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Notes for Class 4 Hindi Chapter Wise
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Essay on Importance of Trees in Hindi : दोस्तों आज हमने पेड़ों का महत्व पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 और 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है. वर्तमान में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण पृथ्वी का वातावरण बुरी तरह से प्रदूषित हो चुका है.
इसलिए हमने इसमें बताया है कि पेड़ों की सहायता से कैसे हम प्रदूषित वातावरण को ठीक कर सकते है और पेड़ हमारे जीवन में किस प्रकार से महत्व रखते है.
यह निबंध हमने विद्यार्थियों की सहायता के लिए अलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है जिसे प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थियों को परीक्षा में निबंध लिखने में आसानी हो.
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पेड़ हमारे जीवन के साथी है यह हमें जीवन जीने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर के प्राण वायु ऑक्सीजन उपलब्ध करवाते है.
अगर पेड़ नहीं होंते तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होता, पेड़ की हमारी प्रकृति है जो की पूरी पृथ्वी को हरा भरा और खुशहाल बना कर रखते है.
पेड़ जीवन भर हमें कुछ ना कुछ देते ही रहते है, फिर भी हम अपने निजी स्वार्थ के लिए पेड़ों को काट देते है. आज यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि जो पेड़ हमें जीवन दे रहे है हम उन्हीं को नष्ट करने पर तुले हुए है.
अगर हमें पृथ्वी को बचाए रखना है तो अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाने होंगे.
पेड़ प्रकृति का अनमोल उपहार है , पेड़ों के कारण ही इस हरी भरी पृथ्वी और हमारा जीवन खुशहाल है. पेड़ सच्चे योद्धा है जो जन्म से ही हमारे लिए प्रदूषण से लड़ते रहते है और हमें स्वच्छ व सुंदर पर्यावरण देते है.
पेड़ हमारी पृथ्वी पर हजारों वर्षों से है ये चल फिर नहीं सकते लेकिन इंसानों की तरह श्वास ले सकते है. पेड़ प्रदूषण वाली जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके हमें शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करते है.
पेड़ जीवन भर हमें खाने के लिए फल और अनाज, बारिश भी इन्हीं की वजह से होती है जिससे हमें पीने को जल मिलता है, कपड़े, ईंधन के लिए लकड़ी, कागज, रबर, बीमारियों को दूर करने के लिए जड़ी बूटियां, गर्मियों में ठंडी छांव देते है.
बारिश के दिनों में भूमि के कटाव को रोकते है , पेड़ों के पत्तों से भूमि उपजाऊ हो जाती है, पेड़ अन्य जीव जंतु को रहने के लिए घर के समान स्थान देते है और अन्य बहुमूल्य खनिज संपदा भी इन्हीं की देन है.
लेकिन धीरे-धीरे जब से औद्योगिकीकरण और शहरीकरण बढ़ा है वैसे वैसे मानव द्वारा पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की गई है जिसके कारण पड़ते का प्राकृतिक संतुलन गड़बड़ा गया है.
शहरों में पेड़ नहीं होने के कारण वहां पर वर्षा कम होती है और वायु प्रदूषण भी अधिक मात्रा में रहता है. अगर पेड़ों की कटाई निरंतर इसी गति से चलती रही तो वह दिन दूर नहीं है जब पृथ्वी का विनाश हो जाएगा.
पेड़ हमारे जीवन के लिए बहुत जरूरी है इसलिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा और अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे जिससे हमारा आने वाला भविष्य सुरक्षित और स्वच्छ हो.
प्रस्तावना –
पेड़ प्रकृति की अनुपम देन है, पेड़ एक देश की बहुमूल्य संपदा होते है इन्हें हरा सोना भी कहा जाता है. जहां पर पेड़ अधिक मात्रा में होते है वहां की जलवायु स्वच्छ और सुंदर होती है.
साथ ही वहां पर जीवन जीने के लिए बहुत अधिक खनिज संपदा उपलब्ध होती है. हमारे भारत देश में तो पेड़ों की पूजा की जाती है उनको उतना ही मान सम्मान दिया जाता है जितना कि किसी मनुष्य को दिया जाता है.
लेकिन जब से हमने पश्चिमी सभ्यता को अपनाना शुरू किया है और शहरीकरण जैसे बढ़ रहा है उसके कारण पेड़ों की कटाई बहुत तेजी से हो रही है जिस तेजी से पेड़ों की कटाई हो रही है तेजी से पेड़ों को पुनः नहीं लगाया जा रहा है.
यह सिर्फ हमारे देश में ही नहीं हो रहा यह पूरे विश्व में हो रहा है. इसके कारण पृथ्वी की पूरी जलवायु और ऋतु परिवर्तन गड़बड़ा गया है.
पेड़ों के लाभ –
(1) पेड़ वातावरण को स्वच्छ एवं सुंदर बनाते है.
(2) पेड़ हमारे वातावरण से दूषित एवं जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड एवं अन्य गैसों को अवशोषित करके हमें स्वच्छ ऑक्सीजन प्रदान करते है.
(3) जहां पर अधिक मात्रा में पेड़ होते है वहां पर ध्वनि प्रदूषण भी बहुत कम मात्रा में होती है क्योंकि पेड़ों की सघनता आवाज को फैलने नहीं देती है.
(4) जहां पर भी पेड़ अधिक मात्रा में होती है भूमि का कटाव नहीं होता और इन की सहायता से भूमि की अम्लता में भी कमी आती है.
(5) पेड़ों की सुखी पत्तियों से हमें जैविक खाद मिलती है जो की भूमि को उपजाऊ बनाती है. इसके कारण फसल अच्छी होती है.
(6) पेड़ हमें गर्मियों में ठंडी छांव प्रदान करते है.
(7) पेड़ों के कारण ही हमारी पृथ्वी के वातावरण में समय समय पर बदलाव आता रहता है जिसके कारण पृथ्वी का संतुलन बना रहता है.
