, ज़रूरी ये है कि आप निष्पक्ष हो कर लिखें क्योंकि निष्पक्षता ही किसी निबंध की प्रथम और अंतिम कसौटी है।

कुछ अन्य बातों की ओर भी निबन्ध लेखक का ध्यान हो, जैसे-

  • पाठक को निबन्ध पढ़ते हुए सहभागिता का अनुभव हो
  • लेखक के विचार पाठक को सरलता से समझ आने चाहियें
  • जहाँ तक संभव हो लेखक के अनुभव पाठक को आप-बीते अनुभव हों

वस्तुतः किसी भी निबन्ध की सफलता इसी तथ्य पर निर्भर करती है कि पाठक उससे कितनी आत्मीयता अनुभव करते हैं।

निबन्ध कैसे लिखें?

मूलतः हमारा विषय यह था कि “ निबन्ध कैसे लिखें “। एक आप-बीती बताती हूँ -शिक्षण जगत में प्रवेश किया ही था कि एक निराश कर देने वाला अनुभव हुआ। परीक्षा के पश्चात एक विद्यार्थी से परीक्षा संबंधित वार्तालाप करते हुए कहा,” निबन्ध छोड़ आया क्योंकि याद किया हुआ नहीं आया।” मैं अचंभित होते हुए उससे पूछ बैठी,” निबन्ध को भी याद करना होता है क्या?” उसने कोई उत्तर नही दिया।

काफी विचार-मंथन के पश्चात मुझे सम्पूर्ण शिक्षण-प्रक्रिया में यह खामी नज़र आयी कि हम शायद यह समझ ही नहीं पाए थे कि पाठ्यक्रम में निबन्ध-लेखन क्यों जोड़ा गया है। कक्षा में छात्रों का वाद-विवाद होने पर प्रायः यह कहा करती थी कि अगर अपने विचारों को स्पष्ट नहीं कर पा रहे और विवाद का हल हिंसा में खोजते हो तो सारी शिक्षण – व्यवस्था ही  असफल है।विचारों को उचित तरीके से स्पष्ट कर पाने की कला को सीखना  ही निबन्ध-लेखन का मूल मंतव्य है।

मित्रों, निबंध कैसे लिखें  समझने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि-

पाठ्यक्रम में निबन्ध – लेखन को क्यों समाहित किया गया :

1.  विद्यार्थी अपने विचारों को एकत्र करना सीख पाए। 2. विचारों को संतुलित तरीके से व्यक्त कर पाएं। 3. भाषा को उपयुक्त रूप से प्रयोग करना सीख पाएं। 4. किसी भी विषय पर छात्रों के स्वयं के विचार हों। 5. उनका वैचारिक स्तर निश्चित हो सके। 6. संवेदनात्मक व वैचारिक स्तर पर परिपक्व हो सके। 7. वे अपने विचारों को सकारात्मक दिशा दे पाए। 8.  अपने विचारों को दृढ़ता से रखना सीख सके। 9. आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित हो सके। 10.रटन्तू तोता न बन विचारशील प्राणी बन सके।

अब प्रश्न यह उठता है कि निबन्ध किस प्रकार लिखे जाने चाहियें।

निबन्ध लिखते हुए छात्रों को इन बातों पर ध्यान देना चाहिए-

1) निबंध के विषय पर अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करें, इसके लिए आप इन्टरनेट और पुस्कालयों की मदद ले सकते हैं। आप अपने शिक्षक से भी विषय सम्बंधित किताबों या लेखों के बारे में जानकारी ले सकते हैं। यदि आप किसी परिभाषा या वक्तव्य को प्रयोग करना चाहते हैं तो उसे लिख लें और उसका स्रोत भी नोट कर लें। विशेषकर आपकी सोच को बल देती महापुरुषों की उक्तियाँ अवश्य लिख  कर याद कर लें।

ध्यान रहे कि अध्यन करने के पीछे का उद्देश्य चीजों को रटना नहीं बल्कि अपने ज्ञान को बढ़ाना और अपनी एक सोच विकसित करना है।

2) पहले से लिखे उत्कृष्ट निबंधों का अध्यन करें। ऐसा करते हुए आपको एक अच्छे निबन्ध के प्रारूप को समझना है। यहाँ यह भी ज़रूरी नहीं कि आप उसी विषय पर निबंध पढ़ें जिसपर आपको खुद लिखना है, आप किसी भी विषय पर लिखा अच्छा निबंध पढ़कर अपना लेखन सुधार सकते हैं।

3) अपने विषय को लेकर आपने जो विचार बनाए हैं उसकी अपने मित्रों या परिवारजनों से चर्चा करें। चर्चा से निकले प्रमुख बिन्दुओं को नोट कर लें और सही हो तो उनका निबंध में प्रयोग करें।

4) निबन्ध लिखने से पहले उसकी एक रूपरेखा बना लें: आरम्भ, मध्य व अंत मे क्या-क्या लिखना है सोच लें और किसी अन्य पेज पर बुलेट पॉइंट्स में लिख लें।

5) निबंध की भाषा सरल व स्पष्ट हो।

6) लेखन शुद्ध , त्रुटि रहित हो।

7) रटा-रटाया न होकर मौलिक विषय-वस्तु हो।

8) अपने अनुभवों पर आधारित हो।

9) हर तथ्य क्रम में हो मसलन समस्या का अर्थ, कारण, दूर करने के उपाय ओर अंत मे उपसंहार-सभी बातें उचित क्रम में हों।

10) अनावश्यक विस्तार से बचें।

11) तथ्यों की पुनरावृत्ति न करें .

12) शीर्षक व उपशीर्षक को रेखांकित करें।

13) विषय से संबंधित किसी प्रसिद्ध कवि या महा-पुरुष की कोई उक्ति स्मृति में हो तो उसे अवश्य लिखें।

14) अंत मे दोबारा पढ़ कर उसमें आवश्यक सुधार करें और वर्तनी पर विशेष ध्यान दें।

इन तथ्यों को ध्यान में रखकर विद्यार्थी निबन्ध-लेखन में शत-प्रतिशत अंक ला सकता है। निबन्ध- लेखन सागर के समान गहरा अवश्य है पर उसमे उतरेंगे तो सफलता रूपी मोती अवश्य ही पाएंगे।

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लेखिका हिंदी प्रवक्ता

निबंध लेखन की कला सिखाते इस लेख के लिए हम  नीरू ‘शिवम’ जी के आभारी हैं। धन्यवाद!

AchhiKhabar.Com पर प्रकाशित निबंधों की सूची यहाँ देखें 

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November 27, 2022 at 8:30 pm

Didi thank you so much ?

August 3, 2021 at 4:51 pm

दीदी आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपके लेख को पढ़कर काफी प्रेरणा मिली कल मेरा शिक्षाशास्त्र परास्नातक द्वितीय वर्ष पंचम प्रश्नपत्र है आशीर्वाद दीजिएगा

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November 14, 2018 at 11:50 pm

Kya nibandh mE subject related diagram (chitra) banaya ja sakta h

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November 15, 2018 at 8:49 am

नहीं. लेकिन आप इन्फोग्रफिक या टेबल जैसा कुछ बना सकते हैं जिसमे निबंध से सम्बंधित बातें शोर्ट में बतायी गयी हों.

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March 8, 2018 at 10:36 pm

Aapne jo bhi baatein kahin hai wo hum jarur dhayan me rakhenge and thanks for your tips ma’am.

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February 25, 2018 at 12:00 am

Thanks for the tips ma’am…but I request to you ki hum log 3rd class k bacchho ko nibandh dikhana kaise sikhaye samay ki kami k Karan unless pass school books k bad time nahi hota…. please help

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December 28, 2017 at 7:49 pm

Very very thankful sir….

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May 18, 2017 at 10:06 pm

बहुत बढ़िया आर्टिकल स्टूडेंट के लिए बहुत ही फायदेमंद, निबंध से परीक्षा में अच्छे मार्क्स पाने का अवसर होता हैं.

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May 11, 2017 at 3:10 pm

Thanks for this Post sir….

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May 10, 2017 at 6:29 pm

Nice article… Sahi kaha aapne apne vicharon ko sahi tarah se spasht karne ki kala ko sikhna hi nibandh hai. Is article se sabhi students ko nibandh likhne me zarur laabh milega.

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May 10, 2017 at 2:46 am

परीक्षा में अच्छे अंक पाने में निबंध का अहम योगदान होता है और इसके लिए सभी students मेहनत भी करते है लेकिन फिर भी सबका रिजल्ट भिन्न होता है । नीरू जी आपके द्वारा बताएं गए टिप्स से यकीनन Students को बहुत मदद मिलेगी ।

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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Pustakalaya Essay : स्टूडेंट्स के लिए पुस्तकालय पर निबंध 

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  • Updated on  
  • जुलाई 4, 2024

Pustakalaya Essay in Hindi

पुस्तकालय एक ऐसी जगह है जहां किताबें और सूचना के स्रोत होते हैं। पुस्तकालय में किताबें, पत्रिकाएं, समाचार पत्र और बहुत कुछ शामिल हैं। पुस्तकालय के कई प्रकार होते हैं और यह स्टूडेंट्स के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अपने ज्ञान को बढ़ाने और अपने शोध आदि कार्यों को पूरा करने के लिए वे इन पुस्तकालयों में जा सकते हैं। पुस्तकालय से आप अपनी जरूरत के समय किताबें ले सकते हैं। हर स्कूल और कॉलेज में पुस्तकालय होता है जिसका महत्व समझना जरूरी है, इसलिए इस ब्लाॅग (Pustakalaya Essay in Hindi) में हम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए पुस्तकालय पर निबंध दे रहे हैं।  

This Blog Includes:

पुस्तकालय पर 100 शब्दों में निबंध, पुस्तकालय पर 200 शब्दों में निबंध, पुस्तकालय का महत्व, पुस्तकालय और शिक्षा के बीच संबंध, पुस्तकालय पर 10 लाइन्स.

100 शब्दों में Pustakalaya Essay in Hindi नीचे दिया गया है:

पुस्तकालय ज्ञान के अमूल्य भंडार होते हैं। पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार की पुस्तक पत्रिकाएं और डिजिटल संसाधन होते हैं जिनसे आप ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। पुस्तकालय छात्रों, विद्वानों और आम जनता की जरूरतों को पूरा करते हैं। किताबों से परे, पुस्तकालय अध्ययन, अनुसंधान और चिंतन के लिए शांत स्थान प्रदान करते हैं। ये बौद्धिक विकास और रचनात्मकता को बढ़ावा देते हैं। पुस्तकालय सामुदायिक केंद्र के रूप में भी काम करते हैं, वहां कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और शैक्षिक कार्यक्रमों की मेजबानी की जा सकती है। पुस्तकालय कंप्यूटर, इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल संसाधनों तक पहुंच प्रदान करके डिजिटल विभाजन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पुस्तकालय ज्ञान और संपर्क का केंद्र बिंदु होते हैं।

200 शब्दों में Pustakalaya Essay in Hindi निबंध नीचे दिया गया है:

पुस्तकालय वह स्थान है जहां लोग सीखने और ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक साथ आते हैं। पुस्तकों को बड़ी बुकशेल्फ़ पर व्यवस्थित किया जाता है। कुछ पुस्तकालयों में पुस्तकालय से जारी और प्राप्त पुस्तकों का ट्रैक रखने के लिए डिजिटल सॉफ़्टवेयर होते हैं। तकनीकी प्रगति के कारण, आजकल पुस्तकें ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध हैं। पाठक किंडल जैसे ऐप पर पुस्तक पढ़ सकते हैं लेकिन फिर भी पुस्तकालय की अपनी भूमिका है।

हर स्कूल छात्रों को पुस्तकालय में आने और किताबें पढ़ने के लिए विशिष्ट घंटे आवंटित करता है ताकि वे बचपन से ही पढ़ने की आदत डाल सकें। छात्र अपने असाइनमेंट या गर्मी की छुट्टियों के होमवर्क को पूरा करने के लिए पुस्तकालय से किताबें भी पढ़ते हैं।

पुस्तकालय के नियम और विनियम निर्धारित हैं। आम तौर पर, हमें बात करने की अनुमति नहीं होती है ताकि पाठक विचलित न हों और पढ़ने की उनकी गति न खो जाए। इसके अलावा, अगर पुस्तकालय से जारी की गई कोई किताब खो जाती है, क्षतिग्रस्त हो जाती है या उधारकर्ता से खो जाती है, तो उसे लाइब्रेरियन को जुर्माना देना पड़ता है। इस प्रकार, पुस्तकालय उन पुस्तकों के लिए एक उत्कृष्ट संसाधन है जो मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान और जानकारी भी फैलाती हैं।

पुस्तकालय ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के लिए अहम स्थान होते हैं। वे सूचना और ज्ञान के चाहने वालों के लिए एक समृद्ध स्थान होते हैं। पुस्तकालय में पुस्तकों, पत्रिकाओं और डिजिटल संसाधनों की एक विशाल श्रृंखला होती है।

Pustakalaya Essay in Hindi

पुस्तकालय पर 500 शब्दों में निबंध

500 शब्दों में Pustakalaya Essay in Hindi इस प्रकार है:

