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भारतीय त्योहार पर निबंध (Indian Festivals Essay in Hindi)

विश्व भर में भारत ही एक ऐसा देश है जिसे त्योहारों का देश कहा जाता है। यहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। हर धर्म के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं के अनुसार अपने त्योहार मनाते है। भारत को धर्मनिरपेक्ष देश भी कहा जाता है। यहां सभी लोग एक साथ मिलजुल कर भाईचारे के साथ रहते है। वे अपने और अन्य धर्मों के त्योहार को भी बड़ी धूमधाम से मनाते है। इनका हर्षोल्लास इन त्योहारों के समय देखा जा सकता है। हर धर्म के त्योहारों का अपना महत्व और विशेषताएं होती है। महिलाओं और बच्चों में त्योहार का एक अलग उत्साह और जोश देखा जा सकता है।

भारतीय त्योहारों पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Indian Festivals in Hindi, Bhartiya Tyohar par Nibandh Hindi mein)

भारतीय त्योहारों पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

भारत त्योहारों का देश है, यहाँ अनेक त्यौहार मनाये जाते है। सभी त्योहारों को मनाने की खास विधि और परम्परा है। मकर संक्रांति, होली और दीपावली कुछ प्रमुख त्योहार है, जो बड़े धूम धाम से मनाये जाते है।आइये इन त्योहारों को विस्तार से जानें –

मकर संक्रान्तिका त्यौहार

यह त्यौहार नए वर्ष के आगमन का प्रतीक है। जिस दिन सूर्य मकर रेखा में प्रवेश करता है, उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन सूर्य देवता की पूजा की जाती है। इस पर्व के माध्यम से सूर्य को धन्यवाद अर्पित किया जाता है और उनकी पूजा भी की जाती है।

होली का त्यौहार

होली का त्यौहार रंगो का त्यौहार है। यह त्यौहार भक्त प्रह्लाद की जीत की ख़ुशी में मनाया जाता है। यह त्यौहार हमें सन्देश देता है की हमें अपनी भक्ति और श्रद्धा के द्वारा अपने जीवन के दुःख को समाप्त कर ख़ुशी के रंग भरने चाहिए।

दीपावली  का त्यौहार

दीपावली दीपों और प्रकाश कात्यौहार है। यह त्यौहार भगवान राम के लंका विजय के बाद, अयोध्या लौटने की ख़ुशी में मनाई जाती है। यह त्यौहार राम रूपी प्रकाश द्वारा रावण रूपी अंधकार पर विजय का सन्देश देती है। अंधेरों और अज्ञानता को दूर भगाने के लिए दीयों और मोमबत्तियों से चारों ओर रोशनी की जाती है। सभी इस महान त्योहार को बहुत ही उत्साह और ख़ुशी के साथ मिलजुल कर मनाते है।

अतः यह स्पष्ट है की त्योहारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। त्यौहार हमारे जीवन को खुशियों से भर देते है और हमें सदा खुश रहने की प्रेरणा देते है। अतः हमें जीवन का हर दिन एक त्यौहार की तरह जीना चाहिए।

भारतीय त्योहारों पर दीर्घ निबंध (1200 शब्द)

भारत विभिन्न धर्मों के साथ अनेकता में एकता का देश है। त्यौहार चाहे किसी भी धर्म का हो, सभी धर्म और जाती के लोग इन्हें मिल जुलकर मनाते हैं। सभी लोग आपसी भेदभाव को भुलाकर इन त्योहारों का एक साथ आनंद लेते है। लोग उसी धर्म और संस्कृति के रंग में रंगकर उस त्योहार को बड़े ही उत्साह और आनंद के साथ मनाते है। इसके साथ ही आपसी प्यार और सद्भाव की भावना देखने को मिलती है।

भारतीय त्योहारों की श्रेणिया

भारत में विभिन्न धर्मों के त्योहारों का अपना एक महत्त्व है। त्योहारों को मनाये जाने का एक विशेष कारण भी होता है फिर चाहे वो कारण धार्मिक, सांस्कृतिक या पारम्परिक भी हो सकता है। भारतीय त्योहारों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

  • धार्मिक त्योहार

भारत में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई व अन्य धर्म को मानने वाले लोग रहते है, और सभी एक साथ मिलकर त्योहारों को मानते है। यहां जैसा की नाम से पता चल रहा है, इस प्रकार के त्योहार विभिन्न धर्मों और उनकी परम्पराओं के अनुसार होती है। इन त्योहारों में जैसे – होली, दिवाली, दशहरा, रक्षाबंधन, कृष्ण जन्माष्टमी, इत्यादि अन्य त्योहार हिन्दुओं के मुख्य त्योहार है। ईद-उल-फितर, बारावफात, मुहर्रम, इत्यादि मुसलमानों के मुख्य त्योहार है। क्रिसमस, गुडफ्राइडे, ईस्टर जैसे त्योहार ईसाइयों के है। मैंने इनमें से कुछ त्योहारों के बारे में निचे चर्चा कीया है।

दिवाली या दीपावली को हम दीयों या रौशनी के त्योहार के नाम से भी जानते है। इसे हिंदुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक जाना जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन भगवन रामचंद्र ने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आये थे। वनवास के दौरान राक्षस राज रावण ने सीता को धोखे से अगवा कर लिया था, इसी कड़ी में श्री रामचंद्र ने रावण को मारकर सीता को उसके चंगुल से आज़ाद करवाया था। अयोध्या वासियों ने श्री राम को अपने राज्य में वापस आने की खुशी में पुरे राज्य को दीयों से सजाया था। एक परंपरा के अनुसार अंधेरों और अज्ञानता को दूर भागने के लिए दीयों और मोमबत्तियों से चारों ओर रोशनी की जाती है। सभी इस महान त्योहार को बहुत ही उत्साह और ख़ुशी के साथ मिलजुल कर मनाते है।

ईसाई धर्म के लोगों के लिए यह सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार होता है। लोग इसे ईसा मशीह के जन्मदिवस के रूप में पुरे हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाते है। इस दिन क्रिसमस के पेड़ को खाश तौर पर सजाया जाता है, और चर्च में प्रार्थनाएं की जाती है। बाद में लोग आपस में मिलकर प्यार और सद्भाव को बाटते है और एक दूसरे को उपहार और बधाइयाँ भी देते है। इस दिन सांता क्लॉस बच्चों के लिए उपहार लाता है और बच्चे उपहार पाकर बहुत ही प्रसन्न होते है।

मुख्य रूप से मुसलमानों का यह एक बड़ा त्योहार है। यह रमजान के पवित्र महीने के बाद मनाया जाता है। इस दिन बच्चे, बड़े सभी मस्जिदों में नमाज अदा करते है और एक दूसरे को शुभकामनाएं और बधाइयां देते है। बड़े बच्चों को ईदी के रूप में उपहार देते है और बच्चे बहुत ही प्रसन्न होते है। इस दिन उनके घरों में सेवइयां और विभिन्न प्रकार के पकवान बनाये जाते है और सभी अपने मित्रों, रिश्तेदारों को दावत के लिए आमंत्रित करते है।

  • राष्ट्रीय पर्व

राष्ट्रीय त्योहार हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों की देश भक्ति और राष्ट्र के प्रति उनके बलिदान की याद में मनाया जाता है। ऐसे त्योहारों में उनके कार्य और बलिदान की कृत्यज्ञता और उन्हें सम्मान देने के लिए मनाते है। राष्ट्रीय पर्व को सभी धर्मों के लोग मिल कर मनाते है।

  • गाँधी जयंती

यह पर्व प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर के दिन महात्मा गांधी के जन्म समारोह के रूप में मनाते है। इस दिन महात्मा गाँधी के उनके अद्भुत कार्य और उनके बलिदान की याद में समर्पित किया जाता है। गांधी जयंती के दिन सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर उनके महान कार्य को याद किया जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।

  • स्वतंत्रता दिवस

प्रतिवर्ष 15 अगस्त को हमारे देश के प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले पर झंडा फहराकर स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा देश के प्रति किये गए कार्य और बलिदान को याद किया जाता है। इस दिन सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में भी भारतीय झंडे को फहराया जाता है और इन महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद किया जाता है। इनके सम्मान में भाषण और अन्य कार्यकर्मों का भी आयोजन किया जाता हैं।

  • गणतंत्र दिवस

26 जनवरी 1950 के दिन हमारे देश का संविधान लागु हुआ था, तब से इसे गणतंत्र दिवस के रूप में मानते है और देश के स्वतंत्रता सेनानियों और डॉ. भीमराव अम्बेडकर जिन्होंने हमारे देश के संविधान को लिखा था उन्हें याद किया जाता है। स्कूलों में कई कार्यक्रम आयोजित होते है और बच्चों में मिठाईया बांटी जाती हैं।

  • भारत के मौसमी त्योहार

भारत में कई प्रकार के मौसमी त्योहार फसलों की कटाई या मौसमों के परिवर्तन के लिए मनाये जाते है। इनमें से कुछ पारम्परिक तो कुछ सांस्कृतिक त्योहारों को दर्शाते है। जिनमें से कुछ इस प्रकार है –

वसंत पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। आमतौर पर यह फरवरी-मार्च के महीने में होता है। वसंत पंचमी इस बात का प्रतिक है की इस दिन से वसंत ऋतू और होली के पर्व का शुभारम्भ होता है। इस दिन लोग “माँ सरस्वती” की पूजा करते है, गीत संगीत के साथ इस पर्व को धूमधाम से मानते है।

  • पोंगल/ मकर संक्रान्ति

भारत के उत्तरी हिस्से में 14 जनवरी के दिन मकर-संक्रांति के रूप में तो वही देश के दक्षिण इलाके में पोंगल के रूप में मनाते है। इस दिन नयी उपज से पैदा अन्न के पकवान बनाकर भगवान को अर्पित कर उनसे समृद्धि और आशीर्वाद मांगते है। इस दिन सूर्य देवता की पूजा की जाती है। इस पर्व के माध्यम से सूर्य को धन्यवाद और उनकी पूजा भी की जाती है। परम्परा के अनुसार सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करने के रूप में भी मनाया जाता है।

बिहू पर्व असम राज्य की फसल कटाई के पर्व के रूप में मनाई जाती है। इस दिन फसलों की अच्छी पैदावार के लिए भगवान से प्रार्थना की जाती है और घरों की साफ़ सफाई कर हल-कुदाल इत्यादि उपकरणों की पूजा नए वस्त्र पहनकर की जाती है। गीत-संगीत के साथ इस पर्व में लोग आपस में मिलकर एक-दूसरे को बधाइयाँ और उपहार बाटते है।

यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, और उत्तर प्रदेश में मनाई जाती है। इस पर्व में उगते और डूबते सूरज की आराधना और आर्ग दी जाती है। परिवार में अपनों की सलामती के लिए यह पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार दीवाली से छः दिन पश्चात हर वर्ष मनाया जाता है।

विश्व भर में मनाये जाने वाले सभी पर्वों में भारत सबसे ज्यादा पर्व वाला देश है। ये पर्व देश के सांस्कृतिक और समृद्धि का भी प्रतिक है। भारत में अनेक धर्म के लोग अपने धर्म, संस्कृति और परंपरा के प्रचार-प्रसार करने के लिए बड़ी ही धूमधाम से एक साथ मिलकर मानते है। ये सभी पर्व हमारे देश की अनेकता में एकता का सन्देश सारे विश्व में देते है।

Essay on Indian Festivals

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भारत के त्यौहार पर निबंध (Indian Festivals Essay In Hindi)

भारत के त्यौहार पर निबंध (Indian Festivals Essay In Hindi)

आज   हम भारत के त्यौहार पर निबंध (Essay On Festivals Of India In Hindi) लिखेंगे। भारत के त्यौहार पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

भारतीय त्यौहार  पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Indian Festivals In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

Table of Contents

हमारा देश भारत विभिन्नता का एक ऐसा समूह है, जो अत्यंत अदभुत ओर दुर्लभ भी है। इस दुर्लभता ओर अद्भुत स्वरूप को देखकर मन मे खुशियों का उल्लास छा जाता है। हमारे देश भारत मे जो भी त्योहार मनाए जाते है, उनमें अनेक रूप दिखाई देते है।

जैसे कि कोई त्योहार ऋतु ओर मौसम पर आधारित है, तो कुछ सांस्कृतिक या किसी घटना विशेष से सम्बंधित होकर सम्पन्न होते है। हमारे देश मे तो जैसे त्योहारों का जाल सा बिछा है।

हमारे देश के त्योहार

हमारे देश के त्योहारों के बारे में ये कहना अत्युक्ति अथवा अनुचित बात नहीं होंगी की यंहा आये दिन कोई न कोई त्योहार पड़ता ही रहता है। ऐसा इसलिए कि हमारे देश के ये त्योहार किसी एक ही वर्ग, जाती या सम्प्रदाय से ही सम्बंधित नहीँ होते है। अपितु ये विभिन्न वर्गों, जातियों और सम्प्रदायो के द्वारा सम्पन्न ओर आयोजित होते रहते है।

जिसे हम सभी मिलकर खुशयो के साथ मनाते है। ये त्योहार धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक होते है। इन सभी प्रकार के त्योहारों का कुछ ना कुछ विशिष्ट अर्थ होता है।इस विशिष्ट अर्थ के साथ इनका कोई न कोई महत्व भी अवश्य होता है। इस महत्व में मानव की प्रकृति और दशा किसी न किसी रूप में अवश्य झलकती हैं।

मानवीय मूल्यों और मानविय आदर्श के त्योहार

मानवीय मूल्यों और मानवीय आदर्शो को स्थापित करने वाले हमारे देश के त्योहार तो श्रंखलाबद्ध है। जैसे ही एक त्योहार समाप्त हुआ कि दूसरा त्योहार आ धमकता है। कहने का मतलब बस इतना है कि हमारे देश मे पूरे साल ही त्योहार चलते रहते है।

हमें इन त्योहार से फुरसत तो समझो मिल ही नहीं सकती। हमारे देश के प्रमुख त्योहार में दीपावली, रक्षाबंधन, होली, जन्माष्ठमी, बैसाखी, रथयात्रा, दशहरा, ईद, मुहर्रम, बकरी ईद, क्रिसमस, ओणाम, नागपंचमी, बुद्ध -पूर्णिमा, राम-नवमी आदि है।

रक्षाबंधन के त्योहार का महत्व प्राचीन परंपरा के अनुसार गुरु-महत्व को प्रतिपादित करने से है। लोगो की यह मान्यता है कि इस दिन गुरु अपने शिष्य यथाशक्ति दान – दक्षिणा देकर अपनी श्रद्धा – निष्ठा को प्रकट करता है।

आज की परंपरा के अनुसार बहने अपने भाईयों के हाथ मे राखी का बंधन बांधकर उससे परस्पर प्रेम के निर्वाह का वचन दान लेती है। भाद्र मास जन्माष्टमी का त्योहार श्रीकृष्ण जनमोत्स्व के रूप में मनाया जाता है।

दशहरा का त्योहार पूरे देश मे आश्विनी मास में मनाया जाता है। यधपि इस त्योहार के मनाने के विभिन्न तोर तरीके है, जिनसे हमारी धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई है। यह त्योहार लगातार आश्विन मास के पूरे शुक्ल-पक्ष तक परम् हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।

वही नागपंचमी शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पूजा उत्सव के रूप में पूरे देश मे धूम-धाम से मनाया जाता है। नागपंचमी के दिन शेषनाग के प्रति श्रद्धा भक्ति व्यक्त करते है। लोगो का मानना है कि इस दिन नाग देवता प्रसन्न होते है। इससे हमारे धार्मिक संस्कार जागृत होते है।

फिर इन त्योहारो में दिवाली के त्योहार को कैसे भूल सकते है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के अंधकार को पराजित करने के लिए आयोजित करते है। यह अज्ञान को छिन्न भिन्न करके ज्ञान की स्थापना करता है।

मान्यतानुसार इस दीन श्रीराम जी ने रावण को पराजित करके अपने घर अयोध्या लौटे थे और उनके स्वागत में अनगिनत दीपो को जलाकर, अमावस्या का अंधेरा मिटाकर श्रीराम जी का अयोध्या में स्वागत किया गया था।

होली जैसे त्योहार के बारे में कोन नहीँ जानता। इस आनंद ओर उमंग के त्योहार को प्रत्येक प्रकार की कटुता भुलाकर हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। इसी प्रकार ईद, क्रिसमस, बकरी ईद इनसभी त्योहार का अपना – अपना महत्व है।

हमारे देश भारत के त्योहार के ज्वार

हमारे देश मे त्योहारों का ज्वार आये दिन उमड़ता ही रहता है। कोई भी ऐसा दिन नहीँ होता, जो किसी तिथि, पर्व या त्योहार का दिन न हो। हमारे इन पर्वो, तिथियों ओर त्योहारो से हमारी सांस्कृतिक एकता की तरंगें उछलती, कूदती ओर उमड़ती हुई हमारे देश के कण-कण को स्नेह सुधा से सिंचित करती चलती है।

हमारे देश का चाहे उत्तरी भाग हो या दक्षिणी, पूर्वी हो या पश्चिमी अथवा ह्रदय स्थल ही क्यों ना हो। सभी को संजीवनी प्रदान करने वाले हमारे तिथि, त्योहार ओर पर्व ही है। जिस प्रकार से हमारे देश में जातीय भिन्नता ओर भौगोलिक असमानता है, उसी प्रकार से हमारे यहाँ सम्पन्न होने वाले त्यौहारों की एकरूपता नही है।

कोई इतना बड़ा त्योहार होता है की उसे पूरा देश खुशी से गले लगता है। तो कोई इतना छोटा है कि वह केवल सीमित स्थान में ही जनप्रिय होता है। होली, दशहरा, दिवाली जँहा व्यापक रूप से पूरे देश मे बड़े धूमधाम के साथ मनाते है। वही क्षेत्रीय त्योहार जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार का घट त्यौहार, तमिलनाडु का पोंगल, पंजाब की बैसाखी आदि है।

भारत देश के त्यौहार का आगमन

हमारे देश के त्योहार का आगमन या आयोजन ऋतुचक्र से होता है। हमारी सांस्कृतिक चेतना का जीवंत प्रतिनिधि के रूप में है। जिससे हमारी सामाजिक और राष्टीय मान्यताएं झांकती हुई दिखाई देती है। हमारी मनोवर्तिया इससे सपष्ट होती है। हमारी जातियां दिखाई देती है।

हम क्या है और हमारी अवधारणाएं क्या है। हम दूसरों की अपेक्षा क्या है या हम दूसरों को क्या समझते है, इन सभी प्रश्नों का उत्तर और स्पष्टीकरण इन त्योहारों के माध्यम से होता है।अतएव हमें अपने यहां सम्पन्न होने वाले त्यौहारों का यथोचित उल्लेख करना आवश्यक प्रतीत होता है।

रक्षाबंधन का त्योहार राखी, रखड़ी, कई नामो से चर्चित है। जो वर्षाऋतु के श्रावण पूर्णिमा के दिन श्रद्धा विश्वास ओर प्रेम के त्रिकोण से प्रकट होता हैं। प्राचीनकाल से इसके प्रति अनेक धारणाएं रही है, लेकिन आधुनिक इस त्यौहार का खुला ओर सच्चा रूप भाई-बहन के परस्पर स्नेह और मंगल भावनाओ के द्वारा सामने आता हैं।

पूरे देश मे यह हर्ष ओर उल्लास के साथ मनाया जाता हैं। विजय का प्रेरक ओर दृढ़ संकल्प का प्रतीक दशहरा का त्योहार आश्विन मास के शुक्लपक्ष की दशमी को अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध लड़ने का पाठ पढ़ाता है।

दशहरा के त्यौहार को श्री राम द्वारा प्राप्त रावण पर विजय के रूप में सम्पूर्ण देश मे व्यापक ढंग से मनाया जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर निष्ठा और श्रद्धा के रूप में मनाया जाने वाला त्योहार दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।

दिवाली का त्यौहार समशीतोष्ण ऋतु की मुस्कान को दीपो की सुंदर और मनमोहक लो के साथ प्रस्तुत करके हमारे ज्ञान दिप को प्रज्ज्वलित करने की सचेतना प्रदान करता है। राष्टीय स्तर पर मनाए जाने वाले अल्पसंख्यक वर्ग के त्योहारों में ईद, मुहर्रम ओर क्रिसमस के त्योहार भी हममें परस्पर मेल-मिलाप ओर बन्दुत्व की भावना को जाग्रत करते है। जिन्हे हम सभी मिलजुल कर मनाते हैं।

हमारे देश भारत में त्योहार के महत्व

हमारे देश भारत के त्योहार का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि इसमें परस्पर एकता, एकरूपता ओर एकात्मकता का पाठ पड़ाते है। यही कारण है कि हम हिन्दू, मुसलमानों, ईसाइयों, सिक्खों आदि के त्योहार ओर पर्वो को अपना त्योहार ओर पर्व मानकर उसमे भाग लेते है और आपस मे एक दुसरो को ह्रदय से लगाते है।

इसी तरह से मुसलमान, सिक्ख, ईसाई भी हमारे हिन्दू त्योहारों को पर्वो को तन और मन से अपनाकर के अभिन्न भावनाओ को प्रकट करते है। अतएव हमारे देश के त्योहार का महत्व धार्मिक, सास्कृतिक, सामाजिक ओर आद्यात्मिक दृष्टि से बहुत अधिक है।