(8) पेड़ों से हमें फूल, फल, रबर, लाख, रेशम, कागज, दियासलाई, लकड़ी, जड़ी-बूटियां और अन्य खनिज पदार्थ प्राप्त होते है.
(9) पेड़ अत्यधिक तेज जल प्रवाह को रोककर बाढ़ को आने से रोकते है.
(10) वृक्षों के कारण ही हमारी वन्य जीव संपदा आज सुरक्षित है.
(11) वृक्षों के कारण ही प्रत्येक स्थान पर सही मात्रा में वर्षा होती है जिससे हमें फसल के लिए और पीने योग्य मीठा जल प्राप्त होता है.
(12) पेड़ सभी प्राणियों के जीवन के रक्षक होते है.
निष्कर्ष –
पेड़ हमारी बहुमूल्य संपदा है अगर लगातार हम इसका दोहन करते रहे तो यह संपदा समाप्त हो जाएगी फिर हमारा जीवन भी समाप्त हो जाएगा.
हमें वृक्षों की महत्वता को समझना होगा क्योंकि संपूर्ण प्रकृति के रक्षक है जब तक यह पृथ्वी पर विद्यमान है तब तक पृथ्वी पर जीवन है इन के बिना पृथ्वी सिर्फ एक सूखा और बंजर ग्रह बन जाएगा.
आज बढ़ते हुए शहरीकरण और हमारे थोड़े से स्वार्थ के कारण पेड़ों की संख्या कम हो गई है जिसका बदलाव आप देख सकते हैं कि पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और वातावरण भी संतुलित हो गया है.
इसलिए हमें आज और अभी से जागरूक होकर वृक्षों की संख्या को बढ़ाना होगा जिससे हमारा वातावरण और जीवन सुगमता चलता रहे.
रूपरेखा –
हमारे जीवन में पेड़ों का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि मानव सभ्यता का उदय इन्हीं के कारण हुआ है और प्रारंभिक जीवन पेड़ों के समूह (वनों) के बीच में ही व्यतीत हुआ है.
इन्हीं की पत्तियां और शाखाएं लेकर हमने घर बनाए है, इनसे ही हमें खाद्य पदार्थ और ऊर्जा के लिए लकड़ियां प्राप्त हुई है.
वृक्षों से ही हमने हथियार बनाए हैं और उन्हीं की सहायता से शिकार किया है. विज्ञान की शुरुआत भी पेड़ों से ही हुई है क्योंकि जब पहला पहिया बनाया गया था तो वह लकड़ी का ही बनाया गया था.
जिसने विज्ञान और मनुष्य के जीवन में इतनी तेजी से बदलाव ला दिया कि आज उसी पहिए से पेड़ों को रौंदा जा रहा है. यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि जिन वृक्षों की वजह से आज हम इतनी सुख समृद्धि से जीवन यापन कर रहे है और स्वच्छ ऑक्सीजन ले रहे है,
बदले में हम उन्हीं का विनाश कर रहे है. यह हिंदी की एक कहावत के अनुसार अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने के जैसा ही है क्योंकि जैसे ही वृक्ष हमारी पृथ्वी से विलुप्त हो जाएंगे उसी समय मानव सभ्यता भी नष्ट हो जाएगी.
वृक्षों का मानव जीवन में महत्व – Uses of Trees in Hindi
(1) वृक्षों से हमें प्राणवायु ऑक्सीजन मिलती है.
(2) पेड़ों से वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण को कम करने में सहायता मिलती है.
(3) इनसे में बहुमूल्य जड़ी बूटियां प्राप्त होती है जिससे कई प्रकार की बीमारियां ठीक हो जाती है.
(4) वृक्षों से हमें भोजन करने के लिए फल और अन्न मिलता है.
(5) वृक्षों से में सूखी लकड़ियां प्राप्त होती है जिससे हम आग जला कर ऊर्जा प्राप्त कर सकते है और दरवाजे, चारपाई पहिए, मशीनों के कल-पुर्जे, छोटे हथियार, पानी के जहाज इत्यादि बना सकते है.
(6) पेड़ गर्मियों के दिनों में हमें ठंडी छांव प्रदान करते है जिससे हमें कम गर्मी लगती है.
(7) वृक्षों से हमें गोंद, रेशम, रबर, लाख कागज और अन्य खनिज पदार्थ प्राप्त होते है जो कि हमारे उद्योग धंधों के लिए और हमारे जीवन के लिए बहुत आवश्यक है.
(8) पेड़ों के कारण पृथ्वी की ओजोन परत सुरक्षित रहती है इसके कारण सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों से हमारी सुरक्षा होती है.
(9) पेड़ों के कारण ही अच्छी मात्रा में वर्षा होती है जिससे नदियों, तालाबों और भूमिगत जल में वृद्धि होती है, और हमें पीने के लिए स्वच्छ और मीठा जल प्राप्त होता है.
(10) वृक्षों के कारण पृथ्वी की सतह ठंडी रहती है जिससे तापमान में वृद्धि नहीं होती है.
(11) पेड़ों के कारण ही पृथ्वी का वातावरण व्यवस्थित रूप से कार्य कर पाता है.
(12) पेड़ भूमि के कटाव को रोकते है और बाढ़ आने से रोकते है.
(13) वृक्षों के कारण कुछ हद तक भूकंप आने की संभावना भी कम हो जाती है.
(14) पेड़ों से प्रकृति में हरियाली रहती है और पूरे वातावरण में ठंडी हवा चलती है.
वृक्षों का वन्य जीवो में महत्व –
वृक्षों का वन्य जीव जंतुओं के जीवन में भी बहुत महत्व है क्योंकि वृक्ष ही उनका घर है. वन्य जीव जंतुओं को भी भोजन पेड़ों के माध्यम से ही प्राप्त होता है.
