कुम्हार पर निबंध Essay On Pottery In Hindi Language

Essay on kumhar in hindi language.

Pottery – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर कुम्हार पर लिखें निबंध को पढ़ते हैं और कुम्हार के बारे में जानते हैं ।

Essay On Pottery In Hindi Language

Image source –  https://en.m.wikipedia.org/wiki/Pottery

मिट्टी के घड़े बनाने वाले कुम्हार के बारे में about potter in hindi- कुम्हार उसे कहते हैं जो मिट्टी के घड़े बनाने का काम करता है । कुम्हार गधे या घोड़े के माध्यम से मिट्टी एकत्रित करके उस मिट्टी को गूंद कर अपनी कला से घड़े बनाने का , बर्तन बनाने का , मिट्टी के खिलौने बनाने का कार्य करता है ।कुम्हार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के कुंभकार शब्द से हुई है । जिसका शाब्दिक अर्थ होता है मिट्टी के बर्तन बनाने वाला व्यक्ति  जो कई तरह के बर्तन बनाकर बाजार में बेचकर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करता है ।

जब गर्मी का समय आता है तब कुम्हार मिट्टी का घड़ा , मटका , सुरई बनाकर हाट बाजारों में बेचकर काफी पैसा कमाता है । कुछ राज्यों में कुम्हार को भांडे शब्द से पुकारा जाता है । जो कुम्हार शब्द का समानार्थी शब्द है । यदि हम भांडे शब्द के शाब्दिक अर्थ की बात करें तो भांडे शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है बर्तन । कुम्हार को भांडे शब्द से संबोधित इसीलिए किया जाता है क्योंकि कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करता है । कुम्हार अपनी मेहनत और कला के लिए पहचाना जाता है ।

भारत देश के हर राज्यों के हर जिलों में कुम्हार जाति के लोग निवास करते हैं और मिट्टी के बर्तन , खिलौने बनाकर बाजारों में बेचकर पैसा कमाते हैं । कुम्हारों को प्रजापति कहां जाता है । कुम्हारों का 1 वर्ग प्रजापति नाम का उपयोग करते हुए खुद को प्रजापति कहते हैं । कुम्हार इस्ट समाज की देवी श्री यादे मां की पूजा करते हैं , वंदना करते हैं । कुम्हार जब सुबह उठकर मिट्टी का पहला बर्तन बनाता है तब वह भोलेनाथ की पूजा करता है । भोलेनाथ की पूजा करने के बाद वह बर्तन बनाना प्रारंभ करता है ।

भारत देश के कई राज्यों के ऐसे जिले हैं जहां के कुम्हार प्रसिद्ध हैं , जहां के बर्तन प्रसिद्ध हैं । भारत देश से  मिट्टी के बर्तन बनकर विदेशों में बिकने के लिए जाते हैं । भारत देश के कुम्हार काफी मेहनती और हुनर के लिए पहचाने जाते हैं । भारत देश के पंजाब राज्य के अमृतसर में कुम्हारों को कलाल एवं कुलाल भी कहा जाता है । वहां पर भी कुम्हारों की यह जाति मिट्टी के बर्तन , खिलौने बनाने का काम करते हैं और अपना जीवन यापन करते हैं ।

कुम्हार अपनी मेहनत के दम पर बर्तन बनाते हैं और उन बर्तनों पर पेंटिंग करके सुंदर बना कर बाजारों में बेचने के लिए जाते हैं । जब ग्राहक बर्तनों की पेंटिंग की सुंदरता देखते हैं , बर्तनों पर हुई चित्रकारी की सुंदरता देखते हैं तब ग्राहक बर्तन की सुंदरता को देखकर उसको खरीदने के लिए तैयार हो जाते हैं और कुम्हार बर्तन के जो दाम मांगता है ग्राहक कुम्हार को वह पैसा देकर मटका या बर्तन खरीद लेता है । गर्मियों के समय कुम्हार के द्वारा बनाए गए मटको की दुकाने बाजारों में लगाई जाती है और सभी कुम्हार गर्मी के सीजन में लाखों रुपए कमा कर अपना जीवन चलाते हैं ।

दिवाली के समय कुम्हार सुंदर-सुंदर , रंग बिरंगे दिए बनाते हैं ।  जब कुम्हार दिए बाजार में बेचने के लिए  जाता है  तब भारत के लोग उन दियो को खरीद कर अपने घर पर ले जाते हैं और उन दिनों में तेल डालकर दीपक जलाते हैं । जब दिवाली के समय ग्राहक कुम्हार से दीपक खरीदना है तब वह कुमार उस पैसे से अपने परिवार के लिए कपड़े , मिठाई खरीद कर ले जाता है और कुम्हार बड़े धूमधाम से दिवाली का त्यौहार मनाता है ।

कुम्हार की उत्पत्ति की कथा के बारे में – भारत देश में कुम्हार की उत्पत्ति किस तरह से हुई और किस तरह से कुमार जाति कई वर्गों में विभाजित हुई इसके बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं । कुम्हार वैदिक भगवान प्रजापति के नाम का उपयोग करते हैं ।

हिंदू कुम्हारों का एक वर्ग खुद को प्रजापति कहकर संबोधित करता है । इसके बारे में एक प्रचलित कथा भी कहीं जाती है । अब हम आपको कुम्हार की उत्पत्ति की कथा सुनाने जा रहे हैं । एक बार सृष्टि का भविष्य बनाने बाले ब्रह्मा जी ने अपने सभी पुत्रों को एकत्रित किया और अपने सभी पुत्रों को गन्ने वितरित किए ।

