- Hindi English Names
- Hindi Me Shabd
- interesting Facts
- Hindi Read Duniya – Dictionary
Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण)
- by Rohit Soni
- Essay , Education
- 11 min read
पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) Essay Environment in Hindi, पर्यावरण का जीवन में महत्व अथवा पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्य अथवा पर्यावरण प्रदूणण समस्या और निदान पर निबंध।
Table of Contents
पर्यावरण किसे कहते हैं? उदाहरण सहित
पर्यावरण शब्द ‘ परि ‘ + ‘ आवरण ‘ से मिलकर बना है। परि का अर्थ है चारों ओर तथा आवरण का अर्थ घेरा होता है। अर्थात् हमारे चारों ओर जो कुछ भी दृश्यमान एवं अदृश्य वस्तुएँ हैं, वही पर्यावरण है। दूसरे शब्दों में हमारे आस-पास जो भी पेड़-पौधें, जीव-जन्तु, जल, वायु, प्रकाश, मिट्टी आदि तत्व हैं वही हमारा पर्यावरण है।
Essay Environment in Hindi पर्यावरण पर निबंध (पर्यावरण संरक्षण / प्रदूषण)
इसके कुछ अन्य शीर्षक इस प्रकार से हैं जिस पर इस निबंध को लिखा जा सकता है-
- प्रदूषण की समस्या
- पर्यावरण प्रदूषण
- पर्यावरण प्रदूषण समस्या और निदान
- प्रदूषण कारण और निदान
- पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्व
- पर्यावरण का जीवन में महत्व
पर्यावरण पर निबंध 100 शब्दों में (पर्यावरण पर निबंध 10 लाइन)
पर्यावरण – हमारा जीवन
- पृथ्वी के चारों ओर फैले आवरण को ही पर्यावरण कहते हैं।
- धरती पर जीवन जीने के लिए पर्यावरण प्रकृति का उपहार है।
- पर्यावरण के अंतर्गत हवा, पानी, पेड़-पौधे इत्यादि आते हैं।
- किसी सजीव प्राणी के जीवन के लिए आवश्यक सभी तत्व पर्यावरण से ही उपलब्ध होते हैं।
- प्राकृतिक व कृत्रिम आपदा के वजह से दिन प्रति दिन पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है।
- पर्यावरण के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
- भविष्य में जीवन को बचाये रखने के लिए हमें पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना होगा।
- वृक्षारोपण करना पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के कारगर उपाय है।
- यह पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
- 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
यह भी जानें चंद्रयान-3 कब पहुचेगा चाँद पर
पर्यावरण पर निबंध 600 शब्द (Paryavaran par Nibandh)
“पर्यावरण है जीवन का आधार। इसके बिना है जीवन बेकार।।”
[विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) प्रदूषण के विभिन्न प्रकार, (3) प्रदूषण की समस्या का समाधान, (4) उपसंहार ।]
प्रस्तावना-
प्रदूषण पर्यावरण में फैलकर उसे प्रदूषित बनाता है और इसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर उल्टा पड़ता है। इसलिए हमारे आस-पास की बाहरी परिस्थितियाँ जिनमें वायु, जल, भोजन और सामाजिक परिस्थितियाँ आती हैं; वे हमारे ऊपर अपना प्रभाव डालती हैं। प्रदूषण एक अवांछनीय परिवर्तन है; जो वायु, जल, भोजन, स्थल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों पर विरोधी प्रभाव डालकर उनको मनुष्य व अन्य प्राणियों के लिए हानिकारक एवं अनुपयोगी बना देता है। जो जीवधारियों के लिए किसी-न-किसी रूप में हानिकारक होता है। इसे ही प्रदूषण कहते हैं।
प्रदूषण के विभिन्न प्रकार-
प्रदूषण निम्नलिखित रूप में अपना प्रभाव दिखाते हैं
(1) वायु प्रदूषण – वायु मण्डल में गैसों का एक निश्चित अनुपात होता है, और जीव-जंतु अपनी क्रियाओं तथा साँस के द्वारा ऑक्सीजन और कार्बन डाइ ऑक्साइड का सन्तुलन बनाए रखते हैं। किन्तु मनुष्य अज्ञानवश आवश्यकता के नाम पर इन सभी गैसों के सन्तुलन को बिगाड़ रहा है। वह वनों को काटता है जिससे वातावरण में ऑक्सीजन कम होती है। कारखानों से निकलने वाली कार्बन डाइ-ऑक्साइड, क्लोराइड, सल्फर-डाई-ऑक्साइड आदि विभिन्न गैसें वातावरण में बढ़ जाती हैं। जो विभिन्न प्रकार के दुष्प्रभाव मानव शरीर पर डालती हैं। यह प्रदूषण फेफड़ों में कैंसर, अस्थमा, हृदय सम्बन्धी रोग, आँखों के रोग, तथा मुहासे जैसे रोग फैलाता है।
(2) जल प्रदूषण- जल के बिना कोई भी जीव-जन्तु, पेड़-पौधे जीवित नहीं रह सकते। इस जल में भिन्न-भिन्न खनिज तत्व, कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं, जो एक विशेष अनुपात में होती हैं। वे सभी के लिए लाभकारी होती हैं, लेकिन जब इनकी मात्रा अनुपात में बदलाव हो जाता है; तो जल प्रदूषित हो जाता है और हानिकारक बन जाता है। अनेक रोग पैदा करने वाले जीवाणु, वायरस, औद्योगिक संस्थानों से निकले पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, रासायनिक पदार्थ, खाद आदि जल प्रदूषण के कारण हैं। प्रदूषित जल से टायफाइड, पेचिस, पीलिया, मलेरिया इत्यादि अनेक रोग के कारण बनते हैं।
(3) रेडियो धर्मी प्रदूषण – परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणु परीक्षणों से जल, वायु तथा पृथ्वी का सम्पूर्ण पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है और वह वर्तमान पीढ़ी को ही नहीं, बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ी के लिए भी हानिकारक सिद्ध हुआ है। इससे धातुएँ पिघल जाती हैं और वह वायु में फैलकर उसके झोंकों के साथ सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त हो जातीं हैं तथा भिन्न-भिन्न रोगों से लोगों को ग्रसित बना देती हैं।
(4) ध्वनि प्रदूषण- आज ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य की सुनने की शक्ति कम हो रही है। उसकी नींद बाधित हो रही है, जिससे नींद न आने के रोग उत्पन्न हो रहे हैं। मोटरकार, बस, जेट विमान, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर, सायरन और मशीनें अपनी ध्वनि से सम्पूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित बना रहे हैं। इससे छोटे-छोटे कीटाणु नष्ट हो रहे हैं और बहुत-से पदार्थों का प्राकृतिक स्वरूप भी नष्ट हो रहा है।
(5) रासायनिक प्रदूषण – आज कृषक अपनी कृषि की पैदावार बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक खादों, कीटनाशक और रोगनाशक दवाइयों का प्रयोग कर रहा है। अतः जिससे उत्पन्न खाद्यान्न, फल, सब्जी, पशुओं के लिए चारा आदि मनुष्यों तथा भिन्न-भिन्न जीवों के पर घातक प्रभाव डालते हैं और उनके शारीरिक विकास पर भी इसके दुष्परिणाम होते हैं।
प्रदूषण की समस्या का समाधान-
आज औद्योगीकरण ने इस प्रदूषण की समस्या को अति गम्भीर बना दिया है। इस औद्योगीकरण तथा जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न प्रदूषण को व्यक्तिगत और शासकीय दोनों ही स्तर पर रोकने के प्रयास आवश्यक हैं। भारत सरकार ने सन् 1974 ई. में जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम लागू कर दिया है जिसके अन्तर गत प्रदूषण को रोकथाम के लिए अनेक योजनाएँ बनायी गई हैं। प्रदूषण को रोकने का सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय है वनों का संरक्षण। साथ ही, नए वनों का लगाया जाना तथा उनका विकास करना भी वन संरक्षण ही है। जन-सामान्य में वृक्षारोपण की प्रेरणा दिया जाना, इत्यादि प्रदूषण की रोकथाम के उपाय हैं।
पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए पर्यावरण संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है। प्रकृति ने हमें जो उपहार दिया है उसे हिफाजत करना हमारा कर्तव्य है। इसके लिए हमें सभी तरह उपाय करने चाहिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना होगा। जिससे प्रदूषण को नियंत्रित रखा जा सके। इस विषय में किसी कवि ने अच्छी पंक्तियाँ लिखी हैं।
“प्रकृति का अनमोल खजाना, सब कुछ है उपलब्ध यहाँ। लेकिन यदि यह नष्ट हुआ तो, जायेगा फिर कौन कहाँ ॥”
पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) – Essay on Environment in Hindi
“जब सुरक्षित होगा पर्यावरण हमारा, तभी सुरक्षित होगा जीवन हमारा। “
[विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) पर्यावरण प्रदूषण, (3) प्रदूषण का घातक प्रभाव, (4) पर्यावरण संरक्षण (5) उपसंहार ।]
प्रस्तावना –
ईश्वर ने प्रकृति की गोद में उज्ज्वल प्रकाश, निर्मल जल और स्वच्छ वायु का वरदान दिया है। परन्तु मानव प्रकृति पर अपना आधिपत्य जमाने की धुन में वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर प्रकृति को भारी क्षति पहुँचा रहा है। प्रकृति की गोद में विकसित होने वाले फल-फूल, सुन्दर लताएँ, हरे-भरे वृक्ष तथा चहचहाते पक्षी, अब उसके आकर्षण के केन्द्र बिन्दु नहीं रहे। प्रकृति का उन्मुक्त वातावरण अतीत के गर्भ में विलीन हो गया। मानव मन की जिज्ञासा और नयी-नयी खोजों की अभिलाषा ने प्रकृति के सहज कार्यों में हस्तक्षेप करना प्रारम्भ किया है। अतः पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। यह प्रदूषण मुख्यत: चार रूपों में दिखायी पड़ता है –
- ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)
- वायु प्रदूषण (Air Pollution)
- जल प्रदूषण (Water Pollution)
- मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)
वैज्ञानिक प्रगति और प्रदूषण समस्या-वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर मनुष्य ने प्रकृति के सहज-स्वाभाविक रूप को विकृत करने का प्रयास किया है। इससे पर्यावरण में अनेक प्रकार से प्रदूषण हुआ है और यह जीवो के लिए यह किसी भी प्रकार से हितकर नहीं है। पर्यावरण एक व्यापक शब्द है, जिसका सामान्य अर्थ है – प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया समस्त भौतिक और सामाजिक वातावरण। इसके अन्तर्गत जल, वायु, भूमि, पेड़-पौधे, पर्वत तथा प्राकृतिक सम्पदा और परिस्थितियाँ आदि का समावेश होता है।
पर्यावरण प्रदूषण –
“साँस लेना भी अब मुश्किल हो गया है, पर्यावरण इतना प्रदूषित हो गया है।”
मानव ने खनिज और कच्चे माल के लिए खानों की खुदाई की, धातुओं को गलाने के लिए कोयले की भट्टियाँ जलायीं तथा कारखानों की स्थापना करके चिमनियों से ढेर सारा धुआँ आकाश में पहुँचाकर वायुमण्डल को प्रदूषित किया। फर्नीचर और भवन-निर्माण के लिए, उद्योगों और ईंधन आदि के लिए जंगलों की कटाई करके स्वच्छ वायु का अभाव उत्पन्न कर दिया। इससे भूमि क्षरण और भूस्खलन होने लगा तथा नदियों के जल से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई।
“वृक्ष धरा के भूषण हैं, करते दूर प्रदूषण हैं।। “
कल-कारखानों और शोधक कारखानों के अवशिष्ट गन्दे नालों में बहकर पवित्र नदियों के जल को दूषित करने लगे । विज्ञान निर्मित तेज गति के वाहनों दूषित धुआँ तथा तीव्र ध्वनि से बजने वाले हॉर्न और सायरनों की कर्ण भेदी ध्वनि से वातावरण प्रदूषित होने लगा । कृषि में रासायनिक खादों के प्रयोग से अनेक प्रकार के रोगों और विषैले प्रभावों को जन्म मिला। इस प्रकार वैज्ञानिक प्रगति पर्यावरण प्रदूषण में सहायक बनी।
पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण
पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण व्यक्तिगत लापरवाही और लोगों की अज्ञानता है। हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रकृति को नष्ट कर रहे हैं, अनावश्यक वस्तुओं का अधिक उपयोग कर रहे हैं और इससे पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं। हम अपनी बदलती जीवनशैली के चलते इसे नजरंदाज कर रहे हैं, जिसका परिणाम हमारे पर्यावरण का बिगड़ता हुआ स्वरूप है।
हमारी तरही की भ्रांतियों ने हमें अपनी प्राकृतिक संपदाओं की महत्वपूर्णता से अनजान रखा है। हम वनों को कटते हैं, नदियों को प्रदूषित करते हैं, वायुमंडल में विषाणुओं को छोड़ते हैं और पृथ्वी की खाद्य संसाधनों को उचित तरीके से उपयोग नहीं करते हैं। हमने पर्यावरण को अपने आनंदों और आवश्यकताओं की भूमिका से बाहर निकाल दिया है।
हमारी लापरवाही और संघर्ष के बिना, पर्यावरण प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। हमें जागरूकता फैलानी चाहिए, संघर्ष करना चाहिए, और समुदाय के साथ मिलकर संघर्ष करना चाहिए। हमें अपनी आदतों को परिवर्तित करना चाहिए, प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षा के लिए संघर्ष करना चाहिए और समृद्ध और स्वच्छ पृथ्वी के लिए समर्पित होना चाहिए। हमारी पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य के लिए, चलो हम सब मिलकर पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारणों को दूर करने का संकल्प लें और हमारी प्रकृति को संरक्षित करने के लिए संघर्ष करें।
प्रदूषण का घातक प्रभाव –
आधुनिक युग में सम्पूर्ण संसार पर्यावरण प्रदूषण से पीड़ित है। हर साँस के साथ प्रदूषण का जहर शरीर में प्रवेश होता है और तरह-तरह की बीमारियाँ पनपती जा रही हैं। इस सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि प्रदूषण की इस बढ़ती हुई गति से एक दिन यह पृथ्वी, प्राणी तथा वनस्पतियों से विहीन हो सकती है और जीवों का ग्रह पृथ्वी एक बीती हुई कहानी बनकर रह जायेगी।
पर्यावरण संरक्षण –
दिनों-दिन बढ़ते प्रदूषण की आपदा से बचाव का मार्ग खोजना आज की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। अतः पर्यावरण के संरक्षण के लिए संपूर्ण मानव जाति को एक साथ मिलकर प्रयास करना होगा। वृक्षों की रक्षा करके इस महान् संकट से छुटकारा पाया जा सकता है। पेड़-पौधे हानिकारक गैसों के प्रभाव को नष्ट करके प्राण-वायु प्रदान करते हैं, भूमि के क्षरण को रोकते हैं और पर्यावरण को शुद्ध करते हैं।
उपसंहार –
पर्यावरण की सुरक्षा और उचित सन्तुलन के लिए हमें जागरूक और सचेत होना अत्यंत आवश्यक है। जल, वायु, ध्वनि तथा पृथ्वी के प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को नियन्त्रित कर धीरे-धीरे उसे समाप्त करना आज के युग की परम आवश्यका बन गई है। यदि हम शुद्ध वातावरण में जीने की आकांक्षा रखते हैं तो पृथ्वी तथा पर्यावरण को शुद्ध तथा स्वच्छ बनाना होगा, तभी स्वस्थ नागरिक बन सकेंगे और सुखी, शान्त तथा आनन्दमय जीवन बिता सकने में समर्थ होंगे। इस प्रकार शुद्ध पर्यावरण का जीवन में विशेष महत्व है।
पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF
यह भी पढ़ें 👇
- वायु प्रदूषण पर निबंध – Essay on Air Pollution
- Water Pollution in Hindi – जल प्रदूषण पर निबंध 1500 शब्दों में
- Global Warming पर निबंध
FAQ Environmental
पर्यावरण के प्रकार.
1. भौतिक पर्यावरण या प्राकृतिक पर्यावरण 2. जैविक पर्यावरण 3. मनो-सामाजिक पर्यावरण
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें?
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें? इसके लिए हमारी इस पोस्ट को देखें।
Hello friends मेरा नाम रोहित सोनी (Rohit Soni) है। मैं मध्य प्रदेश के सीधी जिला का रहने वाला हूँ। मैंने Computer Science से ग्रेजुएशन किया है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए मैं पिछले 5 वर्षों से लेखन का कार्य कर रहा हूँ। और अब मैं Hindi Read Duniya और कई अन्य Website का Admin and Author हूँ। Hindi Read Duniya पर हम उपयोगी , ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में शेयर करने का प्रयास करते हैं। इस website को बनाने का एक ही मकसद है की लोगों को अपनी हिंदी भाषा में सही और सटीक जानकारी मिल सके। View Author posts
4 thoughts on “Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण)”
Sakshi kushwaha Thank You for comment.
Thanks sir nice essay
Welcome to my blog and keep reading.
Leave a Reply Cancel reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed .
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध
Essay on Save Environment in Hindi: हम सभी पर्यावरण से घिरे हुए हैं। पेड़-पौधे, जीव जंतु, पंछी, नदी, पहाड़, पर्वत, झरने इत्यादि सभी पर्यावरण है। मनुष्य तथा सभी जीव जंतुओं का पर्यावरण से बहुत ही घनिष्ट संबंध है और हमेशा रहेगा। पर्यावरण के साथ संतुलन बनाकर ही मनुष्य इस धरती पर अपने अस्तित्व को बनाए रख सकता है।
पर्यावरण और प्रकृति की सुंदरता मनुष्य को हर्षोउल्लासित कर देती है, मनुष्य में उत्साह का संचार होता है। प्रकृति के बीच मनुष्य अपने आप को बहुत शांत और स्वस्थ अनुभव करता है। लेकिन दिन प्रतिदिन मनुष्य अपनी तरह तरह के गतिविधियों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। जिससे धीरे-धीरे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ते जा रहा है, जिसका बुरा प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ रहा है।
यदि ऐसे ही चलता रहा तो वह समय दूर नहीं जब मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का अस्तित्व इस धरती से खत्म हो जाएगा। जिस कारण अभी से ही हर मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय हो जाना चाहिए।
Read Also: हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Essay on Save Environment in Hindi)
यदि आप एक विद्यार्थी हैं तो निश्चित तौर पर आपके विद्यालय या कॉलेज में पर्यावरण के संरक्षण पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता होगा ताकि हर एक विद्यार्थी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझ सके। इसीलिए आज के इस लेख में हम 250, 300, 500 और 1200 शब्दों में निबंध लेकर आए हैं।
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 250 शब्द
यह सभी की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि देश में बढ़ती हुई जनसंख्या पर्यावरण के प्रदूषण के लिए बहुत ज्यादा जिम्मेदार होती जा रही है। पहले के जमाने में हमारी धरती पर अच्छा प्रदूषण मुक्त माहौल हुआ करता था, लेकिन जैसे-जैसे आधुनिक तकनीकीओ का विकास हुआ, जनसंख्या बढ़ी, वैसे ही वनों का विनाश होने लगा। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, वाहन प्रदूषण, वायु मंडल में भी ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग इन सभी की वजह से हमारा वातावरण बहुत प्रदूषित हो गया है।
हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान झेलना पड़ा है। इस वजह से आज सभी का जीवन संकट में पड़ता जा रहा है। क्योंकि हमें ना खाने को अच्छा मिल पा रहा है और ना हम अच्छी शुद्ध हवा ले सकते हैं। चारों तरफ प्रदूषण की मात्रा इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि हर इंसान का सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हम सभी को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। बहुत अधिक संख्या में प्रयास करने होंगे।
हालांकि हमारी सरकार के द्वारा भी पर्यावरण को बचाने के बहुत प्रयास किए जा रहे हैं। लोग अधिक से अधिक संख्या में लोग पेड़ लगा रहे हैं। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हमको सभी को एकजुट होकर इसका सोशल मीडिया के द्वारा प्रचार करना होगा। लोगों में हमारे पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने होगी ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा जागरूक होकर पेड़ लगाएं तथा पर्यावरण को संरक्षित कर सके।
हमारे देश में जितने तीव्र गति से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, आधुनिक साधनों का लोग प्रयोग किए जा रहे हैं, उनकी वजह से हमारा वातावरण बहुत नुकसान हो रहा है। इन सभी से चीजों के हानिकारक प्रयोग से बचने के लिए एकजुट होकर सबको हमें अपने पर्यावरण को बचाना होगा।
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 300 शब्द
पृथ्वी पर स्थित सभी जीव-जंतु, मनुष्य पर्यावरण से घिरे हुए हैं। हमारे आसपास मौजूद हरे भरे पेड़ पौधे, पंछियों की चहकान, नदियों की लहरों की कलरव करती आवाज, सुंदर सुंदर फूल, हर चीज हमें बहुत मनोरम एहसास दिलाता है। यह हर चीज पर्यावरण ही तो है। हमारे आसपास मौजूद जितनी भी चीजें है, सभी पर्यावरण संरचना में योगदान देता है। मनुष्य बिना पर्यावरण के लंबे समय तक जीवन नहीं जी सकता।
क्योंकि यदि एक व्यक्ति को बंद कमरे में हमेशा के लिए बंद कर दिया जाए और सारी सुख सुविधा दी जाए लेकिन उसे बाहर आने ना दिया जाए तो वह व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता। क्योंकि धरती पर मौजूद हर मनुष्य हर और जीव जंतु इस पर्यावरण के साथ अपने आपको ढाल चुका है और अब बिना पर्यावरण के मनुष्य कहीं और नहीं रह सकता।
लेकिन अफसोस की बात है कि जिस पर्यावरण के बिना व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता, उस पर्यावरण के महत्व को ही मनुष्य समझ नहीं पा रहा है। आज मानव नए-नए आविष्कार कर रहा है, विज्ञान के दुनिया में खूब तरक्की कर रहा है। लेकिन मनुष्य के तरक्की का हर्जाना पर्यावरण को भुगतना पड़ रहा है। आज मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पेड़ पौधों को काट रहा है, जानवरों की हत्या कर रहा है, पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है।
मनुष्य के इन गतिविधियों के कारण दिन-प्रतिदिन मानव जाति विनाश की ओर आगे बढ़ रही हैं। यदि लंबे समय तक मनुष्य ऐसा करता ही रहा तो मनुष्य को इसका हर्जाना भरना पड़ेगा। धीरे-धीरे धरती से मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का भी अस्तित्व खत्म हो जाएगा। इसीलिए आज ही हर एक मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक होना जरूरी है। हर एक मनुष्य को पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए अन्यथा यह पर्यावरण पूरी तरीके से खत्म हो जाएगा और इसी के साथ मानव जाति भी खत्म हो जाएगी।
हालांकि पर्यावरण को लेकर हर देश चिंता में है, इसीलिए हर साल 5 जून को अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन बढ़-चढ़कर लोग हिस्सा लेते हैं और पेड़ पौधों को लगाते हैं, पर्यावरण संरक्षण के लिए अन्य लोगों को भी जागरूक करते हैं। लेकिन केवल एक ही दिन नहीं बल्कि हर दिन लोगों को पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए।
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 500 शब्द
पर्यावरण से मनुष्य का रिश्ता मनुष्य जाति की उत्पत्ति से ही हो चुका है। क्योंकि पर्यावरण नहीं होता तो मनुष्य जाति यहां तक कि अन्य जीव-जंतुओं का भी अस्तित्व नहीं होता। जब से धरती पर जीव उत्पन्न हो गए हैं तब से ही प्रकृति से जीवों को जीने के लिए संसाधन प्राप्त हो रहे हैं। मनुष्य जीवन जीने के लिए प्रकृति का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग कर रहा है। प्रकृति ने मनुष्य को रहने के लिए आश्रय दिया है।
लेकिन शायद मनुष्य भूल चुका है। इसीलिए तो मनुष्य पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। जैसे जैसे समय बीतता गया मनुष्य की जरूरते बढ़ती गई और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए मनुष्य पर्यावरण के प्रति निर्दय होने लगा। दिन प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ रही है, जिस कारण लोगों की आवश्यकता भी बढ़ रही है और इसी कारण मनुष्य कई प्रकार के जीव जंतुओं को अपने फायदे के लिए मार रहा है, बढ़ती शहरीकरण के कारण पेड़ पौधों को काटा जा रहा है।
पर्यावरण संरक्षण का महत्व
पर्यावरण जो ईश्वर के द्वारा बनाई गई है। पर्यावरण में मौजूद तरह-तरह के रंग-बिरंगे सुंदर फूल, पेड़-पौधों की हरियाली, पंछियों की चहकती आवाज और पर्यावरण के सुंदर नजारे हमारी आंखों को खूब लुभाते हैं और इन्हें देख मनुष्य का मन प्रफुल्लित हो जाता है। इन सुंदर दृश्य को देख मनुष्य चिंता मुक्त हो सकता है और अंदर ही अंदर वो खुशी महसूस करता है।
पर्यावरण में मौजूद जीव-जंतु, पेड़-पौधे, पर्वत, नदियां सभी से मानव का संबंध है। पर्यावरण से ही तो मनुष्य को जीने के लिए सभी तरह के संसाधन प्राप्त होते हैं। इसीलिए प्राचीन काल से ही भारत में वृक्षों को संतान स्वरूप एवं नदियों को मां स्वरूप माना गया है।
प्राचीन काल के ऋषि मुनि भी प्रकृति की पूजा करते थे। क्योंकि वे जानते थे कि मनुष्य और पर्यावरण का नाता लंबे समय से है और हमेशा ही रहेगा। इन्हीं पर्यावरण के बदौलत मनुष्य इस धरती पर अपना जीवन यापन कर पाएगा, इसीलिए पर्यावर संरक्षण महत्वपूर्ण है।
पर्यावरण संरक्षण के उपाय
- यदि पर्यावरण को संरक्षित करना है तो सबसे पहले मनुष्य को पर्यावरण को प्रदूषित करने से रोकना होगा।
- प्रदूषण को रोकने के लिए फैक्ट्री और घरों से निकलने वाली गंदगी को नदियों और समुद्रों में निष्कासित करने से रोकना होगा। क्योंकि इन्हीं पानी को पीने से कई प्रकार के जीव जंतुओं की मौत हो जाती है। मनुष्य चाहे तो इन गंदे पानी को पेड़ पौधे और फसल उगाने में प्रयोग कर सकता है।
- मनुष्य अपनी सुविधा के कारण कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक सामान का इस्तेमाल करता है जैसे कि एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर इत्यादि जिनसे क्लोरोफ्लोरोकार्बन निकलता है, जो पर्यावरण में तापमान को और भी ज्यादा बढ़ा रहा है और इस बढ़ते तापमान के कारण ध्रुव पर ग्लेशियर पिघल रहा है। इसलिए इन इलेक्ट्रॉनिक सामान के इस्तेमाल पर कटौती करना जरूरी है।
- पर्यावरण को संरक्षित रखना है तो पेड़ पौधों के कटाई पर रोक लगाना जरूरी है और यदि मनुष्य पेड़ पौधों की कटाई करता है तो उसका दोगुना पेड़ पौधे भी उसको उगाना जरूरी है।
सरकार के द्वारा पर्यावरण संरक्षण में भूमिका
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस लिक दुर्घटना होने के बाद सरकार ने भी संसद में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सन 1986 में एक अधिनियम जारी किया, जिसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कहते हैं।
अब इस अधिनियम का उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा करना, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के बारे में सोचना और पर्यावरण में सुधार लाना है। इसके अतिरिक्त विश्वभर में पर्यावरण सरंक्षण के लिए हर साल 5 जून को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक कर सके और खुद भी योगदान दे सके।
मनुष्य जिस घर में रहता है मनुष्य उस घर को कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाता है। क्योंकि वह उसका आश्रय है। ठीक उसी तरह पर्यावरण भी तो मनुष्य और सभी जीव-जंतुओं का आश्रय है। यदि पर्यावरण ना हो तो मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का अस्तित्व भी ना होता। इसलिए पर्यावरण की सुरक्षा करना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना आप अपने आप और अपने घरों को सुरक्षित रखते हैं।
जिससे जीवन यापन के लिए सभी तरह की चीजें प्राप्त होती है, उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाया जाता। क्योंकि यदि वही चीजों को नुकसान पहुंचाएंगे तो फिर जीवन जीने के लिए आवश्यक सभी चीजें कहां से प्राप्त होगी? और मनुष्य को जीवन जीने के लिए जितनी भी चीजें हैं सभी चीजें पर्यावरण से ही तो प्राप्त होती है। इसीलिए पर्यावरण का संरक्षण करना हर एक मानव की जिम्मेदारी है।
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (1200 शब्द)
पर्यावरण का संरक्षण करना बहुत अत्यधिक जरूरी हो गया है, क्योंकि संपूर्ण मानव जीवन पर्यावरण पर निर्भर है। जब हमारा पर्यावरण सही नहीं रहेगा तो हमारा जीना बहुत मुश्किल हो जाएगा, इसलिए पर्यावरण का संरक्षण करना बहुत जरूरी है।
ऐसी चीजों का प्रयोग नहीं करना होगा, जिन से हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचे, तभी हम अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे। इसके लिए लोगों को भी अधिक से अधिक संख्या में जागरूक करना होगा। नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को जागरूक कर हम अपने पर्यावरण को बचा पाएंगे उसको संरक्षित कर पाएंगे।
पर्यावरण शब्द का अर्थ
यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है पर+ आवरण। मतलब चारों तरफ से गिरा हुआ या ढका हुआ, उसको पर्यावरण कहते हैं। जिस तरह से पहले पृथ्वी हमारे चारों तरफ हरियाली से ढकी हुई रहती थी, बढ़ती जनसंख्या के कारण आज वनों से पेड़ पौधों से विहीन हो गई है।
पर्यावरण कैसे बनता है?
जिस वातावरण में हम रहते हैं, वहां पर पेड़-पौधे, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, मनुष्य आदि प्रकृति के द्वारा प्रदान सभी चीजों से मिलकर हमारा पर्यावरण बनता है, इसीलिए हमारा बहुत गहरा रिश्ता होता है पर्यावरण के साथ में। प्रकृति और पर्यावरण का घनिष्ठ संबंध देख कर मन में बहुत उत्साह और प्रसन्नता का अनुभव याद दिलाता है।
पर्यावरण के संरक्षण की जरूरत
जिस प्रकार से मनुष्य प्रकृति के द्वारा प्रदान की गई चीजों को नुकसान पहुंचाने लग रहा है, उससे मनुष्य जीवन बिल्कुल खतरे में पड़ चुका है। मनुष्य भूल चुका है कि जिस प्रकृति ने उसको आश्चर्य दिया जीवन दिया, वह उस प्रकृति को ही नुकसान पहुंचा रहा है।
जिस तेज गति से संसाधन बढ़ते जा रहे हैं, लोगों की आवश्यकता है, बढ़ती जा रही हैं, उसे हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंच रहा है, आज मनुष्य को सबसे ज्यादा पर्यावरण के संरक्षण की आवश्यकता पड़ गई है क्योंकि उसका खुद का जीवन संकट में आ गया है। दिन प्रतिदिन मनुष्य अपने स्वार्थ और अपने फायदे के लिए हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाता जा रहा है।
पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हम सभी का दायित्व
यह संपूर्ण विश्व के लोगों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए हम को बहुत छोटी छोटी बात पर ध्यान देना होगा और हमारे पर्यावरण को उन हानिकारक चीजों से बचाना होगा, जिससे पर्यावरण हमारा प्रदूषित हो रहा है। यह हम सब को एकजुट जागरूक होकर करना होगा। जैसे लोग प्लास्टिक के थैलों का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, पेट्रोल डीजल युक्त साधनों का प्रयोग कर रहे हैं, वनों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं, इन सभी चीजों को बंद करना होगा।
तभी हम पर्यावरण को सुरक्षित संरक्षित रख पाएंगे। यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं होता। इसके लिए सभी को जागरूक होकर एक साथ काम करना होगा। लोगों को पर्यावरण के संरक्षण के महत्व को समझाना होगा। यह हम सबका दायित्व है कि हम अपने पर्यावरण को संरक्षित और सुरक्षित रखें।
पर्यावरण संरक्षण में लोगों की भूमिका
संरक्षण के लिए सबसे अधिक लोगों की भूमिका होती है, क्योंकि हम खुद अपने पर्यावरण को संरक्षित रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। सबसे पहले हमें इको फ्रेंडली चीजों का निर्माण कर उनको उपयोग में लाना होगा, क्योंकि इको फ्रेंडली चीजें हमारे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती है।
इसीलिए लोगों को भी अधिक से अधिक संख्या में इन चीजों का प्रयोग करने के लिए बताना होगा। इनके महत्व को समझाना होगा तभी हम अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे। इको फ्रेंडली का मतलब यह होता है कि मनुष्य उन वस्तुओं का निर्माण करता है, जो हमारे पर्यावरण के अनुरूप हो हमारे पर्यावरण को किसी प्रकार का कोई नुकसान ना पहुंचाएं।
मनुष्य जीवन में पर्यावरण के संरक्षण का महत्व
आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से हमारे देश में पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है, क्योंकि प्रकृति का संरक्षण करना मतलब उसका पूजन करने के समान होता है। हमारे देश में पर्वत, नदी, वायु, आग, ग्रह नक्षत्र, पेड़ पौधे यह सभी कहीं ना कहीं मानव के साथ जुड़े हुए हैं। मनुष्य के साथ एक गहरा रिश्ता है, क्योंकि यह सभी हमें प्रकृति के द्वारा प्रधान हुए हैं। हम खुद भी प्रकृति की ही देन है।
हमारे देश में वृक्षों को संतान के स्वरूप नदियों को मां के समान माना गया है। हमारे देश में ऋषि-मुनियों को पहले से ही पता था कि मनुष्य का स्वभाव किस प्रकार से होता है। मनुष्य अपने स्वार्थ और लालच के लिए किस हद तक जा सकते हैं, इसीलिए मनुष्य ने प्रकृति के साथ भी अपने संबंधों को कभी विकसित नहीं किया।
हमारे पुराने ग्रंथों में भी कहा गया है कि प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण कितना जरूरी है। हमारे वेदों में भी कहा गया है:
ॐ पूर्णभदः पूर्णमीदम पूर्णातपुर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।
अर्थात हमारी प्रकृति से उतना ही ग्रहण करो जितना आवश्यक है, लेकिन अपनी जरूरतों के लिए अपनी प्रकृति को नुकसान बिल्कुल मत पहुंचाओ।
पर्यावरण के संरक्षण का उपाय
सबसे पहले हमें पर्यावरण के संरक्षण के लिए जनसंख्या की दृष्टि से वृद्धि हो रही है, उस पर रोक लगानी होगी। सरकार को इसके लिए सख्त कदम उठाने होंगे तभी यह काम आसान हो पाएगा और हमें अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे।
फैक्ट्रियों बड़े-बड़े कारखाने के द्वारा निकला हुआ प्रदूषित जल सागरों नदियों में छोड़ा जा रहा है, जिससे जल प्रदूषित होता जा रहा है। उस जल का उपयोग खेती में पीने में भी किया जाता है। इस वजह से लोग बहुत बीमार हो जाते हैं, वह जल पीने योग्य नहीं होता उपजाऊ जमीन भी बंजर हो जाती है। इन सब पर रोक लगानी होगी। इस पानी को नदी और सागरों में छोड़ने के प्रयास नहीं करने होंगे।
पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार ने कई विषयों की भी शुरुआत की है, जिसमें स्वच्छ भारत अभियान नदियों की सफाई का कार्यक्रम प्रमुख रहे हैं। आज सरकार के द्वारा ही बहुत अच्छे अच्छे प्रयास किए जा रहे हैं, जिनसे हमारा पर्यावरण को नुकसान होने से बचाया जा सके।
हमारी प्रकृति का संरक्षण करना उतना ही जरूरी होता है, जिस प्रकार हम अपने जीवन को सुरक्षित रखते हैं। हमारी बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है कि हम अपने तरह ही अपने प्रकृति के जीवन को भी बचा है। क्योंकि जिस प्रकार से आज हमारी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, इसलिए हम लोगों को जागरूक होकर उसके संरक्षण की जरूरत है।
पर्यावरण का संरक्षण करना हम सभी का कर्तव्य है और इसको सभी लोगों को एक साथ एकजुट होकर पूरा करना होगा, जितना अधिक हो सके। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना होगा। इसके रोकने के पूरे प्रयास सभी को मिलकर करने होंगे तभी हम पर्यावरण को सुरक्षित रख पाएंगे और खुद भी सुरक्षित रह सकेंगे।
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध PDF (Paryavaran Sanrakshan Essay in Hindi)
यहाँ पर हमने आपकी सहायता के लिए पर्यावरण संरक्षण पर निबंध को पीडीऍफ़ के रूप में उपलब्ध किया है, जिसे आप आसानी से डाउनलोड करके अपने प्रोजेक्ट के रूप में प्रयोग में ले सकते हैं।
आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Essay on Save Environment in Hindi) बहुत पसंद आया होगा। इस निबंध को आगे शेयर जरुर करें। यदि आपका इस निबंध से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।
ऊर्जा संरक्षण पर निबंध
विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध
ईंधन संरक्षण पर निबंध
प्रकति संरक्षण पर निबंध
Related Posts
Leave a comment जवाब रद्द करें.
- Bihar Board
CFA Institute
Srm university.
- Shiv Khera Special
- Education News
- Web Stories
- Current Affairs
- School & Boards
- College Admission
- Govt Jobs Alert & Prep
- GK & Aptitude
- articles in hindi
World Environment Day 2024: विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध, Essay on in Hindi
World environment day 2024 essay: विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध यहां प्राप्त करें। स्कूल में अपने विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध तैयार करने के लिए इन निबंधों का उपयोग करें। जानिए पर्यावरण दिवस की विशिष्टताएं i.
Essay on World Environment Day 2024 in Hindi: निबंध किसी खास विषय पर बच्चों के ज्ञान और रचनात्मकता को सामने लाने का सबसे अच्छा तरीका है। वे जो विचार लिखते हैं, वे उनकी समझ और रुचि को व्यक्त करते हैं, जिससे शिक्षकों और माता-पिता को उसी के अनुसार प्रयास करने में मदद मिलती है।
100 Words World Environment Day Essay in Hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (100 शब्द)
150 words world environment day essay in hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (150 शब्द), 200 words world environment day essay in hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (200 शब्द).
पर्यावरण के महत्व को रेखांकित करने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन के बाद 1973 में हुई थी। इस दिवस के ज़रिए पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता में कमी जैसी समस्याओं पर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल एक अलग विषय चुना जाता है, जो किसी खास पर्यावरणीय चुनौती पर फोकस करता है। इस दिवस पर वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान, जागरूकता कार्यक्रम आदि का आयोजन किया जाता है।
250 Words World Environment Day Essay in Hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (250 शब्द)
पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन के बाद 1973 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा की गई थी। इस दिवस के ज़रिए पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता में कमी जैसी गंभीर समस्याओं पर वैश्विक चर्चा को बढ़ावा दिया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल एक अलग विषय चुना जाता है, जो किसी खास पर्यावरणीय चुनौती पर फोकस करता है। इस साल के विषय (वर्ष 2024 का विषय डालें) के ज़रिए (विषय से जुड़ी समस्या का संक्षिप्त वर्णन) पर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।
300 Words World Environment Day Essay in Hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (300 शब्द)
पृथ्वी हमारा एकमात्र घर है, जो जीवन को संभव बनाता है। हरे-भरे जंगल, स्वच्छ वायु, निर्मल जल और विविध जीव-जंतु मिलकर इस धरती को एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करते हैं। यह तंत्र ही हमारे अस्तित्व का आधार है। वायु हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन प्रदान करती है, पेड़ पौधे कार्बन डाईऑक्साइड सोखकर वायु को शुद्ध करते हैं, नदियाँ हमें जीवनदायी जल देती हैं और जीव-जंतु पारिस्थितिकी तंत्र की खाद्य श्रृंखला को बनाए रखते हैं।
दुर्भाग्यवश, आज हमारी पृथ्वी खतरे में है। प्रदूषण, वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं लगातार गंभीर होती जा रही हैं। इन समस्याओं के कारण न सिर्फ पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है बल्कि जैव विविधता का भी तेजी से ह्रास हो रहा है। यदि हमने समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं ढूंढा तो इसका सीधा प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ेगा।
इसलिए विश्व पर्यावरण दिवस, जो हर साल 5 जून को मनाया जाता है, हमारे लिए एक महत्वपूर्ण जागरूकता दिवस है। इस दिन पर्यावरण की रक्षा के लिए सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा दिया जाता है। भारत सरकार भी पर्यावरण संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण पहल कर रही है। स्वच्छ भारत अभियान, नमामि गंगे परियोजना, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना आदि ऐसे ही कुछ प्रयास हैं।
व्यक्तिगत स्तर पर भी हम पर्यावरण को बचाने में योगदान दे सकते हैं। जल और बिजली की बचत, प्लास्टिक का कम से कम उपयोग, पेड़ लगाना, कचरे का निपटान सही तरीके से करना आदि छोटे-छोटे कदम पर्यावरण की रक्षा में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाकर हम दूसरों को भी इसमें शामिल कर सकते हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस हमें याद दिलाता है कि पृथ्वी हमारा अनमोल खजाना है। इसे बचाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। "हमारी धरती, हमारा भविष्य" विषय के साथ इस वर्ष का विश्व पर्यावरण दिवस हमें भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखा सहनशीलता पर ध्यान देने का संदेश देता है। आइए, हम सब मिलकर अपनी पृथ्वी को स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखने का संकल्प लें। यह न सिर्फ हमारे लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बेहतर भविष्य का निर्माण करेगा।
- World Environment Day 2024: Thoughts, Quotes, Slogans, Wishes For Students
- World Environment Day 2024 Activities: Top 7 Ideas to Celebrate the Day
- World Environment Day 2024: Top 7 Drawing Ideas For School Students
- World Environment Day Poster Ideas: Top 10 Easy Ideas with Images
यहाँ पर आप सभी बोर्ड के 2024 हाई स्कूल और इंटर रिजल्ट चेक कर सकते है जैसे की यूपी बोर्ड , एमपी बोर्ड , राजस्थान बोर्ड , छत्तीसगढ़ बोर्ड , उत्तराखंड बोर्ड , झारखण्ड बोर्ड , एचपी बोर्ड , हरियाणा बोर्ड और अन्य राज्य के बोर्ड रिजल्ट देख सकते है।
- यूपी लोकसभा चुनाव परिणाम 2024
- बिहार लोकसभा चुनाव नतीजे 2024
- एमपी चुनाव रिजल्ट 2024
- बिहार सारण लोकसभा चुनाव परिणाम 2024
- ग़ाज़ीपुर लोकसभा चुनाव परिणाम 2024
- एमपी पैट एडमिट कार्ड 2024
- RBSE 5th, 8th रिजल्ट 2024
- HBSE 12th Result 2024
- JAC Class 12th रिजल्ट 2024
- स्कूल की बात
Latest Education News
AP EAMCET Result 2024 Soon, Download Rankcard at cets.apsche.ap.gov.in
TSPSC Group 1 Previous Year Paper: PDF Download
SSC JE 2024 Exam Live Updates: Check Junior Engineer Paper Review, Question Asked and Expected Cut Off
WBJEE Result 2024 Link Active Tomorrow at 4 PM, Get Rank Card at wbjeeb.nic.in
Only eagle eyes can spot O among D’s in 5 seconds!