गर्मियों के दिनों में चिलचिलाती धूप से बचने के लिए वे पेड़ों की छांव में ही बैठते है कुछ वन्य जीव अपना शिकार करने के लिए पेड़ों के पीछे ही छुपते है. पक्षी अपना घोंसला पेड़ों पर ही बनाते है और उन्हीं की छोटी शाखाओं का इस्तेमाल करके घोंसला बनाते है.
इसीलिए जहां पर अधिक पेड़ होते हैं वहां पर पशु पक्षी अधिक मात्रा में पाए जाते है.
वृक्षों की कमी के दुष्प्रभाव –
वर्तमान में वृक्षों के जंगल की जगह सीमेंट के जंगलों ने ले ली है जिसके कारण पूरी पृथ्वी का वातावरण प्रभावित हुआ है. वृक्षों की कमी के कारण हमें क्या क्या नुकसान हुआ है इसको हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझेंगे –
(1) वृक्षों की कमी के कारण जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण में बहुत अधिक मात्रा में वृद्धि हो रही है इसके कारण तरह-तरह की गंभीर बीमारियां मानव जीवन में फैल रही है.
(2) वृक्षों की कमी के कारण पृथ्वी का तापमान प्रतिवर्ष 1 से 2 डिग्री बढ़ रहा है.
(3) पेड़ों की कमी के कारण सभी स्थानों पर वर्षा सही मात्रा में नहीं हो रही है जिसके कारण कुछ जगहों पर सुखा तो कुछ जगहों पर बाढ़ आ रही है और प्रकृति तबाह हो रही है.
(4) पेड़ों से जो शांति और सुख मिलता है वह नहीं मिल पा रहा है क्योंकि शहरों में लोगों को पेड़ों की जगह इमारतों होने घेर लिया है जिसके कारण वहां पर ना तो स्वच्छ वायु पहुंच पाती है ना ही ठीक प्रकार से धूप पहुंच पाती है.
(5) प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि लोगों का जीवन मुश्किल में पड़ गया है कुछ शहरों में तो नौबत यहां तक आ गई है कि लोग अब मुंह पर मास्क लगाकर चलते है.
(6) पेड़ों की कमी के कारण पृथ्वी का वातावरण गड़बड़ा गया है जिसके कारण आए दिन भूकंप और सुनामी आती रहती है.
(7) पेड़ों की कमी के कारण लगातार रेगिस्तान का विस्तार हो रहा है.
(8) वृक्षों की अत्यधिक कटाई के कारण ही शांत पड़े ज्वालामुखी फिर से सक्रिय हो गए है जिनसे विषैली गैसे निकलती रहती है जो की पूरी पृथ्वी के लिए हानिकारक है.
(9) वृक्षों की कटाई के कारण वन्य जीव जंतु का जीवन संकट में पड़ गया है उनकी कुछ प्रजातियां तो विलुप्त भी हो गई है और कुछ विलुप्त होने की कगार पर है.
(10) बदलती जलवायु के कारण मनुष्य का स्वभाव भी चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो गया है.
पेड़ों के रोचक तथ्य –
(1) 50 पेड़ों का समूह है प्रतिवर्ष 80 पाउंड प्रदूषण को अवशोषित कर लेता है.
(2) इमारतों के आसपास पेड़ लगाने से इमारतें 30% अधिक ठंडी रहती है
(3) एक पेड़ एक साल में एक कार के 26000 किलोमीटर चलने पर जितना प्रदूषण होता है उतना अवशोषित कर लेता है.
(4) एक पेड़ अपने पूरे जीवन काल में 1 टन से भी ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर लेता है.
(5) पेड़ प्रति वर्ष लगभग 260 पाउंड ऑक्सीजन पैदा करता है.
उपसंहार –
पेड़ हमारे जीवन का अभिन्न अंग है और इनकी रक्षा करना हमारा दायित्व है. जब तक पृथ्वी पर पेड़ों का अस्तित्व है तब तक ही मानव सभ्यता का अस्तित्व है इसलिए हमें पेड़ों की सुरक्षा करनी होगी.
आज वह समय फिर से आ गया है जब पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन हुए थे. क्योंकि शहरीकरण और बड़े-बड़े हाईवे बनाने के लिए पेड़ों को काटा जा रहा है लेकिन उनको फिर से लगाया नहीं जा रहा है.
कुछ लालची लोगों द्वारा वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है लेकिन सरकार द्वारा कुछ भी नहीं किया जा रहा है. हमारी सरकार नहीं पेड़ों को बचाने के लिए कई वन रक्षकों की नियुक्ति की है लेकिन वे भी थोड़े से लालच के चलते पेड़ों को काटने में सहयोग कर रहे है.
इसके कारण पृथ्वी का पूरा वातावरण प्रभावित हो रहा है अगर यूं ही चलता रहा तो आने वाले कुछ ही वर्षों में पीने के लिए जल की कमी और खाने के लिए खाद्य पदार्थ की कमी हो जाएगी साथ ही जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्वच्छ हवा की भी कमी हो जाएगी.
इसलिए हम युवा पीढ़ी को सभी लोगों को जागरुक करके Ped ke Mahatva के बारे में बताना होगा और अभियान चलाकर अधिक मात्रा में पेड़ लगाने होंगे.
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दीपावली पर निबंध कक्षा 4 के विद्यार्थियो के लिए.
जो छात्र कक्षा 4 मे पढ़ते है, उनको अपने स्कूल मे दीपावली पर निबंध कक्षा 4 Essay On Diwali Hindi for Class Four लिखने को दिया जाता है, तो उन विद्यार्थियो के लिए इस पोस्ट मे दीपावली पर निबंध कक्षा 4 के लिए बताने जा रहे है, जिसकी सहायता से आप अपने क्लास मे दिवाली पर निबंध Essay On Diwali Hindi for Class Four लिख सकते है। और दिवाली के बारे मे जानकारी देने के लिए इस दीपावली पर निबंध कक्षा 4 Essay on Diwali Hindi for Class Four को शेयर भी कर सकते है, और इसे पढ़कर दिवाली के महत्व को भी बता सकते है,
Essay on diwali hindi for class four.
