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नीम का पेड़ पर निबंध

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नीम हमारा जाना-पहचाना पेड़ है।

नीम का पेड़ हर जगह पाया जाता है। यह घना और छायादार होता है। नीम की पत्तियाँ आरे जैसे किनारोंवाली होती हैं। इसका हर अंग कडुवा होता है। नीम के फल को 'निबौली' कहते हैं। नीम वृक्ष के फूल सफ़ेद और खुशबूदार होते है। नीम पेड़ का फल छोटे गोल आकर का होता है।

नीम का पेड़ बहुत गुणकारी है। इसकी पत्तियों, फल और छाल से तरह-तरह की दवाइयाँ बनती हैं। नीम की दातून दाँतों को स्वस्थ रखती है। इसकी छाया शीतल होती है। नीम के पेड़ की पत्तियों, छाल और फल आदि का स्वाद कड़वा होता है।

नीम की कडुवाहट ही उसका गुण है। नीम भारत के राज्य आँध्रप्रदेश का राजकीय वृक्ष है।

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10 Lines on Neem Tree in Hindi। नीम के पेड़ पर 10 लाइन निबंध

10 Lines on Neem Tree in Hindi

नीम एक वृक्ष का नाम है। नीम अपने कड़वे स्वाद के लिए भी जाना जाता है। नीम के पेड़ के बहुत से औषधिये गुण होते है। नीम के पेड़ से वायु शुद्ध होती है। Neem Tree Essay in Hindi अक्सर विद्यालयों में निबंध के रूप में आता है। इसलिए आज हम “नीम के पेड़ पर 10 लाइन निबंध” लेकर आपके समक्ष आये है, इस आर्टिकल में आप ‘10 lines on Neem Tree in hindi‘ में पढ़ेंगे।

  •  नीम भारत में उगने वाले एक वृक्ष का नाम है।
  •  नीम के पेड़ का वैज्ञानिक नाम Azadirachta indica है।
  •  नीम के पेड़ की उचाई 50 फुट से लेकर 130 फुट तक हो सकती है।
  •  नीम वृक्ष के फूल सफ़ेद और खुशबूदार होते है ।
  •  नीम पेड़ का फल छोटे गोल आकर का होता है।
  •  नीम के फल को निम्बोरी या निम्बोली बोला जाता है।
  •  नीम के पेड़ की पत्तियों, छाल और फल आदि का स्वाद कड़वा होता है।
  •  नीम भारत के राज्य आँध्रप्रदेश का राजकीय वृक्ष है।
  •  नीम के पेड़ से अनेको दवाइया बनायीं जाती है।
  •  नीम का पेड़ किसी वरदान से कम नहीं है।

हमें आशा है आप सभी को Neem Tree in hindi पर छोटा सा लेख पसंद आया होगा। आप इस लेख को अपने स्कूल में 10 lines about Neem Tree in hindi के रूप में भी प्रयोग कर सकते है।

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नीम के पेड़ पर निबंध - Essay on Neem Tree in Hindi

नीम के पेड़ पर निबंध - Essay on Neem Tree in Hindi: नीम का पेड़ (Azadirachta indica) एक सदाबहार पेड़ है जो भारत और दक्षिण एशिया के अन्य भागों में पाय

नीम के पेड़ पर निबंध - Essay on Neem Tree in Hindi

नीम का पेड़ (Azadirachta indica) एक सदाबहार पेड़ है जो भारत और दक्षिण एशिया के अन्य भागों में पाया जाता है। यह लंबे समय से अपने औषधीय गुणों के लिए महत्वपूर्ण रहा है, यही कारण है कि नीम का उपयोग विभिन्न प्रकार की पारंपरिक और आधुनिक दवाओं में किया जाता है। इस निबंध में हम नीम के पेड़ के कई लाभों और इसके विभिन्न उपयोगों के बारे में जानेंगे।

नीम के औषधीय गुण

नीम का पेड़ अपने कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसकी पत्तियों, छाल, बीजों और तेल का उपयोग सदियों से पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में त्वचा के संक्रमण से लेकर पाचन संबंधी विकारों तक कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है। नीम में एज़ाडिरेक्टिन, निम्बिन और निम्बिडिन जैसे यौगिक होते हैं, जिनमें जीवाणुरोधी, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं।

नीम के सबसे प्रसिद्ध उपयोगों में से एक दंत स्वास्थ्य है। नीम की टहनियों को सदियों से एक प्राकृतिक टूथब्रश के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है, क्योंकि ये प्लाक को हटाने और दांतों की सड़न को रोकने में मदद करती हैं। नीम के तेल और नीम की छाल के अर्क का उपयोग आधुनिक ओरल केयर उत्पादों जैसे टूथपेस्ट और माउथवॉश में भी किया जाता है।

नीम: त्वचा और बालों की देखभाल

नीम त्वचा और बालों की देखभाल के लिए भी बेहद फायदेमंद है। इसके जीवाणुरोधी और विरोधी भड़काऊ गुण इसे मुँहासे, एक्जिमा और त्वचा की अन्य समस्याओं के लिए एक प्रभावी उपचार बनाते हैं। नीम के तेल को एक प्राकृतिक मॉइस्चराइजर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, और इसके एंटीफंगल गुण इसे रूसी और अन्य खोपड़ी की समस्याओं के खिलाफ प्रभावी बनाते हैं।

इसके अलावा, नीम एक प्राकृतिक कीट नाशक है और इसका उपयोग अक्सर साबुन, शैंपू और अन्य उत्पादों में जूँ, पिस्सू और अन्य कीटों को भगाने के लिए किया जाता है। नीम का उपयोग कीड़े के काटने और डंक मारने के इलाज के लिए भी किया जाता है।

नीम के कृषि उपयोग

नीम के पेड़ का व्यापक रूप से कृषि में भी उपयोग किया जाता है। नीम का तेल एक प्राकृतिक कीटनाशक है और इसका उपयोग अक्सर फसलों को एफिड्स, मिलीबग और कैटरपिलर जैसे कीटों से बचाने के लिए किया जाता है। मोल्ड और फफूंदी के विकास को रोकने के लिए इसे कवकनाशी के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसके अलावा, नीम की खली (नीम का तेल निकालने के बाद बचा हुआ अवशेष) का उपयोग प्राकृतिक खाद के रूप में किया जाता है। इसमें उच्च स्तर के नाइट्रोजन, फास्फोरस और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो मिट्टी के स्वास्थ्य और फसल की पैदावार में सुधार करने में मदद करते हैं।