BPSC ITI Vice Principal Salary 2024: Check In-Hand Pay, Structure, Perks and Allowances
SSC JE Expected Cut Off 2024: Paper 1 Category-Wise Minimum Qualifying Marks
CBSE 10th Result 2022 Live: CBSE Class 10 Results Expected Soon, Unlikely to be Declared Today, confirm Officials
JEE Main 2022 Admit Card Live: NTA JEE Main Session 1 Hall Ticket Expected today @jeemain.nta.nic.in
UP Board Result 2022 Date Live: UPMSP UP Class 10, 12 Results Expected Soon at upresults-nic-in
CBSE 10th Result 2022 (Declared) LIVE: CBSE X Result 2022 Declared, Know How to Check via DigiLocker, Websites Here
How to Attempt UPSC IAS Prelims Question Paper 2024: Check Here Strategy and Approach
NEET Topper List 2024 Released: NTA Releases NEET UG State-wise Topper Names, AIR, Marks and Percentile
IBPS RRB 2024 Recruitment Short Notification: Check Exam Dates, Eligibility
Karnataka Election Results 2024 OUT: BJP Wins the Race Leaving INC and Janata Dal Behind, Check Statistics Here
2024 Election Results OUT LIVE: BJP, Congress, AAP, RJD, AITC and Other Party-wise Vote Counting and Updates at results.eci.gov.in
Current Affairs One Liners: 05 June 2024- World Environment Day 2024
UP Board Result 2022 (Declared) Live: यूपी बोर्ड 10वीं का रिजल्ट हुआ जारी, ऐसे देखें सबसे पहले अपना परिणाम
Current Affairs Quiz: 05 June 2024- Tele Manas Cell
Dr MGR Medical University Result 2024 OUT at tnmgrmu.ac.in; Direct Link to Download UG and PG Marksheet
पर्यावरण पर निबंध - Paryavaran Essay in Hindi - Paryavaran par Nibandh - Essay on Environment in Hindi Language
ADVERTISEMENT
रुपरेखा : परिचय - पर्यावरण का अर्थ - प्राणियों का बेघर होना - पर्यावरण प्रदूषित - पर्यावरण प्रदूषित के अनेक उदाहरण - पर्यावरण की सुरक्षा कैसे होगी - विश्व पर्यावरण दिवस - उपसंहार।
पर्यावरण जलवायु, स्वच्छता, प्रदूषण तथा वृक्ष का संपूर्ण योग है। जो हमारे रोज के जीवन में सीधा संबंध रखता है तथा उसे प्रभावित करता है। वर्तमान में वैज्ञानिक प्रगति के परिणामस्वरूप मिलों, कारखानों तथा वाहनों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि पर्यावरण की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती बढ़ती जा रही है। मानव और पर्यावरण एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं अर्थार्त हमारी जलवायु में परिवर्तन होता है तो इसका सीधा असर हमारे शरीर पर दिखने लगता है। जैसे ठंड ज्यादा लगती है तो हमें सर्दी हो जाती है। लेकिन गर्मी ज्यादा पडती है तो हम सहन नहीं कर पाते हैं। पर्यावरण प्राकृतिक परिवेश है जो पृथ्वी पर बढने से पृथ्वी को नष्ट करने में सहायता करती है। प्राकृतिक पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में एक महान भूमिका निभाता है और यह मनुष्य, जानवरों और अन्य जीवित चीजों को विकसित करने में मदद करता है। मनुष्य अपनी कुछ बुरी आदतों और गतिविधियों के कारन अपने पर्यावरण को नष्ट की और ढकेल रहा है।
पर्यावरण का अर्थ बड़ा सरल है। जो हमारे चारों ओर के वातावरण और उसमें निहित तत्वों और उसमें रहने वाले प्राणियों से है। हमारे चारों ओर उपस्थित वायु, भूमि, जल, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि सभी पर्यावरण का हिस्सा है। जिस तरह से हम अपने पर्यावरण से प्रभावित होते हैं उसी तरह से हमारा पर्यावरण हमारे द्वारा किए गए कृत्यों से प्रभावित होता है। जैसे लकड़ी के लिए काटे गए पेड़ों से जंगल समाप्त हो रहे हैं और जंगलों के समाप्त होने का असर जंगल में रहने वाले प्राणियों के जीवन पर पड़ रहा है। यही कारन है आज कई जीवों की बहुत सी प्रजातियाँ विलुप्त हो गई है और बहुत सी जातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। आज के समय में शेर अथवा चीतों के द्वारा गाँव में घुसने और वहाँ पर रहने वाले मनुष्यों को हानि पहुँचाने की बात सामने आ रही है।
इसके चलते आज कई प्राणियों बेघर हो रहे है क्योंकि हमने इन प्राणियों से इनका घर छीन लिया है। यही कारन है अब ये प्राणी गाँवो और शहरों की तरफ जाने के लिए मजबूर हो गए हैं। तथा अपने जीवन यापन के लिए मनुष्यों को हानि पहुँचाने लगे हैं। पर्यावरण का अर्थ केवल हमारे आस-पास के वातावरण से नहीं है बल्कि हमारा सामाजिक और व्यवहारिक वातावरण को शामिल करता है। मानव के आस-पास उपस्थित सोश्ल, कल्चरल, एकोनोमिकल, बायोलॉजिकल और फिजिकल आदि सभी तत्व जो मानव को प्रभावित करते हैं वे सभी वातावरण में शामिल होते हैं। जो पर्यावरण को प्रभाव करता है।
पर्यावरण प्रदूषण के बहुत से कारन है जिससे हमारा पर्यावरण अधिकतर पर प्रभावित होता है। मानव द्वारा निर्मित फैक्ट्री से निकलने वाले अवशेष हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं और पर्यावरण को हानि पहुँचता है। लेकिन यह भी संभव नहीं है कि इस विकास की दौड़ में हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए अपने विकास को नजर अंदाज कर दें। लेकिन हम कुछ बातों को ध्यान में रखकर अपने पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं। जैसे कारखानों की चिमनियाँ नीची लगी होती हैं जिसकी वजह से उनसे निकलने वाला धुआं हमारे चारों ओर वातावरण में फैल जाता है और पर्यावरण को दूषित कर देता है। मिलों, कारखानों तथा व्यवसायिक इलाकों से बाहर निकलने वाले धुएं तथा विषैली गैसों ने पर्यावरण की समस्या को उत्पन्न कर दिया है। बसों, करों, ट्रकों, टंपुओं से इतना अधिक धुआं और विषैली गैसी निकलती है जिससे प्रदूषण की समस्या और अधिक गंभीर होती जा रही है । आज के समय में घर में इतने सदस्य नहीं होते हैं जितने उनके वाहन होते हैं। आज के दौर में घर का छोटा बच्चा भी साइकिल की जगह, गाड़ी पर जाना पसंद करता है।
बहती नदियों के पानी में सीवर की गंदगी इस तरह से मिल जाती है जिससे मनुष्यों और पशुओं के पीने का पानी गंदा हो जाता है। जिसके परिणामस्वरूप दोनों निर्बलता, बीमारी तथा गंभीर रोगों के शिकार बन जाते हैं। बड़े-बड़े नगरों में झोंपड़ियों के निवासियों ने इस समस्या को बहुत अधिक गंभीर कर दिया है। शहरीकरण और आधुनिकीकरण पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। मनुष्य द्वारा अपनी सुविधाओं के लिए पर्यावरण को नजर अंदाज करना एक आम बात हो गई है। मनुष्य बिना सोचे समझे पेड़ों को काटते जा रहा है लेकिन वह यह नहीं सोचता कि जीवन जीने के लिए वायु हमें इन्हीं पेड़ों से प्राप्त होती है। बढती हुई आबादी हमारे पर्यावरण के प्रदूषण का एक बहुत ही प्रमुख कारण है। जिस देश में जनसंख्या लगातार बढ़ रही है उस देश में रहने और खाने की समस्या भी बढती जा रही है। मनुष्य अपनी सुख-सुविधाओं के लिए पर्यावरण को महत्व नहीं देता है लेकिन वह भूल जाता है कि बिना पर्यावरण के उसकी सुख-सुविधाएँ कुछ समय के लिए ही हैं।
हम जिस पर्यावरण में रहते हैं वह बहुत तेजी से दूषित होता जा रहा है। हमें आवश्यकता है कि हम अपने पर्यावरण की देखरेख और संरक्षण ठीक तरीके से करें। हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। हमारे पूर्वजों ने विभिन्न जीवों को देवी-देवताओं की सवारी मानकर और विभिन्न वृक्षों में देवी देवताओं का निवास मानकर उनका संरक्षण किया है। पर्यावरण संरक्षण मानव और पर्यावरण के बीच संबंधों को सुधारने की एक प्रक्रिया होती है। जिसके उद्देश्य उन क्रियाकलापों का प्रबंधन होता है जिनकी वजह से पर्यावरण को हानि होती है। तथा मानव की जीवन शैली को पर्यावरण की प्राकृतिक व्यवस्था के अनुरूप आचरणपरक बनाते है जिससे पर्यावरण की गुणवत्ता बनी रह सके। कारखानों से निकलने वाले धुएं और पदार्थों का उचित प्रकार से निस्तारण किया जाना चाहिए। सभी मिलों, कारखानों तथा व्यवसायिक इलाकों में अभिलंब प्रदूषण नियंत्रण के लिए संयत्र लगाए जाने चाहिएँ। प्रदूषण और गंदगी की समस्या का निदान बहुत अधिक आवश्यक है ताकि हमारे पर्यावरण की सुरक्षा हो सके।
कई संयंत्रों के द्वारा धुएं और विषैली गैसों को सीधे आकाश में ही निष्काषित किया जाना चाहिए। बड़े नगरों में बसों, कारों, ट्रकों, स्कूटरों के रखरखाव की उचित व्यवस्था होनी चाहिए और उनकी नियमित रूप से चेकिंग होना चाहिए। शांतिपूर्ण जीवन के लिए शोरगुल वाली ध्वनि को सीमित और नियंत्रित किया जाना चाहिए। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकार के साथ-साथ सभी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को अपना पूरा सहयोग देना चाहिए। विषैले और खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों के निपटने के लिए सख्त कानूनों का प्रावधान होना चाहिए। कृषि में रासायनिक कीटनाशकों का कम प्रयोग करना चाहिए। वन प्रबंधन से वनों के क्षेत्रों में विकास करनी चाहिए। विकास योजनाओं को आरंभ करने से पहले पर्यावरण पर उनके प्रभाव का आंकलन करना चाहिए। मनुष्य को अपने प्रयासों से पर्यावरण की समस्या अधिकतर से घट सकती है।
जो कारखाने स्थापित हो चुके हैं उन्हें तो दूसरे स्थान पर स्थापित नहीं किया जा सकता है लेकिन सरकार को उन कारखानों को प्रतिवर्ष जांच करना चाहिए। ताकि कारखानों द्वारा किया गया प्रदूषण शहर की जनता को प्रभावित न करे। जितना हो सके वाहनों का कम प्रयोग करना चाहिए। पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करके भी इस समस्या को कम किया जा सकता है। हमारे वैज्ञानिकों द्वारा धुएं को काबू करने के लिए खोज जारी है । जंगलों की कटाई पर सख्त सजा देना चाहिए तथा नए पेड़ लगाने को प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए।
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून से 16 जून के बीच मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस के दिन हर जगह पेड़-पौधे लगाए जाते हैं। तथा पर्यावरण से संबंधित बहुत से कार्य किए जाते हैं जिसमें 5 जून का विशेष महत्व होता है। आज के समय में मनुष्य को अपने स्तर पर पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए प्रयास करना चाहिए।
पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त होना किसी भी एक समूह की कोशिश की बात नहीं है। इस समस्या पर कोई भी नियम या कानून लागू करके काबू नहीं पाया जा सकता। अगर प्रत्येक मनुष्य इसके दुष्प्रभाव के बारे में सोचे और आगे आने वाली पीढ़ी के बारे में सोचे तो शायद इस समस्या गंभीरता से लेके उसका निवारण के बारे में सोचना चाहिए। विश्व पर्यावरण दिवस 2020 की थीम 'जैव-विविधता' ( 'Celebrate Biodiversity' ) है। इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस का विषय यानी विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम "पारिस्थितिकी तंत्र बहाली" ("Ecosystem Restoration") है।
कई राज्य सरकारों ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बहुत से कानून बनाये है। केंद्रीय सरकार के अंतर्गत पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक मंत्रालय का उद्घाटन किया है। इस समस्या के समाधान के लिए जन साधारण का सहयोग बहुत ही सहायक एवं उपयोगी सिद्ध हो सकता है। विकास की कमी और विकास प्रक्रियाओं से भी पर्यावरण की समस्या उत्पन्न होती हैं। हर साल सरकार को नए नियम बनाना चाहिए जिससे पर्यावरण की रक्षा बड़े ही गंभीरता के साथ करना चाहिए। ताकि आने वाले पीढ़ी को पर्यावरण से हानि नहीं पहुंचना चाहिए तथा पर्यावरण के महत्व को समझना चाहिए।
Nibandh Category
45,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today
Here’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more.
Verification Code
An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify
Thanks for your comment !
Our team will review it before it's shown to our readers.
- Essays in Hindi /
Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi : पढ़िए पर्यावरण और हम पर निबंध
- Updated on
- जून 5, 2024
पर्यावरण शब्द दो शब्दों के मेल से बना है। परि + आवरण। इसका अर्थ है हमारे आसपास मौजूद सबकुछ जैसे वायु, जल, धरती, जीव जंतु और वनस्पतियां। पर्यावरण जीवन का आधार है और यह सेहत के लिए भी बहुत ज़रूरी है। पर्यावरण को साफ़ रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। हम पेड़ लगाकर और अपने आसपास को साफ रखकर पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं। यहाँ Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi दिया गया है। इसकी मदद से छात्र पर्यावरण पर हिंदी में निबंध लिख सकते हैं।
This Blog Includes:
पर्यावरण और हम पर 100 शब्दों में निबंध , पर्यावरण और हम पर 200 शब्दों में निबंध , पर्यावरण हमारी जीवन समर्थन प्रणाली , पर्यावरणीय क्षरण से होने वाले परिणाम, पर्यावरण और हम पर 10 लाइन्स.
पर्यावरण का मानव कल्याण से गहरा संबंध है। यह हमें जीवित रहने के लिए आवश्यक हवा, पानी, भोजन और आश्रय प्रदान करता है। वनों की कटाई, प्रदूषण और अत्यधिक उपभोग जैसी मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण को ख़राब कर रही हैं। के कारण जैव विविधता के लिए ख़तरा है, पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करता है और जलवायु परिवर्तन को बढ़ाता है। परिणामस्वरूप, मनुष्यों को स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और आजीविका के लिए जोखिम का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए स्थायी समाधानों को किया जाना चाहिए। संरक्षण के प्रयास, नवीकरणीय ऊर्जा को उपयोग में लेना और अपशिष्ट को कम करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
इसके अलावा पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए जागरूकता बढ़ाना और पर्यावरणीय प्रबंधन को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है। एक स्थायी और सामंजस्यपूर्ण संबंध को बढ़ावा देने के लिए मनुष्यों और पर्यावरण के बीच के संबंध को पहचानना आवश्यक है।
पर्यावरण हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पर्यावरण हमें आवश्यक संसाधन प्रदान करता है और पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने वाले पारिस्थितिक तंत्र को भी बनाए रखता है। हमारे कार्यों का पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिससे जलवायु परिवर्तन होता है। प्रदूषण, वनों की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपभोग पर्यावरणीय के क्षरण के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से हैं।
यह गिरावट मानव स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण खतरा पैदा करती है। उदाहरण के लिए, वायु और जल प्रदूषण से श्वसन संबंधी बीमारियाँ और जलजनित बीमारियाँ हो सकती हैं। इन बीमारियों से दुनिया भर में लाखों लोग प्रभावित होंगे। जलवायु परिवर्तन मौसमी घटनाओं को बढ़ाता है, खाद्य उत्पादन को खतरे में डालता है और समुदायों को भी विस्थापित करता है।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए, टिकाऊ प्रयास करना आवश्यक है जो हमारे पर्यावरणीय प्रभाव को कम करें। इसमें उत्सर्जन को कम करना, प्राकृतिक आवासों का संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन जैसे कार्य शामिल है। पर्यावरण प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता बढ़ाना और पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
मानव और पर्यावरण के बीच अंतर्संबंध को पहचानकर, हम एक स्थायी भविष्य की दिशा में काम कर सकते हैं। हमें संरक्षण प्रयासों को प्राथमिकता देना होगा। वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की सुरक्षा करने वाली नीतियों को लागू करना आवश्यक है। केवल सामूहिक मेलजोल और जिम्मेदार नेतृत्व के माध्यम से ही हम सभी के लिए एक स्वस्थ ग्रह बना हैं।
पर्यावरण और हम पर 500 शब्दों में निबंध
Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi 500 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:
पर्यावरण मानव को पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक संसाधन और जीविका प्रदान करता है। पर्यावरण के साथ हमारा रिश्ता केवल लेन-देन का नहीं है, बल्कि गहराई से एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। इसका हमारी भलाई और ग्रह के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। क्योंकि पर्यावरण का संरक्षण अत्यधिक आवश्यक है इसलिए यह निबंध पर्यावरण और मानव के बीच संबंध पर प्रकाश डालता है।
पर्यावरण में ऑक्सीजन शामिल है जिसमें हम सांस लेते हैं, जो पानी हम पीते हैं, वह भूमि जिसमें हम रहते हैं, और वह जैव विविधता जो हमारे चारों ओर है। ये तत्व सामूहिक रूप से हमारी जीवन समर्थन प्रणाली बनाते हैं, पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखते हैं और मानव अस्तित्व के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करते हैं। हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से लेकर जिन दवाइयों पर हम निर्भर हैं, पर्यावरण पर हमारी निर्भरता निर्विवाद है। दुर्भाग्य से बीते कुछ दशकों की मानव की गतिविधियों ने पर्यावरण पर भारी असर डाला है, जिससे व्यापक गिरावट और पारिस्थितिक असंतुलन पैदा हुआ है। वनों की कटाई, प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपभोग और जलवायु परिवर्तन ग्रह के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करने वाली प्रमुख चुनौतियों में से हैं। ये गतिविधियाँ न केवल पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता को खतरे में डालती हैं, बल्कि पर्यावरणीय आपदाओं को भी बढ़ाती हैं और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करती हैं।
पर्यावरणीय क्षरण के परिणाम दूरगामी होते हैं। जैव विविधता के नुकसान से पारिस्थितिक तंत्र का लचीलापन कम हो जाता है। इससे पर्यावरण प्राकृतिक आपदाओं जैसी गड़बड़ी के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। वायु, जल और मिट्टी का प्रदूषण महत्वपूर्ण संसाधनों को दूषित करता है, जिससे मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता खतरे में पड़ती है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन मौसमी घटनाओं को बढ़ाता है, खाद्य सुरक्षा को खतरे में डालता है, और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को बढ़ाता है, विशेष रूप से यह कमजोर समुदायों को प्रभावित करता है। इस कारण से पर्यावरण संरक्षण एक वैश्विक मुद्दा बन गया है। पृथ्वी पर जीवन की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जैव विविधता का संरक्षण, जलवायु परिवर्तन को कम करना और पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा करना सबसे अधिक आवश्यक है। संरक्षण के प्रयासों में कई कार्य किए जा सकते हैं, जिनमें आवास संरक्षण, पुनर्वनीकरण, संसाधन प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना शामिल है।
Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:
- पर्यावरण हवा, पानी और भोजन जैसे आवश्यक संसाधन प्रदान करके जीवन को बनाए रखता है।
- प्रदूषण और वनों की कटाई सहित मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं।
- पर्यावरणीय क्षरण मानव स्वास्थ्य, जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र के लिए जोखिम पैदा करता है।
- जलवायु परिवर्तन चरम मौसम की घटनाओं को बढ़ा देता है, जिससे दुनिया भर के समुदायों पर असर पड़ता है।
- हमारे पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए सतत प्रयास आवश्यक हैं।
- पर्यावरण संरक्षण के लिए संरक्षण प्रयास, जैसे आवास संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना महत्वपूर्ण हैं।
- पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता बढ़ाना और पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
- पर्यावरण और मानव कल्याण आपस में जुड़े हुए हैं, जो प्रकृति के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।
- हमारे आज के कार्य पर्यावरण के भविष्य को आकार देंगे और आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करेंगे।
- पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने और एक स्थायी भविष्य के निर्माण के लिए सहयोग और सामूहिक कार्रवाई आवश्यक है।
पर्यावरण और मानवता के बीच का संबंध हमारे स्वास्थ्य, समृद्धि और अस्तित्व के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। वर्तमान के समय में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देना अत्यधिक आवश्यक है। वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों की भलाई सुनिश्चित करने वाले स्थायी प्रयासों को अपनाना हमारे लिए आवश्यक है। हमें पृथ्वी के संरक्षक के रूप में अपनी भूमिका को पहचानना होगा। पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोगात्मक रूप से काम करके, हम सभी के लिए अधिक स्वस्थ और टिकाऊ दुनिया का निर्माण कर सकते हैं।
सम्बंधित आर्टिकल्स
वनों की कटाई, प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता जैसी मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरणीय क्षरण में योगदान करती हैं।
पर्यावरणीय क्षरण से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जैसे वायु प्रदूषण से श्वसन संबंधी समस्याएं और दूषित जल स्रोतों से जलजनित रोग।
व्यक्ति ऊर्जा संरक्षण, अपशिष्ट को कम करने और रीसाइक्लिंग और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने जैसी स्थायी उपायों को करके अपने पर्यावरणीय प्रभाव को कम कर सकते हैं।
सरकारी नीतियां प्रदूषण को कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान के लिए नियम और प्रोत्साहन निर्धारित करती हैं।
आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के निबंध से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
Team Leverage Edu
प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें
अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।
Contact no. *
nice essay saved for further reference
Leaving already?
8 Universities with higher ROI than IITs and IIMs
Grab this one-time opportunity to download this ebook
Connect With Us
45,000+ students realised their study abroad dream with us. take the first step today..
Resend OTP in
Need help with?
Study abroad.
UK, Canada, US & More
IELTS, GRE, GMAT & More
Scholarship, Loans & Forex
Country Preference
New Zealand
Which English test are you planning to take?
Which academic test are you planning to take.
Not Sure yet
When are you planning to take the exam?
Already booked my exam slot
Within 2 Months
Want to learn about the test
Which Degree do you wish to pursue?
When do you want to start studying abroad.
September 2024
January 2025
What is your budget to study abroad?
How would you describe this article ?
Please rate this article
We would like to hear more.