पुस्तकालय को ज्ञान का स्तंभ कहा जाता है। ये वर्षों से मानवता के लिए ज्ञान के स्त्रोत बने हुए हैं। कहा जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय का पुस्तकालय अपने समय का दुनिया में सबसे विशाल पुस्तकालय था। शिक्षा के स्थान युगों से आगे निकल गए हैं, जो ज्ञान के चाहने वालों को अमूल्य संसाधन प्रदान करते हैं। प्राचीन स्क्रॉल से लेकर डिजिटल अभिलेखागार तक पुस्तकालय प्रगति की गति के साथ विकसित हुए हैं। पुस्तकालय की वजह से छात्रों को उन पुस्तकों तक पहुंच भी आसानी से मिल जाती है जिन्हें वह सामान्य बाजार में नहीं खरीद सकते। 

पुस्तकालय का महत्व शिक्षा, संस्कृति और समुदाय की आधारशिला के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं। पुस्तकालय भविष्य की पीढ़ियों के लिए पुस्तकों, पांडुलिपियों और अन्य दस्तावेजों को संरक्षित करके मानवता के सामूहिक ज्ञान की रक्षा करते हैं। वे सांस्कृतिक विरासत के भंडार के रूप में कार्य करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि बहुमूल्य जानकारी और अंतर्दृष्टि समय के साथ नष्ट न हो जाएं।

पुस्तकालय विविध रुचियों और जरूरतों को पूरा करते हुए ढेर सारी जानकारी तक पहुंच प्रदान करते हैं। शैक्षणिक अनुसंधान से लेकर मनोरंजक पढ़ने तक, पुस्तकालय पुस्तकों, पत्रिकाओं, मल्टीमीडिया सामग्री और डिजिटल डेटाबेस सहित संसाधनों की एक विशाल श्रृंखला प्रदान करते हैं। पुस्तकालय साक्षरता को बढ़ावा देने और पढ़ने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कहानी सत्र, साक्षरता कार्यशालाएं और पुस्तक क्लब जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से, पुस्तकालय सभी उम्र के लोगों को साहित्य से जुड़ने और आवश्यक साक्षरता कौशल विकसित करने के लिए प्रेरित करते हैं। छात्र अपनी शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए पाठ्यपुस्तकों, सामग्रियों और अध्ययन संसाधनों तक पहुंच सकते हैं। पुस्तकालय सामुदायिक केंद्र के रूप में काम करते हैं, लोगों को विभिन्न गतिविधियों और आयोजनों के लिए एक साथ लाते हैं।

लेखक वार्ता और व्याख्यान से लेकर कला प्रदर्शनियों और कार्यशालाओं तक, पुस्तकालय कई सारे सीखने के अवसर प्रदान करते हैं। डिजिटल युग में, पुस्तकालय कंप्यूटर, इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल संसाधनों तक पहुंच प्रदान करके डिजिटल अंतर को भी कम करते हैं। वे व्यक्तियों को आवश्यक डिजिटल साक्षरता कौशल से सशक्त बनाते हैं और सूचना और प्रौद्योगिकी तक समान पहुंच सुनिश्चित करते हैं।

पुस्तकालयों और शिक्षा के बीच संबंध बहुत गहरा है। यह संबंध एक दूसरे को समर्थन देने और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पुस्तकालय छात्रों और शिक्षकों को पाठ्यपुस्तकों, अध्ययन सामग्री, विद्वान पत्रिकाओं और मल्टीमीडिया संसाधनों सहित संसाधनों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच प्रदान करते हैं। ये संसाधन अतिरिक्त जानकारी और सीखने के अवसर प्रदान करते हैं। पुस्तकालय अनुसंधान के लिए अमूल्य केंद्र के रूप में काम करते हैं, जो अकादमिक डेटाबेस विशेष संग्रह तक पहुंच प्रदान करते हैं।

छात्र और शिक्षक अपने शैक्षणिक प्रयासों के लिए अनुसंधान कर सकते हैं, डेटा एकत्र कर सकते हैं और विद्वान साहित्य तक पहुंच सकते हैं। पुस्तकालय साक्षरता को बढ़ावा देने और छात्रों के बीच पढ़ने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साक्षरता कार्यक्रमों, कहानी कहने के सत्रों और पुस्तक क्लबों के माध्यम से, पुस्तकालय सीखने के लिए जुनून पैदा करते हैं और छात्रों को पढ़ने और समझने के कौशल विकसित करने में मदद करते हैं।

पुस्तकालय छात्रों को जानकारी को प्रभावी ढंग से नेविगेट करने, गंभीर मूल्यांकन करने और गलत सूचना से विश्वसनीय जानकारी को समझना सिखाते हैं। आज के डिजिटल युग में पुस्तकालय छात्रों को कंप्यूटर, इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल संसाधनों तक पहुंच प्रदान करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि सभी छात्रों को उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, आधुनिक शिक्षा के लिए डिजिटल शिक्षण उपकरणों तक पहुंच प्राप्त हो। छात्र और शिक्षक समान रूप से व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए जीवन भर पुस्तकालयों से जुड़ सकते हैं।

पुस्तकालय पर 10 लाइन्स इस प्रकार है:

  • पुस्तकालय ज्ञान के भंडार होते हैं, जिनमें पुस्तकों, पत्रिकाओं और डिजिटल संसाधनों की एक विशाल श्रृंखला होती है।
  • वे भावी पीढ़ियों के लिए मानवता के सामूहिक ज्ञान को संरक्षित करते हुए, सांस्कृतिक भंडार के रूप में कार्य करते हैं।
  • पुस्तकालय शैक्षिक कार्यक्रमों और संसाधनों के माध्यम से साक्षरता और आजीवन सीखने को बढ़ावा देते हैं।
  • वे जानकारी तक पहुंच प्रदान करते हैं और विभिन्न विषयों में अनुसंधान प्रयासों का समर्थन करते हैं।
  • पुस्तकालय अध्ययन, चिंतन और शैक्षणिक गतिविधियों के लिए शांत स्थान प्रदान करते हैं।
  • वे कहानी सुनाने के सत्रों और पुस्तक क्लबों के माध्यम से पढ़ने और साहित्य के प्रति प्रेम को बढ़ावा देते हैं।
  • पुस्तकालय कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्टिविटी तक पहुंच प्रदान करके डिजिटल विभाजन कम करते हैं।
  • वे ऐसे सामुदायिक केंद्र के रूप में कार्य करते हैं, जहां कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और प्रदर्शनिया आयोजित की जा सकती हैं।
  • डिजिटल युग में आगे बढ़ने के लिए पुस्तकालय व्यक्तियों को आवश्यक सूचना साक्षरता कौशल प्रदान करते हैं।
  • पुस्तकालय अमूल्य संस्थान होते हैं जो जीवन को समृद्ध बनाते हैं, समुदायों को सशक्त बनाते हैं और मानवता की बौद्धिक विरासत को संरक्षित करते हैं।

पुस्तकालय शिक्षा प्रणाली का हृदय और आत्मा है। पुस्तकालय ज्ञान का प्रसार करता है और इसके कई उपयोग हैं। पुस्तकालय के उपयोग के आधार पर इसकी कई श्रेणियां हैं। कुछ पुस्तकालय निजी हैं, कुछ सार्वजनिक हैं जबकि कुछ सरकारी हैं। विद्यालय और पुस्तकालय ज्ञान के मंदिर हैं।

संबंधित ब्लाॅग्स 

पुस्तकालय पुस्तकों, पत्रिकाओं,  समाचार पत्रों, डिजिटल डेटाबेस, मल्टीमीडिया सामग्री और शैक्षिक उपकरणों सहित संसाधनों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं।

कई पुस्तकालय अपनी वेबसाइटों या लाइब्रेरी ऐप्स के माध्यम से ई-पुस्तकें, ऑडियोबुक, ऑनलाइन डेटाबेस और स्ट्रीमिंग सेवाओं जैसे डिजिटल संसाधनों तक पहुंच प्रदान करते हैं।  इन संसाधनों तक पहुंचने के लिए उपयोगकर्ताओं को अक्सर लाइब्रेरी कार्ड की आवश्यकता होती है।

हाँ, पुस्तकालय में अक्सर सभी उम्र के लोगों के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम किए जाते हैं, जिनमें लेखक वार्ता, पुस्तक क्लब, कहानी कहने के सत्र, कार्यशालाएँ, व्याख्यान, कला प्रदर्शनियाँ और शैक्षिक कार्यक्रम शामिल हैं।

उम्मीद है कि आपको Pustakalaya Essay in Hindi के संदर्भ में हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। निबंध लेखन के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) - छात्र जीवन में विभिन्न विषयों पर हिंदी निबंध (essay in hindi) लिखने की आवश्यकता होती है। हिंदी निबंध लेखन (essay writing in hindi) के कई फायदे हैं। हिंदी निबंध से किसी विषय से जुड़ी जानकारी को व्यवस्थित रूप देना आ जाता है और विचारों को अभिव्यक्त करने का कौशल विकसित होता है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने की गतिविधि से इन विषयों पर छात्रों के ज्ञान के दायरे का विस्तार होता है जो कि शिक्षा के अहम उद्देश्यों में से एक है। हिंदी में निबंध या लेख लिखने से विषय के बारे में समालोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। साथ ही अच्छा हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने पर अंक भी अच्छे प्राप्त होते हैं। इसके अलावा हिंदी निबंध (hindi nibandh) किसी विषय से जुड़े आपके पूर्वाग्रहों को दूर कर सटीक जानकारी प्रदान करते हैं जिससे अज्ञानता की वजह से हम लोगों के सामने शर्मिंदा होने से बच जाते हैं।

आइए सबसे पहले जानते हैं कि हिंदी में निबंध की परिभाषा (definition of essay) क्या होती है?

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कुछ सामान्य विषयों (common topics) पर जानकारी जुटाने में छात्रों की सहायता करने के उद्देश्य से हमने हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तथा भाषणों के रूप में कई लेख तैयार किए हैं। स्कूली छात्रों (कक्षा 1 से 12 तक) एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हिंदी निबंध (hindi nibandh), भाषण तथा कविता (useful essays, speeches and poems) से उनको बहुत मदद मिलेगी तथा उनके ज्ञान के दायरे में विस्तार होगा। ऐसे में यदि कभी परीक्षा में इससे संबंधित निबंध आ जाए या भाषण देना होगा, तो छात्र उन परिस्थितियों / प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर पाएँगे।

महत्वपूर्ण लेख :

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छात्र जीवन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के सबसे सुनहरे समय में से एक होता है जिसमें उसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वास्तव में जीवन की आपाधापी और चिंताओं से परे मस्ती से भरा छात्र जीवन ज्ञान अर्जित करने को समर्पित होता है। छात्र जीवन में अर्जित ज्ञान भावी जीवन तथा करियर के लिए सशक्त आधार तैयार करने का काम करता है। नींव जितनी अच्छी और मजबूत होगी उस पर तैयार होने वाला भवन भी उतना ही मजबूत होगा और जीवन उतना ही सुखद और चिंतारहित होगा। इसे देखते हुए स्कूलों में शिक्षक छात्रों को विषयों से संबंधित अकादमिक ज्ञान से लैस करने के साथ ही विभिन्न प्रकार की पाठ्येतर गतिविधियों के जरिए उनके ज्ञान के दायरे का विस्तार करने का प्रयास करते हैं। इन पाठ्येतर गतिविधियों में समय-समय पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) या लेख और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करना शामिल है।

करियर संबंधी महत्वपूर्ण लेख :

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निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति ही निबंध है।

अन्य महत्वपूर्ण लेख :

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आइए अब जानते हैं कि निबंध के कितने अंग होते हैं और इन्हें किस प्रकार प्रभावपूर्ण ढंग से लिखकर आकर्षक बनाया जा सकता है। किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) के मोटे तौर पर तीन भाग होते हैं। ये हैं - प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार।

प्रस्तावना (भूमिका)- हिंदी निबंध के इस हिस्से में विषय से पाठकों का परिचय कराया जाता है। निबंध की भूमिका या प्रस्तावना, इसका बेहद अहम हिस्सा होती है। जितनी अच्छी भूमिका होगी पाठकों की रुचि भी निबंध में उतनी ही अधिक होगी। प्रस्तावना छोटी और सटीक होनी चाहिए ताकि पाठक संपूर्ण हिंदी लेख (hindi me lekh) पढ़ने को प्रेरित हों और जुड़ाव बना सकें।

विषय विस्तार- निबंध का यह मुख्य भाग होता है जिसमें विषय के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। इसमें इसके सभी संभव पहलुओं की जानकारी दी जाती है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) के इस हिस्से में अपने विचारों को सिलसिलेवार ढंग से लिखकर अभिव्यक्त करने की खूबी का प्रदर्शन करना होता है।

उपसंहार- निबंध का यह अंतिम भाग होता है, इसमें हिंदी निबंध (hindi nibandh) के विषय पर अपने विचारों का सार रखते हुए पाठक के सामने निष्कर्ष रखा जाता है।

ये भी देखें :

अग्निपथ योजना रजिस्ट्रेशन

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अंत में यह जानना भी अत्यधिक आवश्यक है कि निबंध कितने प्रकार के होते हैं। मोटे तौर निबंध को निम्नलिखित श्रेणियों में रखा जाता है-

वर्णनात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है। इसमें त्योहार, यात्रा, आयोजन आदि पर लेखन शामिल है। इनमें घटनाओं का एक क्रम होता है और इस तरह के निबंध लिखने आसान होते हैं।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है। अक्सर ये किसी समस्या – सामाजिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत- पर लिखे जाते हैं। विज्ञान वरदान या अभिशाप, राष्ट्रीय एकता की समस्या, बेरोजगारी की समस्या आदि ऐसे विषय हो सकते हैं। इन हिंदी निबंधों (hindi nibandh) में विषय के अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार व्यक्त किया जाता है और समस्या को दूर करने के उपाय भी सुझाए जाते हैं।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है। इनमें कल्पनाशीलता के लिए अधिक छूट होती है। भाव की प्रधानता के कारण इन निबंधों में लेखक की आत्मीयता झलकती है। मेरा प्रिय मित्र, यदि मैं डॉक्टर होता जैसे विषय इस श्रेणी में रखे जा सकते हैं।