राष्टीय महत्व की दृष्टि से 15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्टूबर, 14 नबंवर का महत्व अधिक है। संक्षेप में हम कह सकते है कि हमारे देश के त्योहार विशुद्ध प्रेम, भेदभाव ओर सहानुभूति का महत्व रखते है।

इनसे आपस मे मित्रता, एकता और सद्भावना प्रकट होती है। एक प्रकार से अगर ये त्योहार नहीं होते तो समझ लीजिए हमारा जीवन कितना बेरंग ओर नीरस होता। हमें एक दूसरे से कोई मतलब नही होता। पर इन त्योहारों की बजह से ही हम भारतीय आपस मे जुड़े हुए है ओर इन त्योहारों की खुशियों को आपस मे मिलकर बाटते है।

हमारा देश भारत त्योहारों का देश है। यहां कोई भी त्योहार हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि हमारे देश मे सभी लोग हर जाति और धर्म को भुलाकर त्यौहारों का आनन्द उठाते है। हमारे देश में धर्म का इतना कोई महत्व नहीं है, जितना त्योहारों का है।

इसलिये भारत देश ऐसे ही नही पूरे विश्व मे अपनी साम्प्रदायिकता ओर अखंडता के लिए त्योहारों के नाम से विख्यात है। ये त्योहारों से जुड़ी एकता केवल हमारे देश भारत मे ही देखने को मिलती है।

सबसे बड़ी बात तो यह होती है कि ये त्योहार अपने जन्मकाल से लेकर अब तक उसी पवित्रता और सात्विकता की भावना को संजोए हुए है। युग बदले, कई परिवर्तन हुए है और हो भी रहे है, पर इन त्योहारों पर इसका कोई प्रभाव नही पड़ा।

इन त्योहार का रूप चाहे बड़ा हो, चाहे छोटा, चाहे एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित हो या चाहे सम्पूर्ण समाज और राष्ट को प्रभावित करने वाला हो। ये त्योहार शुद्धता, नैतिकता और विश्वास का प्रतीक है, ये भारत के त्योहार है।

List Of Festivals Of India In Hindi

तो यह था भारत के त्यौहार पर निबंध (Festivals Of India Essay In Hindi) , आशा करता हूं कि भारतीय त्यौहार  पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Indian Festivals) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - Holi Par Nibandh 200, 300, 500 शब्दों में

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होली पर निबंध (holi per nibandh in hindi) - भारतीय संस्कृति में प्रत्येक मास की पूर्णिमा किसी न किसी उत्सव के रूप में मनाई जाती है। उत्सव के इसी क्रम में वसंतोत्सव के रूप में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली का पर्व भारतीय संस्कृति में बुराई को जलाकर भस्म कर देने का उत्सव है। यह भारतीय जीवन-शैली का अभिन्न हिस्सा है। होली पर निबंध (Holi per nibandh) से इस पर्व से जुड़ी विभिन्न पौराणिक कथाओं के बारे में भी जानकारी मिलेगी।

होली पर निबंध (holi par nibandh): होलिका दहन का मुहूर्त

होली निबंध (essay holi in hindi) - होली के त्योहार की तैयारी कैसे करें, होली पर निबंध (essay holi in hindi) - होली में रंगों का क्या महत्व है, होली पर निबंध (essay on holi in hindi) - उपसंहार (conclusion), होली पर निबंध (essay holi in hindi) - होली पर निबंध 10 लाइन (holi essay in hindi 10 lines), देश में होली के लिए प्रसिद्ध शहर (famous cities for holi in the country).

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) -  Holi Par Nibandh 200, 300, 500 शब्दों में

रंगों का त्योहार होली हमारे देश भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जैसै-जैसे होली का त्योहार नजदीक आता है, लोगों में खासकर बच्चों में इसको लेकर काफी उत्साह नजर आता है। सब अपने लिए होली खेलने की योजनाएं तैयार करने में जुट जाते हैं। होली पर हिंदी निबंध (Essay on holi in hindi) में होली के त्योहार से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी दी गई है। उम्मीद है कि इस लेख में होली पर निबंध (holi par nibandh) उन छात्रों के लिए भी फायदेमंद होगा जो होली विषय पर निबंध तैयार करना चाहते हैं।

हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

रंगों का त्योहार होली संस्कृति के अनूठे उल्लास को समेटे हुए है। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। होली का त्योहार इसी विविधता में एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम तथा भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां साझा करते हैं और छोटे अपने बड़ों से शुभाशीष प्राप्त करते हैं। विविधतापूर्ण संस्कृति वाले भारत देश में हर धर्म-संप्रदाय के त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। इनमें से आपसी प्रेम तथा सद्भावना की भावना को मजबूत करने वाला होली का पर्व विशेष महत्व रखता है। होली के लोकगीत एक माह पहले से ही सुनाई पड़ने लगते हैं।

होली पर निबंध (holi par nibandh) विषय पर केंद्रित होली पर लेख में हमने रंगों के त्योहार होली (Festival of colours) के सार को समेटने का प्रयास किया है। पाठक इस होली पर निबंध हिंदी (Essay on holi in hindi) में से जानकारी जुटाकर न केवल भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक होली के बारे में अपनी जानकारी को समृद्ध बनाएंगे, बल्कि स्कूलों में अध्ययनरत बच्चे अक्सर परीक्षा में पूछे जाने वाले निबंध के प्रश्न की तैयारी भी कर पाएंगे तथा होली पर हिंदी में निबंध (Essay on holi in hindi) सीख कर परीक्षा में भी उसका लाभ उठा सकेंगे।

होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) - होली की शुभकामनाएं (Holi Greetings in Hindi)

होली के अवसर पर लोग एक-दूसरे को होली शुभकामना संदेश भेजते हैं। नीचे कुछ होली के शुभकामना संदेश दिए गए हैं-

  • हर कदम पर खुशियां मिलें, दुख से कभी न हो सामना; जीवन में सारी खुशियां मिलें, होली की है यही शुभकामना!
  • खुशियों से भरी रहे सदा आपकी झोली, रंग-बिरंगी और मंगल हो आपकी होली।
  • जीवन में हो हर्ष के सभी रंगों की भरमार, सबसे हैप्पी होलो हो तुम्हारी मेरे यार।
  • होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
  • होली का त्योहार आपके जीवन को रंगों से सरोबार करे।
  • रंगों का त्योहार होली आपके जीवन को और भी रंगीन बनाए!
  • रंगों का त्योहार आपके जीवन को रंगीन बनाए!

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छात्र इस लेख के माध्यम से होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) भी जान सकते हैं। फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है तथा उस दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष 2024 में 24 मार्च को होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 7 मिनट तक है। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त का अपना महत्व है। कहा जाता है कि होलिका दहन से आस-पास नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। विज्ञान की दृष्टि से देखें तो होली पहले ही मौसम अनुकूल हो जाने के चलते बीमारियां फैलाने के लिए जिम्मेदार घातक सूक्ष्मजीवों की बाढ़ आ जाती है, होलिका की आग से कफी हद तक इनका विनाश भी हो जाता है।

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होली की प्रचलित कहानियां (Famous stories related to Holi in hindi)

होली का त्योहार राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी जुड़ा हुआ है। पौराणिक समय में श्री कृष्ण और राधा की बरसाने की होली के साथ ही होली के उत्सव की शुरुआत हुई। आज भी बरसाने और नंदगाव की लट्ठमार होली विश्व विख्यात है। यह त्योहार जीवन के उत्साह, उल्लास तथा उमंग को दर्शाता है। होली के पर्व को सतयुग में विष्णु भक्ति के प्रतिफल के रूप में भी मनाया जाता है।

होली की एक कहानी भगवान शिव से भी जुड़ी है। इंद्र ने कामदेव को भगवान शिव की तपस्या भंग करने का आदेश दिया। कामदेव ने उसी समय वसंत को याद किया और अपनी माया से वसंत का प्रभाव फैलाया, इससे सारे जगत के प्राणी काममोहित हो गए। कामदेव का शिव को मोहित करने का यह प्रयास होली तक चला। होली के दिन भगवान शिव की तपस्या भंग हुई। उन्होंने रोष में आकर कामदेव को भस्म कर दिया तथा यह संदेश दिया कि होली पर काम (मोह, इच्छा, लालच, धन, मद) इनको अपने पर हावी न होने दें। तब से ही होली पर वसंत उत्सव एवं होली जलाने की परंपरा प्रारंभ हुई। इस घटना के बाद शिवजी ने माता पार्वती से विवाह की सम्मति दी। जिससे सभी देवी-देवताओं, शिवगणों, मनुष्यों में हर्षोल्लास फैल गया। उन्होंने एक-दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाकर जोरदार उत्सव मनाया, जो आज होली के रूप में घर-घर मनाया जाता है।

होली पर हिंदी निबंध (Holi Essay in Hindi) - प्रस्तावना

विद्यार्थियों को परीक्षा में होली पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Holi in 200 words in hindi) या होली पर लेख (holi par lekh) या होली पर निबंध 300 शब्दों में (Holi Essay in Hindi 300 words) या हिंदी में होली पर निबंध (holi per nibandh in hindi) लिखने को कहा जाता है। होली पर निबंध ( holi par nibandh) की शुरुआत इस त्योहार के बारे में बताकर कर सकते हैं। होली, जिसे "रंगो का त्योहार" के नाम से भी दुनिया भर में जाना जाता है, हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। फाल्गुन (फागुन) मास की पूर्णमासी के दिन होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन चैत्र (चैत) मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को रंगोत्सव यानी होली का त्योहार मनाया जाता है।

आपमें से कई यह सोच रहे होंगे कि साल 2024 में होली कब मनाई जाएगी? साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जाएगी। यह त्योहार दुनिया भर के लोगों के द्वारा बेहद ही जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि यह हिंदुओं का त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग भी साथ मिलकर, उत्साह और उमंग के साथ बड़ों को भी बच्चा बना देने वाले इस त्योहार में मनोरंजक कार्य करते नजर आ जाते हैं।

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होली के त्योहार के लिए लोग अपने-अपने ढंग से तैयारी में जुट जाते हैं। फागुन मास की शुरुआत ठंड की विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम खुशनुमा होने लगता है। इस त्योहार पर फाग गाने की भी परंपरा रही है, फाग लोकगीतों के बिना कुछ अधूरा सा लगता है। पहले तो लोगों को फाग सुनकर ही ही पता लगता था कि होली आने वाली है। ढोलक, मंजीरे और हारमोनियम के साथ लोग अपने रसीले फाग गायन कौशल से दिल जीत लेते हैं। फाग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन इस अवसर पर किया जाता है। होली से पहले पहले और होली के दिन दोपहर तक फगुआ गाया जाता है। इसमें होली से जुड़े लोकभाषा के गीत होते हैं। होली के दिन रात में चैता गाने की भी परंपरा है।

होली के त्योहार को लेकर विशेषकर बच्चों में काफी उत्साह होता है। वे होलिका दहन के लिए काफी पहले से लकड़ियाँ जमा करने लगते हैं। गाँवों में तो हालांकि लकड़ियाँ आसानी से मिल जाती हैं, लेकिन शहर के बच्चे घरों के खराब फर्नीचर आदि की तलाश करते हैं और अमूमन वे दूसरों से माँगकर होलिका की व्यवस्था करते हैं। होलिका तैयार करने में सभी लकड़ियों का योगदान करते हैं। आजकल शहरों में आमतौर पर किसी चौक-चौराहे पर दो-चार दिन पहले से ही लोग पेड़ की सूखी टहनियां, लकड़ी, बांस आदि जमा करने लगते हैं। पहाड़ जैसे इस ढेर में मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन करते हैं। लोगों के घरों में पकवान बनता है। होली के पर्व के लिए घर पर मिलने आने वाले लोगों के लिए महिलाएं मिठाइयां, नमकीन और गुझिया बनाने में जुट जाती हैं। रंग और गुलाल का स्टॉक तैयार किया जाता है।

फाल्गुन मास की पूर्णमासी को होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएँ देते हैं। शहरी संस्कृति ने होली मिलन कार्यक्रमों को जन्म दिया है, जिसमें राजनैतिक दल, संस्थाएं होली मिलन कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं।इस दिन तो ऐसा लगता है कि लोगों को एक-दूसरे को रंगने और पानी से भिगाने का लाइसेंस मिला होता है। साथ ही "बुरा न मानो, होली है" का जुमला यह बताता है कि आज के दिन लोगों को रंग-गुलाल लगाने की छूट है और इससे किसी को भी नाराज नहीं होना चाहिए।

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होली रंगों का त्योहार है। होली की पहचान, रौनक और आत्मा इन्हीं रंगों में बसी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं। बड़े शहरों की बड़ी सोसायटियों में होली के अवसर पर खास आयोजन होने लगे हैं। इस सामूहिक आयोजन में लोग रेन डांस में रंगों से सरोबार होकर नाचते-झूमते हैं। शहरों के बाहर बने वाटर पार्क में भी होली को लेकर कई तरह के आयोजन होने लगे हैं।

होली अब विश्व प्रसिद्ध

राग-रंग के इस लोकप्रिय त्योहार होली को वसंत का संदेशवाहक भी कहा जाता है। होली अब भारत के साथ विश्वभर में मनाया जाने लगा है। रंगों का यह त्योहार पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। दूसरे दिन होली मनाते हैंं। इसे धुलेंडी व धुरड्डी व कई अन्य नाम से भी मनाते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि लगाकर शुभकामनाएं देते हैं। होली के दिन ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और एकता का संदेश देते हैं। कई प्रदेशों में रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं और एक-दूसरे को मिठाइयां खिला कर खुशियां बांटते हैं।

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ लोग बदनाम करने से नहीं चूकते हैं। कुछ असामाजिक तत्व इस दौरान मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ समाज के शरारती तत्व होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा।

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होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) - होली क्यों मनाते हैं - होली का इतिहास

होली की शुरुआत से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। विष्णुपुराण की एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा प्रतिबंधित कर रखी थी। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त निकला और वह दिन-रात भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता। दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप को यह पसंद नहीं था। ऐसे में जब किसी भी तरह से प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोक पाने में उसे सफलता हाथ नहीं लगी, तो उसने प्रह्लाद को जान से मारने का आदेश दिया। हाथी के पैरों तले कुचलने और पहाड़ से फेंककर भी जब प्रहलाद को नहीं मार सका, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन की होलिका की मदद से प्रह्लाद को जलाकर मारने की योजना बनाई।

होलिका को यह वरदान मिला था कि अग्नि में वह नहीं जलेगी। इसलिए लकड़ियों के ढेर पर वह प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई और उसमें आग लगा दी गई। इस होलिका की गोद में बैठा बालक प्रह्लाद भगवान का नाम जपता रहा और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ, जबकि वरदान प्राप्त होलिका अपनी दुष्ट इच्छाओं के चलते जलकर भस्म हो गई। मान्यता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत की याद में तभी से ही होली का त्योहार मनाया जा रहा है।

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होली का त्योहार आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हैं।

होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ घुल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। छोटे-छोटे बच्चे अपनी इच्छानुसार रंग और गुलाल और पिचकारी खरीदते हैं और लोगों को रंगों से सराबोर करने का आनंद उठाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि होली मिल-जुलकर, प्रेम से रहने और जीवन के रंगों को अपने भीतर आत्मसात करने का त्योहार है। इसलिए रंगों का प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए और पानी या रंग भरे बैलून चलाने से बचना चाहिए। होली का त्योहार हमें हमेशा सन्मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। होली का त्योहार सामाजिक सद्भावना का प्रतीक है। इस त्योहार के कारण लोगों में सामाजिक एकता की भावना मजबूत होती है।

ये भी देखें :

1) होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।

2) होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है।

3) यह त्यौहार विष्णु भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है।

4) इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

5) बच्चे इस त्योहार पर रंग, गुलाल, पिचकारी और पानी वाले गुब्बारों को लेकर बहुत उत्साहित होते हैं।

6) होलिका रूपी बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए सभी भगवान की पूजा करते हैं।

8) इस अवसर पर अपने परिजनों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों पर रंग डालकर इसे मनाया जाता है।

9) होली के अवसर पर भारत में शासकीय अवकाश रहता है। लोग इस त्योहार का बड़े उत्साह के साथ आनंद लेते हैं।

10) होली (holi essay in hindi) हिंदुओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है।

उम्मीद करते हैं कि होली पर निबंध हिन्दी में (holi par nibandh hindi mein) देने की हमारी कोशिश सफल रही होगी और छात्रों को holi ka nibandh hindi mein पढ़कर वांछित जानकारी मिल गई होगी। रंगों के त्योहार होली का निबंध हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) पढ़ने के बाद इस त्योहार की समग्र समझ विकसित करने में यह लेख मददगार होगा; अब आपकी होली पहले से अधिक रंगीन और सुखद होगी, ऐसी हम कामना करते हैं। हैप्पी होली!

हमें उम्मीद है कि आपको होली पर निबंध (holi par nibandh) लिखने में इस लेख से मदद मिलेगी। परीक्षा में हिंदी में होली निबंध (holi essay in hindi) या holi par nibandh in hindi भी पूछा जाता है। इस लेख की सहायता से आप होली पर निबंध ( holi per nibandh) लिख सकते हैं।

देश में कुछ शहरों में होली के आयोजन बहुत प्रसिद्ध हैं और उसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। यूपी के बरसाना और नंदगांव में हर साल लट्‌ठमार होली का आयोजन होता है। इस दौरान देश-दुनिया के पर्यटक इस त्योहार को देखने और उसमें हिस्सा लेने पहुंचते हैं। इस त्योहार का आयोजन लगभग एक सप्ताह चलता है और रंगपंचमी के दिन संपन्न होता है। बरसाना की लट्‌ठमार होली सामान्यत: फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन नंद गांव के ग्वाल बाल बरसाना में होली खेलने आते हैं और अगले दिन फाल्गुन पक्ष शुक्ल दशमी को बरसाना के ग्वाल बाल नंदगांव में होली खेलने पहुंचते हैं।

इसी तरह मध्यप्रदेश के इंदौर में भी होली या धुलेंडी के पांच दिन बाद रंगपंचमी का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। रंगपंचमी होलकर शासनकाल के दौरान मनाया जाता था और यह परंपरा अब तक बरकरार है। इस दौरान इंदौर में छुट्‌टी घोषित रहती है और शहर के अलग-अलग दिशाओं से लोग रंगों में सरोबार होकर गेर यात्रा के साथ इंदौर के हृदयस्थल राजबाड़ा पहुंचते हैं। इस दौरान साथ चल रहे टैंकर के पानी में रंग घुला रहता है और उससे लोगों पर बौछार की जाती है। इस फाग यात्रा को गेर कहा जाता है। रंगारंग गेर चारों दिशाओं से आकर राजबाड़ा में इकट्‌ठा होती है और लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। स्थानीय नगर निगम और जिला प्रशासन पूरा मुस्तैद रहता है।

महत्वपूर्ण प्रश्न :

होली का त्योहार (holi ka tyohar) वर्ष 2024 में कब है?

अक्सर लोग यह पूछते हैं कि कब है होली? (Kab Hai Holi 2024)। तो इसका जवाब है कि होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होगी और 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समापन होगा। 24 मार्च को होलिका दहन होगा। वर्ष 2024 में होली का त्योहार (holi ka tyohar) 25 मार्च को मनाया जाएगा।

क्या होली के दिन चंद्रग्रहण लगेगा?

इस साल हिंदू पंचांग के अनुसार होली के दिन साल का पहला चंद्रग्रहण लगने वाला है। यह चंद्रग्रहण 25 मार्च को सुबह 10 बजकर 24 मिनट से दोपहर 3 बजकर 1 मिनट तक रहेगा। लेकिन यह चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। यह चंद्रग्रहण उत्तर पूर्व एशिया, यूरोप, अमेरिका, जापान, रूस, आयरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, इटली आदि में दिखाई देगा।

होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) कब है?

होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) जानें- फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और उसके दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष 2024 में 24 मार्च को होलिका दहन के लिए मुहूर्त रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 7 मिनट तक है।

  • बिहार बोर्ड 10वीं रिजल्ट
  • बिहार बोर्ड 12वीं रिजल्ट

Frequently Asked Question (FAQs)

यह त्यौहार भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है। इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जाएगी।

होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हैं।

बच्चों के लिए यह रंग, गुलाल, पिचकारी, पानी वाले गुब्बारों और ढेर सारी मस्ती का पर्याय है। वे सुबह से शुरू हो जाते हैं और दिन-भर लोगों को रंगने और भिगोने में व्यस्त रहते हैं। युवा अपनी टोलियों के साथ रंग की मस्ती में सरोबार रहते हैं। घर के बड़े-बुजुर्गों का त्योहार बच्चों और युवाओं के लिए होली के सामान दिलाने और बाद में उनका शिकार बनने से बचने में बीतता है। अपने हमउम्र लोगों के साथ वे भी मस्ती करते हैं। महिलाएं रसोईघर की भारी-भरकम जिम्मेदारियों के बीच भी समय निकालकर जोश-खरोश के साथ होली मनाती हैं, मनाएं भी क्यों न, रंगों से उनको सबसे अधिक प्यार जो होता है।

होली की पहचान, रौनक और आत्मा रंगों में छिपी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं।

होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है। कुछ जगह इसे धुलेड़ी या धुलेंडी, धुरखेल, धुरड्डी, धूलिवंदन और चैत बदी भी कहा जाता है।

होली आपसी प्रेम और भाई-चारे का संदेश देने वाला मस्ती भरा त्योहार है। रंग में भंग न हो इसके लिए होली पर कुछ सावधानियां रखनी जरूरी होती हैं-

  • होलिका में किसी भी ऐसी वस्तु को जलाने से बचें जिससे वायु प्रदूषण हो। प्लास्टिक और रबर की चीजों का पुनर्चक्रीकरण किया जा सकता है, इनको जलाकर प्रदूषण न फैलाएं।
  • रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है।
  • आंख, नाक जैसे संवेदनशील अंगों पर रंग-गुलाल लगाने से बचें।
  • पानी के गुब्बारों से किसी को न मारें, विशेषकर ऊंचे भवनों से नीचे जा रहे लोगों पर गुब्बारे न फेंके।
  • जबरदस्ती किसी के साथ होली न खेलें। 
  • मादक पदार्थों का सेवन करने से बचें। होली हैप्पी बनी रहे इसे ध्यान में रखकर काम करें।

साल 2023 में होली 8 मार्च को मनाई गई।

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भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध | Major Festivals of India Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on Indian Festivals in Hindi

By: savita mittal

हमारे प्रमुख त्योहार पर निबंध | Major Festivals of India Essay in Hindi

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भारत देश ‘ अनेकता में एकता’ का देश है। भौगोलिक विविधता के कारण यहाँ विभिन्न धर्मों, जातियों एवं सम्प्रदायों के लोग रहते हैं। अनेक धर्मों व जातियों के लोग होने से, यहाँ सभी के अपने-अपने त्योहार हैं। इस दृष्टिकोण से देखा आए, तो भारत में प्रत्येक माह किसी-न-किसी त्योहार की धूम रहती है। त्योहार जीवन में नवस्फूर्ति, चेतना, उमंग, स्नेह एवं आनन्द का अनुभव कराते हैं, साथ ही मानवीय गुणों को स्थापित कर लोगों में प्रेम, भाईचारे एवं नैतिकता का सन्देश देते हैं। ये त्योहार देश की एकता और अखण्डता को भी मजबूत बनाते हैं।

भारतवर्ष में सभी त्योहारों का अपना महत्त्व है। यहाँ मनाए जाने वाले त्योहारों में होली, रक्षाबन्धन, दुर्गापूजा, हरा, गणेश-चतुर्थी, दीपावली, बैसाखी, गुडफाइडे, क्रिसमस, सिंह, ओणम, पोंगल, ईद, मुहर्रम, सरहुल, गुरुपर्व आदि प्रमुख हैं। इनमें से हिन्दू सम्प्रदाय से सम्बन्धित कुछ त्योहार धार्मिक रीति-रिवाजों, वेदों और पुराणों की घटनाओं एवं मान्यताओं के अनुसार मनाए जाते हैं। भारत में मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख त्योहारों के विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं।

Major Festivals of India Essay in Hindi

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होली रंगों का त्योहार है। यह फाल्गुन मास की समाप्ति के बाद चैत्र मास के प्रथम दिन (प्रतिपदा को) मनाया जाता है। चैत्र मास हिन्दू कैलेण्डर का प्रथम मास होता है। इस प्रकार, होली हिन्दुओं के लिए नववर्ष का त्योहार भी है। इस त्योहार में लोग एक-दूसरे को रंग, अबीर एवं गुलाल लगाते हैं, अपने लड़ाई-झगड़ों को भूलकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं एवं सभी के साथ मिलकर नाचते-गाते हैं। इस प्रकार, बसन्त ऋतु में मनाया जाने बाला यह त्योहार रंग-बिरंगा एवं मस्ती से परिपूर्ण होता है।

होली के त्योहार के पीछे कई पौराणिक कथाएँ विद्यमान हैं, जिनमें से प्रह्लाद एवं होलिका की कथा सर्वाधिक मान्य एवं प्रचलित है। ‘विष्णु पुराण’ की एक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप, विष्णु भगवान को नहीं मानता था तथा विष्णु की पूजा-आराधना करने को मना किया करता था। बिडम्बना यह थी कि उसका अपना ही पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप को यह ज्ञात होते ही उसने प्रह्लाद को तरह-तरह के कष्ट देने प्रारम्भ कर दिए।

जब इन सभी का प्रह्लाद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, तब उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया, जिसे अग्नि में न जलने का बरदान प्राप्त था। हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, किन्तु होलिका अग्नि में भस्म हो गई और प्रह्लाद बच गया। विष्णु भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध करके प्रह्लाद को पिता के कष्टों से मुक्ति दिलाई।

इस प्रकार, लोग इस घटना को स्मरण कर होलिका दहन करके अगले दिन रंगों से होली खेलते हैं। होली का साहित्य में भी विवरण हुआ है। कविवर “निराला जी कहते हैं- “नयनों के डोरे लाल गुलाल भरे, खेली होली।”

होली का त्योहार राधा और कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी सम्बन्धित है। इसलिए श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा एवं वृन्दावन में होली अत्यधिक धूमधाम से मनाई जाती है। भारत में होली का त्योहार पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है, किन्तु क्षेत्रीय विविधता के कारण देश के कई क्षेत्रों में इसे अन्य नाम भी दिए गए हैं। पश्चिम बंगाल में होली को ‘बसन्तोत्सव’ के रूप में मनाया जाता है।

पंजाब में इस त्योहार को ‘होला मोहल्ला’ कहा जाता है। तमिलनाडु में इसे ‘कामन पोडिगई’ कहा जाता है। हरियाणा में इसे ‘पुलेण्डी’ कहा जाता है। महाराष्ट्र में इसे ‘रंग-पंचमी’ के रूप में मनाया जाता है। भारत में होली किसी भी नाम से मनाई जाए, लेकिन समानता यह है कि इस लोग रंग, अबीर एवं गुलाल का प्रयोग करके ही खेलते हैं।

होली के अवसर पर कुछ लोग शराब पीकर धमा चौकड़ी करते हैं। ऐसी घटनाएँ होली की पवित्रता को नष्ट करती हैं। होली के अवसर पर आजकल रासायनिक रंगों का प्रयोग किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अतः को रासायनिक रंगों के प्रयोग से बचना चाहिए एवं प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए। यह पवित्र त्योहार मुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

दुर्गापूजा हिन्दुओं का ऐसा त्योहार है, जिसकी धूम पूरे दस दिनों तक रहती है। वैसे तो यह त्योहार वर्ष में दो बार आता है, एक बार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में, जिसे वासन्तिक नवरात्र कहते हैं एवं दूसरी बार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में, जिसे शारदीय नवरात्र कहा जाता है, किन्तु इन दोनों में शारदीय नवरात्र अधिक प्रचलित है। नवरात्र का प्रारम्भ कलश एवं दुर्गा माँ की प्रतिमा स्थापित करके किया जाता है।

दुर्गापूजा का सम्बन्ध एक पौराणिक कथा से है। इस कथा को अनुसार, एक समय देवताओं के राजा इन्द्र एवं दैत्यों के राजा महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में देवराज इन्द्र की पराजय हुई। देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से बचाने के लिए दुर्गा माँ ने उसके साथ लगातार नौ दिनो तक युद्ध किया और दसवें दिन उसको पराजित कर उसका वध कर दिया। इसी कारण उन्हें ‘महिषासुरमर्दिनी’ कहा जाता है।

यह त्योहार बंगाल में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बंगाल में पष्ठी के दिन प्राण-प्रतिष्ठा के इस विधान को बोधन अर्थात् आरम्भ कहा जाता है। इसी दिन माता के 1 से आवरण हटाया जाता है। गुजरात में शारदीय नवरात्र के दौरान गरबा की धूम रहती है। नवयुवक एवं नवयुवतियाँ अपने साथियों के साथ गरबा खेलते हैं। इस दौरान लोग व्रत रखते है, देवी की अखण्ड ज्योत जलाते हैं और प्रतिदिन हवन करते हैं।

इस प्रकार, दुर्गापूजा पूरे नौ दिनों तक चलती है। नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा के बाद दशमी के दिन शाम को उनकी प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है। इस दिन को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है। दशमी को बिजयादशमी के रूप में मनाने के पीछे भी एक पौराणिक कथा है। भगवान राम ने रावण पर विजय पाने के लिए दुर्गा की पूजा की थी, इसलिए इस दिन को लोग शक्ति-पूजा के रूप में भी मनाते हैं एवं अपने अस्त्र-शस्त्र की पूजा करते हैं। अन्ततः श्रीराम इसी दिन माँ दुर्गा के आशीर्वाद से रावण पर विजय प्राप्त करने में सफल रहे थे, तब से इस दिन को बिजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।

विजयादशमी के पूर्व शहरों एवं गाँवों में रामलीला का आयोजन किया जाता है। विजयादशमी वाले दिन रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। हिमाचल प्रदेश के ‘कुल्लू’ शहर में दशहरे का मेला प्रसिद्ध है, जो कई दिनों तक रहता है। विजयादशमी का त्योहार अनीति, अत्याचार तथा तामसिक ॐ प्रवृत्तियों के नाश का प्रतीक है। यह त्योहार दुर्गा माँ (सिंहवाहिनी) की असीम शक्ति और रामचन्द्र जी के आदर्शों का आभास कराता है।

भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध

दीपावली का शाब्दिक अर्थ होता है- दीपों की पंक्ति । इस त्योहार में लोग दीपों को पंक्तिबद्ध रूप में अपने घर के अन्दर एवं बाहर जलाते हैं। इस प्रकार, यह प्रकाश का त्योहार है। यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन लोग गणेश-लक्ष्मी का पूजन करते हैं, जिन्हें पौराणिक कथा के अनुसार धन, समृद्धि, विघ्नहरण एवं ऐश्वर्य का भगवान माना जाता है। दीपावली से एक दिन पहले का दिन ‘घन त्रयोदशी’ या ‘धनतेरस’ अतिशुभ माना जाता है। इस दिन लोग सोना-चाँदी एवं बर्तन खरीदते हैं।

धनतेरस मनाने के पीछे का पौराणिक कारण इस प्रकार है-कहा जाता है कि समुद्र मंथन के पश्चात् लक्ष्मी की उत्पत्ति इसी दिन हुई थी इसलिए इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। समुद्र मंथन से ही धनवन्तरि, जिन्हें औषध विज्ञान का प्रणेता माना जाता है, की उत्पत्ति कार्तिक मास की त्रयोदशी को हुई थी। इसलिए इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। श्रीरामचन्द्र जी जब रावण का वध एवं चौदह वर्ष का बनवास व्यतीत करके अयोध्या वापस लौटे, तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में अपने घर एवं नगर को घी के दीपों से जगमगा दिया था। गोस्वामी तुलसीदास जी ने ‘गीतावली’ में इसका रमणीय वर्णन किया है

“साँझ समय रघुवीर पुरी की शोभा आजु बनी। ललित दीप मालिका बिलोकहि हितकरि अवध धनी।।”

पश्चिम बंगाल में लोग दीपावली को काली पूजा के रूप में मनाते हैं। वहाँ बड़े-बड़े एवं भव्य पण्डालों के अन्दर माँ काली की प्रतिमा प्रतिस्थापित की जाती है। काली पूजा के बाद वहाँ लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। दीपावली का अपना धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व है, किन्तु आज इस त्योहार में कई प्रकार की बुराइयाँ भी समाहित हो गई हैं। इस त्योहार के नाम पर लोग अपनी सामर्थ्य का प्रदर्शन करते हुए हज़ारों रुपये पटाखों में उड़ा देते हैं। अत्यधिक पटाखे जलाना जिस डाल पर बैठे, उसी डाल को काटने जैसा है।

जिस शुद्ध हवा में हम साँस लेते हैं, उसी को पटाखों से हम अशुद्ध करते हैं, यह कितनी अज्ञानता है। जुआ खेलना इस त्योहार की सबसे बड़ी बुराई है, यदि जुआ नहीं खेला जाए तथा पटाखे न जलाए जाएँ, तो यह त्योहार अन्धकार पर प्रकाश की विजय के अपने सन्देश को सार्थक करता नज़र आएगा। आज इन बुराइयों को दूर कर इस त्योहार के उद्देश्यों को सार्थक करने की आवश्यकता है।

यदि एक ऐसे अन्तर्राष्ट्रीय त्योहार का नाम पूछा जाए, जो भारत में धार्मिक सहिष्णुता एवं भाईचारे का प्रतीक बन गया हो, तो नि:सन्देह सभी का जवाब ‘ईद’ ही होगा, क्योंकि यह मुसलमानों का एक ऐसा त्योहार है, जिसे दुनिया के कई मुस्लिम देशों में भले ही बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हो, किन्तु अन्य देशों से अलग भारत एक ऐसा देश है, जहाँ दूसरे धर्मों के लोग भी मुसलमान भाइयों को ईद की मुबारकबाद देते हुए इस पवित्र त्योहार में सम्मिलित होकर भारत की सर्वप्रमुख विशेषता ‘अनेकता में एकता’ का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

ईद दो तरह की होती है- एक ईद-उल-फितर एवं दूसरी ईद-उल-जुहा जब हम ईद की बात करते हैं, तो इसका तात्पर्य ईद-उल-फ़ितर ही होता है। ईद-उल-जुहा को बकरीद कहा जाता है।

पहली ईद-उल-फितर पैगम्बर मुहम्मद ने 624 ई. में जंग-ए-बदर के बाद मनाई थी। ईद-उल-फितर इस्लाम के उपवास के महीने ‘रमज़ान’ के समाप्त होने के बाद मनाई जाती है। इस्लामी कैलेण्डर के सभी महीनों की तरह इसकी शुरुआत भी नए चाँद के दिखने पर होती है। इस ईद में मुसलमान तीस दिनों तक रोजा रखने के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं और अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्होंने उन्हें महीनेभर रोज़ा रखने की शक्ति दी। ईद की तिथि के काफ़ी पहले से ही लोग इस त्योहार की तैयारी में जुट जाते हैं।

घरों की साफ-सफाई की जाती है एवं परिवार के सभी सदस्यों के लिए नए कपड़े सिलवाए जाते हैं। ईद के दौरान नए पकवान बनाने के अतिरिक्त, नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार तथा मित्रों के बीच उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है। ईद के दिन मस्जिद में सुबह की नमाज़ से पहले, नमाजी गरीबों को खैरात या दान देते हैं, जिसे ज़कात-उल-फितर कहा जाता है।

ईद के दिन ईदगाह में जाकर सबके साथ नमाज़ अदा करना शुभ माना जाता है। नमाज़ के दौरान छोटे-बड़े का कोई अन्तर नहीं रहता। राजा हो या रंक, सभी एक ही पंक्ति में खड़े होकर नमाज़ पढ़ते हैं। नमाज समाप्त होने के बाद ईद की मुबारकबाद ‘ईद मुबारक’ कहकर देते हैं। उम्र में अपने से छोटे लोगों को आशीर्वाद स्वरूप जो उपहार एवं धन दिया जाता है, उसे ईदी कहा जाता है। सेवइयों का ईद के दिन अपना अलग ही महत्त्व है, इसी के कारण इसे ‘मीठी ईद’ के नाम से भी जाना जाता है।

ईद का वर्णन नजीर अकबराबादी ने अपनी नज्म में भली-भाँति किया है “”है आधियों को तअत-ओ-तजरीद की ख़ुशी और जाहिदों को जुहद की तमहीद की ख़ुशी ऐसी न शब-ए-बारात न बकरीद की ख़ुशी जैसी कि हर एक दिल में है इस ईद की खुशी।”

शब्दार्थ –आबिद श्रद्धालु, तअत श्रद्धा, जाहिद इबादत करने वाला, जुहद की तमहीद धर्म की बात की शुरुआत। कहने का अर्थ है कि ईंद एक ऐसा त्योहार है, जिसकी खुशी ‘शब-ए-बारात’ और ‘बकरीद’ जैसे अन्य त्योहारों से भी बढ़कर है। इस त्योहार में श्रद्धालुओं को जहाँ अल्लाह के प्रति श्रद्धा की खुशी होती है, यहीं इबादत करने वाले को इस बात की खुशी होती है कि धर्म की बातों की फिर शुरुआत हुई है।

ईद का त्योहार भाईचारे एवं मैत्री का सन्देश देता है। इस्लाम के संस्थापक मुहम्मद साहब का सन्देश केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए कल्याणकारी है। ईद-उल-फितर से पूर्व रोजा रखना हमें त्याग एवं तपस्या की प्रेरणा देता है। यह हमें सिखाता है कि हमारा जीवन केवल सुख-सुविधाओं एवं आराम का उपयोग करने के लिए नहीं है, बल्कि इसमें त्याग, अनुशासन एवं बलिदान को भी स्थान देना अनिवार्य है।

ईसाइयों में भी दो प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं-क्रिसमस और गुडफ्राइडे। ये दोनों त्योहार ईसा मसीह से सम्बन्ध रखते हैं। गुडफ्राइडे को ईसा मसीह के बलिदान दिवस के रूप में तथा क्रिसमस की ईसा मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। क्रिसमस को बड़ा दिन’ के नाम से भी जाना जाता है। ईसाई मान्यता के अनुसार, पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था।

ईसाइयों के धर्मग्रन्थ ‘न्यू टेस्टामेण्ट’ में वर्णित क्रिसमस से सम्बन्धित एक कथा है। ईश्वर ने मरियम नामक एक कुँबारी लड़की के पास एक देवदूत भेजा, जिसका नाम गैब्रियल था। उस देवदूत ने मरियम को बताया कि वह ईश्वर के पुत्र को जन्म देगी तथा बालक का नाम जीसस रखा जाएगा। वह बड़ा होकर राजा बनेगा तथा उसके राज्य की कोई सीमा नहीं होगी।

देवदूत गैब्रियल जोसेफ के पास भी गए और उन्होंने उसे बताया कि मरियम एक बच्चे को जन्म देगी और उसे सलाह दी कि वह मरियम की देखभाल करे व उसका परित्याग न करे। जब राजकीय आदेशानुसार सभी नागरिकों को अपने मूल जन्मस्थान पर जनगणना में शामिल होने के लिए कहा गया, तब एक रात मरियम और जोसेफ नाजरथ से येथलेहम जाने के लिए निकले।

तभी रास्ते में तूफानी हवाओं और खराब मौसम के कारण उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली, जहाँ मरियम ने 25 दिसम्बर की आधी रात को जीसस को जन्म दिया। जीसस के जन्मदिन के स्मरणस्वरूप ही प्रत्येक वर्ष 25 दिसम्बर को क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है।

जीसस का जन्म अर्द्धरात्रि को हुआ था, इसलिए क्रिसमस के समारोह अर्द्धरात्रि के बाद शुरू होते हैं। इसमें मोमबत्तियाँ जलाकर चर्च व घरों में जीसस क्राइस्ट एवं माता मरियम की सामूहिक पूजा की जाती है। इसके बाद जीसस क्राइस्ट की प्रशंसा में लोग कैरोल (सामूहिक गीत) गाते हैं तथा घर-घर जाकर गाने के रूप में क्राइस्ट का शुभ सन्देश एवं आने वाले नववर्ष के लिए शुभकामनाएँ देते हैं। ‘जिंगल बेल्स जिंगल बेल्स, जिंगल ऑल द बे’ क्रिसमस के अवसर पर गाया जाने वाला एक प्रसिद्ध गीत है।

क्रिसमस की बात हो और लाल व सफेद ड्रेस पहने हुए सफेद बाल एवं दाढ़ी वाले मोटे वृद्ध सान्ता क्लॉज, जो अपने बाहन रेडियर पर सवार रहता है, की कोई चर्चा न हो भला ऐसा कैसे हो सकता है। यही तो वह पात्र है, जिसकी प्रतीक्षा क्रिसमस के दिन प्रत्येक बच्चे को होती है। सान्ता क्लॉज एक क्रिश्चियन पौराणिक पात्र है, जो नए साल के आगमन से कुछ दिन पूर्व क्रिसमस की रात बच्चों को ढेर सारे उपहार एवं मिठाइयाँ दिया करता था। इसलिए कुछ लोग क्रिसमस के अवसर पर सान्ता क्लॉज बनकर बच्चों को उपहार एवं मिठाइयाँ देते हैं।

क्रिसमस के मौके पर घर के आँगन में क्रिसमस ट्री लगाने तथा इसे सजाने की भी परम्परा है। सिटीको एवं समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन चर्च को भी सजाया जाता है तथा जीसस क्राइस्ट की जन्मसम्बन्धी झांकियां लगाई जाती है।