पर्यावरण पर निबंध | Essay on Environment in Hindi
पर्यावरण पर निबंध – पर्यावरण मानव जीवन के लिए बहुत महत्त्व रखता है। पर्यावरण पर सिर्फ मनुष्य ही आश्रित नहीं है, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि सभी निर्भर हैं। जो हमारे चारों ओर विद्धमान है वही पर्यावरण है। पर्यावरण के बिना जीवन यापन कारण असंभव है।
पर्यावरण में वो सभी प्राकृतिक संसाधन सम्ल्लित होते हैं जीवों के लिए बहुत जरुरी होता है। पानी, हवा, भूमि, प्रकाश, आग आदि सभी पर्यावरण के अन्तर्गत आते हैं। पृथ्वी ही एक मात्र ग्रह है जिस पर जीवन यापन करना संभव है और जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए पर्यावरण बहुत आवश्यक है।
हम सभी लोगों ने पर्यावरण के संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल किया है। आज हमने जो भी तरक्की की है उसके पीछे पर्यावरण का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पर्यावरण हमें सब कुछ प्रदान करता है जो पृथ्वी पर जीवन यापन करने के लिए जरुरी है।
Page Contents
पर्यावरण का अर्थ
पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परि + आवरण। यहाँ पर परि का अर्थ होता है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जो हमें चरों ओर से घेरे हुए है पर्यावरण कहलाता है।
मिट्टी, पानी, हवा, आग और प्रकाश पर्यावरण के मुख्य घटक हैं, जिन्हें पंचतत्व भी कहा जाता है। पर्यावरण हम सभी के जीवन को नियंत्रित करता है और सभी जीव पर्यावरण में रह कर ही अपना जीवन यापन करते हैं।
पर्यावरण के प्रकार
पर्यावरण के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं –
1. प्राकृतिक पर्यावरण
ऐसे संसाधन जो हमें प्रकृति से प्राप्त होते है जिनमे मानव जीवन का कोई हाथ नहीं होता है प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं। प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत आने वाले संसाधन जैसे जल, हवा, रेगिस्तान, पर्वत, जंगल, गुफा, मरुस्थल, समुद्र आदि चीजें शामिल हैं।
प्राकृतिक पर्यावरण पृथ्वी के सभी जीव गतिविधि को प्रभावित करता हैं। प्राकृतिक पर्यावरण के द्वारा पृथ्वी पर अनेक प्रकार की गतिवितियाँ होती हैं। ये सभी हमारे जीवन के क्रियाकलापों और विकास के स्वरूप पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालते हैं।
2. मानव निर्मित पर्यावरण
प्राकृतिक पर्यावरण के विपरीत मानव द्वारा निर्मित मानव निर्मित पर्यावरण होता है। यातायात के साधन, अन्तरिक्ष स्टेशन, खेत , कृत्रिम झील, बांध, इमारतें, सड़क, पुल, पार्क, बगीचे, उद्योग, कल-कारखाने आदि सभी मानव निर्मित पर्यावरण है।
मनुष्य ने अपना जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए नए-नए आविष्कार कर रहा है। यातायात के साधन होने से पूरी दुनिया के लोगों का आपसी संपर्क बढ़ गया। अब हम लोगो ने दूसरे ग्रहों पर भी जीवनयापन की खोज शुरू कर दी है।
पर्यावरण का महत्व
पर्यावरण सभी जीवों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पृथ्वी हमारे सौरमंडल का एक मात्र ग्रह है जिस पर जीवन संभव है। पर्यावरण सभी जीवो के लिए आवश्यक सभी वस्तुएं और सुरक्षा प्रदान करता है। पर्यावरण हमें हवा, पानी, प्रकाश आदि चीजें प्रदान करता है जिसका उपभोग धरती के सभी जीव-जंतु कर रहा है।
आज मनुष्य ने दुनिया में खूब विकास कर लिया है तो दूसरी तरफ पर्यावरण को नुकसान पहुचा रहा है। मनुष्य अपने फायदे के लिए पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है और प्राकृतिक संसाधनों को लगातार नष्ट कर रहा है जिसके परिणाम स्वरुप आज कई समस्याएं उत्पन्न हो रही है जैसे ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण जैसी कई समस्याएं शामिल है।
आज विज्ञान ने भले ही बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो संसाधन हमे उपलब्ध किया है, उसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती है। इसलिए मनुष्य को पर्यावरण के महत्व को समझना चाहिए और पर्यावरण को बचाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।
पर्यावरण प्रदूषण
आज के आधुनिक युग के में मानव जितनी तरक्की कर रहा है उतना ही पर्यावरण को नुकसान पहुचा रहा है जिससे पर्यावरण प्रदूषण फ़ैल रहा है। लगातार पेड़ो की कटाई होने से जंगल समाप्त होते जा रहे हैं। इसका सीधा असर जंगल में रहने वाले प्राणियों के जीवन पर पड़ रहा है। जंगली जीव धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहे हैं। जंगलो की कटाई होने से कई प्राणियों बेघर हो रहे है और यहाँ वहाँ भाग रहे हैं।
शेर, चीता, हाथी जैसे घातक जंगली जानवर ग्रामीण क्षेत्रों में घुस रहे हैं और वहां रहने वाले लोगो को हानि पंहुचा रहे हैं। आजकल नदी और समुद्र तटों की सफाई न हो होने से जल प्रदूषण हो रहा है। जल प्रदूषित होने के कारण कई बीमारियां फैलती हैं जैसे हैजा, पेचिस, अतिसार, पीलिया, क्षय रोग आदि।
वाहनों और कारखानो से निकलने वाला धुँआ वायु को प्रदूषित कर रहा है जिसके कारण कई स्वास्थ्य संबंधी बीमारियाँ होती हैं जैसे खांसी ,दमा ,जुकाम ,निमोनिया, फेफड़े का संक्रमण, रक्त क्षीणता, उच्च रक्तचाप ,ह्रदय रोग आदि। शहरीकरण और आधुनिकीकरण पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण हैं। मनुष्य बिना सोचे समझे लगातार पर्यावरण को नुकसान पहुचा रहा है।
पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण को स्वच्छ व साफ-सुथरा रखना चाहिए। पेड़ पौधों को काटने से रोकना चाहिए। ऐसे नियम बनाने चाहिए जिनसे ज़हरीले और दूषित करने वाले पदार्थ नियंत्रित किए जा सकें। रासायनिक खादों , कीटनाशक पर नियंत्रण करके कर मृदा प्रदूषण को कम करने का प्रयास करना चाहिए है।
वाहनों और कारखानों से निकलने वाले धुएं की जांच होनी चाहिए। इसलिए लिए सरकार को उचित व्यवस्था करनी चाहिए और समय-समय पर चेकिंग होना चाहिए। मनुष्य की इच्छाएं असीमित है लेकिन प्राकृतिक संसाधन सीमित है इसलिए इसका इस्तेमाल सीमित मात्रा में करना चाहिए।
बढती हुई जनसँख्या हमारे पर्यावरण के प्रदूषण का भी एक मुख्य कारण है। मनुष्य जिस गति से प्राकृतिक संसाधनो का उपभोग कर रहा है ऐसा लग रहा है कि आने वाले विगत वर्षो में इन संसाधनो की कमी हो सकती है।
पर्यावरण पर 10 लाइन
- हमारे चारों ओर फैले हुआ वातावरण पर्यावरण कहलाता हैं।
- पर्यावरण के मुख्य रूप से पाँच घटक होते हैं मृदा, पानी, हवा, आग और प्रकाश।
- पर्यावरण हमें जीवनयापन करने के लिए संसाधन और सुरक्षा उपलब्ध करता है।
- पर्यावरण से हमें भोजन, ऑक्सीजन और पीने के लिए पानी मिलता है।
- पर्यावरण दिवस हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है।
- पर्यावरण के दूषित होने से मनुष्य और अन्य जीवो को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार को कड़े नियम बनाने चाहिए।
- धुंआ, कचरा और हानिकारक रसायनिक पदार्थ पर्यावरण को प्रदूषित करते है।
- पर्यावरण को बचाने के लिए हमे वृक्षरोपण करना चाहिए।
- पर्यावरण को बचाने के लिए नदी, समुद्र तटों और अपने आसपास सफाई करनी चाहिए।
इन्हें भी पढ़े –
- भ्रष्टाचार पर निबंध
- प्रदूषण पर निबंध
- सदाचार पर निबंध
- परोपकार पर निबंध
- राष्ट्रीय एकता पर निबंध
Leave a Comment Cancel reply
Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi)
आज हम पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Essay On Paryavaran Sanrakshan In Hindi) लिखेंगे। पर्यावरण संरक्षण पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।
पर्यावरण संरक्षण पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Paryavaran Sanrakshan In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।
पर्यावरण यानि ऐसा आवरण जो हमें चारों तरफ से ढंक कर रखता है, जो हमसे जुड़ा है और हम उससे जुड़े हैं और हम चाहें तो भी खुद को इससे अलग नहीं कर सकते हैं। प्रकृति और पर्यावरण एक दूसरे का अभिन्न हिस्सा हैं।
कोई भी व्यक्ति या वस्तु चाहे वो सजीव हो या निर्जीव, पर्यावरण के अन्तर्गत ही आती है। पर्यावरण से हमें बहुत कुछ मिलता है, लेकिन बदले में हम क्या करते हैं? हम अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए इस पर्यावरण और इसकी अमूल्य संपदा का हनन करने पर तुले हैं।
हमारे द्वारा कि गई हर अच्छी और बुरी गतिविधि का असर पर्यावरण पर पड़ता है। इस प्रकृति पर मानव ही सबसे अधिक बुद्धिशील प्राणी माना जाता है। अतः पर्यावरण के संरक्षण की जिम्मेदारी भी मनुष्य की ही है। आज हम पर्यावरण संरक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालकर समाज को इसके लिए जागृत करना चाहते हैं।
पर्यावरण अर्थात् जिस वातावरण में हम रहते हैं। हमारे आस पास मौजूद हर एक चीज, जीव-जंतु, पक्षी, पेड़-पौधे, व्यक्ति इत्यादि सभी से मिलकर पर्यावरण की रचना होती है। हमारा इस पर्यावरण से घनिष्ठ संबंध है और हमेशा रहेगा। प्रकृति और पर्यावरण की अद्भुत सुंदरता देखते ही हृदय में खुशी और उत्साह का संचार होने लगता है।
हरे भरे लहलहाते पेड़, आसमान में कलरव करते और चहचहाते पक्षी, जंगल में दौड़ते जीव जंतु, समन्दर में आती और जाती हुई लहरें, कल कल करके बहती हुई नदियां आदि जो मनोरम अहसास करवाते हैं, वो हमें अन्य कहीं से महसूस नहीं हो सकता।
फिर भी ये अफ़सोस की बात है कि लोग आज भी इसके महत्व को समझ नहीं पाए हैं और इसे नुकसान पहुंचाते रहते हैं। वे यह नहीं जान पा रहे कि पर्यावरण की हानि करके वे अपने सर्वनाश को निमंत्रण दे रहे हैं।
आज मानव नए नए आविष्कार कर रहा है और खूब तरक्की कर रहा है, परन्तु उसका हर्जाना भुगत रहा है ये पर्यावरण और इसमें रहने वाले अबोध जीव। आज सभी को पर्यावरण और प्रकृति का संरक्षण करने के लिए जागरूक होना पड़ेगा, अन्यथा पर्यावरण के साथ सारी मानव जाति का भी विनाश हो जाएगा।
पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता क्यों?
पर्यावरण ने मानव को अनंत काल से संसाधन प्रदान किए और मानव ने भी उनका भरपूर उपयोग किया। प्राचीन काल से लेकर अब तक जिस भी वस्तु की जरूरत हमें महसूस हुई, वो पर्यावरण से ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमें हासिल हुई है।
जैसे जैसे समय बीतता गया हमारी जरूरतें भी बढ़ती गई और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए हम पर्यावरण के प्रति निर्दयता दिखाने लगे। हमने जनसंख्या वृद्धि पर पहले से रोक नहीं लगाई, जिससे लोगों को संसाधन कम पड़ने लगे और अत्यधिक रूप से पर्यावरण का विनाश होने लगा।
गांवों से लोग शहरों की ओर पलायन करने लगे, पेड़ पौधों और वनों का विनाश होने लगा, जीव जंतुओं को अपने फायदे के लिए मारा जाने लगा, हर तरफ प्रदूषण फैल गया। जिससे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा।
जिस प्रकृति ने हमें आश्रय दिया उसी को नष्ट करने पर तुल गए हम लोग और प्रकृति का संतुलन बिगड़ता चला गया। पर्यावरण प्रदूषण के बहुत से दुष्प्रभाव हैं जैसे अणु विस्फोट से रेडियोधर्मी पदार्थ निकलने से आनुवांशिक प्रभाव, ओजोन परत जो पराबैंगनी किरणों से रक्षा करती है उसका क्षरण, भूमि का कटाव, अत्यधिक ताप वृद्धि, हवा – पानी – परिवेश प्रदूषित होना, पेड़ पौधों का विनाश, नए नए रोग उत्पन्न होना इत्यादि कई बुरे प्रभाव हैं।
पर्यावरण संरक्षण का महत्व
प्राचीन काल से ही पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है, वास्तव में प्रकृति का संरक्षण ही उसका पूजन है। हमारे भारत में पर्वत, नदियां, वायु, आग, ग्रह नक्षत्र, पेड़ पौधे आदि सभी से मानवीय संबंध जोड़े गए हैं।
वृक्षों को संतान स्वरूप और नदियों को मां स्वरूप माना गया है। हमारे ऋषि मुनियों को ज्ञात था कि मानव स्वभाव कैसा होता है, मानव अपने लालच में किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसलिए उन्होंने प्रकृति के साथ मानवीय सम्बन्धों को विकसित किया।
वे जानते थे कि पर्यावरण ही पृथ्वी पर जीवन का आधार है। अतः उन्होंने अपने ग्रंथो में प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण की ही बात कही। वेदों में भी कहा गया है –
‘ॐ पूर्णभदः पूर्णामिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥’
अर्थात् हमें प्रकृति से उतना ही ग्रहण करना चाहिए, जितना की आवश्यक है। प्रकृति को पूर्णता से नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। हमारी माता और दादी इसी भावना से बिना पौधों को नुक़सान पहुंचाए तुलसी की पत्तियां तोड़ती हैं। कुछ ऐसा ही संदेश वेदों में भी दिया गया है।
आज कोई भी पर्यावरण के संरक्षण का महत्व नहीं समझ रहा है। निरंतर प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जिससे सारी पृथ्वी प्रदूषित हो रही है और मानव सभ्यता का अंत होने को है। इन परिस्थितियों को देखते हुए सन् 1992 में ब्राजील में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन भी किया गया।
जिसमें 174 देश शामिल हुए। उसके बाद जोहान्सबर्ग में भी सन् 2002 में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसके अन्तर्गत सारे देशों को पर्यावरण संरक्षण करने के लिए उपाय समझाए गए।
पर्यावरण संरक्षण के उपाय
पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें सर्वप्रथम इस धरती को प्रदूषण रहित करना होगा। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रदूषण भी बढ़ता ही जा रहा है, जिसे नियंत्रण में लाना आवश्यक है तभी हमारे पर्यावरण का संरक्षण हो पाएगा।
मनुष्य दिन प्रतिदिन प्रगति करता जा रहा है और इस विकास के नाम पर प्रदूषण वृद्धि करता जा रहा है। ओजोन परत का क्षरण होने से धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है और ध्रुवों पर ग्लेशियर पिघल रहे हैं। अतः पर्यावरण संरक्षण हमारी नैतिक जिम्मेदारी बन जाता है।
सन् 1986 में भारत की संसद ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक अधिनियम बनाया जिसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कहते हैं। जब मध्यप्रदेश स्थित भोपाल में गैस लीक की दुर्घटना हुई थी, तब इसे पारित किया गया था।
यह बहुत बड़ी ओद्यौगिक दुर्घटना थी, जिसमें करीब 2,259 लोग वहीं मारे गए और 500,000 से ज्यादा व्यक्ति मिथाइल आइसोसाइनेट नामक गैस की चपेट में आ गए थे। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत पर्यावरण की सुरक्षा की ओर ध्यान देना, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के बारे में सोचना और पर्यावरण में सुधार लाने हेतु कानून बनाना था।
पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। इसे रोकने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं।
- फैक्ट्री और घरों से निकलने वाला गंदा पानी जो नदियों और समुद्र में निष्कासित किया जाता है उसे रोकना होगा। क्योंकि यही पानी पीने में, खेती बाड़ी में और दूसरे कार्यों में उपयोग में लाया जाता है। जिसके प्रदूषित होने से उपजाऊ ज़मीन भी धीरे धीरे बंजर हो जाती है और उस जमीन पर भी खाद्य पदार्थ उगाए जाते हैं, वह भी खाने पर शरीर को नुक़सान पहुंचाते हैं।
- वायु प्रदूषण से भी निरंतर पर्यावरण दूषित ही हो रहा है। हमें वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए घर में उपयोग लाए जाने वाले लेटेक्स पेंट का प्रयोग बंद करना होगा।
पर्यावरण को सुरक्षित रखना उतना ही जरुरी है जितना हम अपने आप को रखते है। पर्यावरण से ही हमे वो सभी चीजे उपलभ्ध होती है, जिसका इस्तेमाल करके आज मानव जीवित है और आराम और सुखदायी जीवन व्यतीत कर रहा है।
पर्यावरण संरक्षण हमारा फर्ज है और इस जिम्मेदारी को हम सबको मिल कर निभाना चाहिए। हमे जितना हो सके उतना पर्यावरण को दूषित होने से बचाना चाहिए और प्रदुषण को रोकने के उपायों को अमल में लाना चाहिए।
इन्हे भी पढ़े :-
- पर्यावरण पर निबंध (Environment Essay In Hindi)
- पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environment Pollution Essay In Hindi)
- पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
- जल प्रदूषण पर निबंध (Water Pollution Essay In Hindi)
- वायु प्रदुषण पर निबंध (Air Pollution Essay In Hindi)
- प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay In Hindi Language)
तो यह था पर्यावरण संरक्षण पर निबंध , आशा करता हूं कि पर्यावरण संरक्षण पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Paryavaran Sanrakshan) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।
Sharing is caring!
Related Posts
इंद्रधनुष पर निबंध (Rainbow Essay In Hindi)
ओणम त्यौहार पर निबंध (Onam Festival Essay In Hindi)
ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (Noise Pollution Essay In Hindi)
पर्यावरण प्रदुषण विषय पर निबंध | Essay On Pollution In Hindi
Essay on Pollution in Hindi
भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में प्रदूषण एक बड़ा पर्यावरणीय मुद्दा है जिसके बारे में हर किसी को पता होना चाहिए। माता-पिता को प्रदुषण के प्रकार, कारण और रोकथाम के बारे में पता होना चाहिए ताकि वो अपने बच्चो को इसके बारे में बता सके।
प्रदूषण आज दुनिया की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। प्रदूषण से तात्पर्य गंदगी से है और प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होने से है। प्रदूषण की गिरफ्त में आज पूरा मानव समुदाय ही नहीं बल्कि सभी जीव-जन्तु और वनस्पति भी इसकी चपेट में हैं।
प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभावों को हर तरफ देखा जा सकता है। वहीं पिछले कुछ दशकों से प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि, जिससे मानव जीवन खतरे में पड़ गया है। वहीं अगर इस समस्या पर जल्द गौर नहीं किया तो वो दिन दूर नहीं जब प्रदूषण की वजह से रोजाना किसी न किसी की मृत्यु होगी और दुनिया का आस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।
प्रदूषण के नकारात्मक प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से स्कूल, कॉलेजों में इसके लिए बच्चों को जागरूक किया जाता है और इस विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता भी आयोजित करवाई जाती है, जिससे लोग इससे होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जान सके और इससे बचने के उपायों की जानकारी प्राप्त कर सकें।
इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में प्रदूषण पर अलग-अलग शब्द सीमा के साथ निबंध (Essay On Pollution) उपलब्ध करवाएंगे जो कि आपके लिए उपयोगी साबित हो सकता है।
प्रदुषण पर निबंध – Essay On Pollution In Hindi
“आओ दोस्तों कसम ये खाये, प्रदुषण को हम दूर भगाये…”
प्रदूषण का मतलब होता है, जब कुछ दूषित तत्व प्राकृतिक परिवेश में प्रवेश कर जाते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित कर देते हैं, जिससे प्राकृतिक संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाता है और जिससे न हमें शुद्ध वायु मिलती है, न शुद्द जल मिलता है और न ही शांत वातावरण मिलता है।
जिससे कई तरह की गंभीर समस्याएं पैदा हो जाती हैं। प्रदूषण न सिर्फ हमारी सामान्य जीवन शैली को प्रभावित करता है, बल्कि कई तरह की गंभीर बीमारियों और ग्लोबल वार्मिंग को जन्म भी देता है।
इसमें किसी तरह का कोई शक नहीं है कि आज के मॉडर्न और आधुनिक युग में मनुष्य अपनी सुख-सुविधा के लिए ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा है, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है और इसी वजह से प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया है।
विज्ञान और टेक्नोलॉजी के विकास से जहां मानव क्षमता में भारी वृद्धि हुई हैं तो वहीं लोग अपने द्धारा बनाई गई रचनाओं के गिरफ्त में आ गए हैं, अर्थात आज का इंसान आधुनिकरण और सुख-सुविधाओं का इतना आदि हो गया है कि वह इन संसाधनों के बिना अपने जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकता है और मानव निर्मित उपकरण की वजह से ही प्राकृतिक संसाधनों का जमकर हनन हो रहा है और प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ रही है।
इसलिए प्रदूषण की समस्या पर लगाम लगाने की जरुरत है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसकी तरफ ध्यान देने की जरूरत है।
प्रदूषण पर निबंध – Pradushan Par Nibandh
स्वच्छ और शुद्ध वातावरण में रहने से न सिर्फ मानव का विकास होता है, बल्कि स्वस्थ समाज का भी निर्माण होता है। यहां शुद्ध वातावरण से तात्पर्य – प्रदूषण रहित वातावरण से है। वहीं जब तक सभी मिलकर वातावरण को स्वच्छ रखने में मद्द नहीं करेंगे तो हर तरफ गंदगी होगी और प्रदूषण फैलेगा।
प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए इससे पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव और इससे बचने के उपायों के बारे में जानना बेहद आवश्यक है, तभी लगातर बढ़ रहे प्रदूषण पर रोक लगाई जा सकेगी।
दरअसल, हम बिना सोचे-समझे अपनी सुख-सुविधाओं के लिए अपनी प्रकृति का हनन करते हैं, जिसकी वजह से कई तरह की गंभीर समस्याएं पैदा होती हैं। इसलिए प्रदूषण की गंभीर समस्या से निपटने के लिए हमें अपनी जानकारी को बढ़ाना चाहिए और अपनी सोच को व्यापक और विस्तृत करना चाहिए।
इसलिए अलग-अलग तरह के प्रदूषण, उनके कारणों और मानव जीवन और वातावरण पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के बारे जानना बेहद आवश्यक है।
आपको बता दें कि अलग-अलग तरीके से कुछ रसायन, सूक्ष्म और दूषित तत्व हमारे वातावरण में मिल रहे हैं, जिनसे अलग-अलग तरह का प्रदूषण होता है – जैसे कि वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, रसायनिक प्रदूषण और रेडियोधर्मी प्रदूषण। जब वायु में कुछ दूषित तत्व मिलकर वायु मौजूद गैसों का संतुलन बिगाड़ देते हैं तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं, इससे अस्थमा, दमा समेत कई तरह की श्वास संबंधित बीमारियां फैलती हैं।
इसी तरह से जब प्राकृतिक जल स्त्रोतों में कारखानों और घरों से निकलने वाला कचरा मिलता है तो जल प्रदूषण की समस्या पैदा होती है। वहीं मोटर वाहनों, डीजे, लाउडस्पीकर और पटाखों से इतना शोर होता है कि ध्वनि प्रदूषण की समस्या पैदा हो जाती है जिससे इंसान की सुनने की शक्ति कमजोर हो जाती है।
इस तरह अलग-अलग प्रदूषण का हमारी पृथ्वी और मानव दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके पर गौर करने की और जागरूकता फैलाने की जरूरत है, तभी इस गंभीर समस्या से निपटा जा सकता है।
प्रदूषण पर निबंध – Pradushan Essay In Hindi
प्रस्तावना –
प्रदूषण की समस्या आज पूरी दुनिया की सबसे बड़ी समस्या के रुप में सामने आ रही है। आधुनिक युग में मनुष्य सुख-सुविधाओं का इतना आदि हो गया है कि इसके लिए प्रकृति के साथ छेड़ छाड़ कर रहा है, जिससे प्रदूषण की समस्या उपज रही है।