इसके साथ ही विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

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जिस प्रकार बातचीत को आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए लोग मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविताओं आदि की मदद लेते हैं, ठीक उसी तरह निबंध को भी प्रभावी बनाने के लिए इनकी सहायता ली जानी चाहिए। उदाहरण के लिए मित्रता पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखते समय तुलसीदास जी की इन पंक्तियों की मदद ले सकते हैं -

जे न मित्र दुख होंहि दुखारी, तिन्हिं बिलोकत पातक भारी।

यानि कि जो व्यक्ति मित्र के दुख से दुखी नहीं होता है, उनको देखने से बड़ा पाप होता है।

हिंदी या मातृभाषा पर निबंध लिखते समय भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्तियों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाएगा-

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।

प्रासंगिकता और अपने विवेक के अनुसार लेखक निबंधों में ऐसी सामग्री का उपयोग निबंध को प्रभावी बनाने के लिए कर सकते हैं। इनका भंडार तैयार करने के लिए जब कभी कोई पंक्ति या उद्धरण अच्छा लगे, तो एकत्रित करते रहें और समय-समय पर इनको दोहराते रहें।

उपरोक्त सभी प्रारूपों का उपयोग कर छात्रों के लिए हमने निम्नलिखित हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तैयार किए हैं -

योग के लाभ के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है। हमारे हिंदू धर्मग्रंथों में प्राचीन भारतीय योग पद्धति का जिक्र मिलता है। भारत वह देश है जहां योग ने सबसे पहले शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अनुशासन के रूप में लोकप्रियता हासिल की। यह "योज" से लिया गया है, जिसका संस्कृत में अर्थ है "एकजुट होना" और महर्षि पतंजलि को योग के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है। योग के महत्व और फायदों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए इसे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के बाद, 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में निर्धारित किया गया है। इस कार्यक्रम में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, कनाडा सहित 170 से अधिक देशों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। योग की महत्ता को देखते हुए दुनिया भर में योग के सकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत हुई और यह हर साल 21 जून को मनाया जाता है।

15 अगस्त, 1947 को हमारा देश भारत 200 सालों के अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था। यही वजह है कि यह दिन इतिहास में दर्ज हो गया तथा इसे भारत के स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते तो हैं ही और साथ ही इसके बाद वे पूरे देश को लालकिले से संबोधित भी करते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री का पूरा भाषण टीवी व रेडियो के माध्यम से पूरे देश में प्रसारित किया जाता है। इसके अलावा देश भर में इस दिन सभी कार्यालयों में छुट्टी होती है। स्कूल्स व कॉलेज में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस से संबंधित संपूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी जो निश्चित तौर पर आपके लिए लेख लिखने में सहायक सिद्ध होगी।

सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के नेता थे और बाद में उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। इसके माध्यम से भारत में सभी ब्रिटिश विरोधी ताकतों को एकजुट करने की पहल की थी। बोस ब्रिटिश सरकार के मुखर आलोचक थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए और अधिक आक्रामक कार्रवाई की वकालत करते थे। विद्यार्थियों को अक्सर कक्षा और परीक्षा में सुभाष चंद्र बोस जयंती (subhash chandra bose jayanti) या सुभाष चंद्र बोस पर हिंदी में निबंध (subhash chandra bose essay in hindi) लिखने को कहा जाता है। यहां सुभाष चंद्र बोस पर 100, 200 और 500 शब्दों का निबंध दिया गया है।

भारत में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के सम्मान में स्कूलों में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। गणतंत्र दिवस के दिन सभी स्कूलों, सरकारी व गैर सरकारी दफ्तरों में झंडोत्तोलन होता है। राष्ट्रगान गाया जाता है। मिठाईयां बांटी जाती है और अवकाश रहता है। छात्रों और बच्चों के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में गणतंत्र दिवस पर निबंध पढ़ें।

26 जनवरी, 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया, इसमें भारत को गणतांत्रिक व्यवस्था वाला देश बनाने की राह तैयार की गई। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाषण (रिपब्लिक डे स्पीच) देने के लिए हिंदी भाषण की उपयुक्त सामग्री (Republic Day Speech Ideas) की यदि आपको भी तलाश है तो समझ लीजिए कि गणतंत्र दिवस पर भाषण (Republic Day speech in Hindi) की आपकी तलाश यहां खत्म होती है। इस राष्ट्रीय पर्व के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक बनाने और उनके ज्ञान को परखने के लिए गणतत्र दिवस पर निबंध (Republic day essay) लिखने का प्रश्न भी परीक्षाओं में पूछा जाता है। इस लेख में दी गई जानकारी की मदद से Gantantra Diwas par nibandh लिखने में भी मदद मिलेगी। Gantantra Diwas par lekh bhashan तैयार करने में इस लेख में दी गई जानकारी की मदद लें और अच्छा प्रदर्शन करें।

मोबाइल फ़ोन को सेल्युलर फ़ोन भी कहा जाता है। मोबाइल आज आधुनिक प्रौद्योगिकी का एक अहम हिस्सा है जिसने दुनिया को एक साथ लाकर हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है। मोबाइल हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। मोबाइल में इंटरनेट के इस्तेमाल ने कई कामों को बेहद आसान कर दिया है। मनोरंजन, संचार के साथ रोजमर्रा के कामों में भी इसकी अहम भूमिका हो गई है। इस निबंध में मोबाइल फोन के बारे में बताया गया है।

भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने जनभाषा हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। इस दिन की याद में हर वर्ष 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। वहीं हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए 10 जनवरी को प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Diwas) मनाया जाता है। इस लेख में राष्ट्रीय हिंदी दिवस (14 सितंबर) और विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) के बारे में चर्चा की गई है।

दुनिया के कई देशों में मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से हर वर्ष 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। इसे लेबर डे, श्रमिक दिवस या मई डे भी कहा जाता है। श्रम दिवस एक विशेष दिन है जो मजदूरों और श्रम वर्ग को समर्पित है। यह मजदूरों की कड़ी मेहनत को सम्मानित करने का दिन है। ज्यादातर देशों में इसे 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रम दिवस का इतिहास और उत्पत्ति अलग-अलग देशों में अलग-अलग है। विद्यार्थियों को कक्षा में मजदूर दिवस पर निबंध लिखने, मजदूर दिवस पर भाषण देने के लिए कहा जाता है। इस निबंध की मदद से विद्यार्थी अपनी तैयारी कर सकते हैं।

मकर संक्रांति का त्योहार यूपी, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में 14 जनवरी को मनाया जाता है। इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान के बाद पूजा करके दान करते हैं। इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड, चिउड़ा-दही खाने का रिवाज है। प्रयागराज में इस दिन से कुंभ मेला आरंभ होता है। इस लेख में मकर संक्रांति के बारे में बताया गया है।

पर्यावरण से संबंधित मुद्दों की चर्चा करते समय ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा अक्सर होती है। ग्लोबल वार्मिंग का संबंध वैश्विक तापमान में वृद्धि से है। इसके अनेक कारण हैं। इनमें वनों का लगातार कम होना और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन प्रमुख है। वनों का विस्तार करके और ग्रीन हाउस गैसों पर नियंत्रण करके हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठा सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध- कारण और समाधान में इस विषय पर चर्चा की गई है।

भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। समाचारों में अक्सर भ्रष्टाचार से जुड़े मामले प्रकाश में आते रहते हैं। सरकार ने भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए कई उपाय किए हैं। अलग-अलग एजेंसियां भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई करती रहती हैं। फिर भी आम जनता को भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। हालांकि डिजीटल इंडिया की पहल के बाद कई मामलों में पारदर्शिता आई है। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले कम हुए है, समाप्त नहीं हुए हैं। भ्रष्टाचार पर निबंध के माध्यम से आपको इस विषय पर सभी पहलुओं की जानकारी मिलेगी।

समय-समय पर ईश्वरीय शक्ति का एहसास कराने के लिए संत-महापुरुषों का जन्म होता रहा है। गुरु नानक भी ऐसे ही विभूति थे। उन्होंने अपने कार्यों से लोगों को चमत्कृत कर दिया। गुरु नानक की तर्कसम्मत बातों से आम जनमानस उनका मुरीद हो गया। उन्होंने दुनिया को मानवता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। भारत, पाकिस्तान, अरब और अन्य जगहों पर वर्षों तक यात्रा की और लोगों को उपदेश दिए। गुरु नानक जयंती पर निबंध से आपको उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी मिलेगी।

कुत्ता हमारे आसपास रहने वाला जानवर है। सड़कों पर, गलियों में कहीं भी कुत्ते घूमते हुए दिख जाते हैं। शौक से लोग कुत्तों को पालते भी हैं। क्योंकि वे घर की रखवाली में सहायक होते हैं। बच्चों को अक्सर परीक्षा में मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने को कहा जाता है। यह लेख बच्चों को मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने में सहायक होगा।

स्वामी विवेकानंद जी हमारे देश का गौरव हैं। विश्व-पटल पर वास्तविक भारत को उजागर करने का कार्य सबसे पहले किसी ने किया तो वें स्वामी विवेकानंद जी ही थे। उन्होंने ही विश्व को भारतीय मानसिकता, विचार, धर्म, और प्रवृति से परिचित करवाया। स्वामी विवेकानंद जी के बारे में जानने के लिए आपको इस लेख को पढ़ना चाहिए। यह लेख निश्चित रूप से आपके व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन करेगा।

हम सभी ने "महिला सशक्तिकरण" या नारी सशक्तिकरण के बारे में सुना होगा। "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाने और सभी लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए किए गए कार्यों को संदर्भित करता है। व्यापक अर्थ में, यह विभिन्न नीतिगत उपायों को लागू करके महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण से संबंधित है। प्रत्येक बालिका की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित करना और उनकी शिक्षा को अनिवार्य बनाना, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस लेख में "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) पर कुछ सैंपल निबंध दिए गए हैं, जो निश्चित रूप से सभी के लिए सहायक होंगे।

भगत सिंह एक युवा क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए बहुत कम उम्र में ही अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। देश के लिए उनकी भक्ति निर्विवाद है। शहीद भगत सिंह महज 23 साल की उम्र में शहीद हो गए। उन्होंने न केवल भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि वह इसे हासिल करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को भी तैयार थे। उनके निधन से पूरे देश में देशभक्ति की भावना प्रबल हो गई। उनके समर्थकों द्वारा उन्हें शहीद के रूप में सम्मानित किया गया था। वह हमेशा हमारे बीच शहीद भगत सिंह के नाम से ही जाने जाएंगे। भगत सिंह के जीवन परिचय के लिए अक्सर छोटी कक्षा के छात्रों को भगत सिंह पर निबंध तैयार करने को कहा जाता है। इस लेख के माध्यम से आपको भगत सिंह पर निबंध तैयार करने में सहायता मिलेगी।

वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अर्थ है "संपूर्ण विश्व एक परिवार है"। यह महा उपनिषद् से लिया गया है। वसुधैव कुटुंबकम वह दार्शनिक अवधारणा है जो सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के परस्पर संबंध के विचार को पोषित करती है। यह वाक्यांश संदेश देता है कि प्रत्येक व्यक्ति वैश्विक समुदाय का सदस्य है और हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, सभी की गरिमा का ध्यान रखने के साथ ही सबके प्रति दयाभाव रखना चाहिए। वसुधैव कुटुंबकम की भावना को पोषित करने की आवश्यकता सदैव रही है पर इसकी आवश्यकता इस समय में पहले से कहीं अधिक है। समय की जरूरत को देखते हुए इसके महत्व से भावी नागरिकों को अवगत कराने के लिए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर निबंध या भाषणों का आयोजन भी स्कूलों में किया जाता है। कॅरियर्स360 के द्वारा छात्रों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर यह लेख तैयार किया गया है।

गाय भारत के एक बेहद महत्वपूर्ण पशु में से एक है जिस पर न जाने कितने ही लोगों की आजीविका आश्रित है क्योंकि गाय के शरीर से प्राप्त होने वाली हर वस्तु का उपयोग भारतीय लोगों द्वारा किसी न किसी रूप में किया जाता है। ना सिर्फ आजीविका के लिहाज से, बल्कि आस्था के दृष्टिकोण से भी भारत में गाय एक महत्वपूर्ण पशु है क्योंकि भारत में मौजूद सबसे बड़ी आबादी यानी हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए गाय आस्था का प्रतीक है। ऐसे में विद्यालयों में गाय को लेकर निबंध लिखने का कार्य दिया जाना आम है। गाय के इस निबंध के माध्यम से छात्रों को परीक्षा में पूछे जाने वाले गाय पर निबंध को लिखने में भी सहायता मिलेगी।

क्रिसमस (christmas in hindi) भारत सहित दुनिया भर में मनाए जाने वाले बेहद महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। प्रत्येक वर्ष इसे 25 दिसंबर को मनाया जाता है। क्रिसमस का महत्व समझाने के लिए कई बार स्कूलों में बच्चों को क्रिसमस पर निबंध (christmas in hindi) लिखने का कार्य दिया जाता है। क्रिसमस पर एग्जाम के लिए प्रभावी निबंध तैयार करने का तरीका सीखें।