नीम के पेड़ पर निबंध - पर्यावरणीय लाभ

नीम के पर्यावरणीय लाभ

नीम का पेड़ पर्यावरण के लिए बहुत ही फायदे मंद है। इसे बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है और यह खराब मिट्टी में भी बढ़ सकता है, जिससे यह सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों के लिए आदर्श पेड़ बन जाता है। इसके अलावा, नीम का मिट्टी के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव देखा गया है, क्योंकि यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और कटाव को कम करने में मदद कर सकता है।

निष्कर्ष

नीम का पेड़ वास्तव में बड़ा उपयोगी पेड़ है, जिसका औषधि, कॉस्मेटिक और कृषि अआदी में उपयोग किया जाता है। इसके जीवाणुरोधी, एंटिफंगल और एंटीवायरल गुण नीम को आयुर्वेद में औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है, जबकि इसके कीट-प्रतिकारक और मिट्टी में सुधार करने वाले गुण इसे किसानों और पर्यावरणविदों के लिए उपयुक्त बनाते हैं। 

नीम से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न: क्या नीम दैनिक उपयोग के लिए सुरक्षित है.

उ: हां, नीम को आमतौर पर व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में उपयोग के लिए सुरक्षित माना जाता है। हालांकि नीम का इस्तेमाल हमेशा कम मात्रा में ही करें और अगर आपके शरीर पर एलर्जी की प्रतिक्रिया नहीं है तो आप इसे नियमित रूप से इस्तेमाल कर सकते हैं।

प्रश्न: क्या नीम का तेल फंगल संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है?

उत्तर: हां, नीम के तेल में ऐंटिफंगल गुण होते हैं और यह एथलीट फुट और दाद जैसे फंगल संक्रमण के इलाज में प्रभावी हो सकता है।

प्रश्न: नीम का तेल कैसे निकाला जाता है?

ए: नीम के पेड़ के बीजों से नीम का तेल कोल्ड प्रेसिंग नामक प्रक्रिया का उपयोग करके निकाला जाता है। बीजों को पीसकर तेल निकालने के लिए दबाया जाता है, जिसे बाद में छानकर बोतलबंद कर दिया जाता है।

प्रश्न: क्या नीम का तेल मनुष्यों या पशुओं के लिए विषैला है?

उ: नीम का तेल आम तौर पर मनुष्यों और जानवरों के लिए सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसका सेवन नहीं करना चाहिए। बड़ी मात्रा में नीम के तेल का सेवन करने से मतली, उल्टी और दस्त हो सकते हैं।

प्रश्न: क्या नीम के तेल का उपयोग खाद्य फसलों पर किया जा सकता है?

उत्तर: हाँ, नीम के तेल का उपयोग अक्सर खाद्य फसलों पर प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में किया जाता है। हालांकि, फसलों या मनुष्यों को किसी भी संभावित नुकसान से बचने के लिए केवल निर्देशित राशि का उपयोग करना महत्वपूर्ण है।

प्रश्न: क्या नीम के पेड़ भारत के बाहर उगाए जा सकते हैं?

उ: हाँ, नीम के पेड़ दुनिया के अन्य हिस्सों में समान जलवायु वाले क्षेत्रों में उगाए जा सकते हैं, जैसे कि अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में। हालाँकि, वे उतनी अच्छी तरह से नहीं बढ़ सकते हैं या उतने नीम के तेल का उत्पादन नहीं कर सकते हैं जितना कि उनके मूल निवास स्थान में उगाए गए पेड़।

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नीम के पेड़ पर निबंध

Essay on Neem Tree in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज हम आप सभी लोगों को अपने इस महत्वपूर्ण निबंध के माध्यम से भारत के पुराने और सबसे ज्यादा पाए जाने वाले पेड़ “नीम के पेड़ पर निबंध” के विषय में बताने वाले हैं। दोस्तों नीम का पेड़ हमारे भारत में औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता है। नीम के पेड़ का जीवनकाल बहुत ही लंबा होता है और यह पेड़ काफी तेजी से वृद्धि करता है और इसके साथ-साथ काफी लंबे समय तक जीवित रहता है।

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दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आप सभी लोगों को नीम के पेड़ पर निबंध के विषय में ही बताने वाले हैं। यदि आप नीम के पेड़ पर निबंध जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख के साथ अंत तक अवश्य बने रहे क्योंकि इस लेख में आप सभी लोगों को नीम के पेड़ पर 250 शब्दों में और 850 शब्दों में निबंध जानने को मिलेगा।

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नीम के पेड़ पर निबंध | Essay on Neem Tree in Hindi

नीम के पेड़ पर निबंध (250 शब्द).

दोस्तों नीम का पेड़ हमारे भारत में सर्वाधिक पाया जाने वाला एक ऐसा पेड़ है, जो कि लगभग 50 फीट तक लंबा हो सकता है और यह हमारे देश में महत्वपूर्ण औषधियों के रूप में भी उपयोग किया जाता है। नीम के पेड़ का जीवन काल बहुत ही लंबा होता है। यह पेड़ बहुत ही तेजी से वृद्धि करते हैं और काफी शुभ भी माने जाते हैं। हमारे भारत में नीम के पेड़ को माता दुर्गा का निवास स्थान माना जाता है और इसीलिए इसकी पूजा भी की जाती है।

यदि हम इसके साइंटिफिक रीजन को देखें तो पता चलेगा कि पुराने समय के लोगों ने यह प्रथा इसलिए बनाई थी क्योंकि नीम के पेड़ का उपयोग औषधियों के रूप में किया जाता है और इसी कारण से इसे बचाए रखने के लिए इसमें समय-समय पर जल की आवश्यकता पड़ती है और इसीलिए इसे माता दुर्गा का निवास स्थान कहा गया, ताकि लोग प्रतिदिन जल समर्पित करें और इस पेड़ को जीवित रखें।