वहीं अब प्रदूषण का स्तर चरम सीमा पर पहुंच गया है, अगर अब वातावरण को स्वच्छ रखने में ध्यान नहीं दिया तो आगे चलकर पृथ्वी पर रह रहे मनुष्य और जीव-जंतु सभी का आस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए सबसे पहले यह जानना जरुरी है कि आखिर प्रदूषण किन कारणों की वजह से हो रहा है –
प्रदूषण के प्रमुख कारण – Pradushan Ke Karan
प्रदूषण फैलने के कई प्राकृतिक और मानवनिर्मित कारण हैं, दरअसल मानव अपने सुख-सुविधाओं के लिए पेड़-पौधों को लगातार काट रहे हैं, वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है और प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या उपज रही है।
यही नहीं आजकल लोग वाहनों का अत्याधिक इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे वाहनों से निकलने वाला धुआं जहरीली गैस के रुप में हवा से मिल जाता है, जिससे वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
इसके अलावा वाहनों से होने वाले शोर से मनुष्य की सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। वहीं शहरों में तेजी से हो रहे औद्योगिकरण से एक तरफ जहां देश के विकास को गति मिली है तो दूसरी तरफ इससे काफी नुकसान भी हो रहा है।
दरअसल औद्योगिक से निकलने वाला कचरा और दूषित अवयव प्राकृतिक जल स्त्रोतों में बहा दिए जाते हैं जिससे प्रदूषण की समस्या को बढ़ावा मिलता है। आधुनिक तकनीक कृषि में जहां सिंचाई में वृद्धि हुई है और उत्तम किस्म की फसल की पैदावार होने लगी है तो वहीं इसके लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन और कीटनाशकों से जलस्त्रोतों में प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ जाती है, और इसी दूषित पानी के सेवन से लोग बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।
निष्कर्ष:
जाहिर है कि, आज विज्ञान और तकनीक ने हमारी जिंदगी को बेहद आसान बना दिया है और मनुष्य कहीं न कहीं इसका आदि हो गया है। जिसकी वजह से अब मनुष्य अपनी सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहा है जिससे पर्यावरण पर इसका बेहद बुरा असर पड़ रहा है और प्रदूषण की समस्या उपज रही है।
अर्थात इस समस्या पर जल्द गौर नहीं किया गया तो आने वाले दिनों मे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
प्रदूषण पर निबंध – Pollution Par Nibandh
प्रस्तावना
प्रदूषण से न सिर्फ मानव जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि इस धरती पर रहने वाले तमाम जीव-जंतु पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।
और तो और बढ़ रहे प्रदूषण की वजह से कई जीव-जंतु की प्रजातियां भी विलुप्त हो गईं हैं। पर्यावरण पर प्रदूषण का असर पड़ने से कई घातक बीमारियां जन्म ले रही हैं।
प्रदूषण के प्रमुख प्रकार – Types Of Pollution
पृथ्वी पर अलग-अलग तरह के प्रदूषण जन्म ले रहे हैं, जैसे कि वायु प्रदूषण , ध्वनि प्रदूषण और जल प्रदूषण , भूमि प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण। रासायनिक प्रदूषण आदि, कुछ प्रमुख प्रदूषणों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं, जो कि इस प्रकार हैं –
- वायु प्रदूषण – Air Pollution
आज पूरी दुनिया वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रही है, क्योंकि इंसान को वायु प्रदूषण की वजह से शुद्ध हवा नसीब नहीं हो रही है, जिससे आज मनुष्य दमा, अस्थमा समेत तमाम श्वास संबंधी बीमारियों की चपेट में आ गया है। दरअसल, जब हमारे वायुमंडल में जैविक, रसायन, सूक्ष्म और कई तरह के विषैले पदार्थ प्रवेश कर जाते हैं तो वह वायु प्रदूषण कहलाता है।
इन दूषित तत्वों के मिल जाने से वायु दूषित हो जाती है। आपको बता दें कि हमारे वायुमंडल में एक निश्चत मात्रा में और निश्चत अनुपात में गैंसे पाईं जाती हैं, लेकिन जब इस तरह के कुछ तत्व हमारे वायुमंडल में प्रवेश कर जाते हैं तो इन गैसों का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे वायु प्रदूषण की समस्या को बढ़ावा मिलता है।
तेजी से बढ़ रहा औद्योगिकरण, बढ़ती आबादी, वनों की अंधाधुंध कटाई और वाहनों का अत्याधिक इस्तेमाल करने से भी वायु प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।
- जल प्रदूषण – Water Pollution
जल प्रदूषण की वजह से न सिर्फ मानव जीवन बल्कि जीव-जंतु और वनस्पति भी प्रभावित हो रही है। जल प्रदूषण का मतलब है, जब जल के प्राकृतिक स्त्रोतों में तमाम तरह के दूषित पदार्थ शामिल हो जाते हैं तो जल प्रदूषण की स्थिति पैदा हो जाती है।
दरअसल, जब उद्योगों से निकलने वाला कचरा जल स्त्रोतों में फेंका जाता है तो इससे पूरा पानी जहरीला हो जाता है, यही नहीं घरो में इस्तेमाल किए गए पानी में जब अन्य रसायन पदार्थ मिलते हैं, तो यह पूरे पानी को जहरीला बना देते हैं।
और यही दूषित पानी का सेवन करने से मनुष्य कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाता है। वहीं जल प्रदूषण की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है, जिसके समाधान के लिए गंभीर प्रयास करने की जरूरत है।
- ध्वनि प्रदूषण – Sound Pollution
उच्च ध्वनि से होने वाले प्रदूषण को ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। ध्वनि प्रदूषण वाहनों, मशीनरों , रेडियो ,लाउडस्पीकर, टेलीविजन समेत तमाम ऐसे उपकरणों से होता है, जिसकी वजह से इंसान की सुनने की क्षमता प्रभावित होती है।
कई बार तो इंसान ध्वनि प्रदूषण की वजह से बहरेपन, हार्ट अटैक और तनाव जैसे बीमारियों की चपेट में आ जाता है। इसके बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है, तभी इस समस्या से निजात मिल सकती है।
प्रदूषण किसी भी तरह का हो, यह हर तरह से हानिकारक होता है। इसलिए प्रदूषण की समस्या पर गौर करने की जरूरत है और यह तभी संभव है जब सभी लोग मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखने का संकल्प लें और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं। इसके साथ ही पुराने वाहनों का इस्तेमाल कम करें और शहर से दूर से फैक्ट्री, कारखाने आदि लगाएं।
प्रदूषण पर निबंध – Short Essay On Paryavaran Pradushan In Hindi
आज के मॉडर्न युग में प्रदूषण, एक बहुत बड़ी समस्या के रुप में हमारे सामने मुंह बांय खड़ी हुई है। जिसकी वजह से मानव जीवन, जीव-जंतु और जलवायु पर इसका काफी बुरा असर पड़ा रहा है।
तेजी से हो रहे औद्योगीकरण, बढ़ रहे वाहन, वनों की हो रही अंधाधुंध कटाई, तेजी से बढ़ रही आबादी समेत तमाम कारणों की वजह से प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है। वहीं मनुष्य अपनी सुख-सविधा के लिए आज-कल प्रकृति के साथ भी जमकर छेड़छाड़ कर रहा है।
जिसका सीधा असर हमारे वातावरण और जलवायु पर पड़ा रहा है। हमारे वातावरण में कुछ जहरीली गैसें उत्पन्न हो रही हैं, जो कि वातावरण में मिलकर प्रदूषण उत्पन्न कर रही हैं और मानव जीवन को प्रभावित कर रही हैं। प्रदूषण अलग-अलग रुपों में पृथ्वी पर रह रहे लोगों को प्रभावित कर रहा है –
प्रदूषण के प्रकार:
इस निबंध में हम अलग-अलग तरह के प्रदूषण के बारे में बता रहे हैं, जिनसे होने वाले प्रभाव हमारे पर्यावरण और दैनिक जीवन को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर रहे हैं –
- जल प्रदूषण
- वायु प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
- रेडियोधर्मी प्रदूषण
- रसायनिक प्रदूषण
- प्रकाश प्रदूषण
- रेडियोएक्टिव प्रदूषण
- दृश्य प्रदूषण
- थर्मल प्रदूषण
प्रदूषण का प्रभाव:
प्रदूषण अलग-अलग तरीकों से मानव जीवन, जीव-जन्तु और वनस्पति को प्रभावित कर रहा है। उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु से मिलकर हमारे वायुमंडल को दूषित कर रहा है, जिसकी वजह से मनुष्य तमाम तरह की श्वास संबंधी बीमारियों से ग्रस्त हो रहा है।
इसके अलावा उद्योगों और घरों से निकला कचरा, प्राकृतिक जल स्त्रोतों से मिलकर उन्हें प्रदूषित कर देता है, जो कि इंसान के लिए जानलेवा सिद्द हो रहा है। हालांकि प्रदूषण के बारे में जागरूकता फैलाने की और इसके दुष्परिणामों को लोगों को बताने की जरूरत है, तभी हम प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या से निजात पा सकेंगे।
प्रदूषण से होने वाले कुछ प्रभावों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं जो कि इस प्रकार हैं –
- जयवायु परिवर्तन
- तमाम तरह की बीमारियां ले रहीं जन्म
- मौसम चक्र में हो रहा परिवर्तन
- ग्लोबल वार्मिंग
- कृषि दूषितकरण
- अम्लीय वर्षा
प्रदूषण के कारण – Causes Of Pollution
प्रदूषण कई तरह से फैलता है, प्रदूषण बढ़ने के प्राकृतिक ही नहीं बल्कि मानवनिर्मित कारण भी हैं। प्रदूषण के कुछ मुख्य कारणों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं –
- वनों की अंधाधुध कटाई
- कीटनाशकों का अत्याधिक इस्तेमाल
- तेजी से हो रहा औद्योगिकरण
- वाहनों का अत्याधिक इस्तेमाल
प्रदूषण को रोकने के उपाय – Measures to Prevent Pollution
शहरों और गावों में बढ़ते प्रदूषण को मात्र लोगों में जागरुकता लाकर ही रोका जा सकता है। इसके लिए हमें कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है जैसे कि वाहनों के उपयोग को कम करना, अधिक पेड़ लगाना, रसायनों और कीटनाशकों का कम उपयोग करना आदि कई ऐसे उपाय है जिनके द्वारा प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकता है।
इसके अलावा प्रदूषण की इस समस्या को देखते हुए सरकार को भी प्लास्टिक और पॉलीथिन के इस्तेममाल पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है। कुछ मुख्य उपायों के बारे में नीचे लिखा गया है –
- ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाएं
- वाहनों का इस्तेमाल कम करें
- सही तरीके से कचरे का निस्तारण
- कीटनाशकों को इस्तेमाल सीमित मात्रा में करें
- पर्यावरण को स्वच्छ और साफ-सुथरा
- उद्योगों के लिए कठोर नियम -कनून बनाकर
प्रदूषण आज के युग की एक बड़ी समस्या बन गया है, जिसका बुरा असर मनुष्य के स्वास्थ्य पर और जलवायु पर पड़ रहा है। अगर प्रदूषण की समस्या पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो आने वाले दिनों में इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
इसलिए प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या से छुटकारा पाने के लिए हमें जागरूकता फैलाने की जरूरत है, इसके लिए जगह-जगह पर शिविर लगाए जाने चाहिए और एकजुट होकर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।
वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए और वाहनों का जितना हो सके कम इस्तेमाल करना चाहिए । बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए, तभी हम प्रदूषण जैसी समस्या से निजात पा सकेंगे।
जरुर पढ़े: Slogans on pollution – प्रदूषण को रोको
पर्यावरण पर नारे: Slogan on environment in H indi
More Essay Collection: Essay In Hindi
Note:- आपके पास Paryavaran Pradushan या Pollution Essay In Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे. धन्यवाद…. नोट : अगर आपको Essay On Pollution In Hindi Language अच्छा लगे तो जरुर हमें facebook पर share कीजिये.
68 thoughts on “पर्यावरण प्रदुषण विषय पर निबंध | Essay On Pollution In Hindi”
Sir isame kam h thoda jyada hona tha bese to thik h
good line of thinking some another
Wow amazing essay
Leave a Comment Cancel Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
Gyan ki anmol dhara
Grow with confidence...
- Computer Courses
- Programming
- Competitive
- AI proficiency
- Blog English
- Calculators
- Work With Us
- Hire From GyaniPandit
Other Links
- Terms & Conditions
- Privacy Policy
- Refund Policy
पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध (How to Protect the Environment Essay in Hindi)
हमारे चारों ओर फैली सभी चीजों को ही पर्यावरण के रुप में परिभाषीत किया जाता है, हमारी पृथ्वी के चारों तरफ पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों को ही हम पर्यावरण कहते है। यही हमारे ग्रह पर जीवन को बनाए रखने में सहायक होती है और हमें अधिक से अधिक प्राकृतिक संसाधन उपल्बध कराती है। मैंने विभिन्न शब्द सीमाओं में तीन निबंध दिए है।
पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर छोटे और बड़े निबंध (Short and Long Essays on How to Protect the Environment, Paryavaran ki Raksha kaise karen par Nibandh Hindi mein)
पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).
जीवन को स्वच्छ और स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए हमारे पर्यावरण का स्वच्छ होना बहुत आवश्यक होता है। फिर भी हम सभी जिस वातावरण में रहते है, हम स्वयं ही उसे अपने कार्यों से क्षतिग्रस्त करते है।
पर्यावरण संरक्षण के तरीके
प्लास्टिक बैग और उसके उत्पादों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाएं।यह सुनिश्चित करें कि आपके घर के कचरे को सही चैनल के साथ अलग-अलग किया गया है या नहीं।कचरे को फैलने से रोकें और दूसरों को भी इसे रोकने के लिए प्रोत्साहित करें।रासायनिक उर्वरकों और किटनाशकों के उपयोग से बचे और जैविक पदार्थों का उपयोग करें।वाहनों से निकलने वाले घुएं को कम करे, ये हमारे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुचाते है।जंगलों को बचाएं और पेड़ लगाएं क्योंकि ये पर्यावरण के लिए फेफड़ों जैसा काम करते है।भूतल या सतह जल का उपयोग कम से कम करने का प्रयास करे।
पर्यावरण संरक्षण में छात्रों की भूमिका
पर्यावरण के संरक्षण में छात्र बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। वो बहुत संवेदनशील और ग्रहणशील होते है, और वे बहुत उदारता से कोई भी सलाह या सुझाव लेते है। यहां ऐसे कई स्कूल है जो कि स्वच्छता अभियानों में बहुत ही सक्रीय रुप से भाग लेते है। छात्र बहुत ही उर्जा और उत्साह से भरे होते है और ऐसे अभियानों में उनका कार्य बहुत ही अतुलनीय होता
यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित और प्रदूषण मुक्त रखें। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हमें सक्रिय कदम उठाने चहिये और युवा पीढ़ी को भी इसमें शामिल करने की तत्काल आवश्यकता है।
निबंध 2 (400 शब्द) – पर्यावरण स्वास्थ्य में कैसे सुधार करें
हमे चारों तरफ से घेरने वाली हर चीज को हम पर्यावरण के रुप में परिभाषित करते है। इस परिभाषा का अनुसरण करते हुए हमारे पर्यावरण में शामिल हैं – वायु, मिट्टी, जल, जंगल, पौधें, पहाड़, महासागर, समुद्री जीव, आदि। इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी होती है कि हम अपने हित के लिए पर्यावरण की रक्षा करे। इस निबंध में हम पर्यावरण में सुधार और पर्यावरण संरक्षण में छात्रों की भूमिका के बारे में चर्चा करेंगें।
पर्यावरण के स्वास्थ में सुधार कैसे करें
कई तरीकों से हम अपने पर्यावरण की स्थिती में सुधार कर सकते है, लेकिन उनमें से कुछ महत्वपूर्ण बातें नीचे दी गयी है –
- पुनःनिर्माण और उसका उपयोग
पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले बहुत सारे कचरों में डंप की गई बहुत सी घरेलू सामग्रियां होती है जो कि घरेलू उपयोग में नही होती है, जैसे कि – प्लास्टिक और कांच की बोतेलें, टिन के डिब्बे, टूटे हुए कम्प्यूटर, या अन्य प्लास्टिक की चीजें, कपड़े, इत्यादि। ये सारे अपशिष्ट पदार्थ मिट्टी और पानी में पहुच जाते है। वे वहां वर्षों तक रहते है, और उन्हें प्रदूषित करते है और उनकी गुणवत्ता को हानी पहुंचाते है। यदि हम इन्हें पर्यावरण में फेकने के बजाय इन्हें फिर से रीसायकल करने के आसान से तरीके को अपनाते है तो हम पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक बड़ा काम कर सकते है।
- पेड़ों की रक्षा करें
पेड़ इस ग्रह के फेफड़े की तरह है, यह पर्यावरण के बहुत ही आवश्यक सदस्य है। यह फिल्टर की तरह कार्य करते है और किसी भी जगह के हवा की गुणवत्ता को उच्च बनाए रखने का कार्य करती है। ये कार्बन डाइऑक्साइड का सेवन करती है और जीवन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन का उत्सर्जन करती है। पेड़ों को बनाए रखने के लिए लाखों जीवन रुपों का उल्लेख करने की आवश्यकता नही है, ये केवल पक्षियों, कीड़े, सरीसृप, इत्यादि पर ही जीवित रह सकते है। हम जितने ही अधिक पेड़ों की रक्षा करेंगे, हम पर्यावरण के स्वास्थ्य सुधार में उतना ही योगदान कर सकेंगे।
- कूड़ा न फैलाएं
आप में से कितने ही लोगों ने समुद्र के तटों पर, स्मारकों और बाजारों वाली जगहों पर प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों, खाने के पैकेटों आदि को देखा होगा। इस प्रकार के कूड़े साधारणतः सड़ते है और हमारे पर्यावरण को बहुत ही ज्यादा नुकसान पहुंचाते है। पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि हम कूड़ा न करें। कचरे को कूड़ेदान में डालने की आदत को अपनाए। जब आपके आसपास एक भी कूड़े का कचरा दिखाई दे तब तक यह कार्य सफल नही होगा।
- शिक्षित और प्रेरित करे
हम सभी शिक्षित है और हम अन्य लोगों को पर्यावरण को कैसे सुरक्षित रखने के लिए जागरुक कर सकते है। युवाओं और बच्चों को सिखाने या पढ़ाने पर विशेष रुप से जोर देना चाहिए। जब युवा बच्चों को पर्यावरण के मूल्यों के बारे में बताया और सिखाया जाता है, तो बड़े होने पर वो इनके महत्व को अच्छी तरह से समझते है। हमें दूसरों को पेड़ लगाने और स्वच्छता अभियान के आयोजनों के लिए अधिक प्रेरित करने की आवश्यकता है।
पर्यावरण का संरक्षण हम सभी मनुष्यों के ही हाथों में है। केवल मनुष्य ही इसके लिए पहल कर सकता है और पर्यावरण को बचा सकता है, जिससे कि इस ग्रह पर जीवन की रक्षा होगी।
निबंध 3 (600 शब्द) – पर्यावरण को संरक्षित करने के कारण और तरीके
आमतौर पर हमारे चारों ओर फैली सभी चीज़ें ही पर्यावरण कहलाती है। पेड, पौधे, जंगल नदियाँ और हमारे चारो ओर फैली चीजे ही प्राकृतिक वातावरण है। दुर्भाग्य से हमारा प्राकृतिक वातावरण मानव की गतिविधियों के कारण ही खतरे में है। मनुष्य पर्यावरण को रोजाना ही नुकसान पहुचा रहा है, हमें इसके संरक्षण के लिए आवश्यक और कठोर कदम उठाने की जरूरत है। इस निबंध में हम इस बात पर चर्चा करेगें कि हमें पर्यावरण की रक्षा करने की आवश्यकता क्यों है और हम ऐसा कैसे कर सकते है।
हमें पर्यावरण की रक्षा करने की आवश्यकता क्यों है ?
पर्यावरण ही हमारा घर है। यह वही जगह है जहां हम रहते है। वास्तव में यह जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। नीचे कुछ मुख्य कारणों को दर्षाया गया है कि हमें पर्यावरण की रक्षा क्यों करनी चाहिए।
- ये हमें भोजन देते है
हमारा पर्यावरण हमारे भोजन का प्रमुख श्रोत है जो हम खाते है। सभी तरह के अनाज से लेकर फल, सब्जीयां, इत्यादि हमें सबकुछ पर्यावरण से ही मिलता है। क्या इतनी बड़ी आबादी के लिए प्रचुर मात्रा में खाद्य आपूर्ति के बिना जीवित रहना संभव होगा? पर्यावरण को नुकसान कर हम अपने ही खाद्य आपूर्ति में बाधा डाल रहे है।
- आवश्यक जीवन तत्वों की आपूर्ति (प्राकृतिक संसाधन)
पर्यावरण हमें दो अति आवश्यक तत्व प्रदान करता है, जो हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है – हवा और जल। हम सभी को जीवित रहने के लिए हवा की जरुरत होती है, चाहे वह जानवर हो, पौधें हो, या फिर जलीय जीव-जन्तु हो, सभी को ऑक्सीजन और ताजी हवा की जरूरत होती है। जल भी एक अन्य जरूरी जीवन निर्वाह तत्व है। यदि हम अपने पर्यावरण को नुकसान पहुचाते है, तो हम खुद ही अपनी हवा और पानी की आपूर्ति में कटौती कर रहें हैं।
- आजीविका बनाए रखती है
दुनियाभर के अरबों लोग अपनी आजीविका के लिए केवल पर्यावरण पर ही निर्भर रहते है। उन्होंने कई व्यापार संसाधनों को इस पर्यावरण से ही प्राप्त किया है। किसान, फल विक्रेता, मछुआरे, इत्यादि सभी जीने के लिए पर्यावरण पर ही निर्भर है।
- पूर्ण रूप से इकोसिस्टम का समर्थन करता है
एक संतुलित और बिना क्षतिग्रस्त पर्यावरण पूर्णतः पारिस्थितिकी तंत्र का इस तरह से समर्थन करता है कि यह जीवन का सहायक बन जाता है। एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र के साथ जीवन फलता-फूलता है और प्रजातियों का विस्तार करता है।
हम पर्यावरण का संरक्षण कैसे कर सकते है – 5 सरल तरीके?
नीचे हम पर्यावरण संरक्षण के पांच सरल तरीकों के बारे में जानेंगे –
- अपशिष्ट नियंत्रण
कचरे का अनुचित निपटारे की समस्या ही आज हमारे पर्यावरण के लिए खतरे का कारण है। कचरा सिर्फ पर्यावरण में ही नही फैलता बल्कि ये हमारे मिट्टी, पानी और हवा में जाकर उन्हें प्रदूषित करता है। पर्यावरण की क्षति को कम करने के लिए उचित अपशिष्ट तकनीकीयों का नियोजन करना आवश्यक है।
- वर्षा जल संचयन
पानी या तो सतह का हो या भूमिगत यह एक आवश्यक संसाधन है, जो पर्यावरण के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यदि ये पानी सूखते चले गए तो पर्यावरण का क्या होगा। वर्षा जल का संचयन पानी और पर्यावरण को बचाने का एक अच्छा तरीका है।
- इको-फ्रेंडली बनें
पर्यावरण के हित के लिए सबसे बेहतर होगा कि हम पर्यावरण के प्रति प्रेम भाव रखें या पर्यावरण के प्रति हम प्रेमी बने। इसके लिए हम ऐसा कर सकते है कि प्लास्टिक की चीजों की जगह हम बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग का इस्तेमाल करें, पेपर बैग्स का इस्तेमाल करें, पेड़ लगाकर और स्वच्छता अभियानों में भाग लेकर हम आपने पर्यावरण के सुधार में योगदान कर सकते है।
- रासायनों से दूर रहें
जहां तक संभव हो, मुख्य रुप से कृषि के क्षेत्र में रासायनों के उपयोग से बचने की कोशिश करें। यदि इसे टाला नही जा सकता है तो यह सुनिश्चित करें कि उसका कम से कम इस्तेमाल हो ताकि कोई भी रासायन पर्यावरण तक न पहुच सके और वह उपयोग के बाद बेअसर हो जाए।
- ड्राइव कम करे और अधिक चलें
वाहन, आज पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य स्रोत या कारण बन गया है। इससे निकलने वाली जहरीली और हानिकारक गैसों का उत्सर्जन पर्यावरण को प्रदूषित करता है। यदि हम वाहनों का तभी इस्तेमाल करे जब यह बहुत ही आवश्यक हो, तो हम पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने में अपना सहयोग कर सकेंगे।
पर्यावरण वह जगह है जहां हम रहते है और इसे गंदा करना आपके लिए आखिरी चीज हो सकती है, जो आप करना चाहते है। यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ और जीवन को सुरक्षित बनाए रखने में अपना सहयोग करे, यह न केवल अपने लिए बल्कि अन्य जीवों के लिए भी यह बहुत आवश्यक है।
संबंधित पोस्ट
मेरी रुचि पर निबंध (My Hobby Essay in Hindi)
धन पर निबंध (Money Essay in Hindi)
समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
मेरा स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)
शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)
बाघ पर निबंध (Tiger Essay in Hindi)
Leave a comment.