रक्षाबंधन हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व पूरी तरह से भाई और बहन के रिश्ते को समर्पित त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को कोई तोहफा देने के साथ ही जीवन भर उनके सुख-दुख में उनका साथ देने का वचन देते हैं। इस दिन छोटी बच्चियाँ देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को राखी बांधती हैं। रक्षाबंधन पर हिंदी में निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) आधारित इस लेख से विद्यार्थियों को रक्षाबंधन के त्योहार पर न सिर्फ लेख लिखने में सहायता प्राप्त होगी, बल्कि वे इसकी सहायता से रक्षाबंधन के पर्व का महत्व भी समझ सकेंगे।

होली त्योहार जल्द ही देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला है। होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ हिल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। होली पर हिंदी में निबंध (hindi mein holi par nibandh) को पढ़ने से होली के सभी पहलुओं को जानने में मदद मिलेगी और यदि परीक्षा में holi par hindi mein nibandh लिखने को आया तो अच्छा अंक लाने में भी सहायता मिलेगी।

दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बच्चों को विद्यालयों में दशहरा पर निबंध (Essay in hindi on Dussehra) लिखने को भी कहा जाता है, जिससे उनकी दशहरा के प्रति उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे पूर्ण जानकारी भी मिले। दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख में हम देखेंगे कि लोग दशहरा कैसे और क्यों मनाते हैं, इसलिए हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

हमें उम्मीद है कि दीवाली त्योहार पर हिंदी में निबंध उन युवा शिक्षार्थियों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो इस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं। हमने नीचे दिए गए निबंध में शुभ दिवाली त्योहार (Diwali Festival) के सार को सही ठहराने के लिए अपनी ओर से एक मामूली प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर हिंदी के इस निबंध से कुछ सीख कर लाभ उठा सकते हैं कि वाक्यों को कैसे तैयार किया जाए, Class 1 से 10 तक के लिए दीपावली पर निबंध हिंदी में तैयार करने के लिए इसके लिंक पर जाएँ।

बाल दिवस पर भाषण (Children's Day Speech In Hindi), बाल दिवस पर हिंदी में निबंध (Children's Day essay In Hindi), बाल दिवस गीत, कविता पाठ, चित्रकला, खेलकूद आदि से जुड़ी प्रतियोगिताएं बाल दिवस के मौके पर आयोजित की जाती हैं। स्कूलों में बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए उपयोगी सामग्री इस लेख में मिलेगी जिसकी मदद से बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस के लिए निबंध तैयार करने में मदद मिलेगी। कई बार तो परीक्षाओं में भी बाल दिवस पर लेख लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। इसमें भी यह लेख मददगार होगा।

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। भारत देश अनेकता में एकता वाला देश है। अपने विविध धर्म, संस्कृति, भाषाओं और परंपराओं के साथ, भारत के लोग सद्भाव, एकता और सौहार्द के साथ रहते हैं। भारत में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में, हिंदी सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली और बोली जाने वाली भाषा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। हमारी मातृभाषा हिंदी और देश के प्रति सम्मान दिखाने के लिए हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। हिंदी दिवस पर भाषण के लिए उपयोगी जानकारी इस लेख में मिलेगी।

हिन्दी में कवियों की परम्परा बहुत लम्बी है। हिंदी के महान कवियों ने कालजयी रचनाएं लिखी हैं। हिंदी में निबंध और वाद-विवाद आदि का जितना महत्व है उतना ही महत्व हिंदी कविताओं और कविता-पाठ का भी है। हिंदी दिवस पर विद्यालय या अन्य किसी आयोजन पर हिंदी कविता भी चार चाँद लगाने का काम करेगी। हिंदी दिवस कविता के इस लेख में हम हिंदी भाषा के सम्मान में रचित, हिंदी का महत्व बतलाती विभिन्न कविताओं की जानकारी दी गई है।

प्रदूषण पृथ्वी पर वर्तमान के उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ और बहुत ही तेजी के साथ किए जाने की जरूरत है।

वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध के ज़रिए हम इसके बारे में थोड़ा गहराई से जानेंगे। वायु प्रदूषण पर लेख (Essay on Air Pollution) से इस समस्या को जहाँ समझने में आसानी होगी वहीं हम वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पहलुओं के बारे में भी जान सकेंगे। इससे स्कूली विद्यार्थियों को वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution) तैयार करने में भी मदद होगी। हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध से परीक्षा में बेहतर स्कोर लाने में मदद मिलेगी।

एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। पृथ्वी ग्रह का बुखार (तापमान) लगातार बढ़ रहा है। सरकारों को इसमें नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को सतत विकास के उपायों में निवेश करने, ग्रीन जॉब, हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है। पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखने, इसे स्वस्थ रखने और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर ईमानदारी से काम करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन पर निबंध के जरिए छात्रों को इस विषय और इससे जुड़ी समस्याओं और समाधान के बारे में जानने को मिलेगा।

हमारी यह पृथ्वी जिस पर हम सभी निवास करते हैं इसके पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना और साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया।

आज के युग में जब हम अपना अधिकतर समय पढाई पर केंद्रित करने का प्रयास करते नजर आते हैं और साथ ही अपना ज़्यादातर समय ऑनलाइन रह कर व्यतीत करना पसंद करते हैं, ऐसे में हमारे जीवन में खेलों का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। खेल हमारे लिए केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, अपितु हमारे सर्वांगीण विकास का एक माध्यम भी है। हमारे जीवन में खेल उतना ही जरूरी है, जितना पढाई करना। आज कल के युग में मानव जीवन में शारीरिक कार्य की तुलना में मानसिक कार्य में बढ़ोतरी हुई है और हमारी जीवन शैली भी बदल गई है, हम रात को देर से सोते हैं और साथ ही सुबह देर से उठते हैं। जाहिर है कि यह दिनचर्या स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है और इसके साथ ही कार्य या पढाई की वजह से मानसिक तनाव पहले की तुलना में वृद्धि महसूस की जा सकती है। ऐसी स्थिति में जब हमारे जीवन में शारीरिक परिश्रम अधिक नहीं है, तो हमारे जीवन में खेलो का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

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हमेशा से कहा जाता रहा है कि ‘आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है’, जैसे-जैसे मानव की आवश्यकता बढती गई, वैसे-वैसे उसने अपनी सुविधा के लिए अविष्कार करना आरंभ किया। विज्ञान से तात्पर्य एक ऐसे व्यवस्थित ज्ञान से है जो विचार, अवलोकन तथा प्रयोगों से प्राप्त किया जाता है, जो कि किसी अध्ययन की प्रकृति या सिद्धांतों की जानकारी प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिए भी किया जाता है, जो तथ्य, सिद्धांत और तरीकों का प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करता है।

शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कहा जाता है कि सबसे पहली गुरु माँ होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही बड़ा और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना भी उसी प्रकार का कार्य है, जैसे कोई कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य करता है। इसी प्रकार शिक्षक अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में हुई थी, जब न्यूयॉर्क शहर की सड़को पर हजारों महिलाएं घंटों काम के लिए बेहतर वेतन और सम्मान तथा समानता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए उतरी थीं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव क्लारा जेटकिन का था जिन्होंने 1910 में यह प्रस्ताव रखा था। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया था।

हम उम्मीद करते हैं कि स्कूली छात्रों के लिए तैयार उपयोगी हिंदी में निबंध, भाषण और कविता (Essays, speech and poems for school students) के इस संकलन से निश्चित तौर पर छात्रों को मदद मिलेगी।

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बाल श्रम को बच्चो द्वारा रोजगार के लिए किसी भी प्रकार के कार्य को करने के रूप में परिभाषित किया गया है जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा डालता है और उन्हें मूलभूत शैक्षिक और मनोरंजक जरूरतों तक पहुंच से वंचित करता है। एक बच्चे को आम तौर व्यस्क तब माना जाता है जब वह पंद्रह वर्ष या उससे अधिक का हो जाता है। इस आयु सीमा से कम के बच्चों को किसी भी प्रकार के जबरन रोजगार में संलग्न होने की अनुमति नहीं है। बाल श्रम बच्चों को सामान्य परवरिश का अनुभव करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने और उनके शारीरिक और भावनात्मक विकास में बाधा के रूप में देखा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें बाल श्रम या फिर कहें तो बाल मजदूरी पर निबंध।

एपीजे अब्दुल कलाम की गिनती आला दर्जे के वैज्ञानिक होने के साथ ही प्रभावी नेता के तौर पर भी होती है। वह 21वीं सदी के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक हैं। कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति बने, अपने कार्यकाल में समाज को लाभ पहुंचाने वाली कई पहलों की शुरुआत की। मेरा प्रिय नेता विषय पर अक्सर परीक्षा में निबंध लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें अपने प्रिय नेता: एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध।

हमारे जीवन में बहुत सारे लोग आते हैं। उनमें से कई को भुला दिया जाता है, लेकिन कुछ का हम पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। भले ही हमारे कई दोस्त हों, उनमें से कम ही हमारे अच्छे दोस्त होते हैं। कहा भी जाता है कि सौ दोस्तों की भीड़ के मुक़ाबले जीवन में एक सच्चा/अच्छा दोस्त होना काफी है। यह लेख छात्रों को 'मेरे प्रिय मित्र'(My Best Friend Nibandh) पर निबंध तैयार करने में सहायता करेगा।

3 फरवरी, 1879 को भारत के हैदराबाद में एक बंगाली परिवार ने सरोजिनी नायडू का दुनिया में स्वागत किया। उन्होंने कम उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने कैम्ब्रिज में किंग्स कॉलेज और गिर्टन, दोनों ही पाठ्यक्रमों में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई पूरी की। जब वह एक बच्ची थी, तो कुछ भारतीय परिवारों ने अपनी बेटियों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। हालाँकि, सरोजिनी नायडू के परिवार ने लगातार उदार मूल्यों का समर्थन किया। वह न्याय की लड़ाई में विरोध की प्रभावशीलता पर विश्वास करते हुए बड़ी हुई। सरोजिनी नायडू से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।

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Frequently Asked Question (FAQs)

किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- ये हैं- प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार (conclusion)।

हिंदी निबंध लेखन शैली की दृष्टि से मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-

वर्णनात्मक हिंदी निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है।

विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

निबंध में समुचित जगहों पर मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविता का प्रयोग करके इसे प्रभावी बनाने में मदद मिलती है। हिंदी निबंध के प्रभावी होने पर न केवल बेहतर अंक मिलेंगी बल्कि असल जीवन में अपनी बात रखने का कौशल भी विकसित होगा।

कुछ उपयोगी विषयों पर हिंदी में निबंध के लिए ऊपर लेख में दिए गए लिंक्स की मदद ली जा सकती है।

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति निबंध है।

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पुस्तकालय पर निबंध | Essay on Library in Hindi Language

an essay book in hindi

Here is a compilation of essays on ‘Library’ for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Library’ especially written for School and College Students in Hindi Language.

List of Essays on Library

Essay Contents:

  • Essay on the Library Revolution for College Students

1. पुस्तकालय   | Essay on Library in Hindi Language

पुस्तकालय शब्द पर जब हम विचार करते हैं, तो हम इसे दो शब्दों के मेल से बना हुआ पाते हैं- पुस्तक+आलय; अर्थात् पुस्तक का घर । जहाँ विभिन्न प्रकार की पुस्तकें होती हैं और जिनका अध्ययन स्वतंत्र रूप से किया जाता है, उसे पुस्तकालय कहा जाता है । इसके विपरीत जहाँ पुस्तकें तो हों लेकिन उनका अध्ययन स्वतंत्र रूप से न हो और वे अलमारी में बन्द पड़ी रहती हों, उसे पुस्तकालय नहीं कहते हैं । इस दृष्टिकोण से पुस्तकालय ज्ञान और अध्ययन का एक बड़ा केन्द्र होता है ।

प्राचीनकाल में पुस्तकें आजकल के पुस्तकालयों की तरह एक जगह नहीं होती थीं; अपितु प्राचीनकाल में पुस्तकें हस्तलिखित हुआ करती थीं । इसलिए इन पुस्तकों का उपयोग केवल एक ही व्यक्ति कर पाता था । दूसरी बात यह कि प्राचीनकाल में पुस्तकों से ज्ञान प्राप्त करना एक बड़ा कठिन कार्य होता था; क्योंकि पुस्तकें आज जितनी प्रकार की एक ही जगह मिल जाती हैं; उतनी तब नहीं मिलती थीं ।

इसलिए विविध प्रकार की पुस्तकों से आनन्द, ज्ञान या मनोरंजन करने के लिए आज हमें जितनी सुविधा प्राप्त हो चुकी हैं, उतनी इससे पहले नहीं थीं । इस प्रकार से पुस्तकालय हमारी इस प्रकार की सुविधाओं को प्रदान करने में आज अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका को निभा रहे हैं ।

पुस्तकालय की कोटियाँ या प्रकार कई प्रकार के होते हैं । कुछ पुस्तकालय व्यक्तिगत होते हैं, कुछ सार्वजनिक होते हैं और कुछ सरकारी पुस्तकालय होते हैं । व्यक्तिगत पुस्तकालय, वे पुस्तकालय होते हैं, जो किसी व्यक्ति-विशेष से ही सम्बन्धित होते हैं ।