इस दिन पृथ्वी पर अवतरित होकर जीसस फ्राइस्ट ने अपने छोटे से जीवनकाल में मानवता के कल्याण के लिए सदावरण एवं सहनशीलता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सबको प्रेम एवं भाईचारे का सन्देश दिया था। यह उत्सव सुख, शान्ति व समृद्धि का सूचक है। जीसस ने कहा था कि ईयर सभी व्यक्तियों से प्यार करते हैं, इसलिए हमें प्रेम को जीवन में अपनाकर ईश्वर की सेवा करनी चाहिए। ईश्वर की सेवा का सबसे उत्तम मार्ग गरीबों की सेवा करना है, फ्रिसमस का त्योहार हमें यही सन्देश देता है। अत: इसे सार्थक करने के लिए हमें अपने व्यावहारिक जीवन में जीसस के सन्देशों को लागू करना चाहिए। 

सिखों के भी अपने त्योहार होते हैं। इनमें ‘मैसाखी’ और ‘लोहड़ी’ प्रमुख है। वैसाखी के त्योहार को मनाने की मान्यता है कि इसी दिन 1699 ई. में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह ने खालसा पन्थ’ की स्थापना की थी। इस स्थापना से गुरु गोबिन्द सिंह का मुख्य उद्देश्य था- लोगों को तत्कालीन मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त करके, उनके धार्मिक, नैतिक और व्यावहारिक जीवन को श्रेष्ठ बनाना। इस दिन सिख लोग गुरुद्वारों में जाते हैं और पवित्र ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ का पाठ करते हैं। यह त्योहार उत्तर भारत में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित कई क्षेत्रों में मनाया जाता है।

इन त्योहारों की तरह तमिलनाडु में ‘पोंगल’, केरल में ‘ओणम’ एवं असम में ‘बिह’ को भी बड़ी धूमधाम से मनाने की परम्परा है। इन प्रसिद्ध त्योहारों के अतिरिक्त जैनियों की ‘महावीर जयन्ती’, बौद्धों की ‘बुद्ध जयन्ती’ एवं सिखों की ‘गुरुनानक जयन्ती’ भी हमारे देश के मुख्य पर्व है। भारत देश में धार्मिक एवं सांस्कृतिक त्योहारों की भाँति राष्ट्रीय त्योहार भी मनाए जाते हैं। इनमें 2 अक्टूबर ‘गाँधी जयन्ती’, 14 नवम्बर ‘बाल दिवस’, 15 अगस्त स्वतन्त्रता दिवस’ और 26 जनवरी ‘गणतन्त्र दिवस’ के रूप में उत्साहपूर्वक मनाए जाते हैं।

विभिन्न प्रकार के पर्व-त्योहार हमारे जीवन में खुशियों एवं मनोरंजन के रंग भरते हैं और नीरसता को समाप्त करते हैं। हमारी भारतीय संस्कृति की परम्परा विशेष समय में विशेष प्रकार के त्योहार मनाने की रही हैं। ये त्योहार सभ्यता-संस्कृति के अभिन्न अंग है। ये सभी त्योहार राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाँधे रहने में अहम भूमिका का निर्वाह करते हैं। हमें चाहिए कि हम अपनी इस संस्कृति एवं एकता को बनाए रखने में विशेष योगदान दें और जाति, धर्म के भेद जैसी अफवाहों से बचें। हमें राष्ट्र को गौरवान्वित एवं समृद्धशाली बनाने के लिए लोगों में भाईचारे और बन्धुत्व की भावना जागृत करनी चाहिए तथा त्योहार के महत्व को जीवन में उतारना चाहिए।

26 जनवरी हम देशवासियों के लिए अति शुभ एवं गौरवपूर्ण दिन है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के लगभग ढाई वर्ष बाद इसी ऐतिहासिक तिथि 26 जनवरी, 1950 को स्वतन्त्र भारत का संविधान लागू हुआ था। इस तिथि को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी और तत्कालीन वायसराय श्री राजगोपालाचारी ने विधिवत् रूप से अपने समस्त अधिकार उन्हें सौंपे थे।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर एवं उनके सहयोगियों के अथक प्रयास से निर्मित संविधान के जारीहोते ही भारत सम्प्रभुता सम्पन्न गणराज्य बन गया। इसी उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी, गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतन्त्र का अर्थ है-ऐसी शासन व्यवस्था, जिसमे सत्ता जनसाधारण में समाहित हो अतः सागू होने के साथ ही भारत 26 जनवरी, 1950 से गणतन्त्र राष्ट्र बन गया।

गणतन्त्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है। इस दिन प्रत्येक भारतीय, देश की आजादी में अपने प्राणों की आहत देने शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धाजलि अर्पित करते है| गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम सन्देश देने है, जिसका सीधा प्रसारण रेडियो एवं दूरदर्शन पर किया जाता है। इण्डिया गेट, विजय पथ, नई दिल्ली में गणतन्त्र दिवस का समारोह विशेष रूप से आयोजित किया जाता है।

देश के अतिथि के रूप में प्राय: किसी देश के राष्ट्राध्यक आमन्त्रित किया जाता है। राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद भव्य झांकी का आयोजन किया जाता है। नेट से लेकर विजय पथ तक इसे देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। थल सेना, नौसेना, वायु सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों की परेड इस समारोह की सर्वाधिक मनोरम दृश्य होती है। इसके अतिरिक्त, पूरे देश की संस्कृति का आभास कराते हुए प्रायः सभी प्रदेशों की भव्य एवं खूबसूरत झाँकियाँ लोगों का मन मोह लेती है।

इस समारोह में देश के लिए अपनी जान की बाजी लगा देने वाले जवानों को विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है। देश के कोने-कोने से किसी विशेष अवसर पर अपनी सूझ-बूझ एवं वीरता का प्रदर्शन करने वाले बहादुर बच्चों को भी इस दिन राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया जाता है। परेड के अन्त में वायु सेना के जहाज आकाश में कलाबाजियाँ प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लेते हैं। प्रजातन्त्र एवं लोकतन्त्र गणतन्त्र के ही समानार्थी शब्द है। प्रजातान्त्रिक शासन प्रणाली के अनेक लाभ है।

प्रजातान्त्रिक शासन में राज्य की अपेक्षा व्यक्ति को अधिक महत्त्व दिया जाता है। राज्य व्यक्ति के विकास के लिए पूर्व अवसर प्रदान कराता है। जिस प्रकार व्यक्ति और समाज को अलग करके दोनों के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती, ठीक उसी प्रकार प्रजातान्त्रिक शासन प्रणाली में प्रजा और सरकार को अलग-अलग नहीं देखा जा सकता प्रजातन्त्र के अनेक लाभ हैं, तो इससे कई प्रकार की हानियाँ भी सम्भव हैं। प्रजातन्त्र की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि जनता शिक्षित हो एवं अपना हित समझती हो। जनता को यह समझना होगा कि आज़ादी हमें सरलता से नहीं मिली है।

इसके लिए हज़ारों लोगों ने अपने प्राण गँवाए हैं। आज़ादी मिलने के बाद देश का गणतन्त्र बनना हमारे लिए दोहरी खुशी है। इस शुभ दिन का सभी को आदर करना चाहिए। गणतन्त्र दिवस आजादी के शहीदों को याद करने एवं उन्हें श्रद्धांजलि देने में मुख्य भूमिका निभाता है। इस दिन राष्ट्रपति भवन में अनेक राजकीय समारोह आयोजित किए जाते हैं। विदेशी राजनयिक, वरिष्ठ सम्माननीय जन व पदक बिजेता यहाँ एकत्र होते हैं। रात्रि को राष्ट्रपति भवन, सचिवालय, इण्डिया गेट व अन्य राजकीय कार्यालय रंग-बिरंगे प्रकाश से जगमगा उठते हैं। लालकिले के प्रांगण में कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है।

स्कूलों में देशभक्ति एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय एकता का यह पर्व सभी धर्मों के लोगों को मिल-जुलकर रहने एवं प्रेम-भाईचारे का सन्देश देता है। यह हमें देश की स्वतन्त्रता, अखण्डता एवं सम्प्रभुता बनाए रखने की सीख देता है।

यह नहीं भूलना चाहिए कि हम आज जिस आज़ादी की साँस ले रहे हैं, वह वीर जवानों की देन है। सरहद पर जवान सर्दी-गर्मी आदि परेशानियों को सहते हुए भी हर समय दुश्मनों पर केवल इसलिए दृष्टि रखते कि हमारा गणतन्त्र सुरक्षित रह सके। हमें भी अपनी स्वतन्त्रता एवं अखण्डता बनाए रखने का संकल्प लेते हुए, देश के बिकास में हर सम्भव योगदान देना चाहिए। महान् सन्त ‘रामतीर्थ’ कहते थे-“राष्ट्र के हित के लिए प्रयत्न करना विश्व की शक्तियों अर्थात् देवताओं की आराधना करना है।”

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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Holi 2024 : होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

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  • Updated on  
  • मार्च 21, 2024

Holi Essay in Hindi

Holi Essay in Hindi : भारत में सभी त्योहारों की अलग प्रसिद्धि है और ये अलग-अलग राज्यों में अलग रूप में दिखाई देते हैं। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। इनमें रंगों का त्योहार होली भी शामिल है। होली का त्योहार विविधता में एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं। होली के बारे में या होली पर निबंध अक्सर परीक्षाओं में पूछा जाता है और इसलिए यहां हम 100, 250, 500 शब्दों में होली पर निबंध लिखना सीखेंगे।

This Blog Includes:

होली के बारे में, होली पर निबंध हिंदी में (holi essay in hindi) 10 लाइन, होली पर निबंध 150 शब्दों में, holi essay in hindi 200 शब्दों में, प्रस्तावना , होली मनाए जाने के पीछे कहानी , होली का वर्णन, हिंदुओं का पवित्र धार्मिक पर्व होली, होली से जुड़ी कथाएं, वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध, आज होली का रूप विकृत होना, holi essay in hindi for class 2, essay on holi in hindi class 4, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक, मन में भाईचारे की भावना पैदा करती है होली, समृद्ध फसल का सम्मान करने के लिए है होली, होली का इतिहास क्या है.

रंगों का त्यौहार  होली , खुशी और उमंग का प्रतीक है। भारत के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय त्यौहारों में से एक होली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में 50 से अधिक देशों में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। होली, भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वालों या मानवता के पक्षधरों द्वारा मनाये जाने वाला ऐसा पर्व है, जिसका उद्देश्य केवल बेरंग उदासी या मायूसी को खुशियों और सकारात्मक रंग से भरना होता है।

मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्यौहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम, रंगों और ठंडाई के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं। 

  • होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है।
  • हर साल होली फागुन (मार्च) के महीने में मनाई जाती है।
  • हर साल होली के पहले दिन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन की जाती है।
  • होली के दिन सभी लोग अपने घरो में पकवान बनाते है और रिश्तेदारों के घर जाकर एक दूसरे को रंग लगाते है।
  • होली सामाजिक मतभेद को मिटाकर उत्साह बिखेरने का पर्व माना जाता है।
  • होली के दिन सभी बिना किसी हीनभावना के एक-दूसरे को रंग लगाकर इस पर्व को मनाते है।
  • पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक घमंडी राजा था जिसने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र प्रह्लाद कि हत्या करवाने के लिए प्रह्लाद सहित आग में बैठजाने को कहा था जिसके परिणाम हेतु होलिका वरदान होने के बाद भी जल गयी। इसलिए हर साल होलिका जलाई जाती है।
  • होली पर गुलाल रंग घमंड पर भक्ति की, अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है। इसलिए इस पर्व पर सभी रंगो से खेल कर खुशियां होली मनाते है।
  • इस पर्व पर हमें अपने भीतर कि सभी बुराई को ख़त्म कर प्रेम भाव से सभी का आदर सत्कार करने का प्रण लेना चाहिए।
  • भक्त प्रहलाद ने भी भगवान विष्णु जी को रंग लगाकर अपनी भक्ति को पहले से ज्यादा मज़बूत किया और सभी में प्रेम का सन्देश दिया।

Holi Essay in Hindi

150 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

होली बुराई पर अच्छाई की जीत को उत्साह से मनाने का त्योहार है लेकिन हर त्यौहार कि तरह अब माइने बदल गए है। जहां अब भी कुछ जगहों पर होली को तरीके से खुशियां मनाने और बांटने के लिए होली के त्यौहार का स्वागत किया जाता है। होली का त्यौहार दो दिन तक मनाए जाने वाला त्यौहार है। जिसमें एक दिन होलिका जलाई जाती है और दूसरे दिन रंगो कि होली खेली जाती है। होलिका जो हरिण्यकश्यप कि बहन थी उसे वरदान था कि अग्नि उसका बाल भी बाक़ा नहीं कर सकती। जिसका फायदा उठाते हुए राजा ने प्रह्लाद को मारने कि साज़िश रची जिसमे उसने होलिका कि गोद में प्रह्लाद को बिठाकर उसे अग्नि में बैठ जाने को कहा। उसे लगा कि होलिका नहीं जलेगी और प्रह्लाद कि मृत्यु हो जाएगी लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका न हुआ और होलिका कि मृत्यु होगी। इसी ख़ुशी में होली खेलकर मानाने से एक रात पहले महूरत अनुसार होलिका जलाई जाती है। फिर अगले दिन खेली जाती है।

200 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

होली को रंगो के त्यौहार के रूप में जाना जाता है। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति में आने वाले महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक माना जाता है। प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में इस त्यौहार का आगमन होता है। इस त्यौहार को पसंद करने वाले लोग हर साल होली के आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। होली एक प्रेम से भरा त्यौहार है जो पूरा परिवार व सभी दोस्त मिलकर मनाते है।

होली के इतिहास कि बात करें तो माना जाता है कि हरिण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। जिसे अपनी ताकत का बेहद घमंड था। उनका एक बेटा था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। प्रह्लाद विष्णु भगवान का भक्त था। शैतान राजा को ब्रह्मा का आशीर्वाद था कि कोई भी आदमी , जानवर या हथियार उसे मार नहीं सकता था। लेकिन ये आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया। घमंड के कारण हरिण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को ये आदेश दिया कि राज्य में भगवान कि नहीं राजा कि पूजा कि जाए और इसी आदेश के चलते राजा ने अपने पुत्र को मार डालने का भी प्रयास किया क्योकि वे विष्णु भगवान कि पूजा में विश्वास रखता था। लेकिन उसकी ये चाल कामयाब न हो पाई।

होली पर निबंध 300 शब्दों में

होली: रंगों का त्योहार

होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है, जो बसंत ऋतु में मनाया जाता है । प्रकृति में रंग-बिरंगे फूल बसंत के आगमन का  मानो हृदय से स्वागत करते हैं। बसंत के रंगों का प्रतीक बनकर यह त्योहार हर साल फागुन मास की पूर्णिमा के दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसीलिए फागुन का महीना मौज-मस्ती का महीना कहा जाता है। 

भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई कहानी या किस्सा प्रच्वलित होता है। होली मनाए जाने के पीछे भी एक कहानी है। कहते हैं कि हिरण्यकश्यप नामक राजा बड़ा ही अत्याचारी था, जो ख़ुदको भगवान समझता था। उसने सारी प्रजा को आदेश दिया था कि सब लोग ईश्वर की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, पर उसका बेटा प्रहलाद ईश्वर का अनन्य भक्त था। उसने अपने पिता की बात ना मानी। उसने ईश्वर की भक्ति में ही अपने को लगाए रहा। पिता की क्रोध की सीमा न रही हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए लेकिन ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल ना हो सका।  हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम था होलिका। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोदी में बिठा कर आग लगा दी गई पर ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है। प्रह्लाद तो बच गया पर होलिका जल गई।इसी घटना की याद में हर साल रात को होली जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

होली का त्यौहार होली की रात्रि से एक दिन पूर्व आरंभ हो जाता है। लोग अपने अपने गांव,मोहल्ले में उपलो,लकड़ियों का ढेर इकट्ठा करते हैं । फिर शुभ घड़ी में इस ढेर यानी होलिका में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इसी अग्नि में लोग नए अनाज की बाली भूनकर अपने आराध्य को अर्पित करते हैं।

होलिका दहन अगला दिन रंग-भरी होली का होता है। इसे धुलैंडी भी कहते हैं। इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग डालते हैं।सड़कों पर मस्त युवकों की टोली गाती बजाती निकलती है। एक-दूसरे को मिठाईयां खिलाते हैं और अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं।

इसी प्रकार होली एक ऐसा पवित्र त्यौहार है। जिसमें छोटे-बड़े ,अमीर-गरीब आदि सभी प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं।प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे को गले लगा लेता है। लोग पुरानी से पुरानी शत्रुता भी होली के दिन भुला देते हैं। 

Holi Essay in Hindi

होली पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों में होली पर निबंध इस प्रकार हैः

मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

राग-रंग का पर्व होली हिंदुओं का लोकप्रिय पर्व है। होली आनंद उत्साह का, मौज, मस्ती और रंगों से सराबोर महोत्सव है। वास्तव में होलिका दहन और होलिकोत्सव, नास्तिकता पर आस्तिकता का, बुराई पर भलाई का, पाप पर पुण्य का तथा दानवता पर देवत्व की विजय का मांगलिक पर्व है ।

होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है यह पर्व बसंत के आगमन का संदेशवाहक है। यह त्यौहार पूर्णिमा से पूर्व बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोपियों के साथ रास रचाया तब से होली का प्रचलन हुआ, परंतु होली के विषय में सबसे प्रसिद्ध कथा इस प्रकार है

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक अत्यंत बलशाली राजा था। अपनी शक्ति के घमंड में चूर होकर वह स्वयं को भगवान मानने लगा। वो चाहता था कि उसकी प्रजा भगवान के स्थान पर उसकी पूजा करे, परंतु उसका अपना पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था । हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद का वध करने के अनेक उपाय किए, परंतु वह सफल ना हो सका। फिर उसने प्रहलाद को आग में जलाकर मार डालना चाहा। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था।होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं  जल सकती। हिरण्यकश्यप के आदेश पर होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर लकड़ियों के ढेर में बैठ गई। उस ढेर में आग लगा दी गई परंतु भगवान की लीला तो अद्भुत है ।जिस होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, वह तो जल गई और प्रहलाद का बाल बांका भी नहीं हुआ।

फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन स्त्रियां व्रत रखती है और होली पूजने जाती है। किसी चौक में अथवा खुले स्थान पर लकड़ियों के ढेर या उपलो से होली बनाई जाती है। रात्रि के समय निश्चित समय पर होलिका जलाई जाती है और होली की आग में गेहूं तथा चने की बालियां डाली जाने की परंपरा है।  इसे होलिका दहन कहते हैं।

होली से अगला दिन अर्थात चैत्र की प्रतिपदा को लोग रंग खेलते हैं। इसे धुलैंडी कहते हैं । लोग एक दूसरे से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं जहां गुलाल और रंग से उनका स्वागत किया जाता है इस दिन लोग अपनी शत्रुता भूलकर शत्रु को भी गले लगाते हैं। होली के रंग में रंगकर धनी-निर्धन, काले-गोरे, ऊंच-नीच, बालक-वृद्ध के बीच  की सीमा टूट जाती है, और सभी खुले भाव से एक दूसरे का सत्कार ,आदर करते हुए इस पर्व का आनंद लेते है।

वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध है। सूरदास, नंददास आदि कृष्ण भक्त कवियों ने श्री कृष्ण और राधा के होली खेलने का बड़ा ही मनोहर वर्णन अनेक पदों में किया है। आज भी वृंदावन की कुंज गलियों में जब सुनहरी पिचकारियों  से  रंग बिरंगे  फव्वारे छूटते है  तथा गुलाल बिखरता है तो स्वयं देवता भी भारत भूमि में जन्म लेना चाहने लगते हैं। देश विदेश से अनेक लोग वृंदावन की होली देखने आते हैं।

 बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आजकल होली का रूप बिगड़ गया है। लोग रासायनिक रंगों का प्रयोग करने लगे हैं, बच्चे गुब्बारे मारते हैं। कुछ लोग कीचड़ आदि भी डालते हैं। अनेक व्यक्ति शराब,गांजा,भांग,चरस आदि का सेवन करते हैं, गंदे गाने गाते हैं तथा गाली-गलौज करते हैं। हमें शीघ्र-अतिशीघ्र इस त्यौहार से इन बुराइयों को दूर करना चाहिए तभी हम होली जैसे पवित्र त्यौहार कि पवित्रता को संजो के रख सकते है।

 होली प्रेम व भाईचारे का त्यौहार है, रंगों का त्यौहार है, हर्षोल्लास का त्यौहार है। होली का गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। होली मनुष्यों को आपस में जोड़ने का त्यौहार है कवि मैथिलीशरण गुप्त होली का सजीव चित्रण इन पंक्तियों में प्रकट करते हैं:

काली- काली कोयल बोली, होली, होली, होली । फूटा यौवन फाड़ प्रकृति की पीली, पीली, चोली। । 

होली का त्योहार भारत ही बल्कि कई देशों में काफी महत्व रखता है। भारत में मथुरा की होली को विश्व प्रसिद्ध होली माना जाता है। होली के त्योहार पर हम सब एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं और एक-दूसरे को बधाई देकर बुराई पर अच्छाई की विजयी याद करते हैं।