दोस्तों नीम का पेड़ एक ऐसा पेड़ है जिसे केवल मरुस्थलीय क्षेत्रों को छोड़कर पूरे संसार में कहीं पर भी उगाया जा सकता है। नीम का पेड़ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में सबसे ज्यादा उगाया जाने वाला पेड़ हो गया है और यह पेड़ सबसे ज्यादा ग्रामीण इलाकों में पाए जाते हैं। दोस्तों यदि हम आपको बता दें तो नीम के पेड़ को जीवित रहने के लिए ज्यादा धूप और कम पानी की आवश्यकता होती है और यही कारण है कि इसे किसी भी क्षेत्र में आसानी से उगाया जा सकता है।

नीम के पेड़ पर निबंध (850 शब्द)

दोस्तों नीम का पेड़ भारत में सर्वाधिक पाया जाने वाला पेड़ है और भारत में नीम के पेड़ को एक औषधीय पौधा माना जाता है क्योंकि इसके उपयोग के अनेकों लाभ हैं। यदि हम नीम के पत्तों को पानी में उबालकर और पानी को ठंडा करके प्रतिदिन नहाते हैं तो चर्म रोग जैसी समस्याएं हमसे हमेशा दूर रहती हैं।

नीम की पत्तियों के साथ-साथ नीम का तेल भी बहुत ही ज्यादा लाभकारी सिद्ध होता है। नीम के तेल को निकालने के लिए पहले बीजों से उसकी गुठलियों को निकाल लिया जाता है और बाद में इससे मशीनों के द्वारा तेल निकाला जाता है। यदि हम आपकी जानकारी के लिए बता दे, तो एक गुठली में लगभग 50% तक तेल होता है।

नीम के पौधे की उत्पत्ति

नीम के पौधे की उत्पत्ति बहुत ही पुराने समय में हो गई थी। इसकी उत्पत्ति बर्मा नामक एक पौधे से हुई थी। बर्मा बहुत ही पुराने समय में पाया जाने वाला एक पौधा हुआ करता था, जो कि एक औषधीय पौधा था। इस पौधे को शंकरण कराने के बाद एक पौधा प्राप्त हुआ था, जिसे नीम नाम दे दिया गया और यह पौधा भी अपने अंदर औषधीय गुण रखता है और इतना ही नहीं यह पौधा बर्मा के पौधे से भी ज्यादा औषधीय गुण सकता है।

नीम के पौधे का अन्य नाम

नीम के पौधे को एक चमत्कारी वृक्ष भी कहा जाता है। नीम के पौधे को भारत में निंबा और नीब के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ-साथ संस्कृत में नीम के पौधे को अरिष्ट कहा जाता है, इसका हिंदी में मतलब बीमारी से राहत दिलाना होता है। इतना ही नहीं इस पौधे का एक अन्य नाम भी है, जिसे मार्गोसा भी कहते हैं और इसी नाम को कॉपी करके एक साबुन की कंपनी मार्गो भी बनी।

नीम के पौधे का सांस्कृतिक महत्व

नीम का पौधा हमारे भारत में सभी क्षेत्रों में पाया जाता है और यह भी कहा जाता है कि यदि किसी के घर में नीम का पेड़ लगा हुआ है तो वह उस घर के लोगों के लिए स्वर्ग का मार्ग सुनिश्चित कर देता है और इसके साथ-साथ यह भी कहा जाता है कि नीम के पौधे में माता दुर्गा का वास होता है और इसी कारण से बुरी आत्माओं का साया घर से कोसों दूर रहता है।

नवजात शिशु को नीम के पत्ते पर रखा जाता है, इसका पौराणिक महत्व यह है, कि नीम के पत्ते को सुलाने से बच्चा माता दुर्गा की गोद में रहता है और सुरक्षित रहता है, परंतु इसका साइंटिफिक रीजन कुछ और है बच्चे को नीम के पत्तों पर रखने का मतलब यह है, कि उसके शरीर पर कोई वाह री बैक्टीरिया या फिर वायरस अटैक नहीं कर पाता और बच्चा सुरक्षित रहता है।

नीम के अलग-अलग भागों का उपयोग

हम आप सभी लोगों को बता देना चाहते हैं कि नीम के पत्ते और गोपियों के साथ साथ नीम के हर एक भागो का उपयोग औषधि के रूप में और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पूजा पाठ में किया जाता है। आइए हम सभी लोग अब जानते हैं, कि नीम के अलग-अलग भागों का उपयोग कहां कहां किया जाता है?

नीम के पत्ते का उपयोग

दोस्तों नीम के पेड़ के सबसे ज्यादा सक्रिय तत्व होते हैं क्योंकि इसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। हम आपकी जानकारी के लिए बता दूं, तो नीम का पौधा एक बहुमुखी रक्षणीय पौधा है क्योंकि यह सदाबहार वृक्षों में से एक है। आप सभी लोग नीम की पत्तियों का उपयोग घरेलू उपचार के रूप में आसानी से कर सकते हैं।

आप नीम की पत्तियों का उपयोग टूथपेस्ट, स्किन केयर प्रोडक्ट, हेयर ऑयल में नीम की पत्तियों का उपयोग और अर्क का इस्तेमाल और इसके साथ-साथ आप बहुत सारी औषधियों के रूप में नीम की पत्तियों का उपयोग कर सकते हैं।

नीम के छाल का उपयोग

दोस्तों आप सभी लोग नीम की पत्तियों के साथ-साथ नीम के छाल का भी उपयोग औषधियों के रूप में और प्राथमिक चिकित्सा के रूप में कर सकते हैं।

यदि आपको कहीं चोट लग जाए और आप उसे घरेलू उपचार के तहत ठीक करना चाहे, तो आप सभी लोग नीम के छाल को उतारकर किसी पत्थर पर हल्के से पानी को रखकर रगड़ी और इसके बाद जो पेस्ट बनकर तैयार हो उसे आप अपने चोट पर लगाएं। यदि आप ऐसा करेंगे तो इंफेक्शन नहीं खेलेगा और आपका चोट जल्द से जल्द ठीक भी हो जाएगा।

नीम के बीज का उपयोग

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बता दिया कि आप सभी लोग नीम के बीजों का उपयोग तेल के रूप में कर सकते हैं और दोस्तों आइए हम आपको विस्तार पूर्वक से समझाते हैं। यदि आप सभी लोगों को नीम के बीज का तेल निकलवाना है तो सबसे पहले आपको नीम के बीज इकट्ठा करने होंगे और इन्हें हल्का सा धूप लगवाने के बाद रख लेना है।