ऐसे पुस्तकालयों में पुस्तकों की संख्या बहुत ही सीमित और थोड़े प्रकार को होती है । हम कह सकते हैं कि व्यक्तिगत पुस्तकालय एक प्रकार से स्वतंत्र और ऐच्छिक पुस्तकालय होते हैं । इन पुस्तकालयों का लाभ और उपयोग उठाने वाले भी सीमित और विशेष वर्ग के ही विद्यार्थी होते हैं । इन पुस्तकालयों की पुस्तक बहुत सामान्य या माध्यम श्रेणी की होती हैं ।

व्यक्तिगत पुस्तकालय को निजी पुस्तकालय की भी संज्ञा दी जाती है । इस प्रकार के पुस्तकालय मुख्य रूप से धनी और सम्पन्न वर्ग के लोगों से चलाए जाते हैं । ऐसे पुस्तकालयों की संख्या भी पाठकों के समान ही सीमित होती है; क्योंकि स्वतंत्र अधिकार के कारण इन पुस्तकालयों के नियम-सिद्धान्त का पालन करने में सभी पाठक समर्थ नहीं हो पाते हैं ।

ADVERTISEMENTS:

संस्थागत पुस्तकालय भी पुस्तकालयों के विभिन्न प्रकारों में एक विशेष प्रकार का पुस्तकालय है । संस्थागत पुस्तकालय का अर्थ है-किसी संस्था द्वारा चलने वाले पुस्तकालय । ऐसे पुस्तकालय स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों या किसी अन्य संस्था के द्वारा संचालित हुआ करते हैं । इस प्रकार के पुस्तकालय व्यक्तिगत या निजी पुस्तकालय के समान नहीं होते हैं, जो स्वतंत्रतापूर्वक चलाए जाते हैं ।

संस्थागत पुस्तकालय के पाठक न तो सीमित होते हैं और न इसके सीमित नियम ही होते हैं, अपितु इस प्रकार के पुस्तकालय तो विस्तृत नियमों के साथ अपने पाठकों की संख्या असीमित ही रखते हैं । इसलिए इन पुस्तकालयों में पुस्तकों की संख्या भी बहुत बड़ी या असीमित होती है । इसी तरह इस प्रकार के पुस्तकालयों की पुस्तकें बहुमूल्य और अवक्षय अर्थात् सस्ती और महँगी दोनों ही होती हैं । हम यह कह सकते हैं कि इस प्रकार के पुस्तकालयों की पुस्तकें महँगी होती हुई भी मध्यम श्रेणी की होती हैं ।

संस्थागत पुस्तकालयों की पुस्तकें साहित्य, संगीत, कला, दर्शन, धर्म, राजनीति, विज्ञान, समाज, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय आदि सभी स्तरों की अवश्य होती हैं । संस्थागत पुस्तकालयों की संख्या सभी प्रकार के पुस्तकालयों से अधिक होती है । इस दृष्टिकोण से संस्थागत पुस्तकालयों का महत्त्व सभी प्रकार के पुस्तकालयों से बढ़कर है ।

पुस्तकालयों का तीसरा प्रकार सार्वजनिक पुस्तकालयों का है । सार्वजनिक पुस्तकालयों की संख्या संस्थागत पुस्तकालयों की संख्या से बहुत कम होती है; क्योंकि इस प्रकार के पुस्तकालयों का उपयोग या सम्बन्ध केवल बौद्धिक और पुस्तक-प्रेमियों से ही उाधिक होता है । कहीं-कहीं तो सरकार के द्वारा और कहीं-कहीं सामाजिक संस्थाओं के द्वारा भी सार्वजनिक पुस्तकालयों का संचालन होता है ।

चाहे जो कुछ हो सरकार द्वारा ये पुस्तकालय मान्यता प्राप्त होते हैं । सरकार इन पुस्तकालयों की सहायता समय-समय पर किया करती है । अत: सार्वजनिक पुस्तकालयों का भविष्य व्यक्तिगत पुस्तकालयों के समान अंधकारमय नहीं होता है ।

पुस्तकालय का एक छोटा-सा प्रकार चलता-फिरता पुस्तकालय है । इस प्रकार के पुस्तकालयों का महत्त्व अवश्य है; क्योंकि समय के अभाव के कारण लोग इस प्रकार के पुस्तकालयों का अवश्य लाभ उठाते हैं । सुविधाजनक अर्थात् घर बैठे ही इन पुस्तकालयों का लाभ उठा पाने के कारण इनका महत्त्व और लोकप्रिय होना निश्चय ही सत्य है । सीमित संख्या होने के कारण यद्यपि इन पुस्तकालयों का प्रसार कम है, लेकिन महिलाओं के लिए ये अवश्य अधिक उपयोगी है ।

पुस्तकालय ज्ञान-विज्ञान की रहस्यमय जानकारी को प्रदान करने में अवश्य महत्त्वपूर्ण भूमिका को निभाते हैं । ये हमें सत्संगति प्रदान करते हैं । हमें अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं । इसलिए हमें पुस्तकालयों का अवश्य अधिक-से-अधिक उपयोग करना चाहिए ।

2.   पुस्तकालय की उपयोगिता । Essay on Library and its Benefits for School Students in Hindi Language

शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जिस प्रकार मनुष्य को संयमित और संतुलित भोजन कोई आवश्यकता है उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञानार्जन परमावश्यक है । मस्तिष्क को क्रियाशील और गतिशील रखने के लिए शुद्ध ज्ञान एवं नवीन विचारों की आवश्यकता होती है । यह ज्ञान और शुद्ध विचार हमें अज्ञानांधकार से निकलकर ज्ञान के प्रकाशपूर्ण लोक में ले जाते हैं ।

सरस्वती की उपासना के लिए दो आराधना मंदिर है: एक विद्यालय और दूसरा पुस्तकालय । पुस्तकालय में विद्यार्थी विस्तृत व्यापक ज्ञान प्राप्त करता है । जहाँ सरस्वती के अनंत पुत्रों अर्थात् गनी किताबों का संग्रह होता है, जिनके अध्ययन से मानव अपने जीवन के अशांत संर्धामय क्षणों में शांति प्राप्त करता है ।

पुस्तकालयों की दृष्टि से इंग्लैंड अमेरिका और रूस सबसे आगे हैं । अमेरिका में ‘वाशिंगटन कांग्रेस पुस्तकालय’ विश्व का सबसे बड़ा पुस्तकालय माना जाता है । रूस का सबसे बड़ा पुस्तकालय ‘लेनिन पुस्तकालय है । भारत वर्ष में कोलकाता के राष्ट्रीय पुस्तकालय में दस लाख पुस्तकें हैं ।

भारत का दूसरा महत्वपूर्ण पुस्तकालय बड़ौदा का केंन्द्रीय पुस्तकालय है इसमें 1 लाख 31 हजार पुस्तकें हैं । पुस्तकालयों से अनेक लाभ है । ज्ञान की वृद्धि में पुस्तकालय से जो सहायता मिलती है वह किसी अन्य साधन द्वारा नहीं मिल सकती । किसी विषय का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए उस विषय से संबंधित पुस्तकों को पढ़ना आवश्यक होता है ।

ज्ञान-वृद्धि के अतिरिक्त पुस्तकालयों से ज्ञान का प्रसार भी सरलता से होता है । पुस्तकालय के संपर्क में रहने से मनुष्य कुवासनाओं और प्रलोभनों से बच जाता है । पुस्तकालय मनुष्य को सत्संग की सुविधा प्रदान करता है । पुस्तक पढ़ते-पढ़ते कभी मनुष्य मन ही मन प्रसन्न हो उठता है और कभी खिलखिलाकर हँस पड़ता है ।

श्रेष्ठ पुस्तकों के अध्ययन से हमें मानसिक शांति प्राप्त होती है उस समय संसार की समस्त चिंताओं से पाठक मुका हो जाता है । अत: पुस्तकालय हमारे लिए नित्य जीवन साथियों की योजना करता है । जिसके साथ आप बैठकर बातों का आनंद ले सकते हैं, चाहे वह शेक्सपीयर हो या कालीदास, न्यूटन हो या प्लेटो अरस्तु हो या शंकराचार्य ।

आधुनिक युग में यद्यपि मनोरंजन के अनेक साधन हैं परंतु ये सब मनोरंजन के साधन पुस्तकालय के सामने नगण्य हैं क्योंकि पुस्तकालय से मनोरंजन के साथ-साथ पाठक का आत्म-परिष्कार एवं ज्ञान वृद्धि होती है । पुस्तकालयों में भिन्न-भिन्न रसों की पुस्तकों के अध्ययन से हम समय का सदुपयोग भी कर लेते है ।

अपने रिक्त समय को पुस्तकालय में व्यतीत करना समय की सबसे बड़ी उपयोगिता है । व्यक्तिगत हित के अतिरिक्त पुस्तकालयों से समाज का भी हित होता है ।  भिन्न-भिन्न देशों की नवीन एवं प्राचीन पुस्तकों के अध्ययन से विभिन्न देशों की सामाजिक परंपराओं-मान्यताओं और व्यवसायों का परिचय होता है ।

पुस्तकालय वास्तव में ज्ञान का असीम भंडार है । देश की शिक्षित जनता के लिए यह उन्नति का सर्वोत्तम साधन है । भारत वर्ष में भी अच्छे पुस्तकालयों की संख्या पर्याप्त नहीं है । भारत सरकार इस दिशा में प्रयत्नशील हैं । वास्तव में पुस्तकें मनुष्य की सच्ची मित्र सदगुरु और जीवन पथ की संरक्षिका है ।

देश की अशिक्षित जनता को सुशिक्षित बनाने के लिए सार्वजनिक पुस्तकालयों की बड़ी आवश्यकता है । भारत सरकार ने ग्राम-पंचायतों की देख-रेख में गाँव-गाँव में ऐसे पुस्तकालयों की व्यवस्था की है । गाँव की निर्धन जनता अपने ज्ञान प्रसार के लिए पुस्तकें नहीं खरीद सकती ।

उस अज्ञानांधकार को दूर करने के लिए सरकार का यह प्रयास प्रशंसनीय है । जिन लोगों पर लक्ष्मी की अटूट कृपा है, उन्हें इस प्रकार के पुस्तकालय जनहित के लिए खुलवाने चाहिए । पुस्तकालय का महत्व देवताओं से अधिक है क्योंकि पुस्तकालय ही हमें देवालय में जाने योग्य बनाते हैं ।

3. पुस्तकालय का महत्व । Essay on Library and its Importance for School Students in Hindi Language

सृष्टि के समस्त चराचरों में मनुष्य ही सर्वोत्कृष्ट कहलाने का गौरव प्राप्त करता है । मनुष्य ही चिंतन-मनन कर सकता है । अच्छे-बुरे का निर्णय कर सकता है तथा अपने छोटे से जीवन में बहुत कुछ सीखना चाहता है ।

उसी जिज्ञासावृत पुस्तकें शांत करती हैं अर्थात ज्ञान का भंडार पुस्तकों में समाहित है । ऐसा स्थान जहाँ अनेक पुस्तकों को संगृहीत करके उनका एक विशाल भंडार बनाया जाता है: पुस्तकालय कहलाता है पुस्तकालय ज्ञान के वे मंदिर हैं जो मानव इच्छा को शांत करते हैं, उसे विभिन्न विषयों पर नई जानकारियाँ उपलब्ध करते हैं, ज्ञान के संचिर कोश से उसे निश्चित करते है, अतीत झरोखों की झलक दिखाते हैं तथा उसके बौद्धिक स्तर को उन्नत करते हैं ।

दुनियाँ में विषय अनंत हैं उन विषयों से संबंधित पुस्तकें भी अनंत हैं । उन सभी पुस्तकों को खरीद कर पड़ पाना किसी के बस की बात नहीं । इस आवश्यकता की पूर्ति पुस्तकालय अत्यंत सुगमता से कर सकता है । बड़े बड़े पुस्तकालयों में लाखों पुस्तके संगृहीत होती हैं ।

इनमें वे दुलर्भ पुस्तकें भी होती हैं जो अब अप्राप्य हैं जिन्हें किसी भी कीमत पर खरीदा नहीं जा सकता । पुस्तकालय में बैठकर कोई भी व्यक्ति एक ही विषय पर अनेक व्यक्तियों के विचारों से परिचित हो सकता है । अन्य विषयों के साथ अपने विषय का तुलनात्मक अध्ययन भी कर सकता है ।

अनगिनत पुस्तकों वाले अधिकांश पुस्तकालय पूरी तरह व्यवस्थित होते हैं । विद्यार्थी कुछ देर में ही अपनी जरूरत की पुस्तक पा सकता है । पुस्तकालय में जाते समय उसके नियमों की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए । वहाँ जाकर वहीं पुस्तके पढ़नी चाहिए जिनकी आपको जरूरत हो । पुस्तकालय में ऐसी अनेक पुस्तकें होती हैं ।

यदि विद्यार्थी पुस्तकालय में केवल किस्से कहानियों की किताबे पढ़कर अपना समय बरबाद करने के लिए जाते हो तो सदुपयोग करना चाहिए तथा पुस्तकालय में बैठकर शांत वातावरण में एकाग्रचित्त होकर अध्ययन करना चाहिए ।

पुस्तकालय में बैठकर पुस्तकें पढ़ते समय बिल्कुल शांत रहना चाहिए । पुस्तकालय की पुस्तकों पर पेंसिल या पेन से निशान लगाना, उनके चित्रों आदि को फाड़ना या गदा करना ठीक नहीं है । वहाँ बैठकर हमें औरों का भी ध्यान रखना चाहिए । हमें कोई ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए जिससे दूसरों को असुविधा हो ।