जब ब्रह्मा जी ने अपने सभी पुत्रों को गन्ने वितरित किए तब उनके सभी पुत्रों ने अपने हिस्से के गन्ने खा लिए थे । परंतु उनमें से एक पुत्र जो कुम्हार था उसने अपने हिस्से का गन्ना नहीं खाया क्योंकि वह उस समय काम में व्यस्त था । जिसके कारण उसने अपने हिस्से का गन्ना एक मिट्टी पर रख दिया और वह उस गन्ने को खाना भूल गया था ।

जब वह गन्ना मिट्टी के संपर्क में आया तब उस मिट्टी में से गन्ने का एक पौधा  उगने लगा था । इस तरह से वह गन्ना पौधे के रूप में विकसित हुआ । जब कुछ समय गीत जाने के बाद ब्रह्मा जी ने अपने सभी पुत्रों को बुलाया और अपने सभी पुत्रों से गन्ना वापस करने के लिए कहा सभी ने ब्रह्मा जी को यह बताया की हम सभी ने आपके द्वारा दिया गया गन्ना खा गए हैं ।

कहने का तात्पर्य यह है कि  सभी ने अपने हिस्से के गन्ने खा लिए थे इसलिए वह ब्रह्मा जी को गन्ने वापस नहीं लौटा सके थे । जब कुम्हार ब्रह्मा जी के सामने गन्ना ही नहीं बल्कि गन्ने का पौधा लेकर के खड़ा हो गया था । कुम्हार ने उस गन्ने के पौधे को ब्रह्मा जी को भेंट में दे दिया था।

ब्रह्मा जी उस कुम्हार के काम को देख कर , काम के प्रति निष्ठा को देखकर ब्रह्मा जी ने उसको पुरस्कृत करने का विचार बनाया था ।  ब्रह्मा जी ने उस कुम्हार को  आशीर्वाद दिया कि अब तू  प्रजापति के नाम से पहचाना जाएगा । इस तरह से प्रजापति कुम्हार की उत्पत्ति के बारे में यह कथा प्रचलित है ।

भारत की कुम्हार जाति के वर्गीकरण के बारे में – भारत देश के सभी राज्यों के सभी जिलों में कुम्हार जाति के लोग निवास करते हैं । भारत के हिंदू धर्म में , हिंदुओं में कुम्हार जाति को निसंदेह निम्नतम शूद्र वर्ग में रखा गया है । कुम्हार जाति के अधिकतर लोग मिट्टी के घड़े , खिलौने बनाने का कार्य करते हैं । इसके साथ ही कुम्हार जाति को निम्न दो वर्गों में विभाजित किया गया है ।

कुम्हारों का पहला वर्ग शुद्ध कुम्हार है । कुम्हारों का दूसरा वर्ग अशुद्ध कुम्हार है । इस तरह से कुम्हार जाति को दो वर्गों में विभाजित किया गया है । भारत देश में कुम्हारों के कुछ समूह भी हैं जिनके नाम इस प्रकार से हैं । लाद कुम्हार , राणा कुम्हार , गुजराती कुम्हार तेलंगी कुम्हार आदि ।

इस तरह से यह भारत के कुम्हार जाति के कुछ समूह हैं । सबसे पहले संस्कृत शब्द से कुम्हार शब्द की उत्पत्ति हुई थी । जिसमें कुम्हार को बर्तन बनाने के कारण कुम्हार नाम दिया गया था । इसके बाद कुम्हार जाति के कुछ वर्गों ने प्रजापति शब्द की उत्पत्ति कर ली और अपने आपको   कुम्हार कहने लगे थे ।

भारत देश में कुम्हारों की व्याप्ति के बारे में – भारत देश के सभी राज्यों में कुम्हार रहते हैं । जो मिट्टी के बर्तन बनाकर अपने परिवार का भरण पोषण करने का काम करते हैं । कुम्हारों के माध्यम से बनी मटकी से ठंडा ठंडा पानी हम सभी को पीने को मिलता है ।

भारत के हिमाचल प्रदेश के चम्वा के कुम्हार अपनी मेहनत और कला से सुराही , घड़े , अनाज संग्राहक , बर्तन एवं बच्चों के खेलने के खिलौने इत्यादि बनाने में माहिर हैं । यह कुम्हार अपनी चित्रकारी के लिए भी पहचाने जाते हैं । यह कुम्हार बर्तनों , खिलौनों पर रंग बिरंगे रंगों को रंग कर बाजारों में बेचकर काफी पैसा कमाते हैं ।

पूरे भारत में कुम्हार के द्वारा बनाए गए बर्तन बाजारों में बिकते हैं । हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि भारत के महाराष्ट्र राज्य में भी कुम्हारों के द्वारा बनाए गए मिट्टी के बर्तन प्रसिद्ध हैं । महाराष्ट्र के कोल्हापुर के कुम्हार पूरे भारत में प्रसिद्ध है । यहां की मिट्टी के बर्तन भारत के कोने कोने तक बिकने के लिए जाते हैं ।

महाराष्ट्र के सतारा में भी कुम्हार अपने बर्तनों को बनाकर बेचने का काम करते हैं । नागपुर विदर्भ के कुम्हार भी सुंदर-सुंदर मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए जाने जाते हैं । भंडारा गोंदिया के कुम्हार मिट्टी के सुंदर-सुंदर खिलौने बनाकर उनमें चित्रकारी करके बाजारों में बेचते हैं ।