जब आपके पास पर्याप्त मात्रा में नीम के बीज हो जाएं तो उसे तेल निकालने वाली मशीनो तक पहुंचाना है और अब आपको मशीनों के द्वारा तेल निकाल कर दे दिया जाएगा। जिसका उपयोग आप सभी लोग अपने चरम रोग को दूर करने के लिए कर सकते हैं।

नीम का पौधा भारत के अरे क्षेत्रों में पाया जाता है और इसे बहुत ही सांस्कृतिक और चमत्कारी पौधा माना जाता है, क्योंकि लोगों का मानना है, कि नीम के पौधे पर देवियों का वास होता है और यह पौधा बुरी आत्माओं से हमें बचाता है और इसके साथ-साथ नीम के पौधे को औषधि के रूप में भी उपयोग करते हैं।

हम आप सभी लोगों से उम्मीद करते हैं, कि आप सभी लोगों को हमारे द्वारा लिखा गया यह नीम के पेड़ पर निबंध (Essay on Neem Tree in Hindi) महत्वपूर्ण लेख अवश्य ही पसंद आया होगा। यदि आपको हमारा यह लेख वाकई में पसंद आया हो, तो कृपया इसे शेयर करें और यदि आपके मन में इस लेख को लेकर किसी भी प्रकार का कोई सवाल या फिर सुझाव है, तो कमेंट बॉक्स में हमें अवश्य बताएं।

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Neem Tree Essay in English

January 28, 2022 by Sandeep

Essay on Neem Tree: A large evergreen tree that can grow up to 24 meters tall with green leaves and bright flowers are basic. The tree is a native of India and southeast Asiatic regions, and it is highly valued for its medicinal properties. The timber obtained is used for Ayurveda formulations, cosmetic products like shampoos, and organic farming essentials. Neem trees cannot withstand freezing temperatures and high water conditions, and they help cure acne and athlete’s foot.

Essay on Neem Tree

Below we have provided an essay on neem tree for class 1, 2, 3, 4, 5, and 6 students, written in easy and simple words.

Neem is a fast-growing evergreen tree highly valued for its medicinal properties. The scientific name of the neem tree is Azadirachta indica, and it is also referred to as ‘Nim’ or ‘Margosa.’ The neem tree is native to India and other dry areas in South Asia. It was later introduced in Africa and grown in many places in both continents, and it was also added to the Caribbean and South and Central America. For centuries, the tree’s timber and leaves have been used in Ayurvedic medicines, and they are now also used in makeup and organic farming.

Properties of Neem Tree

In India, the neem tree grows flowers from January to April and produces mature fruits from May to August. The fruit is a smooth, yellow-green, sweet flavoured drupe, which means that it is a pure fleshy fruit with only one seed, like peaches and cherries. Neem trees are quite tall- they can reach up to 100 feet in height. The neem plant grows through seeds but can also be artificially propagated using cuttings.

Neem can tolerate various environmental conditions but cannot survive freezing temperatures or areas with too much water. It can grow well even in poor, rocky soil. A novel aspect of neem is that every single part of the plant is helpful somehow. Neem can be used in shampoos to get rid of dandruff and soaps to fix many types of skin conditions like acne and athlete’s foot.

Especially in India, neem is a component of toothpaste and mouthwashes. Traditional treatments use neem to cure diabetes and even blood sugar levels. Many people around the world have shared ‘evidence’ that neem plants can cure COVID-19. There is no concrete proof of this, but some people say it can help alleviate the symptoms. The oil extracted from the plant can also be used as an insecticide and a fungicide.

As a result, they are ubiquitous in organic farming. In the past, neem oil was given to children in small doses when they were ill and bathed with neem tea to cure rashes, cuts, and chickenpox, and this is done even now. Neem wood is still used as fuel for cooking in some rural areas.

Spirituality

All plants have some connection to spirituality and religion across the world. In Indian history and culture, the neem tree symbolizes health, and it has a lot of spiritual significance concerning positivity. According to Hindu mythology, the neem tree was first born through drops of the elixir of immortality, namely Amrit, which was sprinkled onto Earth by gods.

In conclusion, the neem tree is a beneficial plant to humankind because it can withstand various climates. It can be grown in many parts of the world, so its health benefits are universally recognized and appreciated.

Paragraph on Neem Tree

Neem is a fast-growing evergreen tree highly valued for its medicinal properties. The neem tree is native to India and other dry areas in South Asia, and it was later introduced in Africa and grown in many places in both continents. For centuries, the tree’s timber and leaves have been used in Ayurvedic medicines, and they are now also used in makeup and organic farming. Neem trees are quite tall- they can reach up to 100 feet in height. In India, the neem tree grows flowers from January to April and produces mature fruits from May to August.

The fruit is a smooth, yellow-green, sweet flavoured drupe, which means that it is a pure fleshy fruit with only one seed, like peaches and cherries. The neem plant grows through seeds but can also be artificially propagated using cuttings. Neem can tolerate various environmental conditions but cannot survive freezing temperatures or areas with too much water. A unique aspect of neem is that every single part of the plant is helpful in some way.

Neem can be used in shampoos to get rid of dandruff and soaps to fix many types of skin conditions like acne and athlete’s foot. Especially in India, neem is a component of toothpaste and mouthwashes. Traditional treatments use neem to cure diabetes and even blood sugar levels. The oil extracted from the plant can also be used as an insecticide and a fungicide.

10 Lines on Neem Tree in English

  • Neem, scientifically known as Azadirachta indica, is a fast-growing evergreen tree highly valued for its medicinal properties.
  • The neem tree is native to India and other dry areas in South Asia but can be found now in many parts of the world.
  • In India, the neem tree grows flowers from January to April and grows mature fruits from May to August.
  • Neem can tolerate various environmental conditions but cannot survive freezing temperatures or areas with too much water.
  • Neem can be used in shampoos to get rid of dandruff.
  • It can also be used in soaps to fix conditions and toothpaste to strengthen teeth.
  • The oil extracted from the plant can also be used as an insecticide and a fungicide.
  • In the past, neem oil was given to children in small doses when they were ill.
  • According to Hindu mythology, the neem tree was first born through drops of the elixir of immortality, namely Amrit, which was sprinkled onto Earth by gods.
  • Neem Tree is a boon for humankind.

trees name in hindi

नीम के पेड़ के बारे मे इन बातों को क्या जानते हैं आप | neem ka ped

नीम के पेड़ को भारत में सबसे महत्वपूर्ण पेड़ों में से एक माना जाता है और इस क्षेत्र में सांस्कृतिक और औषधीय महत्व का एक लंबा इतिहास है ।