पुस्तकालय किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं इसलिए वहाँ सगृहीत पुस्तकें सामाजिक संपति होती हैं अत: हमें पुस्तकालय की पुस्तकों को उसी दृष्टि से देखना चाहिए । पुस्तकालयों में संकलित पुस्तकों के माध्यम से व्यक्ति भाव-विचार, भाषा, ज्ञान-विज्ञान आदि सभी विषयों के क्रमिक विकास का इतिहास जानकर उनका किसी भी विशिष्ट दृष्टि से अध्ययन कर सकता है ।

अपने प्रिय महापुरुष, राजनेता, कवि, साहित्यकार आदि के जीवन और विचारों से कोई व्यक्ति सहज ही साक्षात्कार संभव हो जाता है । जातियों, राष्ट्रों, धर्मों आदि के उत्थान-पतन का इतिहास भी पुस्तकों से जानकर उत्थान और पतन के कारणों को अपनाया या उनसे बचा जा सकता है ।

पुस्तकालय ज्ञान-विज्ञान के अनंत भंडार होते हैं । उन्हें अपने भीतर समाए रहने वाला अनंत नदी-धारों, विचार-रत्नों, भाव-विचार-प्राणियों का अनंत सागर एवं निधि कहा जा सकता है । जैसे ज्ञान-विज्ञान के कई तरह के साधन पाकर भी सागर की अथाह गहराई एवं अछोर स्वरूपाकार को सही रूप से नाप-तोल संभव नहीं हुआ करता, उसी प्रकार पुस्तकालयों में संचित अथाह ज्ञान-विज्ञान, विचारों-भावों, आदि को खंगाल पाना भी नितांत असंभव हुआ करता है ।

जैसे अनंत नदियों का प्रवाह नित्य प्रति सागर में मिलते रहकर उसे भरित बनाए रखता है वैसे ही नित्य नई-नई पुस्तकें भी प्रकाशित होकर पुस्तकालयों को भरा-पूरा किए रहती हैं । यही उनका महत्व एवं गौरव    है ।

4. पुस्तकालय की उपयोगिता एवं महत्त्व । Essay on Library, Its Benefits and Importance for College Students in Hindi Language

1. प्रस्तावना ।

2. पुस्तकालय की उपयोगिता एवं आवश्यकता ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

व्यक्ति के चरित्र निर्माण में पुस्तकों का अभिन्न स्थान है । पुस्तकें जहां एकान्त में किसी शुभचिन्तक मित्र एवं मार्गदर्शक की भूमिका निभाती है, वहीं हमारे व्यक्तित्व को भी सन्तुलित करती हैं । बाल्यकाल के साथ ही व्यक्ति पुस्तकों के महत्त्व को समझने लगता है । मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान-प्राप्ति की लालसा उसे पुस्तकों तक खींच लाती है ।

व्यक्ति यह समझने लगता है कि अच्छे भोजन के साथ-साथ अच्छी पुस्तकें भी उसके लिए जरूरी हैं । पुस्तकों की सहज प्राप्ति हेतु वह पुस्तकालय तक जाता है । ज्ञानराशि का अक्षय भण्डार पुस्तकें उसे ज्ञान-विज्ञान की विभिन्न शाखाओं एवं विधाओं से परिचित कराती हैं ।

वह कभी व्यक्तिगत पुस्तकालयों के माध्यम से, तो कभी सार्वजनिक पुस्तकालयों के माध्यम से अपनी आवश्यकता की पूर्ति करता है । शिक्षा संस्थानों से सुलभ होने वाली पुस्तकों को भी वह पढ़कर अपने लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है ।

2. पुस्तकालय की उपयोगिता एवं आवश्यकता:

पुस्तकालय चाहे शैक्षिक संस्थानों का हो या फिर सार्वजनिक स्थानों का, उसका महत्त्व एवं उपयोगिता तो शाश्वत है । हमारा देश भारत प्राचीनकाल से ही पुस्तकालयों का भण्डार रहा है । पुस्तकालय विषयक उसकी समृद्धि नालन्दा, तक्षशिला, विक्रमशिला, ओदन्त पुरी आदि विद्यालयों के माध्यम से भी मिलती है ।

हमारे देश में वर्तमान में राष्ट्रीय पुस्तकालय भी है, जहां प्राचीन अन्यों की ऐतिहासिक दस्तावेजों सहित पाण्डुलिपियां संग्रहित हैं । कलकत्ता, दिल्ली, मुम्बई, बड़ौदा के राष्ट्रीय एवं राजकीय पुस्तकालयों में पुस्तकों का अक्षय भण्डार है, जिसका अध्ययन कर धनी, दरिद्र, बाल, वृद्ध, युवा सभी लाभान्वित होते हैं ।

ज्ञान वृद्धि एवं ज्ञान प्रकाश के स्थायी केन्द्रों के रूप में पुस्तकालयों की महत्ता एवं उपयोगिता अक्षुण्ण है । पुस्तकालय न केवल हमारी ज्ञान-पिपासा को शान्त करते हैं, वरन् हमारे व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं । पुस्तकालय में जाकर जब हम महान पुरुषों, मनीषियों, कलाकारों, वैज्ञानिकों, राष्ट्रमक्तों के आदर्श एवं प्रेरणापरक चरित्र को पढ़ते हैं, तो हम उनसे प्रेरणा लेते हैं ।

हमारा बौद्धिक, मानसिक, चारित्रिक, नैतिक विकास भी होता है । समय के सदुपयोग एवं मनोरंजन के साधनों के रूप में पुस्तकालय की हमारे जीवन में काफी उपयोगिता है । पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से हमें देश-विदेश के समाचार मिलते हैं, वहीं हमारी आन्तरिक वृत्तियों का शोधन, परिष्करण भी होता है ।

पुस्तकें विश्वबसुत्च, मैत्री, सदभाव की भावना जगाने के साथ-साथ विश्व की सभ्यता, संस्कृति, साहित्य से भी परिचित कराती है । पुस्तकालयों की महत्ता एवं उपयोगिता को जानकर ही हमारे देश के नगर, महानगर, गांव-गांव में भी पुस्तकालय की व्यवस्था का प्रयास सरकार द्वारा किया जाता रहा है ।

3. उपसंहार:

पुस्तकालयों की महत्ता, उपयोगिता एवं उसकी आवश्यकता अक्षुण्ण है. । मानव के व्यक्तित्व के निर्माण में पुस्तकालयों की भूमिका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होती है । इसमें शैक्षिक संस्थान का पुस्तकालय हो या सार्वजनिक स्थान का हो या कि व्यक्तिगत हो ।

व्यक्तित्व निर्माण, ज्ञान-पिपासा की शान्ति, मनोरंजन, चित्तवृत्तियों का परिष्कार पुस्तकों द्वारा ही होता है । पुस्तकों के बिना तो मानव जीवन अधूरा ही होगा । पुस्तकें व्यक्तित्व निर्माण के साथ-साथ परिवार, समाज, देश की उन्नति में भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं । जिस देश का नागरिक सुशिक्षित, ज्ञान सम्पन्न होगा, वह देश निश्चित ही उन्नति की चरम सीमा को प्राप्त करेगा ।

5. पुस्तकालय । Essay on Library in Hindi Language

मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए जिस प्रकार हमें पौष्टिक तथा संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है । उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक है । मस्तिष्क को बिना गतिशील बनाये ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता । ज्ञान प्राप्ति के लिए विद्यालय जाकर गुरु की शरण लेनी पड़ती है ।

इसी तरह ज्ञान अर्जित करने के लिए पुस्तकालय की सहायता लेनी पड़ती है । लोगों को शिक्षित करने तथा ज्ञान देने के लिए एक बड़ी राशि व्यय करनी पड़ती है । इसलिए स्कूल, कॉलेज खोले जाते हैं और उनमें पुस्तकालय स्थापित किये जाते हैं । जिससे कि ज्ञान चाहने वाला व्यक्ति सरलता से ज्ञान प्राप्त कर सके ।

पुस्तकालय के दो भाग होते हैं । वाचनालय तथा पुस्तकालय । वाचनालय में देशभर से प्रकाशित दैनिक अखबार के अलावा साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक पत्र-पत्रिकाओं का पठन केन्द्र है । यहां से हमें दिन प्रतिदिन की घटनाओं की जानकारी मिलती है । पुस्तकालय विविध विषयों और इनकी विविध पुस्तकों का भण्डार ग्रह होता है । पुस्तकालय में दुर्लभ से दुर्लभ पुस्तक भी मिल जाती है ।

भारत में पुस्तकालयों की परम्परा प्राचीनकाल से ही रही है । नालन्दा, तक्षशिला के पुस्तकालय विश्वभर में प्रसिद्ध थे । मुद्रणकला के साथ ही भारत में पुस्तकालयों की लोकप्रियता बढ़ती चली गई । दिल्ली में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की सैकड़ों शाखाएं हैं । इसके अलावा दिल्ली में एक नेशनल लाइब्रेरी भी है ।

पुस्तकें मनुष्य की मित्र होती हैं । एक ओर जहां वे हमारा मनोरंजन करती हैं वहीं वह हमारा ज्ञान भी बढ़ाती हैं । हमें सभ्यता की जानकारी भी पुस्तकों से ही प्राप्त होती है । पुस्तकें ही हमें प्राचीनकाल से लेकर वर्तमानकाल के विचारों से अवगत कराती हैं । इसके अलावा पुस्तकें संसार के कई रहस्यों से परिचित कराती हैं । कोई भी व्यक्ति एक सीमा तक ही पुस्तक खरीद सकता है ।

सभी प्रकाशित पुस्तकें खरीदना सबके बस की बात नहीं है । इसलिए पुस्तकालयों की स्थापना की गई । पुस्तकालय का अर्थ है पुस्तकों का घर । यहाँ हर विषय की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं । इनमें विदेशी पुस्तकें भी शामिल होती हैं । विद्यालय की तरह पुस्तकालय भी ज्ञान का मंदिर है ।

पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं । इनमें पहले पुस्तकालय वे हैं जो स्कूल, कॉलेज तथा विश्वविद्यालय के होते हैं । दूसरी प्रकार के पुस्तकालय निजी होते हैं । ज्ञान प्राप्ति के शौकीन व्यक्ति अपने-अपने कार्यालयों या घरों में पुस्तकालय बनाकर अपना तथा अपने परिचितों का ज्ञान अर्जन करते हैं ।

तीसरे प्रकार के पुस्तकालय राजकीय पुस्तकालय होते हैं । इनका संचालन सरकार द्वारा किया जाता है । इन पुस्तकों का लाभ सभी लोग उठा सकते हैं । चौथी प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक होते हैं । इनसे भी सरकारी पुस्तकालयों की तरह लाभ उठा सकते हैं ।

इनके अतिरिक्त स्वयं सेवी संगठनों व सरकार द्वारा चल पुस्तकालय चलाये जा रहे हैं । यह पुस्तकालय एक वाहन पर होते हैं । हमारा युग ज्ञान का युग है । वर्तमान में ज्ञान ही ईश्वर है ज्ञान ही शक्ति है ।

पुस्तकालय से ज्ञान वृद्धि में जो सहायता मिलती है वह और कहीं से सम्भव नहीं है । विद्यालय में विद्यार्थी केवल विषय से संबंधित ज्ञान प्राप्त कर सकता है लेकिन पुस्तकालय ज्ञान का खजाना है ।

6. पुस्तकालय-क्रान्ति । Essay on the Library Revolution for College Students

अधिकांश विद्यालयों के पुस्तकालय में पुस्तकों में दीमक लग रही है । पुस्तकों पर मनों (दुनिया भर की) पक्की धूल जमी है । ढेर की ढेर पुस्तकें प्रतिवर्ष विद्यालयों में जमा होती जा रही हैं और खासे पुस्तकालय पुस्तकों की संख्या को दृष्टि में रखकर तैयार हो चुके हैं । अच्छे पुस्तकालय देश की प्रगति के प्रतीक हैं ।

जिस देश में जितने अधिक अच्छे पुस्तकालय हैं, वह देश उतना ही अधिक सम्पन्न और विकासशील है । इस दृष्टि से समृद्धिशाली पुस्तकालयों का विस्तार होना निश्चित ही बौद्धिक, आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक क्रान्ति का द्योतक है, परन्तु राजकीय राशि तथा लोकल फण्ड से विकसित होने वाले पुस्तकालय तब तक अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकते जब तक कि उनमें संगृहीत पुस्तकें अधिक-से-अधिक जनों के द्वारा पड़ी-समझी नही जाती ।

तथ्य यह है कि पुस्तकालयों में तेजी से पुस्तकों का आना शुरू हुआ है उसकी रफ्तार को मद्देनजर रखते हुए पुस्तकों के अध्ययन करने वालों की संख्या निरंतर न्यून से न्यूनतम होती जा रही है । रीक्षण होने के कारण से, उसी समय हाँ होती है और दीमक लगी पुस्तकों को निरीक्षक महोदय के सामने पेश कर उनको नष्ट करने की कार्रवाई की आवश्यकता पर ध्यान दिलाया जाता है और यूं कितनी ही हतभाग्या पुस्तकें बिना किसी की आंखों से गुजरे काल के गाल में समा जाती है ।

इसका परिणाम यह होता है कि सरकार की पूर्व-निर्धारित योजना में इजाफा होने के स्थान पर घाटा होता है । और साध्यतिक सांस्कृतिक तथा बौद्धिक क्रान्ति बाल-बाल होने से बच जाती है । विद्यालयों में जितनी दिलचस्पी पुस्तकें खरीदने में प्राय: रखने को मिलती है ।