यह कुम्हार भी अपनी सुंदर कला के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है । सांगली सोलापुर के कुम्हार भी सुंदर-सुंदर मटके बनाने के लिए पहचाने जाते हैं । दोस्तों पुणे मे जो कुम्हार जाति के लोग रहते हैं वह मराठी भाषा बोलते हैं और जब पुणे के कुम्हार किसी को पत्र लिखते हैं तब वह उस पत्र में देवनागरी लिपि का उपयोग करते हैं । इसी तरह से भारत देश के मध्यप्रदेश राज्य में भी कई प्रसिद्ध कुम्हार रहते हैं । जीनकी कला के चर्चे भारत के चारों तरफ होते रहते हैं ।मध्य प्रदेश राज्य में जायदातर चका रेटी कुम्हार एवं हथरेटी कुम्हार रहते हैं ।

जो चाक को अपने हाथों से घुमाकर मिट्टी के सुंदर-सुंदर बर्तन बनाते हैं । जिन बर्तनों को बनाने के लिए मध्य प्रदेश के कुम्हार अपने हाथों से काफी मेहनत करते हैं । इसलिए मध्य प्रदेश के कुम्हार हथरेटी कुम्हार कहलाते हैं ।

मध्य प्रदेश के दतिया , छतरपुर , टीकमगढ़ , सतना , पन्ना , सीधी , शहडोल जिलों में भी कुम्हार रहतेे हैं । यहां के अधिकतर कुम्हार  अनुसूचित  जनजाति  से ताल्लुक रखते हैं  एवं  बाकी शेष जगहों पर जो कुम्हार रहते हैं वह अन्य पिछड़ेे वर्ग मे आतेे हैं । दोस्तों भारत देेश के मध्य प्रदेश के बाद भारत के राजस्थान राज्य में भी कुम्हारों का एक समूह निवास करता है ।

यह कुम्हार भी मिट्टी केेेेेेेे बर्तन बनाने का काम करते है । राजस्थान राज्य में रहने वाले कुम्हारों के लगभग 6 उप समूह निवास करते हैं । जिन 6 उप समूह केे कुम्हारों के नाम इस प्रकार से हैं । मालवी कुम्हार , तिमरिया कुम्हार , माथेरा कुम्हार , खेतेरी कुम्हार , कुमावत कुम्हार , मारवाड़ा कुम्हार आदि ।

इन सभी 6 उप समूहों के कुम्हारों को किसी सामाजिक कार्यक्रम में इनका स्थान उच्च जातियों एवं हरिजनों के मध्य का है । भारत देश के राजस्थान के बाद बिहार यूपी एवं झारखंड में भी कुम्हारों का समूह रहता है और अपनी कला के माध्यम से बर्तन बनाकर बेचता है ।

उत्तर प्रदेश एवं बिहार मे जो कुम्हार जाति निवास करती है । दोनों राज्यों में कुम्हार जाति का वर्गीकरण एक समान है और इन राज्यों में कुम्हारों की जाति मे समाज के लोग कनौजिया कुम्हारों का सम्मान किया जाता है । इन राज्यों में कनौजिया कुम्हारों को पंडित भी कहा जाता है ।

परंतु कनौजिया कुम्हार असली ब्राह्मण नहीं होते हैं । यह असली ब्राह्मणों से भिन्न होते हैं । यहां पर माघीय कुम्हार भी निवास करते हैं । यह कुम्हार कनौजिया कुम्हारों से नीचे होते हैं । यहां पर तूकरना कुम्हार एवं गंधेरे कुम्हारों को अछूत वर्ग के लोगों में सम्मिलित नहीं किया जाता है ।

झारखंड के जो कुम्हार हैं वह अधिकतर बांग्ला भाषा  बोलते हैं । झारखंड में बांग्ला भाषा बोलने वाले कुम्हारों की जनसंख्या अन्य कुम्हारों की जनसंख्या की तुलना में अधिक हैं । यहां पर भतक , पाल , बेरा , कुंभकार , प्रधान चौधरी , आदि उपनाम बाले कुम्हार भी रहते हैं  जिन कुम्हारों को खुंटकारी कुम्हार भी कह कर संबोधित किया जाता है ।

ग्वालियर के कुम्हार की एक और कथा के बारे में – ग्वालियर के कुम्हार के बारे में छिछदी कुम्हार का यह कहना है कि एक बार 33 कोटी देवी देवताओं ने एक जग्ग  करने का विचार बनाया था । जिस जग्ग मे सृष्टि के रचयिता विष्णु भगवान , ब्रह्माा जी और शंकर भगवान को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था ।

जब इस जग्ग की तैयारी  की जा रही थी तब कुछ देवी देवताओं ने यह कहा था कि इस जग्ग में उपयोग किए जाने वाले बर्तन कौन बनाएगा । जिस समय यह यज्ञ किया जा रहा था उस समय मिट्टी के बर्तनों को अपने हाथों से बनाया जाता था और जो व्यक्ति मिट्टी के बर्तन अपने हाथों से बनाता था उस व्यक्ति को हथरेटीया कहां जाता था ।

मिट्टी के बर्तन बनाने वाले व्यक्ति को ही जग्ग मेे उपयोग में आने वाले बर्तन बनाने के लिए कहा गया था । जब वह व्यक्ति मिट्टी के बर्तन बना रहा था तब उन सभी  बर्तनों में से एक बर्तन चटक गया था ।