दिवाली जो की भारतीय संस्कृति का सर्वप्रमुख त्यौहार है यह प्रतिवर्ष कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइये यह अपने उपनिषदों की आज्ञा मानी जाती है अर्थात प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन के गम के अंधेरों को खत्म करके उजाले की ओर जाए अपने मन के अंधेरों को भी खत्म करे यही दीपावली का त्यौहार है।
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भारत त्योहारों और मेलों का देश है। दिवाली या दीपावली भारत के सबसे महत्वपूर्ण और रंगीन त्योहारों में से एक है। इसे रोशनी का त्योहार कहा जाता है। दीवाली 14 साल के वनवास में रहने के बाद भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की अयोध्या वापसी का जश्न मनाती है। अयोध्या के लोग बड़ी संख्या में उनका स्वागत करने के लिए खुशी से झूम उठे। यह पर्व भगवान राम के समय से ही मनाया जाता रहा है। लोग अपने घरों, दुकानों और अन्य इमारतों की सफेदी और पेंटिंग करके महान त्योहार की तैयारी करते हैं।
दीपावली की रात को, धन की देवी भगवान गणेश और लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पटाखों और फुलझड़ियों से खेल रहे लोग। धन, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना। यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है। सभी लोग, चाहे वे किसी भी जाति के हों या उत्सव में शामिल हों। इस त्योहार को मनाने के लिए दूसरे देशों में रहने वाले भारतीय समुदाय भी इस त्योहार को बहुत ही धूमधाम से मनाते दिवाली का पर्व मनाते है।
यह त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोगों द्वारा दीपों व मोमबत्तियाँ जलाने से हुए प्रकाश से कार्तिक मास की अमावस्या की रात पूर्णिमा की रात में बदल जाती है। इस त्यौहार के आगमन की प्रतीक्षा हर किसी को होती है। सामान्यजन जहां इस पर्व के आने से माह भर पहले ही घरों की साफ-सफाई, रंग-पुताई में जुट जाते हैं।
वहीं व्यापारी तथा दुकानदार भी अपनी-अपनी दुकानें सजाने लगते हैं। इसी त्यौहार से व्यापारी लोग अपने बही-खाते शुरू किया करते हैं। इस दिन बाजार में मेले जैसा माहौल होता है। बाजार तोरणद्वारों तथा रंग-बिरंगी पताकाओं से सजाये जाते हैं। मिठाई तथा पटाखों की दुकानें खूब सजी होती हैं। इस दिन खील-बताशों तथा मिठाइयों की खूब बिक्री होती है। बच्चे अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियां तथा अन्य आतिशबाजी खरीदते हैं।
दिवाली के दिन घरों, दुकानों और अन्य इमारतों को मोमबत्ती, दीयों और छोटे बल्बों से सजाया जाता है। हम चारों तरफ रोशनी देख सकते हैं। दिवाली के दिन, लोग अच्छे कपड़े पहनते हैं, वे खुश दिखते हैं और उत्सव के मूड में होते हैं। वे मिलते हैं और अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ बधाई का आदान-प्रदान करते हैं। वे मिठाइयों का आदान-प्रदान भी करते हैं।
उपसंहार –
दीपावली के प्रकाश से हमारा घर-आँगन और तन-मन दोनों ही आलोकित उठते हैं। हमारे दिल से मनमुटाव दूर हो जाते हैं। हमारे ह्रदय स्नेह और सदभाव से भर जाते हैं। इससे सामाजिक जीवन को नई चेतना मिलती है और लोगों को नूतन वर्ष के कर्तव्यों को पूरा करने का बल मिलता है।
Faq on diwali in hindi.
प्रश्न:- हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार कौन सा है ??
उत्तर:- दीपावली हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार सा है, जो की शरद ऋतू के कार्तिक महीने के अमावस्या के दिन हर वर्ष मनाया जाता है,
प्रश्न:- दिवाली पर किसकी पूजा की जाती है ?
उत्तर:- दिवाली पर भगवान श्रीगणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
प्रश्न:- दिवाली कब मनाया जाता है ?
उत्तर:- दीपावली शरद ऋतू के कार्तिक महीने के अमावस्या के दिन हर वर्ष मनाया जाता है,
प्रश्न:- दिवाली कैसे मनाया जाता है ?
उत्तर:- दिवाली के पहले घरो की रंगाई पुताई करके दिवाली के दिन घरो को दियो, लाइट से सजाकर, नए वस्त्र पहनकर गणेश जी और माँ लक्ष्मी की पूजा करके एक दूसरे को मिठाई खिलाकर दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।
प्रश्न:- दिवाली को क्यो मनाया जाता है ?
उत्तर:- दिवाली के दिन ही भगवान श्रीराम जी 14 वर्षो के वनवास के पश्चात वापस अपने घर अयोध्या लौटे थे, जिनके लौटने की खुशी मे हर घर दिये जलाए गए थे, जिस कारण से तब से हर साल दिवाली मनाया जाता है।
प्रश्न:- दिवाली पर घरो को कैसे सजाते है ?
उत्तर:- दिवाली के दिये घरो को दियो और लाइट से सजाते है, और रंगीन झालर भी लगाते है।
प्रश्न:- इस साल 2023 मे दिवाली कब है ?