Your email address will not be published. Required fields are marked *
“पर्यावरण” हमारा दायित्व पर निबंध
प्रस्तावना : पर्यावरण का अर्थ है , प्रकृति , पेड़ -पौधे , वनस्पति ,पशु -पक्षी, मनुष्य और हम सब प्राणी। पर्यावरण नहीं तो हम सभी का कोई अस्तित्व नहीं है। मनुष्य के लिए पर्यावरण महत्वपूर्ण है। औद्योगीकरण और तकनीकी उन्नति तो मनुष्य ने खूब की परन्तु प्रकृति के महत्व को समझने में असमर्थ रहा है। ज़्यादातर लोग इसे समझकर भी इसकी अवहेलना कर रहे है। फैक्ट्रियों और इमारतों के निर्माण के लिए कई वर्षो से वृक्ष काटे जा रहे है। वनो की अंधाधुंध कटाई की जा रही है , ताकि बड़े कल कारखानों , कार्यालय , स्कूल इत्यादि का निर्माण हो सके । हम यह भूल रहे है कि अगर हम बिना सोचे समझे प्रकृति को नुकसान पहुंचाएंगे , तब प्रकृति और पर्यावरण जीवित नहीं रह पायेगा। इन सब गतिविधियों की वजह से आज पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है । ऐसे ही चलता रहा तो इसके भयंकर परिणाम देखने को मिलेंगे।
सभी प्राणी , पेड़ , पौधे और सभी तरह की वनस्पति पर निर्भर है। हमे पेड़ पौधों से फल , सब्ज़ी , अनाज इत्यादि प्राप्त होते है। पेड़ो से हमे अनगिनत फायदे मिलते है। पेड़ पौधों से वातावरण में ऑक्सीजन का निर्माण होता है। प्रकाश संश्लेषण को अंग्रेजी में फोटोसिंथेसिस कहते है। प्रकाश संश्लेषण में पेड़ -पौधे अपना भोजन खुद बनाते है। इसमें कार्बन डाइऑक्साइड , पानी और सूर्य के किरणों की ज़रूरत होती है। कार्बन डाइऑक्साइड मनुष्य छोड़ते है जिसे पेड़- पौधे अपने प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में उसका उपयोग करते है।
प्रकाश संश्लेषण की सहायता से वातावरण में ऑक्सीजन बनता है। वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन के सहारे मनुष्य और अन्य प्राणी जीवित है। ऑक्सीजन के बिना जिन्दा रहना नामुमकिन है। अगर पेड़ पौधे नहीं होंगे तो ऑक्सीजन गैस भी नहीं होगा। अतः पर्यावरण का संरक्षण करना अत्यंत ज़रूरी है। अन्य प्राणी जैसे गाय , भैंस , बकरी , हिरण इत्यादि पशु वनस्पति खाकर जीवित है। इसलिए मनुष्य को समझना होगा कि पर्यावरण को सुरक्षित रखना कितना आवश्यक है।
मनुष्य स्वार्थी बनकर उन्नति के चक्कर में स्वंग अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रहा है। औद्योगीकरण और प्रगति के नशे में वह पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ रहा है। जनसंख्या तेज़ी से बढ़ रही है। लोगो को रहने के लिए घर इत्यादि चाहिए। जमीन पाने के लिए वनो को धरल्ले से काटा जा रहा है। वृक्षारोपण किया जा रहा है मगर फिर भी वन कटाव अत्यधिक बढ़ गया है। वनो को साफ़ करके किसान कृषि कर रहा है। अगर वन नहीं होंगे तो पशु पक्षी कहाँ रहेंगे। उनका घर तो वन है। कई प्रकार की कीमती लकड़ी प्राप्त करने के लिए वृक्षों और वनो की कटाई हो रही है। पर्यावरण को इतनी चोट पहुँच रही है कि लगातार मानव जाति को प्राकृतिक आपदाओं का शिकार होना पड़ रहा है। सभी जलशयों और नदियों के जल को साफ़ और संरक्षित रखना भी मनुष्य की जिम्मेदारी है।
जिस प्रकार वृक्षों की कटाई हो रही है , मनुष्य के समक्ष कई समस्याएं उत्पन्न हो गयी है। आये दिन कल कारखानों और फैक्टरियों से निकलता हुआ धुंआ वातावरण को प्रदूषित कर रहा है। इस प्रदूषित वातावरण में मनुष्य को कई प्रकार की बीमारियां हो रही है। सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ो से संबंधित बीमारियों से लोग ग्रसित है । हम सभी को मिलकर वृक्षारोपण करने की ज़रूरत है। जितना हम वृक्ष लगाएंगे , उतना ही पर्यावरण को हम बचा पाएंगे।
अगर वन नहीं होंगे तो तब हम भी जीवित नहीं रह पाएंगे। कल कारखानों से निकलता हुआ कचरा , नदियों में प्रवाहित किया जा रहा है। इससे नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है। प्रदूषण को नियंत्रित करना ज़रूरी है। सरकार ने प्रदूषण को रोकने के लिए कई कदम उठाये हैं। वन खत्म होंगे तो भूमि की उपजाऊ शक्ति खत्म हो जायेगी।
भूमि कटाव को रोकना और बाढ़ पर अंकुश लगाने का कार्य पर्यावरण करता है। अगर वन नहीं होंगे , तो धरती पर वर्षा नहीं होगी। वर्षा नहीं होगा तो सूखा / अकाल पड़ेगा। जब पानी नहीं होगा , तो पशु -पक्षी भी जीवित नहीं रहेंगे ।
प्रकृति में वायुमंडल एक अहम हिस्सा है। प्रदूषण से वायुमंडल निरंतर प्रदूषित होने लगा है | अगर ऐसे ही चलता रहा , तो प्रकृति पर कितना भयावह असर पड़ेगा। पर्यावरण की रक्षा करना मनुष्य का परम कर्त्तव्य है। जैसे -जैसे उद्योगों का विकास हो रहा है , प्रकृति और पर्यावरण अशुद्ध हो गया है। प्रदूषण के कारण प्राकृतिक संसाधनों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
बगीचों और वनो को संग्रह करके रखने की ज़रूरत है। वन महोत्सव जैसे कार्यक्रम आयोजित करके लोगो को जागरूक करने की ज़रूरत है। जिस प्रकार देश और दुनिया की जनसंख्या बढ़ रही है , उनके रहने के लिए जमीन कम पड़ रही है। इससे वनो और पर्यावरण को नष्ट करके घरो का निर्माण किया जा रहा है। लोग उन्नति करने हेतु और सुख सुविधा के साधनो को पाने के लिए फैक्टरियां डाल रहे है। इससे उत्पादन में तेज़ी आ रही है। हम इतने स्वार्थी नहीं हो सकते कि हम अपने सुख के लिए पर्यावरण को समाप्त कर दे। लगातार प्रकृति हमे चेतावनी दे रही है , इसे हमे गंभीरता और जिम्मेदारी से लेना होगा।
मनुष्य को जीने के लिए शुद्ध जल , स्वास्थ्यवर्धक आहार और शुद्ध वायु की ज़रूरत है । अगर हम यह सब कुछ पाना चाहते है तो हमे पर्यावरण को सहज कर रखना होगा। सीमित मात्रा में अपने दैनिक गतिविधियों को करना होगा ताकि प्रदूषण कम हो। प्रदूषण कम होगा तो सभी जीव जंतु और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा। आज समस्त दुनिया पर्यावरण को लेकर चिंतित और परेशान है। अगर हम सब अभी सचेत नहीं हुए , तब प्रकृति अपना रौद्र रूप धारण कर लेगा और सब कुछ खत्म हो जाएगा। हम सभी को अपने दायित्व को समझकर , प्रकृति के हित में कार्य करने होंगे। जब प्रकृति सुन्दर रहेगी , तब हमारे चारो ओर हरियाली होगी। अगर प्रकृति सुरक्षित है , तब हम और यह पृथ्वी भी सुरक्षित है।
- महान व्यक्तियों पर निबंध
- पर्यावरण पर निबंध
- प्राकृतिक आपदाओं पर निबंध
- सामाजिक मुद्दे पर निबंध
- स्वास्थ्य पर निबंध
- महिलाओं पर निबंध
Related Posts
सर्दी के मौसम पर निबंध
नदी की आत्मकथा पर निबंध (300 और 500 शब्द)
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (300, 500 और 600 शब्दों में)
स्वच्छता अभियान पर 300 और 500 शब्दों में निबंध
जल शक्ति अभियान पर निबंध
Leave a Comment Cancel reply
- Privacy policy
Hindi Nibandh.in
पर्यावरण की सुरक्षा | paryvaran ki suraksha hindi essay.
icse question - पर्यावरण है तो मानव है’ विषय को आधार बनाकर पर्यावरण सुरक्षा को लेकर आप क्या-क्या प्रयास कर रहे हैं ? विस्तार से लिखिए।
100 Words - 150 Words
पर्यावरण सुरक्षा विश्वास का विषय है जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करता है । यह मानव और सभी प्राणियों के जीवन के लिए आवश्यक है । प्रदूषण , वनों का कटाव , जलवायु परिवर्तन , और विकास के लिए अनुशासनहीनता पर्यावरण को खतरे में डालते हैं । हमें अपने उच्च जीवन शैली को संतुलित करने और प्रकृति के साथ सद्भाव से रहने की आवश्यकता है ।
पर्यावरण सुरक्षा के लिए हमें संबंधित विषयों पर शिक्षा , संगठन , और कानूनी कदम उठाने की आवश्यकता है । वन्यजीवन की संरक्षण , बिजली और पानी के सही उपयोग , और विकासी योजनाओं की पर्याप्त पर्यावरणीय प्रतिबद्धता हमारे लिए आवश्यक हैं । हम सभी को इस बड़े परिवर्तन में अपना योगदान देना होगा और सुरक्षित पर्यावरण का आनंद उठाने के लिए एकजुट होना होगा ।
200 Words - 250 Words
पर्यावरण सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों, जीवजंतुओं, और मानव समृद्धि की रक्षा करता है। पर्यावरण हमारे जीवन के लिए अनमोल है और उसकी रक्षा हमारा कर्तव्य है। हालांकि, आधुनिक जीवनशैली, विकास, और औद्योगिकी के कारण पर्यावरण को कई तरीकों से नुकसान पहुंचा रहा है।
वन्यजीवन का नष्ट होना, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, और जमीन का अतिक्रमण कुछ मुख्य पर्यावरण समस्याएं हैं। इन समस्याओं का समाधान न केवल सरकारी तंत्रों द्वारा बल्कि हर व्यक्ति के सहयोग से किया जा सकता है।
पर्यावरण सुरक्षा के लिए हमें अपने उत्पादन और उपभोग के तरीकों में सुधार करने की आवश्यकता है। हमें बचाते और पुनर्चक्रण की अधिक प्रवृत्ति करनी चाहिए। विद्युत् ऊर्जा और पेयजल के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए और अनावश्यक उपभोग से बचना चाहिए। वन्यजीवन को संरक्षित करने और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करने का ध्यान रखना भी जरूरी है।
वैश्विक स्तर पर, हमें संगठित रूप से सहयोग करके पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। विभिन्न देशों को आपसी समझदारी से परस्पर सहायता करनी चाहिए।
इस प्रकार, हम सभी को साथ मिलकर पर्यावरण सुरक्षा के लिए संघर्ष करना होगा। हमारे छोटे-छोटे कदम भी बड़े परिवर्तन का हिस्सा बन सकते हैं और एक स्वच्छ और हरित पर्यावरण के निर्माण में सहायक साबित हो सकते हैं।
पर्यावरण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसका हमारे स्वास्थ्य, समृद्धि, और समस्त प्राकृतिक जीवन के साथ सीधा संबंध होता है। यह हमें ऊर्जा, खान-पान, और विभिन्न अन्य जीवन जरूरियतों के रूप में सबकुछ प्रदान करता है। यहां तक कि प्राचीन समय से ही मनुष्य ने पर्यावरण की संरक्षण की जिम्मेदारी को समझा और विभिन्न तरीकों से इसे सुरक्षित रखने का प्रयास किया है। हालांकि, आधुनिक जीवनशैली, विकास, और तकनीकी प्रगति के साथ, मानव ने पर्यावरण को अधिक भयंकर रूप में प्रभावित किया है और इससे उसकी सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। इसलिए, पर्यावरण की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी है जिसका समाधान हमें जल्द से जल्द ढूंढना होगा।
प्राकृतिक आपदाएं, जैसे भूकंप, बाढ़, तूफ़ान, और जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हैं। इनके प्रभाव से लाखों लोग घातक रूप से प्रभावित होते हैं और अपनी जान गंवा देते हैं। भूकंपों के कारण भूमि के तहस-नहस हो जाने से इमारतें ढह जाती हैं, बाढ़ और तूफ़ान से फ़सलों का नुकसान होता है और जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर घटते जा रहे हैं और समुद्र तटों के स्तर में बढ़ोतरी हो रही है। ये सभी पर्यावरण के खिलाफ असर के उदाहरण हैं जिनसे हमें समझना चाहिए कि हमें पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की ज़रूरत है।
प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है जो पर्यावरण को हानि पहुंचाती है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, और ध्वनि प्रदूषण जैसे रूपों में अपना प्रभाव दिखाता है। वायु प्रदूषण के कारण वायुमंडल की गर्मी बढ़ जाती है जिससे जलवायु परिवर्तन होता है और मौसम की परिवर्तनशीलता बढ़ती है।
जल प्रदूषण के कारण जल की गुणवत्ता खराब होती है और इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। ध्वनि प्रदूषण बड़े शहरों में अधिक होता है जो हमारे कानों को भी प्रभावित करता है। इससे सभी प्राकृतिक प्रक्रियाओं पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है, जैसे कि वृक्षारोपण, पानी के संचयन, और जलवायु नियंत्रण। वनों की कटाई और वृक्षारोपण की कमी से हमारे प्राकृतिक पर्यावरण के संतुलन में बदलाव होता है और जलवायु को प्रभावित करने के लिए उसके नियंत्रण को भी खतरा पड़ता है।
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकारों, संगठनों, और व्यक्तियों के सहयोग की ज़रूरत है। सरकारों को सख्त नियमों और कानूनों के रूप में पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाने चाहिए और इनके पालन का प्रतिबंधी तरीके से सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही, संगठनों को अपने कामकाज में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए, उन्हें सुस्ताई नहीं करनी चाहिए और पर्यावरण के साथ जिम्मेदारी उठानी चाहिए।
व्यक्तियों को भी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझना चाहिए और उन्हें अपने स्तर पर छोटे-मोटे कदम उठाने की ज़रूरत है। वृक्षारोपण, वन्यजीवन का समर्थन, और जल संचयन जैसे छोटे-मोटे कदम हमारे पर्यावरण की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।
इसके अलावा, पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा करना भी आवश्यक है। लोगों को पर्यावरण की समस्याओं के बारे में शिक्षित करना चाहिए और उन्हें इससे जुड़े समाधानों के बारे में बताना चाहिए। शिक्षा के माध्यम से जागरूकता फैलाने से लोग स्वयं भी सक्रिय रूप से पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान करते हैं और दूसरों को भी जागरूक करते हैं।
समाप्ति में, पर्यावरण की सुरक्षा हम सभी की ज़िम्मेदारी है। हमारा कर्तव्य है कि हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाएं और आने वाले पीढ़ियों को एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण छोड़ें। हमें अपने आसपास के पर्यावरण का ध्यान रखना होगा, संवेदनशीलता से समझना होगा और उसे सुरकषित रखने के लिए सामाजिक एवं आर्थिक रूप से समर्थ उपाय अपनाने होंगे।
हमें पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन का एक मूल्यांकन बनाना होगा और इसे व्यक्तिगत, परिवारिक, सामाजिक, और राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता देनी होगी।
सरकारों को विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी को गहराई से समझना होगा। पर्यावरण के संरक्षण के लिए सशक्त नीतियों और क़ानूनों को बनाएंगे और उन्हें नियमित रूप से जांचने और पालन करने का सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही, संगठनों को अपने उत्पादन और प्रोसेस को पर्यावरण के साथ समन्वयित करने के लिए उत्साहित करना होगा। पर्यावरण के साथ संरक्षण करने वाले संगठनों को इन्सेंटिव और प्रोत्साहन भी मिलना चाहिए ताकि वे इस मामले में और सक्रिय बन सकें।
Select Category
Categories/श्रेणियाँ
- 10 पंक्ति 10
- 10 Lines in Hindi 10
- 100 Words 122
- 1000 Words 32
- 150 Words 103
- 250 Words 122
- 300 Words 55
- 400 words 26
- 500 words 108
- त्योहारों पर निबंध 10
- विज्ञान 1
- Animals/जानवर 7
- Bank Application In Hindi / बैंक एप्लीकेशन हिंदी 2
- essay in hindi for class 10 16
- essay in hindi for class 9 16
- Festival Essay In Hindi 11
- freedom fighter essay in hindi 14
- Freedom Fighters 11
- Hindi Poems | Hindi Kavita | कविता 4
निबंध के लिए अनुरोध
निबंध के लिए अनुरोध करने के लिए कृपया संपर्क फ़ॉर्म पर जाएं
Social Plugin
Check english essay's here.
- Essay In English
Popular Posts
महंगाई पर निबंध | Mehangai Par Nibandh | 200-500 Words
नारी शिक्षा पर निबंध | Nari Shiksha Par Nibandh 100-500 Words
त्योहारों के महत्व निबंध | Importance of Festivals Hindi Essay
देश प्रेम | Desh Prem Par Nibandh | 200 words- 250 words
ग्रीष्म ऋतु निबंध | Summer Season Essay In Hindi 500 words
Menu footer widget.
- Privacy Policy
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100, 200, 300, 500 और 1000 शब्दों में | Essay on Pollution in Hindi
आज हम पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लेकर आये हैं। यह प्रदूषण पर निबंध बहुत ही सरल शब्दों में लिखा गया है। अक्सर स्कूल, कॉलेज में विद्यार्थियों को प्रश्न पूछे जाते हैं: पर्यावरण प्रदूषण के बारे में हिंदी में लिखिए, Write essay on pollution in Hindi, पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्द में लिखिए आदि। निचे दिए गये निबंध को हमने 100, 200, 300 शब्द, 500 words और 1000 शब्दों में लिखा है जिसे class 5,6,8, या क्लास 10, class 12 आदि का कोई भी विद्यार्थी लिख सकता है।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में
प्रकृति में फैलने वाली गंदगियाँ ही प्रदूषण का कारण बनती हैं। जब ये गंदगियाँ और अशुद्धियाँ पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं तो उसे ही पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। हमारे पर्यावरण में अलग-अलग तरह से प्रदूषण हो सकते हैं जैसे: वायु, जल, ध्वनी, मृदा प्रदूषण आदि।
प्रदूषण से हवा, पानी, मौसम चक्र और जलवायु खराब होते हैं जिससे हमारे स्वास्थ्य को बहुत नुकसान होता है और हम रोगों के शिकार हो जाते हैं। प्रदूषण फैलने के कई कारण हैं जैसे: पेड़ों की कटाई, औद्योगीकरण, रसायनों का प्रयोग आदि।
ज्यादातर हम इंसानों की वजह से ही पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण रोकना हम इंसानों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा ताकि हम ऐसी कोई भी गतिविधि न करें जिससे प्रदूषण फैले और प्रकृति को नुकसान हो।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में
आज के समय में मनुष्य आधुनिकता की ओर लगातार बढ़ रहा है और इसी होड़ में हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मानव अपनी सुख-सुविधाओं को पूरा करने के लिए लगातार ऐसी गतिविधियाँ कर रहा है जिससे पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। प्रदूषण प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रही हैं और इससे भविष्य में भयानक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
प्रदूषण के प्रकार
प्रदूषण कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे:
वायु प्रदूषण: वातावरण में उपस्थित वायु को दूषित करना वायु प्रदूषण कहलाता है। जहरीली गैस और धुआं हवा में मिल जाती है और वायु प्रदूषण को जन्म देती है। प्रदूषित वातावरण में सांस लेने से गंभीर बीमारियाँ होती हैं।
जल प्रदूषण: जल में गंदगियाँ फैलाने जल प्रदूषण होता है। कल-कारखानों से निकली गंदगियाँ जल स्त्रोत में बहा दिए जाते हैं परिणामस्वरूप पानी उपयोग के लिए हानिकारक हो जाता है।
भूमि/मृदा प्रदूषण: खेती में खतरनाक रसायनों का लगातार उपयोग, प्लास्टिक और अजैविक कचरे से मिट्टी या भूमि प्रदूषण होता है। इन सभी की वजह से मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है।
प्रदूषण रोकने के उपाय
- पेड़ कटाई पर लगाम लगानी चाहिए और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।
- कल-कारखानों से निकलने वाले हानिकारक अपशिष्टों को नष्ट करना चाहिए।
- हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
- रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए
- पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की जगह विद्युत से चलने वाले वाहनों को प्राथिमिकता देनी चाहिए।
- निजी वाहनों के बजाए ज्यादा-से-ज्यादा सार्वजानिक परिवहनों का उपयोग करना चाहिए।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – 300 शब्द
विज्ञान के क्षेत्र में आज हम बहुत ही तेजी से तरक्की कर रहे हैं, आधुनिक विज्ञान ने जहाँ हमारी जीवनशैली को सुविधाओं से युक्त बना दिया है वहीं इससे हमें पर्यावरण प्रदूषण जैसा भयानक अभिशाप भी मिला है। आज पेड़ों की कटाई, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, खतरनाक रसायनो के उपयोग ने प्रकृति में असंतुलन पैदा कर दिया है। समय रहते इस ओर यदि ध्यान न दिया गया तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण
- जनसँख्या वृद्धि: पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण हम इंसान है जो अपनी सुविधाओं के लिए प्रदूषण फैलाते रहते हैं। मनुष्य की बढती जनसंख्या और उनके जीवनयापन, सुख-सुविधाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन पर्यावरण प्रदूषण को कई गुना बढ़ा रहा है।
- औद्योगीकरण: बड़े उद्योग, कल-कारखाने अपशिष्ट पदार्थों को पानी में और हवा में जहरीली गैस छोड़ते हैं। पर्यावरण प्रदूषण के लिए औद्योगीकरण एक बहुत बड़ा कारण है।
- आधुनिकीकरण: आधुनिक सुख-सुविधाओं ने हमें अँधा बना दिया है हम अप्राकृतिक चीजों का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। मोटर-वाहन, एसी, फ्रिज, प्लास्टिक, केमिकल युक्त पदार्थ आदि के उपयोग से लगातार प्रदूषण फ़ैल रहा है।
- रसायनों का प्रयोग: अधिक मुनाफा कमाने के लालच में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग बढ़ रहा है जिससे मिट्टी प्रदूषित होकर अनउपजाऊ हो रही है।
पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव
पर्यावरण प्रदूषण का परिणाम बेहद खतरनाक है इससे लगातार वातावरण का तापमान बढ़ रहा है, जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं, मौसम का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण की वजह से हम इंसानों के सेहत पर भी असर पड़ रहा है अलग-अलग प्रकार के रोग पैदा हो रहे हैं। प्रदूषण से मनुष्य, पशु-पक्षी और प्रकृति को बहुत नुकसान हो रहा है।
पर्यावरण प्रदूषण निबंध – 500 शब्द (Essay on Pollution in Hindi)
आज के समय में प्रदूषण एक गंभीर विषय है। प्रदूषण से प्रकृति को भारी नुकसान हो रहा है इसका रोकथाम बहुत ही जरुरी है। कई बार हमें यह प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नही देते उदाहरण के लिए, आप हवा में मौजूद प्राकृतिक गैसों (ऑक्सीजन, कार्बन-डाइऑक्साइड) को देखने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, हालांकि वे अभी भी मौजूद हैं। धीरे-धीरे वातावरण में प्रदूषक जो हवा को मार रहे हैं और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को बढ़ा रहे हैं, वे मनुष्यों और पूरी धरती के लिए बहुत ही घातक हैं। प्रदूषण रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाने की जरूरत है अन्यथा इसके भयानक दुष्परिणाम हो सकते हैं।
पर्यावरण प्रदूषण के कारक
प्रदूषण एक धीमा जहर है जो हमारे पर्यावरण और हमारे जीवन को दिन-ब-दिन नष्ट करता रहता है, इसे मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है: वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण।
वायु प्रदूषण वाहनों, कारखानों से निकलने वाले धुएं, उड़ती धूल आदि के कारण होता है।
ध्वनि प्रदूषण वाहनों के हॉर्न, मशीनों के चलने और अन्य ध्वनि उत्पन्न करने वाली वस्तुओं के कारण होता है।
जल प्रदूषण कारखानों के अपशिष्ट पदार्थ और प्लास्टिक के कचरे और अन्य चीजों को नदियों और तालाबों में डालने से होता है।
प्रदूषण के रोकथाम के उपाय
- वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक मात्रा में पेड़-पौधे लगाने चाहिए, साथ ही जहां पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही हो, वहां इन्हें रोका जाना चाहिए। वायु प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग व्यवसायों को नई तकनीक अपनानी चाहिए जिससे प्रदूषण कम हो।
- जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें स्वच्छता पर अधिक ध्यान देना होगा। हम नदियों और तालाबों में कचरा फेंकते हैं, जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार फैक्ट्रियां बंद होनी चाहिए।
- ध्वनि प्रदूषण ज्यादातर मनुष्य द्वारा ही किया जाता है, इसलिए यदि हम स्वयं हॉर्न का उपयोग बंद कर दें और यदि हम नियमित रूप से मशीनों की देखभाल करते हैं, तो वे कोई ध्वनि उत्पन्न नहीं करेंगे और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी।
- वाहनों और मशीनों का रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण है यदि उनका रखरखाव नहीं किया जाता है, तो वे बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।
- यदि हम एक ही कार्यालय में जाते हैं तो हम सार्वजनिक वाहनों का उपयोग कर सकते हैं या कार साझा करने से ईंधन की बचत होगी और वायु प्रदूषण कम होगा।
- हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना है, सरकार भी प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा रही है, लेकिन प्लास्टिक का उपयोग तब तक बढ़ता रहेगा जब तक हम जागरूक नहीं हो जाते।
जिस तरह से हमारी धरती पर प्रदूषण बढ़ रहा है, आने वाले कुछ सालों में यह विनाश का रूप ले लेगा, अगर जल्द ही प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ सख्त नियम नहीं बनाए गए तो हमारी धरती का पूरा पर्यावरण खराब हो जाएगा और हमारा जीवन बर्बाद हो जाएगा।
अगर हमें प्रदूषण कम करना है तो सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा और लोगों को प्रदूषण से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना होगा। अगर हमें प्रदूषण कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे और लोगों को भी पेड़ लगाने के प्रति जागरूक करना होगा तभी हम एक अच्छे भविष्य की कामना कर सकते हैं।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 1000 शब्दों में
जहां एक ओर आज मानव प्रगति कर रहा है और संसार काफी आधुनिक हो गया है। वहीं दूसरी ओर लगातार पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। यह पृथ्वी और पर्यावरण हम सबके लिए बहुत ज्यादा कीमती है इसलिए हम सब का यह कर्तव्य हो जाता है कि हम इनकी रक्षा करें।
तो ऐसे में सवाल यह है कि आखिर पर्यावरण प्रदूषण क्यों होता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें अपने आसपास होने वाली गतिविधियों को देखना होगा। इस तरह से हम पर्यावरण प्रदूषण को अच्छे से समझ सकते हैं और प्रकृति की रक्षा भी कर सकते हैं। अगर आप इसके बारे में सारी जानकारी जानना चाहते हैं तो पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। इस पोस्ट में हम आपको सारी जरूरी बातों की जानकारी देंगे।
पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है ?