जिस समय वह बर्तन चटका था उस समय बर्तन बनाने वाले व्यक्ति के पास पानी खत्म हो गया था । जब उस बर्तन बनाने वाले व्यक्ति ने चटके हुए बर्तन को जोड़ने के लिए अपने थूक का उपयोग किया तब वह बर्तन जुड़ गया था । बर्तन को थूंंक से जोड़ने के कारण वह बर्तन झूठे हो गए थे । जब यह जग्ग किया गया तब यह जग्ग सफल नहीं हो पाया था ।

देवी देवताओं ने उस व्यक्ति को बहुत कोसा और वहां के लोगों ने भी उस व्यक्ति को भला बुरा कहां था । जब यह बात विष्णु भगवान , ब्रह्मा जी और शंकर भगवान को पता चली तब इन तीनों की शक्ति से जग्ग के बर्तन बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी थी । मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए भगवान की शक्ति से एक कुम्हार को बनाया गया था ।

भगवान की शक्ति से कुम्हार उत्पन्न हुआ था ।  भगवान ने उस कुम्हार को  जग्ग के लिए बर्तन बनाने के लिए कहा था । उस कुम्हार ने भगवान से कहा कि मैं बर्तन तो बना दूंगा परंतु मुझे मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए सभी साधन चाहिए ।

इसके बाद विष्णु भगवान ने मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए कुम्हार को सुदर्शन चक्र दिया । इसके बाद शंकर भगवान ने मिट्टी के बर्तन को बनाने के लिए अपनी पिंडी दी । शंकर भगवान के द्वारा जो पिंडी दी गई थी वह पिंडी चाक की धुरी बनी थी और विष्णु भगवान ने जो सुदर्शन चक्र दिया था ।

उस सुदर्शन चक्र ने चाक की भूमिका निभाई थी । इसके बाद मिट्टी के बर्तनों को बन जाने के बाद मिट्टी के बर्तनों को काटने के लिए ब्रह्मा जी के द्वारा जनेऊ का डोरा किया गया था । कुम्हार ने इस डोरे का उपयोग मिट्टी के बर्तन को काटने के लिए किया था ।

इस तरह से ग्वालियर के कुम्हार अपनी उत्पत्ति मानते हैं । इस तरह से कुम्हार ने जग्ग के लिए बर्तन बनाए थे और जग्ग सफल रहा था ।

Essay On Pottery In Hindi –

एक कुम्हार  अपनी  कला  के माध्यम से सांस्कृतिक चित्रकारी करके बर्तन को सुंदर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है ।  जब एक कुम्हार अपनी चित्रकारी कला से मटके को रंग बिरंगे कलर के माध्यम से रंगता  है तब मटके की सुंदरता देखने के लायक होती है । जो भी मटके को देखता है वह मटके को देखकर अपने जीवन में आनंद का अनुभव  करता है । मिट्टी के मटके की सुंदरता देखनी है तो कुम्हार के पास जाकर देखो । जब कुम्हार मिट्टी के खिलौने , मटको और बर्तनों को बनाता है तब उस कुम्हार की मेहनत  देखने के  लायक  होती है ।

एक कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाने के बाद अपनी मेहनत से अपनी कला से रंग भरकर  बर्तनों को , खिलौनों को सुंदर बनाता है ।कुम्हार मिट्टी के बर्तनों को सजाता है । कुम्हार के द्वारा बनाए गए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग हम सभी अपने घर में करते हैं । प्राचीन समय से ही कुम्हारों के द्वारा बनाए गए बर्तन हम अपने घरों में उपयोग करते हैं ।

कुम्हार के द्वारा बनाए गए सुंदर-सुंदर मिट्टी के दीए बड़े ही प्यारे लगते हैं । कुम्हार के द्वारा बनाए गए मिट्टी के खिलौने बच्चों को बहुत प्यारे लगते हैं । बच्चे जब खिलौने बिकते हुए देखते हैं तब वह खिलौने की सुंदरता को देखकर मोहित हो जाते हैं और मिट्टी के खिलौनों से खेलकर अपने जीवन में आनंद ही आनंद प्राप्त करते हैं ।

प्राचीन समय में  हम मिट्टी के तवे पर रोटी सेकने का काम करते थे ।  जब चूल्हें पर मिट्टी का तवा रखकर रोटियां सेकते थे तब उन रोटियों को खाने का आनंद ही आनंद आता था । कुम्हार ने मिट्टी को रौंद रौंदकर कई तरह के सामान बनाकर हम को दिए हैं । कुम्हार की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम है । कुम्हार ने मिट्टी को जीवन देने का काम किया है ।कुम्हार ही हैं जो मिट्टी को सुंदरता देकर हमको नए नए बर्तन बना कर देता है । कुम्हार की मेहनत के बाद ही हमको मिट्टी के बर्तन हम सभी को मिलते हैं ।

short essay on potter in hindi –

मिट्टी के बर्तनों का निर्माण करने वाला व्यक्ति शिल्पकार कहलाता है । वह अपनी शिल्प कला से बर्तन , घड़े , मटके , सुराही , मिट्टी के बर्तन , खिलौने आदि बनाने का कार्य करता है । कुम्हार अपनी मेहनत और लगन से मिट्टी के बर्तन बनाता है और उन बर्तनों को बाजारों में बेचकर अपना जीवन यापन करता है । कुम्हारों के आदि पुरुष महर्षि अगस्त्य है । कुछ लोगों का यह मानना है कि महर्षि अगस्त्य के द्वारा ही सबसे पहले चाक घुमाकर बर्तनों का आविष्कार किया गया था ।