उत्तर:- इस साल 2023 मे दिवाली 12 नवंबर को है, जिस दिन रविवार है।
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दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) - विजयादशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। सभी के सुख की कामना करने वाली और सबकी आस्थाओं को समान आदर-सम्मान देने और वसुधैव कुटुंबकम् की भावना रखने वाली भारतीय संस्कृति का दशहरा एक महत्वपूर्ण भाग है। इस दिन महिषासुर और रावण नामक दो बुराइयों का अंत मां दुर्गा और भगवान राम के करकमलों से हुआ। दुष्ट राक्षसों से मुक्ति पाने की याद में दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक त्योहार है। दशहरा कब मनाया जाता है, दशहरा क्यों मनाया जाता है, दशहरा का महत्व क्या है जैसे पहलुओं से छात्रों को अवगत कराने और भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समझने का यह उपयोगी माध्यम है। दशहरा पर निबंध (Dashhara par nibandh) के हमारे प्रयास से आपको दशहरा पर्व के बारे में काफी कुछ जानने को मिलेगा।
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दशहरा भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसी दिन भगवान राम ने बुराई के प्रतीक दस सिर वाले राक्षस रावण का संहार किया था तो देवताओं को हराकर स्वर्ग पर अधिकार करने वाले महिषासुर का 10 दिन तक चले भयंकर युद्ध के बाद मां दुर्गा ने वध किया। साल 2024 में विजयदशमी यानी दशहरे का त्योहार 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दशहरा सबसे लंबे दिनों तक चलने वाले भारतीय त्योहारों में से एक है।
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ये लेख पढ़ें :
साल 2024 में विजयदशमी यानी दशहरे का त्योहार 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर आरंभ होगी और 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी। नवमी तिथि 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना शुभ माना जाता है।
पूरे देश में लोग बड़े उत्साह और प्रेम के साथ दशहरा यानी विजयदशमी मनाते हैं। दशहरा (Dussehra) को भारत के कई प्रांतों में विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है। दशहरा का पावन अवसर सभी के लिए खुशियाँ मनाने का समय होता है। छात्रों को इस त्योहार का पूरा आनंद लेने के लिए अपने स्कूलों तथा कॉलेजों में छुट्टियां भी मिलती हैं, जिसका वे भरपूर आनंद उठाते हैं।
बच्चों को स्कूल में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखने को भी कहा जाता है, जिससे उनकी दशहरा के प्रति उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी भी मिले। इसके अलावा कभी-कभी छोटी कक्षा के छात्रों से परीक्षा में महत्वपूर्ण अंकों के लिए दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखने का प्रश्न पूछ लिया जाता है। ऐसे में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखना व लिखने का तरीका जानना उनके लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि लोग दशहरा कैसे और क्यों मनाते हैं, इसलिए हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।
कई ऐसे छात्र भी होते हैं, जिनकी हिंदी भाषा पर पकड़ कमजोर होती है, ऐसे में उन्हें समझ नहीं आता है कि हिंदी में दशहरा पर निबंध कैसे लिखें या हिंदी में विजयदशमी पर निबंध कैसे लिखें। निम्नलिखित दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi), ऐसे छात्रों की इन सभी समस्याओं को दूर करेगा। हालांकि ऐसे छात्रों को इस लेख में उपलब्ध संपूर्ण दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) को पूरा कॉपी करने से बचना चाहिए। इसके बदले उन्हें दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) का अर्थ व इसे लिखने का तरीका समझने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे भविष्य में कभी भी हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखने में उन्हें परेशानी नहीं होगी, ऐसी हमें उम्मीद है।
महत्वपूर्ण लेख :
दशहरा दिवाली से दो या तीन सप्ताह पहले आता है। विजयदशमी का यह त्यौहार आमतौर पर प्रत्येक वर्ष सितंबर से अक्टूबर के आसपास मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व आश्विन मास में मनाया जाता है। सनातन/हिन्दू धर्म को मानने वाले सभी लोगों को दशहरा त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है। दशहरा का त्यौहार सभी के लिए खुशी मनाने का क्षण लेकर आता है। परिवार के सभी लोग मिलकर पूजा के लिए तैयारी करते हैं और ढेर सारी खरीदारी करते हैं। साल 2024 में विजयदशमी 12 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
छात्र नीचे दिए गए दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra) की जांच कर सकते हैं और दशहरा/विजयदशमी त्योहार के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभव व्यक्त करने या साझा करने के लिए इस विषय पर कुछ पंक्तियां लिखने का प्रयास कर सकते हैं।
यहां बच्चों के लिए दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) दिया गया है, जिसे युवा स्वयं निबंध लिखते समय देख सकते हैं तथा अधिक जानकारी इकठ्ठा कर सकते हैं:
अन्य लेख पढ़ें-