सबसे पहले हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि पर्यावरण प्रदूषण का मतलब होता है जब मनुष्य द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों से दूषित चीजें पर्यावरण में जाकर मिल जाती हैं। इसकी वजह से हर व्यक्ति की दिनचर्या काफी हद तक प्रभावित होती है और उसे उसके कार्य करने में बाधा होती है।
लेकिन पर्यावरण प्रदूषण को फैलाने के जिम्मेदार मनुष्य ही होते हैं जो कि हर दिन ऐसे बहुत सारे काम करते हैं जिससे कि प्रदूषक तत्व वातावरण में फैल जाते हैं। इस प्रकार से प्रदूषण की वजह से अनेकों बीमारियां भी जन्म लेने लगती हैं और हर व्यक्ति का जीवन इससे काफी अधिक प्रभावित होता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते प्रदूषण को रोकने का काम किया जाए जिससे कि सभी स्वस्थ जीवन जी सकें।
पर्यावरण प्रदूषण फैलने के मुख्य कारण
प्रकृति ने मनुष्य को बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन दिए हैं लेकिन अपने स्वार्थी स्वभाव के कारण वह उन्हें नष्ट करते जा रहे हैं। कोई भी व्यक्ति इस बात को नहीं समझना चाहता कि अगर यह पूरा पर्यावरण ही प्रदूषित हो गया तो ऐसे में भविष्य में जो पीढ़ियां आएंगीं उनके स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से बुरा प्रभाव पड़ेगा।
इस प्रकार से एक दिन ऐसा भी आ जाएगा जब इस संसार में जीवित रहने के लिए पृथ्वी पर कोई भी प्राकृतिक संसाधन नहीं रहेगा। इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि पर्यावरण प्रदूषण के जो भी मुख्य कारण हैं उन्हें जानकर उन्हें दूर करने की कोशिश की जाए। पर्यावरण प्रदूषण के कुछ सबसे प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं –
- लोगों द्वारा वाहन का बहुत ज्यादा प्रयोग करने से
- हर जगह औद्योगिक गतिविधियों में तीव्रता होने से
- जनसंख्या के बढ़ने की वजह से
- कल-कारखानों और कृषि अपशिष्टों के कारण से
- शहरीकरण और औद्योगीकरण में तेजी की वजह से
- हद से ज्यादा वैज्ञानिक साधनों का इस्तेमाल करने से
- पेड़ों को अंधाधुंध काटने से और घनी आबादी वाले इलाकों में हरियाली ना होने की वजह से
- सड़कों और बांधों का निर्माण करने से
- खनिज पदार्थों के अत्यधिक दोहन की वजह से
पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार
वैसे तो पर्यावरण प्रदूषण के बहुत सारे प्रकार हैं जिनकी वजह से हमारा वातावरण काफी अधिक नकारात्मक हो गया है। लेकिन इसके जो मुख्य प्रकार हैं उनके बारे में जानकारी इस तरह से है –
वायु प्रदूषण
हर व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए स्वच्छ वायु की आवश्यकता होती है। इतना ही नहीं पृथ्वी पर जितने भी पेड़ पौधे और जानवर हैं उनके लिए भी हवा बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन सांस लेने के लिए बहुत जरूरी होती है। लेकिन लोग अब अपनी भौतिक जरूरतों की पूर्ति करने के लिए वायुमंडल में मौजूद सभी गैसों के बैलेंस को खत्म करने में लगे हुए हैं। विशेषतौर से शहरों की हवा तो बहुत ही ज्यादा जहरीली और घुटन वाली होती जा रही है। वायु प्रदूषण के पीछे सबसे प्रमुख घटक है वाहनों से निकलने वाला धुआं, फैक्ट्रियों का धुआं, जीवाश्म ईंधन को जलाना इत्यादि।
जल प्रदूषण
वैसे तो हर कोई कहता है कि जल हमारा जीवन है लेकिन फिर भी आज मानव उसे प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। हर कोई जानता है कि पानी के बिना कोई भी जीव जिंदा रहने की सोच भी नहीं सकता फिर चाहे वह मनुष्य हो, पशु पक्षी हो या फिर पेड़ पौधे। जितने भी पानी के प्राकृतिक सोर्स हैं उनमें प्रदूषक तत्व जैसे खनिज, अपशिष्ट पदार्थ, गैस, कचरा आदि मिल जाते हैं। ऐसे में जल पीने योग्य नहीं रह जाता क्योंकि उसमें गंदगी की वजह से वायरस पैदा हो जाते हैं। ऐसे में अगर कोई भी दूषित जल को पी लेता है तो वह उसके लिए काफी हानिकारक होता है।
ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण भी पर्यावरण को प्रदूषित करने में काफी हद तक जिम्मेदार है। हद से ज्यादा शोर किसी को भी पसंद नहीं होता लेकिन कई बार बहुत से लोग अपने मनोरंजन के लिए इस बात की परवाह नहीं करते कि कोई दूसरा व्यक्ति इससे परेशान हो सकता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि हद से ज्यादा तेज आवाज व्यक्ति की सुनने की क्षमता को धीरे-धीरे बहुत ज्यादा कम कर देता है। इतना ही नहीं एक समय ऐसा भी आता है जब व्यक्ति की सुनने की शक्ति पूरी तरह से खत्म हो जाती है। शोर की वजह से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर तो कोई बुरा असर नहीं होता लेकिन तेज आवाज सहन कर पाना अत्यधिक मुश्किल होता है। ध्वनि प्रदूषण की वजह से इंसान किसी भी काम पर फोकस नहीं कर पाता और बहुत से कामों में उसे असफलता का मुंह देखना पड़ता है।
पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के उपाय
जिस प्रकार से पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने का कार्य मनुष्य कर रहे हैं तो पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए भी इंसान को ही आगे आना होगा। यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास किए जाएं। पर्यावरण प्रदूषण इस समस्या को कम करने के कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं जैसे कि –
- पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोक देना चाहिए। इसके अलावा अपने आसपास वृक्ष जरूर लगाएं
- पर्यावरण प्रदूषण को लेकर युवाओं में जागरूकता फैलानी चाहिए।
- अपने आसपास गंदगी और कूड़े के ढेर को इकट्ठा ना होने दें।
- पेट्रोलियम के साथ-साथ कोयला जैसे उत्पादों का भी इस्तेमाल कम से कम करें।
- कारखाने शहर से दूर बनाएं जाने चाहिएं जिससे कि उनमें से निकलने वाला धुआं वायु में घुल कर लोगों में बीमारी ना फैला सके।
- यातायात के लिए ऐसे वाहनों का इस्तेमाल करना चाहिए जो कम धुआं छोड़ते हों।
- नदियों में कचरा ना फेंके।
- जितना ज्यादा हो सके कपड़े और जूट के बने हुए थेलों का इस्तेमाल करें और प्लास्टिक बैगों को ना कहें।
निष्कर्ष
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के इस लेख में हमने आपको बताया कि पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है और इससे जुड़ी दूसरी जरूरी बातें भी बताईं। इसमें कोई शक नहीं कि लोगों में जागरूकता फैला कर हम अपने पर्यावरण को काफी हद तक स्वच्छ बना सकते हैं। इसके लिए केवल एक व्यक्ति को नहीं बल्कि हर इंसान को प्रयास करना होगा। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई सारी बातों की जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
प्रदूषण पर निबंध :
- गंदगी मुक्त मेरा गांव पर निबंध
- Essay on Summer Season in Hindi
- परोपकार का महत्व पर निबंध
हमें उम्मीद है की प्रदूषण पर लिखा गया यह निबंध (Essay on Pollution in Hindi) आपके काम आएगा। आपको यह निबंध कैसा लगा हमें कमेंट करके जरुर बताएं।
Related Posts
महात्मा गांधी निबंध 10 लाइन [वाक्य] – 10 Lines About Mahatma Gandhi in Hindi
ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध | Global Warming Essay in Hindi
केले पर वाक्य [निबंध] – 10 Lines on Banana in Hindi
Leave a reply cancel reply.
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
Drishti IAS Paryavaran And Paristhitiki पर्यावरण और पारिस्थितिकी Book in Hindi PDF
अनुक्रम (Contents)
Drishti IAS Paryavaran And Paristhitiki पर्यावरण और पारिस्थितिकी Book in Hindi PDF- हेलो दोस्तों जैसा कि आप सभी लोग जानते ही होंगे कि currentshub.com एकमात्र ऐसी वेबसाइट है जहां पर नौकरी और तैयारी से संबंधित सभी कुछ बहुत ही सरलतम तरीके से उपलब्ध है उसी तरह आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको Drishti IAS Paryavaran And Paristhitiki पर्यावरण और पारिस्थितिकी Book in Hindi PDF For UPSC State PSC and UGC NET को उपलब्ध कराऐंगे ! जो कि आपको UPSC , MPPSC , UPPSC , RAS and NET व अन्य सभी तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये बहुत उपयोगी सिद्द होंगी !
Paryavaran And Paristhitiki Topics in hindi
पर्यावरण के घटक
जीव एवं बायोम
पारिस्थितिकी एवं पारिस्थितिकी तंत्र
पारिस्थितिकी तंत्र के प्रकार
परिस्थितिकी तंत्र के पदार्थों का संरक्षण
पर्यावरणीय अनुकूलन
पर्यावरण प्रदूषण
पर्यावरण प्रभाव आकलन
भारत में पर्यावरण संरक्षण
जैव विविधता
भारत में जैव विविधता
जलवायु परिवर्तन
सतत विकास इत्यादि
Click Here To Download पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी Drishti IAS PDF Notes
मुगल साम्राज्य का पतन|मुगल साम्राज्य के पतन के कारण
प्रमुख जनजातीय विद्रोह
द्वितीय विश्व युद्ध क्यों हुआ था, इसके कारण व परिणाम प्र
थम विश्व युद्ध के कारण, परिणाम, युद्ध का प्रभाव, प्रथम विश्व युद्ध और भारत
पुनर्जागरण का अर्थ और पुनर्जागरण के कारण
1917 की रूसी क्रांति
अमेरिकी क्रांति के कारण
पुनर्जागरण काल प्रश्नोत्तरी
- मध्यकालीन भारत का इतिहास PDF में डाउनलोड करें प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए
- History of Modern India Handwritten Notes in Hindi by Raj Holkar
- चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास व जीवनी Chandragupta Maurya History in Hindi
- भारत का आर्थिक इतिहास(Economic History of India)सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं-पूरी जानकारी-प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए
- SBI Clerk Syllabus 2020 & Previous Year Question Papers PDF (2009-2019)
- Puja Samanya Hindi pdf (With Short Tricks) For All Competitive Exams PDF
- उपनिवेशों में प्रबोधन का प्रसार (Spread of Enlightenment in the colonies)
- द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध(Second Anglo-Maratha War) 1803-1806 ई.
- बाढ़ आपदा प्रबंधन-भारत में बाढ़-नियंत्रण हेतु किये गये उपाय
- Drishti IAS Geography(भूगोल) Printed Notes -Hindi Medium
- Drishti ( दृष्टि ) History Notes Free Download in Hindi
- भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था By Drishti ( दृष्टि ) Free Download In Hindi
दोस्तों Currentshub.com के माध्यम से आप सभी प्रतियोगी छात्र नित्य दिन Current Affairs Magazine, GK/GS Study Material और नए Sarkari Naukri की Syllabus की जानकारी आप इस Website से प्राप्त कर सकते है. आप सभी छात्रों से हमारी गुजारिश है की आप Daily Visit करे ताकि आप अपने आगामी Sarkari Exam की तैयारी और सरल तरीके से कर सके.
दोस्तों अगर आपको किसी भी प्रकार का सवाल है या ebook की आपको आवश्यकता है तो आप निचे comment कर सकते है. आपको किसी परीक्षा की जानकारी चाहिए या किसी भी प्रकार का हेल्प चाहिए तो आप comment कर सकते है. हमारा post अगर आपको पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ share करे और उनकी सहायता करे.
You May Also Like This
- ग्यासुद्दीन तुगलक: 1320-1325 ई. Ghyasuddin Tughlaq 1320-1325 AD.
- Magbook Indian History 2020 By Arihant Publication Pdf Download
- UPTET All Previous Papers and UPTET Study Material 2020
- रक्त की संरचना Structure of Blood in Hindi for Competitive Exam
- सम्पूर्ण राजस्थान इतिहास – Rajasthan History Notes in Hindi PDF Download
- Current Affairs Notes pdf by BY Drsthi Clear Vision PDF Download
- ईसाई धर्म का इतिहास, तथ्य, जानकारी | Christianity History in Hindi
- Annual Current Affairs 2019 Compilation pdf by Disha Publication
- HWB Stipendary Trainee Previous Year Question Papers & Model Papers PDF
- OP Tandon Organic Chemistry for Neet | Free PDF Download
- लोक प्रशासन : अर्थ और परिभाषा-लोक प्रशासन और नवीन लोकप्रशासन की समझ
- GK Hindi 2019-20 | सामान्य ज्ञान 2019-20 for SSC, Railway
- Natasa Stankovic Weight, Age, Boyfriend, Biography, Family and photos
- EBalbharati Homepage : Download Practice Question Paper & Book PDF
- Air Hostess: 12वीं के बाद ऐसे बने एयर होस्टेस, जानिए कोर्स, फीस और ट्रेनिंग के बारे में
अगर आप इसको शेयर करना चाहते हैं |आप इसे Facebook, WhatsApp पर शेयर कर सकते हैं | दोस्तों आपको हम 100 % सिलेक्शन की जानकारी प्रतिदिन देते रहेंगे | और नौकरी से जुड़ी विभिन्न परीक्षाओं की नोट्स प्रोवाइड कराते रहेंगे |
Disclaimer : currentshub.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है ,तथा इस पर Books/Notes/PDF/and All Material का मालिक नही है, न ही बनाया न ही स्कैन किया है |हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है| यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- [email protected]
You may also like
Upsc Prelims General Studies Paper – 1 : Civil...
भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं। Bharatiya...
Fine Art in Hindi [ Bhartiya Kala Ek Parichay ] PDF...
Adhunik Bharat ka Itihas Book by Vijay Ved sir pdf In...
Akshansh aur Deshantar Rekha in Hindi-अक्षांश एवं...
Tusharanshu Sharma Sociology Notes Free Download
About the author.
shubham yadav
इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..
Leave a Comment X
Essay on Paryavaran Bachao in Hindi: पर्यावरण बचाओ पर निबंध
अगर आप भी Essay on Paryavaran bachao in Hindi के लिए सबसे Best Essay on Paryavaran bachao की तलाश कर रहे हैं, तो आप बिल्कुल सही वेबसाइट essayduniya.com आए हैं। क्योंकि आज इस आर्टिकल में हम छात्रों और छोटे बच्चों के लिए Essay on Paryavaran bachao in Hindi pdf , पर्यावरण बचाओ पर निबंध लेकर आए हैं।
Essay on Paryavaran bachao in Hindi
हम अपनी वेबसाइट पर पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Essay on Save Environment ) उपलब्ध करा रहे हैं। यह निबंध कक्षा 4,5,6,7, 8, 9, 10, 11 और 12 तक के बच्चों के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है। यदि आप भी अपने स्कूल में पर्यावरण बचाओ पर निबंध लिख रहे हैं या निबंध प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं, तो यह निबंध आपके लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। इसलिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए।
Short Essay on Paryavarn Bachao 100 Words
जैसे-जैसे देश दुनियां में आबादी का स्तर बढ़ते जा रहा है, वैसे-वैसे प्रकृति में काफी सारे बदलाव होते जा रहे हैं। हम जिस भूमि पर रहते हैं, वहां मानव जाति की गलतियों के कारण काफी सारी परेशानियां उत्पन्न हो चुकी हैं। जैसे कि ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, भूकंप, प्रदूषण इत्यादि। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का मुख्य कारण प्रदूषण है। प्रदूषण से ही पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है।
अब समय आ गया है, कि हम सभी लोगों को एक साथ मिलकर पर्यावरण को बचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए, और पर्यावरण की रक्षा के लिए एक कदम आगे बढ़ाने चाहिए। यदि समय रहते हमने पर्यावरण को नहीं बचाया, तो आगे हमारा जीवन खतरे में पड़ सकता है। हम प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पेड़ों की कटाई, धुंआ छोड़ने वाले वाहनों का प्रयोग कम करने के साथ, वृक्षारोपण कर सकते हैं।
संयुक्त परिवार पर निबंध मेरे स्कूल पर निबंध समय का सदुपयोग पर निबंध
दशहरा पर निबंध
प्रदूषण पर निबंध
वर्षा ऋतु पर निबंध
Essay on Paryavaran Bachao in Hindi 200 Words
मानव जाति का सीधा संबंध पर्यावरण और प्रकृति से है। यदि प्रकृति में किसी प्रकार का कोई बदलाव आता है, तो उसका सीधा असर मानव पर पड़ता है। वर्तमान में प्रकृति की स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है। दिन-प्रतिदिन ऐसी कई सारी घटनाएं घट रही है, जिससे प्रकृति को भारी नुकसान हो रहा है। मानव जाति द्वारा अपने विकास के लिए अंधाधुन प्रकृति का शोषण किया जा रहा है। मानव द्वारा फैलाया गया प्रदूषण प्रकृति में होने वाली सभी घटनाओं का मुख्य कारण है। इंसानों ने अविष्कार करते-करते ऐसी जहरीली और घातक चीजों का आविष्कार कर दिया है, जो न केवल उनके लिए बल्कि पर्यावरण और प्रकृति के लिए भी नुकसानदायक साबित हो रही हैं।
सभी इंसानों को अपने विकास के साथ-साथ प्रकृति के विकास के बारे में भी सोचना चाहिए। यदि पृथ्वी पर जीवित रहना है, तो पर्यावरण को बचाए रखना ही होगा। इसके लिए हमें पर्यावरण बचाओ, पर्यावरण संरक्षण जैसे अभियानों को बढ़ावा देना चाहिए। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण मनुष्य अपने विकास के लिए दिन-प्रतिदिन वनों की कटाई करता जा रहा है, बड़े-बड़े कारखाने और बिल्डिंग बनाता जा रहा है। ऐसा करना इंसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकता है, लेकिन प्रकृति के लिए कभी नहीं।
आज मानव जाति ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, बाढ़, चक्रवात जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जो की सब प्रदूषण के ही देन है। हम सभी लोगों को अब पर्यावरण को बचाने की ओर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए हम कुछ प्रभावशाली कदम जैसे वनों की कटाई पर प्रतिबंध, वृक्षारोपण, संसाधनों का सीमित उपयोग एवम केमिकल की जगह ऑर्गेनिक वस्तुओं के उपयोग को बढ़ा सकते हैं। मानव जाति को अपनी और पर्यावरण की बेहतरी के लिए अपने विकास के साथ-साथ पर्यावरण और प्रकृति के विकास के लिए भी कार्य करना चाहिए।
Paryavaran Bachao Essay in Hindi 300 Words
पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवित प्राणियों के लिए पर्यावरण अति आवश्यक है। पर्यावरण से ही जीवित प्राणियों को जीवित रहने के लिए सभी महत्वपूर्ण चीज प्राप्त होती हैं। एक इंसान को पृथ्वी पर जीवन यापन करने के लिए जिन महत्वपूर्ण चीजों की जैसे ऑक्सीजन, जल, भोजन की आवश्यकता होती है। वे सब प्रकृति से ही प्राप्त होती हैं। यदि पृथ्वी पर मौजूद वातावरण और पर्यावरण नष्ट हो जाए, तो किसी भी प्राणी का पृथ्वी पर जीवित रहना असंभव हो जायेगा। लेकिन जैसे-जैसे समय बितता जा रहा है, पर्यावरण में प्रदूषण जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही है।
प्रदूषण के कारण ही जलवायु परिवर्तन, सूखा, बाढ़, ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इंसानों द्वारा अपने फायदे के लिए बड़े पैमाने पर वनों की कटाई, कल-कारखाने, बिल्डिंग्स बनाई जा रही है, जिससे भूमि का खनन और प्रदूषण जैसी समस्याएं हो रही हैं। प्रकृति को नुकसान पहुंचाने के लिए जितने भी कारक मौजूद हैं, वह सब इंसानों की देन है। आज इंसानों द्वारा अपनी सुविधा के लिए ऐसे कई यंत्र बनाए जा रहे हैं, जिनसे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। बढ़ती हुई आबादी के साथ-साथ वाहनों की संख्या भी काफी ज्यादा बढ़ती जा रही है। जीवाश्म इंधनों पर चलने वाले इन वाहनों से काफी दूषित धुआं निकलता है, जो पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को बढ़ाता है।
यह कार्बन डाइऑक्साइड गैस न केवल इंसानों के लिए बल्कि पेड़-पौधों और पशुओं के लिए भी काफी नुकसानदायक साबित होती है। इस तरह की अन्य गैस से वातावरण का तापमान बढ़ रहा है, जिससे धरती की सबसे ऊपरी सतह की परत ओजोन लेयर में छेद हो गया है। पर्यावरण को होने वाले नुकसान से जितने भी समस्याएं उत्पन्न हुई है, उन सभी से इंसानों को काफी ज्यादा नुकसान हो रहा है। कुछ इंसानों को अपनी गलती का एहसास हो गया है, इसलिए वे पर्यावरण बचाओ का कार्य कर रहे हैं। पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल विश्व स्तर पर पर्यावरण दिवस भी मनाया जाता है, जिसमें लोगों को पर्यावरण बचाने के लिए प्रेरित किया जाता है।
Essay on Save Environment in Hindi 500 Words
प्रदूषण एक ऐसी जटिल समस्या बन चुका है, जिसका समाधान यदि समय रहते नहीं निकल गया तो, यह हमारे पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है। हम इंसान अनजाने में इतना प्रदूषण फैला रहे हैं, जिसका वास्तव में कोई हिसाब नहीं है। हमारे द्वारा फैलाया जा रहा प्रदूषण ना तो प्रकृति के लिए लाभदायक है, और ना ही हमारे लिए। जब-जब प्रकृति में किसी तरह के बदलाव आएंगे, उसका सीधा असर इंसानी जीवन पर भी पड़ेगा।
प्रदूषण एकमात्र ऐसा कारण है, जिसकी वजह से सभी तरह की प्राकृतिक समस्याएं उत्पन्न हो रही है। प्रदूषण के कारण न केवल इंसानों का जीवन, बल्कि पृथ्वी पर मौजूद जीव-जंतु, पेड़-पौधे ,पशु-पक्षी सब का जीवन प्रभावित हो रहा है। विश्व के कई बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने रिसर्च कर यह पता लगाया है, कि पर्यावरण में काफी समस्याएं बढ़ चुकी हैं, और अब लोगों को पर्यावरण के बचाव पर ध्यान देना चाहिए।
प्रदूषण क्या है?