नीम का पेड़ (Azadirachta indica) भारत का मूल निवासी है और व्यापक रूप से अन्य उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है।

पेड़ की पत्तियों, छाल और बीजों में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुणों वाले यौगिक होते हैं, जो इसे पारंपरिक दवाओं में एक लोकप्रिय घटक बनाते हैं।

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नीम का तेल, जो बीजों से निकाला जाता है, त्वचा की देखभाल, बालों की देखभाल और प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में विभिन्न प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है।

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इसके औषधीय उपयोगों के अलावा, नीम के पेड़ का उपयोग ईंधन के लिए, छाया के स्रोत के रूप में और कृषि परिदृश्य के एक घटक के रूप में भी किया जाता है।

पत्तियों और टहनियों को पशुओं को खिलाया जाता है, और पेड़ को मिट्टी की उर्वरता और फसल की पैदावार पर सकारात्मक प्रभाव के लिए जाना जाता है। नीम के महत्व को जानने के लिए अंत मे दिए गए वीडियो को देखें ।

Table of Contents

नीम का पेड़ neem ka ped

नीम भारतीय उपमहाद्वीप का एक वृक्ष है जो गाँव देहात शहर हर जगह दिख जाता है । नीम के वृक्ष की उँचाई आम तौर पर लगभग 18 से 20 मीटर तक होती है। परंतु, इसकी उँचाई हर देश में अलग अलग हो सकता है क्योंकि यह  देश की जलवायु पर डिपेंड करता है।

हमारे देश के कुछ भागों में नीम के वृक्ष की उँचाई लगभग 25 से 30 मीटर तक भी पाई जाती है। नीम का वृक्ष लंबे वक्त तक टिके रहने वाला एक वृक्ष है। इस वृक्ष की जीवनकाल तकरीबन 150 से 200 तक माना जाता है।

इसकी पत्तियाँ हरे भरे रंग की होती है और इस वृक्ष की सतह बिल्कुल चिकनी होती है। नीम के वृक्ष की फ़ूल उजले रंगो में एक गुच्छो में निकलती है। इसका फ़ूल दिखने में काफ़ी आकर्षित और शानदार होते हैं।

इस वृक्ष के फ़ूलो में पांच पंखुरिया होते हैं। जब भी नीम के फ़ूल बाहर निकलते है तो इसकी कली उपर से बंद होती है। जिसके कुछ दिनों बाद ये पूरी तरह से खिल जाते हैं।

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नीम का वृक्ष कहां-कहां पाए जाते हैं

दुनिया में आम तौर पर neem ka ped को सबसे अधिक इंडिया, पाकिस्तान,श्रीलंका, नेपाल, म्यानमार और इंडोनेशिया समेत और भी अन्य जगहो पर इसे अधिक मात्रा में पाया जाते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार हजारों साल से नीम के पेड़ के विभिन्न भागों का उपयोग कई तरह के रोगों के उपचार मे किया जाता है । यह पेड़ भारत के सड़कों , पार्कों मैदानों हर जगह आपको दिख जाएंगे ।

नीम के बीजों का इस्तेमाल

नीम के बीजों का इस्तेमाल चाय निर्माण करने के लिए किया जाता है। इसके बीजों से निर्माण चाय का सेवन करना आपके हेल्थ के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद साबित हो सकता है।

इस चाय से किडनी से जुड़ी समस्या को भी दूर किया जाता है। परंतु, बहुत सारे व्यक्ति इस चाय का ग्रहण नहीं कर पाते है। इसका कारण है कड़वा, जी हाँ यह काफ़ी कड़वा होता है।

नीम के ऑयल के लाभ

Fungal infection  में लाभाकारी है नीम का तेल.

नीम का ऑयल व्यक्ति के शरीर के लिए लाभदायक सिद्ध होता है। यदि आपके बॉडी में किसी भी अंग पर  fungal infection जैसी समस्या होता है, तो आपको अपने अंग पर नीम का तेल लगाना होगा, जिससे आपको काफ़ी लाभ प्राप्त हो सकता है क्योंकि यह अंग्रेजी मेडिसीन से भी बेहतर काम करता है।

बालो की समस्या से है परेशान तो इस्तेमाल करे नीम का तेल

यदि आप भी अपने बाल झरने और टूटने से अब तंग आ गए है, तो अब आप अपने बालों को घने और मजबूत बनाने के लिए नीम के तेल का इस्तेमाल करें। क्योंकि नीम का तेल आपके बालों के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद सिद्ध हो सकता है।

घाव को ठिक करने के लिए करे नीम के तेल का इस्तेमाल

क्या आपके शरीर पर भी छोटा सा घाव है और वो जल्दी छूटने का का नाम नहीं ले रहा और धीरे धीरे बड़ा होता जा रहा है जिससे घाव की समस्या गंभीर हो सकता है तो आपको घाव ठिक करने के लिए दवा के जगह पर नीम के तेल का इस्तेमाल करना होगा। क्योंकि नीम का तेल कोई भी घाव को जल्दी भरने में मददगार साबित होता है।

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नीम के पत्ते के लाभ neem leaves benefits

मधुमेह में नीम के पत्ते है फ़ायदेमंद.

डायबिटीज जैसी गंभीर रोग से अपना बचाव करने के लिए आपको नीम के पत्ते को प्रतिदिन सुबह चार से पांच कोपल जल से धोकर उसका सेवन करने से डायबिटीज जैसी गंभीर समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। क्योंकि नीम के इन पत्तो में anti biotic जैसे गुण भी होते हैं।

पिंपल का इलाज नीम के पत्ते

पानी के कारण पिंपल जैसी समस्या हो जाती है और जब फ़ेस के पिंपल ठिक हो जाता है तब उसके दाग धब्बे दिखने लगते हैं। जिससे व्यक्तियों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है। यदि आपको भी ऐसी कोई समस्या होती है तो आप इससे छुटकरा पाने के लिए प्रतिदिन सुबह नीम के सोफ़्ट सोफ़्ट पत्ते को चबाना होता है।

Gardening मे नीम का इस्तेमाल

गार्डेनिंग के लिए नीम का तेल किसी वरदान से कम नहीं है , नीम के भागों का इस्तेमाल गार्डेनिंग मे कीटनाशक , फफूंदीनाशक व उर्वरक की तरह किया जाता है ।