Holi Essay in Hindi for Class 2 इस प्रकार हैः

होली भारत और नेपाल में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला कार्यक्रम है । रंगों का त्योहार, जो मार्च में होता है, रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। होली तीन दिनों तक मनाई जाती है, जिसमें होली पूर्णिमा (पूर्णिमा का दिन) सबसे पहले होती है। पुनो का दूसरा दिन, या छोटी होली। पर्व, या होली दिवस, त्योहार का तीसरा दिन है। लोग इस दिन सफेद कपड़े पहनते थे और जमीन पर इकट्ठा होते थे। इस त्योहार के लिए वे प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करते हैं और पेंटिंग गन से खेलते हैं। वे मीठी लस्सी पीते हैं और तरह-तरह के खोया, मावा और पिस्ता से बनी मिठाइयां खाते हैं।

Essay on Holi in Hindi Class 4 यहां बताया जा रहा हैः

भारत, कई अलग-अलग भाषाओं, जातियों, परंपराओं, विचारधाराओं, संस्कृतियों, विश्वासों, धर्मों आदि के साथ एक राष्ट्र के रूप में साल भर त्योहारों की अधिकता रखता है। यह वास्तव में भूमि और विविधता की एक इकाई है। होली भारत में सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जो न केवल यहां बल्कि अन्य देशों में भी मनाया जाता है और वास्तव में भारत की संस्कृति और मान्यताओं से प्रेरित और प्रभावित है। मूल रूप से यह रंगों, उल्लास और खुशियों का त्योहार है। इतना ही नहीं, त्योहार हमारे चारों ओर बसंत के मौसम की शुरुआत की टिप्पणी करता है और इसीलिए लोग रंगों या गुलाल से होली खेलते हैं, चंदन लगाते हैं, पारंपरिक और स्वादिष्ट व्यंजन खाते हैं जो केवल होली के अवसर पर बनाए जाते हैं और निश्चित रूप से, भूलने के लिए नहीं ठंडाई का प्रसिद्ध पेय। लेकिन जैसा कि हम इस होली निबंध में गहराई से उतरते हैं, ऐसा लगता है कि इसमें असंख्य अर्थ और ऐतिहासिक हैं।

भारत के हर राज्य में होली खेलने या मनाने का अपना अलग तरीका है। साथ ही रंगों और खुशियों के इस त्योहार को मनाने के पीछे हर किसी या हर समुदाय के लिए मायने बदल जाते हैं. आइए अब इस होली निबंध में होली मनाने के कुछ कारणों के बारे में जानें। कुछ लोगों और समुदायों के लिए, होली और कुछ नहीं बल्कि राधा और कृष्ण द्वारा मनाया जाने वाला प्रेम और रंगों का एक शुद्ध त्योहार है – एक ऐसा प्रेम जिसका कोई नाम, आकार या रूप नहीं है। अन्य इसे एक कहानी के रूप में देखते हैं कि कैसे हम में अच्छाई अभी भी बुराई पर विजय प्राप्त करती है। दूसरों के लिए, होली फुरसत, खिलवाड़, क्षमा और करुणा का भी समय है। होली के अनुष्ठान तीन दिनों तक चलते हैं, पहले दिन अलाव द्वारा प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होता है और दूसरे और तीसरे दिन रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य, भोजन और आशीर्वाद के त्योहार के साथ समाप्त होता है। 

Essay on Holi in Hindi Class 5

Essay on Holi in Hindi Class 5 यहां दिया जा रहा हैः

होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

होली की कहानी और किंवदंती दानव राजा हिरण्यकश्यप के समय की है। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में जाने के लिए कहा ताकि उसका पुत्र भगवान विष्णु के बजाय उसकी पूजा करे। होलिका लपटों और आग के लिए प्रतिरोधी हो सकती है। होलिका तब राख में बदल गई जब वह प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में आगे बढ़ी, लेकिन भगवान विष्णु ने प्रह्लाद को बचा लिया क्योंकि होलिका का श्राप तभी काम करता जब वह अकेले यानी अकेले आग में शामिल होती। तब से, इस दिन को भारत में होली के रूप में जाना जाता है, और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान, लोगों ने होलिका की मृत्यु के उपलक्ष्य में अलाव जलाया।

दिन भर के उत्साह के बाद लोग शाम को दोस्तों और परिवार के साथ खान-पान और शुभकामनाएं साझा करते हुए बिताते हैं। कहा जाता है कि होली सभी के मन में भाईचारे की भावना पैदा करती है। त्योहार के दिन की शुरुआत तरह-तरह के व्यंजनों की तैयारी के साथ होती है। लोग एक-दूसरे को गुलाल, पानी के रंग और गुब्बारों से रंगते हैं। इस दिन की सबसे अच्छी बात यह है कि हर कोई अपनी शर्म को छोड़कर मस्ती में शामिल होने का फैसला करता है। वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं और एक-दूसरे को ‘हैप्पी होली’ की शुभकामनाएं देते हैं। कई हाउसिंग सोसाइटी अपने लॉन में होली का आयोजन करती हैं। पूरे लॉन को ढकने के लिए पीले, हरे, लाल, गुलाबी, ग्रे और बैंगनी जैसे चमकीले और सुंदर रंगों का उपयोग किया जाता है। यह बताना मुश्किल है कि कौन कौन है क्योंकि हर कोई अलग-अलग रंगों के कपड़े पहने हुए है।

होली फाल्गुन के महीने में मनाया जाने वाला प्यार और खुशी का एक हिंदू त्योहार है जो गेंहू की फसल से भी मेल खाता है और धन और खुशी का प्रतिनिधित्व करता है। वसंत का मौसम सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है; नतीजतन, वसंत जलवायु विशेष रूप से सुखद होती है, खासकर जब फूल प्रचुर मात्रा में होते हैं। नतीजतन, होली को प्रकृति की वसंत सुंदरता और समृद्ध फसल का सम्मान करने के लिए रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

होली रंगों का त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। होली को न केवल हिंदू बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस त्योहार से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं जो इसे और भी रोचक और महत्वपूर्ण बनाती हैं। सबसे लोकप्रिय किंवदंती कहती है कि राजा हिरण्यकशिपु का अपने पुत्र प्रह्लाद के साथ विवाद हो गया था क्योंकि प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की पूजा करने पर जोर दिया था। इससे राजा नाराज हो गया और उसने अपने बेटे को मारने का फैसला किया।

हिरण्यकश्यप ने अपने भतीजों को प्रह्लाद को आग में फेंकने के लिए कहा क्योंकि वह उसके राज्य के लिए खतरा था। उनके भतीजे उनके प्रति वफादार थे, इसलिए उन्होंने प्रह्लाद को लकड़ी के एक टुकड़े से बांधकर आग में फेंक दिया। हालांकि, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने उसके साथ जलती चिता पर बैठकर उसे बचा लिया।

होली पर निबंध

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हरिण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था की वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हरिण्यकश्यप ने आदेश दिया की होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई , पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।

जो कीटाणुओं को प्रसार करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। ऐसे में रंगों का प्रयोग रोग फैलाने वाले कीटाणुओं के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। दूसरी ओर रंग लगने पर शरीर की सफाई अच्छे से हो पाती है जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।

भूमिका : होली बसंत का एक उल्लासमय पर्व है। … हमारे पूर्वजों में भी होली त्यौहार को आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसमें सभी छोटे-बड़े लोग मिलकर पुराने भेदभावों को भुला देते हैं। होली रंग का त्यौहार होता है और रंग आनन्द पर्याय होते हैं।

होली का उत्सव होलिका दहन अनुष्ठान के साथ शुरू होता है जो कि होलिका, दुष्ट दानव, और उस अग्नि से भगवान विष्णु द्वारा प्रह्लाद की रक्षा के सम्मान में मनाया जाता है। लोग लकड़ी इकट्ठा करके अलाव जलाते हैं और उसके चारों ओर गीत गाकर खुशियां मनाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली से एक दिन पहले, लोग ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान करते हैं। होली के दूसरे दिन को छोटी होली या नंदी होली के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है “रंगों से खेलना”। लोग समूहों में इकट्ठा होते हैं और एक दूसरे पर रंगों से खेलते हैं। परंपरागत रूप से, महिलाएं पुरुषों पर सुगंधित रंग डालती हैं और बच्चे एक-दूसरे पर रंगीन पाउडर फेंकते हैं। होली के तीसरे दिन लोग सुबह जल्दी स्नान करते हैं और फिर दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं। वे प्यार के प्रतीक के रूप में मिठाइयों और नमकीन का आदान-प्रदान करते हैं। यह दिन होली समारोह के अंत का प्रतीक है। होली पूरे भारत और दुनिया भर में अलग-अलग तरह से मनाई जाती है। त्योहार में आम तौर पर गायन, नृत्य, रंगों और पिचकारी (पानी की बंदूकें) के साथ खेलना और गुजिया और लड्डू जैसे व्यंजनों का आनंद लेना शामिल होता है।

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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  • निबंध ( Hindi Essay)

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Essay On Festival in Hindi

भारत को त्योहारों का देश के नाम से जाना जाता है। यहां विभिन्न संस्कृतियों व विभिन्न धर्मों वाले लोग निवास करते हैं। भारत में कई प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। हर साल लोग त्यौहारों का इंतजार पूरे उत्साह और उमंग के साथ करते हैं। भारतीय लोगों के जीवन में त्योहारों एक अलग ही महत्व होता है। त्योहार के समय लोगों का जीवन खुशियों से भर जाता है। प्रत्येक भारतीय त्योहार को अपने-अपने ढंग से मनाते हैं। त्योहार के समय पूरे भारत में भाईचारा जैसे व्यवहार दिखाई देते हैं। भारत में बहुत सारे धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं जैसे कि- दशहरा, दिवाली, होली, रक्षाबंधन ,गणेश चतुर्थी ,नवरात्रि, मकर संक्रांति, छठ पूजा, पोंगल, भाई दूज ,इत्यादि शामिल है। इसके अलावा भारत में राष्ट्रीय त्योहारों को भी पूरे सम्मान के साथ मनाया जाता है व इन त्योहारों को विशेष महत्व दिया जाता है ।राष्ट्रीय त्योहार जैसे कि- गांधी जयंती, गणतंत्र दिवस ,स्वतंत्रता दिवस, यह तीन भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार है।

भारत में त्योहारों की महत्वता:-

भारत अपने आप में एक बहुत ही खुशहाल व समृद्ध देश है। भारत अलग-अलग त्योहारों से मिलकर बना है इसीलिए भारत में त्योहार का एक अलग ही महत्व होता है। भारत बिना त्यौहार के कुछ भी नहीं है। भारत में कई प्रकार के त्यौहार मनाए जाते  है परंतु सभी त्योहार अपने साथ खुशियां, समृद्धि ,उल्लास जैसे भावनाएं लेकर आती हैं ,जिसके कारण मानव जीवन खुशहाल बनता है। जीवन के किसी भी मोड़ पर आने वाले कठिनाइयों व दिक्कतों से उबरने में त्योहार बहुत ही सहायता करता है ।यह लोगों के जीवन में एक अलग ही उत्साह के साथ आता है और लोगों के दुख- दर्द को दूर कर देता है ,इसलिए भारतीय लोगों के जीवन में त्योहार एक अहम हिस्सा है। त्योहार मानव जीवन में परिवर्तन का अवसर देता है यही कारण है कि त्योहार का भारतीय लोगों के जीवन मे विशेष महत्त्व है।

त्योहारों के प्रकार:-

भारत में विभिन्न संस्कृतियों और विभिन्न धर्मों वाले लोग निवास करते हैं इसीलिए भारत में अलग-अलग प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। सभी त्यौहार को अपने-अपने धर्म वाले लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। भारत में मनाए जाने वाले त्योहार को मुख्यतः हम दो प्रकार में  बांट सकते हैं ।जैसे कि-

1. धार्मिक त्योहार:-

धार्मिक त्योहार वह त्योहार  हैं जिसके अंतर्गत अलग-अलग धर्म वाले लोग अपने अपने तरीके से मनाते हैं। इसके अंतर्गत कुछ भारतीय त्योहार और उनसे जुड़ी धार्मिक मान्यता होती है। यहां इन धार्मिक त्योहारों में से कुछ मुख्य त्योहार हैं:-

दिवाली भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। दिवाली के त्यौहार की तैयारी लोग 1 महीने पहले से ही शुरु कर देते हैं इस त्यौहार के आगमन के साथ खुशी और उल्लास का भी आगमन होता है। लोग अपने घरों व दुकानों की साफ सफाई करके उसे अच्छे से फूलों और लाइट  की मदद से सजाते हैं। दिवाली के दिन लोग देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। दिवाली के दिन पूरा भारत दीयों की रोशनी से जगमगा उठता है। और दिवाली के दिन बच्चे पटाखे फोड़ते हैं और इस दिन लोग एक दूसरे को मिठाइयां खिलाकर खुशियां बांटते हैं।

होली भारत में मनाए जाने वाला एक विशेष त्योहार है। होली को रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। क्योंकि इस दिन सभी लोग मिलकर  एक दूसरे को रंग -गुलाल लगा कर खुशियां बांटते हैं। और मिठाइयां खाते हैं। इस त्यौहार का उद्देश्य मौज मस्ती करना होता है। इस दिन को लोग पूरे खुशी के साथ नाचते -गाते हुए मनाते हैं।

रक्षाबंधन:-

रक्षाबंधन भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार भाई बहन के प्यार का प्रतीक है। यह त्यौहार भाई बहन के रिश्ते को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। इस दिनो बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधकर मिठाई खिलाते हैं। बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देने के साथ-साथ एक विशेष तोहफा भी देता है। यह त्यौहार ना सिर्फ एक भाई बहन के रिश्ते को बल्कि पूरे पारिवारिक संबंधों को मजबूत करता है।

नवरात्रि भारत में मनाए जाने वाला एक विशेष प्रकार का त्यौहार है। भारतवासी इस त्यौहार को पूरे विधि विधान के साथ मनाते हैं। इस त्यौहार के अंतर्गत पूरे 9 दिन के लिए दुर्गा माता की मूर्ति का स्थापना किया जाता है। और इस  मूर्ति का सुबह-शाम पूरे विधि विधान के साथ पूजा किया जाता है। लोग नवरात्रि के दौरान 9 दिन का उपवास भी करते हैं और देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूरी विधि विधान के साथ पूजा करते हैं। 9 दिन पूर्ण होने के साथ हवन करने के बाद मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है।

गणेश चतुर्थी:-

गणेश चतुर्थी भारत में मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक हैं। इस त्योहार को मनाने के पीछे धार्मिक कारण है। इस त्योहार के अंतर्गत गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना पूरे 11 दिनों के लिए किया जाता है। और पूरे 11 दिनों तक सुबह शाम गणेश भगवान की आरती की जाती है। और 11 दिन पूर्ण होने के साथ पूरे विधि विधान के साथ हवन करवाने के बाद गणेश भगवान की मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है।

2. राष्ट्रीय त्योहार:-

भारत में धार्मिक त्योहार के साथ-साथ राष्ट्रीय त्योहार भी मनाए जाते हैं। लोगों के जीवन में धार्मिक त्योहार के साथ-साथ राष्ट्रीय त्योहार का भी एक अलग महत्व होता है। भारत में प्रमुख तीन राष्ट्रीय त्योहार मनाए जाते हैं, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस ,गांधी जयंती,। भारतीय लोग राष्ट्रीय त्योहार को पूरे सम्मान के साथ हर साल मनाते हैं क्योंकि यह त्यौहार हमें हमारे वीर बलिदान पुरुषों की याद दिलाती है। यह त्योहार हमारे देशभक्त नेताओं की याद दिलाती है। जिन्होंने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। इन त्योहारों के दौरान पूरे भारत के वातावरण में देशभक्ति की भावना भर जाती है।

इस प्रकार भारतीय त्योहार भारत में निवास करने वाले लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। वे इन त्योहारों का  तहे दिल से सम्मान करते हैं। इसीलिए इन त्योहारों के आगमन के साथ-साथ लोगों के जीवन में खुशियां, उत्साह ,उमंग भी आ जाता हैं। इसीलिए भारत को विभिन्न संस्कृतियों वाला देश कहा जाता है।

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HINDI ESSAYS & TOPICS

Essay on Indian Festivals in Hindi – भारतीय त्योहार पर निबंध

November 13, 2017 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में भारतीय त्योहार पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph, Short Essay on Indian Festivals in Hindi Language for students of all Classes in 100, 200 and 1500 words.

Essay on Indian Festivals in Hindi – भारतीय त्योहार पर निबंध

essay on hindi festival

Essay on Indian Festivals in Hindi – भारतीय त्योहार पर निबंध (100 words) 

भारत त्योहारों की भूमि है। भारतीय त्योहारों के कैलेंडर में दीवाली एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है। यह हिंदुओं का त्योहार है| श्री राम इस दिन 14 साल बाद अयोध्या में वापस आए। इस दिन मुगल सम्राट ने श्री गुरु हरगोविंद को नि: शुल्क मुहैया कराया था। यह त्योहार हर गांव और शहर में मनाया जाता है। मकान और दुकानों को नए रंगों में चित्रित किया गया है। लोग मोमबत्तियों और बिजली के रोशनी के साथ अपने घरों को प्रकाशते हैं। वे मिठाई और खिलौने खरीदते हैं। वे मित्रों और रिश्तेदारों के बीच उपहार वितरित करते हैं। बच्चे रात में आतिशबाजी का आनंद लेते हैं। इस दिन, लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। कुछ लोग इस दिन जुआ करते हैं यह एक बुराई है इसे समाप्त करना चाहिए|

Essay on Indian Festivals in Hindi – भारतीय त्योहार पर निबंध 

Essay on Indian Festivals in Hindi – भारतीय त्योहार पर निबंध (200 Words) : भारत त्योहारों और मेलों की भूमि है। दीवाली भारत के सबसे महत्वपूर्ण और रंगीन त्योहारों में से एक है इसे रोशनी का त्योहार कहा जाता है 14 वर्षों के निर्वासन में रहने के बाद दीवाली भगवान राम, सीता और लक्ष्मण को अयोध्या के बहुत से लौटने का जश्न मनाते हैं। अयोध्या के लोगों ने उन्हें प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में आनन्दित किया, यह त्योहार भगवान राम के दिनों से मनाया गया है लोग अपने घरों, दुकानों और अन्य इमारतों को मिटाने और पेंट करने के द्वारा महान त्योहारों की तैयारी करते हैं।

दिवाली के दिन, घरों, दुकानों और अन्य इमारतों को रोशनी वाले मोमबत्तियों, डाईयों और छोटे बल्बों से सजाया जाता है। हम सभी पर रोशनी देख सकते हैं दिवाली के दिन लोगों ने अच्छे कपड़े पहने, वे खुश दिखते हैं और उत्सव के मूड में हैं। वे मिलते हैं और उनके संबंधों और दोस्तों के साथ शुभकामनाएं करते हैं। उन्होंने मिठाई का आदान-प्रदान भी किया।

दिवाली की रात में, धन की देवी भगवान गणेश और लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पटाखे और चिंगारी के साथ खेल रहे लोग धन, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना यह त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है सभी लोगों को, चाहे जाति के भले ही या उत्सव में शामिल होने के अवसर पैदा हों। इस त्यौहार को मनाने के लिए अन्य देशों में रहने वाले भारतीय समुदाय।

Essay on Indian Festivals in Hindi – भारतीय त्योहार पर निबंध (1500 Words) : त्योहार जीवन का उत्सव है| त्योहार सभी को शांति और खुशी देता है। वे जीवन की एकरसता को तोड़ते हैं| भारतीय त्योहार कई हैं| वे तीन प्रकार के हैं – राष्ट्रीय, धार्मिक और मौसमी त्योहारों का पहला प्रकार, अर्थात्, राष्ट्रीय त्योहारों को महान देशभक्तिपूर्ण उत्साह के साथ मनाया जाता है। त्योहारों का दूसरा प्रकार लोगों के धार्मिक संघों को दर्शाता है तीसरे व्यक्तियों के मौसम के परिवर्तन को चिन्हित करते हैं। लोग उत्साह या उत्साह के साथ अपने विश्वास या मौसमी बदलाव का जश्न मनाते हैं।

राष्ट्रीय त्योहारों में गणतंत्र दिवस , स्वतंत्रता दिवस , गांधी जयंती आदि शामिल हैं। भारत के धार्मिक त्योहारों में गुरु पर्व, लोहड़ी , होली , बुद्ध पूर्णिमा, महावीर जयंती, दशहरा , दिवाली , जन्माष्टमी, छत, नवरात्रि, ईद , क्रिसमस ,  आदि शामिल हैं। मौसमी त्यौहारों में बीहु, बैसाखी , ओणम, पोंगल, बसंत पंचमी, मकर संक्रांति आदि शामिल हैं।

अगर सच्ची भावना में नहीं मनाया जाता है तो त्योहारों पर भी समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उत्सव सादगी के साथ मनाया जाना चाहिए उन्हें राष्ट्रीय एकीकरण और सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाना चाहिए। एकरसता और खुशी के निशान के उन्मूलन के लिए लगभग सभी त्योहार पूरे विश्व में मनाए जाते हैं। सामान्य रूप से सभी और विशेष रूप से बच्चों को इन समारोहों में बहुत उत्साहित हैं। वे त्यौहारों की उत्सुकता के लिए उत्सुक हैं क्योंकि इसके लिए वे कुछ नया करने का अवसर प्रदान करते हैं। वे नए कपड़े पहनते हैं, अपने घरों को सजाते हैं और त्योहारों को बहुत धूमधाम से मनाते हैं।