भारत के कुछ राज्यों में रहने वाले कुम्हार अपने आप को आदि यंत्र कला का प्रवर्तक भी कहते है । यदि कुम्हार की उपजाति की बात करें तो भारत के अलग-अलग प्रदेशों में अलग अलग उपजातियां निवास करती हैं । भारत के कुम्हार अपनी शिल्प कला की पहचान पूरी दुनिया में विकसित कर चुके हैं ।

जब भारत में रहने बाले कुम्हार अपनी मेहनत और लगन से चाक घुमाकर अपने हाथों की कला से मिट्टी के बर्तन का निर्माण करता है और उस मिट्टी के बर्तन पर अपनी चित्रकारी से कई तरह के रंग भरता है तब उस बर्तन की सुंदरता देखने के लायक है ।

भारत में रहने वाले कुम्हार की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है । कुम्हार जाति के लोग जब बर्तन बनाना प्रारंभ करते हैं तब वह सबसे पहले शंकर भगवान की पूजा , अर्चना करते हैं क्योंकि शंकर भगवान के द्वारा दी गई पिंडी से ही चाक की धुरी बनी थी । यही कारण था कि  मिट्टी के बर्तन को बनाने वाले व्यक्ति को कुम्हार कहां गया था । जो अपनी हस्तकला के लिए  पूरी दुनिया में पहचान बना चुका है ।

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कुम्हार पर निबंध | Essay On Pottery In Hindi Language

Essay On Pottery In Hindi Language : नमस्कार दोस्तों आज हम कुम्हार पर निबंध लेकर आए हैं. मिट्टी के बर्तन तथा खिलौने बनाने वाली पारम्परिक जाति कुम्हार है.

आज भी मटके, सुराही, और विविध तरह की मूर्तियाँ व खिलौने कुम्हार बनाते है. आज के निबंध, स्पीच,अनुच्छेद, लेख में हम पॉटरी मेकर का इतिहास, शब्द उत्पत्ति व व्यवसाय के बारें में जानकारी प्राप्त करेंगे.

कुम्हार पर निबंध | Essay On Pottery In Hindi

कुम्हार पर निबंध Essay On Pottery In Hindi

कुम्हार पर निबंध: 300 शब्द

कुम्हार हिंदू समुदाय की एक जाती है जो भारत के लगभग अधिकतर राज्यों में पाई जाती है। इनका मुख्य काम मिट्टी का इस्तेमाल करते हुए मिट्टी के बर्तन और खिलौने बनाना है। कुम्हार जाति लोगों का यह विश्वास है कि महर्षि अगस्त्य ही उनके आदि पुरुष हैं।

ऐसा भी कहा जाता है कि कुम्हार के द्वारा जिसे चाक का इस्तेमाल किया जाता है उसका यंत्र मे सबसे पहले आविष्कार हुआ था और लोगों ने ही सबसे पहले चाक घुमाकर के मिट्टी के बर्तन को बनाने की खोज की थी। 

इस प्रकार से कुम्हार के द्वारा अपने आपको आदि यंत्र कला का प्रवर्तक कहा जाता है। आदि यंत्र कला का प्रवर्तक की वजह से ही कई प्रांतों में कुम्हार अपने आप को प्रजापति भी कहते हैं।

देश में कुम्हारों की कई उपजातियां भी हैं, जो देश के अलग-अलग राज्यो में निवास करती हैं। उत्तर प्रदेश में कुम्हारों की उपजातियां हथेलियां, कनौजिया, सुवारिया, गदहिया, कस्तूर और चौहानी है। 

इन जातियों का नाम किस प्रकार से पड़ा इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी प्राप्त नहीं है परंतु कहा जाता है कि बर्धिया कुम्हार वह होते हैं जो बैलो पर मिट्टी लाद करके लाते हैं और जो गधों पर मिट्टी लाद करके लाते हैं उन्हें गदहिया कुम्हार कहा जाता है।

पश्चिम बंगाल राज्य में कुम्हारों की तकरीबन 20 से भी अधिक उपजातियां पाई जाती है जिनमें सबसे बड़ी उपजाति बड़भागीया है और सबसे छोटी उपजाति छोटभागिया है। बड़भागीया

कुम्हारों के द्वारा काले रंग के बर्तनों का निर्माण अधिक किया जाता है और छोटभागिया कुम्हारों के द्वारा लाल रंग की मिट्टी के बर्तनों का निर्माण अधिक किया जाता है। 

इस प्रकार से दक्षिण भारत में भी कुम्हारों की कई प्रजातियां पाई जाती है। कर्नाटक में रहने वाले कुम्हार अपने आप को भारत के दूसरे राज्यों में रहने वाले कुम्हारों से सर्वश्रेष्ठ कहते हैं। उड़ीसा में रहने वाले कुछ कुम्हार जगन्नाथ जी के उपासक होते हैं। इसीलिए वह अपने आप को जगन्नाथी कहते हैं।

कुम्हार पर निबंध: 500 शब्द

हमारे देश में कुम्हार समुदाय की आबादी 7 करोड़ से भी अधिक है जो देश के अलग-अलग प्रांतों में और अलग-अलग राज्यों में निवास करती हैं। कुम्हार जाति हिंदुओं में आती है।

इन्हें कहीं कहीं पर प्रजापति सरनेम लगाते हुए भी देखा जाता है इसके अलावा किसी किसी स्थान पर कुम्हार जाति के लोग अपने नाम के पीछे कुंभकार सरनेम का भी इस्तेमाल करते हैं।

इस जाति के लोगों का मुख्य काम मिट्टी के बर्तन और खिलौने बनाना होता है। यह मिट्टी के द्वारा आकर्षक बर्तन और वस्तुएं तैयार करते हैं जिसका इस्तेमाल अलग-अलग कामों के लिए किया जाता है।