नीम तेल के फायदे और उपयोग का तरीका जानने के बाद आप केमिकल युक्त कीटनाशकों का इस्तेमाल अपने गार्डेन मे जरूर नहीं करेंगे ।

नीम एक बहुमुखी पेड़ है जिसका बागवानी में कई उपयोग हैं, और इसकी पत्तियों, बीजों और तेल से कई उत्पाद बनाए जाते हैं। बागवानी में उपयोग किए जाने वाले कुछ सबसे आम नीम आधारित उत्पादों में शामिल हैं:

नीम का तेल नीम के पेड़ के बीजों से निकाला जाता है और यह पौधों में कीटों और बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए एक लोकप्रिय जैविक कीटनाशक है। यह मनुष्यों और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है और कीटों को दूर रखने के लिए सीधे पत्ते या मिट्टी पर छिड़काव किया जा सकता है।

नीम की खली नीम के बीज से तेल निकालने के बाद बची हुई सामग्री है। यह कार्बनिक पदार्थ और आवश्यक पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत है और इसका उपयोग बागवानी में उर्वरक और मिट्टी के कंडीशनर के रूप में किया जाता है।

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नीम की पत्ती का अर्क

नीम की पत्ती के अर्क का उपयोग पौधों में कीटों और बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए एक प्राकृतिक कीटनाशक स्प्रे बनाने के लिए किया जाता है। उन्हें पानी में मिलाकर सीधे पत्तियों पर छिड़काव किया जा सकता है।

नीम आधारित कीटनाशक

नीम आधारित कीटनाशक व्यावसायिक रूप से उपलब्ध उत्पाद हैं जो नीम के तेल या अर्क का उपयोग करके बनाए जाते हैं और पौधों में कीटों और बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

नीम आधारित साबुन

नीम आधारित साबुन नीम के तेल का उपयोग करके बनाए जाते हैं और पौधों पर कीटों और बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

वे फंगल संक्रमण और कीट संक्रमण को नियंत्रित करने में भी प्रभावी हैं। ये नीम आधारित उत्पाद सिंथेटिक कीटनाशकों के प्रभावी, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प हैं और एक स्वस्थ और उत्पादक उद्यान को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।

नीम की खेती

नीम भारत मे औषधीय, कीटनाशक, और कॉस्मेटिक प्रयोजनों सहित इसके विभिन्न उपयोगों के लिए देश में व्यापक रूप से उगाया जाता है।

भारत में नीम की खेती आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश राज्यों में लोकप्रिय है। नीम के पेड़ कठोर होते हैं और विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उग सकते हैं, जिसमें सूखी और अनुपजाऊ मिट्टी भी शामिल है।

हालांकि नीम को पर्याप्त धूप की आवश्यकता होती है और वे गर्म, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सबसे अच्छा करते हैं। वे बीज, कटिंग और ग्राफ्टिंग के माध्यम से प्रचारित होते हैं, और रोपण के लिए आदर्श आयु 2-5 वर्ष के बीच होती है।

भारत में नीम मुख्य रूप से इसकी पत्तियों और बीजों के लिए उगाया जाता है, जिनका उपयोग नीम का तेल निकालने के लिए किया जाता है।

तेल का उपयोग विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जिसमें कीटनाशक, कीटनाशक, और त्वचा रोगों और अन्य बीमारियों के लिए प्राकृतिक उपचार के रूप में शामिल है।

भारत में नीम की खेती का उद्योग अभी भी काफी हद तक पारंपरिक और छोटे पैमाने पर है, लेकिन पेड़ की व्यावसायिक खेती में रुचि बढ़ रही है।

भारत सरकार ने नीम उद्योग की क्षमता को पहचाना है और किसानों को सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन प्रदान करने सहित इसके विकास को बढ़ावा देने और समर्थन करने के लिए कदम उठाए हैं।

कुल मिलाकर, नीम की खेती में भारत में ग्रामीण समुदायों को आय और रोजगार प्रदान करने और देश की अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देने की क्षमता है।

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नीम के कुछ नुकसान

1 . नीम के रस का सेवन प्रतिदिन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये आपके हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकता है।

2 . यदि आप नीम का इस्तेमाल किसी भी समस्या में करते हैं, तो इस्तेमाल से पहले आप अपने डॉक्टर की परामर्श जरूर लें।

3 . यदि आपकी स्किन सेंसेटिव है, तो आप नीम के तेल का उपयोग ना करें तो बेहतर होगा। क्योंकि यह आपके स्किन के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है।

इस पोस्ट के माध्यम से नीम के वृक्ष के फ़ायदे और नुकसान से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई है लेकिन आपसे निवेदन है कि किसी भी बीमारी में इसका उपयोग करने से पहले आप डॉक्टर से सलाह लेना मत भूलें।

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके जरूर बताएं ,  ऐसे ही पेड़-पौधों और गार्डेन से जुड़ी रोचक और उपयोगी जानकारी के लिए hindigarden.com से जुड़े रहें , धन्यवाद ।

Happy Gardening..

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दा इंडियन वायर

नीम के पेड़ पर निबंध

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By विकास सिंह

essay on neem tree in hindi

विषय-सूचि

नीम के पेड़ पर निबंध (Essay on neem tree in hindi)

नीम का पौधा क्या है और इसका उपयोग कैसे किया जाता है.