दशहरा का अर्थ - दशहरा शब्द दो हिंदी शब्दों ‘दस' और 'हारा 'से मिलकर बना है, जहाँ 'दस' गणिता के अंक दस (10) और हारा शब्द 'सत्यानाश/पराजित' का सूचक है। इसलिए यदि इन दो शब्दों को जोड़ दिया जाए तो 'दशहरा' बनता है, जो उस दिन का प्रतीक है जब दस सिर वाले दुष्ट रावण का भगवान राम ने वध किया था।
बुराई पर अच्छाई की जीत - दशहरा को भारत के कुछ क्षेत्रों में विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है। यदि हम क्षेत्रीय और जातीय मतभेदों को अलग रखकर विचार करें, तो इस त्योहार के आयोजनों का एक ही मकसद है, बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देना।
दूसरे शब्दों में, यह त्योहार बुराई की शक्ति पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिंदू पौराणिक कथाओं पर नजर डालें, तो कहा जाता है कि इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध कर दिया था। अन्य परंपराओं का यह भी मानना है कि भगवान राम ने दशहरा के दिन ही असुरों के महान राजा रावण से युद्ध किया था और उसे पराजित कर ये सिद्ध किया था कि बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो, जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है।
इससे हमें यह पता चलता है कि दोनों घटनाओं का परिणाम समान है, बुराई पर सच्चाई की जीत निश्चित है। जिसका परिणाम अंधकार पर प्रकाश, झूठ पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है।
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दशहरा समारोह - पूरे देश में दशहरा का पर्व बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भारत में विभिन्न संस्कृतियां होने के बावजूद, यह किसी भी तरह से इस त्योहार के उत्साह को प्रभावित नहीं करती है। दशहरा/विजयदशमी के पूरे त्योहार में सभी का उत्साह और जोश एक समान रहता है।
विजयदशमी के अवसर पर, भारत के राज्य पश्चिम बंगाल के निवासी बिजॉय दशमी मनाते हैं जो दुर्गा पूजा के दसवें दिन का प्रतीक है। इस दिन, देवी की मूर्तियों को नदी में विसर्जित करने के लिए जुलूस के साथ ले जाया जाता है और उसका विसर्जन किया जाता है। विवाहित महिलाएं एक-दूसरे के चेहरे पर इस दिन सिंदूर लगाती हैं, जबकि अन्य स्त्रियां बधाई का आदान-प्रदान करती हैं और एक दूसरे को दावत देती हैं। कुछ जगहों पर इसी दिन शस्त्र पूजा करने की भी परंपरा है।
ये एक धार्मिक और पारंपरिक उत्सव है जिसकी जानकारी प्रत्येक बच्चे को होनी चाहिये। ऐतिहासिक मान्यताओं और प्रसिद्ध हिन्दू धर्मग्रंथ रामायण में ऐसा उल्लेख किया गया है कि भगवान राम ने रावण को मारने के लिये देवी चंडी की पूजा की थी, जिसके बाद ही अमरता का वरदान प्राप्त कर चुके रावण वध करना संभव हो पाया था।
रामलीला का आयोजन - दशहरा राक्षसों और लंका के राजा रावण पर भगवान राम की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। लोग दशहरा को दस दिनों तक उनके बीच हुए युद्ध को नाटक के रूप में भी मनाते हैं। इस नाटकीय रूप को राम-लीला कहा जाता है। उत्तर भारत में लोग मुखौटे पहनकर और विभिन्न नृत्य रूपों के माध्यम से राम-लीला का आयोजन करते हैं, साथ ही इसका लुत्फ भी उठाते हैं।
रावण दहन - रामायण में कथित छंद का पालन करते हुए, वे रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे तीन बड़े राक्षसों के विशाल आकार के पुतले बनाए जाते हैं। इसके बाद पुतलों को जलाने के लिए उनमे विस्फोटक पदार्थ भरा जाता है और जमकर आतिशबाजी की जाती है। इस दौरान एक आदमी भगवान राम की भूमिका निभाता है और जलाने के लिए पुतलों पर आग लगे हुए तीर चलाता है। लोग आमतौर पर किसी मुख्य अतिथि को भगवान राम की भूमिका निभाने और उस पुतले को जलाने के लिए आमंत्रित करते हैं। यह आयोजन हजारों दर्शकों के मौजूदगी में खुले मैदान में सुरक्षा को ध्यान में रख कर किया जाता है।
हर उम्र के लोग इस मेले का लुत्फ उठाने के लिए यहां उपस्थित होते हैं। बच्चे इस आयोजन का सबसे ज्यादा इंतजार करते हैं और अपने माता-पिता से आतिशबाजी को देखने के लिए ले जाने की जिद भी करते हैं। वे आतिशबाजी देखते हैं और आश्चर्यजनक दृश्यों का आनंद उठाते हैं।
दशहरा के पर्व का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। रावण दहन का यह कार्यक्रम लोगों को एकजुट करता है, क्योंकि इसके दर्शक न कि केवल हिंदू धर्म से बल्कि सभी धर्म के लोग होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दशहरा हमें सिखाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई को मात देती है और प्रकाश हमेशा अंधेरे पर विजय प्राप्त करता है।
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हम बाहर रावण का पुतला तो जलाकर ये बता देते हैं कि बुराई की हमेशा हार और सचाई की हमेशा जीत होती है, लेकिन अपने अंदर के बुराई को खत्म करने के बारे में नहीं सोचते। विजयादशमी बहुत ही शुभ और ऐतिहासिक पर्व है। लोगो को इस दिन अपने अंदर के रावण पर विजय प्राप्त कर खुशी के साथ यह पर्व मनाना चाहिए। वो सतयुग का दौर था जिसमें केवल एक रावण का अस्तित्व था जिसपर भगवान राम ने विजय प्राप्त की थी, पर यह तो कलयुग है जिसमे हर घर में रावण छुपा बैठा है। इतने रावण पर विजय प्राप्त करना आसान नहीं है। जिस प्रकार एक दीपक की रोशनी अंधकार का नाश करने के लिए काफी होती है, ठीक उसी प्रकार एक अच्छी विचारधारा वाली सोच ही काफी है अपने अंदर के रावण का नाश करने के लिए।