त्योहार जीवन का उत्सव है यह एक विशेष प्रकार का प्रदर्शन, मनोरंजन या प्रदर्शन श्रृंखला है, जो प्रायः समय-समय पर आयोजित होता है। त्योहार जीवन की एकरसता को तोड़ते हैं वे जनता के लिए शांति और खुशी लाते हैं। सभी देशों में उनके धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार हैं भारतीय त्योहार कई हैं वे लोग खुद के रूप में भिन्न हैं वे सामंजस्यपूर्ण, समृद्ध और रंगीन हैं उन्हें तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है- राष्ट्रीय या राजनीतिक, धार्मिक और मौसमी ज्यादातर भारतीय त्योहारों का जन्म या तो धर्म या मिथक और लोकप्रिय धर्मों की किंवदंतियों में है। कुछ बहुत ही सम्मानित पुरुषों और घटनाओं की याद से जुड़े हुए हैं|

वे उन घटनाओं और व्यक्तित्वों की स्मृति को जीवित रखने के उद्देश्य हैं, और इसलिए, वे लोगों को उनके उदाहरणों का पालन करने के लिए प्रेरणा देते हैं। फिर त्योहार जो वर्ष के मौसम से जुड़े हुए हैं। राष्ट्रीय त्योहार, अर्थात् गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती, आदि महान देशभक्ति उत्साह से मनाया जाता है। इन दिनों को राष्ट्रीय छुट्टियों के रूप में घोषित किया गया है और देश के सभी हिस्सों में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। राजधानी, नई दिल्ली, ऐसे अवसरों पर राष्ट्रीय समारोह की सीट है।

यह गणतंत्र दिवस पर सबसे राजसी परेडों में से एक है। सशस्त्र बलों के अलावा, पूरे देश के स्कूली बच्चों ने भी इस परेड में भाग लिया। भारत के राज्यों के टेबलटेक्स पर प्रदर्शित होते हैं ‘उनकी विशिष्ट विशेषताएं, संसाधन और हालिया उपलब्धियां परेड, भारत की सैन्य शक्ति और कई हथियार, गोला-बारूद, टैंक और लड़ाकू विमानों को प्रदर्शित करने का एक अवसर भी है। गांधी जयंती पर, विभिन्न क्षेत्रों के नेताओं और लोगों ने राष्ट्र के पिता को श्रद्धांजलि अर्पित की।

स्वतंत्रता दिवस पर, देश के प्रधान मंत्री ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और ऐतिहासिक लाल किले के रास्ते से राष्ट्र को संबोधित किया। भारत के धार्मिक त्योहारों में दुर्गा पूजा, दशहरा, दिवाली, जन्माष्टमी, शिवरात्रि, गुरु पर्व, राम नवमी, होली, छठ, नवरात्रि, ईद-उल-ज़ुहा, ईद-उल-फिट, क्रिसमस, बुद्ध पूर्णिमा, महावीर जयंती नौरोज शामिल हैं ( पार्सियों का त्योहार) और हनुक्का (यहूदियों का त्योहार) दिवाली हिंदू त्योहारों में सबसे महत्वपूर्ण है यह रोशनी का त्योहार है|

रावण के राक्षस राज पर विजय के बाद इस दिन, हिंदुओं ने अयोध्या में भगवान राम की वापसी का जश्न मनाया। घरों को साफ और सफेदी कर रहे हैं। इस दिन, जीवन के सभी क्षेत्रों से लोग नए कपड़े पहनते हैं, अपने घरों को प्रकाश देते हैं, और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, और व्यवसायी अपने नए खाते शुरू करते हैं। मिठाई की एक किस्म तैयार की जाती है, एक दूसरे से भेंट और भेंट की जाती है पटाखे फट रहे हैं और बच्चों और साथ ही युवा उन्हें आनंद लेते हैं। राम नवमी को भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा बंगाल, असम, उड़ीसा और भारत के कुछ अन्य हिस्सों में महान धूमधाम और शो के साथ मनाई जाती है। देवी दुर्गा की नौ दिन पूजा की जाती है दसवें दिन, विजयादशमी, देवी की मूर्ति एक जल निकाय में डुबो गई है। उत्तरी भारत में, दशहरा को विजयादशमी के दिन मनाया जाता है, रावण के ऊपर राम की बुराई की भयावहता का जश्न मनाता है। महाराष्ट्र में, भगवान गणेश को महान धूमधाम के साथ पूजा की जाती है और दस दिवसीय गणेश चतुर्थी उत्सव के दौरान दिखाया जाता है।

होली सर्दियों के मौसम के अंत में मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान मणिपुर का एक सांस्कृतिक नृत्य रूप रासलीला का आयोजन किया है। यह नृत्य भगवान कृष्ण और गोपी को समर्पित है। होली रंगों का त्योहार है लोग एक दूसरे पर रंग बौछार करते हैं होली को प्रह्लाद के सम्मान में मनाया जाता है, भगवान विष्णु के संरक्षक, जिसे भगवान ने बचाया था, जब उनके पिता और भगवान का शत्रुता, हिरण्यकश्यपु ने उन्हें एक चिड़िया पर जला दिया था।

यह बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है छठ मुख्य रूप से बिहार और भारत के अन्य हिस्सों में मनाया जाता है सूर्य-देवता सूर्यास्त पर पूजा की जाती है और फिर फल, आदि के साथ निम्नलिखित सूर्योदय पर, अरगी (भेंट) के रूप में। रमजान के अंत में चिह्नित करने के लिए बोली का जश्न मनाया जाता है। यह रमजान के महीने के दौरान था कि पवित्र कुरान पैगंबर मोहम्मद से पता चला था। रमज़ान के महीने में मुसलमान तेजी से उपवास करते हैं महीने के अंत में, ईद को उत्सवों के साथ मनाया जाता है। गुरु नानक देव का जन्मदिन सिखों और अन्य समुदायों के सदस्यों द्वारा मनाया जाता है।

इस अवसर पर, धार्मिक संगति में भाग ले रहे हैं, दीपक जला रहे हैं और पटाखे फट रहे हैं। गुरु अर्जुन देव और गुरु तेग बहादुर के ‘शहीद के दिन’ भी समुदाय के लिए विशेष महत्त्व के हैं। इन दिनों शांति और सामंजस्य के दिनों के रूप में मनाया जाता है और लंगर सेव (मुक्त भोजन की सेवा) बहुत बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाता है। ये दिन, बौद्ध और पहाड़ियों ने अपने धार्मिक त्योहारों को क्रमशः बुद्ध पूर्णिमा और महावीर जयंती मनाते हुए, भव्य भक्ति के साथ क्रिसमस ईसाइयों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है।

यह 25 दिसंबर को भगवान यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कृत्रिम सितारों, रोशनी, खिलौने आदि से सजाया गया है। केक और पुडिंग्स परोसे जाते हैं। बच्चों को नए कपड़े पहने हुए हैं सांता क्लॉज़ बच्चों के बीच मिठाई वितरित के रूप में प्रच्छन्न व्यक्ति चर्चों में प्रार्थना की जाती है यहूदियों ने अपने त्योहारों को ईसाइयों के समान एक समान रूप में मनाया। वे सर्वशक्तिमान के सामने प्रार्थना करने के लिए आराधनालय जाते हैं।

केरल के यहूदी महान धार्मिक उत्साह के साथ यूनानी देवता ज़ीउस का जन्मदिन हनुक्काह मनाते हैं। पार्सिस हर साल अगस्त-सितंबर के दौरान नौरोज मनाते हैं। यह उनके नए साल की शुरुआत है पूरे देश में मौसमी त्योहारों को विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है बिहू को असम के महान उत्साह के साथ मनाया जाता है पंजाब में गेहूं की फसलों की कटाई के निशान के रूप में विसाही को मनाया जाता है। ओणम केरल में एक फसल त्योहार के रूप में मनाया जाता है|

पोंगल भी तमिलनाडु में एक समान त्यौहार मनाया जाता है। बसंत पंचमी उत्तर भारत और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। यह सर्दियों के मौसम के अंत के निशान। मौसमी परिवर्तन एक नई शुरुआत चिन्हांकित करते हैं इन त्योहारों के दौरान लोगों के दिल की खुशी भर जाती है। चूंकि भारत में हर त्योहार में राजनीतिक, धार्मिक या पौराणिक पृष्ठभूमि है, इसलिए बच्चों को उनसे सीखने का पर्याप्त मौका मिलता है। जब वे एक राष्ट्रीय त्यौहार मनाते हैं, तो वे भारत की आजादी के आंदोलन के बारे में सीखते हैं और इस प्रकार देशभक्ति उनके बीच में डालती है। ऐसा धार्मिक त्योहार मनाने का मामला है। उनमें से अधिकांश ने बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया।

इस प्रकार, यह सबक सीखा है कि सच्चाई अंततः प्रचलित है। फिर, जब वे एक त्यौहार मनाते हैं जो एक सीजन के आगमन/अंत के निशान हैं, तो वे एक हिंदी महीने का नाम सीखते हैं। त्योहारों, इस प्रकार, उनकी मातृभूमि के साथ ही प्रकृति के बारे में अधिक स्पष्ट रूप से उन्हें जानने में मदद करें। त्योहारों का हमारे समाज पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, यदि हम उन्हें सही भावना में नहीं मनाते हैं। दीवाली के दौरान पटाखों को फोड़ते हुए वातावरण को गंभीर रूप से प्रदूषित करता है। जुआ सार्वजनिक और साथ ही पारिवारिक जीवन को परेशान करता है होली के दौरान, शराबी सड़कों पर बार-बार विवादों में संलग्न होते हैं।

मंदिरों को लाखों रुपयों में चलने वाले खर्चों से सजाया जाता है जो कि भूख को खिलाने में या देश के आर्थिक विकास के लिए बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। रंग होली का जरूरी विषय है लेकिन उन पर न तो छिड़ना चाहिए जो विरोध करते हैं और विरोधियों के साथ स्कोर तय करने के लिए इस्तेमाल नहीं करते हैं। पटाखों को फोड़ते समय कम से कम किया जाना चाहिए त्योहार सादगी और शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जाना चाहिए। धार्मिक त्योहारों के दौरान अन्य समुदायों से संबंधित लोगों को आमंत्रित किया जाना चाहिए। इससे राष्ट्रीय एकीकरण और सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

हम आशा करते हैं कि आप हमारे निबंध ( Essay on Indian Festivals in Hindi – भारतीय त्योहार पर निबंध ) को पसंद करेंगे

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होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) – होली क्यों मनाई जाती है?

Holi par nibandh in Hindi (Essay on Holi in Hindi) – साल भर मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहार भारतीय जीवन शैली का एक अभिन्न हिस्सा हैं। हमारे संस्कृति प्रधान देश में कई रंग-बिरंगे और विविध त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इनमें से होली का त्योहार भी विशेष महत्व रखता है, जिसे आपसी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने का पर्व कहा जाता है।

होली भारत की विविध संस्कृति के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो जीवन में उमंग, उल्लास और उत्साह को बनाए रखने की भूमिका निभाता है।

इस लेख में हम होली पर निबंध हिंदी में (Holi Essay in Hindi) होली के त्योहार के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी साझा करने जा रहे हैं। हम आशा करते हैं कि विभिन्न शब्द संख्याओं में उपलब्ध यह Holi ka nibandh (होली पर निबंध) सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

(होली की जानकारी और छोटे-बड़े निबंध – Short and Long Essay on Holi in Hindi, Holi par Nibandh Hindi mein)

Table of Contents

होली पर निबंध – 1  (250 शब्दों में) (Holi Essay in Hindi)

प्रस्तावना:

होली भारत में मनाया जाने वाला रंगों का एक बहुत लोकप्रिय त्योहार है। होली का मुख्य दिन फाल्गुन पूर्णिमा है, जो मार्च या अप्रैल के बीच में पड़ता है।

होली त्योहार क्या है?

होली एक हिंदू त्योहार (Hindu festival) है जो भारत में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। इसे “फागू पर्व (Fagu festival)” भी कहा जाता है क्योंकि इस त्योहार में लोग एक दूसरे पर अगरके फेंकते हैं और यह रंगों से भरा होता है। 

यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जो फरवरी या मार्च के महीने में आता है। 

लोग एक दूसरे को गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंगों से रंगते हैं। बच्चे अपनी इच्छा के अनुसार रंग और गुलाल और पिचकारी खरीदते हैं और लोगों को रंगों से सराबोर करने का आनंद लेते हैं।

इसके अलावा होली पर लोग एक दूसरे के साथ मिठाइयां खाने का भी लुत्फ उठाते हैं। 

भारत के अलग-अलग हिस्सों में होली अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है, जैसे उत्तर भारत में लोग लोहड़ी जलाते हैं और मथुरा और वृंदावन में ब्रज भूमि के रंगोत्सव का आयोजन किया जाता है।

हालांकि इसे हिंदू त्योहार माना जाता है, लेकिन इस त्योहार में विभिन्न समुदायों के लोग उत्साह और उमंग के साथ एक साथ आते हैं, जो वयस्कों को भी बचकाना बना देता है।

होली का उत्सव और वसंत ऋतु का आगमन अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और ऊर्जा को चारों ओर फैला देता है जैसे आकाश में गुलाल बिखर जाता है।

निष्कर्ष: 

होली एक सामाजिक और धार्मिक त्योहार है, जो लोगों को एक साथ आने और पुरे उत्साह के साथ आनंद का अनुभव करने का मौका देता है।

होली पर निबंध – 2  (600 शब्दों में) (Essay on Holi in Hindi)

भारत देश में विविध संस्कृति के साथ कई त्यौहार मनाए जाते हैं। होली, फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है और इस दिन लोग एक दूसरे पर अगरके फेंकते हैं, रंग लगाते हैं और एक दूसरे को मिठाइयां भी बांटते हैं। होली के दिन लोग रंगों से खेलते हैं, गीत गाते हैं, नाचते हैं और मिठाई खाते हैं। 

होली का आगमन और उत्सव

होली का त्योहार आने के कुछ दिन पहले से ही बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी अपने-अपने तरीके से होली के त्योहार की तैयारी में लग जाते हैं। इस समय फागुन मास की शुरुआत ठंड को विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम सुहावना होने लगता है।

इस पर्व पर फाग गीतों की भी परंपरा रही है; फाग लोकगीतों के बिना यह पर्व कुछ अधूरा सा लगता है। पहले फाग सुनने से ही लोगों को पता चल जाता था कि होली आने वाली है।

खासकर बच्चों में होली के त्योहार को लेकर खासा उत्साह होता है। वे काफी पहले से ही होलिका दहन के लिए सुखी लकड़ियां इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। 

वैसे तो गांवों में लकड़ियां आसानी से मिल जाती है, लेकिन शहर के बच्चे घरों के खराब फर्नीचर, लकड़ी के बेकार सामान आदि से ही होलिका दहन की व्यवस्था करते हैं। इसके साथ ही होलिका तैयार करने में सभी वर्ग के लोग लकड़ी का योगदान करते हैं।

लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ तरह-तरह के रंग और गुलाल की खरीदारी करने लगते हैं। महिलाएं होली के त्योहार पर घर आने वाले लोगों के लिए मिठाई, नमकीन और गुजिया बनाने में जुट जाती हैं।

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है।

लोग समूह में एक-दूसरे के घर जाते हैं और रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। साथ ही, “बुरा ना मानो, होली है” का जुमला यह बताता है कि लोग इस दिन रंग और गुलाल लगाने के लिए स्वतंत्र हैं और इससे किसी को नाराज नहीं होना चाहिए।

होली में रंगों का क्या महत्व है?

होली रंगों का रंगीन त्योहार है और इसकी पहचान, रौनक और उत्साह भी इन्हीं रंगों पर आधारित है। तरह-तरह के रंगों में सराबोर चेहरे, कपड़े सबके चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं। इस त्योहार के रंगों में बुजुर्गों को भी बच्चों में बदलने की ताकत है।

होली को और किन नामों से जाना जाता है?

होली को आमतौर पर सभी राज्यों में होली के नाम से जाना जाता है, लेकिन कुछ जगहों पर होली को आका, डोल भी कहा जाता है। इसके अलावा भारत और नेपाल में होली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है:

  • होली: भारत में होली नाम से जाना जाता है और यह फाल्गुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
  • फागु पूर्णिमा: उत्तर प्रदेश और बिहार में यह फागु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
  • दोल यात्रा: बंगाल में होली को दोल यात्रा के नाम से जाना जाता है।
  • बसंतोत्सव: होली को भारत के कुछ हिस्सों में बसंतोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
  • फाल्गुन महोत्सव: नेपाल में होली को फाल्गुन महोत्सव के नाम से जाना जाता है।

शहरी संस्कृति ने “होली मिलन” कार्यक्रमों को जन्म दिया है जिसमें राजनीतिक दल, संगठन बड़े पैमाने पर होली मिलन कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिसमें सैकड़ों लोग भाग लेते हैं।

  • भारत के अलावा कनाडा, अमेरिका, बांग्लादेश आदि कई देशों में भी होली का त्योहार मनाया जाता है।

होली खुशी और एकता के साथ मनाया जाने वाला एक पारंपरिक त्योहार है। इस त्योहार के दौरान लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ रंगों से खेलते हैं, मस्ती करते हैं और सभी गिले-शिकवे भूलकर एक नई शुरुआत करते हैं।

होली पर निबंध – 3  (1300 शब्दों में) (Holi par nibandh in Hindi)

होली एक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो फरवरी और मार्च के बीच आता है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करता है।

होली का इतिहास

पुराणों के अनुसार होली की शुरुआत से जुड़ी एक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। विष्णु पुराण की एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने स्वयं को देवता मानकर अपने राज्य में विष्णु पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन उसका अपना पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और दिन-रात हरि भक्ति में लगा रहता था।

राजा हिरण्यकश्यप को प्रह्लाद का यह व्यवहार बिल्कुल पसंद नहीं आया और उसने प्रह्लाद का मन बदलने की हर संभव कोशिश की। ऐसे में जब प्रह्लाद को किसी भी तरह से भगवान की पूजा करने से रोकने में सफलता नहीं मिली तो उसने प्रह्लाद को मारने का आदेश दे दिया।

जब हाथी के पैरों तले कुचलकर पहाड़ से फेंके जाने पर भी प्रह्लाद को नहीं मारा जा सका तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रह्लाद को जलाकर मारने की योजना बनाई।

दरअसल होलिका को भगवान ब्रह्मा से यह वरदान मिला था कि वह आग में नहीं जलेगी। इसलिए वह प्रह्लाद को गोद में लेकर लकड़ी के ढेर पर बैठ गई और उसमें आग लगा दी गई।

होलिका की गोद में बैठा बालक प्रह्लाद भगवान का नाम जपता रहा और उसे किसी प्रकार की हानि नहीं हुई, जबकि वरदान प्राप्त होलिका अपनी दुष्ट कामनाओं के कारण जलकर राख हो गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में होली का त्योहार मनाया जाने लगा।

होली मनाने के इतिहास के बारे में कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह पर्व प्राचीन आर्यों के समय से मनाया जाता रहा है। जबकि कुछ अन्य लोगों का मानना है कि होली फाल्गुन के महीने में भारत में प्रचलित लोक नृत्यों और गीतों से जुड़ी है।

होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली एक सामाजिक त्योहार है जो बहुत सारी रंगीन और मनोरंजक गतिविधियों के साथ मनाया जाता है। हालांकि, कुछ सामाजिक कुरीतियां भी होती हैं जो होली के दौरान देखी जाती हैं। 

कुछ असामाजिक लोग होली जैसे धार्मिक महत्व के त्योहार को भी बदनाम करने से नहीं चूकते। कुछ नशेड़ी और दुराचारी लोग नशीले पदार्थ का सेवन कर बेकाबू हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं।

कुछ लोग होलिका में हानिकारक पदार्थ जैसे टायर, प्लास्टिक आदि जलाते हैं, उन्हें इस बात का अहसास नहीं होता कि इससे पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है। 

कुछ अति मौज-मस्ती करने वाले लोग होली के दौरान नाभिक रंग, केमिकल रंग या अन्य अनुचित रंगों का उपयोग दूसरों को लगाने का गंदा काम करते हैं, जिससे लोगों को शारीरिक हानि होने की संभावना रहती है।

यदि इन बुराइयों को होली से दूर रखा जाए तो होली का त्योहार वास्तव में मनुष्य और पर्यावरण के लिए हैप्पी होली बन जाएगा।

भारत के विभिन्न राज्यों की होली परंपराएं

ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृन्दावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली सारे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। होली की विभिन्न परंपराएं भारत के विभिन्न राज्यों और शहरों में भी पाई जाती हैं।

ब्रजभूमि की लट्ठमार होली (Lathmar Holi of Braj Bhoomi):- “सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात ब्रज की होली सारे विश्व से निराली है। ब्रज के बरसाना गांव में होली को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। 

इस होली में बड़ी संख्या में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव के थे और राधा बरसाना की।

जहां पुरुषों का ध्यान महिलाओं को पिचकारी से सराबोर करने पर होता है, वहीं महिलाएं अपना बचाव करती हैं और उनके रंगों का जवाब लाठियों से मारकर देती हैं।