नवरात्रि के त्यौहार पर जब माताजी के कलश की स्थापना होती है तो कलश स्थापना करने के लिए कुम्हार के द्वारा बनाए गए मिट्टी की मटकी का ही इस्तेमाल किया जाता है और उसके ऊपर नारियल चुनरी रखकर के माता जी के कलश की स्थापना की जाती है।

इसके अलावा किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसकी अंतिम यात्रा में आग लगाने के लिए भी कुमार के द्वारा बनाई गई मटकीयों का इस्तेमाल होता है।

कुम्हार के द्वारा निर्मित मटको में लोग गर्मी के मौसम में पानी भरकर रखते हैं क्योंकि मिट्टी के बने हुए बर्तनों में पानी ठंडा रहता है जिससे गर्मी से व्याकुल हमारे मुंह को ठंडे पानी की प्राप्ति होती है और हमारी प्यास बुझती है।

आज भले ही लोग आधुनिक स्टील अथवा पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल कर रहे हैं परंतु कुम्हार के द्वारा बनाए गए मिट्टी के बर्तन, मूर्तियों और विभिन्न प्रकार के खिलौने की उपयोगिता आज भी कम नहीं हुई है।

कुम्हार के द्वारा मिट्टी के बर्तन तैयार करने के लिए काफी मेहनत की जाती है। वह सबसे पहले मिट्टी को इकट्ठा करता है और मेहनत करके मिट्टी को बर्तन बनाने लायक बनाता है और उसके पश्चात मिट्टी के इस्तेमाल के द्वारा खिलौने, मूर्ति और बर्तन तैयार करता है।

मिट्टी के खिलौने, बर्तन और मूर्ति तैयार करने के बाद कुम्हार उसे सूखने के लिए रख देता है। उसके बाद उसे भट्टी में पकाया जाता है जिससे मिट्टी के बर्तन थोड़े से मजबूत बन जाते हैं। इन कामों को करने में उसे काफी समय लग जाता है।

कुम्हार के द्वारा बनाए गए मटके में हम गर्मी के मौसम में पानी भर के रखते हैं जिससे हमें बिना फ्रिज होते हुए भी ठंडा पानी प्राप्त होता है। इसके अलावा कुम्हार के द्वारा निर्मित कटोरे का इस्तेमाल सब्जियां, जल इत्यादि को रखने के लिए अथवा भरने के लिए किया जाता है। इसके अलावा कुम्हार जो मूर्ति बनाता है उसे लोग पूजा के लिए कुम्हार से खरीदते हैं।

भारत के अधिकतर राज्यों में कुम्हार जाति अन्य पिछड़ा समुदाय में आती है। इसलिए इन्हें सरकार के द्वारा आरक्षण भी दिया जाता है। कुम्हार जाति के कई लोग सरकारी पद पर भी विराजमान है। भारत देश में कुम्हार जाति की कई उपजातियां भी हैं जिनमें से 20 से अधिक उपजाति पश्चिम बंगाल राज्य में निवास करती है।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी कुम्हार जाति की उपजातियां निवास करती हैं। कर्नाटक राज्य में निवास करने वाले कुम्हार अपने आप को देश के अन्य राज्यों के कुम्हारों से सर्वश्रेष्ठ समझते हैं।

700 शब्दों में कुम्हार पर निबंध

प्रजापति अथवा कुम्हार ये मिट्टी के बर्तन बनाने के शिल्प कार्य से जुड़े कारीगर होते हैं. ये श्रीयादे को अपनी आराध्य देवी मानते हैं. भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में कुमावत जाती के लोग रहते हैं,

ये हिन्दू धर्म के अनुयायी हैं. मगर क्षेत्रीय विविधता के कारण इनके सामाजिक ढाँचे में बदलाव देखा जाता हैं. प्रशासनिक वर्ण विभाजन में कुम्भ्कारों को अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत गिना जाता हैं.

आम बोलचाल में प्रयुक्त कुम्हार शब्द संस्कृत के कुम्भकार का तद्भव रूप हैं. जिसका शाब्दिक अर्थ होता है मिट्टी के बर्तन बनाने वाला.

दक्षिण मूल की द्रविड़ भाषाओं में भी कुम्भकार शब्द का आशय भांड से लिया जाता हैं. जो हिंदी के कुम्हार शब्द का समानार्थी भी हैं. भांडे का अर्थ होता है बर्तन.

भारत के कुछ क्षेत्रों में इन्हें अलग अलग नामों से भी जाना जाता हैं. वैदिक काल में कुम्हार के लिए यजुर्वेद में कुलाल शब्द प्रयुक्त हुआ है अतः आज भी अमृतसर और आस पास के क्षेत्रों में कुम्हार को कलाल या कुलाल के नाम से भी जानते हैं.

कुम्हार को प्रजापति भी कहा जाता हैं. हिन्दू धार्मिक पुराणों में प्रचलित एक कथा के मुताबिक़ सृष्टि का रचयिता ब्रह्माजी द्वारा एक समय अपने सभी पुत्रों को बुलाकर उन्हें गन्ने की एक एक लकड़ी दी.

अन्य पुत्रों ने उसी समय गन्ने को खा लिया जबकि कुम्हार बर्तन बनाने में व्यस्त रहा इस कारण मिट्टी के ढेर पर गन्ने की लकड़ी को रख दिया.