उससे बहुत कम अभिरूचि पुस्तकालय व्यवस्था में नजर आती है । पुस्तकालय कम से कम विद्यालय-समय के अलावा सुबह-शाम अलग से खुलना चाहिए । कारण ‘स्कूल के समय’ में छात्र पुस्तकालय व वाचनालय का आवश्यकतानुरूप प्रयोग नहीं कर पाते हैं क्योंकि वे कक्षाओं में अध्ययनरत रहते हैं ।

आज आवश्यकता इस प्रयास की है कि पुस्तकों को दीमकों से बचाकर अधिक-से-अधिक दिमागों के लिए खुराक के रूप में इस्तेमाल किया जाए । इस दृष्टि से पुस्तकालय आकर्षक हो, साज-सज्जा से पूर्ण हो । छात्रों को वहीं बैठकर मनपसद पुस्तक पढ़ने की इजाजत हो । पुस्तकालय में प्रवेश करने और वहाँ से जाने के समय छात्र हस्ताक्षर करे ।

साथ ही एक पंजिका ऐसी भी रखी होनी चाहिए जिसमें छात्र यदि किसी पुस्तक पर अपनी राय लिखना चाहे तो लिख सके । उस पंजिका के प्रारम्भ में ”इंडैक्स ” रहना चाहिए जिसमें निबन्ध, कहानी, उपन्यास, राजनीति-शास्त्र, इतिहास आदि पुस्तकों के संबंध में राय लिखने के लिए पृष्ठ संख्या अंकित हो, यथा 1 से 15 तक उपन्यास, 16 से 30 तक इतिहास । छात्र जिस विषय पर पुस्तक पढ़ेगा, यदि वह चाहेगा तो तत्सम्बन्धी पुस्तक पर अपनी राय ”इंडैक्स” में दर्शाए पृष्ठ पर लिख सकेगा ।

इस प्रकार विभिन्न विषयों पर न केवल छात्रों की राय आसानी से जानी जा सकेगी बल्कि छात्रों की रूचि, उनके स्तर पर बोध का भी पता चल सकेगा और अन्त में जाकर उनकी रायों के अध्ययन से बहुत कुछ सार्थक निर्णय लिए जाने में सहायता मिल सकेगी ।

पुस्तकालय के बाहर बोर्ड हो, जिस पर जाली रहे और उसके अन्दर ‘रैपर’ लगाए जाएं: कम-से-कम सत्र में आने वाली पुस्तकों के । उसके साथ ही एक बोर्ड ऐसा होना चाहिए जिस पर गत सत्र अथवा सत्रों में विभिन्न विषयों की पढ़ी-जाने वाली पुस्तकों के ‘रैपर’ लगाए गए हों तथा साथ में उन पर अंकित की गई राय के आवश्यक वाक्यों को मय छात्र के नाम अथवा कक्षा के माध्यम से लिखा गया हो ।

यों यदि व्यवस्था जम जाए तो यह काम मासिक/ द्विमासिक/त्रैमासिक आधारों पर चालू सत्र में भी किया जा सकता है । छात्रों में आत्म-प्रदर्शन की भावना बलवती होती है इससे उसे पर्याप्त अवसर मिल 

सकेगा । इसी आधार पर देश भर के पुस्तकालयों में विभिन्न विषयों में सबसे अधिक पढ़ी गई ।

पुस्तकों के नाम आ सकेंगे और जिन्हें पत्रिका के माध्यम से प्रकाशित कर लेखक तथा पाठक के मध्य खासा विचार-मंच तैयार किया जा सकेगा । पुस्तकों को मानसिक आयु के आधार पर समान्यतया वर्गीकृत करने का यत्न होना चाहिए ।

यह जरूरी नही है कि कक्षा स्तर अथवा आयु के अनुसार वर्गीकृत की गई पुस्तकों में से ही छात्र अपनी मनपसन्द पुस्तक छांटने-पढ़ने के लिए विवश हो बल्कि वह वर्गीकरण तो पुस्तकों को पढ़ने के लिए छाँटने में सिर्फ मार्गदर्शन करने की सुविधा प्रदान करेगा ।

अक्सर ऐसा होता है कि छात्र कोई भारी-भरकम पुस्तक उठा ले जाता है और फिर उसे पढ़ते समय सिरदर्द महसूस करता है । इस प्रकार उसमें पुस्तकों के प्रति अरूचि पैदा होने लगती है । पुस्तकालय में पुस्तक-गोष्ठी का आयोजन प्रति माह किया जा सकता है, जिसमें चर्चित होने वाली पुस्तकों की घोषणा पूर्व में की जाएगी ।

छात्र तथा अध्यापक दोनों का ही उन पुस्तकों पर ”पेपर रीडिंग” और प्रश्नोतरात्मक ढंग का प्रयत्न रह सकता है । पेपर रीडिंग ओर प्रश्नोतरात्मक ढंग के लिए प्रयास का संक्षिप्त विवरण रखा जाता है । गोष्ठी का समय पुस्तकालय के अतिरिक्त समय में खुलने के वक्त रखा जाए तो इससे यह लाभ होगा क्योंकि उसमें रूचि रखने वाले छात्र अवश्य हिस्सा लेगे ।

इस गोष्ठी के लिए बाहर से व्यक्तियों को आमंत्रित किया जा सकता है और विद्यालय निरीक्षण के लिए आए हुए महानुभावों से भी निवेदन किया जा सकता है, जिससे अधिकारी वर्ग तथा छात्रों में आत्मीयता पैदा हो सके और वे परस्पर समझने की सहज दृष्टि पा सकें ।

यों छात्रों की महान व्यक्तियों से साक्षात्कार करने की दृष्टि से विस्तार होगा, गम्भीरता आएगी और साक्षात्कार लिखने की विद्या में निपुणता प्राप्त होगी । विद्यालयों में समय-समय पर प्रकाश अपनी विषय-सूची तथा नई पुस्तकों की सूचना भेजते रहते हैं, जिसे रही की टोकरी में डाल दिया जाता है ।

पता नहीं कि ऐसा क्यों किया जाता है ? प्रकाशक कागज छपाई तथा डाक-खर्च वहन करता है, सो क्यों ? उसके द्वारा प्रेषित की गई सामग्री का प्रयोग होना चाहिए । वह इस रूप में हो सकता है कि प्रकाशक से प्राप्त सूची पत्रों तथा अन्य सूचनाओं की पुस्तकालय के नोटिस बोर्ड पर लगाया जाए और छात्रों को उसमें से पुस्तक छाँटने और छाँटकर पुस्तक का नाम लेखक का नाम, मूल्य तथा प्रकाशक का नाम लिखकर पुस्तक अध्यक्ष को देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए ।

पुस्तकें माँगते समय उनका विशेष ध्यान रखा जाए तथा जिन छात्रों की माँग पर जो-जो पुस्तकें मँगाई गई हो, उन छात्रों का नाम प्रार्थना-सभा में अवश्य सुनाया जाए ताकि वे छात्र अपनी मँगाई पुस्तकों का न केवल स्वयं अध्ययन कर सकें बल्कि दूसरे छात्रों को भी पढ़ने हेतु प्रोत्साहित कर सके ।

प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक शालाए जिनके पास पुस्तकालय का अभाव रहता है, जहाँ अध्यापक चाहते हुए भी विभिन्न पुस्तकों के अध्ययन से वंचित रह जाते हैं, उनको सेकण्डरी तथा हायर सेकण्डरी के पुस्तकालय से संबंध किया जाना चाहिए ।  वे माह में एक या दो बार अपने तथा अपने छात्रों के लिए वहाँ से पुस्तकें ले जा सके और समय पर उनको लौटा दें ।

जिला स्तर पर वर्ष में एक बार अवश्य पुस्तक मेला लगना चाहिए जिसके द्वारा देश-विदेश में होने वाली प्रगति को समझाया जा सके और अध्यनशील अध्यापक तथा छात्रों की विभिन्न पुस्तकों पर दी गई राय का प्रकाशन हो सके, विषयानुसार श्रेष्ठ पड़ी गई पुस्तकों के नाम सामने लाए जा सकें ।

देश भर में होने वाली पुस्तक-प्रगति के आकड़े अन्तर्राष्ट्रीय पुस्तक-प्रगति के  सन्दर्भ   में चार्ट द्वारा प्रस्तुत किए जाए । इस कार्य में प्रकाशक संघ से  (आँकड़े इकट्‌ठे करने के सम्बन्ध में) सहायता ली जा सकती

है । पुस्तकों के प्रति गम्भीर रूचि रखने वाले योग्यतम छात्रों को इस अवसर पर पुरस्कृत भी किया जा सकता है । पुस्तक मेले के समय पर ही पत्रिका-प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जाए ।

जो पत्र-पत्रिकाएं विद्यालय में न ही आती है, प्रयत्न करने पर उनकी एक-एक प्रति प्राप्त हो सकती है और उनका प्रदर्शन किया जा सकता है । उपर्युक्त बिन्दुओं पर प्रत्येक विद्यालय अपनी परिस्थितियों तथा सुविधाओं को ध्यान में रखकर इस प्रकार से छोटे अथवा बड़े रूप में कार्य प्रारम्भ कर सकता है ।

इसके अलावा और नए तरीकों की ईजाद कर सकता है । अपने विद्यालयों में अभी तक इस दिशा में कार्य करने की सुविधाएं बहुत न्यून है । परन्तु विभाग द्वारा आवश्यक सुविधाएं मुहैया करने पर सहज ही प्रत्येक विद्यालय ‘पुस्तकालय-क्रान्ति’ में सक्रिय सहायोग प्रदान कर, अध्यापक तथा छात्रों को चिन्तन के लिए नए क्षितिज दे सकता है । निश्चित ही इस प्रकार से कॉफी के प्याले में उठने वाला तनाब और दिशा भ्रमित हो जाएगा । और युवा शक्ति एक नई तथा सशक्त दिशा में कार्यरत हो सकेगी ।

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World Without Books in Hindi. पुस्तकों के बिना विश्व कैसा होता। पुस्तकों के बिना विश्व कैसा होता ?

आधुनिक युग में पुस्तकों ने इतना महत्त्वपूर्ण स्थान बना लिया है कि इनके अभाव में संसार की कल्पना करना ही कठिन है। यद्यपि ऐसी स्थिति की संभावना नहीं की जा सकती। फिर भी संसार में पुस्तकों के गायब हो जाने की स्थिति के परिणामों की हम कल्पना कर सकते हैं।

सब से पहले इतिहास की सुरक्षा असंभव हो जाती। ऐतिहासिक तथ्यों तथा महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए केवल याददाशत पर ही निर्भर रहना पड़ता। अखबारों, मैगजीन पढ़ने की प्रत्येक सुविधा का अभाव हो जाता जबकि आज समाचार पत्र से हमारी दिनचर्या का शुभ-आरम्भ होता है।

पुस्तकों की अनुपस्थिति का विद्यार्थियों के अध्ययन पर तो प्रभाव पड़ेगा ही, इसके साथ अध्यापकों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि प्रत्येक विषय का हर समय याद होना नामुमकिन है। ऐसी स्थिति में जो विषय याद है, उसको ही पढ़ा पायेंगे और विद्यार्थियों को भी केवल सुनकर ही याद रखना पड़ेगा। पुस्तकों को पड़ने से हमारा बौद्धिक विकास होता है और पुस्तकों को पढ़कर हम अच्छा समय बिता सकते हैं। पुस्तकें एक सच्चे मित्र के रूप में व्यवहार करती हैं। पुस्तकों को पढ़ने के माध्यम से हमें मानसिक सुख प्राप्त होता है। पुस्तकों के बिना हमारा मानसिक विकास रुक जाएगा।

पुस्तकों के अभाव में हमारे वनों की सुरक्षा असम्भव है। हम लकड़ी का भी बचाव कर सकेंगे। क्योंकि पुस्तकों के लिए कागज हम वृक्षों से प्राप्त करते हैं। बेरोजगारी अपनी चरम सीमा को स्पर्श कर जाएगी, क्योंकि लाखों लोग जो कागज बनाने वाले कारखानों में कार्यरत हैं, छपाई मशीनों में काम कर रहे हैं और साथ ही वह लोग जो प्रतिदिन नये अनुभव लिख कर छापने को देते हैं, वे सब बेरोजगार हो जाएंगे।

अत: पुस्तकों के अभाव में हमारा जीवन अधूरा और नीरस हो जाएगा।

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निबंध (Hindi Essay)

आजकल के समय में निबंध लिखना एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है, खासतौर से छात्रों के लिए। ऐसे कई अवसर आते हैं, जब आपको विभिन्न विषयों पर निबंधों की आवश्यकता होती है। निबंधों के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए हमने इन निबंधों को तैयार किया है। हमारे द्वारा तैयार किये गये निबंध बहुत ही क्रमबद्ध तथा सरल हैं और हमारे वेबसाइट पर छोटे तथा बड़े दोनो प्रकार की शब्द सीमाओं के निबंध उपलब्ध हैं।

निबंध क्या है?