मथुरा और वृंदावन की होली (Holi of Mathura and Vrindavan):- पूरे भारतवर्ष से परे मथुरा और वृंदावन में होली का एक अलग ही रंग होता है। यहां होली की धूम 16 दिनों तक रहती है। लोग “फाग खेलन आयो नंद किशोर” और “उदत गुलाल लाल भाए बदरा” जैसे लोक गीत गाकर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।

बिहार की फगुनवा होली (Phagunwa Holi of Bihar):- बिहार में तीन दिनों तक होली का त्योहार मनाया जाता है। पहले दिन रात को होलिका दहन होता है, जिसे यहां संवत्सर दहन भी कहा जाता है और लोग इस अग्नि के चारों ओर नृत्य करते हैं। अगले दिन इसकी राख से होली खेली जाती है, जिसे धुलेटी कहा जाता है और तीसरा दिन रंगों से भरा होता है।

पुरुषों और महिलाओं के समूह घर-घर जाते हैं और डोल की ताल पर नृत्य करते हैं। फागुन का अर्थ लाल रंग होता है, इसलिए इसे फगुवा होली भी कहा जाता है।

मध्य प्रदेश की भगोरिया होली (Bhagoria Holi of Madhya Pradesh):- मध्य प्रदेश में रहने वाले भील आदिवासियों के लिए होली खास होती है। इस भील होली को भगोरिया कहा जाता है। इस दिन बड़े हो रहे लड़कों को अपना मनपसंद जीवन साथी चुनने की छूट होती है।

भीलों का होली मनाने का एक विशेष तरीका है। इस दिन वे आम के बाग, टेसू के फूल और गेहूं की बालियों की पूजा करते हैं और नए जीवन की शुरुआत के लिए प्रार्थना करते हैं।

महाराष्ट्र की रंगपंचमी (Rangpanchami of Maharashtra):- महाराष्ट्र में मछुआरों की बस्ती के लिए इस त्योहार का मतलब है नाचना, गाना और मस्ती करना होता है। क्योंकि इस त्योहार पर सभी मछुआरे एक-दूसरे के घर जाते हैं और मौज-मस्ती में काफी समय बीत जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन पूरन पोली नामक स्वादिष्ट मीठा पकवान बनाया जाता है।

गुजरात की मटकी फोड़ होली (Gujarat’s Matki Phod Holi):- गुजरात में होली के मौके पर जोशीले युवाओं की टोलियां सड़कों पर नाचती-गाती चलती है। गुजरात में होली का त्यौहार श्री कृष्ण की बाल लीला के उपलक्ष्य में होली के दिन मनाया जाता है। महिलाएं माखन से भरे मटकियों को गलियों में ऊंचाई पर टांगती हैं, पुरुष उन्हें तोड़ने की कोशिश करते हैं और गीत-नृत्य के साथ होली खेलते हैं। 

पंजाब का “होला मोहल्ला” (“Hola Mohalla” of Punjab):- पंजाब में होली के इस पर्व को मर्दों की ताकत के तौर पर देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिखों के पवित्र तीर्थ “आनंदपुर साहिब” में छह दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष पूरे उत्साह के साथ भाग लेते हैं और घुड़सवारी, तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।

हरियाणा की धुलंडी होली (Dhulandi Holi of Haryana):- हरियाणा, भारत में, होली को धुलंडी और सूखी होली के रूप में मनाया जाता है – इसे गुलाल और अबीर के साथ खेला जाता है। इस दिन भाभियों को साल भर परेशान करने वाले अपने देवर को सजा देने की पूरी आजादी होती है।

भाभियां अपने देवरों को तरह-तरह से प्रताड़ित करती हैं और बेचारे देवर चुपचाप सब सह लेते हैं, क्योंकि यह दिन भाभियों का दिन होता है। शाम को देवर अपनी भाभी के लिए उपहार लाता है और भाभी उसे आशीर्वाद देती है।

राजस्थान में तमाशा होली (Tamasha Holi in Rajasthan):- राजस्थान में होली के अवसर पर तमाशे की परंपरा है। इसमें कलाकार नुक्कड़ नाटक की शैली में मंच को सजाकर आते हैं और नृत्य और अभिनय से भरपूर अपने पारंपरिक कौशल का प्रदर्शन करते हैं। तमाशा की विषयवस्तु पौराणिक कथाओं और पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है और इन पात्रों के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर व्यंग्य भी करती है।

बंगाल की “डोल पूर्णिमा” होली (“Dol Purnima” Holi of Bengal):- बंगाल और उड़ीसा में होली “डोल पूर्णिमा” के नाम से प्रचलित है। इस दिन भजन-कीर्तन गाते हुए पूरे गांव में राधा-कृष्ण की मूर्ति को जुलूस के लिए निकाला जाता है और रंगों से होली खेली जाती है।

मणिपुर की होली (Holi of Manipur):- होली पर मणिपुर में “थबल चोंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह उत्सव पूरे छह दिनों तक चलता है जिसमें नृत्य-गीत और विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं होती हैं।

होली के दिन लोग अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं और दुश्मनी खत्म करते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल और अन्य रंगों से रंगते हैं जो खुशी, प्रेम और मेल-मिलाप की अभिव्यक्ति को दर्शाते हैं। 

इसके अलावा, होली का अधिक महत्व है क्योंकि यह मानवता के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक त्योहार है। यह ऐसा पर्व है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति की बंधनों की सीमाओं से परे जाकर लोगों को भाईचारे का संदेश देता है।

होली पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on Holi in Hindi)

  • होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।
  • यह हिंदुओं के सबसे पसंदीदा और आनंददायक त्योहारों में से एक है।
  • यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करता है।
  • होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है।
  • यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
  • रंग, गुलाल, पिचकारी और रंग-बिरंगे पानी के गुब्बारों से बच्चे इस त्योहार को काफी उत्साह के साथ मनाते हैं।
  • होली रंगों का रंगीन त्योहार है और इसकी पहचान, रौनक और उत्साह भी इन्हीं रंगों पर आधारित है।
  • इस त्योहार के अवसर पर, सभी लोग जीवन में सभी बुराईयों पर अच्छाई की जीत के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।
  • इस मौके पर अपने पुराने गिले-शिकवे भुलाकर अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों पर रंग डालकर त्योहार मनाया जाता है।

Q – होली का नाम किसके नाम पर रखा गया है? A – होली का नाम हिरण्यकशिपु की बहन होलिका के नाम पर रखा गया है।

Q – साल 2023 में होली कब मनाई जाएगी? A – इस वर्ष होली 08 मार्च 2023 को मनाई जाएगी।

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मेरा प्रिय त्योहार पर निबंध- Essay on My Favourite Festival in Hindi Language

In this article, we are providing information about My Favourite Festival in Hindi. मेरा प्रिय त्योहार पर निबंध , Essay on My Favourite Festival in Hindi Language   मेरा पसंदीदा त्योहार, Mera Priya Tyohar Par Nibandh.

मेरा प्रिय त्योहार पर निबंध- Essay on My Favourite Festival in Hindi Language

भारत त्योहारों का देश है जहाँ पर सभी त्योहार बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाए जाते हैं। इन अनगिनत त्योहारों में से मेरा पसंदीदा त्योहार होली है जिसे रंगो का त्योहार भी कहा जाता है। यह पर्व प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माग की पूर्णिमा को मनाया जाता है और यह आमतौर पर मार्च के महीने में ही आता है। यह दो दिन तक मनाया जाने वाला त्योहार है। इस त्योहार के पीछे प्रचलित कथा भी है जिसके अनुसार भगवान विष्णु के भग्त प्रह्लाद इस दिन अग्नि से जीवित बाहक निकल आए थे और उनकी बुआ होलिका जो प्रह्लाद को मारना चाहती थी आग में जल गई थी और यही कारण है कि हर साल होलिका दहन किया जाता है और प्रहलाद के जीवित बचने की खुशी में होली मनाई जाती है। होली के पहले दिन को होलिका दहन कहा जाता है और अगले दिन जब रंगों से खेला जाता है उसे धुलहंडी कहा जाता है।

होली के दिन लोग एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते है। कई कई जगह पर फूलों की होली खेली जाती है। इस दिन लोग नफरत दूर कर प्यार का और दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाते हैं। होली के पर्व पर घर में तरह तरह की मिठाईयाँ बनती है।

आधुनिक समय में लोगों ने होली के त्योहार को दूषित करना शुरू कर दिया है। लोग इस दिन शराब पीते हैं और जुआ आदि भी खेलते हैं और कुछ असमाजिक तत्व रंग के स्थान पर कीचड़ आदि का प्रयोग करते हैं और पानी को भी बर्बाद करते हैं। मेरा मानना है कि यदि रंगों के इस त्योहार को अच्छे से और खुशी से मनाया जाए तो यह हमारे कपड़ों की तरह हमारी जिंदगी को भी रंगीन बना देता है। होली का पर्व हमारी जिंदगी में खुशियों के रंग भर जाता है।

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Essay on Festivals of India in Hindi- भारतीय त्योहार पर निबंध

Essay on Diwali in Hindi

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जीवन में त्यौहारों का महत्व निबंध Essay on Importance of Festivals in Life (Hindi)

इस लेख में जीवन में त्यौहारों का महत्व निबंध Essay on Importance of Festivals in Life (Hindi) को सरल रूप में लिखा गया है। त्यौहारों के महत्व पर निबंध कक्षा 4 से 12 तक विविध रूपों में पूछा जाता है। इस लेख उत्सवों के महत्व पर निबंध से आवश्यक परीक्षाओं में लिखने के लिए मदद लिया जा सकता है।

Table of Content

त्यौहारों में समाज को जोड़े रखने की क्षमता होती है इसलिए त्यौहारों का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि दौड़ भाग भरी जिंदगी में लोग इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें वर्तमान की कोई खबर नहीं रहती।

संसार में जितने धर्म, समुदाय तथा जाति के लोग रहते हैं उनसे जुड़े हुए इतिहास में कुछ अच्छी और बुरी घटनाएँ घटी हैं। अच्छी घटनाओं से इंसान प्रसन्न रहते हैं और बुरी घटनाओं से दुखी, इसलिए अच्छी घटनाओं को पुनरावर्तित करने के लिए त्यौहारों का निर्माण किया गया है।

कुछ त्यौहार बहुत पुराने हैं और कुछ समय और घटनाओं के साथ इंसानों ने बनाया है। त्यौहार लोगों के जीवन को मनोरंजन और ढेर सारी ख़ुशियों से भरते तथा उनमें नवीनता का संचार करते हैं।

क्यों जरूरी हैं जीवन में त्यौहार? Why Festivals and Events are Important in Life?

मानव जीवन में त्यौहारों का बहुत ही महत्व है, धरती पर विभिन्न जाति तथा धर्म के लोग रहते हैं और सभी के अपने-अपने त्यौहार भी हैं लेकिन उन सभी के त्यौहारों में एक ही समानता दिखाई देती है वह है “समाजिक  जुड़ाव तथा प्रसन्नता का निर्माण।

सभी त्यौहारों के साथ बदलाव के कुछ ना कुछ संदेश अवश्य जुड़े होते हैं, जिनका उद्देश्य मानव के विचारों को नवीन बना कर उनमें उनके समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव पैदा करना है। उदाहरण स्वरूप भारत में प्रमुख त्यौहार दीपावली है और उसका मूल उद्देश्य समाज में न्याय और सदभावना का विचार भरना है।

पटाखे और दीप तो सिर्फ एक साधन हैं लेकिन मूल उद्देश्य दीपावली के इतिहास तथा परिभाषा में छुपी है। दूसरी ओर त्यौहार समाजिक समरसता की सीख भी देते हैं क्योंकि त्यौहारों के दिन सभी की छुट्टी होती है और उन्हें परस्पर मिलने जुलने का समय मिलता है।

भारत देश को त्यौहारों का देश भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ सभी धर्मों के लोग रहते हैं और हर महीने किसी न किसी त्यौहार का आवागमन लगा रहता है। भारत में त्यौहार को सिर्फ त्यौहार की तरह देखा जाता है तो चाहे वह किसी भी धर्म या संप्रदाय का क्यों न हो और भारत के प्रत्येक त्यौहार में अपनी विधि और परंपरा के साथ समाज और देश के लिए कोई न कोई विशेष संदेश निहित होता है।

मुस्लिम धर्म में ईद को बहुत हर्ष और उल्लास के साथ पूरी दुनियाँ के मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य भाईचारा और खुद के अंदर के पशुत्व को क़ुर्बान करना है। इस त्यौहार में पूरे एक महीने तक मुस्लिमों द्वारा रोजा रखा जाता है।

इसमें जमात उल विदा का पाक महोत्सव मनाया जाता है जिससे सभी लोगों के मन में एक दूसरे के लिए भाईचारे तथा प्रेम की भावना जागृत होती है। इसी प्रकार ईसाईयों द्वारा मनाए जाने वाले क्रिस्मस त्यौहार में लोग एक दूसरे की ग़लतियाँ माफ करके उनके लिए शुभ कामना करते हैं।

त्यौहारों के द्वारा मिलती सीख Learnings from the Festivals

माना जाता है लोगों में एकता और एक दूसरे के प्रति भाईचारा का भाव जागृत करने के लिए कुछ त्यौहारों का गठन किया गया था लेकिन समय बीतने के साथ लोग समाज में होने वाले उत्सवों में बहुत कम रुचि ले रहें हैं जैसे की हाल में ही भारत के द्वारा निर्मित त्यौहार “ अन्तराष्ट्रीय योग दिवस ” की शुरुवात मानव जीवन को स्वस्थ शरीर और मन प्रदान करने के लिए हुआ था लेकिन फिर भी योग को करने वालों की संख्या बहुत ही कम है।

ठीक ऐसे ही दूसरा त्यौहार राजा राम मोहन राय द्वारा निर्मित गणेश चतुर्थी है जिसका निर्माण हिन्दू समाज को एकजुट करने के लिए बनाया गया था इस त्यौहार में हिन्दू समाज अपनी आजीविका का छोटा सा हिस्सा चंदा के रूप में निकाल उससे गणेश भगवान की प्रतिमा को स्थापित करते हैं और उनकी पूजा करते हैं तथा एक हफ्ते के बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को बड़े जलाशय में विसर्जित कर दिया जाता है।

इसी प्रकार दुर्गा पूजा, बाल दिवस , गांधी जयंती, महावीर जयंती , भगवान बुद्ध जयंती इत्यादि त्यौहारों का निर्माण किया गया था लेकिन अब लोगों का इन त्यौहारों के द्वारा दिए जा रहे सीखों के प्रति रूझान कम होता जा रहा है और उनकी सोच सिर्फ चिन्हों तक सिमित होकर रह गयी है।

सुधार के रूप में इन त्यौहारों का नवीनीकरण होना चाहिए और इनके पीछे छिपे उद्देश्यों को जन जन तक पहुँचाना चाहिए जैसे की सिर्फ पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण से प्रेम करने के स्थान पर पूरे वर्ष ही अपने छोटे-बड़े कर्मों से पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए और मात्र ईद पर अपने दिल के कुविचारों को दूर करने के स्थान पर पूरे वर्ष ही अपने कुवृत्तियों को दूर कर सद्वृत्तियों को बढ़ाना चाहिए।

त्यौहारों के समय बरती जाने वाली सावधानियाँ Precautions to be taken during festivals

हाल की जीवन में त्यौहारों का महत्व बहुत ज्यादा है परंतु आज पैसे खर्च करना और प्रकृति को नुकसान पहुंचाना वर्तमान में त्यौहार की परिभाषा बना दी गई है। होली जैसे पवित्र त्यौहार को लोग केवल प्रकृति को दूषित करना और बुरी चीजों का सेवन करना ही समझते हैं जबकि यह  त्यौहार सभी को बुराइयों को छोड़ने का संदेश देता है।

दीवाली जैसे पवित्र पर्व पर लोग पटाखे जला कर प्रकृति को प्रदूषित करते हैं, जिससे बेजुबान पशु पक्षियों को बहुत आघात पहुँचता है। ऐसे ही ईद जैसे पवित्र पर्व पर लोग बेजुबान पशुओं की बलि देते हैं जबकि यह त्यौहार लोगों को अपने अंदर की पशु वृत्ति की बलि देने का संदेश प्रदान करता है।

त्यौहारों की सबसे बड़ी सावधानी के रूप सबसे जरुरी चीज़ है उनकी सही और सात्विक परिभाषा समझना साथ ही त्यौहारों को इस प्रकार मोड़ना जिससे प्रकृति को लाभ हो न की हानि। उदा. कुछ त्यौहारों में रोड पर लोगों का समूह एकत्रित हो जाता है जिससे सामान्य लोगों को तथा एम्बुलेंस जैसे जरूरी वाहनों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है

जहाँ त्यौहार ज्ञान और ख़ुशियों का माध्यम बनते हैं वहीँ दूसरी ओर अगर पर्याप्त सावधानियाँ न बरती जाए तो बहुत नुकसान भी कर सकती हैं हालाँकि त्यौहार जैसे पर्यावरण दिवस या योग दिवस जैसे त्यौहारों से कोई खतरा नहीं होता पर ज्यादातर त्यौहारों में सतर्कता बरतने की जरुरत होती है।

कुछ भारतीय त्यौहार जिनका भारत मे बहुत महत्व है Some Indian festivals which are very important in India

भारत देश त्यौहारों का देश है। जहाँ पूरे साल भर त्यौहार बड़े ही हर्ष और उल्लास से मनाये जाते हैं। हमारे भारत देश में कई धर्मों के लोग साथ मिल जुल कर त्यौहारों को मनाते हैं।

इतनी सारी विभिन्नताएं होने के बावजूद भी सभी धर्मों और जातियों के लोग त्यौहारों का लुत्फ़ लेते हैं। चाहे वह हिन्दुओं की दीवाली और होली ही क्यों न हो, मुसलमानों की ईद ही क्यों न हो, सिक्खों की लोहड़ी ही क्यों न हो और ईसाइयों का क्रिशमस ही क्यों न हो।

त्यौहार शब्द सुनते ही मन में हर्ष और उल्लास जाग जाता है, मन अपने आप ही प्रफुल्लित हो उठता है। भारतीय अपने त्यौहारों को विशेष महत्त्व देते हैं। त्यौहारों को मनाने के लिए पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं।

किसी भी धर्म सम्प्रदाय के लोग हो, गांव हो या शहर हर तरफ त्यौहारों की होड़ लगी रहती है। भारत देश का हर एक त्यौहार लोगों के प्रति प्रेम, एकता, हर्ष और उल्लास का सन्देश देता है।

हर किसी त्यौहारों से जुडी हुई कोई न कोई कहानी है जो हमारी परम्पराओं के अनुसार लम्बे समय से चली आ रही है। अपनी इस संस्कृति और परम्परों को यथावत रखने के लिए हमें त्यौहारों को मनाते रहना चाहिए।

त्यौहार मनाने से हमारे घर – परिवार , आस – पड़ोस और मित्रों के बीच एक अच्छा माहौल बनता है। जो हमारे रिश्तों को और भी मजबूत रखता है।

निम्नलिखित भारतीय त्यौहारों का महत्व बहुत ही अधिक है –

दीवाली – यह त्यौहार मुख्य रूप से हिन्दुओं का है। दीवाली के दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन किया जाता है जो समृद्धि को दर्शाता है। रात्रि में घर और हर स्थान को दीयों से प्रकाशित किया जाता है। इसे प्रकाश पर्व भी कहा जाता है।

पढ़ें : दिवाली पर निबंध

होली – होली यानि की रंगों का पर्व। होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन सभी को रंग – गुलाल लगा कर इस त्यौहार को मनाते हैं। यह त्यौहार सभी धर्मों के लोग बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।

विभिन्न तरह के पकवान इत्यादि बनाये जाते हैं। ‘गुजिया’ एक विशेष प्रकार का पकवान है जो ख़ास तौर पर होली के दौरान बनाई जाती है और सबको वितरित की जाती है।

पढ़ें : होली पर निबंध

रक्षा-बंधन – यह त्यौहार भाई-बहनों के प्रेम को समर्पित है। बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है। ऐसा माना जाता है कि वह राखी सदा भाई की रखा करेगी और भाई प्रण लेता है कि वह अपनी बहन की सदा रक्षा करेगा।

यह त्यौहार सावन के महीने में आता है। सावन का पूरा महीना भगवान शिव जी को समर्पित है। इस पूरे महीने लोग व्रत भी रखते हैं और शिव भगवान का ध्यान करते हैं। इसीलिए ये पूरा महीना एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।

पढ़ें : रक्षाबंधन पर निबंध

गणेश उत्सव – यह त्यौहार महारष्ट्र में बड़े ही धूम – धाम के साथ मनाया जाता है। भगवान गणेश जी की मूर्ती को लोग अपने घरों, आस – पड़ोस में स्थापित  करते हैं व सात दिनों के उपरान्त जल में विसर्जित करते हैं।

महारष्ट्र के अलावा भारत के अन्य क्षेत्रों में भी भगवान गणेश जी की मूर्ती को स्थापित किया जाता है। जिसे लोग बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।