प्रदूषण का अर्थ होता है, दूषित करना। हम प्रतिदिन किन्हीं विशेष चीजों का इस्तेमाल करके अपनी प्रकृति और पर्यावरण को दूषित करते जा रहे हैं। सभी इंसानों द्वारा दिन-प्रतिदिन अंधाधुन संसाधनों और वाहनों का प्रयोग, लाउडस्पीकर, कारखाने में चलने वाली मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। जिससे निकालने वाला तेज धुआं, तेज ध्वनि,।गंदा पानी पर्यावरण को अलग-अलग तरह से दूषित कर रहा है। प्रदूषण मानव जाति के लिए सबसे बड़ी समस्या बन चुका है।
यदि हमें अपनी प्रकृति और अपने जीवन को बचाना है, तो प्रदूषण के सभी कारकों को खत्म कर देना चाहिए। पर्यावरण हमें प्रकृति द्वारा दिया गया एक वरदान है, जो हमारे जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण है। यदि हम सभी लोगों को इस पृथ्वी पर अपना जीवन सुरक्षित रखना है, तो हमें पर्यावरण को भी सुरक्षित रखना चाहिए।
पर्यावरण बचाने के लाभ
यह पर्यावरण न केवल हम इंसानों के लिए आवश्यक है, बल्कि धरती के जीव-जंतु, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी वनस्पति एवं सभी जीवित प्राणियों के लिए आवश्यक है। इसलिए इसे बचाना न केवल हमारे लिए लाभदायक साबित होगा, बल्कि सारे जीवित प्राणियों के लिए लाभदायक साबित होगा। पर्यावरण को बचाने के काफी सारे फायदे हैं, जैसे की सबसे पहले विश्व की जलवायु सामान्य रहेगी। अत्यधिक प्रदूषण फैलने के कारण ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं हो रही हैं।
पर्यावरण में सुधार आने से यह समस्या भी खत्म हो जाएगी। प्रदूषण के कारण न केवल हम इंसान बल्कि अन्य जीवन भी परेशान है। प्रदूषण कम होगा तो पर्यावरण में जीव-जंतुओं को जीवित रहने योग्य प्राणवायु और संसाधन प्राप्त होंगे। पर्यावरण में बढ़ते पेड़ों की संख्या से लोगों का स्वास्थ्य बेहतर होगा। यदि पर्यावरण हरा-भरा और स्वस्थ रहेगा, तो यह हमारे जीवन में से कई सारी बीमारियों और परेशानियों को खत्म कर देगा।
पर्यावरण को बचाने की आवश्यकता क्यों है?
पर्यावरण को बचाना न केवल हमारे लिए आवश्यक है, बल्कि पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवित प्राणियों के लिए इसे बचाना अति आवश्यक है। सभी इंसानों को जीवन यापन के लिए जिन भी महत्वपूर्ण चीजों की आवश्यकता होती है, वे सब हमें प्रकृति से ही प्राप्त होती हैं। प्रकृति को मानव जाति का जनक कहा जाता है। यदि प्रकृति पर किसी तरह का कोई संकट आता है, तो उसका प्रभाव प्रकृति में मौजूद सभी जीवों पर भी पड़ता है।
यदि समय रहते हम लोगों ने पर्यावरण को बचाने की ओर ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले समय में पृथ्वी से कई जीव-जंतु, पशु-पक्षी और पेड़-पौधों की जातियां विलुप्त हो जाएगी। पर्यावरण मैं मौजूद पेड़-पौधों से ही हमें शुद्ध प्राण वायु प्राप्त होती है। यदि पेड़-पौधे ही नहीं होंगे तो इंसानों का जीवित रहना संभव कैसे होगा? प्रकृति एवं पर्यावरण दोनों हमारे लिए अति आवश्यक है, इन्हें बचाना हमारी जरूरत नहीं हमारा फर्ज है।
पर्यावरण हर प्रकार से हमारे लिए लाभदायक है। यदि पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्या से मुक्त नहीं किया गया, तो आने वाले समय में इसका प्रभाव मानव जाती पर भी पढ़ सकता है। अभी हम जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, अत्यधिक गर्मी, बाढ़ जैसी जितनी भी प्राकृतिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं, वह सब प्रदूषण की ही देन है। प्रदूषण द्वारा प्रकृति को इतना नुकसान पहुंचाया जा चुका है, की प्रकृति अब इंसानों को नुकसान पहुंचा रही है।
किसी बड़े विद्वान ने कहा है, कि जैसा व्यवहार आप प्रकृति के साथ करेंगे वैसा व्यवहार प्रगति आपके साथ करेगी। यदि हम आज पर्यावरण को बचाने का प्रयास करेंगे, तो कल पर्यावरण हमें बचाने का प्रयास करेगा। पृथ्वी पर मौजूद सभी चीजों का संबंध सीधा एक दूजे के साथ है। सभी लोगों को अब विश्व स्तर पर चलाए जा रहे पर्यावरण बचाओ के अभियान के साथ जुड़कर पर्यावरण को बचाने के लिए प्रयास अवश्य करना चाहिए।
Save Environment Essay in Hindi 1000 Words
प्रदूषण जैसी जटिल समस्याओं के कारण हमारा पर्यावरण आज क्षतिग्रस्त हो चुका है। पर्यावरण को प्रदूषण द्वारा इतना नुकसान पहुंचाया जा चुका है, कि पृथ्वी की सबसे ऊपरी सतह पर मौजूद ओजोन लेयर भी इससे काफी प्रभावित हो चुकी है। हमारा पर्यावरण हमें कई सारी चीजों से बचाता है। सूर्य से आने वाली किरणें हमारे शरीर के लिए काफी नुकसानदायक होती है, पृथ्वी में मौजूद हमारा पर्यावरण इन सूर्य की किरणों को अपने अंदर समाहित कर हमें सुरक्षा प्रदान करता है।
दुख की बात यह है, कि मनुष्यों द्वारा अभी केवल स्वयं के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। अपने जीवन को आधुनिक और सुरक्षित बनाने के लिए इंसान दिन प्रतिदिन नए-नए अविष्कार करते जा रहा है, जिसका दुष्प्रभाव प्रकृति पर दिखाई दे रहा है। पर्यावरण न केवल इंसानों के लिए आवश्यक है, बल्कि पृथ्वी पर मौजूद सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों के लिए आवश्यक है। अब समय आ चुका है, कि सभी लोगों को अपने जीवन के साथ-साथ प्रकृति में मौजूद अन्य प्राणियों के जीवन को बचाए रखने के लिए पर्यावरण के बचाव पर ध्यान देना ही चाहिए।
पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है और क्यों?
ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, बाढ़, सुखा, भीषण गर्मी जैसी सभी प्राकृतिक समस्याएं प्रदूषण की देन है। विश्व के सभी देश यह जानते हैं, कि स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण को सुरक्षित रखना जरूरी है। इसलिए उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का निर्णय लिया। पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व में हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई थी। इसी देश ने दुनियां में सबसे पहले पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था, जिसमें विश्व के कुल 119 देशों ने हिस्सा लिया था।
इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की नींव रखी गई और हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया। बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण काफी सारी प्राकृतिक समस्याएं उत्पन्न हो रही थी, जिनसे छुटकारा पाने के लिए इस पहल की शुरुआत की गई थी। भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी प्रकृति और पर्यावरण को प्रदूषण जैसी समस्याओं से बचने के लिए अपनी चिंता व्यक्त की थी। विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का उद्देश्य न केवल दुनियां भर के लोगों को प्रकृति के प्रति जागरूक करना है, बल्कि प्रदूषण कम करने के लिए भी जागरूक करना है।
पर्यावरण को बचाने के लिए उपाय
पर्यावरण को बचाने के लिए हमें प्रदूषण पर रोकथाम लगानी चाहिए। प्रदूषण पर रोकथाम के लिए विश्व के सभी देशों की सरकार द्वारा तरह-तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। भारत सरकार द्वारा भी पर्यावरण को बचाने के लिए और प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए निम्न तरह के उपाय किए जा रहे हैं।
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल : विश्व के सभी देशों की तरह भारत सरकार ने भी पर्यावरण को बचाने के लिए पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर रोक लगाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ग्रुप की स्थापना की है। एनजीटी द्वारा बनाए गए निर्देशों का पालन अगर किसी के द्वारा नहीं जाता है, और प्रदूषण कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जाती है, तो उसे भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। इसके अलावा पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा बनाए गए नियम की अनुसार कोयले पर निर्भर होने वाली कंपनी पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ-साथ कोयले की इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
- ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत : प्रदूषण का एक मुख्य कारक दूषित और विषैला धुंआ भी है, जो बड़े-बड़े कारखाने एवं वाहनों से निकलता है। पर्यावरण में मौजूद जलवायु का तापमान इस दूषित धुएं के कारण बढ़ जाता है, जिससे अत्यधिक गर्मी या फिर ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है। इस काम को करने के लिए सभी देशों की सरकार द्वारा ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब वाहनों को चलाने के लिए जीवाश्म ईंधन की जगह इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा भी क्लीन एनर्जी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए जगह-जगह सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं, जिससे सौर ऊर्जा से व्यक्ति अपने लिए ऊर्जा का उत्पादन कर सके और इसका प्रयोग कर सके।
- वायु शोधक : पर्यावरण से वायु प्रदूषण कम करने के लिए जगह-जगह वायु शोधक यंत्र लगाए जा रहे हैं। इन यंत्रों की सहायता से वायु में मौजूद प्रदूषण की मात्रा पर नजर रखी जाती है। यदि पर वायु में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती है, तो वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एयर प्यूरीफायर जैसे बड़े-बड़े यंत्र लगाए जाते हैं। एयर प्यूरीफायर में मौजूद पार्टिकल हवा को साफ करने में मददगार साबित होते हैं। एयर प्यूरीफायर हवा में मौजूद सभी प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया को हटाने के लिए सक्षम माना जाता है। इसके अलावा देश के बड़े-बड़े नेशनल हाईवे पर भारी मात्रा में पेड़-पौधे लगाए जाते हैं, जिससे अत्यधिक मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन हो सके।
पर्यावरण को बचाने का महत्व
पर्यावरण सभी जीवित प्राणियों के लिए अति आवश्यक है, लेकिन इंसानों द्वारा आज अपने विकास के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। यदि समय रहते लोगों को पर्यावरण का महत्व समझ नहीं आया तो, आने वाला समय हमारे लिए काफी भयानक हो सकता है। पर्यावरण में मौजूद पेड़-पौधे वर्षा लाने का काम करते हैं, यदि पेड़-पौधों की संख्या कम होगी, तो वर्षा भी कम होगी। जिससे सूखे जैसी समस्या के साथ-साथ पानी की कमी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
पर्यावरण में मौजूद पेड़-पौधे, पहाड़, नदी, तालाब कहीं ना कहीं वायु को शुद्ध करने और पर्यावरण में संतुलन लाने का काम करते हैं। यदि हम इसी तरह इन सभी चीजों को नुकसान पहुंचाते रहे, तो हमें सांस लेने के लिए शुद्ध प्राण वायु मिलना भी मुश्किल हो जाएगी। हमारे पर्यावरण की सुंदरता नदी, पहाड़, झरना, जंगल वन, पशु-पक्षियों से है। हमें पर्यावरण के साथ-साथ इन्हें भी बचाए रखना होगा।
पर्यावरण संरक्षण हेतु सुझाव
पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:
- घर से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को कभी भी यहां-वहां नहीं फेंकना चाहिए, उन्हें एक जगह कचरे के डिब्बे में रखना चाहिए।
- यदि आप अपने घर पर पेंट करने वाले हैं, तो लेटेक्स पेंट का उपयोग करें, क्योंकि तेल आधारित पेंट हाइड्रोकार्बन धुआं छोड़ते हैं, जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होते हैं।
- जितना हो सके, अपने वाहनों का उपयोग कम करना चाहिए, वाहनों से निकलने वाला धुआं एवं ध्वनि प्रकृति को काफी नुकसान पहुंचती है।
- वाहनों एवं अन्य मशीनों को चलाने के लिए जीवाश्म ईंधन की जगह क्लीन एनर्जी का उपयोग करना चाहिए।
- जितना हो सके, जैविक उर्वरकों का उपयोग कम करना चाहिए, क्योंकि जब बारिश होती है, तो उर्वरक बारिश के पानी के साथ नदी-नालों में मिल जाते हैं।
- अपने घर पर कार या अन्य वाहनों को धोने के लिए पानी की नली के बजाय, बाल्टी का प्रयोग करना चाहिए। क्योंकि जब आप काम कर रहे होते हैं, तो नली से पानी लगातार बहता रहता है, इससे पानी की बर्बादी होती है।
- इस्तेमाल न होने पर लाइट, पंखे और अन्य बिजली के उपकरणों को बंद करके बिजली को बचाने की कोशिश करना चाहिए। इससे हमारा बिचली का बिल भी काम आएगा, एवं ऊर्जा संरक्षण में भी काफी सहायता मिलेगी।
- किसी भी खाद्य पदार्थ को रखने के लिए पॉलिथीन का उपयोग नहीं करना चाहिए इसकी जगह कपड़े से बने थैलों का इस्तेमाल करना चाहिए।
अब समय आ गया है, कि हम सभी लोगों को मुनष्य होने के नाते अपने पर्यावरण को बचाने की कोशिश करना चाहिए। पर्यावरण को प्रदूषण जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, जैसी समस्याओं से बचाने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए। प्रदूषण के कारण कई सारी बीमारियां उत्पन्न होती है।
यदि समय रहते पर्यावरण में से प्रदूषण के स्तर को कम कर दिया जाए, तो काफी सारी गंभीर बीमारियां खत्म हो जाएगी। हमें न केवल अपने लिए बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए भी पर्यावरण को बचाना होगा। अब सभी लोगों को अपने दिनचर्या में ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए, जो पर्यावरण की सुरक्षा में सहायक हो।
FAQs Related to Environment
पर्यावरण के लिए सबसे नुकसानदायक क्या है?
पर्यावरण के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक प्रदूषण है, जो की अलग-अलग कारणों से होता है।
पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है?
प्रकृति को प्रदूषण से बचाने और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
प्रदूषण को रोकने के उपाय?
प्रदूषण को रोकने के लिए हमें वृक्षारोपण करना चाहिए, धुआं छोड़ने वाले वाहनों का उपयोग नहीं करना चाहिए, एवं प्राकृतिक संसाधनों का सीमित मात्रा में उपयोग करना चाहिए।
- पुस्तकों का महत्व पर निबंध
- पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
- Essay on Dr Babasaheb Ambedkar in Hindi
- वृक्षारोपण पर निबंध
Leave a Comment Cancel reply
Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 (Environment (Protection) Act, 1986)
(1986 का अधिनियम संख्यांक 29)
{23 मई, 1986}, 1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ, 2. परिभाषाएँ, 3. केन्द्रीय सरकार की पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिये उपाय करने की शक्ति, 4. अधिकारियों की नियुक्ति तथा उनकी शक्तियाँ और कृत्य, 5. निदेश देने की शक्ति, 1 {5क. राष्ट्रीय हरित अधिकरण को अपील, 6. पर्यावरण प्रदूषण का विनियमन करने के लिये नियम, पर्यावरण प्रदूषण का निवारण, नियंत्रण और उपशमन, 7. उद्योग चलाने, संक्रिया, अादि करने वाले व्यक्तियों द्वारा मानकों से अधिक पर्यावरण प्रदूषकों का उत्सर्जन या निस्सारण न होने देना, 8. परिसंकटमय पदार्थों को हथालने वाले व्यक्तियों द्वारा प्रक्रिया सम्बन्धी रक्षोपायों का पालन किया जाना, 9. कुछ मामलों में प्राधिकरणों और अभिकरणों को जानकारी का दिया जाना, 10. प्रवेश और निरीक्षण की शक्तियाँ, 11. नमूने लेने की शक्ति और उसके सम्बन्ध में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया, 12. पर्यावरण प्रयोगशालाएँ, 13. सरकारी विश्लेषक, 14. सरकारी विश्लेषकों की रिपोर्ट, 15. अधिनियमों तथा नियमों, आदेशों और निदेशों के उपबन्धों के उल्लंघन के लिये शास्ति, 16. कम्पनियों द्वारा अपराध, 17. सरकारी विभागों द्वारा अपराध, 18. सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिये संरक्षण, 19. अपराधों का संज्ञान, 20. जानकारी, रिपोर्टें या विवरणियाँ, 21. धारा 3 के अधीन गठित प्राधिकरण के सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों का लोकसेवक होना, 22. अधिकारिता का वर्जन, 23. प्रत्यायोजन करने की शक्ति, 24. अन्य विधियों का प्रभाव, 25. नियम बनाने की शक्ति, 26. इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों का संसद के समक्ष रखा जाना.
IMAGES
VIDEO
COMMENTS
पर्यावरण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environment in Hindi, Paryavaran par Nibandh Hindi mein) पर्यावरण के इसी महत्व को समझने के लिए आज हम सब ये निबंध पढ़ेंगे जिससे ...
पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) Essay Environment in Hindi, पर्यावरण का जीवन में महत्व अथवा पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्य
यहाँ पर हमने Essay on Save Environment in Hindi 250, 300, 500 और 1200 शब्दों में शेयर किया है। साथ ही पीडीऍफ़ में भी उपलब्ध किया है। ... पर्यावरण संरक्षण पर निबंध PDF (Paryavaran ...
200 Words World Environment Day Essay in Hindi:विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (200 शब्द) पर्यावरण के महत्व ...
संक्षेप में-. Paryavaran Pradushan Par Nibandh. Environmental Pollution Essay in Hindi. की जानकारी आपको समझ में आ गयी होगी। यदि आप भी अपने मन से पर्यावरण पर निबंध लिखकर निचे कमेंट ...
PDF | विश्व गांव और विकास के नाम पर फैलाई गई गंदगी का प्रभाव अब स्थानीय नहीं ...
पर्यावरण असंतुलन पर निबंध! Here is an essay on 'Environmental Imbalance' in Hindi language. मनुष्य की प्रकृति पर निर्भरता आदि काल से ही चली आ रही है । इसीलिए विश्व की प्रत्येक सभ्यता में ...
पर्यावरण पर निबंध - Paryavaran Essay in Hindi - Paryavaran par Nibandh - Essay on Environment in Hindi Language. ADVERTISEMENT. पर्यावरण संवर्धन निबंध - पर्यावरण की सुरक्षा पर निबंध - पर्यावरण की ...
Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है: पर्यावरण हवा, पानी और भोजन जैसे आवश्यक संसाधन प्रदान करके जीवन को बनाए रखता है।. प्रदूषण और ...
Essay on Environment in Hindi, & Paryavaran par Nibandh For Any Class Students, Kids. Read Paragraph On Pollution Essay - पर्यावरण पर निबंध
पर्यावरण सभी जीवों के से बहुत महत्वपूर्ण है। हमारे चरों ओर फैला हुआ वातावरण पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण पर निबंध, Essay on Environment in Hindi
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi) प्रस्तावना. पर्यावरण यानि ऐसा आवरण जो हमें चारों तरफ से ढंक कर रखता है, जो हमसे जुड़ा है और हम उससे जुड़े हैं और ...
प्रदूषण पर निबंध - Short Essay On Paryavaran Pradushan In Hindi. प्रस्तावना. आज के मॉडर्न युग में प्रदूषण, एक बहुत बड़ी समस्या के रुप में हमारे सामने मुंह बांय ...
पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध (How to Protect the Environment Essay in Hindi) By Kumar Gourav / May 27, 2023. हमारे चारों ओर फैली सभी चीजों को ही पर्यावरण के रुप में परिभाषीत ...
पर्यावरण पर निबंध. प्राकृतिक आपदाओं पर निबंध. सामाजिक मुद्दे पर निबंध. स्वास्थ्य पर निबंध. महिलाओं पर निबंध. प्रस्तावना: पर्यावरण का ...
कक्षा 1 से कक्षा 10 के लिए निबंध / essay for class 1 to class 10. icse question - पर्यावरण है तो मानव है' विषय को आधार बनाकर पर्यावरण सुरक्षा को लेकर आप क्या-क्या प्रयास कर रहे हैं ?
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100, 200, 300, 500 और 1000 शब्दों में | Essay on Pollution in Hindi. आज हम पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लेकर आये हैं। यह प्रदूषण पर निबंध बहुत ...
Drishti IAS Paryavaran And Paristhitiki पर्यावरण और पारिस्थितिकी Book in Hindi PDF-हेलो दोस्तों ...
Essay on Paryavaran Bachao in Hindi 200 Words. मानव जाति का सीधा संबंध पर्यावरण और प्रकृति से है। यदि प्रकृति में किसी प्रकार का कोई बदलाव आता है, तो उसका सीधा ...
अध्याय 1. प्रारम्भिक. 1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ. (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 है।. (2) इसका ...