भारत में नीम औषधीय पौधा बहुत माना जाता है क्योंकि इसके कई उपयोग और लाभ हैं। नीम का पौधा भारत में एक तेजी से बढ़ते और लंबे समय तक जीवित रहने वाला पेड़ है। बर्मा से नीम का पेड़ फैला है और अब पूरी दुनिया में उगाया जाता है।

भारत में नीम के औषधीय पौधे को इसके कई उपयोगों और लाभों के कारण अत्यधिक माना जाता है हालाँकि, बाकी दुनिया अभी भी इससे अपरिचित है। नीम एक आकर्षक और बहुमुखी पौधा है और नीम का उपयोग करने के कई फायदे हैं।

नीम के पौधे के विभिन्न भागों का उपयोग करना

नीम के पेड़ के सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले हिस्से बीज गुठली, पत्ते और छाल हैं। नीम के पौधे का फल ऑलिव जैसा लगता है। मांस एक बीज को घेरता है जिसमें एक या कई गुठली होती है। नीम का तेल , सबसे लोकप्रिय नीम का पौधा है, जो नीम के बीज की गुठली को दबाकर बनाया जाता है।

गुठली में 50% तेल हो सकता है। पश्चिमी दुनिया में बीज का तेल ज्यादातर एक सुरक्षित और प्रभावी कीटनाशक के रूप में जाना जाता है। नीम का तेल जैविक माली के साथ बहुत लोकप्रिय है। यह एक प्राकृतिक कीट विकर्षक के रूप में भी उपयोग किया जाता है, जो हानिकारक DEET का एक सुरक्षित और अधिक कुशल विकल्प है।

नीम के बीज का तेल भी कई त्वचा देखभाल उत्पादों में एक घटक है। भारत में नीम के तेल में ज्यादातर नीम के तेल का उपयोग किया जाता है, लेकिन नीम शैंपू, लोशन, क्रीम आदि भी हैं। इसके अलावा तेल औषधीय उपयोगों की एक विशाल श्रृंखला के लिए मूल्यवान है। बीज गुठली में नीम के पौधे में सक्रिय पदार्थों की उच्चतम सांद्रता होती है। उन्हें तेल के लिए दबाने से उन्हें प्राप्त करने का एक तरीका है, लेकिन आप बीज से विभिन्न अर्क भी बना सकते हैं।

नीम के पत्ते

नीम के पौधे की पत्तियां सबसे बहुमुखी और आसानी से उपलब्ध संसाधन हैं। उनमें बीज के समान सक्रिय तत्व होते हैं, बस बहुत कम एकाग्रता में। पत्तियां पूरे वर्ष उपलब्ध हैं, क्योंकि नीम का पौधा सदाबहार है। (बीज स्पष्ट रूप से वर्ष में केवल एक बार उपलब्ध होते हैं)।

पत्तियों से अपना खुद का नीम घरेलू उपचार करना आसान है। नीम टूथपेस्ट और माउथ वॉश में स्किन केयर प्रोडक्ट्स, हेयर ऑयल में लीफ पेस्ट और अर्क का इस्तेमाल किया जाता है और इनके बहुत सारे औषधीय उपयोग भी हैं।

त्वचा पर नीम फेस पैक

कई हर्बलिस्ट पत्तियों को चबाने, सूखे पत्ते के कैप्सूल लेने या कड़वी चाय पीने की सलाह देते हैं। पत्ते रक्त को शुद्ध करते हैं, जठरांत्र प्रणाली (अल्सर!) की मदद करते हैं, यकृत का समर्थन करते हैं, और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।

हालाँकि भारत में हजारों सालों से नीम के पेड़ की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन मेरा सुझाव है कि इन्हें आंतरिक रूप से लेते समय आप सावधान रहें। नीम एक बहुत ही शक्तिशाली जड़ी बूटी है। पहले एक योग्य हर्बलिस्ट से पूछना सबसे अच्छा है, और इसे लंबे समय तक आंतरिक रूप से नहीं लेना है।

हालांकि, नीम पत्ती के अर्क और पत्ती के पेस्ट का सामयिक उपयोग सुरक्षित है। त्वचा की देखभाल और त्वचा विकारों का इलाज नीम का पौधा वास्तव में चमकता है।

यह बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण या परजीवी को खत्म करने में बेहद प्रभावी है, इसकी एंटीवायरल गतिविधि मौसा और ठंड घावों का इलाज कर सकती है, यह सूजन और लालिमा कम कर देता है, यह त्वचा को मॉइस्चराइज़ करता है और इसे कोमल रखता है, यह निशान और रंजकता को भी हल्का कर सकता है।

नीम की छाल

स्पष्ट कारणों से नीम के पेड़ की छाल को बीज या पत्तियों के रूप में उपयोग नहीं किया जाता है। इसमें उतना नहीं है, यह जल्दी से पुन: उत्पन्न नहीं करता है, और इसका उपयोग करना थोड़ा अधिक कठिन है। इसकी सूखी और कठोर प्रकृति के कारण सामग्री को निकालना अधिक कठिन होता है।

हालांकि, एक औषधीय क्षेत्र में छाल का उपयोग करने के लिए अनुशंसित पौधा भाग होता है। वह क्षेत्र दंत चिकित्सा है। छाल में पत्तियों की तुलना में सक्रिय तत्वों की उच्च सांद्रता होती है और विशेष रूप से एंटीसेप्टिक और विरोधी भड़काऊ कार्रवाई वाले अवयवों में अधिक होती है। मसूड़े की सूजन (मसूड़ों की बीमारी) का इलाज करते समय नीम की छाल अत्यधिक प्रभावी होती है।

नीम की टहनी

युवा, कोमल शाखाओं को चबाना, और फिर उन्हें टूथब्रश के रूप में उपयोग करना, गुहाओं और मसूड़ों की बीमारी को रोकता है। भारतीय ग्रामीणों ने सदियों से इस पद्धति का उपयोग किया है। (हालांकि आधुनिक भारत में नीम टूथपेस्ट, माउथवॉश और छाल पाउडर पसंदीदा तरीका है।)

नीम केक

नीम केक लुगदी का एक अजीब नाम है जिसे नीम के बीज का तेल गुठली से निकालने के बाद छोड़ दिया जाता है। यह वास्तव में खाद्य है, कम से कम जानवरों के लिए, और कभी-कभी चारे के रूप में उपयोग किया जाता है। हालांकि, सबसे आम और अनुशंसित उपयोग मिट्टी संशोधन और उर्वरक के रूप में है।

नीम के फूल

नीम के पौधे के फूलों में एक प्यारा, मीठा, शहद जैसा गंध होता है। यह काफी गहन है, दूर से ध्यान देने योग्य है, लेकिन कभी भी अधिक ताकत वाला नहीं है। मधुमक्खियों को नीम के फूल पसंद हैं और नीम शहद लोकप्रिय है। फूल के तेल का उपयोग अरोमाथेरेपी में भी किया जाता है और इसमें शांत और पुनर्स्थापना प्रभाव होता है।