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दशहरा जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व के दिन भी कुछ असामाजिक तत्व के लोग शराब पीकर लोगों को परेशान करते हैं। कुछ गंदे मानसिकता वाले लोग भीड़ का फायदा उठाते हुए चोरी और छेड़-छाड़ जैसी शर्मनाक हरकत करते हैं। अगर समाज में दशहरा के दिन इन कुरीतियों को दूर रखा जाए, तो दशहरा का पर्व वास्तव में आनंदमय हो जाएगा।
हिन्दू धर्मग्रंथ रामायण के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि देवी माँ दुर्गा को प्रसन्न करने और वर प्राप्ति के लिए भगवान श्री राम ने चंडी होम कराया था। दशहरा को दुर्गोत्सव भी कहा जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि युद्ध के दसवें दिन माता दुर्गा ने भी महिषासुर नामक दुष्ट असुर का वध किया था। विजयादशमी का पर्व लोगों के मन में नई ऊर्जा, बुराई पर अच्छाई की जीत की सीख, लोगों के मन में नई चाह और सकारात्मक ऊर्जा भी लेकर आता है। भगवान श्री राम ने रावण का अंत कर बुराई पर विजय प्राप्त की और माँ दुर्गा ने महिषासुर को मारकर बुराई का अंत किया। नौ दिन देवी माँ की पूजा अर्चना के बाद यह विजयादशमी आती है। इस दिन सबके घरों में पकवान आदि बनाए जाते है।
दशहरा पर निबंध 10 लाइन में जानने के लिए आप नीचे दिए गए बिंदुओं पर नजर डाल सकते हैं। यहाँ आपके लिए दशहरा निबंध 10 पर लाइन दिया गया है जो निश्चित तौर पर दशहरा पर निबंध (Dussehra Essay in hindi) लिखने के दृष्टिकोण से आपके लिए सहायक सिद्ध होंगे -
दशहरा हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है, जिसे लगभग 10 दिनों तक मनाया जाता है।
दशहरा का पर्व असुर सम्राट रावण पर भगवान राम की जीत का प्रतीक है।
संस्कृत में दशहरा शब्द का अर्थ है 10 बुराइयों से छुटकारा।
यह हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने वाले त्योहारों में से एक है।
दशहरा न केवल हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है, बल्कि देश के अन्य धर्मों जैसे मुस्लिम, ईसाई और सिखों द्वारा भी मनाया जाता है।
दशहरा को नवरात्रि उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, जिसे भारतीय घरों में खुशी फैलाने के लिए मनाया जाता है।
राम-लीला रामायण का एक नाट्य रूपांतरण है जिसका आयोजन आमतौर पर विजयादशमी के दिन किया जाता है।
इस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद जैसे असुरों के पुतले जलाए जाते हैं।
दस मुखों वाले रावण को जलाते वक्त जोरदार आतिशबाजी की जाती है।
दशहरा भारतीय उपमहाद्वीप में लंका के राजा रावण की बर्बर भूमिका के अंत का प्रतीक है।
दशहरे के पर्व के अवसर पर लोग एक दूसरे को बधाई और शुभकामना संदेश प्रेषित करते हैं। इनको अपना दशहरा स्टेटस मैसेज भी बना सकते हैं। नीचे दिए गए दशहरा संदेश अपने इष्टमित्रों को भेज शुभकामनाएं दे सकते हैं-
उत्तर भारत में, दशहरा भगवान राम द्वारा रावण के वध की याद में मनाया जाता है। यह त्योहार महिला देवत्व का उत्सव भी है क्योंकि यह देवी दुर्गा द्वारा दैत्य महिषासुर की हत्या का भी प्रतीक है। दशहरा इस सोच के साथ मनाएं कि सत्य हमेशा बुराई पर विजय प्राप्त करता है।
दशहरा का अर्थ: दशहरा शब्द दो हिंदी शब्दों ‘दस' और 'हारा 'से मिलकर बना है, जहाँ दस' का अर्थ दस (10) और हारा का मतलब सत्यानाश/पराजित है।
यह पर्व दस दिनों तक चलने वाला पर्व है। इतने सारे लोगों को पंडाल, मूर्तियाँ, मिट्टी के चित्र और सज्जाकार बनाने में रोजगार मिलता है। व्यवसाय में वृद्धि से स्थानीय दुकानदारों, मिठाइयों, स्थानीय विक्रेताओं, पुजारियों, रंगमंच कलाकारों को लाभ होता है।
आप इस लेख में दशहरा पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें इसकी जानकारी और साथ ही बेहतर समझ के लिए दशहरा पर निबंध देख सकते हैं।
इस लेख से दशहरा पर 10 लाइन का निबंध प्राप्त कर सकते हैं।
साल 2024 में विजयदशमी यानी दशहरे का त्योहार 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
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Updated On: March 07, 2024 12:55 pm IST
होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हिन्दू धर्म के लोग पूरे उत्साह और सौहार्द के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हिन्दू धर्म के लोगो के बीच भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। होली रंगो और खुशियों का त्योहार है। होली का त्यौहार विश्व भर में प्रसिद्ध है। होली का त्यौहार (Holi Festival) हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। होली का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है। इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग मनाते हैं। वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाने लगे हैं। इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार (Festival of Holi) हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ये भी पढ़ें - अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से 200 से 500 शब्दों तक हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) लिखना सीख सकते हैं।
होली पर निबंध (holi par nibandh) - होली का महत्व.
होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली के पर्व को हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अधिकतर फरवरी और मार्च के महीने में पड़ता है। इस त्योहार को बसंतोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कहानी या किस्सा प्रचलित होता है। ‘होली’ मनाए जाने के पीछे भी कहानी है। वैसे तो होली पर कई कहानियां सुनाई व बताई जाती है लेकिन कुछ कहानियां हैं जो गहराई से हमारी संस्कृति एंव भाव से जुड़ी है। तो आईये जानते है होली मनाने के पीछे का कारण और संस्कृति एंव भाव।
इसी तरह भगवान कृष्ण पर आधारित कहानी होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोप व गोपियों के साथ रास रचाई तब से होली का प्रचलन हुआ। वृंदावन में श्री कृष्ण ने राधा और गोप गोपियों के साथ रंगभरी होली खेली थी इसी कारण वृंदावन की होली सबसे अच्छी और विश्व की सबसे प्रसिद्ध होली मानी जाती है। इस मान्यता के अनुसार जब श्री कृष्ण दुष्टों का संहार करके वृंदावन लौटे थे तब से होली का प्रचलन हुआ और तब से हर्षोल्लास के साथ होली मनाई जाती है।
होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): होली भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। यह पर्व फागुन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है और भारत वर्ष में खुशी, आनंद, प्रेम और एकता का प्रतीक है। होली एक सांस्कृतिक महोत्सव है जिसमें लोग अपनी पूर्वाग्रहों और विभिन्न सामाजिक प्रतिष्ठानों को छोड़कर आपसी भाईचारा और प्रेम का आनंद लेते हैं। यह पर्व विभिन्न आदतों, परंपराओं और धार्मिक आराधनाओं के साथ मनाया जाता है और भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण और आनंदमय अवसर है।
विश्व के अलग-अलग कोने में अलग-अलग तरह से होली खेली जाती है कहीं फूल भरी होली खेली जाती है तो कहीं लठमार होली तो कहीं होली का नाम ही अलग होता है। होली खेलने का तरीका भले ही सबका अलग अलग हो लेकिन होली हर जगह रंगों के साथ ज़रूर खेली जाती है। होलिका दहन के लिए बड़कुल्ले बनाना, होली की पूजा करना, पकवान बनाना, होलिका का दहन करना इत्यादि किया जाता है।
पकवान बनाने के बाद घर के सभी लोग उसे एक थाली में सजाकर होलिका दहन वाली जगह जाते हैं। इसके अलावा वे अपने साथ बड़कुल्ले और पूजा का अन्य सामान भी लेकर जाते हैं जिसमें कच्चा कुकड़ा (सूती धागा), लौटे में जल, चंदन इत्यादि सम्मिलित हैं। फिर उस जगह पहुंचकर होली की पूजा की जाती हैं, पकवान का भोग लगाया जाता हैं और बड़कुल्लों को उस ढेर में रख दिया जाता हैं। उसके बाद सभी लोग कच्चे कुकड़े को उस गोल घेरे के चारों और बांधते हैं और भगवान से प्रह्लाद की रक्षा की प्रार्थना करते हैं। पूजा करने के पश्चात सभी अपने घर आ जाते हैं।
रात में सूर्यास्त होने के बाद पंडित जी वहां की पूजा करते हैं। सभी लोग उस स्थल पर एकत्रित हो जाते हैं। उसके बाद उन लकड़ियों में अग्नि लगा दी जाती हैं। अग्नि लगाते ही, उस ढेर के बीच में रखे मोटे बांस (प्रह्लाद) को बाहर निकाल लिया जाता हैं। होलिका दहन को देखने के लिए लोग अपने घर से पानी का लौटा, कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ व कनक के बाल लेकर जाते हैं। पानी से होली को अर्घ्य दिया जाता है। दूर से उस अग्नि को कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ और कनक के बाल दिखाए जाते हैं। कुछ लोग होलिका दहन के पश्चात उसकी राख को घर पर ले जाते हैं।
इन सब के बाद शुरू होता हैं असली रंगों का त्यौहार। सभी लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों के साथ होली का त्यौहार खेलते हैं। पहले के समय में केवल प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलने का विधान था लेकिन आजकल कई प्रकार के रंगों से होली खेली जाती हैं।
इसी के साथ लोग फूलों, पानी, गुब्बारों से भी होली खेलते हैं। कई जगह लट्ठमार होली खेली जाती हैं तो कहीं पुष्प वर्षा की जाती हैं। कई जगह कपड़ा-फाड़ होली खेलते हैं तो कई लड्डुओं की होली भी खेलते है। यह राज्य व लोगों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। बस रंग हर जगह उड़ाए जाते हैं।
यह उत्सव लगभग दोपहर तक चलता हैं और उसके बाद सभी अपने घर आ जाते हैं। इसके बाद होली का रंग उतार लिया जाता हैं, घर की सफाई कर ली जाती हैं और नए कपड़े पहनकर तैयार हुआ जाता हैं। भाषण पर हिंदी में लेख पढ़ें-
होली का इन्तजार लोगो को पुरे साल भर रहता है। लेकिन कई बार होली पर बहुत सी दुर्घटनाएं भी हो जाती है जिसका ध्यान रखना चाहिए। लोगों द्वारा होली के दिन गुलाल का प्रयोग न कर के केमिकल और कांच मिले रंगों का प्रयोग किया जाता है। जिससे चेहरा खराब हो जाता है कई लोग मादक पदार्थों का सेवन व भाग मिला कर नशा करते हैं जिससे कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे ही होली के दिन बच्चे गुब्बारों में पानी भर कर गाड़ियों के ऊपर फेंकते हैं या पिचकारी और रंगो को आँखों में फेंक के मरते हैं होली में ऐसे रंगों व हरकतों को न करें जिससे किसी व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ें इसलिए होली के दिन सावधानीपूर्वक रंगो को खेलिये जिससे किसी के लिए हानिकारक न हो।
होली का त्योहार (Holi Festival) ऐसा त्योहार है, जिसमें सभी लोग इसके रंग में डूबे नजर आते हैं, लेकिन इसकी मौज-मस्ती आपको इन बातों का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए ताकि इस प्यार भरे उत्सव का मजा किरकिरा न हो।
होली रंग का त्योहार है, जिसे मस्ती और आनंद के साथ मनाया जाता है। होली में पानी और रंग में भीगने के लिए तैयार रहें, लेकिन खुद को और दूसरों को नुकसान न पहुंचाने के लिए भी सावधान रहें। अपने दिमाग को खोलें, अपने अवरोधों को बहाएं, नए दोस्त बनाएं, दुखी लोगों को शांत करें और टूटे हुए रिश्तों को जोड़ें। चंचल बनें लेकिन दूसरों के प्रति भी संवेदनशील रहें। किसी को भी अनावश्यक रूप से परेशान न करें और हमेशा अपने आचरण की देखरेख करें। इस होली में केवल प्राकृतिक रंगों से खेलने का संकल्प लें।
होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ असामाजिक तत्व अपने गलत आचरण से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। कुछ असामाजिक तत्व मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ लोग होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग और गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा। इसलिए होली में कुरीतियों से बचें और खुशुयों से होली मनाये यह लोगो के बीच एकता और प्यार लाता है। होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) कुछ लाइनों में लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से होली पर निबंध 10 लाइनों (Holi Par Nibandh 10 Lines) में लिखना सीखें।
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