कई बार लोगो द्वारा यह प्रश्न पूछा जाता है कि आखिर निबंध क्या है? और निबंध की परिभाषा क्या है? वास्तव में निबंध एक प्रकार की गद्य रचना होती है। जिसे क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया हो। एक अच्छा निबंध लिखने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान देना चाहिए जैसे कि – हमारे द्वारा लिखित निबंध की भाषा सरल हो, इसमें विचारों की पुनरावृत्ति न हो, निबंध के विभिन्न हिस्सों को शीर्षकों में बांटा गया हो आदि।

यदि आप इन बातों का ध्यान रखगें तो एक अच्छा निबंध(Hindi Nibandh) अवश्य लिख पायेंगे। अपने निबंधों के लेखन के पश्चात उसे एक बार अवश्य पढ़े क्योंकि ऐसा करने पर आप अपनी त्रुटियों को ठीक करके अपने निबंधों को और भी अच्छा बना पायेंगे।

हम अपने वेबसाइट पर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रकार के निबंध(Essay in Hindi) उपलब्ध करा रहे हैं| इस प्रकार के निबंध आपके बच्चों और विद्यार्थियों की अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों जैसे: निबंध लेखन, वाद-विवाद प्रतियोगिता और विचार-विमर्श में बहुत सहायक हो साबित होंगे।

ये सारे ‎हिन्दी निबंध (Hindi Essay) बहुत आसान शब्दों का प्रयोग करके बहुत ही सरल और आसान भाषा में लिखे गए हैं। इन निबंधों को कोई भी व्यक्ति बहुत ही आसानी से समझ सकता है। हमारे वेबसाइट पर स्कूलों में दिये जाने वाले निबंधों के साथ ही अन्य कई प्रकार के निबंध उपलब्ध है। जो आपके परीक्षाओं तथा अन्य कार्यों के लिए काफी सहायक सिद्ध होंगे, इन दिये गये निबंधों का आप अपनी आवश्यकता अनुसार उपयोग कर सकते हैं। ऐसे ही अन्य सामग्रियों के लिए भी आप हमारी वेबसाइट का प्रयोग कर सकते हैं।

Essay in Hindi

 
 
 
 
 
 
 
 
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

Sable Yong Searches Beyond Beauty Standards in Die Hot With a Vengeance

Beauty culture is toxic. Beauty culture is fun. With her new essay collection, Sable Yong asks, Why can’t it be both?

the cover of die hot with a vengeance next to an image of sable yong looking into the camera

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In fact, targeting the conflicting reality of beauty itself was Yong’s ultimate goal: She noticed a dearth of beauty writing that bridged the gap between service or commerce-oriented content (like “how to do makeup,” Yong explains) and academic feminist research (like “beauty as a tool of the patriarchy,” she says). Yong envisioned the sort of collection that’d acknowledge both the pleasure of looking good and the hierarchies that looking good reinforces. “We are constantly trying to reconcile this huge, huge cognitive dissonance between enjoying beauty, and having it be meaningful for us, but also understanding that the origins are not great for most people,” Yong says. But putting that sort of nuance into a “coherent package,” she says, was an extreme challenge, even for a former Allure editor comfortable with the contours—no pun intended—of the makeup, skincare, fragrance, fitness, and wellness industries.

Die Hot with a Vengeance: Essays on Vanity by Sable Yong

Yong had always been a quick-witted writer; she got her first gig at the beauty site xoVain , sister site to xoJane , thanks to a particularly entertaining Craigslist entry she’d posted in search of a roommate. Writing about beauty for xoVain “was a really cool way to get into writing for the internet,” says Yong, who didn’t have a journalism degree or magazine writing experience at the time. But she remembers being told, “‘No, we just want you to do what you already do, but focused on beauty.’ I was like, ‘Oh, okay. That’s pretty easy.’” After her work at xoVain and other beauty-adjacent sites eventually caught the industry’s attention, she moved to Allure in 2017, where she worked as a digital beauty editor until 2019, growing familiar—sometimes too familiar, she feels—with the ever-expanding pile of products that’d accumulate on her desk.

As Yong tested hair dyes and eyeshadows and lip filler and multi-hundred-dollar facials, she questioned how much of her experimenting was a revelry in self-expression, and how much was a money- and power-driven acquiescence to toxic beauty standards. Yong writes in Die Hot With a Vengeance , “There’s money to be made from exploiting insecurities as well as celebrating individuality, and often the only difference between the two is marketing. Beauty sponsored by capitalism makes its pursuit a never-ending list because the ways that one can participate in beauty culture are now endless.”

Die Hot might not answer every reader’s questions about how best to engage with beauty, but it offers a position from which to study those questions with humor and compassion— and a sharply critical eye. Ahead, Yong expands on her own evolving relationship with these questions, and addresses how the explosion of beauty content on social media has shaped our very concept of “beautiful.”

After years of writing about beauty, how do you balance your frustrations with marketing, capitalism, and consumerism with your own earnest enjoyment of beauty and its assorted products? How did you get those ideas straight enough in your head to try and write a collection like this?

Honestly, that was the trickiest, most challenging part of writing this, because I don’t have the answers for everyone. I can have the answer for me , but that’s out of my personal experience. The truth is, it’s something that’s constantly a back-and-forth negotiation. Just, like, four years ago, I don’t think beauty was as urgently prevalent as it feels it is today. A lot of that has to do with the pandemic. A lot of that has to do with TikTok and social media. A lot of people equate what’s viral with what is the official new creed of beauty, which isn’t true at all. Whenever I read things about TikTok trends becoming the new beauty standards, I’m like, “Absolutely not. We do not have the attention span to uphold this standard.”

The reason that beauty standards exist and have existed for as long as they do is because they are so weaved into our political history and patriarchy and racism and misogyny, and because they uphold a ruling class. That’s why they work. I don’t think “strawberry girl makeup” is going to do that. I don’t think “eyebrow blindness” is going to do that.

Because I’ve worked in media, yes, I understand media is trying to capitalize on clicks by writing about these social media trends, but that also has the effect of compounding the importance that these trends didn’t have, but now they do, because they’re being covered by mainstream publications. So that’s two media forces feeding off of each other. That is the constant headache of today.

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Now I’m in my late thirties, and I am fully embodying all the [beauty] shit that I wanted to do when I was a teenager, but wasn’t allowed to. If you can explore all the weird stuff that you like, but you feel like society tells you looks “bad” or you “shouldn’t do,” once you do it you realize, a) you’re not going to become a social pariah, and b) you might like it, or you might realize, “This isn’t actually for me.” Doing that bit by bit is such a great way to reconcile how you feel beauty standards personally affect you.

It’s almost like immersion therapy. [You can observe] how little or how much it affects your life, or more importantly, how it affects the way you look and feel about yourself. That’s how you can explore what you feel is more authentically your identity from what you think it is or should be.

Do you think it’s becoming easier or harder to be considered “beautiful,” as beauty culture becomes increasingly accessible, particularly across social media?

I definitely think that our purview on what is “beautiful” has expanded so much, which is great. But I also think that the expansion of inclusivity has mostly been inviting more people in to conform to the same standards.

Ten years ago, foundation shades ended at medium tan. Now, it’s like, “Great, we have more foundation shades for everyone of all colors, so you, too, can also feel the pressure to look hot.” We have access to beauty, that’s great, but with more access comes more pressure to do it. This is the crucial time to explore: What do you think is actually for you, and what do you feel is just the pressure to “do” beauty?

I think it’s easier to be beautiful, but it’s harder to know what that means.

In Die Hot , you touch on how effortlessness, as an aesthetic choice, has less to do with the actual effort involved and is more about “proximity to class.” That reminded me of our modern obsession with “quiet luxury” or the “old money” look, these class indicators that have more to do with mimicking wealth than they do the actual monetary value of the clothes. We see the same thing in beauty with the “Instagram face” phenomenon. Do you think it’s true that looking the part—when it comes to beauty—is almost akin to being the part?

For a lot of people, yes, looking the part is almost akin to being the part. It’s not who you actually are; it’s what you can convince people you are.

This [phenomenon] is very quiet and pernicious. The fact that injectables and all these beauty treatments are so widely accessible for everyone to smudge away whatever slight insecurities they have ... it’s not going to solve the insecurity so much as it is going to conform to the aesthetic of not having that insecurity.

Beauty is a very good tool to replicate the existing class structures that we have in place, because the more that you achieve the beauty standard, yes, you personally are improving your economic standing, and your social standing, and your mate selection and all that, but you are also, in the same way, compounding the existing social status that oppresses all of the things you were before.

How possible is it to actually opt out of beauty culture? Because you can forsake makeup or shaving or what have you, but is that really the same thing as opting out of a system that, arguably, permeates every aspect of how we see one another?

It’s tough because there is this negotiation of who has the privilege to opt out, and what different types of tenets of beauty standards you possess. There was this one book I read before while I was writing the initial manuscript, called Perfect Me by Heather Widdows , and she described that there’s these four main tenets of beauty standards: thinness, firmness, smoothness, and youthfulness. So it’s like you have these four very broad tenets of beauty standards, and you can possess a bit more of one, or you can let go of one if you possess more of another. It’s this constant negotiation of how much of one you possess in relation to another [that dictates] how much you’re able to opt out of beauty standards without [as much] stigma.

I have certain beauty privileges. I’m fairly, still, [considered] in the youthful category. I’m feminine-presenting, and I am largely considered a thin person. So, with those, I can get away with not shaving my armpits because it’s like, “Oh, well, you’re otherwise thin and feminine-presenting, so sure. And you’re young, so that’s considered more forgivable."

I think you can push back depending on whatever your tastes are, or whatever aesthetics you prefer for yourself, can anyone truly just opt out? No figures really come to mind for me.

You have a following on social media . You are a beauty writer, which allows you to represent beauty in a more figurative sense beyond your literal appearance. So how do you think about your own social media platform and the strategy therein?

Social media just defines so much of appearance politics and beauty today. I feel like I had a much better handle on it five years ago. With the proliferation of so much beauty content, a lot of which is really well-made and thorough ... I’ve become a very lazy person, and I’m not willing to commit to doing this very, very well-curated content. I don’t think I’m adding anything to that conversation.

I don’t know what to do about social media these days. In the past, when I did post more, I would try to be a little bit tongue-in-cheek with it. If I posted a really well-lit, nicely angled selfie, I would, in the next slide, post an outtake that I thought was funny. Because we all know that the result of one good selfie is a hundred outtakes.

I think that’s what I find interesting with other people’s content as well, and [particularly] other people who do influencing professionally and are doing really high-level Reels and videos. I always appreciate it when they put a behind-the-scenes thing in there.

You write a bit in the book about the bond of beauty editors and beauty writers. How have you experienced that bond in the relatively small beauty media space?

You get very intimate with one another in ways that, probably, HR would not approve of. Because beauty is very personal, you get to share a lot of your inner vulnerabilities with these people—for work, yes, but also intimacy begets intimacy, no matter the context. In most office environments, you wouldn’t necessarily talk about getting a breast augmentation or getting a nose job, whereas when you work at a beauty publication, that stuff is table stakes.

Sharing insecurities is, obviously, one of the fast-track ways to connect with someone, because connection requires vulnerability. ... It’s such a great way to learn the experiences that have made the people around you. And then you get this consensus of people who have nothing to gain or lose by telling you to get or not get this procedure. A lot of them are just, honestly, like, “Dude, you don’t have to do this,” or like, “Have you thought of all of the things involved?” The context around [beauty], with these people who are very informed, is such a lifesaver.

This interview has been edited and condensed for clarity.

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Critic’s Notebook

The Nazi Jurist Who Haunts Our Broken Politics

A contempt for compromise. An expansive vision of executive power. Both owe much to Carl Schmitt.

Credit... Photo illustration by Tyler Comrie/Source: Ullstein Bild, via Getty Images

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Jennifer Szalai

By Jennifer Szalai

  • Published July 13, 2024 Updated July 15, 2024

It was a curious line, not just for what it said, but also because of who was saying it. In an interview last month with the New York Times Opinion columnist Ross Douthat, J.D. Vance, the Republican senator from Ohio who is vying to be Donald Trump’s running mate, declared: “The thing that I kept thinking about liberalism in 2019 and 2020 is that these guys have all read Carl Schmitt — there’s no law, there’s just power. And the goal here is to get back in power.”

Vance was referring to the political theorist and Nazi jurist who provided much of the intellectual ballast for the Third Reich. Schmitt despised liberalism. Yet according to Vance, liberals are in thrall to this adamantly illiberal thinker, a man who extolled the dictatorial use of executive power to defeat one’s enemies.

That, at least, is what I think Vance was saying. His examples of Schmittian liberalism involved not jackboot autocracy but political correctness — an “absolutely tyrannical” force that meant “there was nothing you were allowed to say.”

In the rest of the interview, Vance seemed to have few qualms about wielding power to defeat enemies, as long as conservatives were the ones doing it. Asked about the 2020 election and the Jan. 6 attack on the Capitol, Vance defended Trump (who, until he was injured by a gunman at a rally on Saturday , has talked incessantly about crushing his enemies ). “I think that challenging elections and questioning the legitimacy of elections is actually part of the democratic process,” Vance said. “When they say, ‘He’s threatening the foundation of American society,’ I can’t help but roll my eyes.”

Vance’s comment about Schmitt, law and power acquired new resonance on July 1, when two events took place that happened to be connected with Trump’s attempts to overturn the 2020 election. Each captured an element of politics that Schmitt would have recognized — and endorsed.

In Danbury, Conn., the former Trump adviser Steve Bannon entered a low-security prison to serve a four-month sentence , having defied a subpoena from the House committee investigating Jan. 6. Standing before a noisy gathering of supporters, the ever-confrontational Bannon railed against the “corrupt, criminal D.O.J.,” called himself a “martyr” and told a priest to “pray for our enemies” because “they’re the ones who are going to need the prayers.” He kept the fury turned up for nearly half an hour, signing off with “Victory or death!” It was a show of contemptuous, uncompromising fanaticism — and a faithful embodiment of Trump’s own scorched-earth, us-versus-them instincts.

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