वायु व जल के सम्पर्क में आने से गन्ना ऊग आया. कुछ दिन बाद परम पिता ब्रह्माजी ने जब अपने पुत्रों से गन्ना माँगा तो उस कर्मकार ने गन्ने के पेड़ को भेट किया, जबकि अन्य ने अपनी असमर्थता जताई. अपने कार्य के प्रति कुम्हार की लग्न व निष्ठां देखकर ब्रह्माजी ने उसे प्रजापति की उपमा दी.

इतिहास में इन किवदन्तियो तथा धार्मिक कथाओं को आधार नहीं माना जाता हैं. अधिकतर विद्वान् इस बात कर एकमत होते है कि हस्तकला में मिट्टी की कलात्मक वस्तुएं निर्मित करने में कुम्हार का कोई सानी नहीं हैं. सम्भवतया लोगों ने उनके कर्म को सम्मान देने के लिए प्रजापति कहकर सम्बोधित किया होगा.

देश भर का कुम्हार समुदाय हिन्दू कुम्हार तथा मुस्लिम कुम्हार इन दो वर्गों में विभक्त हैं. दोनों की ऐतिहासिक पृष्टभूमि एक ही रही हैं. प्राचीन वर्ण व्यवस्था में कुम्हार को शुद्र वर्ग में गिना जाता था.

आज के शासकीय वर्गीकरण में इन्हें पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में शामिल किया जाता हैं. गुजराती कुम्हार, राणा कुम्हार, लाद, तेलंगी ये कुछ कुम्हार जाति के समूह अथवा उपजातियाँ हैं.

राजस्थान में कुम्हार जाति के छः उपवर्ग पाए जाते है जो माथेरा, कुमावत, खेतेरी, मारवाडा., तिमरिया, और मालवी हैं. विभिन्न कलात्मक सामग्री यथा घड़े, सुराही, खिलौने बनाने का कार्य कुम्हार करता हैं. जो चाक की मदद से मिट्टी के ढेले को अपने हाथ के हुनर से एक आकर्षक व उपयोगी वस्तु का रूप दे देता हैं.

मृणशिल्पों की दृष्टि से छतीसगढ़ राज्य का बस्तर क्षेत्र देशभर में विख्यात हैं. बस्तर की मुख्य कुम्हार जातियां राणा, नाग, चक्रधारी और पाँड़े हैं. कुम्हार भारतीय ग्रामीण तानेबाने का अहम अंग समझा जाता हैं.

हरेक गाँव में एक दो अथवा अधिक कुम्हार के घर होते हैं. नित्य घर के क्रियाकलाप हो अथवा पूजा, अनुष्ठान, विवाह अथवा संस्कार कर्म में कुम्हार की भूमिका निहित होती हैं.

विगत कुछ दशकों में कुम्हार कर्म में आए बदलावों पर गौर करे तो मोटे तौर पर कुम्भकार दो तरह के काम में सलग्न हैं. गाँव में जीवन बिताने वाले खेती के साथ साथ स्थानीय जनों की आवश्यकता के मुताबिक़ बर्तन, भांड आदि बनाते हैं.

वही दूसरा तबका शहरी जीवन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अधिक अलंकृत, पोलिशयुक्त एवं कलात्मक बर्तन बनाते हैं. शहरों में खिलौने तथा मिट्टी के गमलों की मांग अन्य वस्तुओं के मुकाबले अधिक रहती हैं.

कुम्हार जाति के निर्माण के सम्बन्ध में एक अन्य कथा के अनुसार ब्रह्माजी को अमृत रखने के लिए एक बर्तन की आवश्यकता पड़ी अतः उन्होंने विश्वकर्मा जी से हांडी बनाने को कहा.

क्षीर समुद्र के मंथन से निकले अमृत को रखने के लिए कोई उपयुक्त पात्र नहीं मिला, विश्वकर्मा जी कहा मैं बुढा हो चूका हूँ मुझमें यह शक्ति नहीं हैं, फिर भी मैं कोशिश करुगा.

और बिना सामान के हांडी भी बनेगी कैसे अतः ब्रह्मा जी ने अपनी जनेऊ उतारकर कुम्हार को दी ताकि वह चाक से बर्तन को काट सके, विष्णु जी ने अपना सुदर्शन चक्र कुम्हार को दिया जिस पर हांडी बनाई गई.

कुम्हार जाति के लोग आज भी अपने कर्म को इतनी सिद्धत से करते है जिसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि जो कुम्हार का लड़का चाक चलाना नहीं जानता, उसका विवाह भी नहीं होता हैं. कहते है जो एक हांडी नहीं बना सकता वह जिन्दगी कैसे चलाएगा.

मिट्टी से बर्तन बनाने के कार्य में न केवल रचनात्मकता होती है बल्कि इसके साथ ही कुम्हार की कड़ी मेहनत भी लगती हैं, वह बर्तन बनाने हेतु उपयुक्त तालाब की मिट्टी को खोदकर बैलगाड़ी से अपने घर ले आता हैं.

बरसात के दिनों में मिट्टी की कमी न हो इसलिए वह इसे संग्रह कर रखता हैं. मिट्टी के गारे से चाक की मदद से बर्तन बनाकर कुछ वक्त तक सूखने के लिए छोड़ दिया जाता हैं तत्पश्चात उपलों व लकड़ियों की भट्टी में इनके पकाया जाता हैं, तदोपरान्त ये उपयोग हेतु वस्तुए निर्मित होती हैं.

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essay pot maker in hindi

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Saturday 2 July 2022

कुम्हार पर निबंध essay on pottery in hindi, कुम्हार पर निबंध .