पढ़ें : गणेश चतुर्थी पर निबंध

दुर्गा पूजा – यह त्यौहार पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। इसमें माँ दुर्गा, माँ काली की मूर्तियों को स्थापित किया जाता है। बड़े ही श्रद्धा भाव से माँ की पूजा अर्चना की जाती है।

भारत के अन्य क्षेत्रो में भी माँ दुर्गा का उसी भक्ति – भावना से नवरात्रि के दौरान पूजन किया जाता है। लोग 9 दिनों तक व्रत रखते हैं। कई स्थानों पर तो भव्य मेला भी लगता है।

पढ़ें : दुर्गा पूजा पर निबंध

दशहरा – नवरात्रि के 9 दिन पूरे होने के बाद दशहरा मनाया जाता है। जो बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। पुरानी मान्यताओं के आधार पर रावण के पुतले को जलाया जाता है।

पढ़ें : दशहरा पर निबंध

महाशिवरात्रि – महाशिवरात्रि भगवान शिव जी को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सृष्टि का आरम्भ हुआ था और शिव भगवान और माता पार्वती का विवाह भी इसी दिन हुआ था।

पढ़े : महाशिवरात्रि पर निबंध

मकर संक्रांति – पूरा भारत इस पर्व को बड़े ही उत्साह के साथ मनाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब सूर्य पौष महीने में मकर राशि पर आता है तब इस पर्व को मनाया जाता है। इस दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्त्व है। इस त्यौहार को काइट फेस्टिवल के रूप में भी मनाते हैं। गुजरात व अन्य क्षेत्रों में इस दिन पतंग उड़ाई जाती है।

पढ़ें : मकर संक्रांति पर निबंध

ईद – यह त्यौहार मुस्लिम्स का मुख्य त्यौहार है। पूरा भारतवर्ष इस त्यौहार को हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है। पूरे एक महीने तक रोजा रखने के बाद जब नया चाँद  उदय होता है उसके अगले दिन ईद मनाई जाती है।

इसे ईद-उल-फितर भी कहा जाता है। यह त्यौहार भाई – चारे की भावना को दर्शाता है। अच्छे – अच्छे पकवान बनाये जाते हैं। ख़ास तौर पर ‘सेवईं’ बनाई जाती है। सभी एक – दूसरे के घर जाकर ईद की मुबारकवाद देते हैं।

पढ़ें : ईद पर निबंध

क्रिश्मस – यह त्यौहार ईसाइयों का मुख्य त्यौहार है। जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन ईशा मसीह का जन्म हुआ था। इसीलिए ईशाई इस त्यौहार को प्रसन्नता पूर्वक मनाते हैं।

पढ़ें : क्रिश्मस पर निबंध

गुरुपर्व – यह सिक्खों का त्यौहार है। सिक्खों के पहले गुरु ‘ गुरु नानक जी ‘ के जन्म दिन पर यह त्यौहार मनाया जाता है।

हमारे देश के कुछ राष्ट्रीय त्यौहार भी हैं जैसे – 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) – 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश अंग्रेजो की गुलामी से आज़ाद हुआ था, इसीलिए इस त्यौहार को पूरा भारता मनाता है। 2 अक्टूबर (गाँधी जयंती) – गाँधी जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में यह त्यौहार मनाया जाता है क्योंकि वे हमारे राष्टपिता हैं। 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) – इस दिन हमारे देश का संविधान लागू हुआ था। इसीलिए 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।

भारत में कई राज्य हैं जो अपनी – अपनी परंपरा व संस्कृति को संजोय रखे हुए हैं। कुछ ऐसे भी त्यौहार हैं जो अलग – अलग राज्यों में मनाये जाते हैं जैसे – केरल में ओणम मनाया जाता है, पोंगल त्यौहार जो तमिल मनाते हैं, फसल की कटाई होने पर इस त्यौहार को मनाते हैं।

नवरोज़ त्यौहार नव वर्ष के रूप में पारसी समुदाय के लोग मनाते हैं। जैन लोगों के त्यौहार उनके गुरुओं को समर्पित हैं। जैसे – तीर्थंकर, जिनवाणी और महावीर जयंती आदि, जिसे वे प्रेम पूर्वक मनाते हैं।

इतनी सारी विभिन्नताएं होने के बादवजूद भी हमारे देश के लोग हर तरह के त्यौहारों को सभी के साथ मिल – जुल कर मनाते हैं। ये त्यौहार ही हैं जो हमें अनेकता से एकता की तरफ ले जाते हैं व भाई-चारे की भावना को जाग्रत करते हैं। इस प्रकार जीवन में त्यौहारों का महत्व बहुत ही ज्यादा है।

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नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

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होली पर निबन्ध | Essay for Kids on Holi in Hindi

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होली पर निबन्ध | Essay for Kids on Holi in Hindi!

होली रंगों का त्योहार (Festival of Colours) है । इस त्योहार को देश के अलग-अलग भागों में भिन्न-भिन्न (Different) प्रकार से मनाया जाता है किन्तु यह चाहे जिस रूप में मनाया जाए वसन्त ऋतु (Spring Season) के इस त्योहार का रंग हर जगह एक-सा लगताहै । पेड़ों पर जन्म लेते नये-नयेपत्तों तथा आनन्ददायक (Pleasant) हवाओं के बीच रंग और गुलाल से प्रकृति (Nature) को और रंगीन बनाने तथा खुले मन से नाचने-गाने का पर्व है होली ।

ADVERTISEMENTS:

होली का त्योहार अपने देश की कुछ पौराणिक कहानियों (Epical Stories) से जुड़ा हुआ है । उनमें से प्रहलाद और होलिका की कहानी तो हर साल होली में दुहराई (Repeat) जाती है । कहा जाता है कि हिरण्यकश्यपु नामक राक्षस राजा अपने पुत्र प्रस्ताद को इसलिए मार डालना चाहता था क्योंकि वह भगवान विष्णु का भक्त था । हिरण्यकश्यपु भगवान विष्णु को अपना शत्रु (Enemy) मानता था ।

उसने प्रस्ताद को मारने के अनेक उपाय किये, लेकिन असफल (Unsuccessful)  रहा । एक बार उसने अपनी बहन होलिका को देवताओं द्वारा दिये गए वस्त्र को पहन कर, प्रस्ताद को गोद में लेकर जलती चिता में बैठने के लिए कहा ।

होलिका ने वैसा ही किया किन्तु भगवान विष्णु की कृपा से प्रस्ताद बच गया और होलिका जलकर मर गई । ऐसा माना जाता है कि तभी से हर वर्ष फाष्टन पूर्णिमा को होलिका दहन और होली मनाने की प्रथा चली ।

होली में पूजा-पाठ के साथ-साथ तरह-तरह के नये वस्त्र पहनने तथा नये-नये प्रकार के भोजन करने का रिवाज है । लोग कई दिन पहले से ही होली मनाने की व्यवस्था करने में लग जाते हैं । होली के दिन होलिका दहन किया जाता है अर्थात् पुराने घास-फूस-झाड़ियाँ टूटी-फूटी चीजें आदि जलाई जाती हैं और लोग नाचते-गाते हैं । लोग दिन निकलते ही तरह-तरह के वस्त्र पहन कर एक दूसरे पर रंग डालते और गुलाल लगाते तथा गले मिलते हैं । बच्चे-बूढ़े, युवक, स्त्री-पुरुष सबके मन में नई आशा और नया उमंग (Joy) लहराने लगता है ।

4. उपसंहार:

होली अपने दुखों को भूलकर भावी जीवन सँवारने, पुरानी दुश्मनी भूलकर नये रिश्ते कायम करने तथा बुराइयों को छोड्‌कर अच्छाई की राह पर चलने के निश्चय का त्योहार है ।

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Festivals of India Essay for Students and Children

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Festivals are larger than life celebrations of various things. They occur at regular intervals and helping in breaking the monotony of life. Furthermore, they give you the chance to celebrate the little and big things in life. Festivals are the carriers of peace and joy in the communities. All nations of the world have certain religious and cultural festivals. However, India is one of the largest countries to celebrate numerous festivals. As India is a very cultural and diverse country , so are the festivals. They divide into three general categories of national, religious and seasonal.

Festivals Of India Essay

Types of Indian Festivals

As we can divide the Indian festivals into national, religious and seasonal, we see how they differ from each other. In general, national festivals are celebrated in honor of reputable people and events. The religious ones follow legends of faiths and their beliefs. The seasonal ones are celebrated with each season that we experience that varies from region to region.

National Festivals

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Moreover, they help in setting aside the differences of the countrymen and unite each other like never before. The capital of India, New Delhi is the seat of national festivals. For instance, it witnesses the grand parade of the Republic Day. The flag hoisting takes place in New Delhi, which is broadcasted on national television for the whole country to see.

Religious Festivals

The religious festivals are one of the most famous festivals not only throughout India but over the world. Some of the most prominent religious festivals are Diwali, Eid-Ul-Fitr, Christmas, Guru Nanak Jayanti, Holi and many more. Diwali and Holi are the most prominent festivals of the Hindu religion. They are very colorful and full of lights.

Next up, Eid-Ul-Fitr is an Islamic festival which celebrates the end of Ramadan. It is about delectable dishes and family gatherings. Christmas celebrates the birthday of Jesus Christ. Furthermore, it is about Christmas trees and Santa Claus. Guru Nanak Jayanti celebrates the birthday of Guru Nanak Dev.

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Seasonal Festivals

Finally, the particular regions of the country celebrate seasonal festivals. For instance, Bihu is a festival of Assam. Likewise, Tamil Nadu celebrates Pongal. In addition, there is Basant Panchami which people celebrate through North India and West Bengal as well.

Importance of Festivals

Festivals are very important. They make us forget our cultural and religious differences . They unite people and they come together for the sole purpose of celebration and happiness. Other than that, festivals also help us embrace our culture and religion. They are very helpful in breaking the monotony of life.

Moreover, people look forward to festivals all-round the year. Festivals spark joy and give people something to look forward to. In addition, people also repair their homes and paint them that look like brand new. It beautifies the look of the locality.

In short, festivals fill our lives with colors and enthusiasm. They bring us closer every year and eliminate any feelings of communal hatred. Further, they strengthen the bonds of the community and remove the malice from people’s hearts. Therefore, festivals are quite important and must be celebrated with passion.

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Festival of India in Hindi भारतीय त्यौहार 2021 Calendar Essay on Indian Festivals in hindi

हमारा देश विभिन्नताओं के समूह का एक ऐसा देश है, जो अत्यंत दुर्लभ है और अद्भुत भी है। इस दुर्लभता ओर अदभुत स्वरूप में आनंद और उल्ल्लास कि छटा दिखाई देती है। हमारे देश मे जो भी त्यौहार या पर्व मनाए जाते है, उनमे अनेकरूपता दिखाई पड़ती है। कुछ त्यौहार ऋतू ओर मौसम के अनुसार मनाए जाते है, तो कुछ सांस्कृतिक या किसी घटना विशेष से सम्बंधित होकर सम्पन्न होते है।

हमारे देश में त्यौहार का जाल बिछा हुआ है। यो कहा जाए, जो कोई बहुत बड़ी अत्युक्ति अथवा अनुचित बात नहीं होगी कि यहाँ आये दिन कोई-न-कोई त्यौहार पड़ता ही रहता है। ऐसा इसलिए कि हमारे देश के ये त्यौहार किसी एक ही वर्ग, जाती या सम्प्रदाय से ही सम्बंधित नहे होते हैं अपितु ये विभिन्न्न वर्गों, जातियों और सम्प्रदायों के द्वारा सम्पन्न और आयोजित होते रहते है। इसलिए ये त्यौहार धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक होते है। इन सभी प्रकार के त्यौहार का कुछ न कुछ विशिष्ट अर्थ होता है। इस विशिष्ट अर्थ के साथ इनका कोई न कोई महत्व भी अवश्य होता है। इस महत्व में मानव की प्रकृति और दशा किसी-न-किसी रूप में अवश्य झलकती है।

त्यौहरो का महत्तव:-   हमारे देश मे त्यौहार का महत्व नःसंदेह है। इन त्यौहार का महत्व समाज और राष्ट्र की एकता-समृधि, प्रेम-एकता, मेल-मिलाप के दृष्टि से है। साम्प्रदायिक -एकता, धार्मिक -समन्वय, सामाजिक-समानता को हमारे भारतीय त्यौहार समय-समय पर घटित होकर हमारे अंदर उतपन्न करते चलते है। जातीय भेद-भावना और संकीर्णता के धुंध को ये त्यौहार अपने अपार उल्लास और आनन्द के द्वारा छिन्न-भिन्न कर देते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह होती है कि ये त्यौहार अपने जन्म-काल से लेकर अब तक उसी पवित्रता और सात्विकता की भावना को संजोए हुए हैं। युग-परिवर्तन और युग का पटाक्षेप ईन त्यौहार के लिए कोई प्रभाव नहीं डाल सका। इन त्यौहार का रूप चाहे बड़ा हो, चाहे छोटा, चाहे एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित हो, चाहे सम्पूर्ण समाज और राष्ट्र को प्रभावित करने वाला हो, अवश्यमेव श्रद्धा और विशवास; नेतिकता ओर विशुद्धता का परिचायक है। इससे कलुषता और हीनता की भावना समाप्त होती है और सच्चाई, निष्कपटता तथा आत्मविश्वास की उच्च ओर श्रेष्ट भावना का जन्म होता है।

उपसंहार:-  कहां तक कहे, सभी प्रकार के त्योहार हमें परस्पर एकता, एकरसता , एकरूपता और एकात्मकता का पाठ पढ़ाते है। यही कारण है कि हम हिन्दू, मुसलमानो, ईसाइयों, सिखों आदि के त्योहार और पर्वो को अपना त्योहार, पर्व मान करके उसमें भाग लेते है और ह्रदय से लगाते हैं। इसी तरह से मुसलमान, सिक्ख, ईसाई भी हमारे हिन्दू त्योहार-पर्वों को तन-मन से अपना करके अपनी अभिन्न भावनाओं को प्रकट करते है। अतएव हमारे देश के त्योहारो का महत्व  धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक   और आध्यात्मिक  दृष्टि से बहुत अधिक है।  राष्टीय महत्व की दृष्टी से 15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्टूबर, 14 नवम्बर  का महत्व अधिक है। संक्षेप में हम कह सकते है कि हमारे देश के त्योहार विशुद्ध प्रेम, भेदभाव और सहानुभूति का महत्वाकांक्षी करते है।

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2024 Gaithersburg Book Festival in Photos

The 15th annual Gaithersburg Book Festival took place on May 18 at Bohrer Park at Summit Hall Farm in Gaithersburg, Md. More than 8,500 book lovers attended despite the inclement weather. This year’s event featured more than 130 authors of all genres, including 35 children’s authors and eight YA authors, including Derrick Barnes, Cece Bell, Brian Lies, Carole Lindstrom, Katherine Marsh, James Ransome, Gary Schmidt, and Carole Boston Weatherford.

The festival also included free writing workshops with activities such as poetry writing, bookmaking, collage art, a “from song to story” session with Grammy Award winner Mister G, writing a magical forest journal, and more. Politics & Prose hosted a pop-up bookstore where visitors could purchase new books and have them signed by their favorite artists. In the Children’s Village, kids could find Waldo, Peter Rabbit, Clifford and other characters, and everyone was treated to cake in celebration of the festival’s anniversary. We’ve gathered highlights from the events. Photos courtesy of the City of Gaithersburg, Bruce Guthrie and Daniel Martinez.

Carole Lindstrom (l.), author of Autumn Peltier, Water Warrior , and Beth Ferry, author of Solar Bear .

Cece Bell, author-illustrator of Animal Albums from A to Z , leading a drawing demonstration.

Gaithersburg Mayor and festival founder Jud Ashman (l.) and Junior Mayor Abdel Espinoza Laguna spreading cheer with cake.

(From l.) authors Derrick Barnes, Fred Bowen, and Phil Bildner discussing their sports-themed books Who Got Game? Basketball: Amazing but True Stories! , Extra Innings , and Glenn Burke, Game Changer , respectively.

Making crafts in the Children’s Village.

Lisa Graff (l.), author of Rewind , and Hena Khan, author of Drawing Deena , in conversation.

Musician, author, and educator Ben Gundersheimer, aka Mister G (r.), and Katherine Jamieson, aka Missus G, led an interactive, bilingual family workshop on transforming songs into stories.

A view of the audience.

Author David LaRochelle presenting his book Go and Get with Rex .

Friends of the Library hosted a used book sale.

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LGBTQ+ Pride Month is starting to show its colors around the world. What to know

Pride Month is kicking off around the world with parades and festivals in cities large and small

Pride Month, the worldwide celebration of LGBTQ+ culture and rights, kicks off Saturday with events around the globe.

But this year’s festivities in the U.S. will unfold against a backdrop of dozens of new state laws targeting LGBTQ+ rights, particularly transgender young people.

Here are things to know about the celebrations and the politics around them.

WHY IS JUNE PRIDE MONTH?

The monthlong global celebration began with Gay Pride Week in late June 1970, a public celebration that marked the first anniversary of the violent police raid at New York’s Stonewall Inn , a gay bar.

At a time when LGBTQ+ people largely kept their identity or orientation quiet, the June 28, 1969, raid sparked a series of protests and catalyzed the movement for rights .

The first pride week featured marches in Chicago, Los Angeles, New York and San Francisco, and it has grown ever since. Some events fall outside of June: Tokyo’s Rainbow Pride was in April and Rio de Janeiro has a major event in November.

In 1999, President Bill Clinton proclaimed June as Gay and Lesbian Pride Month.

WHAT'S BEING CELEBRATED?

Pride’s hallmark rainbow-laden parades and festivals celebrate the progress the LGBTQ+ civil rights movement has made.

In the U.S. in April, a federal appeals court ruled North Carolina and West Virginia’s refusal to cover certain health care for transgender people with government-sponsored insurance is discriminatory.

In one compromise in March, a settlement of legal challenges to a Florida law critics called “Don’t Say Gay” clarifies that teachers can have pictures on their desks of their same-sex partners and books with LGBTQ+ themes. It also says books with LGBTQ+ characters and themes can remain in campus libraries and gay-straight alliance chapters at schools need not be forced underground.

Greece this year legalized same-sex marriage , one of three dozen nations around the world to do so, and a similar law approved in Estonia in June 2023 took effect this year.

WHAT'S BEING PROTESTED?

Rights have been lost around the world, including heavy prison sentences for gay and transgender people in Iraq and the death penalty for “aggravated homosexuality” in Uganda . More than 60 countries have anti-LGBTQ+ laws, advocates say.

Tightening of those laws has contributed to the flow of people from Africa and the Middle East seeking asylum in Europe.

In recent years, Republican-controlled U.S. states have been adopting policies that target LGBTQ+ people, and particularly transgender people, in various ways.

Twenty-five states now have laws banning gender-affirming care for transgender minors. Some states have taken other actions, with laws or policies primarily keeping transgender girls and women out of bathrooms and sports competitions that align with their gender.

GOP state attorneys general have challenged a federal regulation , set to take effect in August, that would ban the bathroom bans at schools. There also have been efforts to ban or regulate drag performances .

Most of the policies are facing legal challenges.

Since Roe v. Wade was overturned in 2022 , leading to restrictive abortion laws in most GOP-controlled states, LGBTQ+ advocates are worried about losing ground too, said Kevin Jennings, CEO of nonprofit civil rights organization Lambda Legal. On the eve of Pride, the organization announced a $180 million fundraising goal for more lawyers to challenge anti-LGBTQ+ laws.

Progress such as the 2015 Supreme Court ruling that legalized same-sex marriage nationwide could be lost without political and legal vigilance, Jennings said.

“Our community looks at what happened to reproductive rights thanks to the Dobbs decision two years ago and has enormous anxiety over whether we’re about to have a massive rollback of what we’ve gained in the 55 years since Stonewall,” Jennings said.

WHAT ABOUT BUSINESSES?

While big businesses from Apple to Wells Fargo sponsor events across the U.S., a pushback made ripples last year at one major discount retailer.

Target was selling Pride-themed items last June but removed some from stores and moved displays to the back of some locations after customers tipped them over and confronted workers. The company then faced additional backlash from customers who were upset the retailer gave in to people prejudiced against LGBTQ+ people.

This year, the store has said it would not carry the items at all its stores. But the company remains a major sponsor of NYC Pride.

ARE EVENTS SAFE?

Keeping the events safe is the top priority, organizers said, but there could be challenges.

The FBI and U.S. Department of Homeland Security issued an advisory in May that foreign terrorist organizations could target events associated with Pride. The same month, the State Department renewed a security warning for Americans overseas , especially LGBTQ+ people and events globally.

Law enforcement officials noted ISIS sympathizers were arrested last year for attempting to attack a June 2023 Pride parade in Vienna and that ISIS messaging last year called for followers to attack “soft targets.”

The agencies say people should always watch out for threats made online, in person or by mail. People should take note if someone tries to enter a restricted area, bypass security or impersonate law enforcement and call 911 for emergencies and report threats to the FBI.

NYC Pride has a heavy security presence and works with city agencies outside the perimeter, said Sandra Perez, the event’s executive director. The group expects 50,000 people marching in its June 30 parade and more than 1.5 million people watching.

“The fight for liberation isn’t over,” Perez said. “The need to be visible and the need to be mindful of what we need to do to ensure that the future generations don’t have these struggles is really top of mind.”

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