नीम के पौधे के अन्य रोचक उपयोग

नीम के पौधे की लकड़ी अफ्रीकी महाद्वीप के कुछ क्षेत्रों में जलाऊ लकड़ी का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गई है। नीम का पौधा विशेष रूप से जलाऊ लकड़ी के स्रोत के रूप में मूल्यवान है क्योंकि अगर इसकी तीव्र वृद्धि (इसे पांच साल के भीतर काटा जा सकता है), और क्योंकि यह मिट्टी के सबसे खराब पानी में बहुत कम पानी के साथ इतनी अच्छी तरह से बढ़ता है।

नीम के पौधे के सभी भाग भी बहुत फायदेमंद होते हैं, जब गीली घास, खाद घटक के रूप में या मिट्टी संशोधन के रूप में उपयोग किया जाता है। नीम का उपयोग सीमांत मिट्टी को पुनः प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। यह एसिड मिट्टी को तटस्थ में वापस ला सकता है। नीम के पेड़ उगाने से मिट्टी की जल धारण क्षमता और पोषक स्तर में सुधार होता है।

मेरी नज़रों में नीम के पौधे का एक बहुत ही आशाजनक उपयोग है। यह न केवल तीसरी दुनिया के देशों में, बल्कि हमारी दुर्व्यवहार वाली कृषि मिट्टी पर भी बहुत बड़ा अंतर ला सकता है। हालांकि, प्राकृतिक स्वास्थ्य उद्योग की तुलना में इसमें कम पैसा है, इसलिए दुर्भाग्य से आप इसके बारे में ज्यादा नहीं सुनते और इसी कारण यह अधिक लोकप्रिय नहीं है।

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नीम के पेड़ पर निबंध, Neem tree essay in hindi -2

अन्य नाम: इसे चमत्कारिक वृक्ष के नाम से जाना जाता है। इसे भारत में निम्बा के नाम से जाना जाता है। नीम का संस्कृत नाम अरिष्ट है जिसका अर्थ है बीमारी से राहत। मार्गोसा वृक्ष भी इसका अन्य नाम है ।

विवरण: यह छोटे चमकीले हरे पत्तों वाला एक लंबा सदाबहार पेड़ है। यह 100 फीट तक लंबा होता है। यह छोटे सफेद फूलों के साथ वसंत में खिलता है। इसका सीधा तना है। इसकी छाल कठिन खुरदरी और खुरदरी होती है, छोटे पेड़ों में भी होती है। छाल का रंग भूरा भूरा होता है। पत्तियां वैकल्पिक हैं और दाँतेदार किनारों के साथ कई पत्रक हैं। इसके फूल छोटे और सफेद रंग के होते हैं। खाद्य फल की तरह का अंडाकार, गोल और पतला होता है।

स्थान: नीम का पेड़ पूरे भारत में पाया जाता है। यह एक लोकप्रिय गाँव का पेड़ है। यद्यपि यह रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, मृगावनी नयनल पार्क, बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान, सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य और गुइंडी राष्ट्रीय उद्यान में भी व्यापक रूप से उगाया जाता है।

खेती: नीम के पेड़ को आसानी से सूखी, पथरीली, उथली और मिट्टी की मिट्टी में उगाया जा सकता है। इसे बहुत कम पानी और धूप की बहुत जरूरत होती है। यह रोपण के पहले वर्ष के दौरान धीरे-धीरे बढ़ता है। यह बीज और कलमों के माध्यम से प्रचारित किया जा सकता है। युवा नीम का पेड़ अत्यधिक ठंड बर्दाश्त नहीं कर सकता।

औषधीय उपयोग: नीलगिरी के स्वदेशी लोग एक स्थलीय टॉनिक के रूप में स्थलीय ऑर्किड के सूखे और संचालित ट्यूबलर का सेवन करते हैं। नीम औषधीय महत्व भी रखता है। नीम के प्रत्येक भाग का उपयोग दवाओं में किया जाता है। यह आयुर्वेदिक दवाओं में 4000 से अधिक वर्षों से उपयोग किया गया है। इसके बीजों से निकाला गया नीम का तेल दवाओं, कीट नियंत्रण और सौंदर्य प्रसाधन आदि में उपयोग किया जाता है।

इसकी पत्तियों का उपयोग चिकनपॉक्स के इलाज में किया जाता है। हिंदुओं के अनुसार, यह माना जाता है कि चिकनपॉक्स की देवी, सीताला नीम के पेड़ में रहती है। नीम की चाय आमतौर पर सिरदर्द और बुखार को कम करने के लिए ली जाती है। इसके फूलों का उपयोग आंतों की समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है।

अन्य उपयोग: भारत में लोग अपने दांतों को ब्रश करने के लिए इसकी टहनियों का उपयोग करते हैं। नीम को बंजर भूमि क्षेत्रों के पुनर्वास में उपयोगी वृक्ष माना जाता है। नीम के बीज का गूदा मीथेन गैस उत्पादन के लिए उपयोगी है। यह कार्बोहाइड्रेट के रूप में भी उपयोगी है जो अन्य औद्योगिक किण्वन के लिए समृद्ध आधार है। नीम की छाल में टैनिन होता है जो कि टैनिंग और रंगाई में उपयोग किया जाता है।

दक्षिण भारत में इसकी लकड़ी का उपयोग फर्नीचर बनाने के लिए किया जाता है। रस्सी में बुने जाने वाले फाइबर की पैदावार। नीम केक को भारत में गन्ने, सब्जी और अन्य नकदी फसलों के लिए उर्वरक के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ कई देश लगातार नीम के पेड़ को बढ़ा रहे हैं। दुनिया भर में नीम फाउंडेशन ने लोगों को नीम के महत्व और इसके उपयोग के बारे में विश्व स्तर पर जागरूक करने में मदद की है।

सांस्कृतिक महत्व: नीम भारत के लगभग सभी हिस्सों में पाया जा सकता है। कहा जाता है कि घर में नीम का पेड़ लगाना स्वर्ग के लिए एक सुनिश्चित मार्ग है। बुरी आत्माओं से दूर रहने के लिए इसके पत्तों को मुख्य द्वार पर लगाया जाता है। दुल्हनें नीम के पत्तों से भरे पानी में नहाती हैं। नवजात शिशुओं को नीम के पत्तों पर रखा जाता है ताकि उन्हें सुरक्षात्मक आभा प्रदान की जा सके। नीम अन्य पेड़ों की तुलना में अधिक ऑक्सीजन देता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Neem ke bare mein bahut achhi jankari di hai apne . Padhkar achha lga

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