प्रस्तावना - कुम्हार हमारे समाज का एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है, जो मिट्टी के बर्तन बनाने का कार्य करता है। वह कई तरह के ऐसे आकर्षक बर्तन एवं आवश्यक वस्तुएं बनाता है जो हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण होती हैं जिनका उपयोग करके हम अपने कार्यों को और सरल बना पाते हैं।

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कुम्हार के कार्य- आज के समय में हम देखते हैं कि लोग आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ते जा रहे हैं और कई तरह के आधुनिक बर्तनों का उपयोग करते हैं लेकिन आज भी ज्यादातर घरों में कुम्हार के बनाए गए मिट्टी के बर्तनों, मूर्तियों एवं कई तरह के खिलौनों का उपयोग किया जाता है। 

कुम्हार इस तरह के मिट्टी से बनाए गए खिलौनों, बर्तन आदी को बनाने के लिए काफी मेहनत करता है। वह सुबह-सुबह ही अपने वाहन के जरिए मिट्टी लेने के लिए जाता है और कठिन परिश्रम करके वह बर्तन बनाने योग्य मिट्टी लेता है और बहुत दूर से मिट्टी अपने घर तक लाता है और कुम्हार मिट्टी से बर्तन, खिलौने एवं मूर्तियां बनाने के लिए काफी मेहनत करता है। 

इन सभी को बनाने में उसे काफी समय भी लगता है, काफी समय बाद वह मिट्टी के बर्तन, खिलौनों एवं मूर्तियों को धीरे धीरे बनाना शुरू कर देता है। कुम्हार मिट्टी के बने हुए बर्तन जैसे कि मटका, कटोरा आदि बनाता है। मटका का उपयोग हम पानी भरने के लिए करते हैं जिससे पानी लंबे समय तक ठंडा बना रहता है। गर्मियों में इसका उपयोग आज भी किया जाता है। शहर के लोग भी मटके में पानी भरकर आज भी रखते हैं और इसके पानी का लाभ उठाते हैं।

इसके अलावा कटोरे का उपयोग लोग कई तरह के तरल पदार्थ जैसे की सब्जियां, जल इत्यादि को भरने में करते हैं इसके अलावा कुम्हार कई तरह की भगवान की मूर्तियां भी बनाते हैं जिनका उपयोग हम कई तरह के त्योहारों पर करते हैं एवं घर में ईश्वर की पूजा करने के लिए भी उन मूर्तियों को रखा जाता है। 

कुम्हार मिट्टी के कई सारे बर्तन, ईश्वर की मूर्तियां बनाते हैं इसके अलावा यह बच्चों के खिलौने बनाते हैं जैसे कि बैलगाड़ी, ट्रैक्टर जो कि बच्चों के मनोरंजन के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं। वास्तव में कुम्हार अपनी कला में निपुण होते हैं यह कई तरह के बर्तन, खिलौने, मूर्तियां आदि बनाते हैं जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

उपसंहार - वास्तव में कुम्हार के द्वारा बनाए हुए बर्तन काफी उपयोगी होते हैं जो आज के समय में भी काफी महत्वपूर्ण है। कुम्हारों के द्वारा बनाए गए बर्तन, खिलौने, मूर्तियां आज के समय में भी लोग काफी पसंद करते हैं। हमें इस प्राचीन भारतीय कला का सम्मान करना चाहिए और इसे बढ़ावा देना चाहिए। 

दोस्तों मेरे द्वारा लिखा यह लेख कुम्हार पर निबंध आप अपने दोस्तों में शेयर करें।

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
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निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

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Translation of "pot" into Hindi

रखना, गमला, घडा are the top translations of "pot" into Hindi. Sample translated sentence: Do not let water stand in potted plants. ↔ गमलों में पानी इकट्ठा होने मत दीजिए।

A vessel used for cooking or storing food. [..]

English-Hindi dictionary

Do not let water stand in potted plants.

गमलों में पानी इकट्ठा होने मत दीजिए।

16 Idakka We may now turn our attention to avanaddha vadya derivable from pots , pans , troughs and such other vessels .

( 16 ) अब हम घडा , परात , कठौती और ऐसे ही अन्य पात्रों से बने अवनद्ध - वाद्यों की ओर ध्यान दें .

Less frequent translations

  • अतुल सम्पत्ति
  • गमले में लगाना
  • गमले में रोपना
  • निशाना लगाना
  • अमित धनराशि
  • गमले मे रोपना
  • धातु या मिट्टी का बरतन
  • निशाने मे मरअना
  • बरतन मे मुरब्बा या अचार डालना
  • बरतन मे रखना

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Automatic translations of " pot " into Hindi

Images with "pot", phrases similar to "pot" with translations into hindi.

  • keep the pot boiling पेट भरना
  • pot-boiler जीविकोपार्जनार्थ कला-कृति · जीविकोपार्जनार्थ साहित्य
  • pot-bellied तोंदू
  • potting composts गमले के लिए सङी हुई खाद
  • pot holer पत्थरों~में~पड़े~गढ्ढों~को~ढूँढनेवाला
  • earthen pot आटे का बर्तन · मटका · मिट्टी का बर्तन
  • go to pot बर्बाद होना
  • pot hole गढ्ढा

Translations of "pot" into Hindi in sentences, translation memory

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  3. कुम्हार पर निबंध

    December 28, 2023 Kanaram siyol HINDI NIBANDH. Essay On Pottery In Hindi Language: नमस्कार दोस्तों आज हम कुम्हार पर निबंध लेकर आए हैं. मिट्टी के बर्तन तथा खिलौने बनाने वाली पारम्परिक ...

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